e-content master of arts (history) darbhanga house, patna ... · page 1 of 31 e-content master of...

25
Page 1 of 31 E-Content Master of Arts (History) Darbhanga House, Patna University, Patna-800005 Semester-II Course Code-CC-VI Course Name: (History of Europe & Modern World 1919-2000) Unit-IV- World War-II & Its Aftermath (Causes, Impact & UNO) Avinash Kumar Assistant Professor-Department of History Patna College, Patna-800005 6202393206 & [email protected] 1889 (चालş चपिलन और जवाहर लाल नहŀ क ज¾म का साल) मő अĘल महीन की 20 तारीख को दा होन वाल िहटलर न 1945 क अĘल महीन की अ ितम ितिथ को अपन जमōन शफडō क ij और क छ दर पहल औपचािरक ŀप स िववािहत अपनी Ęिमका ईवा Ěाउन क साथ मौत को गल लगा िलया। अपननावी अिभयानŢ मő कभी उसन कहा था िक य धरती सब को खरात मő िमली हई चीज नहŞ ह। जो राÉď और जाित सबस शिĢशाली और कािबल होगी, वही इस पर राज कर गा। जमōन मő अपनश क बाहर Ęभाव-© ē क िलए उसन¾łम शÁद का इÊतमाल िकया था। अगर समानता की बात कर ő तो यह भारतीय Ċ¾थŢ मő वŘणत एक Êक त वा«य-वीर भोया वस धरा- काफी मल खाती ह। म िĥया भŞच कर और चहर की मा सपिशयŢ को स¬त कर जब वह अपन ĘदशōनŢ मő अपनी बात करता था तो उसकी बातŢ मő आकर उसक िवरोिधयŢ को भी उसक वीय प Ŀष हो जान की गलतफहमी हो जाती थी। नौजवान य वा और य वती- चाह जमōनी क हŢ या उसक खािलफ िĚटन क (िहटलर की एक Ęिमका िमटफदō नाम की िĚिटश य वती थी, िजसन वहा भागकर िहटलर स िमलन की बहत कोिशश की थी) लोग भी उसकी वĢ ºव कला क रीद हो गए थ। अपन बचपन क िदनŢ मő वह काफी ज़हीन छाē था और उसकी Êमरण-शिĢ कािबल--तारीफ थी। िकसी भी द गए ĴÈय को वह वषŤ बाद ह -- कागज पर उक रनő मािहर था। उसकी िदली ख़ वािहश थी िक वह एक िचēकार बनऔर कलाकार बहत सजीद होतŔ , भाव क होत Ŕ। स¬त िमजाज बाप स लाड़-¿यार न िमलन की वजह स वह लागातार मा की ओर ŗखचता चला गया िजसकी एक ही ख़ वािहश थी िक उसका बटा पढ़-िलख कर एक इ²जतदार आदमी बन। अपन पित एलॉयस क असमय मरन बाद उसन घर नौकरानी का भी काम िकया तािक उसक जीवन क एकमाē सहार की पढ़ाई-िलखाई मő कोई िदġत न हो। इस कोिशश मő वह अÆसर की मरीज भी हो गई। बाद मő वह ĚÊट क Ŕ सर का भी िशकार बन गई। िहटलर न मा½यिमक िश©ा क बाद िवयना की आµसō एक डमी मő दािखल की भरप र कोिशश की, पर िसफ़ािरश न होन की वजह स वह नाकाम रहा।

Upload: others

Post on 11-Nov-2020

3 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • Page 1 of 31

    E-Content Master of Arts (History)

    Darbhanga House, Patna University, Patna-800005 Semester-II

    Course Code-CC-VI Course Name: (History of Europe & Modern World 1919-2000)

    Unit-IV- World War-II & Its Aftermath (Causes, Impact & UNO) Avinash Kumar

    Assistant Professor-Department of History Patna College, Patna-800005

    6202393206 & [email protected] 1889 (चाल चैपिलन और जवाहर लाल नेह के ज म का साल) म अ ैल महीने की 20 तारीख को पैदा होने वाले िहटलर ने 1945 के अ ैल महीने की अंितम ितिथ को अपने जमन शेफड कु े और कुछ देर पहले औपचािरक प से िववािहत अपनी ेिमका ईवा ाउन के साथ मौत को गले लगा िलया। अपने चनुावी अिभयान म कभी उसने कहा था िक ये धरती सब को खैरात म िमली हुई चीज नह है। जो रा और जाित सबसे शि शाली और कािबल होगी, वही इस पर राज करेगा। जमन म अपने देश के बाहर भाव- े के िलए उसने लेबे म श द का इ तेमाल िकया था। अगर समानता की बात कर तो यह भारतीय थ म व णत एक सं कृत वा य-“वीर भो या वसुंधरा”- से काफी मेल खाती है। मिु याँ भ च कर और चेहरे की मांसपेिशय को स त कर जब वह अपने दशन म अपनी बात करता था तो उसकी बात म आकर उसके िवरोिधय को भी उसके दैवीय पु ष हो जाने की गलतफहमी हो जाती थी। नौजवान यवुा और यवुती- चाहे वे जमनी के ह या उसके मखुािलफ ि टेन के (िहटलर की एक ेिमका िमटफद नाम की ि िटश यवुती थी, िजसने वहाँ से भागकर िहटलर से िमलने की बहुत कोिशश की थी) लोग भी उसकी व ृ व कला के मरुीद हो गए थे। अपने बचपन के िदन म वह काफी ज़हीन छा था और उसकी मरण-शि कािबल-ए-तारीफ थी। िकसी भी देखे गए य को वह वष बाद हू-ब-हू कागज पर उकेरने म मािहर था। उसकी िदली ख़व्ािहश थी िक वह एक िच कार बने। और कलाकार बहुत संजीदे होते ह, भावकु होते ह। स त िमजाज बाप से लाड़- यार न िमलने की वजह से वह लागातार माँ की ओर खचता चला गया िजसकी एक ही ख़व्ािहश थी िक उसका बेटा पढ़-िलख कर एक इ जतदार आदमी बने। अपने पित एलॉयस के असमय मरने के बाद उसने घरेल ूनौकरानी का भी काम िकया तािक उसके जीवन के एकमा सहारे की पढ़ाई-िलखाई म कोई िद त न हो। इस कोिशश म वह अ सर की मरीज भी हो गई। बाद म वह े ट कसर का भी िशकार बन गई। िहटलर ने मा यिमक िश ा के बाद िवयना की आ स एकेडमी म दािखले की भरपूर कोिशश की, परंत ुिसफ़ािरश न होने की वजह से वह नाकाम रहा।

  • Page 2 of 31

    एक बीमार माँ के िलए उसके बेटे की नाकामी एक अिभशाप से कम न थी। कुछ िदन के बाद वह भी भगवान को यारी हो गई। अनाथ और असहाय िहटलर को ढाढ़स बंधाने वाला कोई नह थे। एक यहूदी लड़की से एकतरफा यार म िवफल िहटलर बेकार की बात और नाउ मीदी से िघरा हुआ था। उस व के ऑ या म (ज मजात

    िहटलर जमन न होकर ऑ यन था) सामंती यव था ही थी िजसम सामािजक पृ ठभिूम ही भा य का िनणय िकया करती थी। सामािजक पँूजी के नाम पर िहटलर के पास कुछ भी नह था। ऐसे म उसने उस े का चनुाव िकया िजसम िकसी िसफ़ािरश की ज रत नह थी। बेशक यह े सेना के अलावे कोई हो ही नह सकता था।

    य िक सामािजक पँूजी म धनवान लोग के िलए मौत का बहुत बड़ा होता है। लेिकन ीणकाय और पीनव ी िहटलर को वहाँ िकसी सैिनक अिधकारी की जगह डािकये का काम िमला। लेिकन थम िव -यु के अंत के िदन म उसे फौजी भिूमका म लड़ने का अवसर िमला और जबद त दशन के बदौलत वह वीरता पुर कार-आइरन ॉस-जीतने म कामयाब रहा। इस कामयाबी की वह खुशी मनाता, इससे पहले वह लोरीन गैस का िशकार हो गया और अपनी आखँ का इलाज करवाने केिलए सै य अ पताल म भत हो गया। रोगी-श या पर ही उसने जमनी के आ मसमपण की खबर सनुी। वह खून के घूँट पीकर रह गया। उसने मैदान-ए-जंग म सैिनक के संघष को देखाठा और उसका िव ास था िक आ मसमपण जमन राजनेताओ ंने िकया था, जमन सैिनक ने नह । लेिकन वह कुछ यादा कर पाने की हालत म नह था। उसने वा तिवकता को समझने की बहुत कोिशश की, लेिकन -पेिरस शांित स मेलन म जमनी के साथ िकए गए वस य की संिध की शत और िजस ज़लालत म जमन ितिनिधय को उस पर द तखत करना पड़ा-दोन ने उसके स के बांध को तोड़ िदया और वह ितशोध की वाला म धधकता रहा। िशयन जम दार और सै य अिधकािरय के साथ िमलकर उसने नवगिठत वाइमर सरकार के िखलाफ कई ष ं िकए, पर बार-बार वह नाकामयाब होता रहा और अंतत: जेल म दल िदया गया। जेल म ही उसने अपनी आ मकथा-मीन कै फ़-(मेरा संघष) िलखी। बेहद साफिदल होकर उसने उसम अपनी पूरी भावी योजना का खुलासा िकया। स ा िमलने पर वह मीनकै फ़ म बताई अपनी योजना से र ी भर भी िवचिलत नह हुआ। तानाशाह अपने उ े य को लेकर बड़ ेसाफ होते ह- िहटलर इसका अपवाद नह था। च चल ने “ि तीय िव यु की कहानी” नामक अपनी िकताब म ये माना है िक मीनकै फ़ पढ़नेवाला कोई भी यि िहटलर के अगले कदम का सहज ही पूव नमुान लगा सकता था। महामंदी की शु आत म और वाइमर गणत ारा यु के हरजाने को चकुाने म असमथता जताने के बाद एक बार िहटलर ने रा पित हडेनबग से अनरुोध िकया था िक वे उसे चांसलर बना द तो जमनी की सभी सम याओ ंको वह चटुिकय म हल कर देगा। उस समय हडेनबग ने उसका मखौल उड़ाते हुए कुिटलता और यं य के साथ कहा थी िक वे उसे चांसलर तो बहुत दरू की बात रही, डािकया भी नह बनाएँगे। (िहटलर ने

    अपनी जदगी डािकया के प म ही शु की थी)। पर इसे िक मत का खेल कहा जाय या कुछ और, पूण बहुमत न िमलने के बाद भी उसी हडेनबग ने िहटलर को चांसलर का पद थाली म परोसा और उसे इस पद की शपथ िदलवाई- 30 जनवरी 1933 को। यात य रहे इसी ितिथ को पूरे 15 साल बाद गांधी जी की ह या हुई थी और इसी साल िहटलर के शपथ से 35व िदन सव िधक िदन तक अमरीकी रा पित रहे जवे ट ने अपने पद की

  • Page 3 of 31

    शपथ ली थी। ि तीय िव यु के जो बादल थम िव यु की भ मावतृ चगारी से उठ रहे थे, उसके पटा ेप का आगाज हो चकुा था। मोटे तौर पर ि तीय िव यु एक ितशोधा मक यु था। यह उस शृंखला की अंितम कड़ी था जो

    ांसीसी ा त के साथ शु हुई थी। ांसीसी ा त ने नेपोिलयन को ज म िदया। उसने पूरे यरूोप को र द डाला। ांसीसी सेना जहां भी जाते-रा वाद का संदेश-साथ म जाता। नेपोिलयन ने खुद कहा था िक उसने यरूोप की सोई वत ता की देवी को जगा िदया है। इसी रा वाद से ओत- ोत होकर सबसे पहले ीस और उसके बाद अ य देश -जमनी और इटली- का एकीकरण हुआ। जमनी के एकीकरण के अंितम चरण(1870-71) म जीत के मद म चरू िब माक ने ांस की वस य के राजमहल म भारी बेइ जती कर दी। इसके बाद जमनी से बदला ांस का रा ीय फज बन गया। उसके कलेजे को ठंड 1919 म वस य म सदू सिहत जमनी से बदला लेने के बाद िमला और जमन ितशोध की इसी लहर पर सवार होकर िहटलर ने अपनी मंिजल हािसल की। पर यु के कारण का इतना यादा सरलीकरण सही और उिचत नह है।

    बहरहाल, ि तीय िव यु के िन निलिखत कारण थे:

  • Page 4 of 31

    1. वस य की आरोिपत और अपमानजनक संिध: ि तीय िव यु की समा त पर नाजी पाट के मु य क यरेू बग म यु ापराध के िलए यािधकरण का गठन िकया। नािजय ने िजस रहा के िघनौने अपराध िकए थे, उसके मक़ुाबले मा 11 लोग को ही फांसी दी गई। सजा के इस बेहद िनचले पैमाने को देखकर बहुत लोग को भरोसा नह हुआ, य िक उ ह ने देखा था िक इसी तरह यु शु करने के िलए थम िव यु के बाद जमनी को बहुत कड़ी सजा दी गई थी। िनण यक का मानना था िक एक सीमा से आगे जाकर िकसी परािजत देश के साथ ज़य्ादती करने से ितशोध की शृंखला उ प हो जाती है, जैसा िक जमनी म हो चकुा था।इससे परािजत देश को िवजेता देश से बदला लेने का नैितक आधार िमल जाता है। अब आिखर सवाल उठता है िक थम िव यु के बाद जमनी के साथ या सलकू िकया गया था? थम िव यु के अ त म जमनी और गठब धन देश (अमेिरका, ि टेन, ा स, स आिद) के म य म हुई थी। िम रा ने सव थम जमनी को थम िव यु का अपराधी बताकर उसके ितिनिधय की अनपु थित म वस य संिध का मसिवदा तैयार िकया| मई 1919 ईसवी को संिध का मसिवदा जमन

    ितिनिधय को सौप िदया गया और उ ह धमकी दी गई िक यिद वह इस मसिवदे पर ह ता र नह करगे तो उ ह यु करना पड़गेा| इस मसिवदे पर िवचार-िवमश करने के िलए जमन ितिनिधय को केवल दो स ताह का समय िदया गया। थम िव यु म परािजत होने के प ात जमनी ने 28 जनू 1919 के िदन वस य की स ध पर ह ता र िकये| यह संिध 230 पृ ठ म अंिकत थी और इस संिध प म 15 भाग और 440 धाराएं थी| वस य संिध की मखु धाराएं िन निलिखत थी- 1- ए सस-लॉरेन, मास नेट, यू े न, मा मेडी, अपर साइलेिसआ, मैमल, पोसन आिद देश जमनी से छीन कर ांस, बे जयम, िलथआुिनया तथा पोलड को दे िदए गए| संिध की शत के अनसुार ए सस-लोरेन के देश ांस को वापस दे िदये गये। 2- जमनी के राइनलड का िनर ीकरण कर िदया गया तथा सार घाटी पर ांस का िनयं ण थािपत हो गया| 3- जमनी म सार े कोयला उ पादन के िलए िस था। इस देश की शासन यव था की िज मेदारी रा संघ को स प दी गई, पर त ुकोयले की खान का वािम व ांस को िदया गया था| 3- जमनी के अ ीका तथा एिशया थत सभी उपिनवेश को मडेट यव था के अंतगत िम रा ने आपस म बांट िलया| 4- जमनी िक थल सेना की सीमा एक लाख िनि त कर दी गई तथा जमनी की अिनवाय सैिनक सेवा पर ितबंध लगा िदया गया। 5- जमनी की नौसेना पर कठोर ितबंध लगा िदया गया| अब वह 10000 टन के 6 ह के यु पोत,6 ह की ू जर [ मालवाही जहाज] तथा 12 िव वंसक जहाज ही रख सकता था| उनकी पनडु बयां भी छीन ली गई इन पनडु बय को िम रा को स पने की बात की गई| इसके साथ ही साथ जमन सेना के टाफ को भंग कर िदया गया|

  • Page 5 of 31

    6- जमनी को सबसे अिधक नकुसान पूव सीमा पर उठाना पड़ा। जमनी के डे जग बंदरगाह पर लीकऑफ नेशन का िनयं ण थािपत हो गया|| 7- जमनी की निदयां तथा नील नहर का अंतर ीयकरण कर िदया गया। 8- जमनी पर यु का भारी हज ना थोपा गया और उसे मई, 1921 ई वी तक 5 अरब डालर की धन रािश ितपू त के प म देने को कहा गया| 9- मोर ो, िम , बलुगािरया, चीन आिद से ात जमनी के यापािरक अिधकार को भी समा त कर िदया गया| 10- संिध की 231व धारा के अनसुार जमनी को थम िव यु के िलए के िलए उ रदाई ठहराया गया तथा स ाट कैसर िविलयम ि तीय को यु अपराधी मानकर उस पर मकुदमा चलाने का िन य िकया गया| वस य की संिध को इितहास म “एक लादी गई शांित” अथ “आरोिपत संिध” के नाम से भी जाना जाता है। वस य की संिध कठोर, अपमानजनक, आरोिपत, एकप ीय तथा अ याय पूण थी| इस संिध ारा जमनी को राजनीितक ट से अ थर, सैिनक ट से दबुल, सामािजक ट से अपमािनत तथा आ थक

    ट से पंग ुबना िदया गया था| वस य की स ध को जमनी पर जबरद ती थोपा गया था, इसी कारण से इस संिध को एडो फ िहटलर और अ य जमन लोग इसे अपमानजनक मानते थे| यह स ध ि तीय िव यु के

    मखु कारण म से एक थी। इस संिध से जमनी को िछ -िभ कर िदया गया| इस संिध ने उन लोग की आशाओ ंपर पानी फेर िदया था जो यह कहा करते थे िक यु का अंत शांित का संदेश लाएगा| यह सही अथ म शांित संिध नह थी, यह तो दसूरे िव यु की घोषणा िस हुई| जनरल फाच ने तो संिध- प के िनम ण के समय ही कह िदया था िक- वस य की संिध, संिध न होकर 20 वष का एक िवराम काल है| च चल के अनसुार “इस संिध की आ थक शत इस हद तक कलंकपूण तथा िनबु थी िक उ ह ने ने इसे प टतया िनरथक बना िदया।” िव इितहास के िजन संिधय और उनके भाव की सव िधक चच हुई है, उनम वस य की संिध का िविश ट थान है। सं पे म कहा जाता है िक वस य की संिध िम रा ारा बदले की भावना से जमनी पर थोपी गई थी| इसिलए ऐसा माना जाता है िक वस य की संिध म दसूरे महायु के बीज बो िदये गए थे। लेिकन………….? अ सर देखा गया है िक ि तीय िव यु के के कारण के तौर पर इितहास की अिधकांश िकताब म वस य की संिध का िज िमलता है, िजसम जन न पर इसकी शत के अ यारोपण का भरपूर वणन होता है। लेिकन ांस ने जमनी पर इतनी कड़ी शत य लाद , इसकी पृ ठभिूम का िज न के बराबर रहता है। इितहास कोई घटना मा नह हुआ करता, यह तो घटनाओ ंके एक िसलिसले के प म सदैव गितमान रहा करता है। लईु-14वां ांस राजा हुआ करता था। उसके समय का कोई यरूोिपयन राजा उससे मक़ुाबला नह कर सकता था। सब पर जीत हािसल करने के बाद वह शांित से जीवन िबताना चाहता था, लेिकन उसे हर व सामंत के िव ोह काडसताता रहता था। इससे िनजात पाने के िलए उसने अपने मंि य से सलाह-मशिवरा िकया। सरुा और सुंदिरय की अपनी च परंपरा के अनकूुल ही उसके मंि य ने सलाह दी िक एक ऐश-ओ-आराम से भरपूर महल बनवाये जहां सरुा और सुंदिरय की मु त म उपल धता हो। इसी सलाह के अनु प उसने

  • Page 6 of 31

    राजधानी पेिरस से 20-25 िकमी दरू वस य नामक एक जगह पर शानदार राजमहल बनाया, जहां छोटी-बड़ी हर राजसी सखु-सिुवधा का बाजा ता इतंजाम था। राजा वह पर अपने सामंत के साथ रहने लगा। इितहास गवाह है िक इस महल के बनने के बाद िकसी भी च सामंत ने कभी िव ोह नह िकया। ये तो ततृीय ए टेट और म यम वग के लोग थे िज ह ने 1789 म ा त कर दी। ा त हो, चाहे नेपोिलयन आए, वस य के राजमहल का तबा कभी फीका नह हुआ। च सं कृित और राजनीित इसी के इद-िगद नाचती रही। इसम घाटी हर घटना पर लोग की टकटकी लगी रहती थी। इसी राजमहल का सबसे िविश ट क था-शीशमहल। (भारतीय राजमहल म इसी तज पर रंगमहल का िवधान है-शायद)। इस क म 1871 म िब माक ने जमन सा ा य की घोषणा की थी और पूरे ांस को घटुने टेकने पर मजबरू िकया था। इतने से ही िब माक का िदल नह भरा, ांस को जलील करने के िलए उससे अ सेस और लोरेन का ांत िछन िलया। एक भारी हरजाने की रािश थोप दी गई, िजससे चकुता होने तक जमन सेनाएँ ांस म मौजदू रखी गई।ं समझौते पर ह ता र करने व च ितिनिधय के पीछे िब माक तलवार लेकर खड़ा था। इन नज़ार ने ांसीसी रा पर गहरा असर डाला। यह ांस शु से यरूोिपयन रा म सबसे यादा गव ला और रोबीला रहा है। बेशक अं ेजी के लेखक को सबसे यादा सािह य का नोबल पुर कार िमला हो, पर ि टेन से यादा ांस के लोग को सािह य का नोबल पुर कार िमला है। यहाँ तक िक 1901 म जब पहली बार इन पुर कार का ऐलान िकया गया तो पहले सािह यकार के प म च लेखक सलूी धू का नाम था। अपने सा ा य पर ि टेन का भाव िन ववाद था, पर मु य भिूम यरूोप म ांस का बोलबाला था। उसके बनाए हर पैमाने को पूरे यरूोप म माना जाता था। अं ेज के िखलाफ सौ वष य लड़ाई म 1431 म ही च लड़की जॉन ऑफ ऑक मशहूर हो चकुी थी। उसके ा त के आदश पूरे िव म मा य थे। रा ीय तीक के प म-रा माता, रा ीय झ डा, रा ीय गीत, रा ीय िच न-सब उसी के देन रहे थे। यहाँ तक िक ांस ने ही एकीकरण से पूव के जमन रा य म रा वाद का संदेश फैलाया था। उस ांस के साथ िब माक ने ऐसा कु सत यवहार िकया। इसने ांस को न भरने वाला ज म दे िदया।

    इस के बाद ांस लगातार ितशोध की वाला म जलता रहा। इस रा ीय बेइ जती को न भलूने देने के िलए वहाँ के राजनेताओ ंके साथ-2 सािह यकार , िच कार और कलाकार ने हर संभव कोिशश की। थम िव यु की शु आत के समय ांस के अरा पती रहे रेमंड पोअनकेयर ने अपनी जीवनी म िलखा था, “मेरा पूरा जीवन इस रा ीय बेइ जती का बदला लेने म बीता।” राग-रािगिनय और सरुा-सुंदिरय के रिसया च कलाकार ने भी अपनी भरपूर भिूमका अदा की। िपयरे शॉनेज़ नामक च िच कार ने अपने िनराश लोग म आशा के संचार के िलए “Hope” नामक िच बनाया। 1870 से लेकर 1919-तकरीबन 50 साल के इसी ितशोध की प ट छाप जमनी के साथ की गई वस य की संिध पर पड़ी।

  • Page 7 of 31

    2. रा संघ की असफलता: आज हमारे पास संयु रा संघ के प म एक अंतर ीय सं था है जो वैि क मु का समाधान करती है। इसकी सफलता का सबसे बड़ा पैमाना यह है िक इसने अभी तक तीसरा िव यु नह होने िदया है। ऐसा नह है िक इसकी थापना के बाद यु नह हुए ह, हुए तो ह पर ये एक े म ही िसमट कर रह गए और यएूनओ के ह त पे से उ ह यथासंभव कम समय म रोक िदया गया है। इसके बर स इसका पूववत रा संघ ऐसा करने म सवथा िवफल रहा था, िजसकी पिरणित ि तीय िव यु के प म हुई। वस य संिध के कई ावधान म एक ावधान अंतर ीय सम याओ ंके समाधान के िलए एक वैि क सं था के प म रा संघ (लीग ऑफ नेशंस) की थापना का भी था । यह कहा गया था िक “इसका उ े य के तांडव से आने वाली पीिढ़य की र ा करना है, संसार को जातं के िलए सरुि त थान बनाना है और एक ऐसी शांित की थापना करना है जो याय पर आि त हो।” कत ुयह मानवता का दभु य था िक रा संघ अपने महान आदश , मह वाकां ी सपन और उ े य की ा त म सफल नह हो सका। रा संघ की असफलता के कारण िन निलिखत थे- उ रा ीयता – रा संघ की िवफलता का एक कारण िविभ रा की उ रा ीयता थी। येक रा वयं को सं भ ुसमझते हुए अपनी इ छा अनसुार काय करने म िव ास करते थे। कोई भी रा अंतर ीय शांित एवं सरु ा के िलए अपने भसु ा पर िकसी का िनयं ण थािपत करने को तैयार नह था। रा संघ के मौिलक िस ांत भले ही नये थे, कत ुउनके सद य रा परंपरागत रा ीयता की संकीण िवचार पर िव ास करते थे। सावभौिमकता का अभाव – िव शांित के िलए आव यक था िक िव के सभी देश रा संघ के सद य होते, कत ुऐसा नह हो सका। ारंभ म सोिवयत संघ और जमनी को संगठन से अलग रखा गया। 1926 म जमनी को इसका सद य बना िदया गया, कत ुकुछ समय प ात ाज़ील और को टािरका इससे अलग हो गए। 1933 म जापान और जमनी ने इसकी सद यता यागने का नोिटस दे िदया। 1934 म स इसका सद य बना। 1937 म इटली ने इसकी सद यता यागने का नोिटस दे िदया। 1939 म सोिवयत संघ को रा संघ से िनकाल िदया गया। इस कार रा संघ के 20 वष के जीवन म ऐसा कोई अवसर नह आया, जब िव के सभी देश इसके सद य रहे हो। अमेिरका का सद य न बनना – अमेिरकन रा पित वु ो िव सन ने रा संघ की थापना म मह वपूण भिूमका िनभाई कत ुअमेिरका सीनेट ने सद यता के ताव को अ वीकार कर िदया। इसिलए रा संघ को अमेिरका का सहयोग नह िमल सका। अमेिरका का रा संघ का सद य बनने के कारण संगम के जीवन पर िन निलिखत भाव पड़ े– रा संघ को अमेिरका की आ थक और सैिनक शि से वंिचत होना पड़ा, िजससे उसकी शि कम हो गई। अमेिरका के बाहर रहने से रा संघ िव यापार संगठन नह बन सका।

    अमेिरका के सद य न बनने से जो रा अपनी आशाए ंऔर इ छाए ंपरूी नह कर पाए वे रा संघ से अलग होने लगे।

  • Page 8 of 31

    अमेिरका के अभाव म ासं को दी गई एं लो-अमरीकन गारंटी यथ हो गई और अपनी सरु ा के िलए ासं ने गटुबंिदय का सहारा िलया। िजससे रा संघ और िव शािंत पर बरुा भाव पड़ा।

    रा संघ अमरीकी रा पित िव सन का िवचार-िशश ुथा। लेिकन कां ेस ने अमरीका को इसका सद य बनने से मना कर िदया। रा संघ की तरह ही संयु रा संघ की भी थापना म अमरीका म सबसे अ णी भिूमकािनभाई। उसके सद य मा बने रहने और समिुचत सहायता देते रहने से यएूनओ अब तक कामयाब है, पर अमरीकी सद यता और सहायता के िबना रा संघ बेमौत मारा गया। रा संघ की िवफलता का सबसे बड़ा कारण अमरीका सद य न बनना था, तभी तो िकसी इितहासकार ने कहा था, “रा संघ अमरीका की संतान था िजसे ज म लेते ही उसने यरूोप के दरवाजे पर छोड़ िदया था। ”

    रा संघ ारा यु रोकने की ढीली यव था – रा संघ के िवधान ारा यु रोकने की ढीली ढाली की यव था की गई थी। संिवदा की धारा 15 म अंतर ीय िववाद को िनपटाने की जो यव था थी, वह बहुत देरी करने वाली थी। िवचार-िवमश म ही काफी समय बीत जाता था और तब तक आ मणकारी को यु की तैयारी करने का मौका िमल जाता था। धारा 16 के अंतगत भी कोई शि पूण कायवाही तब तक नह की जा सकती थी जब तक रा संघ यह घोषणा न कर दे िक कोई रा य ने संघ िवधान का उ ंघन करके यु की घोषणा की है। यु होने पर भी कोई रा य अपना बचाव यह कहकर कर सकता था िक यु मने शु नह िकया है। इस कार जानबझूकर की गई यु को रा संघ रोक नह सका। घृणा पर आधािरत – रा संघ की थापना का आधार घणृा थी, य िक यह संघ वस य संिध की ही देन थी। वस य संिध की थम 26 धाराए रा संघ का िवधान थी। इस कार यह रा संघ का अिभ अंग था। परािजत रा इस संिध को घणृा की ट से देखते थे और उसे अ याय का तीक मानते थे। अतः रा संघ के ित उनकी टकोण अनदुान हो गई। इस कार वस य संिध का अंग मानकर जमनी ने रा संघ को भी अ वीकार कर िदया। इन सब कारण का स मिलत भाव यह रहा िक रा संघ अपने सबसे बड़ ेदािय व यु को रोकने म नाकामयाब रहा।

  • Page 9 of 31

    3. िन: श ीकरण की िवफलता: िन:श ीकरण की अवधारणा इस बात पर आधािरत है िक श सै य बल को िवघिटत कर देने तथा आयधु को समा त कर देने पर ऐसा अंतर ीय पय वरण िवकिसत होगा, िजसम यु के थान पर शा त के िलए मह वपूण थान होगा। इस कार - “िन:श ीकरण उस महािवनाश को रोकने का एक यास है जो यु के प म अिभ यि ा त करता है और िजससे स पूण मानवता की हािन होती है।” माग थो ने िन:श ीकरण को पिरभािषत करते हुए कहा है - “श दौड़ को समा त करने के उ े य से िवशेष या उसी

    कार के श की समा त या कटौती िन:श ीकरण कहलाती है।” रा संघ के संिवधान म धारा 8 के अंतगत शा त थापना के िलए रा ीय शा को रा ीय सरु ा के अनु प कम करने के िलए िन:श ीकरण समझौत का यास करने का ावधान िकया गया। लीग की सद यता हण करने वाले देश को श िनयं ण को वीकार करने की शत वीकार करना अिनवाय था। 28 जनू 1919 की वस य संिध को वीकार करने वाले देश ने रा संघ के सद य के प म अपनी सैिनक शि म कमी लाने का थम यवहािरक यास िकया। इसके अंतगत िवजेता रा ारा हारे हुए देश का अिनवाय िन:श ीकरण िकया। रा संघ ने अपनी िन:श ीकरण की काय योजना को यावहािरक प देने के िलए िन निलिखत यास िकए- 1। थायी परामशदाता आयोग - रा संघ ने िन:श ीकरण ताव ततु करने के िलए जनवरी, 1920 म थायी परामशदाता आयोग की थापना की। िवशु सैिनक संगठन होने के नाते यह िन:श ीकरण की सम याओ ंपर ग भीरतापूवक िवचार नह कर सका। इसिलए नव बर, 1920 म इसम 6 असैिनक सद य को शािमल करके इसे अ थायी िमि त आयोग म बदल िदया गया। अत: इससे िन:श ीकरण की िदशा म अिधक गित नह हुई। जेनेवा ोटोकोल - इसका उ े य म य थता ारा सरु ा और सरु ा से िन:श ीकरण के यास करना था। 15 जनू, 1925 को ोटोकोल का अनसुरण करते हुए सामा य िन:श ीकरण स मेलन बलुाने पर िवचार िवमश हुआ लेिकन गेर्ट ि टेन ने इसे वीकार नह िकया। इस यास रा संघ ारा जेनेवा ोटोकोल यव था के तहत िकया गया िन:श ीकरण का यास असफल हो गया।

    स जीकरण आयोग - 1924 म अ थायी िमि त आयोग ारा काम करना ब द कर देने पर इसकी जगह रा संघ ने स जीकरण आयोग की थापना की। इसका काय िन:श ीकरण स मेलन के िलए तैयारी करना था। इस आयोग ने 1930 तक िन:श ीकरण मतभेद को दरू करने म कोई मह वपूण उपल ध हािसल नह की। 1930 म यापक िवचार िवमश के बाद इस आयोग ने अपनी काय योजना का ढांचा पेश िकया। इस योजना की मु य बात थी:

    1. रासायिनक तथा जीवाण ुफैलाने वाले यु पर रोक लगाई जाए। 2. थल यु की साम ी का मा मक तथा गणुा मक पिरसीमन िकया जाए। 3. अिनवाय सैिनक सेवा को िनि त सीमा तक कम िकया जाए। 4. हवाई अ को अ -शि के आधार पर सीिमत िकया जाए। 5. थायी िन:श ीकरण आयोग की थापना की जाए।

  • Page 10 of 31

    जेनेवा स मेलन - स जीकरण आयोग की मखु बात को ही यान म रखकर 13 फरवरी, 1932 को रा संघ का िन:श ीकरण स मेलन जेनेवा म हुआ। इसम 61 रा के 232 ितिनिधय ने अपने 337

    ताव सिहत भाग िलया। य िप यह स मेलन िन:श ीकरण की िदशा म एक यव थत यास था लेिकन मंचिूरया संकट की काली छाया भी इस पर पड़ी। इस स मेलन म इन बात पर िवचार हुआ।

    1. आ मणकारी को कठोरतापूवक सजा देना तथा पंचिनणय को अिनवाय बनाना। 2. िववाद को म य थता ारा हल करना। 3. रा संघ की सरु ा मक शि का िवकास अथ त द डा मक सेना का िनम ण 4. लेिकन पर पर सहयोग की भवना के अभाव के कारण यह स मेलन असफल रहा।

    इस स मेलन म येक देश अपनी-अपनी धाक जमाने की िफराक म था। जमनी ने श म समान कटौती का िवचार रखा। उसने कहा िक वस य की स ध के अनसुार जो अ याय उसके साथ हुआ था उसे समा त िकया जाए। अब उसे भी अ य यरूोपीय शि य के समान ही सै य शि का िवकास करने का अवसर िमलना चािहए। जब उसकी बात को मानने से इकंार कर िदया गया तो उसने रा संघ के इस िन:श ीकरण स मेलन से दरू होने की घोषणा कर दी। इस कार रा संघ के सद य देश के भेदभावपूण यवहार व गलत नीितय के कारण िन:श ीकरण के इस यव थत यास को गहरा आघात पहंुचा।

    रा संघ के बाहर िकए गए यास 1919 से 1939 तक िविभ देश ने िव शांित को बढ़ावा देने के उ े य से आपस म अनेक वात एं की िजससे िन: श ीकरण को बढ़ावा िमला। इस दौरान िकए गए िन: श ीकरण के यास ह – वा शगटन नौ सैिनक स मेलन - यह स मेलन 12 नव बर, 1921 से 6 फरवरी, 1922 तक वािशगंटन (अमेिरका) म हुआ। इस स मेलन म सात स धयां की गई। इसम संयु रा य अमेिरका ने भी रा संघ का सद य न होते हुए भी ि टेन, ांस, इटली, बै जयम, हॉलड, पुतगाल, चीन व जापान के साथ भाग िलया। इस स मेलन का उ े य िविभ देश म नौ सेना के िव तार के िलए अंतर ीय शा त म बाधक ित पध को रोकना था। इस स मेलन म ‘नौसैिनक ित पध पिरसीमन स ध पर सभी देश ने ह ता र िकए। इस स ध म नवीन िवशाल नौ सैिनक पोत बनाने; अ े थािपत करने, वतमान नौ सैिनक अ की नए िसरे से िकला ब दी करने पर सहमित हुई। लेिकन इस स मेलन म पनडु बय ; छोटे यु पोत , िव वंसक के स ब ध म कोई आम राय नह बन सकी। ांस ने इस स ध का समथन नह िकया। इसिलए इसका यापािरक प नह बन सका और अंतर ीय नौ-सैिनक शि य म िनणय ित पध जारी रही। जेनेवा नौ-सेना स मेलन - अमेिरका की पहल पर 1927 म एक नवीन नौ सैिनक समझौता करने हेत ुजेनेवा म स मेलन बलुाया गया। ांस व इटली इसम शािमल नह हुए। अमेिरका, जापान व ि टेन के म य िवचार िवमश तक ही यह स मेलन िसमटकर रह गया। इन तीन देश म भी आपस म आप सहमित नह बन सकी। अत: यह स मेलन भी अपने उ े य को ा त करने म असफल रहा। ल दन नौ-सेना स मेलन - 1927 के जेनेवा स मेलन के असफल रहने पर नवीन यास के प म थम ल दन नौसेना स मेलन 21 जनवरी 1930 को ार भ हुआ। इस स मेलन म नौ सैिनक शि को समतु यता के आधार पर घटाने के िलए सभी देश को कहा गया। इटली ने ांस के साथ, जापान ने ि टेन तथा अमेिरका

  • Page 11 of 31

    के साथ समतु यता शि को घटाने पर िवचार िकया। इसम हुए स ध के कारण अमेिरका तथा जापान ने ि टेन के साथ िमलकर ू जर , िव वंसक तथा पनडु बय म भार वाहक मता को सीिमत करना वीकार िकया। ांस तथा इटली ने इस स ध पर अपनी असहमित य की। इस स ध की मखु बात थ :

    1. इस स ध के अनसुार ि टेन ने 5, अमेिरका ने 3 तथा जापान ने 1 बड़ा यु पोत न ट करने पर सहमित जताई।

    2. पांच महाशि य ने 1936 तक नए यु पोत के िनम ण पर रोक लगा दी। 3. सामा य यु पोत पर 5।1 इचं से अिधक तथा बड़ ेयु पोत पर 6।1 इचं से अिधक यास की तोप न

    लगाने पर सहमित हुई। 4. इसम पनडु बय का आकार 2000 टन तक घटाने पर समझौता हुआ। लेिकन इस स ध का एक दोष

    यह था िक इसकी एक धारा म ह ता र करने वाले देश को यह अिधकार िदया गया था िक यिद अंतर ीय थित खराब हो जाती है तो स धकत देश िफर से श का िनम ण कर सकते ह। यही

    ावधान इसकी असफलता का सबसे बड़ा कारण था। ि तीय लंदन नौ-सेना स मेलन - इसका यास 1935 म अ तम प से साकार हुआ। यह स मेलन 9 िदस बर, 1935 से आर भ होकर 25 माच 1936 तक चला। इस स मेलन म सभी महाशि य ने भाग िलया। इस स मेलन म जापान ने ि टेन और अमेिरका के बराबर जल सेना रखने की मांग की। थम स मेलन की तरह यह भी पर पर िवरोधी मांग का अखाड़ा मा बन गया। इटली ने भी ांस के साथ नौ सैिनक शि की समतु यता की मांग की। इस तरह जापान और इटली ने इसम कोई सहयोग नह िदया। इस स ध पर केवल अमेिरका, ि टेन तथा ांस ने ही ह ता र िकए। लेिकन जापान और इटली के सहयोग के िबना यह स मेलन अिधक सफल नह रहा। इस स मेलन म भाग लेने वाले देश ने केवल भिव य म नौ-सेना िनम ण स ब धी काय म की सचूनाओ ंका पर पर आदान- दान करने का िनणय िकया। इस कार इस दौरान िकए गए स धयां व समझौते िकसी बा यकारी शि के अभाव के कारण असफलता का ताज बनते गए और िव के अनेक देश म पर पर वैमन य की भावना बढ़ती रही। सभी महाशि य ने श दौड़ को जारी रखा। अ त म श ित पध ने अंतर ीय स ब ध म कटुता पैदा कर दी और इसकी पिरणित ि तीय िव यु के प म हुई। इन यास की िवफलता के पीछे का एक बहुत बड़ा कारण सद य रा की उ े य के ित अ यमन कता रही। एकजटु होकर यास करने की जगह वे सब एक-दसूरे का पैर ख चने म लगे थे। हर िकसी की ितरछी िनगाह दसूरे को िगराने पर िटकी थी। अपने आपको िनयंि त करने की जगह सब दसूरे को िनयंि त करना चाह रहे थे। इस थित पर कटा करते हुए एक पेिनश समाजवादी ितिनिध माि यागा ने एक बैठक म बड़ी िदलच प कहानी सुनाई थी: एक बार जंगल म बढ़ती हसा को देखते हुए जानवर ने एक सभा बुलाई। िहरण ने कहा िक शेर के दाँत और नाखून काट देने चािहए। शेर ने खा िक िहरण के तेज दौड़ने पर ितबंध लगा िदया जाय। चहू ने कहा िक साँप के जहर िनकाल देने चािहए। छोटे जानवर ने कहा िक हाथी और गडे को छोटा बना देना चािहए।” अथ त कोई अपनी ताकत को घटाना नह चाह रहे थे। तय था ऐसे माहौल म िन:श ीकरण के यास मगृ-मरीिचका ही सािबत होते।

  • Page 12 of 31

    4. तु टीकरण की नीित: येल इितहासकार पाल केनेडी ने तु टीकरण की पिरभाषा “ झगड़ को िनपटाने के एक रा ते के प म की है जहाँ लोग को ता कक बाचीत और समझौते के ारा िशकायत को स तु ट कर मंहगे, खून खराबे यु और स भवत: काफी भयानक सश संघष को बचाया जाता है।’’ थम िव यु के बाद पेिरस म शांित-स मेलन का आयोजन िकया गया था। इस संिध म यूं तो िव के कई कई देश के ितिनिध (बीकानेर के महाराज गंगा सह भी)शािमल हुए थे, परंत ुसब देश का मह व बराबर नह था। ि टेन के धानमं ी लॉयड जॉज, अमरीकी रा पित िव सन, ांसीसी धानमं ी लीमश,ू

    इतालवाई धानमं ी ऑरलडो, जापानी िवदेशमा ी मैिकनो-ये पाँच अित मह वपूण यि व थे। इन लोग ने िमलकर शांित स मेलन को मतू प िदया। लेिकन इन सभी लोग के उ े य म भारी िवरोधाबहस मौजदू था। ांस को अपनी रा ीय सरु ा की चता साता रही थी तो ि टेन सी ा त के बाद सा यवाद के बढ़ते खतरे से बेहद परेशान था। अमरीकी संसद य त: िकसी तरह के यरूोपीय यु म अपने को फँसाने के स त िखलाफ था। जापान की नजर अपने कमजोर पड़ोिसय पर थी। इटली उ री अ ीका और यमू पर नजर

    गड़ाए हुए था। िफर सामने से वे अपने आपको इक ा दीखाना चाहते थे। लेिकन शांित स मेलन िनबट जाने के बाद सब के िवरोधाबहस सामने आ गए। कां ेस ने अमरीका को रा संघ का सद य बनने की मंजरूी नह दी। मा 3 वष बाद मसुोिलनी के अ यदुय से इटली भी अपनी राह पर चला गया। जापान का लेना-देना िसफ चीन से रह गया था। बचे िसफ ि टेन और ांस-िजन पर सारा दारोमदार था इस संिध को बचाने का। ांस ने वस य की संिध की शत को बेहद कठोर बना िदया था। अपनी रा ीय सरु ा की चता के

    आधार पर जमनी के साथ की गई यादती की वह वकालत करता रहा। पर या ि टेन भी जमनी के बारे म ऐसा ही याल रखता था? इसका उ र था-िबलकुल नह ! मु य भिूम यरूोप म स ा-संघष जमनी और ांस के बीच था। इसिलए जैसे-जैसे जमनी कमजोर होता जाता, वैसे-वैसे ांस मजबतू होता जाता। अगर मजबतू जमनी थम िव यु म ि टेन के िलए खतरा बना था तो उसके पहले का इितहास बताता है िक जब-जब ांस

    मजबतू हुआ, उसने ि टेन के िलए मु कल खड़ी क । नेपोिलयन ने तो ि टेन की नाकेबंदी तक कर दी थी। इसिलए परािजत जमनी के ित ि टेन का वैसा नजिरया नह था, जैसा नजिरया ांस का था। साथ ही, उस समय तक िव की सबसे बड़ी सा ा यवादी ताकत ि टेन था, जो चाहता था िक जमनी िसफ नौसैिनक शि का िव तार न करे, जमनी की बाकी कोिशश से उसका यादा सरोकार नह था। वह पि मी यरूोप म सा यवाद के सार के िखलाफ जमनी को एक ढाल के प म इ तेमाल की संभावना तलाश रहा था।

    िसफ जमनी ही नह , अ य देश के साथ भी इसी तरह का रवैया अपनाया। जैसे इटली और जापान के साथ।

  • Page 13 of 31

    इटली के साथ ि टेन की तु टीकरण की नीित

    ि टेन अपने िव यापी सा ा य, अंतर ीय यापार को कायम रखने के िलए भमू य सागर के े

    एवं सदुरू पूव को भी खतर से सरुि त रखना चाहता था। जो इटली के सहायता के िबना अ यंत किठन

    काय था।

    इसिलए ि टेन ने अ ीका म इटली के िव तार को ो सािहत िकया तथा जब मसूोलीनी ने यथूोिपया

    पर हमला कर उस पर िनयं ण थािपत कर िलया तो ि टेन ने इसे नजरअंदाज कर िदया।

    ि टेन ने लीग ऑफ नेशन ारा इटली पर लगाए गए आ थक ितबंध का पूण प से पालन नह होने

    िदया।

    जापान के साथ तु टकरण

    इं लड सदुरू और दि ण पूव एिशया म अपने यापािरक िहत की र ा के िलए जापान से द ु मनी नह

    लेना चाहता था।

    इसिलए इं लड ने मंचिूरया संकट से लेकर चीन-जापान यु की घटनाओ ंको नजरअंदाज िकया।

    पेिरस शांित स मेलन के कुछ वष बाद ही ि टेन के जमनी के ित झकुाव से ांस को रोष होना शु

    हो गया था। ि टेन के इस बदले-बदले ख से ांस अजीब पेशोपेश म पड़ गया। उसे समझ म नह आ रहा था

    िक यु म तो वह ांस के साथ रहा, यु समा त होने पर वह जमनी की तरफदारी य करने लगा? इस अजीब

    थित को उस समय के िकसी इितहासकार ने बड़ी सटीक उपमा के साथ बताया था: ि टेन और ांस उस वृ

    दंपि की तरह थे, जो झगड़ते तो रहते ह पर कभी जदुा नह हो सकते ह।” इसी का नतीजा था िक एक िदन खुद

    ांस ि टेन की बात म आ गया और तु टीकरण की नीित का आलम ये रहा िक यूिनख समझौते म खुद ांस

    ने िहटलर की नाजायज मांग को मान िलया।

  • Page 14 of 31

    5. ऑ या का अिध हण:

    िब माक के नेतृ व म जमनी के एकीकरण से पूव जमन रा य पर ऑ या का िनयं ण हुआ करता

    था। ऑ या का राजा हैबसबग वंश का ितिनिध था िजसका संबंध शालमान से था जो कभी पिव रोमन

    सा ा य का स ाट हुआ करता था। महारानी मािरया थेरेसा और चांसलर मेटरिनख के समय पूरे यरूोप म

    ऑ या का बोल-बाला था। लेिकन शा के हाथ हार (1866) के बाद उसकी थित म लगातार िगरावट

    आती गई। थम िव यु तो उसी के राजकुमार की ह या का बदला लेने के िलए शु िकया गया था।

    िहटलर ने िजस लेबेन म का पालन िकया, उसम एक जमनभाषी रा का वो भी जमनी की सीमा पर

    अलग रहना नानमुिकन था। ज मजात िहटलर ऑ यन ही था। लेिकन पेिरस शांित स मेलन के शि -

    संतलुन के िस ा त की वजह से वह य प से ऑ या को जमनी म नह िमला सकता था। इसके िलए

    थितयाँ बनाने की शु आत िहटलर ने चांसलर बनने के साथ शु कर दी थी। ऑ या और जमनी के बीच

    ेनर दर था जहां पर इतालवी सेना तैनात थी। मसुोिलनी िस ांतत: उसका दो त था। इसिलए कोई िद त

    होनेवाली नह थी। अब काम बाकी था-िहटलर के कदम उठाने पर िवरोध करनेवाले ि टेन और ांस के ख

    को जानने की। यह मौका पेिनश गहृ-यु के समय िमला जब यु से भागने और डरने की ांस और ि टेन

    की कमजोरी का पता चल गया। तीसरा काम बाकी था -ऑ या के अंदर एक समाना तर िवरोधी खेमा तैयार

    करना जो सरकार के सामने ऐसी मांग रखे िजसे वो पूरा करने म असमथ हो। इसके िलए वहाँ नाजी दल बनाया

    गया, िजसका नेता इं वाट था। अपने सरकारी आवास पर िहटलर ने एक बार ऑ यन चांसलर शशुिनग

    को बलूाककर इं वाट को अपने मंि मंडल म रखने को बा य िकया। शशुिनग ने ऐसा िकया भी, लेिकन

    ग यावरोध लगातार बढ़ते जाने से अंतत: उसने यागप दे िदया। ऐसे म इं वाट वहाँ का चांसलर बना और

    उसने औपचािरक प से जमनी को ऑ या म अपनी सेना भेजने का िनमं ण िदया। खून का एक कतरा

    बहाये िहटलर ने ऑ या को जमनी म िमला िलया और पूरी दिुनया यह नंगा नाच खामोश होकर देखती रही।

    इस अिध हण पर ि िटश धानमं ी चे बरलेन ने संसद म चेताया था, “हम और अ य छोटे रा को

    इस मगुालते म नह रहना चािहए िक यु के समय रा संघ हम बचाने आयेगा।” इससे और आगे बढ़ते हुए

    च चल ने भी चेताया था, “ िवयना पर जमन के भु व के कारण नािजय के िलए दि ण-पूव यरूोप खुल गया

    है। ” भावी घटनाओ ंसे इस बात को सच सािबत कर िदया। ऑ या पर क जा िसफ एक देश को िमलाना

    नह था, इससे िहटलर के अगले कदम को दशा और िदशा िमल गई।

  • Page 15 of 31

    6. यिूनख समझौता: पेिरस शांित स मेलन के बाद यरूोप म कई देश का अ त व सामने आया, चेको लोवािकया उनम से

    एक था। य िप इसकी अिधकांश आबादी लाव और चेक थी, पर तीन ओर ऑ या और जमनी से िघरे होने

    की वजह से सीमांत देश म जमनभािषय की काफी तादाद थी। अपनी िव तारवादी योजना के तहत जब

    िहटलर ने लेबे म को उछाला िजसके तहत यरूोप के सभी जमनभाषी े को एक शासन-सू म िपरोना था

    तो चेको लोवािकया के िलए एक असहज थित पैदा हो गई। लेबे म के तहत पहले िहटलर ने ऑ या को

    िमला िलया। इसने चेको लोवािकया को वाभािवक प से अगला िनशाना बना िदया। िहटलर की उसके ित

    मंशा पहले से ही साफ थी और वहाँ अपने ह त पे की संभावना पैदा करने के िलए उसने वहाँ नाजी पाट का

    संगठन खड़ा करवा िदया। हेनिलन उसका नेता था। िहटलर की शह पर उसने चेक सरकार के आगे ऐसी मांगे

    रखी िज ह उसके िलए मानना असंभव था। इस ग यावरोध को मनुािसब मोड देने के िलए िहटलर ने ि टेन,

    ांस और इटली को अपनी तरफ िमलाया। ि टेन पहले ही जमनी के ित सहानभुिूत रखने लगा था। अपनी

    िचरशा त तु टीकरण की नीित के अनु प ि टेन के दबाब म ांस और इटली ने यिूनख समझौते पर हामी

    भारी। यिूनख समझौते म जमनी को यह छूट दी गई थी िक वह सडे टेलड को अपने म िमला दे। सडे टेलड

    उस समय चेको लोवािकया के अ दर आता था।इस समझौते पर जमनी, फ़ांस, इटली और ेट ि टेन ने

    िसत बर 29-30, 1938 को ह ता र िकये थे। अतः इस समझौते म उसको भी शािमल करना चािहए था, पर त ु

    ऐसा नह हुआ। आगे चलकर चेको लोवािकया को यह समझौता वीकार करना पड़ा य िक इसके िलए

    उसके सै य गठजोड़ वाले िम देश ेट ि टेन और ांस दबाव डाल रहे थे।

    यह अिध हण 1938 के अ टूबर 1-10 के बीच चार चरण म िकया जाना था। कुछ े का अिध हण

    जनमत सं ह के बाद ही होना था।चेको लोवािकया से यह अपे ा की गई थी िक वह अपनी सेना और पुिलस

    म कायरत सडेुटेन जमन (यिद वे ऐसा चाह) और सभी सडेटेन जमन बंिदय को यिूनक समझौता होने के

    चार स ताह के अ दर मु कर दे। लेिकन अधीर िहटलर के िलए संयम का कोई मह व नह था। उसकी े ीय

    आकां ाएँ ऑ या को िमलाने के बाद बढ़ गई थी और वह यथाशी चेको लोवािकया को हड़पना चाहता

    था। यिूनख समझौते का आधा वष भी नह हुआ था िक िहटलर अपने वचन से मकुर गया और पूरे

    चेको लोवािकया पर आ मण कर िदया। यह से ि तीय िव यु का सू पात हो गया।

    प टत: यिूनख समझौता एक तु टकरण की कारवाई थी िजसका लाभ एडो फ िहटलर ने अपनी

    सा ा यवादी आकां ाओ ंको पूरा करने के िलए उठा िलया। इससे इस स ाई का पता चलता है िक िकसी भी

  • Page 16 of 31

    िव तारवादी तानाशाही को िकसी तु टकरण के ारा संभाला नह जा सकता है। बेहद सामा य प म कहा

    जाय तो िहटलर जैसे तानाशाह की हर मांग को उसकी अंितम मांग मानने की बात उस खुशफहमी जैसी थी

    िजसम एक कु े से उ मीद की जाती है िक 10 िदन तक लगातार भरपेट गो त खाने के बाद 11व िदन वह

    शाकाहारी हो जाएगा।

    यिूनख समझौता एक ऐसी पिरघटना थी िजस पर गांधी जी ने भी अपनी ितकृया य की थी।

    चेको लोवािकया के साथ हुए धोखे और ि टेन की घतृरा वादी नीित पर गांधी जी ने कहा था, “एक िदन की

    खुशी के िलए यरूोप ने अपनी शा त शांित खो दी। ” इतना ही नह समझौते के द तावेज़ को िदखाते हुए ही ो

    हवाई अ े से उयतरने के बाद नेिवल चे बरलेन ने कहा, “मने अपने देश के िलए शांित थािपत कर ली है।”

    चेको लोवािकया के मानिच को िदखाते हुए उसने संसद म कहा था, “चार तरह जमनी के जबड़ ेम िघरे

    चेको लोवािकया को बचाना नानमुिकन था। एक दरू देश िजसके लोग से हमारा कोई लेना-देना नह , उसकी

    र ा के िलए यु म जाना कोई सही फैसला नह होता।” ि टेन जैसे दिुनया पर राज करनेवाले देश के

    धानमं ी का ऐसा बचकाना बयान एकबारगी अिव ासनीय लगता है। लेिकन या स ाई थी। उस समय के

    ि टेन का राजनीितक माहौल ही ऐसा था िक यु से बचने के िलए अदा की गई हर कीमत बहुत कम लग रही

    थी। लेिकन बेहद दरूदश राजनेता के प म िवप ी च चल ने संसद म कहा था, “महोदय! आपको यिूनख म

    बेइ जती और यु म चनुाव का मौका िमला था। आपने बेइ जती का चनुाव िकया है। लेिकन आप यु से

    नह बच पाएंगे।” इितहास इस बात का सा ी रहा है िक धानमं ी से यादा सटीकता का आकलन िवप ी

    नेता ने िकया था। इसी च चल ने बाद म िहटलर के हर मंसबेू पर पानी फेर िदया था।

  • Page 17 of 31

    7. फासीवादी शि य का इटली म उदय फासीवाद एक राजनीितक िवचारधारा है िजसका उदय मसुोिलनी ारा इटली को ाचीन रोमन सा ा य की तरह पनु: महान बनाने की भखू के साथ हुआ। फासीवाद मु यत: अितरा वाद पर आधािरत है, िजसका यान लोग को िनयंि त करने के िलये सै य शि के योग पर कि त है। यह सै य आदश पर आधािरत है िजसम साहस, आ ाकािरता, अनशुासन और शारीिरक द ता स मिलत है। 1919 के प ा इटली एवं जमनी म फासीवाद एवं नाजीवाद के उदय के अनेक कारण को इिंगत िकया जा सकता है। जैसे- मसुोिलनी की यि गत मह वाकां ाए ँ एवं उसका किर माई यि व, पेिरस शांित वात म दोन देश की माँ◌गं का सही ितिनिध व न होना आिद। कतु

    समकालीन यरूोपीय एवं इटली-जमनी की पिर थितय ने फािस ट शि य के उदय को संभव बनाने म मह वपणू भिूमका िनभाई। इन पिर थितय को िन निलिखत प से समझा जा सकता है:

    थम िव यु के प ा इटली की अथ यव था लगभग चौपट हो गई थी। महँगाई और बेरोज़गारी की दर उ थी। ऐसे म मसुोिलनी के किर माई यि व ने उ ह सम याओ ंसे बाहर िनकलने की आशा दी।

    थम िव यु के समय इटली को िम रा ने अपने प म करने के िलये अनेक वादे िकये। कत ुपेिरस शांित स मेलन म इटली के साथ अलगावपणू यवहार िकया गया। इससे इटली वयं को ठगा महससू करने लगा। फल व प फािस ट शि को उ ेरण िमला।

    इटली िनवािसय के असंतोष को दरू करने तथा सा ा य सार के उ े य को लेकर मसुोिलनी ने फािस ट दल के नेतृ व म अिधनायकवादी स ा की थापना की।

    रा संघ की असफलता ने सामिूहक सरु ा णाली को ठेस पहँुचाई। मसुोिलनी ने फािस ट दल के नेतृ व म अिबसीिनया पर आ मण िकया और रा संघ के आदेश की अवहेलना की।

    िन:श ीकरण के यास की िवफलता ने फािस ट दल की श ीकरण की नीित को बढ़ावा िदया।

    इं लड और ांस की तु टीकरण की नीित ने फािस ट शि को नाज़ी शि के साथ आने का अवसर िदया।

    इस कार िन कष प म कहा जा सकता है िक इटली एवं जमनी म फािस ट शि य के उदय के िलये समकालीन यरूोपीय पिर थितयाँ उ रदायी थ और इ ह पिर थितय ने फािस ट शि के उदय को अपिरहाय बना िदया।

  • Page 18 of 31

    8. पेिनश गहृ यु पेन का गहृयु 1936 से 1939 तक चला। यह यु पेन के िरप लकन और रा वािदय के बीच हुआ। इसे ायः लोकत तथा फासीवाद के बीच यु माना जाता है िक त ुअनेक इितहासकार मानते ह िक यह यु व ततुः वामपंथी ांितकािरय एवं दि णप थी ित ा तकािरय के बीच हुआ था। इस यु म अ ततः रा वािदय की िवजय हुई और उसके प ात ै क अगले 36 वष तक (1975 म अपनी मृ य ुतक) पेन का शासक बना रहा। पापुलर ं ट के स ासीन होने के साथ एवं उनकी दि णपंथी एवं म यमा गय के िव अपनायी गयी नीितय के कारण पेन गहृयु के कगार पर खड़ा हो गया। दि णपंथी जनलर सांजजु ने िहटलर से भटकर सहायता का आ ासन ा त िकया। 12 जलुाई, 1936 ई। को दि णपंिथय ने पुिलस अिधकारी के टलो की ह या कर दी। 13 जलुाई को इस घटना से उ ेिजत हो वामपंिथय ने एक दि णपंथी सेनािधकारी का वो सोटेलो की ह या कर दी। इस कार पेन म गहृ यु िछड़ गया। 17 जलुाई को मोर ो म थत पेनी सेनाओ ंने जनरल ांक के नेतृ व म िव ोह का िबगलु फँूक िदया। दि णपंथी सै य अिधकािरय ने भी सश संघष छेड़ िदया। बाद म दि णपंिथय का नेतृ व भी जनरल ांक ारा संभाल िलया गया। इन िव ोिहय को सै य अिधकािरय के साथ-साथ राजतं वािदय , फािस ट एवं चच का भी समथन ा त था। इटली एवं जमनी से भी इ ह मदद िमल रही थी। गहृ यु के दौरान ही िसतंबर, 1936 ई। म वामपंथी ांिस को लाग केवेलरो ने नवीन मंि म डल का गठन कर उसम समाजवािदय एवं सा यवािदय को भी स मिलत िकया। केवेलर ने मजदरू एवं कृषक का भी सहयोग ा त िकया, परंत ु नवंबर, 1936 ई । म जनरल ांक ने सरकार को राजधानी मेि ड छोड़कर बैलेिशया को राजधानी बनाने को बा य िकया। जमनी एवं इटली ने जनरल ांक की सरकार को मा यता

    दान कर दी। उधर पेन की वामपंथी सरकार को स ने सहायता दान की। इसी बीच 1937 ई। म नरमदलीय समाजवादी जआुल नेगिरन ने केवेलर के याग-प के प ा नवीन मंि म डल बनाया और राजधानी वेलेिशया से बास लोना थानांतिरत की परंत,ु ांक की सेनाओ ंने 25 जनवरी, 1939 ई। को बोस लोना पर अिधकार कर िलया। 28 माच, 1939 ई। को ांक ने मेि ड म वेश िकया। इस कार पेन म गहृय समा त हुआ और जनरल ांक पेन का तानाशाह बन गया। पेन के गहृ यु ने अंतर ीय समीकरण का िनम ण िकया। पेन म गणतं के िवरोध ने इटली एवं जमनी की िम ता को मजबतू िकया। दसूरी ओर इं लै ड एवं ांस से स नाराज हो गया। यह यु गणतं की पराजय एवं तानाशाही की जीत के प म देखा जा सकता है। व ततुः इं लै ड, ांस एवं अमेिरका ने सा यवाद को रोकने के िल�