नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द ,...

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Page 1: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

हिदी

नौवी ककषालोकवषाणी

मिषारषाषटर रषाजय पषाठ यपसतक हनहममिती व अभयषासकरम सशोधन मडळ पण

मरषा नषाम ि amp

शषासन हनणमिय करमषाक अभयषास-२११६(परकर4३१६) एसडी-4 हदनषाक २54२०१६ क अनसषार समनवय सहमहत कषा गठन हकयषा गयषा हद ३३२०१७ को हई इस सहमहत की बठक म यि पषाठ यपसतक हनधषामिररत करन ित मषानयतषा परदषान की गई

Kanta PrintersNagpur

NPB2020-21(080)

परसतिावना

(डॉ सननल मगर)सिालक

महाराषटर राजय पाठ यपसतक धिधमवाती र अभयासकरम सशोिि मडळ पर-०4

पण नदनाक ः- २8 अपररल २०१७ अकषय तितिीया

नपरय नवद यानथमयो

आप नवनननममति लोकवाणी (नौवी ककषा) पढ़न क नलए उसक होग रग-निरगी अनति आकषमक यह पसतिक आपक हाथो म सौपति हए हम अयनधक हषम हो रहा हर

हम जाति हर नक आपको कनवतिा गीति गजल सनना नपरय रहा हर कहाननयो क नवशव म नविरण करना मनोरजक लगतिा हर आपकी इन भावनाओ को दतषगति रखति हए कनवतिा गीति दोह गजल नई कनवतिा वरनवधयपणम कहाननया ननिध हासय-वयगय सवाद आनद सानहतयक नवधाओ का समावश इस पसतिक म नकया गया हर य नवधाए कवल मनोरजन ही नही अनपति जानाजमन भाषाई कौशलो कषमतिाओ एव वयततिव नवकास क साथ-साथ िररत ननमामण राषटरीय भावना को सदढ़ करन तिथा सकषम िनान क नलए भी आवशयक रप स दी गई ह इन रिनाओ क ियन का आधार आय रनि मनोनवजान सामानजक सतिर आनद को रखा गया हर

नडनजटल दननया की नई सोि वरजाननक दतष तिथा अभयास को lsquoशवणीयrsquo lsquoसभाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo lsquoलखनीयrsquo lsquoपाठ क आगन मrsquo lsquoभाषा निदrsquo नवनवध कनतिया आनद क माधयम स पाठयपसतिक म परसतिति नकया गया हर आपकी सजमना और पहल को धयान म रखति हए lsquoआसपासrsquo lsquoपाठ स आगrsquo lsquoकलपना पललवनrsquo lsquoमौनलक सजनrsquo को अनधक वयापक और रोिक िनाया गया हर नडनजटल जगति म आपक सानहतयक नविरण हति परयक पाठ म lsquoम ह यहाrsquo म अनक सकति सथल (नलक) भी नदए गए ह इनका सतिति उपयोग अपनकषति हर

मागमदशमक क निना लकय की परातति नही हो सकतिी अतिः आवशयक परवीणतिा तिथा उदशय की पनतिम हति अनभभावको नशकषको क सहयोग तिथा मागमदशमन आपक कायम को सकर एव सफल िनान म सहायक नसदध होग

नवशवास हर नक आप सि पाठयपसतिक का कशलतिापवमक उपयोग करति हए नहदी नवषय क परनति नवशष अनभरनि एव आमीयतिा की भावना क साथ उसाह परदनशमति करग

पिली इकषाई

दसरी इकषाई

अनकरमहणकषा

कर पषाठ कषा नषाम हवधषा रिनषाकषार पषठ १ निी की पकार गीत सरशचदर दमश १ २ झमका ररटनातमक कहानी सशील सररत ३ ३ दनज भाषा (पठनाथट) िोहा भारति हररशचदर ७ 4 मान जा मर मन वगातमक दनिि रामशरर दसह कशप ९ 5 दकताि कछ कहना

चाहती ह नई कदरता सफिर हाशमी १३

६ lsquoइतादिrsquo की आतमकहानी (पठनाथट)

ररटनातमक दनिि शोिानि अिौरी १5

७ छोरा जािगर सरािातमक कहानी जशकर परसाि १९8 दजिगी की िड़ी जररत

ह हार नरगीत परा सतोष मडकी २4

कर पषाठ कषा नषाम हवधषा रिनषाकषार पषठ १ गागर म सागर िोहा दिहारी २७ २ म िरतन माजयगा आतमकथातमक

कहानी हमराज भटट lsquoिालसिाrsquo २९

३ गरामिरता (पठनाथट) कदरता डॉ रामकमार रमाट ३३ 4 सादहत की दनषकपर

दरिा ह-डारी रचाररक दनिि किर कमारत ३5

5 उममीि गजल कमलश भटट lsquoकमलrsquo ३९ ६ सागर और मघ सराि रा कषरिास 4२ ७ लघकथाए (पठनाथट) लघकथा जोदत जन 4६ 8 झडा ऊचा सिा रहगा परररा गीत रामिाल पाड 48

रचना दरभाग एर वाकरर दरभाग 5१

यह अपकषा ह कि नौवी िकषा ि अत म कवद यषाकथियो म भषाषषा कवषयि कनमनकिखित कमतषाए कविकित हो भषाषषा कवषयि कमतषा

कतर कमतषा

शरवण १ गद य-पद य विधाओ का रसगरहण करत हए सननासनाना २ परसार माधयम क काययकरमो को एकागरता एि विसतारपियक सनाना ३ िशिक समसया को समझन हत सचार माधयमो स परापत जानकारी सनकर उनका उपयोग करना 4 सन हए अशो पर विषणातमक परवतवकरया दना 5 सनत समय कविन गन िा शबदो मद दो अशो का अकन करना

भषाषण-िभषाषण

१ पररसर एि अतरविद यायीन काययकरमो म सहभागी हाकर पकष-विपकष म मत परकट करना २ दश क महतिपणय विषयो पर चचाय करना विचार वयकत करना ३ वदन-परवतवदन क वयिहार म शद ध उचारण क साथ िातायाप करना 4 पवित सामगरी क विचारो पर चचाय करना तथा पाि यतर सामगरी का आशय बताना 5 विनमरता एि दढ़तापियक वकसी विचार क बार म मत वयकत करना सहमवत-असहमवत परगट करना

वषाचन १ गद य-पद य विधाओ का आशयसवहत भािपणय िाचन करना २ अनवदत सावहतय का रसासिादन करत हए िाचन करना ३ विविध कषतो क परसकार परापत वयशकतयो की जानकारी का िगगीकरण करत हए मखर िाचन करना 4 वशखत अश का िाचन करत हए उसकी अचकता पारदवशयता आकाररक भाषा की परशसा करना 5 सावहशतयक खन पिय जान तथा सि अनभि क बीच मलयाकन करत हए सहसबध सथावपत करना

ििन १ गद य-पद य सावहतय क कछ अशोपररचछदो म विरामवचह नो का उवचत परयोग करत हए आकनसवहत सपाि य शद धखन करना २ रपरखा एि शबद सकतो क आधार पर खन करना ३ पवित गद याशो पद याशो का अनिाद एि वपयतरण करना 4 वनयत परकारो पर सियसफतय खन पवित सामगरी पर आधाररत परनो क अचक उततर वखना 5 वकसी विचार भाि का ससबद ध परभािी खन करना वयाखया करना सपषट भाषा म अपनी अनभवतयो सिदनाओ की सवकषपत अवभवयशकत करना

अधययन िौशि

१ महािर कहाित भाषाई सौदययिा िाकयो तथा अनय भाषा क उद धरणो का परयोग करन हत सकन चचाय और खन २ अतरजा क माधयम स अधययन करन क वए जानकारी का सकन ३ विविध सोतो स परापत जानकारी िणयन क आधार पर आकवत सगणकीय परसतवत क वए (पीपीटी क मद द) बनाना और शबदसगरह द िारा घशबदकोश बनाना 4 शरिण और िाचन क समय ी गई वटपपवणयो का सिय क सदभय क वए पनःसमरण करना 5 उद धरण भाषाई सौदययिा िाकय सिचन आवद का सकन और उपयोग करना

हशकको क हलए मषागमिदशमिक बषात

अधययन-अनभव दन स पिल पषाठ यपसतक म हदए गए अधयषापन सकतो हदशषा-हनददशो को अची तरि समझ ल भषाहषक कौशलो क परयक हवकषास क हलए पषाठयवसत lsquoशवणीयrsquo lsquoसभषाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पषाठ पर आधषाररत कहतयषा lsquoपषाठ क आगनrsquo म आई ि जिषा lsquoआसपषासrsquo म पषाठ स बषािर खोजबीन क हलए ि विी lsquoपषाठ स आगrsquo म पषाठ क आशय को आधषार बनषाकर उसस आग की बषात की गई ि lsquoकलपनषा पललवनrsquo एव lsquoमौहलक सजनrsquo हवदयषाहथमियो क भषाव हवशव एव रिनषामकतषा क हवकषास तथषा सवयसफफतमि लखन ित हदए गए ि lsquoभषाषषा हबदrsquo वयषाकरहणक दतष स मितवपणमि ि इसम हदए गए अभयषास क परशन पषाठ स एव पषाठ क बषािर क भी ि हवद यषाहथमियो न उस पषाठ स कयषा सीखषा उनकी दतष म पषाठ कषा उललख उनक दवषारषा lsquoरिनषा बोधrsquo म करनषा ि lsquoम ि यिषाrsquo म पषाठ की हवषय वसत एव उसस आग क अधययन ित सकत सथल (हलक) हदए गए ि इलकटटरॉहनक सदभभो (अतरजषाल सकतसथल आहद) म आप सबकषा हवशष सियोग हनतषात आवशयक ि उपरोति सभी कहतयो कषा सतत अभयषास करषानषा अपहकत ि वयषाकरण पषारपररक रप स निी पढ़षानषा ि कहतयो और उदषािरणो क दवषारषा सकलपनषा तक हवदयषाहथमियो को पहिषान कषा उतरदषाहयव आप सबक कधो पर ि lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी किी न किी पषाठ को िी पोहषत करती ि और यि हवदयषाहथमियो की रहि एव पठन ससकहत को बढ़षावषा दती ि अतः lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी कषा वषािन आवशयक रप स करवषाए

आवशयकतषानसषार पषाठयतर कहतयो भषाहषक खलो सदभभो परसगो कषा भी समषावश अपहकत ि आप सब पषाठयपसतक क मषाधयम स नहतक मलयो जीवन कौशलो कदरीय तवो क हवकषास क अवसर हवदयषाहथमियो को परदषान कर कमतषा हवधषान एव पषाठयपसतक म अतहनमिहित परयक सदभभो कषा सतत मलयमषापन अपहकत ि आशषा िी निी पणमि हवशवषास ि हक हशकक अहभभषावक सभी इस पसतक कषा सिषमि सवषागत करग

६ सगरक पर उपलबि सामगरी का उपोग करत सम िसरो क अदिकार (कॉपी राईर) का उलघन न हो इस िात का धान रिना ७ सगरक की सहाता स परसततीकरर और आन लाईन आरिन दिल आदि का उपोग करना 8 परसार माधमसगरक अादि पर उपलबि होन राली कलाकदतो का रसासरािन एर दचदकतसक

दरचार करना ९ सगरक अतरजाल की सहाता स भाषातरदलपतरर करना

वयषाकरण १ पनरारतटन-कारक राक परररतटन एर परोग काल परररतटन२ पाटराची-दरलोम उपसगट-परत सदि (३) ३ दरकारी अदरकारी शबिो का परोग (िल क रप म)4 अ दररामदचह न ( xxx -०-) ब शदध उचिारर परोग और लिन (सोत

सतोत शगार)5 महारर-कहारत परोग चन

1

- सरशचदर मिशर

१ नदी की पकार

सबको जीवन दन वाली करती सदा भलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

मयायादा म बहन वाली होकर अमत धारा पयास बझाती ह उसकी दजसन भी मझ पकारापरदहत का जीवन ह अपना मत बदनए सौदाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

दिररवन स दनकली थी तब मन म पाला था सपना जो भी पथ म दमल जाए बस उस बना लो अपनामिर मदलनता लोिो न तो मझम डाल दमलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र नददया क तट पर बठो तो हरदम िीत सनातीसखा पड़ जाए तो भी दकतनो की पयास बझाती दबना शलक जल द दती ह दकतनी आए महिाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

नददया नही रहिी तो सािर भी मरझाएिा मझ बताओ नाला तब दकसस दमलन जाएिाlsquoहो हया-हो हयाrsquo की धन न द कभी सनाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

झरना बनकर मन नयनो को बाटी खशहालीसररता बन करक खतो म फलाई हररयालीखार सािर म दमलकर क मन ददया दमठाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

कति क तिए आवशयक सोपान ःजि क आसपास क कषतर की सवचछिा रखनष हषि आप कया करिष ह बिाइए ः-

जनम ः 18 मई 1965 धनऊपर परतापिढ़ (उ पर) पररचय ः आप आधदनक दहदी कदवता कतर क जान-मान िीतकार ह रचनाए ः सकलप जय िणश वीर दशवाजी पतनी पजा (कावय सगरह) आपकी चदचयात कदतया ह

middot शद ध जल की आवशयकता पर चचाया कर middot जल क आसपास का कतर असवचछ रहन पर व कया करत ह पछ middot असवचछ पररसर क जल स होन वाली हादनया बतान क दलए कह और समझाए middot जल क आसपास का कतर सवचछ रखन हत घोषवाकय क पोसटर बनवाए और पररसर म लिवाए सवचछता का परचार-परसार करवाए

गीि ः सामानयतया सवर पद और ताल स यकत िान ही िीत ह इनम एक मखड़ा और कछ अतर होत ह

परसतत िीत क माधयम स कदव न हमार जीवन म नदी क योिदान को दशायात हए इस परदषण मकत रखन क दलए परररत दकया ह

आसपास

lsquoनदी सधार पररयोजनाrsquo सबधी कायया सदनए और उसकी आवशयकता अपन दमतरो को सनाइए

पररचय

पद य सबधी

शरवणीय

पहिी इकाई

2

पाठ सष आगष

पठनीय

पानी की समसया समझत हए lsquoहोली उतसव का बदलता रपrsquo पर अपना मत दलखखए

जल सोत शद धीकरण परकलप लाभाखनवत कतर

lsquoनदी क मन क भावrsquo इस दवषय पर भाषण तयार करक परसतत कीदजए

जल आपदतया सबधी जानकारी दनमनदलखखत क आधार पर पदढ़ए ः-

सभाषणीय

कलपना पललवन

lsquoजलयकत दशवारrsquo पर चचाया कर

नदी पथआकाश

तनमन शबदो क पयायायवाची शबद तिखखए ः-भाषा तबद

(१) उतिर तिखखए ः-(क) अपन शबदो म नदी की सवाभादवक दवशषताए (ख) दकसी एक चरण का भावाथया

(३) सजाि पणया कीतजए ः-

कदवता म परयकतपराकदतक सपदा

(२) आकति पणया कीतजए ः-

नदी नही रही तो

परतहि (पस) = दसर की भलाई सौदाई (दवफा) = पािल तगररवन (पस) = पवयातीय जिलमतिनिा (सतरीस) = िदिी

शबद ससार

रचना बोध

पाठ क आगन म

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 2: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

Kanta PrintersNagpur

NPB2020-21(080)

परसतिावना

(डॉ सननल मगर)सिालक

महाराषटर राजय पाठ यपसतक धिधमवाती र अभयासकरम सशोिि मडळ पर-०4

पण नदनाक ः- २8 अपररल २०१७ अकषय तितिीया

नपरय नवद यानथमयो

आप नवनननममति लोकवाणी (नौवी ककषा) पढ़न क नलए उसक होग रग-निरगी अनति आकषमक यह पसतिक आपक हाथो म सौपति हए हम अयनधक हषम हो रहा हर

हम जाति हर नक आपको कनवतिा गीति गजल सनना नपरय रहा हर कहाननयो क नवशव म नविरण करना मनोरजक लगतिा हर आपकी इन भावनाओ को दतषगति रखति हए कनवतिा गीति दोह गजल नई कनवतिा वरनवधयपणम कहाननया ननिध हासय-वयगय सवाद आनद सानहतयक नवधाओ का समावश इस पसतिक म नकया गया हर य नवधाए कवल मनोरजन ही नही अनपति जानाजमन भाषाई कौशलो कषमतिाओ एव वयततिव नवकास क साथ-साथ िररत ननमामण राषटरीय भावना को सदढ़ करन तिथा सकषम िनान क नलए भी आवशयक रप स दी गई ह इन रिनाओ क ियन का आधार आय रनि मनोनवजान सामानजक सतिर आनद को रखा गया हर

नडनजटल दननया की नई सोि वरजाननक दतष तिथा अभयास को lsquoशवणीयrsquo lsquoसभाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo lsquoलखनीयrsquo lsquoपाठ क आगन मrsquo lsquoभाषा निदrsquo नवनवध कनतिया आनद क माधयम स पाठयपसतिक म परसतिति नकया गया हर आपकी सजमना और पहल को धयान म रखति हए lsquoआसपासrsquo lsquoपाठ स आगrsquo lsquoकलपना पललवनrsquo lsquoमौनलक सजनrsquo को अनधक वयापक और रोिक िनाया गया हर नडनजटल जगति म आपक सानहतयक नविरण हति परयक पाठ म lsquoम ह यहाrsquo म अनक सकति सथल (नलक) भी नदए गए ह इनका सतिति उपयोग अपनकषति हर

मागमदशमक क निना लकय की परातति नही हो सकतिी अतिः आवशयक परवीणतिा तिथा उदशय की पनतिम हति अनभभावको नशकषको क सहयोग तिथा मागमदशमन आपक कायम को सकर एव सफल िनान म सहायक नसदध होग

नवशवास हर नक आप सि पाठयपसतिक का कशलतिापवमक उपयोग करति हए नहदी नवषय क परनति नवशष अनभरनि एव आमीयतिा की भावना क साथ उसाह परदनशमति करग

पिली इकषाई

दसरी इकषाई

अनकरमहणकषा

कर पषाठ कषा नषाम हवधषा रिनषाकषार पषठ १ निी की पकार गीत सरशचदर दमश १ २ झमका ररटनातमक कहानी सशील सररत ३ ३ दनज भाषा (पठनाथट) िोहा भारति हररशचदर ७ 4 मान जा मर मन वगातमक दनिि रामशरर दसह कशप ९ 5 दकताि कछ कहना

चाहती ह नई कदरता सफिर हाशमी १३

६ lsquoइतादिrsquo की आतमकहानी (पठनाथट)

ररटनातमक दनिि शोिानि अिौरी १5

७ छोरा जािगर सरािातमक कहानी जशकर परसाि १९8 दजिगी की िड़ी जररत

ह हार नरगीत परा सतोष मडकी २4

कर पषाठ कषा नषाम हवधषा रिनषाकषार पषठ १ गागर म सागर िोहा दिहारी २७ २ म िरतन माजयगा आतमकथातमक

कहानी हमराज भटट lsquoिालसिाrsquo २९

३ गरामिरता (पठनाथट) कदरता डॉ रामकमार रमाट ३३ 4 सादहत की दनषकपर

दरिा ह-डारी रचाररक दनिि किर कमारत ३5

5 उममीि गजल कमलश भटट lsquoकमलrsquo ३९ ६ सागर और मघ सराि रा कषरिास 4२ ७ लघकथाए (पठनाथट) लघकथा जोदत जन 4६ 8 झडा ऊचा सिा रहगा परररा गीत रामिाल पाड 48

रचना दरभाग एर वाकरर दरभाग 5१

यह अपकषा ह कि नौवी िकषा ि अत म कवद यषाकथियो म भषाषषा कवषयि कनमनकिखित कमतषाए कविकित हो भषाषषा कवषयि कमतषा

कतर कमतषा

शरवण १ गद य-पद य विधाओ का रसगरहण करत हए सननासनाना २ परसार माधयम क काययकरमो को एकागरता एि विसतारपियक सनाना ३ िशिक समसया को समझन हत सचार माधयमो स परापत जानकारी सनकर उनका उपयोग करना 4 सन हए अशो पर विषणातमक परवतवकरया दना 5 सनत समय कविन गन िा शबदो मद दो अशो का अकन करना

भषाषण-िभषाषण

१ पररसर एि अतरविद यायीन काययकरमो म सहभागी हाकर पकष-विपकष म मत परकट करना २ दश क महतिपणय विषयो पर चचाय करना विचार वयकत करना ३ वदन-परवतवदन क वयिहार म शद ध उचारण क साथ िातायाप करना 4 पवित सामगरी क विचारो पर चचाय करना तथा पाि यतर सामगरी का आशय बताना 5 विनमरता एि दढ़तापियक वकसी विचार क बार म मत वयकत करना सहमवत-असहमवत परगट करना

वषाचन १ गद य-पद य विधाओ का आशयसवहत भािपणय िाचन करना २ अनवदत सावहतय का रसासिादन करत हए िाचन करना ३ विविध कषतो क परसकार परापत वयशकतयो की जानकारी का िगगीकरण करत हए मखर िाचन करना 4 वशखत अश का िाचन करत हए उसकी अचकता पारदवशयता आकाररक भाषा की परशसा करना 5 सावहशतयक खन पिय जान तथा सि अनभि क बीच मलयाकन करत हए सहसबध सथावपत करना

ििन १ गद य-पद य सावहतय क कछ अशोपररचछदो म विरामवचह नो का उवचत परयोग करत हए आकनसवहत सपाि य शद धखन करना २ रपरखा एि शबद सकतो क आधार पर खन करना ३ पवित गद याशो पद याशो का अनिाद एि वपयतरण करना 4 वनयत परकारो पर सियसफतय खन पवित सामगरी पर आधाररत परनो क अचक उततर वखना 5 वकसी विचार भाि का ससबद ध परभािी खन करना वयाखया करना सपषट भाषा म अपनी अनभवतयो सिदनाओ की सवकषपत अवभवयशकत करना

अधययन िौशि

१ महािर कहाित भाषाई सौदययिा िाकयो तथा अनय भाषा क उद धरणो का परयोग करन हत सकन चचाय और खन २ अतरजा क माधयम स अधययन करन क वए जानकारी का सकन ३ विविध सोतो स परापत जानकारी िणयन क आधार पर आकवत सगणकीय परसतवत क वए (पीपीटी क मद द) बनाना और शबदसगरह द िारा घशबदकोश बनाना 4 शरिण और िाचन क समय ी गई वटपपवणयो का सिय क सदभय क वए पनःसमरण करना 5 उद धरण भाषाई सौदययिा िाकय सिचन आवद का सकन और उपयोग करना

हशकको क हलए मषागमिदशमिक बषात

अधययन-अनभव दन स पिल पषाठ यपसतक म हदए गए अधयषापन सकतो हदशषा-हनददशो को अची तरि समझ ल भषाहषक कौशलो क परयक हवकषास क हलए पषाठयवसत lsquoशवणीयrsquo lsquoसभषाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पषाठ पर आधषाररत कहतयषा lsquoपषाठ क आगनrsquo म आई ि जिषा lsquoआसपषासrsquo म पषाठ स बषािर खोजबीन क हलए ि विी lsquoपषाठ स आगrsquo म पषाठ क आशय को आधषार बनषाकर उसस आग की बषात की गई ि lsquoकलपनषा पललवनrsquo एव lsquoमौहलक सजनrsquo हवदयषाहथमियो क भषाव हवशव एव रिनषामकतषा क हवकषास तथषा सवयसफफतमि लखन ित हदए गए ि lsquoभषाषषा हबदrsquo वयषाकरहणक दतष स मितवपणमि ि इसम हदए गए अभयषास क परशन पषाठ स एव पषाठ क बषािर क भी ि हवद यषाहथमियो न उस पषाठ स कयषा सीखषा उनकी दतष म पषाठ कषा उललख उनक दवषारषा lsquoरिनषा बोधrsquo म करनषा ि lsquoम ि यिषाrsquo म पषाठ की हवषय वसत एव उसस आग क अधययन ित सकत सथल (हलक) हदए गए ि इलकटटरॉहनक सदभभो (अतरजषाल सकतसथल आहद) म आप सबकषा हवशष सियोग हनतषात आवशयक ि उपरोति सभी कहतयो कषा सतत अभयषास करषानषा अपहकत ि वयषाकरण पषारपररक रप स निी पढ़षानषा ि कहतयो और उदषािरणो क दवषारषा सकलपनषा तक हवदयषाहथमियो को पहिषान कषा उतरदषाहयव आप सबक कधो पर ि lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी किी न किी पषाठ को िी पोहषत करती ि और यि हवदयषाहथमियो की रहि एव पठन ससकहत को बढ़षावषा दती ि अतः lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी कषा वषािन आवशयक रप स करवषाए

आवशयकतषानसषार पषाठयतर कहतयो भषाहषक खलो सदभभो परसगो कषा भी समषावश अपहकत ि आप सब पषाठयपसतक क मषाधयम स नहतक मलयो जीवन कौशलो कदरीय तवो क हवकषास क अवसर हवदयषाहथमियो को परदषान कर कमतषा हवधषान एव पषाठयपसतक म अतहनमिहित परयक सदभभो कषा सतत मलयमषापन अपहकत ि आशषा िी निी पणमि हवशवषास ि हक हशकक अहभभषावक सभी इस पसतक कषा सिषमि सवषागत करग

६ सगरक पर उपलबि सामगरी का उपोग करत सम िसरो क अदिकार (कॉपी राईर) का उलघन न हो इस िात का धान रिना ७ सगरक की सहाता स परसततीकरर और आन लाईन आरिन दिल आदि का उपोग करना 8 परसार माधमसगरक अादि पर उपलबि होन राली कलाकदतो का रसासरािन एर दचदकतसक

दरचार करना ९ सगरक अतरजाल की सहाता स भाषातरदलपतरर करना

वयषाकरण १ पनरारतटन-कारक राक परररतटन एर परोग काल परररतटन२ पाटराची-दरलोम उपसगट-परत सदि (३) ३ दरकारी अदरकारी शबिो का परोग (िल क रप म)4 अ दररामदचह न ( xxx -०-) ब शदध उचिारर परोग और लिन (सोत

सतोत शगार)5 महारर-कहारत परोग चन

1

- सरशचदर मिशर

१ नदी की पकार

सबको जीवन दन वाली करती सदा भलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

मयायादा म बहन वाली होकर अमत धारा पयास बझाती ह उसकी दजसन भी मझ पकारापरदहत का जीवन ह अपना मत बदनए सौदाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

दिररवन स दनकली थी तब मन म पाला था सपना जो भी पथ म दमल जाए बस उस बना लो अपनामिर मदलनता लोिो न तो मझम डाल दमलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र नददया क तट पर बठो तो हरदम िीत सनातीसखा पड़ जाए तो भी दकतनो की पयास बझाती दबना शलक जल द दती ह दकतनी आए महिाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

नददया नही रहिी तो सािर भी मरझाएिा मझ बताओ नाला तब दकसस दमलन जाएिाlsquoहो हया-हो हयाrsquo की धन न द कभी सनाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

झरना बनकर मन नयनो को बाटी खशहालीसररता बन करक खतो म फलाई हररयालीखार सािर म दमलकर क मन ददया दमठाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

कति क तिए आवशयक सोपान ःजि क आसपास क कषतर की सवचछिा रखनष हषि आप कया करिष ह बिाइए ः-

जनम ः 18 मई 1965 धनऊपर परतापिढ़ (उ पर) पररचय ः आप आधदनक दहदी कदवता कतर क जान-मान िीतकार ह रचनाए ः सकलप जय िणश वीर दशवाजी पतनी पजा (कावय सगरह) आपकी चदचयात कदतया ह

middot शद ध जल की आवशयकता पर चचाया कर middot जल क आसपास का कतर असवचछ रहन पर व कया करत ह पछ middot असवचछ पररसर क जल स होन वाली हादनया बतान क दलए कह और समझाए middot जल क आसपास का कतर सवचछ रखन हत घोषवाकय क पोसटर बनवाए और पररसर म लिवाए सवचछता का परचार-परसार करवाए

गीि ः सामानयतया सवर पद और ताल स यकत िान ही िीत ह इनम एक मखड़ा और कछ अतर होत ह

परसतत िीत क माधयम स कदव न हमार जीवन म नदी क योिदान को दशायात हए इस परदषण मकत रखन क दलए परररत दकया ह

आसपास

lsquoनदी सधार पररयोजनाrsquo सबधी कायया सदनए और उसकी आवशयकता अपन दमतरो को सनाइए

पररचय

पद य सबधी

शरवणीय

पहिी इकाई

2

पाठ सष आगष

पठनीय

पानी की समसया समझत हए lsquoहोली उतसव का बदलता रपrsquo पर अपना मत दलखखए

जल सोत शद धीकरण परकलप लाभाखनवत कतर

lsquoनदी क मन क भावrsquo इस दवषय पर भाषण तयार करक परसतत कीदजए

जल आपदतया सबधी जानकारी दनमनदलखखत क आधार पर पदढ़ए ः-

सभाषणीय

कलपना पललवन

lsquoजलयकत दशवारrsquo पर चचाया कर

नदी पथआकाश

तनमन शबदो क पयायायवाची शबद तिखखए ः-भाषा तबद

(१) उतिर तिखखए ः-(क) अपन शबदो म नदी की सवाभादवक दवशषताए (ख) दकसी एक चरण का भावाथया

(३) सजाि पणया कीतजए ः-

कदवता म परयकतपराकदतक सपदा

(२) आकति पणया कीतजए ः-

नदी नही रही तो

परतहि (पस) = दसर की भलाई सौदाई (दवफा) = पािल तगररवन (पस) = पवयातीय जिलमतिनिा (सतरीस) = िदिी

शबद ससार

रचना बोध

पाठ क आगन म

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

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9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

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पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

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म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 3: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

परसतिावना

(डॉ सननल मगर)सिालक

महाराषटर राजय पाठ यपसतक धिधमवाती र अभयासकरम सशोिि मडळ पर-०4

पण नदनाक ः- २8 अपररल २०१७ अकषय तितिीया

नपरय नवद यानथमयो

आप नवनननममति लोकवाणी (नौवी ककषा) पढ़न क नलए उसक होग रग-निरगी अनति आकषमक यह पसतिक आपक हाथो म सौपति हए हम अयनधक हषम हो रहा हर

हम जाति हर नक आपको कनवतिा गीति गजल सनना नपरय रहा हर कहाननयो क नवशव म नविरण करना मनोरजक लगतिा हर आपकी इन भावनाओ को दतषगति रखति हए कनवतिा गीति दोह गजल नई कनवतिा वरनवधयपणम कहाननया ननिध हासय-वयगय सवाद आनद सानहतयक नवधाओ का समावश इस पसतिक म नकया गया हर य नवधाए कवल मनोरजन ही नही अनपति जानाजमन भाषाई कौशलो कषमतिाओ एव वयततिव नवकास क साथ-साथ िररत ननमामण राषटरीय भावना को सदढ़ करन तिथा सकषम िनान क नलए भी आवशयक रप स दी गई ह इन रिनाओ क ियन का आधार आय रनि मनोनवजान सामानजक सतिर आनद को रखा गया हर

नडनजटल दननया की नई सोि वरजाननक दतष तिथा अभयास को lsquoशवणीयrsquo lsquoसभाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo lsquoलखनीयrsquo lsquoपाठ क आगन मrsquo lsquoभाषा निदrsquo नवनवध कनतिया आनद क माधयम स पाठयपसतिक म परसतिति नकया गया हर आपकी सजमना और पहल को धयान म रखति हए lsquoआसपासrsquo lsquoपाठ स आगrsquo lsquoकलपना पललवनrsquo lsquoमौनलक सजनrsquo को अनधक वयापक और रोिक िनाया गया हर नडनजटल जगति म आपक सानहतयक नविरण हति परयक पाठ म lsquoम ह यहाrsquo म अनक सकति सथल (नलक) भी नदए गए ह इनका सतिति उपयोग अपनकषति हर

मागमदशमक क निना लकय की परातति नही हो सकतिी अतिः आवशयक परवीणतिा तिथा उदशय की पनतिम हति अनभभावको नशकषको क सहयोग तिथा मागमदशमन आपक कायम को सकर एव सफल िनान म सहायक नसदध होग

नवशवास हर नक आप सि पाठयपसतिक का कशलतिापवमक उपयोग करति हए नहदी नवषय क परनति नवशष अनभरनि एव आमीयतिा की भावना क साथ उसाह परदनशमति करग

पिली इकषाई

दसरी इकषाई

अनकरमहणकषा

कर पषाठ कषा नषाम हवधषा रिनषाकषार पषठ १ निी की पकार गीत सरशचदर दमश १ २ झमका ररटनातमक कहानी सशील सररत ३ ३ दनज भाषा (पठनाथट) िोहा भारति हररशचदर ७ 4 मान जा मर मन वगातमक दनिि रामशरर दसह कशप ९ 5 दकताि कछ कहना

चाहती ह नई कदरता सफिर हाशमी १३

६ lsquoइतादिrsquo की आतमकहानी (पठनाथट)

ररटनातमक दनिि शोिानि अिौरी १5

७ छोरा जािगर सरािातमक कहानी जशकर परसाि १९8 दजिगी की िड़ी जररत

ह हार नरगीत परा सतोष मडकी २4

कर पषाठ कषा नषाम हवधषा रिनषाकषार पषठ १ गागर म सागर िोहा दिहारी २७ २ म िरतन माजयगा आतमकथातमक

कहानी हमराज भटट lsquoिालसिाrsquo २९

३ गरामिरता (पठनाथट) कदरता डॉ रामकमार रमाट ३३ 4 सादहत की दनषकपर

दरिा ह-डारी रचाररक दनिि किर कमारत ३5

5 उममीि गजल कमलश भटट lsquoकमलrsquo ३९ ६ सागर और मघ सराि रा कषरिास 4२ ७ लघकथाए (पठनाथट) लघकथा जोदत जन 4६ 8 झडा ऊचा सिा रहगा परररा गीत रामिाल पाड 48

रचना दरभाग एर वाकरर दरभाग 5१

यह अपकषा ह कि नौवी िकषा ि अत म कवद यषाकथियो म भषाषषा कवषयि कनमनकिखित कमतषाए कविकित हो भषाषषा कवषयि कमतषा

कतर कमतषा

शरवण १ गद य-पद य विधाओ का रसगरहण करत हए सननासनाना २ परसार माधयम क काययकरमो को एकागरता एि विसतारपियक सनाना ३ िशिक समसया को समझन हत सचार माधयमो स परापत जानकारी सनकर उनका उपयोग करना 4 सन हए अशो पर विषणातमक परवतवकरया दना 5 सनत समय कविन गन िा शबदो मद दो अशो का अकन करना

भषाषण-िभषाषण

१ पररसर एि अतरविद यायीन काययकरमो म सहभागी हाकर पकष-विपकष म मत परकट करना २ दश क महतिपणय विषयो पर चचाय करना विचार वयकत करना ३ वदन-परवतवदन क वयिहार म शद ध उचारण क साथ िातायाप करना 4 पवित सामगरी क विचारो पर चचाय करना तथा पाि यतर सामगरी का आशय बताना 5 विनमरता एि दढ़तापियक वकसी विचार क बार म मत वयकत करना सहमवत-असहमवत परगट करना

वषाचन १ गद य-पद य विधाओ का आशयसवहत भािपणय िाचन करना २ अनवदत सावहतय का रसासिादन करत हए िाचन करना ३ विविध कषतो क परसकार परापत वयशकतयो की जानकारी का िगगीकरण करत हए मखर िाचन करना 4 वशखत अश का िाचन करत हए उसकी अचकता पारदवशयता आकाररक भाषा की परशसा करना 5 सावहशतयक खन पिय जान तथा सि अनभि क बीच मलयाकन करत हए सहसबध सथावपत करना

ििन १ गद य-पद य सावहतय क कछ अशोपररचछदो म विरामवचह नो का उवचत परयोग करत हए आकनसवहत सपाि य शद धखन करना २ रपरखा एि शबद सकतो क आधार पर खन करना ३ पवित गद याशो पद याशो का अनिाद एि वपयतरण करना 4 वनयत परकारो पर सियसफतय खन पवित सामगरी पर आधाररत परनो क अचक उततर वखना 5 वकसी विचार भाि का ससबद ध परभािी खन करना वयाखया करना सपषट भाषा म अपनी अनभवतयो सिदनाओ की सवकषपत अवभवयशकत करना

अधययन िौशि

१ महािर कहाित भाषाई सौदययिा िाकयो तथा अनय भाषा क उद धरणो का परयोग करन हत सकन चचाय और खन २ अतरजा क माधयम स अधययन करन क वए जानकारी का सकन ३ विविध सोतो स परापत जानकारी िणयन क आधार पर आकवत सगणकीय परसतवत क वए (पीपीटी क मद द) बनाना और शबदसगरह द िारा घशबदकोश बनाना 4 शरिण और िाचन क समय ी गई वटपपवणयो का सिय क सदभय क वए पनःसमरण करना 5 उद धरण भाषाई सौदययिा िाकय सिचन आवद का सकन और उपयोग करना

हशकको क हलए मषागमिदशमिक बषात

अधययन-अनभव दन स पिल पषाठ यपसतक म हदए गए अधयषापन सकतो हदशषा-हनददशो को अची तरि समझ ल भषाहषक कौशलो क परयक हवकषास क हलए पषाठयवसत lsquoशवणीयrsquo lsquoसभषाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पषाठ पर आधषाररत कहतयषा lsquoपषाठ क आगनrsquo म आई ि जिषा lsquoआसपषासrsquo म पषाठ स बषािर खोजबीन क हलए ि विी lsquoपषाठ स आगrsquo म पषाठ क आशय को आधषार बनषाकर उसस आग की बषात की गई ि lsquoकलपनषा पललवनrsquo एव lsquoमौहलक सजनrsquo हवदयषाहथमियो क भषाव हवशव एव रिनषामकतषा क हवकषास तथषा सवयसफफतमि लखन ित हदए गए ि lsquoभषाषषा हबदrsquo वयषाकरहणक दतष स मितवपणमि ि इसम हदए गए अभयषास क परशन पषाठ स एव पषाठ क बषािर क भी ि हवद यषाहथमियो न उस पषाठ स कयषा सीखषा उनकी दतष म पषाठ कषा उललख उनक दवषारषा lsquoरिनषा बोधrsquo म करनषा ि lsquoम ि यिषाrsquo म पषाठ की हवषय वसत एव उसस आग क अधययन ित सकत सथल (हलक) हदए गए ि इलकटटरॉहनक सदभभो (अतरजषाल सकतसथल आहद) म आप सबकषा हवशष सियोग हनतषात आवशयक ि उपरोति सभी कहतयो कषा सतत अभयषास करषानषा अपहकत ि वयषाकरण पषारपररक रप स निी पढ़षानषा ि कहतयो और उदषािरणो क दवषारषा सकलपनषा तक हवदयषाहथमियो को पहिषान कषा उतरदषाहयव आप सबक कधो पर ि lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी किी न किी पषाठ को िी पोहषत करती ि और यि हवदयषाहथमियो की रहि एव पठन ससकहत को बढ़षावषा दती ि अतः lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी कषा वषािन आवशयक रप स करवषाए

आवशयकतषानसषार पषाठयतर कहतयो भषाहषक खलो सदभभो परसगो कषा भी समषावश अपहकत ि आप सब पषाठयपसतक क मषाधयम स नहतक मलयो जीवन कौशलो कदरीय तवो क हवकषास क अवसर हवदयषाहथमियो को परदषान कर कमतषा हवधषान एव पषाठयपसतक म अतहनमिहित परयक सदभभो कषा सतत मलयमषापन अपहकत ि आशषा िी निी पणमि हवशवषास ि हक हशकक अहभभषावक सभी इस पसतक कषा सिषमि सवषागत करग

६ सगरक पर उपलबि सामगरी का उपोग करत सम िसरो क अदिकार (कॉपी राईर) का उलघन न हो इस िात का धान रिना ७ सगरक की सहाता स परसततीकरर और आन लाईन आरिन दिल आदि का उपोग करना 8 परसार माधमसगरक अादि पर उपलबि होन राली कलाकदतो का रसासरािन एर दचदकतसक

दरचार करना ९ सगरक अतरजाल की सहाता स भाषातरदलपतरर करना

वयषाकरण १ पनरारतटन-कारक राक परररतटन एर परोग काल परररतटन२ पाटराची-दरलोम उपसगट-परत सदि (३) ३ दरकारी अदरकारी शबिो का परोग (िल क रप म)4 अ दररामदचह न ( xxx -०-) ब शदध उचिारर परोग और लिन (सोत

सतोत शगार)5 महारर-कहारत परोग चन

1

- सरशचदर मिशर

१ नदी की पकार

सबको जीवन दन वाली करती सदा भलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

मयायादा म बहन वाली होकर अमत धारा पयास बझाती ह उसकी दजसन भी मझ पकारापरदहत का जीवन ह अपना मत बदनए सौदाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

दिररवन स दनकली थी तब मन म पाला था सपना जो भी पथ म दमल जाए बस उस बना लो अपनामिर मदलनता लोिो न तो मझम डाल दमलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र नददया क तट पर बठो तो हरदम िीत सनातीसखा पड़ जाए तो भी दकतनो की पयास बझाती दबना शलक जल द दती ह दकतनी आए महिाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

नददया नही रहिी तो सािर भी मरझाएिा मझ बताओ नाला तब दकसस दमलन जाएिाlsquoहो हया-हो हयाrsquo की धन न द कभी सनाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

झरना बनकर मन नयनो को बाटी खशहालीसररता बन करक खतो म फलाई हररयालीखार सािर म दमलकर क मन ददया दमठाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

कति क तिए आवशयक सोपान ःजि क आसपास क कषतर की सवचछिा रखनष हषि आप कया करिष ह बिाइए ः-

जनम ः 18 मई 1965 धनऊपर परतापिढ़ (उ पर) पररचय ः आप आधदनक दहदी कदवता कतर क जान-मान िीतकार ह रचनाए ः सकलप जय िणश वीर दशवाजी पतनी पजा (कावय सगरह) आपकी चदचयात कदतया ह

middot शद ध जल की आवशयकता पर चचाया कर middot जल क आसपास का कतर असवचछ रहन पर व कया करत ह पछ middot असवचछ पररसर क जल स होन वाली हादनया बतान क दलए कह और समझाए middot जल क आसपास का कतर सवचछ रखन हत घोषवाकय क पोसटर बनवाए और पररसर म लिवाए सवचछता का परचार-परसार करवाए

गीि ः सामानयतया सवर पद और ताल स यकत िान ही िीत ह इनम एक मखड़ा और कछ अतर होत ह

परसतत िीत क माधयम स कदव न हमार जीवन म नदी क योिदान को दशायात हए इस परदषण मकत रखन क दलए परररत दकया ह

आसपास

lsquoनदी सधार पररयोजनाrsquo सबधी कायया सदनए और उसकी आवशयकता अपन दमतरो को सनाइए

पररचय

पद य सबधी

शरवणीय

पहिी इकाई

2

पाठ सष आगष

पठनीय

पानी की समसया समझत हए lsquoहोली उतसव का बदलता रपrsquo पर अपना मत दलखखए

जल सोत शद धीकरण परकलप लाभाखनवत कतर

lsquoनदी क मन क भावrsquo इस दवषय पर भाषण तयार करक परसतत कीदजए

जल आपदतया सबधी जानकारी दनमनदलखखत क आधार पर पदढ़ए ः-

सभाषणीय

कलपना पललवन

lsquoजलयकत दशवारrsquo पर चचाया कर

नदी पथआकाश

तनमन शबदो क पयायायवाची शबद तिखखए ः-भाषा तबद

(१) उतिर तिखखए ः-(क) अपन शबदो म नदी की सवाभादवक दवशषताए (ख) दकसी एक चरण का भावाथया

(३) सजाि पणया कीतजए ः-

कदवता म परयकतपराकदतक सपदा

(२) आकति पणया कीतजए ः-

नदी नही रही तो

परतहि (पस) = दसर की भलाई सौदाई (दवफा) = पािल तगररवन (पस) = पवयातीय जिलमतिनिा (सतरीस) = िदिी

शबद ससार

रचना बोध

पाठ क आगन म

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 4: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

पिली इकषाई

दसरी इकषाई

अनकरमहणकषा

कर पषाठ कषा नषाम हवधषा रिनषाकषार पषठ १ निी की पकार गीत सरशचदर दमश १ २ झमका ररटनातमक कहानी सशील सररत ३ ३ दनज भाषा (पठनाथट) िोहा भारति हररशचदर ७ 4 मान जा मर मन वगातमक दनिि रामशरर दसह कशप ९ 5 दकताि कछ कहना

चाहती ह नई कदरता सफिर हाशमी १३

६ lsquoइतादिrsquo की आतमकहानी (पठनाथट)

ररटनातमक दनिि शोिानि अिौरी १5

७ छोरा जािगर सरािातमक कहानी जशकर परसाि १९8 दजिगी की िड़ी जररत

ह हार नरगीत परा सतोष मडकी २4

कर पषाठ कषा नषाम हवधषा रिनषाकषार पषठ १ गागर म सागर िोहा दिहारी २७ २ म िरतन माजयगा आतमकथातमक

कहानी हमराज भटट lsquoिालसिाrsquo २९

३ गरामिरता (पठनाथट) कदरता डॉ रामकमार रमाट ३३ 4 सादहत की दनषकपर

दरिा ह-डारी रचाररक दनिि किर कमारत ३5

5 उममीि गजल कमलश भटट lsquoकमलrsquo ३९ ६ सागर और मघ सराि रा कषरिास 4२ ७ लघकथाए (पठनाथट) लघकथा जोदत जन 4६ 8 झडा ऊचा सिा रहगा परररा गीत रामिाल पाड 48

रचना दरभाग एर वाकरर दरभाग 5१

यह अपकषा ह कि नौवी िकषा ि अत म कवद यषाकथियो म भषाषषा कवषयि कनमनकिखित कमतषाए कविकित हो भषाषषा कवषयि कमतषा

कतर कमतषा

शरवण १ गद य-पद य विधाओ का रसगरहण करत हए सननासनाना २ परसार माधयम क काययकरमो को एकागरता एि विसतारपियक सनाना ३ िशिक समसया को समझन हत सचार माधयमो स परापत जानकारी सनकर उनका उपयोग करना 4 सन हए अशो पर विषणातमक परवतवकरया दना 5 सनत समय कविन गन िा शबदो मद दो अशो का अकन करना

भषाषण-िभषाषण

१ पररसर एि अतरविद यायीन काययकरमो म सहभागी हाकर पकष-विपकष म मत परकट करना २ दश क महतिपणय विषयो पर चचाय करना विचार वयकत करना ३ वदन-परवतवदन क वयिहार म शद ध उचारण क साथ िातायाप करना 4 पवित सामगरी क विचारो पर चचाय करना तथा पाि यतर सामगरी का आशय बताना 5 विनमरता एि दढ़तापियक वकसी विचार क बार म मत वयकत करना सहमवत-असहमवत परगट करना

वषाचन १ गद य-पद य विधाओ का आशयसवहत भािपणय िाचन करना २ अनवदत सावहतय का रसासिादन करत हए िाचन करना ३ विविध कषतो क परसकार परापत वयशकतयो की जानकारी का िगगीकरण करत हए मखर िाचन करना 4 वशखत अश का िाचन करत हए उसकी अचकता पारदवशयता आकाररक भाषा की परशसा करना 5 सावहशतयक खन पिय जान तथा सि अनभि क बीच मलयाकन करत हए सहसबध सथावपत करना

ििन १ गद य-पद य सावहतय क कछ अशोपररचछदो म विरामवचह नो का उवचत परयोग करत हए आकनसवहत सपाि य शद धखन करना २ रपरखा एि शबद सकतो क आधार पर खन करना ३ पवित गद याशो पद याशो का अनिाद एि वपयतरण करना 4 वनयत परकारो पर सियसफतय खन पवित सामगरी पर आधाररत परनो क अचक उततर वखना 5 वकसी विचार भाि का ससबद ध परभािी खन करना वयाखया करना सपषट भाषा म अपनी अनभवतयो सिदनाओ की सवकषपत अवभवयशकत करना

अधययन िौशि

१ महािर कहाित भाषाई सौदययिा िाकयो तथा अनय भाषा क उद धरणो का परयोग करन हत सकन चचाय और खन २ अतरजा क माधयम स अधययन करन क वए जानकारी का सकन ३ विविध सोतो स परापत जानकारी िणयन क आधार पर आकवत सगणकीय परसतवत क वए (पीपीटी क मद द) बनाना और शबदसगरह द िारा घशबदकोश बनाना 4 शरिण और िाचन क समय ी गई वटपपवणयो का सिय क सदभय क वए पनःसमरण करना 5 उद धरण भाषाई सौदययिा िाकय सिचन आवद का सकन और उपयोग करना

हशकको क हलए मषागमिदशमिक बषात

अधययन-अनभव दन स पिल पषाठ यपसतक म हदए गए अधयषापन सकतो हदशषा-हनददशो को अची तरि समझ ल भषाहषक कौशलो क परयक हवकषास क हलए पषाठयवसत lsquoशवणीयrsquo lsquoसभषाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पषाठ पर आधषाररत कहतयषा lsquoपषाठ क आगनrsquo म आई ि जिषा lsquoआसपषासrsquo म पषाठ स बषािर खोजबीन क हलए ि विी lsquoपषाठ स आगrsquo म पषाठ क आशय को आधषार बनषाकर उसस आग की बषात की गई ि lsquoकलपनषा पललवनrsquo एव lsquoमौहलक सजनrsquo हवदयषाहथमियो क भषाव हवशव एव रिनषामकतषा क हवकषास तथषा सवयसफफतमि लखन ित हदए गए ि lsquoभषाषषा हबदrsquo वयषाकरहणक दतष स मितवपणमि ि इसम हदए गए अभयषास क परशन पषाठ स एव पषाठ क बषािर क भी ि हवद यषाहथमियो न उस पषाठ स कयषा सीखषा उनकी दतष म पषाठ कषा उललख उनक दवषारषा lsquoरिनषा बोधrsquo म करनषा ि lsquoम ि यिषाrsquo म पषाठ की हवषय वसत एव उसस आग क अधययन ित सकत सथल (हलक) हदए गए ि इलकटटरॉहनक सदभभो (अतरजषाल सकतसथल आहद) म आप सबकषा हवशष सियोग हनतषात आवशयक ि उपरोति सभी कहतयो कषा सतत अभयषास करषानषा अपहकत ि वयषाकरण पषारपररक रप स निी पढ़षानषा ि कहतयो और उदषािरणो क दवषारषा सकलपनषा तक हवदयषाहथमियो को पहिषान कषा उतरदषाहयव आप सबक कधो पर ि lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी किी न किी पषाठ को िी पोहषत करती ि और यि हवदयषाहथमियो की रहि एव पठन ससकहत को बढ़षावषा दती ि अतः lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी कषा वषािन आवशयक रप स करवषाए

आवशयकतषानसषार पषाठयतर कहतयो भषाहषक खलो सदभभो परसगो कषा भी समषावश अपहकत ि आप सब पषाठयपसतक क मषाधयम स नहतक मलयो जीवन कौशलो कदरीय तवो क हवकषास क अवसर हवदयषाहथमियो को परदषान कर कमतषा हवधषान एव पषाठयपसतक म अतहनमिहित परयक सदभभो कषा सतत मलयमषापन अपहकत ि आशषा िी निी पणमि हवशवषास ि हक हशकक अहभभषावक सभी इस पसतक कषा सिषमि सवषागत करग

६ सगरक पर उपलबि सामगरी का उपोग करत सम िसरो क अदिकार (कॉपी राईर) का उलघन न हो इस िात का धान रिना ७ सगरक की सहाता स परसततीकरर और आन लाईन आरिन दिल आदि का उपोग करना 8 परसार माधमसगरक अादि पर उपलबि होन राली कलाकदतो का रसासरािन एर दचदकतसक

दरचार करना ९ सगरक अतरजाल की सहाता स भाषातरदलपतरर करना

वयषाकरण १ पनरारतटन-कारक राक परररतटन एर परोग काल परररतटन२ पाटराची-दरलोम उपसगट-परत सदि (३) ३ दरकारी अदरकारी शबिो का परोग (िल क रप म)4 अ दररामदचह न ( xxx -०-) ब शदध उचिारर परोग और लिन (सोत

सतोत शगार)5 महारर-कहारत परोग चन

1

- सरशचदर मिशर

१ नदी की पकार

सबको जीवन दन वाली करती सदा भलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

मयायादा म बहन वाली होकर अमत धारा पयास बझाती ह उसकी दजसन भी मझ पकारापरदहत का जीवन ह अपना मत बदनए सौदाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

दिररवन स दनकली थी तब मन म पाला था सपना जो भी पथ म दमल जाए बस उस बना लो अपनामिर मदलनता लोिो न तो मझम डाल दमलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र नददया क तट पर बठो तो हरदम िीत सनातीसखा पड़ जाए तो भी दकतनो की पयास बझाती दबना शलक जल द दती ह दकतनी आए महिाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

नददया नही रहिी तो सािर भी मरझाएिा मझ बताओ नाला तब दकसस दमलन जाएिाlsquoहो हया-हो हयाrsquo की धन न द कभी सनाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

झरना बनकर मन नयनो को बाटी खशहालीसररता बन करक खतो म फलाई हररयालीखार सािर म दमलकर क मन ददया दमठाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

कति क तिए आवशयक सोपान ःजि क आसपास क कषतर की सवचछिा रखनष हषि आप कया करिष ह बिाइए ः-

जनम ः 18 मई 1965 धनऊपर परतापिढ़ (उ पर) पररचय ः आप आधदनक दहदी कदवता कतर क जान-मान िीतकार ह रचनाए ः सकलप जय िणश वीर दशवाजी पतनी पजा (कावय सगरह) आपकी चदचयात कदतया ह

middot शद ध जल की आवशयकता पर चचाया कर middot जल क आसपास का कतर असवचछ रहन पर व कया करत ह पछ middot असवचछ पररसर क जल स होन वाली हादनया बतान क दलए कह और समझाए middot जल क आसपास का कतर सवचछ रखन हत घोषवाकय क पोसटर बनवाए और पररसर म लिवाए सवचछता का परचार-परसार करवाए

गीि ः सामानयतया सवर पद और ताल स यकत िान ही िीत ह इनम एक मखड़ा और कछ अतर होत ह

परसतत िीत क माधयम स कदव न हमार जीवन म नदी क योिदान को दशायात हए इस परदषण मकत रखन क दलए परररत दकया ह

आसपास

lsquoनदी सधार पररयोजनाrsquo सबधी कायया सदनए और उसकी आवशयकता अपन दमतरो को सनाइए

पररचय

पद य सबधी

शरवणीय

पहिी इकाई

2

पाठ सष आगष

पठनीय

पानी की समसया समझत हए lsquoहोली उतसव का बदलता रपrsquo पर अपना मत दलखखए

जल सोत शद धीकरण परकलप लाभाखनवत कतर

lsquoनदी क मन क भावrsquo इस दवषय पर भाषण तयार करक परसतत कीदजए

जल आपदतया सबधी जानकारी दनमनदलखखत क आधार पर पदढ़ए ः-

सभाषणीय

कलपना पललवन

lsquoजलयकत दशवारrsquo पर चचाया कर

नदी पथआकाश

तनमन शबदो क पयायायवाची शबद तिखखए ः-भाषा तबद

(१) उतिर तिखखए ः-(क) अपन शबदो म नदी की सवाभादवक दवशषताए (ख) दकसी एक चरण का भावाथया

(३) सजाि पणया कीतजए ः-

कदवता म परयकतपराकदतक सपदा

(२) आकति पणया कीतजए ः-

नदी नही रही तो

परतहि (पस) = दसर की भलाई सौदाई (दवफा) = पािल तगररवन (पस) = पवयातीय जिलमतिनिा (सतरीस) = िदिी

शबद ससार

रचना बोध

पाठ क आगन म

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

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पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 5: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

यह अपकषा ह कि नौवी िकषा ि अत म कवद यषाकथियो म भषाषषा कवषयि कनमनकिखित कमतषाए कविकित हो भषाषषा कवषयि कमतषा

कतर कमतषा

शरवण १ गद य-पद य विधाओ का रसगरहण करत हए सननासनाना २ परसार माधयम क काययकरमो को एकागरता एि विसतारपियक सनाना ३ िशिक समसया को समझन हत सचार माधयमो स परापत जानकारी सनकर उनका उपयोग करना 4 सन हए अशो पर विषणातमक परवतवकरया दना 5 सनत समय कविन गन िा शबदो मद दो अशो का अकन करना

भषाषण-िभषाषण

१ पररसर एि अतरविद यायीन काययकरमो म सहभागी हाकर पकष-विपकष म मत परकट करना २ दश क महतिपणय विषयो पर चचाय करना विचार वयकत करना ३ वदन-परवतवदन क वयिहार म शद ध उचारण क साथ िातायाप करना 4 पवित सामगरी क विचारो पर चचाय करना तथा पाि यतर सामगरी का आशय बताना 5 विनमरता एि दढ़तापियक वकसी विचार क बार म मत वयकत करना सहमवत-असहमवत परगट करना

वषाचन १ गद य-पद य विधाओ का आशयसवहत भािपणय िाचन करना २ अनवदत सावहतय का रसासिादन करत हए िाचन करना ३ विविध कषतो क परसकार परापत वयशकतयो की जानकारी का िगगीकरण करत हए मखर िाचन करना 4 वशखत अश का िाचन करत हए उसकी अचकता पारदवशयता आकाररक भाषा की परशसा करना 5 सावहशतयक खन पिय जान तथा सि अनभि क बीच मलयाकन करत हए सहसबध सथावपत करना

ििन १ गद य-पद य सावहतय क कछ अशोपररचछदो म विरामवचह नो का उवचत परयोग करत हए आकनसवहत सपाि य शद धखन करना २ रपरखा एि शबद सकतो क आधार पर खन करना ३ पवित गद याशो पद याशो का अनिाद एि वपयतरण करना 4 वनयत परकारो पर सियसफतय खन पवित सामगरी पर आधाररत परनो क अचक उततर वखना 5 वकसी विचार भाि का ससबद ध परभािी खन करना वयाखया करना सपषट भाषा म अपनी अनभवतयो सिदनाओ की सवकषपत अवभवयशकत करना

अधययन िौशि

१ महािर कहाित भाषाई सौदययिा िाकयो तथा अनय भाषा क उद धरणो का परयोग करन हत सकन चचाय और खन २ अतरजा क माधयम स अधययन करन क वए जानकारी का सकन ३ विविध सोतो स परापत जानकारी िणयन क आधार पर आकवत सगणकीय परसतवत क वए (पीपीटी क मद द) बनाना और शबदसगरह द िारा घशबदकोश बनाना 4 शरिण और िाचन क समय ी गई वटपपवणयो का सिय क सदभय क वए पनःसमरण करना 5 उद धरण भाषाई सौदययिा िाकय सिचन आवद का सकन और उपयोग करना

हशकको क हलए मषागमिदशमिक बषात

अधययन-अनभव दन स पिल पषाठ यपसतक म हदए गए अधयषापन सकतो हदशषा-हनददशो को अची तरि समझ ल भषाहषक कौशलो क परयक हवकषास क हलए पषाठयवसत lsquoशवणीयrsquo lsquoसभषाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पषाठ पर आधषाररत कहतयषा lsquoपषाठ क आगनrsquo म आई ि जिषा lsquoआसपषासrsquo म पषाठ स बषािर खोजबीन क हलए ि विी lsquoपषाठ स आगrsquo म पषाठ क आशय को आधषार बनषाकर उसस आग की बषात की गई ि lsquoकलपनषा पललवनrsquo एव lsquoमौहलक सजनrsquo हवदयषाहथमियो क भषाव हवशव एव रिनषामकतषा क हवकषास तथषा सवयसफफतमि लखन ित हदए गए ि lsquoभषाषषा हबदrsquo वयषाकरहणक दतष स मितवपणमि ि इसम हदए गए अभयषास क परशन पषाठ स एव पषाठ क बषािर क भी ि हवद यषाहथमियो न उस पषाठ स कयषा सीखषा उनकी दतष म पषाठ कषा उललख उनक दवषारषा lsquoरिनषा बोधrsquo म करनषा ि lsquoम ि यिषाrsquo म पषाठ की हवषय वसत एव उसस आग क अधययन ित सकत सथल (हलक) हदए गए ि इलकटटरॉहनक सदभभो (अतरजषाल सकतसथल आहद) म आप सबकषा हवशष सियोग हनतषात आवशयक ि उपरोति सभी कहतयो कषा सतत अभयषास करषानषा अपहकत ि वयषाकरण पषारपररक रप स निी पढ़षानषा ि कहतयो और उदषािरणो क दवषारषा सकलपनषा तक हवदयषाहथमियो को पहिषान कषा उतरदषाहयव आप सबक कधो पर ि lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी किी न किी पषाठ को िी पोहषत करती ि और यि हवदयषाहथमियो की रहि एव पठन ससकहत को बढ़षावषा दती ि अतः lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी कषा वषािन आवशयक रप स करवषाए

आवशयकतषानसषार पषाठयतर कहतयो भषाहषक खलो सदभभो परसगो कषा भी समषावश अपहकत ि आप सब पषाठयपसतक क मषाधयम स नहतक मलयो जीवन कौशलो कदरीय तवो क हवकषास क अवसर हवदयषाहथमियो को परदषान कर कमतषा हवधषान एव पषाठयपसतक म अतहनमिहित परयक सदभभो कषा सतत मलयमषापन अपहकत ि आशषा िी निी पणमि हवशवषास ि हक हशकक अहभभषावक सभी इस पसतक कषा सिषमि सवषागत करग

६ सगरक पर उपलबि सामगरी का उपोग करत सम िसरो क अदिकार (कॉपी राईर) का उलघन न हो इस िात का धान रिना ७ सगरक की सहाता स परसततीकरर और आन लाईन आरिन दिल आदि का उपोग करना 8 परसार माधमसगरक अादि पर उपलबि होन राली कलाकदतो का रसासरािन एर दचदकतसक

दरचार करना ९ सगरक अतरजाल की सहाता स भाषातरदलपतरर करना

वयषाकरण १ पनरारतटन-कारक राक परररतटन एर परोग काल परररतटन२ पाटराची-दरलोम उपसगट-परत सदि (३) ३ दरकारी अदरकारी शबिो का परोग (िल क रप म)4 अ दररामदचह न ( xxx -०-) ब शदध उचिारर परोग और लिन (सोत

सतोत शगार)5 महारर-कहारत परोग चन

1

- सरशचदर मिशर

१ नदी की पकार

सबको जीवन दन वाली करती सदा भलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

मयायादा म बहन वाली होकर अमत धारा पयास बझाती ह उसकी दजसन भी मझ पकारापरदहत का जीवन ह अपना मत बदनए सौदाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

दिररवन स दनकली थी तब मन म पाला था सपना जो भी पथ म दमल जाए बस उस बना लो अपनामिर मदलनता लोिो न तो मझम डाल दमलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र नददया क तट पर बठो तो हरदम िीत सनातीसखा पड़ जाए तो भी दकतनो की पयास बझाती दबना शलक जल द दती ह दकतनी आए महिाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

नददया नही रहिी तो सािर भी मरझाएिा मझ बताओ नाला तब दकसस दमलन जाएिाlsquoहो हया-हो हयाrsquo की धन न द कभी सनाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

झरना बनकर मन नयनो को बाटी खशहालीसररता बन करक खतो म फलाई हररयालीखार सािर म दमलकर क मन ददया दमठाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

कति क तिए आवशयक सोपान ःजि क आसपास क कषतर की सवचछिा रखनष हषि आप कया करिष ह बिाइए ः-

जनम ः 18 मई 1965 धनऊपर परतापिढ़ (उ पर) पररचय ः आप आधदनक दहदी कदवता कतर क जान-मान िीतकार ह रचनाए ः सकलप जय िणश वीर दशवाजी पतनी पजा (कावय सगरह) आपकी चदचयात कदतया ह

middot शद ध जल की आवशयकता पर चचाया कर middot जल क आसपास का कतर असवचछ रहन पर व कया करत ह पछ middot असवचछ पररसर क जल स होन वाली हादनया बतान क दलए कह और समझाए middot जल क आसपास का कतर सवचछ रखन हत घोषवाकय क पोसटर बनवाए और पररसर म लिवाए सवचछता का परचार-परसार करवाए

गीि ः सामानयतया सवर पद और ताल स यकत िान ही िीत ह इनम एक मखड़ा और कछ अतर होत ह

परसतत िीत क माधयम स कदव न हमार जीवन म नदी क योिदान को दशायात हए इस परदषण मकत रखन क दलए परररत दकया ह

आसपास

lsquoनदी सधार पररयोजनाrsquo सबधी कायया सदनए और उसकी आवशयकता अपन दमतरो को सनाइए

पररचय

पद य सबधी

शरवणीय

पहिी इकाई

2

पाठ सष आगष

पठनीय

पानी की समसया समझत हए lsquoहोली उतसव का बदलता रपrsquo पर अपना मत दलखखए

जल सोत शद धीकरण परकलप लाभाखनवत कतर

lsquoनदी क मन क भावrsquo इस दवषय पर भाषण तयार करक परसतत कीदजए

जल आपदतया सबधी जानकारी दनमनदलखखत क आधार पर पदढ़ए ः-

सभाषणीय

कलपना पललवन

lsquoजलयकत दशवारrsquo पर चचाया कर

नदी पथआकाश

तनमन शबदो क पयायायवाची शबद तिखखए ः-भाषा तबद

(१) उतिर तिखखए ः-(क) अपन शबदो म नदी की सवाभादवक दवशषताए (ख) दकसी एक चरण का भावाथया

(३) सजाि पणया कीतजए ः-

कदवता म परयकतपराकदतक सपदा

(२) आकति पणया कीतजए ः-

नदी नही रही तो

परतहि (पस) = दसर की भलाई सौदाई (दवफा) = पािल तगररवन (पस) = पवयातीय जिलमतिनिा (सतरीस) = िदिी

शबद ससार

रचना बोध

पाठ क आगन म

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 6: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

हशकको क हलए मषागमिदशमिक बषात

अधययन-अनभव दन स पिल पषाठ यपसतक म हदए गए अधयषापन सकतो हदशषा-हनददशो को अची तरि समझ ल भषाहषक कौशलो क परयक हवकषास क हलए पषाठयवसत lsquoशवणीयrsquo lsquoसभषाषणीयrsquo lsquoपठनीयrsquo एव lsquoलखनीयrsquo म दी गई ि पषाठ पर आधषाररत कहतयषा lsquoपषाठ क आगनrsquo म आई ि जिषा lsquoआसपषासrsquo म पषाठ स बषािर खोजबीन क हलए ि विी lsquoपषाठ स आगrsquo म पषाठ क आशय को आधषार बनषाकर उसस आग की बषात की गई ि lsquoकलपनषा पललवनrsquo एव lsquoमौहलक सजनrsquo हवदयषाहथमियो क भषाव हवशव एव रिनषामकतषा क हवकषास तथषा सवयसफफतमि लखन ित हदए गए ि lsquoभषाषषा हबदrsquo वयषाकरहणक दतष स मितवपणमि ि इसम हदए गए अभयषास क परशन पषाठ स एव पषाठ क बषािर क भी ि हवद यषाहथमियो न उस पषाठ स कयषा सीखषा उनकी दतष म पषाठ कषा उललख उनक दवषारषा lsquoरिनषा बोधrsquo म करनषा ि lsquoम ि यिषाrsquo म पषाठ की हवषय वसत एव उसस आग क अधययन ित सकत सथल (हलक) हदए गए ि इलकटटरॉहनक सदभभो (अतरजषाल सकतसथल आहद) म आप सबकषा हवशष सियोग हनतषात आवशयक ि उपरोति सभी कहतयो कषा सतत अभयषास करषानषा अपहकत ि वयषाकरण पषारपररक रप स निी पढ़षानषा ि कहतयो और उदषािरणो क दवषारषा सकलपनषा तक हवदयषाहथमियो को पहिषान कषा उतरदषाहयव आप सबक कधो पर ि lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी किी न किी पषाठ को िी पोहषत करती ि और यि हवदयषाहथमियो की रहि एव पठन ससकहत को बढ़षावषा दती ि अतः lsquoपठनषाथमिrsquo सषामगी कषा वषािन आवशयक रप स करवषाए

आवशयकतषानसषार पषाठयतर कहतयो भषाहषक खलो सदभभो परसगो कषा भी समषावश अपहकत ि आप सब पषाठयपसतक क मषाधयम स नहतक मलयो जीवन कौशलो कदरीय तवो क हवकषास क अवसर हवदयषाहथमियो को परदषान कर कमतषा हवधषान एव पषाठयपसतक म अतहनमिहित परयक सदभभो कषा सतत मलयमषापन अपहकत ि आशषा िी निी पणमि हवशवषास ि हक हशकक अहभभषावक सभी इस पसतक कषा सिषमि सवषागत करग

६ सगरक पर उपलबि सामगरी का उपोग करत सम िसरो क अदिकार (कॉपी राईर) का उलघन न हो इस िात का धान रिना ७ सगरक की सहाता स परसततीकरर और आन लाईन आरिन दिल आदि का उपोग करना 8 परसार माधमसगरक अादि पर उपलबि होन राली कलाकदतो का रसासरािन एर दचदकतसक

दरचार करना ९ सगरक अतरजाल की सहाता स भाषातरदलपतरर करना

वयषाकरण १ पनरारतटन-कारक राक परररतटन एर परोग काल परररतटन२ पाटराची-दरलोम उपसगट-परत सदि (३) ३ दरकारी अदरकारी शबिो का परोग (िल क रप म)4 अ दररामदचह न ( xxx -०-) ब शदध उचिारर परोग और लिन (सोत

सतोत शगार)5 महारर-कहारत परोग चन

1

- सरशचदर मिशर

१ नदी की पकार

सबको जीवन दन वाली करती सदा भलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

मयायादा म बहन वाली होकर अमत धारा पयास बझाती ह उसकी दजसन भी मझ पकारापरदहत का जीवन ह अपना मत बदनए सौदाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

दिररवन स दनकली थी तब मन म पाला था सपना जो भी पथ म दमल जाए बस उस बना लो अपनामिर मदलनता लोिो न तो मझम डाल दमलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र नददया क तट पर बठो तो हरदम िीत सनातीसखा पड़ जाए तो भी दकतनो की पयास बझाती दबना शलक जल द दती ह दकतनी आए महिाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

नददया नही रहिी तो सािर भी मरझाएिा मझ बताओ नाला तब दकसस दमलन जाएिाlsquoहो हया-हो हयाrsquo की धन न द कभी सनाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

झरना बनकर मन नयनो को बाटी खशहालीसररता बन करक खतो म फलाई हररयालीखार सािर म दमलकर क मन ददया दमठाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

कति क तिए आवशयक सोपान ःजि क आसपास क कषतर की सवचछिा रखनष हषि आप कया करिष ह बिाइए ः-

जनम ः 18 मई 1965 धनऊपर परतापिढ़ (उ पर) पररचय ः आप आधदनक दहदी कदवता कतर क जान-मान िीतकार ह रचनाए ः सकलप जय िणश वीर दशवाजी पतनी पजा (कावय सगरह) आपकी चदचयात कदतया ह

middot शद ध जल की आवशयकता पर चचाया कर middot जल क आसपास का कतर असवचछ रहन पर व कया करत ह पछ middot असवचछ पररसर क जल स होन वाली हादनया बतान क दलए कह और समझाए middot जल क आसपास का कतर सवचछ रखन हत घोषवाकय क पोसटर बनवाए और पररसर म लिवाए सवचछता का परचार-परसार करवाए

गीि ः सामानयतया सवर पद और ताल स यकत िान ही िीत ह इनम एक मखड़ा और कछ अतर होत ह

परसतत िीत क माधयम स कदव न हमार जीवन म नदी क योिदान को दशायात हए इस परदषण मकत रखन क दलए परररत दकया ह

आसपास

lsquoनदी सधार पररयोजनाrsquo सबधी कायया सदनए और उसकी आवशयकता अपन दमतरो को सनाइए

पररचय

पद य सबधी

शरवणीय

पहिी इकाई

2

पाठ सष आगष

पठनीय

पानी की समसया समझत हए lsquoहोली उतसव का बदलता रपrsquo पर अपना मत दलखखए

जल सोत शद धीकरण परकलप लाभाखनवत कतर

lsquoनदी क मन क भावrsquo इस दवषय पर भाषण तयार करक परसतत कीदजए

जल आपदतया सबधी जानकारी दनमनदलखखत क आधार पर पदढ़ए ः-

सभाषणीय

कलपना पललवन

lsquoजलयकत दशवारrsquo पर चचाया कर

नदी पथआकाश

तनमन शबदो क पयायायवाची शबद तिखखए ः-भाषा तबद

(१) उतिर तिखखए ः-(क) अपन शबदो म नदी की सवाभादवक दवशषताए (ख) दकसी एक चरण का भावाथया

(३) सजाि पणया कीतजए ः-

कदवता म परयकतपराकदतक सपदा

(२) आकति पणया कीतजए ः-

नदी नही रही तो

परतहि (पस) = दसर की भलाई सौदाई (दवफा) = पािल तगररवन (पस) = पवयातीय जिलमतिनिा (सतरीस) = िदिी

शबद ससार

रचना बोध

पाठ क आगन म

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

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म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 7: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

1

- सरशचदर मिशर

१ नदी की पकार

सबको जीवन दन वाली करती सदा भलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

मयायादा म बहन वाली होकर अमत धारा पयास बझाती ह उसकी दजसन भी मझ पकारापरदहत का जीवन ह अपना मत बदनए सौदाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

दिररवन स दनकली थी तब मन म पाला था सपना जो भी पथ म दमल जाए बस उस बना लो अपनामिर मदलनता लोिो न तो मझम डाल दमलाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र नददया क तट पर बठो तो हरदम िीत सनातीसखा पड़ जाए तो भी दकतनो की पयास बझाती दबना शलक जल द दती ह दकतनी आए महिाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

नददया नही रहिी तो सािर भी मरझाएिा मझ बताओ नाला तब दकसस दमलन जाएिाlsquoहो हया-हो हयाrsquo की धन न द कभी सनाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

झरना बनकर मन नयनो को बाटी खशहालीसररता बन करक खतो म फलाई हररयालीखार सािर म दमलकर क मन ददया दमठाई र कल-कल करती नददया कहती मझ बचा लो भाई र

कति क तिए आवशयक सोपान ःजि क आसपास क कषतर की सवचछिा रखनष हषि आप कया करिष ह बिाइए ः-

जनम ः 18 मई 1965 धनऊपर परतापिढ़ (उ पर) पररचय ः आप आधदनक दहदी कदवता कतर क जान-मान िीतकार ह रचनाए ः सकलप जय िणश वीर दशवाजी पतनी पजा (कावय सगरह) आपकी चदचयात कदतया ह

middot शद ध जल की आवशयकता पर चचाया कर middot जल क आसपास का कतर असवचछ रहन पर व कया करत ह पछ middot असवचछ पररसर क जल स होन वाली हादनया बतान क दलए कह और समझाए middot जल क आसपास का कतर सवचछ रखन हत घोषवाकय क पोसटर बनवाए और पररसर म लिवाए सवचछता का परचार-परसार करवाए

गीि ः सामानयतया सवर पद और ताल स यकत िान ही िीत ह इनम एक मखड़ा और कछ अतर होत ह

परसतत िीत क माधयम स कदव न हमार जीवन म नदी क योिदान को दशायात हए इस परदषण मकत रखन क दलए परररत दकया ह

आसपास

lsquoनदी सधार पररयोजनाrsquo सबधी कायया सदनए और उसकी आवशयकता अपन दमतरो को सनाइए

पररचय

पद य सबधी

शरवणीय

पहिी इकाई

2

पाठ सष आगष

पठनीय

पानी की समसया समझत हए lsquoहोली उतसव का बदलता रपrsquo पर अपना मत दलखखए

जल सोत शद धीकरण परकलप लाभाखनवत कतर

lsquoनदी क मन क भावrsquo इस दवषय पर भाषण तयार करक परसतत कीदजए

जल आपदतया सबधी जानकारी दनमनदलखखत क आधार पर पदढ़ए ः-

सभाषणीय

कलपना पललवन

lsquoजलयकत दशवारrsquo पर चचाया कर

नदी पथआकाश

तनमन शबदो क पयायायवाची शबद तिखखए ः-भाषा तबद

(१) उतिर तिखखए ः-(क) अपन शबदो म नदी की सवाभादवक दवशषताए (ख) दकसी एक चरण का भावाथया

(३) सजाि पणया कीतजए ः-

कदवता म परयकतपराकदतक सपदा

(२) आकति पणया कीतजए ः-

नदी नही रही तो

परतहि (पस) = दसर की भलाई सौदाई (दवफा) = पािल तगररवन (पस) = पवयातीय जिलमतिनिा (सतरीस) = िदिी

शबद ससार

रचना बोध

पाठ क आगन म

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 8: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

2

पाठ सष आगष

पठनीय

पानी की समसया समझत हए lsquoहोली उतसव का बदलता रपrsquo पर अपना मत दलखखए

जल सोत शद धीकरण परकलप लाभाखनवत कतर

lsquoनदी क मन क भावrsquo इस दवषय पर भाषण तयार करक परसतत कीदजए

जल आपदतया सबधी जानकारी दनमनदलखखत क आधार पर पदढ़ए ः-

सभाषणीय

कलपना पललवन

lsquoजलयकत दशवारrsquo पर चचाया कर

नदी पथआकाश

तनमन शबदो क पयायायवाची शबद तिखखए ः-भाषा तबद

(१) उतिर तिखखए ः-(क) अपन शबदो म नदी की सवाभादवक दवशषताए (ख) दकसी एक चरण का भावाथया

(३) सजाि पणया कीतजए ः-

कदवता म परयकतपराकदतक सपदा

(२) आकति पणया कीतजए ः-

नदी नही रही तो

परतहि (पस) = दसर की भलाई सौदाई (दवफा) = पािल तगररवन (पस) = पवयातीय जिलमतिनिा (सतरीस) = िदिी

शबद ससार

रचना बोध

पाठ क आगन म

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

पररचय

म ह यहा

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14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 9: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

3

सभाषणीय

- सशील सरित

२ झमका

lsquoशिशषित सzwjतरी परगत परिवािrsquo इस शवधान को सपषzwjट कीशिए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot शवद याशथियो स परिवाि क मशिलाओ की शिषिा सबधरी िानकािरी परापत कि middot सzwjतरी शिषिा क लाभ पछ middot सzwjतरी शिषिा की आवशयकता पि शवद याशथियो स अपन शवचाि किलवाए

वणणनातमक कहानी ः िरीवन की शकसरी घzwjटना का िोचक परवािरी वरथिन िरी वरथिनातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी क माधयम स लखक न परचछनन रप म पिोपकाि दया एव अनय मानवरीय गतरो को दिाथित हए इनि अपनान का सदि शदया ि

सतिरील सरित िरी आधतशनक काकाि ि आपकी किाशनया शनबध शवशवध पzwjत-पशzwjतकाओ म परायः छपत िित ि

गद य सबधी

काशत न घि का कोना-कोना ढढ़ मािा एक-एक अालमािरी क नरीच शबछ कागि तक उलzwjटकि दख शलए शबसति िzwjटाकि दो- दो बाि झाड़ डाला लशकन झतमका न शमलना ा न शमला यि तो गनरीमत री शक सववि को झतमक क बाि म पता िरी निी ा विना सोचकि िरी काशत शसि स पॉव तक शसिि उठरी अभरी शपछल मिरीन िरी तो शमननरी की घड़री खोन पि सववि न शकस तिि पिा घि सि पि उठा शलया ा काशत न िा म पकड़ दसि झतमक पि निि डालरी कल अपनरी पि दो साल की िमा की हई िकम क बदल म झतमक खिरीदत समय काशत न एक बाि भरी निी सोचा ा शक उसकी पि दो साल तक इकzwjट ठा की हई िकम स झतमक खिरीदकि िब वो सववि को शदखाएगरी तो व कया किग

दिअसल झतमक का वि िोड़ा ा िरी इतना खबसित शक एक निि म िरी उस भा गया ा दो शदन पिल िरी तो िमा को एक सोन की अगठरी खिरीदनरी री विी िाकस म लग झतमको को दखकि काशत न उस शनकलवा शलया दाम पछ तो काशत को शवशवास िरी निी हआ शक इतना खबसित औि चाि तोल का लगन वाला वि झतमका सzwjट कवल दो ििाि का िो सकता ि दकानदाि िमा का परिशचत ा इसरी विि स उसन काशत क आगरि पि न कवल उस झतमका सzwjट का िोकस स अलग शनकालकि िख शदया विना यि भरी वादा कि शदया शक वि दो शदन तक इस सzwjट को बचगा भरी निी पिल तो काशत न सोचा शक सववि स खिरीदवान का आगरि कि लशकन माचथि का मिरीना औि इनकम zwjटकस क zwjटिन स शघि सववि स कछ किन की उसकी शिममत निी पड़री अपनरी सािरी िमा- पिरी इकzwjट ठा कि वि दसि िरी शदन िाकि वि सzwjट खिरीद लाई अगल िफत अपनरी lsquoमरिि एशनवसथििरी की पाzwjटटीrsquo म पिनगरी तभरी सववि को बताएगरी यि सोचकि उसन सववि कया घि म शकसरी को भरी कछ निी बताया

आि सतबि िमा क आन पि िब काशत न उस झतमक शदखाए तो lsquolsquoअि इसम बगलवाला मोतरी तो zwjटzwjटा हआ ि rsquorsquo किकि िमा न झतमक क एक zwjटzwjट मोतरी की तिफ इिािा शकया तो उसन भरी धयान शदया अभरी चलकि ठरीक किा ल तो शबना शकसरी अशतरिकत िाशि शलए ठरीक िो िाएगा विना बाद म वि सतनाि मान या न मान ऐसा सोचकि वि ततित िरी िमा क सा रिकिा

परिचय

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

पररचय

म ह यहा

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14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

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lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 10: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

4

lsquoहम समाज क दलए समाज हमार दलएrsquo दवषय पर अपन दवचार वयकत कीदजए

पररचछषद पर आधाररि कतिया(१) एक स दो शबदा म उततर दलखखए ः-(क) कमलाबाई की पिार (ख) कमलाबाई न नोट यहा रख (२) lsquoसौrsquo शबद का परयोि करक कोई दो कहावत दलखखए (३) lsquoअपन घरो म काम करन वाल नौकरो क साथ सौहादयापणया वयवहार करना चादहएrsquo अपन दवचार दलखखए

दनमन सामादजक समसयाओ को लकर आप कया कर सकत ह बताइए ः-

अदशका बरोजिारी

मौतिक सजन

आसपास

करक सनार क यहा चली िई और सनार न भी lsquolsquoअर बहन जी यह तो मामली-सी बात ह अभी ठीक हई जाती ह rsquorsquoकहकर आध घट म ही झमका न कवल ठीक करक द ददया lsquoआि भी कोई छोटी-मोटी खराबी हो तो दनःसकोच अपनी ही दकान समझकर आ जाइएिाrsquo कहकर उस तसली दी घर आकर कादत न झमक का पकट मज पर रख ददया और घर क काम-काज म लि िई अब काम-काज दनबटाकर जब कादत न पकट को अालमारी म रखन क दलए उठाया तो उसम एक ही झमका नजर आ रहा था दसरा झमका कहॉ िया यह कादत समझ ही नही पा रही थी सनार क यहॉ स तो दोनो झमक लाई थी इतना कादत को याद था

खाना खाकर दोपहर की नीद लन क दलए कादत जब दबसतर पर लटी तो बहत दर तक उसकी बद आखो क सामन झमका ही घमता रहा बड़ी मखशकल स आख लिी तो आध घट बाद ही तज-तज बजती दरवाज की घटी न उस उठन पर मजबर कर ददया

lsquoकमलाबाई ही होिीrsquo सोचत हए उसन डाइि रम का दरवाजा खोल ददया lsquolsquoबह जी आज जरा दर हो िई लड़की दो महीन स यही ह उसक लड़क की तबीयत जरा खराब हो िई थी सो डॉकटर को ददखाकर आ रही ह rsquorsquo कमलाबाई न एक सॉस म ही अपनी सफाई द डाली और बरतन मॉजन बठ िई

कमलाबाई की लड़की दो महीन स मायक म ह यह खबर कादत क दलए नई थी lsquolsquoकयो उसका घरवाला तो कही टासपोटया कपनी म नौकरी करता ह न rsquorsquo कादत स पछ दबना रहा नही िया

lsquolsquoहॉ बह जी जबस उसकी नौकरी पकी हई ह तबस उन लोिो की ऑख फट िई ह कहत ह तरी मॉ न दो-चार िहन भी नही ददए अब तमही बताओ बह जी चौका-बासन करक म आखखर दकतना कर दबदटया क बाप होत ता और बात थी बस इसी बात पर दबदटया को लन नही आए rsquorsquo कमलाबाई न बरतनो को झदबया म रखकर भर आई आखो की कोरो को हाथो स पोछ डाला

सहानभदत क दो-चार शबद कहकर और lsquoअपनी इस महीन कीपिार लती जानाrsquo कहकर कादत ऊपर छत स सख हए कपड़ उठान चली िई कपड़ समटकर जब कादत नीच आई तो कमलाबाई बरतन दकचन म रखकर जान को तयार खड़ी थी lsquolsquoलो य दो सौ रपय तो ल जाओ और जररत पड़ तो मॉि लनाrsquorsquo कहकर कादत न पसया स सौ-सौ क दो नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ पर रख ददए नोट अपन पल म बॉधकर कमलाबाई दरवाज तक पहची ही थी दक न जान कया सोचती हई वह दफर वापस लौट अाई lsquolsquoकया बात ह कमलाबाईrsquorsquoउस वापस लौटकर आत दख कादत चौकी

lsquolsquoबह जी आज दोपहर म म जब बाजार स रसतोिी साहब क घर काम करन जा रही थी तो रासत म यह सड़क पर पड़ा दमला कम-स-कम दो

4

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

httpsyoutubeO_b9Q1LpHs8

9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

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पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

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शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

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शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

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७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

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उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

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पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

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ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

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दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

Page 11: नौवीं कक्षा...स नत समय कव न गन शबद , म द द , अ श क अ कन करन । भष षण- भष षण १. पररसर

5

शरवणीय

आकाशवाणी पर दकसी सपरदसद ध मदहला का साकातकार सदनए

गनीमि (सतरीअ) = सतोष की बातिसलिी (सतरीअ) = धीरजझतबया (सतरी) = टोकरीगदमी (दवफा) = िहआ रिचौका-बासन (पस) = रसोई घर बरतन साफ करना

महावरषतसहर उठना = भय स कापनाघर सर पर उठा िषना = शोर मचाना ऑख फटना = चदकत हो जाना

शबद ससार

तोल का तो होिा बह जी म कही बचन जाऊिी तो कोई समझिा दक चोरी का ह आप इस बच द जो पसा दमलिा उसस कोई हलका-फलका िहना दबदटया का ददलवा दिी और ससराल खबर करवा दिीrsquorsquo कहत हए कमलाबाई न एक झमका अपन पल स खोलकर कादत क हाथ पर रख ददया

lsquolsquoअर rsquorsquo कादत क मह स अपन खोए हए झमक को दखकर एक शबद ही दनकल सका lsquolsquoदवशवास मानो बह जी यह मझ सड़क पर ही पड़ा हआ दमला rsquorsquo कमलाबाई उसक मह स lsquoअरrsquo शबद सनकर सहम- सी िई

lsquolsquoवह बात नही ह कमलाबाईrsquorsquo दरअसल आि कछ कहती इसस पहल दक कादत की आखो क सामन कमलाबाई की लड़की की सरत घम िई लड़की को उसन कभी दखा नही था लदकन कमलाबाई न उसक बार म इतना कछ बता ददया था दक कादत को लिता था दक उसन उस बहत करीब स दखा ह दबली-पतली िदमी रि की कमजोर-सी लड़की दजस दो महीन स उसक पदत न कवल इस कारण मायक म छोड़ा हआ ह दक कमलाबाई न उस दो-चार िहन भी नही ददए थ

कादत को एक पल को यही लिा दक सामन कमलाबाई नही उसकी वही दबयाल लड़की खड़ी ह दजसक एक हाथ म उसक झमक क सट का खोया हआ झमका चमक रहा ह

lsquolsquoकया सोचन लिी बह जीrsquorsquo कमलाबाई क टोकन पर कादत को जस होश आ िया lsquolsquoकछ नहीrsquorsquo कहकर वह उठी और अालमारी खोलकर दसरा झमका दनकाला दफर पता नही कया सोचकर उसन वह झमका वही रख ददया अालमारी उसी तरह बद कर वापस मड़ी lsquolsquoकमलाबाई तमहारा यह झमका म दबकवा दिी दफलहाल तो य हजार रपय ल जाओ और कोई छोटा-मोटा सट खरीदकर अपनी दबदटया को द दना अिर बचन पर कछ जयादा पस दमल तो म बाद म तमह द दिी rsquorsquo यह कहकर कादत न दधवाल को दन क दलए रख पसो म स सौ-सौ क दस नोट दनकालकर कमलाबाई क हाथ म पकड़ा ददए

lsquolsquoअभी जाकर रघ सनार स बाली का सट ल आती ह बह जी भिवान तमहारा सहाि सलामत रखrsquorsquo कहती हई कमलाबाई चली िई

5

िषखनीय

lsquoदहजrsquo समाज क दलए एक कलक ह इसपर अपन दवचार दलखखए

6

पाठ क आगन म

(२) कारण तिखखए ः-

(च) कादत को सववश स झमका खरीदवान की दहममत नही हई

(छ) कादत न कमलाबाई को एक हजार रपय ददए

(३) सजाि पणया कीतजए ः- (4) आकति पणया कीतजए ः-झमक की दवशषताए

झमका ढढ़न की जिह

(क) दबली-पतली -(ख) दो महीन स मायक म ह - (ि) कमजोर-सी -(घ) दो महीन स यही ह -

(१) एक-दो शबदो म ही उतिर तिखखए ः-

१ कादत को कमला पर दवशवास था २ बड़ी मखशकल स उसकी आख लिी ३ दकानदार रमा का पररदचत था 4 साच समझकर वयय करना चादहए 5 हम सदव अपन दलए दकए िए कामो क

परदत कतजञ होना चादहए ६ पवया ददशा म सययोदय होता ह

भाषा तबद

दवलाम शबदacuteacuteacuteacuteacuteacuteacute

रषखातकि शबदो क तविोम शबद तिखकर नए वाकय बनाइए ः

अाभषणो की सची तयार कीदजए और शरीर क दकन अिो पर पहन जात ह बताइए

पाठ सष आगष

लखखका सधा मदतया द वारा दलखखत कोई एक कहानी पदढ़ए

पठनीय

रचना बोध

7

- भाितद हरिशचदर३ तनज भाषा

शनि भाषा उननशत अि सब उननशत को मल शबन शनि भाषा जान क शमzwjटत न शिय को सल

अगरिरी पशढ़ क िदशप सब गतन िोत परवरीन प शनि भाषा जान शबन िित िरीन क िरीन

उननशत पिरी ि तबशि िब घि उननशत िोय शनि ििरीि उननशत शकए िित मढ़ सब कोय

शनि भाषा उननशत शबना कबह न ि व ि सोय लाख उपाय अनक यो भल कि शकन कोय

इक भाषा इक िरीव इक मशत सब घि क लोग तब बनत ि सबन सो शमzwjटत मढ़ता सोग

औि एक अशत लाभ यि या म परगzwjट लखात शनि भाषा म कीशिए िो शवद या की बात

तशि सतशन पाव लाभ सब बात सतन िो कोय यि गतन भाषा औि मि कबह नािी िोय

शवशवध कला शिषिा अशमत जान अनक परकाि सब दसन स ल किह भाषा माशि परचाि

भाित म सब शभनन अशत तािरी सो उतपात शवशवध दस मतह शवशवध भाषा शवशवध लखात

जनम ः ९ शसतबि १85० वािारसरी (उपर) मतय ः ६ िनविरी १885 वािारसरी (उपर) परिचय ः बहमतखरी परशतभा क धनरी भाितद िरिशचदर को खड़री बोलरी का िनक किा िाता ि आपन कशवता नाzwjटक शनबध वयाखयान आशद का लखन शकया ि परमख कतिया ः बदि-सभा बकिरी का शवलाप (िासय कावय कशतया) अधि नगिरी चौपzwjट िािा (िासय-वयगय परधान नाzwjटक) भाित वरीितव शविय-बियतरी सतमनािशल मधतमतकल वषाथि-शवनोद िाग-सगरि आशद (कावय सगरि)

(पठनारण)

दोहाः यि अद धथि सम माशzwjतक छद ि इसम चाि चिर िोत ि

इन दोिो म कशव न अपनरी भाषा क परशत गौिव अनतभव किन शमलकि उननशत किन शमलितलकि ििन का सदि शदया ि

पद य सबधी

परिचय

8

परषोततमदास टडन लोकमानय दटळक सठ िोदवददास मदन मोहन मालवीय

दहदी भाषा का परचार और परसार करन वाल महान वयदकतयो की जानकारी अतरजालपसतकालय स पदढ़ए

lsquoदहदी ददवसrsquo समारोह क अवसर पर अपन वकततव म दहदी भाषा का महततव परसतत कीदजए

lsquoदनज भाषा उननदत अह सब उननदत को मलrsquo इस कथन की साथयाकता सपषट कीदजए

पठनीय

सभाषणीय

तनज (सवयास) = अपनातहय (पस) = हदयसि (पस) = शल काटाजदतप (योज) = यद यदप मढ़ (दवस) = मखया

शबद ससारमौतिक सजन

कोय (सवया) = कोई मति (सतरीस) = बद दधमह (अवय) (स) = मधय दषसन (पस) = दशउतपाि (पस) = उपदरव

शबद-यगम परष करिष हए वाकयो म परयोग कीतजएः-

घर -

जञान -

भला -

परचार -

भख -

भोला -

भाषा तबद

8

अपन दवद यालय म मनाए िए lsquoबाल ददवसrsquo समारोह का वणयान दलखखए

िषखनीय

रचना बोध

म ह यहा

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9

आसपास

गद य सबधी

4 मान जा मषरष मन- रािशवर मसह कशयप

कति क तिए आवशयक सोपान ः

जनम ः १२ अिसत १९२७ समरा िाव (दबहार) मतय ः २4 अकटबर १९९२ पररचय ः रामशवर दसह कशयप का रदडयो नाटक lsquoलोहा दसहrsquo भोजपरी का पहला सोप आपरा ह परमख कतिया ः रोबोट दकराए का मकान पचर आखखरी रात लोहा दसह आदद नाटक

हदय को छ िषनष वािी मािा-तपिा की सनषह भरी कोई घटना सनाइए ः-

middot हदय को छन वाल परसि क बार म पछ middot उस समय माता-दपता न कया दकया बतान क दलए परररत कर middot इस परसि क सबध म दवद यादथयायो की परदतदरिया क बार म जान

हासय-वयगयातमक तनबध ः दकसी दवषय का तादककिक बौद दधक दववचनापणया लख दनबध ह हासय-वयगय म उपहास का पराधानय होता ह

परसतत दनबध म लखक न मन पर दनयतरण न रख पान की कमजोरी पर करारा वयगय दकया ह तथा वासतदवकता की पहचान कराई ह

उस रात मझम और मर मन म ठन िई अनबन का कारण यह था दक मन मरी बात ही नही सनता था बचपन स ही मन मन को मनमानी करन की छट द दी अब बढ़ाप की दहरी पर पाव दत वकत जो मन इस बलिाम घोड़ को लिाम दन की कोदशश की तो अड़ िया यो कई वषषो स इस काब म लान क फर म ह लदकन हर बार कननी काट जाता ह

मामला बड़ा सिीन था मर हाथ म सवयचदलत आदमी तौलन वाली मशीन का दटकट था दजस पर वजन क साथ दटपपणी दलखी थी lsquoआप परिदतशील ह लदकन िलत ददशा म rsquo आधी रात का वकत था म चारपाई पर उदास बठा अपन मन को समझान की कोदशश कर रहा था मरा मन रठा-सा सन कमर म चहलकदमी कर रहा था मन कहा-lsquoमन भाई डाकटर कह रहा था दक आदमी का वजन तीन मन स जयादा नही होता दखो यह दटकट दख लो म तीन मन स भी सात सर जयादा हो िया ह सटशनवाली मशीन पर तलन क दलए चढ़ा तो दटकट पर कोई वजन ही नही आया दलखा था lsquoकपया एक बार मशीन पर एक ही आदमी चढ़ rsquo दफर बाजार िया तो वहा की मशीन न वजन बताया lsquoसोचो जब मझस मशीन को इतना कषट होता ह तब rsquo

मन न बात काटकर दषटात ददया lsquoतमन बचपन म बाइसकोप म दखा होिा कोलकाता की एक भारी-भरकम मदहला थी उस दलहाज स तम अभी काफी दबल-पतल हो rsquo मन कहा-lsquoमन भाई मरी दजदिी बाइसकोप होती तो रोि कया था मरी तकलीफो पर िौर करो ररकशवाल मझ दखकर ही भाि खड़ होत ह दजटी अकल मझ नाप नही सका rsquo

वयदकतित आकप सनकर म दतलदमला उठा ऐसी घटना शाम को ही घट चकी थी दचढ़कर बोला-lsquoइतन वषषो स तमह पालता रहा यही िलती की म कया जानता था तम आसतीन क साप दनकलोि दवद वानो न ठीक ही उपदश ददया ह दक lsquoमन को मारना चादहएrsquo यह सनकर मरा मन अपरतयादशत ढि स जस और दबसरन लिा-lsquoइतन ददनो की सवाओ का यही फल ह म अचछी तरह जानता ह तम डॉकटरो और दबल आददमयो क साथ दमलकर मर दवरद ध षडयतर कर रह हो दवशवासघाती म तमस बोलिा ही नही वयदकत को हमशा उपकारी वदतत रखनी चादहए rsquo

पररचय

10

lsquoमानवीय भावनाए मन स जड़ी होती हrsquo इस पर िट म चचाया कीदजए

सभाषणीय

मरा मन मह मोड़कर दससकन लिा मझ लन क दन पड़ िए म भी दनराश होकर आतया सवर म भजन िान लिा-lsquoजा ददन मन पछी उदड़ जह rsquo मरी आवाज स दीवार पर टि कलडर डोलन लि दकताबो स लदी टबल कापन लिी चाय क पयाल म पड़ा चममच घघर जसा बोलन लिा पर मरा मन न माना दभनका तक नही भजन दवफल होता दख मन दादर का सर लिाया-lsquoमनवा मानत नाही हमार र rsquo दादरा सनकर मर मन न आस पोछ दलए मिर बोला नही म सीधा नए काट क कठ सिीत पर उतर आया-

lsquoमान जा मर मन चाद त म ििनफल त म चमन मरी तझम लिनमान जा मर मन rsquoआखखर मन साहब मसकरान लि बोल-lsquoतम चाहत कया हो rsquo मन

डॉकटर का पजाया सामन रखत हए कहा- lsquoसहयोि तमहारा सहयोिrsquo मर मन न नाक-भौ दसकोड़त हए कहा- lsquoदपछल तरह साल स इसी तरह क पजषो न तमहारा ददमाि खराब कर रखा ह भला यह भी कोई भल आदमी का काम ह दलखता ह खाना छोड़ दोrsquo मन एक खट टी डकार लकर कहा-lsquoतम साथ दत तो म कभी का खाना छोड़ दता एक तमहार कारण मरा शरीर चरबी का महासािर बना जा रहा ह ठीक ही कहा िया ह दक एक मछली पर तालाब को िदा कर दती ह rsquo मर मन न उपकापवयाक कािज पढ़त हए कहा-lsquoदलखता ह कसरत करा rsquo मन मलायम तदकय पर कहनी टककर जमहाई लत हए कहा - lsquoकसरत करो कसरत का सब सामान तो ह ही अपन पास सब शर कर दना ह वकील साहब दपछल साल सखटी कटन क दलए मरा मगदर मािकर ल िए थ कल ही मिा लिा rsquo

मन रआसा होकर कहा-lsquoतम साथ दो तो यह भी कछ मखशकल नही ह सच पछो तो आज तक मन दखा ही नही दक यह सरज दनकलता दकधर स ह rsquo मन न दबलकल घबराकर कहा-lsquoलदकन दौड़ोि कस rsquo मन लापरवाही स जवाब ददया-lsquoदोनो परो स ओस स भीिा मदान दौड़ता हआ म उिता हआ सरज आह दकतना सदर दशय होिा सबह उठकर सभी को दौड़ना चादहए सबह उठत ही औरत चलहा जला दती ह आख खलत ही भकखड़ो की तरह खान की दफरि म लि जाना बहत बरी बात ह सबह उठना तो बहत अासान बात ह दोनो आख खोलकर चारपाई स उतर ढाई-तीन हजार दड-बठक दनकाली मदान म परह-बीस चककर दौड़ दफर लौटकर मगदर दहलाना शर कर ददया rsquo मरा मन यह सब सनकर हसन लिा मन रोककर कहा- lsquoदखो यार हसन स काम नही चलिा सबह खब सबर जािना पड़िा rsquo मन न कहा-lsquoअचछा अब सो जाओ rsquo आख लित ही म सपना दखन लिा दक मदान म तजी स दौड़ रहा ह कतत भौक रह ह

lsquoमन चिा तो कठौती म ििाrsquo इस उदकत पर कदवतादवचार दलखखए

मौतिक सजन

मन और बद दध क महततव को सनकर आप दकसकी बात मानोि सकारण सोदचए

शरवणीय

11

िषखनीय

कदव रामावतार तयािी की कदवता lsquoपरशन दकया ह मर मन क मीत नrsquo पदढ़ए

पठनीयिाय रभा रही ह मिव बाि द रह ह अचानक एक दवलायती दकसम का कतता मर दादहन पर स दलपट िया मन पाव को जोरो स झटका दक आख खल िई दखता कया ह दक म फशया पर पड़ा ह टबल मर ऊपर ह और सारा पररवार चीख-चीखकर मझ टबल क नीच स दनकाल रहा ह खर दकसी तरह लिड़ाता हआ चारपाई पर िया दक याद आया मझ तो वयायाम करना ह मन न कहा-lsquoवयायाम करन वालो क दलए िहरी नीद बहत जररी ह तमह चोट भी काफी आ िई ह सो जाओ rsquo

मन कहा-lsquoलदकन शायद दर बाि म दचदड़यो न चहचहाना शर कर ददया ह rsquo मन न समझाया-lsquoय दचदड़या नही बिलवाल कमर म तमहारी पतनी की चदड़या बोल रही ह उनहोन करवट बदली होिी rsquo

मन नीद की ओर कदम बढ़ात हए अनभव दकया मन वयगयपवयाक हस रहा था मन बड़ा दससाहसी था

हर रोज की तरह सबह साढ़ नौ बज आख खली नाशत की टबल पर मन एलान दकया-lsquoसन लो कान खोलकर-पाव की मोच ठीक होत ही म मोटाप क खखलाफ लड़ाई शर करिा खाना बद दौड़ना और कसरत चाल rsquo दकसी पर मरी धमकी का असर न हआ पतनी न तीसरी बार हलव स परा पट भरत हए कहा-lsquoघर म परहज करत हो तो होटल म डटा लत हो rsquo मन कहा-lsquoइस बार मन सकलप दकया ह दजस तरह ॠदष दसफकि हवा-पानी स रहत ह उसी तरह म भी रहिा rsquo पतनी न मसकरात हए कहा-lsquoखर जब तक मोच ह तब तक खाओि न rsquo मन चौथी बार हलवा लत हए कहा- lsquoछोड़न क पहल म भोजनानद को चरम सीमा पर पहचा दना चाहता ह इतना खा ल दक खान की इचछा ही न रह जाए यह वाममािटी कायदा ह rsquo उस रात नीद म मन पता नही दकतन जोर स टबल म ठोकर मारी थी दक पाच महीन बीत िए पर मोच ठीक नही हई यो चलन-दफरन म कोई कषट न था मिर जयो ही खाना कम करन या वयायाम करन का दवचार मन म आता बाए पर क अिठ म टीस उठन लिती

एक ददन ररकश पर बाजार जा रहा था दखा फटपाथ पर एक बढ़ा वजन की मशीन सामन रख घटी बजाकर लोिो का धयान आकषट कर रहा ह ररकशा रोककर जयो ही मन मशीन पर एक पाव रखा तोल का काटा परा चककर लिा कर अदतम सीमा पर थरथरान लिा मानो अपमादनत कर रहा हो बढ़ा आतदकत होकर हाथ जोड़कर खड़ा हो िया बोला-lsquoदसरा पाव न रखखएिा महाराज इसी मशीन स पर पररवार की रोजी चलती ह आसपास क राहिीर हस पड़ मन पाव पीछ खीच दलया rsquo

मन मन स दबिड़कर कहा-lsquoमन साहब सारी शरारत तमहारी ह तमम दढ़ता ह ही नही तम साथ दत तो मोटापा दर करन का मरा सकलप अधरा न रहता rsquo मन न कहा-lsquoभाई जी मन तो शरीर क अनसार होता ह मझम तम दढ़ता की आशा ही कयो करत हो rsquo

lsquoमन की एकागरताrsquo क दलए आप कया करत ह बताइए

पाठ सष आगष

मन और लखक क बीच हए दकसी एक सवाद को सदकपत म दलखखए

12

चहि-कदमी (शरि) = घमना-शफिना zwjटिलनातिहाज (पतअ) = आदि लजिा िमथिफीिा (सफा) = लबाई नापन का साधनतवफि (शव) = वयथि असफलभकखड़ (पत) = िमिा खान वाला मगदि (पतस) = कसित का एक साधन

महाविकनी काटना = बचकि छपकि शनकलनातिितमिा उठना = रिोशधत िोनासखखी कटना = अपना मितव बढ़ाना नाक-भौ तसकोड़ना = अरशचअपरसननता परकzwjट किनाटीस उठना = ददथि का अनतभव िोनाआसिीन का साप = अपनो म शछपा िzwjतत

शबद ससाि

कहाविएक मछिी पि िािाब को गदा कि दिी ह = एक दगतथिररी वयशकत पि वाताविर को दशषत किता ि

(१) सचरी तयाि कीशिए ः-

पाठ म परयतकतअगरिरीिबद

(२) सिाल परथि कीशिए ः-

(३) lsquoमान िा मि मनrsquo शनबध का अािय अपन िबदा म परसततत कीशिए

लखक न सपन म दखा

F असामाशिक गशतशवशधयो क कािर वि दशडत हआ

उपसगथि उपसगथिमलिबद मलिबदपरतयय परतययदः सािस ई

F सवाशभमानरी वयककत समाि म ऊचा सान पात ि

िखातकि शबद स उपसगण औि परतयय अिग किक तिखखए ः

F मन बड़ा दससािसरी ा

F मानो मतझ अपमाशनत कि ििा िो

F गमटी क कािर बचनरी िो ििरी ि

F वयककत को िमिा पिोपकािरी वकतत िखनरी चाशिए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

िचना बोध

13

सभाषणीय

दकताब करती ह बात बीत जमानो कीआज की कल कीएक-एक पल कीखदशयो की िमो कीफलो की बमो कीजीत की हार कीपयार की मार की कया तम नही सनोिइन दकताबो की बात दकताब कछ कहना चाहती ह तमहार पास रहना चाहती हदकताबो म दचदड़या चहचहाती ह दकताबो म खदतया लहलहाती हदकताबो म झरन िनिनात हपररयो क दकसस सनात हदकताबो म रॉकट का राज हदकताबो म साइस की आवाज हदकताबो का दकतना बड़ा ससार हदकताबो म जञान की भरमार ह कया तम इस ससार मनही जाना चाहोिदकताब कछ कहना चाहती हतमहार पास रहना चाहती ह

5 तकिाब कछ कहना चाहिी ह

- सफदर हाशिी

middot दवद यादथयायो स पढ़ी हई पसतको क नाम और उनक दवषय क बार म पछ middot उनस उनकी दपरय पसतक औरलखक की जानकारी परापत कर middot पसतको का वाचन करन स होन वाल लाभो पर चचाया कराए

जनम ः १२ अपरल १९54 ददलली मतय ः २ जनवरी १९8९ िादजयाबाद (उपर) पररचय ः सफदर हाशमी नाटककार कलाकार दनदवशक िीतकार और कलादवद थ परमख कतिया ः दकताब मचछर पहलवान दपलला राज और काज आदद परदसद ध रचनाए ह lsquoददनया सबकीrsquo पसतक म आपकी कदवताए सकदलत ह

lsquoवाचन परषरणा तदवसrsquo क अवसर पर पढ़ी हई तकसी पसिक का आशय परसिि कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

नई कतविा ः सवदना क साथ मानवीय पररवश क सपणया वदवधय को नए दशलप म अदभवयकत करन वाली कावयधारा ह

परसतत कदवता lsquoनई कदवताrsquo का एक रप ह इस कदवता म हाशमी जी न दकताबो क माधयम स मन की बातो का मानवीकरण करक परसतत दकया ह

पद य सबधी

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

पररचय

म ह यहा

httpsyoutubeo93x3rLtJpc

14

पाठ यपसतक की दकसी एक कदवता क करीय भाव को समझत हए मखर एव मौन वाचन कीदजए

अपन पररसर म आयोदजत पसतक परदशयानी दखखए और अपनी पसद की एक पसतक खरीदकर पदढ़ए

(१) आकदत पणया कीदजए ः

तकिाब बाि करिी ह

(२) कदत पणया कीदजए ः

lsquoगरथ हमार िरrsquo इस दवषय क सदभया म सवमत बताइए

हसतदलखखत पदतरका का शदीकरण करत हए सजावट पणया लखन कीदजए

पठनीय

कलपना पललवन

आसपास

तनददशानसार काि पररवियान कीतजए ः

वतयामान काल

भत काल

सामानयभदवषय काल

दकताब कछ कहना चाहती ह पणयासामानय

अपणया

पणयासामानय

अपणया

भाषा तबद

दकताबो म

१4

पाठ क आगन म

िषखनीय

अपनी मातभाषा एव दहदी भाषा का कोई दशभदकतपरक समह िीत सनाइए

शरवणीय

रचना बोध

15

६ lsquoइतयातदrsquo की आतमकहानी

- यशोदानद अखौरी

lsquoशबद-समाजrsquo म मरा सममान कछ कम नही ह मरा इतना आदर ह दक वकता और लखक लोि मझ जबरदसती घसीट ल जात ह ददन भर म मर पास न जान दकतन बलाव आत ह सभा-सोसाइदटयो म जात-जात मझ नीद भर सोन की भी छट टी नही दमलती यदद म दबना बलाए भी कही जा पहचता ह तो भी सममान क साथ सथान पाता ह सच पदछए तो lsquoशबद-समाजrsquo म यदद म lsquoइतयाददrsquo न रहता तो लखको और वकताओ की न जान कया ददयाशा होती पर हा इतना सममान पान पर भी दकसी न आज तक मर जीवन की कहानी नही कही ससार म जो जरा भी काम करता ह उसक दलए लखक लोि खब नमक-दमचया लिाकर पोथ क पोथ रि डालत ह पर मर दलए एक सतर भी दकसी की लखनी स आज तक नही दनकली पाठक इसम एक भद ह

यदद लखक लोि सवयासाधारण पर मर िण परकादशत करत तो उनकी योगयता की कलई जरर खल जाती कयोदक उनकी शबद दररदरता की दशा म म ही उनका एक मातर अवलब ह अचछा तो आज म चारो ओर स दनराश होकर आप ही अपनी कहानी कहन और िणावली िान बठा ह पाठक आप मझ lsquoअपन मह दमया दमट ठrsquo बनन का दोष न लिाव म इसक दलए कमा चाहता ह

अपन जनम का सन-सवत दमती-ददन मझ कछ भी याद नही याद ह इतना ही दक दजस समय lsquoशबद का महा अकालrsquo पड़ा था उसी समय मरा जनम हआ था मरी माता का नाम lsquoइदतrsquo और दपता का lsquoआददrsquo ह मरी माता अदवकत lsquoअवययrsquo घरान की ह मर दलए यह थोड़ िौरव की बात नही ह कयोदक बड़ी कपा स lsquoअवययrsquo वशवाल परतापी महाराज lsquoपरतययrsquo क भी अधीन नही हए व सवाधीनता स दवचरत आए ह

मर बार म दकसी न कहा था दक यह लड़का दवखयात और परोपकारी होिा अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा मरा नाम माता-दपता न कछ और नही रखा अपन ही नामो को दमलाकर व मझ पकारन लि इसस म lsquoइतयाददrsquo कहलाया कछ लोि पयार म आकर दपता क नाम क आधार पर lsquoआददrsquo ही कहन लि

परान जमान म मरा इतना नाम नही था कारण यह दक एक तो लड़कपन म थोड़ लोिो स मरी जान-पहचान थी दसर उस समय बद दधमानो क बद दध भडार म शबदो की दररदरता भी न थी पर जस-जस

पररचय ः अखौरी जी lsquoभारत दमतरrsquo lsquoदशकाrsquo lsquoदवद या दवनोद rsquo पतर-पदतरकाओ क सपादक रह चक ह आपक वणयानातमक दनबध दवशष रप स पठनीय रह ह

वणयानातमक तनबध ः वणयानातमक दनबध म दकसी सथान वसत दवषय कायया आदद क वणयान को परधानता दत हए लखक वयखकततव एव कलपना का समावश करता ह

इसम लखक न lsquoइतयाददrsquo शबद क उपयोि सदपयोि-दरपयोि क बार म बताया ह

पररचय

गद य सबधी

१5

(पठनारया)

lsquoधनयवादrsquo शबद की आतमकथा अपन शबदो म दलखखए

मौतिक सजन

16

शबद दाररर य बढ़ता िया वस-वस मरा सममान भी बढ़ता िया आजकल की बात मत पदछए आजकल म ही म ह मर समान सममानवाला इस समय मर समाज म कदादचत दवरला ही कोई ठहरिा आदर की मातरा क साथ मर नाम की सखया भी बढ़ चली ह आजकल मर अपन नाम ह दभनन-दभनन भाषाओ कlsquoशबद-समाजrsquo म मर नाम भी दभनन-दभनन ह मरा पहनावा भी दभनन-दभनन ह-जसा दश वसा भस बनाकर म सवयातर दवचरता ह आप तो जानत ही होि दक सववशवर न हम lsquoशबदोrsquo को सवयावयापक बनाया ह इसी स म एक ही समय अनक ठौर काम करता ह इस घड़ी भारत की पदडत मडली म भी दवराजमान ह जहा दखखए वही म परोपकार क दलए उपदसथत ह

कया राजा कया रक कया पदडत कया मखया दकसी क घर जान-आन म म सकोच नही करता अपनी मानहादन नही समझता अनय lsquoशबदाrsquo म यह िण नही व बलान पर भी कही जान-आन म िवया करत ह आदर चाहत ह जान पर सममान का सथान न पान स रठकर उठ भाित ह मझम यह बात नही ह इसी स म सबका पयारा ह

परोपकार और दसर का मान रखना तो मानो मरा कतयावय ही ह यह दकए दबना मझ एक पल भी चन नही पड़ता ससार म ऐसा कौन ह दजसक अवसर पड़न पर म काम नही आता दनधयान लोि जस भाड़ पर कपड़ा पहनकर बड़-बड़ समाजो म बड़ाई पात ह कोई उनह दनधयान नही समझता वस ही म भी छोट-छोट वकताओ और लखको की दरररता झटपट दर कर दता ह अब दो-एक दषटात लीदजए

वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए ह अपनी दवद वतता ददखान क दलए सब शासतरो की बात थोड़ी-बहत कहना चादहए पर पनना भी उलटन का सौभागय नही परापत हआ इधर-उधर स सनकर दो-एक शासतरो और शासतरकारो का नाम भर जान दलया ह कहन को तो खड़ हए ह पर कह कया अब लि दचता क समर म डबन-उतरान और मह पर रमाल ददए खासत-खसत इधर-उधर ताकन दो-चार बद पानी भी उनक मखमडल पर झलकन लिा जो मखकमल पहल उतसाह सयया की दकरणो स खखल उठा था अब गलादन और सकोच का पाला पड़न स मरझान लिा उनकी ऐसी दशा दख मरा हदय दया स उमड़ आया उस समय म दबना बलाए उनक दलए जा खड़ा हआ मन उनक कानो म चपक स कहा lsquolsquoमहाशय कछ परवाह नही आपकी मदद क दलए म ह आपक जी म जो आव परारभ कीदजए दफर तो म कछ दनबाह लिा rsquorsquo मर ढाढ़स बधान पर बचार वकता जी क जी म जी आया उनका मन दफर जयो का तयो हरा-भरा हो उठा थोड़ी दर क दलए जो उनक मखड़ क आकाशमडल म दचता

पठनीय

दहदी सादहतय की दवदवध दवधाओ की जानकारी पदढ़ए और उनकी सची बनाइए

दरदशयानरदडयो पर समाचार सदनए और मखय समाचार सनाइए

शरवणीय

17

शचि न का बादल दरीख पड़ा ा वि एकबािगरी फzwjट गया उतसाि का सयथि शफि शनकल आया अब लग व यो वकतता झाड़न-lsquolsquoमिाियो धममिसzwjतकाि पतिारकाि दिथिनकािो न कमथिवाद इतयाशद शिन-शिन दािथिशनक तततव ितनो को भाित क भाडाि म भिा ि उनि दखकि मकसमलि इतयाशद पाशचातय पशडत लोग बड़ अचभ म आकि चतप िो िात ि इतयाशद-इतयाशद rsquorsquo

सतशनए औि शकसरी समालोचक मिािय का शकसरी गरकाि क सा बहत शदनो स मनमतzwjटाव चला आ ििा ि िब गरकाि की कोई पतसतक समालोचना क शलए समालोचक सािब क आग आई तब व बड़ परसनन हए कयोशक यि दाव तो व बहत शदनो स ढढ़ िि पतसतक का बहत कछ धयान दकि उलzwjटकि उनिोन दखा किी शकसरी परकाि का शविष दोष पतसतक म उनि न शमला दो-एक साधािर छाप की भल शनकली पि इसस तो सवथिसाधािर की तकपत निी िोतरी ऐसरी दिा म बचाि समालोचक मिािय क मन म म याद आ गया व झzwjटपzwjट मिरी ििर आए शफि कया ि पौ बािि उनिोन उस पतसतक की यो समालोचना कि डालरी- lsquoपतसतक म शितन दोष ि उन सभरी को शदखाकि िम गरकाि की अयोगयता का परिचय दना ता अपन पzwjत का सान भिना औि पाठको का समय खोना निी चाित पि दो-एक साधािर दोष िम शदखा दत ि िस ---- इतयाशद-इतयाशद rsquo

पाठक दख समालोचक सािब का इस समय मन शकतना बड़ा काम शकया यशद यि अवसि उनक िा स शनकल िाता तो व अपन मनमतzwjटाव का बदला कस लत

यि तो हई बतिरी समालोचना की बात यशद भलरी समालोचना किन का काम पड़ तो मि िरी सिाि व बतिरी पतसतक की भरी एसरी समालोचना कि डालत ि शक वि पतसतक सवथिसाधािर की आखो म भलरी भासन लगतरी ि औि उसकी माग चािो ओि स आन लगतरी ि

किा तक कह म मखथि को शवद वान बनाता ह शिस यतशकत निी सझतरी उस यतशकत सतझाता ह लखक को यशद भाव परकाशित किन को भाषा निी ितzwjटतरी तो भाषा ितzwjटाता ह कशव को िब उपमा निी शमलतरी तो उपमा बताता ह सच पशछए तो मि पहचत िरी अधिा शवषय भरी पिा िो िाता ि बस कया इतन स मिरी मशिमा परकzwjट निी िोतरी

चशलए चलत-चलत आपको एक औि बात बताता चल समय क सा सब कछ परिवशतथित िोता ििता ि परिवतथिन ससाि का शनयम ि लोगो न भरी मि सवरप को सशषिपत कित हए मिा रप परिवशतथित कि शदया ि अशधकाितः मतझ lsquoआशदrsquo क रप म शलखा िान लगा ि lsquoआशदrsquo मिा िरी सशषिपत रप ि

अपन परिवाि क शकसरी वतनभोगरी सदसय की वाशषथिक आय की िानकािरी लकि उनक द वािा भि िान वाल आयकि की गरना कीशिए

पाठ स आग

गशरत कषिा नौवी भाग-१ पषठ १००

सभाषणीय

अपन शवद यालय म मनाई गई खल परशतयोशगताओ म स शकसरी एक खल का आखो दखा वरथिन कीशिए

18१8

भाषा तबद

१) सबको पता होता था दक व पसिकािय म दमलि २) व सदव सवाधीनता स दवचर आए ह ३ राषटीय सपदतत की सरका परतयषक का कतयावय ह

१) उनति एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह २) सममान का सथान न पान स रठकर भाित ह ३ हर कायया सदाचार स करना चादहए

१) डायरी सादहतय की एक तनषकपट दवधा ह २) उसका पनरागमन हआ ३) दमतर का चोट पहचाकर उस बहत मनसिाप हआ

उत + नदत = त + नसम + मान = म + मा सत + आचार = त + भा

सवर सतध वयजन सतध

सतध क भषद

सदध म दो धवदनया दनकट आन पर आपस म दमल जाती ह और एक नया रप धारण कर लती ह

तवसगया सतध

szlig szligszlig

उपरोकत उदाहरण म (१) म पसतक+आलय सदा+एव परदत+एक शबदो म दो सवरो क मल स पररवतयान हआ ह अतः यहा सवर सतध हई उदाहरण (२) म उत +नदत सम +मान सत +आचार शबदो म वयजन धवदन क दनकट सवर या वयजन आन स वयजन म पररवतयान हआ ह अतः यहा वयजन सतध हई उदाहरण (३) दनः + कपट पनः + आिमन मन ः + ताप म दवसिया क पशचात सवर या वयजन आन पर दवसिया म पररवतयान हआ ह अतः यहा तवसगया सतध हई

पसतक + आलय = अ+ आसदा + एव = आ + एपरदत + एक = इ+ए

दनः + कपट = दवसिया() का ष पनः + आिमन = दवसिया() का र मन ः + ताप = दवसिया (ः) का स

तवखयाि (दव) = परदसद धठौर (पस) = जिहदषटाि (पस) = उदाहरणतनबाह (पस) = िजारा दनवायाहएकबारगी (दरिदव) = एक बार म

शबद ससार समािोचना (सतरीस) = समीका आलोचना

महावराढाढ़स बधाना = धीरज बढ़ाना

रचना बोध

सतध पतढ़ए और समतझए ः -

19

७ छोटा जादगि - जयशचकि परसाद

काशनथिवाल क मदान म शबिलरी िगमगा ििरी री िसरी औि शवनोद का कलनाद गि ििा ा म खड़ा ा उस छोzwjट फिाि क पास ििा एक लड़का चतपचाप दख ििा ा उसक गल म फzwjट कित क ऊपि स एक मोzwjटरी-सरी सत की िससरी पड़री री औि िब म कछ ताि क पतत उसक मति पि गभरीि शवषाद क सा धयथि की िखा री म उसकी ओि न िान कयो आकशषथित हआ उसक अभाव म भरी सपरथिता री मन पछा-lsquolsquoकयो िरी ततमन इसम कया दखा rsquorsquo

lsquolsquoमन सब दखा ि यिा चड़री फकत ि कखलौनो पि शनिाना लगात ि तरीि स नबि छदत ि मतझ तो कखलौनो पि शनिाना लगाना अचछा मालम हआ िादगि तो शबलकल शनकममा ि उसस अचछा तो ताि का खल म िरी शदखा सकता ह शzwjटकzwjट लगता ि rsquorsquo

मन किा-lsquolsquoतो चलो म विा पि ततमको ल चल rsquorsquo मन मन-िरी--मन किा-lsquoभाई आि क ततमिी शमzwjत िि rsquo

उसन किा-lsquolsquoविा िाकि कया कीशिएगा चशलए शनिाना लगाया िाए rsquorsquo

मन उसस सिमत िोकि किा-lsquolsquoतो शफि चलो पिल ििबत परी शलया िाए rsquorsquo उसन सवरीकाि सचक शसि शिला शदया

मनतषयो की भरीड़ स िाड़ की सधया भरी विा गिम िो ििरी री िम दोनो ििबत परीकि शनिाना लगान चल िासत म िरी उसस पछा- lsquolsquoततमिाि औि कौन ि rsquorsquo

lsquolsquoमा औि बाब िरी rsquorsquolsquolsquoउनिोन ततमको यिा आन क शलए मना निी शकया rsquorsquo

lsquolsquoबाब िरी िल म ि rsquorsquolsquolsquo कयो rsquorsquolsquolsquo दि क शलए rsquorsquo वि गवथि स बोला lsquolsquo औि ततमिािरी मा rsquorsquo lsquolsquo वि बरीमाि ि rsquorsquolsquolsquo औि ततम तमािा दख िि िो rsquorsquo

जनम ः ३० िनविरी १88९ वािारसरी (उपर) मतय ः १5 नवबि १९३७ वािारसरी (उपर) परिचय ः ियिकि परसाद िरी शिदरी साशितय क छायावादरी कशवयो क चाि परमतख सतभो म स एक ि बहमतखरी परशतभा क धनरी परसाद िरी कशव नाzwjटककाि काकाि उपनयासकाि ता शनबधकाि क रप म परशसद ध ि परमख कतिया ः झिना आस लिि आशद (कावय) कामायनरी (मिाकावय) सककदगतपत चदरगतपत धतवसवाशमनरी (ऐशतिाशसक नाzwjटक) परशतधवशन आकािदरीप इदरिाल आशद (किानरी सगरि) कककाल शततलरी इिावतरी (उपनयास)

सवादातमक कहानी ः शकसरी शविष घzwjटना की िोचक ढग स सवाद रप म परसततशत सवादातमक किानरी किलातरी ि

परसततत किानरी म लखक न लड़क क िरीवन सघषथि औि चाततयथिपरथि सािस को उिागि शकया ि

परमचद की lsquoईदगाहrsquo कहानी सतनए औि परमख पातरो का परिचय दीतजए ः-कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot परमचद की कछ किाशनयो क नाम पछ middot परमचद िरी का िरीवन परिचय बताए middot किानरी क मतखय पाzwjतो क नाम शयामपzwjट zwjट पि शलखवाए middot किानरी की भावपरथि घzwjटना किलवाए middot किानरी स परापत सरीख बतान क शलए पररित कि

शरवणीय

गद य सबधी

परिचय

20

उसक मह पर दतरसकार की हसी फट पड़ी उसन कहा-lsquolsquoतमाशा दखन नही ददखान दनकला ह कछ पसा ल जाऊिा तो मा को पथय दिा मझ शरबत न दपलाकर आपन मरा खल दखकर मझ कछ द ददया होता तो मझ अदधक परसननता होती rsquorsquo

म आशचयया म उस तरह-चौदह वषया क लड़क को दखन लिा lsquolsquo हा म सच कहता ह बाब जी मा जी बीमार ह इसदलए म नही

िया rsquorsquolsquolsquo कहा rsquorsquolsquolsquo जल म जब कछ लोि खल-तमाशा दखत ही ह तो म कयो न

ददखाकर मा की दवा कर और अपना पट भर rsquorsquoमन दीघया दनःशवास दलया चारो ओर दबजली क लट ट नाच रह थ

मन वयगर हो उठा मन उसस कहा -lsquolsquoअचछा चलो दनशाना लिाया जाए rsquorsquo हम दोनो उस जिह पर पहच जहा खखलौन को िद स दिराया जाता था मन बारह दटकट खरीदकर उस लड़क को ददए

वह दनकला पकका दनशानबाज उसकी कोई िद खाली नही िई दखन वाल दि रह िए उसन बारह खखलौनो को बटोर दलया लदकन उठाता कस कछ मर रमाल म बध कछ जब म रख दलए िए

लड़क न कहा-lsquolsquoबाब जी आपको तमाशा ददखाऊिा बाहर आइए म चलता ह rsquorsquo वह नौ-दो गयारह हो िया मन मन-ही-मन कहा-lsquolsquoइतनी जलदी आख बदल िई rsquorsquo

म घमकर पान की दकान पर आ िया पान खाकर बड़ी दर तक इधर-उधर टहलता दखता रहा झल क पास लोिो का ऊपर-नीच आना दखन लिा अकसमात दकसी न ऊपर क दहडोल स पकारा-lsquolsquoबाब जी rsquorsquoमन पछा-lsquolsquoकौन rsquorsquolsquolsquoम ह छोटा जादिर rsquorsquo

ः २ ः कोलकाता क सरमय बोटदनकल उद यान म लाल कमदलनी स भरी

हई एक छोटी-सी मनोहर झील क दकनार घन वको की छाया म अपनी मडली क साथ बठा हआ म जलपान कर रहा था बात हो रही थी इतन म वही छोटा जादिार ददखाई पड़ा हाथ म चारखान की खादी का झोला साफ जादघया और आधी बाहो का करता दसर पर मरा रमाल सत की रससी म बधा हआ था मसतानी चाल स झमता हआ आकर कहन लिा -lsquolsquoबाब जी नमसत आज कदहए तो खल ददखाऊ rsquorsquo

lsquolsquoनही जी अभी हम लोि जलपान कर रह ह rsquorsquolsquolsquoदफर इसक बाद कया िाना-बजाना होिा बाब जी rsquorsquo

lsquoमाrsquo दवषय पर सवरदचत कदवता परसतत कीदजए

मौतिक सजन

अपन दवद यालय क दकसी समारोह का सतर सचालन कीदजए

आसपास

21

पठनीयlsquolsquoनही जी-तमकोrsquorsquo रिोध स म कछ और कहन जा रहा था

शीमती न कहा-lsquolsquoददखाओ जी तम तो अचछ आए भला कछ मन तो बहल rsquorsquo म चप हो िया कयोदक शीमती की वाणी म वह मा की-सी दमठास थी दजसक सामन दकसी भी लड़क को रोका नही जा सकता उसन खल आरभ दकया उस ददन कादनयावाल क सब खखलौन खल म अपना अदभनय करन लि भाल मनान लिा दबलली रठन लिी बदर घड़कन लिा िदड़या का बयाह हआ िड डा वर सयाना दनकला लड़क की वाचालता स ही अदभनय हो रहा था सब हसत-हसत लोटपोट हो िए

म सोच रहा था lsquoबालक को आवशयकता न दकतना शीघर चतर बना ददया यही तो ससार ह rsquo

ताश क सब पतत लाल हो िए दफर सब काल हो िए िल की सत की डोरी टकड़-टकड़ होकर जट िई लट ट अपन स नाच रह थ मन कहा-lsquolsquoअब हो चका अपना खल बटोर लो हम लोि भी अब जाएि rsquorsquo शीमती न धीर-स उस एक रपया द ददया वह उछल उठा मन कहा-lsquolsquoलड़क rsquorsquo lsquolsquoछोटा जादिर कदहए यही मरा नाम ह इसी स मरी जीदवका ह rsquorsquo म कछ बोलना ही चाहता था दक शीमती न कहा-lsquolsquoअचछा तम इस रपय स कया करोि rsquorsquo lsquolsquoपहल भर पट पकौड़ी खाऊिा दफर एक सती कबल लिा rsquorsquo मरा रिोध अब लौट आया म अपन पर बहत रिद ध होकर सोचन लिा-lsquoओह म दकतना सवाथटी ह उसक एक रपय पान पर म ईषयाया करन लिा था rsquo वह नमसकार करक चला िया हम लोि लता-कज दखन क दलए चल

ः ३ ःउस छोट-स बनावटी जिल म सधया साय-साय करन लिी थी

असताचलिामी सयया की अदतम दकरण वको की पखततयो स दवदाई ल रही थी एक शात वातावरण था हम लोि धीर-धीर मोटर स हावड़ा की ओर जा रह थ रह-रहकर छोटा जादिर समरण होता था सचमच वह झोपड़ी क पास कबल कध पर डाल खड़ा था मन मोटर रोककर उसस पछा-lsquolsquoतम यहा कहा rsquorsquo lsquolsquoमरी मा यही ह न अब उस असपतालवालो न दनकाल ददया ह rsquorsquo म उतर िया उस झोपड़ी म दखा तो एक सतरी दचथड़ो म लदी हई काप रही थी छोट जादिर न कबल ऊपर स डालकर उसक शरीर स दचमटत हए कहा-lsquolsquoमा rsquorsquo मरी आखो म आस दनकल पड़

ः 4 ःबड़ ददन की छट टी बीत चली थी मझ अपन ऑदफस म समय स

पहचना था कोलकाता स मन ऊब िया था दफर भी चलत-चलत एक बार उस उद यान को दखन की इचछा हई साथ-ही-साथ जादिर भी

पसतकालय अतरजाल स उषा दपरयवदा जी की lsquoवापसीrsquo कहानी पदढ़ए और साराश सनाइए

सभाषणीय

मा क दलए छोट जादिर क दकए हए परयास बताइए

22

ददखाई पड़ जाता तो और भी म उस ददन अकल ही चल पड़ा जलद लौट आना था

दस बज चक थ मन दखा दक उस दनमयाल धप म सड़क क दकनार एक कपड़ पर छोट जादिर का रिमच सजा था मोटर रोककर उतर पड़ा वहा दबलली रठ रही थी भाल मनान चला था बयाह की तयारी थी सब होत हए भी जादिार की वाणी म वह परसननता की तरी नही थी जब वह औरो को हसान की चषटा कर रहा था तब जस सवय काप जाता था मानो उसक रोय रो रह थ म आशचयया स दख रहा था खल हो जान पर पसा बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा वह जस कण-भर क दलए सफदतयामान हो िया मन उसकी पीठ थपथपात हए पछा - lsquolsquo आज तमहारा खल जमा कयो नही rsquorsquo

lsquolsquoमा न कहा ह आज तरत चल आना मरी घड़ी समीप ह rsquorsquo अदवचल भाव स उसन कहा lsquolsquoतब भी तम खल ददखान चल आए rsquorsquo मन कछ रिोध स कहा मनषय क सख-दख का माप अपना ही साधन तो ह उसी क अनपात स वह तलना करता ह

उसक मह पर वही पररदचत दतरसकार की रखा फट पड़ी उसन कहा- lsquolsquoकयो न आता rsquorsquo और कछ अदधक कहन म जस वह अपमान का अनभव कर रहा था

कण-कण म मझ अपनी भल मालम हो िई उसक झोल को िाड़ी म फककर उस भी बठात हए मन कहा-lsquolsquoजलदी चलो rsquorsquo मोटरवाला मर बताए हए पथ पर चल पड़ा

म कछ ही दमनटो म झोपड़ क पास पहचा जादिर दौड़कर झोपड़ म lsquoमा-माrsquo पकारत हए घसा म भी पीछ था दकत सतरी क मह स lsquoबrsquo दनकलकर रह िया उसक दबयाल हाथ उठकर दिर जादिर उसस दलपटा रो रहा था म सतबध था उस उजजवल धप म समगर ससार जस जाद-सा मर चारो ओर नतय करन लिा

शबद ससारतवषाद (पस) = दख जड़ता दनशचषटतातहडोिषतहडोिा (पस) = झलाजिपान (पस) = नाशताघड़कना (दरि) = डाटनावाचाििा (भावससतरी) = अदधक बोलनाजीतवका (सतरीस) = रोजी-रोटीईषयाया (सतरीस) = द वष जलनतचरड़ा (पस) = फटा पराना कपड़ा

चषषटा (स सतरी) = परयतनसमीप (दरिदव) (स) = पास दनकट नजदीकअनपाि (पस) = परमाण तलनातमक खसथदतसमगर (दव) = सपणया

महावरषदग रहना = चदकत होनामन ऊब जाना = उकता जाना

23

दसयारामशरण िपत जी द वारा दलखखत lsquoकाकीrsquo पाठ क भावपणया परसि को शबदादकत कीदजए

(१) दवधानो को सही करक दलखखए ः-(क) ताश क सब पतत पील हो िए थ (ख) खल हो जान पर चीज बटोरकर उसन भीड़ म मझ दखा

(३) छोटा जादिर कहानी म आए पातर ः

(4) lsquoपातरrsquo शबद क दो अथया ः (क) (ख)

कादनयावल म खड़ लड़क की दवशषताए

(२) सजाल पणया कीदजए ः

१ जहा एक लड़का दख रहा था २ म उसकी न जान कयो आकदषयात हआ ३ म सच कहता ह बाब जी 4 दकसी न क दहडोल स पकारा 5 म बलाए भी कही जा पहचता ह ६ लखको वकताओ की न जान कया ददयाशा होती ७ कया बात 8 वह बाजार िया उस दकताब खरीदनी थी

भाषा तबद

म ह यहा

पाठ सष आगष

Acharya Jagadish Chandra Bose Indian Botanic Garden - Wikipedia

पाठ क आगन म

ररकत सरानो की पतिया अवयय शबदो सष कीतजए और नया वाकय बनाइए ः

रचना बोध

24

8 तजदगी की बड़ी जररि ह हार - परा सतोष मडकी

रला तो दती ह हमशा हार

पर अदर स बलद बनाती ह हार

दकनारो स पहल दमल मझधार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

फलो क रासतो को मत अपनाओ

और वको की छाया स रहो पर

रासत काटो क बनाएि दनडर

और तपती धप ही लाएिी दनखार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

सरल राह तो कोई भी चल

ददखाओ पवयात को करक पार

आएिी हौसलो म ऐसी ताकत

सहोि तकदीर का हर परहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

तकसी सफि सातहतयकार का साकातकार िषनष हषि चचाया करिष हए परशनाविी ियार कीतजए - कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सादहतयकार स दमलन का समय और अनमदत लन क दलए कह middot उनक बार म जानकारीएकदतरत करन क दलए परररत कर middot साकातकार सबधी सामगरी उपलबध कराए middot दवद यादथयायोस परशन दनदमयादत करवाए

नवगीि ः परसतत कदवता म कदव न यह बतान का परयास दकया ह दक जीवन म हार एव असफलता स घबराना नही चादहए जीवन म हार स पररणा लत हए आि बढ़ना चादहए

जनम ः २5 ददसबर १९७६ सोलापर (महाराषट) पररचय ः शी मडकी इजीदनयररि कॉलज म सहपराधयापक ह आपको दहदी मराठी भाषा स बहत लिाव ह रचनाए ः िीत और कदवताए शोध दनबध आदद

पद य सबधी

२4

पररचय

िषखनीय

25

पठनीय सभाषणीय

रामवक बनीपरी दवारा दलखखत lsquoिह बनाम िलाबrsquo दनबध पदढ़ए और उसका आकलन कीदजए

पाठ यतर दकसी कदवता की उदचत आरोह-अवरोह क साथ भावपणया परसतदत कीदजए

lsquoकरत-करत अभयास क जड़मदत होत सजानrsquo इस दवषय पर भाषाई सौदययावाल वाकयो सवचन दोह आदद का उपयोि करक दनबध कहानी दलखखए

पद याश पर आधाररि कतिया(१) सही दवकलप चनकर वाकय दफर स दलखखए ः- (क) कदव न इस पार करन क दलए कहा ह- नदीपवयातसािर (ख) कदव न इस अपनान क दलए कहा ह-अधराउजालासबरा (२) लय-सिीत दनमायाण करन वाली दो शबदजोदड़या दलखखए (३) lsquoदजदिी की बड़ी जररत ह हारrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

य ट यब स मदथलीशरण िपत की कदवता lsquoनर हो न दनराश करो मन काrsquo सदनए और उसका आशय अपन शबदो म दलखखए

बिद (दवफा) = ऊचा उचचमझधार (सतरी) = धारा क बीच म मधयभाि महौसिा (प) = उतकठा उतसाहबजर (प दव) = ऊसर अनपजाऊफहार (सतरीस) = हलकी बौछारवषाया

उजालो की आस तो जायज हपर अधरो को अपनाओ तो एक बार

दबन पानी क बजर जमीन पबरसाओ महनत की बदो की फहार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

जीत का आनद भी तभी होिा जब हार की पीड़ा सही हो अपार आस क बाद दबखरती मसकानऔर पतझड़ क बाद मजा दती ह बहार दजदिी की बड़ी जररत ह हार

आभार परकट करो हर हार का दजसन जीवन को ददया सवार

हर बार कछ दसखाकर ही िईसबस बड़ी िर ह हार

दजदिी की बड़ी जररत ह हार

शरवणीय

शबद ससार

२5

26

भाषा तबद

अशद ध वाकय१ वको का छाया स रह पर २ पतझड़ क बाद मजा दता ह बहार ३ फल क रासत को मत अपनाअो 4 दकनारो स पहल दमला मझधार 5 बरसाओ महनत का बदो का फहार ६ दजसन जीवन का ददया सवार

तनमनतिखखि अशद ध वाकयो को शद ध करक तफर सष तिखखए ः-

(4) सजाल पणया कीदजए ः (६)आकदत पणया कीदजए ः

शद ध वाकय१ २ ३ 4 5 ६

हार हम दती ह कदव य करन क दलए कहत ह

(१) lsquoहर बार कछ दसखाकर ही िई सबस बड़ी िर ह हारrsquoइस पदकत द वारा आपन जाना (२) कदवता क दसर चरण का भावाथया दलखखए (३) ऐस परशन तयार कीदजए दजनक उततर दनमनदलखखत

शबद हो ः-(क) फलो क रासत(ख) जीत का आनद दमलिा (ि) बहार(घ) िर

(5) उदचत जोड़ दमलाइए ः-

पाठ क आगन म

रचना बोध

अ आ

i) इनह अपनाना नही - तकदीर का परहार

ii) इनह पार करना - वको की छाया

iii) इनह सहना - तपती धप

iv) इसस पर रहना - पवयात

- फलो क रासत

27

या अनतिागरी शचतत की गशत समतझ नशि कोइ जयो-जयो बतड़ सयाम िग तयो-तयो उजिलत िोइ

घर-घर डोलत दरीन ि व िनत-िनत िाचतत िाइ शदय लोभ-चसमा चखनत लघत पतशन बड़ो लखाइ

कनक-कनक त सौ गतनरी मादकता अशधकाइ उशि खाए बौिाइ िगत इशि पाए बौिाइ

गतनरी-गतनरी सबक कि शनगतनरी गतनरी न िोतत सतनयौ कह तर अकक त अकक समान उदोतत

नि की अर नल नरीि की गशत एक करि िोइ ि तो नरीचौ ि व चल त तौ ऊचौ िोइ

अशत अगाधत अशत औिौ नदरी कप सर बाइ सो ताकौ सागर ििा िाकी पयास बतझाइ

बतिौ बतिाई िो ति तौ शचतत खिौ सकातत जयौ शनकलक मयक लकख गन लोग उतपातत

सम-सम सतदि सब रप-करप न कोइ मन की रशच ितरी शित शतत ततरी रशच िोइ

१ गागि म सागि

बौिाइ (सzwjतरीस) = पागल िोना बौिानातनगनी (शव) = शिसम गतर निीअकक (पतस) = िस सयथि उदोि (पतस) = परकािअर (अवय) = औि

पद य सबधी

अगाध (शव) = अगाधसर (पतस) = सिोवि तनकिक (शव) = शनषकलक दोषिशितमयक (पतस) = चदरमाउिपाि (पतस) = आफत मतसरीबत

तकसी सि कतव क पददोहरो का आनदपवणक िसासवादन किि हए शरवण कीतजए ः-

दोहा ः इसका परम औि ततरीय चिर १३-१३ ता द शवतरीय औि चततथि चिर ११-११ माzwjताओ का िोता ि

परसततत दोिो म कशववि शबिािरी न वयाविारिक िगत की कशतपय नरीशतया स अवगत किाया ि

शबद ससाि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot सत कशवयो क नाम पछ middot उनकी पसद क सत कशव का चतनाव किन क शलए कि middot पसद क सत कशव क पददोिो का सरीडरी स िसासवादन कित हए शरवर किन क शलए कि middot कोई पददोिा सतनान क शलए परोतसाशित कि

शरवणीय

-शबिािरी

जनम ः सन १5९5 क लगभग गवाशलयि म हआ मतय ः १६६4 म हई शबिािरी न नरीशत औि जान क दोिा क सा - सा परकशत शचzwjतर भरी बहत िरी सतदिता क सा परसततत शकया ि परमख कतिया ः शबिािरी की एकमाzwjत िचना सतसई ि इसम ७१९ दोि सकशलत ि सभरी दोि सतदि औि सिािनरीय ि

परिचय

दसिी इकाई

अ आ

i) इनि अपनाना निी - तकदरीि का परिाि

ii) इनि पाि किना - वषिो की छाया

iii) इनि सिना - तपतरी धप

iv) इसस पि ििना - पवथित

- फलो क िासत

28

अनय नीदतपरक दोहो का अपन पवयाजञान तथा अनभव क साथ मलयाकन कर एव उनस सहसबध सथादपत करत हए वाचन कीदजए

(१) lsquoनर की अर नल नीर की rsquo इस दोह द वारा परापत सदश सपषट कीदजए

दोह परसततीकरण परदतयोदिता म अथया सदहत दोह परसतत कीदजए

२) शबदो क शद ध रप दलखखए ः

(क) घर = (ख) उजजल =

पठनीय

भाषा तबद

१ टोपी पहनना२ िीत न जान आिन टढ़ा३ अदरक कया जान बदर का सवाद 4 कमर का हार5 नाक की दकरदकरी होना६ िह िीला होना७ अब पछताए होत कया जब बदर चि िए खत 8 ददमाि खोलना

१ २ ३ 4 5 ६ ७ 8

जञानपीठ परसकार परापत दहदी सादहतयकारो की जानकारी पसतकालय अतरजाल आदद क द वारा परापत कर चचाया कर तथा उनकी हसतदलखखत पदसतका तयार कीदजए

आसपास

म ह यहा

तनमनतिखखि महावरो कहाविो म गिि शबदो क सरान पर सही शबद तिखकर उनह पनः तिखखए ः-

httpsyoutubeY_yRsbfbf9I

२8

पाठ क आगन म

पाठ सष आगष

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदनदक दनयर राखखएrsquo इस पदकत क बार म अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

अपन अनभववाल दकसी दवशष परसि को परभावी एव रिमबद ध रप म दलखखए

-

29

बचपन म कोसया स बाहर की कोई पसतक पढ़न की आदत नही थी कोई पतर-पदतरका या दकताब पढ़न को दमल नही पाती थी िर जी क डर स पाठ यरिम की कदवताए म रट दलया करता था कभी अनय कछ पढ़न की इचछा हई तो अपन स बड़ी कका क बचचो की पसतक पलट दलया करता था दपता जी महीन म एक-दो पदतरका या दकताब अवशय खरीद लात थ दकत वह उनक ही सतर की हआ करती थी इस पलटन की हम मनाही हआ करती थी अपन बचपन म तीवर इचछा होत हए भी कोई बालपदतरका या बचचो की दकताब पढ़न का सौभागय मझ नही दमला

आठवी पास करक जब नौवी कका म भरती होन क दलए मझ िाव स दर एक छोट शहर भजन का दनशचय दकया िया तो मरी खशी का पारावार न रहा नई जिह नए लोि नए साथी नया वातावरण घर क अनशासन स मकत अपन ऊपर एक दजममदारी का एहसास सवय खाना बनाना खाना अपन बहत स काम खद करन की शरआत-इन बातो का दचतन भीतर-ही-भीतर आह लाददत कर दता था मा दादी और पड़ोस क बड़ो की बहत सी नसीहतो और दहदायतो क बाद म पहली बार शहर पढ़न िया मर साथ िाव क दो साथी और थ हम तीनो न एक साथ कमरा दलया और साथ-साथ रहन लि

हमार ठीक सामन तीन अधयापक रहत थ-परोदहत जी जो हम दहदी पढ़ात थ खान साहब बहत दवद वान और सवदनशील अधयापक थ यो वह भिोल क अधयापक थ दकत ससकत छोड़कर व हम सार दवषय पढ़ाया करत थ तीसर अधयापक दवशवकमाया जी थ जो हम जीव-दवजञान पढ़ाया करत थ

िाव स िए हम तीनो दवद यादथयायो म उन तीनो अधयापको क बार म पहली चचाया यह रही दक व तीनो साथ-साथ कस रहत और बनात-खात ह जब यह जञान हो िया दक शहर म िावो जसा ऊच-नीच जात-पात का भदभाव नही होता तब उनही अधयापको क बार म एक दसरी चचाया हमार बीच होन लिी

२ म बरिन माजगा- हिराज भट ट lsquoबालसखाrsquo

lsquoनमरिा होिी ह तजनक पास उनका ही होिा तदि म वास rsquo इस तवषय पर अनय सवचन ियार कीतजए ः-

कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot lsquoनमरताrsquo आदर भाव पर चचाया करवाए middot दवद यादथयायो को एक दसर का वयवहारसवभावका दनरीकण करन क दलए कह middot lsquoनमरताrsquo दवषय पर सवचन बनवाए

आतमकरातमक कहानी ः इसम सवय या कहानी का कोई पातर lsquoमrsquo क माधयम स परी कहानी का आतम दचतरण करता ह

परसतत पाठ म लखक न समय की बचत समय क उदचत उपयोि एव अधययनशीलता जस िणो को दशायाया ह

गद य सबधी

मौतिक सजन

हमराज भटट की बालसलभ रचनाए बहत परदसद ध ह आपकी कहादनया दनबध ससमरण दवदवध पतर-पदतरकाओ म महततवपणया सथान पात रहत ह

पररचय

30

होता यह था दक दवशवकमाया सर रोज सबह-शाम बरतन माजत हए ददखाई दत खान साहब या परोदहत जी को हमन कभी बरतन धोत नही दखा दवशवकमाया जी उमर म सबस छोट थ हमन सोचा दक शायद इसीदलए उनस बरतन धलवाए जात ह और सवय दोनो िर जी खाना बनात ह लदकन व बरतन माजन क दलए तयार होत कयो ह हम तीनो म तो बरतन माजन क दलए रोज ही लड़ाई हआ करती थी मखशकल स ही कोई बरतन धोन क दलए राजी होता

दवशवकमाया सर को और शौक था-पढ़न का म उनह जबभी दखता पढ़त हए दखता िजब क पढ़ाक थ व एकदम दकताबी कीड़ा धप सक रह ह तो हाथो म दकताब खली ह टहल रह ह तो पढ़ रह ह सकल म भी खाली पीररयड म उनकी मज पर कोई-न-कोई पसतक खली रहती दवशवकमाया सर को ढढ़ना हो तो व पसतकालय म दमलि व तो खात समय भी पढ़त थ

उनह पढ़त दखकर म बहत ललचाया करता था उनक कमर म जान और उनस पसतक मािन का साहस नही होता था दक कही घड़क न द दक कोसया की दकताब पढ़ा करो बस उनह पढ़त दखकर उनक हाथो म रोज नई-नई पसतक दखकर म ललचाकर रह जाता था कभी-कभी मन करता दक जब बड़ा होऊिा तो िर जी की तरह ढर सारी दकताब खरीद लाऊिा और ठाट स पढ़िा तब कोसया की दकताब पढ़न का झझट नही होिा

एक ददन धल बरतन भीतर ल जान क बहान म उनक कमर म चला िया दखा तो परा कमरा पसतका स भरा था उनक कमर म अालमारी नही थी इसदलए उनहोन जमीन पर ही पसतको की ढररया बना रखी थी कछ चारपाई पर कछ तदकए क पास और कछ मज पर करीन स रखी हई थी मन बरतन एक ओर रख और सवय उस पसतक परदशयानी म खो िया मझ िर जी का धयान ही नही रहा जो मर साथ ही खड़ मझ दखकर मद-मद मसकरा रह थ

मन एक पसतक उठाई और इतमीनान स उसका एक-एक पषठ पलटन लिा

िर जी न पछा lsquolsquoपढ़ोि rsquorsquo मरा धयान टटा lsquolsquoजी पढ़िा rsquorsquo मन कहा उनहोन ततकाल छाटकर एक पतली पसतक मझ दी और

कहा lsquolsquoइस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना rsquorsquoमर हाथ जस कोई बहत बड़ा खजाना लि िया हो वह

पसतक मन एक ही रात म पढ़ डाली उसक बाद िर जी स लकर पसतक पढ़न का मरा रिम चल पड़ा

मर साथी मझ दचढ़ाया करत थ दक म इधर-उधर की पसतको

सचनानसार कदतया कीदजए ः(१) सजाल पणया कीदजए

(२) डाटना इस अथया म आया हआ महावरा दलखखए (३) पररचछद पढ़कर परापत होन वाली पररणा दलखखए

दवशवकमाया जी को दकताबी कीड़ा कहन क कारण

दसर शहर-िाव म रहन वाल अपन दमतर को दवद यालय क अनभव सनाइए

आसपास

31

lsquoकोई काम छोटा या बड़ा नही होताrsquo इस पर एक परसि दलखकर उस कका म सनाइए

स समय बरबाद करता ह दकत व मझ पढ़त रहन क दलए परोतसादहत दकया करत थ व कहत lsquolsquoजब कोसया की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो दवषय बदलन स ददमाि म ताजिी आ जाती ह rsquorsquo

इस परयोि स पढ़न म मरी भी रदच बढ़ िई और दवषय भी याद रहन लि व सवय मझ ढढ़-ढढ़कर दकताब दत पसतक क बार म बता दत दक अमक पसतक म कया-कया पठनीय ह इसस पसतक को पढ़न की रदच और बढ़ जाती थी कई पदतरकाए उनहोन लिवा रखी थी उनम बाल पदतरकाए भी थी उनक साथ रहकर बारहवी कका तक मन खब सवाधयाय दकया

धीर-धीर हम दमतर हो िए थ अब म दनःसकोच उनक कमर म जाता और दजस पसतक की इचछा होती पढ़ता और दफर लौटा दता

उनका वह बरतन धोन का रिम जयो-का-तयो बना रहा अब उनक साथ मरा सकोच दबलकल दर हो िया था एक ददन मन उनस पछा lsquolsquoसर आप कवल बरतन ही कयो धोत ह दोनो िर जी खाना बनात ह और आपस बरतन धलवात ह यह भदभाव कयो rsquorsquo

व थोड़ा मसकाए और बोल lsquolsquoकारण जानना चाहोि rsquorsquoमन कहा lsquolsquoजी rsquorsquo उनहोन पछा lsquolsquoभोजन बनान म दकतना समय लिता ह rsquorsquo मन कहा lsquolsquoकरीब दो घट rsquorsquolsquolsquoऔर बरतन धोन म मन कहा lsquolsquoयही कोई दस दमनट rsquorsquolsquolsquoबस यही कारण ह rsquorsquo उनहोन कहा और मसकरान लि मरी

समझ म नही आया तो उनहोन दवसतार स समझाया lsquolsquoदखो कोई काम छोटा या बड़ा नही होता म बरतन इसदलए धोता ह कयोदक खाना बनान म पर दो घट लित ह और बरतन धोन म दसफकि दस दमनट य लोि रसोई म दो घट काम करत ह सटोव का शोर सनत ह और धआ अलि स सघत ह म दस दमनट म सारा काम दनबटा दता ह और एक घटा पचास दमनट की बचत करता ह और इतनी दर पढ़ता ह जब-जब हम तीनो म काम का बटवारा हआ तो मन ही कहा दक म बरतन माजिा व भी खश और म भी खश rsquorsquo

उनका समय बचान का यह तककि मर ददल को छ िया उस ददन क बाद मन भी अपन सादथयो स कहा दक म दोनो समय बरतन धोया करिा व खाना पकाया कर व तो खश हो िए और मझ मखया समझन लि जस हम दवशवकमाया सर को समझत थ लदकन म जानता था दक मखया कौन ह

नीदतपरक पसतक पदढ़ए पाठ यपसतक क अलावा अपन सहपादठयो एव सवय द वारा पढ़ी हई पसतको की सची बनाइए

पठनीय

आकाशवाणी स परसाररत होन वाला एकाकी सदनए

शरवणीय

िषखनीय

32

(१) कारण दलखखए ः-(क) दमतरो द वारा मखया समझ जान पर भी लखक महोदय खश थ कयोदक (ख) पसतको की ढररया बना रखी थी कयोदक

एहसास (पस) = आभास अनभवनसीहि (सतरीस) = उपदशसीखतहदायि (सतरीस) = दनदवश सचना कौर (पस) = गरास दनवालाइतमीनान (पअ) = दवशवास आराममहावराघड़क दषना = जोर स बोलकर

डराना डाटना

शबद ससार

(१) धीर-धीर हम दमतर हो िए थ (२)-----------------------

(१) जब पाठ यरिम की पसतक पढ़त-पढ़त ऊब जाओ तब झट कोई बाहरी रदचकर पसतक पढ़ा करो (२) ------------------------------------------

(१) इस पढ़कर लौटा दना और दसरी ल जात रहना (२) -----------------------

रचना की दखटि सष वाकय पहचानकर अनय एक वाकय तिखखए ः

वाकय पहचादनए

भाषा तबद

पाठ क आगन म

(२) lsquoअधयापक क साथ दवद याथटी का ररशताrsquo दवषय पर सवमत दलखखए

रचना बोध

खान साहब

(३) सजाल पणया कीदजए ः

पाठ सष आगष

lsquoसवय अनशासनrsquo पर कका म चचाया कीदजए तथा इसस सबदधत तखकतया बनाइए

33

३ गरामदषविा

(पठनारया)- डॉ रािकिार विामा

ह गरामदवता नमसकार सोन-चॉदी स नही दकततमन दमट टी स दकया पयारह गरामदवता नमसकार

जन कोलाहल स दर कही एकाकी दसमटा-सा दनवासरदव -शदश का उतना नही दक दजतना पराणो का होता परकाश

शमवभव क बल पर करतहो जड़ म चतन का दवकास दानो-दाना स फट रह सौ-सौ दानो क हर हास

यह ह न पसीन की धारायह ििा की ह धवल धार ह गरामदवता नमसकार

जो ह िदतशील सभी ॠत मिमटी वषाया हो या दक ठडजि को दत हो परसकारदकर अपन को कदठन दड

जनम ः १5 दसतबर १९०5 सािर (मपर) मतय ः १९९० पररचयः डॉ रामकमार वमाया आधदनक दहदी सादहतय क सपरदसद ध कदव एकाकी-नाटककार लखक और आलोचक ह परमख कतिया ः वीर हमीर दचततौड़ की दचता दनशीथ दचतररखा आदद (कावय सगरह) रशमी टाई रपरि चार ऐदतहादसक एकाकी आदद (एकाकी सगरह) एकलवय उततरायण आदद (नाटक)

कतविा ः रस की अनभदत करान वाली सदर अथया परकट करन वाली हदय की कोमल अनभदतयो का साकार रप कदवता ह

इस कदवता म वमाया जी न कषको को गरामदवता बतात हए उनक पररशमी तयािी एव परोपकारी दकत कदठन जीवन को रखादकत दकया ह

पद य सबधी

पररचय

34

lsquoसबकी पयारी सबस नयारी मर दश की धरतीrsquo इस पर अपन दवचार दलखखए

कलपना पललवन

झोपड़ी झकाकर तम अपनीऊच करत हो राजद वार ह गरामदवता नमसकार acute acute acute acute

तम जन-िन-मन अदधनायक होतम हसो दक फल-फल दशआओ दसहासन पर बठोयह राजय तमहारा ह अशष

उवयारा भदम क नए खत क नए धानय स सज वशतम भ पर रह कर भदम भारधारण करत हो मनजशष

अपनी कदवता स आज तमहारीदवमल आरती ल उतारह गरामदवता नमसकार

पठनीय

सभाषणीय

शबद ससार

शरवणीय

गरामीण जीवन पर आधाररत दवदवध भाषाओ क लोकिीत सदनए और सनाइए

कदववर दनराला जी की lsquoवह तोड़ती पतथरrsquo कदवता पदढ़ए तथा उसका भाव सपषट कीदजए

lsquoपराकदतक सौदयया का सचचा आनद आचदलक (गरामीण) कतर म ही दमलता हrsquo चचाया कीदजए

lsquoऑरिदनकrsquo (सदरय) खती की जानकारी परापत कीदजए और अपनी कका म सनाइए

हास (प) = हसीधवि (दव) = शभरअशषष (दव) = बाकी न होउवयारा (दव) = उपजाऊमनज (पस) = मानवतवमि (दव) = धवल

महावराआरिी उिारना = आदर करनासवाित करना

पाठ सष आगष

दकसी ऐदतहादसक सथल की सरका हत आपक द वारा दकए जान वाल परयतनो क बार म दलखखए

३4

िषखनीय

रचना बोध

lsquoदकसी कषक स परतयक वातायालाप करत हए उसका महतव बताइए ः-

आसपास

35

4 सातहतय की तनषकपट तवधा ह-डायरी- कबर किावत

डायरी दहदी िद य सादहतय की सबस अदधक परानी परत ददन परदतददन नई होती चलन वाली दवधा ह दहदी की आधदनक िद य दवधाओ म अथायात उपनयास कहानी दनबध नाटकआतमकथा आदद की तलना म इस सबस अदधक परानी माना जा सकता ह और इसक परमाण भी ह यह दवधा नई इस अथया म ह दक इसका सबध मनषय क दनददन जीवनरिम क साथ घदनषठता स जड़ा हआ ह इस अपनी भाषा म हम दनददनी ददनकी अथवा रोजदनशी पर अदधकार क साथ कहत ह परत इस आजकल डायरी कहन पर दववश ह डायरी का मतलब ह दजसम तारीखवार दहसाब-दकताब लन-दन क बयोर आदद दजया दकए जात ह डायरी का यह अतयत सामानय और साधारण पररचय ह आम जनता को डायरी क दवदशषट सवरप की दर-दर तक जानकारी नही ह

दहदी िद य सादहतय क दवकास उननदत एव उतकषया म दनददनी का योिदान अतलय ह यह दवडबना ही ह दक उसकी अब तक दहदी म उपका ही होती आई ह कोई इस दपछड़ी दवधा तो कोई इस अद धया सादहदतयक दवधा मानता ह एक दवद वान तो यहा तक कहत ह दक डायरी कलीन दवधा नही ह सादहतय और उसकी दवधाओ क सदभया म कलीन-अकलीन का भद करना सादहदतयक िररमा क अनकल नही ह सभी दवधाए अपनी-अपनी जिह पर अतयदधक परमाण म मनषय क भावजित दवचारजित और अनभदतजित का परदतदनदधतव करती ह वसततः मनषय का जीवन ही एक सदर दकताब की तरह ह और यदद इस जीवन का अकन मनषय जस का तस दकताब रप म करता जाए तो इस दकसी भी मानवीय ददषटकोण स शलाघयनीय माना जा सकता ह

डायरी म मनषय अपन अतजटीवन एव बाह यजीवन की लिभि सभी दसथदतयो को यथादसथदत अदकत करता ह जीवन क अतदया वद व वजयानाओ पीड़ाओ यातनाओ दीघया अवसाद क कणो एव अनक दवरोधाभासो क बीच सघषया म अपन आपको सवसथ मकत एव परसनन रखन की परदरिया ह डायरी इसदलए अपन सवरप म डायरी परकाशन

मौखखक

कति क तिए आवशयक सोपान ःlsquoदनददनी दलखन क लाभrsquo दवषय पर चचाया म अपन मत वयकत कीदजए

middot दनददनी क बार म परशन पछ middot दनददनी म कया-कया दलखत ह बतान क दलए कह middot अपनी िलती अथवा असफलताको कस दलखा जाता ह इसपर चचाया कराए middot दकसी महान दवभदत की डायरी पढ़न क दलए कह

आधदनक सादहतयकारो म कबर कमावत एक जाना-माना नाम ह आपक दवचारातमक एव वणयानातमक दनबध बहत परदसद ध ह आपक दनबध कहादनया दवदवध पतर-पदतरकाओ म दनयदमत परकादशत होती रहती ह

वचाररक तनबध ः वचाररक दनबध म दवचार या भावो की परधानता होती ह परतयक अनचछद एक-दसर स जड़ होत ह इसम दवचारो की शखला बनी रहती ह

परसतत पाठ म लखक न lsquoडायरीrsquo दवधा क लखन की परदरिया महतव आदद को सपषट दकया ह

गद य सबधी

३5

पररचय

36

शरवणीय

योजना का भाि नही होती और न ही लखकीय महततवाकाका का रप होती ह सादहतय की अनय दवधाओ क पीछ उनका परकाशन और ततपशचात परदतषठा परापत करन की मशा होती ह व एक कदतरम आवश म दलखी जाती ह और सावधानीपवयाक दलखी जाती ह सादहतय की लिभि सभी दवधाओ क सजनकमया क पीछ उस परकादशत करन का उद दशय मल होता ह डायरी म यह बात नही ह दहदी म आज लिभि एक सौ पचास क आसपास डायररया परकादशत ह और इनम स अदधकाश डायरीकारो क दहात क पशचात परकाश म आई ह कछ तो अपन अदकत कालानरिम क सौ वषया बाद परकादशत हई ह

डायरी क दलए दवषयवसत का कोई बधन नही ह मनषय की अनभदत एव अनभव जित स सबदधत छोटी स छोटी एव तचछ बात परसि दवचार या दशय आदद उसकी दवषयवसत बन सकत ह और यह डायरी म तभी आ सकता ह जब डायरीकार का अपन जीवन एव पररवश क परदत ददषटकोण उदार एव तटसथ हो तथा अपन आपको वयकत करन की भावना बलाि दनषकपट एव सचची हो डायरी सादहतय की सबस अदधक सवाभादवक सरल एव आतमपरकटीकरण की सादिी स यकत दवधा ह यह अदभवयदकत की परदरिया स िजरती धीर-धीर और रिमशः अगरसाररत होन वाली दवधा ह डायरी म जो जीवन ह वह सावधानीपवयाक रचा हआ जीवन नही ह डायरी म वह कसाव नही होता जो अनय दवधाओ म दखा जा सकता ह डायरी स पारदशयाक वयदकततव की पहचान होती ह दजसम सब कछ दनःसकोच उभरकर आता ह

डायरी दवधा क रप ससथान का मल आधार उसकी ददनक कालानरिम योजना ह अगरजी म lsquoरिोनोलॉदजकल ऑडयारrsquo कहा जाता ह इसक अभाव म डायरी का कोई रप नही ह परत यह फजटी भी हो सकता ह दहदी म कछ उपनयास कहादनया और नाटक इसी फजटी कालानरप म दलख िए ह यहा कवल डायरी शली का उपयोि मातर हआ ह दनददन जीवन क अनक परसि भाव भावनाए दवचार आदद डायरीकार इसी कालानरिम म अदकत करता ह परत इसक पीछ डायरीकार की दनषकपट सवीकारोदकतयो का सथान सवायादधक ह बाजारो म जो कादपया दमलती ह उनम दछपा हआ कालानरिम ह इसम हम अपन दनददन जीवन क अनक वयावहाररक बयोरो को दजया करत ह परत यह दववचय डायरी नही ह बाजारो म दमलन वाली डायररयो क मल म एक कलडर वषया छपा हआ ह यह कलडरनमा डायरी शषक नीरस एव वयावहाररक परबधनवाली डायरी ह दजसका मनषय क जीवन एव भावजित स दर-दर तक सबध नही होता

दहदी म अनक डायररया ऐसी ह जो परायः यथावत अवसथा म परकादशत हई ह इनम आप एक बड़ी सीमा तक डायरीकार क वयदकततव को दनषकपटपारदशयाक रप म दख सकत ह डायरी को बलाि

डॉ बाबासाहब आबडकर जी की जीवनी म स कोई पररणादायी घटना पदढ़ए और सनाइए

अतरजाल स कोई अनददत कहानी ढढ़कर रसासवादन करत हए वाचन कीदजए

आसपास

दकसी पदठत िद यपद य क आशय को सपषट करन क दलए पीपीटी (PPT) क मद द बनाइए

िषखनीय

37

आतमपरकाशन की दवधा बनान म महातमा िाधी का योिदान सवयोपरर ह उनहोन अपन अनयादययो एव काययाकतायाओ को अपन जीवन को नदतक ददशा दन क साधन रप म दनयदमत दनददन दलखन का सझाव ददया तथा इस एक वरत क रप म दनभान को कहा उनहोन अपन काययाकतायाओ को आतररक अनशासन एव आतमशद दध हत डायरी दलखन की पररणा दी िजराती म दलखी िई बहत सी डायररया आज दहदी म अनवाददत ह इनम मन बहन िाधी महादव दसाई सीताराम सकसररया सशीला नयर जमनालाल बजाज घनशयाम दबड़ला शीराम शमाया हीरालाल जी शासतरी आदद उललखनीय ह

दनषकपट आतमसवीकदतयकत परदवदषटयो की ददषट स दहदी म आज अनक डायररया परकादशत ह दजनम अतरि जीवन क अनक दशयो एव दसथदतयो की परसतदत ह इनम डॉ धीरर वमाया दशवपजन सहाय नरदव शासतरी वदतीथया िणश शकर दवद याथटी रामशवर टादटया रामधारी दसह lsquoददनकरrsquo मोहन राकश मलयज मीना कमारी बालकदव बरािी आदद की डायररया उललखनीय ह कछ दनषकपट परदवदषटया काफी मादमयाक एव हदयसपशटी ह मीना कमारी अपनी डायरी म एक जिह दलखती ह - lsquolsquoदजदिी क उतार-चढ़ाव यहा तक ल आए दक कहानी दलख यह कहानी जो कहानी नही ह मरा अपना आप ह आज जब उसन मझ छोड़ ददया तो जी चाह रहा ह सब उिल द rsquorsquo मलयज अपनी डायरी म २९ ददसबर 5९ को दलखत ह-lsquolsquoशायद सब कछ मन भावना क सतय म ही पाया ह कछ नही होता म ही सब कदलपत कर दलया करता ह सकत दमलत ह परा दचतर खड़ा कर लता ह rsquorsquo डॉ धीरर वमाया अपनी डायरी म १९१११९२१ क ददन दलखत ह-lsquolsquoराषटीय आदोलन म भाि न लन क कारण मर हदय म कभी-कभी भारी सगराम होन लिता ह जब हम पढ़-दलख व समझदार लोिो न ही कायरता ददखाई ह तब औरो स कया आशा की जा सकती ह सच तो यह ह दक भल घरो क पढ़-दलख लोिो न बहत ही कायरता ददखाई ह rsquorsquo

अपन जीवन की सचची दनषकाय पारदशटी छदव को रखन म डायरी सादहतय का उतकषट माधयम ह डायरी जीवन का अतदयाशयान ह अतरिता क अभाव म डायरी डायरीकार की दनजी भावनाओ दवचारो एव परदतदरियाओ क द वारा अदकत उसक अपन जीवन एव पररवश का दसतावज ह एक अचछी सचची एव सादिीयकत डायरी क दलए डायरीकार का सचचा साहसी एव ईमानदार होना आवशयक ह डायरी अपनी रचना परदरिया म मनषय क जीवन म जहा आतररक अनशासन बनाए रखती ह वही मनौवजञादनक सतलन बनान का भी कायया करती ह

lsquoडायरी लखन म वयदकत का वयदकततव झलकता हrsquo इस दवधान की साथयाकता सपषट कीदजए

पसतकालय स राहल सासकतयायन की डायरी क कछ पनन पढ़कर उस पर चचाया कीदजए

मौतिक सजन

सभाषणीय

पाठ सष आगष

दहदी म अनवाददत उलखनीय डायरी लखको क नामो की सची तयार कीदजए

38

तनषकपट (दव) = छलरदहत सीधामनोवजातनक (भास) = मन म उठन वाल दवचारो

का दववचन करन वालासििन (पस) = दो पको का बल बराबर रखनाकायरिा (भावस) = भीरता डरपोकपनदनतदनी (सतरीस) = ददनकीगररमा (ससतरी) = मदहमा महतववजयाना (दरि) = रोक लिाना

शबद ससारमशा (सतरीअ) = इचछाबषिाग (दव) = दबना आधार काफजखी (दवफा) = नकलीकसाव (पस) = कसन की दसथदत तववषचय (दव) = दजसकी दववचना की जाती ह सववोपरर (दव) = सबस ऊपरमहावरादर-दर िक सबध न होना = कछ भी सबध न होना

(१) सजाल पणया कीदजए ः-

डायरी दवधा का दनरालापन

३8

रचना बोध

(२) उततर दलखखए ः-lsquoरिोनॉलॉदजकलrsquo ऑडयार इस कहा जाता ह -

(३) (क) अथया दलखखए ः-अवसाद - दसतावज-

(ख) दलि पररवतयान कीदजए ः-लखक -

दवद वान -

भाषा तबद

(१) दकसी न आज तक तर जीवन की कहानी नही दलखी

(२) मरी माता का नाम इदत और दपता का नाम आदद ह

(३) व सदा सवाधीनता स दवचरत आए ह

(4) अवसर हाथ स दनकल जाता ह

(5) अर भाई म जान क दलए तयार ह

(६) अपन समाज म यह सबका पयारा बनिा

(७) उनहोन पसतक को धयान स दखा

(8) वकता महाशय वकततव दन को उठ खड़ हए

तनमन वाकयो म सष कारक पहचानकर िातिका म तिखखए ः-

कारक तचह न कारक नाम

पाठ क आगन म

39

5 उममीद- कमलश भट ट lsquoकमलrsquo

वो खतद िरी िान िात ि बतलदरी आसमानो की परिदो को निी तालरीम दरी िातरी उड़ानो की

िो शदल म िौसला िो तो कोई मशिल निी मतकशकल बहत कमिोि शदल िरी बात कित ि कानो की

शिनि ि शसफक मिना िरी वो बिक खतदकिरी कि ल कमरी कोई निी वनाथि ि िरीन क बिानो की

मिकना औि मिकाना ि कवल काम खतिब काकभरी खतिब निी मोिताि िातरी कदरदानो की

िम िि िाल म तफान स मिफि िखतरी ि छत मिबत िोतरी ि उममरीदो क मकानो की

acute acute acute acute

जनम ः १३ फिविरी १९5९ िफिपति (उपर) परिचय ः कमलि भzwjट zwjट lsquoकमलrsquo गिल किानरी िाइक साषिातकाि शनबध समरीषिा आशद शवधाओ म िचना कित ि व पयाथिविर क परशत गििा लगाव िखत ि नदरी पानरी सब कछ उनकी िचनाओ क शवषय ि परमख कतिया ः नखशलसतान मगल zwjटरीका (किानरी सगरि) म नदरी की सोचता ह िख सरीप ित पानरी (गिलसगरि) अमलतास (िाइक सकलन) अिब-गिब (बाल कशवताए) ततईम (बाल उपनयास)

तवद यािय क कावय पाठ म सहभागी होकि अपनी पसद की कोई कतविा परसिि कीतजए ः- कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot कावय पाठ का आयोिन किवाए middot शवद याशथियो को उनकी पसद की कोई कशवता चतनन क शलए कि विरी कशवता चतनन क कािर पछ middot कशवता परसततशत की तयािरी किवाए middot सभरी शवद याशथियो का सिभागरी किाए

गजि ः यि एक िरी बिि औि विन क अनतसाि शलख गए lsquoििोrsquo का समि ि गिल क पिल िि को lsquoमतलाrsquo औि अशतम िि को lsquoमकताrsquo कित ि परतयक िि एक-दसि स सवतzwjत िोत ि

परसततत गिलो म गिलकाि न अपनरी मशिल की तिफ बतलदरी स बढ़न शििरीशवषा बनाए िखन अपन पि भिोसा किन सचाई पि डzwjट ििन आशद क शलए पररित शकया ि

पद य सबधी

सभाषणीय

परिचय

40

बिदी (भास) = दशखर ऊचाईपररदा (पस) = पकी पछीिािीम (सतरीस) = दशकाहौसिा (पस) = साहसमोहिाज (दव) = वदचतकदरदान (दवफा) = परशसक िणगराहक

शबद ससार

कोई पका इरादा कयो नही हतझ खद पर भरोसा कयो नही ह

बन ह पाव चलन क दलए हीत उन पावो स चलता कयो नही ह

बहत सतषट ह हालात स कयोतर भीतर भी िससा कयो नही ह

त झठो की तरफदारी म शादमलतझ होना था सचचा कयो नही ह

दमली ह खदकशी स दकसको जननत त इतना भी समझता कयो नही ह

सभी का अपना ह यह मलक आखखरसभी को इसकी दचता कयो नही ह

दकताबो म बहत अचछा दलखा हदलख को कोई पढ़ता कयो नही ह

महफज (दव) = सरदकतइरादा (पस) = फसला दवचारहािाि (सतरीस) = पररदसथदतिरफदारी (भाससतरी) = पकपातजनि (सतरीस) = सवियामलक (पस) = दश वतन

दहदी-मराठी भाषा क परमख िजलकारो की िजल य ट यबटीवी कदव सममलनो म सदनए और सनाइए

रवीदरनाथ टिोर जी की दकसी अनवाददत कदवताकहानी का आशय समझत हए वाचन कीदजए

दकसी कावय सगरह स कोई कदवता पढ़कर उसका आशय दनमन मद दो क आधार पर सपषट कीदजए

कदव का नाम कदवता का दवषय कदरीय भाव

शरवणीय

पठनीय

आसपास

4०

आठ स दस पदकतयो क पदठत िद याश का अनवाद एव दलपयतरण कीदजए

िषखनीय

41

दहदी िजलकारो क नाम तथा उनकी परदसद ध िजलो की सची बनाइए

पाठ सष आगष

(१) उतिर तिखखए ःकदवता स दमलन वाली पररणा ः-(क) (ख) (२) lsquoतकिाबो म बहि अचछा तिखा ह तिखष को कोई पढ़िा कयो नहीrsquo इन पतकियो द वारा कतव सदषश दषना चाहिष ह (३) कतविा म आए अरया पणया शबद अकर सारणी सष खोजकर ियार कीतजएः-

दद को म ह फ ज का ह

ही दर ह फकि म र ता न

भी ब फ म जो र ली अ

दा हा ना ल थ जी म व

ब की म त बा मो मी हो

म ल श खशक ह ई स ह

दज दा दी ता ल ला द न

ल री ज ला त ख श न

अरया की दखटि सष वाकय पररवतियाि करक तिखखए ः-

नमरता कॉलज म पढ़ती ह

दवधानाथयाक

दनषधाथयाक

परशनाथयाकआ

जञाथयाक

दवसमय

ाथयाकसभ

ावनाथयाक

भाषा तबद

4१

पाठ क आगन म

रचना बोध

lsquoम दचदड़या बोल रही हrsquo दवषय पर सवयसफतया लखन कीदजए

कलपना पललवन

अथया की दखषट स

42

६ सागर और मषघ- राय कषzwjणदास

सागर - मर हदय म मोती भर ह मषघ - हा व ही मोती दजनक कारण ह-मरी बद सागर - हा हा वही वारर जो मझस हरण दकया जाता ह चोरी का िवया मषघ - हा हा वही दजसको मझस पाकर बरसात की उमड़ी नददया तमह

भरती ह सागर - बहत ठीक कया आठ महीन नददया मझ कर नही दिी मषघ - (मसकराया) अचछी याद ददलाई मरा बहत-सा दान व पथवी

क पास धरोहर रख छोड़ती ह उसी स कर दन की दनरतरता कायम रहती ह

सागर - वाषपमय शरीर कया बढ़-बढ़कर बात करता ह अत को तझ नीच दिरकर दमट टी म दमलना पड़िा

मषघ - खार की खान ससार भर क दषट पथवी क दवकार तझ म शद ध और दमषट बनाकर उचचतम सथान दता ह दफर तझ अमतवारर

धारा स तपत और शीतल करता ह उसी का यह फल ह सागर - हा हा दसर की करतत पर िवया सयया का यश अपन पलल मषघ - (अट टहास करिा ह) कयो म चार महीन सयया को दवशाम जो दता

ह वह उसी क दवदनयम म यह करता ह उसका यह कमया मरी सपदतत ह वह तो बदल म कवल दवशाम का भािी ह

सागर - और म जो उस रोज दवशाम दता ह मषघ - उसक बदल तो वह तरा जल शोषण करता ह सागर - चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव

अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह मषघ - (इठिाकर) धनय र वरती मानो शद धापवयाक त सयया को वह दान दता

ह कया तरा जल वह हठात नही हरता सागर - (गभीरिा सष) और वाड़व जो मझ दनतय जलाया करता ह तो भी म

उस छाती स लिाए रहता ह तदनक उसपर तो धयान दो मषघ - (मसकरा तदया) हा उसम तरा और कछ नही शद ध सवाथया ह

कयोदक वह तझ जो जलाता न रह तो तरी मयायादा न रह जाए सागर - (गरजकर) तो उसम मरी कया हादन हा परलय अवशय हो जाए

समदर सष परापत होनष वािी सपदाओ क नाम एव उनक वयावहाररक उपयोगो की जानकारी बिाइए कति क तिए आवशयक सोपान ः

middot भारत की तीनो ददशाओ म फल हए समदरो क नाम पछ middot समदर स परापत हान वाली सपदततयो कनाम तथा उपयोि बतान क दलए कह middot इन सपदततयो पर आधाररत उद योिो क नामो की सची बनवाए

सवाद ः दो या दो स अदधक वयखकतयो क बीच वातायालाप बातचीत या सभाषण सवाद कहलाता ह

परसतत सवाद क माधयम स लखक न सािर एव मघ क िणो को दशायाया ह अपन िणो पर इतराना अहकार करना एक बराई ह-यह सपषट करत हए सभी को दवनमर रहन की दशका परदान की ह

जनम ः १३ नवबर १88२ वाराणसी (उपर) मतय ः १९85 पररचयः राय कषणदास दहदी अगरजी ससकत और बागला भाषा क जानकार थ आपन कदवता दनबध िद यिीत कहानी कला इदतहास आदद दवषयो पर रचना की ह परमख कतिया ः भारत की दचतरकला भारत की मदतयाकला (मौदलक गरथ) साधना आनाखया सधाश (कहानी सगरह) परवाल (िद यिीत) आदद

4२

मौखखक

गद य सबधी

पररचय

43

मषघ - (एक सास िषकर) आह यह दहसा वदतत और कया मयायादा नाश कया कोई साधारण बात ह

सागर - हो हआ कर मरा आयास तो बढ़ जाएिा मषघ - आह उचछखलता की इतनी बड़ाई सागर - अपनी ओर तो दख जो बादल होकर आकाश भर म इधर स

उधर मारा-मारा दफरता ह मषघ - धनय तमहारा जञान म यदद सार आकाश म घम दफर क ससार

का दनरीकण न कर और जहा आवशयकता हो जीवन-दान न कर तो रसा नीरस हो जाए उवयारा स वधया हो जाए त नीच रहन वाला ऊपर रहन वालो क इस तततव को कया जान

सागर - यदद त मर दलए ऊपर ह तो म तर दलए ऊपर ह कयोदक हम दोनो का आकाश एक ही ह

मषघ - हा दनससदह ऐसी दलील व ही लोि कर सकत ह दजनक हदय म ककड़-पतथर और शख-घोघ भर ह

सागर - बदलहारी तमहारी बद दध की जो रतनो को ककड़ पतथर और मोदतयो को सीप-घोघ समझत हो

मषघ - तमहार भीतर रतन बच कहा ह तम तो ककड़-पतथर को ही रतन समझ बठ हो

सागर - और मनषय जो इनह दनकालन क दलए दनतय इतना शम करत ह तथा पराण खोत ह

मषघ - व सपधाया करन म मर जात ह सागर - अर अपनी सीमा म रमन की मौज को अदसथरता समझन वाल

मखया त ढर-सा हलला ही करना जानता ह दक-मषघ - हा म िरजता ह तो बरसता भी ह त तोसागर - यह भी कयो नही कहता दक वजर भी दनपादतत करता ह मषघ - हा आततादययो को समदचत दड दन क दलए सागर - दक सवततरो का पक छदन करक उनह अचल बनान क दलए मषघ - हा त ससार को दीन करन वाली उचछछखलताओ का पक कयो न लिा त तो उनह दछपाता ह न सागर - म दीनो की शरण अवशय ह मषघ - सच ह अपरादधयो क सिी यही दीनो की सहायता ह दक ससार

क उतपादतयो और अपरादधयो को जिह दना और ससार को सदव भरम म डाल रहना

सागर - दड उतना ही होना चादहए दक ददडत चत जाए उस तरास हो जाए अिर वह अपादहज हा िया तो-

मषघ - हा यह भी कोई नीदत ह दक आततायी दनतय अपना दसर

मौतिक सजन

lsquoपररवतयान सदषट का दनयम हrsquo इस सदभया म अपना मत वयकत कीदजए

पठनीय

पराकदतक पररवश क अनसार मानव क रहन-सहन सबधी जानकारी पढ़कर चचाया कीदजए

शरवणीय

दनमन मद दो क आधार पर जािदतक तापमान वद दध सबधी अपन दवचार सनाइए ः-

कारण समसयाए उपाय

4३

44

आसपास

उठाना चाह और शासता उसी की दचता म दनतय शसतर दलए खड़ा रह अपन राजय की कोई उननदत न करन पाव

सागर - भाई अपन रिोध को शात करो रिोध म बात दबिड़ती ह कयोदक रिोध हम दववकहीन बना दता ह मषघ - (रोड़ा शाि होिष हए) हा यह बात तो सच ह हम दोनो

न अपन-अपन रिोध को शात कर लना चादहए सागर - तो आओ हम दमलकर जनकलयाण क दवषय म थोड़ा दवचार दवमशया कर ल मषघ - हा मनषय हम दोनो पर बहत दनभयार ह परदतवषया दकसान

बड़ी आतरता स मरी परतीका करत ह सागर - मर कार स मनषय को नमक परापत होता ह दजसस उसका

भोजन सवाददषट बनता ह मषघ - सािर भाई हम कभी आपस म उलझना नही चादहए सागर - आओ परदतजञा करत ह दक हम अब कभी घमड म एक दसर

को अपमादनत नही करि बदलक दमलकर जनकलयाण क दलए कायया करि

मषघ - म नददयो को भर-भर तम तक भजिा सागर - म सहषया उनह उपकार सदहत गरहण करिा

वारर (पस) = जलवाड़व (पस) = समर जल क अदर वाली अदगनमयायादा (सतरीस) = सीमा रसा (सतरीस) = पथवीतनपाि (पस) = दिरनाआििायी (प) = अतयाचारीसमतचि (दव) = उदचत उपयकतउचछछखि (दव) = उद दड उतपातीआिरिा (भास) = उतसकताआयास (पस) = परयतन पररशम

शबद ससार

दरदशयान पर परदतददन ददखाए जान वाली तापमान सबधी जानकारी दखखए सपणया सपताह म तापमान म दकस तरह का बदलाव पाया िया इसकी तलना करक दटपपणी तयार कीदजए

44

lsquoअिर न नभ म बादल होतrsquo इस दवषय पर अपन दवचार दलखखए

िषखनीय

पाठ सष आगष

मोती कसा तयार होता ह इसपर चचाया कीदजए और ददनक जीवन म मोती का उपयोि कहा कहा होता ह

45

(२) सजाल पणया कीदजए ः-(१) उदचत जोदड़या दमलाइए ः-

मघ इनक भद जानत ह

(अ) दसर की करतत पर िवया करन वाला सािर को दनतय जलान वाला झठी सपधाया करन म मरन वाला

(आ)मनषयसािरवाड़वमघ

(२) तनमन वाकय सष सजा िरा तवशषषण पहचानकर भषदो सतहि तिखखए ः-

(३) सवमत दलखखए ः- अिर सािर न होता तो

(१) तनमन वाकयो म सष सवयानाम एव तरिया छॉटकर भषदो सतहि तिखखए ः-भाषा तबद

45

पाठ क आगन म

चाह कछ भी हो जाए म दनज वरत नही छोड़ता म सदव अपना कमया करता ह और अनयो स करवाता भी ह

मोहन न फलो की टोकरी म कछ रसील आम थोड़ स बर तथा कछ अिर क िचछ साफ पानी स धोकर रखवा ददए

दरिया

दवशषण

सवयानाम

सजञा

रचना बोध

46

गद य सबधी

७िघकराए

दावा

-जयोमत जन

बहस चल रही थी सभी अपन-अपन दशभकत होन का दावा पश कर रह थ

दशकक का कहना था lsquolsquoहम नौदनहालो को दशदकत करत ह अतः यही दश की बड़ी सवा ह rsquorsquo

दचदकतसक का कहना था lsquolsquoनही हम ही दशवादसयो की जान बचात ह अतः यह परमाणपतर तो हम ही दमलना चादहए rsquorsquo

बड़-बड़ कसटकशन करन वाल इजीदनयरो न भी अपना दावा जताया तो दबजनसमन दकसानो न भी दश की आदथयाक उननदत म अपना योिदान बतात हए सवय का पक परसतत दकया

तब खादीधारी नता आि आए lsquolsquoहमार दबना दश का दवकास सभव ह कया सबस बड़ दशभकत तो हम ही ह rsquorsquo

यह सन सब धीर-धीर खखसकन लि तभी आवाज आई lsquolsquoअर लालदसह तम अपनी बात नही

रखोि rsquorsquo lsquolsquoम तो कया कह rsquorsquo ररटायडया फौजी बोला lsquolsquoदकस दबना पर

कछ कह मर पास तो कछ नही तीनो बट पहल ही फौज म शहीद हो िए ह rsquorsquo

acute acute acute acute

(पठनारया)

जनम ः २७ अिसत १९६4 मदसौर (मपर) पररचय ः मखयतः कथा सादहतय एव समीका क कतर म लखन दकया ह परमख पतर पदतरकाओ म आपकी रचनाए परकादशत हई ह परमख कतिया ः जल तरि (लघकथा सगरह) भोरवला (कहानी सगरह)

िघकरा ः लघकथा दकसी बहत बड़ पररदशय म स एक दवशष कणपरसि को परसतत करन का चातयया ह

परसतत lsquoदावाrsquo लघकथा म जन जी न परचछनन रप स सदनको क योिदान को दश क दलए सवयोपरर बताया ह lsquoनीम का पड़rsquo लघकथा म पयायावरण क साथ-साथ बड़ो की भावनाओ का आदर करना चादहए यह बताया ह lsquoपयायावरण सवधयानrsquo सबधी कोई

पथनाट य परसतत कीदजए सभाषणीय

4६

पररचय

47

शबद ससारनौतनहाि (पस) = होनहार बचच तचतकतसक (पस) = दचदकतसा करन वाला वद य योगदान (पस) = दकसी काम म साथ दना सहयोिमहावरषपषश करना = परसतत करनादावा जिाना = अदधकार जताना

वदावनलाल वमाया क दकसी उपनयास का एक अश पढ़कर सनाइए

पठनीय

नीम का पषड़बाउडीवाल म बाधक बन रहा नीम का पड़ घर म सबको

खटक रहा था आखखर कटवान का ही फसला दलया िया काका साब उदास हो चल राजश समझा रहा था lsquolsquo कार रखन म ददककत आएिी पड़ तो कटवाना ही पड़िा न rsquorsquo

काका साब न हदथयार डालन क सवर म lsquoठीक हrsquo कहकर चपपी साध ली हमशा अपना रोब जतान वाल काका साब की चपपी राजश को कछ खल रही थी अपन दपता क चहर को दखत--दखत अचानक ही राजश को उसम नीम क तन की लकीर नजर आन लिी

lsquolsquoहपपी फादसया ड पापाrsquorsquo सात साल क परतीक की आवाज न उसक दवचारो को दवराम ददया

lsquolsquoपापा आज फादसया ड ह और म आपक दलए य दिफट लाया ह rsquorsquo कहत-कहत परतीक न अपन हाथो म थली म लाया पौधा आि कर ददया

lsquolsquoपापा इस वहा लिाएि जहा इस कोई काट नही rsquorsquolsquolsquoहा बटा इस भी लिाएि और बाहरवाला नीम भी नही

कटिा िरज क दलए कछ और वयवसथा दखत ह rsquorsquo फसल-वाल अदाज म कहत हए राजश न कनखखयो स काका को दखा

बाहर सरया स हवा चली और बढ़ा नीम मानो नए जोश स झमकर लहरा उठा

4७

lsquoराषटीय रका अकादमीrsquo की जानकारी परापत करक दलखखए

पराकदतक सौदयया पर आधाररत कोई कदवता सदनए और सनाइए

शरवणीय

िषखनीय

रचना बोध

48

8 झडा ऊचा सदा िहगा- िामदयाल पाचडय

ऊचा सदा ििगा ऊचा सदा ििगा शिद दि का पयािा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

तफानो स औि बादलो स भरी निी झतकगानिी झतकगा निी झतकगा झडा ऊचा सदा ििगा झडा ऊचा सदा ििगा

कसरिया बल भिन वाला सादा ि सचाईििा िग ि ििरी िमािरी धितरी की अगड़ाई औि चरि किता शक िमािा कदम कभरी न रकगा झडा ऊचा सदा ििगा

िान िमािरी य झडा ि य अिमान िमािाय बल पौरष ि सशदयो का य बशलदान िमािा िरीवन-दरीप बनगा य अशधयािा दि किगा झडा ऊचा सदा ििगा

आसमान म लििाए य बादल म लििाएििा-ििा िाए य झडा य (बात सदि सवाद) सतनाए ि आि शिद य दशनया को आिाद किगा झडा ऊचा सदा ििगा

अपन तजि म सामातजक कायण किन वािी तकसी ससरा का परिचय तनमन मद दरो क आधाि पि परापत किक तटपपणी बनाइए ः-

जनम ः १९१5 शबिाि मतय ः २००२ परिचय ः िामदयाल पाडय िरी सवतzwjतता सनानरी औि िाषzwjटरभाव क मिान कशव साशितय को िरीन वाल अपन धतन क पकक आदिथि कशव औि शवद वान सपादक क रप म परशसद ध िामदयाल िरी अनक साशिशतयक ससाओ स ितड़ िि

कति क तिए आवशयक सोपान ः

दिभशकत पिक शिदरी गरीतो को सतशनए

परिणागीि ः परिरागरीत व गरीत िोत ि िो िमाि शदलो म उतिकि िमािरी शिदगरी को िझन की िशकत औि आग बढ़न की परिरा दत ि

परसततत कशवता म कशव न अपन दि क झड का गौिवगान शवशभनन सवरपो म शकया ि

आसपास

httpsyoutubexPsg3GkKHb0

म ह यहा

48

परिचय

middot शवद याशथियो स शिल की समाि म काम किन वालरी ससाओ की सचरी बनवाए middot शकसरी एक ससा की िानकािरी मतद दो क आधाि पि एकशzwjतत किन क शलए कि middot कषिा म चचाथि कि

शरवणीय

पद य सबधी

49

नही चाहत हम ददनया को अपना दास बनानानही चाहत औरो क मह की (बातरोटीफटकार) खा जाना सतय-नयाय क दलए हमारा लह सदा बहिा

झडा ऊचा सदा रहिा

हम दकतन सख सपन लकर इसको (ठहरातफहरातलहरात) ह इस झड पर मर दमटन की कसम सभी खात ह दहद दश का ह य झडा घर-घर म लहरिा

झडा ऊचा सदा रहिा

रिादतकाररयो क जीवन स सबदधत कोई पररणादायी परसिघटना पर आधाररत सवाद बनाकर परसतत कीदजए

lsquoमर सपनो का भारतrsquo इस कलपना का दवसतार अपन शबदो म कीदजए

नौवी कका पाठ-२ इदतहास और राजनीदत शासतर

अरमान(पसत) = लालसा चाहपौरष (पस) = परषाथया परारिम साहसदास (पस) = सवक िलामिह (पस) = रकत खन

पठनीय

सभाषणीय

कलपना पलिवन

शबद ससार

राषट का िौरव बनाए रखन क दलए पवया परधानमदतरयो द वारा दकए सराहनीय कायषो की सची बनाइए

(१) सजाल पणया कीदजए ः

(२) lsquoसवततरता का अथया सवचछदता नहीrsquo इस दवधान पर सवमत दीदजए

झड की दवशषताए

4९

पाठ क आगन म

रचना बोध

िषखनीय

50

भाषा तबद

दकसी लख म स जब कोई अश छोड़ ददया जाता ह तब इस दचह न का परयोि

दकया जाता ह जस - तम समझत हो दक

यह बालक ह xxx

िाव क बाजार म वह सबजी बचा करता था

यह दचह न सदचयो म खाली सथान भरन क काम आता ह जस (१) लख- कदवता (२) बाब मदथलीशरण िपत

दकसी सजञा को सकप म दलखन क दलए इस दचह न का परयोि दकया

जाता ह जस - डॉ (डाकटर)

कपीद - कपया पीछ दखखए

बहधा लख अथवा पसतक क अत म इस दचह न का परयोि दकया जाता ह जस - इस तरह राजा और रानी सख स रहन लि

(-0-)

अपणया सचक (XXX)

सरान सचक ()

सकि सचक ()

समाखपत सचक(-0-)

दवरामदचह न

(२) नीचष तदए गए तवरामतचह नो क सामनष उनक नाम तिखकर इनका उपयोग करिष हए वाकय बनाइए ः-

(१) तवरामतचह न पतढ़ए समतझए ः-

5०

दचह न नाम वाकय-

[ ]ldquordquo

( )

XXX-0-

51

रचना तवभाग एव वयाकरण तवभाग

middot पतरलखन (वयावसादयककायायालयीन)middot दनबधmiddot कहानी लखनmiddot िद य आकलन

पतरिषखनकायायाियीन पतर

कायायालयीन पतराचार क दवदवध कतर ः- बक डाकदवभाि दवद यत दवभाि दरसचार दरदशयान आदद स सबदधत पतर महानिर दनिम क अनयानय दवदभनन दवभािो म भज जान वाल पतर माधयदमक तथा उचच माधयदमक दशकण मडल स सबदधत पतर अदभनदनपरशसा (दकसी अचछ कायया स परभादवत होकर) पतर लखन करना सरकारी ससथा द वारा परापत दयक (दबल आदद) स सबदधत दशकायती पतर

वयावसातयक पतरवयावसादयक पतराचार क दवदवध कतर ः- दकसी वसतसामगरी पसतक आदद की माि करना दशकायती पतर - दोषपणया सामगरी चीज पसतक पदतरका आदद परापत होन क कारण पतरलखन आरकण करन हत (यातरा क दलए) आवदन पतर - परवश नौकरी आदद क दलए

5१

परशसा पतर

परशसनीय कायया करन क उपलकय म

उद यान दवभाि परमख

अनपयोिी वसतओ स आकषयाक तथा उपयकत वसतओ का दनमायाण - उदा आसन वयवसथा पय जल सदवधा सवचछता िह आदद

अभिनदनपरशसा पतर

परशसनीय कायय क उपलकय म

बस सानक परमख

बरक फल होनर क बाद चालक नर अपनी समयसचकता ता होभशयारी सर सिी याभतरयो क पराण बचाए

52

कहानीकहानी िषखन मद दो क आधार पर कहानी लखन करना शबदो क आधार पर कहानी लखन करना दकसी सवचन पर आधाररत कहानी लखन करना तनमनतिखखि मद दो क आधार पर कहानी तिखखए िरा उसष उतचि शीषयाक दषकर उससष परापत होनष वािी सीख भी तिखखए ः(१) एक लड़की दवद यालय म दरी स पहचना दशकक द वारा डाटना लड़की का मौन रहना दसर ददन समाचार पढ़ना लड़की को िौरवाखनवत करना (२) एक लड़का रोज दनखशचत समय पर घर स दनकलना - वद धाशम म जाना मा का परशान होना सचचाई का पता चलना िवया महसस होना शबदो क आधार पर(१) माबाइल लड़का िाव सफर (२) रोबोट (यतरमानव) िफा झोपड़ी समदर

सवचन पर आधाररि कहानी िषखन करना वसधव कटबकम पड़ लिाओ पथवी बचाओ जल ही जीवन ह पढ़िी बटी तो सखी होिा पररवार अनभव महान िर ह अदतदथ दवो भव हमारी पहचान हमारा राषट शम ही दवता ह राखौ मदल कपर म हीि न होत सिध करत-करत अभयास क जड़मदत होत सजान

5२

तनबधदनबध क परकार

आतमकथातमकचररतरातमककलपनापरधानवणयानातमकवचाररक

(१)सलफी सही या िलत

(२) म और दडदजटल ददनया

(१) दवजञान परदशयानी

(२) नदी दकनार एक शाम

(१) यदद शयामपट बोलन लि (२) यदद दकताब न होती

(१) मरा दपरय रचनाकार(२) मरा दपरय खखलाड़ी

(१) भदमपतर की आतमकथा(२) म ह भाषा

53

गदय आकिन गद य - आकिन- (5० सष ७० शबद)(१) दनमनदलखखत िद यखड पर ऐस चार परशन तयार कीदजए दजनक उततर एक-एक वाकय म हो

मनषय अपन भागय का दनमायाता ह वह चाह तो आकाश क तारो को तोड़ ल वह चाह तो पथवी क वकसथल को तोड़कर पाताल लोक म परवश कर जाए वह चाह तो परकदत को खाक बनाकर उड़ा द उसका भदवषय उसकी मट ठी म ह परयतन क द वारा वह कया नही कर सकता ह यह समसत बात हम अतीत काल स सनत चल आ रह ह और इनही बातो को सोचकर कमयारत होत ह परत अचानक ही मन म यह दवचार आ जाता ह दक कया हम जो कछ करत ह वह हमार वश की बात नही ह (२) जस ः-

(१) अपन भागय का दनमायाता कौन होता ह (२) मनषय का भदवषय कहा बद ह (३) मनषय क कमयारत होन का कारण कौन-सा ह (4) इस िद यखड क दलए उदचत शीषयाक कया हो सकता ह

कया

कब

कहा

कयो

कस

कौन-सादकसका

दकतना

दकस मातरा म

कहा तक

दकतन काल तक

कब तक

कौन

Whहतलकयी परशन परकार

कालावदधवयखकत जानकारी

समयकाल

जिह सथान

उद दशय

सवरप पद धदत

चनाववयखकतसबध

सखया

पररमाण

अतर

कालावदध

उपयकत परशनचाटया

5

54

शबद भद(१)

(२)

(३)

(७)

(६)

(5)

दरिया क कालभतकाल

शबदो क दलि वचन कारक दवलोमाथयाक समानाथटी पयायायवाची शबदयगम अनक शबदो क दलए एक शबद दभननाथयाक शबद कदठन शबदो क अथया दवरामदचह न उपसिया-परतयय पहचाननाअलि करना लय-ताल यकत शबद

शद धाकरी- शबदो को शद ध रप म दलखना

महावरो का परयोगचयन करना

शबद सपदा- वयाकरण 5 वी स 8 वी तक

तवकारी शबद और उनक भषद

वतयामान काल

भदवषय काल

दरियादवशषण अवययसबधसचक अवययसमचचयबोधक अवययदवसमयाददबोधक अवयय

54

सामानय

सामानय

सामानय

पणया

पणया

अपणया

अपणया

सतध

सवर सदध दवसिया सदधवयजन सदध

सजा सवयानाम तवशषषण तरियाजादतवाचक परषवाचक िणवाचक सकमयाकवयदकतवाचक दनशचयवाचक पररमाणवाचक

१दनखशचत २अदनखशचतअकमयाक

भाववाचक अदनशचयवाचकदनजवाचक

सखयावाचक१ दनखशचत २ अदनखशचत

सयकत

दरवयवाचक परशनवाचक सावयानादमक पररणाथयाकसमहवाचक सबधवाचक - सहायक

(4)

वाकय क परकार

रचना की ददषट स

(१) साधारण(२) दमश(३) सयकत

अथया की ददषट स(१) दवधानाथयाक(२) दनषधाथयाक(३) परशनाथयाक (4) आजञाथयाक(5) दवसमयादधबोधक(६) सदशसचक

वयाकरण तवभाग

(8)

अतवकारी शबद(अवयय)

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