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1

िववरिणका

इकाई स इकाई का नाम पस

इकाई - 1 पचाग का यावहारक जीवन म उपयोग

4

इकाई - 2 जम पिका सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

45

इकाई - 3 इ काल स जम कampडली िनमा$ण (ह साधन (चालन धन-ऋण) भयात-भभोग

68

इकाई - 4 लनप साधन भ-भोय साधन

86

इकाई - 5 दशम साधन नतोनत -कार व चिलत च

109

इकाई - 6 कारक (ह चर-िथर कारक कारक ान होरा 01काण

135

इकाई - 7 (नवमाश स2 तमाश िशाश) सिहत दश वग$ िवचार

153

इकाई - 8 नवमाश स2 तमाश िशाश व 4ादशाश

177

इकाई - 9 िववाह योग म जमपिका िमलान का मह5व

189

इकाई - 10 िविभ न योग ndash राजयोग गजकशरीयोगसर वती योग नीचभड़ग योग महाल6 मी योग

228

इकाई - 11 7योितष शा9 और जिटल रोगlt का स=बध

249

इकाई - 12 गभा$धान

272

2

पाठयम अिभक13प सिमित

अय

ो एलआर गजर िनदशक सकाय वमखिविव कोटा

सयोजक समवयक एव सदय

समवयक

डॉ मता चौधरी सहायक आचाय अजी वमखिविव कोटा

सयोजक

डॉ किपल गौतम सहायक आचाय स कत वमखिविव कोटा

सदय

ो बी िपाठी लाल बहादर शा ी स कत िवापीठ िद$ ली

ो िवनोद कमार शमा जगतग रामान( द आचाय राज थान स कत िवालय जयपर

डॉ सरता भागव राजकय महािवालय झालावाड़

डॉ िजत( - कमारी िवदी या0 याता स कत लाड दवी शमा पचोली सकत महािवालय मा1डलगढ़ भीलवाड़ा

4ी ओम काश 6 योितषाचाय कोटा

डॉ कमलश जोशी उपकलसिचव वमखिविव कोटा

सपादन एव पाठयम लखन

सपादक

डॉ िजत( - कमारी िवदी या0 याता स कत लाड दवी शमा पचोली सकत महािवालय मा1डलगढ़ भीलवाड़ा पाठयम लखन

1

स4ी सपना सराना (9) 6 योितष िवशारद जयपर

2 4ी राज( - सराणा (61112) 6 योितष िवशारद जयपर

3 स4ी प$लवी शमा (2345) 6 योितष िवशारद कोटा

4

ो वासदव शमा(1)

5

4ीमती िनलम सालानी(78) 6 योितष व वा तशा परामशदाता अकोला महारा8 9ा

6 समन सचदव (23410) 6 योितष व वा तशा परामशदाता जयपर

3

अकादिमक एव शासिनक यवथा

ो िवनय कमार पाठक

कलपित वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

ो एलआर गजर िनदशक

सकाय िवभाग वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

ो पीक शमा

िनदशक ampीय सवा भाग

वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

पाठयम उपादन

योग+ गोयल सहायक उपादन अिधकारी

वधमान महावीर खला िविवालय कोटा उपादन इस सामी क िकसी भी अश भी अश को वमखिव कोटा क िलिखत अनमित क िबना िकसी भी प म अय पनः तत करन क अनमित नह ह वमखिव कोटा क िलए कलसिचव को वमखिव कोटा (राज) ारा मि(त एव कािशत

4

इकाई - 1

पचाग का यावहारक जीवन म उपयोग इकाई क पररखा

11 -तावना

12 उय 13 िवषय -वश

131 पAचाङग 132 सवD सर 1321 सवD सर आनयन िविध 133 सवD सर वामी 134 सवD सरफल 133 ऋत

1331 ऋतओ का िवभाग 134 अयन

1341 उEरायण 1342 दिFणायन

135 मास 1351 सौरमास 1352 चा0मास 1353 सावनमास 1354 नाFमास 1355 Fयािधमास िवचार 1356 मलमास म करणीय व अकरणीय काय$

1357 जममास 1357 जममास

136 पF 137 ितिथ

1371 अमावया क भद

5

1372 पिण$मा क भद 1373 ितिथ को शा9lt म पाच भागlt म िवभािजत िकया ह (नदा भ0ा जया रा पणा$) 1374 नदािद ितिथयlt म उDपन जातकlt का फल 1375 ितिथसमय 1376 िछ0ा ितिथ 1377 Fय ितिथ 1378 विM ितिथ 1379 Fय व विM ितिथ का Dयाग व परहार 13710 पव$ ितिथया 13711 गल(ह ितिथया 13712 सोपपद व कलाकल ितिथया 13713 ितिथयlt क वामी 13714 ितिथयlt म िनिषM काय$ 13715 चािद मास म शय ितिथया 13716 पFरN ितिथया 13717 ितिथयोिगनी च 13718 घातितिथया 13719 ितिथ अशभफलनाशक पदाथ$ 13720 ितिथ म 4ारिनमा$ण का िनषध 13721 मवािद ितिथया 13722 यगािद ितिथया 13723 मवािद व यगािद ितिथयlt म करणीय कम$ 13724 ितिथयlt म आन वाली वयिसM ितिथया

138 गampडात िवचार 1381 ितिथ गampडात 1382 ल(गampडात 1383 नFगampड़ात

139 वार 1391 शभ-अशभ वार 1392 वार व उनक करणीय काय$

1310 कालहोरा महQD त$ 1311 चौघिडय़ा ान िविध

6

1312 अिभिजत महQD त$ 1314 -दोषकाल 1315 घातवार 1316 िदशाशल 1317 वार म अशभफलनाशक पदाथ$

1318 वार क अनसार जम लन वाल जातकlt का फल 1319 पचकlt म Uया कर और Uया नहV 1320 अिनवास 1322 नFlt कW सा एव उनम करणीय कम$

1323 पAचाङग म योगिवचार 1324 यितपात 1325 वधित 1326 आनदािद 28 योग 1327 कचािद ताDकािलक योग 1328 करण का शभ व अशभ िववचन 1329 भ0ािवचार

13291 भ0ािवचार 13292 भ0ा अङगिवभाग 13293 भ0ा म शभाशभ करणीय कम$

1330 राहYकाल का यथाथ$ 1331 िशववास का जानन का -कार 14 साराश 15 शZ दावली 16 अितलघEराDमक -[ 17 लघEराDमक -[ 18 सदभ$ (थ

11 तावना

7 योितष शा स सबिधत -थम इकाई ह इस इकाई क अ^ ययन स आप बता सकत ह िक पAचाङग का यावहारक ान िकस -कार होगा इसका िवशष _प स वण$न िकया गया ह पAचाङग बनान कW -था बड़ी परानी ह 7योितष क F म पAचाङग तभी स -चिलत हYआ जब िक हम 7योितष का थोड़ा बहYत ान होन लगा था पर यह िनिaत ह िक वह पराना पAचाङग आज जसा नहV था पAच अङग क थान पर पहल िकसी समय चतरङग bयङग 4यङग अथवा एकाङग भी -चिलत था और िलिप का

7

ान होन क पहल तो कदािचत जबानी ही उसका ान कर लत थ परत इतना अवय ह िक ितिथ नF (ह आिद िथित दश$क कोई पदाथ$ अित-ाचीन काल स ही -चिलत रहा ह यहा उस 7योितदप$ण कहग वदो म भी िलखा ह िक अमक िदन नF और ऋत म अमकामक काय$ करन चािहए वदाङग7यौितषकाल अथा$त शकपव$ 1400 म वष$ म ितिथ और नF अथवा सावन िदन और नF दो ही अङग थ ितिथ का मान लगभग 60 घटी होता ह अथा$त उस अहोरा दश$क कहना चािहए ितeयध$ अथा$त करण नामक अङग का -चार ितिथ क थोड़ ही िदनlt बाद हYआ होगा और उसक बाद वार -चिलत हYए हltग अथव$7योितष म करण व वार दोनो ह ऋUगf परिश म ितिथ करण महQD त$ नF ितिथ कW नदािद साओ िदनFय और वार का वण$न ह पर मषािद रािशया नहV ह वत$मान पAचाङग का व_प -ाचीनकाल स बहYत ही िभन हो चका ह

12 उय

इस इकाई क अ^ययन क पaात आप िन=निलिखत शा9ीय ान स अवगत हो पायग

1 िनDय -ितिदन पAचाङग का -योग

2 पAचाङग क िसMातो का अधारभत ान

13 िवषय वश

-ाचीनकाल स पAचाङग का महQD त$ -Dयक यि क जीवन म रहा ह -ात काल िन0ाम होत ही पहली िजासा यही होती ह िक आज कौनसा वार ितिथ hत-पव$ आिद ह इस इकाई म सभी िजासओ को पAचाङग का यवहारक ान िदया जा रहा ह िजसस वह वय दिनक 7योितषीय िनण$य वत कर सक

131 पचाङग

पाच अङगlt स पAचाङग बना ह - ितिथ वार नF योग करण

ितिथवा$रAच नF योग करणमव च

यतत पAचक प पAचाङग तददीरतम

- पAचाङगिवानम

पाच अङगो क अितर भी अय अनकानक िवषयlt का समावश पAचाङग म होता ह वष$ क स=वDसरािद िनण$य (हण-िनण$य hत-पवा$िद दिनक (ह-प िववाह आिद महQE

132 सव सर

8

पAचाङग का -ार=भ सवD सर स होता ह यही वष$ गणना सवD सर कW जननी ह iाj दव मानव िपbय सौर सावन चा0 एव बाह$पDयािद मतlt क अनसार िविभन कालमानlt को य िकया जाता ह तदनतर बाह$पDय और चा0 मान स सवत सर कW -ितपिE होती ह

1321 सव सर आनयन िविध

शािलवाहन शक एव िवमस=वत म -ाय 135 का अतर होता ह अत शकाZद म 135 जोडऩ पर िवमाZद -ाk होता ह -तत स=वत म 09 जोड़कर -ाk सlया को 60 स िवभािजत कर शषाङकlt क अनसार -भवािद गत सवD सर जानन चािहए

उदाहरणतया -

स=वत 2022 + 9 = 2231 60 अथा$त लिZध 33 एव शष 51 -ाk हYआ अत 51 सवD सर भोगन क बाद 52वा कालय नामक सवD सर वत$मान ह

133 सव सर 13वामी

60 सवD सर को 4ादश भागlt म िवभािजत कर दन स -Dयक भाग म पाच सवD सर होत ह इस सवD सरपचक कW कालाविध यग कहलाती ह पाच-पाच स=वDसरlt स िनिम$त म -ाk यगसमहlt क अिधपित इस -कार ह -

सवD सर (पाच-पाच) वामी

1-5 िव1ण

6-10 बहपित

11-15 इ0

16-20 अि(

21-25 िवmकमा$

26-30 अिहब$^य

31-35 िपतर

36-40 िवmदवा

41-45 च0

46-50 इ0ािन

51-55 अिmनी

56-60 भग

9

134 सव सरफल

वत$मान सवD सर सlया को दगना करक उसम 03 घटाकर 07 का भाग दव शषाङकlt क अनसार स=वत फल िनnिलिखत ह -

शषाङक फल शषाङक फल

0 पीड़ा 1 दिभ$F

2 सिभF 3 म^यम

4 दिभ$F 5 सिभF

6 म^यम

िवमािदDय काल स -चिलत -भवािद स=वDसरlt कW शभाशभता उनकW सा स ही झलकती ह इनक िन=निलिखत अिविpछन म ह -

1 -भव 2 िवभव 3 शUल 4 -मोद 5 -जापित

6 अङिगरा 7 qीमख 8 भाव 9 यवा 10 धाता

11 ईmर 12 बहYधाय 13 -माथी 14 िवम 15 वष

16 िचभान 17 सभान 18 तारण 19 पािथ$व 20 यय

21 सव$िजत 22 सव$धारी 23 िवरोधी 24 िवकित 25 खर

26 नदन 27 िवजय 28 जय 29 ममथ 30 दम$ख

31 हमल=बी 32 िवल=बी 33 िवकारी 34 शाव$री 35 2लव

36 शभकत 37 शोभन 38 ोधी 39 िवmावस 40 पराभव

41 2लवङग 42 कWलक 43 सौ=य 44 साधारण 45िवरोधकत

46 परधावी 47 -मादी 48 आनद 49 राFस 50 नल

51 िपङगल 52 कालय 53 िसMाथr 54 रौ0 55 दम$ित

56 ददिभ 57 sिधरोदगारी 58 राFी 59 ोधन 60 Fय

133 ऋत

सय$ का मषािद -Dयक दो-दो रािशयlt पर समण काल ऋत कहलाता ह इस -कार एक वष$ म छ ऋतय होती ह -

1 बसत 2 (ी1म 3 वषा$ 4 शरद

5 हमत 6 िशिशर

10

ऋतए सौरमास चामास

बसत मीन-मष च-वशाख

(ी1म वष-िमथन 7यt-आषाढ़

वषा$ कक$ -िसह qावण-भा0पद

शरद कया-तला आिmन-काित$क

हमत विaक-धन माग$शीष$-पौष

िशिशर मकर-क=भ माघ-फाuगन

2331 ऋतओ का िवभाग (आष$वचन क अनसार) -

ऋतए कार

बसत (ी1म एव वषा$िद दवी-ऋत

शरद हमत एव िशिशर िपतर-ऋत

इनका फल व-कमा$नसार होता ह

134 अयन

ाितवE क -थमाश का िवभाजन उEर व दिFण गोल क म^यवतr धरवlt क 4ारा माना गया ह यही िवभाजन उEरायण और दिFणायन कहलता ह इन अयनlt का 7योितष ससार म -मख थान ह

1341 उरायण

इस सौ=यायन भी कहा जाता ह उEरायण -विE सायन मकर क सय$ (जो पAचाङगlt म -ाय मकर भान स िनिद$ िकया जाता ह) अथा$त 21-22 िदस=बर स लकर िमथन का सय$ 06 मास तक रहता ह साधारणतया लौिककमतानसार यह माघ स आषाढ़ पय$त माना जाता ह सौ=यायन सय$ कW कालाविध को दवताओ का िदन माना जाता ह एव इस समय म सय$ दवताओ का अिधपित होता ह िशिशर बसत और (ी1म- य तीन ऋतए उEरायण सय$ का सङगठन करती ह इस अयन म नतन गह--वश दीFा-(हण दवता उxान कआ बावड़ी तालाब आिद कW -ितtा िववाह चड़ाकरण तथा योपवीत -भित सकार एव इतरतर शभकम$ करना शा9स=मत ह

नोट - उEरायण -विE क समय स 40 घटी पय$त समय पampयकाल माना जाता ह जो सभी शभकायy म

विज$त ह

1342 दिणायन

यह समय दवताओ कW राि माना गया ह सायन कक$ क सय$ (िजसक य-त ककz भान स -िद िकया जाता ह) अथवा 21-22 जन स 06 मास अथा$त धनरािशथ सायन सय$ तक का म^यातर

11

दिFणायन (या=यायन) सक ह दिFणायन म वषा$-शरद-हमत ऋत कW -विE होती ह दिFणायन काल म सय$ िपतरlt का अिधtाता कहा गया ह अतएव इस काल म षोड़श सकार तथा अय माङगिलक कायy क अितर कम$ ही िकय जात ह उ(दवता मातकाए भरव वाराह नारिसह ििवम (िव1ण) मिहषासर का वध करत हYए दगा$ कW थापना दिFणायन म भी कW जा सकती ह

नोट - दिFणायन -वश होन क समय स 15 घटी का समय पampयकाल क नाम स -िसM ह और वह सभी शभाशभ कमlt म िवशषत Dया7य ह

135 मास

मास चार -कार क होत ह -

1351 सौरमास

यह सय$ समण स स=बM ह मषािद बारह रािशयlt पर सय$ क गमनानसार ही मषािदसक 4ादश सौरमासlt का गठन िकया गया ह एक सौरमास लगभग 30 िदन 10 घampट का होता ह िववाह उपनयनािद षोड़श सकार य एकोि qाM ऋण का दानादान एव (ह-चारािद अयोयिवषयक कालlt का िवचार सौरमास म करना चािहए

1352 चामास

यह च 0 स स=बिधत ह अमावया क पaात शUल -ितपदा को च0 िकसी नFिवशष म -वश करक -ितिदन एक-एक कला क परणाम स बढ़ता हYआ पिण$मा को पण$च0 क _प म ि गोचर होता ह पन क1ण-ितपदा स मश अuपशUल होता हYआ च0मा अमावया को पणा$धकार_पी मतावथा को -ाk होता ह अत एक मत क 4ारा शUल -ितपदा स अमावया तक अDयतर मतानसारण शUल -ितपदा स पिण$मा तक का समय चा0मास कहा जाता ह यxिप शUलपFािद मास मlय तथा क1णपFािद मास गौण ह तथािपत दशभद क अनसार दोनlt -कारlt स चा0मासlt कW -विE को (हण िकया जाता ह -Dयक चा0मास -ाय 29 िदन 22 घampट का होता ह चािद िविभन चा0मासlt कW साय पिण$मा को च0 4ारा सिमत नF सा पर आधारत ह -

मास न

च िचा वाती

वशाख िवशाखा अनराधा

7यt 7यtा मल

आषाढ़ पवा$षाढ़ा उEराषाढ़ा

qावण qवण धिनtा

भा0पद शतिभषा पवा$भा0पद उEराभा0पद

12

आिmन रवती अिmनी भरणी

काित$क कितका रोिहणी

माग$शीष$ मगिशरा आ0रा

पौष पनव$स प1य

माघ अ|षा मघा

फाuगन पवा$फाuगनी उEराफाuगनी हत

1353 सावनमास

एक अहोरा म 24 घampट या 60 घटी मानकर 30 िदन का एक सावनमास होता ह जातक कW अवथा उEरािधकारयlt म स=पिE-िवभाजन 9ीगभ$ कW विM तथा -ायिaEािद कमy म सावनमास का ही िवचार करना चािहए

1354 नामास

च0मा क 4ारा 27 नFlt क मण को स=पण$ करन म आवयक समयाविध को एक नाFमास कहत ह नाFमास का उपयोग जलपजन नFशाित य-िवशष तथा गिणतािद म िकया जाता ह

1355 यािधमास िवचार

सौरवष$ का मान 365 िदन -15 घटी - 31 पल - 30 िवपल

चा0वष$ का मान 354 िदन - 22 घटी - 01 पल - 33 िवपल

अत प ह िक चा0वष$ सौर वष$ स 10 िदन - 53 घटी - 30 पल - 07 िवपल कम ह इस Fितपित$ और दोनlt मासlt क सामAजय क उय स हर तीसर वष$ अिधक चा0मास तथा एक बार 141 वषy क बाद तथा दसरी बार 19 वषy क बाद Fय-चा0मास कW आविE होती ह

अस ाितमासोऽिधमास $फट $याद

ि)स ाितमास याय कदािचत -

िसMातिशरोमिण

िजस चा0मास म प सय$ कW साित न हो वह अिधकमास तथा िजस चा0मास म दो बार सय$ कW साित हो वह Fयमास कहलाता ह

Fयमास व अिधकमास दोनlt ही मलमास कहलात ह

1356 मलमास म करणीय व अकरणीय काय

स^या-अि(हो-पजनािद िनDयकम$ गभा$धान जातकम$-सीमत-पसवन सकार रोगशाित अल~य योग म qाM 4ादशाह-सिपampडीकरण मवािद ितिथयlt का दान दिनक दान यव-ितल-गो-भिम तथा

13

वणा$िद दान अितिथ-सDकार िविधवत नान -थम वािष$क qाM मािसक qाM एव राजसवा िवषयक कम$ मलमास म शा9स=मत ह

अिनDय व अनिमिEक काय$ ि4तीय वािष$क qाM तलापsष-कयादान-गजदानािद अयोय षोड़श महादान अयाधान य अपव$ तीथ$याा अपव$ दवता क दश$न वािटका-दव-कआ-तालाब-बावड़ी आिद क िनमा$ण और -ितtा नामकरण-उपनयन-चौलकम$-अन-ाशनािद सकार िवशष रा7यािभषक सकामना वषोDसग$ बालक का -थम िन1मण hतार=भ hतोxापन गहार=भ गह-वश िववाह दवता का महोDसव कमा$नtानािद का=यकम$ पाप--ायिaत -थम उपाकम$ व उDसग$ हमत ऋत का अवरोह सप$बिल अ काqाM ईशान दवता कW बिल वध-वश दगा$-इ0 का थापन और उDथान दवतािद कW शपथ (हण करना िवशष परवत$न िव1ण-शयन और कमनीय याा का मलमास म िनषध ह

1357 जममास

जमिदन स एक सावनमास (30 िदन) पय$त जममास कहलाता ह मतातरण िजस क1णपFािद चा0मास म यि का जम हो उस ही जममास माना जाता ह पनa Fयमास क अतग$त ितिथ क पवा$M$ म जम हो तो पव$मास तथा परा0ध म जम हो तो आगामी मास ही जममास िनधा$रत िकया जाना चािहए

जममास म साधारणतया Fौरकम$ (चड़ाकरण) याा व कण$वधािद कम$ विज$त ह परत नान दान जप होम िववाह एव कमनीय कयy क िलए जममास शभफलदायी होता ह यथा -

$नान दान तपो होम सवमाङग3यवधनम

उ)ाह5 कमारीणा जममास श$यत -

qीपितसमpचय

जमिन मािस िववाह शभदो जम8षजमरायो5

अशभ वदित गगा ितवधौरयाास - पीयषधारा

जममास म माङगिलक काय$ स=पादन क िनण$यातग$त विसt न कवल जमिदन गगा$चाय$ जमानतर 08 िदन अिधपित न 10 िदन और भागर न जम क पF को ही कवल दिषत बतलाया ह एव जममास क शष िदन शभकम$ स=पादन म (ाf ह -

जात िदन दषयत विसgtो ौ च गगA िनयत दशराि

जात$य प िकल भागBर5 शषा श$ता खल जममािस

- राजमात$ampड़

136 प

14

िजस राि म सय$ और च0मा िकसी रािश म एक ही अश पर हो वह राि अमावया कहलाती ह अमावया स िनरतर बढ़ती हYई च0-सय$ कW परपर दरी िजस िदन 180 अश परिमत हो जाती ह उस िदन राि को पण$ च0 ि गोचर होता ह और वह राि पिण$मा कहलाती ह अत अमावया स पिण$मा तक का यह 15 िदनाDमक -काशमान म^यातर शUलपFrsquolsquoकहलाता ह तDपaात पिण$मा स अमावया तक का काल क1णपFrsquolsquoकहलाता ह

शUलपF दव-धान होन स दवकमy म तथा क1णपF म िपतरािधिtत होन क कारण िपतकमy म िविहत ह अथा$त शUलपF म सव$ शभकाय$ तथा क1णपF म सभी िपतकाय$ -शत ह यथा -

य दवा पयतऽधमास स दवा योऽपीयत स िपतर -

शतपथ iाjण

-ाय एक पF 15 िदन का होता ह और कभी-कभी ितिथ-Fय-विM क कारण यनािधक भी हो सकता ह परत एक ही पF म दो बार ितिथ-Fय हो जान स 13 िदनाDमक पF समत कमy म वज$नीय ह यथा -

प$य मCय ि)ितथी पतता तदा भवौरवकालयोग

प िवन सकल िवनिमयाहEराचायवरा सम$ता -

7योितिन$बध

137 ितिथ

रिवच0योग$Dयतर ितिथrsquolsquoअथा$त सय$ व च0मा कW गित का अतर ही ितिथ का मान होता ह इह कल 30 भागlt म िवभािजत िकया गया ह इस -कार सय$ और च0 क -Dयक 12 अश पर एक ितिथ बढ़ती ह िजह मश -ितपदा (-थमा) ि4तीया आिद स लकर अमावया तक क1णपF कW तथा इसी -कार -ितपदा ि4तीया ततीया आिद स पिण$मा तक शUलपF कW 15-15 ितिथया होती ह स=पण$ ितिथयlt को िमलाकर एक चा0मास होता ह िजस पAचाङग म अलग स च वशाख 7यt आषाढ़ qावण भा0पद आिmन काित$क माग$शीष$ पौष माघ एव फाuगन नामlt स अलग-अलग -दिश$त िकया जाता ह

अमावया को हYए सय$-च0मा क समागम क पaात दोनlt (ह उEरोEर दर होत जात ह उस िदन च0मा 0 अश स -ार=भ होकर जब 12 अश तक जाता ह तब शUल -ितपदा का आगमन होता ह इसी -कार 12-12 अशlt क परमाण स अि(म ितिथया बनती ह अत म पिण$मा को सय$-च0 म 180 अश कW दरी हो जान पर च0मा मampडल पण$ -काशमान हो जाता ह इसी -कार 12 अश क िमक ास क साथ-साथ क1णा -ितपदा का आगमन इसी -कार होता ह यही म क1णपF का ह

15

1371 अमाव$या क भद

िसनीवाली दश$ कहQ -ात काल रािपय$त यािपनी अमावया िसनीवालीrsquo चतद$शी स िवMा दश$ तथा -ितपदा स य कहQ सक होती ह

1372 पिणमा क भद

अनमित व राका राि को एक कलाहीन और िदन म पण$च0 स स=पन अनमितसकrsquo पिण$मा चतद$शीय होती ह परत राि म पण$ च0मा सिहत पिण$मा -ितपदा स य और राकाrsquo होती ह

1373 ितिथ को शाFG म पाच भागG म िवभािजत िकया ह (नदा भा जया BरJा पणा) -

सKा ितिथया

नदा 1 6 11

भ0ा 2 7 12

जया 3 8 13

रा 4 9 14

पणा$ 5 10 1530

1374 नदािद ितिथयG म उपन जातकG का फल -

नदा ितिथ (1-6-11) - नदा ितिथ म जम लन वाल जातक मान पान वाल दवताओ कW भि म

िनtा रखन वाल िव4ान ानवान व लोकि-य होत ह

व9 गीत वाx नDय किष उDसव गहस=बधी काय$ तथा िकसी िशuप का अ~यास हत नदा ितिथ qt ह

भा ितिथ (2-7-12) - भ0ा ितिथ म जम लन वाल जातक बध-बाधवlt म स=मािनत राजसवक

धनी तथा सासारक भय स डरन एव परोपकारी होत ह

िववाह उपनयन याा आभषण-िनमा$ण और उपयोगी कला सीखना तथा हाथी-घोड़ा एव सवारीिवषयक कायy हत भ0ा ितिथ qt ह

जया ितिथ (3-8-13) - जया ितिथ म जम लन वल जातक राजाओ सश या राजाओ स पिजत

िकत प-पौlt स रिहत शरवीर दीघा$य और दसरlt क मन कW बात को जानन वाल होत ह

सय-सगठन सिनक-िशFा स(ाम श9-िनमा$ण याा उDसव गहार=भ गह-वश औषधकम$ और यापार हत जयाितिथ qt ह

16

BरJा ितिथ (4-9-14) - रा ितिथ म जम लन वाल जातक -मािद -Dयक काय$ म अनमान लगान

वाल गsओ क िनदक शा9 क ाता दसरlt क मद को नाश करन वाल तथा अDयिधक कामच ा रखन वाल होत ह

शओ का दमन और कद करना िवष दना श9-योग शuयिया तथा अिन लगाना आिद रकम$ हत राितिथ qt ह

पणा ितिथ (5-10-1530) - पणा$ ितिथ म जम लन वाल जातक धन स परपण$ वद एव शा9lt क

अथy को जानन वाल िव4ान सDयवा तथा शM मन वाल होत ह

िववाह योपवीत आवागमन नपािभषक तथा शाितक-पौि क कम$ हत पणा$ितिथ qt ह

1375 ितिथसमय - सयदय क समय जो ितिथ वत$मान हो वह उदययािपनी ितिथ िदन-राि तक

दान पठन hतोपवास नान दवकम$ िववाहािद सकार तथा -ितtािद समत माङगिलक कायy म (ाf ह परत qाM शरीर पर तल या उबटन का -योग मथन तथा जम-मरण म ताDकािलक कम$यािपनी ितिथ को ही (हण करना चािहए

1376 िछा ितिथ - -Dयक पF कW 4 6 8 9 12 और 14 ितिथया पFिछ0ा कहलाती ह तथा

शभकायy म इनका परDयाग ही अपिFत ह अDयावयकता म िनिद$ ितिथयlt कW आिदम घिटयlt का Dयागकर शष घिटयlt को -योगाथ$ (हण करना चािहए

ितिथ 4 6 8 9 12 14

घटी 8 9 14 25 10 05

1377 य ितिथ

सयदय क बाद िकसी ितिथ का -ार=भ हो तथा अि(म सयदय स पिहल उस ितिथ का समापन हो जाय तो वह ितिथ Fयितिथ कहलाती ह

1378 विN ितिथ

यिद एक ही ितिथ क -माण म दो सयदय हो जाय अथा$त सयदय क पिहल िकसी ितिथ का -ार=भ हो जाय तथा अि(म सयदय क पaात उस ितिथ का समापन हो तो वह ितिथ विMितिथ कहलाती ह

1379 य व विN ितिथ का याग व पBरहार

Fय व विM ितिथया सभी कमy म Dया7य ह तथा आवयक होन पर ितिथFयrsquo अथवा ितिथविMrsquo क िदन काय$ क समय ल( कampड़ली म बहपित क0थ हो तो ितिथदोष समाk हो जाता ह यथा -

अमाय ितथदAष कगो दवपिजत

हित य)त पापचय Oत )वािषPक यथा - विसt

13710 पव ितिथया

17

क1णा अ मी चतद$शी अमावया पिण$मा तथा सय$-साित क िदन वत$मान ितिथ पव$सकrsquo होती ह जो सभी माङगिलक कायy म विज$त ह

13711 गलQह ितिथया

चतथr सkमी अ मी नवमी योदशी चतद$शी अमावया -ितपदा य सभी क1णपF कW गल(हrsquo ितिथया ह इनका सभी माङगिलक कायy म िनषध ह

13712 सोपपद व कलाकल ितिथया

7यtशUल ि4तीया आषाढ़ शUल दशमी पौषशUल एकादशी माघ कW क1णपF व शUलपF कW चतथr व 4ादशी य ितिथया सोपपदrsquo होती ह य सभी ितिथ शभफलदायक ह

-Dयक मास कW ि4तीया षtी व 4ादशी ितिथ कलाकलrsquo सक होती ह य सभी ितिथया म^यम फलदायक ह

13713 ितिथयG क $वामी

भारतीय पर=परा म कङकर-कङकर म शङकर कW कuपना कW गयी ह इसी -कार पAचाङग क -Dयक अङग का वामी िनधा$रत िकया गया ह अभी दवताओ क शभाशभ फल भी -ितपािदत िकय गय ह इसी म म यहा ितिथयlt क वामी का िववचन िकया जा रहा ह

ितिथ $वामी िनिद कम

-ितपदा अि( िववाह याा उपनयन -ितtा सीमतोनयन चौलकम$

गहार=भ गह--वशशाितक-पौि क काय$ आिद समत माङगिलक काय$

ि4तीया ijा राजा-मी-सामत-दश-कोश-गढ़ और सनािद राज क

सkाङग व छ चामरआिद रा7य क सkिच-स=बधी

काय$ वातकम$ -ितtा याा िववाहआभषण-िनमा$ण व

धारण उपनयनािद शभकम$

ततीया पाव$ती सगीत-िवxा िशuपकम$िवषयक कम$ सीमत चड़ाकरण

अन-ाशन गह-वश

तथा ि4तीया ितिथ म िनिद$ सभी कम$ ततीया ितिथ म भी

-शसनीय ह

चतथr गणश शताडऩ िबजली क काय$ िवषदान िहसक कम$ अि(

लगाना बदी बनानातथा श9-योगािद सभी कम$

18

पAचमी सप$ चर-िथरािद सभी कम$ परत िकसी को ऋण नहV दना

चािहए

षtी काित$कय िशuपकम$ रणकाय$ गहार=भ व9ालङकार कDय

अिखलका=य कम$ परत इसिदन दतधावन आवागमन

तला~यङग काtकम$ एव िपतकाय$ विज$त ह

सkमी सय$ हितकम$ िववाह सगीतकम$ व9ाभषण िनमा$ण और

धारणयाा गह-वशवध-वश स(ाम तथा ि4तीया-ततीया

व पचमी म िनिद$ सभी कम$ सkमी मभी (ाf ह

अ मी िशव यM वातकाय$ िशuप राजकाय$ आमोद--मोद लखन-

नDय 9ीकम$ रDनपरीFाआभषण-कम$ तथा श9धारण परत मास का सवन इस िदन कदािप नहV कर

नवमी दगा$ चतथr म उ सभी कम$ िव(ह कलह जआ खलना

मxिनमा$ण-पानआखट तथा श9िनमा$ण qt ह

दशमी यम ि4तीया-ततीया-पAचमी-सkमी म िनिद$ सभी कम$ हाथी-

घोड़ा स स=बधी कम$ तथा राजकाय$ qt ह इस िदन तला~यङग नहV कर

एकादशी िवmदवा एकादशी hतोपवास योपवीत पािणपीडऩ दव महोDसवािद

अिखल धम$ कम$ गहार=भ यMिशuप सीखना मxिनमा$ण

व गमन-आगमन व व9ालङकार काय$ qt ह

4ादशी हर अिखल चर-िथर काय$ पािण(हण उपनयनािद

माङगिलक आयोजन qt ह परत तलमद$न नतन गहार=भ गह-वश व याा का परDयाग कर

योदशी काम शUलपF कW योदशी ही (ाf ह ि4तीया-ततीया-पAचमी-

सkमी तथा दशमी म िनिद$ सभी काय$ शUलपF कW योदशी म qt ह परत मतातरण इस िदन याा-गह-वश तला~यङग यM व9ाभषण कम$ तथा योपवीत क अितर समत माङगिलक काय$ शभ ह

चतद$शी िशव िवषदान श9धारण -योग तथा चतथrय द कम$ शा9ो

ह परत चतद$शी म Fौरकम$ तथा यााकम$ आिद कम$ विज$त ह

19

पिण$मा च0मा िववाह दव जलाशय वािटका कW -ितtा िशuपभषणािद

कम$ स(ाम तथा यािक शाितक-पौि क व वात कम$ qt ह

अमावया िपतर इस िदन अयाधान िपतकम$ तथा महादान -शत ह परत

इसम कोई शभ कम$ तथा 9ीसङग रमण नहV करना चािहए

13714 ितिथयG म िनिषN काय (इन ितिथयlt म य काय$ अशभ होत ह अथ$ च स प ह) -

ितिथ काय$ ितिथ काय$

षtी तला~यङग ि4तीया उबटन

अ मी मासभFण दशमी उबटन

चतद$शी Fौरकम$ योदशी उबटन

अमावया रितिया अमावया आवला िमिqत जल स नान

सkमी आवला िमिqत जल स नान नवमी आवला िमिqत जल स नान

13715 चािद मास म शय ितिथया

(इन ितिथयlt म य काय$ अशभ होत ह अथ$ च स प ह) -

मास शयितिथया शयितिथया

क1णपF शUलपF

च 8 9 8 9

वशाख 12 12

7यt 14 13

आषाढ़ 6 7

qावण 2 3 2 3

भा0पद 1 2 1 2

आिmन 10 11 10 11

काित$क 5 14

माग$शीष$ 7 8 7 8

पौष 4 5 4 5

माघ 5 6

20

फाuगन 4 3

13716 परR ितिथया

चतथr षtी अ मी नवमी 4ादशी व चतद$शी इन ितिथयlt कW पFरN सा होती ह इनम कोई भी शभ काय$ नहV करना चािहए यिद बहYत-ही आवयकता हो तो उपरो ितिथयlt म चानसार काय$ कर -

ितिथ याSय घटी (दUड़) ितिथ याSय घटी (दUड़)

चतथr 08 षtी 09

अ मी 14 नवमी 24

4ादशी 10 चतद$शी 05

13717 ितिथयोिगनी च

िदशा ितिथ िदशा ितिथ

ईशान 8 30 पव$ 1 9

आ(य 3 11 दिFण 5 13

नऋ$ Dय 4 12 पिaम 6 14

वायय 7 15 उEर 2 10

उपरो ितिथयlt म योिगनी चो ईशािद िदशाओ म िथत होती ह योिगनी याा क समय बाय भाग म सखदायक पt म वािछतफल-दाियनी दिFण म धन का नाश करन वाली तथा स=मख म मDयकारक (क दायक) होती ह यथा -

योिगनी सखदा वाम पgt वािछत दाियनी

दिण धनही च सWमख मरणदा

13718 घातितिथया (रािश क अनसार)

याा आिद म घात ितिथ को विज$त करना चािहए

ितिथ रािश ितिथ रािश

1 6 11 मष 5 10 15 वष

2 7 12 िमथन 2 7 12 कक$

3 8 13 िसह 5 10 15 कया

4 9 14 तला 1 6 11 विaक

21

3 8 13 धन 4 9 14 मकर

3 8 13 क=भ 5 10 15 मीन

13719 ितिथ अशभफलनाशक पदाथ

िजस ितिथ म याा करनी हो यिद वह ितिथ अशभ हो तो िन=न चाङिकत पदाथy का भFण करक अथवा इन वतओ का दान करक याािद काय$ करन पर सफलता -ाk होती ह तथा ितिथदोष न हो जाता ह

ितिथ पदाथ$ ितिथ पदाथ$

-ितपदा मदार का प ि4तीया चावल का धोया हYआ पानी

ततीया दशी घी चतथr दशी घी का हलवा

पAचमी हिव1यान षtी वण$ का धोया हYआ जल

सkमी पआ अ मी अनार का फल

नवमी कमलप1प का जल दशमी गौम

एकादशी जौ का भात 4ादशी दध-चावल कW खीर

योदशी गड़ चतद$शी र

पिण$मा मग अमावया भात

13720 ितिथ म )ारिनमाण का िनषध - इन ितिथयlt इन िदशाओ क 4ारा नहV बनान चािहए और

बन हYए 4ारो म स इन ितिथयlt म इन िदशाओ म -वश अथवा इन 4ारlt स गमन नहV करना चािहए

िदशा ितिथ

पव$ पिण$मा तथा क1णपF कW अ मी

दिFण शUलपF कW नवमी स चतद$शी तक

पिaम अमावया शUलपF कW अ मी

उEर क1णपF कW नवमी स चतद$शी तक

13721 मवािद ितिथया (इन ितिथयlt म शभ काय$ नहV करन चािहए) -

ितिथ

1 चशUल ततीया व पिण$मा 2 काित$शUल पिण$मा व 4ादशी

3 आषाढ़शUल दशमी व पिण$मा 4 7यt व फाuगनशUल पिण$मा

5 आिmनशUल नवमी 6 माघशUल सkमी

22

7 पौषशUल एकादशी 8 भा0पद शUल ततीया

9 qावणक1ण अमावया व अ मी

13722 यगािद ितिथया (इन ितिथयlt म शभ काय$ नहV करन चािहए) -

ितिथया यगािद

काित$कशUल नवमी सत यगािद

वशाख शUल ततीया तायगािद

माघक1ण अमावया 4ापरयगािद

qावणक1ण योदशी किलयगािद

13723 मवािद व यगािद ितिथयG म करणीय कम

इन ितिथयlt म नान हवन जप दान-पampय करन स अनतकोिट फल -ाk होता ह परत िवxार=भ उपनयन hतोxापन िववाह गहिनमा$ण गह--वश िनDया^ययन तथा याािद म इह Dया7य बताया गया ह

शUलपF म कत$य qाM क िलए इन ितिथयlt का पवा$ और क1णपF क qाMlt क इनका अपरा (ाf ह

अपवाद -

च व वशाख शUल ततीया तथा माघशUला सkमी ितिथया मवािद यगािद होन पर भी शभकमy म (हण करन कW अनमित शा9lt न दी ह यथा -

या चवशाखिसताततीया माघ च सXWयथ फा3गन$य

कYण ि)तीयोपनय श$ता ोJा भर)ाजमनीमय - पीयषधारा

13724 ितिथयG म आन वाली $वयिसN ितिथया

ितिथ पव$

चशUल -ितपदा नवीन स=वDसरा=भ (कuपािद)

चशUल नवमी रामनवमी

वशाखशUल ततीया अFयततीया (तायगािद)

वशाख शUल नवमी जानकW नवमी

वशाख शUल पिण$मा बM पिण$मापीपल पिण$मा

7यtशUल दशमी गगादशमी

23

7यtशUल एकादशी िनज$ला एकादशी

आषाढ़शUल नवमी भडuया नवमी

भा0पद क1ण अ मी जमा मी

भा0पदक1ण नवमी गोगानवमी

भा0पदशUल एकादशी जलझलनी एकादशी

आिmनशUल दशमी िवजयादशी (दशहरामवािद)

काित$कक1ण अमावया दीपावली (दीपमािलका)

काित$कशUल एकादशी दव-बोिधनी एकादशी

माघशUल पचमी बसत पचमी

फाuगनशUल ि4तीया फलरा दोज

चक1ण अ मी शीतला मी (बायोड़ा)

138 गUडात िवचार

1381 ितिथ गUडात - पणा$ (5-10-15) तथा नदा (1-6-11) ितिथ इन ितिथयlt कW म स अत

और आिद कW 2-2 घटी दोषय होन स गampडात नाम स -िसM ह यह जम याा िववाह hतबध आिद म क कारक ह

1382 लQगUडात - कक$ -िसह विaक-धन तथा मीन-मष इन दो-दो रािशयlt क अत और आिद

कW आधी-आधी घटी को गampड़ात कहत ह यह सभी शभकमy म Dया7य ह

1383 नगUड़ात - रवती-अिmनी अ|षा-मघा तथा मीन-मष क नFlt म स अत और

आिद कW 2-2 घिटया अथा$त दोनlt कW सिध क 4 घटी को गampड़ात कहत ह इसम सभी माङगिलक कDय विज$त ह

सभी -कार क गampड़ात म जम याा िववाह आिद शभकम$ विज$त ह

139 वार (उदयात उदय यावत भानो भिम सावनवासर)

िदनlt क नाम को वार कहत ह जो भारतीय पMित क मश सय$ च0 मङगल अथवा भौम गs या बहपित श तथा शिन क नाम पर सामायत रिववार सोमवार मङगलवार बधवार गsवार शवार शिनवार क नाम स जान जात ह इनका मान एक सयदय स दसर सयदय तक होता ह इसक वामी क नाम पर ही इन वारlt का नामकरण हYआ ह जम मरण षोड़श सकार याा य हवन--ितtािद सभी माङगिलक कायy म वार--विE सयदय स ही सव$दा मानी जाती ह तथािप -ात

24

स^यािद िनDय करणीय कमy म अ0धराि क उपरात अि(म वार को सङकuप म (हण कर िलया जाता ह

1391 शभ-अशभ वार

सोमवार बधवार गsवार व शवार सौ=यवारlt कW qणी म आत ह तथा रिववार मङगलवार व शिनवार रवारlt कW qणी आत ह इहV कW सा क अनसार य अभी कमy म फलदायी होत ह

वारlt कW शभता िदन-राि क अनसार िभन-िभन -भावोDपादक होती ह यथा - रिववार गsवार व शवार का -भाव राि नगampय म होता ह तथा सोमवार मङगवार व शिनवार का -भाव िदन म नगampय होता ह

बधवार का फल सभी समय म एकसमान होता ह यथा -

न वारदोषा भवित राौ दवSयदयSयिदवाकराणाम

िदवा शशाङकाक जभसताना सव िनो बधवारदोष -

7योितिन$बध

1392 वार व उनक करणीय काय

वार दव अिधदव करणीय काय$

रिववार िशव अि( राजकWय सवा एव अय राजकWय कायy क िलए

शभ ह

यह Nव एव िथरसक वार ह

सोमवार पाव$ती जल सभी कायy क िलए शभ ह

यह वार चर एव चलसक ह

मङगलवार काित$कय भिम यM xतिड़ा (जआ सा) याा कज$ दन

सभा म जान

मकदमा -ार=भ करन क िलए शभ ह

यह वार उ( एव रसक ह

बधवार िव1ण हर िवxा (कला-काय) का -ार=भ नवीन यपार

करना नवीन लखन पतकlt का -काशन धन-स(ह -ाथ$ना-प -तत करन हत शभ ह

िमq व साधारण सा बध को दी गयी ह

25

गsवार ijा इ0 िवxा का -ार=भ ववािहक-काय$म

उpचािधकारयlt स िमलन नवीन काय लखन -काशन धन-स(ह आिद शभ कायy क िलए qt ह

लघ व िF- सा गsवार को दी गयी ह

शवार इ0 इ0ाणी नवीन व9 एव आभषणlt को धारण

करना सौभायवध$नकाय$ चलिच शिटग काय$ एव याा जान हत qt ह

मद एव म सा शवार को दी गयी ह

शिनवार काल ijा नतन गहार=भ भिम-य मशीनरी का शभार=भ 0य

स(ह मकान का िशलायास (भिमपजन) आिद िथर कायy हत qt ह

यह वार दाsण व ती6ण सक ह

1310 कालहोरा मह] त

होरा रिव सोम मङगल बध गs श शिन

1 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

2 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

3 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

4 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

5 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

6 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

7 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

8 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

9 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

10 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

11 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

12 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

13 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

14 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

26

15 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

16 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

17 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

18 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

19 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

20 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

21 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

22 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

23 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

24 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

यिद िकसी काय$ को करन हत कोई भी शभ महQत$ नहV िमल रहा हो तो उस कम$ को अय वार म भी िविहत वार कW कालहोरा (Fणवार) म कर सकत ह एक कालहोरा सयदय स 01-01 घampट का होता ह य कालहोराय सया$िदवार कW होती ह तथा -Dयक Fणवार गत कालहोरश स छठा होता ह

यिद उपरो वारlt क अितर अय दसरlt कायy म अित आवयकता हो शा9lt म चौघिडय़lt कW यवथा कW ह िदन म आठ (8) तथा राि स आठ (8) चौघिडय़ होत ह अथा$त एक अहोरा म कल 16 चौघिडय़ होत ह िजनम िनिषM वार होत हYए भी िदन अथवा राि क समय म भी आप अभी काय$ स=पन कर सकत ह

1311 चौघिडय़ा Kान िविध

िदनमान क आठ भाग करन पर आठ चौघिडय़ा महQD त$ -ाk होत ह अथा$त -Dयक चौघिडय़ का मान लगभग डढ़ घampटा (01 घampटा 30 िमनट) होता ह च (-ात 0600 बज क म^यमान स समय िदया ह सयदय क अनसार समय म परवत$न हो सकता ह)

27

06-730

0730-09

09-1030

1030-12

130-03

03-430

430-06

12-130

06-730

0730-09

09-1030

1030-12

130-03

03-430

430-06

12-130

1312 अिभिजत मह] त

नौमी ितिथ मधमास पनीता सकलप अिभिजत हBरीता

मCयिदवस अितसीत न धामा पावकाल लोक िवामा

जो भगवान को अिति-य ह िजसम काल भी ससार क उपकार क िलए कछ Fण िवqाम करता ह इसी अिभिजत महQD त$ नवमी ितिथ चमास म मया$दा पsषोEम qीराम का आिवभा$व हYआ था यिद कोई भी शभमहQD त$ नहV बनता हो तो सभी जातकािद कम$ अिभिजत महQD त$ म िकय जा सकत ह

िदनमान क म^यभाग म 48 िमनट का अिभिजत महQD त$ होता ह जो िक सभी माङगिलक कायy म -शसनीय ह िकत बधवार क िदन अिभिजत का िनषध ह

अिभिजत का मान -

उEराषाढ़ा नF का चतथ$ चरण +qवण नF का आिदम चरण = अिभिजत

उEराषाढ़ा नF कW 15 घटी +qवण नF कW 04 घटी = अिभिजत

च0मा क रािश-अश-कला-िवकला क अनसार अिभिजत का मान -

मकर रािश क अतग$त - 09-06-40-00 स 09-10-53-20

28

1314 दोषकाल

चतथr का -थम-हर (3 घampट) सkमी का -थम डढ़ -हर (4 घampटा 30 िमनट) तथा योदशी क अि(म -हर4य (6 घampटा) का समय -दोषकाल कहलाता ह

मतातर स षtी या 4ादशी आधी राि क बाद एकघटी पव$तक हो अथवा 09 घटी राि तक ततीया हो तो यह -दोष अ^ययन म विज$त ह तथा राि म तीन -हर स पिहल सkमी या योदशी वत$मान म हो तो वह -दोष भी अन^याय होता ह

सदव सया$त क पaात तीन महQD त$ (03 घampटा 24 िमनट) -दोष का मान होता ह

1315 घातवार - अधोिलिखत रािश वालlt क िन=न वार अशभ ह इन वारlt म यथास=भव याा का

Dयाग कर -

वार रािश

रिववार मष

सोमवार िमथन

मङगलवार मकर

बधवार कक$

गsवार तला क=भ

शवार विaक धन मीन

शिनवार िसह वष

1316 िदशाशल - अधोिलिखत वारlt म िनnिलिखत िदशाओ का यथास=भव याा का Dयाग कर -

िदशा िनिषMवार

पव$ सोमवार शिनवार

दिFण गsवार

पिaम रिववार शवार

उEर मङगवार बधवार

1317 वार म अशभफलनाशक पदाथ

िजस वार म याा करनी हो यिद वह ितिथ अशभ हो तो चाङिकत पदाथy का भFण करक अथवा इन वतओ का दानािद करक याािद काय$ करन पर सफलता -ाk होती ह तथा वारदोष न हो जाता ह

वार पदाथ$

29

रिववार शM घी अथवा िशखरन

सोमवार दध या खीर

मङगलवार गड़ अथवा काAजीबड़ा

बधवार ितल अथवा पका हYआ दध

गsवार दही

शवार शM घी अथवा कpच दध

शिनवार उड़द अथवा तल स बनी वत अथवा ितल

1318 वार क अनसार जम लन वाल जातकG का फल

जमवार फल

रिववार िपE-कित काय$F म िनपणता झगडाल दानी उDसाही उ(

वभाव

सोमवार बिMमान ि-य कथावाचक राजकपा पान वाला सख-दख को

बराबर मानन वाला

मङगलवार दीघा$य वीर महाबली अपन परवार म -धान तथा कबिM वाला

होता ह

बधवार िव4ान पिampडत मधरभाषी स=पिE स य सदर आकित लखन

काय$ स जीिवका िनवा$ह करन वाला तथा धनी होता ह

गsवार -शसनीय काय$कता$ िववकW िव4ान (थकता$ राजा का मी

साधारण लोगlt स पिजत होता ह

शवार बिMमान मनोहर _प वाला चAचल दवता स 4ष करन वाला

वाचाल होता ह

शिनवार ढ़वाणी पापी दिखत परामशील ढ़-ित अिधक कशवाला

अिधक उn कW ि9यlt म रत रहन वाला नीची ि वाला होता ह

वार क अनसार करणीय कम

30

रिववार - रा7यािभषक गाना बजाना नयी सवारी पर चढऩा रा7यसवा गाय-बलlt का य-िवय हवन-यािद मोपदश य-िवय औषिध श9यवहार तथा यM

सोमवार - पड़-पौध प1प व उपवन लगाना बीजारोपण 9ीिवहार गायन यािदकाय$ नय व9 धारण करना

मङगलवार - फट डालना झठ बोलना चोरी िवष अिन श9--योग स(ाम वध कपट घमampड सयकम$ तथा िवराम

बधवार - चतरता पण$ पampयकम$ िलखना-पढऩा कलाकौशल िशuप-िच बनाना धात-िया नौकरी -वश यि मी सिध यायाम और वाद-िववाद

गsवार - धािम$क कDय नव(हlt कW पजा य िवxा~यास माङगिलक कDय व9-यवहार गहकाय$ याार=भ रथ घोड़ा औषिध एव आभषण स=बधी सभी शभ काय$

शवार - 9ी गायन शया मिण रDन हीरा सगिध व9 अलकार जमीन-जायदाद यापार गाय 0य भampडार व खतीबाड़ी क काय$

शिनवार - पाप िमeयाभाषण चोरी िवष अक$ िनकालना श9 नौकर-चाकर स=बधी काय$ हाथी बाधना म कW दीFा गह--वश तथा सभी िथरकाय$

िदन म जातक का जम होन पर फल -

िजसका जम िदन म होता वह धमा$चरण स य अिधक प वाला भोगी सव9lt को धारणकता$ बिMमान व सदर आकित वाला होता ह

राि म जातक का जम होन पर फल -

राि म जम लन वाला जातक कम बोलन वाला मिलन दय पापाDमा िछप कर पाप करन वाला अिधक कामच ा वाला होता ह

1319 पचकG म _या कर और _या नहa (पचक नF - धिनtा शतिभषा पभा उभा रवती)

-

क=भ व मीन रािश म च0मा क रहत हYए धिनtा क उEराध$ शतिभषा पवा$भा0पद उEराभा0पद और रवती य पाच नF पचकlt क मान गय ह पचकlt म मlय _प स शवदाह चारपाई बनना पलग शया चटाई कसr तखत यवसाय गददी तयार कराना मकान कW छत डालना लटर सट करना ख=भlt को सट करना काtईधनलोह क सरय स(ह करना तथा दिFण िदशा कW याा दिFणािभमख नय भवन कW सीिडय़lt पर चढऩा आिद qीपितrsquo क अनसार विज$त माना गया ह

पचक क पाच नFlt म िकए गय कDयlt का फल पाच गणा होता ह इसी तरह िप1कर योग िगिणत और ि4प1कर योग दगिणत फल दत ह पचकlt म पाच गणा िप1कर योग म ितगना और ि4प1कर योग

31

म दोगना हािन लाभ हYआ करता ह मDय यािध अयाय यथा रोगोप0व होन पर शाित िवधान कW आवयकता पड़ती ह पचक नFlt (धिन शत पभा उभा रवती) का िवशष िवचार उपरो विण$त कDयlt म ही िकया जाता ह शभ कम$ िववाह मampडन योपवीत गहारभ गह-वश वािण7यकम$ वाहनािद क लन-दनफम$ सचालन मित$-ितtा आिद सभी qt महQत म तो पचक क पाचो नF शभ कह गए ह सभी पवDसव hत रFाबधन भयादज महाल6मी पजनािद म पचको का िवचार नहV िकया जाता ह वहद7योितषसारrsquo (थ म तो धिन उभा रवती नF सभी काय म िसिM-द मान गय ह पभा एव शतिभषा नF को साधारण _प स िसिMनायक कहा गया ह

1320 अिbनवास

िजस िदन हवन करना हो उस िदन ितिथ और वार कW सlया जोड़कर एक ओर जोडऩा पन 4 का भाग दना यिद परा भाग लग जाए 0 शष रह अथवा 3 शष रह तब अि( का वास पeवी पर सखकारक होता ह शष 1 बचन पर आकाश म -ाणघातक शष 2 म पाताल म धननाशकारक होता ह ितिथ कW गणना शUल -ितपदा स तथा वार कW रिववार स करनी चािहए

1321 न - स=पण$ आकाशमampड़ल को 12 रािशयlt क अितर 27 नFlt म िवभािजत िकया

गया ह

न आकित तारा $वामी

1 अिmनी अmमख 3 अिmनी कमार

2 भरणी योिन 3 यम

3 कितका नािपतFर 6 अि(

4 रोिहणी शकट 5 ijा

5 मगिशरा िहरणमख 3 च0

6 आ0रा मिण 2 िशव

7 पनव$स गह 4 अिदित

8 प1य बाण 3 बहपित

9 अ|षा चाकार 5 सप$

10 मघा भवन 5 िपतर

11 पवा$फाuगनी चारपाई 2 भग

12 उEराफाuगनी शया 2 अय$मा

13 हत हाथ 5 रिव

32

14 िचा मोती 1 िवmदव

15 वाती मगा 1 वाय

16 िवशाखा तोरण 4 इ0ाि(

17 अनराधा बिलभ$पAज 4 िम

18 7यtा कampड़ल 3 इ0

19 मल िसहपpछ 11 राFस

20 पवा$षाढ़ा हाथीदात 2 जल

21 उEराषाढ़ा िसहासन 2 िवmदव

अिभिजत िभज 3 ijा

22 qवण वामन 3 िव1ण

23 धिनtा मदङग 4 वस

24 शतिभषा वE 100 वsण

25 पवा$भा0पद मAच 2 अजपाद

26 उEराभा0पद यगल-पsष 2 अिहब$^य

27 रवती मदङग 32 पषा

1322 नG क सKा एव उनम करणीय कम

सा नF करणीय कम$

Nव-िथर रोिहणी उEराफाuगनी बीजरोपण उxान लगाना नगर-वश उEराभा0पद (ामवास िवनायकशाित गायनिवxा

का -थम अ~यास नतन व9धारण

कामWड़ा आभषण-िनमा$ण-धारण

तथा मी आिद सभी िथर काय$ इसम qt ह

चर-चल पनव$स वाती हाथी-घोड़ा-ऊट-मोटर-गाड़ी आिद कW

qवण धिनtा शतिभषा सवारीवािटका लगाना या -थम -वश यापार -ार=भ मथन िया वण$-चादी-मिण-रDनािद य आभषण िनमा$ण

तथा िवxा को सीखन का -ार=भ आिद कम$

33

उ(-र भरणी मघा पवा$फाuगनी शताडऩ अि( का य-त -7वलन शठता करना

पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद िवष सवन करनाकराना य-म क मा^यम स

िकसी पर घात करना जस र काय$ तथा पशओ कावशीकरण इस नF म करणीय कम$ ह

िमq-साधारण कितका व िवशाखा अिनकाय$ वषोDसग$ अिनहो -ार=भ वत का सि=मqण बदी बनाना िवष--योग आिद हय वभयकर कम$

िF--लघ अिmनी प1य हत वतओ का िवय रितया शा9lt का अिभिजत अ^ययन आभषण धारण करना सिहDय-सङगीत-कला िवषयक कम$ व औषिध का आदान-

-दान

मद-म मगिशरा िचा अनराधा गीत-वाx स=बधी कम$ नवीन परधान-

धारण रवती रितियािमता करना तथा अलङकार िनमा$ण

ती6ण-दाsण आ0ा$ आ लषा 7यtा अिभचार कम$ (मारण उpचाटन

मल िव4षण आिद) कलहोDपादन हाथी-

घोड़lt का -िशFण बीजवपन

उxानार=भ शाितक-पौि क कम$ गह-(ाम -वशसगीतिवxा का -ार=भ आमोद--मोद तथा नवीन व9-आभषण का धारण

जमन िवचार

1 अन-ाशन उपनयन चड़ाकरण रा7यािभषक आिद म जमनF -शत होता ह

2 याा सीमतोनयन तथा िववाह म जमनF अिन होता ह

3 महQD त$दीिपका क अनसार चड़ाकरण औषिध सवन िववाद याा व कण$वध म ही जम-नF का िनषध ह

4 जम नF स 25वा तथा 27वा नF शभकमy म Dया7य ह

1323 पdचाङग म योगिवचार

34

योग को दो qिणयlt म िवभाित िकया गया ह नसिग$कrsquolsquo व ताDकािलकrsquolsquo नसिग$क योगlt का सदव एक ही म रहता ह तथा यह एक क बाद एक आत ह िव1क=भािद 27 योग नसिग$क qणी म आत ह परत ताDकािलक योग ितिथ-वार-नF आिद क िवशष सगम स बनत ह आनद -भित एव कच उDपात िसिM तथा मDय आिद योग ताDकािलक ह

योग वामी फल

1 िव1क=भ यम अशभ

2 -ीित िव1ण शभ

3 आय1मान च0 शभ

4 सौभाय ij शभ

5 शोभन बहपित शभ

6 अितगampड़ च0 अशभ

7 सकमा$ इ0 शभ

8 धित जल शभ

9 शल सप$ अशभ

10 गampड अिन अशभ

11 विM सय$ शभ

12 धरव भिम शभ

13 याघात वाय अशभ

14 हष$ण भग शभ

15 व वsण अशभ

16 िसिM गणश शभ

17 यितपात s0 अशभ

18 वरयान कबर शभ

19 परघ िवmकमा$ अशभ

20 िशव िम शभ

21 िसM काित$कय शभ

22 सा^य सािवी शभ

35

23 शभ ल6मी शभ

24 शUल पाव$ती शभ

25 ij अिmनी कमार शभ

26 ऐ0 िपतर अशभ

27 वधित िदित अशभ

1324 eयितपात

यह उप0वी योग ह यह योग नसिग$क व ताDकािलक दोनlt qिणयlt म आता ह अमावया को रिववार या qवण धिनtा आ0ा$ अ|षा अथवा मगिशरा नF क योग स यितपातयोगrsquolsquoबनता ह

1325 वधित

यह भी यितपात क समकF ही ह इस भी शभकमy म Dया7य बताया ह

शष अशभ योगlt म परघ का पवा$M$ िव1क=भ व व कW आिदम 03 घटी याघात कW -ारि=भक 09 घटी शल कW -थम 05 घटी तथा गampड-अितगampड कW आिदम 6-6 घिटया िवशषत Dया7य ह

1326 आनदािद 28 योग

वार व नF क योग स ताDकािलक आनदािद 28 योगlt का आनयन होता ह इन योगlt को ात करन क िलए वार िवशष को िनिद$ नF स िवxमान नF तक सािभिजत गणना कW जाती ह रिववार को अिmनी स सोमवार को भरणी स मङगवार को अ|षा स बधवार को हत स गs को अनराधा स शवार को उEराषाढ़ा स तथा शिनवार को शतिभषा स तिन क च0ष तक िगनन पर आk सlया को ही उस िदन वत$मान आनदािद योग का माक -ाk होता ह

योग रिव सोम मङगल बध ग शlt शिन फल

आन(द अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा शतिभषा अथिसिgt

कालद1ड भरणी आ-रा मघा िचा 6या अिभ पभामAयभय

धC किD पन पफा वाती मल 4वण उभा दख

जापित रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा धिना रवती सौभाFय

(धाता)

सधाकर मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा शत अिनी बहHमखी

(सौJय)

Kवाङ आ-रा मघा िचा 6या अिभ पभा भरणी अथनाश

36

Kवजा पनवस पफा वाती मल 4वण उभा कितका सौभाFय

(कत)

4ीवAस प8य उफा िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी ऐय

वN अ=षा हत अनराधा उषा शतिभषा अिनी मगिशरा धनय

मदगर मघा िचा 6या अिभ पभा भरणी आ-ा धननाश

छ पफा वाती मल 4वण उभा कितका पनवस राजसJमान

िम उफा िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी प8य सौ0य

मानस हत अनराधा उषा शत अिनी मग अशpoundषा सौभाFय

पP िचा 6या अिभ पभा भरणी आ-रा मघा धनागम

लJबक वाती मल 4वण उभा कितका पनवस पफा लQमीनाश

उAपात िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी प8य उफा ाणनाश

मAय अनराधा उषा शतिभषा अिनी मगिशरा अशpoundषा हत मरणभय

काण 6या अिभ पभा भरणी आ-रा मघा िचा Sलशविgt

िसिgt मल 4वण उभा कितका पनवस पफा वाती अभीTिसिgt

शभ पषा धिना रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा क$याण

अमत उषा शतिभषा अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा राजसJमान

मसल अिभ पभा भरणी आ-रा मघा िचा 6या अथय

अ(तक 4वण उभा कितका पनवस पफा वाती मल रोगबिgtनाश

(गद)

कUजर धिना रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा कलविgt

(मातङग)

रास शतिभषा अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा बहHपीड़ा

चर पभा भरणी आ-रा मघा िचा 6या अिभिजत कायलाभ

सिथर उभा कितका पनवस पफा वाती मल 4वण गह ािW

() वधमान रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा धिना समङगल

दोष पBरहार - पव योगlt म साधारण qणी क योगlt कW -ारि=भक घिटयlt का Dयाग कर दन क पaात

उनकW अशभता कW दोषापिE नहV रहती ह परत कालदampड उDपात मDय व राFस योग तो सम( _प स Dया7य ह अय योगlt कW Dया7य घिटया च म -िद कW गयी ह

योग ध वा व मदगर प लब काण मसल अतक

37

घिटया 1 5 5 5 4 4 2 2 7

नोट - कयोग क समय यिद कोई अय िसिM आिद सयोग भी वत$मान हो तो सयोग का ही फल िमलता ह कयोग का नहV यथा -

अयोग िसिNयोग5 )ावतौ भवतो यिद

अयोगो हयत त िसिNयोग वfतत - राजमाbतampड

1327 कचािद ताकािलक योग

ितिथ-वार तथा नF क िविश सगम स आिवभ$त योगlt का महQD त$शोधन म मह5वपण$ थान ह अत ऐस ही कछ -चिलत योगlt का िववरण चlt म उिuलिखत ह -

ितिथवार जिनत योग

योग रिव सोम मङगल बध गg श शिन

कच 12 11 10 9 8 7 6

सवत 7 x x 1 x x x

दध 12 11 5 3 6 8 9

िवष 4 6 7 2 8 9 7

अिनिजा 12 6 7 8 9 10 11

म य 1 6 2 7 16 3 8 4 9 2 7 5 10

11 12 11 13 14 12 1530

िसि x x 3 8 2 7 5 10 1 6 4 9

12 12 15 30 11 14

किलक 7 6 5 4 3 2 1

अमत 5 10 5 10 2 7 1 6 3 8 4 9 1 6

15 20 15 20 12 11 13 14 11

र नाकर 3 8 1 6 4 9 4 10 2 7 5 10 3 8

13 14 1530 12 1530 13

ितिथवार जिनत योग

योग रिव सोम मङगल बध ग श शिन

यमघ(ट मघा िवशाखा आ+रा मल कितका रोिहणी हत

दध भरणी िचा उषा धिन0ा उफा 1य0ा रवती

अमत हत मगिशरा अि3नी अनराधा प5य रवती रोिहणी

उ पात िवशाखा पषा धिन0ा रवती रोिहणी प5य उफा

38

सवाथिसि अि3नी रोिहणी अि3नी कितका अि3नी अि3नी रोिहणी

प5य मगिशरा कितका रोिहणी पनवस पनवस वाती

उ8राय प5य अ9षा मगिशरा प5य अनराधा वण

हत मल अनराधा उफा हत अनराधा वण

वण अनराधा रवती रवती

अमत रोिहणी अि3नी कितका कितका पनवस अि3नी रोिहणी

उ8राय रोिहणी प5य रोिहणी प5य पफा वाती

प5य हत मगिशरा अ9षा अनराधा वाती उफा

मल रवती पफा वाती शतिभषा अनराधा अनराधा

उफा उभा वण

हत रवती उभा

वण पभा

धिन0ा

पभा

उभा

=शत रवती हत प5य रोिहणी वाती उफा मल

1328 कचािद योग-योजन

कच सवत$ दध िवष अिनिजा मDय किलक उDपात और यमघampटकािद ितिथ वार नF स उदगत समत योग मङगल कम म अशभ होन क कारण विज$त ह परAच िसिM अमत-िसिM सवा$थ$िसिM अमत रDनाकर एव -शतािद योग अपन नाम क अनसार (यथानाम तथा गणा) ही फलदायी होत ह

करण -

ितिथ का आधा भाग करण कहलाता ह क1णपF म ितिथ सlया को सात स िवभािजत करन पर -ाk अविश सlयक करण ितिथ क पवा$M$ म तथा शUलपF म ि4गिणत ितिथ सlया म 02 घटा कर सात का भाग दन पर शषाङक मसlया वाला करण उस ितिथ क पवा$M$ म िथत होता ह उसस अि(म म -ाk करण ितिथ क उEराध$ म होता ह बवािद 11 करणlt का म उनक वामी तथा िविभन ितिथयlt म उनक अितDव का िनn च म -दश$न िकया जाता ह करण वामी शलप+ितिथ कणप+ ितिथ

चर करण

बव इ+ 5 12 पवा 1 8 15 उ8राध 4 11 पवा

बालव ा 2 9 पवा 5 12 उ8राध 1 8 पवा 4 11 उ8राध

कौलव िम 6 13 पवा 2 9 उ8राध 5 12 पवा 1 7 8 उ8राध

39

तितल िव3कमा 3 10 पवा 6 13 उ8राध 2 9 पवा 5 12 उ8राध

गर भिम 7 14 पवा 3 10 उ8राध 6 13 पवा 2 9 उ8राध

विणज लAमी 4 11 पवा 7 14 उ8राध 3 10 पवा 6 13 उ8राध

िविB यम 8 15 पवा 4 11 उ8राध 7 14 पवा 3 10 उ8राध

िथर करण

शकिन किल x 14 उ8राध

चत5पद + x 30 पवा

नाग सप x 30 उ8राध

िकतDन मत 1 पवा x

13281 करण का शभ व अशभ िववचन

बवािद -थम सk चरसकrsquolsquoतथा शकयािद चत य िथरसकrsquolsquoहोत ह बवािद छ करणlt म माङगिलक कम$ शभ भ0ा सव$था Dया7य तथा अितम चार करणlt म िपतकम$ -शत ह

करण करणीय कम

बव बलवीय$वM$क पौि क कम$

बालव अ^ययन अ^यापन य दान

कौलव 9ीकम$ एव मीकरण

तितल सौभायवती 9ी क ि-यकम$

गर बीजारोपण व हल--वहण

विणज यापारकम$

िवि अि( लगाना िवष दना यMार=भ दampड दना तथा समत द कम$

शकिन औषिध िनमा$ण व सवन म साधन तथा पौि क कम$

चत1पद रा7यकम$ व गौ-iाjण िवषयक कम$

िकतन मङगलजनक कम$

नाग मागिलक कम$ विज$त

1329 भािवचार

40

दव-दानवlt क समरकािलक अवसर पर महादव कW रौ0रस स=पन आखlt न उनक शरीर पर ि पात िकया तDकाल उनकW दह स गद$भ - मख तीन चरण सkभजा क1णवण$ सिवकिसत दात -तवाहनवाली तथा मख स अिन उगलती हYई दवी का -ादभा$व हYआ -तत दवी न राFसlt का शमन करत हYए दवताओ का सकटशमन िकया अत दवlt न -सन होकर दवी को िवि -भ0ािद साओ स िवभिषत करक करणlt म थािपत िकया

ितिथयlt क पवा$M$ और पराM$ क अन_प ही भ0ा कW िवxमानता जाननी चािहए उEराध$ कW भ0ा िदन म तथा पवा$M$ कW भ0ा राि म शभ होती ह

प कYण श_ल

ितिथ 3 7 10 14 4 8 11 15

पवा$M$ x भ0ा x भ0ा x भ0ा x भ0ा

उEराध$ भ0ा x भ0ा x भ0ा x भ0ा x

च0मा कW रािश-सचरण क अनसार भ0ा का वास होता ह -

लोकवास मय $वग पाताल

च0रािश 4 5 11 12 1 2 3 8 6 7 9 10

भ0ामख स=मख ऊ^ व$मख अधोमख

भ0ा म याा िनिषM ह परत आवयक होन पर िजस िदशा म भ0ा का वास वही िदशा -याणाथ$ िवशषत Dया7य ह -

ितिथ िदवास ितिथ िदवास

3 ईशान 4 पिaम

7 दिFण 8 आनय

10 वायय 11 उEर

14 पव$ 15 नऋ$ Dय

13291 भा मख-मख - िनnिलिखत च म िविभन -हरlt कW िनिद$ घिटयlt म भ0ा क मख और

पpछ का सकत िकया गया ह शUलपF कW भ0ा म आिदम और क1णपF क अितम घिटया ही इस िवषय म ातय ह

पF क1ण शUल क1ण शUल क1ण शUल क1ण शUल

ितिथ 3 4 7 8 10 11 14 15

-हर 8 5 3 2 6 7 1 4

41

मखघटी 5 5 5 5 5 5 5 5

-हर 7 8 2 1 5 6 4 3

पpछघटी 3 3 3 3 3 3 3 3

भ0ामख व पpछ दोनlt ही शभकायy म Dया7य ह तथािप आवयक होन पर शUलपF म भ0ापpछrsquolsquoऔर क1णपF म भ0ामखrsquolsquoमङगलकायy म (ाf ह -हर-गणना ितिथ क -ार=भ स ही सयदय स नहV

13292 भा अङगिवभाग

एक ितिथ का अध$भाग 30 घटी परिमत होती ह अत भ0ा क िविभन अङगlt म यथा--िद घिटयlt का यास और त7जिनत फल िनn ह -

घटी 5 1 11 4 6 3

भ0ाङग मख गद$न वFथल नािभ कमर पpछ

फल काय$नाश मDय 0यनाश कलह बिMनाश काय$िसिM

-Dयक भ0ा कW अितम तीन घिटयlt म शभकाय$ िकय जा सकत ह िविभन ितिथयlt म िवxमान भ0ा को पF-भद क अनसार साए -दान कW गयी ह क1णपF कW भ0ा को म विaकWrsquolsquoतथा शUलपF कW भ0ा को सिप$णीrsquolsquoक _प म बताया गया ह िबpछ का डक पpछ म तथा सप$ का दश (िवष) मख म होन क कारण विaकW भ0ा कW पpछ और सिप$णी भ0ा का मख िवशषत Dया7य ह

13293 भा म शभाशभ करणीय कम - िवि काल म िकसी को बाधनाकद करना िवष दना

अि( जलाना अ9-श9 का -योग कत$न (काटना) भस घोड़ा और ऊट स=बधी अिखल कम$ तथा उpचाटनािद कम$ -शत ह

िववाहािद माङगिलक कDय याा और गहार=भ व गह-वश भ0ा म Dया7य बताय गय ह

भा म अपवाद -

1 यिद िदन कW भ0ा राि और राि कW भ0ा िदन म -वश कर जाय तो भ0ा िनदष हो जाती ह यथा - रािभ0ा यदि याद िदवा भ0ा यदा िनिश न त भ0ादोष यात सा भ0ा भ0दाियनी - पीयषधारा

2 मङगलवार भ0ा यितपात वधित तथा -Dयर जमतारािद म^या क उपरात शभ होत ह

3 मीन साित म महादव व गणश कW आराधना-अच$ना म दवी पजा हवनािद म तथा िव1ण-सय$ साधना म भ0ा सव$था शभदायक होती ह यथा -

$या भाय भा न शभोजप मीनरािशन योग$तथाhयचन

42

होमकाल िशवाया$तमा तiव साधन सवकालोऽथ मशनयो - 7योिव$दाभरण

1330 राहEकाल का यथाथ

अभी तारीख को थानीय सयदय और सया$तकाल का अतर कर िदनमान ात कWिजए इस िदनमान को आठ (8) स भाग दन पर यामाध$ (आधा -हर) ात होगा -थम यामाध$ का -ार=भकाल सयदयकाल ही ह इसम यामाध$ क घिम जोडऩ पर -थम यामाध$ का समािkकाल (अथवा ि4तीय यामाध$ का -ार=भकाल) ात होगा इसम पन यामाध$ क घिम जोडऩ पर ि4तीय यामाध$ का समािkकाल िनकल आएगा इसी -कार उEरोEर बार-बार जोडऩ पर आठlt यामाधy क यथाथ$ -ार=भ और समािkकाल ात हो जाएग रिववार को आठवा सोमवार को दसरा मङगलवार को सातवा बधवार को पाचवा गs को छठा श को चौथा एव शिन को तीसरा यामाध$ राहYकाल कहलाता ह आजकल -योग म लाया जान वाला राहYकाल का -ार=भ-समािkकाल अशा9ीय ह

1331 िशववास का जानन का कार

वत$मान ितिथ को 2 स गणा करक 5 जोड तDपaात 7 का भाग दव शष 1 रह तो िशववास कलाशपव$त पर 2 म गौरीपाव म 3 म वषा_ढ़ 4 स सभा म सामाय 5 स भोजन म 6 स Wडा तथा शय म मशान म िशव का वास होता ह िशवाच$न क िलए शभ ितिथया -

शUलपF म - 25679121314 एव क1णपF म - 14568111230

िशववास का फल - कलाश म यिद िशवजी का वास हो सखकारक होता ह गौरी क साथ

शभकारक वषभ पर आ_ढ़ हो तो धन व वभव स य Wडा म हो तो सतापकारक सभा व भोजन म म^यम फलदायी मशान म मDयदायी होता ह

14 साराश

पAचाङग अDयत िवतत िवषय ह िजस सिFk म कछ पtlt म सीिमत करना िकसी भी लखक क िलए अस=भव ह पAचाङग म -मखतया पाच अङग होत ह यथा - ितिथ वार नF योग व करण

वत$मान म पAचाङग अDयत िवतत हो चक ह सवD सर राजा मी वष$ का सिहताDमक िवववरण महQD त$काल िववाहािद महQD त$ गणिमलान रािशफल आिद अनकानक िवषयlt क साथ वत$मान क पAचाङग आमजन तक स=पण$ विदक ान को अपन भीतर समािव करत हYए ानवध$न कर रह ह इस इकाई म यथास=भव सभी िवषयlt का वण$न करत हYए पAचाङग का समिचत ान इस इकाई म िदया गया ह

15 श दावली

bull पAचाङग = िजसक पाच अङग हो

43

bull सवD सर = भारतीय वष$

bull अयन = सय$ परमण च

bull सौरमास = सय$ साित मास

bull गampड़ात = पव$ का आिद व अत

bull काल = समय

bull वयिसM = अबझ

bull आनयन = प करना

16 अितलघरामक

1 पAचाङग क पाच अङग कौनस ह उEर ितिथ वार नF योग व करण - इनस िमलकर पAचाङग का िनमा$ण होता ह 2 सवD सर िकतन होत ह उEर सवD सर 60 होत ह 3 दवी ऋत एव िपतर ऋतओ क नाम िलिखएiuml उEर बसत (ी1म एव वषा$ ऋत को दवी ऋत एव शरद हमत एव िशिशर ऋत को िपतर ऋत कहत

ह 4 सौरवष$ व चा0वष$ का मान िलिखए उEर सौरवष$ 365 िदन - 15 घटी - 31 पल - 30 िवपल चा0वष$ 354 िदन - 22 घटी - 01 पल - 33 िवपल 5 अमावया व पिण$मा क भद बताईय उEर -ात काल यािपनी अमावया को िसनीवालीrsquolsquo चतद$शी स िवMा को

दश$rsquolsquoतथा -ितपदा स य अमावया को कहQrsquolsquoसक कहत ह राि को एक कलाहीन और िदन म पण$च0 स स=पन अनमितrsquolsquoसक पिण$मा चतद$शीय होती ह परत राि म पण$ च0मा सिहत पिण$मा -ितपदा स य राकाrsquolsquoसक होती ह

6 ितिथयlt कW सा बताईय उEर नदा (1-6-11) भ0ा (2-7-12) जया (3-8-13) रा (4-9-14) व पणा$ (5-10-15) 7 ितिथ गampड़ात ल( गampड़ात व नF गampड़ात बताईय

उEर पणा$ व नदा ितिथयlt कW म स अत व आिदम दो-दो घिटयlt को ितिथ गampड़ात कहत ह कक$ -िसह विaक-धन मीन-मष रािशयlt क अत और आिदम कW आधी-आधी घटी को

44

ल(गampड़ात कहत ह रवती-अिmनी अ|षा-मघा तथा मीन-मष क नFlt म अत व आिदम कW दो-दो घिटयlt को नF गampड़ात कहत ह

8 नF व िदनमान क अनसार अिभिजत का मान बताईय

उEर उEराषाढ़ा नF कW 15 घटी व qवण नF कW 04 घटी िमलकर अिभिजत सक होती ह तथा िदनमान क म^यभाग म 48 िमनट का काल अिभिजत महQD त$ कहलाता ह

9 सोमवार को करणीय कम$ बताईय

उEर पड़-पौध प1प व उपवन लगाना बीजारोपण 9ीिवहार गायन यािदकाय$ व नय व9 धारण सोमवार को qt रहता ह

10 चर करणlt क नाम िलिखए

उEर बव बालव कौलव तितल गर विणज िवि - य सात चर करण ह

17 लघरामक

-[ - 1 साठ स=वDसरlt क नाम व उनक वामी बताईय

-[ - 2 ितिथ का परचय दीिजय

-[ - 3 नF का परचय दीिजय

-[ - 4 योग का परचय दीिजय

-[ - 5 करण का परचय दीिजय

18 सदभ थ

1 धम$शा9 का इितहास 2 7योितष सnाट पAचाङग

लखक - डॉ पाampडरङग वामन काण स=पादक - डॉ रिव शमा$

-काशक - उEर-दश िहदी सथान -काशक - अ भा -ा 7यो

शो स जयपर

3 कालमाधव 4 महQD त$ िचतामिण

स=पादक - डॉ iजिकशोर वाई याlयाकार - कदारदE जोशी

-काशक - चौख=बा सकत सथान वाराणसी -काशक - मोतीलाल

बनारसीदास वाराणसी

45

इकाई ndash 2

जम पिका सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

इकाई क परखा

20 -तावना 21 उय 22 िवषय -वश 221 जम पिका परचय 222 ितिथ 223 पचाग को दखन कW िविध 224 सयदय साधन 225 वलातर सकार 226 चरपल िनकालन कW िविध 227 िदनमान स सयदय िनकालना 228 थानीय सया$त 229 इ काल कW पहली िविध 2210 परभाषाऍ 2211 इ काल िनकालन कW दसरी िविध 2212 इ काल कW परभाषा व स 23 साराश 24 बोध -[ 25 शZदावली 26 सदभ$ (थ सची

20 तावना

7योितष शा स सबिधत दसरी इकाई हा इस इकाई क अ^ ययन स आप बता सकत ह िक ज म पिका सया$दय वला तर प1 टा तर ान इ1 टकाल U या ह इसक िवषय म स= यक _प स वण$न िकया गया ह 7योितष क तीन कध ह िसMात सिहता होरा इस इकाई क अतग$त कध आिद क अतग$त आन वाल िवषय जम पिका का िनमा$ण िकया जाता ह -ाचीन काल म इस 7योित पदाथy क नF तारlt (हlt क व_प को बतान वाला िवान कहा जाता था Uयltिक जब सMाितक गिणत का

46

पण$ ान नहV था कवल ि स ही (हो का ान िकया जाता था ईसा पव$ 500 म 7योितष म गिणत एव फिलत य दो कध वत _प स िवकिसत हYय 7योितष क अतग$त (हlt कW गित िथित अयनाश आिद गिणत 7योितष क अतग$त आ गए (ह िनरतर गितशील ह िजस समय को बालक जम लता ह उस समय (हlt कW कसी िथित ह और (ह िकतन िड(ी पर -भाव डाल रह ह इन सबका िववचन lsquolsquoिसMात 7योितषrsquorsquo कW दन ह य गिणत और सMाितक गिणत म अतर होन क बाद भी पचागlt का सहारा लत ह जम पिका बनात ह इस इकाई म सयदय सया$त तथा िदनमान और इ काल िनकालन कW िविधयlt का उuलख िकया गया ह जम कampडली िकसी भी जातक (यि) क भत भिव1य एव वत$मान कW स=पण$ जानकारी कहानी होती ह अतः शM जम पिका बनान क िलए िन=न जानकारी होना आवयक ह

bull जातक का जम का वष$ माह एव तारीख

bull जम थान का नाम जहा जम िलया ह वहा का सयदय एव सयत का समय और उस थान क अFाश एव रखाश

bull जम समय

उपय$U त जानकारी सही ह तो शM इ काल िनकाला जायगा इस स जातक कW जम कampडली सही बनगी और उसम भत भिव1य एव वत$मान कW सही जानकारी होगी

21 उय

इस इकाई क िनमा$ण क िन=न उय ह -

bull जमपिका कW िविध का ान

bull सयदय सयत एव इ काल कW िववचना

bull भारतीय मानक समय एव थानीय समय का ान

bull इ काल का महD D व -ितपािदत करना

bull जम कampडली िनमा$ण म ितथी वार नF योग एव करण का ान कराना

22 िवषय वश

221 जम पिका पBरचय- सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

जम पिका- 7योितष शा9 क अनसार िकसी भी जातक क जम क समय क आकाशीय (हlt कW िथित क अनसार जमपिका का िनमा$ण करत ह जमपिका बनान वाल यि अथवा 7योितष

47

को पचाग अथवा जी का पण$ ान होना अDयावयक ह Uयltिक पचाग पर एक वष$ का कालदश$क होता ह िजसम वष$ म होन वाली आकाशीय (हlt कW िथित उनकW गित आिद कW परी जानकारी होती ह

पचाग क पाच अग होत ह- ितिथ वार नF योग और करण

222 ितिथ (रिवचयोगयXर ितिथः)-

7योितष कW भाषा म ितिथ च0मा कW सय$ स अशाDमक दरी को एक ितिथ कहा गया ह -ितिदन लगभग 12 अश का अतर सय$ और च0मा क मण क समय म होता ह दसर शZदlt म च0मा और सय$ पeवी स कभी एक ही अश (0deg अश) पर और 180deg अश पर िदखाई दता ह इस -कार इस दरी मापन को ही ितिथ कहा गया ह

िकसी अय परभाषा स च0मा कW एक कला को ितिथ कहा गया ह ितिथयॉ तीस होती ह (-ितपदा स पिण$मा और -ितपदा स अमावया तक)

ितिथयG क $वामी-

-ितपदा आिन

ि4तीया ijा

ततीया गौरी

चतथ$ गणश

पचमी शषनाग

षtी काित$कय

सkमी सय$

अ मी िशव

नवमी दगा$

दशमी काल

एकादशी िवmदव

4ादशी िव1ण

योदशी काम

चतद$शी िशव

पिण$मा च0मा

48

अमावया िपतर

ितिथयG क सKाऐ-

ितिथयlt का वगrकरण पाच भागlt म िकया गया ह

ितिथया

नदा भ0ा जया रा पणा$

1 2 3 4 5

6 7 8 9 10

11 12 13 14 1530

िसNा ितिथया-

मगलवार बधवार बहपितवार बधवार शिनवार

3 2 5 1 4

8 7 10 6 9

13 12 15 11 14

अमाव$या क तीन भद ह -

1) -ातःकाल स लकर राि तक रहन वाली अमावया को िसनीवाली

2) चतद$शी स िवM को दश$ एव

3) -ितपदा स य अमावया को कहY कहत ह

दbधा िवष और हEताशन सKक ितिथया-

दधा िवष और हYताशन सक ितिथयlt म काय$ करन पर िवन बाधाओ का सामना करना पड़ता ह

दधा-िवष-हYताशन योग सा बोधक च

वार रिववार सोमवार मगलवार बधवार ग_वार शवार शिनवार

दधा 12 11 5 3 6 8 9

सक

49

िवष 4 6 7 2 8 9 7

सक

हYताशन 12 6 7 8 9 10 11 सक

वार-

िजस िदन कW -थम होरा का जो (ह वामी होता ह उस िदन उसी (ह क नाम का वार रहता ह 7योितष शा9 म शिन बहपित मगल रिव श बध और च0मा य (ह एक दसर स मशः नीच िदय गय ह एक िदन कW 24 होरा होती ह दसर शZदlt म घampटा ~वनतM का दसरा नाम होरा ह

वार क कारः-

वार -कार वार -कार

बहपित सौ=य मगल र

च0 सौ=य शिन र

बध सौ=य रिव र

श सौ=य - -

न-

आकाश मampडल म जो असlय तारकाओ स कही आख सप$ शकर एव हाथ आिद कW आकित बन जाती ह व ही नF कहलात ह आकाश मampडल कW दरी नFlt 4ारा ही ात कW जाती ह

1) पचक सKक

धिनtा शतिभषा पवा$भा0पद पवा$भा0पद रवती

पचक दोष

2) मल सKक

मल सक नF को शभ नहV माना जाता ह यिद िकसी बpच का जम 7यtा अ|षा रवती मल मघा और अिmनी नF म होता ह तो 28व िदन क पaात जब वहV नF आता ह तब इन नFlt क दोष शमनाथ$ शाित करवाई जाती ह

7यtा और मल नF मल सक तथा आ|षा सप$ मल सक ह

3) Rव सKक

उEराफाuगनी उEराषाढ़ा उEराभा0पद एव रोिहणी Nव सक

50

4) उQ सKक

पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद पवा$फाuगनी मघा व भरणी उ( सक

5) चर सKक

वाित पनवस qवण धिनtा और शतिभषा चर सक

6) िम सKक

िवशाखा और किEका िमq सक कहलाता ह

7) लR सKक

हत अिmनी प1य और अिभिजत िF- या लघ सक कहलाता ह

8) मद सKक

मगिशरा रवती िच और अनराधा मद सक ह

9) तीlण सKक

मल 7यt आ0ा$ और अ|षा ती6ण या दा_ण सक ह

10) अधोमख

मल आ|षा िवशाखा किEका पवा$फाuगनी पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद भरणी और मघा मखसक ह इन नFlt म शभ काय$ जस - कआ खोदना समान एव ओxौिगक F फUी आिद कW नVव खोदना ह

11) ऊCवमख सKक

आ0ा$ प1य qवण धिनtा और शतिभषा उ^व$मखी सक ह

12) ितयडमख सKक

अनराधा हत वाती पनव$स 7यtा और अिmनी ितय$Yख सक नF ह

13) दbध सKक

दध नFlt म शभ काय$ नहV िकय जात ह जस

1 रिववार - भरणी

2 सोमवार - िचा

3 मगलवार - उEराषाढ़ा

4 बधवार - धिनtा

5 बहपितवार - उEराफाuगनी

51

6 शवार - 7यtा

7 शिनवार - रवती

उपरो नF दधसक कहलात ह

14) मास शय सKक

मास (मिहना) न

1 च - रोिहणी अिmनी

2 वशाख - िचा और वाती

3 7यt - उEराषढ़ा और प1य

4 आषाढ़ - पवा$फाuगनी और धिनtा

5 qवण - उEराषाढ़ा

6 भा0पद - रवती

7 आिmनी - पवा$भा0पद

8) काित$क - किEका मघा

9) माग$शीष$ - िचा और िवशाखा

10) पौष - आ0ा$ अिmनी और हत

11) माघ - qवण मल

12) फाuगन - करणी 7यtा मास शय नF

13) माघ - qवण मल

नFो क चरणानसार नामाFर

रािश नF व उनक चरण नाम क -थम अFर

मष अिmनी 4 भर 4 किEका 1 च च चो ला िल ल ल लो अ

वष किEका 3 रोिहणी 4 मग 2 इ उ ए ओ वा िव व व वो

िमथन मगशीष$ 2 आ0ा$ 4 पन 3 क िक क घ ङ छ क को ह

कक$ पनव$स 1 प1य 4 अ|षा 4 ही हQ ह हो डा डी ड ड डो

िसह मघा 4 पवा$फा 4 उ फा 1 म मी म म मो टा टी ट ट

कया उ फा 3 हत 4 िचा 2 टो प पी प ष ण ठ प पो

52

तला िचा 2 वाती 4 िवशाखा 3 र री _ र य ता ित त त

विaक िवशाखा 1 अन 4 7यtा 4 तो न नी न न नो या यी य

धन मल 4 पवा$षा 4 उEराषा 1 य यो भ भी भ धा फा ढा भ

मकर उ षा 3 qवण 4 पवा$भा0 2 भो ज जी खी ख ख खो ग िग

कभ धिनtा 2 शत 4 पवा$भा0 3 ग ग गो सा सी स स सो द

मीन पवा$भा 1 उ भा0 4 रवती 4 दी द थ झ acute द दो चा ची

न-

7योितष क अनसार अिmनी स लकर रवती तक 27 नF होत ह

-Dयक 9 नF क 9 वामी (ह ह इस -कार तीन नF (उदाहरण क िलए कितका उEरा फाuगनी और उEराषाढा का वामी सय$ ह इसी -कार च0मा रोिहणी हत और qवण क वामी ह)

सारणी न 2

इन 28 नFlt क वामी मशः ह-

नF वामी

1 अिmनी अmनी कमार

2 भरणी यम

3 कितका अिन

4 रोिहणी ijा

5 मगिशरा च0मा

6 आ0ा$ िशव

7 पन$वस अिदित

8 प1य ग_

9 अ|षा सप$

10 मघा िपत

11 पवा$फाuगनी भग

12 उफाuगनी अय$मा

13 हत सय$

53

14 िचा Dव ािवmकमा$

15 वाती वाय

16 िवशाखा इ0ािण

17 अनराधा िम

18 7यtा इ0

19 मल राFस

20 पवा$षाढ़ा जल

21 उEराषाढ़ा िवmादव

अिभिजत िविध

22 qवण िव1ण

23 घिनtा वस

24 शतिभषा व_ण

25 पवा$भा0पद अजकपाद

26 उEराभा0पद अिहब$^य

27 रवती पषा

अिभिजत नF को भी 28वा नF माना गया ह अिभिजत नF सभी मागिलक कायy म शभ माना जाता ह इस नF म उEराषाढ़ा कW आिखरी प0ह घिटया और qवण क -ार=भ कW 04 घिटया इस -कार 19 घिटयlt क मान वाला नF अिभिजत नF कहलाता ह

करण-

ितिथ क आध भाग को करण कहत ह करण यारह होत ह चार िथर और सात चर करण

करण क नाम-

1 बव 2 बालव 3 कालक 4 तितल 5 गर 6 विणज 7 िवि (उसी को भ0ा कहत ह)

य सात चल करण ह जो िक -ितमास शUल पF कW -ितपदा क उEराM$ स श_ होकर चतथr क उEराM$ तक बीतत ह िफर ि4तीया वित म पचमी क पवा$M$ स वस ही -वत होत ह इस -कार क1ण पF कW चतद$शी क पवा$M$ तक इही का अवथान रहता ह

54

-ित मास क1ण पF कW चतद$शी क उEराM$ म शकनी 1 अमावथा क पवा$M$ म चतथr पद 2 उEराM$ म नाग 3 और शUल पF कW -ितपदा क पवा$M$ म िकत न 4 य चारlt (शकयािद) करण थायी _प म सदव रहा करत ह इसी स उनको िथर करण कहत ह

इस -कार 7 चल और 4 िथर करण मान गय ह

योग-

नF कW तरह ही योग भी 27 होत ह

च0मा और सय$ क रायाशlt का योग जब (13 अश 20 कला) या इसक गणा करन पर पण$ एक योग का िनमा$ण होता ह इस -कार िव1क=भ स लगाकर वधित तक कल 27 योग होत ह

योग वामी योग वामी

1) िवष क=भ यम 6) अितगampड च0मा

2) ि-ित िव1ण 7) सकमा$ इ0

3) आय1मान च0मा 8) धित जल

4) सौभाय ijा 9) शल सप$

5) शोभन बहपित 10) गampड अिन

11) विM सय$ 20) िशव िम

12) Nव भिम 21) िसM काित$कय

13) याघात वाय 22) सा^य सािवी

14) हष$ण भग 23) शभ ल6मी

15) व व_ण 24) शUल पाव$ती

16) िसिM गणश 25) ijा अिmनी कमार

17) यनीपात _0 26) ऐ0 िपतर

18) वरीयान कबर 27) वधित िदित

19) परष िवm कमा$

इस -कार पचाग क पाचlt अगlt का पण$तः ान पचाग का भली भॉित अ^ययन करन पर ही हम जम पिका सही ढग स बना सकत ह

पचाग दखन पर प होता ह िक जातक क जम क समय मास पF ितिथ वार योग करण नF आिद कW िथित और मान Uया थ

55

223 पचाग को दखन क िविध

उदाहरण क िलए िकसी जातक का जम 23 अ-ल 2012 तदनसार वशाख शUल पF सवत 2069 ि4तीया ितिथ सोमवार को हYआ तो उस मास का पचागदखन पर ात हYआ िक सव$-थम पि म ही ितिथ वार नF आिद मान सिहत िदय ह उ जातक का जम ि4ितया ितिथ 29 घिट सोमवार कितका नF 1 घिट 38 पल (अगल िदन तक) सौभाय योग 16 घिट 03 पल एव तितल करण 3 घिट 04 पल थ इस िदन िदनमान 16 घिट 01 पल सयदय 6 बजकर 01 िमिनट -ातः और सया$त साय 6 बजकर 56 िमिनट पर हYआ इसी -कार च0मा मष रािश म और सय$प मष रािश क 09 अश 09 कला 45 िवकला पर िथत था और सय$ गित 58 कला 21 िवकला थV

जम कampडली बनान म पचागlt क अलावा रखाश अFाश मानक समय रिवाित वलातर एव रखातर अथवा रuव अतर कW आवयकता होती ह इसकW परभाषाऍ नीच दी जा रहV ह-

(प qीबuलभ मनीराम पचाग क अनसार)

224 कछ पBरभाषाए -

1रखाश अाश - िवm मानिच म आपन कई ऊध$ और ितयक रखाए िखचV हYई दखी हltगी जो पव$

स पिaम कW और और उEरी Nव स दिFणी Nव कW ओर िखचV गई ह हमारी पeवी क बीचlt बीच एक काuपिनक रखा पव$ स पिaम कW ओर पिaम स पव$ कW ओर िखची गई ह इस भम^य रखा कहत ह

अाश - जो रखाए भम^य रखा क समातर भम^य रखा स नीच और ऊपर कW ओर खVची गई ह इह

अFाश रखाए या िसफ$ अFाश कहत ह

रखाश - व उ^वा$धर रखाए जो उEरी Nव स दिFणी Nव ओर खVची गई ह उह दशातर रखाए अथवा

रखाश कहत ह

मानक समय - वह घिड़यlt का समय जो दश क िकसी भी थान पर एक सा रहता ह वह मानक समय ह

जबिक रखाश म अतर कW वजह स िकसी भी थान िवशष का समय अलग-अलग होता ह (1 अश रखातर क अतर पर 4 िमनट का समयातर आता ह)

2 रिव ाित अथवा सय ाित

सय$ कW िकरण िजस अFाश पर ल=बवत पड़ती ह वह उस िदन कW रिव ित कहलाती ह

भम^य रखा पर रिव ाित 21 माच$ और 23 िसत=बर क लगभग शय ऋण(00) होती ह

22 माच$ स 23 िसत=बर तक उEर ाित और 24 िसत=बर स 21 माच$ रिव ाित दिFण ाित कहलाती ह

56

3 वलातर

सय$ और पeवी दोनlt गितमान ह िकत -ितिदन दोनlt कW गितयlt म अतर ह इस अतर को सामजय करन क िलए (मानक समय स थानीय या थानीय समय क मानक समय म जो समयातर ऋण अथवा धन िकया जाता ह वह वलातर सकार कहलाता ह) टampडड$ समय बनाना हो तो रuव अतर का िचह ऋण एव धन जो ह उसी -कार रख जायग लिकन वलातर का िचह सारणी म ऋण व धन जो ह उसम िवलोम धन हो तो ऋण और ऋण हो तो धन सकार करन पर प थानीय समय -ाk होगा

4 रखातर (अथवा र3व अतर)

मानक रखाश (भारत क िलए मानक रखाश ) स थानीय रखाश म -Dयक 1 अश अतर क िलए 4 िमनट का समयातर थानीय समय स मानक समय अथवा मानक समय स थानीय समय म बदलन क िलए (ऋण + धन) िकया जाता ह वही रखातर सकार अथवा रखातर अथवा रuव अतर कहलाता ह

225 सयAदय एव सया$त साधन

जातक का िजस थान पर जम हYआ उस थान िवशष का सयदय का थानीय समय लत ह Uयltिक एक थान का सयदय व सया$त का समय अलग-अलग होता ह सयदय और सया$त का थानीय समय ात करन कW कई िविधया ह यहा कW िविध स सयदय साधन करत ह

िविध -

1 िजस थान िवशष का सयदय ात करना ह उस थान िवशष क अFाश और उस िदन कW रिवाित (या सय$ ाित) सारणी स ात कर लव (सभी पचाग स उपरो सारिणया होती ह)

2 इिpछत अFाश और रिवाित को गणा कर और 5 का भाग दकर चर पल बनाल

3 इस -कार -ाk चर पलlt को 2) स भाग दकर चर िमनट बना लव

4 उस िदन रिव उEर (+) हो तो 6 घट म इन चर पलlt को घटाएग इसी -कार रिवाित उEर होन पर चर िमिनट म 6 घampट जोड़न पर सया$त -ाk होगा

5 इस -कार -ाk सयदय का मान थानीय सयदय का मान होगा

चिक जातक का जम समय का मान हम भारतीय टampडड$ टाइम क अनसार ही दखत ह और सभी घिड़यlt म सभी थानlt पर एक सा ही समय िदखाती ह (उदाहरण क िलए यिद िदuली म घिड़या दोपहर क 230 बजा रही ह तो म=बई और कोलकाता म भी घिड़या दोपहर क 230 ही बजा रही हltगी

Uयltिक यहा भारतीय का मानक समय ह जो स िलया गया ह पज समय ह) अतः हम इस थानीय समय को मानक समय म (पज) बदलना होगा

57

6 अतः उपरो थानीय सयदय क मान को मानक समय बनान क िलए रखातर या दशातर सकार (धन या ऋण) करना पड़ता ह एक दशातर का मान 4 िमिनट होता ह

उदाहरण क िलए जातक का जम जयपर म हYआ जयपर का रखाश ह और IST का रखाश ह दोनlt का अतर िकया

IST रखाश

जयपर का रFाश 75050 (-) घटाया

06 - 40 शष

शष को 4 स गणा करन पर

चिक 10 = 4 िमिनट

600400

times 4

24160 (िमस)

160 स म 60 का भाग दकर िमिनट बनाएग

24 िमिनट160 स`कampड य 60

24 िम + 2 िम 40 स

अतः जयपर का दशातर 26 िम 40 स`कampड (ऋण)

नोट अभी रखाश 82030 (2णampज) स कम होन पर (+) धन और अिधक होन पर (-) ऋण करग

उपरो lsquolsquoदशातर सारणीrsquorsquo स भी ल सकत ह जो सभी पचागlt म भी दी जाती ह

7 दशातर सlया (इस रuव अतर भी कहत ह) करन क पaात वलातर सकार करत ह

वलातर स$कार-

चिक पeवी और सय$ कW राि म समानता नहV ह अतः दोनlt कW गित म सामजय बठान क िलए वलातर सकार िकया जाता ह टampडड$ समय स थानीय समय बनाना हो तो रuव अतर का िचह (-) (+) जो ह वस ही रख जायग लिकन वलातर कW िचह सारणी म (-) (+) जो ह उसस िवलोम (+) धन हो तो (-) ऋण हो तो (+) धन सकार करन पर प थानीय समय -ाk होगा

सारणी - बuलभमनीराम पचाग

1 दशातर सारणी - पt स 86 - 87

58

2 वलातर सारणी - पt स 95

3 चरपल सारणी - पt स 89

4 रिवाित सारणी - पt स 94

227 चरपल िविध

चरपल िविध 4ारा सयदय िनकालन कW िविध

स- चरपत X आFाश रिव ाित

5

उदाहरण-

िकसी जातक का जम जयपर शहर म िदनाक 30 अUटबर 2012 तसार qीकाित$क क1ण पF -ितपदा सवत 2069 मगलवार को साय 7 बजकर 25 िमनट पर हYआ चरपल स इस िदन का सयदय ात कर पनः इ काल भी ात कर

िदनाक - 30 अUटबर 2012

थान - जयपर

अFाश - 26056

रखाश - 75050

रिवाित - 1351 दिFण

बलातर - (-) 1621 ऋण

स- चरपत X आFाश रिव ाित

5

26056 X 75050

5

3725

5

= 745 पल

चर िमनट = 745

= 298 िम

59

= 29 िम 48 स

सयदय - घ िम स

6 00 00

+ 29 48 जोड़ (रिव ाित दिFण होन स)

6 29 48 थानीय सयदय

थानीय सयदय - घ िम स

06 29 48

+ 26 40

06 56 28 थानीय म^यम सयदय

घटान पर (-) 16 21 (-) बलातर सकार

मानक सयदय 06 40 07

िदनाक 30102012 को जयपर का मानक सयदय 06 बजकर 40 िम 07 स -ाk हYआ

228 िदनमान स सयAदय िनकालना

सयदय िनकालन कW अय िविधया

1 उपरो चर िमनट को ि4गिणत कर

2 यिद रिव ाित दिFण (+) ह तो -ाk चर िम को 12 घट म जोड द ाित दिFण (-) होन पर 12 घट म स घटा द -ाk मान िदनमान होगा (िदनमान - सयदय स सया$त तक का समय िदनमान कहलाता ह)

3 -ाk िदनमान का आधा िदनाM$ कहलाता ह यह िदनाM$ का मान ही थानीय सया$त का मान ह

सयदय एव सया$त का सः-

सया$त acute 2 = िदनमान (घ िम) acute 2)

= िदनमान (घ प)

सया$त acute 5 = िदनमान (घ िम)

सया$त 06 14

X 5

3070

60

= 3110 िदनमान

स-

1) रािमान = सयदय X 5 = रािमान (घ प)

(घ प)

2) रािमान = 60 00 - िदनमान

रािमान ात करन क िलए 60घिट म स िदनमान घटान जो मान -ाk होता ह वह रािमान कहलाता ह

उदाहरण

घ प

60 00

- 31 10 िदनमान

28 50 रािमान

सानसार िदनमान + राि अM$ + जम समय ज acute 2)

जम समय = 03 बज -ातःकाल

वलातर 039

दशातर - 27

030000 जम समय

- 2700 दशातर 3110 िदनमान

जम समय LT 023300

X 2 12 062230

2850 रािमान

2

3110 िदनमान

1425 राि अM$

4535

61

453500

+ 062230 जम समय LT

515730 इ काल (घ पल)

229 $थानीय सया$त

िदनमान

2

उपरो उदाहरण स चर िमनट - 29 िम 48 स

चर िमनट का ि4गिणत - 29 िम 48 स acute 2

= 59 िम 36 स

िदनमान = 12 घट - 59 िम 36 स

िदनमान = 11 घट 0 िम 24 स

िदनाM$ - िदनमान -- थानीय सया$ त

2

11 घ ndash 24 स

2

थानीय सया$त - 5 घ 30 िम 12 स

थानीय सया$त - घ िम स

12 00 00

सया$त (-) 05 30 12

06 29 48 थानीय सयदय

+ 26 40 दशातर सकार

06 56 28

वलातर सकार - 16 21

मानक सयदय 06 40 07 थानीय सयदय

62

2210 इकाल िनकालन क पNितः-

परभाषा- सयदय क बाद जम समय तक िजतना जम समय घampट िमिनट या घटी पल म होता ह वह इ काल कहलाता ह

जातक क जम समय म स सयदय का मान घटान पर जो समय ात होता ह वह इ काल कहलाता ह

इ काल - जम समय - सयदय का मान (ज) स

उपरो उदाहरण म जम समय साय 725 बज

जम समय = 12 + 725 घट

= 1925 साय

इ काल = जम समय 1925 - सयदय 64007 (घटाया)

= 12 घ 44 िम 53 स (घटा िमनट म)

acute 2 12

= इ काल

चिक 7योितष कW सभी गणनाए अिधकतर घटी पल म होती ह अतः उपरो को 2) स गणा करन पर इ काल का घटयािद मान -ाk होगा

इ काल (घटयािद म) = (124453) acute 2)

= 31 घिट 52 पल

यिद िकसी जातक का जम िदनाक 30 अUटबर 2012 को राि क 1 बजकर 40 िमनट पर हYआ हो जम समय म 24 घट जोड़कर समय 25 घट 40 िमनट लग िकत िदनाक 30 अUटबर 2012 िदन मगलवार ही लग न िक बधवार जसा िक रuव म म^य राि क बाद अगल िदन मान लत ह िकत 7योितष म िदन एव ितिथ सयदय क समय क बाद स माना जाता ह

यहा पर यह बात भी ^यान दन योय ह िक जम का समय जहा कहV भी दखग वह घिड़यlt म सभी जगह एक सा (अथा$त मानक समय) होगा जबिक सयदय का समय सभी जगह अलग-अलग होता ह इसीिलए थानीय सयदय कहलाता ह अतः इस मानक समय म बदलना ज_री होता ह अगर सयदय का समय थानीय लत ह तो जम समय को भी थानीय मसय म बदलना होगा Uयltिक दोनlt कW इकाई एक होन पर ही इ काल सही होगा अयथा इ काल िटपण$ होगा और इ काल क िटपण$ बनगी

2211 इकाल िनकालन क दसरी पNित

इस पMित म -थम पMित स अतर िसफ$ इतना ह िक -थम पMित म सयदय या सया$त का इ काल िनकालन क िलए -योग िकया जाता ह

63

िकत इस पMित म सया$दय या सया$त का -योग नहV िकया जाता इसक थान पर िदनमान या राि मान -योग िकया जाता ह

1 सया$दय स लकर 12 बज िदन तक का जम समय होन पर -

स- िदनाM$ - (12 - जम समय ज) times 2))

= इ काल (घटी पल)

उदा0 जम समय 8 बज होन पर तथा िदनमान 28 घटी 50 पल तथा राि मान 31 घटी 10 पल ह तो इकाल Kात होगा

िदनाM$ 1425 1200 घampट िदन क िदनमान

2 िMनाअ$तर

- 1000 - 800 जम समय ज

0425 इ काल 400

acute 2 12

1000 अतर

नोट - इस पMित म िदनमान या रािमान िलय जात ह वो घampट िमिनट म न होकर घटी पल म होत ह अतः इसका -योग सीधा िकया जाता ह इसम 2) स गणा नहV िकया जाता

2211 इकाल िनकालन क स व िविधया

1 स- िदनाM$ = िदन क 12 बज का इ

यिद िकसी यि का जम िदन क ठीक 12 बज िदन क थानीय समय म हYआ ह तो उसका इ सीधा िदनाM$ ही हो जाता ह

इसी -कार िदनमान परा सया$त क समय का इ होता ह

2 स- सयदय स सया$त = िदनमान (इ घटीपल)

अगर िकसी यि का जम ठीक सया$त क समय म थानीय समय म हो तो उसका इ िदनमान का स=पण$ मान ही होता ह

राि क वातिवक 12 बज इ िदनमान + राि अM$ क बराबर होता ह

3 स- िदनमान + राि अM$ = राि 12 बज (थानीय समय) (इ घटीपल)

िदन क 12 बज स राि 12 बज तक का समय होन पर -

64

4 स- िदनाM$ + (जम समय times 2 frac12 इ काल

राि 8 बज जम समय ज

िदनमान - 2850 राि मान 3110

िदनाM$ 1425 08 00 जम समय

जम समय (घ प) (+) 2000 2 12

3425 2000

िदनमान -- थानीय सया$ त िदनाM$ -

2

28 50 िदनाM$ -

2

राि बारह बज स अगल सयदय होन का समय का जम समय होन तक

5 स-

िदनमान + राि अM$ + (जम समय 2 frac12 = इ काल

उदाहरण-

जम िदनाक 03092012

जम समय 03 बज ातःकाल

जम थान कोटा

अFाश 2510

रिवाित + 0728

3556 (चर पल) 2 frac12

= 1422 चर िमिनट

रिवाित होन कW वजह स 6 घampट म स चर िमिनट िनकालन पर सयदय आयगा

घ0िम0स0

65

060000

- 001422

054538

= 546 सयदय

12 घampट म स सयदय घटान पर सयत -ाk होगा

घ0िम0स0

120000

- 054600

061400 सयत

23 साराश

इस इकाई म जम कampडली िनमा$ण कW िविध 4ारा जम कampडली आसानी स बनाई जा सक इसका -यास िकया गया ह इसम ितथी वार नF योग करण जम समय जम थान एव जम वष$ कW जानकारी कराई गई ह सयदय वलातर प ातर ान एव इ काल िनण$य कW सगम पMित बताई गयी ह िजसस 7योितष सीखन वाल छा जम कampडली का िनमा$ण कर सकगा

24 बोध

1 पचाग िकतन अग होत ह

उEर पचाग क पाच अग होत ह

ितथी वार नF योग एव करण

2 ितिथयlt का वगrकरण करए

उEर ितिथयlt कW पाच साऐ होती ह

नदा भ0ा जया रा पणा$

1 2 3 4 5

6 7 8 9 10

11 12 13 14 1530

3 नF िकतन होत ह नाम सिहत िलिखए

66

उEर नF 27 होत ह

1 अिmनी 2 भरणी 3 कितका 4 रोिहणी

5 मगिशरा 6 आ0ा$ 7 पन$वस 8 प1य

9 अ|षा 10 मघा 11 पवा$फाuगनी 12 उफाuगनी

13 हत 14 िचा 15 वाती 16 िवशाखा

17 अनराधा 18 7यtा 19 मल 20 पवा$षाढ़ा

21 उEराषाढ़ा 22 qवण 23 घिनtा 24 शतिभषा

25 पवा$भा0पद 26 उEराभा0पद 27 रवती

1 अमावया क िकतन भद होत ह

उEर अमावया क तीन भद होत ह-

2 -ातःकाल स लकर राि तक रहन वाली अमावया को िसनीवाली

3 चतथ$दशी स िवद को दश$ एव

4 -ितपदा स य अमावया को कहY कहत ह

5 इ काल िकस कहत ह

उEर जातक क जम समय म स सयदय का मान घटान पर जो समय ात होता ह वह समय इ काल कहलाता ह

24 िनबधामक

1 सयदय साधन करन कW िविध समझाइय

2 इ काल िनकालन कW िविध उदाहरण सिहत समझाइय

25 शदावली

इस इकाई म जम कampडली िनमा$ण कW िविध 4ारा जम कampडली आसानी स बनाई जा

इ काल = जम का घिटयािद मान

पचाग - ितथी वार नF योग एव करण

मद = स=य

उ( = अशभ

67

अMिदनमान = अहोरा (पर िदन कW रािमान राि का स=पण$ मान)

IST = भारतीय मानक समय

LT = थानीय समय

26 सदभ थ सची

1 भारतीय 7योितष लखक डॉ नमीच0 शा9ी

2 पचाग बuलभमनीराम

लखकः- qीमती िवजयल6मी शमा$

किनt िलिपक वध$मान महावीर खला िवmिवxालय कोटा

68

इकाई - 3

इ काल स जम कampडली िनमा$ण (ह साधन (चालन धन-ऋण) भयात-भभोग

इकाइ क परखा

30 -तावना 31 उय 32 िवषय -वश 321 लन 322 भयात और भभोग साधन 323 चालन 324 (ह प 33 साराश 34 शZदावली 35 अ~यास -[ 36 सदभ$ (थ सची

30 तावना

इस इकाई म जम कampडली का िनमा$ण इ काल स िकया गया ह पव$ कW इकाई म जम पिका क िनमा$ण म पचाग कW सहायता स ितिथ वार नF योग और करण एव सयदय वलातर थानीय समय और इ काल कW िविध समझायी गयी ह इसक पaात इस इकाई 03 म इ काल स जम कampडली का िनमा$ण िकया गया ह

भयात भभोग साधन क 4ारा (ह प बताए गय ह चालन धन (+) ऋण (ग) को िविध 4ारा प िकया गया ह एव चालन 4ारा (ह प िकया गया ह इसम िवxाथrयlt को जम कampडली िनमा$ण सरल पMित स उदाहरण सिहत समझाया गया ह

31 उय

इस इकाई का उय छाlt को जम कampडली िनमा$ण िकस -कार िकया जाता ह उदाहरण सिहत िवतत _प स समझाया गया ह िजसस छाlt को आसानी स समझ सक और जम कampडली का िनमा$ण वय कर सक छाlt िक सिवधा क िलय लन सारणी इस ईकाई म दी गई ह

69

32 िवषय वश

इ काल स जमकampडली िनमा$ण

321 लbनग

पव$ क िFितज पर जम क समय और आकाश क िमलन पर जो (ह उदय हो रहा उसका बड़ा महD D व ह िकसी भी घटना िवशष पर पव$ क िFितज पर िजस रािश का उदय िजतन अशकलािवकला पर हो रहा ह वह उस घटना का लन ह इसिलए सभी शभ काय म लन का बड़ा महD D व ह

लन कW गणना क िलए इ काल सय$ क अश लन सारणी का िवचार िकया जाता ह

कampडली बनान म इ काल एव लन कW गणना स6म होनी चािहए अयथा सारी गणनाऍ गलत िसM होगी लन कampडली का महD D वपण$ अग ह गलत लन होन पर कampडली भी गलत बनगी 24 घampट म 12 लन होत ह

उदाहरण 1

िकसी बालक का जम 14 जनवरी 2004 को 3 बजकर 20 िमिनट सायकाल को कोटा म हYआ तो लन िनकाल

थान कोटा जम समय 320 दोपहर

जम समय = 1520 बज 14 जनवरी 2004

सयदय (कोटा) = 718 बज

इ काल = जम समय ग सयदय

(घ०िम०)

= 1520 ग 718

= 802

इ काल = 2005

14 जनवरी 2004 = 08-290 ndash 04 ndash 10

लन सारणी स 80 पर सयदय = 5106

इ काल +2005

लन प 1111

= 7111

- 6000

70

1111

लन िथित

1104 पर 10 पर अतर ह 60 कला का

1117 पर 1 पर अतर ह

0010 का 1 कF 7 पर अतर ह = 42 कला का

1111

1104

0007 (अतर)

अतः लन िथित

उदाहरण 2

जम िदनाक 3 िसत=बर 2012 (03092012) जम समय 300 -ातःकाल इ काल 515730 (हमन ऊपर िनकाला हYआ ह)

िदनाक 03092012 क सयाश 4 रािश 16 अश 18 कला और 21 िवकला ह लन सारणी स (बuलभमनीराम पचाग पज 53 स) सयाश क अनपातक घिट पल -ाk कर इ काल म जोड़

घिट पल िवपल

इ काल ग 51 - 57 - 30

सयाश क घटी पल (+) 26 - 12 - 00 जोड़न पर

78 - 09 - 30

60 - 00 - 00 (60 घटी घटायी)

(-ाk घटीपल) 18 - 09 - 30

इन -ाk घटी पल क पनः उसी लन सारणी म दखन पर लन क रािश अश -ाk हYए

71

18 घटी 09 पल पर लन 3 रािश 4 अश

इस -कार लन कक$ रािश क 40-18-09 आया इसस लन कampडली बनाकर (ह क प मान स (हो कW थापना करन पर जम कampडली -ाk होगी

इस -कार -ाk जम कampडली

322 भयात और भभोग साधनग

यिद पचाग अपन यहा का नहV हो तो पचाग क ितिथ नF योग और करण क घटी पलlt म दशातर सकार करक अपन थानगजहा कW जमपी बनानी हो वहा क नF का मान िनकाल लना चािहए

यिद इ काल स जमनF क घटी पल कम हlt तो वह नF गत और आगामी नF जमनF कहलाता ह तथा जमनF क घटी पल इ काल क घटी पलlt स अिधक हlt तो जमनF क पहल का नF गत और वत$मान नF कहलाता ह गत नF क घटी पलlt को 60 म स घटान पर जो शष आव उस दो जगह रखना चािहए तथा एक थान पर इ काल को जोड़ दन स भयात और दसर थान पर जमनF जोड़ दन पर भभोग होता ह

नोट -

1) इ काल ग इ काल अिधक ह तो जम नF अगला होगा

2) इ काल ग इ काल नF क मान स कम ह तो जम नF वहV होगा

भभोग िनकालन का तरीकाग

1) अगर नF का मान इ काल स कम ह तो भभोग िनकालन क िलए (60 घटी ग पव$ नF का मान + अगल नF का मान जोड़ द) (नF अगला माना जायगा)

2) अगर इ काल क मान स उस िदन क नF का मान अिधक हो तो 60 घटी म िपछल नF का मान घटाय - इस नF का मान जोड़ द नF वत$मान माना जायगा (60 - िपछला नF + वत$मान नF)

72

भयात िनकालन क िलए -

1) यिद इ काल क मान स गत नF का मान कम ह तो इ काल म स गत नF को घटान पर भयात -ाk होगा (जम नF अगला माना जायगा)

स भयात = इ काल ग नF का मान

2) अगर नF का मान इ काल क मान स अिधक ह तो जम नF वही माना जायगा गत िदन क नF को 60 घिट म स घटा कर इ काल जोड़न पर भयात -ाk होगा

भयात = 60 घटी ग गत नF का मान + इ काल

= 60 ग गत नF + इ काल

नोट

जम तारीख पर यिद वत$मान नF गत नF हो जाता ह तो भयात = इ काल ग गत नF होता ह अथा$त इ काल म स गत नF को घटान पर ह भयात हो जाता ह

उदाहरण 3

जम िदनाक 10 अगत 2003 जम समय 12 बजकर 40 िमिनट सायकाल

सयदय 602 बज भयात भभोग िनकालो

जम समय ग सयदय

घ िम

जम समय = 12 40

= - 06 02

= 6 38

acute 212

इ काल = 1635 (घ० पल) -ाk हYआ

गत नF प० षाढ़ा = 0428 (घ० पल) तक

वत$मान नF उ० षाढ़ा = 0153 (घ० पल) तक

गत नF प० षाढ़ा का मान इ काल क मान स कम ह अतः जम नF हYआ उ० षाढ़ा

भयात = इ काल ग गत नF

= 1635 - 428

73

भयात = 1207 (घ० पल)

भभोग = 60 ग गत नF का मान + अगला नF

= 60 - 428 + 153

= 5532 + 153

भभोग = 5725 (घ० पल)

चरण = 5725

4

= 14 2115 -थम चरण

= 28 42 30 ि4तीय चरण

= 43 03 45 ततीय चरण

अतः नF उ० षाढ़ा का -थम चरण का जम ह

उदाहरण 4

जम िदनाक 10 अगत 2003 जम समय 6 बजकर 25 िमिनट -ातःकाल सयदय 602 भयात भभोग िनकालो

10082003 वत$मान नF पवा$षाढ़ा = 428 घ० पल

09082003 का गत नF = 648 घ० पल

जम समय 625

सयदय 602

इ काल = 625 - 602

= 0023 िम०

= 0023 times 212

= 57 पल 30 िवपल

भभोग = 60 ग गत नF का मान + वत$मान नF

= 60 - 748 + 428

= 6428 - 784

= 5640

74

भभोग = 56 घ० 40 पल

-थम चरण = 14 घ० 10 पल

ि4तीय चरण = 28 घ० 20 पल

ततीय चरण = 42 घ० 30 पल

भयात = 60 - गत नF का मान + इ काल

= 60 - 748 +

= 5212 + 05730

= 53 घ० 9 पल 30 िवपल

अतः जातक का जम नF पवा$ षाढ़ा क चौथ चरण का ह

उदाहरण 5

जम िदनाक 11 जलाई 2003 समय 930 -ातःकाल सयदय 548 -ातःकाल का भयात भभोग ात कर

इ काल (घ० िम०) = 930 - 548

= 3rdquo42X212

इ काल (घटीपल) = 915

सौर पश$ = 224rsquo03rsquo07rsquorsquo(िमथन राशी 24rsquo03rsquo07rsquorsquo)

इ काल (घटीपल) = 915

सयाश का मान = 1624rsquo03rsquo07rsquorsquo11लन िसह रािश क पर ह

लन = 2526

लन प 411055rsquo

लन िसह रािश क पर ह

लन 110 -55

75

इ काल ग 915

गत नF ग अनराधा 5800

वत$मान नF ग 7यtा 5233

भभोग = 60 - 5800 + 5233 = 5433 -थम चरण 13335

भयात = 60 - 5800 + 915 = 2 + 915 = 1115 ि4तीय चरण 270330

जातक का जम 7यtा नF क पहल चरण का होगा

उदाहरण 6

जातक का जम िदनाक 03082003 इ काल 142653 सयदय 0557 भयात भभोत ात कर

वuलभमनीराम पचाग सग

नF घटीपल घिम सयदय घिम

िदनाक 03082003 हत 2812 1747 557

02082003 पव$ उ०फाuगनी 3058 1858 557

03082003 जम िदनाक 2812 + 12230टampडड$ सयदय 620

िदनाक 03082003 सयदय शखावाटी (-) 557

वातिवक मान रामगढ़ 283430 033

पव$ नF 3058 + 12230 212

िदनाक 02082003 012230

वातिवक मान रामगढ़ 322030

कोटा सया$त 558

सयदय रामगढ़ - 557

001

212

पव$ नF 3220

- 0003

कोटा पव$ नF मान 3217

76

इ काल + 140 - 26rsquo-53rsquorsquo

भयात 420 - 09rsquo-53rsquorsquo कोटा म वत$मान नF का मान

अतः भयात =420 - 09rsquo-53rsquorsquo रामगढ़ का मान 2934

भभोग 600 -000rsquo-00rsquorsquo सयदय का अतर ग 0003

- 320 -17rsquo-00rsquorsquoकोटा का मान 2931

+290 - -31rsquo-00rsquorsquo

भभोग 570 - 41rsquo-00rsquorsquo

भयात 420 -09rsquo-53rsquorsquo एव भभोग 55-570 -41rsquo-00rsquorsquo-ाk हYआ ह

िटhस

1) यिद इ काल का मान पचाग म उस िदन क नF क मान स कम ह तो वह नF जम नF कहलाता ह और उसस पहल का नF गत नF ह

2) यिद इ काल का मान पचाग क उस िदन क नF मान स अिधक ह तो वह नF गत नF कहलाता ह अगामी नF जम नF ह

323 चालनग चालन (धन + ऋण) साधनग

पचागlt म -Dयक पF (साkािहक) इ काल (ह प िदय रहत ह उनक नीच कW पि म दिनक गित का मान िदया रहता ह पचाग म िदए गए इहV (हlt म स अभी काल क (ह प करन को (ह साधन कहा जाता ह पचाग म साkािहक (ह प कW पि दी होती ह उसी क अनसार यिद अपन इस समय स आग कW प पि होती हो तो पि कW गणना रिववार स श_ कW गई ह अथा$त रिववार कW सlया 1 सोमवार कW सlया 2 मगलवार कW सlया 3 बधवार कW सlया 4 ग_वार कW सlया 5 शवार कW सlया 6 शिनवार कW सlया 7 आिद स घिट पलlt म स इ काल कW घटी पल घटान स शष तuय ऋण चालन होता ह यिद पि पीछ कW हो और इ काल आग का हो तो इ काल क वार घटी पलlt म स पि क वार घटी पलlt को घटान पर जो मान -ाk होता ह उस धन चालन कहत ह इस ऋण व धन चालन को पचाग म दी गई (ह गित स गणा करन पर जो अश आिद आय उस उह धन या ऋण चालन क अनसार पचाग म िदय गय (ह मान म जोड़न या घटान पर प (ह आत ह

राहY और कत वW (ह कहलात ह इनक िलए हमशा ऋण चालन म -ाk अशािद फल को जोड़न और धन चालन स -ाk अशािद फल को घटान स जो मान -ाk होता ह वहV उसका प मान होता ह

उदाहरणग (चालन)

जम िदनाक 03 िसत=बर 2012 जम समय 300 -ाkः काल इ काल 515730

77

पचाग म पिथ कampडली कW तारीख 1 िसत=बर 2012 तथा इ 0000 पल िदया हYआ ह अपनी जम तारीख स पिथ कampडली कW तारीख पीछ होन कW वजह स चालन कW गित धनाDमक (+) रहगी इन दोनlt तारीखlt व इ ो का अतर हमारा वह चालन होगा िजसस हम सभी (हlt को प करग

िदन इ घटी पल

जम 3 51 57 30

पिथग1 00 00 00

चालन +2 51 57 30

उदाहरणग

(बuलभबलीराम क अनसार)

जम िदनाक 14 नव=बर 2012 जम सयम 600 सायकाल

जम समय इ काल = 3130 चालन ात कर

पचाग म पिथ कampडली कW तारीख 17 नव=बर 2012 द रखी ह तथा वहV पर ही पिथ कampडली कW इ घटी 00 घटी 00 पल द रखी ह इस -कार हमारी जम तारीख पिथ तारीख स पीछ पड़ रही ह अतः हम पिथ कampडली स (ह प करन क िलए पीछ चलना पड़गा अतः चालन (ग) ऋणाDमक रहगा और अपनी जम तारीख और इ को पिथ तारीख और इ पर घटान पर जो मान आयगा वह चालन होगा िजसस हम (ह प करग

िदन इ घ० पल

17 00 00 00 ग पिथ

14 31 30 00 ग जम

चालन - (-) 02283000

324 Qह $प

इ काल स कampडली बनान क पaात उसक (ह प कर लना चािहए फलादश ठीक तभी होगा जब (हlt का सही प मान -ाk होगा यहा पर (हप ीकरण का ताDपय$ (हlt क रायािद मान स ह

-Dयक जम कampडली म जम लन च क पव$ (ह प च िलखना आवयक होता ह सय$ मगल बध ग_ श शिन राहY व कत कW (ह प करन कW िविध एक समान होती ह जबिक च0मा क (ह प करन कW िविध अगल होती ह यह िविध इकाई म दी गई ह

पचागlt म (ह प िदया जाता ह लिकन कहV तरह क पचागो म िविवध -कार स (ह प कW िविध द रखी ह जस िकसी म अ मी अमावया और पिण$मा कW पि रहती ह और िकसी पचाग म

78

-ातःकािलन या सयदय कािलन इ काल या सयदय कािलन (ह प कW पि दी जाती ह उसक अनसार दिनक गित (दो िदन क (हlt का अतर करन पर दिनक गित आती ह) को गित स गणा कर 60 का भाग दन स जो अश कला िवकला आय उस िमq मान कािलन या सयदय कािलन (ह प पि म ऋण या धन करन पर इ कािलन (ह प -ाk होत ह

हम भयाDगभभोग क 4ारा च0प कर चक ह इसिलए यहा पर हम च0प को छोड़कर बाकW सभी (हlt को प करग हम पव$ क चालन म िदय गय उदाहरण स ही (ह प करत ह

उदाहरण -

जम िदनाक 3 िसत=बर 2012 चालन ात करग

िदन इ घ० पल

चालन म िदय गय िदन कW गित स गणा करक कला िवकला स जोड़ा जाता ह

चालन िदन acute (ह गित = कला िवकला

इ म गित करक 60 का भाग लगाया जाता ह जो मान आता ह उस स=बिधत (ह क कला िवकला म चालन क अनसार (+) धन या ऋण (-) कर िदया जाता ह

नोट

वW (ह कW गित चालन कW गित स िवपरत होती ह यिद चालन धनाDमक (+) ह तो वW (ह म (-) ऋणाDमक चालन कW गित हो जायगा

Qह $प

79

80

81

उदाहरण ndash 3

िदनाक 13072009 समय 9 बजकर 45 िमिनट राि इ 39 घटी 47 पल 30 िवपल थान कोटा

82

83

84

ल न सारणी -

नोट ndash छा क सिवधा क िलय ल न सारणी म िलख गय िह दी क अक को िन न कार स अगजी क अक को समझ

frac141-1] 2-2] 3-3] 4-4] 5-5] 6-6] 7-7] 8-8] 9-9frac12

33 साराश

इस इकाई क ारा जम कampडली म इ(काल स इस कार कampडली का िनमा)ण िकया गया ह िक च -प( एव च गित ारा भया2गभभोग उदाहरण सिहत जानकारी -तत क गई ह और इस इकाई म यह समझान का यास िकया गया ह िक 5ह -प( एव चालन िकस कार िकया जाता ह उदाहरण सिहत जानकारी दी गई ह

85

34 अयास

1 5ह -प( करन का स बताइय

2 चालान साधन का स बताइय

उ9र िदन times 5ह गित

3 भयात का स बताइय

उ9र भयातग60 घटी ग गत नlt का मान ग इ(काल

4 भभोग का स बताइय

उ9र 60ग घटीगपव) नlt का मान + अगला नlt का मान

5 चालन का स बताइय

उ9र चालन म िदए गए िदन क गित स गणा करक कलागिवकला स जोड़ा जाता ह

चालन िदन times 5ह गित +कलागिवकला

िनबधामक

1 जम िदनाक 11 जलाई 2003 जम समय 930 सबह का भया2गभभोग gtात कर

2 जम िदनाक 03092012 जम समय 300 सबह क 5ह -प( gtात कर

36 सदभ 13थ सची

नमीच शाी

बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

86

इकाई - 4

लनप साधन भ13-भोय साधन इकाई क पररखा

40 -तावना 41 उGHय 42 िवषय वश 421 सय) क अनसार लन क जानकारी 422 च गित साधन 423 च -प( साधन 424 भJ-भोय कार 425 िवशोतरी दशा 426 महादशा म अत)दशा 427 5ह दशा जानन क िविध 43 साराश 44 शKदावली 45 अLयास M 46 सदभ) 5थ सची

40 तावना

िजस इ(काल क जम पिका बनानी हो उसक 5ह -प( करना अित आवHयक ह Pयिक 5ह क -प( मान क जानकारी क िबना अय फलादश ठीक नहS हो पात ह 5ह -प( करन का ता2पय) रािशयािद मान स ह दसरी बात यह ह िक कampडली क ादश भाव म 5ह का -थापन 5हमान रािशयािद 5ह gtात हो जान पर िकया जा सकता ह अतएव 2यक जम कampडली म जमाग चT क पव) 5ह -प( चT िलखना अिनवाय) ह चमा को छोड़कर शष आठ 5ह को -प( करन क िविध एक-सी ह

लिकन चमा को -प( करन क िविध अलग ह अय 5ह क गित पचाग म िलखS रहती ह चमा क गित एव -प( िनकालन क िविध अय 5ह क िविध स अलग ह

अतः चमा क गित एव -प( करन क िविध का अVययन इस ईकाई म -प( िकया गया पव) ईकाईय म लन िनकालना अय 5ह का -प( करना भयात-भभोग िनकालन क बार म -प( िकया जा चका ह इस अVयाय म भयात-भभोग (मJ-भोय) क आधार पर च गित एव -प( िनकालन क िविधय का अVययन िकया गया ह

87

41 उय

उस ईकाई म छा को च 5ह क गित एव -प( करना सगम पXित ारा समझाया गया ह अय 5ह क गित एव -प( करन क िविध च गित व -प( करन स िभन ह अतः उसका िभनता को -प( करना बताया गया ह

42 िवषय वश

इस इकाई 4 म लन साधन च साधन कर भJ-भोय कार स िवशोतरी दशा एव अत)दशा को िव-तार स समझाया जा रहा ह-

421 सय क अनसार लन क जानकारी

जम क समय पवY िltितज पर सय) िजस भी राशी म उदय होता ह वह उस जातक का जम लन होगा

सय[दय सबह 630 बज - सबह का लन lsquolsquoतलाrsquorsquo

दोपहर का लन lsquolsquoमकरrsquorsquo

साय का लन lsquolsquoमषrsquorsquo

राि का लन lsquolsquoकक) rsquorsquo

88

422 च गित साधन-

एक नlt क कला2मक मान को 3600 पल स गणा करक पला2मक भभोग का भाग दन पर च गित ा होती ह वह च गित पला2मक होगी

च -प(

एक नlt का मान = 130 -20rsquo

= 13X60rsquo+20rsquo

= 780rsquo+20rsquo

= 800

पव) भभोग = एक नlt का मान = (कला)

च गित साधन = 800x3600 पल भभोग पल

= च गित (कला िवकला म)

89

423 च प$

भयात पला2मक को 40 स गणा करन पर जो मान आय उसम ितगन पला2मक भभोग का भाग दन पर जो पला2मक मान ा होगा उसको रािश अश कला िवकला म प]रवित)त करक गत नlt क Tम स^या को नlt क मान 800 कला स गणा करन पर जो रािश अश कला िवकला आए उसम जोड़ दन पर च -प( होगा

च -प( करन क िलए पहल षिD माण भिJ (वत)मान नlt क) िनकालनी होती ह भभोग क घिटया कमी 60 स कम कभी 60 स अिधक होती ह तथा 60 घिट क अनपाितक घिटया भभात क िकतनी होती ह इस िनकालना पड़ता ह इसी को lsquolsquoषिD माण भिJrsquorsquo कहत ह अथा)त पण) भभोग म 60 घिट तो भयात म िकतनी अनपाितक घिटया होगी या सपण) भभोग को 60 घिट क बराबर माना जाए तो भयात को िकतनी घिट क बराबर मानना पड़गा

भयात गतघटी पर च सारणी

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

0 0 0 0 0 1 1 1 2 2

13 26 40 53 6 20 33 46 0 1

20 40 0 20 40 0 20 40 0 20

11 12 13 14 15 16 17 18 19 20

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

2 2 2 3 3 3 3 4 4 4

26 40 53 6 20 33 46 0 13 26

40 0 20 40 0 20 40 0 20 40

21 22 23 24 25 26 27 28 29 30

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

4 4 5 5 5 5 6 6 6 6

40 53 6 20 33 46 0 13 26 40

0 20 40 0 20 40 0 20 40 0

31 32 33 34 35 36 37 38 39 40

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

90

6 7 7 7 7 8 8 8 8 8

53 6 20 33 46 0 13 26 40 53

20 40 0 20 40 0 20 40 0 20

41 42 43 44 45 46 47 48 49 50

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

9 9 9 9 10 10 10 10 10 11

6 20 33 46 0 13 26 40 53 6

40 0 20 40 0 20 40 0 20 40

51 52 53 54 55 56 57 58 59 60

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

11 11 11 12 12 12 12 12 13 13

20 33 46 0 13 26 40 53 6 20

0 20 40 0 20 40 0 20 40 0

सवamp पर गित बोधक प$ सारणी

54 55 56 57 58 59 60

888 872 857 842 827 813 800

48 40 8 6 34 33 0

61 62 63 64 65 66 67

786 774 761 750 738 727 716

54 12 57 0 30 18 28

उदाहरण 1

जम समय 1015 बज सबह िदनाक 2112003 -थान कोटा सय[दय 639 बज भयात भभोग व च गित gtात कर

वत)मान नlt = धिनDा

सय[दय का समय अतर

91

िदया गया सय[दय का समय 6 39

पचाग का सय[दय समय - 6 30

009 (िमिनट)

times 212

2230 (घटीपल)

घ0 प0 िव0

(सबह 630 बज) 493500

नlt मान का अतर - 2230

धिन(ा का मान 491230

सबह (639 बज)

गत नlt Bवण का मान 481500 (-) 2220 = 475230 (घ0 प0 िव0)

भJकाल (भयात = 60 - गत नlt + इ( काल + इ( काल)

इ(काल = 1015 ndash 639

(घ0 िम0) = 3rsquorsquo36rsquorsquo

इ(काल = 900 (घ0 प0)

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

= 60 - 475230 + 90000

= 120730 +90000

= 21 07 30 (घ0 प0 िव0)

= 1260 + 7 = 1267 60 + 30 = 76050 (िव0)

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 120730 + 491230

(घ0प0िव0)

= 612000

= 61 - 20 60

= 3660 + 20

92

= 3680 पल 60

= 220800 िवपल

च गित = 3600X800

3680

= 10800

23

= 782 पल 36 िवपल

च गित = 130-02-36rsquorsquo

च साधन

च -प( करन क िलए पहल षि( माण भिJ (वत)मान नlt क) िनकालनी होती ह भभोग क घिटया कमी 60 स कम कभी 60 स अिधक होती ह तथा 60 घिट क अनपाितक घिटया भयात क िकतनी होती ह इस िनकालना पड़ता ह इसी को lsquolsquoषि( माण भिJrsquorsquo कहत ह अथा)त पण) भभोग म 60 घिट तो भयात म िकतनी अनपाितक घिटया होगी या सपण) भभोग को 60 घिट क बराबर माना जाय तो भयात को िकतनी घिट क बराबर मानना पडगा

स = भयात X 60 भभोग

= षिD माण भिJ

या = भयात X 60 पला2 मक भभोग

1) च साधन स = (गत न क षि माण भि + वतमान न क षी माण भि) X 2

9

= च -प(

2) स = = भयात X 40 भभोग X 3 = वत)मान नlt क च -प(

इसम गत नlt क स^या का च -प( जोड़ द तो च -प( हो जायगा

93

नlt क अनसार च -प( करन क िलए इस सारणी को दख अगर िकसी जातक का जम अिEनी नlt क अत म होता ह तो इस सारणी क अनसार च -प( 0 रािश 13 अश 20 कला 0 िवकला िलखग

नamp)प+र प$ रािशयािद च सारणी

1 2 3 4 5 6 7 8 9

अिE भरणी कित रोिह मग आा) पन) प_य आ`षा

0 0 1 1 2 2 3 3 4

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

10 11 12 13 14 15 16 17 18

मघा पफा उफा ह-त िचा -वाित िवशा अनरा aयDा

4 4 5 5 6 6 7 7 8

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

19 20 21 22 23 24 25 26 27

मल पषा उषा Bवण धिन शतिभ पभा उभा रवती

94

8 8 9 9 100 10 11 11 12

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

424 िवशोतरी दशा

िवशोतरी महादशा म भJ-भोय साधन

िवशोतरी महादशा का भJ िनकालन क िलए 5ह क दशा वष) को भयात स गणा करक उसम भभोग का भाग िदया जाता ह

भJ = दशा वष) Xभयात

भभोग

भोय = दशा वष) - भJ

नlt का वह मान जो भJ या बीत चका होता उस हम गत नlt कहत ह और नlt वत)मान होता ह उस हम जम नlt कहत ह िवशोतरी दशा म सव) थम जम नlt क िवशोतरी दशा अनसारण -वामी 5ह क दशा होती ह िफर Tमशः अय 5ह क दशा होती ह जम नlt का वह भाग जो बीत जाता ह दशा वष) म उतना मान िनकाल िलया जाता ह और जो शष भोगना बाक ह उसम 5ह दशा व वष) का मान जोड़ा जाता ह अतः भJ भोय िनकालन क आवHयकता पड़ती ह

िवशोतरी महादशा क भJ-भोय साधन जम समय जम समय जो िवशोतरी दशा चल रही ह उसक पण) वष) म स िकतन वष) जम क पव) भJ हो चक ह और िकतन वष) अब भोगना शष ह इसक जानन क गिणता2मक िविध यह ह िक िजस नlt म जम हbआ ह उस नlt का योग काल और भJ काल िनकाल ल और उन दोन क घटी पल को एक वण) बनाकर भयात (भJ-घटी-पल) म महादशा वष) का गणा कर भभोग (भोयकाल) स भाग द जो लKधी भJ वष) मास िदन आिद ा हो जाएग उस समय को महादशा क पण) वष) म स घटा दग जो शष बच वहS वष) आिद महादशा क भोय वष) आिद होग अथा)त इतन समय उस 5ह क दशा और भोगनी पड़गी

िवशो9री दशा म 120 वष) क पर आय मानकर चलत ह और उसी क आधार पर 5ह का िवभाजन िकया जाता ह िजस नlt म जम हbआ हो उसी क अनसार 5ह िदशा का िवचार िकया जाता ह

नीच िलखS गई सारणी म 5ह क दशा िनन कार ह -

सय) क दशा 6 वष)

95

चमा क दशा 10 वष)

भौम क दशा 7 वष)

राहb क दशा 18 वष)

बह-पित क दशा 16 वष)

शिन क दशा 19 वष)

बध क दशा 17 वष)

कत क दशा 7 वष)

शT क दशा 20 वष)

जम नlt क अनसार कि9का उ9राफाAगनी और उ9राषाढ़ म जम हो तो सय) क माहदशा रोिहणी ह-त Bवण म चमा मगिशरा िचा व धिनDा म मगल आा) -वाि9 शतिभषा म राहb व पन)वस िवशाखा व पव) भा पदम गf प_य अनराधा व उ9रा भापद म शिन आ`षा aयDा व रवती म बध मघा मल व अिEनी म कत भरणी पवा)काल गनी व पवा)षाढ़ा म शT क माह दशा रहती ह

427 ह क दशा जानन क िविध-

कि9का नlt स जमनlt तक िगनकर 9 का भाग दन स एकािद शष म Tम स सय) चमा भौम राहb गf शिन बध कत और शT क दशा होती ह

उदाहरण-

यहा कि9का स जम नlt िचा तक िगनती करन पर स^या 12 हbई िफर उसम 9 का भाग द जो शष बच उस सया)िद Tम स िगनती कर ल मान लो िकसी जातक का जम िचा नlt म हbआ ह तो उसक कौनसी दशा ह gtात करन क िलए िचा तक (कि9का स ारभ करक) िगना तो िगनती म 12 अक आय इस 12 को 9 स भाग िदया तो शष 3 बच इसक पhात सय) आिद Tम स िगनती क तो तीसरी महादशा मगल क होगी

जम नlt स 5हदशा बोधक चT

5ह सय) च भौम राहb गf

वष) 6 10 7 18 16

नlt कि9का रोिहणी मगिशरा आा) पन)वस

उ9राफाAगनी ह-त िचा -वाि9 िवशाखा

उ9राषाढ़ा Bवण धिनDा शतिभषा पभापद

5ह शिन बध कत शT

96

वष) 19 17 7 20

नlt प_य आ`षा मघा पवा)फाAगनी

अनराधा aयDा मल पवा)षाढ़ा

उ9राभापद रवती अिEनी भरणी

जम क नlt क अनसार ऋ कि9का उ9रा फाAगनी उ9राषाढा जम हो तो सय) महादशा रोहणी ह-त Bवण म चमा मगिशरा िचा व धिनDा म मगल आा) -वाित शतिभषा म राहb व पन)वस िवशाखा व पव)भापद म गf प_य अनराधा व उ9रा भापद म शिन आ`षा aयDा व रवती म बध मघा मल व अिEनी म कत भरणी पवा)फाAगनी व पवा)षाढा म शT क महादशा रहती ह

उदाहरण

जम िदनाक 9112003 भयात भभोग ारा िवशोतरी दशा

1 नlt का मान = कोटा जम 1105 बज

सय[दय 0643 सबह

जम समय 11 05 बज

- 06 43

04 22

acute X 2 12

1055 इ(काल (घटी-पल)

8112003 अिEनी नlt का मान 1457 - 032 (समय म करPशन)

= 1425 नlt का मान 06 30 सबह

911 भरणी नlt का मान = 2202 - 032 सय[दय 06 43 पर

= 2130 - 06 30

इ(काल का मान उस िदन क नlt क मान स कम ह 00 13

अतः वत)मान नlt भरणी हbआ X 2 12

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल 0032 घटी

= 60 - 1425 + 1055

= 4535 + 1055

भयात = 5630

97

पला2मक भयात = 56 acute 60 + 30

पला2मक भयात = 3390

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 453+ + 2130

= 6705

पला2मक भभोग = 67 acute 60 + 05

पला2मक भभोग = 4025 पल

भJ दशा = दशा वष) times भयात

भभोत

भोय = दशा वष) times भJ

गत नlt अिEनी - शT क महादशा

शT क दशा वष) = 20 वष)

= 3390 times20

4025

= 16 वष) 10 माह 4 िदन (भJ)

वष) माह िदन

शT क महा दशा वष) 200000

भJदशा 161004

030126

= 3 वष) 1 माह 26 िदन भोय अथा)त भोगना ह

वत)मान नlt -प( = भयात times नlt कामान

भभोत

= 3390times 800

4025

चगित = 673 3

98

वत)मान नlt का मान = 00-130-20rsquo-00rsquorsquo

चगित = 00-110-13rsquo-47rsquorsquo

च-प( = 00-240-33rsquo-47rsquorsquo

िवशतरी दशाचTिमदम

बkच न जम िलया था तब शT क महादशा चल रहS थी और उसम स 16 वष) 10 माह और 4 िदन बीत चक ह या भJ अथा)त भोग चका ह शष 3 वष) 1 मास 26 िदन दशा वष) भोगनी शष ह

उदाहरण 1

जम समय 02 32 दोपहर जम िदनाक 23042012 जम -थान कोटा भयात-भभोग (भJ-भोय) कार स िवशोतरी दशा िनकाल

जम समय 02 32 दोपहर (14 घampटा 32 िमिनट)

जम िदनाक 23 अ ल 2012

जम -थान कोटा

सय[दय 06 बजकर 02 िमिनट

इ(काल = 14 घampटा 32 िमिनट - 06 घampटा 02 िमिनट

= 08 घampटा 30 िमिनट (इ(काल)

99

= 21 घटी 15 पल

िदनाक नlt घप घिम

22042012 भरणी 5346 2732

23042012 कितका 6000 1432

(ितिथ ltय)

24042012 6138 0640 तक

(बAलभमनीराम पचाग क अनसार)

गत नlt भरणी = 5346

जम नlt कि9का = 6138

स- भयात gtात करन का स

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

= 6000 - 5346 + 2115

= 614 + 2115

= 2729 (घ0 प0)

= 27 times 60 +29

= 1620 +29

= 1649 पलािद भयात

स- भभोग gtात करन का स

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 60 - 5346 + 6138

= 614 +6138

= 6762 (घटीपल)

= 67 times 60 + 52

= 4020 + 52

= 4072 पलािद भभोग

स-

100

च गित = 3600times800

4072

= 2880000

4072

= 707 पल-िवपल

= 110-47

च -प( = भयािद पलािद times 40 भभोग पलािद times 3

= 1649 times 40 4072times 3

= 65960 12216

= 050-23rsquo-28rsquorsquo

गत नlt का मान (भरणी दसरा नlt) = 2times1302

= 00-260-40rsquo-00rsquorsquo

+ 00-050-23rsquo-00rsquorsquo

च -प( 01-020-03rsquo-58rsquorsquo

पला2मक भयात = 1649 पला2मक भयात

425 िवशोतरी दशा

सय) क दशा वष) स गणा िकया times 6

9894 -4072

1649

times 6

9894 -4072 भभोग

101

सय) क भJ वषा)िद = 2 वष) 5 मास 4 िदन 44 घटी 58 पल ा हbए िजसम स सय) क 5ह वष)

6 म स घटाया शष भोय वषा)िद होगा

सय) क 5ह वष) 600000000

भJ वषा)िद - 205044458

306251502 भोय वषा)िद

जातक को 3 वष) 6 मास 25 िदन 15 घटी 02 पल सय) क महादशा भोगना ह

102

इसका दशा चT बनान क िलए िजस 5ह क दशा चल रही ह उसस ारभ करक उसस आग क 5ह को Tमवार िलख दना चािहए

उपरोJ उदाहरण जम कampडली का िवशोतरी दशा चT नीच िलख अनसार बनगी

426 महादशा म0 अतदशा साधन -

2यक एक 5ह क महादशा म 9 5ह Tमशः अपना भोय लत ह िजस अत)दशा कहत ह जस- सय) क महादशा म पहली अत)दशा सय) क दसरी चमा क तीसरी भोम क चौथी राहb क पाचवS जीव क छठी शिन क सातवS बध क आठवS कत क और नवS दशा शT क होती ह

िजस 5ह क दशा हो उसस सय) चमा भौम राहb जीव शिन बध कत एव शT क अत)दशाए होती ह

अतदशा िनकालन0 क िविध-

1) दशा-दशा का पर-पर गणा करन पर शष आय उसम 10 का भाग दन स लKध मास और शष को तीस स गणा करन स िदन ा होग

2) दशा-दशा का पर-पर गणा करन पर जो गणनफल ा होग उसम इकाई क अग को छोड़ बाक बच अक मास और इकाई क अक को 3 स गणा करन पर िदन ा होग

उदाहरण

स- दशा वष) acute दशा वष) divide 10 = अत)दशा माह

103

मगल क महादशा म मगल क अत)दशा िनकालनी ह तो मगल क दशा वष[ म 7 का गणा िकया जाएगा

मगल म मगल क अत)दशा 7 acute 7 = 49 divide 10

= 4 मास 7 िदन

मगल म राहb क अत)दशा 7 acute 18 = 126 divide 10

= 1 वष) 18 िदन

मगल म गf क अत)दशा 7 acute 16 = 112 य 10

= 11 मास 6 िदन

मगल म शिन क अत)दशा 7 acute 19 = 133 divide 10

= 1 वष) 1 मास 9 िदन

मगल म बध क अत)दशा 7 acute 17 = 119 divide 10

= 11 मास 27 िदन

मगल म कत क अत)दशा 7 acute 7 = 49 divide 10

= 4 मास 27 िदन

मगल म शT क अत)दशा 7 acute 20 = 140 divide 10

= 1 वष) 2 मास

मगल म सय) क अत)दशा 7 acute 6 = 42 divide10

= 4 मास 6 िदन

मगल म चमा क अत)दशा 7 acute 10 = 70 divide 10

= 7 मास

च मा क महादशा म0 नौ ह क अतदशा-

चमा क महादशा म च का अतर 10 acute 10 = 100 divide10

= 10 मास

चमा क महादशा म भौम का अतर 10 acute 07 = 70 divide10

= 7 मास

चमा क महादशा म राहb का अतर 10 acute 18 = 180 divide10

104

= 1 वष) 6 मास

चमा क महादशा म जीव का अतर 10 acute 16 = 160 divide 10

= 1 वष) 4 मास

चमा क महादशा म शिन का अतर 10 acute 19 = 190 divide10

= 1 वष) 7 मास

चमा क महादशा म बध का अतर 10 acute 17 = 170 divide 10

= 1 वष) 5 मास

चमा क महादशा म कत का अतर 10 acute 07 = 70 divide10

= 7 मास

चमा क महादशा म शT का अतर 10 acute 20 = 200 divide 10

= 1 वष) 8 मास

चमा क महादशा म सय) का अतर 10 acute 06 = 60 divide 10

= 6 मास

इसी कार अय 5ह क महादशा म स अत)दशा िनकाल लनी चािहए

5ह क अत)दशा क चT नीच िदय जा रह ह -

सयातदशा च2

5ह सय) च भौम राहb गl शिन बध कत शT

वष) 0 0 0 0 0 0 0 0 1

मास 3 6 4 10 9 11 10 4 0

िदन 18 0 6 24 18 12 6 6 0

च ातदशा च2

5ह च भौम राहb गf शिन बध कत शT सय)

वष) 0 0 1 1 1 1 0 1 0

मास 10 7 6 4 7 5 7 8 6

िदन 0 0 0 0 0 0 0 0 0

105

भौमातदशा च2

5ह भौम राहb गl शिन बध कत शT सय) च

वष) 0 1 0 1 0 0 1 0 0

मास 4 0 11 1 11 4 2 4 7

िदन 27 18 6 9 27 27 0 6 0

राह4वातदशा च2

5ह राहb गf शिन बध कत शT सय) चद भौम

वष) 2 2 2 2 1 3 0 1 1मास 8 4 10 6 0 0 10 6 0

िदन 12 24 6 18 18 0 24 0 18

जीवातदशा च2

5ह गf शिन बध कत शT सय) चद भौम राहb

वष) 2 2 2 0 2 0 1 0 2

मास 1 6 3 11 8 9 4 11 4िदन 18 12 6 6 0 18 0 6 24

शयातदशा च2

5ह शिन बध कत शT सय) चद भौम राहb गf

वष) 3 2 1 3 0 1 1 2 2

मास 0 8 1 2 11 7 1 10 6

िदन 3 9 9 0 12 0 9 6 12

बधातदशा च2

5ह बध कत शT सय) चद भौम राहb गf शिन

106

वष) 2 0 2 0 1 0 2 2 2 मास 4 11 10 10 5 11 6 3 8

िदन 27 27 0 6 0 27 18 6 9

कवातदशा च2

5ह कत शT सय) चद भौम राहb गf शिन बध

वष) 0 1 0 0 0 1 0 1 0

मास 4 2 4 7 4 0 11 1 11

िदन 27 0 6 0 27 18 6 9 27

श2ातदशा च2

5ह शT सय) चद भौम राहb गf शिन बध कत

वष) 3 1 1 1 3 2 3 2 1 मास 4 0 8 2 0 8 2 10 2

िदन 0 0 0 0 0 0 0 0 0

43 साराश

इस ईकाई क िववचन स यह -प( हो जाता ह िक चमा गित व -प( िनकालन क िविध अय 5ह क गित एव -प( िनकालन क िविध स िकस कार िभन ह इस म च 5ह क गित एव -प( को िनकालन क िविधय का िव-तार स वण)न िकया गया ह िवशष fप स उसस भयात-भभोग (मJ-भोय) क आधार पर च गित व -प( को करन क िविधय का सिव-तार उदाहरण सिहत पण) िववचन िकया गया ह

44 शदावली

bull जीव - गf

bull भौम - मगल

bull भJ - गत नlt (भोग चका) का वह मान जो बीत चका ह

(िवशतरी म दशा वष) का वह मान जो बीत चका ह)

107

bull भोय - वत)मान नlt (भोगना) का वह मान जो भोगा जाना बाक

ह (िवशतरी म दशा वष) का वह मान जो जम िदनाक स भोगा जाना ह

45 अयास

1 एक नlt का मान िकतना होता ह

उ9र एक नlt का मान होता ह

2 चमा क गित साधन करन का स बताइए

उ9र च गित साधन स = 800times20rsquo

भभोत पल = च गित कला िवकला म

3 च -प( करन क िकतनी िविधया ह एव च -प( क िविधय क स िलिखए

उ9र च -प( करन क दो िविधया ह जो िनन कार ह-

1) (गत नlt क षिD माण भिJ + वत)मान नlt क षDी माण भिJtimes 2

9

2) = भयातtimes60

भभोत times3

4 जम नlt व गत नlt को -प( किजय

उ9र िजस नlt म जातक का जम होता ह वह उसका जम नlt कहलाता ह और जम नlt क पव) का गत नlt कहलाता ह

5 भयात एव भभोग िनकालन का स बताईय

उ9र स-

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

िनबधामक -

1 जातक का जम 26072009 को सायकाल 0755 पर कोटा म हbआ सय[दय 0555 जम नlt ह-त का मान 2832 तथा गत नlt का 2948 (घटीपल) ह इस आधार पर जातक का च -प( किजए

108

2 च -प( ारा भयात-भभोग (भJ-भोय) स िवशोतरी दशा का साधन किजए

46 सदभ 13थ सची

भारतीय aयोितष नमीचद शाी

बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

109

इकाई - 5

दशम साधन नतोनत कार व चिलत च इकाई क परखा

50 -तावना 51 उGHय 52 िवषय वश 521 दशम भाव साधन 522 नतकाल 523 दशम भाव िविध 524 चिलत चT 525 ादश -प( चT 53 साराश 54 बोध M 55 शKदावली 56 सदभ) 5थ सची

50 तावना

aयोितष फिलत म 5ह क सही ि-थित िकस भाव म ह इसक िलए भाव -प( िकए जात ह इसस यह पता चलता ह िक जो 5ह जमाग म िजस भाव म ि-थत 5ह होता ह वहा क फलो क िलए उ9रदायी होत हbए भी उस भाव का फल नहS करता Pयिक वह उस भाव म ि-थत न होकर सिध या दसर भाव म ि-थत होकर वहा क फलो को ही दन वाला हो जाता ह अतः हम हमार मनीिषय न भाव -प(ः करक 5ह क फल को बतान क आgtा दान क ह िबना भाव -प(ः िकए ही जो aयोितषी भाव म ि-थत 5ह का फल करत ह वह अधर कमर म िकसी व-त को दखन क बात कहत ह इस कार वह अपना और aयोितष शा का बहbत बड़ा नकसान करत ह अतः महिष)य क अनसार हम नतोनत करक दशम भाव -प(ः कर चिलत चT का िनमा)ण कर भाव को -प(ः कर 5ह क फल का िवचार करना चािहए

51 उय

इस इकाई म यह बतान क कोिशश क गई ह िक दशम लन साधन क लन कampडली म अ2यिधक आवHयकता होती ह इसक िबना सही फिलत नहS िकया जा सकता बहbत सरल पXित ारा नतोनत साधन स लन क ारा दशम भाव साधन िकया गया ह साथ म सिवधा क िलए दशम लन सारणी एव दशम सारणी दी गई ह दशम भाव साधन एव चिलत चT िक सारणी भी बनाई ह इसम भाव एव

110

सिध को िकस कार कampडली म 5ह को -थािपत िकया जाता ह सीधी सरल भाषा एव गिणत ारा समझाया गया ह

52 िवषय वश

521 दशम भाव साधन-

लन का भाव-दशम भाव लन पर भाव डालता ह

इ(काल स नतकाल सयाnश (दशम भाव सारणी स)

522 नतकाल-नतकाल क दो भाग होत ह -

1) पव)नत काल 2) पिhम नत

अX)राि क बाद स लकर अX) िदन तक जो जातक उ2पन होगा उसका नतकाल पव)नत कहलायगा Pयिक उस समय सय) पव) क पाल म आ जायगा अX)िदन क बाद स लकर अध)राि तक का नतकाल पिhम नत कहलायगा

पव)नत क दो भाग ह -

1) पवनत काल

i) अX)राी स सय[दय तक का नतकाल

ii) सय[दय स अX)िदन तक का नतकाल

2) पि6म नतकाल

i) अX)िदन स लकर सया)-त तक का नतकाल

ii) सया)-त स लकर अX)राी तक का नतकाल

111

पवनत- नतकाल िनकालन क िविध -

1) पव)नत म यिद अX)राि क बाद स लकर सय[दय तक का इ(काल हो तो 60 म स इ(काल घटाकर िदनाX) जोड़ दत ह

स) -नतकाल = 60 - इ(काल + िदनाX)

2) अगर सय[दय स िदनाX) क पव) का इ(काल हो तो िदनाX) म स इ(काल घटाओ

स) -नतकाल = िदनाX) - इ(काल

पि6म नत-1) िदनाX) स सया)-त तक का अगर (पिhम नत) इ(काल हो तो पिhम नत होगा -

स) -पिhम नत = िदनाX) - (िदनमान + इ(काल)

(िदनाX) म स िदनमान और इ(काल घटा दत ह)

2) अगर सया)-त स लकर अX)राी क पव) तक का इ(काल हो तो इ(काल म स िदनामान घटाकर िदनाX) जोड़ दग

स) -

पिhम नत = इ(काल - िदनमान + िदनाX)

= इ(काल - िदनाX)

उनत - 30 घटी म स नत घटा दग जो शष बचगा वह उनत कहलाएगा ह मoयाp और अX) राि म

30 घटी का अतर होता ह मoयाp म दशम का -थान ह तो अX)राि म चतथ) का -थान ह मoयाp स अX)राि क दरी को नत और अX)राि स इ( क दरी को उनत कहत ह

523 दशम भाव िनकालन0 क िविध -

उस िदन सय) क अशो का मान दशम - लनसारणी म दशम भाव म दखना ह यिद पव)नत काल ह तो सय) क अश क मान म स नतकाल को घटा दग और अगर पिhम नत ह तो उसम जोड़ दग अब जो मान आयगा उस दशम - लनसारणी म दख और उसी तरह जहा स^या आयगी उस आग पीछ क मान स सही मान gtात करग

इस तरह ा रािश क मान अश कला व िवकला म आय वही दशम भाव होगा (जो कamp डली क लन क दशम भाव क समान होगा)

112

इस कार gtात चतथ)भाव म स लन का मान घटा दग जो मान आया उसम 6 का भाग दग य षDाश आया (यह अश कला और िवकला म आयगा) इसक बाद 2यक भाव क ि-थित gtात करग

चतथ) भाव = - प_ ट ल न

शष = times30divide ष_ ठाश शष = times30+कला divide ष_ ठाश कला

शष = times90+िव divide ष_ ठाश िवकला

दशल न सारणी

छा क सिवधा क िलए दशम सारणी म िलख गय िह दी अक को िन न कार स अ5जी क अक को समझ-

113

114

115

116

िनयम ndash सय)फल इ_ टकाल म जोड़न स ल नसारणी ारा जो अक घटयािद िनकलगा उसम स 15 दamp ड घटाकर जो घटयािद होगा वह दशम सारणी म िजस राH यश का फल होगा वही दशम ल न होगा

117

िनयम ndash सय)फल इ_ टकाल म जोड़न स ल नसारणी ारा जो अक घटयािद िनकलगा उसम स 15 दamp ड घटाकर जो घटयािद होगा वह दशम सारणी म िजस राH यश का फल होगा वहीदशम ल न होगा

118

लन सिध = लन का मान +षDाश

( थम भाव)

ितीय भाव = लन सिध + षDाश

119

ितीय भाव सिध = ितीय भाव + षDाश

ततीय भाव = ितीय भाव सिध + षDाश

ततीय भाव सिध = ततीय भाव + षDाश

चतथ) भाव = सिध (त0 भाव) + षDाश

चतथ) भाव क बाद अश म स षDाश को घटा दग जो मान आया उस चतथ) भाव म जोड़न पर चतथ) क सिध आयगी

स - - षDाश = शषाक

भाव म स अतर शष को जोड़ा तो

चतथ) भाव सिध अतर (शष)

चतथ) भाव सिध = - षDाश + चतथ) भाव

सिध अतर

चतथ) भाव क सिध म यह सिध अतर जोड़न पर पचम भाव आयगा

पचम भाव = चतथ) भाव सिध + अतर ( - षDाश)

पचम भाव सिध = पचम भाव + ( - षDाश)

ष(म भाव = पचम भाव क सिध + ( - षDाश)

ष(म भाव सिध = ष(म भाव + ( - षDाश)

इसी कार लन क मान म 6 रािश जोड़न पर समभाव आयगा

सम भाव = लन का मान + 6s

सम भाव सिध = लन सिध + 6s

अ(म भाव = ितीय भाव + 6s

अ(म भाव सिध = ितीय भाव सिध + 6s

इसी कार 2यक भाव म 6 रािश जोड़कर बारह भाव क सिध तक gtात करग

उदाहरण 1 23082003 को जातक का जम 0315 ातःकाल (27 15) पर हbआ दशमभाव gtात

करो

पचाग स 23082003 का सया)दय = 607

सयाnश = 04005003rsquo08rsquorsquo

िदनमान = 3206

120

इ(काल = 2715 - 0607

(घampटा िमनट) = 2108

इ(काल (घटीपल) = 5250

लन सारणी स सयाnश 24 07

इ(काल 0405 पर + 52 50

16 57

लन सारणी स (1657) (घटीपल) पर लन =

इ(काल = 5250

लन = 2-280-00rsquo

िदनमान = 3206 िदनाX) = 1603

नतकाल = 60 - इ(काल + िदनाX)

= 60 - 5250 + िदनाX)

710

िदनार)X = 1603

पव) नतकाल 2313

(जम अX)राि स लकर सय[दय स पहल हbआ ह)

दशम सारणी स सयाnश (04-050) पर = 4012

पव) नतकाल (-) 2313

1659

121

दशम लन 1659 (दशम सारणी स) = 11-180-530-20rsquorsquo

दशम लन = 11-180-530-20rsquorsquo

+06-000-00rsquo-00rsquorsquo

चतथ) भाव = 05 s -180-530-20rsquorsquo

लन = 02s-280-00rsquo-20rsquorsquo

षDाश सिध = 02s-200-00rsquo-20rsquorsquo

षDाश = 02-200-53rsquo-20rsquorsquo = 00-130-25rsquo-53rsquorsquo

6

लन = 02-280-00rsquo-00rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

लन सिध = 00-110-28rsquo-53rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ितीय भाव = 03-240-57rsquo-46rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ितीय भाव सिध= 04-080-26rsquo-39rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ततीय भाव = 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ततीय भाव सिध= 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

चतथ) भाव = 05-180-53rsquo-18rsquorsquo उपरोJ

00-300-00rsquo-00rsquorsquo

122

षDाश - 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

षDाश अतर 00-160-31rsquo-07rsquorsquo शष

चतथ) भाव 05-180-53rsquo-18rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 06-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

पचम भाव सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo

ष(म भाव अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

ष(म भाव 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

ष(म अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

ष(म भाव सिध 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

सम भाव = लन का मान +6s

= 02-280-00rsquo-0rsquorsquo+6s

सम भाव = 08-280-00rsquo-00rsquorsquo

लन सिध = 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

+ 09-110-28rsquo-53rsquorsquo

सम भाव सिध= 09-110-28rsquo-46rsquorsquo

ितीय भाव = 03-240-57rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

अ(म भाव 09-240-57rsquo-46rsquorsquo

ितीय सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

अ(म भाव सिध 10-080-26rsquo-39rsquorsquo

ततीय भाव = 04-210-55rsquo-32rsquorsquo

123

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

नवम भाव 10-210-55rsquo-32rsquorsquo

ततीय भाव सिध 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

नवम भाव सिध 11-500-24rsquo-25rsquorsquo

चतथ) भाव = 05-180-53rsquo-20rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव 11-180-53rsquo-32rsquorsquo उपरोJ

चतथ) भाव सिध 06-050-24rsquo-25rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव सिध 00-050-024rsquo-25rsquorsquo

पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव 00-210-55rsquo-32rsquorsquo

पचम सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव सिध 01-080-26rsquo-39rsquorsquo

ष(म भाव 07-240-57rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव 01-240-57rsquo-46rsquorsquo

ष(म सिध 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo

उदा0 1 चिलत चT म 24 कोDक बनाय जात ह 12 कोDक बारह भाव क एव 12 कोDक सिधय

क कछ िवान जम कampडली क तरह 12 कोDक ही बनात ह व सिधगत 5ह को अगल भाव म िलख दत ह चिलत चT बनान क िलए पहल हम 5ह -प( लत ह िफर भाव -प( को यिद 5ह -प( भाव

124

-प( क तAय या कम होगा तो उसी भाव म िलखा जायगा यिद 5ह -प( 5ह सिध तAय या अगल भाव स कम होगा तो सिध म िलखा जायगा

उपरोJ उदाहरण का चिलत चT बनात ह-

bull 5ह वाल कोDक म सय) -प( 04-050-55rsquo-58rsquorsquo ह और भाव -प( म ितीय भाव 03-240-57rsquo-46rsquorsquo ह और ितीय भाव सिध क 04-080-26rsquo-36rsquorsquo ह जो सय) -प( स aयादा ह इस कारण सय) ितीय भाव म ि-थत ह

bull चमा -प( 02-190-48rsquo-29rsquorsquo ह और भाव -प( म ादश भाव क सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo ह और लन -प( 02-280-00rsquo-00rsquorsquo ह जो िक च -प( स अिधक ह और ादश भाव क सिध स कम ह अतः चमा ादश भाव सिध म होगा

bull मगल -प( 10-110-49rsquo-02rsquorsquo ह और भाव -प( म अ(म भाव क सिध 10-080-26rsquo-39rsquorsquo स नवम भाव -प( 10-210-55rsquo-32rsquorsquo अिधक ह जो मगल अ(म भाव क सिध म होगा

bull बध -प( 05-020-09rsquo-05rsquorsquo ह और भाव -प( म ततीय भाव -प( 04-210-55rsquo-32rsquorsquo स चतथ) भाव -प( 05-180-53rsquo-18rsquorsquo अिधक ह जो िक बध -प( म अिधक ह इस कारण बध -प( ततीय भाव म होगा

bull गf -प( 04-050-21rsquo-03rsquorsquo ह ितीय भाव -प( 03-240-57rsquo-46rsquorsquo पर ह और ितीय भाव क सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo ह जो गf -प( स अिधक ह अतः गf ितीय भाव म होगा

bull शT -प( 04-070-42rsquo-56rsquorsquo ह ितीय भाव -प( म 03-240-57rsquo-46rsquorsquo पर ह और ितीय भाव सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo ह जो िक ितीय भाव -प( स अिधक ह और ितीय भाव क सिध स कम ह इस कारण शT ितीय भाव म रखा जायगा

bull शिन -प( 02-150-44rsquo-23rsquorsquo ह ादश भाव क सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo पर ह और लन -प( 02-280-00rsquo-00rsquorsquo पर ह शिन -प( लन -प( स कम ह और ादश भाव क सिध स अिधक ह इस कारण शिन 5ह को ादश भाव क सिध म रखा जायगा

bull राहb -प( 01-000-40rsquo-11rsquorsquo ह और एकादश भाव 00-210-55rsquo-32rsquorsquo ह जो िक राहb -प( स कम ह राहb को एकादश भाव म रखा जायगा

125

bull कत -प( 07-000-40rsquo-11rsquorsquo ह और पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo ह और पचम भाव क सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo ह पचम भाव कत -प( स कम ह और पचम भाव क सिध कत -प( स aयादा ह इस कारण कत पचम भाव म होगा

524 चिलत च2 (24 को8क)

525 9ादश प ट च2

उदा0 2 जम समय 3 बजकर 42 िमिनट सायकाल दशम साधन एव चिलत चT gtात कर

िदनाक - 25082003 पचाग स सय[दय - 6 08

126

सयाnश - 04065834

िदनमान - 3157

िदनाX) = 1558

जम समय = 15 42

सय[दय - 06 08

इ(काल 09 34

इ(काल (घटीपल) = 2355

सयाnश (04065334) पर लनाश 0406 2419

0407 2430

सय) अश = 2430

इ(काल + 2355

4825

लन सारणी स 4825 पर लन

नतकाल (पिhम नत) = िदनाX) - िदनमान + इ(काल

= 1558 - 3157 + 2355

= 3953 - 3157

पिhम नत = 756

(दशम सारणी स) सय) अश 0407

= 4031

नतकाल + 756

4827

दशम लन 4827 पर 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

दशम भाव = 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

127

दशम भाव - 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

चतथ) भाव = 11-280-26rsquo-40rsquorsquo

लन - 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

षDाश 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

षDाश = 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

6

षDाश = 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

लन सिध = लन का मान +षDाश

थम भाव (लन)= 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

+ 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

लन सिध 09-000-34rsquo-27rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव 09-180-08rsquo-54rsquorsquo

ितीय भाव 09-180-08rsquo-54rsquorsquo

षDाश + 0-170-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव सिध 10-050-43rsquo-21rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ततीय भाव 10-230-07rsquo-48rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ततीय सिध 11-100-50rsquo-15rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

चतथ) भाव 11-280-26rsquo-42rsquorsquo

00-300-00rsquo-00rsquo

128

षDाश - 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

सिध अतर 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

शषाक

चतथ) भाव 11-280-26rsquo-40rsquorsquo

सिध अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

सिध अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

पचम भाव 00-230-17rsquo-46rsquorsquo

+ 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

पचम भाव सिध 01-050-43rsquo-19rsquorsquo

अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

ष(म भाव 01-180-08rsquo-52rsquorsquo

+ 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

षDम भाव सिध 02-000-34rsquo-25rsquorsquo

लन का मान 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

सम भाव 02-130-00rsquo-00rsquorsquo

लन सिध 09-000-34rsquo-27rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

सम भाव सिध 03-000-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव + 6 = अ(म भाव

अ(म भाव = 09-180-08rsquo-54rsquorsquo+6

= 03-180-08rsquo-54rsquorsquo

अ(म भाव सिध= 10-050-43rsquo-21rsquorsquo+6

= 04-050-43rsquo-21rsquorsquo

129

नवम भाव = 10-230-17rsquo-48rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

04-230-17rsquo-48rsquorsquo

नवम भाव सिध = 11-100-52rsquo-15rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

05-100-52rsquo-15rsquorsquo

चतथ) भाव = 11-280-26rsquo-42rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव 05-280-26rsquo-42rsquorsquo

चतथ) भाव सिध = 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव सिध 06-100-52rsquo-13rsquorsquo

पचम भाव = 00-230-17rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव 06-230-17rsquo-46rsquorsquo

पचम भाव सिध 01-050-43rsquo-19rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव सिध 07-050-43rsquo-19rsquorsquo

षD भाव = 01-180-08rsquo-52rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव 07-180-08rsquo-52rsquorsquo

षD भाव सिध 02-000-34rsquo-25rsquorsquo

ादश भाव सिघ + 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

08-1000-34rsquo-52rsquorsquo

130

चिलत च2-

चिलत चT म 24 कोDक बनाय जात ह 12 कोDक 12 भाव क एव 12 कोDक सिधय क होत ह व सिधगत 5ह हो अगल भाव म िलख दत ह 5ह -प( और भाव -प( करन क पhात ही चिलत चT बनाया जा सकता ह यिद 5ह -प( भाव -प( क समान या कम होता ह तो उसी भाव म िलखा जायगा यिद -प( 5ह सिध क समान या अगल भाव स कम होगा तो सिध म िलखा जायगा

उदाहरण 5

bull सय) -प( ह 04-070-22rsquo-29rsquorsquo और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो िक सय) -प( स कम ह और इस कारण सय) अ(म भाव क सिध म रखा जायगा

bull च -प( 03-090-16rsquo-45rsquorsquo ह और सम भाव क सिध 03-000-34rsquo-27rsquorsquo ह जो िक चमा -प( स कम ह इस िलए चमा सम भाव क सिध म होगा

bull मगल -प( 10-110-46rsquo-40rsquorsquo ह और ितीय भाव क सिध 10-050-43rsquo-21rsquorsquo स मगल -प( अिधक ह ततीय भाव 10-230-17rsquo-48rsquorsquo स मगल -प( कम ह इस कारण मगल -प( ितीय भाव क सिध म होगा

bull बध -प( 05-020-34rsquo-08rsquorsquo ह और नवम भाव 04-230-17rsquo-48rsquorsquo ह जो िक बध -प( स कम ह नवम भाव सिध ह जो िक बध -प( स अिधक ह इस कारण नवम भाव म बध रहगा

bull गf -प( 04-050-42rsquo-33rsquorsquo ह अ(म भाव 03-180-08rsquo-54rsquorsquo ह जो िक गf -प( स कम ह और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो गf -प( स अिधक ह इसिलए गf अ(म भाव म होगा

131

bull शT -प( 04-090-45rsquo-57rsquorsquo ह और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो िक शT -प( स कम ह इसिलए शT को अ(म भाव क सिध म रखा जायगा

bull शिन -प( 02-150-52rsquo-54rsquorsquo ह सम भाव 02-130-00rsquo-00rsquorsquo ह जो िक शिन -प( स कम ह इसिलए शिन -प( क सम भाव म होगा

bull राहb -प( 01-000-35rsquo-16rsquorsquo ह और पचम भाव 00-230-17rsquo-46rsquorsquo ह जो िक राहb -प( भाव स कम ह इसिलए राहb को पचम भाव म रखा जायगा

bull कत -प( 07-000-35rsquo-16rsquorsquo ह और एकादश भाव 06-230-17rsquo-46rsquorsquo ह जो िक कत -प( क भाव स कम ह इसिलए कत एकादश भाव म ही रहगा

सारणी 9ारा ल न प ट िनकालन क सगम िविध -

िजस िदन का लाभ बनाना हो उस िदन क सय) क रािश अशपचाग म दखकर िलख लना चािहए प_ ठ स 67 पर दी गइ) हा ल न सारणी म रािश का को_ ठक बायी और अश का को_ ठक उपरी भाग म ह सय) कजो रािश अक िलख हउसका फल ल न सारणी म अथा)त सय) क रािश क सामन और अश क नीच जो अक िमल उस ई_ टकाल क घटी पल म जोड द वहS योग या उसक लगभग अक ई_ टकाल कघटी पल म जोड़ द वही योग या उसक लगभग अक िजस को_ ठक म िमल उसक बायS तरफ रािश का अक और उपर अश का अक ापत होगा वही राशयािद ल न मान होगा इसक बाद रािशक गिणत ारा कला िवकला का भी माण िनकाल लना चािहए उदाहरण lsquo िवस 2001 वशाख शP ल 2 सोमवार को 23 घटी 22 पल ई_ टकाल का ल न बनता ह इस िदन पचाग म सय) - प_ ट 01102857 िलखा ह इसको एक - थान पर िलख िलया ल न सारणी म श य रािश अथा)त मष रािश क सामन और 10 अश क नीच 4742 स^ या िलिख हइस ई_ टकाल म जोड़ा 222210 ई_ टकाल म +40742 272942

इस योगफल को पन ल न सारणी म दखन पर िन निलिखत अक कहS नहS िमल 272942 िक त िसह रािश क 23 व अश क को_ ठक म 272459 स^ यािमली इस रािश क 24 व अश क को_ ठक म 27366 अक स^ या ह यह स^ या अभी_ ट योग क अक स^ या स अिधकह अत 23 अक िसह का 5हण करना चािहए अतएव ल न का मान 423 रायािद हbआ कला िवकला िनकालन क िलए 23 व अश 24 व अश को_ ठक क अक का एव पव[P त योगफल और 23 व अश क को_ ठक क अश का अ तर कर लना चािहए

132

ितीय अ तर क स^ या को 60 स गणा कर गणनफल म थम अ तर स^ या का भाग दन स कलाय आयगी शष को पन 60 स गणा करक उसी स^ या का भाग दन स िवकला आयगी

- तत उदाहरण क अनसार

24 0 एव िसह रािश क स^ या 27366 म स 23 0 एव िसह रािश क स^ या ndash 2712459 को घटाया 1107 इस एक जातीय बनाया

11107times60 ndash 660+7 667 इ_ टकाल म सय)फल को जोड़न स जो फल आया ह वह ह 272942 इस योगफल म स 23 अश क स^ या को घटाया 272942 - 272459 443 इस एक जातीय बनाया 4143times60 ndash 240+43 ndash 283 283times60 ndash 16980divide667 ndash 25 कला 16980667 25 25 कला 291 शष 2 योग िदया अत राH यािद - प( ल न 42325rsquo27rsquorsquo हqआ

दशमभाव साधन करन क िलए सारणी 9ारा सगम िविध

1 नत काल को इ_ टकाल मानकर िजस िदन का दशम भाव साधन करना हो उस िदन क सय) क रािश अश पचाग म दखकर िलख दना चािहए प 8एव 9 पर दी गई दशम ल न सारणी म रािश को को_ ठक बायS और अश का को_ ठक उपरी भाग म ह सय) क जो रािश अश िलख ह उनका फल सारणी म सय) क रािश क सामन और अश क नीच जो अक स^ या िमल उस पिhम नत हो तो नतfप इ_ टकाल म जोड दन स और पव) नत हो तो सारणी क अक म स घटा दन स जो अक आव उनको पन दशम सारणी म दख जो बायS और रािश और उपर अश िमल ह यह रािश अश ही दH म ल न क रािश अश होग कला िवकला का आनयन प_ ठ 25 क अनसार िनकाल लना चािहए

2 ई_ टकाल म स िदना) घटाकर जो शष आय व दशम भाव का ई_ टकाल होगा यिद ई_ टकाल म स िदनाX) न घट सक तो इ_ टकाल म स 60 छटी जोड कर िदनाX) घटान स दशल का ई_ टकाल होता ह ई_ टकाल पर स थम िनयम क अनसार दशम सारणी ारा ndash दशम ल न साधन करना चािहए

3 ल न सारणी ारा ल न बनात समय सय) फल म ई_ टकाल जोडन स जो घटयािद अश आव उसम 15 दठी घटान स शष अश सारणी म िकस रािश अश का फल हो वहS दशम ल न होगा

133

ल न स दशम भाव साधन

ल न रािश अश ारा फल लकर रािश क सामन और अश क नीच जो अक स^ या ल न स दशमभाव साधन सारणी म िमल वही दशम भाव होगा

53 साराश

इस इकाई म दशम भाव लन पर कस भाव डालता ह इसको उदाहरण ारा समझान का यास िकया गया ह लन िनकालन क पhात दशम लन िनकालन क पव) नतोनत साधन िकया गया ह जम कampडली म दशम भाव क मह2 2 वपण) भिमका ह छा ारा लन स दशम भाव साधन िकस कार िकया जाए इसक पXित Tमवार इस इकाई म -तत क गई ह तथा 5ह -प( एव स उदाहरण ारा समझान का यास िकया गया ह

54 बोध

1 नतकाल को िकतन भाग म बाटा गया ह

उ9र दो भाग म बाटा गया ह-

1) पव)नत

2) पिhम नत

2 नतकाल क आवHयकता िकस िनकालन क िलए पड़ती ह

उ9र दशम भाव क साधन क िलए

3 िकस भाव म 6 रािशया जोड़न पर चतथ) भाव िनकलता ह

उ9र दशम भाव + 6 = चतथ) भाव

4 षDाश िनकालन का स Pया ह

उ9र ष(ाश =

5 सिध म पड़ हbए 5ह का फल िकतना होता ह

उ9र कमजोर या आधा रहता ह

िनबधामक -

1 िदनाक 23082012 समय 8 बजकर 5 िमिनट ातः -थान कोटा का चिलत चT व भाव -प( को िनकाल

2 नतोनत को हbए दशम भाव को िनकालन का वण)न कर

134

55 शदावली

bull षDाश = िकसी भी स^या का छठा भाग षDाश कहलाता ह

bull नत = मVयाह रखा स इ( का जो अतर होता ह उस नत कहत ह

bull िदनाX) = िदनमान क आध भाग को कहत ह

56 सदभ 13थ सची

1 भारतीय aयोितष लखक डॉ नमीच शाी

2 पचाग बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

135

इकाई ndash 6

कारक ह चर-िथर कारक कारक ान होरा

काण इकाई सरचना

61 -तावना 62 उGHय 63 कारक 5ह प]रचय 64 चरकारक 641 आ2मकारक 5ह 642 अमा2यकारक 5ह 643 भातकारक 5ह 644 मातकारक 5ह 645 पकारक 5ह 646 gtाितकारक 5ह 647 दारकारक 5ह 648 दो 5ह क समान अश ि-थित 649 कारक कamp डली साधन 65 ि-थरकारक 5ह 651 भाव व भावश ारा कारक िवचार 652 5ह ारा कारक िवचार 653 अय ि-थितवश िनिम)त योगकारक 5ह 66 होरा gtान 661 प]रचय 662 उ2पि9 663 होरा लन साधन 664 होरा चT साधन 67 _काण gtान 671 प]रचय 672 _काण चT साधन 673 _काण कamp डली बनान क िTया

136

68 साराश 69 शK दावली 610 Mो9र 611 लघ9रा2मक M 612 सदभ) 5थ सची

61 तावना

a योितष शा- स सबिधत छठी इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक कारक 5ह चर-ि-s कारक कारक कारक gtान होरा _काण P या ह इसका िवशष fप स वण)न िकया गया ह lsquolsquoaयोितषा सया)िद 5हणा बोधक शामrsquorsquo अथा)त िजस शा क अतग)त सया)िद 5ह और काल का बोध कराया गया ह उस aयोितष शा कहा जाता ह इन 5ह का -वभाव व भाव मन_य पर कसा रहगा उस िवचार करन हत कamp डली का िनमा)ण िकया जाता ह कamp डली क भाव भावष रािशय 5ह तथा उनक कारकत2 2 व नlt एव वग) कampड़िलय का िवचार करन क पश चात ही aयोितष को जातक क कamp डली का फलादष करना चािहए अतएव इस इकाई क अVययन क उपरात आप कamp डली क भाव भावष अथवा 5हो क चर तथा ि-थर कारक वग) कampड़िलय क िविभन अग म स होरा _काण gtान तथा उसक साधन क िTया स अवगत होकर इह अपन tयवहा]रक उपयोग म सिमिलत करन क िलए सltम हो पाऐग

62 उय

इस इकाई का उGH य आपको िननिलिखत जानकारी उपलKध कराना ह

कारक gtान Pया ह

1 कारक क भद चर व ि-थर कारक

2 चर कारक क अतग)त आन वाल भद

3 भाव तथा 5ह क कारकत2 2 व

4 होरा gtान होरा लन साधन िविध

5 होरा चT साधन क िTया

6 _काण कamp डली का िनमा)ण

137

63 कारक 13ह पampरचय

िकसी tयिJ िवशष क कamp डली म िकसी िविश_ ट काय) या घटना का धिटत होन का सकतक 5ह या भाव कारक कहलाया जाता ह कारक 5ह अथवा भाव का फल कडली म फलकथन करन म मह2 2 वपण) माना गया ह

कारक 5ह को दो भाग म िवभािजत िकया गया ह यह िननिलिखत ह-

(अ) चर कारक

(ब) ि-थर कारक

64 चरकारक

इस जिमनीय कारक भी कहा गया ह जिमनी पXित अनसार 5ह ि-थर नहS अिपत चर ह चर कारक 5ह क अश बल पर आधा]रत ह अश बल पर आिBत होन स कारक2 तव िभन कampड़िलय म िभन 5ह होत ह अतः य चरकारक कहलात ह सय) स शिन पय)त स 5ह अश क आधार पर सात कारक बनत ह अश क आधार पर 5ह को TमबX िकया जाए तो सवा)िधक अश वाला 5ह थम कारक तथा यनतम अश वाला 5ह सबस अितम -थान का कारक कहलाया जाऐगा अतः चर कारक क Tमषः 7 भद -प( होत ह -

(1) आ2म कारक (2) अमा2यकारक (3) भातकारक (4) मातकारक (5) प कारक (6) gtाितकारक (7) ीदाराकारक

िविभन कारक िनन कार जान-

चर कारक ह अश बल कारक त व

1 आम कारक सवािधक अश शारीरक सख-दख

2 अमाय कारक ितीय अशबली वाणी मणा धन ग का िवचार

3 भातकारक ततीय अशबली पराम शौय परम भाई-बहन का सख

4 मातकारक चतथ अशबली माता मन भवन भिम सवसख का िवचार

5 पकारक पचम अशबली िवा बि ग एव सतान सख िवचार

6 ाितकारक ष अशबली रोग रप ऋण सघष पधा आिद का िवचार

7 0ीदाराकारक 1यनतम अशबली पित पनी ससराल साझदारी आिद का सख

641 आमकारक ह

138

िकसी भी रािश म सवा)िधक अश पर ि-थत 5ह आ2मकारक होता ह रािशय को छोड़कर िजस 5ह क भJाश सबस अिधक हो वही आ2मकारक 5ह कहलाता ह इस लनष का पया)य कहा गया ह आ2मकारक 5ह क रािश लन क पया)य बनती ह अतः आ2मकारक 5ह िजस रािश म ि-थत हो उस रािश का सवा)िधक बली मानत हbए फलकथन क िलए िविश_ ट fप स िवचारणीय मानना अ2यत आवH यक ह सय) को नसिग)क आ2मकारक 5ह माना गया ह

आ2मकारक 5ह को धान माना गया ह आ2मकारक क अनकलता ितकलता -वाभाव बल आिद क अनसार ही शष आ2मािद कारक अपना फल दग अगर आ2मकारक 5ह जमकamp डली म शभ अथवा बली हो तो अय कारक भी शभ फल दन म सltम हग अयथा अय कारक क फल म भी यनता दखन म आयगी

फल

आ2मकारक 5ह यिद उkचरािश-थ मल-िकोण या -वरािश-थ हो तो जातक भायषाली धनी सपन यष-वी होता ह शभ यJ आ2मकारक जातक को सख एव सौभाय दान करता ह इसक िवपरीत आ2मकारक का श रािश-थ नीच व दब)ल होना जातक का दभा)गय क( पीड़ा धनहािन आिद अशभ फल का सचक ह 5ह क अनकलता एव ितकलता क अनfप ही 5ह अपनी दषा व अतद)षा क अतग)त शभ अथवा अशभ फल दान करत ह

642 अमायकारक ह

अश ारा TमबX करन पर दसर Tम म ि-थत 5ह अमा2यकारक 5ह कहलाता ह अय शKद म जो 5ह आ2मकारक स दसर -थान पर हो अथवा आ2मकारक स कछ कम अश वाला 5ह जो अय स अश म aयादा हो वह अमा2यकारक 5ह होता ह बल व मह9ा म इसका दसरा -थान ह आ2मकारक को जहा 5ह क राजा क Bणी म रखा गया ह वही अमा2यकारक को मी क Bणी म रखा ह नसिग)क fप स बध को आमा2यकारक 5ह कहा गया ह मतातर स बध का शभ व बली होना अमा2यकारक अनfप ही फल दान करता ह

फल

अमा2यकारक 5ह का उkच-थ -वरािश मल िकोण-थ होना जातक को िवचारवान िवान गणी मधरभाषी धनी व कटब स सख ा करान वाला होता ह अमा2यकारक 5ह क दषा म जातक धन मान वभव ितDा एव प]रवार का सख ा करता ह 5ह का िनब)ल नीच रािश-थ अथवा श रािश-थ होन पर जातक को दख दा]रय प]रवार सख म कमी वाणी म असयम कटता अथवा अपयश दता ह

643 भातकारक ह

बल व अश म तीसर -थान पर ि-थत 5ह भातकारक 5ह कहलाता ह नाम स ही -प( तीत भातकारक 5ह जातक क भाईय का सख अथवा दख को दशा)ता ह भातकारक 5ह जातक को पराTमी धय)वान

139

शौय)वान प]रBमी अथवा उ2सािहत बनाता ह नसिग)क fप स मगल को भातकारक 5ह कहा गया ह छोट भाई-बहन का सख अथवा जातक का परTम बल आिद मगल 5ह स कहना चािहए

फल

भातकारक का उkच-थ -वरािश-थ िमरािश-थ अथवा मल िकोण-थ होना जातक को शभ फल दान करता ह जातक को अपन भाई-बहन का उ9म सख ा होता ह वह अपन अनज ारा सख -नह व समान पाता ह उस अपन पराTम एव साहस ारा िकए सभी कायv म पण) fप स सफलता ा होती ह उसका भजबल उसक उ9म काय)षली का तीक बनता ह इसक िवपरीत यिद भातकारक नीच रिष-थ शरािश-थ अथवा नीच wि(गत होता ह तो जातक को भाई-बहन का अAप सख होता ह वह दीनहीन दब)ल एव अकम)ampय बनता ह उस अपन पराTम एव शौय)बल स विचत रहकर अपना जीवन दब)ल fप स tयतीत करना पढ़ता ह

644 मातकारक ह

अष ारा TमबX करन पर चतथ) -थान पर आन वाला 5ह मातकारक कहलता ह यह जातक क सव)सख को दशा)ता ह जातक क माता क सख-दख का िवचार अथवा मात ारा िमलन वाल -नह का िवचार मातकारक 5ह स ही िकया जाता ह इसक अतग)त आन वाल अय कारक भिम भवन पष सपि9 वाहन नौकर-चाकर आिद का िवचार भी इसी स िकया जाता ह इसका नसिग)क 5ह चमा ह

फल

मातकारक 5ह यिद उkच-थ -वरािश-थ अथवा अपनी िम रािश म हो तो जातक को अपनी माता क साथ सबधो का BD फल ा होता ह उसका माता अथवा माता क समान िय क साथ िवशष -नह अथवा उह समान दन वाला होता ह तथा िवपरीत म उतना ही -नह जातक -वय ा करता ह इसक अित]रJ उस भवन भिम वाहन ारा भी लाभ िमलता ह 5ह का श रािश नीच रािश अथवा नीच 5ह ारा w( होना जातक को अपनी दशा अतद)शा म अशभ फल दता ह मातसख क साथ भिम भवन अथवा वाहन सख म भी कमी आती ह 645 प)कारक ह

अशबल क अनसार TमबX म पाचव -थान पर आन वाला 5ह पकारक 5ह कहलाता ह नाम ारा -प( पकारक 5ह प सख म विX करता ह जातक को उ9म सतान क ाि होती ह जातक क बिX िवFा िवचार गfजन िम आिद का िवचार इसी 5ह ारा िकया जाना सभव ह शाानसार इसका नसिग)क 5ह गf को कहा गया ह अय शKद म गf को जीव कारक 5ह भी कहा गया ह अतः गf का बली होना प सख िवFा बिX आिद म शभ फल दन वाला बनता ह

140

फल

पकारक 5ह का अपनी रािश उkच रािश म अथवा अपनी मल िकोण रािश म ि-थत होना जातक को बहbमाा म प सख क ाि करवाता ह जातक को उkच िवFा खर बिX अथवा गfजन क -नह क ाि होती ह जातक का प कल को बढ़ान वाला िनDावान अथवा भा यवान होता ह इसक िवपरीत नीच रािश नीच wि(गत अथवा पाप 5ह क सािनVय म रहकर जातक को सतानहीन प सख म कमी बिXहीन गfजन क अवहलना करन वाला बनाता ह

646 ाितकारक ह

TमबX क अनसार छठ -थान पर आन वाला 5ह gtाितकारक 5ह कहलाता ह जिमनी aयोितष ारा इस चचर भाई-बहन का कारक भी कहा गया ह जातक क रोग ]रप ऋण मामा -पधा) आिद का िवचार इसी स िकया जाता ह मगल को gtाितकारक 5ह का नसिग)क कारक माना गया ह मगल का बली शभ अथवा उkच रािश म होना जातक को रोग व ऋण स दर रखता ह तथा मगल स दख जान वाल कारक म शभता दान करता ह

फल gtाितकारक 5ह का अपनी रािश म होना -वltी होना तथा उkच रािश म ि-थत होकर शभ 5ह ारा सबध -थािपत करना जातक को रोग व ऋण मJ बनाता ह वह -पधा) म अपनी जीत हािसल करता ह पराTमी प]रBमी अथवा शओ को परा-त करन वाला वीय)वान होता ह इसक िवपरीत नीच रािश अथवा िनब)ल 5ह जातक क रोग व ऋण म विX करवाता ह शओ स परािजत होता ह अथवा -पधा) म पराजय का सामना करना पड़ता ह जातक क चचर भाई-बहन स शओ सा tयवहार करत ह

647 दाराकारक ह

जमकडली म सबस यनतम अश रखन वाला 5ह दाराकारक 5ह कहलाता ह इसस जातक का दाप2य सख का िवचार करना चािहए पित-प2नी का -वभाव गण दोष िवचार सख दःख आिद दाराकारक 5ह स ही िवचारणीय ह पर-पर पित अथवा प2नी क बीच का -नह व सहयोग क जानकारी क िलए दाराकारक 5ह का अVययन करना अिनवाय) ह इस 5ह स दो tयिJय क बीच क साझदारी का िनण)य लना चािहए पित अथवा प2नी का ससराल म समान आिद भी इसी स जाना जाता ह इसका नसिग)क 5ह शT ह शT क बली होन पर उसस सबिधत कारक का शभ फल कहना चािहए

फल

5ह का बली होना शभ 5ह स w( होना क व िकोण स सबध रखना -वरािश म होना जातक क दाप2य सख म विX दान करता ह पित-प2नी का आपसी सहयोग व -नह ायः दखा गया ह यिद दाराकारक शभ व बली हो अयथा नीच रािश का दब)ल दाराकारक 5ह पापफल म विX करता ह तथा ववािहक जीवन म Pलश दख व वमन-य दता ह

141

648 दो ह क समान अश िथित

कछ कampड़िलय म ायः दखन पर आता ह िक दो 5ह क समान अश होत ह ऐस म कलाओ पर िनरीltण कर यिद व भी समान हो तो राहb तक गणना करन का िनदyश aयोितष 5थ म िदया गया ह ऐस म राहbपय)त 8 5ह कारक मान गए ह यिद राहb तक िगनन क ि-थित हो तो राहb क -प( अषािद को 30 म स घटाकर शष अश को भJाष मान Pयिक राहb सदव वTगित स चलता ह उदाहरणतः यिद िकसी कamp डली म राहb वष रािश क 24 अश पर ि-थत हो तो 30 - 24 6 अश बल राहq का जान

बहत पाराशर क अनसार कछ लोग राहb सिहत सदव गणना करक आठ कारक होत ह ऐसा मानत ह आठ कारक वाल मत म िपतकारक अिधक माना जाता ह पराषर एव जिमनी स म दोन ही िवकAप रख गऐ ह परत सकारक वाल पlt को मख माना गया ह

उदाहरण कamp डली म लनािद नौ 5ह िनन अश पर ि-थत ह

लन - 12154 सय) - 91020

चमा - 3816 मगल - 6518

बध - 91020 गf - 122424

शT - 8166 शिन - 42426

राहb - 11555 कत - 71555

-तत मष लन कamp डली म सवा)िधक अश पान वाला 5ह शिन ह अतः वह आ2मकारक 5ह कहलायगा इसक िवपरीत यनतम अश पान वाला 5ह मगल दाराकारकीकारक कहलायगा सय) व बध एक ही अश म ि-थत होन क कारण राहb भी TमबX म सिमिलत हो जाऐगा 5ह क कारक िनन तािलका ारा जान -

ह अशकला कारक

शिन 2426 आ2मकारक

गf 2424 अमा2यकारक

142

शT 166 भातकारक

राहb 1555 मातकारक

सय) 1020 पकारक

बध 1020 पकारक

चमा 816 जाितकारक

मगल 518 दाराकारकीकारक

िनन कamp डली म सय) और बध क समान अश होन पर दोन को ही पकारक Bणी म िलया गया ह

649 कारक कB डली

इस कamp डली म आ2मकारक 5ह को ही लन माना जाता ह अय कारक आ2मकारक स शभ -थान पर ि-थत हो शभ 5ह स यJ अथवा w( हो तो ऐसी ि-थित म कारक 5ह क दशा अथवा उसस सबिधत फल शभ हग अयथा पाप भाव कारक अपनी दषा म अशभ फल दगा कारक कamp डली िननिलिखत उदारहण स समझ

उपरोJ कारक कamp डली म सवा)िधक अश पान वाला 5ह शिन ह अतः इस लन माना गया ह कamp डली म समश शिन तथा पचमश गf का wि( सबध हो रहा ह योगकारी 5ह मगल का लनश व गf स wि( सबध न जातक का म-िववाह कराया परत िववाह पH चात सबध म वमन-य हbआ

65 िथरकारक 13ह

aयोितष शा म पाराशरी िसXातो ारा कारक को ि-थर बताया गया ह कamp डली म भाव अथवा 5ह कछ िवषय क िवशष कारक बनत ह य कारक सभी जातक क िलए सामाय व एकfप फल दत ह उदाहरण क िलए यिद िकसी जातक क आजीिवका क सदभ) पर िवचार करना ह तो दशम भाव अथवा दशमश स िवचार करना चािहए इसी कार प का िवचार करन क िलए पचम भाव पचमश अथवा गf 5ह (सतान कारक) का स भी िवचार करना अिनवाय) ह हर भाव अथवा 5ह क ि-थर कारक बताऐ गय ह इस हम िनन तािलका ारा समझग

143

651 भाव व भावष 9ारा कारक िवचार

भाव भावश कारक नसिग)क कारक 5ह

लनलनश दह-िवचार गण -वभाव tयवहार सय)

ितीयितीयश धन कटब वाणी न िपतपlt गf

ततीयततीयश रोग ऋत ऋण -पधा) सघष) मगल

चतथ)चतथyश मात मन वाहन भवन zदय च

पचमपचमश बिX िवFा सतान पट िम गf

षDषDष रोग ऋप ऋण - पधा) सघष) मगल

समसमश िववाह पित-प2नी tयापार याा शT

अ(मअ(मश म2य-थान ससराल पlt ग धन शिन

नवमनवमश भाय िपता भिJ ई(कपा गf

दशमदH मश कम) -थान आजीिवका उkचपद बध

एकादशएकादशश धनलाभ बड़ा भाई सामािजक ितDा गf

ादषादशश tयव शया-सख भोग दampड मोlt शिन

652 ह 9ारा कारक िवचार

5ह कारक

सय) िपता राaयपद

चमा मातकारक मन

मगल भात कारक पराTम साहस

बध tयापार tयवसाय वाणी लखन

गf सतान िवFा धन पितसख

शT दाप2य सख पित-प2नी

शिन आय_य दःख आल-य िवलबता

राहb मामा मासी निनहाल

कत दादा का प]रवार

144

653 अय िथितवष योग कारक हः

कई बार 5ह ि-थितवश भी कारक बनत ह इह योगकारी 5ह भी कहा गया ह योगकारी 5ह क दशा-अतद)शा म उनस सबिधत कारक का िवशष शभ फल ा होता ह 5ह क योगकारक बनन क -थित िनन कार ह

1 जम समय म जो 5ह -वरािश िम रािश अथवा अपनी उkच रािश म ि-थत होकर क म हो वह कारक कहलात ह जस 1 4 7 10 म 5ह उkचािद हो तो कारक कहलायग

2 कोई 5ह क अथवा िकोण दोनो का -वामी हो तो वह िवशष योगकारी 5ह बनता ह उदाहरण क िलए कक) लन म मगल (िकोण) पचम तथा दशम भाव (क) का -वामी ह अतः कक) लन वाल क िलए मगल 5ह िवशष योगकार द हbआ

फलः िजस जातक क कamp डली म 5ह उपय)J िनन ि-थित ारा कारक बनत ह वह नीच वष म उ2पन होकर भी राजा तAय जीवन tयतीत करता ह tयिJ राजा क समान धनी सखी ऐH वय)वान मान ितDा ा करता ह

66 होरा ान

भारतीय aयोितष शा क -कधय क अतग)त होरा िसXात और सिहता तीन अश मान गय ह तथा -कधपच क अतग)त-हारा िसXात सिहता _न और शकन य पाच अग मान गए ह -कध-पच का िववरण िनन कार ह-

661 होरा

यह aयोितष शा का वह -कध ह िजसम tयिJय को अपन जीवन क बार म माग)दश)न ा होता ह उसक पव) जीवन म ारKध िकए गऐ कमv का शभ या अशभ फल वत)मान जीवन म िकस कार िमल पायगा उसका gtान समय स पव) होरा ारा ही gtात हो सकता ह

िसXात िसXात भाग ही जयोितष शा का सव) थम भाग ह यह भाग म यतः गिणत शा का दश)क ह कालगणना सौर च मास का ितपादन 5हगितय का िनfपण 5ह-नlt क ि-थित इसी -कध क अतग)त समिलत ह

सिहता

इसम भषोधन मलापक 5होपकरण इि( का ार 5ह- वश जलाशय िनमा)ण मागिलक कायv क महq2 त) उAकापात 5ह क उदय-अ-त का फल 5हचार का फल एव 5हणफल आिद िवषय का िनfपण िव-तारपव)क िकया गया ह

145

नशा )

यह त2काल फल बतान वाला शा ह इसम H नकता) क उkचा]रत अltर पर स फल का ितपादन िकया ह इस शा म तीन िसXातो का वश हbआ ह ndash H नाltर िसXात H नलन िसXात तथा -वरिवgtान िसXात

शकन शाF

इसका अय नाम िनिम9शा- बताया गया ह पव)काल म इस पथक -थान न दकर अिपत सिहता क अतग)त का िवषय ही माना गया था आग चलकर इस शा न अपना अलग fप ा कर िलया ह

इकाई क मल fप होरा gtान को Vयान म रखत हbए हम इस ही िवषय का सिlt fप म अVययन करग

662 होरा ान क उपिG

इसका दसरा नाम जातक शा ह इसक उ2पि9 lsquoअहोराrsquo शKद स हbई ह अहरो शKद िदन और राि का बोधक ह इसी शKद क आिद और अितम अltर का लोप होकर lsquolsquoहाराrsquorsquo शKद चलन म आया ह जमकालीन 5ह क ि-थित क अनसार ादष भाव क फल जातक क जीवन पर Pया भाव दग उसका िव-तारपव)क ितपादन इसक अतग)त िकया गया ह

663 होरा लन साधन

तथा साधि9घिटका िमतादकIदयाद ि9ज

याित लन तनाम होरालन चampत

इ$घटयािदक ि9Kन पचाL भािदक च यत

योMयमौदियक भानौ होरालन फट िह तत बह2 पाराशर होराशा- 5-415

सय[दय स जम( काल तक ित 25 घटी म एक-एक होरा लन का माण होता ह अतः अपन इ(काल को दो स गणा कर 5 का भाग दन पर जो राHयािद लिKध हो उस उदयकािलक सय) म योग कर दन स -प( होरा लन होता ह

उदाहरण

जम( काल 525 को 2 स गणा िकया तो 1050 हbआ इसम 5 का भाग िदया तो 021000 रा_यािद हbए इस उदयकािलक सय) 0320425 म योग िकया तो 060425 हbआ और यही होरा लन हbआ

664 होरा च2 साधन

15 अश का एक होरा होता ह इस कार एक रिष म दो होरा होत ह िवषम रािश-मष िमथन आिद म 15 अश तक सय) का होरा और 16 अश स 30 अश तक चमा का होरा होता ह समरािश-वष कक) आिद म 15 अश तक चमा का होरा और 16 अश स 30 अश तक सय) का होरा होता ह समरािश म पवा)X) म चमा क ओर उ9राX) म सय) क होरा होती ह सय) और चमा क होरािधपित Tमषः िपत

146

और दव होत ह रािश क आधी होरा कही जाती ह अतः एक रािश म दो होरा और 12 रािश म 24 होरा होत ह

जमपी म होरा िलखन क िलए पहल लन म दखना होगा िक िकस 5ह का होरा ह यिद सय) का होरा हो तो होरा-कampडली क लनरािश और चमा का होरा हो तो होरा-कampडली क लनरािश होती ह होरा-कampडली म 5ह क -थान क िलए 5ह-प( क राH यािद स िवचार करना चािहए नीच होराgtान क िलए होराचT िदया जाता ह इनम सय) और चमा क -थान पर उनक रािशया दी गयी ह

होरा चT

अश मष वष िमथन कक िसह कया तला विक धन मकर कभ मीन

15 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4

30 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5

उदाहरण - लन 4232527 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला 27 िवकला पर ि-थत ह िसह रािश क 15 अश तक सय) क होरा एव 16 अश क आग 30 अश तक का चमा क होरा होती ह अतः यहा चमा का होरा हbआ और होरालन 4 माना जायगा

5ह -थािपत करन क िलए -प( 5ह पर िवचार करना ह पव) म -प( सय) 00100734 अथा)त मष रािश का 10 अश 7 कला 34 िवकला ह मष रािश म 15 अश तक सय) क होरा होता ह अतः सय) अपन होरा-5 म हbआ चमा का -प( मान 01002647 ह वष रािश का 00 अश 26 कला 47 िवकला ह वषरािश म 15 अश तक चमा क होरा होती ह िमथनरािश का 21 अश 52 कला 45 िवकला ह िमथन रािश म 16 अश स 30 अश तक चमा क होरा होती ह अतः मगल चमा क हारा-4 म हbआ बध 0232131 मष रािश का 23 अश 21 कला 31 िवकला ह मष रािश म 16 अश स चमा क होरा होती ह अतः बध चमा क होरा-4 म हbआ इसी कार बह-पित सय) क होरा-5 म शT सय) क होरा-5 म शिन सय) क होरा-5 म राहb चमा क होरा-4 म और कत चमा क होरा-4 म आया

होरा कBडली च2

147

67 ()काण ान

रािशि)भागा काणात च शटिषदी+रताः

प+रविG)य त0शा मषादः 2मषो भवत

वपचनवमाना च राशीना 2मच त

नारदाडगितदवासा काणषाचरािदष बहपाराषर होराशा ) 77-8

671 प+रचय-

रािश का ततीय भाग _काण कहा जाता ह तीस अश क एक रािश म दस-दस अश क तीन भाग होत ह इसिलए 2यक रािश म तीन _काण िनन कार ह -

10-100 अश तक - थम _काण

100-200 अश तक - ितीय _काण

200-300 अश तक - ततीय _काण

िजस िकसी रािश क थम _काण म 5ह हो तो उसी रािश का ितीय _काण म उस रािश स पचम रािश का और ततीय _काण म उस रािश स नवम रािश का _काण होता ह _काण क रािश क अनसार ही _काण क -वामी होत ह

जस वष रािश म 10 अश तक पहला _काण का होगा और उस _काण क -वामी शT हग वष रािश क 11-20 अश तक ितीय _काण वष स पाचवी रािश कया का होगा और उसक -वामी बध हग वष रािश क 21-30 अश तक ततीय _काण वष स नवम मकर रािश का होगा ओर उस _काण क -वामी शिन हग

672 काण च2 साधन-

_काण को सरलता स िनकालन क िलए नीच _काण चT िदया जाता रहा ह

_काण चT

अश मष वष िमथन कक िसह कया तला विक धन मकर कभ मीन

1-10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

10-20 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

20-30 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

148

673 काण कB डली बनान क ि2या

जमपी म _काण कamp डली बनान क िTया यह ह िक लन िजस _काण म हो वही _काण कamp डली क लन रािश होगी _काण कamp डली म लन क आग अय भाव म एक-एक आग क रिषया -थािपत कर लव 5ह क -थपना क िलए अलग-अलग _काण िनकालकर 2यक 5ह को उसक _काण रािश म -थािपत कर लव

उदाहरण

-प( लन 428301 िसह रािश

सय) 1218102 मष रािश

च 72620101 विhक रािश

मगल 814157 धन रािश

बध 12161715 मष रािश

गf 418200 िसह रािश

शT 7271410 विhक रािश

शिन 78105 विhक रािश

राहb 325510 कक) रािश

कत 925510 मकर रािश

-तत कamp डली म लन -प( 0428301 अथा)त िसह रािश क 28 अश 30 कला और 1 िवकला ह यह लन िसह रािश क तीसर _काण म ह अतः िसह स नवम रािश मष आती ह इसिलए _काण कamp डली का लन मष होगा इसी कार हम अय 5ह भी -थािपत करग सय

मष रािश म 18102 म ह यह 10 अश स आग ह इसिलए ितीय _काण म हbआ मष स 5 तक िगनन पर िसह रािश आती ह _काण चT म मष रािश क नीच ितीय _काण म 5 िलखा ह सय) को उस

149

अक क रािश जो िसह ह वहा -थािपत कर लव िसह रािश का -वामी सय) ही ह अतः सय) -व5ही होकर अपनी रािश क _काण म ि-थत ह

चमा विhक रािश क 26 अश 20 कला और 10 िवकला पर ि-थत ह यह 20 अश स aयादा ह इसिलए ततीय _काण म हbआ विhक स 9 तक िगनन पर कक) रािश आई _काण चT म विhक रािश क नीच तीसर _काण म कक) रािश ह अतः चमा कक) रािश क _काण म ह कक) रािश का -वामी -वय चमा ह चमा अपन ही _काण म ह

मगल मगल धन रिव क 14 अश 15 िवकला और 7 कला म ह यह 10 अश आग होन स ितीय _ काण का हbआ _काण म 1 अक िलखा ह अतः मगल मष रािश क _काण म ह यहा मगल भी अपनी -वरािश क _काण म ि-थत ह

बध

बध मष रािश क 16 अश 17 िकला और 15 िवकला म ि-थत ह यह 10 अश स aयादा ह इसिलए ितीय _ काण म हbआ _काण चT म मष रािश क नीच ितीय -थान पर 5 अश िलखा ह अतः बध 5ह क -थापना िसह रािश म कर अय शKद म बध िसह रािश क _काण म ह िसह रािश क -वामी सय) ह इसिलए बध को सय) क _काण म कहग

बहपित

गf िसह रािश क 18 अश 20 कला पर ि-थत ह यह अश 10 स aयादा ह इस हम ितीय _काण क Bणी म रखग ितीय _काण म 5ह क ि-थित होन स उस रािश स 5 रािश आग िगनन पर धन रािश आयगी इस हम _काण चT स दखग तो िसह रािश क नीच ितीय _काण म 9 अक िलखा ह अतः बह-पित धन रािश अथवा -वरािश क _काण म ि-थत ह

श2

शT विhक रािश क 27 अश 14 कला और 10 िवकला म ह यह अश 20 स भी aयादा ह अतः ततीय _काण क Bणी म आत हbए विhक स 9 िगनन तक कक) रािश क _काण म आयगा _काण चT ारा दखन पर विhक रािश क नीच ततीय -थान पर 4 अश कक) रािश को ही दशा)ता ह कक) रािश क -वामी चमा ह इसिलए शT को चमा क _काण म कहग

शिन

शिन विhक रािश क 8 अश 10 कला और 5 िवकला म ह यह 1 स 10 अश क भीतर ही ह इसिलए थम _काण म ह थम _काण उसी रािश का होता ह िजसम व -वय ि-थत ह अतः शिन को विhक रािश क अतग)त ही लग _काण चT म विhक रािश क नीच थम -थान पर 8 अक िलखा ह जो

150

विhक रािश को -प( करता ह विhक रािश क -वामी मगल ह अतएव शिन को मगल क _काण म कहग

राह4

राहb कक) रािश क 25 अश 5 कला और 10 िवकला म ह यह 20-30 अश भीतर आत हbए ततीय _काण क Bणी क अतग)त आयगा अतः कक) स 9 तक िगनन पर मीन रािश आऐगी _काण चT ारा दखन पर कक) रािश क नीच ततीय -थान पर 12 अक िलखा होना मीन रािश को -प( करता ह मीन रािश क -वामी गf होन स राहb गf _काण का कहलायगा

कत

कत मकर रािश क 25 अश 5 कला और 10 िवकला म ह यह 20 अश स आग 20-30 अश क भीतर क Bणी अथा)त ततीय _काण म ि-थत ह मकर रािश स 9 िगनन तक कया रािश आऐगी _काण चT म मकर रािश क नीच ततीय -थान पर 6 अक िलखा ह जो कया रािश को -प( करता ह कया रािश क -वामी बध ह अतएव कत बध क _काण म ह

68 साराश

उपरोJ विण)त इकाई म हमन aयोितष शा क तीन िविभन एव मह|वपण) अग कारक gtान होरा gtान अथवा _काण gtान का अVययन िकया ह इकाई क lsquolsquoकारक gtानrsquorsquo क अत)गत हमन चरकारक क भद Tमश आ2मककारक अमा2यकारक भातकारक मातकारक पकारक gtाितकारक अथवा दाराकारक क िनयम कारकत2 2 व एव उनक फलो को भली भॉित समझान का यास िकया इसक अित]रJ भाव भावोष तथा 5ह क ि-थत कारक का gtान भी आपको ा हो सकगा

इकाई क दसर भाग क अतग)त आपको ाचीन भारतीय aयोितष क -कधय क मह9पण) अश lsquolsquoहोरा gtानrsquorsquo उसक उ2पि9 लन साधन िविध तथा होरा चT साधन िविध का gtान ा हो पाएगा

इकाई का तीसरा भाग lsquolsquo_काण gtानrsquorsquo ह 5ह क बलाबल का gtान करन क िलए दषवग) का साधन aयोितष शा म िकया जाता ह दषवग) म होरा _काण समाश नवमाष दषमाश ादषाश षोडषाश िषाश और ष(यश प]रगिणत िकए गए ह अतएव इसम िवFािथय को थम ितीय एव ततीय _काण का रािशय क अश क अनसार gtान _काण चT एव _काण कamp डली बनान क िTया आिद को अवगत कराया गया ह

69 श दावली

bull आ2कारक 5ह = सवा)िधक अशयJ 5ह

bull दाराकारक 5ह = यनतम अशयJ 5ह

151

bull योगकारक 5ह = िवशष ि-थितवश िनिम)त शभफलदायक 5ह

bull उदयकािलक 5ह = सय[दय क समय 5ह क ि-थित

bull होरा = रािश का आधा भाग अथा)त 15 अश

bull _काण = रािश का दशम भाग अथा)त 03 अश

610 ो+र

1 कारक 5ह Pया ह tया^या किजए

उ9र िकसी tयिJ िवशष क कamp डली म िकसी िविश_ ट काय) या घटना का घिटत होन का सकतक 5ह या भाव कारक कहलाया जाता ह

2 कारक क दो भाग बताईए

उ9र कारक क दो भाग चर एव ि-थर कारक ह

3 चर करक िकतन कार क ह नाम -प( किजए

उ9र चर कारक क 7 भद कह गऐ ह आ2मकारक अमा2यकारक भातकारक मातकारक पकारक gtाितकारक दाराकारक

4 सवा)िधक एव यनतम अश पर आन वाल चर कारक क नाम -प( किजए

उ9र सवा)िधक अश - आ2मकारक

यनतम अश - दाराकारकीकारक

5 लन सम एव नवम भाव क नसिग)क ि-थर कारक 5ह बता)इए

उ9र लन - सय) सम-शT नवम-गf

6 चतथ) भाव क ि-थर कारक त2 2 व बताईए

उ9र चतथ) भाव क ि-थर कारक त2 2 व माता मन भवन वाहन सास zदय आिद ह

7 होरा का आषय Pया ह

उ9र मन_य क ारKध म िकए सगए कमv क फल का gtान एव उसका माग)दश)न होरा ारा gtात िकया जा सकता ह

8 एक रािश म िकतनी होरा हो सकती ह

उ9र 15 अश का एक होरा होता ह अतः इस कार एक रािश म दो होरा होत ह

9 _काण िकस कहत ह

152

उ9र रािश का ततीय भाग _काण कहा जाता ह

10 अश क अनसार तीन _काण का उAलख किजए

उ9र 1-10 अश - थम _काण

10-20 अश - ितीय _काण

20-30 अश - ततीय _काण

611 लघ+रामक

1 चर कारक Pया ह एव उनक भद को -प( किजए

2 भाव अथवा 5ह क ि-थर कारक त2व को -प( किजए

3 ि-थितवश बन योग कारक 5ह क िसXात बताइऐ

4 होरा लन साधन एव चT साधन क िTया -प( कर

5 _काण चT साधन क िTया एव _काण कamp डली बनान क िTया को उदाहरण सिहत -प( कर

612 स0दभ 130थ सची

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

3 जिमनीसम

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक

4 भारतीय aयोितष

tया^याकार डॉ निमच शाी

काशक भारतीय gtानपीठ िदAली

153

इकाई ndash 7

(नवमाश स तमाश िशाश) सिहत दश वगamp िवचार

इकाई क पररखा

71 - तावना

72 उGHय

73 दशवग) िवचार 731 घरा कamp डली िवचार

732 डठकाण िवचार 733 स तमाश िवचार 734 दशमाश िवचार

74 ादशाश कamp डली िवचार 75 षोडशाश कamp डली िवचार 76 िशाश िवचार 77 षठ_ याश िवचार 78 पा]रजात आिद वशिषकाश िवचार 79 साराश 710 H नावली लघउ2 तरीय तथा उ2 तरमाला

711 शK दावली 712 सदभ) 5थ सची

71 तावना

इस इकाई म दश वगv का िवचार मल fप स िकया गया ह चिक मन_ य फल क इk छा रखन वाला ाणी ह अत कamp डली क स पण) फल क ाि क िलए यहा पर इन वगv का िवचार पण)तया fप स िकया गया ह जस होरा कamp डली स स पदा और सख का िवचार िकया जाता ह ठीक इसी कार ड_ कोण कamp डली स भाइय क सख तथा इनस सहयोग एव लाभ का िवचार िकया जाता ह ठीक इसी

154

तरह स तमाश चT स सतित का एव प पौी का िवचार िकया जाता ह एव ादशाश स िपता एव माता क सख का िवचार िकया जाता ह तथा िशाश चT स अ]र_ ट फल का िवचार एव इस का समाधान िकया जाता ह इसी कार यहा सभी वगv का िवचार एव समाधान पण) fपण दशा)या गया ह

72 उय

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग ndash

bull होरा कamp डली बनान क िविध gtात करग

bull ड_ काण कamp डली बना पायग

bull स तमाश कamp डली क जानकारी ा त करग

bull नवमाश कamp डली का िवचार कर पायग

bull दशमाश कamp डली का बनायग

bull ादशाश कamp डली का gtान होगा

bull षोडशाश कamp डली बनायग

bull िशाश िवचार करग

bull ष_ ठयश चT क जानकारी ा त करग

bull पा]रजात आिद वशिषकाश क जानकारी ा त करग

73 दशवग िवचार

ल न होरा डठकाण स तमाश दशमाश ादशाश षोडशाश िशाश और ष_ ठयश य रािश क दश वग) होत ह य दश वग) मन_ य को t यय क_ ट उ नित और धन ndash धा य को दन वाल ह

रा िश क अध)भाग को होरा कहत ह िवषयम रािश (मष िमथन िसह तला धन और कभ रािशय) म थम होरा सय) क और दसरी च मा क होरा होती ह सम रािश थम च क होरा होती ह और इसी सय) क होरा होती ह रा िश क ततीय भाग को डडकाण कहत ह इस कार एक रािश म तीन डढकाण होत ह इनम थम डढकाण उसी रािश का ितीय डढकाण उस रािश स पचम रािश का तथा ततीय डढकाण उसस नवम रािश का होता ह

अ य जातक 5थ म कल 16 वगv क चचा) ह यहा उनम स कवल दश वगv का ही िववरण ा त ह ज मप क अV ययन म इन दश वगv का भी t यवहार कम चिलत ह चलन म षडवग) या स तवग) का ही योग अिधक होता ह चिक 5ह क बलाबल का gtान करन क िलए दशवग) का साधन िकया जाता ह अत आइए सव) थम

155

5ह का िवचार करत ह 5ह ndash जो 5ह िजस रािश का - वामी होता ह वह रािश उस 5ह का 5ह कहलाती ह रािशय क - वामी िन निलिखत ह ndash

रािश - वामी

िसह सय)

कक) च

मष विhक मगल

िमथन क या बX

धन मीन बह- तपित

वष तला शT

मकर क भ शिन

731 होरा िवचार

15 अश का एक होरा होता ह इस कार एक रािश म दो होरा होत ह िवषम रािश ndash मष िमथन आिद म 15 अश तक सय) का होरा होता ह और 16 स 30 अश तक च मा का होरा होता ह सम रािश वष कक) आिद म 15 अश तक च मा का होरा होता ह सम रािश तक सय) का होरा होता ह ज म कamp डली म होरा िलखन क िलए पहल ल न म दखना होता ह ज म कamp डली म होरा होता ह यिद सय) को होरा हो तो होरा कamp डली क 5 ल न रािश और च का होरा हो तो होरा कamp डली क 4 ल न रािश होती ह होरा कamp डली 5ह क - थान क िलए 5ह - प_ ट क राH यािद स िवचार करना चािहए

होरा gtान क िलए होरा चT िदया जाता ह इनम सय) और च मा क - थान पर उनक रािशया दी गई ह

होरा च2

अश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

15 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4

156

30 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4

उदाहरण -

- प_ ट ल न 41325126 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला 26 िवकला पर ह िसह रािश क 15 अश तक सय) का होरा 16 स आग 30 अश तक च मा का होरा होता ह अत यहा च मा का होरा हbआ और होरा ल न 4 माना जायगा 5ह - थािपक करन क िलए - प_ ट 5ह का िवचार करना चािहए अत माना िक - प_ ट सािधत सय) 01906134 ह अथा)त मष रािश का 90 अश 6 कला 34 िवकला ह मष रािश म 15 अश तक सय) चT म सय) का होरा होता ह अत सय) अपन होरा अथा)त 5 रािश म हbए च मा का - प_ ट मान 91026147 वष रािश का श य अश 26 कला 46 िवकला ह वष रािश म 15 अश तक च मा का होरा होता ह अत च मा अपन होरा 4 म हbए मगल का - प_ ट मान 212952145 िमथन रािश का 21 अश 42 कला 84 िवकला ह िमथन रािश म 18 स 30 अश तक च मा का होरा ह अत मगल च मा क होरा 4 म हbए बध 01232931 मष रािश का 23 अश 29 कला 31 िवकला ह मष रािश क 16 अश स च का होरा होता ह अत बX च मा क होरा 4 म हbए बह- पित 3124832 क अनसार सय) क होरा 5 म हbए शT 99232090 चTानसार शT सय) क होरा म हbए शिन 2167145इसक ddअनसार शिन सय) क होरा म हbए राहb 3181515 इसक अनसार राहb च मा क होरा म 4 म हbए अत इसका होरा कamp डली इस कार होगा

होरा कB डली

अब आइए डढकाण चT बनान का िवचार करत ह

डठकाण ndash 90 अश का एक डढकाण होता ह इस कार एक रािश म तीन डढकाण lsquo 1 स 10 अश तक थम डढकाण 11 स 20 अश तक ितीय डढकाण और 21 स 30 अश तक ततीय डढकाण समझना

157

चािहए िजस िकसी क थम डढकाण म 5ह हो तो उसी रािश का ितीय डढकाण म उस रािश स पचम रािश का और ततीय डढकाण म उस रािश स नवम रािश का डढकाण होता ह सरलता स समझल क िलए डढकाण चT

डढकाण च2

अश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

20 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

30 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

ज म कamp डली म डढकाण कamp डली क िTया यह ह िक ल न िजस डढकाण म हो वही डढकाण कamp डली क ल न होगी 5ह - थापना करन क िलए - प_ ट 5ह क अनसार 2 यक 5ह का पथक पथक डढकाण िनकालकर 2 यक 5ह को उसक डढकाण रािश म - थािपत करना चािहए

उदाहरण ndash

ल न 4132547 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला और 28 िवकला ह

यह ल न िसह रािश क ततीय डढकाण ndash मष रािश क हbई अतएव डढकाण कamp डली का ल न मष होगा 5ह क िलए 2 यक 5ह का - प_ ट मान िलया जसा िक सभी 5ह होरा कamp डली म - प_ ट सय) 0101268 वष रािश का 0 अश 26 कला 87 िवकला ह वष म 90 अश तक थम डढकाण वष रािश का ही होता ह अत च मा वष रािश म िलखा जायगा मगल 2129142145 िमथन रािश का 21 अश 52 कला और 45 िवकला ह िमथन रािश म 21 अश स ततीय डढकाण का ार भ होता ह अत मगल िमथन क ततीय डढकाण क भ म िलखा जायगा इसी कार बध धन रािश का गf मीन रािश का शT विhक रािश का शिन िमथन रािश का राहb कक) रािश का और कत मकर रािश का माना जायगा

डढकाण कB डली च2

158

अब आइए स तमाश चT तथा उनक - वामी का िवचार करत ह

य स तमाश अ2 य त उपयोगी होत ह कर रािश क स तमाश जातक उ5 - वभाव का होगा और सौम य रािश म उ2 प न जातक उ5 - वभाव का होगा जातक सौ य कित का होगा

P तमाश च2

ल न कलािद रािश - वामी मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

4 18 8 रािश वामी

1

8

2

10 श

5

12

7

2

9

4

11 श

6

9 34 19 रािश वामी

2 श

9

4

11

9

1 म 8

9

3

10

5

8

12 51 25 रािश वामी

3

10

5

12

7

2

9

4 च

11

6

1

8

16 9 34 रािश वामी

4 च

11

6

1 म

9

3

10

4 स

12

8

2 श

9

21 25 42 रािश वामी

5 स

12

7 श

2

9

4

11

6 ब

1

9

3

10 श

15 42 51 रािश वामी

6 म

1

8

3

10 श

5 स

12

7 श

2

9

4 च

11 श

30 0 0 रािश वामी

8 श

2

9

4

11

6

1

9 म

3

10 श

5

12

159

उदाहरण ndash 4132426 िसह रािश क 23 अश 25 कला 26 िवकला ह िसह रािश म 21 अश 24 कला 42 िवकला तक का पाचवा स तमाश होता ह पर हमारी अिभ_ ट ल न इसस आग ह अत छठा स तमाश क भ रािश माना जायगा इसिलए स तमाश कamp डली का ल न मकर हागा 5ह - थापन क िलए 2 यक 5ह क - प_ ट मान स िवचार करना चािहए सय) 019016134 ह मष रािश म 8 अश 34 कला 16 िवकला तक ितीय स तामश होता ह और इसस आग 12 अश 51 कला 24 िवकला तक ततीय स तमाश होता ह सय) यहा पर ततीय स तमाश िमथन रािश का हbआ च मा 102847 वष रािश क 0 अश 26 कला और 47 िचकला तक ततीय स तमाश 4 अश 16 कला 8 िवकला तक ह अत- च मा वष रािश का थम स तमाश विhक का हbआ इस कार मगल का स तमाश रािश विhक बध क क या गf क िमथन शT क क भ शिन क कक) राहb क मीन और कत क क या स तमाश हbई चिक होरा चT म सभी - प_ ट 5ह को िनयम क अ तग)त दशा)या गया ह

सP तमाश कB डली च2

नवमाश कB डली िवचार तथा उनक वामी ndash

धन मष और िसह रािशय क नव नवमाश मषािद नव रािशया वष क या और मकर रािशय क नव नवमाश मकरािद नव रािशया िमथन तला और क भ रािश क नव नवमाश तलािद नव रािशया तथा कक) विhक और मीन रािशय क नव नवमाश कका)िद नव रािशया होती ह रािश का नवमाश 308 mdash3rsquo120rsquo होता ह एक रािश म 3rsquo120rsquo क नौ खamp ड होत ह इस 2 यक खamp ड को नवमाश या नवाश कहत ह अत मषािद रािशय म Tम स मष मकर तला और कक) य थम नवाश रािशया ह इनमम ारम भ होकर Tमश नौ रािशय का नवाश होता ह

नवमाश च2

नवमाश मष िसह धन वष क यामकर िमथन तला कQ भ

कक वि6क मीन

160

1 - 3020rsquo मष मकर तला कक)

2 -6020rsquo वष क भ विhक िसह

3 -10020rsquo िमथन मीन धन क या

4- 13020rsquo कक) मष मकर तला

5 16020rsquo िसह वष क भ विhक

6- 20020rsquo क या िमथन मीन धन

7 -23020rsquo तला कक) मष मकर

8 -26020rsquo वि6क िसह वष कQ भ

9- 30020rsquo धन क या िमथन मीन

उदाहरण ndash

ल न - प_ ट ndash 4232528 ह इस नवमाश चT म दखन स िसह का आठवा नवमाश हbआ अतएव नवमाश कamp डली क ल न रािश विhक ह िसह क आठव नवमाश क रािश विhक हा

नवमाश कB डली च2

5ह क - थापना क िलए िवचार िकया तो सय) 0906134 ह इस नवमाश बोधक चT म दखा तो यह मष क रािश का हbआ अत कक) म सय) को - थािपत िकया गया च मा 901647 ह चT म दखन स यह वष क थम नवमाश मकर रािश का होगा इसी कार होरा कamp डली म सभी 5ह क - प_ ट हो िलखा गया ह इसक अनसार मगल मष का बध विhक का गf क भ का शT क भ का शिन धन

161

का राहb क या का और कत मीन रािश का िलखा जायगा चर रािश का पहला नवमाश ि-थर रािश का पाचवा और ि- वभाव रािश का अितम वग[तम नवाश होत ह रािश का - वय का नवाश वग[2 तम कहलाता ह वग[2 त- थ 5ह अ2 य त शभव होत ह नवमाश तािलका जो दी गई ह इसस अथा)त पचम नवमाश और ि- वभाव रािशय क अितम नवमाश वग[2 तमाश होत ह नवमाश बोधक सारणी स यह भी - प_ ट होगा िक मष मकर तला और कक) रािशय क थम नवमाश रािशय Tमश य ही रािशया ह इसिलए मषािद चर रािशय म थम नवमाश Tमश य ही रािशया ह इसीिलए मषािद चर रािशय म थम नवमाश वग[2 तम होता ह इस कार वष क भ विhक और िसह ि-थर रािशय का 5 वा नवमाश Tम स इ हS रािशय का होन स ि-थर रािश का मV य या पk जम नवाश वगो2 तम होता ह ि- वभाव रािशय िमथन मीन धन और क या रािशय म अितम अथा)त नवा नवमाश इ हS रािशय का होन स यह अितम नवमाश वग[2 तम होगा अत यह बात जानना चािहए िक वग[त तमाश 5ह सवा)िधक शभ होत ह एव अk छ फल को दत ह

74 2ादशाश क3 डली िवचार

दशमाश एकरािश म दश दशमाश होत ह 30rsquo10 ndash3rsquo का एक दशमाश होता ह िवषम रािश म उसी रािश स और सम रािश म नवम रािश स दशमाश क गणना क जाती ह दशमाश कamp डली बनान का िनयम यह ह िक ल न - प_ ट िजस दशमाश म वही दशमाश कamp डली का ल न माना जायगा और 5ह - प_ ट ारा 5ह को gtात करक िजस दशमाश का जो 5ह हो उस 5ह को उस रािश म - थापन करन स जो कamp डली बनगी वही दशमाश कamp डली होगी दशमाश चT तथा इसक - वामी जानन क िलए िन निलिखत चT स - प_ ट हो जायगा

रािशया

दशमाश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क या

तला

विक धन

मकर

क भ

मीन

1 ndash 3000 1

10

3

23

5

2

7

4

9

6

11 श 8

2 ndash 6000 2

11

4

1

6

3

8

5

10

8

12

9

3 ndash 9000 3

12

5

2

8

4

9

6

11

8

1

10

162

4 ndash 12000 4

1

6

3

8

5

10

7

12

9

2

11 श

5 ndash 15000 5

2

7

4

9

6

11

9

1

10 श

3

12

6 ndash 28000 6

3

8

5

10

7

12

9 ब 2

11 स

4

9

7 ndash 21000 7

4

8

6

11

9

1

10

3

12 ब

5

2 श

8 ndash 24000 8

5

10

7

12

9

2

11

4

1

3

3

9 ndash 27000 9

6

11

8

1

10

3

12

5

2

7

4

10 ndash 30000 10

7

12 ब

9 ब

2

11

4

1

6

3

8

5

उपयP त चT म दशमाश रािशय क अक और दशमाश शष िलख गय ह

सभी 5ह का - प_ ट िन निलिखत ह - प_ ट ल न 4132528 - प_ ट सय) 010834 - प_ ट च 1102648 - प_ ट चT मग 2215245 - प_ ट बध 01232939 - प_ ट चT 324832 - प_ ट चT 99232090 - प_ ट शिन राहb 3555 कत 88515 हा - प_ ट ल नानसार दशमाश चT म दखा जाता ह तो िसह रािश म आठवा दशमाश मीनरािश का िमला अत दय क - वामी बह- पित हbए इस कार दशमाश - वामी को जानना चािहए

पराशर न िवषम रािश क दशमाश क - वामी Tम स इ अिन यम राltस वfण म- त कबर ईशान ~ा और अन त इन दश िड पाल को माना ह सम रािश क दशमाशश t य2 Tम (िवपरीतTम) स इन दश िद पाल को माना ह िक त पाराशर का यह मत अ य िवान क ारा - वीकार नहS िकया ह

163

उदाहरण ndash

- प_ टल न ndash 4232527 इस दशमाश चT म दख तो िसह म आठवा दशमाश मीन रािश का िमला अत दशमाश कamp डली को ल न रािश मीन होगी 5ह क - थापन क िलए सय) 010834 का दशमाश मष का चौथा हbआ अथा)त सय) दशमाश कamp डली म कक) रािश म ि-थत हग इसी कारच मा क दशमाश रािश मकर मगल क मकर बX क विhक शT क िमथन शिन क िसह राहb क िमथन और कत क धन रािश दशमाश चT म होगा

दशमाश कB डली

अब आइए ादशाश कamp डली पर िवचार करत ह

ादशाश ndash एक रािश का ादशाश ndash 9 रािश92 ndash 30092 - 2030 यह एक ादशाश का मान ह एक रािश म इतन ही मान क 12 भाग या ादशाश होत ह रािश क थम ादशाश पर उसी रािश का अिधकार होता ह ितीय ादशाश पर उस रािश स दसरीरािश का ततीय ादशाश पर उस रािश स ततीय रािश का एव दशव ादशाश पर उस रािश स दसवी रािश का अिधकार होता ह तथा उन ादशाश रािशय क - वामी तद ादशाश क - वामी होत ह जस मष रािश म थम ादशाश मष रािश का और उसका - वामी मगल थम ादशाश दसरा ादशाश वष रािश का और उसक - वामी शT ितीय ादशाश का - वामी होगा - प_ ट 5ह एव ल न 4232527 - प_ ट सय) 0106134 च - प_ ट 1012647 मगल - प_ ट 2295245 बX - प_ ट 012312931 - प_ ट गf 324632 - प_ ट शT 11232010 - प_ ट शिन 27745 - प_ ट राहb 39515 - प_ ट कत 88515 इ हS - प_ ट 5ह क आधार पर यहा उदाहरण बनाकर ादशाश चT बनाया गया ह

9ादशाश च2

रािशया

दशमाश मष

वष

िमथ

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

1 ndash 2000 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

164

म श

ब ब श म

2 ndash 5000 2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

3 ndash 7000 3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

2 श

4 ndash 10000 4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

2

3 श

5 ndash 12000 5

6

7

8

9

10

11

12

1

2 श 3

4

6 ndash 15000 6

7

8

9

10

11

12

1

2

3 श 5

6

7 ndash 18000 7

8

9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

8 ndash 20000 8

9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

7

9 ndash 20000 9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

7

8

10 ndash 25000 10

11

12 ब

1

2

3

4

5

6

7

8

9

11 ndash 29000 11

12

1 ब

2 ब 3

4

5

6

7

8

9

10

12 ndash 30000 12

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

165

उदाहरण ndash ल न 4232527 ह ादशाश बोधक चT म दखन पर िसह म दसवा ादशाश चT वष

रािश का ह अत ादशाश कamp डली क ल न वष रािश होगी 5ह - थापन पहल क समान ही करना चािहए

9ादशाश कB डली

75 षोडशाश क3 डली िवचार

षोडशाश च2 ndash एक रािश म 16 षोडशाश होत ह एक षोडशाश 1 अश 52 कला 30 िवकला का ह

षोडशाश क गणना चर रािशय म मषािद स ि-थर रािशय म िसहािद स और ि- वभाव रािशय म धन रािश स क जाती ह षोडशाश कamp डली क बनान क िविध यह ह िक ल न - प_ ट िजस षोडशाश म आया हो वही षोडशाश कamp डली का ल न माना जायगा और 5ह क - प_ ट क अनसार 5ह - थािपत िकय जायग

षोडशाश बोधक च2

चर

मष कक तला मकर

िथर

वष िसह वि6क कभ

ि9 वभाव

िमथन क या धन मीन

अशािद

1 5 9 1052rsquo30rsquorsquo

2 6 10 3045rsquo0rsquorsquo

166

3 7 11 5036rsquo30rsquorsquo

4 8 12 7030rsquo0rsquorsquo

5 9 1 8052rsquo30rsquorsquo

6 10 2 11022rsquo30rsquorsquo

7 11 3 13015rsquo10rsquorsquo

8 12 4 1508rsquo30rsquorsquo

9 1 5 1600rsquo0rsquorsquo

10 2 6 18045rsquo0rsquorsquo

11 3 7 19036rsquo30rsquorsquo

12 4 8 20030rsquo0rsquorsquo

1 5 9 22022rsquo30rsquorsquo

2 6 10 24015rsquo30rsquorsquo

3 7 11 2807rsquo30rsquorsquo

4 8 12 3000rsquo0rsquorsquo

उदाहरण -

ल न 4232527 ह ल न िसह रािश क होन क कारण ि-थर कहलायगी िसह क 23 अश 25 कला 26 िवकला 13 वा षोडशाश होगा िजसका रािश िसह ह अत यहा षोडशाश कamp डली क ल न रािश िसह होगी 5ह क राH यािद को भी षोडशाश चT म दखकर षोडशाश रािश म - थािपत कर दना चािहए

167

षोडशाश कB डली

षोडशाश च2 िवचार ndash (िवषयम रािशय म)

मष िमथन िसह तला धन और क भ म पहला 5 अश मगल का दसरा 5 अश शिन का तीसरा 8 अश बह- पित का चौथा 8 अश बध का और पाचवा 5 अश शT का िशाश होता ह ता2 पय) यह ह िक उपयP त िवषम रािशय म यिद कोई 5ह एक स 5 अश पय) त रह तो मगल क िशाश म कहा गया ह छठ स दसव अश तक रह तो शिन क दसव स अठारहव अश तक रह तो बह- पित क उ नीसव स पk चीसव अश तक रह तो बध क और छK बीसव स तीसव अश तक रह तो शT क िशाश म वह 5ह कहा जायगा

िवषम रािश का ि)शाश च2

मष िमथन िसह तला धन कQ भ अश

1 म 1 म 1 म 1 म 1 म 1 म 1 स 5 तक

11 श 11 श 11 श 11 श 11 श 11 श 6 स 10 तक

9 9 9 9 9 9 11 स 19 तक

3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 19 स 18 तक

8 श 8 श 8 श 8 श 8 श 8 श 16 स 30 तक

168

(समरािशय म) ndash वष कक) क या विhक मकर और मीन म पहला 5 अश तक शT का दसरा 8 अश तक बध का तीसरा 9 अश तक मगल का िशाश होता ह रािश पXित क अनसार िवषम रािशय म 5 अश तक मष का 90 अश तक कभ का 19 अश तक धन का 25 अश तक िमथन का और 30 अश तक तला का िशाश होता ह िशाश कamp डली भी पव)वत बनायी जायगी

उदाहरण ndash ल न 4232527 िसह रािश क 23 अश 25 कला 28 िवकला ह का िशाश

कहलायगा िशाश कamp डली का ल न िमथन होगा सय) 0110734 मष रािश क 10 अश क 7 कला 34 िवकला ह मष रािश म 10 अश स आग 19 अश तक धन रािश का िशाश होता ह अत सय) धन रािश का होगा

समरािश ि)शाश च2

वष कक) क या विhक मकर मीन अश

2 श 2 श 2 श 2 श 2 श 2 श 1 स 5 तक

6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 स 12 तक

12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 13 स 20 तक

10 श 10 श 10 श 10 श 10 श 10 श 21 स 25 तक

9 म 9 म 9 म 9 म 9 म 9 म 26 स 30 तक

ि)शाश कB डली

169

ष टशाश च2 िवचार

एक रािश म 60 प_ टशाश होत ह अथा)त 30 कला का एक ष_ ठशाश होता ह िजस 5ह या ल न का _ _ ठयाश साधन करना हो तो उस स5ह क रािश का छोडकर अश क कला बनाकर आग वाली कलाओ को उसम जोड दना चािहए इन योगफल वाली कलाओ म 30 का भाग दन स जो लिKध आव उसम एक और जोड़ द इस योगफल को आग िदय ष_ टाश बोधक चTrsquorsquo म दखन स ष_ ठश क रािश िमल जायगी िवषम रािश वाल 5ह का दवताश क नीच और सम रािश वाल का सम दवताश क नीच िमलगा उदाहरण

ल न 4232526 - प_ ट सय) 010834 - प_ ट मगल 2295245 - प_ ट बध 0232139 - प_ ट गf 324732 - प_ ट शT 11232010 - प_ ट शिन 266145 - प_ ट राहb 838515 - प_ ट कत 88515 H हा पर - प_ ट ल न क रािश को छोडकर अश को कला बनायी तो 23times60 =138015 ndash 1405 divide30 = 47 लिKध आया और शष 25 हbआ चिक लिKध 46 म 9 और जोड़ा ndash 469 = 47 वा पटयश हbआ चT म दखा तो िसह रािश का 47वा ष_ टयाश िमथन रािश का ह अत षटयश कamp डली का ल न िमथन होगा इस चT स िबना गिणत िकय भी षटयश का बोध को_ ठक क अ त स िदय गय अशािद क ारा िकय जा सकत ह - तत ल न िसह क 23 अश 25 कला ह अत को_ ठक म 23 अश क आग ह 2330 वाल को_ ठक म िसह क नीच िमथन िलखा गया ह अत षटयाश ल न िमथन होगा 5ह क - थापन भी इसी कार करना चािहएा

ष टयश कB डली

170

षटयश बोधक च2

िवषय

दवता

स य

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि13

धन

मकर

क भ

मीन

अश

सम

दवता

घोर

1 1 2

3 4

5 6 7 8 9 10 11

12 030 इ दरखा

रास 2 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 10 मण

दव 3 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 230 13योिध

कबर 4 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 20 सधा

5 5 6

7

8 9 10 11 12 1 2 3 4

330 अितशीतल

िक नर 6 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 30 र

ट 7 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 430 सौ य

कल न 8 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 40 िनमल

गरल

9 9 10

11

12 1 2 3 4 5 6 7 8

530 द डायध

अि न

10 10 11

12

1 2 3 4 5 6 7 8 9

50 कालाि न

माया 11 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 630 13वीन

13तपरीष

12 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

60 इमख

अपापित

13 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

730 टकराल

दवगणश 14 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 70 शीतल

काल 15 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 830 मद

अिहभाग 16 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 80 सौ य

अमत

17 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

930 काल(प

च 18 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 90 पातक

मश

19 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6

1030 वशय

कोमल 20 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 100 कलना

171

हर ब

21 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

1130 िवष13द ध

0ा

22 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9

110 पणच

िव ण 23 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 1230 अमत

मह1 वर 24 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 120 सधा

दव

25 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

1330 कपटक

आ 26 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 130 यम

किलनाश 27 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 1430 घोर

ि3ती1 वर

28 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3

140 दावाि न

कमलाकर 29 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 1530 काल

मा दी 30 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 150 म5 य

म5 य 31 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 1630 मा दी

काल

32 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7

160 कमलाकर

दावाि न

33 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

1730 ि3ती1 वर

घोर

34 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9

170 किलनाश

यम 35 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 1830 आ

कपटक 36 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 180 दव

सधा

37 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

1930 मह1 वर

अमत 38 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 190 िव ण

पणच 39 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 2030 0ा

िवष13द ध 40 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 200 हर ब

कलनाश

41 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

2130 कोमल

वशय 42 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 210 मश

172

पातक 43 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 2230 अमत

काल(प 44 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 220 च

सौम य

45 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

2330 अिहभाग

मद 46 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 230 काल

शीतल

47 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

2430 दवगणश

टकराल

48 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

240 अपापित

इमख 49 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 2530 माया

13वीन

50 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1

250 13तपरीष

कालाि न 51 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 2630 अि न

द डायध 52 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 260 गरल

िनमल 53 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

2730 कल न

सौ य 54 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 270 ट

र 55 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 2830 िक नर

अितशीतल 56 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 280 य

सधा 57 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 2930 कबर

योिध 58 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 290 दव

)मण 59 11 12

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

3030 रास

इ दरखा 60 12

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

300 घोर

78 पाampरजात आिद वशिषकाशिवचार

पा]रजा तािद gtान करन क िलए पहल दशवग) चT बना लना चािहए इस चT क िTया यह ह िक पहल जो होए डढकोण - तमाश आिद बनाय ह उ ह एक साथ िलखकर रख लना चािहए इस चT म जो 5ह अपन वग) अितिम क वग) या उk च क वग) म हो उसक - वltा)िद वगYसgtा होती ह िजस ज मपी म दो 5ह - वltा)िद वगY ह उनक प]रजात सgtा तीन क उ2 तम चार क गोपर पाच क

173

िसहासन छह क परावत सात क दवलोक आठ क ~लोक नौ क ऐरावत और दश क Bीनाथ सgtा होती ह

2

3

4

5

6

7

8

9

10

वग)

वगyP य

प]रजात

उ2 तम

गोपर

िसहासन

पारावत

दवलोक

दलोक

ऐरावत

Bीनाथ

योग िवशष

योग िवशष

अपन अपन - व5ह उk च मल िकोण अपन वग) म 5ह हो तो वग[2 तम- थ कहलात ह इन वग[2 तम क योग स वशिषकाश होत ह दश वगv म यिद 5ह क तीन वग) उसक अपन हो तो 5ह उ2 तमाश म कहलाता ह चार वग) यिद 5ह क अपन हो तो वह 5ह गोपर नामक वशिषकाश म कहलाता ह पाच वग) यिद 5ह क अपन वग) हो तो वह 5ह िसहासन नामक वशिषकाश- थ म कहत ह दो वग) यिद 5ह क अपन हो तो प]रजात नामक वशिषकाश- थ कहत ह छ वग) यिद उस 5ह क हो तो उस 5ह को पारावत नामक वशिषकाशगत कहत ह सात वग) यिद 5ह अपना वग) हो तो वह दवलोककाश- थ कहलाता ह यिद आठ उस 5ह का हो तो भी ~लोकाश म तथा यिद नववग) उसक हो तो वह ऐरावतर- थ कहलाता ह सात वग) यिद उसी 5ह क हो तो इस योग क दवलोक आठ वग) यिद उसी 5ह क हो तो ~लोक और दश वग) यिद उस 5ह क हो तो Bीधाम योग कहा ह पा]रजाताश म ि-थत 5ह जातक को B_ ठता अनक गण अथ) सख वभवािद दत ह उ2 तमाश- थ 5ह जातक को िवनय चातथ) नपamp य और आचारवान बनात ह गौपराश- थ 5ह जातक को बिXमान धिनक और भ पित बनाता ह तथा 5ह गोधन स स प न करता ह िसहासनाश- थ 5ह जातक को राजा का ि य पा अथवा राजा क समान वभवशाली बनाता ह परावताश- य 5ह जातक को अBव 5ह जातक का अBव गज रथािद राजकय वभवािद स स प न कराता ह दवलोकाश- थ 5ह स2 कित)यP त अपन सदगण किलए िव^ यात राजा बनाता ह ऐरावताशस थ 5ह जातक को दवताओ स पिजत इ क समान राजा बनाता ह यिद 5ह Bीधाम योग बनाता हो तो वह सौभा य धनधा य एव स तित सख स स प न राजा बनाता ह

दशवग) क सभी वगv म यिद 5ह िनब)ल हो तो म2 यकारक नौ वग) म िनब)ल हो तो िवनाश कारक यिद आठवग) म िनब)ल हो तो क_ ट कारक यिद सातवग) म 5ह िनब)ल हो तो क_ ट कारक यिद सातवग) म 5ह िनब)ल हो तो दा]रा और िवपि9कारक छ वग) म िनब)ल हो तो ा]रा पाच वग) म िनब)ल हो तो - वजन का - नहदाता चार वग) म िनब)ल हो तो - वजन ब ध ndash बाधव म B_ ठ बनाता ह तीन वग) म िनब)ल 5ह धिनक BिD बनाता ह यिद मा एक वग) म िनब)ल होतो t यिJ को राजा बनाता ह

174

79 साराश

अब तो आप लोग सभी वगv को पण)तया fप स जान गय हग िफर भी यहा पर इस बात क जानकारी पण)तया fप स होनी चािहए िक फलादश का ाणत2 2 व य सभी वग) ह तथा इनक जानकारी पhात आप 5ह क प]रजात आिद वगv को जानकर मल स t यवहार म लायग तथा 5ह क बलाबल का िवचार करत हbए समाज क कA याण क भावना स उ2 तम फल का िववचन करग

710 नावली लघउ तरीय तथा उ तरमाला

1 जातक 5थ म सभी वगv क स^ या ह - (क) 12 (ख) 18 (ग) 19 (घ) 16

2 िवषम रािश म थम होरा होती ह - (क) मगल (ख) बX (ग) सय) (घ) च

3 एक रािश म डढकाण होत ह - (क) 3 (ख) 4

(ग) 5 (घ) 6 4 सम रािशय का स तमाश होता ह

(क) उसी रािश स (ख) उसस स तम रािश स

(ग) दसरी रािश स (घ) चौथी रािश स

5 मष िसह धन रािशय का नवमाश ार भ होता ह lsquo (क) मषािद स (ख) मकरािद स

(ग) तलािद स (घ) कका)िद स 6 िमथन तला क भ रािशय का नवमाश ार भ होता ह - (क) मषािद स (ख) मकरािद स

(ग) तलािद स (घ) कका)िद

7 एक दशमाश िकतन अश क होत ह

(क) 4 अश का (ख) 5 अश का

175

(ग) 3 अश का (घ) 2 अश का 8 षोडशाश कamp डली म चर रािशय क गणना क जाती ह (क) वषािद स (ख) मषािद स

(ग) िमथनािद स (घ) क यािद स 9 ादशाश कamp डली म एक ादशाश का मान होता ह (क) 2 अश 30 कला (ख) 3अश 40 कला

(ग) 6 अश 20 कला (घ) 3 अश 10 कला

10 िवषम िशाश म 9 स 5 अश क - वामी ह

(क) शिन (ख) गf (ग) मगल (घ) बX

उ तरमाला

1 घ 2 ग 3 क 4 ख 5 क 6 क 7 ग 8 क 9 ख 10 ग

711 श दावली

bull समरािश ndash वषभ कक) क या विhक मकर मीन

bull िवषम रािश ndash मष िमथन िसह तला धन कभ

bull अिन त2 2 व रािश ndash मष िसह धन

bull प वी त2 2 व रािश ndash वष क या मकर

bull वाय त2 2 व रािश ndash िमथन तला कभ

bull जल त2 2 व रािश ndash कक) विhक मीन

bull चर रािशया ndash मष कक) तला मकर

bull ि-थर रािशया ndash वष िसह विhक और क भ

bull ि- वभाव रािशया ndash िमथन क या धन मीन

bull पfष रािशया ndash मष िमथन िसह तला धन क भ

176

bull - ी रािशया ndash वष कक) क या विhक

bull मष रािश का िनवास ndash धात र2 न भिम

bull वष रािश का िनवास ndash पव)त िशखर

bull िमथन रा िश का िनवास ndash धत5ह रित 5ह कक) रािश का िनवास ndash वापी पोखर Tर रािशया ndash मष िमथन िसह तला धन क भ

bull सौ य रािशया ndash वष कक) क या विhक मकर मीन

bull दीघ) रािशया ndash िसह क या तला विhक

bull समरािशया ndash िमथन कक) धन मकर

bull t य रािशया ndash मष वष कभ मीन

bull शभ 5ह ndash च बX गf शT

bull पाप 5ह ndash शिन मगल राहb कत

bull Tर 5ह ndash सय)

bull दीपावली रािशया ndash िसह क या तला विhक कभ मीन

bull राि बली रािशया ndash मष वष िमथन कक) धन मकर

712 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष

लखक ndash नमीच शा- ी

2 जातक प]रणत t या^ याकार ndash Bीह]रशकर पाठक

177

इकाई 8

नवमाश स तमाश िशाश व ादशाश इकाई क सरचना

81 - तावना 82 उGH य 83 िवषय वश 831 नवमाश साधन 832 स तमाशसाधन 833 िशाश साधन 834 ादशाशसाधन 84 साराश 85 अL यासाथ) H न 86 शK दावली 89 सदभ) 5थ सची

81 तावना

इस इकाई म मा चार वग) ही दशा)या ह इसका आशय यह ह िक नवमाश कamp डली स पा]रवा]रक सख का तथा पित ndash पि2न क जीवन म होन वाल शभाशभ फल का िवचार िकया जाता ह तथा स तमाश कamp डली स प-पौािद सतित का िवचार िकया जाता ह िशाश चT सअ]र_ टािद का िवचार िकया जाताह यहवहपlt ह िजसस प]रवा]रक या सामािजक कोई अनहोनी (दख या िवपि9 ) न आ जाय िजस िक बहbत बड़ी परशानी का सामना करना पड़ इ हS िवषय का िवमश) िशाश चT स िकया जाता ह इसी कार ादशाश चT स माता ndash िपता क सख और सौ^ य का िवचार िकया जाताह अत यहा पर मा चार वगv क दशा)न मल त य यह भी ह िक चिक माता िपता - ी पािद प]रवार य सब मानव जीवन क म य अग ह इसिलए यहा पर इन वगv का िवचार करक इन इन प]रवा]रक t यिJय का िवH लषण िकया ह

82 उश य

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग - 1 स तमाश कamp डली क बार म जानकारी ा त करग 2 स तमाश कamp डली बनायग

178

3 िशाश कamp डली जानग 4 ादशाश कamp डली का साधन कर पायग

83 िवषय वश

वग) कampडिलय का अVययन विदक aयोितष का अ2यत मह2 2 वपण) अग ह वग) कampडिलय क मदद स जीवन क िवषय का गहन अVययन िकया जाता ह वग) कampडिलय क कल स^या 16 ह सोलह वग) कampडिलय क नाम इस कार स ह ndash

1 5ह 2 होरा 3 _काण 4 चतथाnश

5 समाश 6 नवाश 7 दशमाश 8 ादशाश

9 षोडशाश 10 िवशाश 11 चतिव)शाश

12 सिवशाश 13 िशाश 14 खवदाश

15 अltवदाश 16 षDयाश

वग कBडिलय क वग -

1 षड वग) - 5ह होरा _काण नवाश ादशाश और िशाश षड वग) म आत ह

स वग) - यिद षडवग) म समाश को जोड़ िदया जाए तो स वग) बन जाता ह

दश वग) - यिद स वग) म दशाश षोडशाश और षDयाश को जोड़ िदया जाए तो दश वग) बनता ह

िविभन वग) कampडिलय क साधन को समझन क िलए हम एक उदाहरण कampडली लत ह

5ह अश

लन 23002rsquo

सय) 08001rsquo

च 07014rsquo

मगल 17006rsquo

179

बध 25052rsquo

बह-पित 23027rsquo

शT 29031rsquo

शिन 26048rsquo

राहb 01023rsquo

कत 01023rsquo

नवाश साधन - जब एक रािश को नौ बराबर भाग म बाटा जाता ह तो मान आता ह 03020rsquo हर भाग

को नवाश कहा जाता ह नवाश कampडली अ2यत मह2 2 वपण) कampडली ह िजसस जम कampडली क 5ह क ताकत का अनमान लगाया जाता ह और साथ ही tयिJ क जीवन साथी और ववािहक जीवन का अVययन िकया जाता ह नवाश कampडली का साधन करन क िलए िनन सारणी स यह समझ लत ह िक िकस अश पर कौन सा नवाश आएगा

अश नवाश

1 00rsquo - 3020rsquo 1

2 08020rsquo-06040rsquo 2

3 6040rsquo-10000rsquo 3

4 10000rsquo-13020rsquo 4

5 13020rsquo-16040rsquo 5

6 16040rsquo-20000rsquo 6

7 20000rsquo-23020rsquo 7

8 23020rsquo-26040rsquo 8

9 26040rsquo-30000rsquo 9

नवाश कBडली साधन का िनयम-

1 अिन त2 2 व रािश म गणना मष स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन मष िसह या धन रािश म ह तो गणना मष स आरभ होगी

2 पवी त2 2 व रािश म गणना मकर स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन वषभ कया या मकर म ह तो गणना मकर स आरभ होगी

180

3 वाय त2 2 व रािश म गणना तला स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन िमथन तला या कभ म ह तो गणना तला स आरभ होगी

4 जल त2 2 व रािश म गणना कक) स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन कक) विhक या मीन म होगी तो गणना कक) स आरभ होगी

लन तला ह और लन 23002rsquo अश पर ह 23002rsquo पर होन स सातवा नवाश चल रहा ह हमार िनयमानसार तला क िलए गणना तला स ही आरभ होगी तला स सात नवाश िगनन पर आया मष अत नवाश लन होगी मष

सय) कया रािश म 8001rsquo पर ह अत वह तीसर नवाश पर ह कया पवी त2 2 व रािश ह इसिलए िगनती मकर स आरभ होगी मकर स तीन नवाश आग अथा)त मीन नवाश कampडली म सय) मीन रािश म हग

चमा तला रािश म 7014rsquo पर ह चमा का नवाश हbआ तीसरा वाय त2 2 व रािश म होन क कारण गणना तला स आरभ होगी तला स तीन नवाश आग हbई धन रािश इस िलए नवाश कampडली म चमा धन रािश म रहग

मगल कया रािश म 17006rsquo पर ह इस कार मगल छठ नवाश पर ह कया रािश पवी त2 2 व रािश ह अत गणना मकर स आरभ होगी मकर स 6 नवाश आग अथा)त मगल िमथन म हग

बध 25052rsquo अश पर कया रािश म ह बध आठव नवाश म ह और पवी त2 2 व रािश म ह मकर स गणना आरभ करन पर नवाश कampडली म बध िसह रािश म हग

बह-पित तला रािश म 23027rsquo पर ह बह-पित आठव नवाश पर ह तला रािश होन स गणना तला स ही आरभ होगी तला स आठ नवाश आग रािश होगी वषभ इसिलए बह-पित नवाश कampडली म वषभ रािश म हग

शT िसह रािश म 29031rsquo पर ह शT नव नवाश म ह अिन त2 2 व रािश म होन स गणना मष स आरभ होगी इसिलए नवाश कampडली म शT धन रािश म हग

शिन 26048rsquo पर कक) रािश म ह शिन 9व नवाश म ह और जल त2 2 व रािश होन स गणना कक) स आरभ होगी इसिलए नवाश कampडली म शिन मीन रािश म हग

राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह य पहल नवाश म ह और जल त2 2 व रािश होन स गणना कक) स आरभ होगी अत राहb नवाश कampडली म कक) रािश म हग

कत 01023rsquo पर कया रािश म ह य पहल नवाश म ह और पवी त2 2 व रािश म होन स गणना मकर स आरभ होगी इसिलए कत नवाश कampडली म मकर रािश म हग

181

सLमाश

जब एक रािश को सात बराबर भाग म बाटा जाता ह तब वह समाश कहलाता ह सात बराबर भाग म बाटन पर एक भाग का मान आएगा 4017rsquo िनन सारणी स हम समाश क गणना को समझ सकत ह -

अश स तमाश

1 00rsquo - 4017rsquo 1

2 04017rsquo-08032rsquo 2

3 08032rsquo-12051rsquo 3

4 12051rsquo-17008rsquo 4

5 17008rsquo-21025rsquo 5

6 21025rsquo-25042rsquo 6

7 25042rsquo-30000rsquo 7

समाश साधन का िनयम यह ह िक िवषम रािश होन पर गणना उसी रािश स करत ह और यिद सम रािश ह तो गणना उस रािश स सम रािश स करग

हमार उदाहरण कampडली म लन 23002rsquo क ह अत यह छठा समाश ह

bull तला लन ह अत िवषम रािश होन स गणना तला स ही होगी तला स गणना होन पर मीन रािश आएगी अत समाश लन होगी मीन

bull सय) 08001rsquo पर ह अत समाश हbआ दसरा सय) क रािश ह कया कया सम रािश ह अत उस रािश स होगी जो कया रािश ह सम ह अथा)त मीन मीन स दसरी रािश होगी मष अत समाश कampडली म सय) मष रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह समाश हbआ दसरा और रािश ह िवषम तला स दो रािश आग ह विhक इसिलए समाश कampडली म चमा विhक रािश म हग

182

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह समाश ह चौथा और रािश ह सम अत गणना कया स सातवS रािश मीन स आरभ होगी मीन स चार रािश आग ह िमथन अत समाश कampडली म मगल िमथन म रहग

bull बध कया रािश म 25052rsquo पर ह इस कार वह छठ समाश म ह गणना मीन रािश स होगी मीन स छठी रािश होगी कया अत समाश कampडली म बध कया रािश म हग

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह यह छठा नवाश ह िवषम रािश होन स गणना तला स आरभ होगी तला स छठी रािश ह मीन अत समाश कampडली म बह-पित मीन रािश म हग

bull शT 29031rsquo पर िसह रािश म ह शT सातव समाश पर ह िवषम रािश होन स गणना िसह स ही आरभ होगी िसह स सातवS रािश ह कभ अत समाश कampडली म शT कभ रािश म रहग

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह समाश ह पहला और सम रािश म होन क कारण गणना मीन स सातवS रािश कया स होगी पहला ही समाश होन स राहb समाश कampडली म कया रािश म हग

bull कत कया रािश म ह गणना कया स सम मीन स होगी पहला समाश होन स कत समाश कampडली म मीन रािश म हग

ि)शाश साधन

जब एक रािश को तीस बराबर िह-स म बाटा जाता ह तो हर एक िह-स को िशाश कहत ह िवषम रािशय यािन मष िमथन िसह तला धन और कभ म पहल 5rsquo तक मगल का दसर 5rsquo तक शिन का तीसर 8rsquo तक बह-पित का चौथ 7rsquo तक बध का और पाचव 5rsquo तक शT का िशाश होता ह इस िनन सारणी स समझन का यास करत ह

183

िवषम रािश क ि)शाश कBडली

मष िमथन िसह तला धन कभ अश

1 1 1 1 1 1 1-5

11 11 11 11 11 11 6-10

9 9 9 9 9 9 11-18

3 3 3 3 3 3 19-25

7 7 7 7 7 7 26-30

सम रािश यािन वषभ कक) कया विhक मकर और मीन म पहल 5 अश तक शT का दसर 7rsquo तक बध का तीसर 8rsquo तक बह-पित का चौथ 5rsquo तक शिन का और पाचव 5rsquo तक मगल का िशाश होता ह इस िनन सारणी स समझा जा सकता ह

सम रािश क ि)शाश कBडली

वषभ कक) कया विhक मकर मीन अश

2 2 2 2 2 2 1-5

6 6 6 6 6 6 6-12

12 12 12 12 12 12 13-20

10 10 10 10 10 10 21-25

8 8 8 8 8 8 26-30

हमार उदाहरण म लन तला ह और 23002rsquo पर ह िवषम रािश क सारणी स -प( ह िक 19-25 क बीच अश होन पर िशाश होगा िमथन अत िशाश कampडली िमथन होगी

bull सय) कया रािश म 08001rsquo पर ह सम रािश क सारणी स -प( ह िक 6-12 अश होन पर कया िशाश होगा अत िशाश कampडली म सय) कया रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह सारणी क अनसार 6-10 अश क मVय कभ का िशाश हगा अत िशाश कampडली म चमा कभ रािश म हग

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह सारणी क अनसार सम रािश म 13-20 अश पर मीन िशाश ह अत मगल िशाश कampडली म मीन रािश म हग

bull बध 25052rsquo पर कया रािश म ह सम रािश क सारणी क अनसार 26-30 अश विhक िशाश म हग अत िशाश कampडली म बध विhक रािश म हग

184

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह िवषम रािश म 19-25 अश पर िमथन रािश होती ह अत िशाश कampडली म बह-पित िमथन रािश म हग

bull शT 29031rsquo पर ह िसह रािश म ह िवषम रािश क सारणी क अनसार 26-30 अश पर तला रािश का िशाश होगा अत शT तला म रहग

bull शिन 26048rsquo पर मीन रािश म ह सम रािश क सारणी म 26-30 अश पर विhक िशाश होता ह अत शिन िशाश कampडली म विhक रािश म हग

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह सम रािश म 1-5 अश तक वषभ िशाश रहगा अत िशाश कampडली म राहb वषभ रािश म रहग

bull कत 01023rsquo पर कया रािश म ह सम रािश होन स वषभ िशाश रहगा अत कत वषभ रािश म रहग

9ादशाश कB डली

जब एक रािश को बारह भाग म िवभािजत िकया जाता ह तो 2यक भाग का मान 02030rsquo होता ह िजस ादशाश कहत ह ादशाश साधन म गणना उसी रािश स आरभ क जाती ह िनन सारणी स ादशाश का िवभाजन समझा जा सकता ह

अश नवाश

00rsquo00 - 02030rsquo 1

02030rsquo - 05000rsquo 2

05000rsquo - 07030rsquo 3

07030rsquo - 10000rsquo 4

10000rsquo - 12030rsquo 5

185

12030rsquo - 15000rsquo 6

15000rsquo - 17030rsquo 7

17030rsquo - 20000rsquo 8

20000rsquo - 22030rsquo 9

22030rsquo - 25000rsquo 10

हमारी उदाहरण कampडली म तला लन 20002rsquo पर ह अत यह दसवा ादशाश ह तला स गणना करन पर रािश आती ह कम) अत ादशाश लन होगी कक)

bull सय) 08001rsquo पर कया रािश म ह चौथ ादशाश म होन स सय) ादशाश कampडली म धन रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह तीसर ादशाश म होन स चमा ादशाश कampडली म धन रािश म हग

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह सातव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म मगल मीन रािश म हग

bull बध 25052rsquo पर कया रािश म ह यारहव ादशाश म होन स बध ादशाश कampडली म कक) रािश म हग

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह दसव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म बह-पित कक) रािश म हग

bull शT 29048rsquo पर कक) रािश म ह बारहव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म शT कक) रिश म हग

bull शिन 26048rsquo पर कक) रािश म ह यारहव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म शिन वषभ रािश म हग

186

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह पहल ादशाश म होन स राहb मीन म ही रहग

bull कत 01023rsquo पर कया रािश म ह पहल ादशाश म होन स कत कया रािश म ही रहग

84 साराश

अब तो आप लोग नवमाश स तमाश िशाश एव ादशाश कamp डली क बार म जान गय होग िफर भी इन कamp डिलय क अV ययन क पhात आपको पा]रवा]रक तथा समाजकत फल को पण) fपण t यवहार म लायग तथा इसका िनदान भी कर पायग इसिलए इन चार वगv का अV ययन मह2 2 वपण) ह साथ ही प वी त2 2 व वायत2 2 व एव जल त2 2 व वाली रािशय स होन वाल शभाशभ फल क जानकारी आपको िमलगी एव इसका पण) gtान करग

85 अ यासाथ न

1 षड़वग) म स तमाश कायागकरन स होता ह

(क) दशवग) (ख) स तम वग) (ग) ादशवग) (घ) षोडश वग)

2 स तम वग) म दशमाश षोडशाश षटयश का योग करन पर होगा

(क) दशवग) (ख) स तम वग) (ग) ादशवग) (घ) षोडश वग)

3 6 अश 40 कला िकस नवमाश क भाग ह

(क) थम नवमाश क (ख) ितीय नवमाश क

(ग) ततीय नवमाश क (घ) चतथ) नवमाश क

4 तीसरा स तमाश होता ह

(क) 4 अश 18 कला 8 िवकला का

(ख) 8 अश 34 कला 17 िवकला का

(ग) 12 अश 51 कला 24 िवकला का

(घ) 18 अश 8 कला 34 िवकला का

4 समरािश म 1 स 5 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) बह- पित

(ग) शिन (घ) शT

187

5 िवषम रािश म 6 स 10 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) मगल

(ग) शिन (घ) गf

6 सम रािश म 1 स 5 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) मगल

(ग) शिन (घ) गf

7 सम रािश म 16 स 30 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) मगल (ख) शT

(ग) बX (घ) गf

8 सम रािश म 6 स 12 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) मगल (ख) शT

(ग) बX (घ) गf

9 कल िकतन वग) होत ह

(क) 6 वग) (ख) 7 वग)

(ग) 10 वग) (घ) 16 वग)

86 श दावली

bull समरािश ndash वषभ कक) क या विhक मकर मीन

bull िवषमरािश lsquo मष िमथन िसह तला धन क भ

bull अिन त2 2 व रािश ndash मष िसह धन

bull प वी त2 2 व रािश ndash वष क या मकर

bull वाय त2 2 व रािश ndash िमथन तला क भ

bull जल त2 2 व रािश ndash कक) विhक मीन

188

89 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष लखक नमी च शा- ी 2 जातक पा]रजात t या^ याकार ndash Bी ह]रशकर पाठक

189

इकाई - 9

िववाह योग म) जमपिका िमलान का मह+व इकाई सरचना

91 -तावना 92 उGHय 93 िवषय वश

931 िववाह-योग 932 िववाह ितब धक योग 933 म िववाह योग

94 िववाह हत जमपी िमलान का मह|व 95 मलापक रह-य 96 गणिमलान का आधार 97 िववाह म मङगलयोग का िवचार तथा उसक प]रहार

971 मगल दोष क प]रहार 98 िववाह का िनण)य करत समय बह-पित का िवचार कर या नहS 99 कया क िववाह म िवलबदोष का प]रहार 910 मलापक सा]रणी क योग हत आवHयक िनदyश 911 साराश 912 शK दावली 913 अित लघ9रा2मक B 914 लघ9रा2मक B 915 सदभ) 5थ 916 फिलत म परमोपयोगी 5हw(यािद चT 917 मलापक सा]रणी - ादश पDीय

91 तावना

a योितष शा- स सबिधत यह नौवS इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक a योितष शा- म िववाह योग म ज मपिका का िमलान का मह2 2 व P या हइसक िवषय म िवशष fप स वण)न िकया गया ह

190

िववाह गह-थ आBम का वश ार ह िववाह शKद िव + वाह स बना ह िव = िवशष fप स वहन करन योय सावधानी पव)क िनभान योय सबध ही िववाह ह अय शKद म िववाह सखी प]रवार क आधारिशला ह सखी व सपन प]रवार स समाज म सख-शाित व समिX का िव-तार होता ह िकसी िववाह का टटना मा दो tयिJय का अलग होना नही ह अपित प]रवार व समाज का िबखराव होना ह जब कभी िववाह का B हो तो दवgt का कत)tय ह िक वह िववाह का मह|व समझत हbए िविधपव)क जमकampड़ली म िववाह योग का िनण)य लव तथा उनका भलीभॉित मलापक कर िववाह क सदभ) म मलापक िवषय क गढ़ गभीर रह-यमय स का समिचत बोध करक tयिJ को सखी एव सौहाद)पण) ववािहक जीवन दान कर यही बिXजीव दवgt का परम कतtय ह

92 उय

इस इकाई ारा हम िववाह एव उसक योग का अVययन करग तथा यह भी gtान करन म सltम हग िक -

1 िववाह Pया ह एव समाज म इसका Pया मह|व ह

2 िववाह क िलए कौनस भाव एव 5ह ारा िनण)य कर

3 िववाह म जमकampड़ली िमलान का मह|व

4 िववाह म मङगल दोष का िवचार एव बह-पित का िनण)य

93 िवषय वश

िजस कार सम-त ाणी अपन जीवन क िलए वाय पर आिBत ह उसी कार सपण) आBम गह-थाBम पर आधा]रत ह िववाह इसी गह-थाBम का वश ार ह िववाह स प]रवार प]रवार स समाज समाज स समच िवE क सरचना होता ह िववाह को कामोग क पण)ता व सति( हत भी आवHयक बताया ह िववाह ारा काम सति( मनोवgtािनक ि-थरता आिथ)क सरltा समािजक िवकास सा-कितक मAय क सरltण हत समिचत अवसर उपलKध होत ह

aयोितष शा क अनसार िववाह पर िनण)य लन हत समभाव मख ह सम भाव समश व कारक 5ह का बली होना अित आवHयक ह िकत अय भाव का भी दाप2य जीवन पर भावन जानना आवHयक ह अत लनािद ादश भाव पर भाव का िवचार सव) थम करग -

१ लन भाव - जातक का -वा-य fप गण -वभाव थमभाव स ही gtात िकया जाता ह BD -वा-य व -वभाव ववािहक जीवन को सरस व सखी बनाता ह अतः दपि9 क कampडली म फिलत करत समय लन का िवशष Vयान रखना चािहए

२ ितीय -थान - यह कटब व धन का ह तथा प2नी क िलए अ(म -थान (समभाव स गणना करन पर) भी ह इसका शभ व बली होना ववािहक सख क आय_य म विX करता ह

191

३ ततीय -थान - इस भाव स पराTम तथा भाई-बहन स -नह व सहयोग का िवचार िकया जाता ह यह भाव प2नी का धम) व भाय -थान भी ह यिद प2नी अपन पित क भाई-बहन स -नहपण) सबध रखगी तो अवHय ही घर म सतोष और भायोदय होगा

४ चतथ) -थान - यह सव)सख का भाव माना गया ह अतः इस भाव म शभ5ह क wि( या यित प]रवार म सख-शाित बनाय रखती ह

५ पचम -थान - बिX सतान िम व म-सबध का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह पाप5ह का भाव इस भाव म सतान सबधी क( दता ह इसक िवपरीत पचमश व समश का रािश प]रवत)न या यित म-िववाह को सफल बनाता ह

६ षD -थान - यह भाव सघष) व -पधा) का भाव ह अतः शभ5ह क wि( व यित -पधा) म िवजयी बनाकर सख व यश दती ह

७ सम -थान - प2नी ससराल-पlt कामसख दाप2य जीवन का भाव ह सम स गणना करन पर थमलन होन क कारण प2नी का आचरण रग-fप व गण का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

८ अ(म -थान - कलक म2य गधन व गिवFा का िवचार िकया जाता ह अ(मभाव का बली होना प2नी को धन-सचय म कशल बनाता ह ी जातक क िलए यह मागAय भाव भी ह

९ नवम -थान - सह समभाव स ततीय होन पर प2नी का साहस पराTम काय)कशलता तथा छोट भाई-बहन क िवषय म दशा)ता ह

१० दशम -थान - यह भाव tयापार tयवसाय व आजीिवका का माना जाता ह समभाव स चतथ) होन पर यह प2नी क मन का प]रचायक ह शभ 5ह क wि( प2नी को सरल व सतोषी बनाती ह

११ एकादशी -थान - यह आय लाभ उनित व यश का भाव ह सम स पचम होन क कारण प2नी क चातय) व िशltा का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

१२ ादश -थान - हािन tयय सख वभव तथा भोग का भाव ह सम स षD होन पर प2नी क रोग श व िचता को दशा)ता ह यह भाव यिद पाप5-त हो तो प2नी रोिगणी होती ह

931 िववाह-योग

aयाितिषय का मत ह िक सम समश एव शT िववाहकारक ह िकत िय क कampड़ली म गl को भी िवशष मह|व िदया गया ह ी क कampड़ली म यह पितसख का कारक माना गया ह अय िवान ल5 कampड़ली क अित]रJ च शT व नवमाश कampड़ली म भी समभाव समश व कारक शT का बली होना उ9म माना गया ह अय aयोितिषय न नवमाश कampड़ली को िववाह-सख जानन हत अिधक मह|व िदया ह Pयिक नवमाश कampड़ली ही समभाव क कारकत2व को जानन क िलए पया) ह -

192

१ लनकampडली चकampडली शTकampडली व नवमाश कampडली म सभाव समश व कारक का बली होना दाप2यसख क िलए उ9म माना गया ह

२ समभाव यिद अपन -वामी स w( या यत हो तथा िकसी पाप5ह स यत या w( न हो तो िववाह शी व मनोनकल होता ह

३ यिद पाप5ह (सय) मगल शिन राहb कत व पापयत बध) समभाव म -वगही हो या समभाव को दख तो भी इस शभयोग माना जाता ह

४ समश शभ5ह हो या बली होकर शभ -थान (क िकोण) म ि-थत हो तो िववाह शी व मनोनकल होता ह

५ मतातर स ितीय व ादश भाव भी दाप2यसख क कारक ह अतः इनक -वामी का क या िकोण म ि-थत होना भी BD िववाहयोग बनाता ह

६ गl शT बली (शभ5ह स यत व w( अथवा अशभ5ह स अयत व अw() हो िववाह शी एव मनोनकल होता ह

७ लन चमा या शT स ितीय सम व ादश पर गl क wि( या यित भी ववािहक सख को बlsaquoढाती ह तथा पचमश (सतान व म सबधी कारक) व समश सबल होना िववाह का सख दता ह

८ समश शT व गl क बली होकर क िकोण म ि-थत होन स िववाह योग बनता ह

९ शT का पचमश या नवमश स w( होना भी BD िववाहयोग होता ह

ब िववाह ितबधक योग -

१ समभाव पाप5ह स यत या w( हो अथवा बलहीन व पाप5ह क वग) म हो

२ अ(म-थ शT यिद बध या शिन स यत या w( हो अथवा चराशीश समश या नवाश लनश अ-त हो

३ चमा स सम रािश म शिन व मगल क यित हो अथवा शT यिद नीच रािश या नीच नवमाश म या अ-त हो अथवा शT यिद शिन क वग) म हो

ब म िववाह-योग -

१ लनश व समश क यित पचम अथवा समभाव म हो

२ पचमश व समश का पर-पर रािश प]रवत)न

३ लाभ-थान म लनश व समश पर भायश क wि( व यित हो

४ tययभाव म लनश व समश पर भायश क wि( व यित हो

193

५ समश स w( या यत शT ादशभाव म हो अथवा लनश पचम-थ होकर समश स w( हो अथवा समश tयय-थ होकर लनश स wि(सबध या यितसबध कर तो िवदश म म-िववाह होता ह

94 िववाह हत ज0मप9ी िमलान का महव

िववाह स पव) जीवनसाथी क िवषय म अनक B tयिJ म मन को आदोिलत करत ह इस सदभ) म aयोितष क भिमका अ2यत मह|वपण) ह सखी और समX दाप2य जीवन क िलए िविधवत जमकampड़ली िमलान अवHय करना चािहए इसक ारा वर-कया क शारी]रक मानिसक दब)लताओ एव िवशषतओ का आकलन सरलता स हो जाता ह कampड़ली िमलान हत िनिलिखत आवHयक तय -

1 मलापक गण-िमलान स पव) वर-कया का आय का िनण)य कर लना चािहए

2 दोन कampड़िलय म ल5 सम तथा अ(म भाव को िवचार सयक fप स कर

3 यिद वर-कया का आय_य -वAप अथवा अAपाय योग ह या मारक दशा आन वाली ह तो ऐस म िववाह पर िवचार करना अनिचत ह

4 यिद िकसी एक क कampड़ली म समभाव हीनबली ह तो दसर क कampड़ली म इस हीनता को दर करन वाल बलशाली योग का होना परम आवHयक ह तभी िववाह पर िवचार कर

95 मलापक रहय

मलापक क सदभ) म जातकदशमाग) क अनसार वर और कया क िववाहोपरात सख-समिX विX तथा अनकलता हत सङग कट िकया गया ह प]रणय स पव) वर-कया क जमाङग िमलान क परपरा परातन काल (सभव ह िक -वयवर क समय म भी आमित राजाओ क कampड़ली का िमलान करन क पhात ही आमण िदया जाता होगा) स ही रही ह सामायत कampड़ली िमलान नlt मलापक ारा करत ह िजस हम अ(कट गण-िमलान क नाम स भी जानत ह अ(कट गण-िमलान क अनसार िजन अिधक गण अनकल हग िववाह क सफल होन क सभावन भी उतनी ही बल हो जायगी

अय दवgt न ल5-मलापक 5ह-मलापक एव भाव-मलापक भी कampड़ली िमलान हत िवचारशील बताया ह

1 ल5-मलापक - वर-कया क ल5 क पार-प]रक सबध पर िवचार करना अित आवHयक ह ाय समान त|व क ल5 अथवा एक-दसर स समसक ल5 सखद प]रणय का सचक होती ह िजस कार हम वर-कया क जम रािशय म पर-पर िभनता दखत ह उसी कार ल5 स tयिJ2व ितभा गण ltमता आिद को िमलान अिनवाय) ह यिद वर-कया दोन क ल5 क त2व म सबध अनकल ह तो ववािहक जीवन सखमय होगा ल5 रािशय क त2व म अनकलता िन कार स होगी -

194

अ - अि5त2 2 व रािश - अि5 तथा वायत|व क ल5 अनकल ह

ब - पवी त2 2 व रािश - पवी त2 2 व तथा जल त2 2 व क ल5 अनकल ह

स - वाय त2 2 व रािश - वाय त2 2 व तथा अि5 त2 2 व क ल5 अनकल ह

द - जल त2 2 व रािश - जल त2 2 व तथा पवी त2 2 व ल5 क ल5 अनकल ह

2 5ह मलापक - वर-कया क सखद ववािहक जीवन हत 5ह मलापक आवHयक ह 5ह-िमलान म िट दाव2य जीवन को दाlण बना सकती ह इस कार क अनक 5हयोग ह िजनक प]रणाम-वfप जीवन Pलिशत होता ह उदाहरणाथ) यिद कampड़ली म शT च अथवा मङगल क मVय-थ होकर पापकत)]र योग म हो तो दाप2य पण)तया असतोष द हो जायगा यिद िकसी जातक क कampड़ली म ऐसा दय[ग हो तो उस उसी को जीवनसाथी बनाना चािहए िजसक 5ह इन दोष का शमन करन का सामय (कampड़ली म 5ह बलवान हो) रखत हो ाय कछ aयोितिषय का मत ह िक वर-कया िकसी एक क कampड़ली म यिद शT अथवा मङगल िकसी भी रािश म ि-थत हो तो उसस सम-थ रािश म दसर क कampड़ली म ि-थत 5ह ाय िववाह िमलान म शभ होता ह

3 भाव मलापक - ववािहक जीवन क सख और दीघा)य_य क िलए भाव मलापक आवHयक ह ाय aयोितष म सवा)िधक मह|व नlt मलापक को ही िमलता ह Pयिक अ(कट का िनधा)रण उसी स होता ह ाय aयोितिव)द ल5 मलापक भाव मलापक और 5ह मलापक का योग अ2यAप करत ह वर-कया क जम कampड़िलय म िकस कार भाव मलापक का अVययन करना चािहए उसक कछ आधारभत िनयम िनिलिखत ह -

1 वर क जमाङग म शTल5शसमश क उkच रािश िजस रािश म ि-थत हो वही रािश या ल5 कया क कampड़ली म हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

2 कया क ल5 या रािश वर क जमाङग म समश रािश हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

3 वर क समश क नीच रािश भी यिद प2नी क रािश अथवा ल5 हो तो भी िववाह सखद होता ह

4 यिद वर कया क सम भाव िजन 5ह स w( हो या व िजन रािशय म ि-थत हो तथा कया या वर क उनम स रािश हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

5 यिद वर और कया क ल5 तथा रािश एक ही हो तो िववाह अ2यत सखमय समिXशाली तथा हष[Aलासपण) होता ह यिद दोन ल5 समान हो परत रािशया िभन हो या दोन क रािशया समान हो तथा ल5 िभन हो तो भी िववाह शभ होता ह

195

6 यिद जमाङग क िमलान म अिधक अ(कट का साय हो ल5 एक-दसर स समसक हो रािशया एक हो लिकन नlt िभन हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

7 वर क नवमाश ल5 यिद कया क जमल5 हो और यिद कया क नवमाश ल5 वर क जमल5 हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

4 नlt मलापक - यह aयोितष क अनोखी एव चिलत िवFा ह िजसम आठ त2व पर िवचार करक दो tयिJय क पर-पर सहयोग व सामज-य पर िवचार िकया जाता ह कampड़ली-िमलान हत यह िविध सवा)िधक यJ होती ह इसम 36 गण का उAलख ह यिद दोन कampड़िलय यनतक अ_ारह गण भी िमल तो ववािहक अनमित ा हो जाती ह यह आठ त2 2 व तथा उनक गणाक का िववरण गणिमलान का आधार म िव-तत fप म दी गयी ह

96 गणिमलान का आधार

वणI वRय तथा तारा योिन6 हम)कम

गणम) भकट च नाड़ी चत गणािधका

अ(कट िवचार - 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन 5 राशीशमी 6 गण 7 भकट 8 नाड़ी इन कट क पण)गण िनिलिखत ह -

1 वण) का एक (1) गण 2 वHय क दो (2) गण 3 तारा क तीन (3) गण 4 योिन क चार (4) गण 5 राशीशमी क पाच (5) गण 6 गण क छ (6) गण 7 भकट क सात (7) गण 8 नाड़ी क आठ (8) गण इन आठ कट क गण का कल योग 36 ह वर एव कया क िववाह क िलए यनतम 18 गण तो िमलन ही चािहए कहS 16 भी (गणा षोड़शािभिन)Fा परत-त9मो9मा) यनतम मान गय ह

1 वण)कट - वण)कट का रािशय स सबध ह मीन विhक और कक) रािशया ~ाण मष िसह और धन रािशया ltिय वष कया और मकर रािशया वHय तथा िमथन कभ और तला रािशया शवणा) ह कया क रािश का वण) वर क रािश क वण) स हीन हो तो वण)कट का गण एक (1) अयथा शय (0) होगा जहा वण)कट का गण शय हो वहा वण)दोष माना जाता ह अथा)त वहा वण) क अशि कहनी चािहए

196

वणदोष का प+रहार - वर एव कया क राशीश पर-पर अितिम िम या सम हो वर-कया क एक

ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो कया क राशीश का वण) वर क राशीश क वण) स हीन हो तो वण)दोष का प]रहार हो जाता ह

हीनवण[ यदा रािश राशीशवण) उ9म तदा राशीEरो 5ा तािश नव िचतयत

2 वHयकट - मष वष क चत_पद िमथन कया तला धन कभ क िपद कक) मकर मीन क जलचर िसह क वनचर और विhक रािश क कटसgtा ह इन रािशय का अपनी जाित क कित क अनसार पर-पर िम श भCय-वHय वHय-भCय वHय-वर और वर-भCय सबध ह

वHयदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो योिनमी हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

वभावम)ी सिखता वपयोविशवमयोयभयोिनशिU

पर पर पवगम गवय हत ि)वगV यगपWित6त

197

3 ताराकट -

ताराकट का सबध नlt स होता ह यह शभ एव अशभ दो कार का होता ह कया क जमनlt स वर क जमनlt तक और वर क जमनlt स कया क जमनlt तक िगनती कर उसम नौ (9) का भाग दन स यिद 3 5 7 शष बच तो तारामलापक अशभ होत ह अयथा शभ होत ह वर एव कया क तारा उ9म होन पर तीन (3) गण एक क उ9मऔर दसर क अधम होन पर डढ़ (1) गण िमलता ह दोन कार स अशभतारा कभी भी ा नहS होती ह

ताराकट दोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो

4 योिनकट

198

(नlt क योिनया) अिEनी शतिभषा नlt क अE -वाती ह-त नlt क मिहष (भस) धिनDा पवा)भापद क िसह भरणी रवती क हाथी (गज) प_य कि9का क मष (बकरा) Bवण पवा)षाढ़ा क वानर उ9राषाढ़ा अिभिजत क नकल (नवला) मगिशरा रोिहणी क सप) aयDा अनराधा क ह]रण मल आरा क Eान पनव)स आ`षा क िवडाल (िबलोटा) मघा पवा)फाAगनी क मषक िवशाखा िचा क tया और उ9राफाAगनी उ9राभापद क गौ (गाय) योिन होती ह `ोक म एक एक पाद म एक एक योिन कही गयी ह इस कार `ोक म 7x2 = 14 योिनय म 2यक पाद क दो योिनय म पर-पर महावर ह जो िववाह म 2याaय ह जस थम पाद क पवा)ध) म अिEनी व शतिभषा क अEयोिन का थमपाद क उ9राध) म -वाती व ह-त क मिहष योिन स बड़ा वर -वाभािवक होता ह 2यlt म भी यहS दखा जाता ह इन योिनय का पर-पर सबध पाच कार का ह - 1 -वभाव (अपनी ही योिन) 2 िम 3 उदासीन 4 श 5 महाश वर और कया क नlt क योिन एक ही हो तो िववाह शभ होता ह दोन क नlt पर-पर उदासीन योिन क हो तो िववाह सामाय होता ह यिद पर-पर शयोिन हो तो िववाह अशभ होता ह यिद महाशयोिन हो तो घोरिनदनीय माना गया ह दोन क नlt -वभाव (एक ही योिन) योिन क हो तो योिनकट क गण चार (4) िमलत ह यिद दोन क नlt िमयोिन क हो तो योिनकट क तीन (3) गण िमलत ह यिद दोन क नlt उदासीन योिन क हो तो योिनकट क दो (2) गण िमलत ह यिद दोन क नlt शयोिन क हो तो योिनकट का गण एक (1) िमलता ह यिद पर-पर महाशयोिन क नlt हो तो योिनकट क शय (0) गण िमलत ह

योिनकटदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो भकटशि हो वHयशि होन पर योिनकटदोष का प]रहार हो जाता ह

5 राशीशम)ीकट -

यह रािशय स स सबिधत ह यिद दोन क रािशय का -वामी एक ही हो या दोन क रािशय क -वामी पर-पर िम ह तो िववाहसबध अ2य9म पर-पर िम-सम हो तो उ9म पर-पर सम हो तो

199

सामाय पर-पर िम-श हो तो िनक( पर-पर सम-श हो िनक(तर एव पर-पर श हो तो िनक(तम माना जाता ह दोन का राशीश एक ही हो तो पाच (5) गण िमलत ह दान क राशीश िम हो तो पाच (5) गण दोन क राशीश पर-पर िम-सम हो तो चार (4) गण दान क राशीश पर-पर सम हो तो तीन (3) गण िमलत ह दान क राशीश पर-पर िम-श ह तो एक (1) गण िमलता ह दोन क राशीश पर-पर सम-श ह तो आधा () गण िमलता ह दोन क राशीश पर-पर श ह तो शय (0) गण िमलत ह

राशीमीकट का प]रहार - वर-कया क नवाशश मी अथवा एकता हो दोन क रािशया िभन और नlt एक हो सकट (गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत) हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

रािशनाथ िवlऽिप िम2व वाशनाथयो िववाह कारयद धीमान दप2यो सौ^यवध)नम

एकराशौ पथक िध_ampय पथ5ाशौ तथकभ गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत

6 गणकट -

गणकट का सबध नlt स ह अिEनी मगिशरा पनव)स प_य ह-त -वाती अनराधा Bवण रवती नlt दवगण म आत ह भरणी रोिहणी आरा तीन उ9रा तीन पवा) मन_यगण म आत ह कि9का आ`षा मघा िचा िवशाखा aयDा मल धिनDा शतिभषा राltसगण म आत ह एक ही गण क नlt वाल वर-कया का िववाह शभ माना जाता ह दव व मन_यगण क नlt वाल वर-कया का िववाह भी कछ शाकार न शभ माना ह दव व राltसगण तथा मन_य व राltस गण वाल क िववाह अशभ होत ह वर-कया क नlt क गण पर-पर Tमश दव-दव मन_य-मन_य मन_य-दव राltस-राltस हो तो छ (6) गण िमलत ह वर-कया नlt क गण दव-मन_य हो तो पाच (5) गण िमलत ह यिद वर-कया क नlt क गण दव-राltस हो तो एक (1) गण िमलता ह यिद वर-कया क नlt क गण पर-पर Tमश मन_य-राltस राltस-दव राltस-मन_य हो तो शय (0) गण िमलत ह

गणदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो सकट हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

200

सYकट योिनशिU हसZय गण)यम

एवकतमसYाव नारी रampोगणा शभा

हम)ी च रािश6 िवWत िनयत यिद

न गणाभावजिनत दषण याि9रोधदम

7 भकट

इस रािशकट भी कहत ह यह तीन कार का होता ह- 1 िदा)दश 2 नवम-पचम 3 षड(क वर क रािश कया क रािश स अथवा कया क रािश वर क रािश स ितीय ादश हो तो िदा)दश रािशकट दोष होता ह नवम व पचम हो तो नवम-पचम रािशकट दोष होता ह षD या अ(म होन पर षड(क रािशकट दोष होता ह इन तीन ि-थितय म रािशकट का गण शय (0) होता ह रािशकट दोष न होन पर रािशकट क गण सात (7) होत ह रािशकट दोष क अभाव को सकट कहा जाता ह

भकट दोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क नवाशश मी अथवा एकता हो दोन क रािशया िभन और नlt एक हो सकट (गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत) हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह तीन भकट म षड(क सबस अिधक दोषकारक माना गया ह इसक ऊपर जो प]रहार बतलाए गय ह उनम स िकसी एक प]रहार क साथ वHयशि तथा ताराशि म स कोई एक भी ा हो जाए तो षड(क का प]रहार उ9म माना जाता ह

वगवर योिनवर गणवर नदरक द$कटफल सव[ हमया िवनRयित

201

8 नाड़ीकट

नािडय़ा तीन कार क होती ह - 1 आिद 2 मVय 3 अ2य अिEनी आरा पनव)स उफा ह-त aयDा मल शतिभषा पवा)भापद नlt आिदनाड़ी क भरणी मगिशरा प_य पफा िचा अनराधा पवा)षाढ़ा धिनDा उ9राभापद मVयनाड़ी क कि9का रोिहणी आ`षा मघा -वाती िवशाखा उ9राषाढ़ा Bवण व रवती अ2यनाड़ी क अतग)त आत ह वर-कया क नlt एक ही नाड़ी क ह तो नाड़ीदोष होता ह नाड़ी एक होन पर शय (0) गण िमलत ह एव िभन नाड़ी म आठ (8) गण िमलत ह

एकनाड़ीिववाह6 गण सव] समिवत

वजनीय यनन दQपयोिनधन यत

नाड़ीदोष का प]रहार - वर-कया क रािश एक हो और नlt िभन ह नlt एक हो और चरण िभन ह नlt एक हो और रािशया िभन ह पादवध न हो

एकराशौ पथिधBय पथाशौ तथक-भ

गण नाड़^ नदर च हवर न िचतयत

नamp)_य पादभद शभ यात

िववाह म मङगलयोग का िवचार तथा उसक प]रहार -

िववाह स-कार म वर-कया क जम कampडली म वण) वHय तारा 5हमी नाड़ी आिद अ(कट सबधी िवचार क बाद मङगिलक योग पर िवशष fप स िवचार िकया जाता ह मङगल रJ का कारक भी ह अत इसका िवचार तो करना ही चािहए Pयिक रJकारक 5ह ही दिषत होगा तो अशभ फल भी िमल सकता ह मङगलदोष का िवचार सामायत िन `ोक स िकया जाता ह

धन `यय च पाताल जािम) चा$म कज

भाया भत िवनाशाय भत6 Fीिवनाशनम - अग-2य सिहता

धन tयय च पाताल जािम चा(म कज

कया भत)िव)नाशाय भत) कया िवनHयित - मानसागरी

ल5 tयय चतथy च सम वा अ(म कज

202

भता)र नाशयद भाया) भता) भाया) िवनाशयत - बहत aयोितषसार

ल5 tयय च पाताल जािम चा(म कज

ीणा भत) िवनाश -यात पसा भाया) िवनHयित - भावदीिपका

ल5 tयय सख वािप सम वा अ(म कज

शभwयोगहीन च पित हित न सशयम - बह2पाराशर होराशा

ल5 tयय च पाताल जािम चा(म कज

कया भत)िव)नाशाय भता) कयािवनाशक - महq2 त)स5हदप)ण

उपरोJ सभी `ोको का एक ही अथ) ह िक थम चतथ) सम अ(म या ादश भाव म यिद मङगल हो तो वध वर क िलए तथा वर वध क िलए हािनकारक होता ह

वस उपरोJ `ोको म कछ `ोक तक) सङगत नहS ह Pयिक उनम कया (कवारी कया) व भता) (शादी क बाद पlष क सgtा) का उAलख ह जो िक तक) समत नहS बठत ह Pयिक कवारी कया िववािहत पlष क िलए िकस कार स हािन द हो सकती ह Pयिक कोई भी माता-िपता अपनी कया का िववाह िववािहत पlष स नहS करग अत इन `ोक म शKदभद ह यहा हमन इनका उAलख िकया ह Pयिक बहbत स िवान महq2 त)स5हदप)ण का `ाक ही tयवहार म लात ह अय `ोक का उAलख नहS करत ह

िफर भी कछ `ोक तक) सगत ह Pयिक व भाया) व भता) क सgtा का उAलख कर रह ह अत उहS `ोक क मया)दा क रltा करत हbए हम यहा मङगलदोष क प]रहार का उAलख कर रह िजसस मर िवान बध मङगलयोग का पण) िवचार कर सक यहा तक हमन मङगलदोष क िवचार क बात कही परत चराचर जगत म 2यक दोष का प]रहार िमलता ह तो इसका भी अवHय होना चािहए अत हम यहा कछ ामािणक `ोक -तत कर रह ह

971 मगल दोष क प+रहार --

1 कजदोषवती दया कजदोषवत िकल

नाि-त दोषो न चािन( दप2यो सखवध)नम

मङगलदोष स यJ कया अथवा वर का िववाह मङगिलक कया अथवा वर स करन स मङगलदोष क क भाव समा होरक शभ फल क ाि होती ह

2 शिन भौमोऽथवा किhत पापो वा ताwशो भवत

त_वव भवन_वव भौमदोषिवनाशकत 1

- फिलत स5ह

भौमन सwशो भौम पापो वा ताwशो भवत

203

िववाह शभद ोJिhराय पपौद 2

भौमतAयो यदा भौम पापो वा ताwशो भवत

उाह शभद ोJिhराय पवध)न 3 - aयोितष त2 2 व

वर अथवा वध क कampडली म िजस -थान म मङगल ि-थत हो उसी -थान म वध अथवा वर क कampडली म शिन मङगल सय) राहb आिद कोई पाप5ह ि-थत हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 1

एक क कampडली म मङगलदोष हो तथा दसर क कampडली म उसी -थान म शिन आिद पाप5ह हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह तथा िववाह मङगलकारी होता ह 2

यिद वर-कया दोन का मङगल समान ि-थित म हो या कोई अय पाप5ह मङगल क समान उसी भाव म ि-थत हो तो िववाह मङगलकारी होता ह 3

3 अज ल5 tयय चाप पाताल विhक कज

Fन मग किक) चा(ौ भौमदोषो न िवFत 1 - महq2 त) पा]रजात

Fन मीन घट चा(ौ भौमदोषो न िवFत 2

मष रािश का मङगल ल5 म विhक रािश का चतथ) भाव म मकर रािश का सम भाव म कक) रािश का मङगल आठव भाव म तथा धन रािश का मङगल ादश भाव म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 1

मीन रािश का मङगल सम भाव म तथा कभ रािश का मङगल अ(मभाव म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 2

4 न मङगली चभग ितीय न मङगली पHयित य-य जीवो

न मङगली कगत च राहb न मङगली मङगलराहbयोग - म दीपक

यिद ितीय भाव म च-शT का योग हो या मङगल गl ारा w( हो क भाव-थ राहb हो अथवा क म राहb व मङगल का योग हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

5 सबल गरौ भगौ वा ल5 Fनऽथवा भौम

वT नीचा]रगह-थ वाऽ-त न कजदोष - महq2 त) दीपक

बलयJ गl या शT ल5 म हो तो वT नीच-थ अ-तङगत अथवा शओ स यJ मङगल होन पर भी मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

6 ककोण शभाढय च िषडायऽयसद5हा

तदा भौम-य दोषो न मदन मदप-तथा - महq2 त) िचतामिण

204

क व िकोण म यिद शभ 5ह हो तथा ततीय षD एकादश भाव म पाप 5ह हो तथा सम भाव का -वामी सम म ही हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

7 तनधनसखमदनायला)भtययग कज-त दाप2यम

िवघटयित तद गहशो न िवघटयित तङगिमगह वा

- म िच

यFिप थम ितीय चतथ) सम अ(म एकादश व ादश भाव म ि-थत मगल वर-वध क ववािहक जीवन म िवघटन उ2पन करता ह परत यिद मगल -वगही हो उkच-थ (मकर रािश) या िमlt म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

8 रािशम यदा याित गणPय वा यदा भवत

अथवा गणबाहbAय भौमदोषो न िवFत - महq2 त) दीपक

यिद वर-कया क कampडिलय म पर-पर रािशमी हो गणPय हो 27 या इसस अिधक गण िमल तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

वर-कया क कampडली म मङगलदोष एव उसक प]रहार का िनण)य अ2यत िववकपव)क करना चािहए मा 1 4 7 8 12 म मगल को दखकर दाप2य जीवन क सख दख का िनण)य नहS करना चािहए जहा मगल हो उहS भाव म यिद कोई अय Tर 5ह भी 1 2 7 12 भाव म हो तो वह भी पा]रवा]रक एव ववािहक जीवन क िलए अिन(कारक होता ह

यथा- ल 2रा `यय 2रा धन 2रा कजतथा

सLम भवन 2रा प+रवारampयङकरा - महb तसह दपण

मङगलदोष का िनण)य कampडली िवशष म सभी 5ह क पार-प]रक अनशीलन क पhात ही करना चािहए सभी ल5कampडिलय म मङगलदोष का भाव एक जसा नहS होता ह इसम तो कोई सदह नहS िक कछ ल5 कampडिलय म मङगलदोष का अशभ थाव वर-वध क ववािहक जीवन पर पड़ता ह परत यिद िकसी कampडली म मङगल अय 5ह क साहचय) स योगकारक हो उkच-थ या -वरािशगत हो अथवा शभ 5ह क wि( स भािवत हो तो मङगल का शभ फल िमलता ह जस मकर मष विhक िसह धन व मीन रािश का मङगल शभफलदायी होता ह तथा कक) व िसह ल5 म मङगल किकोणपित होन स मङगल शभ होकर योगकारक माना जाएगा

यथा- सवc ि)कोणनतारो हा शभफलदा

वोdचिथत शभफल करोित पणम

नीचeषगत िवफल +रपमिदरऽgपम - सारावली

भावा सवc शभपितयता वीिampता वा शभश

205

तGYावा सकलफलदा पापhयोगहीना

अत वर-कया क कampडिलय का िमलान करत समय उनक सखी एव सपन जीवन क िलए मङगल पर ही अ2यिधक बल न दत हbए मलापक सबधी अय त2व का भी सवा)ङग fप स िववचन करना चािहए िजनम कछ म य त2 2 व िनिलिखत ह

चिलत भाव कampडली - जो 5ह भावमVय होत ह वह भाव का पण) फल दत ह जो 5ह भावसिध म होत ह व शय फल दत ह उसी क अनसार वर-कया क कampडिलय का िमलान करत समय दोन क कampडिलय क 5ह -प( भाव -प( एव चिलत भाव कampडली बनी होनी चािहए तभी मङगलदोष क ि-थित -प( हो सकती ह यिद दोन क कampडिलय म मगल सिधगत हो तथा मङगलीयोग द भाव स अित]रJ भाव म हो तो भी मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

अय प]रहार - समभाव या समश या शभ एव योगकारक 5ह क ि-थित अथवा मङगल या समभाव पर गl या शT क wि( हो अथवा समश 5ह क -वगही wि( होन स मङगलदोष का भाव ltीण हो जाता ह इस ि-थित म धािम)क अनDान भी करवान चािहए

शभ योग - समश 5ह उkच-थ या -विमािद क रािश म होकर क िकोणािद भाव म ि-थत हो तो िववाह म मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

अशभ योग - यिद समश िक म हो पाप5हयJ व पापw( नीचरािशगत अथवा अ-तङगत हो तो िववाह का पण) सख नहS िमलता ह यथा -

द-थ कामपतौ त पाप5हग पापिltत तFत तaजाया भवन-य मVयमफल सवn शभ चायथा

ल5श ितीयश पचमश अ(मश समश एव च शT गl मगलािद 5ह क बलाबल का िवचार करना भी िनतात आवHयक होता ह

उपरोJ िवषय पर अVययन हमन इसीिलए िकया ह Pयिक वत)मान म समाज म मङगलदोष क िवषय म कई कार क ाितया फल रही ह बहbत स लोग मङगलदोष का िवशद अVययन नहS करक कवल एक योगमा स लोग क मन म भय उ2पन करत रहत ह िजसस aयोितष का अपयश होता ह

नोट - यिद आप मङगलदोष का प]रहार कर रह ह तो मङगल क िनिम9 पजा-पाठ भी करवाय तो शभफल म विX ही होगी

98 िववाह का िनणय करत समय बहपित का िवचार कर या नहlt

िववाह म कया हत बह-पित का िवचार िकया जाय या नहS इस िवषय म सभी पिampडत एकमत नहS ह अत हम यहा हम सभी तय पर िवचार करत हbए िन_कष) िनकालन का यास करग शा म कया क रजोधम) योय होन क पिहल ही िववाह का िवधान बताया गया ह लिकन य सब बात तब क ह जब य सभी बात तक) सङगत थी Pयिक पहल बाAयकाल म िववाह होन क बाद भी गौना लड़क-लड़क क

206

यवा (वय-क) होन पर ही होता था अथा)त जब कया यवा (वय-क) हो जाय तभी वह पित क साथ रहन तथा सासा]रक धम) म व9 होन क योय होती थी

शा म रजोधम) क योय होन क पिहल कया का िववाह करन का िवधान ह उस समय कया क िववाह म गlशिX परम आवHयक थी

अ$वषा भवiौरी नवम रोिहणी भवत

दशम कयका ोjा 9ादश वषली मता - aयोितिन)बध

अथा)त आठ वष) क गौरीrsquo नौ वष) क रोिहणीrsquo दस वष) क कयासgtकrsquo तथा तदनतर ादशािद वषv क कया वषलीrsquo अथा)त रज-वला सgtक होती ह

गौरी िववािहता सौ^यसपना -या2पितता रोिहणी धनधायािदपाढया सभगा भवत

कयािववािहता सप2समXा -वािमपिजता - पीयषधारा

अथा)त आठ नौ तथा दसवष) क कया का िववाह ही शा म शभ माना गया ह

परत वत)मान म उपरोJ बात tयवहा]रक नहS ह Pयिक यिद हम बालिववाह करत ह तो अब न व मानवीयमAय बच तो न ही हमारा कानन इसक अनमित दता ह यिद हम बालिववाह करत ह सप]रवार कारावास क िजदगी का अनभव करना पड़ सकता ह तथा आजकल तो बालिववाह करान वाल पिampडत जी को भी जल भजन का माण भारतीय दampड सिहता म ह

उपरोJ बात पर िवचार करन क बाद एक बात तो -प( ह िक यिद कया का िववाह 11 या 12 वष) क आय तक िकया जाय तब ही गlशिX क आवHयकता ह

यिद हम 11 या 12 वष) क बाद कया िववाह करत ह तो गlशिX क आवHयकता नही होती इसक िलए हम यहा कई माण द रह ह अब हम आशा ह बX िवान अपनी तक) शिJ का िवकास करत हbए गlशिX का ामािणक िनण)य कर सक ग

1 यिद कया क आय 11 या 12 वष) क हो तो गl क िनब)ल होन पर भी शाोJ बह-पित शाितrsquo तथा शकनािद िवचार क सपादन क साथ उसका िववाह ल5 िनधा)]रत कर

9ादशकादश वषc तया शिkन जायत

पजािभ शकनवािप तय ल दापयत - शीबोध

2 दस वष) स अिधक आय क कया रज-वला हो जान क कारण उसक गlशिX न दखकर च व तारािद बल का िवचार करना चािहए

दशवष`यित2ाता कया शिkिवविजता

तयातारदलाना शkौ पािणहो मत - tयासवचन

207

3 रजोदश)न क पhात गl शिX क आवHयकता नही ह आठव गl म िगिणत पजा करक िववाह कर सकत ह

रजवला यदा कया गlशिk न िचतयत

अ$मऽिप कत`यो िववाहिFगणाचनात - बह-पित

4 िकसी भी अव-था क कया को 4-8-12 गl होन पर भी िगिणत पजा करन पर िववाह म कोई दोष नहS होता ह

कयाeषादि9सतWनायनवम m8ो गl6ायथा

पMयोऽ$ायसखितकाल इहत ा िवरnय शभ - उाहत2 2 व

5 कया क उ सात वष) क हो जान क भी पाच वष) क बाद (12 वष)) उkच या -वरािश (कक) धन मीन) का अशभ गl भी शभ फलदायक होता ह

सLाoदापpचवषcष वोdचवeषगतो यिद

अशभोऽिप शभ दWाdछभदeषष िक पन - aयोितिन)बध

6 गौरी सgtक कया को गlबल रोिहणी का सय)बल कया को चबल तथा रज-वला को ल5बल क आवHयकता होती ह

दया गlबला गौरी रोिहणी भानमrला

कया च बला ाsा ततो लबलGरा

- महq2 त) गणपित

7 श िनषादािद चतथ) वणv क िलए गlशिX का िचतन अिनवाय) नहS ह

किचदाह4गरो शिkनावया गणकोGम

िववाह वयादीना चBडालाना च पgकसाम - aयोितिन)बध

िनकष - उपरोJ िवषय पर -तत माण क आधार पर यह -प( ह िक वत)मान काल म गlशिX क

आवHयकता नहS ह

अत कया रज-वला हो जाय तो गlशिX का िवचार नही करना चािहए यिद मािसक धम) ारभ होन क पव) ही िववाह करना हो तो गlशिX क आवHयकता ह

208

99 क0या क िववाह म= िवलgtबदोष का पampरहार

िकसी शभिदन म वर ाि क िलए कया -नानािद स िनव9 होकर ात काल कमलबीज क माला स Bीगणशजी क म (ऊ Bीगणशाय नम) क एक माला जप कर गणशजी का Vयान कर िफर गौरी और शङकर का Vयान करती हbई -

ऊ यQबक यजामह सगिध पितवदनम

उtवाl किमव बधनािदतो मampीय मामत वाहाrsquolsquo

ितिदन उपरोJ -वाहा रिहत म क एक माला का अवHय जाप कर हर रिववार क िदन जाप क बाद ात दशी घी म फक फिAलय को िभगोकर aविलत अिन म 108 आहbितया दव म क साथ -वाहा का उkचारण भी अवHय कर Bी िशव पाव)ती और गणशजी का िच हो तो सामन अवHय रख अथवा मानिसक Vयान भी लाभकारी होगा

जप व हवन क बाद ाथना -

ऊ कायायिन महामाय महायोिगयधीuरी

नदगोपसत दवी पित दिह मनोरममrsquolsquo

यह अनDान कया अपन िववाह क नव5ह शाित तक करती रह कया क माता िपता भी Bीगणशजी क 21-21 माला का जाप कर सवा लlt जाप होन पर अपन तोल क बराबर हरा घास भसा खल प9री जौ का दाला चन आिद को गौओ को डाल िदया कर पिltय को ितिदन चावल बाजरा आिद भी डालत रह

अथवा

कया ह]रा (हAदी) क माला स िनिलिखत म क ितिदन पाच माला का जाप िववाह क नव5ह शाित तक कर -

ऊ ह गौ+र शङकराधाङगी यथा व शङकरिया

तथा मा कl कgयािण कातकाता सदलमामrsquolsquo

उपरोJ अनDान क साथ िनिलिखत रामच]रतमानस क चौपाईय का पाठ भी िन2य ितिदन िववाह क नव5ह शाित तक करना चािहए -

जय जय िग]रबरराज िकसो]र जय महस मख चद चकोरी

जय गजबदन षडानन माता जगत जनिन दािमनी दित गाता

निह तव आिद मVय अवसाना अिमत भाउ बद निह जाना

भव भव िवभव पराभव का]रनी िब-व िबमोिहनी -वबस िबहा]रनी

209

पितदवता सतीय महb मात थम तब रख

मिहमा अिमत न सकिह किह सहस सारदा सष

सवत तोिह सलभ फल चा]र बरदायनी परा]र िपआरी

दिब पिज पद कमल तहार सर नर मिन सब होिह सखार

मोर मनोरथ जानहb नीक बसहb सदा उर पर सबहS क

कहउ गट न कारन तहS अस किह चरन गह बदहS

िबनय म बस भई भवानी खसी माल मरित मसकानी

सादर िसय साद िसर धरऊ बोली गौ]र हरष िहय भरऊ

सन िसय स2य असीस हमारी पिजिह मनकामना तहारी

नारद बचन सदा सिच साचा सो बl िमिलिह जािह मन राचा

मन जािह राचउ िमिलिह सो बl सहज सदर सावरो

कlना िनधान सजान सील सनहb जानत रावरो

एिह भाित गौ]र असीस सिन िसय सिहत िहय हरषी अली

तलसी भवानीिह पिज पिन पिन मिदत मन मिदर चली

जािन गौ]र अनकल िसय िहय हरष न जाइ किह

मजल मगल मल बाम अग फरकन लग

(रामच]रतमानस 1-235-5 स 236 तक)

कया क िववाह हत अय िसX म -

ऊ यबक यजामह सगिध पितवदनम

उवाlकिमव बधनािदतो मltीय मामत 1

दिह सौभायम आरोय दिह म परम सखम

fप दिह जय दिह यशो दिह िषो जिह 2

ऊ दवामिण नम-तLय दवि यभािमनी

िववाह भायम आरोय शीलाभ च दिह म 3

ऊ श शकराय सकलजमािज)तपापिवVवसनाय

पlषाथ)चत(यलाभाय च पित दिह कl कl -वाहा 4

210

पlष क िववाह हत िसk म) -

प2नS मनोरमा दिह मनोव9ानसा]रणीम

ता]रणS दग)ससारसागर-य कलोवाम 1 (दगा)सशती)

स दिव िन2य प]रतयमान-2वामव सीत2यिभभाषमाणः

धततो राजसतो महा2मा तवव लाभाय कत य2नः

(वाAमीिक रामायण सदरकाampड)

910 मलापक साampरणी क योग हत आवयक िनदश

सा]रणी क कोDक क ऊपरी भाग म गण ह तथा नीच क भाग म दोष ह िजनक पहचान क िचp ह - गणदोष (1) वरयोिन (2) नाडीदोष (3) िदा)दश (4) नवमपचम (5) षड(क (6) जहा दोष का थोड़ा प]रहार ह वहा (-) जहा परा िनवा)ह ह वहा (x +) का िचp ह जहा वर क पव) वध का नlt ह वहा महादोष (0) माना ह दोषहीन कोDक म कवल गण ह 1-18 तक गण न( 19-27 मVयम व 27-36 BD होत ह

नोट - उपरोJ दोष क प]रहार हत आग िदया गया फिलत म परमोपयोगी 5ह-w(यािद चT क सहायता स 5ह क मी चT का अवलोकन करत हbए आप सरलता स दोष प]रहार कर सकत ह यिद रािश -वमी मी हो तो भी दोषप]रहार हो जाता ह अय प]रि-थितय का भी िवचार कर लना चािहए

जम कBडली िमलान का उदाहरण - szlig Uacute U middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave szlig Š aeligecirc middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave

वर का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

रिव 05101984 1035 ात जयपर राज-थान

जमनlt - धिनDा - थम चरण रािश - मकर रािश-वामी - शिन

कया का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

पजा 05111983 0455 ात काल कोटा राज-थान

जमनlt - -वाती - चतथ) चरण रािश - तला रािश-वामी - शT

211

अ$कट िमलान गण-तािलका

कट वर कया दोष अिधकतम ााङक lt

वण) वHय िव - 1 1 जातीय कम)

वHय जलचर जलचर - 2 frac12 -वभाव

तारा 2य]र साधक - 3 3 भाय

योिन िसह माजा)र - 4 1 यौन-िवचार

5हमी शिन च - 5 5 आपसी-सबध

गण राltस राltस - 6 1 सामािजकता

भकट मकर कक) - 7 7 जीवन-शली

नाड़ी मVय अ2य - 8 8 आयसतान

कल - - - 36 26frac12 -

िमलान-िवH लषण - रिव का वग) माजा)र ह पजा का वग) माजा)र ह इन दोन म समता ह अ(कट तािलका म वण) स लकर नाड़ी तक िकसी क भी गण शय नहS आय ह अत अ(कट िमलान िनद[ष ह

मगल िवचार - रिव माङगिलक नहS ह Pयिक कampड़ली म मङगल 1-4-7-8-12 म ि-थत नहS ह मङगल रिव क कampड़ली म ितीय भाव म ि-थत ह

पजा मङगिलक ह Pयिक पजा क कampड़ली म मङगल ादश भाव म ि-थत ह

मङगल दोष प]रहार - फिलत स5ह एव aयोितष दप)ण क अनसार यिद वर-कया क कampड़ली म स कोई एक मङगलदोष स पीिडत हो तथा दसर क कampड़ली म 1-4-7-8-12 भाव म मङगल अथवा अय कोई पाप5ह ि-थत हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह यथा -

शिन भौमोऽथवा किhत पापो वा ताwशो भवत

त_वव भवन_वव भौमदोषिवनाशकत 1 - फिलत स5ह

भौमन सwशो भौम पापो वा ताwशो भवत

िववाह शभद ोJिhराय पपौद 2

भौमतAयो यदा भौम पापो वा ताwशो भवत

उाह शभद ोJिhराय पवध)न 3 - aयोितष त2 2 व

िन_कष) - अ(कट िमलान िनद[ष ह तथा मङगलदोष का भी प]रहार हो रहा ह अत सबध BD ह

212

911 साराश

कampड़ली का सातवा भाव िववाह प2नी ससराल भागीदारी का कहा गया ह िववाह एक स-कार ह जो सतान परपरा को अltampण रखन तथा आ2मसयम एव पार-प]रक सहयोग ारा जीवन म आLयदय ाि हत ी-पlष को एक स म बाधता ह अत इसी प]र Cय म aयोितष ारा ारा कampड़ली म िववाह योग तथा िववाह िमलान हत ाय माता-िपता को आत दखा गया ह िववाह स सदभ) म कारक 5ह शT गl और मङगल को कहा गया ह सम समश का शभ सबध इन 5ह स कampड़ली म सखी ववािहक जीवन क सचना दता ह

भारतीय परपरा क अनसार सखी और समX दाप2य क िलए िविधवत वर-कया का चयन मलापक ारा िकया जाता ह इसक िलए वर-वध क जम-नlt क आधार पर अ(कट गण िमलान करन क िविध शा ारा िनदyिशत ह अत इस इकाई क माVयम स िववाह पर समीचीन gtान का सचार सभी म हो सकता ह

912 श दावली

bull दवgt = दवताओ क िवषय क gtाता

bull आBम = ~चय) गह-थ वान -थ सयास

bull मलापक = कampड़ली व अ(कट िमलान

bull प]रहार = दोष क िनवि9

bull रािशमी = रािश -वािमय क िमता

bull अ(कट = 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन

5 राशीशमी 6 गण

7 भकट 8 नाड़ी

bull वषली = मािसक-धम) ा कया

913 अित लघ+रामक

1 िववाह क tया^या किजए

उ9र िव = िवशष वाह = वहन करना अथा)त िवशषfप स वहन करन योय सबध को िववाह कहत ह

2 जमकampड़ली म िववाह सबधी B िकस भाव स दखा जायगा

213

उ9र िववाह का कारक भाव सम भाव को कहा जाता ह

3 िववाह क सदभ) म कampड़ली िमलान का Pया मह|व ह

उ9र वर-कया क िवशषता एव अवगण का दाप2य जीवन क आचरण का िवचार कampड़ली िमलान स ही होता ह

4 अ(कट गण िमलान िकस कहत ह

उ9र जम नlt ारा मलापक को अ(कट गण िमलान कहत ह

5 मलापक रह-य को िकन चार वगv म िवभािजत िकया गया ह

उ9र ल5 मलापक 5ह मलापक भाव मलापक एव नlt मलापक

6 कampड़ली िमलान क सदभ) म कौन सा मलापक सवा)िधक चिलत ह

उ9र नlt मलापक ही सवा)िधक चिलत ह

7 वर-कया म िकसी एक क अि5 त2 2 व क ल5रािश ह तो दसर पlt क कौनसी रािश अनकल होगी

उ9र दसर पlt क िलए अि5 तथा वाय त2 2 व ल5 को अनकलता दान करगी

8 अ(कट गण िमलान म कौनस आठ त2 2 व बताय गय ह

उ9र 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन 5 राशीशमी 6 गण 7 भकट 8 नाड़ी

9 अ(कट गण िमलान म कल िकतन गणाङक बताय गय ह

उ9र अिधकतम 36 गण िमलान क ााङक होत ह

10 मङगिलक का िवचार िकन भाव स िकया जाता ह

उ9र मङगिलक का िवचार ल5 चतथ) सम अ(म एव ादश भाव म मङगल क ि-थत होन पर िकया जाता ह

914 लघ+रामक

1 ल5ािद ादश भाव का िववाह पर भाव बताईय

2 जमकampड़ली म िववाह हत शभ योग का वण)न किजय

3 िववाह हत जमपी िमलान का Pया मह|व ह

4 मङगिलक दोष Pया होता ह एव कampड़ली िमलान म उसका Pया भाव ह सप]रहार िववचना किजय

214

5 नीच िदय गय जमाङग क आधार पर अ(कट िमलान पर काश डािलय

वर का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

िवकास 22031975 0700 ात दहली भारत

जमनlt - पनव)स - थम चरण रािश - िमथन रािश-वामी - बध

कया का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

पित) 30111977 0650 साय काल आगरा उ9र दश

जमनlt - प_य - ितीय चरण रािश - कक) रािश-वामी - च

szlig Uacute U middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave szlig Š aeligecirc middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave

915 स0दभ 130थ

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक Bी सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

3 िववाह-स-कार ितीय स-करण

सपादक डॉ रिव शमा)

काशक हसा काशन जयपर

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इकाई 10

िविभ न योग ndash राजयोग गजकशरीयोगसर वती

योग नीचभड़ग योग महाल मी योग इकाई क परखा

100 - तावना 101 उGH य 102 िवषय वश 1021 योग का बल एव योग म कमी 1022 पk च महापfष योग 1023 सय) स बनन वाल योग 1024 च स बनन वाल कछ योग 1025 अ य राजयोग सर- वती योग एव िविभ न राजयोग 1026 िवपरीत राजयोग तथा राजभग योग िवचार 103 साराश 104 बोध H न 105 शK दावली 106 सदभ) 5थ सची

100 तावना

a योितष शा- स सब िधत यह 10 वS इकाई हा इस इकाई का चयन यहा पर िवशष fप स िकया गया ह इस ससार म जो भी ाणी ह व सभी फल क इk छा रखत हbए कोई भी काय) करत ह पर त यहा पर योग क अनसार बताया गया िक िकस योग म उ2 प न होन पर कोनसा फल ा त होगा ऋिष परासर न योग क सदभ) म एक िवशष धारणा दी क क एक 1 4 7 10 िकोण 1 9 5 का - वामी एक ही 5ह होन पर 5ह योग कारक हो जाता ह इस कार उ हन 5ह को ही नहS अिपत भाव क यित सबध को भी मा यता भी ह मानव जीवन क लाभाथ) और भी उk च कोिट क योग का वण)न िकया गया ह जस पचमहापfष योग इस योग क अ तग)त lsquorsquoसचकrsquorsquo नामक योग सव) थम बनता ह िजसम t यिJ 70 वष) क अव- था तक सख भोगता ह अ य योग भी इसम बनत जो मानव जीवन को काफ हद तक लाभ

229

पहbचात ह ठीक इसी कार इस इकाई म राजभamp ड योग का भी वण)न िकया गया इसम मानव जीवन भी काफ भािवत होता ह इसका िनदान करन पर लाभ ा त होता ह

101 उ य

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग - 1 सव) थम आप योग क बल क बार म जानकारी पायग

2 योग म कमी एव योग क अिधक बल तथा योग और राहb कत क बार म जानग 3 उदाहरण सिहत पचमहापfष योग क पण)तया fप स gtान ा त करग 4 सय) 5ह स बनन वाल कछ योग भी जानग 5 अ य योग क जानकारी भी ा त करग 6 शभ वसी शभवासी योग उभयचारी यो क जानकारी ा त करग 7 च 5ह क अनसार उ2 प न योग अनफा सनफा कमम Bीकठ Bीनाथ तथा गजकशरी योग को उदाहरण सिहत जान पायग 8 राजयोग का शाK दीक अथ) तथा राजयोग क िवभाग क जानकारी ा त करग 9 राजयोग को िविभ न - तर पर जानग 10 चार 5ह उk च होन पर एव तीन 5ह उk च क इनम स एक 5ह ल न म ि-थत होन स उ2 प न राजयोग क जानकारी ा त करग 11 सर- वती योग लC मी योग तथा कलानीिध योग जानग 12 साथ ही धन योग महाभा य योग तथा नीच भग राज योग क जानकारी ा त करग 13 िवप]रत राजयोग उदाहरण सिहत जानग 14 साथ ही पण)तया fप स राजभग योग क जानकारी ा त करग

102 िवषय वश

जम-पिका म िकहS दो या दो स अिधक 5ह क पर-पर सबध को िवशष फल दन वाला माना गया ह 5ह क पर-पर सबध स ता2पय) चतिव)ध सबध स ह यह चार कार का सबध 5ह क पर-पर यित प]रवत)न wि( तथा िविश( भाव म ि-थित स ह सामायतया योग का अथ) यित स ह परत aयोितष म यित स िभन अय सबध को भी योग क Bणी म रखा गया ह चतिव)ध सबध कािधपितय अथवा िकोणािधपितय म हो तो BD फल दन वाला होता ह ऐसी मायता ह

जम-पिका म योग होन पर 5ह अपन सामाय गण क अपltा अित]रJ फल दत ह जो सामायतया नहS दत

उदाहरणाथ) - सय) यश क नसिग)क कारक ह तथा बध ितभा क सय) व बध क यित बधािद2य योग बनाती ह िजस tयिJ क जम-पिका म बधािद2य योग होता ह उसक काय) णाली भी िवशष होती

230

ह तथा िकसी िवषय िवशष का िवशषgt होता ह यह यित िजतनी शभ होगी उतनी अिधक िवशषgtता tयिJ को ा होगी यह िवशषgtता िकसी एक 5ह िवशष क कारण नहS होगी अिपत बधािद2य योग क कारण होगी

उपय)J विण)त योग कवल एक उदाहरण मा ह ऐस सकड़ हजार योग व शा म विण)त ह

योग क अतग)त 5ह अपन मौिलक गण को छोड़कर या उन गण क सीमा स बाहर जाकर िवशष प]रणाम दत ह

इस ऐस समझ सकत ह िक िजस कार रसायन शा म त2व क यम स िमBण बनता ह वह िविश( गण रखता ह जस- हाइोजन व ऑPसीजन क योग स जल बनता ह

ऋिष पाराशर न योग क सदभ) म एक िवशष धारणा दी िक क-िकोण का -वामी एक ही 5ह होन पर 5ह योगकारक हो जाता ह इस कार उहन 5ह को ही नहS अिपत भाव क यित सबध को भी मायता दी

योग का बल

योग कब बली होत ह इस सबध म िविभन िवान न ऋिष पाराशर क िदए िनयम पर मतPय रखा ह िक जब क-िकोण क -वामी आपस म सबध कर तो िवशष प]रणाम दत ह

अपवाद-1 - इस सबध म एक अपवाद पर Vयान िदया जाना आवHयक ह जब सय) क यित स कोई 5ह योग बनाता ह तो सय) क िनकटता क आधार पर योग बली हो जाता ह व 5ह उ2क( प]रणाम दत ह परत िनकटता ही 5ह को अ-तगत भी करती ह तथा प]रणाम क उ2क(ता म कमी ला दती ह 5ह क अ-तगत अश हम िपछली इकाईय म पढ़ चक ह

अपवाद - 2 - जब दो 5ह क यित स योग तो बन पर त दोन ही 5ह समान अश पर ि-थत ह तो 5ह क ऐसी अव-था उनक पर-पर यX क अव-था होगी और उस यX म िकसी एक 5ह को परािजत होना पड़गा अत परािजत 5ह क मौिलक गण म कमी आ जाती ह इसी कारण उस 5ह क भाव म कमी आएगी परत योग क िविश( फल भी ा हग

योग का अिधक बल

जब कampडली क योग कारक 5ह क उन भाव म ि-थित हो जो भाव BD कह गए ह तब व अिधक बली हो जात ह इस Tम म पहली ि-थित 5ह का क-िकोण म ि-थत होना ह

दसरी ि-थित 5ह का अपनी उkचरािश म ि-थत होना ह तीसरी ि-थित वह ह जब िकसी 5ह को अय 5ह क अपltा BD षडबल ा हो

231

योग म0 कमी -

1 जब िकसी जम-पिका म योगकारक 5ह द-थान म ि-थत ह तो 5ह क फल म कमी आ जाती ह

2 जब 5ह अपनी उkचािद रािश म ि-थत न हो

3 जब योग कारक 5ह अ-त हो

4 जब योग कारक 5ह का षडबल कम हो

5 जब 5ह अपनी नीच रािश म ि-थत हो

6 यिद योगकारक 5ह िषडयपित अथवा द-थान क -वामी स सबध -थािपत कर तो योग भग हो जाता ह

योग और राह4-कत

राहb तथा कत छाया5ह ह अत इनका भौितक अि-त2व नहS माना गया (यह तय हम 5ह क िव-तत िववचन म पढ़ चक ह) दोन ही 5ह को िकसी रािश िवशष का -वत -वािम2व ा नहS ह अत य िजस भी भाव म बठत ह या िजस भाव क -वामी क साथ बठत ह उसी स सबिधत फल दान करत ह यिद इनक ि-थित कािधपितय क साथ ह तो सम प]रणाम दत ह

यिद य िकोणािधपितय क साथ ि-थत ह तो शभ प]रणाम दत ह

िषडयपितय क साथ ि-थत ह तो उनक समान फल दत ह

पच महापlष योग

aयोितष योग क Tम म पचमहापlष योग Tमश मगल बध गl शT तथा शिन स बनत ह हम पढ़ चक ह िक जम-पिका म 5ह क िवशष ि-थित योग बनाती ह इस Tम म सव) थम पचमहापlष योग का अVययन करग

मगल बध बह-पित शT तथा शिन क जम-पिका क क -थान म -वरािश अथवा अपनी उkचरािश म ि-थित स Tमश lचक भ हस मालtय तथा शश योग बनता ह

उदाहरणाथ -

lचक योगफल - िकसी जम-पिका म मगल जब क म मष विhक अथवा मकर रािश म ि-थत

होत ह तो lचक योग बनता ह यह योग होन पर tयिJ अनशािसत साहसी ित- पधा)2 मक शिJ रखन वाला साहस स धनाज)न करन वाला अपन गण क कारण िसX होन वाला होता ह एव 70 वष) क अव- था तक सख भोगता ह ऐसा सामाय िनयम ह

232

भ योग फल - िकसी जम-पिका म बध जब क म िमथन अथवा कया रािश म ि-थत होत ह तो

भ योग बनता ह

जम-पिका म भ योग होन पर tयिJ अ2यिधक बिXमान िवान tयिJय स शसा पान वाला वभवपण) जीवन वाला वाक व भाषण कला म िनपण होता ह शर क समान मख वाला गज क समान चलन वाला चौड़ी छोटी ल बा कदवाला मोटा होता हा ऐस tयिJ उkचािधकारी भी बनता ह

हस योग फल - िकसी जम-पिका म बह-पित जब क म धन मीन अथवा कक) रािश म ि-थत होत

ह तो हस योग बनता ह

जम-पिका म हस योग होन पर tयिJ सौय tयवहार स यJ सदर साि2वक िवचार वाला तथा अkछा भोजन खान-पीन का शौकन होता ह ऐस tयिJय क हाथ-पर म िवशष शभ िचह भी पाए जात ह

माल`य योग - िकसी जम-पिका म शT जब क म वषभ तला अथवा मीन रािश म ि-थत होत ह

तो मालt य योग बनता ह

233

मालtय योग होन पर tयिJ िवान सदव सन रहन वाला यश-वी िनरतर विX को ा करन वाला तथा धय)वान होता ह ऐस tयिJ को वाहन सख अिधक ा होता ह तथा जीवन म ी पlt स लाभ िमलता ह

शश योग - िकसी जम-पिका म शिन जब क म तला मकर अथवा कभ रािश म ि-थत होत ह तो

शश योग बनता ह

शश योग होन पर tयिJ भावशाली अय tयिJय स शसा पान वाला धनी व सखी होता ह ऐस tयिJ दसर tयिJय क शसा भी खब करत ह एव इसक आय 77 वष) क होती ह एव चनाव म शी सफलता िमलती ह

सय स बनन वाल कछ योग -

िकसी भी जम-पिका म सय) क ि-थित क आस-पास ि-थत 5ह स बनन वाल कछ योग िनन ह -

शभविस योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसस ितीय भाव म राहb-कत क अित]रJ कोई 5ह अथा)त मगल बध गl शT अथवा शिन ि-थत ह तो शभविस योग बनता ह उदाहरण -वfप यिद वषभ लन क जम-पिका म सय) िसह रािश म ि-थत ह तथा कया रािश म बध ह तो शभविस योग बनगा

234

शभवािस योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म राहbकत क अित]रJ कोई अय 5ह ि-थत हो तो शभवािस योग बनता ह उदाहरण -वfप कभ लन क कampडली म यिद सय) धन रािश म ह तथा मगल विhक रािश म ह तो यह योग बनगा

उभयचरी योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसक दोन ओर अथा)त उसस ितीय व ादश भाव म कोई 5ह हो तो उभयचरी योग बनता ह उदाहरण -वfप तला लन क कampडली म यिद मकर रािश म सय) ह तथा धन रािश म बध व कभ रािश म शT ह तो उभयचरी योग बनता ह

च मा स बनन वाल कछ योग -

अनफा योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म सय) क अित]रJ कोई 5ह हो तथा उसस ितीय भाव म कोई 5ह न हो तो अनफा योग होता ह

योगफल - यह योग होन पर tयिJ समाज म ितिDत व शीलवान होता ह

सनफा योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म कोई 5ह ि-थत ना हो तथा ितीय भाव म कोई 5ह हो तो सनफा योग होता ह

योगफल - यह योग होन पर tयिJ बिXमान व धनवान होता ह तथा उसक बहbत ^याित होती ह

कमम योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ितीय तथा ादश भाव म यिद कोई 5ह न हो तो कमम योग होता ह

कमम योग अशभ योग क Bणी म आता ह इस द]र योग भी कहा जाता ह द]रता कवल धन क ही नहS अिपत ]रHत म कमी स भी मानी जा सकती ह

Bीकठ योग - िकसी जम-पिका म लनश सय) व चमा -वरािश िम अथवा उkच रािश म होकर क अथवा िकोण म ि-थत ह तो Bी कamp ठ योग होता ह

उदाहरण - मष लन क कampडली म सय) व मगल दोन अपनी उkच रािश म ि-थत ह मगल लनश भी ह तथा चमा -वरािश कक) म ि-थत होकर Bीकठ योग बना रह ह

235

Bीनाथ योग - िकसी जम-पिका म भायश बध व शT िम क रािश -वरािश या उkच रािश म होकर क या िकोण म ि-थत ह तो Bीनाथ योग बनता ह

गजकशरी योग - िकसी जम-पिका म बह-पित यिद चमा स क म ि-थत ह तथा शभ 5ह स w( या यत ह अथा)त कोई पाप या अशभ wि( बह-पित व चमा पर न हो तो गजकसरी योग होता ह इस योग म बह-पित यिद अपनी श या नीच रािश म नहS होन चािहए

गजकशरी योग होन पर tयिJ अkछा पद ा करता ह अनभव क आधार पर यिद दख तो यह धनदायी भी होता ह

राजयोग - राजयोग का शािKदक अथ) ह राजा स योग वत)मान प]र C य म राजा स ता2पय) सरकार तथा सरकार स जड़ उkचािधकारी जो -वत fप स िनण)य लन म सltम होत ह जस िक िकसी िजल का कलPटर या समकlt अय अिधकारी

राजयोग को म यत दो कार स दखा जाता ह

थम - िजनम राजा क शिJ का योग िकया जाए

ितीय - वह िजनम दampड का अिधकार शािमल हो

थम Bणी क राजयोग म इनकम टPस व सAस टPस अिधका]रय क गणना क जा सकती ह

तथा ितीय Bणी क राजयोग म यायाधीश आिद क गणना क जाती ह

वा-तव म राजयोग वही BD ह िजसम tयिJ को ltािधकार व दampडािधकार दोन ही िमल तथा वह िनबा)ध तथा -वत fप स अिधकार क िTयावयन कर सक

िवशष - िजस tयिJ क जम-पिका म राजयोग होता ह वह -वय पद का उपभोग करता ह तथा िजसक जम-पिका म राजयोग बािधत होता ह वह दसर क माVयम स शासन करता ह तथा स9ा का अिधकार नहS भोग पाता

इस Bणी म िनन tयिJय को रखा जा सकता ह

1 म यमी धानमी तथा बलाबल क आधार पर एसपीआिद

2 अमा2य महामा2य - डीसीपी एसडीएम आिद

3 राज भवनगामी - धानमी म यमी राaयपाल आिद क प]रवार क सद-य जो उन पर आिBत ह

236

4 राजा क अिधकारी - अथा)त सरकारी िवभाग स जड़ tयिJ- कलPटर स लकर चपरासी तक इस Bणी म आत ह जो राजकोष स वतन पात ह

5 राजकपा पान वाल tयिJ - अपन उFोग क िलए ऋण ा करन वाल tयिJ या बक तथा सरकारी िव9ीय स-थाओ स िव9ीय सहायता ा करन वाल tयिJ

राजयोग को हम िभन-िभन -तर पर समझन का यास करग

1 सव) थम क तथा िकोण का सबध होन पर राजयोग बनता ह यह सबध चतिव)ध सबध म स िकसी भी कार स बन सकता ह

2 -वरािश म ि-थत 5ह बलवान हो जात ह

3 यिद जम-पिका म तीन या अिधक 5ह अपनी उkच रािश म ि-थत ह तो राजयोग क ि-थित बनती ह

4 जम-पिका क योगकारक 5ह यिद नवाश म भी अkछी ि-थित म ह तो फल म बढ़ो9री करत ह

5 वग[9म लन - िजस जम-पिका म जम लन व नवाश लन एक ही हो तो वह वग[9म लन कहS जाती ह

6 वग[9म 5ह - कोई भी 5ह जम-पिका म िजस रािश म ह यिद नवाश म भी उसी रािश म ि-थत हो तो वह 5ह वग[9म कहलाता ह

वग[9म लन तथा वग[9म 5ह को अ2यिधक बली माना गया ह राजयोग क सदभ) म एक मह2 2 वपण) भिमका इन दोन क भी होती ह

अय राजयोग - राजयोग म0 च मा क मह वपण भिमका होती ह

1 जम-पिका म यिद पltबली चमा ह तथा -वरािश या उkचरािश म ि-थत कोई अय 5ह उह पण) wि( स दख तो tयिJ िनन प]रवार म जम लन क बाद भी राजा क समान सख भोगता ह

2 जम-पिका म पिण)मा क चमा लन क अित]रJ िकसी क म ह तो उkच कोिट का राजयोग बनता ह

3 यिद क म शभ 5ह ह अथा)त पाप5ह न ह तथा पण) चमा िसह नवाश म ह तो राजयोग बनता ह

िवशष - राजयोगकारी 5ह यिद अ-त ह तो प]रणाम म कमी आ जाती ह अथा)त योग पण)त फिलत नहS होता 2यक लन क िलए क व िकोण क -वामी होन क कारण अलग-अलग 5ह राजयोगकारी होत ह

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1 मष लन - मष लन क कampडली म चमा व सय) चतथ) व पचम भाव क -वामी होन क कारण योगकारक होत ह

2 वषभ लन - सय) व शिन योगकारक ह सय) चतथyश ह तथा शिन नवमश-दशमश जम-पिका म इनक क -िकोण म ि-थित तथा शभ 5ह स स ब ध होन पर राजयोग क पि( करता ह

3 िमथन लन - िमथन लन क जम-पिका म बध लन व चतथ) भाव क -वामी होन क कारण योगकारक ह

4 कक) लन - कक) लन क िलए चमा व मगल िवशष योगकारक होत ह चमा लनश ह तथा मगल पचमश व दशमश ह

5 िसह लन - िसह लन क िलए सय) व मगल योगकारक 5ह ह सय) लनश ह तथा मगल चतथyश व नवमश ह

6 कया लन - कया लन म बध लनश व दशमश ह अत योगकारी ह

7 तला लन - तला लन म शिन व चमा योगकारक ह शिन चतथyश व पचमश ह तथा चमा दशमश ह

8 विhक लन - विhक लन क िलए चमा व सय) योगकारक होत ह चमा नवमश ह तथा सय) दशमश होन क कारण योगकारक होत ह

9 धन लन - धन लन म बह-पित लनश तथा चतथyश होन क कारण योगकारक ह

10 मकर लन - मकर लन म शT योगकारक होत ह शT पचमश व दशमश ह

11 मीन लन - मीन लन क िलए बह-पित लनश व दशमश ह अत योगकारक ह

नोट ndash

1 योगकारक 5ह जब जम-पिका म बली ह शभ यत व w( ह शभ भाव म ह तभी फल दत ह

2 योगकारक 5ह उनक दशा अतद)शा आन पर ही फल दत ह

5ह क उkच या -वरािश म ि-थित क आधार पर बनन वाल राजयोग का वण)न िनन ह

1 चार 5ह उkच और उनम स एक 5ह ल5 म हो तो

िन राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म शिन तला म और मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म मगल मकर म और सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर म सय) मष म और गl कक) रािश म ह

238

times मगल मकर क ल5 म सय) मष म गl कक) म और शिन तला रािश म ह

2 तीन 5ह उkच म और उनम स एक ल5 म हो तो िनिलिखत राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म शिन तला म ह

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म मगल मकर म ह

times सय) मष रािश क ल5 म शिन तला म मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म और मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म सय) मष रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म मगल मकर रािश क सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर रािश म सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर रािश म गl कक) म ह

times शिन तला रािश क ल5 म गl कक) म सय) मष म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म सय) मष म गl कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म सय) मष रािश म शिन तला म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म शिन तला म गl कक) म ह

3 च कक) म दो 5ह उkच क और 5ह ल5 म हो तो िन राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म च कक) रािश म ह

times गl व च कक) रािश म ल5 म और सय) मष म ह

times सय) मष रािश क ल5 म च कक) म शिन तला रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म च कक) म सय) मष म ह

times सय) मष रािश क ल5 म च कक) म मगल मकर रािश म ह

1मगल मकर रािश क ल5 म च कक) म सय) म रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म च कक) रािश म शिन तला रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म च कक) म गl कक) रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म च कक) म मगल मकर रािश म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म च कक) म गl कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 मच कक) म शिन तला रािश म ह

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times शिन तला रािश क ल5 मच कक) म मगल मकर रािश म ह

4 च कक) म एक 5ह उkच क ल5 म हो तो िन

राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म और च कक) रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म और च कक) म ह

times शिन तला रािश क ल5 म और च कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म और चमा कक) रािश म ह

सरवती योग

यिद बध बह-पित एव शT लन स क-िकोण या ितीय -थान म ह और बह-पित -वरािश िम रािश या उkच रािश म बलवान ह तो सर-वती योग होता ह

इस योग म जम tयिJ िवान नाटककार अkछ सािह2यकार एव कला म वीणहोत ह

लwमी योग

यिद भायश अपनी मल िकोण या उkच रािश म परमोkच होकर क म हो और लनश बली हो तो लCमी योग होता ह ऐसा tयिJ िवान यश-वी राजा स समािनत अनक कार क सख को भोगन वाला तथा सतान सख को ा करन वाला होता ह

भायश और लनश क महादशा िवशष फलदायक होती ह

कलािनिध योग

लन स ितीय म बध तथा शT स यJ या w( बह-पित ह या बह-पित बध या शT क रािश म ह तो कलािनिध योग होता ह इस योग म जमा tयिJ सदगण सपन राजाओ स समािनत एव अनक सख को ा करन वाला होता ह तथा वह ाय िनरोग व िनभ)य रहता ह

धन योग

1 लन का ितीय एव एकादश स सबध धन योग कारक माना जाता ह

2 यिद धनश-धन भाव म लाभश लाभ भाव म एव लनश-लन म ि-थत ह

3 धनश और लाभश -वरािश उkचरािश या िमरािश या लाभ म ि-थत ह

4 लाभश और धनश िम ह और लन म एक साथ ि-थत ह

5 लाभश धनश और लनश लन म ि-थत ह

6 चमा ितीय भाव म शT स w( ह तो tयिJ धनाढय होता ह

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7 बध ितीय भाव म शभ 5ह स w(iuml ह तो tयिJ सदा धनवान रहता ह यिद धनश वT हो तो सब िदशाओ स लाभ करात ह

8 बध पचम भाव म -वरािश क ह च-मगल एकादश म ह तो धन योग होता ह

9 सय) लन म -वरािश क मगल और बह-पित स यत या w( ह तो धन योग होता ह

10 च -वरािश क लन म बह-पित-मगल स यत या w( ह तो धन योग होता ह

महाभाय योग

पlष क कampडली म िदन का जम हो सय) च एव लन िवषम रािश क ह ी क कampडली म राि का जम हो और सय) च एव लन सम रािशय म ह तो महाभाय योग होता ह इस योग म जम tयिJ सव) सख सपन एव महा भायशाली होत ह नीच भग राजयोग - िपछल अVयाय म हमन पढ़ा था िक नीच 5ह शभफल नहS दत परत यिद नीच

5ह का नीच भग हो जाता ह तो वही 5ह राजयोग कारक हो जाता ह

वही नीच5ह शभफल दाता हो जाता ह 5ह का नीचभग होन क ि-थि9या िनन ह -

1 नीच रािश का -वामी चमा स क म हो

2 नीच 5ह का उkचनाथ चमा स क म हो

यिद जम-पिका म उपरोJ दोन ही ि-थितया हो तभी 5ह का नीच भग होता ह इसको एक उदाहरण स समझत ह-

इस उदाहरण म सय) अपनी नीच रािश तला म ि-थत ह तला क -वामी शT चमा स दशम अथा)त क म ह अत शत) क पित) हbई नीच भग क िलए दसरी शत) यह ह िक नीच 5ह का उkच नाथ भी चमा स क म होना चािहए उkचनाथ का ता2पय) ह िक वह 5ह िजस रािश म उkच का होता ह उस रािश का -वामी हमार उदाहरण म नीच 5ह सय) ह तथा सय) मष रािश म उkच क होत ह िजसक -वामी मगल ह अत सय) क उkचनाथ मगल हग यहा मगल चमा स सम म अथा)तiuml क म ि-थत ह अत दोन शतv क पित) क कारण नीच भग राजयोग क ि-थित बनती ह उkचनाथ को समझन क

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िलए हम एक और 5ह का उदाहरण लत ह मगल मकर रािश म उkच क होत ह अत मकर क -वामी शिन मगल क उkचनाथ हग

नीच भग क दसरी - थान थम ि-थित स िमलती जलती ह इस क अनसार नीच 5ह का -वामी एव नीच 5ह का उkचनाथ एक दसर स पर-पर क म ह

इस उदाहरण म सय) अपनी नीच रािश तला म ि-थत ह नीच रािश क -वामी ह शT तथा नीच 5ह सय) क उkचनाथ ह मगल अत शT एव मगल क एक दसर स क म ि-थत होन स नीच भग राजयोग बनगा यहा मगल एव शT पर-पर सम ह अत दोन क पर-पर क म होन क कारण नीच भग राजयोग बन रहा ह

नीच भग क तीसरी ि-थित यह ह िक िजस रािश म नीच 5ह ि-थत ह उस रािश का -वामी पण) wि( स नीच 5ह को दखता हो तो नीच भग राजयोग बनता ह यिद नीच 5ह 6812 म ि-थत ह तो नीच भग राजयोग कम बली होगा परत यिद इन द-थान क अित]रJ -थान पर होगा तो BD नीच भग राजयोग बनगा

उदाहरण क म नीच रािश तला क -वामी शT सय) स 480 ही दर रह सकत ह अतसय) का नीच भग

इस कार सभव नहS ह उदाहरण ख म मगल नीच रािश कक) म ि-थत ह कक) क -वामी चमा पण) wि( स नीच 5ह मगल पर wि(iumlपात कर रह ह अत मगल का नीच भग हो रहा ह

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चतथ) िनयम यह ह िक नीच रािश का -वामी अथवा नीच 5ह का उkचनाथ जम लन या च लन स क म हो तो नीच भग राजयोग बनता ह थम ि-थित म हमन पढ़ा था िक यिद दोन चमा स क म हग तभी नीच भग राजयोग बनगा जबिक इस ि-थित म दोन म स एक क भी जम लन या च लन स क म होन पर नीच भग बताया गया ह िविभन जमपिकाओ क अVययन स यह gtात होता ह िक इसस राजयोग क BDता का िनधा)रण होता ह

इस उदाहरण म सय) क उkचनाथ मगल न तो लन न ही च लन स क म ह परत रािशनाथ शT जम लन स क म ि-थत ह अत िनयमानसार 5ह का नीच भग हो रहा ह

ऐसा माना जाता ह िक नीचभग राजयोग साधारण Bणी क नहS होत इस राजयोग वाल tयिJ िवशष पराTम स अपना -थान बना पात ह यह योग -थायी कित क नहS होत तथा योग ा होन क बाद कछ वषv म उनका म भी हो सकता ह परत एक कampडली म कई तरह क राजयोग ह तो राजयोग क काल क विX हो सकती ह

ाय करक जो 5ह नीच रािश म ि-थत ह नीचभग राजयोग होन पर उस 5ह क महादशाकाल म िवशष फल क ाि होती ह यिद नीच का 5ह अ-त भी हो तब फल क ाि म अवHय किठनाई आती ह परत नीच क 5ह को यिद अय 5ह दख तो उसक फल म विX हो जाती ह

िवपरीत राजयोग -

िवपरीत राजयोग क सबध म उ9र कालामत एव फलदीिपका म कछ िभनता ह हम यहा दोन 5थ म विण)त िवपरीत राजयोग क चचा) करग

उ9र कालामत क रचनाकार क अनसार जमपिका क अ(iumlम भाव का -वामी यिद छठ या बारहव भाव म ह छठ भाव का -वामी यिद आठव या बारहव म हो बारहव भाव का -वामी यिद छठ या आठव भाव म हो और इन अ]र(iuml भाव क -वािमय का आपस म यित या wि(iuml सबध हो तथा अय भाव क -वािमय स यित या wि(iuml सबध नहS हो तो यश ितDा धन एव राजसख क ाि होती ह फलदीिपका म इस िवषय म कछ िभनता ह फलदीिपका क अनसार षDiuml अ(म व ादश भाव क

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-वामी आपस म -थान प]रवत)न कर तो यह योग बनता ह जस षDश अ(म भाव म तथा अ(मश षD भाव म हो इसी बात को मEर महाराज न फलदीिपका म योग क माVयम स tयJ िकया ह-

1 जमपिका का छठा भाव अशभ 5ह स यत या w(iuml हो तथा छठ भाव का -वामी द -थान (6 8 12) म ि-थत हो तो हष) योग होता ह िजसस जातक शजयी यश-वी सखी व सपन होता ह

2 अ(म भाव का -वामी 6 8 या 12व भाव म ि-थत हो तो सरल योग बनाता ह जो जातक को िव^यात धनवान आयवान िनभ)य िवFा एव अय सख सपदा स यJ बनाता ह

3 जमपिका म ादश भाव का -वामी 6 8 या 12व भाव म ि-थत होकर िवमल योग का िनमा)ण करता ह जो िक जातक को उ9म काय) करन वाला यश-वी लCमीवान लोकि य एव -वत िवचारधारा वाला बनाता ह उपरोJ रचनाकार क मतानसार यह -प( ह िक-

aयोितष म 6 8 व 12व को द-थान माना गया ह तथा aयोितष क िसXात क अनसार इन भाव क -वामी िजस भाव म बठ उन भाव क फल म कमी करत ह अथा)तiuml अशभ भाव क -वामी 5ह अशभ भाव म बठग तो उस भाव क अशभ फल क कमी करत ह अत िवपरीत राजयोग क पीछ यह तय ह िक एक अ]र( भाव का -वामी यिद दसर अ]र(iuml भाव म जाएगा या उसक भावश स सबध -थािपत करगा तो उस भाव क फल क हािन करगा और िजसक कारण भाव क अ]र(ता म कमी आ जाएगी जब कampडली म अशभ भाव एव भावश क अशभ फल म कमी आती ह तो कampडली क योग का -तर बढ़ जाता ह िजसक फल-वfप जातक जीवन म यश ^याित राaयपद एव सख धन इ2यािद ा करता ह

उदाहरण - िवपरीत राजयोग कampडली aयोितष क िनयमानसार अ]र( भाव क -वामी क अ]र( भाव म ि-थित तथा भावश स सबध हो तो अशभ फल म कमी आ जाती ह िजसक फल-वfप जमपिका क सामाय शभ योग भी अkछ फल दान करत ह

िवपरीत राजयोग क अय उदाहरण

इस कampडली म बारहव भाव क -वामी आठव भाव म बठ ह

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इस कampडली म आठव भाव क -वामी छठ भाव म बठ ह

इस कampडली म छठ भाव क -वामी बारहव भाव म बठ ह तथा आठव भाव क -वामी छठ भाव म बठ ह

इस कampडली म बारहव भाव क -वामी आठव म आठव क -वामी छठ म एव छठ क -वामी बारहव म बठकर तीन कार क िवपरीत राजयोग बना रह ह

राजभग -

5ह क कपा स एक ओर जहा tयिJ राजसख भोगता ह वहS दसरी ओर दसरा tयिJ महान क( म जीवन tयतीत करता ह

कई बार जमपिका म थम w(या 5ह ि-थित ऐसी िदखाई दती ह िक tयिJ राजा सखी एव सपन होगा परत होता इसक िवपरीत ह ऐसी कौन सी 5ह ि-थितया या योग ह जो दसरी ि-थित को जम दत ह उनका िव`षण करत ह

स-कत क आिदकिव कािलदास जी न उ9र कालामत म राजयोग भग होन क कछ योग का वण)न िकया ह

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नीचथा6 परािजतव+रगता पापिampता2ातयङ

मKयथानगता6 व2िवकलवभानससगगा

भाकतिथतखचरा6 िवबला ष ठा ट+र फािधपा

क ा धीuरकोणपuरयतातद योग भगदा

अथा)त नीच 5ह 5ह यX म परा-त श रािश म पाप5ह स यत w( पाप5ह मVय ि-थत वT 5ह स यत अ-त हbआ 5ह राहb स यJ भाव सिध म ि-थत सभी 5ह िनब)ल होत ह छठ आठव एव बारहव भाव क -वामी 5ह क तथा िकोण क -वािमय क यित स उ2पन शभता को उनक साथ ि-थत होकर भग करन वाल होत ह यिद 5ह षडiumlबल म कमजोर ह तो वह राजयोग क पण) प]रणाम दन म असltम ह

जातक पा]रजात क जातक भगाVयाय म भी ऐस कछ योग कह गए ह जो राजयोग का भग करत ह

मष जकनवाशक िदनकर पापिampत िनधन

कयारािशगत यदा भगसत कयाशक िभampक

नीचeष वितनीच भाग सिहत जातो िदवानायक

राजm8 कला जो िप िवगतmीप)दाराशन

अथा)त यिद सय) मष रािश म ह िकत तला नवाश म हो और पाप5ह स w(iuml ह तो जातक िनध)न होता ह

शT यिद कया रािश एव कया नवाश म ही ह तो जातक क धन क िनरतर हािन होती ह यFिप शT वग[9म हग परत अपनी नीच रािश म होन स ऐसा फल दन वाल होत ह

यिद तला रािश म सय) अपन परम नीच भाग म तला म 10 अश पर ह तो जातक राजकल म सबस बड़ा होन पर भी राaय या शासन ा नहS कर पाता

राजयोग क सदभ) म लगभग सभी aयोितष गरथ म नवमश-दशमश क सबध को िवशष राजयोगकारी माना ह परत उ9र कालाम9 म इस योग पर एक मह2 2 वपण) िटपणी दी ह िक नवमश व दशमश क दसरी रािश यिद आठव अथवा यारहव भाव म पड़ जाए तो राजयोग का भग होता ह

यहा सबध को प+रभािषत करना भी आवRयक ह

लघ पाराशरी म0 चार कार क सबध विणत हy

amp) सबध hि$ सबध राशीश hि$ सबध यित सबध

यह सबध 2मानसार कमजोर फलदायी होत हy

धमकमािधनतारौ रzलाभािधपौ यिद तयो सबध मा)ण न योग लभत नर

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इनम सव[9म सबध lt सबध ह अथा)तiuml नवमश एव दशमश का आपसी प]रवत)न उसस कम फलदायी wि(iuml सबध माना ह अथा)तiuml नवमश-दशमश को पर-पर पण) wि(iuml स दख ततीय कार क सबध म नवमश व दशमश 5ह िजस रािश म ि-थत ह उनका -वामी उनको पण) wि(iuml स दख व चतथ) सबध यित अथा)तiuml नवमश-दशमश जमपिका म एक साथ िकसी भाव म ि-थत ह तो सबस कम फलदायी होता ह

aयोितष 5थ म ल5 क ही सबस शिJशाली होन क पि(iuml होती ह ल5 क पhात चमा को माना गया ह यिद िकसी जमपिका म ल5 एव चमा दोन खराब ि-थित म ह तो राजयोग न(iuml हो जाता ह अथा)तiuml ल5 व ल5श तथा चमा यिद अkछी ि-थित म ना ह तो राजयोग भग हो जाता ह

जमपिका म मगल बध गl शT एव शिन क काधीिDत -वरािश अथवा उkच रािश म होकर बनन वाल योग राजयोगकारी मान गए ह परत मानसागरीrsquo क लखकानसार-

क ोdचगा यWिप भसताWा मातBडशीताशयता भवित

शावcितनोवVपिGमामपाक यdछित त कवलसफलािन

अथा)तiuml जो 5ह पच महापlष योग बना रहा ह वह यिद सय) या चमा क साथ हो तो यह योग भग हो जाता ह उस 5ह क महादशा अथवा अतद)शा म कवल स2फल ा होता ह राजयोग नहS

सारावली म भी राजयोग क भग होन म चमा क ि-थित पर ही सवा)िधक जोर िदया गया ह

(क) यिद जमकampडली म सय) मगल गl व शिन यिद एक साथ ल5 म ह व चमा नीच क ह या उJ चार 5ह म स एक 5ह भी नीच का होकर ल5 म हो व चमा नीच रािश म ह तो राजयोग भग हो जाता ह

(ख) ltीण चमा यिद चर रािश क अितम नवाश म ह ि-थर रािश क अ(म नवाश म ह तथा ि-वभाव रािश क थम नवाश म ह और िकसी भी 5ह स w(iuml न ह तो राजयोग भग हो जाता ह

(ग) घटोदय नीचगतििभ5रहबह-पतौ सय)यत च नीचग एकोऽिप नोkच 2वशभ च सङगत शि-त नाश शतशो नपोवा

अथा)त यिद जम क समय म कभ ल5 हो व तीन 5ह नीच रािश म और नीच-थ गl सय) क साथ ह एव एक भी 5ह उkच-थ न हो तथा पाप5ह स यJ ल5 हो तो सकड़ राजयोग भी न( हो जात ह

(घ) यिद जम क समय अपन नवाश म सय) ह व चमा अ-त ह तथा पाप5ह स w(ी व शभ5ह स अw( ह तो जातक कछ समय तक राaय सख ा करक भी आशाओ का 2याग करक पीछ वन म जाकर दख ा करता ह

(ङ) परनीच गत च ltीणो योगो महीपत

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नाशमायाित राजव दवgt ितलोमग

अथा)त यिद जम क समय म ltीण चमा अपन परम नीचाश म ह तो राजयोग न(iuml हो जाता ह जस aयोितषी क िवlX राजा न(iuml हो जाता ह

(च) यिद जम क समय म शT नीच नवाश म ह तो जातक को असीिमत राaय सख ा होन पर भी राजयोग न(iuml हो जाता ह

िवपरीत राजयोग भी BDiuml राजयोगदायी ह परत फलदीिपकाकार मEर क अनसार वह भग भी होता ह उनक अनसार षD अ(iumlम व ादश भाव क -वामी यिद पर-पर -थान प]रवत)न कर lt सबधी ह तो राजयोग न होकर दय योगrsquo बनगा जस-

(क) षDश-ादश म व ादशश षD म हो

(ख) अ(मश षD म व षDश अ(म म हो

(ग) ादशश अ(म म व अ(मश ादश म हो

अत जमपिका का िव`षण करत समय कवल राजयोग को दखकर भिव_य कथन उिचत नहS ह अिपत राजभग क पि( भी अिनवाय) fप स कर लनी चािहए िजस कार बादल का एक टकड़ा सय) क तज को ढककर अधकार कर दता ह उसी कार जमपिका म उपि-थत राजभग योग सम-त ऐEयv को पान क बाद भी उनक भोग स विचत कर दता ह

103 साराश

अब तो आप लोग - प_ टतया जान गय हग िक राजयोग म ज म लन वाल अ2 यिधक सख पातह साथ ही उसी कार या त2 समान क_ ट क आ जाता ह लिकन िफर भी योग क भाव स उसको बहbत ही आसानी पव)क सामना करत हbए पन सफलता को ा त कर लत ह इस कार िववचना क आधार पर हम यह कह सकत ह िक िवपरीत राजयोग भी B_ ठ राजयोदायी ह पर त फलदीकाकार म H वर क अनसार वह भग भी होता ह उनक अनसार प_ ठ अ_ टम व ादश भाव क - वामी यिद पर- पर - थान प]रवतnन करक lt सबधी हो तो राजयोग न बनकर िनध)न योग ा त होगा जस -

क प_ ठश ndash ादश म ादशश प_ ठ म हो ख अ_ टमश _ _ ठ म व _ _ ठश अ_ टम म हो ग ादशश अ_ टम म च अ_ टमश ादश म हो अत ज मपिका दखत समय कवल राजयोग को दखकर भिव_ य कथन नहS कना चािहए राजभग योग का भी िवचार कर लना चािहए नहS तो समिचत फल को ा त नहS कर पायग

248

105 श दावली

bull क दािधपित - 1 4 7 10 भाव क - वामी

bull िकोणािधपित ndash 1 9 5 - थान क - वामी

bull 5हयX ndash जब दो 5ह क यित स योग तो बन पर त दोन ही 5ह

समान अश पर ि-थत हो तो 5ह क ऐसी अव- था उनक पर- पर यX क अव- था होती ह और उस यX म िकसी 5ह म िकसी एक 5ह को परािजत होना पड़ता ह

bull अ- तगत 5ह ndash सय) क अश स च 20 मगल 17 0 बX 130 गf 110 शT 90 शिन 150 अशान तर कालाश स अ- तगत

समझना चािहए

bull िवफल2 व ndash सय) क साथ च ल न स चतथ) बध पk जम भाव म गf

दसर म मगल छठ म शT सातव म शिन हो तो िवफल अथा)त मौिलक फल क नाशक होत ह

106 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष लखक नमीच शा- ी पतीसवा स- करण 2002 काशन ndash भारतीय gtानपीठ 18 इ - टीटयशनल ए]रया

लोदी रोड नई िदA ली 2 लघपाराशरी

टीकाकार ndash सपादक ndash रामय2 न ओझा स- करण 2007 3 वहa जातकम 4 फलदीिपका

लखक म H वर

249

इकाई - 11

योितष शा0 और जिटल रोग3 का स4बध इकाई सरचना

111 -तावना 112 उGHय 113 िवषय वश 114 रोग का वगYकरण 115 रोग िनण)य क आवHयक तय 116 रोग िवचार क पDभिम 1161 भाव ारा रोग िवचार 1162 रािश ारा अग का िवचार 1163 5ह ारा रोग-िवचार 117 रोग-प]रgtान क िसXात 118 असाVय रोग क योग 1181 अप-मार (िमगY) रोग 1182 दोषपण) वाणी 1183 कण)रोग 1184 मानिसक रोग 1185 zदयरोग 1186 मधमह रोग 119 रोग-िनवित क उपाय 1110 साराश 1111 शK दावली 1112 Mाविल 1113 बोध M 1114 सदभ) 5थ सची

250

111 तावना

a योितष शा- स सबिधत 11वS इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक a योितष शा- और जिटल रोग का सबध P या ह इसक िवषय म स यग fप स वण)न िकया गया ह

aयोितष क wि( स हम कवल नौ 5ह का भाव मानत ह हमार सौरमamp डल क य नौ 5ह िविभन जातक क जम-पिकाओ म िविभन कार क भाव दिश)त करत ह इस इकाई म हम इन 5ह स उ2पन होन वाल रोग क बार म जानकारी ा करग एव जान पायग कई रोग तो ऐस ह जो सय) और चमा क िवशष भाव क कारण ही होत ह इसक अित]रJ हम इसक ारा यह gtान भी ा कर पायग िक इन रोग का उपचार aयोितष िवFा स कस िकया जाए

112 उय

इस ईकाई का अVययन करत हbए हम aयोितष शा और रोग क सबध क बार म जान पायग तथा यह बतान म सltम हग िक-

1 aयोितष और िचिक2सा का Pया सबध ह

2 रोग िनण)य क तय एव उनका वगYकरण

3 रोग िवचार क प_ ठभिम कस बनी

4 भाव क रोगो क अनसार कारक त2 2 व एव 5ह क कारक त2 2 व Pया हग

5 5ह ारा उ2पन रोग का उपचार कस िकया जाए

113 िवषय वश

aयोितष जस िविश_ ट िवषय क ित tयापक जनसमदाय क जागfकता िपछल कई दशक स लगातार बढ़ती जा रही ह अनक लोग अVययन व ारिभक -तर स काफ आग बढ़कर इस tयवसाय क तौर पर भी अगीकार कर रह ह इसका lt मन_य क जीवन म होन वाली हर गितिविधय म अ5सर हो रहा ह इहS म स एक िवषय मन_य क होन वाल रोग स सबिधत ह अय िवषय क भॉित रोग क सबध म भी जम कamp डली क आधार पर पव) जानकारी ा क जा सकती ह िचिक2सा aयोितष सव) ही aयोितष पाठयTम का अिभन अग ह

रोग क सबध म कछ लोग क धारणा ह िक व आहार-िवहार क अिनयिमतता क कारण उ2पन होत ह मन_य यिद इस पर समिचत िनयण रख तो वह -व-थ एव दीघ)जीवी बना रहता ह िकत aयोितष शा क मायता इसस िभन ह वह रोगो2पित का कारण कवल आहार िवहार म अिनयिमतता को नहS मानता Pयिक यह बात अनक बार 2यlt fप स सामन आई ह िक िनयिमत जीवन जीन वाला tयिJ भी रोग का िषकार बन जाता ह अय तय यह भी ह िक अिनयिमतता का रोग को कारण मान

251

िलया जाए तो आनवािशक रोग महामारीजय रोग एव दघ)टनाजय रोग क tया^या भली भॉित नही क जा सकती यही कारण ह िक आयवyद शा न भी रोग उ2पि9 क कारण का िवचार करत हbए हम gtात कराया ह िक कभी पवा)िजत कमv क भाव स दोष क कोप स मानिसक एव शारी]रक (वात िप9 एव कफ) रोग होत ह

आयवyद और aयोितष का तो वस भी बड़ा गहरा सबध ह कई औषिधया ऐसी ह िजनको एक िविश_ ट समय म ही तयार िकया जाता ह सौरमampड़ल क सभी 5ह क िवशषताए ह वसा ही लाभ करान वाली औषिध तयार क जानी ह तो उस 5ह िवशष क अनकल ि-थित म तयार करना उस और भावो2पादक बना दता ह

aयोितष शा क अनसार जमकाल H नकाल एव गोचर म ितकल 5ह ारा रोग क जानकारी क जा सकती ह इसी मायता क अनसार aयोितष जमकamp डली क आधार पर यह घोिषत करन म सltम ह िक जातक को अमक समय म अमक रोग होगा और उसका प]रणाम Pया िनकलगा

114 रोगA का वगBकरण

aयोितष शा- क 5थ म रोग िवचार करन स पहल उनक भद का िवचार िकया गया ह इस शा क अनसार रोग क दो कार मान गय ह - सहज एव आगतक

1 सहज रोग

मन_य क जो रोग जम स ही होत ह उह सहज रोग कहा गया ह aयोितष क अनसार सहज रोग का कारण जातक क पव)जम क कम) एव माता-िपता ारा कम) को माना गया ह जम स हbए रोग का िवचार गभा)धान कamp डली एव जमकamp डली स िकया जाता ह उJ कampड़िलय म अ(म को दखन वाल 5ह एव अय रोग क ारा िवचार िकया जाता ह सहज रोग को दो भद म िकया गया ह -

अ शारी]रक रोग उदाहरण - ललापन लगडापन नपसक बिधर मक आिद

ब मानिसक रोगः उदाहरण - जडता उमाद पागलपन आिद

2 आगतक

जम क बाद होन वाल रोग को आगतक रोग कहा गया ह इन रोग का िवचार कamp डली म षD शवषष Dश भाव म ि-थत 5ह तथा षD को दखन वाल 5ह ारा िकया जाना चािहए आगतक रोग भी दो कार क होत ह

1 wि(िनिम9जय पाप अिभचार घात ससग) महामारी आिद 2यlt घटनाओ ारा उ2पन रोग क wि(िनिम9जय रोग कहा जाता ह

2 अwि(िनिम9जय बाधक5ह योग क ारा उ2पन रोग पव) जम म िकए क2य क कारण उ2पन हbए ह उह अwि(िनिम9जय रोग कहत ह aवर अितसार आिद रोग इसी कार क ह

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115 रोग िनणय क आवयक तCय

कamp डली का अVययन करत समय िचिक2सा aयोितष को िननिलिखत तय म िवचार कर लना चािहए

1 रोग उ2पि9 का समय

2 िनदान

3 तीता

4 उपचार

उपय)J तय का वण)न तथा aयोितष एव िचिक2सक क भिमका िनन कार ह -

1 रोग उ2पि9 का समय एक िनपण aयोितष जमपी का परीltण कर िकसी tयिJ क रोग 5-त होन क समय को सिचत कर सकता ह िजसस उनक बचाव क उपाय कर होन वाली tयािध को टाला जा सक

2 रोग का िनदान यह lt िचिक2सक का ह इस lt म aयोितष सltम तीत नहS होत इस lt म दlt होन क िलए ऐस िचिक2स ारा शोध क आव_यकता ह जो aयोितष म वीण हो

3 रोग क तीता आधिनक काल म एक प]रपPव िचिक2सक िकसी रोगी क रोग क अविध को आसानी स बता सकत ह इसी कार एक दlt aयोितष भी सभवतः िचिक2सक स भी बहतर रोग क तीता तथा प]रणाम बता सकन म सltम ह

4 उपचार िनःसदह आज िचिक2सक उपचार िकसी भी aयोितषीय उपचार स अिधक BD एव िवH वसनीय ह परत ितकल 5ह-योग क अव-था म जब िचिक2सीय िवgtान माग)दश)न न कर पाए तब सहायता क िलए aयोितषीय उपचार क fप म शाित क जानी चािहए

116 रोग िवचार कD पEभिम

aयोितष शा म रोग का िवचार करन क िलए तीन त2 2 व धान ह - (1) भाव (2) रािशया एव (3) 5ह अतः aयोितष शा क अनसार रग का िव-तार स िववचन करन क पव) उJ 5ह रािश एव भाव का िवचार कर लना आव_यक ह

1161 भाव 9ारा रोग िवचार

कamp डली म लन आिद भाव क ारा मन_य क जीवन म घिटत होन वाली 2यक घटना का पवा)नमान िकया जाता ह यह Vयान दना चािहए िक शरीर का दाया भाग कamp डली क थम स सम भाव तक तथा बाया भाग सम स थम भाव तक क भाव स दिष)त होता ह िकस भाव स कौन स रोग का िवचार िकया जाए व िनन ह -

253

(1) थम इस भाव स िसर दद) मानिसक रोग नजला एव िदमागी कमजोरी शरीर बाल fप 2वचा िना रोग स छटकारा आय बढ़ापा तथा काय) करन क योयता का इस भाव स मAयाकन िकया जाता ह

(2) ितीय इस भाव स म2य का िवचार होता ह यह भाव न (दायS) िजा मखरोग नाक वाणी नाखन गल क खराबी का ितिनिध2व करता ह

(3) ततीय इस भाव स कampठ गद)न गला भजाए Eसन णाली भोजन निलका अगD स पथक अगली तक का भाग -वन मानिसक अि-थरता फफड क रोग आिद का िवचार िकया जाता ह

(4) चतथ) छाती (वlt-थल) zदय एव पसिलय म होन वाल रोग पागलपन एव अय मानिसक िवकार का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

(5) पचम इस भाव स मदािन अfिच िप9रोग िप9 क थली ितAली अयाशय मन िवचार गभा)व-था नािभ एव गदy क रोग का िवचार िकया जाता ह यह भाव पट क सभी रोग का ितिनिध2व करता ह

(6) षD इस भाव स छोटी आत अपिडPस गदा) घाव ltयरोग कफजिनत रोग छाल वाल रोग (छोटी माता) िवष हिन)या अमाशयी नासर (ण) का िवचार िकया जाता ह

(7) सम इस भाव स मह मधमह दर पथरी बडी आत गभा)षय अampडाषय वीय) थली मनली तथा वि-त म होन वाल रोग का िवचार िकया जाता ह

(8) अ(म भाव इस भाव स ग रोग वीय) िवकार भगदर बाहरी जननाग अग-हािन चहर क क( दीघ)कािलक या असाVय रोग ती मानिसक वदना का िवचार िकया जाता ह

(9) नवम इस भाव स िय क मािसक धम) सबधी रोग रJ िवकार वाय िवकार कAह का दद) जाघ क रJ वािहिनया एव मaजा रोगो का िवचार होता ह

(10) दशम इस भाव स गिठया चम)रोग घटन का दद) एव अय वाय रोग का िवचार िकया जाता ह

(11) एकादशइस भाव स पर म चोट पर क हडडी टटना िपडिलयो म दद) शीत िवकार एव रJ िवकार का िवचार िकया जाता ह

(12) ादश इस भाव स पर बायी आख िना म बाधा एलजY मानिसक असतलन अ-पताल म भतY होना दोषपण) पोिलय एव शरीर म रोग क ितरोध क ltमता क िवचार िकया जाता ह

काण क आधार पर अग क ितिनिध भाव

254

रोग क िवषय म _कारण क भिमका मह2 2 व मानी गई ह मन_य क शरीर क िकस अग म घाव चोट या गाठ होगी इसका िवचार करन क िलए ाचीन आचाय[ न _काण क आधार पर शरीर क तीन भाग क कAपना कर लन आिद भाव को शरीर क िविभन का ितिनिध माना ह तीन _कोण शरीर क तीन भाग का ितिनिध2व करत ह पहला भाग िसर स मह तक दसरा गद)न स नािभ तीसरा वि-त स पर तक वराहिमिहर तथा अय 5थकार क अनसार कamp डली म पहला दसरा व तीसरा _काण उिदत होन पर कamp डली क िविभन भाव ारा िनfिपत शरीर क अग -तत उदाहरण कडली म दषा)य गय ह -

255

1162 रािश 9ारा अग का िवचार

aयोितष शा- क 5थ म कालपfष शKद का योग िकया गया ह सम-त भचT को आव9 करत हbए एक अलौिकक मानव क कAपना क गई ह भचT क िविभन रािशया उस कालपfष क शरीर पर ि-थत ह िजसक आधार पर उसक अग रोग 5-त या -व-थ ह यह जाना जा सकता ह

इस अग िवभाजन का यिद िव-तारपव)क अवलोकन िकया जाए तो यह कहा जा सकता ह िक मष आिद 12 रािशया मन_य क शरीर क िननिलिखत अगो का ितिनध2व करती ह

कालपfष क शारी]रक अग

T स रािश शारी]रक अग

1 मष मि-त_क िसर क बाल िसर

2 वष चहरा (आख नाक कान दात)

3 िमथन कठ कोहनी भजा कधा वlt -थल

4 कक) zदय फफड एव Eासनली

5 िसह पट आत िजगर नािभ

6 कया कमर एव आत

7 तला बि-त माषय गभा)षय का ऊपरी भाग

8 विhक गाग गभा)षय गदा

9 धन ऊf

10 मकर जान एव घटना

11 कभ जघा िपडली

12 मीन टखना पर पादतल एव पर क अगिलया

256

रोग िवचार क सग म0 नamp) का प+रचय

िजस कार शरीर क िविभन अग भचT क 12 रािशय स दिष)त होत ह उसी कार व 27 नlt स भी दिश)त होत ह इस िवषय पर सव[9म वण)न पनः वामनपराण म सवाद क fप म भगवान िव_ण क शरीर को लकर ह शरीर क अग क ितिनिध2व करन वाल नlt उनस सबिधत रोग उ2पन करत ह भगवान िव_ण क नlt शरीर का वण)न उपर िदया गया ह

1163 हो 9ारा रोग िवचार

जस भचT क िभन-िभन रािशय तथा नlt का अिधकार lt शरीर क अग पर ह ठीक उसी कार 5ह भी शरीर क िविभन अग स सबिधत ह कौन सा 5ह िकस त2 2 व का ितिनिध2व करता ह शरीर

257

क िकन अग को भािवत कर कौनसा रोग उ2पन कर सकता ह इन बात का िवचार यहा पर सिlt fप स दन का यास िकया गया ह-

5ह त2 2 व स धात अग शरीर क उपkव शारी]रक शिJ

सय) अिन अि-थ zदय िसर ाणादार

चमा जल रJ मन मख पागलपन

मगल अिन मaजा wि( कान जलन सजन

बध पवी चम) नाम पट नस

गf आकाष चबY शरीर गदा) -थलता

शT जल शTाण िजा न अत)रस

शिन वाय -नाय कान पर जोड

5हो क कारक त2 2 व एव सबिधत रोग

सय

इसक िप9 कित ह इनका अिधकार lt zदय पट अि-थ तथा दािहनी आख ह सय) क अिधकार lt म िसरदद) गजापन अितिचड़िचड़ापन aवर दद) जलना िप9 क सजन स होन वाल रोग zदय रोग न रोग पट क बीमा]रया अि-थ रोग कछ 2वचा रोग िगरन स तथा श स चोट िवषपान रJ सचार म गड़बड़ी िमरगी कD रोग आिद ह

वात त2 2 व सिहत इसक कित कफ ह यह tयिJ क मनक ि-थरता तथा प(ता को ितिबिबत करता ह यह मानिसक रोग अशाित घबड़ाना अितिना तथा सामाय जड़ता का ितिनिध2व करता ह

कफ सबधी रोग ltय रोग जलोदर रोग अजीण) अितसार रJाAपता शारी]रक तरल बहाव रJ िवषाJता कप aवर aवर पव) कपकपी कछ 2वचा रोग कामला (पीिलया) जल तथा जलीय जतओ स भय पशओ क सSग स होन वाल घाव इ2यािद का ितिनिध2व च करत ह च तथा मगल िमलकर िय क जनन णाली क रोग च क कारण होत ह

मगलः

मगल क िप9 कित ह यह आTामक तथा ऊजा)वान ह कampडली म मगल क ि-थित जातक क -वा-य तज एव चतना क बलता को ितिबिबत रकती ह इनका अिधकार lt ह िसर अि-थ मaजा िप9 हीमोलोिबन कोिषकाए एampडोमीियम (जहा lsquolsquoबीजrsquorsquo 2यारोपण स िशश बनता ह) ह मगल दघ)टना चोट शAय िTयाए जल सबधी रJ िवकार उkच-नीच रJचाप िप9चाप िप9जय सजन तथा उसक कारण होन वाला aवरिप9ाशय क पथरी श स चोट िवषाJता अ2यिधक यास

258

फफोल सिहत बखार मानिसक िवचलन न 2वचा पर खजली अष) (बवासीर) गभा)षय क रोग सव तथा गभ)पात का कारण ह

बध

बध क -वभाव म तीन कार क वि9 ह जस वात िप9 कफ बध का सबध जातक क बिX स ह ितकल बध पापी च क साथ िमलकर मानिसक िवचलन का कारण भी बन सकता ह इसका अिधकार lt 2वचा गला नाक फफड़ा तथा अ5मि-त_क ह यह धय)हीनता अभ भाषा दोषपण) वाणी कट कित (-वाभाव) चPकर आना Eत कD नपसकता न रोग नाक-कान-गल का रोग बहरापन तथा दः-वन को इिगत करता ह

गf क कफ कित ह अ2यिधक शभ 5ह होन क कारण यह जातक को रोग स बचाता ह तथा कamp डली म अनक पाप को न( करता ह इसका अिधकार lt यकत िप9 क थली ितAली अनाशय का कछ भाग कान तथा शरीर म चबY पर ह गf मोटापा कण) रोग मधमह इ2यािद को इिगत करता ह मदगामी 5ह होन क कारण इसक ारा होन वाल रोग दीघ)कालीक होत ह गf आल-य का भी कारक ह

श2

शT म वात तथा कफ क अिधकता होती ह यह tयिJ क यौन िTयाओ का ितिनिध2व करता ह इसका अिधकार lt चहरा wि( वीय) जननाग इ2यािद पर ह यह आ आपkछ तथा अनाषय क कछ भाग का भी कारक ह

यह एक जलीय 5ह ह और इसका सबध शरीर क हारमोनल णाली स ह चहर क रोग न रोग मोितयािबद वतकD रोग मथनजिनत रोग मधमह गदy एव हाम[न सबधी िवकार को इिगत करता ह

शिन

शिन क म यतः वात तथा कफ कित ह यह मदचारी 5ह होन क कारण इसस होन वाल रोग असाVय या अितदीघ)कािलक होत ह शिन का अिधकार lt पर नाड़ी बड़ी आत का अितम भाग लिसकावािहनी तथा गदा ह यह दीघ)कािलकता असाVययता उमाद पltपात पागलपन उAटी सबधी रोग क सर आिद को इिगत करता ह

राह4

राहb काय) मदगित स करना फहड़ता िहचक उमाद अw_य भय कD शिJहीनता अश)रोग दीघ)कािलक ण तथा छाल असाVय रोग िवषाJा सप)दश तथा परो क रोग को राहb इिगत करता ह च क साथ िमलकर राहb िविभन कार क भय दता ह शिन क सwश होन क कारण यह रोग क दीघ)कािलकता तथा असाVयता को भी इिगत करता ह

259

कत

राहb क ारा इिगत सभी रोग कत भी पदा करता ह इसक अित]रJ इसस होन वाल रोग अिनिhत कारण वाल महामारी छाल यJ aवर जहरील सTमण स होन वाल सTामक रोग आकिम बहरापन दोषपण) वाणी रोग िनदान म िट ह मगल क सwष होन क कारण कत शAयिTया को इिगत करता ह

117 रोग-पampरान क िसFा0त

मन_य अपन -वाभावानसार कोई भी 5ह रोगकारक नहS हbआ करता िकत जब वह कछ िवशष प]रि-थितय म मन_य क शारी]रक या मानिसक -वा-य म िवकार उ2पन होन क सचना दता ह तब वह रोगकारक कहलाता ह फिलत aयोितष म षDभाव रोगभाव कहलाया गया ह अतः षDभाव म ि-थत 5ह या षDभाव स सबिधत 5ह रोगो2व का कारण बनता ह परत इसक अित]रJ भी िननिलिखत हत aयोितष शा म मह2 2 वपण) मान गय ह -

1 रोग (षD) भाव का ितिनिध2व

2 अ(म या tयय भाव का ितिनिध2व

3 रोग भाव म ि-थित

4 लन म ि-थित या लन का ितिनिध2व

5 नीचरािश श रािश म ि-थित या िनब)लता

6 अवरोहीपन (उkच रािश स आग बढ़कर नीचिभमख होना)

7 Tर षDयष म ि-थित

8 पाप 5ह का भाव

9 कारक त2 2 व या मारकत2 2 व

118 असाGय रोगA क योग

1181 अपमार रोग (िमगV)

260

कamp डली म िननिलिखत योग ह तो अप-मार बीमारी होन का डर होता ह-

1 शिन मगल सय) आठव घर म हो

2 शिन बध मगल लन म हो तो

3 छठ घर म शिन राहb अथवा कत स यJ ह तो

4 चमा स राहb छठ आठव अथवा बारहव भाव म हो तो

5 शिन विhक म हो और मगल िमथन रािश म हो

6 बध शिन स यJ हो तो

7 चमा पर शिन और राहb अथवा कत क wि( हो तो

8 लन एव सय) पर शिन तथा राहb क wि( हो तो जातक अप-मार रोग स पीिडत होता ह

उदाहरण - यह कamp डली एक लडक क ह जो अप-मार रोग का िषकार हbआ लन म सय) मगल बध

ि-थत ह तथा लन को कत दख रहा ह चमा स राहb बारहव घर म ि-थत ह और वाणीकारक बध सय) व मगल स पीिड़त ह

1182 दोषपण वाणी (हकलाना)

जब ितीय -थान तथा वाणी का कारक बध पाप 5ह स यJ हो अथवा इन पर पापी 5ह क wि( हो तो tयिJ बोलन म लडखडाता ह अथा)त उसक वाणी म कोई िट होगी

उदाहरण

यह कamp डली एक डॉPटर क ह जो हकलाकर बोलता ह ितीय भाव तथा ितीयष शT पर शिन क पण) wि( ह ितीय भाव पर मगल यJ कत क भी नवम पण) wि( ह वाणी का कारक बध अ-त ह

(1) जब ितीयश षDष क साथ यJ हो और उस पर शिन क wि( हो तो tयिJ मक (गगा) होगा

(2) अगर बध और षDष लन म हो तो tयिJ मक होगा

261

(3) अगर बध मकर अथवा कभ म हो और उस पर शिन क wि( हो तो जातक हकलाकर बोलगा

1183 कण रोग

कान क बीमारी का िनण)य इस कार स लना चािहए

1 बध शिन स चौथ भाव म हो तथा षDष िकसी िक भाव म हो

2 बध तथा शT क यित बारहव भाव म बाय कान क दोषपण) BवणिTया को दषा)ती ह

3 तीसर गयारहव पाचव या नव भाव म पाप 5ह शभ5ह स w( न ह

नोट 39 भाव यम पर पाप 5ह दाए कान को तथा 511 भाव यम पर बाए कान को ltित पहbचात ह

4 नीच रािश म शT राहb क साथ हो

5 बध तथा षDष चतथ) िकसी िक-थान म शिन क ारा w( हो

6 बध तथा षDष चतथ) भाव म ह और शिन लन म हो

7 सय) तथा बध क यित तीसर छठ या यारहव भाव म हो

1 बध सनन तथा िकसी भी कार का सचार का काय) बध करता ह बली बध शभ 5ह क भाव म अkछी Bवण शिJ दता ह पीिड़त हो तो िवपरीत फल होत ह

2 तीसरा भाव कamp डली म तीसर भाव का सबध कान स ह तीसर भाव तथा ततीयष पर शभ भाव ह तो अkछी Bवण शिJ दत ह

3 यारहवा भाव तीसरा भाव तथा ततीयश दाय कान को (Bवण णाली क अित]रJ) एव एकादश भाव तथा एकादशश बाए कान को इिगत करत ह

बध तीसरा भाव ततीयश एकादष भाव तथा एकादशश पर शभ तथा अशभ भाव क अनसार ही कान क Bवण शिJ होती ह

262

उदाहरण यह कamp डली एक लडक क ह जो बचपन म ही बहरी हो गई थी बाय कान म बहbत कम

Bवण शिJ तथा दाय कान स िबAकल बहरी हो गई थी बध क सय) क साथ यित ह तथा वह अ(मश शिन एव वT गf क ारा w( ह

1184 मानिसक रोग

अिधकतर मानिसक असतलन तभी होता ह जब च पीिड़त हो च तभी पीिडत होता ह जब वह दब)ल हो छठ आठव या बारहव भाव म ि-थत हो तथा पाप 5ह स यJ या w( हो िविभन 5ह स पीिडत चमा का फल इस कार बताया गया ह -

(1) सय) तीCण -वभाव झगडाल वि9

(2) मगल तीCण -वभाव आTमक िहसक

(3) शिन ती अवसाद सनद उदासी यJ पागलपन

(4) राहb चालाक tयवहार म िवसगित अकारण भय आ2मघाती वि9

(5) कत सनकआ2मघाती वि9 भय दसर पर अकारण सदह करना

उदाहरण

यह कamp डली एक ी क ह जो झगडाल वि9 ह तथा कभी-कभी अवसाद तथा आ2मघाती दौर पड़त ह च बारहव -थान म वT अ(मश क साथ ह तथा षDष शिन क ारा w( ह बध छठ -थान म ादशश तथा वT अ(मश क ारा w( ह गf -वय वT अ(मश तथा पचमश ह जो शिन क ारा w( ह बिX तथा िचतन का पाचवा भाव ह िजसम सय) तथा राहb क बठन स तथा शिन क wि( स पचम भाव काफ पीिडत ह

263

1185 दय रोग

जमपिका म zदय रोग को िनि_चत करन क िलए िननिलिखत िबदओ को िनरीltण करना चािहए सय) पर पाप भाव zदय रोग क िलए सबस मह2 2 वपण कारण ह

सय) पर पाप भाव िनन कार स हो सकता ह

(1) मगल तथा शिन क साथ यित या wि( ारा और राहb-कत अlt ारा

(2) नीच रािश म होना

(3) पापकत)री अथा)त दोन ओर पाप 5ह का होना

(4) छठ आठव या बारहव भावभावष स सबध होना

(5) िसह रािशश पर पाप भाव पाप यित अथवा wि( ारा

(6) पचम भाव पर पाप भाव नसिग)क पाप 5ह क अथवा िक भावष स यित अथवा wि(

(7) पचमश पर पाप भाव नसिग)क पाप 5हो स िक भावष स या वT 5ह स

(8) चतथ) भाव लन अथवा सय) स चतथ) भाव पर पाप भाव वlt म जिटलताए या zदय रोग क शAय िचिक2सा का सचक ह

पचम भाव पचमश तथा सय) पर शभ भाव क बहbलता सरिltत िचिक2सा तथा रोग मJ होन का सचक ह पया) पाप भाव क रहत उन 5ह क दषाए जो सय) पचम भाव या पचमश स यJ ह zदय रोग दती ह पाप 5ह क महादषा म पचम भाव म बठ वT 5ह क अतद)षा िवशष fप म मह2 2 वपण) ह

उदाहरण यह कamp डली एक ऐस tयिJ क ह िजसक zदयगित fक जान क कारण म2य हो गई कamp डली म चतथ) भाव तथा सय) पापी कत स यJ ह तथा राहb एव शिन क पण) wि( स पीिड़त ह सम -थान म शिन मगल और गf का योग ह इही कारण स जातक का zदयाघात (हाट) फल) हbआ और म2य हो गई म2य क समय अ(मश बध क महादषा म कत क अतद)षा चल रही थी

264

1186 मधमह या मह

यह षरीर म शक) रा क चयापचय का रोग ह रJ तथा शारी]रक ततओ म अिधक शक) रा होती ह परत इसका उपयोग नहS हो पाता इसिलन नामक हाम[न क कमी क कारण शरीर म शक) रा का -तर बढ़ता ह तथा जिटलताय उ2पन होती ह जो वा-तव म शरीर क सभी अग पर भाव डालती ह

मधमह क योग

मधमह क िलए िननिलिखत योग बताए गय ह -

1 गf नीच रािश या छठ आठव या बारहव भाव म हो

2 शिन तथा राहb गf को यित या wि( ारा पीिड़त करत हो

3 अ-त गf राहb-कत अlt पर हो

4 शT छठ भाव म गf क ारा ादष भाव स w( हो

5 पचमश 6 8 तथा 12 भावष स यJ हो

6 वT गf िकभाव म पीिड़त हो

यकत और अनाशय इसिलन का उ2पादन करता ह यह दोन उदर क ऊपरी भाग म ि-थत ह और यह पचम भाव क अिधकार lt म आत ह यकत तथा अनाशय क एक भाग का कारक गf ह शष अनाशय का कारक शT ह शT शरीर क हाम[न णाली का भी कारक ह अतः इस कार मधमह क मामल म गf शT तथा पचम भाव क भिमका रहती ह

उदाहरण कBडली

इस ी को मधमह रोग हbआ िजसका गf षD भाव म अ(मश नीच मगल स w( ह शT ादशश नीच सय) स यJ तथा षDष शिन व अ(मश मगल स w( ह पचम भाव तथा पचमश राहb-कत और मगल स पीिड़त ह

265

119 रोग-िनवित क उपाय

िजस कार गमY सदY बरसात-तफान बाढ़ aवारभाटा आिद ाकितक िनयमानसार इस ससार म आत ह उसी कार यह ाकितक िनयम ह िक 5ह आपन शभ या अशभ फल को प]रि-थितय क अनसार ािणय को अव_य दग ाकितक िवपदाओ स बचन क िलए मानव सदा स ही उसक िनवि9 क उपाय को खोजन म सltम रहा ह तथा िन2य िनरतर नय उपाय क भी खोज जारी ह

इसी wि(कोण स िवान आचाय[ न शा म 5ह क अशभ भाव स छटकारा पान क िलए अ]र( शाित या 5ह शाित का िवधान कट िकया ह जो 5ह आपक िलए िकसी समय िवशष म क( कारक हो रह ह तब उनक िनवि9 क हत उनक िलए कछ दान म जप -नान औषिध एव मिण (र2न) आिद धारण करन स उनक क भाव को काफ हद तक कम िकया जा सकता ह अतः यहा हम सभी 5ह क िलए दान क व-तए मिण जप का म -नान औषिध आिद क जानकारी िनन कार द रह ह-

सय) सबिधत रोग िनवि9 का उपचार

1 सय ह-शाित हत िविध

दान - गहq ताबा घी मसर गड ककम लाल कपड़ा कनर क फल लाल कमल बछड सिहत गौ तथा सोना इन सबका अथवा यथाशिJ उपलKध ह उनका यथोिचत दान कर

जप मः -

ऊ घिणः सया)य नमः

इस म का - 7000 जप करक आक क लकडी स दशाश म स हवन करना चािहए

र2न मािणक (लाल) सोन म दाए हाथ क अनािमका म धारण कर

2 च मा ह-शाित हत िविध

दान योय व-तए - Eत (सफद) कपड़ा मोती चादी चावल खाampड़ चीनी दही शख सफद फल सफद वषभ आिद

जप मः - ऊ स सोमाय नमःrsquorsquo

इसका जप - 11000 जप करन चािहए तथा ढ़ाक क लकडी स दशायश म स हवन करना चािहए

र2न सफद शX मोती चादी म बनवाकर दाय हाथ क अनािमका म पहन

3 मगल ह-शाित िविध

दान व-त - मसर गड़ घी लाल कपडा गहq लाल फल ताबा कसर

जप म - ऊ अगारकाय नमः

266

इसका जप 10000 करक खर (खिदर) क लकडी स हवन करना चािहए

र2न मगा सोन या ताब म पहनना चािहए

4 बध ह-शाित हत िविध

दान व-तः मग खाampड़ घी हरा व चादी फल हाथी दात कप)र

जाप म- ऊ ब बधाय नमः

इस म का 19000 जप करक िचरचीरी क लकडी स हवन करना चािहए

र2न पना चादी या सोन म बनवाकर छोटी अगली म पहनना चािहए

5 ग ह-शाित हत िविध

दान व-त - चन क दाल कkची शPकर हAदी पीला कपड़ा पीला फल घी और सोना

जाप म - ऊ ब_बह-पतय नमः

इस म का 19000 जप करना चािहए तथा पीपल क लकडी म हवन करना चािहए

र2न पखराज को सोन म बनावाकर अगठ क पास वाली अगली (तज)नी) म अथवा अनािमका म पहनना चािहए

6 श2 ह-शाित हत िविध

दान व-त - चादी चावल दध सफद कपडा घी सफद फल खषबदार धप या अगरब29ी सफद चदन

जाप म - ऊ श शTाय नमः

इस म का जप 6000 करक गलर क लकडी स हवन करना चािहए

र2न हीरा िकसी सफद धात म पहन

7 शिन ह-शाित हत िविध

दान व-तए - काला कपडा साबत उडद लोहा अलसी तल जट (सन) काला प_प काला ितल क-तरी और काला कबल

जाप म - ऊ श शन_चराय नमःrsquorsquo

इसका जप 23000 करक शमी क लकडी स हवन करना चािहए

र2न नीलम चादी या सधात म बनवाकर बाए हाथ क बड़ी अगली म पहनना चािहए

8 राह4 ह-शाित हत िविध

दान व-तए- काला ितल तल उडद कAथी सरस दाना राई नीला कपडा काला फल काला नीला कबल या ऊनी कपडा

267

जाप म - ऊ रा राहव नमःrsquorsquo

इस म का जप 18000 कर तथा दध सिहत आम क लकडी पर हवन कर

र2न गोमद को चादी या अ(धात म बनवाकर बाए हाथ क लबी अगली म पहन

9 कत ह-शाित हत िविध

दान व-तए - सात अनाज कागज झampडी ऊनी कपडा ितल और बकरा

जाप म - ऊ क कतव नमःrsquorsquo

इस म का 17000 जप कर कषािमिBत आम क लकड़ी स हवन कर

र2न लहसिनया चादी ताब या अ(धात म बनवाकर बाय हाथ क तज)नी अगली अथवा अनािमका म पहनो

नोट 5ह क सनता क िलए दान योय व-तओ म स कछ व-तए उपलKध न हो अथवा सामय) न हो

तो यथाषिJ व-तओ का दान करना चािहए

हवन क िलए जो लकड़ी बताई गई ह यिद व उपलKध न हो सक तो आम पीपल या गलर क लकडी स हवन िकया जा सकता ह तथा सबिधत 5ह क सिमधा क कछ आहbितया अवH य दनी चािहए

यिद तरत बध न हो सक तो अथवा सामय) न हो तो 5ह क सबिधत धात क अगठी या छAला ही बनवाकर िनिद)( अगिलय म पहन लना चािहए यिद कोई इन तोJ मो क -थान पर विदक म का योग करना चाह तो कोई हािन नहS ह म क जप स^या उस ि-थित म भी पव)वत रहगी यFिप जप हवन दान व मिण धारण कर सबक करन स पण) फल िमलता ह लिकन आज कल क tय-त जीवन म यिद tयिJ एक ही काय) करना चाह तो उस मिण या धात धारण कर लनी चािहए मिण शी व सबस अिधक भावकारी होती ह इसक िवकरण ltमता शरीर क तरग क साथ िमलकर तरत फल दन म समथ) होती ह

रोग िनविG क िलए नान

5ह िचिक2सा म रोग स िनवि9 क िलए -नान भी मख उपाय माना गया ह फिलत aयोितष क 5थ म कहा गया ह िक - लाजवित हAदी दवदास लग मोथा कट को तीथ[दक म िमला -नान करन स 5हपीड़ा तथा रोगपीड़ा न( हो जाती ह कछ आचाय[ का मत ह िक िजस tयिJ क कamp डली म जो 5ह रोगकारक हो उस tयिJ को उस 5ह क औषिध क जल स -नान करन स पीडा को कछ कम िकया जा सकता ह

सय) आिद 5ह क औषिधया

5ह -नानाथ) औषिधया

सय) इलायची दवदाf खस कसर मलठी कनर

268

चमा पचगध शख सीप Eत चदन -फ

मगल िवAवछाल रJचदन रJपबप धमनी

बध गोमय मध अltत फल -वण) मोती

शT इलायची कसर

शिन सरमा लोगन धमनी सौफ

राहb लोबन िवलप हाथी दात एव क-तरी

कत लोबान िवलप हाथी दात एव क-तरी

1110 साराश

उपरोJ विण)त इकाई म आपन अVययन िकया िक aयोितष तथा िचिक2सा दोन ाचीन ह तथा भारतीय जीवनशली को िनदyिशत करत ह ाचीन भारत म aयोितष तथा औषिध का िवकास धम) क अग क fप म हbआ आरोय क िसXात तथा रोग क रोकथाम भी उसी तरह जीवन क दिनक स-कार का एक िह-सा थ जस सासा]रक काय[ म aयोितष का उपयोग इस इकाई क अतग)त हमन रोग क वगYकरण एव रोग का िनण)य करन क िलए आवH यक तय को समझान का यास िकया ह यहा हमन रोग क पDभिम को Vयान म रखत हbए उसका रािश भाव 5ह स सबध का उAलख करत हbए तीन _कोणो ( थम ितीय एव ततीय) स कamp डली म भिमका का वण)न िकया ह इसी कार हमन वामन पराण स ऋिष पल-2य तथा ऋिष नारद क बीच सवाद पर आधा]रत एक िच म भचT क िविभन नlt स सबिधत शरीर क अग को दिष)त िकया ह

5ह स सबिधत रोग क अतग)त हमन सय) आिद नौ 5ह क कारकत2व रोग प]रgtान क िसXात एव रोग िनवि9 क उपचार को समझाया ह इस कार आप इस इकाई क अVययन क उपरात aयोितष एव उनस सबिधत जिटल रोग एव उनक उपचार का दltता पव)क gtान हािसल कर पायग

1111 श दावली

bull अप-मार = िमगY रोग

bull सहज रोग = जम स होन वाल

bull आगतक रोग = जम क बाद ि-थितवश होन वाल रोग

bull _काण = रािश का ततीय भाग अथा)त 10 अश

bull भावयम = पर-पर आमन-सामन क भाव अथा)त सम भाव

269

bull आनवािशक रोग = एक पीिढ़ स दसरी पीिढ़ म आन वाल रोग

1112 ाविल

1 aयोितष शा क अनसार रोग क जानकारी िकस कार क जा सकती ह

उ9र aयोितष शा क अनसार जमकाल H नकाल एव कडली म ितकल 5ह ारा रोग क जानकारी ा क जा सकती ह

2 रोग का िकन दो कार स वगYकरण िकया गया ह

उ9र रोग का वगYकरण सहज एव आगतक रोग म िकया गया ह

3 wि(िनिम9जय एव अwि(िनिम9जय रोग म Pया अतर ह

उ9र जो रोग 2यlt घटनाओ ारा उ2पन हbए हो - जस अिभशाप महामारी दघ)टना आिद उह wि(िनिम9जय रोग कहत ह इसक िवपरीत पव) जम म िकए कत स उ2पन रोग अwि(िनिम9जय रोग कहलाय गय ह जस - aवर अितसार आिद

4 रोग िनण)य क चार आव_य तय बताइय

उ9र रोग िनण)य क चार आव_य तय िनन कार ह

(1) रोगो2पि9 का समय (2) िनदान (3) तीता (4) उपचार

5 2 3 4 तथा 11 भाव जमाग म िकन-िकन अग को दशा)ता ह

उ9र दसरा भाव - दाया न मख नाक नाखन

तीसरा भाव - कठ गला गद)न भजाए

चतथ) भाव - zदय वlt -थल ऊf पसिलया

एकादष भाव - पर िपampडिलया बाया कान

6 कamp डली म कक) रािश िकन शारी]रक अग का ितिनिध2व करती ह

उ9र कक) रािश zदय फफड एव Eासनली का ितिनिध2व करती ह

7 िनन िलिखत पिJ स2य ह या अस2य बताए

क कडली का छठा भाव रोग का ितिनिध2व करता ह

- उपय)J पिJ स2य ह

ख _कोण शरीर क गद)न स नािभ तक का भाग दशा)ता ह

- यह अस2य ह थम _काण िसर स मख तक का भाग दशा)ता ह

270

ग aयोितष क अनसार रोगिनवि9 का उपचार नहS ह

- उपयJ कथन अस2य ह aयोितष म रोग िनवारण हत दान-पampय म जाप र2न धारण िविध का उAलख ह

घ गf क कफ कित ह

- यह कथन स2य ह

8 ऋिष पल-2य तथा नारद जी क बीच का सवाद िकस पराण म ह

उ9र उपय)J वण)न वामन पराण म ह

9 जडता उमाद पागलपन िकस रोग को दशा)त ह

उ9र िनन रोग मानिसकता रोग क उदाहरण ह

10 छठा भाव िकन रोग को दशा)ता ह

उ9र छठ भाव स ltय रोग कफजिनत रोग अपिडPस छाल वाल रोग आिद का gtान होना ह

11 शT 5ह िकस कित क रोग का कारक ह

उ9र शT 5ह वात तथा कफ कित का कारक ह

1113 बोध

1 नर आकार िच बनाकर उनम नlt क स-थापना कर तथा िकस अग पर िकस नlt का अिधकार ह यह -प( कर

2 वत)मान प]र-थितय म िचिक2सा aयोितष क मह2 2 व पर काश डाल

3 िचिक2सा aयोितष म द_ ठकाण क मह2 2 व पर चचा) कर

4 सय) आिद नौ 5ह क रोग िनवि9 क उपचार िलख

(1) मानिसक रोग (2) zदय रोग (3) मधमह

1114 स0दभ 130थ सची

1 िचिक2सा aयोितष क मौिलक त|व

सपादक डॉ क एस चरक

काशक

2 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

271

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

3 भारतीय aयोितष

tया^याकार डॉ निमच शाी

काशक भारतीय gtानपीठ िदAली

272

इकाई - 12

गभाampधान इकाई सरचना

121 -तावना 122 उGHय 123 िवषय वश 1231 मािसक धम) क िववचना

1232 शा क अनसार रजोदश)नकाल 1233 रजोदश)न काल (मािसक धम))

1234 थम रजोदश)न म शभाशभ िवचार 1235 शभफलदायी मास

1236 शभफलदायी नlt 1237 गampड़ नlt म थम रजोदश)न का फल

1238 रज-वला होन क बाद -नान महq2 त) 124 गभा)धान क िTया 1241 गभा)धान का अथ)

1242 गभा)धान म 2याaय 1243 गampड-मलािद जम िवचार 125 गभ) सभव योग 1251 गभ)ि-थित का -वfप

1252 गभ)पि( gtान 1253 गभ) विX योगgtान 126 गभा)धान स सव तक दश मास का चT एव -वामी 1261 गभ)सिहत गभ)हािन योग

1262 गभ)पात योग 127 गभ)पात िनवारण 1271 सव िदनाङक बोधक चT एव उसक उपयोग क उपयोग क िविध 1272 गभ)वती क िलए विज)त काय) 1273 गभ) सिहत गभ)वती मरण-gtान 128 सतान योग

273

1281 गभ) म प और कया का gtान 1282 प योग

1283 कया योग 1284 गभ) म यमल योग 1285 नपसक सतान उ2पन होन क योग

1286 जारज योग 1287 पादजात सप)वि(त जम

1288 िपता क अनपि-थित म सतान का जम 129 सव 1291 सव का gtान

1292 म-तकािद स सव 1293 सव का क( एव सख gtान

1294 सव -थान का gtान 1295 शAय िचिक2सा स सव क योग

1296 अनगभा) योग 1210 स सव हत उपाय 1211 साराश 1212 शK दावली 1213 अित लघ9रा2मक B 1214 लघ9रा2मक B 1215 सदभ) 5थ

121 तावना

स-कार वह िविध ह िजसक ारा Bौत व -मात) कमv स शरीर म अिधिDत आ2मा को स-कत अथवा शX िकया जाता ह षोड़श स-कार म थम स-कार ह गभा)धान स-कारrsquolsquo

lस क िसX जीव िवgtानी ो जािज)स लाखोव-क ऐस सभवत थम आधिनक वgtािनक थ िजहन यह -प( िकया था िक तार एव 5ह स आन वाली रिHमय का भाव गभा)धान एव जम क समय tयिJ क भाय पर प]रलिltत होता ह इन तार स आन वाली रिHमया न कवल भाय को भािवत करती ह अिपत पवी पर सम-त जीव क सरचना गभा)धान क समय उनक अampड़ या िपampड़ क ऊपर भी इनका भाव पड़ता ह

परत ाचीनकाल क भारतीय ऋिष-मिनय ारा गभा)धान काल क मह|व को wि(सङगत रखत हbए कई वषv पव) उसका उAलख कर िदया गया था

274

122 उय

इस इकाई क अVययन स हम िन िवषय पर gtान ा करग -

1 गभ) Pया ह गभा)धान Pया ह

2 गभा)धानकाल क शभ गण कौन-कौन स ह

3 िय का ऋत-चT

4 गभ)धारण एव गभपात का िववचन

123 िवषय वश

गभा)धान क िवषय म िवचार करन स पव) यह gtान आवHयक ह िक गभ) Pया ह गभ)rsquolsquoगभ) शKद स मन चतना पचमहाभत क िवकार का बोध होता ह गभा)शय म ि-थत पlष का शT और ी का शोिणत जब एक दसर स यJ हो जात ह और उनम आ2मा का अिधDान हो जाता ह तो वह अ( कित और षोड़श िवकितय स यJ सजीविपampड गभ)rsquolsquoकहलाता ह आधान = -थािपत स पlष ारा जीव का ी क गभा)शय म -थािपत होना

1231 मािसक धम क िववचना - यवा अव-था ा होन पर ी क शरीर म ही गभा)शय

(बkचादानी) फटन लगती ह और उसम रJाव होन लगता ह थली का मख खल जान स रJपण) थली खाली हो जान पर उस पन पण)ता क -वभािवक इkछा ा होती ह तो ीfप उस जीव को उस थली क पन पण)ता करन क ी क कामना होती ह ाकितक यह कामना जो ी को हो जाती ह ा यौवन अव-था क ी क रािश स 2यक मास म मङगल और चमा क आकाशीय ि-थितय वश जो भाव पड़ता ह उसी स गभा)शय (बkचादानी) फट जाती ह और उसस िवकत रJाव होन लगता ह इसिलए ितमास क मािसक धम) क िलए मङगल और चमा य दो 5ह ही करण हो जात ह 2यक चामास म थम अमाव-या स ितीय अमाव-या तक क िकसी भी िदन क िकसी ltण म उJ ि-थित सभव होती ह

1232 शाF क अनसार रजोदशनकाल - आठ वष) क गौरीrsquo नौ वष) क रोिहणीrsquo दस वष) क

कयासgtकrsquo तथा तदनतर ादशािद वषv क कया वषलीrsquo अथा)त रज-वला सgtक होती ह यथा -

अ$वषा भवiौरी नवम रोिहणी भवत

दशम कयका ोjा 9ादश वषली मता - aयोितिन)बध

रजोदश)न स कया ाि हत िनिद)( िदवस - 5 7 9 11 13 15

रजोदश)न स प ाि हत िनिद)( िदवस - 4 6 8 10 12 14 16

275

रजोदश)न क चार क पhात गampडात आिद tयितपात वधित BाX दिषत नlt को 2यागकर उपरोJ िदवस म tयिJ को गणश-मातका-पampयाहवाचनािद कम) करक शभराि म रितिTया करनी चािहए

1233 रजोदशन काल (मािसक धम) - ी क जम कampड़ली स चमा जब अनपचय (1 2 4

5 7 8 9 12) रािश हो और गोचर म ि-थत मङगल क चमा पर पण)wि( हो तो ितमास ी को मािसक धम) होता ह यही मािसक धम) गभ) का कारण बनता ह यिद ी क रािश स ततीय-षD-दशम-एकादश रािश म चमा हो तो वह मािसक धम) िन_फल हो जाता ह अथा)त गभ)धारण क ltमता उस रजोदश)न म नहS होती ह

रजोदश)न काल म ी-समागम नहS करना चािहए इस समय ी गभ)धारण क अव-था म नहS होती ह रजोदश)न स तीन िदन तक ी का शरीर अ-पHय होता ह अत पlष को 2याaय िदवस म समागम नहS करना चािहए

1234 थम रजोदशन म0 शभाशभ िवचार - थम बार कया को जब रजोदश)न हो वह समय भी

आधान व जय समयवत बहbत सी बात क िलए शभदायक होता ह उसस भाय िनमा)ण भी भिव_य म हो सकता ह

भायJ वला म साव-था म सTाित म अमाव-या ]रJाितिथ (4-9-14) सVयाकाल षDी अ(मी या ादशी ितिथ म lणाव-था म च व सय) क 5हणकाल म पातयोग (वधित व tयितपात महापात) म यिद कया को थम रजोदश)न हो तो वह उसक भाय क िलए अशभ सचक ह

1235 शभफलदायी मास - माघ माग)शीष) वशाख आिEन फाAगन aयD Bावण मास म यिद

थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

1236 शभफलदायी नamp) - Bवण धिनDा शतिभषा िचा अनराधा रवती मगिशरा अिEनी

प_य ह-त रोिहणी उ9राय एव -वाती म यिद थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

शभ 5ह क वार म शभ ल5 म यिद थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

1237 गBड़ नamp) म0 थम रजोदशन का फल - गampड़ात म यिद कया को रजोदश)न तो वह शी

ही वधtय को ा करती ह ऐसी कया सतान धन सख एव वािद स रिहत कल का नाश करन वाली होती ह शाोJ िविध स जप होमािद स यिद दवताओ ~ाण का पजन िकया जाय तो िवपि9य क शाित होकर सख-सौभाय क ाि होती ह

1238 रजवला होन क बाद नान महb त - ह-त -वाती अिEनी मगिशरा अनराधा धिनDा

धरव सgtक (उफा उषा उभा रोिहणी नlt) aयDा - इन नlt म शभ ितिथ और शभ वार म थम रज-वला ी का -नान करना शभफलदायी होता ह मगिशरा रवती -वाती ह-त अिEनी रोिहणी - तो रजोिनवि9 क पhातiuml कया शी ही गभ)धारण करती ह

276

124 गभाधान कD िHया

1241 गभाधान का अथ - गभा)वTाित का अथ) पlष और ी बीज का आपस म िमलकर

गभ[2पि9 क िTया करना ह अवTाित स अवTमण अवतरण उपगमन आिद का बोध होता ह शT और आतव क सिमBण स गभ) क उ2पन होन तक क िविध गभा)वTाित कहत ह

िववाह का गभा)धान पार-प]रक िनकटतम सबध ह इसिलए गभा)धान हत दोन (ी-पlष) का tय-क होना अ2यावHयक ह इसस पिहल यिद गभा)धान होता ह तो सतान अAपजीवी न( या दब)ल जायगी जब माता-िपता का शारी]रक-मानिसक wि( स सपण) िवकास होगा तभी -व-य सतान हो सकती ह गभ)-य आधान गभा)धानमrsquolsquoअथा)त िजस कम) क ारा गभ) म बीज का -थापन पlष ारा ी म िकया जाता ह उस गभा)धान कहा जाता ह इस स-कार स वीय) सबिध अथवा गभ) सबिधत पाप का नाश हो जाता ह सव) थम ऋत -नान क पhात भाया) क ीधम) म होन स या रजोदश)न स 16 िदन तक गभा)धान क योय होती ह

गभा)धान क िTया अथा)त यथाथ) म गभा)धान कब सभव हाता ह इस िTया को वgtािनक आधार पर समझ लना आवHयक ह ितमास ी क गभा)शय म एक अampड़ आता ह िजस आङगलभषा म ओवमrsquolsquoकहत ह गभा)शय क आत]रक भाग म दो निलकाय होती ह िजह फलोिपयन टयब कहत ह एक मास म एक निलका स गभा)शय ओवम आता ह तथा दसर मास म दसरी निलका स ी-पlष समागम क पlष क जननाङग स िनसत अस^य शTाण (-पम)) ी क गभा)शय म पहbचत ह अस^य शTाणओ म कोई एक शTाण ही जीिवत रह पाता ह और वही गभ) म जाकर ी क रज स सिमिBत होकर नतन जीव का fप धारण करता ह यिद एक स अिधक शTाण गभा)शय म ी क रज स सिमिBत हो जात ह तभी ी क एक स अिधक सतान उ2पन होती ह पर ऐसा लाख म एक बार होता ह वत)मान म गभा)धान क िTया को वgtािनक न सरोगट मदर एव -पम) डोनट क िTया स अित सरल बना िदया ह अब व दपि9 भी सतासख ा कर सकत ह िजनम ी (गभा)शय क िवकार) अथवा पlष (शTाणओ क िवकार समागत क समय शारी]रक अltमता) या दोन ही सम-या5-त ह कभी-कभी गभा)शय म ती गित स मण कर सकन क अltमता क कारण रज (ओवम) स सयोग नहS कर सकता इस सचार- िTया को मोिबिलटी कहत ह यह -पम) 4-5 घampट तक गभा)शय म गितशील रहत ह कभी-कभी ी पlष क समागम क समय -पम) और ओवम का त2काल ही सिमBण हो जाता ह और गभ)धारण हो जाता ह तथा कभी-कभी तीन-चार घampट बार सिमBण होता ह ाय जो समागम क समय गभा)धान का समय िनधा)]रत िकया जाता ह वह -थलमान ही ह Pयिक समागम क समय और गभा)धान क समय म कभी-कभी शयकाल का अतर होता ह तो कभी-कभी कछ घampट का अतर हो जाता ह

277

1242 गभाधान म0 याMय - रजोिनवि9 क पhात ी-समागम करन क पव) गampड़ातय (नlt-

गampड़ात ितिथ-गampड़ात व ल5 गampड़ात) जम नlt स सातवा नlt मल भरणी अिEनी रवती मघा माता क BाX िदवस ल5 स आठवी रािश पाप5ह क नlt को 2याग दना चािहए यह दाप2य जीवन क सखमयी नहS होता ह

1243 गBड-मलािद जम िवचार - अिEनी आH लषा मघा aयDा मल एवम रवती- य 6 नlt

गampडमल कहलात ह इन नlt म उ2पन बालक-माता िपता कल या -वय को अ]र(iumlदायक होता ह यिद यह अ]र(iuml स बच जाए तो अपन बल-बिX स ससार म सख पव)क दीघ) आय ा करता ह इसिलए गampड मल म उ2पन बालक क िपता को 27 िदन तक उसका मख नहS दखना चािहय और िफर सित--नान क बाद गampड मल नlt क शाित आिद कराकर ही बालक का मख दखना चािहय

125 गभ सgtभव योग

यिद गभा)धान क समय पlष क रािश स उपचय (3 6 10 11) रािश म अपन-अपन नवमाश म ि-थत बलवान सय) व शT हो अथवा अथवा ी क रािश स उपचय रािश म मङगल व चमा -वनवमाश म हो तो गभ)धारण क सभावना रहती ह

लघजातक क अनसार -वरािश या -वनवमाश म बलवान सय) और शT पlष क उपचय रािश म हो या ी क उपचय रािशय म बलवानiuml चमा और मङगल अपन -वरािश या -वनवमाश म हो तो गभ) रहता ह

1251 गभिथित का वप - आधान काल म ी क जसी मन क भावना इkछा कफवातािद

दोष क ि-थित होती ह उसी क अनfप गण-दोष स यJ गभ)-थ बालक क वि9 होती ह

1252 गभपि$ ान - ल5 म शभ5ह हो या चमा शभ यत हो अथवा ल5 च स क एव

िकोण म 5ह ि-थत हो तथा ततीय एकादश भाव म पाप5ह हो तो सवकाल सखमय tयतीत होकर सखमयी सव होता ह

1253 गभ विk योगान - सारावली क अनसार गभा)धान-कािलक ल5 पर यिद बलवान बध

गl और सय) क wि( हो तो गभ) िनरतर बढ़ता ह 2यक मास म -वामी क बलानसार -वभाव व गण क गभ) होता ह

126 गभाधान स सव तक दश मासA का चH एव वामी

गभ)काल म िजस मास का -वामी दिषत (अ-तािद) हो तो उस मास म गभ)-पीड़ा तथा िजस मास क -वामी िनपीिडत हो तो उस मास म गभ) का पतन तथा िजन मास म -वामी िनम)ल हो तो उन मास म गभ) प( समझना चािहए चT स ि-थित -प( ह -

मास िथित वामी

278

थम कलल (रज-वीय) का सिमBण) शT

ि-थित - इस महीन म कवल वीय) रहता ह और वीय) क कारक शT ह शT जलत2 2 व 5ह ह इसिलए थम महीन म ि-थत वीय) ि-थत शTाण ी क िडबाण म अवि-थत रज स िमलकर एक अampड़ का fप धारण कर लता ह इसिलए थम मास म गभ) क ि-थित -प( नहS हो पाती ह

ि9तीय िपBड़प मङगल

ि-थित - मङगल अि5त2 2 व ह इसिलए मङगल उस रज-वीय) fपी अampड़ म सघनता लात ह और यह मास का लौथड़ा सा बन जाता ह िजसस माता क शरीर म िप9 बढऩ लगता ह और सता को उAटी चPकर व बचनी होन लगती ह

ततीय हाथ-पर आिद अङग क अवयव गl

ि-थित - गl आकाश धान दव ह उस मास क लोथड़ म जीव का सचार कर लड़का या लड़क क fप म प]रवित)त कर दत ह शरीर क भीतर सबस पहल गाङग का िनमा)ण होता ह िजसक कारण गभ)-थ िलङग क पि( हो जाती ह गभ)-थ िशश क विX स गभा)शय स गभा)शय क 5िथया सिTय हो जाती ह और माता क शरीर क िप9ािधPय पर िनयण होता ह और गभ)वती मिहला अदभत सनता का अनभव करती ह

चतथ हडडी सय

ि-थित - सय) हडडी क कारक ह इनक प(ता व दब)ला जातक क हडिडय का िवकार िनधा)]रत करती ह

पpचम चम (चमड़ी) च

ि-थित - चमा जलत2 2 व ह इसिलए इस मास म गभ)-थ िशश क शरीर म रJ सचरण होन लगता ह और रJवािहिनया िवकिसत होन लगती ह और पाचव महीन म शरीर नस मासपिशय व नािडय़ स यJ हो जाता ह

ष8 रोम शिन

ि-थित - शिन कश और -वfप क कारक ह इसिलए षDमास म मानव क सदरता कfपता गौर अथवा क_णवण) का िनधा)रण हो जाता ह अथा)त 2वचा का िनमा)ण हो जाता ह

सLम चतय (चतना) बध

ि-थित - बध बिX का कारक ह इस मास म गभ)-थ िशश का उदय होता ह वह -वत िTयाय करन लगती ह मा क ारा 5हण िकय गय भोजन आिद और मा क -वभाव पर वह िशश ितिTया करन लगता ह इस मास म िय को सभी विज)त िकयाय अिनवाय) fप स बद कर दनी चािहए Pयिक इसी

279

मास म िशश माता क आचार-िवचार िकयाकलाप स भािवत होता ह उदाहरणतया हम ाद सभा और अिभमय का िवचार कर सकत ह

अ$म माता-िपता 9ारा खाय गय अन का रसावादन लश

ि-थित - इस मास क -वामी कोई भी 5ह हो सकत ह अत िवशष सावधानी क जfरत होती ह इस मास क -वामी पीिडत हो जाय समय पव) सव अथवा अय िवकार उ2पन हो सकत ह सभी जानत ह िक आठव मास म उ2पन िशश क जीिवत रहन क सभावनाय नगampय ही होती ह क( तो िशश व माता दोन क िलए ही होता ह

नवम गभ स बाहर िनकलन का उ9ग च मा

ि-थित - चमा जलकारक ह चमा पट क भीतर इतना जल उ2पन कर दत ह िक िशश िबना िकसी तकलीफ क पट क भीतर िहल-डल सकता ह यिद िशश आराम स रहगा तो सव भी सखमय होगा

दशम सव सय

ि-थित - सय) अि55ह ह अत पट क भीतर गभY पदा करक िशश को माता क शरीर स अलग कर दत ह वह िजन मासपिशय म जकड़ा होता ह उनस छट जाता ह और आराम स जम ल लता ह

1261 गभसिहत गभहािन योग -

1 यिद आधान समय म सय) या चमा पाप5ह क मVय हो और उन पर शभ 5ह क wि( का अभाव हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

2 आचाय)वराहिमिहर क अनसार ल5 व चमा को पाप5ह क मVय म रहन पर सगभा) ी का मरण होता ह

3 आधान समय म लन व सम भाव म पाप5ह शभ5ह स अw( हो तो सगभा) का मरण अथवा ल5 म शिन और उस पर ltीण चमा व मङगल क wि( हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

4 चतथ) भाव म मङगल हो तथा बाहरव भाव म सय) व ltीण चमा हो उन पर पाप5ह क wि( हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

1262 गभपात योग - िन योग म गभ)पात होन क ि-थित उ2पन होती ह -

1 शिन व मङगल षD या चतथ) म ि-थत हो तो गभ)पात-योग बनता ह

2 ल5 म सय) हो सम म शिन हो अथवा सम म सय) व शिन साथ हो और दशम -थान पर गl क wि( हो तो गभ)पात-योग बनता ह

3 पचम -थान म राहb-शिन इ2यािद पाप5ह ि-थत हो अथवा पाप5ह क wि( हो तो गभ)पात-योग बनता ह

280

4 पचम -थान म जो नवमाश हो उस रािश को पाप5ह दखत हो तो यह गभ)पात-योग बनता ह

5 षDश क साथ शिन षD -थान म हो और चमा सम -थान म हो तो गभ)पात-योग बनता ह

6 अ(मश अ(मभाव म ि-थत हो तो गभ)पात-योग बनता ह

127 गभपात िनवारण

1 कशा क जड़ कास क जड़ एरampड़ क जड़ तथा गौखf िमलाकर 2 तोला दध 16 तोला पानी 64 तोला यथािविध पकाए इस दध म िमBी डालकर कई िदन तक सवन करन स गभ)पात सचक रJाव बद हो जाता ह

2 कसf िसघाड़ा जीवक ऋषभक काकोली ltीरकाकोली मदा महामदा शालपणY पिBपणY जीवती तथा मलहठी कमल नीला कमल एरampडमल तथा शतावरी िमिलत 2 तोल दध 16 तोल जल 64 तोल तथा शष 16 तोला यथािविध दधपाक करक िमBी िमलाकर सवन कर इसस ती वदना तथा गभ)ाव बद हो जाता ह

3 कसf िसघाड़ा पाख नीला कमल मपणY तथा मलहठी को िमलाकर 2 तोला दध 16 तोला पानी 64 तोला तथा शष 16 तोला यथािविध दधपाक कर इस दध म खाampड डालकर पीन स गिभ)णी िय का ती शल सयJ गभ)ाव बद हो जाता ह

4 गभा)व-था क पवा)व-था म पकाD कमल कशfक बला िसघाड़ा बरगद क जटा का शीत Pवाथ िमलाकर पीन स गभ)पात fक जाता ह िजनको ाय गभ)पात होता हो उह गभ)धारण स लकर लाभ होन तक यह औषिध िनरतर िपलाय दब)ल गभा)शय क यह सदर बल द तथा गभ)-थापक ह

1271 सव िदनाङक बोधक च2 एव उसक उपयोग क उपयोग क िविध मािसक ाव बद

होन क िदनाङकम उसी महीन क स^या जो गोल क अदर दी हbई ह उस जोड़ दव उस महीन क दिltण म जो महीना िलखा ह उसी महीन म योगफल क िदनाङक म सव होगा

281

उदाहरण 1 - मािसक ाव बद होन का िदनाङक 17 िदसबर + िदसबर क दी हbई स^या 6 = 23 िसतबर सव िदनाङक

उदाहरण 2 - मािसक ाव बद होन का िदनाङक 6 अ ल + अ ल क दी हbई स^या 5 = 11 जनवरी सव िदनाङक

1272 गभवती क िलए विजत काय - िदन म सोना काजल लगाना रोना अिधक -नान करना

अनलपन तथा तल मािलश नाखन काटना तज दौडऩा जोर स हसना अिधक बोलना शोर म रहना कघी का अिधक उपयोग अिधक वाय का सवन तथा tयथ) प]रBम करना अिधक आभषण पहनना अिधक ठampड़ी या अिधक गम) व-त का उपयोग अिधक नमकन या खटाई क ची+जो का सवन करना

1273 गभ सिहत गभवती मरण-ान -

1 यिद आधानसमय म सय) या चमा पाप5ह क मVय म हो और उनपर शभ5ह क wि( का अभाव हो तो गभ)सिहत गभ)वती का मरण होता ह

2 आचाय) वराहिमिहर न लन व चमा को पाप5ह क मVय म रहन पर सगभा) ी का मरणयोग बताया ह

3 आधानसमय म लन व सम म पाप5ह शभ5ह स अw( हो तो सगभा) का मरण अथवा लन म शिन हो एव उस पर ltीण च व मगल क wि( हो तो गभ)वती ी का मरण होता ह

4 चतथ)भाव म मगल हो ादश म सय) व ltीण चमा हो व उन पर पाप5ह क wि( हो तो सगभा) का मरण होता ह

128 स0तान योग

1281 गभ म0 प) और कया का ान - यिद आधानकाल म अथवा Bकampड़ली म बलवान ल5

चमा गl सय) िवषम रािश म व िवषम रािश क नवमाश म हो तो प का जम होता ह यिद पव[J ल5 चािद समरािश व समरािश क नवमाश म हो तो कया का जम होता ह

यिद बलवान गl सय) िवषम रािश म हो तो पlष का जम यिद समरािश-थ बलवान शT चमा मङगल हो तो कया का जम होता ह रजोदश)न स तीन राि तक ी अ-पHय रहती ह चतथ) िदन वह सासा]रक धम) म व9 होन योय होती ह परत शा म िवधान ह िक ी 16व िदन तक गभा)धान हत शारी]रक wि( स -व-थ रहती ह चतथ) िदन स सोलहव िदन तक यिद समागम िकया जाय तो िनिलखत फल िमलत ह -

समागम िदवस फल

चतथ) अAपाय प

पचम कयाजम

282

षD वशिव-तार करन वाला प

सम कया (वVया)

अ(म प ाि

नवम च क समान fपवती कया

दशम भावशाली प जो अनक tयिJय पर -वािम9व -थािपत कर

एकादश िवlपा कया

ादश प (धनवान)

योदश पाप आचरण वाली कया

चतद)श धम)शील प

पचदश लCमीवती कया

षोड़श सव)gt प

1282 प) योग

1 पचमश ल5 म हो एव गl स यत या w( हो तो थम सतान प होता ह

2 आधान लल म पचमश पlष5ह हो और वह पlषरािश अथवा पlषरािश क नवमाश म हो तो जातक को थम सतित पfप म ा होती ह

3 पचमभाव म सय) हो और उस शT दखता हो तो गिभ)णी ी क तीन प होत ह

4 पचमभाव म सय) और मङगल हो तो चार प होत ह

5 िसह व विhक ल5 म हो पचम भाव का -वामी गl पचम म ि-थत हो तथा शभ5ह स w( हो तो पाच प क ाि होती ह

6 पचमश पचमभाव म हो -वगही हो और पचमभाव स पाचव -थान पर शिन हो तो इस योग म सात प क ाि होती ह उनम स दो यमल सतान भी होती ह

7 गl पचम या नवम म ि-थत हो पचमश पण)बली हो धनश दशमभाव म हो तो गभ)वती क आठ सतान (प) उ2पन होती ह यिद शAय िचिक2सा एव अय कोई बाधा न हो तो

1283 कया योग

1 ल5श बलवान होकर पचम सम नवम या एकादश -थान म हो तो थम सतित कया क fप म ा होती ह

2 पचमश यिद ी5ह ीरािश अथवा ी नवमाश म हो तो थम कया का जम होता ह

283

3 पचमश चमा हो या पचमभाव म चमा हो तो िकया योग बनता ह

4 पचमश शिन स यत हो तथा चतथ) -थान म राहq हो तो दो या तीन कयाए होती ह

5 ल5 स ततीय भाव म बली बध बठा हो एव पचमभाव म चमा हो ता पाच कयाए होती ह

6 कया ल5 हो पचमभाव म शिन हो अथवा पचमभाव शिन च बध या शT ारा w( हो तो आठ कयाओ क ाि होती ह

7 समरािश (वष कक) कया विhक मकर मीन) का बध पचम या सम भाव म हो तो बहbकया योग बनता ह

8 पचमभाव म समरािश हो लाभ-थान म बध शT या च हो तो कया सतित क बाहbAयता रहती ह

1284 गभ म0 यमल योग

जड़वा बkच दो कार क होत ह माता क गभ) स दो या अिधक सतान एक साथ उ2पन(एक ही िदन म कछ समय क अतराल म एक ही माता स उ2पन बkच) होन वाल बkच या यमल कहलात ह गभा)धान या Bल5 स यमलयोग का िवचार िकया जाता ह -

1 यिद Bकाल म अथवा गभा)धान काल म िमथन रािश म या धनरािश म गl-सय) हो और और बध स w( हो तो एक ही गभ) स दो प का जम होता ह

2 यिद शT च मङगल कया या मीन रािश म बध स w( हो तो कया का जम होता ह

3 चमा और शT समरािश म हो तथा ल5 मङगल बध गl िवषम रािश म हो एक ही गभ) स यगल (एक लड़का व एक लड़क) उ2पन होत ह

4 ल5 और चमा समरािश म हो और उन दोन को पlष 5ह स दख तो यमल सतान उ2पन होती ह

5 ल5 मङगल बध और गl - य चार बलवान होकर सम रािश-थ होन पर यमल सतान उ2पन होती ह

6 िमथन कया धन और मीन को ि अग रािश कहत ह सभी 5ह और ल5 ि अग नवमाश म हो और उनको अपन नवमाश म ि-थत बध दख तो एक ही गभ) एक साथ तीन सतान उ2पन होती ह

7 उपय)J योग म यिद िमथन नवमाश ि-थत बध दख तो दो लड़क व एक लड़क का जम होता ह यिद कया नवमाश ि-थत बध दख तो दो कया व एक प का जम एक ही गभ) स होता ह

8 यिद गभा)धान क समय ल5श और ततीयश दोन का योग ल5 म हो तो एक ही गभ) स यमल सतान उ2पन होती ह

284

9 गभा)धान क समय ल5श और ततीयश का योग हो ल5श ततीय भाव म हो या अपन उkच -थान म हो तो एक ही गभ) स यमल सतान उ2पन होती ह

1285 नपसक सतान उपन होन क योग

इस Pलीब योग कहत ह िकस कार क 5ह-ि-थित म नपसक का जम होता ह वह अधोिलिखत योग बताया गया ह -

1 शिन यिद समरािश म और बध िवषय रािश म हो तथा दोन म पर-पर wि( हो

2 B अथवा आधानकाल म यिद बलवान िवषमरािशगत सय) और समरािशगत चमा पर-पर w( हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

3 सय) समरािश म हो और मङगल िवषमरािश म हो तथा दोन म पर-पर wि( हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

4 चमा तथा ल5 दोन िवषमरािश म हो और मङगल समरािश म ि-थत होकर दोन को दख तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

5 चमा समरािश म और बध िवषमरािश म हो और मङगल चमा तथा बध दोन को दख तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

6 ल5 चमा और शT - यह तीन िकसी भी रािश म हो िकत तीन िवषयक नवमाश म ि-थत हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

नोट - गभा)धान काल क अतग)त वीय) क अिधकता स प होता ह रज क अिधकता स कया होता

ह तथा शT शोिणत का साय होन स नपसक का जम होता ह

1286 जारज योग (अय पlष स उपन सतान)

यिद कोई ी tयिभचा]रणी हो और अपन पित क अित]रJ अय िकसी पlष स सतान उ2पन कर तो ऐसी सतान जारजसतान कहलाती ह िन योग स जारज सतान उ2पन होती ह -

1 यिद ल5 या च शभ5ह क रािश म हो और बह-पित क वग) हो तो जातक जारज सतान होता ह

2 रिव शिन या मङगलवार को यिद चतथY नवमी या चतद)शी ितिथ हो उस िदन उ9राफाAगनी उ9राषाढ़ा या उ9राभापद म स कोई भी नlt का तीसरा चरण हो तो जारजप उ2पन होता ह

3 ल5 म अ(मभाव म चमा हो चमा स अ(म-थ गl हो गl पाप5ह स यत w( या पीिडत हो तो जारजप उ2पन होता ह

285

4 पचमश चर रािश म हो शिन पचम भाव म हो च राहb स यJ हो तो जारजप उ2पन होता ह

1287 पादजात सपवि$त जम

ाय जब सतान का शरीर माता क योिनमाग) स बाहर िनकलता ह तो पहल िसर िनकलता ह िफर मVयभाग और अत म पर िकत कई सव म इसक िवपरीत पहल पर तथा अत म िसर िनकलता ह ऐस िशशओ को पादजात कहत ह इसक अित]रJ कछ िशश जब पदा होत ह तो नाल उनक शरीर क चार और िलपटी रहती हइस सप)वि(त कहत ह अगर इस पर शी Vयान न िदया जाय तो िशश क म2य भी हो सकती ह

1 यिद गभा)धान क समय ततीयश राहb क साथ हो तो िशश पादजाता होता ह

2 राहb ल5 म हो और ल5श दशम म हो तो िशश पादजात होता ह

3 यिद अ(मश राहb क साथ ल5 म हो तो सप)वि(त योग होता ह

4 यिद ल5 Tर 5ह क _काण म हो ल5श गिलक या अ(मश स यत हो और क म राहb हो तो सप)वि(त योग होता ह

1288 िपता क अनपिथित म0 सतान का जम

1 यिद जम समय म ल5 च स अw( हो तो िपता क अनपि-थित म जातक का जम होता ह

2 अ(म नवम अथवा एकादश ादशी भाव म सय) चररािश म हो तो िपता क अनपि-थित म जातक का जम होता ह

3 यिद िदन म जम हो तो सय) राि म जम हो तो शिन मङगल स w( हो तो जातक क िपता क म2य परदश म होती ह

4 यिद सय) शिन चररािश म मङगल स यत या w( हो तो जातक क िपता क म2य परदश म होती ह

5 सय) स पचम सम नवम भाव म पाप5ह हो अथवा पाप5ह स w( हो तो िपता बधन का योग बनता ह

प अथवा पी क इkछा रखन वाल दपितय को िवशष िदन म ही मथनिTया म रत होना चािहए -

1 -नान क पhात प ाि क इkछा होन पर आतवकाल स सम िदन म मथन करना चािहए

2 िजह पी क इkछा हो व आतवकाल स िवषम िदन म मथन कर

मथन और सगभ)ता - मथन िTया म व9 होन क पिहल कछ आवHयक आहbितया दकर एव िनिलिखत म को पढ़त हbए ही मथन म व9 होना चािहए -

286

आयरिस सव)त ितDािस धा2वा दधात िवधाता2वा दधात ~वच)सा भविदित

~ा बह-पितिव)_ण-सोम सय)-तथाऽिEनौ भगोऽथ िमावlणौ वीर ददात म सतम

अिहरिस आयरिस सव)त ितDािस धाता 2वा

दधात िवधाता2वा दधात ~वच)सा भविदित

~ाबह-पितिव_ण सोम सय)-तथाऽिEनौ

भगोऽथ िमा वlणौ प वीर ददात म

इसक बाद जब शTltरण होन लग तो िनिलिखत म को पढ़त रहना चािहए -

पषाभगसिवता म दधात l कAपयित ललामग िव_णय[िन कAपयत 2व(ा

lपािणिपशत अिसिचत जापितधा)ता गभn दधात त

गभn धिह िसनीवािल गभn धिह पथ(bक

गभn त अिEनौ दवा वाध9ा प_करजौिवितस सजथा-त जो वEानरो

दFाद ~ाणमामयत ~गभn दधाि2वित

ाbख उदbखो बोपिव(ो मथतो मिमित चक ावण कया)त

इन उपरोJ म स gtात होता ह िक मथन सगभ)ता हत िनिम9 मा माना गया ह उस सफल और मनोऽनकल बनान क िलए धाता िवधाता क ही नहS अिपत ~ािद िविभन शिJय क भी आराधना क गयी ह िजसस जीवा2मा क ितkछाया अपनी शाEत इय9ा को -थल fप म अधगिDत करत हbए गभ) क साथ)कता िस कर सक ग हमार ाचीन मिनय न भी मथन क इस भौितक िTया को सफल बनान क िलए अनकल ऋत मास पlt ितिथ िदन नlt योग करण महq2 त) एव आसनािद क भी tयव-था कर दी ह

129 सव

1291 सव का ान

गभा)धान कािलक ल5 या राि सgtक जो हो उस राि क िजतन अश उिदत हो भJ हो उतना ही िदन या राि tयतीत होन पर सव होता ह

1292 मतकािद स सव

यिद जम क समय शीष[दय (िमथन िसह कया तला विhक और कभ) रािश हो तो थम गभ) स िसर पDोदय (मष वष कक) धन और मकर) हो तो चरण उभयचारी (मीन) हो तो हाथ स सव होता ह अथवा य ही अङग सव) थम योिनार स बाहर आत ह

287

1293 सव का क$ एव सख ान

यिद जमकाल क समय म नवम भाव म पाप5ह हो तो क( स सव होता ह यिद चतथ) दशम म शभ5ह हो तो सख स सव होता ह

1294 सव थान का ान

जमल5 क रािश व नवमाश क समान -थान पर सव होता ह -

1 ल5 स ि-वभाव रािश का नवमाश हो तो जातक का जम माग) म होता ह

2 ल5 स ि-थर रािश का नवमाश हो तो जातक का जम घर म होता ह

3 ल5 स -वरािश का नवमाश हो तो जातक का जम घर म होता ह

4 ल5 स अय रािश का नवमाश हो तो जातक का जम अय tयिJ क घर म होता ह

1295 शgय िचिकसा स सव क योग

1 राहb सय) व मङगल पचमभाव म ि-थत हो तो सव शAय िचिक2सा ारा होता ह

2 पचम -थान का -वामी अपनी नीचरािश म हो नवमभाव का -वामी ल5 म हो बध व कत पचमभाव म हो तो गभ)वती ी का िशश शAय िचिक2सा ार जम लता ह

1296 अनगभा योग

अनगभा) योग म जम लन वाली ी गभ)धारण करन क योय नहS होती ह यह योग ी क कampड़ली म िन कार स बताय गय ह -

1 सय) ल5 म हो और शिन समभाव म हो अथवा सय) शिन समभाव म एक साथ ि-थत हो तो तथा बह-पित दशमभाव को दख रहा हो तो यह योग बनता ह

2 शिन एव मङगल छठ भाव म या चतथ) भाव म हो तो यह योग बनता ह

3 शिन षDश क साथ हो अथवा छठ -थान म हो और चमा सम भाव म हो और अनगभा) योग बनता ह

1210 ससव हत उपाय

1 वट क प9 पर लाल चदन स अनार क कलम स िनािकत म और य िलखकर सता क िसर पर रख दन स सखपव)क सव होता ह

म) - अि-त गोदावरी तीर जभला नाम राltसी

त-या -मरमाण िवशAया गिभ)णी भवतrsquolsquo

288

2 नय इमली क पौध क जड़ गिभ)णी क िसर क बाल म बाध द सव होत ही क ची स काट लव Pयिक aयादा दर रखना ाणघातक हो सकता ह

3 गिभ)णी क हाथ म चबक प2थर रखन स सव पीड़ा नहS होती ह

4 मन_य क बाल जलाकर गलाबजल म िमलाकर तलव म मलन स फायदा होता ह

5 कampटकारी क जड़ और अतीस तथा पाढ़ल हाथ पर म धारण करन स शी सव होता ह

6 ितल और सरस गम) तल स गिभ)णी क मािलश करन स शी सव होता ह

7 कठ किलहारी इलायची मीठा बच िचक कजा का समान भाग लकर चण) बनाकर सघान स शी सव होता ह

8 ऊ मJा पाशा िवपाशाh मJा सयyण रHमय

मJ सव)भयाद गभn एिह मािचर मािचर -वाहाrsquolsquo

कए स ताजा जल मगवाकर ऊपर िलख म को सात बार पढ़कर ी को िपलाय तरत ही सख ससव होगा

9 िltितज)ल िवज9जौ वायिव)_ण जापित

सगभा) 2वा सदा पात वशAय च िदशतत

स_व2वमिविPल(मािविPल(ा शभानन

काित)कय Fत प काित)कयोिभरिltतमrsquolsquo

यह म ी क कान स मह लगाकर सात बार पढ़ तो शी सख सव होगा

10 बन म Kयानी बादरी कkचा बन फल खाय

Vवाई Bीराम क सो तरत सव हो जाय

मरी भगत गl क सकत अब दखो तरो म क सकत

Bीराम नाम साचा म पर ईEरी बाचाrsquolsquo

इस को सात बार पानी म पढ़कर ी को िपलाव तो शी सख सव होगा

11 बन म Kयानी अजनी िजन पाए हनमत

हbकारत ही हनमत क गभ) िगर सखवत

शKद साचा िपampड ढाचा फर म Bी बाचा rsquolsquo

इस म को ी क कान म 9 बार जोर-जोर स पढ़ और फकार लगाव तो शी सख सव होगा

289

12 ऊ S BS PलS ऐ धवतर नम ( सता का नाम)

का सव शाित fपा मचा मचा कf कf -वाहाrsquolsquo

इस म स सात बार पानी को अिभमित करक सता ी को िपलाव तो शी सख सव होगा

13 ऊ मJा पाशा िवपाशाh मJा सयyण रHमय

मJ सव)भयाद गभn रािह मािचर -वाहाrsquolsquo

इस म स िगलास या कटोरी म िलया हbआ जल सात बार अिभमित करक िपला दव इस जल क पीन स lका हbआ बkचा शी बाहर िनकल आता ह

1211 साराश

ी जब िववाह क पhात थम बार ऋतमित होती ह उसक पhात होन वाला समागम िनषकrsquolsquoकहलाता ह उसक बाद होन वाल मािसक धमv क अनतर ी-पlष का समागम गभा)धान कहलाता ह मङगल और चमा क हत स िय को ितमास रजोधम) होता ह ऋत -नान क पhात ी क मािसक धम) या रजोदश)न स 16व िदन तक ी गभा)धान क योय हाती ह रजोदश)न स प (समिदवस) अथवा कया (िवषमिदवस) ाि हत शभिदवस का िवचार भी यथासमय पर कर लना चािहए

इस अVयाय क अतग)त हमन िवFािथ)य क िलए ी क रजोकाल स लकर गभ)धारण करत हbए िशश होन तक क योग का वण)न िकया ह िजसक अतग)त गभा)धान िTया प अथवा पी का जमयोग िवचार यमलयोग गभ)पातयोग सव पीड़ा योग अथवा सवसख योग सिहत गभ)काल स दस महीन का समिचत िववरण िदया गया ह

1212 श दावली

bull गभा)धान = गभा)शय म बीज क -थापना

bull गभा)वTाित = पlष व ी क बीज का समागम

bull उपचय भाव = ततीय षD दशम व एकादश भाव

bull अनगभा) = गभ)धारण हत अltम ी

bull यमल योग = जड़वा बkच उ2पन होना

290

1213 अित लघ+रामक

1 गभ) Pया ह

उ9र अ( कित और षोड़श िवकितय स यJ सजीव िपampड़ गभ) कहलाता ह

2 गभा)धान िकस कहत ह

उ9र - िजस कम) क ारा गभ) म बीज क -थापना पlष ारा ी क गभा)शय म क जाती ह उस गभा)धान कहत ह

3 िकन दो 5ह ारा ी को रजोधम) होता ह

उ9र - मङगल तथा चमा ारा ी को ितमास रजोधम) होता ह

4 रज काल क दो िनिषX समय बताईय

उ9र - अमाव-या क ]रJा ितिथ अथवा सVयाकाल थम रजोदश)न हत न( समय ह

5 रजोदश)न स प ाि हत िनिद)( िदवस बताईय

उ9र - 4 6 8 10 12 14 16व िदन प ाि हत समागम का BD समय होता ह

6 सव -थान gtात करन का Pया आधार ह

उ9र - जम ल5 क रािश व नवमाश सव -थान gtात करन का अधार ह

7 गभ)ि-थित का -वfप िकस कार होगा

उ9र - आधानकाल म ी क मनोदशा जसी होगी वसी ही गभ)-थ िशश क कित होगी

8 पदजात योग िकस कहत ह

उ9र - सव उपरात जब बkच को पहल पर तथा अत म िसर योिनमाग) स िनकलता ह उस पदजात योग कहत ह

9 गभा)धान क समय िकन तीन गampड़ात दोष का 2याग करना चािहए

उ9र - ितिथ नlt व ल5 गampड़ात का 2याग करना चािहए

10 जारज योग िकस कहत ह

उ9र - जब कोई ी अपन पित स अितरJ अय िकसी पlष क ारा सतान उ2पन करती ह तो वह सतान जारजसतान कहलाती ह

1214 लघ+रामक

1 गभा)धान क वgtािनक िTया का वण)न किजय

291

2 रजोदश)न का शभाशभ मास नlt व फल बताईय

3 गभ) म यमल योग का वण)न किजय

4 प एव कया ाि योग Pया हग

5 गभा)धान क समय Pया दोष नहS होन चािहए

1215 स0दभ 130थ

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक Bी सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

  • Page 1

2

पाठयम अिभक13प सिमित

अय

ो एलआर गजर िनदशक सकाय वमखिविव कोटा

सयोजक समवयक एव सदय

समवयक

डॉ मता चौधरी सहायक आचाय अजी वमखिविव कोटा

सयोजक

डॉ किपल गौतम सहायक आचाय स कत वमखिविव कोटा

सदय

ो बी िपाठी लाल बहादर शा ी स कत िवापीठ िद$ ली

ो िवनोद कमार शमा जगतग रामान( द आचाय राज थान स कत िवालय जयपर

डॉ सरता भागव राजकय महािवालय झालावाड़

डॉ िजत( - कमारी िवदी या0 याता स कत लाड दवी शमा पचोली सकत महािवालय मा1डलगढ़ भीलवाड़ा

4ी ओम काश 6 योितषाचाय कोटा

डॉ कमलश जोशी उपकलसिचव वमखिविव कोटा

सपादन एव पाठयम लखन

सपादक

डॉ िजत( - कमारी िवदी या0 याता स कत लाड दवी शमा पचोली सकत महािवालय मा1डलगढ़ भीलवाड़ा पाठयम लखन

1

स4ी सपना सराना (9) 6 योितष िवशारद जयपर

2 4ी राज( - सराणा (61112) 6 योितष िवशारद जयपर

3 स4ी प$लवी शमा (2345) 6 योितष िवशारद कोटा

4

ो वासदव शमा(1)

5

4ीमती िनलम सालानी(78) 6 योितष व वा तशा परामशदाता अकोला महारा8 9ा

6 समन सचदव (23410) 6 योितष व वा तशा परामशदाता जयपर

3

अकादिमक एव शासिनक यवथा

ो िवनय कमार पाठक

कलपित वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

ो एलआर गजर िनदशक

सकाय िवभाग वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

ो पीक शमा

िनदशक ampीय सवा भाग

वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

पाठयम उपादन

योग+ गोयल सहायक उपादन अिधकारी

वधमान महावीर खला िविवालय कोटा उपादन इस सामी क िकसी भी अश भी अश को वमखिव कोटा क िलिखत अनमित क िबना िकसी भी प म अय पनः तत करन क अनमित नह ह वमखिव कोटा क िलए कलसिचव को वमखिव कोटा (राज) ारा मि(त एव कािशत

4

इकाई - 1

पचाग का यावहारक जीवन म उपयोग इकाई क पररखा

11 -तावना

12 उय 13 िवषय -वश

131 पAचाङग 132 सवD सर 1321 सवD सर आनयन िविध 133 सवD सर वामी 134 सवD सरफल 133 ऋत

1331 ऋतओ का िवभाग 134 अयन

1341 उEरायण 1342 दिFणायन

135 मास 1351 सौरमास 1352 चा0मास 1353 सावनमास 1354 नाFमास 1355 Fयािधमास िवचार 1356 मलमास म करणीय व अकरणीय काय$

1357 जममास 1357 जममास

136 पF 137 ितिथ

1371 अमावया क भद

5

1372 पिण$मा क भद 1373 ितिथ को शा9lt म पाच भागlt म िवभािजत िकया ह (नदा भ0ा जया रा पणा$) 1374 नदािद ितिथयlt म उDपन जातकlt का फल 1375 ितिथसमय 1376 िछ0ा ितिथ 1377 Fय ितिथ 1378 विM ितिथ 1379 Fय व विM ितिथ का Dयाग व परहार 13710 पव$ ितिथया 13711 गल(ह ितिथया 13712 सोपपद व कलाकल ितिथया 13713 ितिथयlt क वामी 13714 ितिथयlt म िनिषM काय$ 13715 चािद मास म शय ितिथया 13716 पFरN ितिथया 13717 ितिथयोिगनी च 13718 घातितिथया 13719 ितिथ अशभफलनाशक पदाथ$ 13720 ितिथ म 4ारिनमा$ण का िनषध 13721 मवािद ितिथया 13722 यगािद ितिथया 13723 मवािद व यगािद ितिथयlt म करणीय कम$ 13724 ितिथयlt म आन वाली वयिसM ितिथया

138 गampडात िवचार 1381 ितिथ गampडात 1382 ल(गampडात 1383 नFगampड़ात

139 वार 1391 शभ-अशभ वार 1392 वार व उनक करणीय काय$

1310 कालहोरा महQD त$ 1311 चौघिडय़ा ान िविध

6

1312 अिभिजत महQD त$ 1314 -दोषकाल 1315 घातवार 1316 िदशाशल 1317 वार म अशभफलनाशक पदाथ$

1318 वार क अनसार जम लन वाल जातकlt का फल 1319 पचकlt म Uया कर और Uया नहV 1320 अिनवास 1322 नFlt कW सा एव उनम करणीय कम$

1323 पAचाङग म योगिवचार 1324 यितपात 1325 वधित 1326 आनदािद 28 योग 1327 कचािद ताDकािलक योग 1328 करण का शभ व अशभ िववचन 1329 भ0ािवचार

13291 भ0ािवचार 13292 भ0ा अङगिवभाग 13293 भ0ा म शभाशभ करणीय कम$

1330 राहYकाल का यथाथ$ 1331 िशववास का जानन का -कार 14 साराश 15 शZ दावली 16 अितलघEराDमक -[ 17 लघEराDमक -[ 18 सदभ$ (थ

11 तावना

7 योितष शा स सबिधत -थम इकाई ह इस इकाई क अ^ ययन स आप बता सकत ह िक पAचाङग का यावहारक ान िकस -कार होगा इसका िवशष _प स वण$न िकया गया ह पAचाङग बनान कW -था बड़ी परानी ह 7योितष क F म पAचाङग तभी स -चिलत हYआ जब िक हम 7योितष का थोड़ा बहYत ान होन लगा था पर यह िनिaत ह िक वह पराना पAचाङग आज जसा नहV था पAच अङग क थान पर पहल िकसी समय चतरङग bयङग 4यङग अथवा एकाङग भी -चिलत था और िलिप का

7

ान होन क पहल तो कदािचत जबानी ही उसका ान कर लत थ परत इतना अवय ह िक ितिथ नF (ह आिद िथित दश$क कोई पदाथ$ अित-ाचीन काल स ही -चिलत रहा ह यहा उस 7योितदप$ण कहग वदो म भी िलखा ह िक अमक िदन नF और ऋत म अमकामक काय$ करन चािहए वदाङग7यौितषकाल अथा$त शकपव$ 1400 म वष$ म ितिथ और नF अथवा सावन िदन और नF दो ही अङग थ ितिथ का मान लगभग 60 घटी होता ह अथा$त उस अहोरा दश$क कहना चािहए ितeयध$ अथा$त करण नामक अङग का -चार ितिथ क थोड़ ही िदनlt बाद हYआ होगा और उसक बाद वार -चिलत हYए हltग अथव$7योितष म करण व वार दोनो ह ऋUगf परिश म ितिथ करण महQD त$ नF ितिथ कW नदािद साओ िदनFय और वार का वण$न ह पर मषािद रािशया नहV ह वत$मान पAचाङग का व_प -ाचीनकाल स बहYत ही िभन हो चका ह

12 उय

इस इकाई क अ^ययन क पaात आप िन=निलिखत शा9ीय ान स अवगत हो पायग

1 िनDय -ितिदन पAचाङग का -योग

2 पAचाङग क िसMातो का अधारभत ान

13 िवषय वश

-ाचीनकाल स पAचाङग का महQD त$ -Dयक यि क जीवन म रहा ह -ात काल िन0ाम होत ही पहली िजासा यही होती ह िक आज कौनसा वार ितिथ hत-पव$ आिद ह इस इकाई म सभी िजासओ को पAचाङग का यवहारक ान िदया जा रहा ह िजसस वह वय दिनक 7योितषीय िनण$य वत कर सक

131 पचाङग

पाच अङगlt स पAचाङग बना ह - ितिथ वार नF योग करण

ितिथवा$रAच नF योग करणमव च

यतत पAचक प पAचाङग तददीरतम

- पAचाङगिवानम

पाच अङगो क अितर भी अय अनकानक िवषयlt का समावश पAचाङग म होता ह वष$ क स=वDसरािद िनण$य (हण-िनण$य hत-पवा$िद दिनक (ह-प िववाह आिद महQE

132 सव सर

8

पAचाङग का -ार=भ सवD सर स होता ह यही वष$ गणना सवD सर कW जननी ह iाj दव मानव िपbय सौर सावन चा0 एव बाह$पDयािद मतlt क अनसार िविभन कालमानlt को य िकया जाता ह तदनतर बाह$पDय और चा0 मान स सवत सर कW -ितपिE होती ह

1321 सव सर आनयन िविध

शािलवाहन शक एव िवमस=वत म -ाय 135 का अतर होता ह अत शकाZद म 135 जोडऩ पर िवमाZद -ाk होता ह -तत स=वत म 09 जोड़कर -ाk सlया को 60 स िवभािजत कर शषाङकlt क अनसार -भवािद गत सवD सर जानन चािहए

उदाहरणतया -

स=वत 2022 + 9 = 2231 60 अथा$त लिZध 33 एव शष 51 -ाk हYआ अत 51 सवD सर भोगन क बाद 52वा कालय नामक सवD सर वत$मान ह

133 सव सर 13वामी

60 सवD सर को 4ादश भागlt म िवभािजत कर दन स -Dयक भाग म पाच सवD सर होत ह इस सवD सरपचक कW कालाविध यग कहलाती ह पाच-पाच स=वDसरlt स िनिम$त म -ाk यगसमहlt क अिधपित इस -कार ह -

सवD सर (पाच-पाच) वामी

1-5 िव1ण

6-10 बहपित

11-15 इ0

16-20 अि(

21-25 िवmकमा$

26-30 अिहब$^य

31-35 िपतर

36-40 िवmदवा

41-45 च0

46-50 इ0ािन

51-55 अिmनी

56-60 भग

9

134 सव सरफल

वत$मान सवD सर सlया को दगना करक उसम 03 घटाकर 07 का भाग दव शषाङकlt क अनसार स=वत फल िनnिलिखत ह -

शषाङक फल शषाङक फल

0 पीड़ा 1 दिभ$F

2 सिभF 3 म^यम

4 दिभ$F 5 सिभF

6 म^यम

िवमािदDय काल स -चिलत -भवािद स=वDसरlt कW शभाशभता उनकW सा स ही झलकती ह इनक िन=निलिखत अिविpछन म ह -

1 -भव 2 िवभव 3 शUल 4 -मोद 5 -जापित

6 अङिगरा 7 qीमख 8 भाव 9 यवा 10 धाता

11 ईmर 12 बहYधाय 13 -माथी 14 िवम 15 वष

16 िचभान 17 सभान 18 तारण 19 पािथ$व 20 यय

21 सव$िजत 22 सव$धारी 23 िवरोधी 24 िवकित 25 खर

26 नदन 27 िवजय 28 जय 29 ममथ 30 दम$ख

31 हमल=बी 32 िवल=बी 33 िवकारी 34 शाव$री 35 2लव

36 शभकत 37 शोभन 38 ोधी 39 िवmावस 40 पराभव

41 2लवङग 42 कWलक 43 सौ=य 44 साधारण 45िवरोधकत

46 परधावी 47 -मादी 48 आनद 49 राFस 50 नल

51 िपङगल 52 कालय 53 िसMाथr 54 रौ0 55 दम$ित

56 ददिभ 57 sिधरोदगारी 58 राFी 59 ोधन 60 Fय

133 ऋत

सय$ का मषािद -Dयक दो-दो रािशयlt पर समण काल ऋत कहलाता ह इस -कार एक वष$ म छ ऋतय होती ह -

1 बसत 2 (ी1म 3 वषा$ 4 शरद

5 हमत 6 िशिशर

10

ऋतए सौरमास चामास

बसत मीन-मष च-वशाख

(ी1म वष-िमथन 7यt-आषाढ़

वषा$ कक$ -िसह qावण-भा0पद

शरद कया-तला आिmन-काित$क

हमत विaक-धन माग$शीष$-पौष

िशिशर मकर-क=भ माघ-फाuगन

2331 ऋतओ का िवभाग (आष$वचन क अनसार) -

ऋतए कार

बसत (ी1म एव वषा$िद दवी-ऋत

शरद हमत एव िशिशर िपतर-ऋत

इनका फल व-कमा$नसार होता ह

134 अयन

ाितवE क -थमाश का िवभाजन उEर व दिFण गोल क म^यवतr धरवlt क 4ारा माना गया ह यही िवभाजन उEरायण और दिFणायन कहलता ह इन अयनlt का 7योितष ससार म -मख थान ह

1341 उरायण

इस सौ=यायन भी कहा जाता ह उEरायण -विE सायन मकर क सय$ (जो पAचाङगlt म -ाय मकर भान स िनिद$ िकया जाता ह) अथा$त 21-22 िदस=बर स लकर िमथन का सय$ 06 मास तक रहता ह साधारणतया लौिककमतानसार यह माघ स आषाढ़ पय$त माना जाता ह सौ=यायन सय$ कW कालाविध को दवताओ का िदन माना जाता ह एव इस समय म सय$ दवताओ का अिधपित होता ह िशिशर बसत और (ी1म- य तीन ऋतए उEरायण सय$ का सङगठन करती ह इस अयन म नतन गह--वश दीFा-(हण दवता उxान कआ बावड़ी तालाब आिद कW -ितtा िववाह चड़ाकरण तथा योपवीत -भित सकार एव इतरतर शभकम$ करना शा9स=मत ह

नोट - उEरायण -विE क समय स 40 घटी पय$त समय पampयकाल माना जाता ह जो सभी शभकायy म

विज$त ह

1342 दिणायन

यह समय दवताओ कW राि माना गया ह सायन कक$ क सय$ (िजसक य-त ककz भान स -िद िकया जाता ह) अथवा 21-22 जन स 06 मास अथा$त धनरािशथ सायन सय$ तक का म^यातर

11

दिFणायन (या=यायन) सक ह दिFणायन म वषा$-शरद-हमत ऋत कW -विE होती ह दिFणायन काल म सय$ िपतरlt का अिधtाता कहा गया ह अतएव इस काल म षोड़श सकार तथा अय माङगिलक कायy क अितर कम$ ही िकय जात ह उ(दवता मातकाए भरव वाराह नारिसह ििवम (िव1ण) मिहषासर का वध करत हYए दगा$ कW थापना दिFणायन म भी कW जा सकती ह

नोट - दिFणायन -वश होन क समय स 15 घटी का समय पampयकाल क नाम स -िसM ह और वह सभी शभाशभ कमlt म िवशषत Dया7य ह

135 मास

मास चार -कार क होत ह -

1351 सौरमास

यह सय$ समण स स=बM ह मषािद बारह रािशयlt पर सय$ क गमनानसार ही मषािदसक 4ादश सौरमासlt का गठन िकया गया ह एक सौरमास लगभग 30 िदन 10 घampट का होता ह िववाह उपनयनािद षोड़श सकार य एकोि qाM ऋण का दानादान एव (ह-चारािद अयोयिवषयक कालlt का िवचार सौरमास म करना चािहए

1352 चामास

यह च 0 स स=बिधत ह अमावया क पaात शUल -ितपदा को च0 िकसी नFिवशष म -वश करक -ितिदन एक-एक कला क परणाम स बढ़ता हYआ पिण$मा को पण$च0 क _प म ि गोचर होता ह पन क1ण-ितपदा स मश अuपशUल होता हYआ च0मा अमावया को पणा$धकार_पी मतावथा को -ाk होता ह अत एक मत क 4ारा शUल -ितपदा स अमावया तक अDयतर मतानसारण शUल -ितपदा स पिण$मा तक का समय चा0मास कहा जाता ह यxिप शUलपFािद मास मlय तथा क1णपFािद मास गौण ह तथािपत दशभद क अनसार दोनlt -कारlt स चा0मासlt कW -विE को (हण िकया जाता ह -Dयक चा0मास -ाय 29 िदन 22 घampट का होता ह चािद िविभन चा0मासlt कW साय पिण$मा को च0 4ारा सिमत नF सा पर आधारत ह -

मास न

च िचा वाती

वशाख िवशाखा अनराधा

7यt 7यtा मल

आषाढ़ पवा$षाढ़ा उEराषाढ़ा

qावण qवण धिनtा

भा0पद शतिभषा पवा$भा0पद उEराभा0पद

12

आिmन रवती अिmनी भरणी

काित$क कितका रोिहणी

माग$शीष$ मगिशरा आ0रा

पौष पनव$स प1य

माघ अ|षा मघा

फाuगन पवा$फाuगनी उEराफाuगनी हत

1353 सावनमास

एक अहोरा म 24 घampट या 60 घटी मानकर 30 िदन का एक सावनमास होता ह जातक कW अवथा उEरािधकारयlt म स=पिE-िवभाजन 9ीगभ$ कW विM तथा -ायिaEािद कमy म सावनमास का ही िवचार करना चािहए

1354 नामास

च0मा क 4ारा 27 नFlt क मण को स=पण$ करन म आवयक समयाविध को एक नाFमास कहत ह नाFमास का उपयोग जलपजन नFशाित य-िवशष तथा गिणतािद म िकया जाता ह

1355 यािधमास िवचार

सौरवष$ का मान 365 िदन -15 घटी - 31 पल - 30 िवपल

चा0वष$ का मान 354 िदन - 22 घटी - 01 पल - 33 िवपल

अत प ह िक चा0वष$ सौर वष$ स 10 िदन - 53 घटी - 30 पल - 07 िवपल कम ह इस Fितपित$ और दोनlt मासlt क सामAजय क उय स हर तीसर वष$ अिधक चा0मास तथा एक बार 141 वषy क बाद तथा दसरी बार 19 वषy क बाद Fय-चा0मास कW आविE होती ह

अस ाितमासोऽिधमास $फट $याद

ि)स ाितमास याय कदािचत -

िसMातिशरोमिण

िजस चा0मास म प सय$ कW साित न हो वह अिधकमास तथा िजस चा0मास म दो बार सय$ कW साित हो वह Fयमास कहलाता ह

Fयमास व अिधकमास दोनlt ही मलमास कहलात ह

1356 मलमास म करणीय व अकरणीय काय

स^या-अि(हो-पजनािद िनDयकम$ गभा$धान जातकम$-सीमत-पसवन सकार रोगशाित अल~य योग म qाM 4ादशाह-सिपampडीकरण मवािद ितिथयlt का दान दिनक दान यव-ितल-गो-भिम तथा

13

वणा$िद दान अितिथ-सDकार िविधवत नान -थम वािष$क qाM मािसक qाM एव राजसवा िवषयक कम$ मलमास म शा9स=मत ह

अिनDय व अनिमिEक काय$ ि4तीय वािष$क qाM तलापsष-कयादान-गजदानािद अयोय षोड़श महादान अयाधान य अपव$ तीथ$याा अपव$ दवता क दश$न वािटका-दव-कआ-तालाब-बावड़ी आिद क िनमा$ण और -ितtा नामकरण-उपनयन-चौलकम$-अन-ाशनािद सकार िवशष रा7यािभषक सकामना वषोDसग$ बालक का -थम िन1मण hतार=भ hतोxापन गहार=भ गह-वश िववाह दवता का महोDसव कमा$नtानािद का=यकम$ पाप--ायिaत -थम उपाकम$ व उDसग$ हमत ऋत का अवरोह सप$बिल अ काqाM ईशान दवता कW बिल वध-वश दगा$-इ0 का थापन और उDथान दवतािद कW शपथ (हण करना िवशष परवत$न िव1ण-शयन और कमनीय याा का मलमास म िनषध ह

1357 जममास

जमिदन स एक सावनमास (30 िदन) पय$त जममास कहलाता ह मतातरण िजस क1णपFािद चा0मास म यि का जम हो उस ही जममास माना जाता ह पनa Fयमास क अतग$त ितिथ क पवा$M$ म जम हो तो पव$मास तथा परा0ध म जम हो तो आगामी मास ही जममास िनधा$रत िकया जाना चािहए

जममास म साधारणतया Fौरकम$ (चड़ाकरण) याा व कण$वधािद कम$ विज$त ह परत नान दान जप होम िववाह एव कमनीय कयy क िलए जममास शभफलदायी होता ह यथा -

$नान दान तपो होम सवमाङग3यवधनम

उ)ाह5 कमारीणा जममास श$यत -

qीपितसमpचय

जमिन मािस िववाह शभदो जम8षजमरायो5

अशभ वदित गगा ितवधौरयाास - पीयषधारा

जममास म माङगिलक काय$ स=पादन क िनण$यातग$त विसt न कवल जमिदन गगा$चाय$ जमानतर 08 िदन अिधपित न 10 िदन और भागर न जम क पF को ही कवल दिषत बतलाया ह एव जममास क शष िदन शभकम$ स=पादन म (ाf ह -

जात िदन दषयत विसgtो ौ च गगA िनयत दशराि

जात$य प िकल भागBर5 शषा श$ता खल जममािस

- राजमात$ampड़

136 प

14

िजस राि म सय$ और च0मा िकसी रािश म एक ही अश पर हो वह राि अमावया कहलाती ह अमावया स िनरतर बढ़ती हYई च0-सय$ कW परपर दरी िजस िदन 180 अश परिमत हो जाती ह उस िदन राि को पण$ च0 ि गोचर होता ह और वह राि पिण$मा कहलाती ह अत अमावया स पिण$मा तक का यह 15 िदनाDमक -काशमान म^यातर शUलपFrsquolsquoकहलाता ह तDपaात पिण$मा स अमावया तक का काल क1णपFrsquolsquoकहलाता ह

शUलपF दव-धान होन स दवकमy म तथा क1णपF म िपतरािधिtत होन क कारण िपतकमy म िविहत ह अथा$त शUलपF म सव$ शभकाय$ तथा क1णपF म सभी िपतकाय$ -शत ह यथा -

य दवा पयतऽधमास स दवा योऽपीयत स िपतर -

शतपथ iाjण

-ाय एक पF 15 िदन का होता ह और कभी-कभी ितिथ-Fय-विM क कारण यनािधक भी हो सकता ह परत एक ही पF म दो बार ितिथ-Fय हो जान स 13 िदनाDमक पF समत कमy म वज$नीय ह यथा -

प$य मCय ि)ितथी पतता तदा भवौरवकालयोग

प िवन सकल िवनिमयाहEराचायवरा सम$ता -

7योितिन$बध

137 ितिथ

रिवच0योग$Dयतर ितिथrsquolsquoअथा$त सय$ व च0मा कW गित का अतर ही ितिथ का मान होता ह इह कल 30 भागlt म िवभािजत िकया गया ह इस -कार सय$ और च0 क -Dयक 12 अश पर एक ितिथ बढ़ती ह िजह मश -ितपदा (-थमा) ि4तीया आिद स लकर अमावया तक क1णपF कW तथा इसी -कार -ितपदा ि4तीया ततीया आिद स पिण$मा तक शUलपF कW 15-15 ितिथया होती ह स=पण$ ितिथयlt को िमलाकर एक चा0मास होता ह िजस पAचाङग म अलग स च वशाख 7यt आषाढ़ qावण भा0पद आिmन काित$क माग$शीष$ पौष माघ एव फाuगन नामlt स अलग-अलग -दिश$त िकया जाता ह

अमावया को हYए सय$-च0मा क समागम क पaात दोनlt (ह उEरोEर दर होत जात ह उस िदन च0मा 0 अश स -ार=भ होकर जब 12 अश तक जाता ह तब शUल -ितपदा का आगमन होता ह इसी -कार 12-12 अशlt क परमाण स अि(म ितिथया बनती ह अत म पिण$मा को सय$-च0 म 180 अश कW दरी हो जान पर च0मा मampडल पण$ -काशमान हो जाता ह इसी -कार 12 अश क िमक ास क साथ-साथ क1णा -ितपदा का आगमन इसी -कार होता ह यही म क1णपF का ह

15

1371 अमाव$या क भद

िसनीवाली दश$ कहQ -ात काल रािपय$त यािपनी अमावया िसनीवालीrsquo चतद$शी स िवMा दश$ तथा -ितपदा स य कहQ सक होती ह

1372 पिणमा क भद

अनमित व राका राि को एक कलाहीन और िदन म पण$च0 स स=पन अनमितसकrsquo पिण$मा चतद$शीय होती ह परत राि म पण$ च0मा सिहत पिण$मा -ितपदा स य और राकाrsquo होती ह

1373 ितिथ को शाFG म पाच भागG म िवभािजत िकया ह (नदा भा जया BरJा पणा) -

सKा ितिथया

नदा 1 6 11

भ0ा 2 7 12

जया 3 8 13

रा 4 9 14

पणा$ 5 10 1530

1374 नदािद ितिथयG म उपन जातकG का फल -

नदा ितिथ (1-6-11) - नदा ितिथ म जम लन वाल जातक मान पान वाल दवताओ कW भि म

िनtा रखन वाल िव4ान ानवान व लोकि-य होत ह

व9 गीत वाx नDय किष उDसव गहस=बधी काय$ तथा िकसी िशuप का अ~यास हत नदा ितिथ qt ह

भा ितिथ (2-7-12) - भ0ा ितिथ म जम लन वाल जातक बध-बाधवlt म स=मािनत राजसवक

धनी तथा सासारक भय स डरन एव परोपकारी होत ह

िववाह उपनयन याा आभषण-िनमा$ण और उपयोगी कला सीखना तथा हाथी-घोड़ा एव सवारीिवषयक कायy हत भ0ा ितिथ qt ह

जया ितिथ (3-8-13) - जया ितिथ म जम लन वल जातक राजाओ सश या राजाओ स पिजत

िकत प-पौlt स रिहत शरवीर दीघा$य और दसरlt क मन कW बात को जानन वाल होत ह

सय-सगठन सिनक-िशFा स(ाम श9-िनमा$ण याा उDसव गहार=भ गह-वश औषधकम$ और यापार हत जयाितिथ qt ह

16

BरJा ितिथ (4-9-14) - रा ितिथ म जम लन वाल जातक -मािद -Dयक काय$ म अनमान लगान

वाल गsओ क िनदक शा9 क ाता दसरlt क मद को नाश करन वाल तथा अDयिधक कामच ा रखन वाल होत ह

शओ का दमन और कद करना िवष दना श9-योग शuयिया तथा अिन लगाना आिद रकम$ हत राितिथ qt ह

पणा ितिथ (5-10-1530) - पणा$ ितिथ म जम लन वाल जातक धन स परपण$ वद एव शा9lt क

अथy को जानन वाल िव4ान सDयवा तथा शM मन वाल होत ह

िववाह योपवीत आवागमन नपािभषक तथा शाितक-पौि क कम$ हत पणा$ितिथ qt ह

1375 ितिथसमय - सयदय क समय जो ितिथ वत$मान हो वह उदययािपनी ितिथ िदन-राि तक

दान पठन hतोपवास नान दवकम$ िववाहािद सकार तथा -ितtािद समत माङगिलक कायy म (ाf ह परत qाM शरीर पर तल या उबटन का -योग मथन तथा जम-मरण म ताDकािलक कम$यािपनी ितिथ को ही (हण करना चािहए

1376 िछा ितिथ - -Dयक पF कW 4 6 8 9 12 और 14 ितिथया पFिछ0ा कहलाती ह तथा

शभकायy म इनका परDयाग ही अपिFत ह अDयावयकता म िनिद$ ितिथयlt कW आिदम घिटयlt का Dयागकर शष घिटयlt को -योगाथ$ (हण करना चािहए

ितिथ 4 6 8 9 12 14

घटी 8 9 14 25 10 05

1377 य ितिथ

सयदय क बाद िकसी ितिथ का -ार=भ हो तथा अि(म सयदय स पिहल उस ितिथ का समापन हो जाय तो वह ितिथ Fयितिथ कहलाती ह

1378 विN ितिथ

यिद एक ही ितिथ क -माण म दो सयदय हो जाय अथा$त सयदय क पिहल िकसी ितिथ का -ार=भ हो जाय तथा अि(म सयदय क पaात उस ितिथ का समापन हो तो वह ितिथ विMितिथ कहलाती ह

1379 य व विN ितिथ का याग व पBरहार

Fय व विM ितिथया सभी कमy म Dया7य ह तथा आवयक होन पर ितिथFयrsquo अथवा ितिथविMrsquo क िदन काय$ क समय ल( कampड़ली म बहपित क0थ हो तो ितिथदोष समाk हो जाता ह यथा -

अमाय ितथदAष कगो दवपिजत

हित य)त पापचय Oत )वािषPक यथा - विसt

13710 पव ितिथया

17

क1णा अ मी चतद$शी अमावया पिण$मा तथा सय$-साित क िदन वत$मान ितिथ पव$सकrsquo होती ह जो सभी माङगिलक कायy म विज$त ह

13711 गलQह ितिथया

चतथr सkमी अ मी नवमी योदशी चतद$शी अमावया -ितपदा य सभी क1णपF कW गल(हrsquo ितिथया ह इनका सभी माङगिलक कायy म िनषध ह

13712 सोपपद व कलाकल ितिथया

7यtशUल ि4तीया आषाढ़ शUल दशमी पौषशUल एकादशी माघ कW क1णपF व शUलपF कW चतथr व 4ादशी य ितिथया सोपपदrsquo होती ह य सभी ितिथ शभफलदायक ह

-Dयक मास कW ि4तीया षtी व 4ादशी ितिथ कलाकलrsquo सक होती ह य सभी ितिथया म^यम फलदायक ह

13713 ितिथयG क $वामी

भारतीय पर=परा म कङकर-कङकर म शङकर कW कuपना कW गयी ह इसी -कार पAचाङग क -Dयक अङग का वामी िनधा$रत िकया गया ह अभी दवताओ क शभाशभ फल भी -ितपािदत िकय गय ह इसी म म यहा ितिथयlt क वामी का िववचन िकया जा रहा ह

ितिथ $वामी िनिद कम

-ितपदा अि( िववाह याा उपनयन -ितtा सीमतोनयन चौलकम$

गहार=भ गह--वशशाितक-पौि क काय$ आिद समत माङगिलक काय$

ि4तीया ijा राजा-मी-सामत-दश-कोश-गढ़ और सनािद राज क

सkाङग व छ चामरआिद रा7य क सkिच-स=बधी

काय$ वातकम$ -ितtा याा िववाहआभषण-िनमा$ण व

धारण उपनयनािद शभकम$

ततीया पाव$ती सगीत-िवxा िशuपकम$िवषयक कम$ सीमत चड़ाकरण

अन-ाशन गह-वश

तथा ि4तीया ितिथ म िनिद$ सभी कम$ ततीया ितिथ म भी

-शसनीय ह

चतथr गणश शताडऩ िबजली क काय$ िवषदान िहसक कम$ अि(

लगाना बदी बनानातथा श9-योगािद सभी कम$

18

पAचमी सप$ चर-िथरािद सभी कम$ परत िकसी को ऋण नहV दना

चािहए

षtी काित$कय िशuपकम$ रणकाय$ गहार=भ व9ालङकार कDय

अिखलका=य कम$ परत इसिदन दतधावन आवागमन

तला~यङग काtकम$ एव िपतकाय$ विज$त ह

सkमी सय$ हितकम$ िववाह सगीतकम$ व9ाभषण िनमा$ण और

धारणयाा गह-वशवध-वश स(ाम तथा ि4तीया-ततीया

व पचमी म िनिद$ सभी कम$ सkमी मभी (ाf ह

अ मी िशव यM वातकाय$ िशuप राजकाय$ आमोद--मोद लखन-

नDय 9ीकम$ रDनपरीFाआभषण-कम$ तथा श9धारण परत मास का सवन इस िदन कदािप नहV कर

नवमी दगा$ चतथr म उ सभी कम$ िव(ह कलह जआ खलना

मxिनमा$ण-पानआखट तथा श9िनमा$ण qt ह

दशमी यम ि4तीया-ततीया-पAचमी-सkमी म िनिद$ सभी कम$ हाथी-

घोड़ा स स=बधी कम$ तथा राजकाय$ qt ह इस िदन तला~यङग नहV कर

एकादशी िवmदवा एकादशी hतोपवास योपवीत पािणपीडऩ दव महोDसवािद

अिखल धम$ कम$ गहार=भ यMिशuप सीखना मxिनमा$ण

व गमन-आगमन व व9ालङकार काय$ qt ह

4ादशी हर अिखल चर-िथर काय$ पािण(हण उपनयनािद

माङगिलक आयोजन qt ह परत तलमद$न नतन गहार=भ गह-वश व याा का परDयाग कर

योदशी काम शUलपF कW योदशी ही (ाf ह ि4तीया-ततीया-पAचमी-

सkमी तथा दशमी म िनिद$ सभी काय$ शUलपF कW योदशी म qt ह परत मतातरण इस िदन याा-गह-वश तला~यङग यM व9ाभषण कम$ तथा योपवीत क अितर समत माङगिलक काय$ शभ ह

चतद$शी िशव िवषदान श9धारण -योग तथा चतथrय द कम$ शा9ो

ह परत चतद$शी म Fौरकम$ तथा यााकम$ आिद कम$ विज$त ह

19

पिण$मा च0मा िववाह दव जलाशय वािटका कW -ितtा िशuपभषणािद

कम$ स(ाम तथा यािक शाितक-पौि क व वात कम$ qt ह

अमावया िपतर इस िदन अयाधान िपतकम$ तथा महादान -शत ह परत

इसम कोई शभ कम$ तथा 9ीसङग रमण नहV करना चािहए

13714 ितिथयG म िनिषN काय (इन ितिथयlt म य काय$ अशभ होत ह अथ$ च स प ह) -

ितिथ काय$ ितिथ काय$

षtी तला~यङग ि4तीया उबटन

अ मी मासभFण दशमी उबटन

चतद$शी Fौरकम$ योदशी उबटन

अमावया रितिया अमावया आवला िमिqत जल स नान

सkमी आवला िमिqत जल स नान नवमी आवला िमिqत जल स नान

13715 चािद मास म शय ितिथया

(इन ितिथयlt म य काय$ अशभ होत ह अथ$ च स प ह) -

मास शयितिथया शयितिथया

क1णपF शUलपF

च 8 9 8 9

वशाख 12 12

7यt 14 13

आषाढ़ 6 7

qावण 2 3 2 3

भा0पद 1 2 1 2

आिmन 10 11 10 11

काित$क 5 14

माग$शीष$ 7 8 7 8

पौष 4 5 4 5

माघ 5 6

20

फाuगन 4 3

13716 परR ितिथया

चतथr षtी अ मी नवमी 4ादशी व चतद$शी इन ितिथयlt कW पFरN सा होती ह इनम कोई भी शभ काय$ नहV करना चािहए यिद बहYत-ही आवयकता हो तो उपरो ितिथयlt म चानसार काय$ कर -

ितिथ याSय घटी (दUड़) ितिथ याSय घटी (दUड़)

चतथr 08 षtी 09

अ मी 14 नवमी 24

4ादशी 10 चतद$शी 05

13717 ितिथयोिगनी च

िदशा ितिथ िदशा ितिथ

ईशान 8 30 पव$ 1 9

आ(य 3 11 दिFण 5 13

नऋ$ Dय 4 12 पिaम 6 14

वायय 7 15 उEर 2 10

उपरो ितिथयlt म योिगनी चो ईशािद िदशाओ म िथत होती ह योिगनी याा क समय बाय भाग म सखदायक पt म वािछतफल-दाियनी दिFण म धन का नाश करन वाली तथा स=मख म मDयकारक (क दायक) होती ह यथा -

योिगनी सखदा वाम पgt वािछत दाियनी

दिण धनही च सWमख मरणदा

13718 घातितिथया (रािश क अनसार)

याा आिद म घात ितिथ को विज$त करना चािहए

ितिथ रािश ितिथ रािश

1 6 11 मष 5 10 15 वष

2 7 12 िमथन 2 7 12 कक$

3 8 13 िसह 5 10 15 कया

4 9 14 तला 1 6 11 विaक

21

3 8 13 धन 4 9 14 मकर

3 8 13 क=भ 5 10 15 मीन

13719 ितिथ अशभफलनाशक पदाथ

िजस ितिथ म याा करनी हो यिद वह ितिथ अशभ हो तो िन=न चाङिकत पदाथy का भFण करक अथवा इन वतओ का दान करक याािद काय$ करन पर सफलता -ाk होती ह तथा ितिथदोष न हो जाता ह

ितिथ पदाथ$ ितिथ पदाथ$

-ितपदा मदार का प ि4तीया चावल का धोया हYआ पानी

ततीया दशी घी चतथr दशी घी का हलवा

पAचमी हिव1यान षtी वण$ का धोया हYआ जल

सkमी पआ अ मी अनार का फल

नवमी कमलप1प का जल दशमी गौम

एकादशी जौ का भात 4ादशी दध-चावल कW खीर

योदशी गड़ चतद$शी र

पिण$मा मग अमावया भात

13720 ितिथ म )ारिनमाण का िनषध - इन ितिथयlt इन िदशाओ क 4ारा नहV बनान चािहए और

बन हYए 4ारो म स इन ितिथयlt म इन िदशाओ म -वश अथवा इन 4ारlt स गमन नहV करना चािहए

िदशा ितिथ

पव$ पिण$मा तथा क1णपF कW अ मी

दिFण शUलपF कW नवमी स चतद$शी तक

पिaम अमावया शUलपF कW अ मी

उEर क1णपF कW नवमी स चतद$शी तक

13721 मवािद ितिथया (इन ितिथयlt म शभ काय$ नहV करन चािहए) -

ितिथ

1 चशUल ततीया व पिण$मा 2 काित$शUल पिण$मा व 4ादशी

3 आषाढ़शUल दशमी व पिण$मा 4 7यt व फाuगनशUल पिण$मा

5 आिmनशUल नवमी 6 माघशUल सkमी

22

7 पौषशUल एकादशी 8 भा0पद शUल ततीया

9 qावणक1ण अमावया व अ मी

13722 यगािद ितिथया (इन ितिथयlt म शभ काय$ नहV करन चािहए) -

ितिथया यगािद

काित$कशUल नवमी सत यगािद

वशाख शUल ततीया तायगािद

माघक1ण अमावया 4ापरयगािद

qावणक1ण योदशी किलयगािद

13723 मवािद व यगािद ितिथयG म करणीय कम

इन ितिथयlt म नान हवन जप दान-पampय करन स अनतकोिट फल -ाk होता ह परत िवxार=भ उपनयन hतोxापन िववाह गहिनमा$ण गह--वश िनDया^ययन तथा याािद म इह Dया7य बताया गया ह

शUलपF म कत$य qाM क िलए इन ितिथयlt का पवा$ और क1णपF क qाMlt क इनका अपरा (ाf ह

अपवाद -

च व वशाख शUल ततीया तथा माघशUला सkमी ितिथया मवािद यगािद होन पर भी शभकमy म (हण करन कW अनमित शा9lt न दी ह यथा -

या चवशाखिसताततीया माघ च सXWयथ फा3गन$य

कYण ि)तीयोपनय श$ता ोJा भर)ाजमनीमय - पीयषधारा

13724 ितिथयG म आन वाली $वयिसN ितिथया

ितिथ पव$

चशUल -ितपदा नवीन स=वDसरा=भ (कuपािद)

चशUल नवमी रामनवमी

वशाखशUल ततीया अFयततीया (तायगािद)

वशाख शUल नवमी जानकW नवमी

वशाख शUल पिण$मा बM पिण$मापीपल पिण$मा

7यtशUल दशमी गगादशमी

23

7यtशUल एकादशी िनज$ला एकादशी

आषाढ़शUल नवमी भडuया नवमी

भा0पद क1ण अ मी जमा मी

भा0पदक1ण नवमी गोगानवमी

भा0पदशUल एकादशी जलझलनी एकादशी

आिmनशUल दशमी िवजयादशी (दशहरामवािद)

काित$कक1ण अमावया दीपावली (दीपमािलका)

काित$कशUल एकादशी दव-बोिधनी एकादशी

माघशUल पचमी बसत पचमी

फाuगनशUल ि4तीया फलरा दोज

चक1ण अ मी शीतला मी (बायोड़ा)

138 गUडात िवचार

1381 ितिथ गUडात - पणा$ (5-10-15) तथा नदा (1-6-11) ितिथ इन ितिथयlt कW म स अत

और आिद कW 2-2 घटी दोषय होन स गampडात नाम स -िसM ह यह जम याा िववाह hतबध आिद म क कारक ह

1382 लQगUडात - कक$ -िसह विaक-धन तथा मीन-मष इन दो-दो रािशयlt क अत और आिद

कW आधी-आधी घटी को गampड़ात कहत ह यह सभी शभकमy म Dया7य ह

1383 नगUड़ात - रवती-अिmनी अ|षा-मघा तथा मीन-मष क नFlt म स अत और

आिद कW 2-2 घिटया अथा$त दोनlt कW सिध क 4 घटी को गampड़ात कहत ह इसम सभी माङगिलक कDय विज$त ह

सभी -कार क गampड़ात म जम याा िववाह आिद शभकम$ विज$त ह

139 वार (उदयात उदय यावत भानो भिम सावनवासर)

िदनlt क नाम को वार कहत ह जो भारतीय पMित क मश सय$ च0 मङगल अथवा भौम गs या बहपित श तथा शिन क नाम पर सामायत रिववार सोमवार मङगलवार बधवार गsवार शवार शिनवार क नाम स जान जात ह इनका मान एक सयदय स दसर सयदय तक होता ह इसक वामी क नाम पर ही इन वारlt का नामकरण हYआ ह जम मरण षोड़श सकार याा य हवन--ितtािद सभी माङगिलक कायy म वार--विE सयदय स ही सव$दा मानी जाती ह तथािप -ात

24

स^यािद िनDय करणीय कमy म अ0धराि क उपरात अि(म वार को सङकuप म (हण कर िलया जाता ह

1391 शभ-अशभ वार

सोमवार बधवार गsवार व शवार सौ=यवारlt कW qणी म आत ह तथा रिववार मङगलवार व शिनवार रवारlt कW qणी आत ह इहV कW सा क अनसार य अभी कमy म फलदायी होत ह

वारlt कW शभता िदन-राि क अनसार िभन-िभन -भावोDपादक होती ह यथा - रिववार गsवार व शवार का -भाव राि नगampय म होता ह तथा सोमवार मङगवार व शिनवार का -भाव िदन म नगampय होता ह

बधवार का फल सभी समय म एकसमान होता ह यथा -

न वारदोषा भवित राौ दवSयदयSयिदवाकराणाम

िदवा शशाङकाक जभसताना सव िनो बधवारदोष -

7योितिन$बध

1392 वार व उनक करणीय काय

वार दव अिधदव करणीय काय$

रिववार िशव अि( राजकWय सवा एव अय राजकWय कायy क िलए

शभ ह

यह Nव एव िथरसक वार ह

सोमवार पाव$ती जल सभी कायy क िलए शभ ह

यह वार चर एव चलसक ह

मङगलवार काित$कय भिम यM xतिड़ा (जआ सा) याा कज$ दन

सभा म जान

मकदमा -ार=भ करन क िलए शभ ह

यह वार उ( एव रसक ह

बधवार िव1ण हर िवxा (कला-काय) का -ार=भ नवीन यपार

करना नवीन लखन पतकlt का -काशन धन-स(ह -ाथ$ना-प -तत करन हत शभ ह

िमq व साधारण सा बध को दी गयी ह

25

गsवार ijा इ0 िवxा का -ार=भ ववािहक-काय$म

उpचािधकारयlt स िमलन नवीन काय लखन -काशन धन-स(ह आिद शभ कायy क िलए qt ह

लघ व िF- सा गsवार को दी गयी ह

शवार इ0 इ0ाणी नवीन व9 एव आभषणlt को धारण

करना सौभायवध$नकाय$ चलिच शिटग काय$ एव याा जान हत qt ह

मद एव म सा शवार को दी गयी ह

शिनवार काल ijा नतन गहार=भ भिम-य मशीनरी का शभार=भ 0य

स(ह मकान का िशलायास (भिमपजन) आिद िथर कायy हत qt ह

यह वार दाsण व ती6ण सक ह

1310 कालहोरा मह] त

होरा रिव सोम मङगल बध गs श शिन

1 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

2 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

3 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

4 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

5 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

6 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

7 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

8 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

9 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

10 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

11 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

12 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

13 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

14 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

26

15 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

16 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

17 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

18 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

19 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

20 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

21 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

22 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

23 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

24 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

यिद िकसी काय$ को करन हत कोई भी शभ महQत$ नहV िमल रहा हो तो उस कम$ को अय वार म भी िविहत वार कW कालहोरा (Fणवार) म कर सकत ह एक कालहोरा सयदय स 01-01 घampट का होता ह य कालहोराय सया$िदवार कW होती ह तथा -Dयक Fणवार गत कालहोरश स छठा होता ह

यिद उपरो वारlt क अितर अय दसरlt कायy म अित आवयकता हो शा9lt म चौघिडय़lt कW यवथा कW ह िदन म आठ (8) तथा राि स आठ (8) चौघिडय़ होत ह अथा$त एक अहोरा म कल 16 चौघिडय़ होत ह िजनम िनिषM वार होत हYए भी िदन अथवा राि क समय म भी आप अभी काय$ स=पन कर सकत ह

1311 चौघिडय़ा Kान िविध

िदनमान क आठ भाग करन पर आठ चौघिडय़ा महQD त$ -ाk होत ह अथा$त -Dयक चौघिडय़ का मान लगभग डढ़ घampटा (01 घampटा 30 िमनट) होता ह च (-ात 0600 बज क म^यमान स समय िदया ह सयदय क अनसार समय म परवत$न हो सकता ह)

27

06-730

0730-09

09-1030

1030-12

130-03

03-430

430-06

12-130

06-730

0730-09

09-1030

1030-12

130-03

03-430

430-06

12-130

1312 अिभिजत मह] त

नौमी ितिथ मधमास पनीता सकलप अिभिजत हBरीता

मCयिदवस अितसीत न धामा पावकाल लोक िवामा

जो भगवान को अिति-य ह िजसम काल भी ससार क उपकार क िलए कछ Fण िवqाम करता ह इसी अिभिजत महQD त$ नवमी ितिथ चमास म मया$दा पsषोEम qीराम का आिवभा$व हYआ था यिद कोई भी शभमहQD त$ नहV बनता हो तो सभी जातकािद कम$ अिभिजत महQD त$ म िकय जा सकत ह

िदनमान क म^यभाग म 48 िमनट का अिभिजत महQD त$ होता ह जो िक सभी माङगिलक कायy म -शसनीय ह िकत बधवार क िदन अिभिजत का िनषध ह

अिभिजत का मान -

उEराषाढ़ा नF का चतथ$ चरण +qवण नF का आिदम चरण = अिभिजत

उEराषाढ़ा नF कW 15 घटी +qवण नF कW 04 घटी = अिभिजत

च0मा क रािश-अश-कला-िवकला क अनसार अिभिजत का मान -

मकर रािश क अतग$त - 09-06-40-00 स 09-10-53-20

28

1314 दोषकाल

चतथr का -थम-हर (3 घampट) सkमी का -थम डढ़ -हर (4 घampटा 30 िमनट) तथा योदशी क अि(म -हर4य (6 घampटा) का समय -दोषकाल कहलाता ह

मतातर स षtी या 4ादशी आधी राि क बाद एकघटी पव$तक हो अथवा 09 घटी राि तक ततीया हो तो यह -दोष अ^ययन म विज$त ह तथा राि म तीन -हर स पिहल सkमी या योदशी वत$मान म हो तो वह -दोष भी अन^याय होता ह

सदव सया$त क पaात तीन महQD त$ (03 घampटा 24 िमनट) -दोष का मान होता ह

1315 घातवार - अधोिलिखत रािश वालlt क िन=न वार अशभ ह इन वारlt म यथास=भव याा का

Dयाग कर -

वार रािश

रिववार मष

सोमवार िमथन

मङगलवार मकर

बधवार कक$

गsवार तला क=भ

शवार विaक धन मीन

शिनवार िसह वष

1316 िदशाशल - अधोिलिखत वारlt म िनnिलिखत िदशाओ का यथास=भव याा का Dयाग कर -

िदशा िनिषMवार

पव$ सोमवार शिनवार

दिFण गsवार

पिaम रिववार शवार

उEर मङगवार बधवार

1317 वार म अशभफलनाशक पदाथ

िजस वार म याा करनी हो यिद वह ितिथ अशभ हो तो चाङिकत पदाथy का भFण करक अथवा इन वतओ का दानािद करक याािद काय$ करन पर सफलता -ाk होती ह तथा वारदोष न हो जाता ह

वार पदाथ$

29

रिववार शM घी अथवा िशखरन

सोमवार दध या खीर

मङगलवार गड़ अथवा काAजीबड़ा

बधवार ितल अथवा पका हYआ दध

गsवार दही

शवार शM घी अथवा कpच दध

शिनवार उड़द अथवा तल स बनी वत अथवा ितल

1318 वार क अनसार जम लन वाल जातकG का फल

जमवार फल

रिववार िपE-कित काय$F म िनपणता झगडाल दानी उDसाही उ(

वभाव

सोमवार बिMमान ि-य कथावाचक राजकपा पान वाला सख-दख को

बराबर मानन वाला

मङगलवार दीघा$य वीर महाबली अपन परवार म -धान तथा कबिM वाला

होता ह

बधवार िव4ान पिampडत मधरभाषी स=पिE स य सदर आकित लखन

काय$ स जीिवका िनवा$ह करन वाला तथा धनी होता ह

गsवार -शसनीय काय$कता$ िववकW िव4ान (थकता$ राजा का मी

साधारण लोगlt स पिजत होता ह

शवार बिMमान मनोहर _प वाला चAचल दवता स 4ष करन वाला

वाचाल होता ह

शिनवार ढ़वाणी पापी दिखत परामशील ढ़-ित अिधक कशवाला

अिधक उn कW ि9यlt म रत रहन वाला नीची ि वाला होता ह

वार क अनसार करणीय कम

30

रिववार - रा7यािभषक गाना बजाना नयी सवारी पर चढऩा रा7यसवा गाय-बलlt का य-िवय हवन-यािद मोपदश य-िवय औषिध श9यवहार तथा यM

सोमवार - पड़-पौध प1प व उपवन लगाना बीजारोपण 9ीिवहार गायन यािदकाय$ नय व9 धारण करना

मङगलवार - फट डालना झठ बोलना चोरी िवष अिन श9--योग स(ाम वध कपट घमampड सयकम$ तथा िवराम

बधवार - चतरता पण$ पampयकम$ िलखना-पढऩा कलाकौशल िशuप-िच बनाना धात-िया नौकरी -वश यि मी सिध यायाम और वाद-िववाद

गsवार - धािम$क कDय नव(हlt कW पजा य िवxा~यास माङगिलक कDय व9-यवहार गहकाय$ याार=भ रथ घोड़ा औषिध एव आभषण स=बधी सभी शभ काय$

शवार - 9ी गायन शया मिण रDन हीरा सगिध व9 अलकार जमीन-जायदाद यापार गाय 0य भampडार व खतीबाड़ी क काय$

शिनवार - पाप िमeयाभाषण चोरी िवष अक$ िनकालना श9 नौकर-चाकर स=बधी काय$ हाथी बाधना म कW दीFा गह--वश तथा सभी िथरकाय$

िदन म जातक का जम होन पर फल -

िजसका जम िदन म होता वह धमा$चरण स य अिधक प वाला भोगी सव9lt को धारणकता$ बिMमान व सदर आकित वाला होता ह

राि म जातक का जम होन पर फल -

राि म जम लन वाला जातक कम बोलन वाला मिलन दय पापाDमा िछप कर पाप करन वाला अिधक कामच ा वाला होता ह

1319 पचकG म _या कर और _या नहa (पचक नF - धिनtा शतिभषा पभा उभा रवती)

-

क=भ व मीन रािश म च0मा क रहत हYए धिनtा क उEराध$ शतिभषा पवा$भा0पद उEराभा0पद और रवती य पाच नF पचकlt क मान गय ह पचकlt म मlय _प स शवदाह चारपाई बनना पलग शया चटाई कसr तखत यवसाय गददी तयार कराना मकान कW छत डालना लटर सट करना ख=भlt को सट करना काtईधनलोह क सरय स(ह करना तथा दिFण िदशा कW याा दिFणािभमख नय भवन कW सीिडय़lt पर चढऩा आिद qीपितrsquo क अनसार विज$त माना गया ह

पचक क पाच नFlt म िकए गय कDयlt का फल पाच गणा होता ह इसी तरह िप1कर योग िगिणत और ि4प1कर योग दगिणत फल दत ह पचकlt म पाच गणा िप1कर योग म ितगना और ि4प1कर योग

31

म दोगना हािन लाभ हYआ करता ह मDय यािध अयाय यथा रोगोप0व होन पर शाित िवधान कW आवयकता पड़ती ह पचक नFlt (धिन शत पभा उभा रवती) का िवशष िवचार उपरो विण$त कDयlt म ही िकया जाता ह शभ कम$ िववाह मampडन योपवीत गहारभ गह-वश वािण7यकम$ वाहनािद क लन-दनफम$ सचालन मित$-ितtा आिद सभी qt महQत म तो पचक क पाचो नF शभ कह गए ह सभी पवDसव hत रFाबधन भयादज महाल6मी पजनािद म पचको का िवचार नहV िकया जाता ह वहद7योितषसारrsquo (थ म तो धिन उभा रवती नF सभी काय म िसिM-द मान गय ह पभा एव शतिभषा नF को साधारण _प स िसिMनायक कहा गया ह

1320 अिbनवास

िजस िदन हवन करना हो उस िदन ितिथ और वार कW सlया जोड़कर एक ओर जोडऩा पन 4 का भाग दना यिद परा भाग लग जाए 0 शष रह अथवा 3 शष रह तब अि( का वास पeवी पर सखकारक होता ह शष 1 बचन पर आकाश म -ाणघातक शष 2 म पाताल म धननाशकारक होता ह ितिथ कW गणना शUल -ितपदा स तथा वार कW रिववार स करनी चािहए

1321 न - स=पण$ आकाशमampड़ल को 12 रािशयlt क अितर 27 नFlt म िवभािजत िकया

गया ह

न आकित तारा $वामी

1 अिmनी अmमख 3 अिmनी कमार

2 भरणी योिन 3 यम

3 कितका नािपतFर 6 अि(

4 रोिहणी शकट 5 ijा

5 मगिशरा िहरणमख 3 च0

6 आ0रा मिण 2 िशव

7 पनव$स गह 4 अिदित

8 प1य बाण 3 बहपित

9 अ|षा चाकार 5 सप$

10 मघा भवन 5 िपतर

11 पवा$फाuगनी चारपाई 2 भग

12 उEराफाuगनी शया 2 अय$मा

13 हत हाथ 5 रिव

32

14 िचा मोती 1 िवmदव

15 वाती मगा 1 वाय

16 िवशाखा तोरण 4 इ0ाि(

17 अनराधा बिलभ$पAज 4 िम

18 7यtा कampड़ल 3 इ0

19 मल िसहपpछ 11 राFस

20 पवा$षाढ़ा हाथीदात 2 जल

21 उEराषाढ़ा िसहासन 2 िवmदव

अिभिजत िभज 3 ijा

22 qवण वामन 3 िव1ण

23 धिनtा मदङग 4 वस

24 शतिभषा वE 100 वsण

25 पवा$भा0पद मAच 2 अजपाद

26 उEराभा0पद यगल-पsष 2 अिहब$^य

27 रवती मदङग 32 पषा

1322 नG क सKा एव उनम करणीय कम

सा नF करणीय कम$

Nव-िथर रोिहणी उEराफाuगनी बीजरोपण उxान लगाना नगर-वश उEराभा0पद (ामवास िवनायकशाित गायनिवxा

का -थम अ~यास नतन व9धारण

कामWड़ा आभषण-िनमा$ण-धारण

तथा मी आिद सभी िथर काय$ इसम qt ह

चर-चल पनव$स वाती हाथी-घोड़ा-ऊट-मोटर-गाड़ी आिद कW

qवण धिनtा शतिभषा सवारीवािटका लगाना या -थम -वश यापार -ार=भ मथन िया वण$-चादी-मिण-रDनािद य आभषण िनमा$ण

तथा िवxा को सीखन का -ार=भ आिद कम$

33

उ(-र भरणी मघा पवा$फाuगनी शताडऩ अि( का य-त -7वलन शठता करना

पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद िवष सवन करनाकराना य-म क मा^यम स

िकसी पर घात करना जस र काय$ तथा पशओ कावशीकरण इस नF म करणीय कम$ ह

िमq-साधारण कितका व िवशाखा अिनकाय$ वषोDसग$ अिनहो -ार=भ वत का सि=मqण बदी बनाना िवष--योग आिद हय वभयकर कम$

िF--लघ अिmनी प1य हत वतओ का िवय रितया शा9lt का अिभिजत अ^ययन आभषण धारण करना सिहDय-सङगीत-कला िवषयक कम$ व औषिध का आदान-

-दान

मद-म मगिशरा िचा अनराधा गीत-वाx स=बधी कम$ नवीन परधान-

धारण रवती रितियािमता करना तथा अलङकार िनमा$ण

ती6ण-दाsण आ0ा$ आ लषा 7यtा अिभचार कम$ (मारण उpचाटन

मल िव4षण आिद) कलहोDपादन हाथी-

घोड़lt का -िशFण बीजवपन

उxानार=भ शाितक-पौि क कम$ गह-(ाम -वशसगीतिवxा का -ार=भ आमोद--मोद तथा नवीन व9-आभषण का धारण

जमन िवचार

1 अन-ाशन उपनयन चड़ाकरण रा7यािभषक आिद म जमनF -शत होता ह

2 याा सीमतोनयन तथा िववाह म जमनF अिन होता ह

3 महQD त$दीिपका क अनसार चड़ाकरण औषिध सवन िववाद याा व कण$वध म ही जम-नF का िनषध ह

4 जम नF स 25वा तथा 27वा नF शभकमy म Dया7य ह

1323 पdचाङग म योगिवचार

34

योग को दो qिणयlt म िवभाित िकया गया ह नसिग$कrsquolsquo व ताDकािलकrsquolsquo नसिग$क योगlt का सदव एक ही म रहता ह तथा यह एक क बाद एक आत ह िव1क=भािद 27 योग नसिग$क qणी म आत ह परत ताDकािलक योग ितिथ-वार-नF आिद क िवशष सगम स बनत ह आनद -भित एव कच उDपात िसिM तथा मDय आिद योग ताDकािलक ह

योग वामी फल

1 िव1क=भ यम अशभ

2 -ीित िव1ण शभ

3 आय1मान च0 शभ

4 सौभाय ij शभ

5 शोभन बहपित शभ

6 अितगampड़ च0 अशभ

7 सकमा$ इ0 शभ

8 धित जल शभ

9 शल सप$ अशभ

10 गampड अिन अशभ

11 विM सय$ शभ

12 धरव भिम शभ

13 याघात वाय अशभ

14 हष$ण भग शभ

15 व वsण अशभ

16 िसिM गणश शभ

17 यितपात s0 अशभ

18 वरयान कबर शभ

19 परघ िवmकमा$ अशभ

20 िशव िम शभ

21 िसM काित$कय शभ

22 सा^य सािवी शभ

35

23 शभ ल6मी शभ

24 शUल पाव$ती शभ

25 ij अिmनी कमार शभ

26 ऐ0 िपतर अशभ

27 वधित िदित अशभ

1324 eयितपात

यह उप0वी योग ह यह योग नसिग$क व ताDकािलक दोनlt qिणयlt म आता ह अमावया को रिववार या qवण धिनtा आ0ा$ अ|षा अथवा मगिशरा नF क योग स यितपातयोगrsquolsquoबनता ह

1325 वधित

यह भी यितपात क समकF ही ह इस भी शभकमy म Dया7य बताया ह

शष अशभ योगlt म परघ का पवा$M$ िव1क=भ व व कW आिदम 03 घटी याघात कW -ारि=भक 09 घटी शल कW -थम 05 घटी तथा गampड-अितगampड कW आिदम 6-6 घिटया िवशषत Dया7य ह

1326 आनदािद 28 योग

वार व नF क योग स ताDकािलक आनदािद 28 योगlt का आनयन होता ह इन योगlt को ात करन क िलए वार िवशष को िनिद$ नF स िवxमान नF तक सािभिजत गणना कW जाती ह रिववार को अिmनी स सोमवार को भरणी स मङगवार को अ|षा स बधवार को हत स गs को अनराधा स शवार को उEराषाढ़ा स तथा शिनवार को शतिभषा स तिन क च0ष तक िगनन पर आk सlया को ही उस िदन वत$मान आनदािद योग का माक -ाk होता ह

योग रिव सोम मङगल बध ग शlt शिन फल

आन(द अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा शतिभषा अथिसिgt

कालद1ड भरणी आ-रा मघा िचा 6या अिभ पभामAयभय

धC किD पन पफा वाती मल 4वण उभा दख

जापित रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा धिना रवती सौभाFय

(धाता)

सधाकर मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा शत अिनी बहHमखी

(सौJय)

Kवाङ आ-रा मघा िचा 6या अिभ पभा भरणी अथनाश

36

Kवजा पनवस पफा वाती मल 4वण उभा कितका सौभाFय

(कत)

4ीवAस प8य उफा िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी ऐय

वN अ=षा हत अनराधा उषा शतिभषा अिनी मगिशरा धनय

मदगर मघा िचा 6या अिभ पभा भरणी आ-ा धननाश

छ पफा वाती मल 4वण उभा कितका पनवस राजसJमान

िम उफा िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी प8य सौ0य

मानस हत अनराधा उषा शत अिनी मग अशpoundषा सौभाFय

पP िचा 6या अिभ पभा भरणी आ-रा मघा धनागम

लJबक वाती मल 4वण उभा कितका पनवस पफा लQमीनाश

उAपात िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी प8य उफा ाणनाश

मAय अनराधा उषा शतिभषा अिनी मगिशरा अशpoundषा हत मरणभय

काण 6या अिभ पभा भरणी आ-रा मघा िचा Sलशविgt

िसिgt मल 4वण उभा कितका पनवस पफा वाती अभीTिसिgt

शभ पषा धिना रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा क$याण

अमत उषा शतिभषा अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा राजसJमान

मसल अिभ पभा भरणी आ-रा मघा िचा 6या अथय

अ(तक 4वण उभा कितका पनवस पफा वाती मल रोगबिgtनाश

(गद)

कUजर धिना रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा कलविgt

(मातङग)

रास शतिभषा अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा बहHपीड़ा

चर पभा भरणी आ-रा मघा िचा 6या अिभिजत कायलाभ

सिथर उभा कितका पनवस पफा वाती मल 4वण गह ािW

() वधमान रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा धिना समङगल

दोष पBरहार - पव योगlt म साधारण qणी क योगlt कW -ारि=भक घिटयlt का Dयाग कर दन क पaात

उनकW अशभता कW दोषापिE नहV रहती ह परत कालदampड उDपात मDय व राFस योग तो सम( _प स Dया7य ह अय योगlt कW Dया7य घिटया च म -िद कW गयी ह

योग ध वा व मदगर प लब काण मसल अतक

37

घिटया 1 5 5 5 4 4 2 2 7

नोट - कयोग क समय यिद कोई अय िसिM आिद सयोग भी वत$मान हो तो सयोग का ही फल िमलता ह कयोग का नहV यथा -

अयोग िसिNयोग5 )ावतौ भवतो यिद

अयोगो हयत त िसिNयोग वfतत - राजमाbतampड

1327 कचािद ताकािलक योग

ितिथ-वार तथा नF क िविश सगम स आिवभ$त योगlt का महQD त$शोधन म मह5वपण$ थान ह अत ऐस ही कछ -चिलत योगlt का िववरण चlt म उिuलिखत ह -

ितिथवार जिनत योग

योग रिव सोम मङगल बध गg श शिन

कच 12 11 10 9 8 7 6

सवत 7 x x 1 x x x

दध 12 11 5 3 6 8 9

िवष 4 6 7 2 8 9 7

अिनिजा 12 6 7 8 9 10 11

म य 1 6 2 7 16 3 8 4 9 2 7 5 10

11 12 11 13 14 12 1530

िसि x x 3 8 2 7 5 10 1 6 4 9

12 12 15 30 11 14

किलक 7 6 5 4 3 2 1

अमत 5 10 5 10 2 7 1 6 3 8 4 9 1 6

15 20 15 20 12 11 13 14 11

र नाकर 3 8 1 6 4 9 4 10 2 7 5 10 3 8

13 14 1530 12 1530 13

ितिथवार जिनत योग

योग रिव सोम मङगल बध ग श शिन

यमघ(ट मघा िवशाखा आ+रा मल कितका रोिहणी हत

दध भरणी िचा उषा धिन0ा उफा 1य0ा रवती

अमत हत मगिशरा अि3नी अनराधा प5य रवती रोिहणी

उ पात िवशाखा पषा धिन0ा रवती रोिहणी प5य उफा

38

सवाथिसि अि3नी रोिहणी अि3नी कितका अि3नी अि3नी रोिहणी

प5य मगिशरा कितका रोिहणी पनवस पनवस वाती

उ8राय प5य अ9षा मगिशरा प5य अनराधा वण

हत मल अनराधा उफा हत अनराधा वण

वण अनराधा रवती रवती

अमत रोिहणी अि3नी कितका कितका पनवस अि3नी रोिहणी

उ8राय रोिहणी प5य रोिहणी प5य पफा वाती

प5य हत मगिशरा अ9षा अनराधा वाती उफा

मल रवती पफा वाती शतिभषा अनराधा अनराधा

उफा उभा वण

हत रवती उभा

वण पभा

धिन0ा

पभा

उभा

=शत रवती हत प5य रोिहणी वाती उफा मल

1328 कचािद योग-योजन

कच सवत$ दध िवष अिनिजा मDय किलक उDपात और यमघampटकािद ितिथ वार नF स उदगत समत योग मङगल कम म अशभ होन क कारण विज$त ह परAच िसिM अमत-िसिM सवा$थ$िसिM अमत रDनाकर एव -शतािद योग अपन नाम क अनसार (यथानाम तथा गणा) ही फलदायी होत ह

करण -

ितिथ का आधा भाग करण कहलाता ह क1णपF म ितिथ सlया को सात स िवभािजत करन पर -ाk अविश सlयक करण ितिथ क पवा$M$ म तथा शUलपF म ि4गिणत ितिथ सlया म 02 घटा कर सात का भाग दन पर शषाङक मसlया वाला करण उस ितिथ क पवा$M$ म िथत होता ह उसस अि(म म -ाk करण ितिथ क उEराध$ म होता ह बवािद 11 करणlt का म उनक वामी तथा िविभन ितिथयlt म उनक अितDव का िनn च म -दश$न िकया जाता ह करण वामी शलप+ितिथ कणप+ ितिथ

चर करण

बव इ+ 5 12 पवा 1 8 15 उ8राध 4 11 पवा

बालव ा 2 9 पवा 5 12 उ8राध 1 8 पवा 4 11 उ8राध

कौलव िम 6 13 पवा 2 9 उ8राध 5 12 पवा 1 7 8 उ8राध

39

तितल िव3कमा 3 10 पवा 6 13 उ8राध 2 9 पवा 5 12 उ8राध

गर भिम 7 14 पवा 3 10 उ8राध 6 13 पवा 2 9 उ8राध

विणज लAमी 4 11 पवा 7 14 उ8राध 3 10 पवा 6 13 उ8राध

िविB यम 8 15 पवा 4 11 उ8राध 7 14 पवा 3 10 उ8राध

िथर करण

शकिन किल x 14 उ8राध

चत5पद + x 30 पवा

नाग सप x 30 उ8राध

िकतDन मत 1 पवा x

13281 करण का शभ व अशभ िववचन

बवािद -थम सk चरसकrsquolsquoतथा शकयािद चत य िथरसकrsquolsquoहोत ह बवािद छ करणlt म माङगिलक कम$ शभ भ0ा सव$था Dया7य तथा अितम चार करणlt म िपतकम$ -शत ह

करण करणीय कम

बव बलवीय$वM$क पौि क कम$

बालव अ^ययन अ^यापन य दान

कौलव 9ीकम$ एव मीकरण

तितल सौभायवती 9ी क ि-यकम$

गर बीजारोपण व हल--वहण

विणज यापारकम$

िवि अि( लगाना िवष दना यMार=भ दampड दना तथा समत द कम$

शकिन औषिध िनमा$ण व सवन म साधन तथा पौि क कम$

चत1पद रा7यकम$ व गौ-iाjण िवषयक कम$

िकतन मङगलजनक कम$

नाग मागिलक कम$ विज$त

1329 भािवचार

40

दव-दानवlt क समरकािलक अवसर पर महादव कW रौ0रस स=पन आखlt न उनक शरीर पर ि पात िकया तDकाल उनकW दह स गद$भ - मख तीन चरण सkभजा क1णवण$ सिवकिसत दात -तवाहनवाली तथा मख स अिन उगलती हYई दवी का -ादभा$व हYआ -तत दवी न राFसlt का शमन करत हYए दवताओ का सकटशमन िकया अत दवlt न -सन होकर दवी को िवि -भ0ािद साओ स िवभिषत करक करणlt म थािपत िकया

ितिथयlt क पवा$M$ और पराM$ क अन_प ही भ0ा कW िवxमानता जाननी चािहए उEराध$ कW भ0ा िदन म तथा पवा$M$ कW भ0ा राि म शभ होती ह

प कYण श_ल

ितिथ 3 7 10 14 4 8 11 15

पवा$M$ x भ0ा x भ0ा x भ0ा x भ0ा

उEराध$ भ0ा x भ0ा x भ0ा x भ0ा x

च0मा कW रािश-सचरण क अनसार भ0ा का वास होता ह -

लोकवास मय $वग पाताल

च0रािश 4 5 11 12 1 2 3 8 6 7 9 10

भ0ामख स=मख ऊ^ व$मख अधोमख

भ0ा म याा िनिषM ह परत आवयक होन पर िजस िदशा म भ0ा का वास वही िदशा -याणाथ$ िवशषत Dया7य ह -

ितिथ िदवास ितिथ िदवास

3 ईशान 4 पिaम

7 दिFण 8 आनय

10 वायय 11 उEर

14 पव$ 15 नऋ$ Dय

13291 भा मख-मख - िनnिलिखत च म िविभन -हरlt कW िनिद$ घिटयlt म भ0ा क मख और

पpछ का सकत िकया गया ह शUलपF कW भ0ा म आिदम और क1णपF क अितम घिटया ही इस िवषय म ातय ह

पF क1ण शUल क1ण शUल क1ण शUल क1ण शUल

ितिथ 3 4 7 8 10 11 14 15

-हर 8 5 3 2 6 7 1 4

41

मखघटी 5 5 5 5 5 5 5 5

-हर 7 8 2 1 5 6 4 3

पpछघटी 3 3 3 3 3 3 3 3

भ0ामख व पpछ दोनlt ही शभकायy म Dया7य ह तथािप आवयक होन पर शUलपF म भ0ापpछrsquolsquoऔर क1णपF म भ0ामखrsquolsquoमङगलकायy म (ाf ह -हर-गणना ितिथ क -ार=भ स ही सयदय स नहV

13292 भा अङगिवभाग

एक ितिथ का अध$भाग 30 घटी परिमत होती ह अत भ0ा क िविभन अङगlt म यथा--िद घिटयlt का यास और त7जिनत फल िनn ह -

घटी 5 1 11 4 6 3

भ0ाङग मख गद$न वFथल नािभ कमर पpछ

फल काय$नाश मDय 0यनाश कलह बिMनाश काय$िसिM

-Dयक भ0ा कW अितम तीन घिटयlt म शभकाय$ िकय जा सकत ह िविभन ितिथयlt म िवxमान भ0ा को पF-भद क अनसार साए -दान कW गयी ह क1णपF कW भ0ा को म विaकWrsquolsquoतथा शUलपF कW भ0ा को सिप$णीrsquolsquoक _प म बताया गया ह िबpछ का डक पpछ म तथा सप$ का दश (िवष) मख म होन क कारण विaकW भ0ा कW पpछ और सिप$णी भ0ा का मख िवशषत Dया7य ह

13293 भा म शभाशभ करणीय कम - िवि काल म िकसी को बाधनाकद करना िवष दना

अि( जलाना अ9-श9 का -योग कत$न (काटना) भस घोड़ा और ऊट स=बधी अिखल कम$ तथा उpचाटनािद कम$ -शत ह

िववाहािद माङगिलक कDय याा और गहार=भ व गह-वश भ0ा म Dया7य बताय गय ह

भा म अपवाद -

1 यिद िदन कW भ0ा राि और राि कW भ0ा िदन म -वश कर जाय तो भ0ा िनदष हो जाती ह यथा - रािभ0ा यदि याद िदवा भ0ा यदा िनिश न त भ0ादोष यात सा भ0ा भ0दाियनी - पीयषधारा

2 मङगलवार भ0ा यितपात वधित तथा -Dयर जमतारािद म^या क उपरात शभ होत ह

3 मीन साित म महादव व गणश कW आराधना-अच$ना म दवी पजा हवनािद म तथा िव1ण-सय$ साधना म भ0ा सव$था शभदायक होती ह यथा -

$या भाय भा न शभोजप मीनरािशन योग$तथाhयचन

42

होमकाल िशवाया$तमा तiव साधन सवकालोऽथ मशनयो - 7योिव$दाभरण

1330 राहEकाल का यथाथ

अभी तारीख को थानीय सयदय और सया$तकाल का अतर कर िदनमान ात कWिजए इस िदनमान को आठ (8) स भाग दन पर यामाध$ (आधा -हर) ात होगा -थम यामाध$ का -ार=भकाल सयदयकाल ही ह इसम यामाध$ क घिम जोडऩ पर -थम यामाध$ का समािkकाल (अथवा ि4तीय यामाध$ का -ार=भकाल) ात होगा इसम पन यामाध$ क घिम जोडऩ पर ि4तीय यामाध$ का समािkकाल िनकल आएगा इसी -कार उEरोEर बार-बार जोडऩ पर आठlt यामाधy क यथाथ$ -ार=भ और समािkकाल ात हो जाएग रिववार को आठवा सोमवार को दसरा मङगलवार को सातवा बधवार को पाचवा गs को छठा श को चौथा एव शिन को तीसरा यामाध$ राहYकाल कहलाता ह आजकल -योग म लाया जान वाला राहYकाल का -ार=भ-समािkकाल अशा9ीय ह

1331 िशववास का जानन का कार

वत$मान ितिथ को 2 स गणा करक 5 जोड तDपaात 7 का भाग दव शष 1 रह तो िशववास कलाशपव$त पर 2 म गौरीपाव म 3 म वषा_ढ़ 4 स सभा म सामाय 5 स भोजन म 6 स Wडा तथा शय म मशान म िशव का वास होता ह िशवाच$न क िलए शभ ितिथया -

शUलपF म - 25679121314 एव क1णपF म - 14568111230

िशववास का फल - कलाश म यिद िशवजी का वास हो सखकारक होता ह गौरी क साथ

शभकारक वषभ पर आ_ढ़ हो तो धन व वभव स य Wडा म हो तो सतापकारक सभा व भोजन म म^यम फलदायी मशान म मDयदायी होता ह

14 साराश

पAचाङग अDयत िवतत िवषय ह िजस सिFk म कछ पtlt म सीिमत करना िकसी भी लखक क िलए अस=भव ह पAचाङग म -मखतया पाच अङग होत ह यथा - ितिथ वार नF योग व करण

वत$मान म पAचाङग अDयत िवतत हो चक ह सवD सर राजा मी वष$ का सिहताDमक िवववरण महQD त$काल िववाहािद महQD त$ गणिमलान रािशफल आिद अनकानक िवषयlt क साथ वत$मान क पAचाङग आमजन तक स=पण$ विदक ान को अपन भीतर समािव करत हYए ानवध$न कर रह ह इस इकाई म यथास=भव सभी िवषयlt का वण$न करत हYए पAचाङग का समिचत ान इस इकाई म िदया गया ह

15 श दावली

bull पAचाङग = िजसक पाच अङग हो

43

bull सवD सर = भारतीय वष$

bull अयन = सय$ परमण च

bull सौरमास = सय$ साित मास

bull गampड़ात = पव$ का आिद व अत

bull काल = समय

bull वयिसM = अबझ

bull आनयन = प करना

16 अितलघरामक

1 पAचाङग क पाच अङग कौनस ह उEर ितिथ वार नF योग व करण - इनस िमलकर पAचाङग का िनमा$ण होता ह 2 सवD सर िकतन होत ह उEर सवD सर 60 होत ह 3 दवी ऋत एव िपतर ऋतओ क नाम िलिखएiuml उEर बसत (ी1म एव वषा$ ऋत को दवी ऋत एव शरद हमत एव िशिशर ऋत को िपतर ऋत कहत

ह 4 सौरवष$ व चा0वष$ का मान िलिखए उEर सौरवष$ 365 िदन - 15 घटी - 31 पल - 30 िवपल चा0वष$ 354 िदन - 22 घटी - 01 पल - 33 िवपल 5 अमावया व पिण$मा क भद बताईय उEर -ात काल यािपनी अमावया को िसनीवालीrsquolsquo चतद$शी स िवMा को

दश$rsquolsquoतथा -ितपदा स य अमावया को कहQrsquolsquoसक कहत ह राि को एक कलाहीन और िदन म पण$च0 स स=पन अनमितrsquolsquoसक पिण$मा चतद$शीय होती ह परत राि म पण$ च0मा सिहत पिण$मा -ितपदा स य राकाrsquolsquoसक होती ह

6 ितिथयlt कW सा बताईय उEर नदा (1-6-11) भ0ा (2-7-12) जया (3-8-13) रा (4-9-14) व पणा$ (5-10-15) 7 ितिथ गampड़ात ल( गampड़ात व नF गampड़ात बताईय

उEर पणा$ व नदा ितिथयlt कW म स अत व आिदम दो-दो घिटयlt को ितिथ गampड़ात कहत ह कक$ -िसह विaक-धन मीन-मष रािशयlt क अत और आिदम कW आधी-आधी घटी को

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ल(गampड़ात कहत ह रवती-अिmनी अ|षा-मघा तथा मीन-मष क नFlt म अत व आिदम कW दो-दो घिटयlt को नF गampड़ात कहत ह

8 नF व िदनमान क अनसार अिभिजत का मान बताईय

उEर उEराषाढ़ा नF कW 15 घटी व qवण नF कW 04 घटी िमलकर अिभिजत सक होती ह तथा िदनमान क म^यभाग म 48 िमनट का काल अिभिजत महQD त$ कहलाता ह

9 सोमवार को करणीय कम$ बताईय

उEर पड़-पौध प1प व उपवन लगाना बीजारोपण 9ीिवहार गायन यािदकाय$ व नय व9 धारण सोमवार को qt रहता ह

10 चर करणlt क नाम िलिखए

उEर बव बालव कौलव तितल गर विणज िवि - य सात चर करण ह

17 लघरामक

-[ - 1 साठ स=वDसरlt क नाम व उनक वामी बताईय

-[ - 2 ितिथ का परचय दीिजय

-[ - 3 नF का परचय दीिजय

-[ - 4 योग का परचय दीिजय

-[ - 5 करण का परचय दीिजय

18 सदभ थ

1 धम$शा9 का इितहास 2 7योितष सnाट पAचाङग

लखक - डॉ पाampडरङग वामन काण स=पादक - डॉ रिव शमा$

-काशक - उEर-दश िहदी सथान -काशक - अ भा -ा 7यो

शो स जयपर

3 कालमाधव 4 महQD त$ िचतामिण

स=पादक - डॉ iजिकशोर वाई याlयाकार - कदारदE जोशी

-काशक - चौख=बा सकत सथान वाराणसी -काशक - मोतीलाल

बनारसीदास वाराणसी

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इकाई ndash 2

जम पिका सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

इकाई क परखा

20 -तावना 21 उय 22 िवषय -वश 221 जम पिका परचय 222 ितिथ 223 पचाग को दखन कW िविध 224 सयदय साधन 225 वलातर सकार 226 चरपल िनकालन कW िविध 227 िदनमान स सयदय िनकालना 228 थानीय सया$त 229 इ काल कW पहली िविध 2210 परभाषाऍ 2211 इ काल िनकालन कW दसरी िविध 2212 इ काल कW परभाषा व स 23 साराश 24 बोध -[ 25 शZदावली 26 सदभ$ (थ सची

20 तावना

7योितष शा स सबिधत दसरी इकाई हा इस इकाई क अ^ ययन स आप बता सकत ह िक ज म पिका सया$दय वला तर प1 टा तर ान इ1 टकाल U या ह इसक िवषय म स= यक _प स वण$न िकया गया ह 7योितष क तीन कध ह िसMात सिहता होरा इस इकाई क अतग$त कध आिद क अतग$त आन वाल िवषय जम पिका का िनमा$ण िकया जाता ह -ाचीन काल म इस 7योित पदाथy क नF तारlt (हlt क व_प को बतान वाला िवान कहा जाता था Uयltिक जब सMाितक गिणत का

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पण$ ान नहV था कवल ि स ही (हो का ान िकया जाता था ईसा पव$ 500 म 7योितष म गिणत एव फिलत य दो कध वत _प स िवकिसत हYय 7योितष क अतग$त (हlt कW गित िथित अयनाश आिद गिणत 7योितष क अतग$त आ गए (ह िनरतर गितशील ह िजस समय को बालक जम लता ह उस समय (हlt कW कसी िथित ह और (ह िकतन िड(ी पर -भाव डाल रह ह इन सबका िववचन lsquolsquoिसMात 7योितषrsquorsquo कW दन ह य गिणत और सMाितक गिणत म अतर होन क बाद भी पचागlt का सहारा लत ह जम पिका बनात ह इस इकाई म सयदय सया$त तथा िदनमान और इ काल िनकालन कW िविधयlt का उuलख िकया गया ह जम कampडली िकसी भी जातक (यि) क भत भिव1य एव वत$मान कW स=पण$ जानकारी कहानी होती ह अतः शM जम पिका बनान क िलए िन=न जानकारी होना आवयक ह

bull जातक का जम का वष$ माह एव तारीख

bull जम थान का नाम जहा जम िलया ह वहा का सयदय एव सयत का समय और उस थान क अFाश एव रखाश

bull जम समय

उपय$U त जानकारी सही ह तो शM इ काल िनकाला जायगा इस स जातक कW जम कampडली सही बनगी और उसम भत भिव1य एव वत$मान कW सही जानकारी होगी

21 उय

इस इकाई क िनमा$ण क िन=न उय ह -

bull जमपिका कW िविध का ान

bull सयदय सयत एव इ काल कW िववचना

bull भारतीय मानक समय एव थानीय समय का ान

bull इ काल का महD D व -ितपािदत करना

bull जम कampडली िनमा$ण म ितथी वार नF योग एव करण का ान कराना

22 िवषय वश

221 जम पिका पBरचय- सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

जम पिका- 7योितष शा9 क अनसार िकसी भी जातक क जम क समय क आकाशीय (हlt कW िथित क अनसार जमपिका का िनमा$ण करत ह जमपिका बनान वाल यि अथवा 7योितष

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को पचाग अथवा जी का पण$ ान होना अDयावयक ह Uयltिक पचाग पर एक वष$ का कालदश$क होता ह िजसम वष$ म होन वाली आकाशीय (हlt कW िथित उनकW गित आिद कW परी जानकारी होती ह

पचाग क पाच अग होत ह- ितिथ वार नF योग और करण

222 ितिथ (रिवचयोगयXर ितिथः)-

7योितष कW भाषा म ितिथ च0मा कW सय$ स अशाDमक दरी को एक ितिथ कहा गया ह -ितिदन लगभग 12 अश का अतर सय$ और च0मा क मण क समय म होता ह दसर शZदlt म च0मा और सय$ पeवी स कभी एक ही अश (0deg अश) पर और 180deg अश पर िदखाई दता ह इस -कार इस दरी मापन को ही ितिथ कहा गया ह

िकसी अय परभाषा स च0मा कW एक कला को ितिथ कहा गया ह ितिथयॉ तीस होती ह (-ितपदा स पिण$मा और -ितपदा स अमावया तक)

ितिथयG क $वामी-

-ितपदा आिन

ि4तीया ijा

ततीया गौरी

चतथ$ गणश

पचमी शषनाग

षtी काित$कय

सkमी सय$

अ मी िशव

नवमी दगा$

दशमी काल

एकादशी िवmदव

4ादशी िव1ण

योदशी काम

चतद$शी िशव

पिण$मा च0मा

48

अमावया िपतर

ितिथयG क सKाऐ-

ितिथयlt का वगrकरण पाच भागlt म िकया गया ह

ितिथया

नदा भ0ा जया रा पणा$

1 2 3 4 5

6 7 8 9 10

11 12 13 14 1530

िसNा ितिथया-

मगलवार बधवार बहपितवार बधवार शिनवार

3 2 5 1 4

8 7 10 6 9

13 12 15 11 14

अमाव$या क तीन भद ह -

1) -ातःकाल स लकर राि तक रहन वाली अमावया को िसनीवाली

2) चतद$शी स िवM को दश$ एव

3) -ितपदा स य अमावया को कहY कहत ह

दbधा िवष और हEताशन सKक ितिथया-

दधा िवष और हYताशन सक ितिथयlt म काय$ करन पर िवन बाधाओ का सामना करना पड़ता ह

दधा-िवष-हYताशन योग सा बोधक च

वार रिववार सोमवार मगलवार बधवार ग_वार शवार शिनवार

दधा 12 11 5 3 6 8 9

सक

49

िवष 4 6 7 2 8 9 7

सक

हYताशन 12 6 7 8 9 10 11 सक

वार-

िजस िदन कW -थम होरा का जो (ह वामी होता ह उस िदन उसी (ह क नाम का वार रहता ह 7योितष शा9 म शिन बहपित मगल रिव श बध और च0मा य (ह एक दसर स मशः नीच िदय गय ह एक िदन कW 24 होरा होती ह दसर शZदlt म घampटा ~वनतM का दसरा नाम होरा ह

वार क कारः-

वार -कार वार -कार

बहपित सौ=य मगल र

च0 सौ=य शिन र

बध सौ=य रिव र

श सौ=य - -

न-

आकाश मampडल म जो असlय तारकाओ स कही आख सप$ शकर एव हाथ आिद कW आकित बन जाती ह व ही नF कहलात ह आकाश मampडल कW दरी नFlt 4ारा ही ात कW जाती ह

1) पचक सKक

धिनtा शतिभषा पवा$भा0पद पवा$भा0पद रवती

पचक दोष

2) मल सKक

मल सक नF को शभ नहV माना जाता ह यिद िकसी बpच का जम 7यtा अ|षा रवती मल मघा और अिmनी नF म होता ह तो 28व िदन क पaात जब वहV नF आता ह तब इन नFlt क दोष शमनाथ$ शाित करवाई जाती ह

7यtा और मल नF मल सक तथा आ|षा सप$ मल सक ह

3) Rव सKक

उEराफाuगनी उEराषाढ़ा उEराभा0पद एव रोिहणी Nव सक

50

4) उQ सKक

पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद पवा$फाuगनी मघा व भरणी उ( सक

5) चर सKक

वाित पनवस qवण धिनtा और शतिभषा चर सक

6) िम सKक

िवशाखा और किEका िमq सक कहलाता ह

7) लR सKक

हत अिmनी प1य और अिभिजत िF- या लघ सक कहलाता ह

8) मद सKक

मगिशरा रवती िच और अनराधा मद सक ह

9) तीlण सKक

मल 7यt आ0ा$ और अ|षा ती6ण या दा_ण सक ह

10) अधोमख

मल आ|षा िवशाखा किEका पवा$फाuगनी पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद भरणी और मघा मखसक ह इन नFlt म शभ काय$ जस - कआ खोदना समान एव ओxौिगक F फUी आिद कW नVव खोदना ह

11) ऊCवमख सKक

आ0ा$ प1य qवण धिनtा और शतिभषा उ^व$मखी सक ह

12) ितयडमख सKक

अनराधा हत वाती पनव$स 7यtा और अिmनी ितय$Yख सक नF ह

13) दbध सKक

दध नFlt म शभ काय$ नहV िकय जात ह जस

1 रिववार - भरणी

2 सोमवार - िचा

3 मगलवार - उEराषाढ़ा

4 बधवार - धिनtा

5 बहपितवार - उEराफाuगनी

51

6 शवार - 7यtा

7 शिनवार - रवती

उपरो नF दधसक कहलात ह

14) मास शय सKक

मास (मिहना) न

1 च - रोिहणी अिmनी

2 वशाख - िचा और वाती

3 7यt - उEराषढ़ा और प1य

4 आषाढ़ - पवा$फाuगनी और धिनtा

5 qवण - उEराषाढ़ा

6 भा0पद - रवती

7 आिmनी - पवा$भा0पद

8) काित$क - किEका मघा

9) माग$शीष$ - िचा और िवशाखा

10) पौष - आ0ा$ अिmनी और हत

11) माघ - qवण मल

12) फाuगन - करणी 7यtा मास शय नF

13) माघ - qवण मल

नFो क चरणानसार नामाFर

रािश नF व उनक चरण नाम क -थम अFर

मष अिmनी 4 भर 4 किEका 1 च च चो ला िल ल ल लो अ

वष किEका 3 रोिहणी 4 मग 2 इ उ ए ओ वा िव व व वो

िमथन मगशीष$ 2 आ0ा$ 4 पन 3 क िक क घ ङ छ क को ह

कक$ पनव$स 1 प1य 4 अ|षा 4 ही हQ ह हो डा डी ड ड डो

िसह मघा 4 पवा$फा 4 उ फा 1 म मी म म मो टा टी ट ट

कया उ फा 3 हत 4 िचा 2 टो प पी प ष ण ठ प पो

52

तला िचा 2 वाती 4 िवशाखा 3 र री _ र य ता ित त त

विaक िवशाखा 1 अन 4 7यtा 4 तो न नी न न नो या यी य

धन मल 4 पवा$षा 4 उEराषा 1 य यो भ भी भ धा फा ढा भ

मकर उ षा 3 qवण 4 पवा$भा0 2 भो ज जी खी ख ख खो ग िग

कभ धिनtा 2 शत 4 पवा$भा0 3 ग ग गो सा सी स स सो द

मीन पवा$भा 1 उ भा0 4 रवती 4 दी द थ झ acute द दो चा ची

न-

7योितष क अनसार अिmनी स लकर रवती तक 27 नF होत ह

-Dयक 9 नF क 9 वामी (ह ह इस -कार तीन नF (उदाहरण क िलए कितका उEरा फाuगनी और उEराषाढा का वामी सय$ ह इसी -कार च0मा रोिहणी हत और qवण क वामी ह)

सारणी न 2

इन 28 नFlt क वामी मशः ह-

नF वामी

1 अिmनी अmनी कमार

2 भरणी यम

3 कितका अिन

4 रोिहणी ijा

5 मगिशरा च0मा

6 आ0ा$ िशव

7 पन$वस अिदित

8 प1य ग_

9 अ|षा सप$

10 मघा िपत

11 पवा$फाuगनी भग

12 उफाuगनी अय$मा

13 हत सय$

53

14 िचा Dव ािवmकमा$

15 वाती वाय

16 िवशाखा इ0ािण

17 अनराधा िम

18 7यtा इ0

19 मल राFस

20 पवा$षाढ़ा जल

21 उEराषाढ़ा िवmादव

अिभिजत िविध

22 qवण िव1ण

23 घिनtा वस

24 शतिभषा व_ण

25 पवा$भा0पद अजकपाद

26 उEराभा0पद अिहब$^य

27 रवती पषा

अिभिजत नF को भी 28वा नF माना गया ह अिभिजत नF सभी मागिलक कायy म शभ माना जाता ह इस नF म उEराषाढ़ा कW आिखरी प0ह घिटया और qवण क -ार=भ कW 04 घिटया इस -कार 19 घिटयlt क मान वाला नF अिभिजत नF कहलाता ह

करण-

ितिथ क आध भाग को करण कहत ह करण यारह होत ह चार िथर और सात चर करण

करण क नाम-

1 बव 2 बालव 3 कालक 4 तितल 5 गर 6 विणज 7 िवि (उसी को भ0ा कहत ह)

य सात चल करण ह जो िक -ितमास शUल पF कW -ितपदा क उEराM$ स श_ होकर चतथr क उEराM$ तक बीतत ह िफर ि4तीया वित म पचमी क पवा$M$ स वस ही -वत होत ह इस -कार क1ण पF कW चतद$शी क पवा$M$ तक इही का अवथान रहता ह

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-ित मास क1ण पF कW चतद$शी क उEराM$ म शकनी 1 अमावथा क पवा$M$ म चतथr पद 2 उEराM$ म नाग 3 और शUल पF कW -ितपदा क पवा$M$ म िकत न 4 य चारlt (शकयािद) करण थायी _प म सदव रहा करत ह इसी स उनको िथर करण कहत ह

इस -कार 7 चल और 4 िथर करण मान गय ह

योग-

नF कW तरह ही योग भी 27 होत ह

च0मा और सय$ क रायाशlt का योग जब (13 अश 20 कला) या इसक गणा करन पर पण$ एक योग का िनमा$ण होता ह इस -कार िव1क=भ स लगाकर वधित तक कल 27 योग होत ह

योग वामी योग वामी

1) िवष क=भ यम 6) अितगampड च0मा

2) ि-ित िव1ण 7) सकमा$ इ0

3) आय1मान च0मा 8) धित जल

4) सौभाय ijा 9) शल सप$

5) शोभन बहपित 10) गampड अिन

11) विM सय$ 20) िशव िम

12) Nव भिम 21) िसM काित$कय

13) याघात वाय 22) सा^य सािवी

14) हष$ण भग 23) शभ ल6मी

15) व व_ण 24) शUल पाव$ती

16) िसिM गणश 25) ijा अिmनी कमार

17) यनीपात _0 26) ऐ0 िपतर

18) वरीयान कबर 27) वधित िदित

19) परष िवm कमा$

इस -कार पचाग क पाचlt अगlt का पण$तः ान पचाग का भली भॉित अ^ययन करन पर ही हम जम पिका सही ढग स बना सकत ह

पचाग दखन पर प होता ह िक जातक क जम क समय मास पF ितिथ वार योग करण नF आिद कW िथित और मान Uया थ

55

223 पचाग को दखन क िविध

उदाहरण क िलए िकसी जातक का जम 23 अ-ल 2012 तदनसार वशाख शUल पF सवत 2069 ि4तीया ितिथ सोमवार को हYआ तो उस मास का पचागदखन पर ात हYआ िक सव$-थम पि म ही ितिथ वार नF आिद मान सिहत िदय ह उ जातक का जम ि4ितया ितिथ 29 घिट सोमवार कितका नF 1 घिट 38 पल (अगल िदन तक) सौभाय योग 16 घिट 03 पल एव तितल करण 3 घिट 04 पल थ इस िदन िदनमान 16 घिट 01 पल सयदय 6 बजकर 01 िमिनट -ातः और सया$त साय 6 बजकर 56 िमिनट पर हYआ इसी -कार च0मा मष रािश म और सय$प मष रािश क 09 अश 09 कला 45 िवकला पर िथत था और सय$ गित 58 कला 21 िवकला थV

जम कampडली बनान म पचागlt क अलावा रखाश अFाश मानक समय रिवाित वलातर एव रखातर अथवा रuव अतर कW आवयकता होती ह इसकW परभाषाऍ नीच दी जा रहV ह-

(प qीबuलभ मनीराम पचाग क अनसार)

224 कछ पBरभाषाए -

1रखाश अाश - िवm मानिच म आपन कई ऊध$ और ितयक रखाए िखचV हYई दखी हltगी जो पव$

स पिaम कW और और उEरी Nव स दिFणी Nव कW ओर िखचV गई ह हमारी पeवी क बीचlt बीच एक काuपिनक रखा पव$ स पिaम कW ओर पिaम स पव$ कW ओर िखची गई ह इस भम^य रखा कहत ह

अाश - जो रखाए भम^य रखा क समातर भम^य रखा स नीच और ऊपर कW ओर खVची गई ह इह

अFाश रखाए या िसफ$ अFाश कहत ह

रखाश - व उ^वा$धर रखाए जो उEरी Nव स दिFणी Nव ओर खVची गई ह उह दशातर रखाए अथवा

रखाश कहत ह

मानक समय - वह घिड़यlt का समय जो दश क िकसी भी थान पर एक सा रहता ह वह मानक समय ह

जबिक रखाश म अतर कW वजह स िकसी भी थान िवशष का समय अलग-अलग होता ह (1 अश रखातर क अतर पर 4 िमनट का समयातर आता ह)

2 रिव ाित अथवा सय ाित

सय$ कW िकरण िजस अFाश पर ल=बवत पड़ती ह वह उस िदन कW रिव ित कहलाती ह

भम^य रखा पर रिव ाित 21 माच$ और 23 िसत=बर क लगभग शय ऋण(00) होती ह

22 माच$ स 23 िसत=बर तक उEर ाित और 24 िसत=बर स 21 माच$ रिव ाित दिFण ाित कहलाती ह

56

3 वलातर

सय$ और पeवी दोनlt गितमान ह िकत -ितिदन दोनlt कW गितयlt म अतर ह इस अतर को सामजय करन क िलए (मानक समय स थानीय या थानीय समय क मानक समय म जो समयातर ऋण अथवा धन िकया जाता ह वह वलातर सकार कहलाता ह) टampडड$ समय बनाना हो तो रuव अतर का िचह ऋण एव धन जो ह उसी -कार रख जायग लिकन वलातर का िचह सारणी म ऋण व धन जो ह उसम िवलोम धन हो तो ऋण और ऋण हो तो धन सकार करन पर प थानीय समय -ाk होगा

4 रखातर (अथवा र3व अतर)

मानक रखाश (भारत क िलए मानक रखाश ) स थानीय रखाश म -Dयक 1 अश अतर क िलए 4 िमनट का समयातर थानीय समय स मानक समय अथवा मानक समय स थानीय समय म बदलन क िलए (ऋण + धन) िकया जाता ह वही रखातर सकार अथवा रखातर अथवा रuव अतर कहलाता ह

225 सयAदय एव सया$त साधन

जातक का िजस थान पर जम हYआ उस थान िवशष का सयदय का थानीय समय लत ह Uयltिक एक थान का सयदय व सया$त का समय अलग-अलग होता ह सयदय और सया$त का थानीय समय ात करन कW कई िविधया ह यहा कW िविध स सयदय साधन करत ह

िविध -

1 िजस थान िवशष का सयदय ात करना ह उस थान िवशष क अFाश और उस िदन कW रिवाित (या सय$ ाित) सारणी स ात कर लव (सभी पचाग स उपरो सारिणया होती ह)

2 इिpछत अFाश और रिवाित को गणा कर और 5 का भाग दकर चर पल बनाल

3 इस -कार -ाk चर पलlt को 2) स भाग दकर चर िमनट बना लव

4 उस िदन रिव उEर (+) हो तो 6 घट म इन चर पलlt को घटाएग इसी -कार रिवाित उEर होन पर चर िमिनट म 6 घampट जोड़न पर सया$त -ाk होगा

5 इस -कार -ाk सयदय का मान थानीय सयदय का मान होगा

चिक जातक का जम समय का मान हम भारतीय टampडड$ टाइम क अनसार ही दखत ह और सभी घिड़यlt म सभी थानlt पर एक सा ही समय िदखाती ह (उदाहरण क िलए यिद िदuली म घिड़या दोपहर क 230 बजा रही ह तो म=बई और कोलकाता म भी घिड़या दोपहर क 230 ही बजा रही हltगी

Uयltिक यहा भारतीय का मानक समय ह जो स िलया गया ह पज समय ह) अतः हम इस थानीय समय को मानक समय म (पज) बदलना होगा

57

6 अतः उपरो थानीय सयदय क मान को मानक समय बनान क िलए रखातर या दशातर सकार (धन या ऋण) करना पड़ता ह एक दशातर का मान 4 िमिनट होता ह

उदाहरण क िलए जातक का जम जयपर म हYआ जयपर का रखाश ह और IST का रखाश ह दोनlt का अतर िकया

IST रखाश

जयपर का रFाश 75050 (-) घटाया

06 - 40 शष

शष को 4 स गणा करन पर

चिक 10 = 4 िमिनट

600400

times 4

24160 (िमस)

160 स म 60 का भाग दकर िमिनट बनाएग

24 िमिनट160 स`कampड य 60

24 िम + 2 िम 40 स

अतः जयपर का दशातर 26 िम 40 स`कampड (ऋण)

नोट अभी रखाश 82030 (2णampज) स कम होन पर (+) धन और अिधक होन पर (-) ऋण करग

उपरो lsquolsquoदशातर सारणीrsquorsquo स भी ल सकत ह जो सभी पचागlt म भी दी जाती ह

7 दशातर सlया (इस रuव अतर भी कहत ह) करन क पaात वलातर सकार करत ह

वलातर स$कार-

चिक पeवी और सय$ कW राि म समानता नहV ह अतः दोनlt कW गित म सामजय बठान क िलए वलातर सकार िकया जाता ह टampडड$ समय स थानीय समय बनाना हो तो रuव अतर का िचह (-) (+) जो ह वस ही रख जायग लिकन वलातर कW िचह सारणी म (-) (+) जो ह उसस िवलोम (+) धन हो तो (-) ऋण हो तो (+) धन सकार करन पर प थानीय समय -ाk होगा

सारणी - बuलभमनीराम पचाग

1 दशातर सारणी - पt स 86 - 87

58

2 वलातर सारणी - पt स 95

3 चरपल सारणी - पt स 89

4 रिवाित सारणी - पt स 94

227 चरपल िविध

चरपल िविध 4ारा सयदय िनकालन कW िविध

स- चरपत X आFाश रिव ाित

5

उदाहरण-

िकसी जातक का जम जयपर शहर म िदनाक 30 अUटबर 2012 तसार qीकाित$क क1ण पF -ितपदा सवत 2069 मगलवार को साय 7 बजकर 25 िमनट पर हYआ चरपल स इस िदन का सयदय ात कर पनः इ काल भी ात कर

िदनाक - 30 अUटबर 2012

थान - जयपर

अFाश - 26056

रखाश - 75050

रिवाित - 1351 दिFण

बलातर - (-) 1621 ऋण

स- चरपत X आFाश रिव ाित

5

26056 X 75050

5

3725

5

= 745 पल

चर िमनट = 745

= 298 िम

59

= 29 िम 48 स

सयदय - घ िम स

6 00 00

+ 29 48 जोड़ (रिव ाित दिFण होन स)

6 29 48 थानीय सयदय

थानीय सयदय - घ िम स

06 29 48

+ 26 40

06 56 28 थानीय म^यम सयदय

घटान पर (-) 16 21 (-) बलातर सकार

मानक सयदय 06 40 07

िदनाक 30102012 को जयपर का मानक सयदय 06 बजकर 40 िम 07 स -ाk हYआ

228 िदनमान स सयAदय िनकालना

सयदय िनकालन कW अय िविधया

1 उपरो चर िमनट को ि4गिणत कर

2 यिद रिव ाित दिFण (+) ह तो -ाk चर िम को 12 घट म जोड द ाित दिFण (-) होन पर 12 घट म स घटा द -ाk मान िदनमान होगा (िदनमान - सयदय स सया$त तक का समय िदनमान कहलाता ह)

3 -ाk िदनमान का आधा िदनाM$ कहलाता ह यह िदनाM$ का मान ही थानीय सया$त का मान ह

सयदय एव सया$त का सः-

सया$त acute 2 = िदनमान (घ िम) acute 2)

= िदनमान (घ प)

सया$त acute 5 = िदनमान (घ िम)

सया$त 06 14

X 5

3070

60

= 3110 िदनमान

स-

1) रािमान = सयदय X 5 = रािमान (घ प)

(घ प)

2) रािमान = 60 00 - िदनमान

रािमान ात करन क िलए 60घिट म स िदनमान घटान जो मान -ाk होता ह वह रािमान कहलाता ह

उदाहरण

घ प

60 00

- 31 10 िदनमान

28 50 रािमान

सानसार िदनमान + राि अM$ + जम समय ज acute 2)

जम समय = 03 बज -ातःकाल

वलातर 039

दशातर - 27

030000 जम समय

- 2700 दशातर 3110 िदनमान

जम समय LT 023300

X 2 12 062230

2850 रािमान

2

3110 िदनमान

1425 राि अM$

4535

61

453500

+ 062230 जम समय LT

515730 इ काल (घ पल)

229 $थानीय सया$त

िदनमान

2

उपरो उदाहरण स चर िमनट - 29 िम 48 स

चर िमनट का ि4गिणत - 29 िम 48 स acute 2

= 59 िम 36 स

िदनमान = 12 घट - 59 िम 36 स

िदनमान = 11 घट 0 िम 24 स

िदनाM$ - िदनमान -- थानीय सया$ त

2

11 घ ndash 24 स

2

थानीय सया$त - 5 घ 30 िम 12 स

थानीय सया$त - घ िम स

12 00 00

सया$त (-) 05 30 12

06 29 48 थानीय सयदय

+ 26 40 दशातर सकार

06 56 28

वलातर सकार - 16 21

मानक सयदय 06 40 07 थानीय सयदय

62

2210 इकाल िनकालन क पNितः-

परभाषा- सयदय क बाद जम समय तक िजतना जम समय घampट िमिनट या घटी पल म होता ह वह इ काल कहलाता ह

जातक क जम समय म स सयदय का मान घटान पर जो समय ात होता ह वह इ काल कहलाता ह

इ काल - जम समय - सयदय का मान (ज) स

उपरो उदाहरण म जम समय साय 725 बज

जम समय = 12 + 725 घट

= 1925 साय

इ काल = जम समय 1925 - सयदय 64007 (घटाया)

= 12 घ 44 िम 53 स (घटा िमनट म)

acute 2 12

= इ काल

चिक 7योितष कW सभी गणनाए अिधकतर घटी पल म होती ह अतः उपरो को 2) स गणा करन पर इ काल का घटयािद मान -ाk होगा

इ काल (घटयािद म) = (124453) acute 2)

= 31 घिट 52 पल

यिद िकसी जातक का जम िदनाक 30 अUटबर 2012 को राि क 1 बजकर 40 िमनट पर हYआ हो जम समय म 24 घट जोड़कर समय 25 घट 40 िमनट लग िकत िदनाक 30 अUटबर 2012 िदन मगलवार ही लग न िक बधवार जसा िक रuव म म^य राि क बाद अगल िदन मान लत ह िकत 7योितष म िदन एव ितिथ सयदय क समय क बाद स माना जाता ह

यहा पर यह बात भी ^यान दन योय ह िक जम का समय जहा कहV भी दखग वह घिड़यlt म सभी जगह एक सा (अथा$त मानक समय) होगा जबिक सयदय का समय सभी जगह अलग-अलग होता ह इसीिलए थानीय सयदय कहलाता ह अतः इस मानक समय म बदलना ज_री होता ह अगर सयदय का समय थानीय लत ह तो जम समय को भी थानीय मसय म बदलना होगा Uयltिक दोनlt कW इकाई एक होन पर ही इ काल सही होगा अयथा इ काल िटपण$ होगा और इ काल क िटपण$ बनगी

2211 इकाल िनकालन क दसरी पNित

इस पMित म -थम पMित स अतर िसफ$ इतना ह िक -थम पMित म सयदय या सया$त का इ काल िनकालन क िलए -योग िकया जाता ह

63

िकत इस पMित म सया$दय या सया$त का -योग नहV िकया जाता इसक थान पर िदनमान या राि मान -योग िकया जाता ह

1 सया$दय स लकर 12 बज िदन तक का जम समय होन पर -

स- िदनाM$ - (12 - जम समय ज) times 2))

= इ काल (घटी पल)

उदा0 जम समय 8 बज होन पर तथा िदनमान 28 घटी 50 पल तथा राि मान 31 घटी 10 पल ह तो इकाल Kात होगा

िदनाM$ 1425 1200 घampट िदन क िदनमान

2 िMनाअ$तर

- 1000 - 800 जम समय ज

0425 इ काल 400

acute 2 12

1000 अतर

नोट - इस पMित म िदनमान या रािमान िलय जात ह वो घampट िमिनट म न होकर घटी पल म होत ह अतः इसका -योग सीधा िकया जाता ह इसम 2) स गणा नहV िकया जाता

2211 इकाल िनकालन क स व िविधया

1 स- िदनाM$ = िदन क 12 बज का इ

यिद िकसी यि का जम िदन क ठीक 12 बज िदन क थानीय समय म हYआ ह तो उसका इ सीधा िदनाM$ ही हो जाता ह

इसी -कार िदनमान परा सया$त क समय का इ होता ह

2 स- सयदय स सया$त = िदनमान (इ घटीपल)

अगर िकसी यि का जम ठीक सया$त क समय म थानीय समय म हो तो उसका इ िदनमान का स=पण$ मान ही होता ह

राि क वातिवक 12 बज इ िदनमान + राि अM$ क बराबर होता ह

3 स- िदनमान + राि अM$ = राि 12 बज (थानीय समय) (इ घटीपल)

िदन क 12 बज स राि 12 बज तक का समय होन पर -

64

4 स- िदनाM$ + (जम समय times 2 frac12 इ काल

राि 8 बज जम समय ज

िदनमान - 2850 राि मान 3110

िदनाM$ 1425 08 00 जम समय

जम समय (घ प) (+) 2000 2 12

3425 2000

िदनमान -- थानीय सया$ त िदनाM$ -

2

28 50 िदनाM$ -

2

राि बारह बज स अगल सयदय होन का समय का जम समय होन तक

5 स-

िदनमान + राि अM$ + (जम समय 2 frac12 = इ काल

उदाहरण-

जम िदनाक 03092012

जम समय 03 बज ातःकाल

जम थान कोटा

अFाश 2510

रिवाित + 0728

3556 (चर पल) 2 frac12

= 1422 चर िमिनट

रिवाित होन कW वजह स 6 घampट म स चर िमिनट िनकालन पर सयदय आयगा

घ0िम0स0

65

060000

- 001422

054538

= 546 सयदय

12 घampट म स सयदय घटान पर सयत -ाk होगा

घ0िम0स0

120000

- 054600

061400 सयत

23 साराश

इस इकाई म जम कampडली िनमा$ण कW िविध 4ारा जम कampडली आसानी स बनाई जा सक इसका -यास िकया गया ह इसम ितथी वार नF योग करण जम समय जम थान एव जम वष$ कW जानकारी कराई गई ह सयदय वलातर प ातर ान एव इ काल िनण$य कW सगम पMित बताई गयी ह िजसस 7योितष सीखन वाल छा जम कampडली का िनमा$ण कर सकगा

24 बोध

1 पचाग िकतन अग होत ह

उEर पचाग क पाच अग होत ह

ितथी वार नF योग एव करण

2 ितिथयlt का वगrकरण करए

उEर ितिथयlt कW पाच साऐ होती ह

नदा भ0ा जया रा पणा$

1 2 3 4 5

6 7 8 9 10

11 12 13 14 1530

3 नF िकतन होत ह नाम सिहत िलिखए

66

उEर नF 27 होत ह

1 अिmनी 2 भरणी 3 कितका 4 रोिहणी

5 मगिशरा 6 आ0ा$ 7 पन$वस 8 प1य

9 अ|षा 10 मघा 11 पवा$फाuगनी 12 उफाuगनी

13 हत 14 िचा 15 वाती 16 िवशाखा

17 अनराधा 18 7यtा 19 मल 20 पवा$षाढ़ा

21 उEराषाढ़ा 22 qवण 23 घिनtा 24 शतिभषा

25 पवा$भा0पद 26 उEराभा0पद 27 रवती

1 अमावया क िकतन भद होत ह

उEर अमावया क तीन भद होत ह-

2 -ातःकाल स लकर राि तक रहन वाली अमावया को िसनीवाली

3 चतथ$दशी स िवद को दश$ एव

4 -ितपदा स य अमावया को कहY कहत ह

5 इ काल िकस कहत ह

उEर जातक क जम समय म स सयदय का मान घटान पर जो समय ात होता ह वह समय इ काल कहलाता ह

24 िनबधामक

1 सयदय साधन करन कW िविध समझाइय

2 इ काल िनकालन कW िविध उदाहरण सिहत समझाइय

25 शदावली

इस इकाई म जम कampडली िनमा$ण कW िविध 4ारा जम कampडली आसानी स बनाई जा

इ काल = जम का घिटयािद मान

पचाग - ितथी वार नF योग एव करण

मद = स=य

उ( = अशभ

67

अMिदनमान = अहोरा (पर िदन कW रािमान राि का स=पण$ मान)

IST = भारतीय मानक समय

LT = थानीय समय

26 सदभ थ सची

1 भारतीय 7योितष लखक डॉ नमीच0 शा9ी

2 पचाग बuलभमनीराम

लखकः- qीमती िवजयल6मी शमा$

किनt िलिपक वध$मान महावीर खला िवmिवxालय कोटा

68

इकाई - 3

इ काल स जम कampडली िनमा$ण (ह साधन (चालन धन-ऋण) भयात-भभोग

इकाइ क परखा

30 -तावना 31 उय 32 िवषय -वश 321 लन 322 भयात और भभोग साधन 323 चालन 324 (ह प 33 साराश 34 शZदावली 35 अ~यास -[ 36 सदभ$ (थ सची

30 तावना

इस इकाई म जम कampडली का िनमा$ण इ काल स िकया गया ह पव$ कW इकाई म जम पिका क िनमा$ण म पचाग कW सहायता स ितिथ वार नF योग और करण एव सयदय वलातर थानीय समय और इ काल कW िविध समझायी गयी ह इसक पaात इस इकाई 03 म इ काल स जम कampडली का िनमा$ण िकया गया ह

भयात भभोग साधन क 4ारा (ह प बताए गय ह चालन धन (+) ऋण (ग) को िविध 4ारा प िकया गया ह एव चालन 4ारा (ह प िकया गया ह इसम िवxाथrयlt को जम कampडली िनमा$ण सरल पMित स उदाहरण सिहत समझाया गया ह

31 उय

इस इकाई का उय छाlt को जम कampडली िनमा$ण िकस -कार िकया जाता ह उदाहरण सिहत िवतत _प स समझाया गया ह िजसस छाlt को आसानी स समझ सक और जम कampडली का िनमा$ण वय कर सक छाlt िक सिवधा क िलय लन सारणी इस ईकाई म दी गई ह

69

32 िवषय वश

इ काल स जमकampडली िनमा$ण

321 लbनग

पव$ क िFितज पर जम क समय और आकाश क िमलन पर जो (ह उदय हो रहा उसका बड़ा महD D व ह िकसी भी घटना िवशष पर पव$ क िFितज पर िजस रािश का उदय िजतन अशकलािवकला पर हो रहा ह वह उस घटना का लन ह इसिलए सभी शभ काय म लन का बड़ा महD D व ह

लन कW गणना क िलए इ काल सय$ क अश लन सारणी का िवचार िकया जाता ह

कampडली बनान म इ काल एव लन कW गणना स6म होनी चािहए अयथा सारी गणनाऍ गलत िसM होगी लन कampडली का महD D वपण$ अग ह गलत लन होन पर कampडली भी गलत बनगी 24 घampट म 12 लन होत ह

उदाहरण 1

िकसी बालक का जम 14 जनवरी 2004 को 3 बजकर 20 िमिनट सायकाल को कोटा म हYआ तो लन िनकाल

थान कोटा जम समय 320 दोपहर

जम समय = 1520 बज 14 जनवरी 2004

सयदय (कोटा) = 718 बज

इ काल = जम समय ग सयदय

(घ०िम०)

= 1520 ग 718

= 802

इ काल = 2005

14 जनवरी 2004 = 08-290 ndash 04 ndash 10

लन सारणी स 80 पर सयदय = 5106

इ काल +2005

लन प 1111

= 7111

- 6000

70

1111

लन िथित

1104 पर 10 पर अतर ह 60 कला का

1117 पर 1 पर अतर ह

0010 का 1 कF 7 पर अतर ह = 42 कला का

1111

1104

0007 (अतर)

अतः लन िथित

उदाहरण 2

जम िदनाक 3 िसत=बर 2012 (03092012) जम समय 300 -ातःकाल इ काल 515730 (हमन ऊपर िनकाला हYआ ह)

िदनाक 03092012 क सयाश 4 रािश 16 अश 18 कला और 21 िवकला ह लन सारणी स (बuलभमनीराम पचाग पज 53 स) सयाश क अनपातक घिट पल -ाk कर इ काल म जोड़

घिट पल िवपल

इ काल ग 51 - 57 - 30

सयाश क घटी पल (+) 26 - 12 - 00 जोड़न पर

78 - 09 - 30

60 - 00 - 00 (60 घटी घटायी)

(-ाk घटीपल) 18 - 09 - 30

इन -ाk घटी पल क पनः उसी लन सारणी म दखन पर लन क रािश अश -ाk हYए

71

18 घटी 09 पल पर लन 3 रािश 4 अश

इस -कार लन कक$ रािश क 40-18-09 आया इसस लन कampडली बनाकर (ह क प मान स (हो कW थापना करन पर जम कampडली -ाk होगी

इस -कार -ाk जम कampडली

322 भयात और भभोग साधनग

यिद पचाग अपन यहा का नहV हो तो पचाग क ितिथ नF योग और करण क घटी पलlt म दशातर सकार करक अपन थानगजहा कW जमपी बनानी हो वहा क नF का मान िनकाल लना चािहए

यिद इ काल स जमनF क घटी पल कम हlt तो वह नF गत और आगामी नF जमनF कहलाता ह तथा जमनF क घटी पल इ काल क घटी पलlt स अिधक हlt तो जमनF क पहल का नF गत और वत$मान नF कहलाता ह गत नF क घटी पलlt को 60 म स घटान पर जो शष आव उस दो जगह रखना चािहए तथा एक थान पर इ काल को जोड़ दन स भयात और दसर थान पर जमनF जोड़ दन पर भभोग होता ह

नोट -

1) इ काल ग इ काल अिधक ह तो जम नF अगला होगा

2) इ काल ग इ काल नF क मान स कम ह तो जम नF वहV होगा

भभोग िनकालन का तरीकाग

1) अगर नF का मान इ काल स कम ह तो भभोग िनकालन क िलए (60 घटी ग पव$ नF का मान + अगल नF का मान जोड़ द) (नF अगला माना जायगा)

2) अगर इ काल क मान स उस िदन क नF का मान अिधक हो तो 60 घटी म िपछल नF का मान घटाय - इस नF का मान जोड़ द नF वत$मान माना जायगा (60 - िपछला नF + वत$मान नF)

72

भयात िनकालन क िलए -

1) यिद इ काल क मान स गत नF का मान कम ह तो इ काल म स गत नF को घटान पर भयात -ाk होगा (जम नF अगला माना जायगा)

स भयात = इ काल ग नF का मान

2) अगर नF का मान इ काल क मान स अिधक ह तो जम नF वही माना जायगा गत िदन क नF को 60 घिट म स घटा कर इ काल जोड़न पर भयात -ाk होगा

भयात = 60 घटी ग गत नF का मान + इ काल

= 60 ग गत नF + इ काल

नोट

जम तारीख पर यिद वत$मान नF गत नF हो जाता ह तो भयात = इ काल ग गत नF होता ह अथा$त इ काल म स गत नF को घटान पर ह भयात हो जाता ह

उदाहरण 3

जम िदनाक 10 अगत 2003 जम समय 12 बजकर 40 िमिनट सायकाल

सयदय 602 बज भयात भभोग िनकालो

जम समय ग सयदय

घ िम

जम समय = 12 40

= - 06 02

= 6 38

acute 212

इ काल = 1635 (घ० पल) -ाk हYआ

गत नF प० षाढ़ा = 0428 (घ० पल) तक

वत$मान नF उ० षाढ़ा = 0153 (घ० पल) तक

गत नF प० षाढ़ा का मान इ काल क मान स कम ह अतः जम नF हYआ उ० षाढ़ा

भयात = इ काल ग गत नF

= 1635 - 428

73

भयात = 1207 (घ० पल)

भभोग = 60 ग गत नF का मान + अगला नF

= 60 - 428 + 153

= 5532 + 153

भभोग = 5725 (घ० पल)

चरण = 5725

4

= 14 2115 -थम चरण

= 28 42 30 ि4तीय चरण

= 43 03 45 ततीय चरण

अतः नF उ० षाढ़ा का -थम चरण का जम ह

उदाहरण 4

जम िदनाक 10 अगत 2003 जम समय 6 बजकर 25 िमिनट -ातःकाल सयदय 602 भयात भभोग िनकालो

10082003 वत$मान नF पवा$षाढ़ा = 428 घ० पल

09082003 का गत नF = 648 घ० पल

जम समय 625

सयदय 602

इ काल = 625 - 602

= 0023 िम०

= 0023 times 212

= 57 पल 30 िवपल

भभोग = 60 ग गत नF का मान + वत$मान नF

= 60 - 748 + 428

= 6428 - 784

= 5640

74

भभोग = 56 घ० 40 पल

-थम चरण = 14 घ० 10 पल

ि4तीय चरण = 28 घ० 20 पल

ततीय चरण = 42 घ० 30 पल

भयात = 60 - गत नF का मान + इ काल

= 60 - 748 +

= 5212 + 05730

= 53 घ० 9 पल 30 िवपल

अतः जातक का जम नF पवा$ षाढ़ा क चौथ चरण का ह

उदाहरण 5

जम िदनाक 11 जलाई 2003 समय 930 -ातःकाल सयदय 548 -ातःकाल का भयात भभोग ात कर

इ काल (घ० िम०) = 930 - 548

= 3rdquo42X212

इ काल (घटीपल) = 915

सौर पश$ = 224rsquo03rsquo07rsquorsquo(िमथन राशी 24rsquo03rsquo07rsquorsquo)

इ काल (घटीपल) = 915

सयाश का मान = 1624rsquo03rsquo07rsquorsquo11लन िसह रािश क पर ह

लन = 2526

लन प 411055rsquo

लन िसह रािश क पर ह

लन 110 -55

75

इ काल ग 915

गत नF ग अनराधा 5800

वत$मान नF ग 7यtा 5233

भभोग = 60 - 5800 + 5233 = 5433 -थम चरण 13335

भयात = 60 - 5800 + 915 = 2 + 915 = 1115 ि4तीय चरण 270330

जातक का जम 7यtा नF क पहल चरण का होगा

उदाहरण 6

जातक का जम िदनाक 03082003 इ काल 142653 सयदय 0557 भयात भभोत ात कर

वuलभमनीराम पचाग सग

नF घटीपल घिम सयदय घिम

िदनाक 03082003 हत 2812 1747 557

02082003 पव$ उ०फाuगनी 3058 1858 557

03082003 जम िदनाक 2812 + 12230टampडड$ सयदय 620

िदनाक 03082003 सयदय शखावाटी (-) 557

वातिवक मान रामगढ़ 283430 033

पव$ नF 3058 + 12230 212

िदनाक 02082003 012230

वातिवक मान रामगढ़ 322030

कोटा सया$त 558

सयदय रामगढ़ - 557

001

212

पव$ नF 3220

- 0003

कोटा पव$ नF मान 3217

76

इ काल + 140 - 26rsquo-53rsquorsquo

भयात 420 - 09rsquo-53rsquorsquo कोटा म वत$मान नF का मान

अतः भयात =420 - 09rsquo-53rsquorsquo रामगढ़ का मान 2934

भभोग 600 -000rsquo-00rsquorsquo सयदय का अतर ग 0003

- 320 -17rsquo-00rsquorsquoकोटा का मान 2931

+290 - -31rsquo-00rsquorsquo

भभोग 570 - 41rsquo-00rsquorsquo

भयात 420 -09rsquo-53rsquorsquo एव भभोग 55-570 -41rsquo-00rsquorsquo-ाk हYआ ह

िटhस

1) यिद इ काल का मान पचाग म उस िदन क नF क मान स कम ह तो वह नF जम नF कहलाता ह और उसस पहल का नF गत नF ह

2) यिद इ काल का मान पचाग क उस िदन क नF मान स अिधक ह तो वह नF गत नF कहलाता ह अगामी नF जम नF ह

323 चालनग चालन (धन + ऋण) साधनग

पचागlt म -Dयक पF (साkािहक) इ काल (ह प िदय रहत ह उनक नीच कW पि म दिनक गित का मान िदया रहता ह पचाग म िदए गए इहV (हlt म स अभी काल क (ह प करन को (ह साधन कहा जाता ह पचाग म साkािहक (ह प कW पि दी होती ह उसी क अनसार यिद अपन इस समय स आग कW प पि होती हो तो पि कW गणना रिववार स श_ कW गई ह अथा$त रिववार कW सlया 1 सोमवार कW सlया 2 मगलवार कW सlया 3 बधवार कW सlया 4 ग_वार कW सlया 5 शवार कW सlया 6 शिनवार कW सlया 7 आिद स घिट पलlt म स इ काल कW घटी पल घटान स शष तuय ऋण चालन होता ह यिद पि पीछ कW हो और इ काल आग का हो तो इ काल क वार घटी पलlt म स पि क वार घटी पलlt को घटान पर जो मान -ाk होता ह उस धन चालन कहत ह इस ऋण व धन चालन को पचाग म दी गई (ह गित स गणा करन पर जो अश आिद आय उस उह धन या ऋण चालन क अनसार पचाग म िदय गय (ह मान म जोड़न या घटान पर प (ह आत ह

राहY और कत वW (ह कहलात ह इनक िलए हमशा ऋण चालन म -ाk अशािद फल को जोड़न और धन चालन स -ाk अशािद फल को घटान स जो मान -ाk होता ह वहV उसका प मान होता ह

उदाहरणग (चालन)

जम िदनाक 03 िसत=बर 2012 जम समय 300 -ाkः काल इ काल 515730

77

पचाग म पिथ कampडली कW तारीख 1 िसत=बर 2012 तथा इ 0000 पल िदया हYआ ह अपनी जम तारीख स पिथ कampडली कW तारीख पीछ होन कW वजह स चालन कW गित धनाDमक (+) रहगी इन दोनlt तारीखlt व इ ो का अतर हमारा वह चालन होगा िजसस हम सभी (हlt को प करग

िदन इ घटी पल

जम 3 51 57 30

पिथग1 00 00 00

चालन +2 51 57 30

उदाहरणग

(बuलभबलीराम क अनसार)

जम िदनाक 14 नव=बर 2012 जम सयम 600 सायकाल

जम समय इ काल = 3130 चालन ात कर

पचाग म पिथ कampडली कW तारीख 17 नव=बर 2012 द रखी ह तथा वहV पर ही पिथ कampडली कW इ घटी 00 घटी 00 पल द रखी ह इस -कार हमारी जम तारीख पिथ तारीख स पीछ पड़ रही ह अतः हम पिथ कampडली स (ह प करन क िलए पीछ चलना पड़गा अतः चालन (ग) ऋणाDमक रहगा और अपनी जम तारीख और इ को पिथ तारीख और इ पर घटान पर जो मान आयगा वह चालन होगा िजसस हम (ह प करग

िदन इ घ० पल

17 00 00 00 ग पिथ

14 31 30 00 ग जम

चालन - (-) 02283000

324 Qह $प

इ काल स कampडली बनान क पaात उसक (ह प कर लना चािहए फलादश ठीक तभी होगा जब (हlt का सही प मान -ाk होगा यहा पर (हप ीकरण का ताDपय$ (हlt क रायािद मान स ह

-Dयक जम कampडली म जम लन च क पव$ (ह प च िलखना आवयक होता ह सय$ मगल बध ग_ श शिन राहY व कत कW (ह प करन कW िविध एक समान होती ह जबिक च0मा क (ह प करन कW िविध अगल होती ह यह िविध इकाई म दी गई ह

पचागlt म (ह प िदया जाता ह लिकन कहV तरह क पचागो म िविवध -कार स (ह प कW िविध द रखी ह जस िकसी म अ मी अमावया और पिण$मा कW पि रहती ह और िकसी पचाग म

78

-ातःकािलन या सयदय कािलन इ काल या सयदय कािलन (ह प कW पि दी जाती ह उसक अनसार दिनक गित (दो िदन क (हlt का अतर करन पर दिनक गित आती ह) को गित स गणा कर 60 का भाग दन स जो अश कला िवकला आय उस िमq मान कािलन या सयदय कािलन (ह प पि म ऋण या धन करन पर इ कािलन (ह प -ाk होत ह

हम भयाDगभभोग क 4ारा च0प कर चक ह इसिलए यहा पर हम च0प को छोड़कर बाकW सभी (हlt को प करग हम पव$ क चालन म िदय गय उदाहरण स ही (ह प करत ह

उदाहरण -

जम िदनाक 3 िसत=बर 2012 चालन ात करग

िदन इ घ० पल

चालन म िदय गय िदन कW गित स गणा करक कला िवकला स जोड़ा जाता ह

चालन िदन acute (ह गित = कला िवकला

इ म गित करक 60 का भाग लगाया जाता ह जो मान आता ह उस स=बिधत (ह क कला िवकला म चालन क अनसार (+) धन या ऋण (-) कर िदया जाता ह

नोट

वW (ह कW गित चालन कW गित स िवपरत होती ह यिद चालन धनाDमक (+) ह तो वW (ह म (-) ऋणाDमक चालन कW गित हो जायगा

Qह $प

79

80

81

उदाहरण ndash 3

िदनाक 13072009 समय 9 बजकर 45 िमिनट राि इ 39 घटी 47 पल 30 िवपल थान कोटा

82

83

84

ल न सारणी -

नोट ndash छा क सिवधा क िलय ल न सारणी म िलख गय िह दी क अक को िन न कार स अगजी क अक को समझ

frac141-1] 2-2] 3-3] 4-4] 5-5] 6-6] 7-7] 8-8] 9-9frac12

33 साराश

इस इकाई क ारा जम कampडली म इ(काल स इस कार कampडली का िनमा)ण िकया गया ह िक च -प( एव च गित ारा भया2गभभोग उदाहरण सिहत जानकारी -तत क गई ह और इस इकाई म यह समझान का यास िकया गया ह िक 5ह -प( एव चालन िकस कार िकया जाता ह उदाहरण सिहत जानकारी दी गई ह

85

34 अयास

1 5ह -प( करन का स बताइय

2 चालान साधन का स बताइय

उ9र िदन times 5ह गित

3 भयात का स बताइय

उ9र भयातग60 घटी ग गत नlt का मान ग इ(काल

4 भभोग का स बताइय

उ9र 60ग घटीगपव) नlt का मान + अगला नlt का मान

5 चालन का स बताइय

उ9र चालन म िदए गए िदन क गित स गणा करक कलागिवकला स जोड़ा जाता ह

चालन िदन times 5ह गित +कलागिवकला

िनबधामक

1 जम िदनाक 11 जलाई 2003 जम समय 930 सबह का भया2गभभोग gtात कर

2 जम िदनाक 03092012 जम समय 300 सबह क 5ह -प( gtात कर

36 सदभ 13थ सची

नमीच शाी

बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

86

इकाई - 4

लनप साधन भ13-भोय साधन इकाई क पररखा

40 -तावना 41 उGHय 42 िवषय वश 421 सय) क अनसार लन क जानकारी 422 च गित साधन 423 च -प( साधन 424 भJ-भोय कार 425 िवशोतरी दशा 426 महादशा म अत)दशा 427 5ह दशा जानन क िविध 43 साराश 44 शKदावली 45 अLयास M 46 सदभ) 5थ सची

40 तावना

िजस इ(काल क जम पिका बनानी हो उसक 5ह -प( करना अित आवHयक ह Pयिक 5ह क -प( मान क जानकारी क िबना अय फलादश ठीक नहS हो पात ह 5ह -प( करन का ता2पय) रािशयािद मान स ह दसरी बात यह ह िक कampडली क ादश भाव म 5ह का -थापन 5हमान रािशयािद 5ह gtात हो जान पर िकया जा सकता ह अतएव 2यक जम कampडली म जमाग चT क पव) 5ह -प( चT िलखना अिनवाय) ह चमा को छोड़कर शष आठ 5ह को -प( करन क िविध एक-सी ह

लिकन चमा को -प( करन क िविध अलग ह अय 5ह क गित पचाग म िलखS रहती ह चमा क गित एव -प( िनकालन क िविध अय 5ह क िविध स अलग ह

अतः चमा क गित एव -प( करन क िविध का अVययन इस ईकाई म -प( िकया गया पव) ईकाईय म लन िनकालना अय 5ह का -प( करना भयात-भभोग िनकालन क बार म -प( िकया जा चका ह इस अVयाय म भयात-भभोग (मJ-भोय) क आधार पर च गित एव -प( िनकालन क िविधय का अVययन िकया गया ह

87

41 उय

उस ईकाई म छा को च 5ह क गित एव -प( करना सगम पXित ारा समझाया गया ह अय 5ह क गित एव -प( करन क िविध च गित व -प( करन स िभन ह अतः उसका िभनता को -प( करना बताया गया ह

42 िवषय वश

इस इकाई 4 म लन साधन च साधन कर भJ-भोय कार स िवशोतरी दशा एव अत)दशा को िव-तार स समझाया जा रहा ह-

421 सय क अनसार लन क जानकारी

जम क समय पवY िltितज पर सय) िजस भी राशी म उदय होता ह वह उस जातक का जम लन होगा

सय[दय सबह 630 बज - सबह का लन lsquolsquoतलाrsquorsquo

दोपहर का लन lsquolsquoमकरrsquorsquo

साय का लन lsquolsquoमषrsquorsquo

राि का लन lsquolsquoकक) rsquorsquo

88

422 च गित साधन-

एक नlt क कला2मक मान को 3600 पल स गणा करक पला2मक भभोग का भाग दन पर च गित ा होती ह वह च गित पला2मक होगी

च -प(

एक नlt का मान = 130 -20rsquo

= 13X60rsquo+20rsquo

= 780rsquo+20rsquo

= 800

पव) भभोग = एक नlt का मान = (कला)

च गित साधन = 800x3600 पल भभोग पल

= च गित (कला िवकला म)

89

423 च प$

भयात पला2मक को 40 स गणा करन पर जो मान आय उसम ितगन पला2मक भभोग का भाग दन पर जो पला2मक मान ा होगा उसको रािश अश कला िवकला म प]रवित)त करक गत नlt क Tम स^या को नlt क मान 800 कला स गणा करन पर जो रािश अश कला िवकला आए उसम जोड़ दन पर च -प( होगा

च -प( करन क िलए पहल षिD माण भिJ (वत)मान नlt क) िनकालनी होती ह भभोग क घिटया कमी 60 स कम कभी 60 स अिधक होती ह तथा 60 घिट क अनपाितक घिटया भभात क िकतनी होती ह इस िनकालना पड़ता ह इसी को lsquolsquoषिD माण भिJrsquorsquo कहत ह अथा)त पण) भभोग म 60 घिट तो भयात म िकतनी अनपाितक घिटया होगी या सपण) भभोग को 60 घिट क बराबर माना जाए तो भयात को िकतनी घिट क बराबर मानना पड़गा

भयात गतघटी पर च सारणी

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

0 0 0 0 0 1 1 1 2 2

13 26 40 53 6 20 33 46 0 1

20 40 0 20 40 0 20 40 0 20

11 12 13 14 15 16 17 18 19 20

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

2 2 2 3 3 3 3 4 4 4

26 40 53 6 20 33 46 0 13 26

40 0 20 40 0 20 40 0 20 40

21 22 23 24 25 26 27 28 29 30

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

4 4 5 5 5 5 6 6 6 6

40 53 6 20 33 46 0 13 26 40

0 20 40 0 20 40 0 20 40 0

31 32 33 34 35 36 37 38 39 40

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

90

6 7 7 7 7 8 8 8 8 8

53 6 20 33 46 0 13 26 40 53

20 40 0 20 40 0 20 40 0 20

41 42 43 44 45 46 47 48 49 50

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

9 9 9 9 10 10 10 10 10 11

6 20 33 46 0 13 26 40 53 6

40 0 20 40 0 20 40 0 20 40

51 52 53 54 55 56 57 58 59 60

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

11 11 11 12 12 12 12 12 13 13

20 33 46 0 13 26 40 53 6 20

0 20 40 0 20 40 0 20 40 0

सवamp पर गित बोधक प$ सारणी

54 55 56 57 58 59 60

888 872 857 842 827 813 800

48 40 8 6 34 33 0

61 62 63 64 65 66 67

786 774 761 750 738 727 716

54 12 57 0 30 18 28

उदाहरण 1

जम समय 1015 बज सबह िदनाक 2112003 -थान कोटा सय[दय 639 बज भयात भभोग व च गित gtात कर

वत)मान नlt = धिनDा

सय[दय का समय अतर

91

िदया गया सय[दय का समय 6 39

पचाग का सय[दय समय - 6 30

009 (िमिनट)

times 212

2230 (घटीपल)

घ0 प0 िव0

(सबह 630 बज) 493500

नlt मान का अतर - 2230

धिन(ा का मान 491230

सबह (639 बज)

गत नlt Bवण का मान 481500 (-) 2220 = 475230 (घ0 प0 िव0)

भJकाल (भयात = 60 - गत नlt + इ( काल + इ( काल)

इ(काल = 1015 ndash 639

(घ0 िम0) = 3rsquorsquo36rsquorsquo

इ(काल = 900 (घ0 प0)

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

= 60 - 475230 + 90000

= 120730 +90000

= 21 07 30 (घ0 प0 िव0)

= 1260 + 7 = 1267 60 + 30 = 76050 (िव0)

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 120730 + 491230

(घ0प0िव0)

= 612000

= 61 - 20 60

= 3660 + 20

92

= 3680 पल 60

= 220800 िवपल

च गित = 3600X800

3680

= 10800

23

= 782 पल 36 िवपल

च गित = 130-02-36rsquorsquo

च साधन

च -प( करन क िलए पहल षि( माण भिJ (वत)मान नlt क) िनकालनी होती ह भभोग क घिटया कमी 60 स कम कभी 60 स अिधक होती ह तथा 60 घिट क अनपाितक घिटया भयात क िकतनी होती ह इस िनकालना पड़ता ह इसी को lsquolsquoषि( माण भिJrsquorsquo कहत ह अथा)त पण) भभोग म 60 घिट तो भयात म िकतनी अनपाितक घिटया होगी या सपण) भभोग को 60 घिट क बराबर माना जाय तो भयात को िकतनी घिट क बराबर मानना पडगा

स = भयात X 60 भभोग

= षिD माण भिJ

या = भयात X 60 पला2 मक भभोग

1) च साधन स = (गत न क षि माण भि + वतमान न क षी माण भि) X 2

9

= च -प(

2) स = = भयात X 40 भभोग X 3 = वत)मान नlt क च -प(

इसम गत नlt क स^या का च -प( जोड़ द तो च -प( हो जायगा

93

नlt क अनसार च -प( करन क िलए इस सारणी को दख अगर िकसी जातक का जम अिEनी नlt क अत म होता ह तो इस सारणी क अनसार च -प( 0 रािश 13 अश 20 कला 0 िवकला िलखग

नamp)प+र प$ रािशयािद च सारणी

1 2 3 4 5 6 7 8 9

अिE भरणी कित रोिह मग आा) पन) प_य आ`षा

0 0 1 1 2 2 3 3 4

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

10 11 12 13 14 15 16 17 18

मघा पफा उफा ह-त िचा -वाित िवशा अनरा aयDा

4 4 5 5 6 6 7 7 8

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

19 20 21 22 23 24 25 26 27

मल पषा उषा Bवण धिन शतिभ पभा उभा रवती

94

8 8 9 9 100 10 11 11 12

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

424 िवशोतरी दशा

िवशोतरी महादशा म भJ-भोय साधन

िवशोतरी महादशा का भJ िनकालन क िलए 5ह क दशा वष) को भयात स गणा करक उसम भभोग का भाग िदया जाता ह

भJ = दशा वष) Xभयात

भभोग

भोय = दशा वष) - भJ

नlt का वह मान जो भJ या बीत चका होता उस हम गत नlt कहत ह और नlt वत)मान होता ह उस हम जम नlt कहत ह िवशोतरी दशा म सव) थम जम नlt क िवशोतरी दशा अनसारण -वामी 5ह क दशा होती ह िफर Tमशः अय 5ह क दशा होती ह जम नlt का वह भाग जो बीत जाता ह दशा वष) म उतना मान िनकाल िलया जाता ह और जो शष भोगना बाक ह उसम 5ह दशा व वष) का मान जोड़ा जाता ह अतः भJ भोय िनकालन क आवHयकता पड़ती ह

िवशोतरी महादशा क भJ-भोय साधन जम समय जम समय जो िवशोतरी दशा चल रही ह उसक पण) वष) म स िकतन वष) जम क पव) भJ हो चक ह और िकतन वष) अब भोगना शष ह इसक जानन क गिणता2मक िविध यह ह िक िजस नlt म जम हbआ ह उस नlt का योग काल और भJ काल िनकाल ल और उन दोन क घटी पल को एक वण) बनाकर भयात (भJ-घटी-पल) म महादशा वष) का गणा कर भभोग (भोयकाल) स भाग द जो लKधी भJ वष) मास िदन आिद ा हो जाएग उस समय को महादशा क पण) वष) म स घटा दग जो शष बच वहS वष) आिद महादशा क भोय वष) आिद होग अथा)त इतन समय उस 5ह क दशा और भोगनी पड़गी

िवशो9री दशा म 120 वष) क पर आय मानकर चलत ह और उसी क आधार पर 5ह का िवभाजन िकया जाता ह िजस नlt म जम हbआ हो उसी क अनसार 5ह िदशा का िवचार िकया जाता ह

नीच िलखS गई सारणी म 5ह क दशा िनन कार ह -

सय) क दशा 6 वष)

95

चमा क दशा 10 वष)

भौम क दशा 7 वष)

राहb क दशा 18 वष)

बह-पित क दशा 16 वष)

शिन क दशा 19 वष)

बध क दशा 17 वष)

कत क दशा 7 वष)

शT क दशा 20 वष)

जम नlt क अनसार कि9का उ9राफाAगनी और उ9राषाढ़ म जम हो तो सय) क माहदशा रोिहणी ह-त Bवण म चमा मगिशरा िचा व धिनDा म मगल आा) -वाि9 शतिभषा म राहb व पन)वस िवशाखा व पव) भा पदम गf प_य अनराधा व उ9रा भापद म शिन आ`षा aयDा व रवती म बध मघा मल व अिEनी म कत भरणी पवा)काल गनी व पवा)षाढ़ा म शT क माह दशा रहती ह

427 ह क दशा जानन क िविध-

कि9का नlt स जमनlt तक िगनकर 9 का भाग दन स एकािद शष म Tम स सय) चमा भौम राहb गf शिन बध कत और शT क दशा होती ह

उदाहरण-

यहा कि9का स जम नlt िचा तक िगनती करन पर स^या 12 हbई िफर उसम 9 का भाग द जो शष बच उस सया)िद Tम स िगनती कर ल मान लो िकसी जातक का जम िचा नlt म हbआ ह तो उसक कौनसी दशा ह gtात करन क िलए िचा तक (कि9का स ारभ करक) िगना तो िगनती म 12 अक आय इस 12 को 9 स भाग िदया तो शष 3 बच इसक पhात सय) आिद Tम स िगनती क तो तीसरी महादशा मगल क होगी

जम नlt स 5हदशा बोधक चT

5ह सय) च भौम राहb गf

वष) 6 10 7 18 16

नlt कि9का रोिहणी मगिशरा आा) पन)वस

उ9राफाAगनी ह-त िचा -वाि9 िवशाखा

उ9राषाढ़ा Bवण धिनDा शतिभषा पभापद

5ह शिन बध कत शT

96

वष) 19 17 7 20

नlt प_य आ`षा मघा पवा)फाAगनी

अनराधा aयDा मल पवा)षाढ़ा

उ9राभापद रवती अिEनी भरणी

जम क नlt क अनसार ऋ कि9का उ9रा फाAगनी उ9राषाढा जम हो तो सय) महादशा रोहणी ह-त Bवण म चमा मगिशरा िचा व धिनDा म मगल आा) -वाित शतिभषा म राहb व पन)वस िवशाखा व पव)भापद म गf प_य अनराधा व उ9रा भापद म शिन आ`षा aयDा व रवती म बध मघा मल व अिEनी म कत भरणी पवा)फाAगनी व पवा)षाढा म शT क महादशा रहती ह

उदाहरण

जम िदनाक 9112003 भयात भभोग ारा िवशोतरी दशा

1 नlt का मान = कोटा जम 1105 बज

सय[दय 0643 सबह

जम समय 11 05 बज

- 06 43

04 22

acute X 2 12

1055 इ(काल (घटी-पल)

8112003 अिEनी नlt का मान 1457 - 032 (समय म करPशन)

= 1425 नlt का मान 06 30 सबह

911 भरणी नlt का मान = 2202 - 032 सय[दय 06 43 पर

= 2130 - 06 30

इ(काल का मान उस िदन क नlt क मान स कम ह 00 13

अतः वत)मान नlt भरणी हbआ X 2 12

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल 0032 घटी

= 60 - 1425 + 1055

= 4535 + 1055

भयात = 5630

97

पला2मक भयात = 56 acute 60 + 30

पला2मक भयात = 3390

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 453+ + 2130

= 6705

पला2मक भभोग = 67 acute 60 + 05

पला2मक भभोग = 4025 पल

भJ दशा = दशा वष) times भयात

भभोत

भोय = दशा वष) times भJ

गत नlt अिEनी - शT क महादशा

शT क दशा वष) = 20 वष)

= 3390 times20

4025

= 16 वष) 10 माह 4 िदन (भJ)

वष) माह िदन

शT क महा दशा वष) 200000

भJदशा 161004

030126

= 3 वष) 1 माह 26 िदन भोय अथा)त भोगना ह

वत)मान नlt -प( = भयात times नlt कामान

भभोत

= 3390times 800

4025

चगित = 673 3

98

वत)मान नlt का मान = 00-130-20rsquo-00rsquorsquo

चगित = 00-110-13rsquo-47rsquorsquo

च-प( = 00-240-33rsquo-47rsquorsquo

िवशतरी दशाचTिमदम

बkच न जम िलया था तब शT क महादशा चल रहS थी और उसम स 16 वष) 10 माह और 4 िदन बीत चक ह या भJ अथा)त भोग चका ह शष 3 वष) 1 मास 26 िदन दशा वष) भोगनी शष ह

उदाहरण 1

जम समय 02 32 दोपहर जम िदनाक 23042012 जम -थान कोटा भयात-भभोग (भJ-भोय) कार स िवशोतरी दशा िनकाल

जम समय 02 32 दोपहर (14 घampटा 32 िमिनट)

जम िदनाक 23 अ ल 2012

जम -थान कोटा

सय[दय 06 बजकर 02 िमिनट

इ(काल = 14 घampटा 32 िमिनट - 06 घampटा 02 िमिनट

= 08 घampटा 30 िमिनट (इ(काल)

99

= 21 घटी 15 पल

िदनाक नlt घप घिम

22042012 भरणी 5346 2732

23042012 कितका 6000 1432

(ितिथ ltय)

24042012 6138 0640 तक

(बAलभमनीराम पचाग क अनसार)

गत नlt भरणी = 5346

जम नlt कि9का = 6138

स- भयात gtात करन का स

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

= 6000 - 5346 + 2115

= 614 + 2115

= 2729 (घ0 प0)

= 27 times 60 +29

= 1620 +29

= 1649 पलािद भयात

स- भभोग gtात करन का स

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 60 - 5346 + 6138

= 614 +6138

= 6762 (घटीपल)

= 67 times 60 + 52

= 4020 + 52

= 4072 पलािद भभोग

स-

100

च गित = 3600times800

4072

= 2880000

4072

= 707 पल-िवपल

= 110-47

च -प( = भयािद पलािद times 40 भभोग पलािद times 3

= 1649 times 40 4072times 3

= 65960 12216

= 050-23rsquo-28rsquorsquo

गत नlt का मान (भरणी दसरा नlt) = 2times1302

= 00-260-40rsquo-00rsquorsquo

+ 00-050-23rsquo-00rsquorsquo

च -प( 01-020-03rsquo-58rsquorsquo

पला2मक भयात = 1649 पला2मक भयात

425 िवशोतरी दशा

सय) क दशा वष) स गणा िकया times 6

9894 -4072

1649

times 6

9894 -4072 भभोग

101

सय) क भJ वषा)िद = 2 वष) 5 मास 4 िदन 44 घटी 58 पल ा हbए िजसम स सय) क 5ह वष)

6 म स घटाया शष भोय वषा)िद होगा

सय) क 5ह वष) 600000000

भJ वषा)िद - 205044458

306251502 भोय वषा)िद

जातक को 3 वष) 6 मास 25 िदन 15 घटी 02 पल सय) क महादशा भोगना ह

102

इसका दशा चT बनान क िलए िजस 5ह क दशा चल रही ह उसस ारभ करक उसस आग क 5ह को Tमवार िलख दना चािहए

उपरोJ उदाहरण जम कampडली का िवशोतरी दशा चT नीच िलख अनसार बनगी

426 महादशा म0 अतदशा साधन -

2यक एक 5ह क महादशा म 9 5ह Tमशः अपना भोय लत ह िजस अत)दशा कहत ह जस- सय) क महादशा म पहली अत)दशा सय) क दसरी चमा क तीसरी भोम क चौथी राहb क पाचवS जीव क छठी शिन क सातवS बध क आठवS कत क और नवS दशा शT क होती ह

िजस 5ह क दशा हो उसस सय) चमा भौम राहb जीव शिन बध कत एव शT क अत)दशाए होती ह

अतदशा िनकालन0 क िविध-

1) दशा-दशा का पर-पर गणा करन पर शष आय उसम 10 का भाग दन स लKध मास और शष को तीस स गणा करन स िदन ा होग

2) दशा-दशा का पर-पर गणा करन पर जो गणनफल ा होग उसम इकाई क अग को छोड़ बाक बच अक मास और इकाई क अक को 3 स गणा करन पर िदन ा होग

उदाहरण

स- दशा वष) acute दशा वष) divide 10 = अत)दशा माह

103

मगल क महादशा म मगल क अत)दशा िनकालनी ह तो मगल क दशा वष[ म 7 का गणा िकया जाएगा

मगल म मगल क अत)दशा 7 acute 7 = 49 divide 10

= 4 मास 7 िदन

मगल म राहb क अत)दशा 7 acute 18 = 126 divide 10

= 1 वष) 18 िदन

मगल म गf क अत)दशा 7 acute 16 = 112 य 10

= 11 मास 6 िदन

मगल म शिन क अत)दशा 7 acute 19 = 133 divide 10

= 1 वष) 1 मास 9 िदन

मगल म बध क अत)दशा 7 acute 17 = 119 divide 10

= 11 मास 27 िदन

मगल म कत क अत)दशा 7 acute 7 = 49 divide 10

= 4 मास 27 िदन

मगल म शT क अत)दशा 7 acute 20 = 140 divide 10

= 1 वष) 2 मास

मगल म सय) क अत)दशा 7 acute 6 = 42 divide10

= 4 मास 6 िदन

मगल म चमा क अत)दशा 7 acute 10 = 70 divide 10

= 7 मास

च मा क महादशा म0 नौ ह क अतदशा-

चमा क महादशा म च का अतर 10 acute 10 = 100 divide10

= 10 मास

चमा क महादशा म भौम का अतर 10 acute 07 = 70 divide10

= 7 मास

चमा क महादशा म राहb का अतर 10 acute 18 = 180 divide10

104

= 1 वष) 6 मास

चमा क महादशा म जीव का अतर 10 acute 16 = 160 divide 10

= 1 वष) 4 मास

चमा क महादशा म शिन का अतर 10 acute 19 = 190 divide10

= 1 वष) 7 मास

चमा क महादशा म बध का अतर 10 acute 17 = 170 divide 10

= 1 वष) 5 मास

चमा क महादशा म कत का अतर 10 acute 07 = 70 divide10

= 7 मास

चमा क महादशा म शT का अतर 10 acute 20 = 200 divide 10

= 1 वष) 8 मास

चमा क महादशा म सय) का अतर 10 acute 06 = 60 divide 10

= 6 मास

इसी कार अय 5ह क महादशा म स अत)दशा िनकाल लनी चािहए

5ह क अत)दशा क चT नीच िदय जा रह ह -

सयातदशा च2

5ह सय) च भौम राहb गl शिन बध कत शT

वष) 0 0 0 0 0 0 0 0 1

मास 3 6 4 10 9 11 10 4 0

िदन 18 0 6 24 18 12 6 6 0

च ातदशा च2

5ह च भौम राहb गf शिन बध कत शT सय)

वष) 0 0 1 1 1 1 0 1 0

मास 10 7 6 4 7 5 7 8 6

िदन 0 0 0 0 0 0 0 0 0

105

भौमातदशा च2

5ह भौम राहb गl शिन बध कत शT सय) च

वष) 0 1 0 1 0 0 1 0 0

मास 4 0 11 1 11 4 2 4 7

िदन 27 18 6 9 27 27 0 6 0

राह4वातदशा च2

5ह राहb गf शिन बध कत शT सय) चद भौम

वष) 2 2 2 2 1 3 0 1 1मास 8 4 10 6 0 0 10 6 0

िदन 12 24 6 18 18 0 24 0 18

जीवातदशा च2

5ह गf शिन बध कत शT सय) चद भौम राहb

वष) 2 2 2 0 2 0 1 0 2

मास 1 6 3 11 8 9 4 11 4िदन 18 12 6 6 0 18 0 6 24

शयातदशा च2

5ह शिन बध कत शT सय) चद भौम राहb गf

वष) 3 2 1 3 0 1 1 2 2

मास 0 8 1 2 11 7 1 10 6

िदन 3 9 9 0 12 0 9 6 12

बधातदशा च2

5ह बध कत शT सय) चद भौम राहb गf शिन

106

वष) 2 0 2 0 1 0 2 2 2 मास 4 11 10 10 5 11 6 3 8

िदन 27 27 0 6 0 27 18 6 9

कवातदशा च2

5ह कत शT सय) चद भौम राहb गf शिन बध

वष) 0 1 0 0 0 1 0 1 0

मास 4 2 4 7 4 0 11 1 11

िदन 27 0 6 0 27 18 6 9 27

श2ातदशा च2

5ह शT सय) चद भौम राहb गf शिन बध कत

वष) 3 1 1 1 3 2 3 2 1 मास 4 0 8 2 0 8 2 10 2

िदन 0 0 0 0 0 0 0 0 0

43 साराश

इस ईकाई क िववचन स यह -प( हो जाता ह िक चमा गित व -प( िनकालन क िविध अय 5ह क गित एव -प( िनकालन क िविध स िकस कार िभन ह इस म च 5ह क गित एव -प( को िनकालन क िविधय का िव-तार स वण)न िकया गया ह िवशष fप स उसस भयात-भभोग (मJ-भोय) क आधार पर च गित व -प( को करन क िविधय का सिव-तार उदाहरण सिहत पण) िववचन िकया गया ह

44 शदावली

bull जीव - गf

bull भौम - मगल

bull भJ - गत नlt (भोग चका) का वह मान जो बीत चका ह

(िवशतरी म दशा वष) का वह मान जो बीत चका ह)

107

bull भोय - वत)मान नlt (भोगना) का वह मान जो भोगा जाना बाक

ह (िवशतरी म दशा वष) का वह मान जो जम िदनाक स भोगा जाना ह

45 अयास

1 एक नlt का मान िकतना होता ह

उ9र एक नlt का मान होता ह

2 चमा क गित साधन करन का स बताइए

उ9र च गित साधन स = 800times20rsquo

भभोत पल = च गित कला िवकला म

3 च -प( करन क िकतनी िविधया ह एव च -प( क िविधय क स िलिखए

उ9र च -प( करन क दो िविधया ह जो िनन कार ह-

1) (गत नlt क षिD माण भिJ + वत)मान नlt क षDी माण भिJtimes 2

9

2) = भयातtimes60

भभोत times3

4 जम नlt व गत नlt को -प( किजय

उ9र िजस नlt म जातक का जम होता ह वह उसका जम नlt कहलाता ह और जम नlt क पव) का गत नlt कहलाता ह

5 भयात एव भभोग िनकालन का स बताईय

उ9र स-

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

िनबधामक -

1 जातक का जम 26072009 को सायकाल 0755 पर कोटा म हbआ सय[दय 0555 जम नlt ह-त का मान 2832 तथा गत नlt का 2948 (घटीपल) ह इस आधार पर जातक का च -प( किजए

108

2 च -प( ारा भयात-भभोग (भJ-भोय) स िवशोतरी दशा का साधन किजए

46 सदभ 13थ सची

भारतीय aयोितष नमीचद शाी

बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

109

इकाई - 5

दशम साधन नतोनत कार व चिलत च इकाई क परखा

50 -तावना 51 उGHय 52 िवषय वश 521 दशम भाव साधन 522 नतकाल 523 दशम भाव िविध 524 चिलत चT 525 ादश -प( चT 53 साराश 54 बोध M 55 शKदावली 56 सदभ) 5थ सची

50 तावना

aयोितष फिलत म 5ह क सही ि-थित िकस भाव म ह इसक िलए भाव -प( िकए जात ह इसस यह पता चलता ह िक जो 5ह जमाग म िजस भाव म ि-थत 5ह होता ह वहा क फलो क िलए उ9रदायी होत हbए भी उस भाव का फल नहS करता Pयिक वह उस भाव म ि-थत न होकर सिध या दसर भाव म ि-थत होकर वहा क फलो को ही दन वाला हो जाता ह अतः हम हमार मनीिषय न भाव -प(ः करक 5ह क फल को बतान क आgtा दान क ह िबना भाव -प(ः िकए ही जो aयोितषी भाव म ि-थत 5ह का फल करत ह वह अधर कमर म िकसी व-त को दखन क बात कहत ह इस कार वह अपना और aयोितष शा का बहbत बड़ा नकसान करत ह अतः महिष)य क अनसार हम नतोनत करक दशम भाव -प(ः कर चिलत चT का िनमा)ण कर भाव को -प(ः कर 5ह क फल का िवचार करना चािहए

51 उय

इस इकाई म यह बतान क कोिशश क गई ह िक दशम लन साधन क लन कampडली म अ2यिधक आवHयकता होती ह इसक िबना सही फिलत नहS िकया जा सकता बहbत सरल पXित ारा नतोनत साधन स लन क ारा दशम भाव साधन िकया गया ह साथ म सिवधा क िलए दशम लन सारणी एव दशम सारणी दी गई ह दशम भाव साधन एव चिलत चT िक सारणी भी बनाई ह इसम भाव एव

110

सिध को िकस कार कampडली म 5ह को -थािपत िकया जाता ह सीधी सरल भाषा एव गिणत ारा समझाया गया ह

52 िवषय वश

521 दशम भाव साधन-

लन का भाव-दशम भाव लन पर भाव डालता ह

इ(काल स नतकाल सयाnश (दशम भाव सारणी स)

522 नतकाल-नतकाल क दो भाग होत ह -

1) पव)नत काल 2) पिhम नत

अX)राि क बाद स लकर अX) िदन तक जो जातक उ2पन होगा उसका नतकाल पव)नत कहलायगा Pयिक उस समय सय) पव) क पाल म आ जायगा अX)िदन क बाद स लकर अध)राि तक का नतकाल पिhम नत कहलायगा

पव)नत क दो भाग ह -

1) पवनत काल

i) अX)राी स सय[दय तक का नतकाल

ii) सय[दय स अX)िदन तक का नतकाल

2) पि6म नतकाल

i) अX)िदन स लकर सया)-त तक का नतकाल

ii) सया)-त स लकर अX)राी तक का नतकाल

111

पवनत- नतकाल िनकालन क िविध -

1) पव)नत म यिद अX)राि क बाद स लकर सय[दय तक का इ(काल हो तो 60 म स इ(काल घटाकर िदनाX) जोड़ दत ह

स) -नतकाल = 60 - इ(काल + िदनाX)

2) अगर सय[दय स िदनाX) क पव) का इ(काल हो तो िदनाX) म स इ(काल घटाओ

स) -नतकाल = िदनाX) - इ(काल

पि6म नत-1) िदनाX) स सया)-त तक का अगर (पिhम नत) इ(काल हो तो पिhम नत होगा -

स) -पिhम नत = िदनाX) - (िदनमान + इ(काल)

(िदनाX) म स िदनमान और इ(काल घटा दत ह)

2) अगर सया)-त स लकर अX)राी क पव) तक का इ(काल हो तो इ(काल म स िदनामान घटाकर िदनाX) जोड़ दग

स) -

पिhम नत = इ(काल - िदनमान + िदनाX)

= इ(काल - िदनाX)

उनत - 30 घटी म स नत घटा दग जो शष बचगा वह उनत कहलाएगा ह मoयाp और अX) राि म

30 घटी का अतर होता ह मoयाp म दशम का -थान ह तो अX)राि म चतथ) का -थान ह मoयाp स अX)राि क दरी को नत और अX)राि स इ( क दरी को उनत कहत ह

523 दशम भाव िनकालन0 क िविध -

उस िदन सय) क अशो का मान दशम - लनसारणी म दशम भाव म दखना ह यिद पव)नत काल ह तो सय) क अश क मान म स नतकाल को घटा दग और अगर पिhम नत ह तो उसम जोड़ दग अब जो मान आयगा उस दशम - लनसारणी म दख और उसी तरह जहा स^या आयगी उस आग पीछ क मान स सही मान gtात करग

इस तरह ा रािश क मान अश कला व िवकला म आय वही दशम भाव होगा (जो कamp डली क लन क दशम भाव क समान होगा)

112

इस कार gtात चतथ)भाव म स लन का मान घटा दग जो मान आया उसम 6 का भाग दग य षDाश आया (यह अश कला और िवकला म आयगा) इसक बाद 2यक भाव क ि-थित gtात करग

चतथ) भाव = - प_ ट ल न

शष = times30divide ष_ ठाश शष = times30+कला divide ष_ ठाश कला

शष = times90+िव divide ष_ ठाश िवकला

दशल न सारणी

छा क सिवधा क िलए दशम सारणी म िलख गय िह दी अक को िन न कार स अ5जी क अक को समझ-

113

114

115

116

िनयम ndash सय)फल इ_ टकाल म जोड़न स ल नसारणी ारा जो अक घटयािद िनकलगा उसम स 15 दamp ड घटाकर जो घटयािद होगा वह दशम सारणी म िजस राH यश का फल होगा वही दशम ल न होगा

117

िनयम ndash सय)फल इ_ टकाल म जोड़न स ल नसारणी ारा जो अक घटयािद िनकलगा उसम स 15 दamp ड घटाकर जो घटयािद होगा वह दशम सारणी म िजस राH यश का फल होगा वहीदशम ल न होगा

118

लन सिध = लन का मान +षDाश

( थम भाव)

ितीय भाव = लन सिध + षDाश

119

ितीय भाव सिध = ितीय भाव + षDाश

ततीय भाव = ितीय भाव सिध + षDाश

ततीय भाव सिध = ततीय भाव + षDाश

चतथ) भाव = सिध (त0 भाव) + षDाश

चतथ) भाव क बाद अश म स षDाश को घटा दग जो मान आया उस चतथ) भाव म जोड़न पर चतथ) क सिध आयगी

स - - षDाश = शषाक

भाव म स अतर शष को जोड़ा तो

चतथ) भाव सिध अतर (शष)

चतथ) भाव सिध = - षDाश + चतथ) भाव

सिध अतर

चतथ) भाव क सिध म यह सिध अतर जोड़न पर पचम भाव आयगा

पचम भाव = चतथ) भाव सिध + अतर ( - षDाश)

पचम भाव सिध = पचम भाव + ( - षDाश)

ष(म भाव = पचम भाव क सिध + ( - षDाश)

ष(म भाव सिध = ष(म भाव + ( - षDाश)

इसी कार लन क मान म 6 रािश जोड़न पर समभाव आयगा

सम भाव = लन का मान + 6s

सम भाव सिध = लन सिध + 6s

अ(म भाव = ितीय भाव + 6s

अ(म भाव सिध = ितीय भाव सिध + 6s

इसी कार 2यक भाव म 6 रािश जोड़कर बारह भाव क सिध तक gtात करग

उदाहरण 1 23082003 को जातक का जम 0315 ातःकाल (27 15) पर हbआ दशमभाव gtात

करो

पचाग स 23082003 का सया)दय = 607

सयाnश = 04005003rsquo08rsquorsquo

िदनमान = 3206

120

इ(काल = 2715 - 0607

(घampटा िमनट) = 2108

इ(काल (घटीपल) = 5250

लन सारणी स सयाnश 24 07

इ(काल 0405 पर + 52 50

16 57

लन सारणी स (1657) (घटीपल) पर लन =

इ(काल = 5250

लन = 2-280-00rsquo

िदनमान = 3206 िदनाX) = 1603

नतकाल = 60 - इ(काल + िदनाX)

= 60 - 5250 + िदनाX)

710

िदनार)X = 1603

पव) नतकाल 2313

(जम अX)राि स लकर सय[दय स पहल हbआ ह)

दशम सारणी स सयाnश (04-050) पर = 4012

पव) नतकाल (-) 2313

1659

121

दशम लन 1659 (दशम सारणी स) = 11-180-530-20rsquorsquo

दशम लन = 11-180-530-20rsquorsquo

+06-000-00rsquo-00rsquorsquo

चतथ) भाव = 05 s -180-530-20rsquorsquo

लन = 02s-280-00rsquo-20rsquorsquo

षDाश सिध = 02s-200-00rsquo-20rsquorsquo

षDाश = 02-200-53rsquo-20rsquorsquo = 00-130-25rsquo-53rsquorsquo

6

लन = 02-280-00rsquo-00rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

लन सिध = 00-110-28rsquo-53rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ितीय भाव = 03-240-57rsquo-46rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ितीय भाव सिध= 04-080-26rsquo-39rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ततीय भाव = 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ततीय भाव सिध= 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

चतथ) भाव = 05-180-53rsquo-18rsquorsquo उपरोJ

00-300-00rsquo-00rsquorsquo

122

षDाश - 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

षDाश अतर 00-160-31rsquo-07rsquorsquo शष

चतथ) भाव 05-180-53rsquo-18rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 06-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

पचम भाव सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo

ष(म भाव अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

ष(म भाव 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

ष(म अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

ष(म भाव सिध 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

सम भाव = लन का मान +6s

= 02-280-00rsquo-0rsquorsquo+6s

सम भाव = 08-280-00rsquo-00rsquorsquo

लन सिध = 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

+ 09-110-28rsquo-53rsquorsquo

सम भाव सिध= 09-110-28rsquo-46rsquorsquo

ितीय भाव = 03-240-57rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

अ(म भाव 09-240-57rsquo-46rsquorsquo

ितीय सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

अ(म भाव सिध 10-080-26rsquo-39rsquorsquo

ततीय भाव = 04-210-55rsquo-32rsquorsquo

123

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

नवम भाव 10-210-55rsquo-32rsquorsquo

ततीय भाव सिध 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

नवम भाव सिध 11-500-24rsquo-25rsquorsquo

चतथ) भाव = 05-180-53rsquo-20rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव 11-180-53rsquo-32rsquorsquo उपरोJ

चतथ) भाव सिध 06-050-24rsquo-25rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव सिध 00-050-024rsquo-25rsquorsquo

पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव 00-210-55rsquo-32rsquorsquo

पचम सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव सिध 01-080-26rsquo-39rsquorsquo

ष(म भाव 07-240-57rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव 01-240-57rsquo-46rsquorsquo

ष(म सिध 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo

उदा0 1 चिलत चT म 24 कोDक बनाय जात ह 12 कोDक बारह भाव क एव 12 कोDक सिधय

क कछ िवान जम कampडली क तरह 12 कोDक ही बनात ह व सिधगत 5ह को अगल भाव म िलख दत ह चिलत चT बनान क िलए पहल हम 5ह -प( लत ह िफर भाव -प( को यिद 5ह -प( भाव

124

-प( क तAय या कम होगा तो उसी भाव म िलखा जायगा यिद 5ह -प( 5ह सिध तAय या अगल भाव स कम होगा तो सिध म िलखा जायगा

उपरोJ उदाहरण का चिलत चT बनात ह-

bull 5ह वाल कोDक म सय) -प( 04-050-55rsquo-58rsquorsquo ह और भाव -प( म ितीय भाव 03-240-57rsquo-46rsquorsquo ह और ितीय भाव सिध क 04-080-26rsquo-36rsquorsquo ह जो सय) -प( स aयादा ह इस कारण सय) ितीय भाव म ि-थत ह

bull चमा -प( 02-190-48rsquo-29rsquorsquo ह और भाव -प( म ादश भाव क सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo ह और लन -प( 02-280-00rsquo-00rsquorsquo ह जो िक च -प( स अिधक ह और ादश भाव क सिध स कम ह अतः चमा ादश भाव सिध म होगा

bull मगल -प( 10-110-49rsquo-02rsquorsquo ह और भाव -प( म अ(म भाव क सिध 10-080-26rsquo-39rsquorsquo स नवम भाव -प( 10-210-55rsquo-32rsquorsquo अिधक ह जो मगल अ(म भाव क सिध म होगा

bull बध -प( 05-020-09rsquo-05rsquorsquo ह और भाव -प( म ततीय भाव -प( 04-210-55rsquo-32rsquorsquo स चतथ) भाव -प( 05-180-53rsquo-18rsquorsquo अिधक ह जो िक बध -प( म अिधक ह इस कारण बध -प( ततीय भाव म होगा

bull गf -प( 04-050-21rsquo-03rsquorsquo ह ितीय भाव -प( 03-240-57rsquo-46rsquorsquo पर ह और ितीय भाव क सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo ह जो गf -प( स अिधक ह अतः गf ितीय भाव म होगा

bull शT -प( 04-070-42rsquo-56rsquorsquo ह ितीय भाव -प( म 03-240-57rsquo-46rsquorsquo पर ह और ितीय भाव सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo ह जो िक ितीय भाव -प( स अिधक ह और ितीय भाव क सिध स कम ह इस कारण शT ितीय भाव म रखा जायगा

bull शिन -प( 02-150-44rsquo-23rsquorsquo ह ादश भाव क सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo पर ह और लन -प( 02-280-00rsquo-00rsquorsquo पर ह शिन -प( लन -प( स कम ह और ादश भाव क सिध स अिधक ह इस कारण शिन 5ह को ादश भाव क सिध म रखा जायगा

bull राहb -प( 01-000-40rsquo-11rsquorsquo ह और एकादश भाव 00-210-55rsquo-32rsquorsquo ह जो िक राहb -प( स कम ह राहb को एकादश भाव म रखा जायगा

125

bull कत -प( 07-000-40rsquo-11rsquorsquo ह और पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo ह और पचम भाव क सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo ह पचम भाव कत -प( स कम ह और पचम भाव क सिध कत -प( स aयादा ह इस कारण कत पचम भाव म होगा

524 चिलत च2 (24 को8क)

525 9ादश प ट च2

उदा0 2 जम समय 3 बजकर 42 िमिनट सायकाल दशम साधन एव चिलत चT gtात कर

िदनाक - 25082003 पचाग स सय[दय - 6 08

126

सयाnश - 04065834

िदनमान - 3157

िदनाX) = 1558

जम समय = 15 42

सय[दय - 06 08

इ(काल 09 34

इ(काल (घटीपल) = 2355

सयाnश (04065334) पर लनाश 0406 2419

0407 2430

सय) अश = 2430

इ(काल + 2355

4825

लन सारणी स 4825 पर लन

नतकाल (पिhम नत) = िदनाX) - िदनमान + इ(काल

= 1558 - 3157 + 2355

= 3953 - 3157

पिhम नत = 756

(दशम सारणी स) सय) अश 0407

= 4031

नतकाल + 756

4827

दशम लन 4827 पर 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

दशम भाव = 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

127

दशम भाव - 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

चतथ) भाव = 11-280-26rsquo-40rsquorsquo

लन - 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

षDाश 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

षDाश = 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

6

षDाश = 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

लन सिध = लन का मान +षDाश

थम भाव (लन)= 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

+ 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

लन सिध 09-000-34rsquo-27rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव 09-180-08rsquo-54rsquorsquo

ितीय भाव 09-180-08rsquo-54rsquorsquo

षDाश + 0-170-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव सिध 10-050-43rsquo-21rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ततीय भाव 10-230-07rsquo-48rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ततीय सिध 11-100-50rsquo-15rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

चतथ) भाव 11-280-26rsquo-42rsquorsquo

00-300-00rsquo-00rsquo

128

षDाश - 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

सिध अतर 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

शषाक

चतथ) भाव 11-280-26rsquo-40rsquorsquo

सिध अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

सिध अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

पचम भाव 00-230-17rsquo-46rsquorsquo

+ 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

पचम भाव सिध 01-050-43rsquo-19rsquorsquo

अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

ष(म भाव 01-180-08rsquo-52rsquorsquo

+ 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

षDम भाव सिध 02-000-34rsquo-25rsquorsquo

लन का मान 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

सम भाव 02-130-00rsquo-00rsquorsquo

लन सिध 09-000-34rsquo-27rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

सम भाव सिध 03-000-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव + 6 = अ(म भाव

अ(म भाव = 09-180-08rsquo-54rsquorsquo+6

= 03-180-08rsquo-54rsquorsquo

अ(म भाव सिध= 10-050-43rsquo-21rsquorsquo+6

= 04-050-43rsquo-21rsquorsquo

129

नवम भाव = 10-230-17rsquo-48rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

04-230-17rsquo-48rsquorsquo

नवम भाव सिध = 11-100-52rsquo-15rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

05-100-52rsquo-15rsquorsquo

चतथ) भाव = 11-280-26rsquo-42rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव 05-280-26rsquo-42rsquorsquo

चतथ) भाव सिध = 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव सिध 06-100-52rsquo-13rsquorsquo

पचम भाव = 00-230-17rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव 06-230-17rsquo-46rsquorsquo

पचम भाव सिध 01-050-43rsquo-19rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव सिध 07-050-43rsquo-19rsquorsquo

षD भाव = 01-180-08rsquo-52rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव 07-180-08rsquo-52rsquorsquo

षD भाव सिध 02-000-34rsquo-25rsquorsquo

ादश भाव सिघ + 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

08-1000-34rsquo-52rsquorsquo

130

चिलत च2-

चिलत चT म 24 कोDक बनाय जात ह 12 कोDक 12 भाव क एव 12 कोDक सिधय क होत ह व सिधगत 5ह हो अगल भाव म िलख दत ह 5ह -प( और भाव -प( करन क पhात ही चिलत चT बनाया जा सकता ह यिद 5ह -प( भाव -प( क समान या कम होता ह तो उसी भाव म िलखा जायगा यिद -प( 5ह सिध क समान या अगल भाव स कम होगा तो सिध म िलखा जायगा

उदाहरण 5

bull सय) -प( ह 04-070-22rsquo-29rsquorsquo और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो िक सय) -प( स कम ह और इस कारण सय) अ(म भाव क सिध म रखा जायगा

bull च -प( 03-090-16rsquo-45rsquorsquo ह और सम भाव क सिध 03-000-34rsquo-27rsquorsquo ह जो िक चमा -प( स कम ह इस िलए चमा सम भाव क सिध म होगा

bull मगल -प( 10-110-46rsquo-40rsquorsquo ह और ितीय भाव क सिध 10-050-43rsquo-21rsquorsquo स मगल -प( अिधक ह ततीय भाव 10-230-17rsquo-48rsquorsquo स मगल -प( कम ह इस कारण मगल -प( ितीय भाव क सिध म होगा

bull बध -प( 05-020-34rsquo-08rsquorsquo ह और नवम भाव 04-230-17rsquo-48rsquorsquo ह जो िक बध -प( स कम ह नवम भाव सिध ह जो िक बध -प( स अिधक ह इस कारण नवम भाव म बध रहगा

bull गf -प( 04-050-42rsquo-33rsquorsquo ह अ(म भाव 03-180-08rsquo-54rsquorsquo ह जो िक गf -प( स कम ह और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो गf -प( स अिधक ह इसिलए गf अ(म भाव म होगा

131

bull शT -प( 04-090-45rsquo-57rsquorsquo ह और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो िक शT -प( स कम ह इसिलए शT को अ(म भाव क सिध म रखा जायगा

bull शिन -प( 02-150-52rsquo-54rsquorsquo ह सम भाव 02-130-00rsquo-00rsquorsquo ह जो िक शिन -प( स कम ह इसिलए शिन -प( क सम भाव म होगा

bull राहb -प( 01-000-35rsquo-16rsquorsquo ह और पचम भाव 00-230-17rsquo-46rsquorsquo ह जो िक राहb -प( भाव स कम ह इसिलए राहb को पचम भाव म रखा जायगा

bull कत -प( 07-000-35rsquo-16rsquorsquo ह और एकादश भाव 06-230-17rsquo-46rsquorsquo ह जो िक कत -प( क भाव स कम ह इसिलए कत एकादश भाव म ही रहगा

सारणी 9ारा ल न प ट िनकालन क सगम िविध -

िजस िदन का लाभ बनाना हो उस िदन क सय) क रािश अशपचाग म दखकर िलख लना चािहए प_ ठ स 67 पर दी गइ) हा ल न सारणी म रािश का को_ ठक बायी और अश का को_ ठक उपरी भाग म ह सय) कजो रािश अक िलख हउसका फल ल न सारणी म अथा)त सय) क रािश क सामन और अश क नीच जो अक िमल उस ई_ टकाल क घटी पल म जोड द वहS योग या उसक लगभग अक ई_ टकाल कघटी पल म जोड़ द वही योग या उसक लगभग अक िजस को_ ठक म िमल उसक बायS तरफ रािश का अक और उपर अश का अक ापत होगा वही राशयािद ल न मान होगा इसक बाद रािशक गिणत ारा कला िवकला का भी माण िनकाल लना चािहए उदाहरण lsquo िवस 2001 वशाख शP ल 2 सोमवार को 23 घटी 22 पल ई_ टकाल का ल न बनता ह इस िदन पचाग म सय) - प_ ट 01102857 िलखा ह इसको एक - थान पर िलख िलया ल न सारणी म श य रािश अथा)त मष रािश क सामन और 10 अश क नीच 4742 स^ या िलिख हइस ई_ टकाल म जोड़ा 222210 ई_ टकाल म +40742 272942

इस योगफल को पन ल न सारणी म दखन पर िन निलिखत अक कहS नहS िमल 272942 िक त िसह रािश क 23 व अश क को_ ठक म 272459 स^ यािमली इस रािश क 24 व अश क को_ ठक म 27366 अक स^ या ह यह स^ या अभी_ ट योग क अक स^ या स अिधकह अत 23 अक िसह का 5हण करना चािहए अतएव ल न का मान 423 रायािद हbआ कला िवकला िनकालन क िलए 23 व अश 24 व अश को_ ठक क अक का एव पव[P त योगफल और 23 व अश क को_ ठक क अश का अ तर कर लना चािहए

132

ितीय अ तर क स^ या को 60 स गणा कर गणनफल म थम अ तर स^ या का भाग दन स कलाय आयगी शष को पन 60 स गणा करक उसी स^ या का भाग दन स िवकला आयगी

- तत उदाहरण क अनसार

24 0 एव िसह रािश क स^ या 27366 म स 23 0 एव िसह रािश क स^ या ndash 2712459 को घटाया 1107 इस एक जातीय बनाया

11107times60 ndash 660+7 667 इ_ टकाल म सय)फल को जोड़न स जो फल आया ह वह ह 272942 इस योगफल म स 23 अश क स^ या को घटाया 272942 - 272459 443 इस एक जातीय बनाया 4143times60 ndash 240+43 ndash 283 283times60 ndash 16980divide667 ndash 25 कला 16980667 25 25 कला 291 शष 2 योग िदया अत राH यािद - प( ल न 42325rsquo27rsquorsquo हqआ

दशमभाव साधन करन क िलए सारणी 9ारा सगम िविध

1 नत काल को इ_ टकाल मानकर िजस िदन का दशम भाव साधन करना हो उस िदन क सय) क रािश अश पचाग म दखकर िलख दना चािहए प 8एव 9 पर दी गई दशम ल न सारणी म रािश को को_ ठक बायS और अश का को_ ठक उपरी भाग म ह सय) क जो रािश अश िलख ह उनका फल सारणी म सय) क रािश क सामन और अश क नीच जो अक स^ या िमल उस पिhम नत हो तो नतfप इ_ टकाल म जोड दन स और पव) नत हो तो सारणी क अक म स घटा दन स जो अक आव उनको पन दशम सारणी म दख जो बायS और रािश और उपर अश िमल ह यह रािश अश ही दH म ल न क रािश अश होग कला िवकला का आनयन प_ ठ 25 क अनसार िनकाल लना चािहए

2 ई_ टकाल म स िदना) घटाकर जो शष आय व दशम भाव का ई_ टकाल होगा यिद ई_ टकाल म स िदनाX) न घट सक तो इ_ टकाल म स 60 छटी जोड कर िदनाX) घटान स दशल का ई_ टकाल होता ह ई_ टकाल पर स थम िनयम क अनसार दशम सारणी ारा ndash दशम ल न साधन करना चािहए

3 ल न सारणी ारा ल न बनात समय सय) फल म ई_ टकाल जोडन स जो घटयािद अश आव उसम 15 दठी घटान स शष अश सारणी म िकस रािश अश का फल हो वहS दशम ल न होगा

133

ल न स दशम भाव साधन

ल न रािश अश ारा फल लकर रािश क सामन और अश क नीच जो अक स^ या ल न स दशमभाव साधन सारणी म िमल वही दशम भाव होगा

53 साराश

इस इकाई म दशम भाव लन पर कस भाव डालता ह इसको उदाहरण ारा समझान का यास िकया गया ह लन िनकालन क पhात दशम लन िनकालन क पव) नतोनत साधन िकया गया ह जम कampडली म दशम भाव क मह2 2 वपण) भिमका ह छा ारा लन स दशम भाव साधन िकस कार िकया जाए इसक पXित Tमवार इस इकाई म -तत क गई ह तथा 5ह -प( एव स उदाहरण ारा समझान का यास िकया गया ह

54 बोध

1 नतकाल को िकतन भाग म बाटा गया ह

उ9र दो भाग म बाटा गया ह-

1) पव)नत

2) पिhम नत

2 नतकाल क आवHयकता िकस िनकालन क िलए पड़ती ह

उ9र दशम भाव क साधन क िलए

3 िकस भाव म 6 रािशया जोड़न पर चतथ) भाव िनकलता ह

उ9र दशम भाव + 6 = चतथ) भाव

4 षDाश िनकालन का स Pया ह

उ9र ष(ाश =

5 सिध म पड़ हbए 5ह का फल िकतना होता ह

उ9र कमजोर या आधा रहता ह

िनबधामक -

1 िदनाक 23082012 समय 8 बजकर 5 िमिनट ातः -थान कोटा का चिलत चT व भाव -प( को िनकाल

2 नतोनत को हbए दशम भाव को िनकालन का वण)न कर

134

55 शदावली

bull षDाश = िकसी भी स^या का छठा भाग षDाश कहलाता ह

bull नत = मVयाह रखा स इ( का जो अतर होता ह उस नत कहत ह

bull िदनाX) = िदनमान क आध भाग को कहत ह

56 सदभ 13थ सची

1 भारतीय aयोितष लखक डॉ नमीच शाी

2 पचाग बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

135

इकाई ndash 6

कारक ह चर-िथर कारक कारक ान होरा

काण इकाई सरचना

61 -तावना 62 उGHय 63 कारक 5ह प]रचय 64 चरकारक 641 आ2मकारक 5ह 642 अमा2यकारक 5ह 643 भातकारक 5ह 644 मातकारक 5ह 645 पकारक 5ह 646 gtाितकारक 5ह 647 दारकारक 5ह 648 दो 5ह क समान अश ि-थित 649 कारक कamp डली साधन 65 ि-थरकारक 5ह 651 भाव व भावश ारा कारक िवचार 652 5ह ारा कारक िवचार 653 अय ि-थितवश िनिम)त योगकारक 5ह 66 होरा gtान 661 प]रचय 662 उ2पि9 663 होरा लन साधन 664 होरा चT साधन 67 _काण gtान 671 प]रचय 672 _काण चT साधन 673 _काण कamp डली बनान क िTया

136

68 साराश 69 शK दावली 610 Mो9र 611 लघ9रा2मक M 612 सदभ) 5थ सची

61 तावना

a योितष शा- स सबिधत छठी इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक कारक 5ह चर-ि-s कारक कारक कारक gtान होरा _काण P या ह इसका िवशष fप स वण)न िकया गया ह lsquolsquoaयोितषा सया)िद 5हणा बोधक शामrsquorsquo अथा)त िजस शा क अतग)त सया)िद 5ह और काल का बोध कराया गया ह उस aयोितष शा कहा जाता ह इन 5ह का -वभाव व भाव मन_य पर कसा रहगा उस िवचार करन हत कamp डली का िनमा)ण िकया जाता ह कamp डली क भाव भावष रािशय 5ह तथा उनक कारकत2 2 व नlt एव वग) कampड़िलय का िवचार करन क पश चात ही aयोितष को जातक क कamp डली का फलादष करना चािहए अतएव इस इकाई क अVययन क उपरात आप कamp डली क भाव भावष अथवा 5हो क चर तथा ि-थर कारक वग) कampड़िलय क िविभन अग म स होरा _काण gtान तथा उसक साधन क िTया स अवगत होकर इह अपन tयवहा]रक उपयोग म सिमिलत करन क िलए सltम हो पाऐग

62 उय

इस इकाई का उGH य आपको िननिलिखत जानकारी उपलKध कराना ह

कारक gtान Pया ह

1 कारक क भद चर व ि-थर कारक

2 चर कारक क अतग)त आन वाल भद

3 भाव तथा 5ह क कारकत2 2 व

4 होरा gtान होरा लन साधन िविध

5 होरा चT साधन क िTया

6 _काण कamp डली का िनमा)ण

137

63 कारक 13ह पampरचय

िकसी tयिJ िवशष क कamp डली म िकसी िविश_ ट काय) या घटना का धिटत होन का सकतक 5ह या भाव कारक कहलाया जाता ह कारक 5ह अथवा भाव का फल कडली म फलकथन करन म मह2 2 वपण) माना गया ह

कारक 5ह को दो भाग म िवभािजत िकया गया ह यह िननिलिखत ह-

(अ) चर कारक

(ब) ि-थर कारक

64 चरकारक

इस जिमनीय कारक भी कहा गया ह जिमनी पXित अनसार 5ह ि-थर नहS अिपत चर ह चर कारक 5ह क अश बल पर आधा]रत ह अश बल पर आिBत होन स कारक2 तव िभन कampड़िलय म िभन 5ह होत ह अतः य चरकारक कहलात ह सय) स शिन पय)त स 5ह अश क आधार पर सात कारक बनत ह अश क आधार पर 5ह को TमबX िकया जाए तो सवा)िधक अश वाला 5ह थम कारक तथा यनतम अश वाला 5ह सबस अितम -थान का कारक कहलाया जाऐगा अतः चर कारक क Tमषः 7 भद -प( होत ह -

(1) आ2म कारक (2) अमा2यकारक (3) भातकारक (4) मातकारक (5) प कारक (6) gtाितकारक (7) ीदाराकारक

िविभन कारक िनन कार जान-

चर कारक ह अश बल कारक त व

1 आम कारक सवािधक अश शारीरक सख-दख

2 अमाय कारक ितीय अशबली वाणी मणा धन ग का िवचार

3 भातकारक ततीय अशबली पराम शौय परम भाई-बहन का सख

4 मातकारक चतथ अशबली माता मन भवन भिम सवसख का िवचार

5 पकारक पचम अशबली िवा बि ग एव सतान सख िवचार

6 ाितकारक ष अशबली रोग रप ऋण सघष पधा आिद का िवचार

7 0ीदाराकारक 1यनतम अशबली पित पनी ससराल साझदारी आिद का सख

641 आमकारक ह

138

िकसी भी रािश म सवा)िधक अश पर ि-थत 5ह आ2मकारक होता ह रािशय को छोड़कर िजस 5ह क भJाश सबस अिधक हो वही आ2मकारक 5ह कहलाता ह इस लनष का पया)य कहा गया ह आ2मकारक 5ह क रािश लन क पया)य बनती ह अतः आ2मकारक 5ह िजस रािश म ि-थत हो उस रािश का सवा)िधक बली मानत हbए फलकथन क िलए िविश_ ट fप स िवचारणीय मानना अ2यत आवH यक ह सय) को नसिग)क आ2मकारक 5ह माना गया ह

आ2मकारक 5ह को धान माना गया ह आ2मकारक क अनकलता ितकलता -वाभाव बल आिद क अनसार ही शष आ2मािद कारक अपना फल दग अगर आ2मकारक 5ह जमकamp डली म शभ अथवा बली हो तो अय कारक भी शभ फल दन म सltम हग अयथा अय कारक क फल म भी यनता दखन म आयगी

फल

आ2मकारक 5ह यिद उkचरािश-थ मल-िकोण या -वरािश-थ हो तो जातक भायषाली धनी सपन यष-वी होता ह शभ यJ आ2मकारक जातक को सख एव सौभाय दान करता ह इसक िवपरीत आ2मकारक का श रािश-थ नीच व दब)ल होना जातक का दभा)गय क( पीड़ा धनहािन आिद अशभ फल का सचक ह 5ह क अनकलता एव ितकलता क अनfप ही 5ह अपनी दषा व अतद)षा क अतग)त शभ अथवा अशभ फल दान करत ह

642 अमायकारक ह

अश ारा TमबX करन पर दसर Tम म ि-थत 5ह अमा2यकारक 5ह कहलाता ह अय शKद म जो 5ह आ2मकारक स दसर -थान पर हो अथवा आ2मकारक स कछ कम अश वाला 5ह जो अय स अश म aयादा हो वह अमा2यकारक 5ह होता ह बल व मह9ा म इसका दसरा -थान ह आ2मकारक को जहा 5ह क राजा क Bणी म रखा गया ह वही अमा2यकारक को मी क Bणी म रखा ह नसिग)क fप स बध को आमा2यकारक 5ह कहा गया ह मतातर स बध का शभ व बली होना अमा2यकारक अनfप ही फल दान करता ह

फल

अमा2यकारक 5ह का उkच-थ -वरािश मल िकोण-थ होना जातक को िवचारवान िवान गणी मधरभाषी धनी व कटब स सख ा करान वाला होता ह अमा2यकारक 5ह क दषा म जातक धन मान वभव ितDा एव प]रवार का सख ा करता ह 5ह का िनब)ल नीच रािश-थ अथवा श रािश-थ होन पर जातक को दख दा]रय प]रवार सख म कमी वाणी म असयम कटता अथवा अपयश दता ह

643 भातकारक ह

बल व अश म तीसर -थान पर ि-थत 5ह भातकारक 5ह कहलाता ह नाम स ही -प( तीत भातकारक 5ह जातक क भाईय का सख अथवा दख को दशा)ता ह भातकारक 5ह जातक को पराTमी धय)वान

139

शौय)वान प]रBमी अथवा उ2सािहत बनाता ह नसिग)क fप स मगल को भातकारक 5ह कहा गया ह छोट भाई-बहन का सख अथवा जातक का परTम बल आिद मगल 5ह स कहना चािहए

फल

भातकारक का उkच-थ -वरािश-थ िमरािश-थ अथवा मल िकोण-थ होना जातक को शभ फल दान करता ह जातक को अपन भाई-बहन का उ9म सख ा होता ह वह अपन अनज ारा सख -नह व समान पाता ह उस अपन पराTम एव साहस ारा िकए सभी कायv म पण) fप स सफलता ा होती ह उसका भजबल उसक उ9म काय)षली का तीक बनता ह इसक िवपरीत यिद भातकारक नीच रिष-थ शरािश-थ अथवा नीच wि(गत होता ह तो जातक को भाई-बहन का अAप सख होता ह वह दीनहीन दब)ल एव अकम)ampय बनता ह उस अपन पराTम एव शौय)बल स विचत रहकर अपना जीवन दब)ल fप स tयतीत करना पढ़ता ह

644 मातकारक ह

अष ारा TमबX करन पर चतथ) -थान पर आन वाला 5ह मातकारक कहलता ह यह जातक क सव)सख को दशा)ता ह जातक क माता क सख-दख का िवचार अथवा मात ारा िमलन वाल -नह का िवचार मातकारक 5ह स ही िकया जाता ह इसक अतग)त आन वाल अय कारक भिम भवन पष सपि9 वाहन नौकर-चाकर आिद का िवचार भी इसी स िकया जाता ह इसका नसिग)क 5ह चमा ह

फल

मातकारक 5ह यिद उkच-थ -वरािश-थ अथवा अपनी िम रािश म हो तो जातक को अपनी माता क साथ सबधो का BD फल ा होता ह उसका माता अथवा माता क समान िय क साथ िवशष -नह अथवा उह समान दन वाला होता ह तथा िवपरीत म उतना ही -नह जातक -वय ा करता ह इसक अित]रJ उस भवन भिम वाहन ारा भी लाभ िमलता ह 5ह का श रािश नीच रािश अथवा नीच 5ह ारा w( होना जातक को अपनी दशा अतद)शा म अशभ फल दता ह मातसख क साथ भिम भवन अथवा वाहन सख म भी कमी आती ह 645 प)कारक ह

अशबल क अनसार TमबX म पाचव -थान पर आन वाला 5ह पकारक 5ह कहलाता ह नाम ारा -प( पकारक 5ह प सख म विX करता ह जातक को उ9म सतान क ाि होती ह जातक क बिX िवFा िवचार गfजन िम आिद का िवचार इसी 5ह ारा िकया जाना सभव ह शाानसार इसका नसिग)क 5ह गf को कहा गया ह अय शKद म गf को जीव कारक 5ह भी कहा गया ह अतः गf का बली होना प सख िवFा बिX आिद म शभ फल दन वाला बनता ह

140

फल

पकारक 5ह का अपनी रािश उkच रािश म अथवा अपनी मल िकोण रािश म ि-थत होना जातक को बहbमाा म प सख क ाि करवाता ह जातक को उkच िवFा खर बिX अथवा गfजन क -नह क ाि होती ह जातक का प कल को बढ़ान वाला िनDावान अथवा भा यवान होता ह इसक िवपरीत नीच रािश नीच wि(गत अथवा पाप 5ह क सािनVय म रहकर जातक को सतानहीन प सख म कमी बिXहीन गfजन क अवहलना करन वाला बनाता ह

646 ाितकारक ह

TमबX क अनसार छठ -थान पर आन वाला 5ह gtाितकारक 5ह कहलाता ह जिमनी aयोितष ारा इस चचर भाई-बहन का कारक भी कहा गया ह जातक क रोग ]रप ऋण मामा -पधा) आिद का िवचार इसी स िकया जाता ह मगल को gtाितकारक 5ह का नसिग)क कारक माना गया ह मगल का बली शभ अथवा उkच रािश म होना जातक को रोग व ऋण स दर रखता ह तथा मगल स दख जान वाल कारक म शभता दान करता ह

फल gtाितकारक 5ह का अपनी रािश म होना -वltी होना तथा उkच रािश म ि-थत होकर शभ 5ह ारा सबध -थािपत करना जातक को रोग व ऋण मJ बनाता ह वह -पधा) म अपनी जीत हािसल करता ह पराTमी प]रBमी अथवा शओ को परा-त करन वाला वीय)वान होता ह इसक िवपरीत नीच रािश अथवा िनब)ल 5ह जातक क रोग व ऋण म विX करवाता ह शओ स परािजत होता ह अथवा -पधा) म पराजय का सामना करना पड़ता ह जातक क चचर भाई-बहन स शओ सा tयवहार करत ह

647 दाराकारक ह

जमकडली म सबस यनतम अश रखन वाला 5ह दाराकारक 5ह कहलाता ह इसस जातक का दाप2य सख का िवचार करना चािहए पित-प2नी का -वभाव गण दोष िवचार सख दःख आिद दाराकारक 5ह स ही िवचारणीय ह पर-पर पित अथवा प2नी क बीच का -नह व सहयोग क जानकारी क िलए दाराकारक 5ह का अVययन करना अिनवाय) ह इस 5ह स दो tयिJय क बीच क साझदारी का िनण)य लना चािहए पित अथवा प2नी का ससराल म समान आिद भी इसी स जाना जाता ह इसका नसिग)क 5ह शT ह शT क बली होन पर उसस सबिधत कारक का शभ फल कहना चािहए

फल

5ह का बली होना शभ 5ह स w( होना क व िकोण स सबध रखना -वरािश म होना जातक क दाप2य सख म विX दान करता ह पित-प2नी का आपसी सहयोग व -नह ायः दखा गया ह यिद दाराकारक शभ व बली हो अयथा नीच रािश का दब)ल दाराकारक 5ह पापफल म विX करता ह तथा ववािहक जीवन म Pलश दख व वमन-य दता ह

141

648 दो ह क समान अश िथित

कछ कampड़िलय म ायः दखन पर आता ह िक दो 5ह क समान अश होत ह ऐस म कलाओ पर िनरीltण कर यिद व भी समान हो तो राहb तक गणना करन का िनदyश aयोितष 5थ म िदया गया ह ऐस म राहbपय)त 8 5ह कारक मान गए ह यिद राहb तक िगनन क ि-थित हो तो राहb क -प( अषािद को 30 म स घटाकर शष अश को भJाष मान Pयिक राहb सदव वTगित स चलता ह उदाहरणतः यिद िकसी कamp डली म राहb वष रािश क 24 अश पर ि-थत हो तो 30 - 24 6 अश बल राहq का जान

बहत पाराशर क अनसार कछ लोग राहb सिहत सदव गणना करक आठ कारक होत ह ऐसा मानत ह आठ कारक वाल मत म िपतकारक अिधक माना जाता ह पराषर एव जिमनी स म दोन ही िवकAप रख गऐ ह परत सकारक वाल पlt को मख माना गया ह

उदाहरण कamp डली म लनािद नौ 5ह िनन अश पर ि-थत ह

लन - 12154 सय) - 91020

चमा - 3816 मगल - 6518

बध - 91020 गf - 122424

शT - 8166 शिन - 42426

राहb - 11555 कत - 71555

-तत मष लन कamp डली म सवा)िधक अश पान वाला 5ह शिन ह अतः वह आ2मकारक 5ह कहलायगा इसक िवपरीत यनतम अश पान वाला 5ह मगल दाराकारकीकारक कहलायगा सय) व बध एक ही अश म ि-थत होन क कारण राहb भी TमबX म सिमिलत हो जाऐगा 5ह क कारक िनन तािलका ारा जान -

ह अशकला कारक

शिन 2426 आ2मकारक

गf 2424 अमा2यकारक

142

शT 166 भातकारक

राहb 1555 मातकारक

सय) 1020 पकारक

बध 1020 पकारक

चमा 816 जाितकारक

मगल 518 दाराकारकीकारक

िनन कamp डली म सय) और बध क समान अश होन पर दोन को ही पकारक Bणी म िलया गया ह

649 कारक कB डली

इस कamp डली म आ2मकारक 5ह को ही लन माना जाता ह अय कारक आ2मकारक स शभ -थान पर ि-थत हो शभ 5ह स यJ अथवा w( हो तो ऐसी ि-थित म कारक 5ह क दशा अथवा उसस सबिधत फल शभ हग अयथा पाप भाव कारक अपनी दषा म अशभ फल दगा कारक कamp डली िननिलिखत उदारहण स समझ

उपरोJ कारक कamp डली म सवा)िधक अश पान वाला 5ह शिन ह अतः इस लन माना गया ह कamp डली म समश शिन तथा पचमश गf का wि( सबध हो रहा ह योगकारी 5ह मगल का लनश व गf स wि( सबध न जातक का म-िववाह कराया परत िववाह पH चात सबध म वमन-य हbआ

65 िथरकारक 13ह

aयोितष शा म पाराशरी िसXातो ारा कारक को ि-थर बताया गया ह कamp डली म भाव अथवा 5ह कछ िवषय क िवशष कारक बनत ह य कारक सभी जातक क िलए सामाय व एकfप फल दत ह उदाहरण क िलए यिद िकसी जातक क आजीिवका क सदभ) पर िवचार करना ह तो दशम भाव अथवा दशमश स िवचार करना चािहए इसी कार प का िवचार करन क िलए पचम भाव पचमश अथवा गf 5ह (सतान कारक) का स भी िवचार करना अिनवाय) ह हर भाव अथवा 5ह क ि-थर कारक बताऐ गय ह इस हम िनन तािलका ारा समझग

143

651 भाव व भावष 9ारा कारक िवचार

भाव भावश कारक नसिग)क कारक 5ह

लनलनश दह-िवचार गण -वभाव tयवहार सय)

ितीयितीयश धन कटब वाणी न िपतपlt गf

ततीयततीयश रोग ऋत ऋण -पधा) सघष) मगल

चतथ)चतथyश मात मन वाहन भवन zदय च

पचमपचमश बिX िवFा सतान पट िम गf

षDषDष रोग ऋप ऋण - पधा) सघष) मगल

समसमश िववाह पित-प2नी tयापार याा शT

अ(मअ(मश म2य-थान ससराल पlt ग धन शिन

नवमनवमश भाय िपता भिJ ई(कपा गf

दशमदH मश कम) -थान आजीिवका उkचपद बध

एकादशएकादशश धनलाभ बड़ा भाई सामािजक ितDा गf

ादषादशश tयव शया-सख भोग दampड मोlt शिन

652 ह 9ारा कारक िवचार

5ह कारक

सय) िपता राaयपद

चमा मातकारक मन

मगल भात कारक पराTम साहस

बध tयापार tयवसाय वाणी लखन

गf सतान िवFा धन पितसख

शT दाप2य सख पित-प2नी

शिन आय_य दःख आल-य िवलबता

राहb मामा मासी निनहाल

कत दादा का प]रवार

144

653 अय िथितवष योग कारक हः

कई बार 5ह ि-थितवश भी कारक बनत ह इह योगकारी 5ह भी कहा गया ह योगकारी 5ह क दशा-अतद)शा म उनस सबिधत कारक का िवशष शभ फल ा होता ह 5ह क योगकारक बनन क -थित िनन कार ह

1 जम समय म जो 5ह -वरािश िम रािश अथवा अपनी उkच रािश म ि-थत होकर क म हो वह कारक कहलात ह जस 1 4 7 10 म 5ह उkचािद हो तो कारक कहलायग

2 कोई 5ह क अथवा िकोण दोनो का -वामी हो तो वह िवशष योगकारी 5ह बनता ह उदाहरण क िलए कक) लन म मगल (िकोण) पचम तथा दशम भाव (क) का -वामी ह अतः कक) लन वाल क िलए मगल 5ह िवशष योगकार द हbआ

फलः िजस जातक क कamp डली म 5ह उपय)J िनन ि-थित ारा कारक बनत ह वह नीच वष म उ2पन होकर भी राजा तAय जीवन tयतीत करता ह tयिJ राजा क समान धनी सखी ऐH वय)वान मान ितDा ा करता ह

66 होरा ान

भारतीय aयोितष शा क -कधय क अतग)त होरा िसXात और सिहता तीन अश मान गय ह तथा -कधपच क अतग)त-हारा िसXात सिहता _न और शकन य पाच अग मान गए ह -कध-पच का िववरण िनन कार ह-

661 होरा

यह aयोितष शा का वह -कध ह िजसम tयिJय को अपन जीवन क बार म माग)दश)न ा होता ह उसक पव) जीवन म ारKध िकए गऐ कमv का शभ या अशभ फल वत)मान जीवन म िकस कार िमल पायगा उसका gtान समय स पव) होरा ारा ही gtात हो सकता ह

िसXात िसXात भाग ही जयोितष शा का सव) थम भाग ह यह भाग म यतः गिणत शा का दश)क ह कालगणना सौर च मास का ितपादन 5हगितय का िनfपण 5ह-नlt क ि-थित इसी -कध क अतग)त समिलत ह

सिहता

इसम भषोधन मलापक 5होपकरण इि( का ार 5ह- वश जलाशय िनमा)ण मागिलक कायv क महq2 त) उAकापात 5ह क उदय-अ-त का फल 5हचार का फल एव 5हणफल आिद िवषय का िनfपण िव-तारपव)क िकया गया ह

145

नशा )

यह त2काल फल बतान वाला शा ह इसम H नकता) क उkचा]रत अltर पर स फल का ितपादन िकया ह इस शा म तीन िसXातो का वश हbआ ह ndash H नाltर िसXात H नलन िसXात तथा -वरिवgtान िसXात

शकन शाF

इसका अय नाम िनिम9शा- बताया गया ह पव)काल म इस पथक -थान न दकर अिपत सिहता क अतग)त का िवषय ही माना गया था आग चलकर इस शा न अपना अलग fप ा कर िलया ह

इकाई क मल fप होरा gtान को Vयान म रखत हbए हम इस ही िवषय का सिlt fप म अVययन करग

662 होरा ान क उपिG

इसका दसरा नाम जातक शा ह इसक उ2पि9 lsquoअहोराrsquo शKद स हbई ह अहरो शKद िदन और राि का बोधक ह इसी शKद क आिद और अितम अltर का लोप होकर lsquolsquoहाराrsquorsquo शKद चलन म आया ह जमकालीन 5ह क ि-थित क अनसार ादष भाव क फल जातक क जीवन पर Pया भाव दग उसका िव-तारपव)क ितपादन इसक अतग)त िकया गया ह

663 होरा लन साधन

तथा साधि9घिटका िमतादकIदयाद ि9ज

याित लन तनाम होरालन चampत

इ$घटयािदक ि9Kन पचाL भािदक च यत

योMयमौदियक भानौ होरालन फट िह तत बह2 पाराशर होराशा- 5-415

सय[दय स जम( काल तक ित 25 घटी म एक-एक होरा लन का माण होता ह अतः अपन इ(काल को दो स गणा कर 5 का भाग दन पर जो राHयािद लिKध हो उस उदयकािलक सय) म योग कर दन स -प( होरा लन होता ह

उदाहरण

जम( काल 525 को 2 स गणा िकया तो 1050 हbआ इसम 5 का भाग िदया तो 021000 रा_यािद हbए इस उदयकािलक सय) 0320425 म योग िकया तो 060425 हbआ और यही होरा लन हbआ

664 होरा च2 साधन

15 अश का एक होरा होता ह इस कार एक रिष म दो होरा होत ह िवषम रािश-मष िमथन आिद म 15 अश तक सय) का होरा और 16 अश स 30 अश तक चमा का होरा होता ह समरािश-वष कक) आिद म 15 अश तक चमा का होरा और 16 अश स 30 अश तक सय) का होरा होता ह समरािश म पवा)X) म चमा क ओर उ9राX) म सय) क होरा होती ह सय) और चमा क होरािधपित Tमषः िपत

146

और दव होत ह रािश क आधी होरा कही जाती ह अतः एक रािश म दो होरा और 12 रािश म 24 होरा होत ह

जमपी म होरा िलखन क िलए पहल लन म दखना होगा िक िकस 5ह का होरा ह यिद सय) का होरा हो तो होरा-कampडली क लनरािश और चमा का होरा हो तो होरा-कampडली क लनरािश होती ह होरा-कampडली म 5ह क -थान क िलए 5ह-प( क राH यािद स िवचार करना चािहए नीच होराgtान क िलए होराचT िदया जाता ह इनम सय) और चमा क -थान पर उनक रािशया दी गयी ह

होरा चT

अश मष वष िमथन कक िसह कया तला विक धन मकर कभ मीन

15 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4

30 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5

उदाहरण - लन 4232527 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला 27 िवकला पर ि-थत ह िसह रािश क 15 अश तक सय) क होरा एव 16 अश क आग 30 अश तक का चमा क होरा होती ह अतः यहा चमा का होरा हbआ और होरालन 4 माना जायगा

5ह -थािपत करन क िलए -प( 5ह पर िवचार करना ह पव) म -प( सय) 00100734 अथा)त मष रािश का 10 अश 7 कला 34 िवकला ह मष रािश म 15 अश तक सय) क होरा होता ह अतः सय) अपन होरा-5 म हbआ चमा का -प( मान 01002647 ह वष रािश का 00 अश 26 कला 47 िवकला ह वषरािश म 15 अश तक चमा क होरा होती ह िमथनरािश का 21 अश 52 कला 45 िवकला ह िमथन रािश म 16 अश स 30 अश तक चमा क होरा होती ह अतः मगल चमा क हारा-4 म हbआ बध 0232131 मष रािश का 23 अश 21 कला 31 िवकला ह मष रािश म 16 अश स चमा क होरा होती ह अतः बध चमा क होरा-4 म हbआ इसी कार बह-पित सय) क होरा-5 म शT सय) क होरा-5 म शिन सय) क होरा-5 म राहb चमा क होरा-4 म और कत चमा क होरा-4 म आया

होरा कBडली च2

147

67 ()काण ान

रािशि)भागा काणात च शटिषदी+रताः

प+रविG)य त0शा मषादः 2मषो भवत

वपचनवमाना च राशीना 2मच त

नारदाडगितदवासा काणषाचरािदष बहपाराषर होराशा ) 77-8

671 प+रचय-

रािश का ततीय भाग _काण कहा जाता ह तीस अश क एक रािश म दस-दस अश क तीन भाग होत ह इसिलए 2यक रािश म तीन _काण िनन कार ह -

10-100 अश तक - थम _काण

100-200 अश तक - ितीय _काण

200-300 अश तक - ततीय _काण

िजस िकसी रािश क थम _काण म 5ह हो तो उसी रािश का ितीय _काण म उस रािश स पचम रािश का और ततीय _काण म उस रािश स नवम रािश का _काण होता ह _काण क रािश क अनसार ही _काण क -वामी होत ह

जस वष रािश म 10 अश तक पहला _काण का होगा और उस _काण क -वामी शT हग वष रािश क 11-20 अश तक ितीय _काण वष स पाचवी रािश कया का होगा और उसक -वामी बध हग वष रािश क 21-30 अश तक ततीय _काण वष स नवम मकर रािश का होगा ओर उस _काण क -वामी शिन हग

672 काण च2 साधन-

_काण को सरलता स िनकालन क िलए नीच _काण चT िदया जाता रहा ह

_काण चT

अश मष वष िमथन कक िसह कया तला विक धन मकर कभ मीन

1-10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

10-20 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

20-30 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

148

673 काण कB डली बनान क ि2या

जमपी म _काण कamp डली बनान क िTया यह ह िक लन िजस _काण म हो वही _काण कamp डली क लन रािश होगी _काण कamp डली म लन क आग अय भाव म एक-एक आग क रिषया -थािपत कर लव 5ह क -थपना क िलए अलग-अलग _काण िनकालकर 2यक 5ह को उसक _काण रािश म -थािपत कर लव

उदाहरण

-प( लन 428301 िसह रािश

सय) 1218102 मष रािश

च 72620101 विhक रािश

मगल 814157 धन रािश

बध 12161715 मष रािश

गf 418200 िसह रािश

शT 7271410 विhक रािश

शिन 78105 विhक रािश

राहb 325510 कक) रािश

कत 925510 मकर रािश

-तत कamp डली म लन -प( 0428301 अथा)त िसह रािश क 28 अश 30 कला और 1 िवकला ह यह लन िसह रािश क तीसर _काण म ह अतः िसह स नवम रािश मष आती ह इसिलए _काण कamp डली का लन मष होगा इसी कार हम अय 5ह भी -थािपत करग सय

मष रािश म 18102 म ह यह 10 अश स आग ह इसिलए ितीय _काण म हbआ मष स 5 तक िगनन पर िसह रािश आती ह _काण चT म मष रािश क नीच ितीय _काण म 5 िलखा ह सय) को उस

149

अक क रािश जो िसह ह वहा -थािपत कर लव िसह रािश का -वामी सय) ही ह अतः सय) -व5ही होकर अपनी रािश क _काण म ि-थत ह

चमा विhक रािश क 26 अश 20 कला और 10 िवकला पर ि-थत ह यह 20 अश स aयादा ह इसिलए ततीय _काण म हbआ विhक स 9 तक िगनन पर कक) रािश आई _काण चT म विhक रािश क नीच तीसर _काण म कक) रािश ह अतः चमा कक) रािश क _काण म ह कक) रािश का -वामी -वय चमा ह चमा अपन ही _काण म ह

मगल मगल धन रिव क 14 अश 15 िवकला और 7 कला म ह यह 10 अश आग होन स ितीय _ काण का हbआ _काण म 1 अक िलखा ह अतः मगल मष रािश क _काण म ह यहा मगल भी अपनी -वरािश क _काण म ि-थत ह

बध

बध मष रािश क 16 अश 17 िकला और 15 िवकला म ि-थत ह यह 10 अश स aयादा ह इसिलए ितीय _ काण म हbआ _काण चT म मष रािश क नीच ितीय -थान पर 5 अश िलखा ह अतः बध 5ह क -थापना िसह रािश म कर अय शKद म बध िसह रािश क _काण म ह िसह रािश क -वामी सय) ह इसिलए बध को सय) क _काण म कहग

बहपित

गf िसह रािश क 18 अश 20 कला पर ि-थत ह यह अश 10 स aयादा ह इस हम ितीय _काण क Bणी म रखग ितीय _काण म 5ह क ि-थित होन स उस रािश स 5 रािश आग िगनन पर धन रािश आयगी इस हम _काण चT स दखग तो िसह रािश क नीच ितीय _काण म 9 अक िलखा ह अतः बह-पित धन रािश अथवा -वरािश क _काण म ि-थत ह

श2

शT विhक रािश क 27 अश 14 कला और 10 िवकला म ह यह अश 20 स भी aयादा ह अतः ततीय _काण क Bणी म आत हbए विhक स 9 िगनन तक कक) रािश क _काण म आयगा _काण चT ारा दखन पर विhक रािश क नीच ततीय -थान पर 4 अश कक) रािश को ही दशा)ता ह कक) रािश क -वामी चमा ह इसिलए शT को चमा क _काण म कहग

शिन

शिन विhक रािश क 8 अश 10 कला और 5 िवकला म ह यह 1 स 10 अश क भीतर ही ह इसिलए थम _काण म ह थम _काण उसी रािश का होता ह िजसम व -वय ि-थत ह अतः शिन को विhक रािश क अतग)त ही लग _काण चT म विhक रािश क नीच थम -थान पर 8 अक िलखा ह जो

150

विhक रािश को -प( करता ह विhक रािश क -वामी मगल ह अतएव शिन को मगल क _काण म कहग

राह4

राहb कक) रािश क 25 अश 5 कला और 10 िवकला म ह यह 20-30 अश भीतर आत हbए ततीय _काण क Bणी क अतग)त आयगा अतः कक) स 9 तक िगनन पर मीन रािश आऐगी _काण चT ारा दखन पर कक) रािश क नीच ततीय -थान पर 12 अक िलखा होना मीन रािश को -प( करता ह मीन रािश क -वामी गf होन स राहb गf _काण का कहलायगा

कत

कत मकर रािश क 25 अश 5 कला और 10 िवकला म ह यह 20 अश स आग 20-30 अश क भीतर क Bणी अथा)त ततीय _काण म ि-थत ह मकर रािश स 9 िगनन तक कया रािश आऐगी _काण चT म मकर रािश क नीच ततीय -थान पर 6 अक िलखा ह जो कया रािश को -प( करता ह कया रािश क -वामी बध ह अतएव कत बध क _काण म ह

68 साराश

उपरोJ विण)त इकाई म हमन aयोितष शा क तीन िविभन एव मह|वपण) अग कारक gtान होरा gtान अथवा _काण gtान का अVययन िकया ह इकाई क lsquolsquoकारक gtानrsquorsquo क अत)गत हमन चरकारक क भद Tमश आ2मककारक अमा2यकारक भातकारक मातकारक पकारक gtाितकारक अथवा दाराकारक क िनयम कारकत2 2 व एव उनक फलो को भली भॉित समझान का यास िकया इसक अित]रJ भाव भावोष तथा 5ह क ि-थत कारक का gtान भी आपको ा हो सकगा

इकाई क दसर भाग क अतग)त आपको ाचीन भारतीय aयोितष क -कधय क मह9पण) अश lsquolsquoहोरा gtानrsquorsquo उसक उ2पि9 लन साधन िविध तथा होरा चT साधन िविध का gtान ा हो पाएगा

इकाई का तीसरा भाग lsquolsquo_काण gtानrsquorsquo ह 5ह क बलाबल का gtान करन क िलए दषवग) का साधन aयोितष शा म िकया जाता ह दषवग) म होरा _काण समाश नवमाष दषमाश ादषाश षोडषाश िषाश और ष(यश प]रगिणत िकए गए ह अतएव इसम िवFािथय को थम ितीय एव ततीय _काण का रािशय क अश क अनसार gtान _काण चT एव _काण कamp डली बनान क िTया आिद को अवगत कराया गया ह

69 श दावली

bull आ2कारक 5ह = सवा)िधक अशयJ 5ह

bull दाराकारक 5ह = यनतम अशयJ 5ह

151

bull योगकारक 5ह = िवशष ि-थितवश िनिम)त शभफलदायक 5ह

bull उदयकािलक 5ह = सय[दय क समय 5ह क ि-थित

bull होरा = रािश का आधा भाग अथा)त 15 अश

bull _काण = रािश का दशम भाग अथा)त 03 अश

610 ो+र

1 कारक 5ह Pया ह tया^या किजए

उ9र िकसी tयिJ िवशष क कamp डली म िकसी िविश_ ट काय) या घटना का घिटत होन का सकतक 5ह या भाव कारक कहलाया जाता ह

2 कारक क दो भाग बताईए

उ9र कारक क दो भाग चर एव ि-थर कारक ह

3 चर करक िकतन कार क ह नाम -प( किजए

उ9र चर कारक क 7 भद कह गऐ ह आ2मकारक अमा2यकारक भातकारक मातकारक पकारक gtाितकारक दाराकारक

4 सवा)िधक एव यनतम अश पर आन वाल चर कारक क नाम -प( किजए

उ9र सवा)िधक अश - आ2मकारक

यनतम अश - दाराकारकीकारक

5 लन सम एव नवम भाव क नसिग)क ि-थर कारक 5ह बता)इए

उ9र लन - सय) सम-शT नवम-गf

6 चतथ) भाव क ि-थर कारक त2 2 व बताईए

उ9र चतथ) भाव क ि-थर कारक त2 2 व माता मन भवन वाहन सास zदय आिद ह

7 होरा का आषय Pया ह

उ9र मन_य क ारKध म िकए सगए कमv क फल का gtान एव उसका माग)दश)न होरा ारा gtात िकया जा सकता ह

8 एक रािश म िकतनी होरा हो सकती ह

उ9र 15 अश का एक होरा होता ह अतः इस कार एक रािश म दो होरा होत ह

9 _काण िकस कहत ह

152

उ9र रािश का ततीय भाग _काण कहा जाता ह

10 अश क अनसार तीन _काण का उAलख किजए

उ9र 1-10 अश - थम _काण

10-20 अश - ितीय _काण

20-30 अश - ततीय _काण

611 लघ+रामक

1 चर कारक Pया ह एव उनक भद को -प( किजए

2 भाव अथवा 5ह क ि-थर कारक त2व को -प( किजए

3 ि-थितवश बन योग कारक 5ह क िसXात बताइऐ

4 होरा लन साधन एव चT साधन क िTया -प( कर

5 _काण चT साधन क िTया एव _काण कamp डली बनान क िTया को उदाहरण सिहत -प( कर

612 स0दभ 130थ सची

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

3 जिमनीसम

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक

4 भारतीय aयोितष

tया^याकार डॉ निमच शाी

काशक भारतीय gtानपीठ िदAली

153

इकाई ndash 7

(नवमाश स तमाश िशाश) सिहत दश वगamp िवचार

इकाई क पररखा

71 - तावना

72 उGHय

73 दशवग) िवचार 731 घरा कamp डली िवचार

732 डठकाण िवचार 733 स तमाश िवचार 734 दशमाश िवचार

74 ादशाश कamp डली िवचार 75 षोडशाश कamp डली िवचार 76 िशाश िवचार 77 षठ_ याश िवचार 78 पा]रजात आिद वशिषकाश िवचार 79 साराश 710 H नावली लघउ2 तरीय तथा उ2 तरमाला

711 शK दावली 712 सदभ) 5थ सची

71 तावना

इस इकाई म दश वगv का िवचार मल fप स िकया गया ह चिक मन_ य फल क इk छा रखन वाला ाणी ह अत कamp डली क स पण) फल क ाि क िलए यहा पर इन वगv का िवचार पण)तया fप स िकया गया ह जस होरा कamp डली स स पदा और सख का िवचार िकया जाता ह ठीक इसी कार ड_ कोण कamp डली स भाइय क सख तथा इनस सहयोग एव लाभ का िवचार िकया जाता ह ठीक इसी

154

तरह स तमाश चT स सतित का एव प पौी का िवचार िकया जाता ह एव ादशाश स िपता एव माता क सख का िवचार िकया जाता ह तथा िशाश चT स अ]र_ ट फल का िवचार एव इस का समाधान िकया जाता ह इसी कार यहा सभी वगv का िवचार एव समाधान पण) fपण दशा)या गया ह

72 उय

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग ndash

bull होरा कamp डली बनान क िविध gtात करग

bull ड_ काण कamp डली बना पायग

bull स तमाश कamp डली क जानकारी ा त करग

bull नवमाश कamp डली का िवचार कर पायग

bull दशमाश कamp डली का बनायग

bull ादशाश कamp डली का gtान होगा

bull षोडशाश कamp डली बनायग

bull िशाश िवचार करग

bull ष_ ठयश चT क जानकारी ा त करग

bull पा]रजात आिद वशिषकाश क जानकारी ा त करग

73 दशवग िवचार

ल न होरा डठकाण स तमाश दशमाश ादशाश षोडशाश िशाश और ष_ ठयश य रािश क दश वग) होत ह य दश वग) मन_ य को t यय क_ ट उ नित और धन ndash धा य को दन वाल ह

रा िश क अध)भाग को होरा कहत ह िवषयम रािश (मष िमथन िसह तला धन और कभ रािशय) म थम होरा सय) क और दसरी च मा क होरा होती ह सम रािश थम च क होरा होती ह और इसी सय) क होरा होती ह रा िश क ततीय भाग को डडकाण कहत ह इस कार एक रािश म तीन डढकाण होत ह इनम थम डढकाण उसी रािश का ितीय डढकाण उस रािश स पचम रािश का तथा ततीय डढकाण उसस नवम रािश का होता ह

अ य जातक 5थ म कल 16 वगv क चचा) ह यहा उनम स कवल दश वगv का ही िववरण ा त ह ज मप क अV ययन म इन दश वगv का भी t यवहार कम चिलत ह चलन म षडवग) या स तवग) का ही योग अिधक होता ह चिक 5ह क बलाबल का gtान करन क िलए दशवग) का साधन िकया जाता ह अत आइए सव) थम

155

5ह का िवचार करत ह 5ह ndash जो 5ह िजस रािश का - वामी होता ह वह रािश उस 5ह का 5ह कहलाती ह रािशय क - वामी िन निलिखत ह ndash

रािश - वामी

िसह सय)

कक) च

मष विhक मगल

िमथन क या बX

धन मीन बह- तपित

वष तला शT

मकर क भ शिन

731 होरा िवचार

15 अश का एक होरा होता ह इस कार एक रािश म दो होरा होत ह िवषम रािश ndash मष िमथन आिद म 15 अश तक सय) का होरा होता ह और 16 स 30 अश तक च मा का होरा होता ह सम रािश वष कक) आिद म 15 अश तक च मा का होरा होता ह सम रािश तक सय) का होरा होता ह ज म कamp डली म होरा िलखन क िलए पहल ल न म दखना होता ह ज म कamp डली म होरा होता ह यिद सय) को होरा हो तो होरा कamp डली क 5 ल न रािश और च का होरा हो तो होरा कamp डली क 4 ल न रािश होती ह होरा कamp डली 5ह क - थान क िलए 5ह - प_ ट क राH यािद स िवचार करना चािहए

होरा gtान क िलए होरा चT िदया जाता ह इनम सय) और च मा क - थान पर उनक रािशया दी गई ह

होरा च2

अश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

15 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4

156

30 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4

उदाहरण -

- प_ ट ल न 41325126 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला 26 िवकला पर ह िसह रािश क 15 अश तक सय) का होरा 16 स आग 30 अश तक च मा का होरा होता ह अत यहा च मा का होरा हbआ और होरा ल न 4 माना जायगा 5ह - थािपक करन क िलए - प_ ट 5ह का िवचार करना चािहए अत माना िक - प_ ट सािधत सय) 01906134 ह अथा)त मष रािश का 90 अश 6 कला 34 िवकला ह मष रािश म 15 अश तक सय) चT म सय) का होरा होता ह अत सय) अपन होरा अथा)त 5 रािश म हbए च मा का - प_ ट मान 91026147 वष रािश का श य अश 26 कला 46 िवकला ह वष रािश म 15 अश तक च मा का होरा होता ह अत च मा अपन होरा 4 म हbए मगल का - प_ ट मान 212952145 िमथन रािश का 21 अश 42 कला 84 िवकला ह िमथन रािश म 18 स 30 अश तक च मा का होरा ह अत मगल च मा क होरा 4 म हbए बध 01232931 मष रािश का 23 अश 29 कला 31 िवकला ह मष रािश क 16 अश स च का होरा होता ह अत बX च मा क होरा 4 म हbए बह- पित 3124832 क अनसार सय) क होरा 5 म हbए शT 99232090 चTानसार शT सय) क होरा म हbए शिन 2167145इसक ddअनसार शिन सय) क होरा म हbए राहb 3181515 इसक अनसार राहb च मा क होरा म 4 म हbए अत इसका होरा कamp डली इस कार होगा

होरा कB डली

अब आइए डढकाण चT बनान का िवचार करत ह

डठकाण ndash 90 अश का एक डढकाण होता ह इस कार एक रािश म तीन डढकाण lsquo 1 स 10 अश तक थम डढकाण 11 स 20 अश तक ितीय डढकाण और 21 स 30 अश तक ततीय डढकाण समझना

157

चािहए िजस िकसी क थम डढकाण म 5ह हो तो उसी रािश का ितीय डढकाण म उस रािश स पचम रािश का और ततीय डढकाण म उस रािश स नवम रािश का डढकाण होता ह सरलता स समझल क िलए डढकाण चT

डढकाण च2

अश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

20 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

30 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

ज म कamp डली म डढकाण कamp डली क िTया यह ह िक ल न िजस डढकाण म हो वही डढकाण कamp डली क ल न होगी 5ह - थापना करन क िलए - प_ ट 5ह क अनसार 2 यक 5ह का पथक पथक डढकाण िनकालकर 2 यक 5ह को उसक डढकाण रािश म - थािपत करना चािहए

उदाहरण ndash

ल न 4132547 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला और 28 िवकला ह

यह ल न िसह रािश क ततीय डढकाण ndash मष रािश क हbई अतएव डढकाण कamp डली का ल न मष होगा 5ह क िलए 2 यक 5ह का - प_ ट मान िलया जसा िक सभी 5ह होरा कamp डली म - प_ ट सय) 0101268 वष रािश का 0 अश 26 कला 87 िवकला ह वष म 90 अश तक थम डढकाण वष रािश का ही होता ह अत च मा वष रािश म िलखा जायगा मगल 2129142145 िमथन रािश का 21 अश 52 कला और 45 िवकला ह िमथन रािश म 21 अश स ततीय डढकाण का ार भ होता ह अत मगल िमथन क ततीय डढकाण क भ म िलखा जायगा इसी कार बध धन रािश का गf मीन रािश का शT विhक रािश का शिन िमथन रािश का राहb कक) रािश का और कत मकर रािश का माना जायगा

डढकाण कB डली च2

158

अब आइए स तमाश चT तथा उनक - वामी का िवचार करत ह

य स तमाश अ2 य त उपयोगी होत ह कर रािश क स तमाश जातक उ5 - वभाव का होगा और सौम य रािश म उ2 प न जातक उ5 - वभाव का होगा जातक सौ य कित का होगा

P तमाश च2

ल न कलािद रािश - वामी मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

4 18 8 रािश वामी

1

8

2

10 श

5

12

7

2

9

4

11 श

6

9 34 19 रािश वामी

2 श

9

4

11

9

1 म 8

9

3

10

5

8

12 51 25 रािश वामी

3

10

5

12

7

2

9

4 च

11

6

1

8

16 9 34 रािश वामी

4 च

11

6

1 म

9

3

10

4 स

12

8

2 श

9

21 25 42 रािश वामी

5 स

12

7 श

2

9

4

11

6 ब

1

9

3

10 श

15 42 51 रािश वामी

6 म

1

8

3

10 श

5 स

12

7 श

2

9

4 च

11 श

30 0 0 रािश वामी

8 श

2

9

4

11

6

1

9 म

3

10 श

5

12

159

उदाहरण ndash 4132426 िसह रािश क 23 अश 25 कला 26 िवकला ह िसह रािश म 21 अश 24 कला 42 िवकला तक का पाचवा स तमाश होता ह पर हमारी अिभ_ ट ल न इसस आग ह अत छठा स तमाश क भ रािश माना जायगा इसिलए स तमाश कamp डली का ल न मकर हागा 5ह - थापन क िलए 2 यक 5ह क - प_ ट मान स िवचार करना चािहए सय) 019016134 ह मष रािश म 8 अश 34 कला 16 िवकला तक ितीय स तामश होता ह और इसस आग 12 अश 51 कला 24 िवकला तक ततीय स तमाश होता ह सय) यहा पर ततीय स तमाश िमथन रािश का हbआ च मा 102847 वष रािश क 0 अश 26 कला और 47 िचकला तक ततीय स तमाश 4 अश 16 कला 8 िवकला तक ह अत- च मा वष रािश का थम स तमाश विhक का हbआ इस कार मगल का स तमाश रािश विhक बध क क या गf क िमथन शT क क भ शिन क कक) राहb क मीन और कत क क या स तमाश हbई चिक होरा चT म सभी - प_ ट 5ह को िनयम क अ तग)त दशा)या गया ह

सP तमाश कB डली च2

नवमाश कB डली िवचार तथा उनक वामी ndash

धन मष और िसह रािशय क नव नवमाश मषािद नव रािशया वष क या और मकर रािशय क नव नवमाश मकरािद नव रािशया िमथन तला और क भ रािश क नव नवमाश तलािद नव रािशया तथा कक) विhक और मीन रािशय क नव नवमाश कका)िद नव रािशया होती ह रािश का नवमाश 308 mdash3rsquo120rsquo होता ह एक रािश म 3rsquo120rsquo क नौ खamp ड होत ह इस 2 यक खamp ड को नवमाश या नवाश कहत ह अत मषािद रािशय म Tम स मष मकर तला और कक) य थम नवाश रािशया ह इनमम ारम भ होकर Tमश नौ रािशय का नवाश होता ह

नवमाश च2

नवमाश मष िसह धन वष क यामकर िमथन तला कQ भ

कक वि6क मीन

160

1 - 3020rsquo मष मकर तला कक)

2 -6020rsquo वष क भ विhक िसह

3 -10020rsquo िमथन मीन धन क या

4- 13020rsquo कक) मष मकर तला

5 16020rsquo िसह वष क भ विhक

6- 20020rsquo क या िमथन मीन धन

7 -23020rsquo तला कक) मष मकर

8 -26020rsquo वि6क िसह वष कQ भ

9- 30020rsquo धन क या िमथन मीन

उदाहरण ndash

ल न - प_ ट ndash 4232528 ह इस नवमाश चT म दखन स िसह का आठवा नवमाश हbआ अतएव नवमाश कamp डली क ल न रािश विhक ह िसह क आठव नवमाश क रािश विhक हा

नवमाश कB डली च2

5ह क - थापना क िलए िवचार िकया तो सय) 0906134 ह इस नवमाश बोधक चT म दखा तो यह मष क रािश का हbआ अत कक) म सय) को - थािपत िकया गया च मा 901647 ह चT म दखन स यह वष क थम नवमाश मकर रािश का होगा इसी कार होरा कamp डली म सभी 5ह क - प_ ट हो िलखा गया ह इसक अनसार मगल मष का बध विhक का गf क भ का शT क भ का शिन धन

161

का राहb क या का और कत मीन रािश का िलखा जायगा चर रािश का पहला नवमाश ि-थर रािश का पाचवा और ि- वभाव रािश का अितम वग[तम नवाश होत ह रािश का - वय का नवाश वग[2 तम कहलाता ह वग[2 त- थ 5ह अ2 य त शभव होत ह नवमाश तािलका जो दी गई ह इसस अथा)त पचम नवमाश और ि- वभाव रािशय क अितम नवमाश वग[2 तमाश होत ह नवमाश बोधक सारणी स यह भी - प_ ट होगा िक मष मकर तला और कक) रािशय क थम नवमाश रािशय Tमश य ही रािशया ह इसिलए मषािद चर रािशय म थम नवमाश Tमश य ही रािशया ह इसीिलए मषािद चर रािशय म थम नवमाश वग[2 तम होता ह इस कार वष क भ विhक और िसह ि-थर रािशय का 5 वा नवमाश Tम स इ हS रािशय का होन स ि-थर रािश का मV य या पk जम नवाश वगो2 तम होता ह ि- वभाव रािशय िमथन मीन धन और क या रािशय म अितम अथा)त नवा नवमाश इ हS रािशय का होन स यह अितम नवमाश वग[2 तम होगा अत यह बात जानना चािहए िक वग[त तमाश 5ह सवा)िधक शभ होत ह एव अk छ फल को दत ह

74 2ादशाश क3 डली िवचार

दशमाश एकरािश म दश दशमाश होत ह 30rsquo10 ndash3rsquo का एक दशमाश होता ह िवषम रािश म उसी रािश स और सम रािश म नवम रािश स दशमाश क गणना क जाती ह दशमाश कamp डली बनान का िनयम यह ह िक ल न - प_ ट िजस दशमाश म वही दशमाश कamp डली का ल न माना जायगा और 5ह - प_ ट ारा 5ह को gtात करक िजस दशमाश का जो 5ह हो उस 5ह को उस रािश म - थापन करन स जो कamp डली बनगी वही दशमाश कamp डली होगी दशमाश चT तथा इसक - वामी जानन क िलए िन निलिखत चT स - प_ ट हो जायगा

रािशया

दशमाश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क या

तला

विक धन

मकर

क भ

मीन

1 ndash 3000 1

10

3

23

5

2

7

4

9

6

11 श 8

2 ndash 6000 2

11

4

1

6

3

8

5

10

8

12

9

3 ndash 9000 3

12

5

2

8

4

9

6

11

8

1

10

162

4 ndash 12000 4

1

6

3

8

5

10

7

12

9

2

11 श

5 ndash 15000 5

2

7

4

9

6

11

9

1

10 श

3

12

6 ndash 28000 6

3

8

5

10

7

12

9 ब 2

11 स

4

9

7 ndash 21000 7

4

8

6

11

9

1

10

3

12 ब

5

2 श

8 ndash 24000 8

5

10

7

12

9

2

11

4

1

3

3

9 ndash 27000 9

6

11

8

1

10

3

12

5

2

7

4

10 ndash 30000 10

7

12 ब

9 ब

2

11

4

1

6

3

8

5

उपयP त चT म दशमाश रािशय क अक और दशमाश शष िलख गय ह

सभी 5ह का - प_ ट िन निलिखत ह - प_ ट ल न 4132528 - प_ ट सय) 010834 - प_ ट च 1102648 - प_ ट चT मग 2215245 - प_ ट बध 01232939 - प_ ट चT 324832 - प_ ट चT 99232090 - प_ ट शिन राहb 3555 कत 88515 हा - प_ ट ल नानसार दशमाश चT म दखा जाता ह तो िसह रािश म आठवा दशमाश मीनरािश का िमला अत दय क - वामी बह- पित हbए इस कार दशमाश - वामी को जानना चािहए

पराशर न िवषम रािश क दशमाश क - वामी Tम स इ अिन यम राltस वfण म- त कबर ईशान ~ा और अन त इन दश िड पाल को माना ह सम रािश क दशमाशश t य2 Tम (िवपरीतTम) स इन दश िद पाल को माना ह िक त पाराशर का यह मत अ य िवान क ारा - वीकार नहS िकया ह

163

उदाहरण ndash

- प_ टल न ndash 4232527 इस दशमाश चT म दख तो िसह म आठवा दशमाश मीन रािश का िमला अत दशमाश कamp डली को ल न रािश मीन होगी 5ह क - थापन क िलए सय) 010834 का दशमाश मष का चौथा हbआ अथा)त सय) दशमाश कamp डली म कक) रािश म ि-थत हग इसी कारच मा क दशमाश रािश मकर मगल क मकर बX क विhक शT क िमथन शिन क िसह राहb क िमथन और कत क धन रािश दशमाश चT म होगा

दशमाश कB डली

अब आइए ादशाश कamp डली पर िवचार करत ह

ादशाश ndash एक रािश का ादशाश ndash 9 रािश92 ndash 30092 - 2030 यह एक ादशाश का मान ह एक रािश म इतन ही मान क 12 भाग या ादशाश होत ह रािश क थम ादशाश पर उसी रािश का अिधकार होता ह ितीय ादशाश पर उस रािश स दसरीरािश का ततीय ादशाश पर उस रािश स ततीय रािश का एव दशव ादशाश पर उस रािश स दसवी रािश का अिधकार होता ह तथा उन ादशाश रािशय क - वामी तद ादशाश क - वामी होत ह जस मष रािश म थम ादशाश मष रािश का और उसका - वामी मगल थम ादशाश दसरा ादशाश वष रािश का और उसक - वामी शT ितीय ादशाश का - वामी होगा - प_ ट 5ह एव ल न 4232527 - प_ ट सय) 0106134 च - प_ ट 1012647 मगल - प_ ट 2295245 बX - प_ ट 012312931 - प_ ट गf 324632 - प_ ट शT 11232010 - प_ ट शिन 27745 - प_ ट राहb 39515 - प_ ट कत 88515 इ हS - प_ ट 5ह क आधार पर यहा उदाहरण बनाकर ादशाश चT बनाया गया ह

9ादशाश च2

रािशया

दशमाश मष

वष

िमथ

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

1 ndash 2000 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

164

म श

ब ब श म

2 ndash 5000 2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

3 ndash 7000 3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

2 श

4 ndash 10000 4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

2

3 श

5 ndash 12000 5

6

7

8

9

10

11

12

1

2 श 3

4

6 ndash 15000 6

7

8

9

10

11

12

1

2

3 श 5

6

7 ndash 18000 7

8

9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

8 ndash 20000 8

9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

7

9 ndash 20000 9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

7

8

10 ndash 25000 10

11

12 ब

1

2

3

4

5

6

7

8

9

11 ndash 29000 11

12

1 ब

2 ब 3

4

5

6

7

8

9

10

12 ndash 30000 12

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

165

उदाहरण ndash ल न 4232527 ह ादशाश बोधक चT म दखन पर िसह म दसवा ादशाश चT वष

रािश का ह अत ादशाश कamp डली क ल न वष रािश होगी 5ह - थापन पहल क समान ही करना चािहए

9ादशाश कB डली

75 षोडशाश क3 डली िवचार

षोडशाश च2 ndash एक रािश म 16 षोडशाश होत ह एक षोडशाश 1 अश 52 कला 30 िवकला का ह

षोडशाश क गणना चर रािशय म मषािद स ि-थर रािशय म िसहािद स और ि- वभाव रािशय म धन रािश स क जाती ह षोडशाश कamp डली क बनान क िविध यह ह िक ल न - प_ ट िजस षोडशाश म आया हो वही षोडशाश कamp डली का ल न माना जायगा और 5ह क - प_ ट क अनसार 5ह - थािपत िकय जायग

षोडशाश बोधक च2

चर

मष कक तला मकर

िथर

वष िसह वि6क कभ

ि9 वभाव

िमथन क या धन मीन

अशािद

1 5 9 1052rsquo30rsquorsquo

2 6 10 3045rsquo0rsquorsquo

166

3 7 11 5036rsquo30rsquorsquo

4 8 12 7030rsquo0rsquorsquo

5 9 1 8052rsquo30rsquorsquo

6 10 2 11022rsquo30rsquorsquo

7 11 3 13015rsquo10rsquorsquo

8 12 4 1508rsquo30rsquorsquo

9 1 5 1600rsquo0rsquorsquo

10 2 6 18045rsquo0rsquorsquo

11 3 7 19036rsquo30rsquorsquo

12 4 8 20030rsquo0rsquorsquo

1 5 9 22022rsquo30rsquorsquo

2 6 10 24015rsquo30rsquorsquo

3 7 11 2807rsquo30rsquorsquo

4 8 12 3000rsquo0rsquorsquo

उदाहरण -

ल न 4232527 ह ल न िसह रािश क होन क कारण ि-थर कहलायगी िसह क 23 अश 25 कला 26 िवकला 13 वा षोडशाश होगा िजसका रािश िसह ह अत यहा षोडशाश कamp डली क ल न रािश िसह होगी 5ह क राH यािद को भी षोडशाश चT म दखकर षोडशाश रािश म - थािपत कर दना चािहए

167

षोडशाश कB डली

षोडशाश च2 िवचार ndash (िवषयम रािशय म)

मष िमथन िसह तला धन और क भ म पहला 5 अश मगल का दसरा 5 अश शिन का तीसरा 8 अश बह- पित का चौथा 8 अश बध का और पाचवा 5 अश शT का िशाश होता ह ता2 पय) यह ह िक उपयP त िवषम रािशय म यिद कोई 5ह एक स 5 अश पय) त रह तो मगल क िशाश म कहा गया ह छठ स दसव अश तक रह तो शिन क दसव स अठारहव अश तक रह तो बह- पित क उ नीसव स पk चीसव अश तक रह तो बध क और छK बीसव स तीसव अश तक रह तो शT क िशाश म वह 5ह कहा जायगा

िवषम रािश का ि)शाश च2

मष िमथन िसह तला धन कQ भ अश

1 म 1 म 1 म 1 म 1 म 1 म 1 स 5 तक

11 श 11 श 11 श 11 श 11 श 11 श 6 स 10 तक

9 9 9 9 9 9 11 स 19 तक

3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 19 स 18 तक

8 श 8 श 8 श 8 श 8 श 8 श 16 स 30 तक

168

(समरािशय म) ndash वष कक) क या विhक मकर और मीन म पहला 5 अश तक शT का दसरा 8 अश तक बध का तीसरा 9 अश तक मगल का िशाश होता ह रािश पXित क अनसार िवषम रािशय म 5 अश तक मष का 90 अश तक कभ का 19 अश तक धन का 25 अश तक िमथन का और 30 अश तक तला का िशाश होता ह िशाश कamp डली भी पव)वत बनायी जायगी

उदाहरण ndash ल न 4232527 िसह रािश क 23 अश 25 कला 28 िवकला ह का िशाश

कहलायगा िशाश कamp डली का ल न िमथन होगा सय) 0110734 मष रािश क 10 अश क 7 कला 34 िवकला ह मष रािश म 10 अश स आग 19 अश तक धन रािश का िशाश होता ह अत सय) धन रािश का होगा

समरािश ि)शाश च2

वष कक) क या विhक मकर मीन अश

2 श 2 श 2 श 2 श 2 श 2 श 1 स 5 तक

6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 स 12 तक

12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 13 स 20 तक

10 श 10 श 10 श 10 श 10 श 10 श 21 स 25 तक

9 म 9 म 9 म 9 म 9 म 9 म 26 स 30 तक

ि)शाश कB डली

169

ष टशाश च2 िवचार

एक रािश म 60 प_ टशाश होत ह अथा)त 30 कला का एक ष_ ठशाश होता ह िजस 5ह या ल न का _ _ ठयाश साधन करना हो तो उस स5ह क रािश का छोडकर अश क कला बनाकर आग वाली कलाओ को उसम जोड दना चािहए इन योगफल वाली कलाओ म 30 का भाग दन स जो लिKध आव उसम एक और जोड़ द इस योगफल को आग िदय ष_ टाश बोधक चTrsquorsquo म दखन स ष_ ठश क रािश िमल जायगी िवषम रािश वाल 5ह का दवताश क नीच और सम रािश वाल का सम दवताश क नीच िमलगा उदाहरण

ल न 4232526 - प_ ट सय) 010834 - प_ ट मगल 2295245 - प_ ट बध 0232139 - प_ ट गf 324732 - प_ ट शT 11232010 - प_ ट शिन 266145 - प_ ट राहb 838515 - प_ ट कत 88515 H हा पर - प_ ट ल न क रािश को छोडकर अश को कला बनायी तो 23times60 =138015 ndash 1405 divide30 = 47 लिKध आया और शष 25 हbआ चिक लिKध 46 म 9 और जोड़ा ndash 469 = 47 वा पटयश हbआ चT म दखा तो िसह रािश का 47वा ष_ टयाश िमथन रािश का ह अत षटयश कamp डली का ल न िमथन होगा इस चT स िबना गिणत िकय भी षटयश का बोध को_ ठक क अ त स िदय गय अशािद क ारा िकय जा सकत ह - तत ल न िसह क 23 अश 25 कला ह अत को_ ठक म 23 अश क आग ह 2330 वाल को_ ठक म िसह क नीच िमथन िलखा गया ह अत षटयाश ल न िमथन होगा 5ह क - थापन भी इसी कार करना चािहएा

ष टयश कB डली

170

षटयश बोधक च2

िवषय

दवता

स य

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि13

धन

मकर

क भ

मीन

अश

सम

दवता

घोर

1 1 2

3 4

5 6 7 8 9 10 11

12 030 इ दरखा

रास 2 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 10 मण

दव 3 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 230 13योिध

कबर 4 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 20 सधा

5 5 6

7

8 9 10 11 12 1 2 3 4

330 अितशीतल

िक नर 6 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 30 र

ट 7 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 430 सौ य

कल न 8 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 40 िनमल

गरल

9 9 10

11

12 1 2 3 4 5 6 7 8

530 द डायध

अि न

10 10 11

12

1 2 3 4 5 6 7 8 9

50 कालाि न

माया 11 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 630 13वीन

13तपरीष

12 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

60 इमख

अपापित

13 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

730 टकराल

दवगणश 14 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 70 शीतल

काल 15 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 830 मद

अिहभाग 16 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 80 सौ य

अमत

17 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

930 काल(प

च 18 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 90 पातक

मश

19 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6

1030 वशय

कोमल 20 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 100 कलना

171

हर ब

21 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

1130 िवष13द ध

0ा

22 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9

110 पणच

िव ण 23 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 1230 अमत

मह1 वर 24 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 120 सधा

दव

25 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

1330 कपटक

आ 26 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 130 यम

किलनाश 27 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 1430 घोर

ि3ती1 वर

28 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3

140 दावाि न

कमलाकर 29 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 1530 काल

मा दी 30 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 150 म5 य

म5 य 31 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 1630 मा दी

काल

32 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7

160 कमलाकर

दावाि न

33 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

1730 ि3ती1 वर

घोर

34 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9

170 किलनाश

यम 35 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 1830 आ

कपटक 36 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 180 दव

सधा

37 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

1930 मह1 वर

अमत 38 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 190 िव ण

पणच 39 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 2030 0ा

िवष13द ध 40 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 200 हर ब

कलनाश

41 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

2130 कोमल

वशय 42 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 210 मश

172

पातक 43 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 2230 अमत

काल(प 44 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 220 च

सौम य

45 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

2330 अिहभाग

मद 46 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 230 काल

शीतल

47 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

2430 दवगणश

टकराल

48 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

240 अपापित

इमख 49 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 2530 माया

13वीन

50 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1

250 13तपरीष

कालाि न 51 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 2630 अि न

द डायध 52 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 260 गरल

िनमल 53 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

2730 कल न

सौ य 54 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 270 ट

र 55 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 2830 िक नर

अितशीतल 56 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 280 य

सधा 57 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 2930 कबर

योिध 58 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 290 दव

)मण 59 11 12

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

3030 रास

इ दरखा 60 12

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

300 घोर

78 पाampरजात आिद वशिषकाशिवचार

पा]रजा तािद gtान करन क िलए पहल दशवग) चT बना लना चािहए इस चT क िTया यह ह िक पहल जो होए डढकोण - तमाश आिद बनाय ह उ ह एक साथ िलखकर रख लना चािहए इस चT म जो 5ह अपन वग) अितिम क वग) या उk च क वग) म हो उसक - वltा)िद वगYसgtा होती ह िजस ज मपी म दो 5ह - वltा)िद वगY ह उनक प]रजात सgtा तीन क उ2 तम चार क गोपर पाच क

173

िसहासन छह क परावत सात क दवलोक आठ क ~लोक नौ क ऐरावत और दश क Bीनाथ सgtा होती ह

2

3

4

5

6

7

8

9

10

वग)

वगyP य

प]रजात

उ2 तम

गोपर

िसहासन

पारावत

दवलोक

दलोक

ऐरावत

Bीनाथ

योग िवशष

योग िवशष

अपन अपन - व5ह उk च मल िकोण अपन वग) म 5ह हो तो वग[2 तम- थ कहलात ह इन वग[2 तम क योग स वशिषकाश होत ह दश वगv म यिद 5ह क तीन वग) उसक अपन हो तो 5ह उ2 तमाश म कहलाता ह चार वग) यिद 5ह क अपन हो तो वह 5ह गोपर नामक वशिषकाश म कहलाता ह पाच वग) यिद 5ह क अपन वग) हो तो वह 5ह िसहासन नामक वशिषकाश- थ म कहत ह दो वग) यिद 5ह क अपन हो तो प]रजात नामक वशिषकाश- थ कहत ह छ वग) यिद उस 5ह क हो तो उस 5ह को पारावत नामक वशिषकाशगत कहत ह सात वग) यिद 5ह अपना वग) हो तो वह दवलोककाश- थ कहलाता ह यिद आठ उस 5ह का हो तो भी ~लोकाश म तथा यिद नववग) उसक हो तो वह ऐरावतर- थ कहलाता ह सात वग) यिद उसी 5ह क हो तो इस योग क दवलोक आठ वग) यिद उसी 5ह क हो तो ~लोक और दश वग) यिद उस 5ह क हो तो Bीधाम योग कहा ह पा]रजाताश म ि-थत 5ह जातक को B_ ठता अनक गण अथ) सख वभवािद दत ह उ2 तमाश- थ 5ह जातक को िवनय चातथ) नपamp य और आचारवान बनात ह गौपराश- थ 5ह जातक को बिXमान धिनक और भ पित बनाता ह तथा 5ह गोधन स स प न करता ह िसहासनाश- थ 5ह जातक को राजा का ि य पा अथवा राजा क समान वभवशाली बनाता ह परावताश- य 5ह जातक को अBव 5ह जातक का अBव गज रथािद राजकय वभवािद स स प न कराता ह दवलोकाश- थ 5ह स2 कित)यP त अपन सदगण किलए िव^ यात राजा बनाता ह ऐरावताशस थ 5ह जातक को दवताओ स पिजत इ क समान राजा बनाता ह यिद 5ह Bीधाम योग बनाता हो तो वह सौभा य धनधा य एव स तित सख स स प न राजा बनाता ह

दशवग) क सभी वगv म यिद 5ह िनब)ल हो तो म2 यकारक नौ वग) म िनब)ल हो तो िवनाश कारक यिद आठवग) म िनब)ल हो तो क_ ट कारक यिद सातवग) म 5ह िनब)ल हो तो क_ ट कारक यिद सातवग) म 5ह िनब)ल हो तो दा]रा और िवपि9कारक छ वग) म िनब)ल हो तो ा]रा पाच वग) म िनब)ल हो तो - वजन का - नहदाता चार वग) म िनब)ल हो तो - वजन ब ध ndash बाधव म B_ ठ बनाता ह तीन वग) म िनब)ल 5ह धिनक BिD बनाता ह यिद मा एक वग) म िनब)ल होतो t यिJ को राजा बनाता ह

174

79 साराश

अब तो आप लोग सभी वगv को पण)तया fप स जान गय हग िफर भी यहा पर इस बात क जानकारी पण)तया fप स होनी चािहए िक फलादश का ाणत2 2 व य सभी वग) ह तथा इनक जानकारी पhात आप 5ह क प]रजात आिद वगv को जानकर मल स t यवहार म लायग तथा 5ह क बलाबल का िवचार करत हbए समाज क कA याण क भावना स उ2 तम फल का िववचन करग

710 नावली लघउ तरीय तथा उ तरमाला

1 जातक 5थ म सभी वगv क स^ या ह - (क) 12 (ख) 18 (ग) 19 (घ) 16

2 िवषम रािश म थम होरा होती ह - (क) मगल (ख) बX (ग) सय) (घ) च

3 एक रािश म डढकाण होत ह - (क) 3 (ख) 4

(ग) 5 (घ) 6 4 सम रािशय का स तमाश होता ह

(क) उसी रािश स (ख) उसस स तम रािश स

(ग) दसरी रािश स (घ) चौथी रािश स

5 मष िसह धन रािशय का नवमाश ार भ होता ह lsquo (क) मषािद स (ख) मकरािद स

(ग) तलािद स (घ) कका)िद स 6 िमथन तला क भ रािशय का नवमाश ार भ होता ह - (क) मषािद स (ख) मकरािद स

(ग) तलािद स (घ) कका)िद

7 एक दशमाश िकतन अश क होत ह

(क) 4 अश का (ख) 5 अश का

175

(ग) 3 अश का (घ) 2 अश का 8 षोडशाश कamp डली म चर रािशय क गणना क जाती ह (क) वषािद स (ख) मषािद स

(ग) िमथनािद स (घ) क यािद स 9 ादशाश कamp डली म एक ादशाश का मान होता ह (क) 2 अश 30 कला (ख) 3अश 40 कला

(ग) 6 अश 20 कला (घ) 3 अश 10 कला

10 िवषम िशाश म 9 स 5 अश क - वामी ह

(क) शिन (ख) गf (ग) मगल (घ) बX

उ तरमाला

1 घ 2 ग 3 क 4 ख 5 क 6 क 7 ग 8 क 9 ख 10 ग

711 श दावली

bull समरािश ndash वषभ कक) क या विhक मकर मीन

bull िवषम रािश ndash मष िमथन िसह तला धन कभ

bull अिन त2 2 व रािश ndash मष िसह धन

bull प वी त2 2 व रािश ndash वष क या मकर

bull वाय त2 2 व रािश ndash िमथन तला कभ

bull जल त2 2 व रािश ndash कक) विhक मीन

bull चर रािशया ndash मष कक) तला मकर

bull ि-थर रािशया ndash वष िसह विhक और क भ

bull ि- वभाव रािशया ndash िमथन क या धन मीन

bull पfष रािशया ndash मष िमथन िसह तला धन क भ

176

bull - ी रािशया ndash वष कक) क या विhक

bull मष रािश का िनवास ndash धात र2 न भिम

bull वष रािश का िनवास ndash पव)त िशखर

bull िमथन रा िश का िनवास ndash धत5ह रित 5ह कक) रािश का िनवास ndash वापी पोखर Tर रािशया ndash मष िमथन िसह तला धन क भ

bull सौ य रािशया ndash वष कक) क या विhक मकर मीन

bull दीघ) रािशया ndash िसह क या तला विhक

bull समरािशया ndash िमथन कक) धन मकर

bull t य रािशया ndash मष वष कभ मीन

bull शभ 5ह ndash च बX गf शT

bull पाप 5ह ndash शिन मगल राहb कत

bull Tर 5ह ndash सय)

bull दीपावली रािशया ndash िसह क या तला विhक कभ मीन

bull राि बली रािशया ndash मष वष िमथन कक) धन मकर

712 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष

लखक ndash नमीच शा- ी

2 जातक प]रणत t या^ याकार ndash Bीह]रशकर पाठक

177

इकाई 8

नवमाश स तमाश िशाश व ादशाश इकाई क सरचना

81 - तावना 82 उGH य 83 िवषय वश 831 नवमाश साधन 832 स तमाशसाधन 833 िशाश साधन 834 ादशाशसाधन 84 साराश 85 अL यासाथ) H न 86 शK दावली 89 सदभ) 5थ सची

81 तावना

इस इकाई म मा चार वग) ही दशा)या ह इसका आशय यह ह िक नवमाश कamp डली स पा]रवा]रक सख का तथा पित ndash पि2न क जीवन म होन वाल शभाशभ फल का िवचार िकया जाता ह तथा स तमाश कamp डली स प-पौािद सतित का िवचार िकया जाता ह िशाश चT सअ]र_ टािद का िवचार िकया जाताह यहवहपlt ह िजसस प]रवा]रक या सामािजक कोई अनहोनी (दख या िवपि9 ) न आ जाय िजस िक बहbत बड़ी परशानी का सामना करना पड़ इ हS िवषय का िवमश) िशाश चT स िकया जाता ह इसी कार ादशाश चT स माता ndash िपता क सख और सौ^ य का िवचार िकया जाताह अत यहा पर मा चार वगv क दशा)न मल त य यह भी ह िक चिक माता िपता - ी पािद प]रवार य सब मानव जीवन क म य अग ह इसिलए यहा पर इन वगv का िवचार करक इन इन प]रवा]रक t यिJय का िवH लषण िकया ह

82 उश य

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग - 1 स तमाश कamp डली क बार म जानकारी ा त करग 2 स तमाश कamp डली बनायग

178

3 िशाश कamp डली जानग 4 ादशाश कamp डली का साधन कर पायग

83 िवषय वश

वग) कampडिलय का अVययन विदक aयोितष का अ2यत मह2 2 वपण) अग ह वग) कampडिलय क मदद स जीवन क िवषय का गहन अVययन िकया जाता ह वग) कampडिलय क कल स^या 16 ह सोलह वग) कampडिलय क नाम इस कार स ह ndash

1 5ह 2 होरा 3 _काण 4 चतथाnश

5 समाश 6 नवाश 7 दशमाश 8 ादशाश

9 षोडशाश 10 िवशाश 11 चतिव)शाश

12 सिवशाश 13 िशाश 14 खवदाश

15 अltवदाश 16 षDयाश

वग कBडिलय क वग -

1 षड वग) - 5ह होरा _काण नवाश ादशाश और िशाश षड वग) म आत ह

स वग) - यिद षडवग) म समाश को जोड़ िदया जाए तो स वग) बन जाता ह

दश वग) - यिद स वग) म दशाश षोडशाश और षDयाश को जोड़ िदया जाए तो दश वग) बनता ह

िविभन वग) कampडिलय क साधन को समझन क िलए हम एक उदाहरण कampडली लत ह

5ह अश

लन 23002rsquo

सय) 08001rsquo

च 07014rsquo

मगल 17006rsquo

179

बध 25052rsquo

बह-पित 23027rsquo

शT 29031rsquo

शिन 26048rsquo

राहb 01023rsquo

कत 01023rsquo

नवाश साधन - जब एक रािश को नौ बराबर भाग म बाटा जाता ह तो मान आता ह 03020rsquo हर भाग

को नवाश कहा जाता ह नवाश कampडली अ2यत मह2 2 वपण) कampडली ह िजसस जम कampडली क 5ह क ताकत का अनमान लगाया जाता ह और साथ ही tयिJ क जीवन साथी और ववािहक जीवन का अVययन िकया जाता ह नवाश कampडली का साधन करन क िलए िनन सारणी स यह समझ लत ह िक िकस अश पर कौन सा नवाश आएगा

अश नवाश

1 00rsquo - 3020rsquo 1

2 08020rsquo-06040rsquo 2

3 6040rsquo-10000rsquo 3

4 10000rsquo-13020rsquo 4

5 13020rsquo-16040rsquo 5

6 16040rsquo-20000rsquo 6

7 20000rsquo-23020rsquo 7

8 23020rsquo-26040rsquo 8

9 26040rsquo-30000rsquo 9

नवाश कBडली साधन का िनयम-

1 अिन त2 2 व रािश म गणना मष स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन मष िसह या धन रािश म ह तो गणना मष स आरभ होगी

2 पवी त2 2 व रािश म गणना मकर स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन वषभ कया या मकर म ह तो गणना मकर स आरभ होगी

180

3 वाय त2 2 व रािश म गणना तला स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन िमथन तला या कभ म ह तो गणना तला स आरभ होगी

4 जल त2 2 व रािश म गणना कक) स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन कक) विhक या मीन म होगी तो गणना कक) स आरभ होगी

लन तला ह और लन 23002rsquo अश पर ह 23002rsquo पर होन स सातवा नवाश चल रहा ह हमार िनयमानसार तला क िलए गणना तला स ही आरभ होगी तला स सात नवाश िगनन पर आया मष अत नवाश लन होगी मष

सय) कया रािश म 8001rsquo पर ह अत वह तीसर नवाश पर ह कया पवी त2 2 व रािश ह इसिलए िगनती मकर स आरभ होगी मकर स तीन नवाश आग अथा)त मीन नवाश कampडली म सय) मीन रािश म हग

चमा तला रािश म 7014rsquo पर ह चमा का नवाश हbआ तीसरा वाय त2 2 व रािश म होन क कारण गणना तला स आरभ होगी तला स तीन नवाश आग हbई धन रािश इस िलए नवाश कampडली म चमा धन रािश म रहग

मगल कया रािश म 17006rsquo पर ह इस कार मगल छठ नवाश पर ह कया रािश पवी त2 2 व रािश ह अत गणना मकर स आरभ होगी मकर स 6 नवाश आग अथा)त मगल िमथन म हग

बध 25052rsquo अश पर कया रािश म ह बध आठव नवाश म ह और पवी त2 2 व रािश म ह मकर स गणना आरभ करन पर नवाश कampडली म बध िसह रािश म हग

बह-पित तला रािश म 23027rsquo पर ह बह-पित आठव नवाश पर ह तला रािश होन स गणना तला स ही आरभ होगी तला स आठ नवाश आग रािश होगी वषभ इसिलए बह-पित नवाश कampडली म वषभ रािश म हग

शT िसह रािश म 29031rsquo पर ह शT नव नवाश म ह अिन त2 2 व रािश म होन स गणना मष स आरभ होगी इसिलए नवाश कampडली म शT धन रािश म हग

शिन 26048rsquo पर कक) रािश म ह शिन 9व नवाश म ह और जल त2 2 व रािश होन स गणना कक) स आरभ होगी इसिलए नवाश कampडली म शिन मीन रािश म हग

राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह य पहल नवाश म ह और जल त2 2 व रािश होन स गणना कक) स आरभ होगी अत राहb नवाश कampडली म कक) रािश म हग

कत 01023rsquo पर कया रािश म ह य पहल नवाश म ह और पवी त2 2 व रािश म होन स गणना मकर स आरभ होगी इसिलए कत नवाश कampडली म मकर रािश म हग

181

सLमाश

जब एक रािश को सात बराबर भाग म बाटा जाता ह तब वह समाश कहलाता ह सात बराबर भाग म बाटन पर एक भाग का मान आएगा 4017rsquo िनन सारणी स हम समाश क गणना को समझ सकत ह -

अश स तमाश

1 00rsquo - 4017rsquo 1

2 04017rsquo-08032rsquo 2

3 08032rsquo-12051rsquo 3

4 12051rsquo-17008rsquo 4

5 17008rsquo-21025rsquo 5

6 21025rsquo-25042rsquo 6

7 25042rsquo-30000rsquo 7

समाश साधन का िनयम यह ह िक िवषम रािश होन पर गणना उसी रािश स करत ह और यिद सम रािश ह तो गणना उस रािश स सम रािश स करग

हमार उदाहरण कampडली म लन 23002rsquo क ह अत यह छठा समाश ह

bull तला लन ह अत िवषम रािश होन स गणना तला स ही होगी तला स गणना होन पर मीन रािश आएगी अत समाश लन होगी मीन

bull सय) 08001rsquo पर ह अत समाश हbआ दसरा सय) क रािश ह कया कया सम रािश ह अत उस रािश स होगी जो कया रािश ह सम ह अथा)त मीन मीन स दसरी रािश होगी मष अत समाश कampडली म सय) मष रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह समाश हbआ दसरा और रािश ह िवषम तला स दो रािश आग ह विhक इसिलए समाश कampडली म चमा विhक रािश म हग

182

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह समाश ह चौथा और रािश ह सम अत गणना कया स सातवS रािश मीन स आरभ होगी मीन स चार रािश आग ह िमथन अत समाश कampडली म मगल िमथन म रहग

bull बध कया रािश म 25052rsquo पर ह इस कार वह छठ समाश म ह गणना मीन रािश स होगी मीन स छठी रािश होगी कया अत समाश कampडली म बध कया रािश म हग

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह यह छठा नवाश ह िवषम रािश होन स गणना तला स आरभ होगी तला स छठी रािश ह मीन अत समाश कampडली म बह-पित मीन रािश म हग

bull शT 29031rsquo पर िसह रािश म ह शT सातव समाश पर ह िवषम रािश होन स गणना िसह स ही आरभ होगी िसह स सातवS रािश ह कभ अत समाश कampडली म शT कभ रािश म रहग

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह समाश ह पहला और सम रािश म होन क कारण गणना मीन स सातवS रािश कया स होगी पहला ही समाश होन स राहb समाश कampडली म कया रािश म हग

bull कत कया रािश म ह गणना कया स सम मीन स होगी पहला समाश होन स कत समाश कampडली म मीन रािश म हग

ि)शाश साधन

जब एक रािश को तीस बराबर िह-स म बाटा जाता ह तो हर एक िह-स को िशाश कहत ह िवषम रािशय यािन मष िमथन िसह तला धन और कभ म पहल 5rsquo तक मगल का दसर 5rsquo तक शिन का तीसर 8rsquo तक बह-पित का चौथ 7rsquo तक बध का और पाचव 5rsquo तक शT का िशाश होता ह इस िनन सारणी स समझन का यास करत ह

183

िवषम रािश क ि)शाश कBडली

मष िमथन िसह तला धन कभ अश

1 1 1 1 1 1 1-5

11 11 11 11 11 11 6-10

9 9 9 9 9 9 11-18

3 3 3 3 3 3 19-25

7 7 7 7 7 7 26-30

सम रािश यािन वषभ कक) कया विhक मकर और मीन म पहल 5 अश तक शT का दसर 7rsquo तक बध का तीसर 8rsquo तक बह-पित का चौथ 5rsquo तक शिन का और पाचव 5rsquo तक मगल का िशाश होता ह इस िनन सारणी स समझा जा सकता ह

सम रािश क ि)शाश कBडली

वषभ कक) कया विhक मकर मीन अश

2 2 2 2 2 2 1-5

6 6 6 6 6 6 6-12

12 12 12 12 12 12 13-20

10 10 10 10 10 10 21-25

8 8 8 8 8 8 26-30

हमार उदाहरण म लन तला ह और 23002rsquo पर ह िवषम रािश क सारणी स -प( ह िक 19-25 क बीच अश होन पर िशाश होगा िमथन अत िशाश कampडली िमथन होगी

bull सय) कया रािश म 08001rsquo पर ह सम रािश क सारणी स -प( ह िक 6-12 अश होन पर कया िशाश होगा अत िशाश कampडली म सय) कया रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह सारणी क अनसार 6-10 अश क मVय कभ का िशाश हगा अत िशाश कampडली म चमा कभ रािश म हग

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह सारणी क अनसार सम रािश म 13-20 अश पर मीन िशाश ह अत मगल िशाश कampडली म मीन रािश म हग

bull बध 25052rsquo पर कया रािश म ह सम रािश क सारणी क अनसार 26-30 अश विhक िशाश म हग अत िशाश कampडली म बध विhक रािश म हग

184

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह िवषम रािश म 19-25 अश पर िमथन रािश होती ह अत िशाश कampडली म बह-पित िमथन रािश म हग

bull शT 29031rsquo पर ह िसह रािश म ह िवषम रािश क सारणी क अनसार 26-30 अश पर तला रािश का िशाश होगा अत शT तला म रहग

bull शिन 26048rsquo पर मीन रािश म ह सम रािश क सारणी म 26-30 अश पर विhक िशाश होता ह अत शिन िशाश कampडली म विhक रािश म हग

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह सम रािश म 1-5 अश तक वषभ िशाश रहगा अत िशाश कampडली म राहb वषभ रािश म रहग

bull कत 01023rsquo पर कया रािश म ह सम रािश होन स वषभ िशाश रहगा अत कत वषभ रािश म रहग

9ादशाश कB डली

जब एक रािश को बारह भाग म िवभािजत िकया जाता ह तो 2यक भाग का मान 02030rsquo होता ह िजस ादशाश कहत ह ादशाश साधन म गणना उसी रािश स आरभ क जाती ह िनन सारणी स ादशाश का िवभाजन समझा जा सकता ह

अश नवाश

00rsquo00 - 02030rsquo 1

02030rsquo - 05000rsquo 2

05000rsquo - 07030rsquo 3

07030rsquo - 10000rsquo 4

10000rsquo - 12030rsquo 5

185

12030rsquo - 15000rsquo 6

15000rsquo - 17030rsquo 7

17030rsquo - 20000rsquo 8

20000rsquo - 22030rsquo 9

22030rsquo - 25000rsquo 10

हमारी उदाहरण कampडली म तला लन 20002rsquo पर ह अत यह दसवा ादशाश ह तला स गणना करन पर रािश आती ह कम) अत ादशाश लन होगी कक)

bull सय) 08001rsquo पर कया रािश म ह चौथ ादशाश म होन स सय) ादशाश कampडली म धन रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह तीसर ादशाश म होन स चमा ादशाश कampडली म धन रािश म हग

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह सातव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म मगल मीन रािश म हग

bull बध 25052rsquo पर कया रािश म ह यारहव ादशाश म होन स बध ादशाश कampडली म कक) रािश म हग

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह दसव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म बह-पित कक) रािश म हग

bull शT 29048rsquo पर कक) रािश म ह बारहव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म शT कक) रिश म हग

bull शिन 26048rsquo पर कक) रािश म ह यारहव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म शिन वषभ रािश म हग

186

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह पहल ादशाश म होन स राहb मीन म ही रहग

bull कत 01023rsquo पर कया रािश म ह पहल ादशाश म होन स कत कया रािश म ही रहग

84 साराश

अब तो आप लोग नवमाश स तमाश िशाश एव ादशाश कamp डली क बार म जान गय होग िफर भी इन कamp डिलय क अV ययन क पhात आपको पा]रवा]रक तथा समाजकत फल को पण) fपण t यवहार म लायग तथा इसका िनदान भी कर पायग इसिलए इन चार वगv का अV ययन मह2 2 वपण) ह साथ ही प वी त2 2 व वायत2 2 व एव जल त2 2 व वाली रािशय स होन वाल शभाशभ फल क जानकारी आपको िमलगी एव इसका पण) gtान करग

85 अ यासाथ न

1 षड़वग) म स तमाश कायागकरन स होता ह

(क) दशवग) (ख) स तम वग) (ग) ादशवग) (घ) षोडश वग)

2 स तम वग) म दशमाश षोडशाश षटयश का योग करन पर होगा

(क) दशवग) (ख) स तम वग) (ग) ादशवग) (घ) षोडश वग)

3 6 अश 40 कला िकस नवमाश क भाग ह

(क) थम नवमाश क (ख) ितीय नवमाश क

(ग) ततीय नवमाश क (घ) चतथ) नवमाश क

4 तीसरा स तमाश होता ह

(क) 4 अश 18 कला 8 िवकला का

(ख) 8 अश 34 कला 17 िवकला का

(ग) 12 अश 51 कला 24 िवकला का

(घ) 18 अश 8 कला 34 िवकला का

4 समरािश म 1 स 5 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) बह- पित

(ग) शिन (घ) शT

187

5 िवषम रािश म 6 स 10 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) मगल

(ग) शिन (घ) गf

6 सम रािश म 1 स 5 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) मगल

(ग) शिन (घ) गf

7 सम रािश म 16 स 30 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) मगल (ख) शT

(ग) बX (घ) गf

8 सम रािश म 6 स 12 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) मगल (ख) शT

(ग) बX (घ) गf

9 कल िकतन वग) होत ह

(क) 6 वग) (ख) 7 वग)

(ग) 10 वग) (घ) 16 वग)

86 श दावली

bull समरािश ndash वषभ कक) क या विhक मकर मीन

bull िवषमरािश lsquo मष िमथन िसह तला धन क भ

bull अिन त2 2 व रािश ndash मष िसह धन

bull प वी त2 2 व रािश ndash वष क या मकर

bull वाय त2 2 व रािश ndash िमथन तला क भ

bull जल त2 2 व रािश ndash कक) विhक मीन

188

89 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष लखक नमी च शा- ी 2 जातक पा]रजात t या^ याकार ndash Bी ह]रशकर पाठक

189

इकाई - 9

िववाह योग म) जमपिका िमलान का मह+व इकाई सरचना

91 -तावना 92 उGHय 93 िवषय वश

931 िववाह-योग 932 िववाह ितब धक योग 933 म िववाह योग

94 िववाह हत जमपी िमलान का मह|व 95 मलापक रह-य 96 गणिमलान का आधार 97 िववाह म मङगलयोग का िवचार तथा उसक प]रहार

971 मगल दोष क प]रहार 98 िववाह का िनण)य करत समय बह-पित का िवचार कर या नहS 99 कया क िववाह म िवलबदोष का प]रहार 910 मलापक सा]रणी क योग हत आवHयक िनदyश 911 साराश 912 शK दावली 913 अित लघ9रा2मक B 914 लघ9रा2मक B 915 सदभ) 5थ 916 फिलत म परमोपयोगी 5हw(यािद चT 917 मलापक सा]रणी - ादश पDीय

91 तावना

a योितष शा- स सबिधत यह नौवS इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक a योितष शा- म िववाह योग म ज मपिका का िमलान का मह2 2 व P या हइसक िवषय म िवशष fप स वण)न िकया गया ह

190

िववाह गह-थ आBम का वश ार ह िववाह शKद िव + वाह स बना ह िव = िवशष fप स वहन करन योय सावधानी पव)क िनभान योय सबध ही िववाह ह अय शKद म िववाह सखी प]रवार क आधारिशला ह सखी व सपन प]रवार स समाज म सख-शाित व समिX का िव-तार होता ह िकसी िववाह का टटना मा दो tयिJय का अलग होना नही ह अपित प]रवार व समाज का िबखराव होना ह जब कभी िववाह का B हो तो दवgt का कत)tय ह िक वह िववाह का मह|व समझत हbए िविधपव)क जमकampड़ली म िववाह योग का िनण)य लव तथा उनका भलीभॉित मलापक कर िववाह क सदभ) म मलापक िवषय क गढ़ गभीर रह-यमय स का समिचत बोध करक tयिJ को सखी एव सौहाद)पण) ववािहक जीवन दान कर यही बिXजीव दवgt का परम कतtय ह

92 उय

इस इकाई ारा हम िववाह एव उसक योग का अVययन करग तथा यह भी gtान करन म सltम हग िक -

1 िववाह Pया ह एव समाज म इसका Pया मह|व ह

2 िववाह क िलए कौनस भाव एव 5ह ारा िनण)य कर

3 िववाह म जमकampड़ली िमलान का मह|व

4 िववाह म मङगल दोष का िवचार एव बह-पित का िनण)य

93 िवषय वश

िजस कार सम-त ाणी अपन जीवन क िलए वाय पर आिBत ह उसी कार सपण) आBम गह-थाBम पर आधा]रत ह िववाह इसी गह-थाBम का वश ार ह िववाह स प]रवार प]रवार स समाज समाज स समच िवE क सरचना होता ह िववाह को कामोग क पण)ता व सति( हत भी आवHयक बताया ह िववाह ारा काम सति( मनोवgtािनक ि-थरता आिथ)क सरltा समािजक िवकास सा-कितक मAय क सरltण हत समिचत अवसर उपलKध होत ह

aयोितष शा क अनसार िववाह पर िनण)य लन हत समभाव मख ह सम भाव समश व कारक 5ह का बली होना अित आवHयक ह िकत अय भाव का भी दाप2य जीवन पर भावन जानना आवHयक ह अत लनािद ादश भाव पर भाव का िवचार सव) थम करग -

१ लन भाव - जातक का -वा-य fप गण -वभाव थमभाव स ही gtात िकया जाता ह BD -वा-य व -वभाव ववािहक जीवन को सरस व सखी बनाता ह अतः दपि9 क कampडली म फिलत करत समय लन का िवशष Vयान रखना चािहए

२ ितीय -थान - यह कटब व धन का ह तथा प2नी क िलए अ(म -थान (समभाव स गणना करन पर) भी ह इसका शभ व बली होना ववािहक सख क आय_य म विX करता ह

191

३ ततीय -थान - इस भाव स पराTम तथा भाई-बहन स -नह व सहयोग का िवचार िकया जाता ह यह भाव प2नी का धम) व भाय -थान भी ह यिद प2नी अपन पित क भाई-बहन स -नहपण) सबध रखगी तो अवHय ही घर म सतोष और भायोदय होगा

४ चतथ) -थान - यह सव)सख का भाव माना गया ह अतः इस भाव म शभ5ह क wि( या यित प]रवार म सख-शाित बनाय रखती ह

५ पचम -थान - बिX सतान िम व म-सबध का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह पाप5ह का भाव इस भाव म सतान सबधी क( दता ह इसक िवपरीत पचमश व समश का रािश प]रवत)न या यित म-िववाह को सफल बनाता ह

६ षD -थान - यह भाव सघष) व -पधा) का भाव ह अतः शभ5ह क wि( व यित -पधा) म िवजयी बनाकर सख व यश दती ह

७ सम -थान - प2नी ससराल-पlt कामसख दाप2य जीवन का भाव ह सम स गणना करन पर थमलन होन क कारण प2नी का आचरण रग-fप व गण का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

८ अ(म -थान - कलक म2य गधन व गिवFा का िवचार िकया जाता ह अ(मभाव का बली होना प2नी को धन-सचय म कशल बनाता ह ी जातक क िलए यह मागAय भाव भी ह

९ नवम -थान - सह समभाव स ततीय होन पर प2नी का साहस पराTम काय)कशलता तथा छोट भाई-बहन क िवषय म दशा)ता ह

१० दशम -थान - यह भाव tयापार tयवसाय व आजीिवका का माना जाता ह समभाव स चतथ) होन पर यह प2नी क मन का प]रचायक ह शभ 5ह क wि( प2नी को सरल व सतोषी बनाती ह

११ एकादशी -थान - यह आय लाभ उनित व यश का भाव ह सम स पचम होन क कारण प2नी क चातय) व िशltा का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

१२ ादश -थान - हािन tयय सख वभव तथा भोग का भाव ह सम स षD होन पर प2नी क रोग श व िचता को दशा)ता ह यह भाव यिद पाप5-त हो तो प2नी रोिगणी होती ह

931 िववाह-योग

aयाितिषय का मत ह िक सम समश एव शT िववाहकारक ह िकत िय क कampड़ली म गl को भी िवशष मह|व िदया गया ह ी क कampड़ली म यह पितसख का कारक माना गया ह अय िवान ल5 कampड़ली क अित]रJ च शT व नवमाश कampड़ली म भी समभाव समश व कारक शT का बली होना उ9म माना गया ह अय aयोितिषय न नवमाश कampड़ली को िववाह-सख जानन हत अिधक मह|व िदया ह Pयिक नवमाश कampड़ली ही समभाव क कारकत2व को जानन क िलए पया) ह -

192

१ लनकampडली चकampडली शTकampडली व नवमाश कampडली म सभाव समश व कारक का बली होना दाप2यसख क िलए उ9म माना गया ह

२ समभाव यिद अपन -वामी स w( या यत हो तथा िकसी पाप5ह स यत या w( न हो तो िववाह शी व मनोनकल होता ह

३ यिद पाप5ह (सय) मगल शिन राहb कत व पापयत बध) समभाव म -वगही हो या समभाव को दख तो भी इस शभयोग माना जाता ह

४ समश शभ5ह हो या बली होकर शभ -थान (क िकोण) म ि-थत हो तो िववाह शी व मनोनकल होता ह

५ मतातर स ितीय व ादश भाव भी दाप2यसख क कारक ह अतः इनक -वामी का क या िकोण म ि-थत होना भी BD िववाहयोग बनाता ह

६ गl शT बली (शभ5ह स यत व w( अथवा अशभ5ह स अयत व अw() हो िववाह शी एव मनोनकल होता ह

७ लन चमा या शT स ितीय सम व ादश पर गl क wि( या यित भी ववािहक सख को बlsaquoढाती ह तथा पचमश (सतान व म सबधी कारक) व समश सबल होना िववाह का सख दता ह

८ समश शT व गl क बली होकर क िकोण म ि-थत होन स िववाह योग बनता ह

९ शT का पचमश या नवमश स w( होना भी BD िववाहयोग होता ह

ब िववाह ितबधक योग -

१ समभाव पाप5ह स यत या w( हो अथवा बलहीन व पाप5ह क वग) म हो

२ अ(म-थ शT यिद बध या शिन स यत या w( हो अथवा चराशीश समश या नवाश लनश अ-त हो

३ चमा स सम रािश म शिन व मगल क यित हो अथवा शT यिद नीच रािश या नीच नवमाश म या अ-त हो अथवा शT यिद शिन क वग) म हो

ब म िववाह-योग -

१ लनश व समश क यित पचम अथवा समभाव म हो

२ पचमश व समश का पर-पर रािश प]रवत)न

३ लाभ-थान म लनश व समश पर भायश क wि( व यित हो

४ tययभाव म लनश व समश पर भायश क wि( व यित हो

193

५ समश स w( या यत शT ादशभाव म हो अथवा लनश पचम-थ होकर समश स w( हो अथवा समश tयय-थ होकर लनश स wि(सबध या यितसबध कर तो िवदश म म-िववाह होता ह

94 िववाह हत ज0मप9ी िमलान का महव

िववाह स पव) जीवनसाथी क िवषय म अनक B tयिJ म मन को आदोिलत करत ह इस सदभ) म aयोितष क भिमका अ2यत मह|वपण) ह सखी और समX दाप2य जीवन क िलए िविधवत जमकampड़ली िमलान अवHय करना चािहए इसक ारा वर-कया क शारी]रक मानिसक दब)लताओ एव िवशषतओ का आकलन सरलता स हो जाता ह कampड़ली िमलान हत िनिलिखत आवHयक तय -

1 मलापक गण-िमलान स पव) वर-कया का आय का िनण)य कर लना चािहए

2 दोन कampड़िलय म ल5 सम तथा अ(म भाव को िवचार सयक fप स कर

3 यिद वर-कया का आय_य -वAप अथवा अAपाय योग ह या मारक दशा आन वाली ह तो ऐस म िववाह पर िवचार करना अनिचत ह

4 यिद िकसी एक क कampड़ली म समभाव हीनबली ह तो दसर क कampड़ली म इस हीनता को दर करन वाल बलशाली योग का होना परम आवHयक ह तभी िववाह पर िवचार कर

95 मलापक रहय

मलापक क सदभ) म जातकदशमाग) क अनसार वर और कया क िववाहोपरात सख-समिX विX तथा अनकलता हत सङग कट िकया गया ह प]रणय स पव) वर-कया क जमाङग िमलान क परपरा परातन काल (सभव ह िक -वयवर क समय म भी आमित राजाओ क कampड़ली का िमलान करन क पhात ही आमण िदया जाता होगा) स ही रही ह सामायत कampड़ली िमलान नlt मलापक ारा करत ह िजस हम अ(कट गण-िमलान क नाम स भी जानत ह अ(कट गण-िमलान क अनसार िजन अिधक गण अनकल हग िववाह क सफल होन क सभावन भी उतनी ही बल हो जायगी

अय दवgt न ल5-मलापक 5ह-मलापक एव भाव-मलापक भी कampड़ली िमलान हत िवचारशील बताया ह

1 ल5-मलापक - वर-कया क ल5 क पार-प]रक सबध पर िवचार करना अित आवHयक ह ाय समान त|व क ल5 अथवा एक-दसर स समसक ल5 सखद प]रणय का सचक होती ह िजस कार हम वर-कया क जम रािशय म पर-पर िभनता दखत ह उसी कार ल5 स tयिJ2व ितभा गण ltमता आिद को िमलान अिनवाय) ह यिद वर-कया दोन क ल5 क त2व म सबध अनकल ह तो ववािहक जीवन सखमय होगा ल5 रािशय क त2व म अनकलता िन कार स होगी -

194

अ - अि5त2 2 व रािश - अि5 तथा वायत|व क ल5 अनकल ह

ब - पवी त2 2 व रािश - पवी त2 2 व तथा जल त2 2 व क ल5 अनकल ह

स - वाय त2 2 व रािश - वाय त2 2 व तथा अि5 त2 2 व क ल5 अनकल ह

द - जल त2 2 व रािश - जल त2 2 व तथा पवी त2 2 व ल5 क ल5 अनकल ह

2 5ह मलापक - वर-कया क सखद ववािहक जीवन हत 5ह मलापक आवHयक ह 5ह-िमलान म िट दाव2य जीवन को दाlण बना सकती ह इस कार क अनक 5हयोग ह िजनक प]रणाम-वfप जीवन Pलिशत होता ह उदाहरणाथ) यिद कampड़ली म शT च अथवा मङगल क मVय-थ होकर पापकत)]र योग म हो तो दाप2य पण)तया असतोष द हो जायगा यिद िकसी जातक क कampड़ली म ऐसा दय[ग हो तो उस उसी को जीवनसाथी बनाना चािहए िजसक 5ह इन दोष का शमन करन का सामय (कampड़ली म 5ह बलवान हो) रखत हो ाय कछ aयोितिषय का मत ह िक वर-कया िकसी एक क कampड़ली म यिद शT अथवा मङगल िकसी भी रािश म ि-थत हो तो उसस सम-थ रािश म दसर क कampड़ली म ि-थत 5ह ाय िववाह िमलान म शभ होता ह

3 भाव मलापक - ववािहक जीवन क सख और दीघा)य_य क िलए भाव मलापक आवHयक ह ाय aयोितष म सवा)िधक मह|व नlt मलापक को ही िमलता ह Pयिक अ(कट का िनधा)रण उसी स होता ह ाय aयोितिव)द ल5 मलापक भाव मलापक और 5ह मलापक का योग अ2यAप करत ह वर-कया क जम कampड़िलय म िकस कार भाव मलापक का अVययन करना चािहए उसक कछ आधारभत िनयम िनिलिखत ह -

1 वर क जमाङग म शTल5शसमश क उkच रािश िजस रािश म ि-थत हो वही रािश या ल5 कया क कampड़ली म हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

2 कया क ल5 या रािश वर क जमाङग म समश रािश हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

3 वर क समश क नीच रािश भी यिद प2नी क रािश अथवा ल5 हो तो भी िववाह सखद होता ह

4 यिद वर कया क सम भाव िजन 5ह स w( हो या व िजन रािशय म ि-थत हो तथा कया या वर क उनम स रािश हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

5 यिद वर और कया क ल5 तथा रािश एक ही हो तो िववाह अ2यत सखमय समिXशाली तथा हष[Aलासपण) होता ह यिद दोन ल5 समान हो परत रािशया िभन हो या दोन क रािशया समान हो तथा ल5 िभन हो तो भी िववाह शभ होता ह

195

6 यिद जमाङग क िमलान म अिधक अ(कट का साय हो ल5 एक-दसर स समसक हो रािशया एक हो लिकन नlt िभन हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

7 वर क नवमाश ल5 यिद कया क जमल5 हो और यिद कया क नवमाश ल5 वर क जमल5 हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

4 नlt मलापक - यह aयोितष क अनोखी एव चिलत िवFा ह िजसम आठ त2व पर िवचार करक दो tयिJय क पर-पर सहयोग व सामज-य पर िवचार िकया जाता ह कampड़ली-िमलान हत यह िविध सवा)िधक यJ होती ह इसम 36 गण का उAलख ह यिद दोन कampड़िलय यनतक अ_ारह गण भी िमल तो ववािहक अनमित ा हो जाती ह यह आठ त2 2 व तथा उनक गणाक का िववरण गणिमलान का आधार म िव-तत fप म दी गयी ह

96 गणिमलान का आधार

वणI वRय तथा तारा योिन6 हम)कम

गणम) भकट च नाड़ी चत गणािधका

अ(कट िवचार - 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन 5 राशीशमी 6 गण 7 भकट 8 नाड़ी इन कट क पण)गण िनिलिखत ह -

1 वण) का एक (1) गण 2 वHय क दो (2) गण 3 तारा क तीन (3) गण 4 योिन क चार (4) गण 5 राशीशमी क पाच (5) गण 6 गण क छ (6) गण 7 भकट क सात (7) गण 8 नाड़ी क आठ (8) गण इन आठ कट क गण का कल योग 36 ह वर एव कया क िववाह क िलए यनतम 18 गण तो िमलन ही चािहए कहS 16 भी (गणा षोड़शािभिन)Fा परत-त9मो9मा) यनतम मान गय ह

1 वण)कट - वण)कट का रािशय स सबध ह मीन विhक और कक) रािशया ~ाण मष िसह और धन रािशया ltिय वष कया और मकर रािशया वHय तथा िमथन कभ और तला रािशया शवणा) ह कया क रािश का वण) वर क रािश क वण) स हीन हो तो वण)कट का गण एक (1) अयथा शय (0) होगा जहा वण)कट का गण शय हो वहा वण)दोष माना जाता ह अथा)त वहा वण) क अशि कहनी चािहए

196

वणदोष का प+रहार - वर एव कया क राशीश पर-पर अितिम िम या सम हो वर-कया क एक

ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो कया क राशीश का वण) वर क राशीश क वण) स हीन हो तो वण)दोष का प]रहार हो जाता ह

हीनवण[ यदा रािश राशीशवण) उ9म तदा राशीEरो 5ा तािश नव िचतयत

2 वHयकट - मष वष क चत_पद िमथन कया तला धन कभ क िपद कक) मकर मीन क जलचर िसह क वनचर और विhक रािश क कटसgtा ह इन रािशय का अपनी जाित क कित क अनसार पर-पर िम श भCय-वHय वHय-भCय वHय-वर और वर-भCय सबध ह

वHयदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो योिनमी हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

वभावम)ी सिखता वपयोविशवमयोयभयोिनशिU

पर पर पवगम गवय हत ि)वगV यगपWित6त

197

3 ताराकट -

ताराकट का सबध नlt स होता ह यह शभ एव अशभ दो कार का होता ह कया क जमनlt स वर क जमनlt तक और वर क जमनlt स कया क जमनlt तक िगनती कर उसम नौ (9) का भाग दन स यिद 3 5 7 शष बच तो तारामलापक अशभ होत ह अयथा शभ होत ह वर एव कया क तारा उ9म होन पर तीन (3) गण एक क उ9मऔर दसर क अधम होन पर डढ़ (1) गण िमलता ह दोन कार स अशभतारा कभी भी ा नहS होती ह

ताराकट दोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो

4 योिनकट

198

(नlt क योिनया) अिEनी शतिभषा नlt क अE -वाती ह-त नlt क मिहष (भस) धिनDा पवा)भापद क िसह भरणी रवती क हाथी (गज) प_य कि9का क मष (बकरा) Bवण पवा)षाढ़ा क वानर उ9राषाढ़ा अिभिजत क नकल (नवला) मगिशरा रोिहणी क सप) aयDा अनराधा क ह]रण मल आरा क Eान पनव)स आ`षा क िवडाल (िबलोटा) मघा पवा)फाAगनी क मषक िवशाखा िचा क tया और उ9राफाAगनी उ9राभापद क गौ (गाय) योिन होती ह `ोक म एक एक पाद म एक एक योिन कही गयी ह इस कार `ोक म 7x2 = 14 योिनय म 2यक पाद क दो योिनय म पर-पर महावर ह जो िववाह म 2याaय ह जस थम पाद क पवा)ध) म अिEनी व शतिभषा क अEयोिन का थमपाद क उ9राध) म -वाती व ह-त क मिहष योिन स बड़ा वर -वाभािवक होता ह 2यlt म भी यहS दखा जाता ह इन योिनय का पर-पर सबध पाच कार का ह - 1 -वभाव (अपनी ही योिन) 2 िम 3 उदासीन 4 श 5 महाश वर और कया क नlt क योिन एक ही हो तो िववाह शभ होता ह दोन क नlt पर-पर उदासीन योिन क हो तो िववाह सामाय होता ह यिद पर-पर शयोिन हो तो िववाह अशभ होता ह यिद महाशयोिन हो तो घोरिनदनीय माना गया ह दोन क नlt -वभाव (एक ही योिन) योिन क हो तो योिनकट क गण चार (4) िमलत ह यिद दोन क नlt िमयोिन क हो तो योिनकट क तीन (3) गण िमलत ह यिद दोन क नlt उदासीन योिन क हो तो योिनकट क दो (2) गण िमलत ह यिद दोन क नlt शयोिन क हो तो योिनकट का गण एक (1) िमलता ह यिद पर-पर महाशयोिन क नlt हो तो योिनकट क शय (0) गण िमलत ह

योिनकटदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो भकटशि हो वHयशि होन पर योिनकटदोष का प]रहार हो जाता ह

5 राशीशम)ीकट -

यह रािशय स स सबिधत ह यिद दोन क रािशय का -वामी एक ही हो या दोन क रािशय क -वामी पर-पर िम ह तो िववाहसबध अ2य9म पर-पर िम-सम हो तो उ9म पर-पर सम हो तो

199

सामाय पर-पर िम-श हो तो िनक( पर-पर सम-श हो िनक(तर एव पर-पर श हो तो िनक(तम माना जाता ह दोन का राशीश एक ही हो तो पाच (5) गण िमलत ह दान क राशीश िम हो तो पाच (5) गण दोन क राशीश पर-पर िम-सम हो तो चार (4) गण दान क राशीश पर-पर सम हो तो तीन (3) गण िमलत ह दान क राशीश पर-पर िम-श ह तो एक (1) गण िमलता ह दोन क राशीश पर-पर सम-श ह तो आधा () गण िमलता ह दोन क राशीश पर-पर श ह तो शय (0) गण िमलत ह

राशीमीकट का प]रहार - वर-कया क नवाशश मी अथवा एकता हो दोन क रािशया िभन और नlt एक हो सकट (गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत) हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

रािशनाथ िवlऽिप िम2व वाशनाथयो िववाह कारयद धीमान दप2यो सौ^यवध)नम

एकराशौ पथक िध_ampय पथ5ाशौ तथकभ गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत

6 गणकट -

गणकट का सबध नlt स ह अिEनी मगिशरा पनव)स प_य ह-त -वाती अनराधा Bवण रवती नlt दवगण म आत ह भरणी रोिहणी आरा तीन उ9रा तीन पवा) मन_यगण म आत ह कि9का आ`षा मघा िचा िवशाखा aयDा मल धिनDा शतिभषा राltसगण म आत ह एक ही गण क नlt वाल वर-कया का िववाह शभ माना जाता ह दव व मन_यगण क नlt वाल वर-कया का िववाह भी कछ शाकार न शभ माना ह दव व राltसगण तथा मन_य व राltस गण वाल क िववाह अशभ होत ह वर-कया क नlt क गण पर-पर Tमश दव-दव मन_य-मन_य मन_य-दव राltस-राltस हो तो छ (6) गण िमलत ह वर-कया नlt क गण दव-मन_य हो तो पाच (5) गण िमलत ह यिद वर-कया क नlt क गण दव-राltस हो तो एक (1) गण िमलता ह यिद वर-कया क नlt क गण पर-पर Tमश मन_य-राltस राltस-दव राltस-मन_य हो तो शय (0) गण िमलत ह

गणदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो सकट हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

200

सYकट योिनशिU हसZय गण)यम

एवकतमसYाव नारी रampोगणा शभा

हम)ी च रािश6 िवWत िनयत यिद

न गणाभावजिनत दषण याि9रोधदम

7 भकट

इस रािशकट भी कहत ह यह तीन कार का होता ह- 1 िदा)दश 2 नवम-पचम 3 षड(क वर क रािश कया क रािश स अथवा कया क रािश वर क रािश स ितीय ादश हो तो िदा)दश रािशकट दोष होता ह नवम व पचम हो तो नवम-पचम रािशकट दोष होता ह षD या अ(म होन पर षड(क रािशकट दोष होता ह इन तीन ि-थितय म रािशकट का गण शय (0) होता ह रािशकट दोष न होन पर रािशकट क गण सात (7) होत ह रािशकट दोष क अभाव को सकट कहा जाता ह

भकट दोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क नवाशश मी अथवा एकता हो दोन क रािशया िभन और नlt एक हो सकट (गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत) हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह तीन भकट म षड(क सबस अिधक दोषकारक माना गया ह इसक ऊपर जो प]रहार बतलाए गय ह उनम स िकसी एक प]रहार क साथ वHयशि तथा ताराशि म स कोई एक भी ा हो जाए तो षड(क का प]रहार उ9म माना जाता ह

वगवर योिनवर गणवर नदरक द$कटफल सव[ हमया िवनRयित

201

8 नाड़ीकट

नािडय़ा तीन कार क होती ह - 1 आिद 2 मVय 3 अ2य अिEनी आरा पनव)स उफा ह-त aयDा मल शतिभषा पवा)भापद नlt आिदनाड़ी क भरणी मगिशरा प_य पफा िचा अनराधा पवा)षाढ़ा धिनDा उ9राभापद मVयनाड़ी क कि9का रोिहणी आ`षा मघा -वाती िवशाखा उ9राषाढ़ा Bवण व रवती अ2यनाड़ी क अतग)त आत ह वर-कया क नlt एक ही नाड़ी क ह तो नाड़ीदोष होता ह नाड़ी एक होन पर शय (0) गण िमलत ह एव िभन नाड़ी म आठ (8) गण िमलत ह

एकनाड़ीिववाह6 गण सव] समिवत

वजनीय यनन दQपयोिनधन यत

नाड़ीदोष का प]रहार - वर-कया क रािश एक हो और नlt िभन ह नlt एक हो और चरण िभन ह नlt एक हो और रािशया िभन ह पादवध न हो

एकराशौ पथिधBय पथाशौ तथक-भ

गण नाड़^ नदर च हवर न िचतयत

नamp)_य पादभद शभ यात

िववाह म मङगलयोग का िवचार तथा उसक प]रहार -

िववाह स-कार म वर-कया क जम कampडली म वण) वHय तारा 5हमी नाड़ी आिद अ(कट सबधी िवचार क बाद मङगिलक योग पर िवशष fप स िवचार िकया जाता ह मङगल रJ का कारक भी ह अत इसका िवचार तो करना ही चािहए Pयिक रJकारक 5ह ही दिषत होगा तो अशभ फल भी िमल सकता ह मङगलदोष का िवचार सामायत िन `ोक स िकया जाता ह

धन `यय च पाताल जािम) चा$म कज

भाया भत िवनाशाय भत6 Fीिवनाशनम - अग-2य सिहता

धन tयय च पाताल जािम चा(म कज

कया भत)िव)नाशाय भत) कया िवनHयित - मानसागरी

ल5 tयय चतथy च सम वा अ(म कज

202

भता)र नाशयद भाया) भता) भाया) िवनाशयत - बहत aयोितषसार

ल5 tयय च पाताल जािम चा(म कज

ीणा भत) िवनाश -यात पसा भाया) िवनHयित - भावदीिपका

ल5 tयय सख वािप सम वा अ(म कज

शभwयोगहीन च पित हित न सशयम - बह2पाराशर होराशा

ल5 tयय च पाताल जािम चा(म कज

कया भत)िव)नाशाय भता) कयािवनाशक - महq2 त)स5हदप)ण

उपरोJ सभी `ोको का एक ही अथ) ह िक थम चतथ) सम अ(म या ादश भाव म यिद मङगल हो तो वध वर क िलए तथा वर वध क िलए हािनकारक होता ह

वस उपरोJ `ोको म कछ `ोक तक) सङगत नहS ह Pयिक उनम कया (कवारी कया) व भता) (शादी क बाद पlष क सgtा) का उAलख ह जो िक तक) समत नहS बठत ह Pयिक कवारी कया िववािहत पlष क िलए िकस कार स हािन द हो सकती ह Pयिक कोई भी माता-िपता अपनी कया का िववाह िववािहत पlष स नहS करग अत इन `ोक म शKदभद ह यहा हमन इनका उAलख िकया ह Pयिक बहbत स िवान महq2 त)स5हदप)ण का `ाक ही tयवहार म लात ह अय `ोक का उAलख नहS करत ह

िफर भी कछ `ोक तक) सगत ह Pयिक व भाया) व भता) क सgtा का उAलख कर रह ह अत उहS `ोक क मया)दा क रltा करत हbए हम यहा मङगलदोष क प]रहार का उAलख कर रह िजसस मर िवान बध मङगलयोग का पण) िवचार कर सक यहा तक हमन मङगलदोष क िवचार क बात कही परत चराचर जगत म 2यक दोष का प]रहार िमलता ह तो इसका भी अवHय होना चािहए अत हम यहा कछ ामािणक `ोक -तत कर रह ह

971 मगल दोष क प+रहार --

1 कजदोषवती दया कजदोषवत िकल

नाि-त दोषो न चािन( दप2यो सखवध)नम

मङगलदोष स यJ कया अथवा वर का िववाह मङगिलक कया अथवा वर स करन स मङगलदोष क क भाव समा होरक शभ फल क ाि होती ह

2 शिन भौमोऽथवा किhत पापो वा ताwशो भवत

त_वव भवन_वव भौमदोषिवनाशकत 1

- फिलत स5ह

भौमन सwशो भौम पापो वा ताwशो भवत

203

िववाह शभद ोJिhराय पपौद 2

भौमतAयो यदा भौम पापो वा ताwशो भवत

उाह शभद ोJिhराय पवध)न 3 - aयोितष त2 2 व

वर अथवा वध क कampडली म िजस -थान म मङगल ि-थत हो उसी -थान म वध अथवा वर क कampडली म शिन मङगल सय) राहb आिद कोई पाप5ह ि-थत हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 1

एक क कampडली म मङगलदोष हो तथा दसर क कampडली म उसी -थान म शिन आिद पाप5ह हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह तथा िववाह मङगलकारी होता ह 2

यिद वर-कया दोन का मङगल समान ि-थित म हो या कोई अय पाप5ह मङगल क समान उसी भाव म ि-थत हो तो िववाह मङगलकारी होता ह 3

3 अज ल5 tयय चाप पाताल विhक कज

Fन मग किक) चा(ौ भौमदोषो न िवFत 1 - महq2 त) पा]रजात

Fन मीन घट चा(ौ भौमदोषो न िवFत 2

मष रािश का मङगल ल5 म विhक रािश का चतथ) भाव म मकर रािश का सम भाव म कक) रािश का मङगल आठव भाव म तथा धन रािश का मङगल ादश भाव म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 1

मीन रािश का मङगल सम भाव म तथा कभ रािश का मङगल अ(मभाव म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 2

4 न मङगली चभग ितीय न मङगली पHयित य-य जीवो

न मङगली कगत च राहb न मङगली मङगलराहbयोग - म दीपक

यिद ितीय भाव म च-शT का योग हो या मङगल गl ारा w( हो क भाव-थ राहb हो अथवा क म राहb व मङगल का योग हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

5 सबल गरौ भगौ वा ल5 Fनऽथवा भौम

वT नीचा]रगह-थ वाऽ-त न कजदोष - महq2 त) दीपक

बलयJ गl या शT ल5 म हो तो वT नीच-थ अ-तङगत अथवा शओ स यJ मङगल होन पर भी मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

6 ककोण शभाढय च िषडायऽयसद5हा

तदा भौम-य दोषो न मदन मदप-तथा - महq2 त) िचतामिण

204

क व िकोण म यिद शभ 5ह हो तथा ततीय षD एकादश भाव म पाप 5ह हो तथा सम भाव का -वामी सम म ही हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

7 तनधनसखमदनायला)भtययग कज-त दाप2यम

िवघटयित तद गहशो न िवघटयित तङगिमगह वा

- म िच

यFिप थम ितीय चतथ) सम अ(म एकादश व ादश भाव म ि-थत मगल वर-वध क ववािहक जीवन म िवघटन उ2पन करता ह परत यिद मगल -वगही हो उkच-थ (मकर रािश) या िमlt म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

8 रािशम यदा याित गणPय वा यदा भवत

अथवा गणबाहbAय भौमदोषो न िवFत - महq2 त) दीपक

यिद वर-कया क कampडिलय म पर-पर रािशमी हो गणPय हो 27 या इसस अिधक गण िमल तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

वर-कया क कampडली म मङगलदोष एव उसक प]रहार का िनण)य अ2यत िववकपव)क करना चािहए मा 1 4 7 8 12 म मगल को दखकर दाप2य जीवन क सख दख का िनण)य नहS करना चािहए जहा मगल हो उहS भाव म यिद कोई अय Tर 5ह भी 1 2 7 12 भाव म हो तो वह भी पा]रवा]रक एव ववािहक जीवन क िलए अिन(कारक होता ह

यथा- ल 2रा `यय 2रा धन 2रा कजतथा

सLम भवन 2रा प+रवारampयङकरा - महb तसह दपण

मङगलदोष का िनण)य कampडली िवशष म सभी 5ह क पार-प]रक अनशीलन क पhात ही करना चािहए सभी ल5कampडिलय म मङगलदोष का भाव एक जसा नहS होता ह इसम तो कोई सदह नहS िक कछ ल5 कampडिलय म मङगलदोष का अशभ थाव वर-वध क ववािहक जीवन पर पड़ता ह परत यिद िकसी कampडली म मङगल अय 5ह क साहचय) स योगकारक हो उkच-थ या -वरािशगत हो अथवा शभ 5ह क wि( स भािवत हो तो मङगल का शभ फल िमलता ह जस मकर मष विhक िसह धन व मीन रािश का मङगल शभफलदायी होता ह तथा कक) व िसह ल5 म मङगल किकोणपित होन स मङगल शभ होकर योगकारक माना जाएगा

यथा- सवc ि)कोणनतारो हा शभफलदा

वोdचिथत शभफल करोित पणम

नीचeषगत िवफल +रपमिदरऽgपम - सारावली

भावा सवc शभपितयता वीिampता वा शभश

205

तGYावा सकलफलदा पापhयोगहीना

अत वर-कया क कampडिलय का िमलान करत समय उनक सखी एव सपन जीवन क िलए मङगल पर ही अ2यिधक बल न दत हbए मलापक सबधी अय त2व का भी सवा)ङग fप स िववचन करना चािहए िजनम कछ म य त2 2 व िनिलिखत ह

चिलत भाव कampडली - जो 5ह भावमVय होत ह वह भाव का पण) फल दत ह जो 5ह भावसिध म होत ह व शय फल दत ह उसी क अनसार वर-कया क कampडिलय का िमलान करत समय दोन क कampडिलय क 5ह -प( भाव -प( एव चिलत भाव कampडली बनी होनी चािहए तभी मङगलदोष क ि-थित -प( हो सकती ह यिद दोन क कampडिलय म मगल सिधगत हो तथा मङगलीयोग द भाव स अित]रJ भाव म हो तो भी मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

अय प]रहार - समभाव या समश या शभ एव योगकारक 5ह क ि-थित अथवा मङगल या समभाव पर गl या शT क wि( हो अथवा समश 5ह क -वगही wि( होन स मङगलदोष का भाव ltीण हो जाता ह इस ि-थित म धािम)क अनDान भी करवान चािहए

शभ योग - समश 5ह उkच-थ या -विमािद क रािश म होकर क िकोणािद भाव म ि-थत हो तो िववाह म मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

अशभ योग - यिद समश िक म हो पाप5हयJ व पापw( नीचरािशगत अथवा अ-तङगत हो तो िववाह का पण) सख नहS िमलता ह यथा -

द-थ कामपतौ त पाप5हग पापिltत तFत तaजाया भवन-य मVयमफल सवn शभ चायथा

ल5श ितीयश पचमश अ(मश समश एव च शT गl मगलािद 5ह क बलाबल का िवचार करना भी िनतात आवHयक होता ह

उपरोJ िवषय पर अVययन हमन इसीिलए िकया ह Pयिक वत)मान म समाज म मङगलदोष क िवषय म कई कार क ाितया फल रही ह बहbत स लोग मङगलदोष का िवशद अVययन नहS करक कवल एक योगमा स लोग क मन म भय उ2पन करत रहत ह िजसस aयोितष का अपयश होता ह

नोट - यिद आप मङगलदोष का प]रहार कर रह ह तो मङगल क िनिम9 पजा-पाठ भी करवाय तो शभफल म विX ही होगी

98 िववाह का िनणय करत समय बहपित का िवचार कर या नहlt

िववाह म कया हत बह-पित का िवचार िकया जाय या नहS इस िवषय म सभी पिampडत एकमत नहS ह अत हम यहा हम सभी तय पर िवचार करत हbए िन_कष) िनकालन का यास करग शा म कया क रजोधम) योय होन क पिहल ही िववाह का िवधान बताया गया ह लिकन य सब बात तब क ह जब य सभी बात तक) सङगत थी Pयिक पहल बाAयकाल म िववाह होन क बाद भी गौना लड़क-लड़क क

206

यवा (वय-क) होन पर ही होता था अथा)त जब कया यवा (वय-क) हो जाय तभी वह पित क साथ रहन तथा सासा]रक धम) म व9 होन क योय होती थी

शा म रजोधम) क योय होन क पिहल कया का िववाह करन का िवधान ह उस समय कया क िववाह म गlशिX परम आवHयक थी

अ$वषा भवiौरी नवम रोिहणी भवत

दशम कयका ोjा 9ादश वषली मता - aयोितिन)बध

अथा)त आठ वष) क गौरीrsquo नौ वष) क रोिहणीrsquo दस वष) क कयासgtकrsquo तथा तदनतर ादशािद वषv क कया वषलीrsquo अथा)त रज-वला सgtक होती ह

गौरी िववािहता सौ^यसपना -या2पितता रोिहणी धनधायािदपाढया सभगा भवत

कयािववािहता सप2समXा -वािमपिजता - पीयषधारा

अथा)त आठ नौ तथा दसवष) क कया का िववाह ही शा म शभ माना गया ह

परत वत)मान म उपरोJ बात tयवहा]रक नहS ह Pयिक यिद हम बालिववाह करत ह तो अब न व मानवीयमAय बच तो न ही हमारा कानन इसक अनमित दता ह यिद हम बालिववाह करत ह सप]रवार कारावास क िजदगी का अनभव करना पड़ सकता ह तथा आजकल तो बालिववाह करान वाल पिampडत जी को भी जल भजन का माण भारतीय दampड सिहता म ह

उपरोJ बात पर िवचार करन क बाद एक बात तो -प( ह िक यिद कया का िववाह 11 या 12 वष) क आय तक िकया जाय तब ही गlशिX क आवHयकता ह

यिद हम 11 या 12 वष) क बाद कया िववाह करत ह तो गlशिX क आवHयकता नही होती इसक िलए हम यहा कई माण द रह ह अब हम आशा ह बX िवान अपनी तक) शिJ का िवकास करत हbए गlशिX का ामािणक िनण)य कर सक ग

1 यिद कया क आय 11 या 12 वष) क हो तो गl क िनब)ल होन पर भी शाोJ बह-पित शाितrsquo तथा शकनािद िवचार क सपादन क साथ उसका िववाह ल5 िनधा)]रत कर

9ादशकादश वषc तया शिkन जायत

पजािभ शकनवािप तय ल दापयत - शीबोध

2 दस वष) स अिधक आय क कया रज-वला हो जान क कारण उसक गlशिX न दखकर च व तारािद बल का िवचार करना चािहए

दशवष`यित2ाता कया शिkिवविजता

तयातारदलाना शkौ पािणहो मत - tयासवचन

207

3 रजोदश)न क पhात गl शिX क आवHयकता नही ह आठव गl म िगिणत पजा करक िववाह कर सकत ह

रजवला यदा कया गlशिk न िचतयत

अ$मऽिप कत`यो िववाहिFगणाचनात - बह-पित

4 िकसी भी अव-था क कया को 4-8-12 गl होन पर भी िगिणत पजा करन पर िववाह म कोई दोष नहS होता ह

कयाeषादि9सतWनायनवम m8ो गl6ायथा

पMयोऽ$ायसखितकाल इहत ा िवरnय शभ - उाहत2 2 व

5 कया क उ सात वष) क हो जान क भी पाच वष) क बाद (12 वष)) उkच या -वरािश (कक) धन मीन) का अशभ गl भी शभ फलदायक होता ह

सLाoदापpचवषcष वोdचवeषगतो यिद

अशभोऽिप शभ दWाdछभदeषष िक पन - aयोितिन)बध

6 गौरी सgtक कया को गlबल रोिहणी का सय)बल कया को चबल तथा रज-वला को ल5बल क आवHयकता होती ह

दया गlबला गौरी रोिहणी भानमrला

कया च बला ाsा ततो लबलGरा

- महq2 त) गणपित

7 श िनषादािद चतथ) वणv क िलए गlशिX का िचतन अिनवाय) नहS ह

किचदाह4गरो शिkनावया गणकोGम

िववाह वयादीना चBडालाना च पgकसाम - aयोितिन)बध

िनकष - उपरोJ िवषय पर -तत माण क आधार पर यह -प( ह िक वत)मान काल म गlशिX क

आवHयकता नहS ह

अत कया रज-वला हो जाय तो गlशिX का िवचार नही करना चािहए यिद मािसक धम) ारभ होन क पव) ही िववाह करना हो तो गlशिX क आवHयकता ह

208

99 क0या क िववाह म= िवलgtबदोष का पampरहार

िकसी शभिदन म वर ाि क िलए कया -नानािद स िनव9 होकर ात काल कमलबीज क माला स Bीगणशजी क म (ऊ Bीगणशाय नम) क एक माला जप कर गणशजी का Vयान कर िफर गौरी और शङकर का Vयान करती हbई -

ऊ यQबक यजामह सगिध पितवदनम

उtवाl किमव बधनािदतो मampीय मामत वाहाrsquolsquo

ितिदन उपरोJ -वाहा रिहत म क एक माला का अवHय जाप कर हर रिववार क िदन जाप क बाद ात दशी घी म फक फिAलय को िभगोकर aविलत अिन म 108 आहbितया दव म क साथ -वाहा का उkचारण भी अवHय कर Bी िशव पाव)ती और गणशजी का िच हो तो सामन अवHय रख अथवा मानिसक Vयान भी लाभकारी होगा

जप व हवन क बाद ाथना -

ऊ कायायिन महामाय महायोिगयधीuरी

नदगोपसत दवी पित दिह मनोरममrsquolsquo

यह अनDान कया अपन िववाह क नव5ह शाित तक करती रह कया क माता िपता भी Bीगणशजी क 21-21 माला का जाप कर सवा लlt जाप होन पर अपन तोल क बराबर हरा घास भसा खल प9री जौ का दाला चन आिद को गौओ को डाल िदया कर पिltय को ितिदन चावल बाजरा आिद भी डालत रह

अथवा

कया ह]रा (हAदी) क माला स िनिलिखत म क ितिदन पाच माला का जाप िववाह क नव5ह शाित तक कर -

ऊ ह गौ+र शङकराधाङगी यथा व शङकरिया

तथा मा कl कgयािण कातकाता सदलमामrsquolsquo

उपरोJ अनDान क साथ िनिलिखत रामच]रतमानस क चौपाईय का पाठ भी िन2य ितिदन िववाह क नव5ह शाित तक करना चािहए -

जय जय िग]रबरराज िकसो]र जय महस मख चद चकोरी

जय गजबदन षडानन माता जगत जनिन दािमनी दित गाता

निह तव आिद मVय अवसाना अिमत भाउ बद निह जाना

भव भव िवभव पराभव का]रनी िब-व िबमोिहनी -वबस िबहा]रनी

209

पितदवता सतीय महb मात थम तब रख

मिहमा अिमत न सकिह किह सहस सारदा सष

सवत तोिह सलभ फल चा]र बरदायनी परा]र िपआरी

दिब पिज पद कमल तहार सर नर मिन सब होिह सखार

मोर मनोरथ जानहb नीक बसहb सदा उर पर सबहS क

कहउ गट न कारन तहS अस किह चरन गह बदहS

िबनय म बस भई भवानी खसी माल मरित मसकानी

सादर िसय साद िसर धरऊ बोली गौ]र हरष िहय भरऊ

सन िसय स2य असीस हमारी पिजिह मनकामना तहारी

नारद बचन सदा सिच साचा सो बl िमिलिह जािह मन राचा

मन जािह राचउ िमिलिह सो बl सहज सदर सावरो

कlना िनधान सजान सील सनहb जानत रावरो

एिह भाित गौ]र असीस सिन िसय सिहत िहय हरषी अली

तलसी भवानीिह पिज पिन पिन मिदत मन मिदर चली

जािन गौ]र अनकल िसय िहय हरष न जाइ किह

मजल मगल मल बाम अग फरकन लग

(रामच]रतमानस 1-235-5 स 236 तक)

कया क िववाह हत अय िसX म -

ऊ यबक यजामह सगिध पितवदनम

उवाlकिमव बधनािदतो मltीय मामत 1

दिह सौभायम आरोय दिह म परम सखम

fप दिह जय दिह यशो दिह िषो जिह 2

ऊ दवामिण नम-तLय दवि यभािमनी

िववाह भायम आरोय शीलाभ च दिह म 3

ऊ श शकराय सकलजमािज)तपापिवVवसनाय

पlषाथ)चत(यलाभाय च पित दिह कl कl -वाहा 4

210

पlष क िववाह हत िसk म) -

प2नS मनोरमा दिह मनोव9ानसा]रणीम

ता]रणS दग)ससारसागर-य कलोवाम 1 (दगा)सशती)

स दिव िन2य प]रतयमान-2वामव सीत2यिभभाषमाणः

धततो राजसतो महा2मा तवव लाभाय कत य2नः

(वाAमीिक रामायण सदरकाampड)

910 मलापक साampरणी क योग हत आवयक िनदश

सा]रणी क कोDक क ऊपरी भाग म गण ह तथा नीच क भाग म दोष ह िजनक पहचान क िचp ह - गणदोष (1) वरयोिन (2) नाडीदोष (3) िदा)दश (4) नवमपचम (5) षड(क (6) जहा दोष का थोड़ा प]रहार ह वहा (-) जहा परा िनवा)ह ह वहा (x +) का िचp ह जहा वर क पव) वध का नlt ह वहा महादोष (0) माना ह दोषहीन कोDक म कवल गण ह 1-18 तक गण न( 19-27 मVयम व 27-36 BD होत ह

नोट - उपरोJ दोष क प]रहार हत आग िदया गया फिलत म परमोपयोगी 5ह-w(यािद चT क सहायता स 5ह क मी चT का अवलोकन करत हbए आप सरलता स दोष प]रहार कर सकत ह यिद रािश -वमी मी हो तो भी दोषप]रहार हो जाता ह अय प]रि-थितय का भी िवचार कर लना चािहए

जम कBडली िमलान का उदाहरण - szlig Uacute U middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave szlig Š aeligecirc middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave

वर का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

रिव 05101984 1035 ात जयपर राज-थान

जमनlt - धिनDा - थम चरण रािश - मकर रािश-वामी - शिन

कया का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

पजा 05111983 0455 ात काल कोटा राज-थान

जमनlt - -वाती - चतथ) चरण रािश - तला रािश-वामी - शT

211

अ$कट िमलान गण-तािलका

कट वर कया दोष अिधकतम ााङक lt

वण) वHय िव - 1 1 जातीय कम)

वHय जलचर जलचर - 2 frac12 -वभाव

तारा 2य]र साधक - 3 3 भाय

योिन िसह माजा)र - 4 1 यौन-िवचार

5हमी शिन च - 5 5 आपसी-सबध

गण राltस राltस - 6 1 सामािजकता

भकट मकर कक) - 7 7 जीवन-शली

नाड़ी मVय अ2य - 8 8 आयसतान

कल - - - 36 26frac12 -

िमलान-िवH लषण - रिव का वग) माजा)र ह पजा का वग) माजा)र ह इन दोन म समता ह अ(कट तािलका म वण) स लकर नाड़ी तक िकसी क भी गण शय नहS आय ह अत अ(कट िमलान िनद[ष ह

मगल िवचार - रिव माङगिलक नहS ह Pयिक कampड़ली म मङगल 1-4-7-8-12 म ि-थत नहS ह मङगल रिव क कampड़ली म ितीय भाव म ि-थत ह

पजा मङगिलक ह Pयिक पजा क कampड़ली म मङगल ादश भाव म ि-थत ह

मङगल दोष प]रहार - फिलत स5ह एव aयोितष दप)ण क अनसार यिद वर-कया क कampड़ली म स कोई एक मङगलदोष स पीिडत हो तथा दसर क कampड़ली म 1-4-7-8-12 भाव म मङगल अथवा अय कोई पाप5ह ि-थत हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह यथा -

शिन भौमोऽथवा किhत पापो वा ताwशो भवत

त_वव भवन_वव भौमदोषिवनाशकत 1 - फिलत स5ह

भौमन सwशो भौम पापो वा ताwशो भवत

िववाह शभद ोJिhराय पपौद 2

भौमतAयो यदा भौम पापो वा ताwशो भवत

उाह शभद ोJिhराय पवध)न 3 - aयोितष त2 2 व

िन_कष) - अ(कट िमलान िनद[ष ह तथा मङगलदोष का भी प]रहार हो रहा ह अत सबध BD ह

212

911 साराश

कampड़ली का सातवा भाव िववाह प2नी ससराल भागीदारी का कहा गया ह िववाह एक स-कार ह जो सतान परपरा को अltampण रखन तथा आ2मसयम एव पार-प]रक सहयोग ारा जीवन म आLयदय ाि हत ी-पlष को एक स म बाधता ह अत इसी प]र Cय म aयोितष ारा ारा कampड़ली म िववाह योग तथा िववाह िमलान हत ाय माता-िपता को आत दखा गया ह िववाह स सदभ) म कारक 5ह शT गl और मङगल को कहा गया ह सम समश का शभ सबध इन 5ह स कampड़ली म सखी ववािहक जीवन क सचना दता ह

भारतीय परपरा क अनसार सखी और समX दाप2य क िलए िविधवत वर-कया का चयन मलापक ारा िकया जाता ह इसक िलए वर-वध क जम-नlt क आधार पर अ(कट गण िमलान करन क िविध शा ारा िनदyिशत ह अत इस इकाई क माVयम स िववाह पर समीचीन gtान का सचार सभी म हो सकता ह

912 श दावली

bull दवgt = दवताओ क िवषय क gtाता

bull आBम = ~चय) गह-थ वान -थ सयास

bull मलापक = कampड़ली व अ(कट िमलान

bull प]रहार = दोष क िनवि9

bull रािशमी = रािश -वािमय क िमता

bull अ(कट = 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन

5 राशीशमी 6 गण

7 भकट 8 नाड़ी

bull वषली = मािसक-धम) ा कया

913 अित लघ+रामक

1 िववाह क tया^या किजए

उ9र िव = िवशष वाह = वहन करना अथा)त िवशषfप स वहन करन योय सबध को िववाह कहत ह

2 जमकampड़ली म िववाह सबधी B िकस भाव स दखा जायगा

213

उ9र िववाह का कारक भाव सम भाव को कहा जाता ह

3 िववाह क सदभ) म कampड़ली िमलान का Pया मह|व ह

उ9र वर-कया क िवशषता एव अवगण का दाप2य जीवन क आचरण का िवचार कampड़ली िमलान स ही होता ह

4 अ(कट गण िमलान िकस कहत ह

उ9र जम नlt ारा मलापक को अ(कट गण िमलान कहत ह

5 मलापक रह-य को िकन चार वगv म िवभािजत िकया गया ह

उ9र ल5 मलापक 5ह मलापक भाव मलापक एव नlt मलापक

6 कampड़ली िमलान क सदभ) म कौन सा मलापक सवा)िधक चिलत ह

उ9र नlt मलापक ही सवा)िधक चिलत ह

7 वर-कया म िकसी एक क अि5 त2 2 व क ल5रािश ह तो दसर पlt क कौनसी रािश अनकल होगी

उ9र दसर पlt क िलए अि5 तथा वाय त2 2 व ल5 को अनकलता दान करगी

8 अ(कट गण िमलान म कौनस आठ त2 2 व बताय गय ह

उ9र 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन 5 राशीशमी 6 गण 7 भकट 8 नाड़ी

9 अ(कट गण िमलान म कल िकतन गणाङक बताय गय ह

उ9र अिधकतम 36 गण िमलान क ााङक होत ह

10 मङगिलक का िवचार िकन भाव स िकया जाता ह

उ9र मङगिलक का िवचार ल5 चतथ) सम अ(म एव ादश भाव म मङगल क ि-थत होन पर िकया जाता ह

914 लघ+रामक

1 ल5ािद ादश भाव का िववाह पर भाव बताईय

2 जमकampड़ली म िववाह हत शभ योग का वण)न किजय

3 िववाह हत जमपी िमलान का Pया मह|व ह

4 मङगिलक दोष Pया होता ह एव कampड़ली िमलान म उसका Pया भाव ह सप]रहार िववचना किजय

214

5 नीच िदय गय जमाङग क आधार पर अ(कट िमलान पर काश डािलय

वर का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

िवकास 22031975 0700 ात दहली भारत

जमनlt - पनव)स - थम चरण रािश - िमथन रािश-वामी - बध

कया का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

पित) 30111977 0650 साय काल आगरा उ9र दश

जमनlt - प_य - ितीय चरण रािश - कक) रािश-वामी - च

szlig Uacute U middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave szlig Š aeligecirc middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave

915 स0दभ 130थ

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक Bी सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

3 िववाह-स-कार ितीय स-करण

सपादक डॉ रिव शमा)

काशक हसा काशन जयपर

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इकाई 10

िविभ न योग ndash राजयोग गजकशरीयोगसर वती

योग नीचभड़ग योग महाल मी योग इकाई क परखा

100 - तावना 101 उGH य 102 िवषय वश 1021 योग का बल एव योग म कमी 1022 पk च महापfष योग 1023 सय) स बनन वाल योग 1024 च स बनन वाल कछ योग 1025 अ य राजयोग सर- वती योग एव िविभ न राजयोग 1026 िवपरीत राजयोग तथा राजभग योग िवचार 103 साराश 104 बोध H न 105 शK दावली 106 सदभ) 5थ सची

100 तावना

a योितष शा- स सब िधत यह 10 वS इकाई हा इस इकाई का चयन यहा पर िवशष fप स िकया गया ह इस ससार म जो भी ाणी ह व सभी फल क इk छा रखत हbए कोई भी काय) करत ह पर त यहा पर योग क अनसार बताया गया िक िकस योग म उ2 प न होन पर कोनसा फल ा त होगा ऋिष परासर न योग क सदभ) म एक िवशष धारणा दी क क एक 1 4 7 10 िकोण 1 9 5 का - वामी एक ही 5ह होन पर 5ह योग कारक हो जाता ह इस कार उ हन 5ह को ही नहS अिपत भाव क यित सबध को भी मा यता भी ह मानव जीवन क लाभाथ) और भी उk च कोिट क योग का वण)न िकया गया ह जस पचमहापfष योग इस योग क अ तग)त lsquorsquoसचकrsquorsquo नामक योग सव) थम बनता ह िजसम t यिJ 70 वष) क अव- था तक सख भोगता ह अ य योग भी इसम बनत जो मानव जीवन को काफ हद तक लाभ

229

पहbचात ह ठीक इसी कार इस इकाई म राजभamp ड योग का भी वण)न िकया गया इसम मानव जीवन भी काफ भािवत होता ह इसका िनदान करन पर लाभ ा त होता ह

101 उ य

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग - 1 सव) थम आप योग क बल क बार म जानकारी पायग

2 योग म कमी एव योग क अिधक बल तथा योग और राहb कत क बार म जानग 3 उदाहरण सिहत पचमहापfष योग क पण)तया fप स gtान ा त करग 4 सय) 5ह स बनन वाल कछ योग भी जानग 5 अ य योग क जानकारी भी ा त करग 6 शभ वसी शभवासी योग उभयचारी यो क जानकारी ा त करग 7 च 5ह क अनसार उ2 प न योग अनफा सनफा कमम Bीकठ Bीनाथ तथा गजकशरी योग को उदाहरण सिहत जान पायग 8 राजयोग का शाK दीक अथ) तथा राजयोग क िवभाग क जानकारी ा त करग 9 राजयोग को िविभ न - तर पर जानग 10 चार 5ह उk च होन पर एव तीन 5ह उk च क इनम स एक 5ह ल न म ि-थत होन स उ2 प न राजयोग क जानकारी ा त करग 11 सर- वती योग लC मी योग तथा कलानीिध योग जानग 12 साथ ही धन योग महाभा य योग तथा नीच भग राज योग क जानकारी ा त करग 13 िवप]रत राजयोग उदाहरण सिहत जानग 14 साथ ही पण)तया fप स राजभग योग क जानकारी ा त करग

102 िवषय वश

जम-पिका म िकहS दो या दो स अिधक 5ह क पर-पर सबध को िवशष फल दन वाला माना गया ह 5ह क पर-पर सबध स ता2पय) चतिव)ध सबध स ह यह चार कार का सबध 5ह क पर-पर यित प]रवत)न wि( तथा िविश( भाव म ि-थित स ह सामायतया योग का अथ) यित स ह परत aयोितष म यित स िभन अय सबध को भी योग क Bणी म रखा गया ह चतिव)ध सबध कािधपितय अथवा िकोणािधपितय म हो तो BD फल दन वाला होता ह ऐसी मायता ह

जम-पिका म योग होन पर 5ह अपन सामाय गण क अपltा अित]रJ फल दत ह जो सामायतया नहS दत

उदाहरणाथ) - सय) यश क नसिग)क कारक ह तथा बध ितभा क सय) व बध क यित बधािद2य योग बनाती ह िजस tयिJ क जम-पिका म बधािद2य योग होता ह उसक काय) णाली भी िवशष होती

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ह तथा िकसी िवषय िवशष का िवशषgt होता ह यह यित िजतनी शभ होगी उतनी अिधक िवशषgtता tयिJ को ा होगी यह िवशषgtता िकसी एक 5ह िवशष क कारण नहS होगी अिपत बधािद2य योग क कारण होगी

उपय)J विण)त योग कवल एक उदाहरण मा ह ऐस सकड़ हजार योग व शा म विण)त ह

योग क अतग)त 5ह अपन मौिलक गण को छोड़कर या उन गण क सीमा स बाहर जाकर िवशष प]रणाम दत ह

इस ऐस समझ सकत ह िक िजस कार रसायन शा म त2व क यम स िमBण बनता ह वह िविश( गण रखता ह जस- हाइोजन व ऑPसीजन क योग स जल बनता ह

ऋिष पाराशर न योग क सदभ) म एक िवशष धारणा दी िक क-िकोण का -वामी एक ही 5ह होन पर 5ह योगकारक हो जाता ह इस कार उहन 5ह को ही नहS अिपत भाव क यित सबध को भी मायता दी

योग का बल

योग कब बली होत ह इस सबध म िविभन िवान न ऋिष पाराशर क िदए िनयम पर मतPय रखा ह िक जब क-िकोण क -वामी आपस म सबध कर तो िवशष प]रणाम दत ह

अपवाद-1 - इस सबध म एक अपवाद पर Vयान िदया जाना आवHयक ह जब सय) क यित स कोई 5ह योग बनाता ह तो सय) क िनकटता क आधार पर योग बली हो जाता ह व 5ह उ2क( प]रणाम दत ह परत िनकटता ही 5ह को अ-तगत भी करती ह तथा प]रणाम क उ2क(ता म कमी ला दती ह 5ह क अ-तगत अश हम िपछली इकाईय म पढ़ चक ह

अपवाद - 2 - जब दो 5ह क यित स योग तो बन पर त दोन ही 5ह समान अश पर ि-थत ह तो 5ह क ऐसी अव-था उनक पर-पर यX क अव-था होगी और उस यX म िकसी एक 5ह को परािजत होना पड़गा अत परािजत 5ह क मौिलक गण म कमी आ जाती ह इसी कारण उस 5ह क भाव म कमी आएगी परत योग क िविश( फल भी ा हग

योग का अिधक बल

जब कampडली क योग कारक 5ह क उन भाव म ि-थित हो जो भाव BD कह गए ह तब व अिधक बली हो जात ह इस Tम म पहली ि-थित 5ह का क-िकोण म ि-थत होना ह

दसरी ि-थित 5ह का अपनी उkचरािश म ि-थत होना ह तीसरी ि-थित वह ह जब िकसी 5ह को अय 5ह क अपltा BD षडबल ा हो

231

योग म0 कमी -

1 जब िकसी जम-पिका म योगकारक 5ह द-थान म ि-थत ह तो 5ह क फल म कमी आ जाती ह

2 जब 5ह अपनी उkचािद रािश म ि-थत न हो

3 जब योग कारक 5ह अ-त हो

4 जब योग कारक 5ह का षडबल कम हो

5 जब 5ह अपनी नीच रािश म ि-थत हो

6 यिद योगकारक 5ह िषडयपित अथवा द-थान क -वामी स सबध -थािपत कर तो योग भग हो जाता ह

योग और राह4-कत

राहb तथा कत छाया5ह ह अत इनका भौितक अि-त2व नहS माना गया (यह तय हम 5ह क िव-तत िववचन म पढ़ चक ह) दोन ही 5ह को िकसी रािश िवशष का -वत -वािम2व ा नहS ह अत य िजस भी भाव म बठत ह या िजस भाव क -वामी क साथ बठत ह उसी स सबिधत फल दान करत ह यिद इनक ि-थित कािधपितय क साथ ह तो सम प]रणाम दत ह

यिद य िकोणािधपितय क साथ ि-थत ह तो शभ प]रणाम दत ह

िषडयपितय क साथ ि-थत ह तो उनक समान फल दत ह

पच महापlष योग

aयोितष योग क Tम म पचमहापlष योग Tमश मगल बध गl शT तथा शिन स बनत ह हम पढ़ चक ह िक जम-पिका म 5ह क िवशष ि-थित योग बनाती ह इस Tम म सव) थम पचमहापlष योग का अVययन करग

मगल बध बह-पित शT तथा शिन क जम-पिका क क -थान म -वरािश अथवा अपनी उkचरािश म ि-थित स Tमश lचक भ हस मालtय तथा शश योग बनता ह

उदाहरणाथ -

lचक योगफल - िकसी जम-पिका म मगल जब क म मष विhक अथवा मकर रािश म ि-थत

होत ह तो lचक योग बनता ह यह योग होन पर tयिJ अनशािसत साहसी ित- पधा)2 मक शिJ रखन वाला साहस स धनाज)न करन वाला अपन गण क कारण िसX होन वाला होता ह एव 70 वष) क अव- था तक सख भोगता ह ऐसा सामाय िनयम ह

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भ योग फल - िकसी जम-पिका म बध जब क म िमथन अथवा कया रािश म ि-थत होत ह तो

भ योग बनता ह

जम-पिका म भ योग होन पर tयिJ अ2यिधक बिXमान िवान tयिJय स शसा पान वाला वभवपण) जीवन वाला वाक व भाषण कला म िनपण होता ह शर क समान मख वाला गज क समान चलन वाला चौड़ी छोटी ल बा कदवाला मोटा होता हा ऐस tयिJ उkचािधकारी भी बनता ह

हस योग फल - िकसी जम-पिका म बह-पित जब क म धन मीन अथवा कक) रािश म ि-थत होत

ह तो हस योग बनता ह

जम-पिका म हस योग होन पर tयिJ सौय tयवहार स यJ सदर साि2वक िवचार वाला तथा अkछा भोजन खान-पीन का शौकन होता ह ऐस tयिJय क हाथ-पर म िवशष शभ िचह भी पाए जात ह

माल`य योग - िकसी जम-पिका म शT जब क म वषभ तला अथवा मीन रािश म ि-थत होत ह

तो मालt य योग बनता ह

233

मालtय योग होन पर tयिJ िवान सदव सन रहन वाला यश-वी िनरतर विX को ा करन वाला तथा धय)वान होता ह ऐस tयिJ को वाहन सख अिधक ा होता ह तथा जीवन म ी पlt स लाभ िमलता ह

शश योग - िकसी जम-पिका म शिन जब क म तला मकर अथवा कभ रािश म ि-थत होत ह तो

शश योग बनता ह

शश योग होन पर tयिJ भावशाली अय tयिJय स शसा पान वाला धनी व सखी होता ह ऐस tयिJ दसर tयिJय क शसा भी खब करत ह एव इसक आय 77 वष) क होती ह एव चनाव म शी सफलता िमलती ह

सय स बनन वाल कछ योग -

िकसी भी जम-पिका म सय) क ि-थित क आस-पास ि-थत 5ह स बनन वाल कछ योग िनन ह -

शभविस योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसस ितीय भाव म राहb-कत क अित]रJ कोई 5ह अथा)त मगल बध गl शT अथवा शिन ि-थत ह तो शभविस योग बनता ह उदाहरण -वfप यिद वषभ लन क जम-पिका म सय) िसह रािश म ि-थत ह तथा कया रािश म बध ह तो शभविस योग बनगा

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शभवािस योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म राहbकत क अित]रJ कोई अय 5ह ि-थत हो तो शभवािस योग बनता ह उदाहरण -वfप कभ लन क कampडली म यिद सय) धन रािश म ह तथा मगल विhक रािश म ह तो यह योग बनगा

उभयचरी योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसक दोन ओर अथा)त उसस ितीय व ादश भाव म कोई 5ह हो तो उभयचरी योग बनता ह उदाहरण -वfप तला लन क कampडली म यिद मकर रािश म सय) ह तथा धन रािश म बध व कभ रािश म शT ह तो उभयचरी योग बनता ह

च मा स बनन वाल कछ योग -

अनफा योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म सय) क अित]रJ कोई 5ह हो तथा उसस ितीय भाव म कोई 5ह न हो तो अनफा योग होता ह

योगफल - यह योग होन पर tयिJ समाज म ितिDत व शीलवान होता ह

सनफा योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म कोई 5ह ि-थत ना हो तथा ितीय भाव म कोई 5ह हो तो सनफा योग होता ह

योगफल - यह योग होन पर tयिJ बिXमान व धनवान होता ह तथा उसक बहbत ^याित होती ह

कमम योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ितीय तथा ादश भाव म यिद कोई 5ह न हो तो कमम योग होता ह

कमम योग अशभ योग क Bणी म आता ह इस द]र योग भी कहा जाता ह द]रता कवल धन क ही नहS अिपत ]रHत म कमी स भी मानी जा सकती ह

Bीकठ योग - िकसी जम-पिका म लनश सय) व चमा -वरािश िम अथवा उkच रािश म होकर क अथवा िकोण म ि-थत ह तो Bी कamp ठ योग होता ह

उदाहरण - मष लन क कampडली म सय) व मगल दोन अपनी उkच रािश म ि-थत ह मगल लनश भी ह तथा चमा -वरािश कक) म ि-थत होकर Bीकठ योग बना रह ह

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Bीनाथ योग - िकसी जम-पिका म भायश बध व शT िम क रािश -वरािश या उkच रािश म होकर क या िकोण म ि-थत ह तो Bीनाथ योग बनता ह

गजकशरी योग - िकसी जम-पिका म बह-पित यिद चमा स क म ि-थत ह तथा शभ 5ह स w( या यत ह अथा)त कोई पाप या अशभ wि( बह-पित व चमा पर न हो तो गजकसरी योग होता ह इस योग म बह-पित यिद अपनी श या नीच रािश म नहS होन चािहए

गजकशरी योग होन पर tयिJ अkछा पद ा करता ह अनभव क आधार पर यिद दख तो यह धनदायी भी होता ह

राजयोग - राजयोग का शािKदक अथ) ह राजा स योग वत)मान प]र C य म राजा स ता2पय) सरकार तथा सरकार स जड़ उkचािधकारी जो -वत fप स िनण)य लन म सltम होत ह जस िक िकसी िजल का कलPटर या समकlt अय अिधकारी

राजयोग को म यत दो कार स दखा जाता ह

थम - िजनम राजा क शिJ का योग िकया जाए

ितीय - वह िजनम दampड का अिधकार शािमल हो

थम Bणी क राजयोग म इनकम टPस व सAस टPस अिधका]रय क गणना क जा सकती ह

तथा ितीय Bणी क राजयोग म यायाधीश आिद क गणना क जाती ह

वा-तव म राजयोग वही BD ह िजसम tयिJ को ltािधकार व दampडािधकार दोन ही िमल तथा वह िनबा)ध तथा -वत fप स अिधकार क िTयावयन कर सक

िवशष - िजस tयिJ क जम-पिका म राजयोग होता ह वह -वय पद का उपभोग करता ह तथा िजसक जम-पिका म राजयोग बािधत होता ह वह दसर क माVयम स शासन करता ह तथा स9ा का अिधकार नहS भोग पाता

इस Bणी म िनन tयिJय को रखा जा सकता ह

1 म यमी धानमी तथा बलाबल क आधार पर एसपीआिद

2 अमा2य महामा2य - डीसीपी एसडीएम आिद

3 राज भवनगामी - धानमी म यमी राaयपाल आिद क प]रवार क सद-य जो उन पर आिBत ह

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4 राजा क अिधकारी - अथा)त सरकारी िवभाग स जड़ tयिJ- कलPटर स लकर चपरासी तक इस Bणी म आत ह जो राजकोष स वतन पात ह

5 राजकपा पान वाल tयिJ - अपन उFोग क िलए ऋण ा करन वाल tयिJ या बक तथा सरकारी िव9ीय स-थाओ स िव9ीय सहायता ा करन वाल tयिJ

राजयोग को हम िभन-िभन -तर पर समझन का यास करग

1 सव) थम क तथा िकोण का सबध होन पर राजयोग बनता ह यह सबध चतिव)ध सबध म स िकसी भी कार स बन सकता ह

2 -वरािश म ि-थत 5ह बलवान हो जात ह

3 यिद जम-पिका म तीन या अिधक 5ह अपनी उkच रािश म ि-थत ह तो राजयोग क ि-थित बनती ह

4 जम-पिका क योगकारक 5ह यिद नवाश म भी अkछी ि-थित म ह तो फल म बढ़ो9री करत ह

5 वग[9म लन - िजस जम-पिका म जम लन व नवाश लन एक ही हो तो वह वग[9म लन कहS जाती ह

6 वग[9म 5ह - कोई भी 5ह जम-पिका म िजस रािश म ह यिद नवाश म भी उसी रािश म ि-थत हो तो वह 5ह वग[9म कहलाता ह

वग[9म लन तथा वग[9म 5ह को अ2यिधक बली माना गया ह राजयोग क सदभ) म एक मह2 2 वपण) भिमका इन दोन क भी होती ह

अय राजयोग - राजयोग म0 च मा क मह वपण भिमका होती ह

1 जम-पिका म यिद पltबली चमा ह तथा -वरािश या उkचरािश म ि-थत कोई अय 5ह उह पण) wि( स दख तो tयिJ िनन प]रवार म जम लन क बाद भी राजा क समान सख भोगता ह

2 जम-पिका म पिण)मा क चमा लन क अित]रJ िकसी क म ह तो उkच कोिट का राजयोग बनता ह

3 यिद क म शभ 5ह ह अथा)त पाप5ह न ह तथा पण) चमा िसह नवाश म ह तो राजयोग बनता ह

िवशष - राजयोगकारी 5ह यिद अ-त ह तो प]रणाम म कमी आ जाती ह अथा)त योग पण)त फिलत नहS होता 2यक लन क िलए क व िकोण क -वामी होन क कारण अलग-अलग 5ह राजयोगकारी होत ह

237

1 मष लन - मष लन क कampडली म चमा व सय) चतथ) व पचम भाव क -वामी होन क कारण योगकारक होत ह

2 वषभ लन - सय) व शिन योगकारक ह सय) चतथyश ह तथा शिन नवमश-दशमश जम-पिका म इनक क -िकोण म ि-थित तथा शभ 5ह स स ब ध होन पर राजयोग क पि( करता ह

3 िमथन लन - िमथन लन क जम-पिका म बध लन व चतथ) भाव क -वामी होन क कारण योगकारक ह

4 कक) लन - कक) लन क िलए चमा व मगल िवशष योगकारक होत ह चमा लनश ह तथा मगल पचमश व दशमश ह

5 िसह लन - िसह लन क िलए सय) व मगल योगकारक 5ह ह सय) लनश ह तथा मगल चतथyश व नवमश ह

6 कया लन - कया लन म बध लनश व दशमश ह अत योगकारी ह

7 तला लन - तला लन म शिन व चमा योगकारक ह शिन चतथyश व पचमश ह तथा चमा दशमश ह

8 विhक लन - विhक लन क िलए चमा व सय) योगकारक होत ह चमा नवमश ह तथा सय) दशमश होन क कारण योगकारक होत ह

9 धन लन - धन लन म बह-पित लनश तथा चतथyश होन क कारण योगकारक ह

10 मकर लन - मकर लन म शT योगकारक होत ह शT पचमश व दशमश ह

11 मीन लन - मीन लन क िलए बह-पित लनश व दशमश ह अत योगकारक ह

नोट ndash

1 योगकारक 5ह जब जम-पिका म बली ह शभ यत व w( ह शभ भाव म ह तभी फल दत ह

2 योगकारक 5ह उनक दशा अतद)शा आन पर ही फल दत ह

5ह क उkच या -वरािश म ि-थित क आधार पर बनन वाल राजयोग का वण)न िनन ह

1 चार 5ह उkच और उनम स एक 5ह ल5 म हो तो

िन राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म शिन तला म और मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म मगल मकर म और सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर म सय) मष म और गl कक) रािश म ह

238

times मगल मकर क ल5 म सय) मष म गl कक) म और शिन तला रािश म ह

2 तीन 5ह उkच म और उनम स एक ल5 म हो तो िनिलिखत राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म शिन तला म ह

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म मगल मकर म ह

times सय) मष रािश क ल5 म शिन तला म मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म और मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म सय) मष रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म मगल मकर रािश क सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर रािश म सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर रािश म गl कक) म ह

times शिन तला रािश क ल5 म गl कक) म सय) मष म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म सय) मष म गl कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म सय) मष रािश म शिन तला म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म शिन तला म गl कक) म ह

3 च कक) म दो 5ह उkच क और 5ह ल5 म हो तो िन राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म च कक) रािश म ह

times गl व च कक) रािश म ल5 म और सय) मष म ह

times सय) मष रािश क ल5 म च कक) म शिन तला रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म च कक) म सय) मष म ह

times सय) मष रािश क ल5 म च कक) म मगल मकर रािश म ह

1मगल मकर रािश क ल5 म च कक) म सय) म रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म च कक) रािश म शिन तला रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म च कक) म गl कक) रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म च कक) म मगल मकर रािश म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म च कक) म गl कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 मच कक) म शिन तला रािश म ह

239

times शिन तला रािश क ल5 मच कक) म मगल मकर रािश म ह

4 च कक) म एक 5ह उkच क ल5 म हो तो िन

राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म और च कक) रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म और च कक) म ह

times शिन तला रािश क ल5 म और च कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म और चमा कक) रािश म ह

सरवती योग

यिद बध बह-पित एव शT लन स क-िकोण या ितीय -थान म ह और बह-पित -वरािश िम रािश या उkच रािश म बलवान ह तो सर-वती योग होता ह

इस योग म जम tयिJ िवान नाटककार अkछ सािह2यकार एव कला म वीणहोत ह

लwमी योग

यिद भायश अपनी मल िकोण या उkच रािश म परमोkच होकर क म हो और लनश बली हो तो लCमी योग होता ह ऐसा tयिJ िवान यश-वी राजा स समािनत अनक कार क सख को भोगन वाला तथा सतान सख को ा करन वाला होता ह

भायश और लनश क महादशा िवशष फलदायक होती ह

कलािनिध योग

लन स ितीय म बध तथा शT स यJ या w( बह-पित ह या बह-पित बध या शT क रािश म ह तो कलािनिध योग होता ह इस योग म जमा tयिJ सदगण सपन राजाओ स समािनत एव अनक सख को ा करन वाला होता ह तथा वह ाय िनरोग व िनभ)य रहता ह

धन योग

1 लन का ितीय एव एकादश स सबध धन योग कारक माना जाता ह

2 यिद धनश-धन भाव म लाभश लाभ भाव म एव लनश-लन म ि-थत ह

3 धनश और लाभश -वरािश उkचरािश या िमरािश या लाभ म ि-थत ह

4 लाभश और धनश िम ह और लन म एक साथ ि-थत ह

5 लाभश धनश और लनश लन म ि-थत ह

6 चमा ितीय भाव म शT स w( ह तो tयिJ धनाढय होता ह

240

7 बध ितीय भाव म शभ 5ह स w(iuml ह तो tयिJ सदा धनवान रहता ह यिद धनश वT हो तो सब िदशाओ स लाभ करात ह

8 बध पचम भाव म -वरािश क ह च-मगल एकादश म ह तो धन योग होता ह

9 सय) लन म -वरािश क मगल और बह-पित स यत या w( ह तो धन योग होता ह

10 च -वरािश क लन म बह-पित-मगल स यत या w( ह तो धन योग होता ह

महाभाय योग

पlष क कampडली म िदन का जम हो सय) च एव लन िवषम रािश क ह ी क कampडली म राि का जम हो और सय) च एव लन सम रािशय म ह तो महाभाय योग होता ह इस योग म जम tयिJ सव) सख सपन एव महा भायशाली होत ह नीच भग राजयोग - िपछल अVयाय म हमन पढ़ा था िक नीच 5ह शभफल नहS दत परत यिद नीच

5ह का नीच भग हो जाता ह तो वही 5ह राजयोग कारक हो जाता ह

वही नीच5ह शभफल दाता हो जाता ह 5ह का नीचभग होन क ि-थि9या िनन ह -

1 नीच रािश का -वामी चमा स क म हो

2 नीच 5ह का उkचनाथ चमा स क म हो

यिद जम-पिका म उपरोJ दोन ही ि-थितया हो तभी 5ह का नीच भग होता ह इसको एक उदाहरण स समझत ह-

इस उदाहरण म सय) अपनी नीच रािश तला म ि-थत ह तला क -वामी शT चमा स दशम अथा)त क म ह अत शत) क पित) हbई नीच भग क िलए दसरी शत) यह ह िक नीच 5ह का उkच नाथ भी चमा स क म होना चािहए उkचनाथ का ता2पय) ह िक वह 5ह िजस रािश म उkच का होता ह उस रािश का -वामी हमार उदाहरण म नीच 5ह सय) ह तथा सय) मष रािश म उkच क होत ह िजसक -वामी मगल ह अत सय) क उkचनाथ मगल हग यहा मगल चमा स सम म अथा)तiuml क म ि-थत ह अत दोन शतv क पित) क कारण नीच भग राजयोग क ि-थित बनती ह उkचनाथ को समझन क

241

िलए हम एक और 5ह का उदाहरण लत ह मगल मकर रािश म उkच क होत ह अत मकर क -वामी शिन मगल क उkचनाथ हग

नीच भग क दसरी - थान थम ि-थित स िमलती जलती ह इस क अनसार नीच 5ह का -वामी एव नीच 5ह का उkचनाथ एक दसर स पर-पर क म ह

इस उदाहरण म सय) अपनी नीच रािश तला म ि-थत ह नीच रािश क -वामी ह शT तथा नीच 5ह सय) क उkचनाथ ह मगल अत शT एव मगल क एक दसर स क म ि-थत होन स नीच भग राजयोग बनगा यहा मगल एव शT पर-पर सम ह अत दोन क पर-पर क म होन क कारण नीच भग राजयोग बन रहा ह

नीच भग क तीसरी ि-थित यह ह िक िजस रािश म नीच 5ह ि-थत ह उस रािश का -वामी पण) wि( स नीच 5ह को दखता हो तो नीच भग राजयोग बनता ह यिद नीच 5ह 6812 म ि-थत ह तो नीच भग राजयोग कम बली होगा परत यिद इन द-थान क अित]रJ -थान पर होगा तो BD नीच भग राजयोग बनगा

उदाहरण क म नीच रािश तला क -वामी शT सय) स 480 ही दर रह सकत ह अतसय) का नीच भग

इस कार सभव नहS ह उदाहरण ख म मगल नीच रािश कक) म ि-थत ह कक) क -वामी चमा पण) wि( स नीच 5ह मगल पर wि(iumlपात कर रह ह अत मगल का नीच भग हो रहा ह

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चतथ) िनयम यह ह िक नीच रािश का -वामी अथवा नीच 5ह का उkचनाथ जम लन या च लन स क म हो तो नीच भग राजयोग बनता ह थम ि-थित म हमन पढ़ा था िक यिद दोन चमा स क म हग तभी नीच भग राजयोग बनगा जबिक इस ि-थित म दोन म स एक क भी जम लन या च लन स क म होन पर नीच भग बताया गया ह िविभन जमपिकाओ क अVययन स यह gtात होता ह िक इसस राजयोग क BDता का िनधा)रण होता ह

इस उदाहरण म सय) क उkचनाथ मगल न तो लन न ही च लन स क म ह परत रािशनाथ शT जम लन स क म ि-थत ह अत िनयमानसार 5ह का नीच भग हो रहा ह

ऐसा माना जाता ह िक नीचभग राजयोग साधारण Bणी क नहS होत इस राजयोग वाल tयिJ िवशष पराTम स अपना -थान बना पात ह यह योग -थायी कित क नहS होत तथा योग ा होन क बाद कछ वषv म उनका म भी हो सकता ह परत एक कampडली म कई तरह क राजयोग ह तो राजयोग क काल क विX हो सकती ह

ाय करक जो 5ह नीच रािश म ि-थत ह नीचभग राजयोग होन पर उस 5ह क महादशाकाल म िवशष फल क ाि होती ह यिद नीच का 5ह अ-त भी हो तब फल क ाि म अवHय किठनाई आती ह परत नीच क 5ह को यिद अय 5ह दख तो उसक फल म विX हो जाती ह

िवपरीत राजयोग -

िवपरीत राजयोग क सबध म उ9र कालामत एव फलदीिपका म कछ िभनता ह हम यहा दोन 5थ म विण)त िवपरीत राजयोग क चचा) करग

उ9र कालामत क रचनाकार क अनसार जमपिका क अ(iumlम भाव का -वामी यिद छठ या बारहव भाव म ह छठ भाव का -वामी यिद आठव या बारहव म हो बारहव भाव का -वामी यिद छठ या आठव भाव म हो और इन अ]र(iuml भाव क -वािमय का आपस म यित या wि(iuml सबध हो तथा अय भाव क -वािमय स यित या wि(iuml सबध नहS हो तो यश ितDा धन एव राजसख क ाि होती ह फलदीिपका म इस िवषय म कछ िभनता ह फलदीिपका क अनसार षDiuml अ(म व ादश भाव क

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-वामी आपस म -थान प]रवत)न कर तो यह योग बनता ह जस षDश अ(म भाव म तथा अ(मश षD भाव म हो इसी बात को मEर महाराज न फलदीिपका म योग क माVयम स tयJ िकया ह-

1 जमपिका का छठा भाव अशभ 5ह स यत या w(iuml हो तथा छठ भाव का -वामी द -थान (6 8 12) म ि-थत हो तो हष) योग होता ह िजसस जातक शजयी यश-वी सखी व सपन होता ह

2 अ(म भाव का -वामी 6 8 या 12व भाव म ि-थत हो तो सरल योग बनाता ह जो जातक को िव^यात धनवान आयवान िनभ)य िवFा एव अय सख सपदा स यJ बनाता ह

3 जमपिका म ादश भाव का -वामी 6 8 या 12व भाव म ि-थत होकर िवमल योग का िनमा)ण करता ह जो िक जातक को उ9म काय) करन वाला यश-वी लCमीवान लोकि य एव -वत िवचारधारा वाला बनाता ह उपरोJ रचनाकार क मतानसार यह -प( ह िक-

aयोितष म 6 8 व 12व को द-थान माना गया ह तथा aयोितष क िसXात क अनसार इन भाव क -वामी िजस भाव म बठ उन भाव क फल म कमी करत ह अथा)तiuml अशभ भाव क -वामी 5ह अशभ भाव म बठग तो उस भाव क अशभ फल क कमी करत ह अत िवपरीत राजयोग क पीछ यह तय ह िक एक अ]र( भाव का -वामी यिद दसर अ]र(iuml भाव म जाएगा या उसक भावश स सबध -थािपत करगा तो उस भाव क फल क हािन करगा और िजसक कारण भाव क अ]र(ता म कमी आ जाएगी जब कampडली म अशभ भाव एव भावश क अशभ फल म कमी आती ह तो कampडली क योग का -तर बढ़ जाता ह िजसक फल-वfप जातक जीवन म यश ^याित राaयपद एव सख धन इ2यािद ा करता ह

उदाहरण - िवपरीत राजयोग कampडली aयोितष क िनयमानसार अ]र( भाव क -वामी क अ]र( भाव म ि-थित तथा भावश स सबध हो तो अशभ फल म कमी आ जाती ह िजसक फल-वfप जमपिका क सामाय शभ योग भी अkछ फल दान करत ह

िवपरीत राजयोग क अय उदाहरण

इस कampडली म बारहव भाव क -वामी आठव भाव म बठ ह

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इस कampडली म आठव भाव क -वामी छठ भाव म बठ ह

इस कampडली म छठ भाव क -वामी बारहव भाव म बठ ह तथा आठव भाव क -वामी छठ भाव म बठ ह

इस कampडली म बारहव भाव क -वामी आठव म आठव क -वामी छठ म एव छठ क -वामी बारहव म बठकर तीन कार क िवपरीत राजयोग बना रह ह

राजभग -

5ह क कपा स एक ओर जहा tयिJ राजसख भोगता ह वहS दसरी ओर दसरा tयिJ महान क( म जीवन tयतीत करता ह

कई बार जमपिका म थम w(या 5ह ि-थित ऐसी िदखाई दती ह िक tयिJ राजा सखी एव सपन होगा परत होता इसक िवपरीत ह ऐसी कौन सी 5ह ि-थितया या योग ह जो दसरी ि-थित को जम दत ह उनका िव`षण करत ह

स-कत क आिदकिव कािलदास जी न उ9र कालामत म राजयोग भग होन क कछ योग का वण)न िकया ह

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नीचथा6 परािजतव+रगता पापिampता2ातयङ

मKयथानगता6 व2िवकलवभानससगगा

भाकतिथतखचरा6 िवबला ष ठा ट+र फािधपा

क ा धीuरकोणपuरयतातद योग भगदा

अथा)त नीच 5ह 5ह यX म परा-त श रािश म पाप5ह स यत w( पाप5ह मVय ि-थत वT 5ह स यत अ-त हbआ 5ह राहb स यJ भाव सिध म ि-थत सभी 5ह िनब)ल होत ह छठ आठव एव बारहव भाव क -वामी 5ह क तथा िकोण क -वािमय क यित स उ2पन शभता को उनक साथ ि-थत होकर भग करन वाल होत ह यिद 5ह षडiumlबल म कमजोर ह तो वह राजयोग क पण) प]रणाम दन म असltम ह

जातक पा]रजात क जातक भगाVयाय म भी ऐस कछ योग कह गए ह जो राजयोग का भग करत ह

मष जकनवाशक िदनकर पापिampत िनधन

कयारािशगत यदा भगसत कयाशक िभampक

नीचeष वितनीच भाग सिहत जातो िदवानायक

राजm8 कला जो िप िवगतmीप)दाराशन

अथा)त यिद सय) मष रािश म ह िकत तला नवाश म हो और पाप5ह स w(iuml ह तो जातक िनध)न होता ह

शT यिद कया रािश एव कया नवाश म ही ह तो जातक क धन क िनरतर हािन होती ह यFिप शT वग[9म हग परत अपनी नीच रािश म होन स ऐसा फल दन वाल होत ह

यिद तला रािश म सय) अपन परम नीच भाग म तला म 10 अश पर ह तो जातक राजकल म सबस बड़ा होन पर भी राaय या शासन ा नहS कर पाता

राजयोग क सदभ) म लगभग सभी aयोितष गरथ म नवमश-दशमश क सबध को िवशष राजयोगकारी माना ह परत उ9र कालाम9 म इस योग पर एक मह2 2 वपण) िटपणी दी ह िक नवमश व दशमश क दसरी रािश यिद आठव अथवा यारहव भाव म पड़ जाए तो राजयोग का भग होता ह

यहा सबध को प+रभािषत करना भी आवRयक ह

लघ पाराशरी म0 चार कार क सबध विणत हy

amp) सबध hि$ सबध राशीश hि$ सबध यित सबध

यह सबध 2मानसार कमजोर फलदायी होत हy

धमकमािधनतारौ रzलाभािधपौ यिद तयो सबध मा)ण न योग लभत नर

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इनम सव[9म सबध lt सबध ह अथा)तiuml नवमश एव दशमश का आपसी प]रवत)न उसस कम फलदायी wि(iuml सबध माना ह अथा)तiuml नवमश-दशमश को पर-पर पण) wि(iuml स दख ततीय कार क सबध म नवमश व दशमश 5ह िजस रािश म ि-थत ह उनका -वामी उनको पण) wि(iuml स दख व चतथ) सबध यित अथा)तiuml नवमश-दशमश जमपिका म एक साथ िकसी भाव म ि-थत ह तो सबस कम फलदायी होता ह

aयोितष 5थ म ल5 क ही सबस शिJशाली होन क पि(iuml होती ह ल5 क पhात चमा को माना गया ह यिद िकसी जमपिका म ल5 एव चमा दोन खराब ि-थित म ह तो राजयोग न(iuml हो जाता ह अथा)तiuml ल5 व ल5श तथा चमा यिद अkछी ि-थित म ना ह तो राजयोग भग हो जाता ह

जमपिका म मगल बध गl शT एव शिन क काधीिDत -वरािश अथवा उkच रािश म होकर बनन वाल योग राजयोगकारी मान गए ह परत मानसागरीrsquo क लखकानसार-

क ोdचगा यWिप भसताWा मातBडशीताशयता भवित

शावcितनोवVपिGमामपाक यdछित त कवलसफलािन

अथा)तiuml जो 5ह पच महापlष योग बना रहा ह वह यिद सय) या चमा क साथ हो तो यह योग भग हो जाता ह उस 5ह क महादशा अथवा अतद)शा म कवल स2फल ा होता ह राजयोग नहS

सारावली म भी राजयोग क भग होन म चमा क ि-थित पर ही सवा)िधक जोर िदया गया ह

(क) यिद जमकampडली म सय) मगल गl व शिन यिद एक साथ ल5 म ह व चमा नीच क ह या उJ चार 5ह म स एक 5ह भी नीच का होकर ल5 म हो व चमा नीच रािश म ह तो राजयोग भग हो जाता ह

(ख) ltीण चमा यिद चर रािश क अितम नवाश म ह ि-थर रािश क अ(म नवाश म ह तथा ि-वभाव रािश क थम नवाश म ह और िकसी भी 5ह स w(iuml न ह तो राजयोग भग हो जाता ह

(ग) घटोदय नीचगतििभ5रहबह-पतौ सय)यत च नीचग एकोऽिप नोkच 2वशभ च सङगत शि-त नाश शतशो नपोवा

अथा)त यिद जम क समय म कभ ल5 हो व तीन 5ह नीच रािश म और नीच-थ गl सय) क साथ ह एव एक भी 5ह उkच-थ न हो तथा पाप5ह स यJ ल5 हो तो सकड़ राजयोग भी न( हो जात ह

(घ) यिद जम क समय अपन नवाश म सय) ह व चमा अ-त ह तथा पाप5ह स w(ी व शभ5ह स अw( ह तो जातक कछ समय तक राaय सख ा करक भी आशाओ का 2याग करक पीछ वन म जाकर दख ा करता ह

(ङ) परनीच गत च ltीणो योगो महीपत

247

नाशमायाित राजव दवgt ितलोमग

अथा)त यिद जम क समय म ltीण चमा अपन परम नीचाश म ह तो राजयोग न(iuml हो जाता ह जस aयोितषी क िवlX राजा न(iuml हो जाता ह

(च) यिद जम क समय म शT नीच नवाश म ह तो जातक को असीिमत राaय सख ा होन पर भी राजयोग न(iuml हो जाता ह

िवपरीत राजयोग भी BDiuml राजयोगदायी ह परत फलदीिपकाकार मEर क अनसार वह भग भी होता ह उनक अनसार षD अ(iumlम व ादश भाव क -वामी यिद पर-पर -थान प]रवत)न कर lt सबधी ह तो राजयोग न होकर दय योगrsquo बनगा जस-

(क) षDश-ादश म व ादशश षD म हो

(ख) अ(मश षD म व षDश अ(म म हो

(ग) ादशश अ(म म व अ(मश ादश म हो

अत जमपिका का िव`षण करत समय कवल राजयोग को दखकर भिव_य कथन उिचत नहS ह अिपत राजभग क पि( भी अिनवाय) fप स कर लनी चािहए िजस कार बादल का एक टकड़ा सय) क तज को ढककर अधकार कर दता ह उसी कार जमपिका म उपि-थत राजभग योग सम-त ऐEयv को पान क बाद भी उनक भोग स विचत कर दता ह

103 साराश

अब तो आप लोग - प_ टतया जान गय हग िक राजयोग म ज म लन वाल अ2 यिधक सख पातह साथ ही उसी कार या त2 समान क_ ट क आ जाता ह लिकन िफर भी योग क भाव स उसको बहbत ही आसानी पव)क सामना करत हbए पन सफलता को ा त कर लत ह इस कार िववचना क आधार पर हम यह कह सकत ह िक िवपरीत राजयोग भी B_ ठ राजयोदायी ह पर त फलदीकाकार म H वर क अनसार वह भग भी होता ह उनक अनसार प_ ठ अ_ टम व ादश भाव क - वामी यिद पर- पर - थान प]रवतnन करक lt सबधी हो तो राजयोग न बनकर िनध)न योग ा त होगा जस -

क प_ ठश ndash ादश म ादशश प_ ठ म हो ख अ_ टमश _ _ ठ म व _ _ ठश अ_ टम म हो ग ादशश अ_ टम म च अ_ टमश ादश म हो अत ज मपिका दखत समय कवल राजयोग को दखकर भिव_ य कथन नहS कना चािहए राजभग योग का भी िवचार कर लना चािहए नहS तो समिचत फल को ा त नहS कर पायग

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105 श दावली

bull क दािधपित - 1 4 7 10 भाव क - वामी

bull िकोणािधपित ndash 1 9 5 - थान क - वामी

bull 5हयX ndash जब दो 5ह क यित स योग तो बन पर त दोन ही 5ह

समान अश पर ि-थत हो तो 5ह क ऐसी अव- था उनक पर- पर यX क अव- था होती ह और उस यX म िकसी 5ह म िकसी एक 5ह को परािजत होना पड़ता ह

bull अ- तगत 5ह ndash सय) क अश स च 20 मगल 17 0 बX 130 गf 110 शT 90 शिन 150 अशान तर कालाश स अ- तगत

समझना चािहए

bull िवफल2 व ndash सय) क साथ च ल न स चतथ) बध पk जम भाव म गf

दसर म मगल छठ म शT सातव म शिन हो तो िवफल अथा)त मौिलक फल क नाशक होत ह

106 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष लखक नमीच शा- ी पतीसवा स- करण 2002 काशन ndash भारतीय gtानपीठ 18 इ - टीटयशनल ए]रया

लोदी रोड नई िदA ली 2 लघपाराशरी

टीकाकार ndash सपादक ndash रामय2 न ओझा स- करण 2007 3 वहa जातकम 4 फलदीिपका

लखक म H वर

249

इकाई - 11

योितष शा0 और जिटल रोग3 का स4बध इकाई सरचना

111 -तावना 112 उGHय 113 िवषय वश 114 रोग का वगYकरण 115 रोग िनण)य क आवHयक तय 116 रोग िवचार क पDभिम 1161 भाव ारा रोग िवचार 1162 रािश ारा अग का िवचार 1163 5ह ारा रोग-िवचार 117 रोग-प]रgtान क िसXात 118 असाVय रोग क योग 1181 अप-मार (िमगY) रोग 1182 दोषपण) वाणी 1183 कण)रोग 1184 मानिसक रोग 1185 zदयरोग 1186 मधमह रोग 119 रोग-िनवित क उपाय 1110 साराश 1111 शK दावली 1112 Mाविल 1113 बोध M 1114 सदभ) 5थ सची

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111 तावना

a योितष शा- स सबिधत 11वS इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक a योितष शा- और जिटल रोग का सबध P या ह इसक िवषय म स यग fप स वण)न िकया गया ह

aयोितष क wि( स हम कवल नौ 5ह का भाव मानत ह हमार सौरमamp डल क य नौ 5ह िविभन जातक क जम-पिकाओ म िविभन कार क भाव दिश)त करत ह इस इकाई म हम इन 5ह स उ2पन होन वाल रोग क बार म जानकारी ा करग एव जान पायग कई रोग तो ऐस ह जो सय) और चमा क िवशष भाव क कारण ही होत ह इसक अित]रJ हम इसक ारा यह gtान भी ा कर पायग िक इन रोग का उपचार aयोितष िवFा स कस िकया जाए

112 उय

इस ईकाई का अVययन करत हbए हम aयोितष शा और रोग क सबध क बार म जान पायग तथा यह बतान म सltम हग िक-

1 aयोितष और िचिक2सा का Pया सबध ह

2 रोग िनण)य क तय एव उनका वगYकरण

3 रोग िवचार क प_ ठभिम कस बनी

4 भाव क रोगो क अनसार कारक त2 2 व एव 5ह क कारक त2 2 व Pया हग

5 5ह ारा उ2पन रोग का उपचार कस िकया जाए

113 िवषय वश

aयोितष जस िविश_ ट िवषय क ित tयापक जनसमदाय क जागfकता िपछल कई दशक स लगातार बढ़ती जा रही ह अनक लोग अVययन व ारिभक -तर स काफ आग बढ़कर इस tयवसाय क तौर पर भी अगीकार कर रह ह इसका lt मन_य क जीवन म होन वाली हर गितिविधय म अ5सर हो रहा ह इहS म स एक िवषय मन_य क होन वाल रोग स सबिधत ह अय िवषय क भॉित रोग क सबध म भी जम कamp डली क आधार पर पव) जानकारी ा क जा सकती ह िचिक2सा aयोितष सव) ही aयोितष पाठयTम का अिभन अग ह

रोग क सबध म कछ लोग क धारणा ह िक व आहार-िवहार क अिनयिमतता क कारण उ2पन होत ह मन_य यिद इस पर समिचत िनयण रख तो वह -व-थ एव दीघ)जीवी बना रहता ह िकत aयोितष शा क मायता इसस िभन ह वह रोगो2पित का कारण कवल आहार िवहार म अिनयिमतता को नहS मानता Pयिक यह बात अनक बार 2यlt fप स सामन आई ह िक िनयिमत जीवन जीन वाला tयिJ भी रोग का िषकार बन जाता ह अय तय यह भी ह िक अिनयिमतता का रोग को कारण मान

251

िलया जाए तो आनवािशक रोग महामारीजय रोग एव दघ)टनाजय रोग क tया^या भली भॉित नही क जा सकती यही कारण ह िक आयवyद शा न भी रोग उ2पि9 क कारण का िवचार करत हbए हम gtात कराया ह िक कभी पवा)िजत कमv क भाव स दोष क कोप स मानिसक एव शारी]रक (वात िप9 एव कफ) रोग होत ह

आयवyद और aयोितष का तो वस भी बड़ा गहरा सबध ह कई औषिधया ऐसी ह िजनको एक िविश_ ट समय म ही तयार िकया जाता ह सौरमampड़ल क सभी 5ह क िवशषताए ह वसा ही लाभ करान वाली औषिध तयार क जानी ह तो उस 5ह िवशष क अनकल ि-थित म तयार करना उस और भावो2पादक बना दता ह

aयोितष शा क अनसार जमकाल H नकाल एव गोचर म ितकल 5ह ारा रोग क जानकारी क जा सकती ह इसी मायता क अनसार aयोितष जमकamp डली क आधार पर यह घोिषत करन म सltम ह िक जातक को अमक समय म अमक रोग होगा और उसका प]रणाम Pया िनकलगा

114 रोगA का वगBकरण

aयोितष शा- क 5थ म रोग िवचार करन स पहल उनक भद का िवचार िकया गया ह इस शा क अनसार रोग क दो कार मान गय ह - सहज एव आगतक

1 सहज रोग

मन_य क जो रोग जम स ही होत ह उह सहज रोग कहा गया ह aयोितष क अनसार सहज रोग का कारण जातक क पव)जम क कम) एव माता-िपता ारा कम) को माना गया ह जम स हbए रोग का िवचार गभा)धान कamp डली एव जमकamp डली स िकया जाता ह उJ कampड़िलय म अ(म को दखन वाल 5ह एव अय रोग क ारा िवचार िकया जाता ह सहज रोग को दो भद म िकया गया ह -

अ शारी]रक रोग उदाहरण - ललापन लगडापन नपसक बिधर मक आिद

ब मानिसक रोगः उदाहरण - जडता उमाद पागलपन आिद

2 आगतक

जम क बाद होन वाल रोग को आगतक रोग कहा गया ह इन रोग का िवचार कamp डली म षD शवषष Dश भाव म ि-थत 5ह तथा षD को दखन वाल 5ह ारा िकया जाना चािहए आगतक रोग भी दो कार क होत ह

1 wि(िनिम9जय पाप अिभचार घात ससग) महामारी आिद 2यlt घटनाओ ारा उ2पन रोग क wि(िनिम9जय रोग कहा जाता ह

2 अwि(िनिम9जय बाधक5ह योग क ारा उ2पन रोग पव) जम म िकए क2य क कारण उ2पन हbए ह उह अwि(िनिम9जय रोग कहत ह aवर अितसार आिद रोग इसी कार क ह

252

115 रोग िनणय क आवयक तCय

कamp डली का अVययन करत समय िचिक2सा aयोितष को िननिलिखत तय म िवचार कर लना चािहए

1 रोग उ2पि9 का समय

2 िनदान

3 तीता

4 उपचार

उपय)J तय का वण)न तथा aयोितष एव िचिक2सक क भिमका िनन कार ह -

1 रोग उ2पि9 का समय एक िनपण aयोितष जमपी का परीltण कर िकसी tयिJ क रोग 5-त होन क समय को सिचत कर सकता ह िजसस उनक बचाव क उपाय कर होन वाली tयािध को टाला जा सक

2 रोग का िनदान यह lt िचिक2सक का ह इस lt म aयोितष सltम तीत नहS होत इस lt म दlt होन क िलए ऐस िचिक2स ारा शोध क आव_यकता ह जो aयोितष म वीण हो

3 रोग क तीता आधिनक काल म एक प]रपPव िचिक2सक िकसी रोगी क रोग क अविध को आसानी स बता सकत ह इसी कार एक दlt aयोितष भी सभवतः िचिक2सक स भी बहतर रोग क तीता तथा प]रणाम बता सकन म सltम ह

4 उपचार िनःसदह आज िचिक2सक उपचार िकसी भी aयोितषीय उपचार स अिधक BD एव िवH वसनीय ह परत ितकल 5ह-योग क अव-था म जब िचिक2सीय िवgtान माग)दश)न न कर पाए तब सहायता क िलए aयोितषीय उपचार क fप म शाित क जानी चािहए

116 रोग िवचार कD पEभिम

aयोितष शा म रोग का िवचार करन क िलए तीन त2 2 व धान ह - (1) भाव (2) रािशया एव (3) 5ह अतः aयोितष शा क अनसार रग का िव-तार स िववचन करन क पव) उJ 5ह रािश एव भाव का िवचार कर लना आव_यक ह

1161 भाव 9ारा रोग िवचार

कamp डली म लन आिद भाव क ारा मन_य क जीवन म घिटत होन वाली 2यक घटना का पवा)नमान िकया जाता ह यह Vयान दना चािहए िक शरीर का दाया भाग कamp डली क थम स सम भाव तक तथा बाया भाग सम स थम भाव तक क भाव स दिष)त होता ह िकस भाव स कौन स रोग का िवचार िकया जाए व िनन ह -

253

(1) थम इस भाव स िसर दद) मानिसक रोग नजला एव िदमागी कमजोरी शरीर बाल fप 2वचा िना रोग स छटकारा आय बढ़ापा तथा काय) करन क योयता का इस भाव स मAयाकन िकया जाता ह

(2) ितीय इस भाव स म2य का िवचार होता ह यह भाव न (दायS) िजा मखरोग नाक वाणी नाखन गल क खराबी का ितिनिध2व करता ह

(3) ततीय इस भाव स कampठ गद)न गला भजाए Eसन णाली भोजन निलका अगD स पथक अगली तक का भाग -वन मानिसक अि-थरता फफड क रोग आिद का िवचार िकया जाता ह

(4) चतथ) छाती (वlt-थल) zदय एव पसिलय म होन वाल रोग पागलपन एव अय मानिसक िवकार का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

(5) पचम इस भाव स मदािन अfिच िप9रोग िप9 क थली ितAली अयाशय मन िवचार गभा)व-था नािभ एव गदy क रोग का िवचार िकया जाता ह यह भाव पट क सभी रोग का ितिनिध2व करता ह

(6) षD इस भाव स छोटी आत अपिडPस गदा) घाव ltयरोग कफजिनत रोग छाल वाल रोग (छोटी माता) िवष हिन)या अमाशयी नासर (ण) का िवचार िकया जाता ह

(7) सम इस भाव स मह मधमह दर पथरी बडी आत गभा)षय अampडाषय वीय) थली मनली तथा वि-त म होन वाल रोग का िवचार िकया जाता ह

(8) अ(म भाव इस भाव स ग रोग वीय) िवकार भगदर बाहरी जननाग अग-हािन चहर क क( दीघ)कािलक या असाVय रोग ती मानिसक वदना का िवचार िकया जाता ह

(9) नवम इस भाव स िय क मािसक धम) सबधी रोग रJ िवकार वाय िवकार कAह का दद) जाघ क रJ वािहिनया एव मaजा रोगो का िवचार होता ह

(10) दशम इस भाव स गिठया चम)रोग घटन का दद) एव अय वाय रोग का िवचार िकया जाता ह

(11) एकादशइस भाव स पर म चोट पर क हडडी टटना िपडिलयो म दद) शीत िवकार एव रJ िवकार का िवचार िकया जाता ह

(12) ादश इस भाव स पर बायी आख िना म बाधा एलजY मानिसक असतलन अ-पताल म भतY होना दोषपण) पोिलय एव शरीर म रोग क ितरोध क ltमता क िवचार िकया जाता ह

काण क आधार पर अग क ितिनिध भाव

254

रोग क िवषय म _कारण क भिमका मह2 2 व मानी गई ह मन_य क शरीर क िकस अग म घाव चोट या गाठ होगी इसका िवचार करन क िलए ाचीन आचाय[ न _काण क आधार पर शरीर क तीन भाग क कAपना कर लन आिद भाव को शरीर क िविभन का ितिनिध माना ह तीन _कोण शरीर क तीन भाग का ितिनिध2व करत ह पहला भाग िसर स मह तक दसरा गद)न स नािभ तीसरा वि-त स पर तक वराहिमिहर तथा अय 5थकार क अनसार कamp डली म पहला दसरा व तीसरा _काण उिदत होन पर कamp डली क िविभन भाव ारा िनfिपत शरीर क अग -तत उदाहरण कडली म दषा)य गय ह -

255

1162 रािश 9ारा अग का िवचार

aयोितष शा- क 5थ म कालपfष शKद का योग िकया गया ह सम-त भचT को आव9 करत हbए एक अलौिकक मानव क कAपना क गई ह भचT क िविभन रािशया उस कालपfष क शरीर पर ि-थत ह िजसक आधार पर उसक अग रोग 5-त या -व-थ ह यह जाना जा सकता ह

इस अग िवभाजन का यिद िव-तारपव)क अवलोकन िकया जाए तो यह कहा जा सकता ह िक मष आिद 12 रािशया मन_य क शरीर क िननिलिखत अगो का ितिनध2व करती ह

कालपfष क शारी]रक अग

T स रािश शारी]रक अग

1 मष मि-त_क िसर क बाल िसर

2 वष चहरा (आख नाक कान दात)

3 िमथन कठ कोहनी भजा कधा वlt -थल

4 कक) zदय फफड एव Eासनली

5 िसह पट आत िजगर नािभ

6 कया कमर एव आत

7 तला बि-त माषय गभा)षय का ऊपरी भाग

8 विhक गाग गभा)षय गदा

9 धन ऊf

10 मकर जान एव घटना

11 कभ जघा िपडली

12 मीन टखना पर पादतल एव पर क अगिलया

256

रोग िवचार क सग म0 नamp) का प+रचय

िजस कार शरीर क िविभन अग भचT क 12 रािशय स दिष)त होत ह उसी कार व 27 नlt स भी दिश)त होत ह इस िवषय पर सव[9म वण)न पनः वामनपराण म सवाद क fप म भगवान िव_ण क शरीर को लकर ह शरीर क अग क ितिनिध2व करन वाल नlt उनस सबिधत रोग उ2पन करत ह भगवान िव_ण क नlt शरीर का वण)न उपर िदया गया ह

1163 हो 9ारा रोग िवचार

जस भचT क िभन-िभन रािशय तथा नlt का अिधकार lt शरीर क अग पर ह ठीक उसी कार 5ह भी शरीर क िविभन अग स सबिधत ह कौन सा 5ह िकस त2 2 व का ितिनिध2व करता ह शरीर

257

क िकन अग को भािवत कर कौनसा रोग उ2पन कर सकता ह इन बात का िवचार यहा पर सिlt fप स दन का यास िकया गया ह-

5ह त2 2 व स धात अग शरीर क उपkव शारी]रक शिJ

सय) अिन अि-थ zदय िसर ाणादार

चमा जल रJ मन मख पागलपन

मगल अिन मaजा wि( कान जलन सजन

बध पवी चम) नाम पट नस

गf आकाष चबY शरीर गदा) -थलता

शT जल शTाण िजा न अत)रस

शिन वाय -नाय कान पर जोड

5हो क कारक त2 2 व एव सबिधत रोग

सय

इसक िप9 कित ह इनका अिधकार lt zदय पट अि-थ तथा दािहनी आख ह सय) क अिधकार lt म िसरदद) गजापन अितिचड़िचड़ापन aवर दद) जलना िप9 क सजन स होन वाल रोग zदय रोग न रोग पट क बीमा]रया अि-थ रोग कछ 2वचा रोग िगरन स तथा श स चोट िवषपान रJ सचार म गड़बड़ी िमरगी कD रोग आिद ह

वात त2 2 व सिहत इसक कित कफ ह यह tयिJ क मनक ि-थरता तथा प(ता को ितिबिबत करता ह यह मानिसक रोग अशाित घबड़ाना अितिना तथा सामाय जड़ता का ितिनिध2व करता ह

कफ सबधी रोग ltय रोग जलोदर रोग अजीण) अितसार रJाAपता शारी]रक तरल बहाव रJ िवषाJता कप aवर aवर पव) कपकपी कछ 2वचा रोग कामला (पीिलया) जल तथा जलीय जतओ स भय पशओ क सSग स होन वाल घाव इ2यािद का ितिनिध2व च करत ह च तथा मगल िमलकर िय क जनन णाली क रोग च क कारण होत ह

मगलः

मगल क िप9 कित ह यह आTामक तथा ऊजा)वान ह कampडली म मगल क ि-थित जातक क -वा-य तज एव चतना क बलता को ितिबिबत रकती ह इनका अिधकार lt ह िसर अि-थ मaजा िप9 हीमोलोिबन कोिषकाए एampडोमीियम (जहा lsquolsquoबीजrsquorsquo 2यारोपण स िशश बनता ह) ह मगल दघ)टना चोट शAय िTयाए जल सबधी रJ िवकार उkच-नीच रJचाप िप9चाप िप9जय सजन तथा उसक कारण होन वाला aवरिप9ाशय क पथरी श स चोट िवषाJता अ2यिधक यास

258

फफोल सिहत बखार मानिसक िवचलन न 2वचा पर खजली अष) (बवासीर) गभा)षय क रोग सव तथा गभ)पात का कारण ह

बध

बध क -वभाव म तीन कार क वि9 ह जस वात िप9 कफ बध का सबध जातक क बिX स ह ितकल बध पापी च क साथ िमलकर मानिसक िवचलन का कारण भी बन सकता ह इसका अिधकार lt 2वचा गला नाक फफड़ा तथा अ5मि-त_क ह यह धय)हीनता अभ भाषा दोषपण) वाणी कट कित (-वाभाव) चPकर आना Eत कD नपसकता न रोग नाक-कान-गल का रोग बहरापन तथा दः-वन को इिगत करता ह

गf क कफ कित ह अ2यिधक शभ 5ह होन क कारण यह जातक को रोग स बचाता ह तथा कamp डली म अनक पाप को न( करता ह इसका अिधकार lt यकत िप9 क थली ितAली अनाशय का कछ भाग कान तथा शरीर म चबY पर ह गf मोटापा कण) रोग मधमह इ2यािद को इिगत करता ह मदगामी 5ह होन क कारण इसक ारा होन वाल रोग दीघ)कालीक होत ह गf आल-य का भी कारक ह

श2

शT म वात तथा कफ क अिधकता होती ह यह tयिJ क यौन िTयाओ का ितिनिध2व करता ह इसका अिधकार lt चहरा wि( वीय) जननाग इ2यािद पर ह यह आ आपkछ तथा अनाषय क कछ भाग का भी कारक ह

यह एक जलीय 5ह ह और इसका सबध शरीर क हारमोनल णाली स ह चहर क रोग न रोग मोितयािबद वतकD रोग मथनजिनत रोग मधमह गदy एव हाम[न सबधी िवकार को इिगत करता ह

शिन

शिन क म यतः वात तथा कफ कित ह यह मदचारी 5ह होन क कारण इसस होन वाल रोग असाVय या अितदीघ)कािलक होत ह शिन का अिधकार lt पर नाड़ी बड़ी आत का अितम भाग लिसकावािहनी तथा गदा ह यह दीघ)कािलकता असाVययता उमाद पltपात पागलपन उAटी सबधी रोग क सर आिद को इिगत करता ह

राह4

राहb काय) मदगित स करना फहड़ता िहचक उमाद अw_य भय कD शिJहीनता अश)रोग दीघ)कािलक ण तथा छाल असाVय रोग िवषाJा सप)दश तथा परो क रोग को राहb इिगत करता ह च क साथ िमलकर राहb िविभन कार क भय दता ह शिन क सwश होन क कारण यह रोग क दीघ)कािलकता तथा असाVयता को भी इिगत करता ह

259

कत

राहb क ारा इिगत सभी रोग कत भी पदा करता ह इसक अित]रJ इसस होन वाल रोग अिनिhत कारण वाल महामारी छाल यJ aवर जहरील सTमण स होन वाल सTामक रोग आकिम बहरापन दोषपण) वाणी रोग िनदान म िट ह मगल क सwष होन क कारण कत शAयिTया को इिगत करता ह

117 रोग-पampरान क िसFा0त

मन_य अपन -वाभावानसार कोई भी 5ह रोगकारक नहS हbआ करता िकत जब वह कछ िवशष प]रि-थितय म मन_य क शारी]रक या मानिसक -वा-य म िवकार उ2पन होन क सचना दता ह तब वह रोगकारक कहलाता ह फिलत aयोितष म षDभाव रोगभाव कहलाया गया ह अतः षDभाव म ि-थत 5ह या षDभाव स सबिधत 5ह रोगो2व का कारण बनता ह परत इसक अित]रJ भी िननिलिखत हत aयोितष शा म मह2 2 वपण) मान गय ह -

1 रोग (षD) भाव का ितिनिध2व

2 अ(म या tयय भाव का ितिनिध2व

3 रोग भाव म ि-थित

4 लन म ि-थित या लन का ितिनिध2व

5 नीचरािश श रािश म ि-थित या िनब)लता

6 अवरोहीपन (उkच रािश स आग बढ़कर नीचिभमख होना)

7 Tर षDयष म ि-थित

8 पाप 5ह का भाव

9 कारक त2 2 व या मारकत2 2 व

118 असाGय रोगA क योग

1181 अपमार रोग (िमगV)

260

कamp डली म िननिलिखत योग ह तो अप-मार बीमारी होन का डर होता ह-

1 शिन मगल सय) आठव घर म हो

2 शिन बध मगल लन म हो तो

3 छठ घर म शिन राहb अथवा कत स यJ ह तो

4 चमा स राहb छठ आठव अथवा बारहव भाव म हो तो

5 शिन विhक म हो और मगल िमथन रािश म हो

6 बध शिन स यJ हो तो

7 चमा पर शिन और राहb अथवा कत क wि( हो तो

8 लन एव सय) पर शिन तथा राहb क wि( हो तो जातक अप-मार रोग स पीिडत होता ह

उदाहरण - यह कamp डली एक लडक क ह जो अप-मार रोग का िषकार हbआ लन म सय) मगल बध

ि-थत ह तथा लन को कत दख रहा ह चमा स राहb बारहव घर म ि-थत ह और वाणीकारक बध सय) व मगल स पीिड़त ह

1182 दोषपण वाणी (हकलाना)

जब ितीय -थान तथा वाणी का कारक बध पाप 5ह स यJ हो अथवा इन पर पापी 5ह क wि( हो तो tयिJ बोलन म लडखडाता ह अथा)त उसक वाणी म कोई िट होगी

उदाहरण

यह कamp डली एक डॉPटर क ह जो हकलाकर बोलता ह ितीय भाव तथा ितीयष शT पर शिन क पण) wि( ह ितीय भाव पर मगल यJ कत क भी नवम पण) wि( ह वाणी का कारक बध अ-त ह

(1) जब ितीयश षDष क साथ यJ हो और उस पर शिन क wि( हो तो tयिJ मक (गगा) होगा

(2) अगर बध और षDष लन म हो तो tयिJ मक होगा

261

(3) अगर बध मकर अथवा कभ म हो और उस पर शिन क wि( हो तो जातक हकलाकर बोलगा

1183 कण रोग

कान क बीमारी का िनण)य इस कार स लना चािहए

1 बध शिन स चौथ भाव म हो तथा षDष िकसी िक भाव म हो

2 बध तथा शT क यित बारहव भाव म बाय कान क दोषपण) BवणिTया को दषा)ती ह

3 तीसर गयारहव पाचव या नव भाव म पाप 5ह शभ5ह स w( न ह

नोट 39 भाव यम पर पाप 5ह दाए कान को तथा 511 भाव यम पर बाए कान को ltित पहbचात ह

4 नीच रािश म शT राहb क साथ हो

5 बध तथा षDष चतथ) िकसी िक-थान म शिन क ारा w( हो

6 बध तथा षDष चतथ) भाव म ह और शिन लन म हो

7 सय) तथा बध क यित तीसर छठ या यारहव भाव म हो

1 बध सनन तथा िकसी भी कार का सचार का काय) बध करता ह बली बध शभ 5ह क भाव म अkछी Bवण शिJ दता ह पीिड़त हो तो िवपरीत फल होत ह

2 तीसरा भाव कamp डली म तीसर भाव का सबध कान स ह तीसर भाव तथा ततीयष पर शभ भाव ह तो अkछी Bवण शिJ दत ह

3 यारहवा भाव तीसरा भाव तथा ततीयश दाय कान को (Bवण णाली क अित]रJ) एव एकादश भाव तथा एकादशश बाए कान को इिगत करत ह

बध तीसरा भाव ततीयश एकादष भाव तथा एकादशश पर शभ तथा अशभ भाव क अनसार ही कान क Bवण शिJ होती ह

262

उदाहरण यह कamp डली एक लडक क ह जो बचपन म ही बहरी हो गई थी बाय कान म बहbत कम

Bवण शिJ तथा दाय कान स िबAकल बहरी हो गई थी बध क सय) क साथ यित ह तथा वह अ(मश शिन एव वT गf क ारा w( ह

1184 मानिसक रोग

अिधकतर मानिसक असतलन तभी होता ह जब च पीिड़त हो च तभी पीिडत होता ह जब वह दब)ल हो छठ आठव या बारहव भाव म ि-थत हो तथा पाप 5ह स यJ या w( हो िविभन 5ह स पीिडत चमा का फल इस कार बताया गया ह -

(1) सय) तीCण -वभाव झगडाल वि9

(2) मगल तीCण -वभाव आTमक िहसक

(3) शिन ती अवसाद सनद उदासी यJ पागलपन

(4) राहb चालाक tयवहार म िवसगित अकारण भय आ2मघाती वि9

(5) कत सनकआ2मघाती वि9 भय दसर पर अकारण सदह करना

उदाहरण

यह कamp डली एक ी क ह जो झगडाल वि9 ह तथा कभी-कभी अवसाद तथा आ2मघाती दौर पड़त ह च बारहव -थान म वT अ(मश क साथ ह तथा षDष शिन क ारा w( ह बध छठ -थान म ादशश तथा वT अ(मश क ारा w( ह गf -वय वT अ(मश तथा पचमश ह जो शिन क ारा w( ह बिX तथा िचतन का पाचवा भाव ह िजसम सय) तथा राहb क बठन स तथा शिन क wि( स पचम भाव काफ पीिडत ह

263

1185 दय रोग

जमपिका म zदय रोग को िनि_चत करन क िलए िननिलिखत िबदओ को िनरीltण करना चािहए सय) पर पाप भाव zदय रोग क िलए सबस मह2 2 वपण कारण ह

सय) पर पाप भाव िनन कार स हो सकता ह

(1) मगल तथा शिन क साथ यित या wि( ारा और राहb-कत अlt ारा

(2) नीच रािश म होना

(3) पापकत)री अथा)त दोन ओर पाप 5ह का होना

(4) छठ आठव या बारहव भावभावष स सबध होना

(5) िसह रािशश पर पाप भाव पाप यित अथवा wि( ारा

(6) पचम भाव पर पाप भाव नसिग)क पाप 5ह क अथवा िक भावष स यित अथवा wि(

(7) पचमश पर पाप भाव नसिग)क पाप 5हो स िक भावष स या वT 5ह स

(8) चतथ) भाव लन अथवा सय) स चतथ) भाव पर पाप भाव वlt म जिटलताए या zदय रोग क शAय िचिक2सा का सचक ह

पचम भाव पचमश तथा सय) पर शभ भाव क बहbलता सरिltत िचिक2सा तथा रोग मJ होन का सचक ह पया) पाप भाव क रहत उन 5ह क दषाए जो सय) पचम भाव या पचमश स यJ ह zदय रोग दती ह पाप 5ह क महादषा म पचम भाव म बठ वT 5ह क अतद)षा िवशष fप म मह2 2 वपण) ह

उदाहरण यह कamp डली एक ऐस tयिJ क ह िजसक zदयगित fक जान क कारण म2य हो गई कamp डली म चतथ) भाव तथा सय) पापी कत स यJ ह तथा राहb एव शिन क पण) wि( स पीिड़त ह सम -थान म शिन मगल और गf का योग ह इही कारण स जातक का zदयाघात (हाट) फल) हbआ और म2य हो गई म2य क समय अ(मश बध क महादषा म कत क अतद)षा चल रही थी

264

1186 मधमह या मह

यह षरीर म शक) रा क चयापचय का रोग ह रJ तथा शारी]रक ततओ म अिधक शक) रा होती ह परत इसका उपयोग नहS हो पाता इसिलन नामक हाम[न क कमी क कारण शरीर म शक) रा का -तर बढ़ता ह तथा जिटलताय उ2पन होती ह जो वा-तव म शरीर क सभी अग पर भाव डालती ह

मधमह क योग

मधमह क िलए िननिलिखत योग बताए गय ह -

1 गf नीच रािश या छठ आठव या बारहव भाव म हो

2 शिन तथा राहb गf को यित या wि( ारा पीिड़त करत हो

3 अ-त गf राहb-कत अlt पर हो

4 शT छठ भाव म गf क ारा ादष भाव स w( हो

5 पचमश 6 8 तथा 12 भावष स यJ हो

6 वT गf िकभाव म पीिड़त हो

यकत और अनाशय इसिलन का उ2पादन करता ह यह दोन उदर क ऊपरी भाग म ि-थत ह और यह पचम भाव क अिधकार lt म आत ह यकत तथा अनाशय क एक भाग का कारक गf ह शष अनाशय का कारक शT ह शT शरीर क हाम[न णाली का भी कारक ह अतः इस कार मधमह क मामल म गf शT तथा पचम भाव क भिमका रहती ह

उदाहरण कBडली

इस ी को मधमह रोग हbआ िजसका गf षD भाव म अ(मश नीच मगल स w( ह शT ादशश नीच सय) स यJ तथा षDष शिन व अ(मश मगल स w( ह पचम भाव तथा पचमश राहb-कत और मगल स पीिड़त ह

265

119 रोग-िनवित क उपाय

िजस कार गमY सदY बरसात-तफान बाढ़ aवारभाटा आिद ाकितक िनयमानसार इस ससार म आत ह उसी कार यह ाकितक िनयम ह िक 5ह आपन शभ या अशभ फल को प]रि-थितय क अनसार ािणय को अव_य दग ाकितक िवपदाओ स बचन क िलए मानव सदा स ही उसक िनवि9 क उपाय को खोजन म सltम रहा ह तथा िन2य िनरतर नय उपाय क भी खोज जारी ह

इसी wि(कोण स िवान आचाय[ न शा म 5ह क अशभ भाव स छटकारा पान क िलए अ]र( शाित या 5ह शाित का िवधान कट िकया ह जो 5ह आपक िलए िकसी समय िवशष म क( कारक हो रह ह तब उनक िनवि9 क हत उनक िलए कछ दान म जप -नान औषिध एव मिण (र2न) आिद धारण करन स उनक क भाव को काफ हद तक कम िकया जा सकता ह अतः यहा हम सभी 5ह क िलए दान क व-तए मिण जप का म -नान औषिध आिद क जानकारी िनन कार द रह ह-

सय) सबिधत रोग िनवि9 का उपचार

1 सय ह-शाित हत िविध

दान - गहq ताबा घी मसर गड ककम लाल कपड़ा कनर क फल लाल कमल बछड सिहत गौ तथा सोना इन सबका अथवा यथाशिJ उपलKध ह उनका यथोिचत दान कर

जप मः -

ऊ घिणः सया)य नमः

इस म का - 7000 जप करक आक क लकडी स दशाश म स हवन करना चािहए

र2न मािणक (लाल) सोन म दाए हाथ क अनािमका म धारण कर

2 च मा ह-शाित हत िविध

दान योय व-तए - Eत (सफद) कपड़ा मोती चादी चावल खाampड़ चीनी दही शख सफद फल सफद वषभ आिद

जप मः - ऊ स सोमाय नमःrsquorsquo

इसका जप - 11000 जप करन चािहए तथा ढ़ाक क लकडी स दशायश म स हवन करना चािहए

र2न सफद शX मोती चादी म बनवाकर दाय हाथ क अनािमका म पहन

3 मगल ह-शाित िविध

दान व-त - मसर गड़ घी लाल कपडा गहq लाल फल ताबा कसर

जप म - ऊ अगारकाय नमः

266

इसका जप 10000 करक खर (खिदर) क लकडी स हवन करना चािहए

र2न मगा सोन या ताब म पहनना चािहए

4 बध ह-शाित हत िविध

दान व-तः मग खाampड़ घी हरा व चादी फल हाथी दात कप)र

जाप म- ऊ ब बधाय नमः

इस म का 19000 जप करक िचरचीरी क लकडी स हवन करना चािहए

र2न पना चादी या सोन म बनवाकर छोटी अगली म पहनना चािहए

5 ग ह-शाित हत िविध

दान व-त - चन क दाल कkची शPकर हAदी पीला कपड़ा पीला फल घी और सोना

जाप म - ऊ ब_बह-पतय नमः

इस म का 19000 जप करना चािहए तथा पीपल क लकडी म हवन करना चािहए

र2न पखराज को सोन म बनावाकर अगठ क पास वाली अगली (तज)नी) म अथवा अनािमका म पहनना चािहए

6 श2 ह-शाित हत िविध

दान व-त - चादी चावल दध सफद कपडा घी सफद फल खषबदार धप या अगरब29ी सफद चदन

जाप म - ऊ श शTाय नमः

इस म का जप 6000 करक गलर क लकडी स हवन करना चािहए

र2न हीरा िकसी सफद धात म पहन

7 शिन ह-शाित हत िविध

दान व-तए - काला कपडा साबत उडद लोहा अलसी तल जट (सन) काला प_प काला ितल क-तरी और काला कबल

जाप म - ऊ श शन_चराय नमःrsquorsquo

इसका जप 23000 करक शमी क लकडी स हवन करना चािहए

र2न नीलम चादी या सधात म बनवाकर बाए हाथ क बड़ी अगली म पहनना चािहए

8 राह4 ह-शाित हत िविध

दान व-तए- काला ितल तल उडद कAथी सरस दाना राई नीला कपडा काला फल काला नीला कबल या ऊनी कपडा

267

जाप म - ऊ रा राहव नमःrsquorsquo

इस म का जप 18000 कर तथा दध सिहत आम क लकडी पर हवन कर

र2न गोमद को चादी या अ(धात म बनवाकर बाए हाथ क लबी अगली म पहन

9 कत ह-शाित हत िविध

दान व-तए - सात अनाज कागज झampडी ऊनी कपडा ितल और बकरा

जाप म - ऊ क कतव नमःrsquorsquo

इस म का 17000 जप कर कषािमिBत आम क लकड़ी स हवन कर

र2न लहसिनया चादी ताब या अ(धात म बनवाकर बाय हाथ क तज)नी अगली अथवा अनािमका म पहनो

नोट 5ह क सनता क िलए दान योय व-तओ म स कछ व-तए उपलKध न हो अथवा सामय) न हो

तो यथाषिJ व-तओ का दान करना चािहए

हवन क िलए जो लकड़ी बताई गई ह यिद व उपलKध न हो सक तो आम पीपल या गलर क लकडी स हवन िकया जा सकता ह तथा सबिधत 5ह क सिमधा क कछ आहbितया अवH य दनी चािहए

यिद तरत बध न हो सक तो अथवा सामय) न हो तो 5ह क सबिधत धात क अगठी या छAला ही बनवाकर िनिद)( अगिलय म पहन लना चािहए यिद कोई इन तोJ मो क -थान पर विदक म का योग करना चाह तो कोई हािन नहS ह म क जप स^या उस ि-थित म भी पव)वत रहगी यFिप जप हवन दान व मिण धारण कर सबक करन स पण) फल िमलता ह लिकन आज कल क tय-त जीवन म यिद tयिJ एक ही काय) करना चाह तो उस मिण या धात धारण कर लनी चािहए मिण शी व सबस अिधक भावकारी होती ह इसक िवकरण ltमता शरीर क तरग क साथ िमलकर तरत फल दन म समथ) होती ह

रोग िनविG क िलए नान

5ह िचिक2सा म रोग स िनवि9 क िलए -नान भी मख उपाय माना गया ह फिलत aयोितष क 5थ म कहा गया ह िक - लाजवित हAदी दवदास लग मोथा कट को तीथ[दक म िमला -नान करन स 5हपीड़ा तथा रोगपीड़ा न( हो जाती ह कछ आचाय[ का मत ह िक िजस tयिJ क कamp डली म जो 5ह रोगकारक हो उस tयिJ को उस 5ह क औषिध क जल स -नान करन स पीडा को कछ कम िकया जा सकता ह

सय) आिद 5ह क औषिधया

5ह -नानाथ) औषिधया

सय) इलायची दवदाf खस कसर मलठी कनर

268

चमा पचगध शख सीप Eत चदन -फ

मगल िवAवछाल रJचदन रJपबप धमनी

बध गोमय मध अltत फल -वण) मोती

शT इलायची कसर

शिन सरमा लोगन धमनी सौफ

राहb लोबन िवलप हाथी दात एव क-तरी

कत लोबान िवलप हाथी दात एव क-तरी

1110 साराश

उपरोJ विण)त इकाई म आपन अVययन िकया िक aयोितष तथा िचिक2सा दोन ाचीन ह तथा भारतीय जीवनशली को िनदyिशत करत ह ाचीन भारत म aयोितष तथा औषिध का िवकास धम) क अग क fप म हbआ आरोय क िसXात तथा रोग क रोकथाम भी उसी तरह जीवन क दिनक स-कार का एक िह-सा थ जस सासा]रक काय[ म aयोितष का उपयोग इस इकाई क अतग)त हमन रोग क वगYकरण एव रोग का िनण)य करन क िलए आवH यक तय को समझान का यास िकया ह यहा हमन रोग क पDभिम को Vयान म रखत हbए उसका रािश भाव 5ह स सबध का उAलख करत हbए तीन _कोणो ( थम ितीय एव ततीय) स कamp डली म भिमका का वण)न िकया ह इसी कार हमन वामन पराण स ऋिष पल-2य तथा ऋिष नारद क बीच सवाद पर आधा]रत एक िच म भचT क िविभन नlt स सबिधत शरीर क अग को दिष)त िकया ह

5ह स सबिधत रोग क अतग)त हमन सय) आिद नौ 5ह क कारकत2व रोग प]रgtान क िसXात एव रोग िनवि9 क उपचार को समझाया ह इस कार आप इस इकाई क अVययन क उपरात aयोितष एव उनस सबिधत जिटल रोग एव उनक उपचार का दltता पव)क gtान हािसल कर पायग

1111 श दावली

bull अप-मार = िमगY रोग

bull सहज रोग = जम स होन वाल

bull आगतक रोग = जम क बाद ि-थितवश होन वाल रोग

bull _काण = रािश का ततीय भाग अथा)त 10 अश

bull भावयम = पर-पर आमन-सामन क भाव अथा)त सम भाव

269

bull आनवािशक रोग = एक पीिढ़ स दसरी पीिढ़ म आन वाल रोग

1112 ाविल

1 aयोितष शा क अनसार रोग क जानकारी िकस कार क जा सकती ह

उ9र aयोितष शा क अनसार जमकाल H नकाल एव कडली म ितकल 5ह ारा रोग क जानकारी ा क जा सकती ह

2 रोग का िकन दो कार स वगYकरण िकया गया ह

उ9र रोग का वगYकरण सहज एव आगतक रोग म िकया गया ह

3 wि(िनिम9जय एव अwि(िनिम9जय रोग म Pया अतर ह

उ9र जो रोग 2यlt घटनाओ ारा उ2पन हbए हो - जस अिभशाप महामारी दघ)टना आिद उह wि(िनिम9जय रोग कहत ह इसक िवपरीत पव) जम म िकए कत स उ2पन रोग अwि(िनिम9जय रोग कहलाय गय ह जस - aवर अितसार आिद

4 रोग िनण)य क चार आव_य तय बताइय

उ9र रोग िनण)य क चार आव_य तय िनन कार ह

(1) रोगो2पि9 का समय (2) िनदान (3) तीता (4) उपचार

5 2 3 4 तथा 11 भाव जमाग म िकन-िकन अग को दशा)ता ह

उ9र दसरा भाव - दाया न मख नाक नाखन

तीसरा भाव - कठ गला गद)न भजाए

चतथ) भाव - zदय वlt -थल ऊf पसिलया

एकादष भाव - पर िपampडिलया बाया कान

6 कamp डली म कक) रािश िकन शारी]रक अग का ितिनिध2व करती ह

उ9र कक) रािश zदय फफड एव Eासनली का ितिनिध2व करती ह

7 िनन िलिखत पिJ स2य ह या अस2य बताए

क कडली का छठा भाव रोग का ितिनिध2व करता ह

- उपय)J पिJ स2य ह

ख _कोण शरीर क गद)न स नािभ तक का भाग दशा)ता ह

- यह अस2य ह थम _काण िसर स मख तक का भाग दशा)ता ह

270

ग aयोितष क अनसार रोगिनवि9 का उपचार नहS ह

- उपयJ कथन अस2य ह aयोितष म रोग िनवारण हत दान-पampय म जाप र2न धारण िविध का उAलख ह

घ गf क कफ कित ह

- यह कथन स2य ह

8 ऋिष पल-2य तथा नारद जी क बीच का सवाद िकस पराण म ह

उ9र उपय)J वण)न वामन पराण म ह

9 जडता उमाद पागलपन िकस रोग को दशा)त ह

उ9र िनन रोग मानिसकता रोग क उदाहरण ह

10 छठा भाव िकन रोग को दशा)ता ह

उ9र छठ भाव स ltय रोग कफजिनत रोग अपिडPस छाल वाल रोग आिद का gtान होना ह

11 शT 5ह िकस कित क रोग का कारक ह

उ9र शT 5ह वात तथा कफ कित का कारक ह

1113 बोध

1 नर आकार िच बनाकर उनम नlt क स-थापना कर तथा िकस अग पर िकस नlt का अिधकार ह यह -प( कर

2 वत)मान प]र-थितय म िचिक2सा aयोितष क मह2 2 व पर काश डाल

3 िचिक2सा aयोितष म द_ ठकाण क मह2 2 व पर चचा) कर

4 सय) आिद नौ 5ह क रोग िनवि9 क उपचार िलख

(1) मानिसक रोग (2) zदय रोग (3) मधमह

1114 स0दभ 130थ सची

1 िचिक2सा aयोितष क मौिलक त|व

सपादक डॉ क एस चरक

काशक

2 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

271

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

3 भारतीय aयोितष

tया^याकार डॉ निमच शाी

काशक भारतीय gtानपीठ िदAली

272

इकाई - 12

गभाampधान इकाई सरचना

121 -तावना 122 उGHय 123 िवषय वश 1231 मािसक धम) क िववचना

1232 शा क अनसार रजोदश)नकाल 1233 रजोदश)न काल (मािसक धम))

1234 थम रजोदश)न म शभाशभ िवचार 1235 शभफलदायी मास

1236 शभफलदायी नlt 1237 गampड़ नlt म थम रजोदश)न का फल

1238 रज-वला होन क बाद -नान महq2 त) 124 गभा)धान क िTया 1241 गभा)धान का अथ)

1242 गभा)धान म 2याaय 1243 गampड-मलािद जम िवचार 125 गभ) सभव योग 1251 गभ)ि-थित का -वfप

1252 गभ)पि( gtान 1253 गभ) विX योगgtान 126 गभा)धान स सव तक दश मास का चT एव -वामी 1261 गभ)सिहत गभ)हािन योग

1262 गभ)पात योग 127 गभ)पात िनवारण 1271 सव िदनाङक बोधक चT एव उसक उपयोग क उपयोग क िविध 1272 गभ)वती क िलए विज)त काय) 1273 गभ) सिहत गभ)वती मरण-gtान 128 सतान योग

273

1281 गभ) म प और कया का gtान 1282 प योग

1283 कया योग 1284 गभ) म यमल योग 1285 नपसक सतान उ2पन होन क योग

1286 जारज योग 1287 पादजात सप)वि(त जम

1288 िपता क अनपि-थित म सतान का जम 129 सव 1291 सव का gtान

1292 म-तकािद स सव 1293 सव का क( एव सख gtान

1294 सव -थान का gtान 1295 शAय िचिक2सा स सव क योग

1296 अनगभा) योग 1210 स सव हत उपाय 1211 साराश 1212 शK दावली 1213 अित लघ9रा2मक B 1214 लघ9रा2मक B 1215 सदभ) 5थ

121 तावना

स-कार वह िविध ह िजसक ारा Bौत व -मात) कमv स शरीर म अिधिDत आ2मा को स-कत अथवा शX िकया जाता ह षोड़श स-कार म थम स-कार ह गभा)धान स-कारrsquolsquo

lस क िसX जीव िवgtानी ो जािज)स लाखोव-क ऐस सभवत थम आधिनक वgtािनक थ िजहन यह -प( िकया था िक तार एव 5ह स आन वाली रिHमय का भाव गभा)धान एव जम क समय tयिJ क भाय पर प]रलिltत होता ह इन तार स आन वाली रिHमया न कवल भाय को भािवत करती ह अिपत पवी पर सम-त जीव क सरचना गभा)धान क समय उनक अampड़ या िपampड़ क ऊपर भी इनका भाव पड़ता ह

परत ाचीनकाल क भारतीय ऋिष-मिनय ारा गभा)धान काल क मह|व को wि(सङगत रखत हbए कई वषv पव) उसका उAलख कर िदया गया था

274

122 उय

इस इकाई क अVययन स हम िन िवषय पर gtान ा करग -

1 गभ) Pया ह गभा)धान Pया ह

2 गभा)धानकाल क शभ गण कौन-कौन स ह

3 िय का ऋत-चT

4 गभ)धारण एव गभपात का िववचन

123 िवषय वश

गभा)धान क िवषय म िवचार करन स पव) यह gtान आवHयक ह िक गभ) Pया ह गभ)rsquolsquoगभ) शKद स मन चतना पचमहाभत क िवकार का बोध होता ह गभा)शय म ि-थत पlष का शT और ी का शोिणत जब एक दसर स यJ हो जात ह और उनम आ2मा का अिधDान हो जाता ह तो वह अ( कित और षोड़श िवकितय स यJ सजीविपampड गभ)rsquolsquoकहलाता ह आधान = -थािपत स पlष ारा जीव का ी क गभा)शय म -थािपत होना

1231 मािसक धम क िववचना - यवा अव-था ा होन पर ी क शरीर म ही गभा)शय

(बkचादानी) फटन लगती ह और उसम रJाव होन लगता ह थली का मख खल जान स रJपण) थली खाली हो जान पर उस पन पण)ता क -वभािवक इkछा ा होती ह तो ीfप उस जीव को उस थली क पन पण)ता करन क ी क कामना होती ह ाकितक यह कामना जो ी को हो जाती ह ा यौवन अव-था क ी क रािश स 2यक मास म मङगल और चमा क आकाशीय ि-थितय वश जो भाव पड़ता ह उसी स गभा)शय (बkचादानी) फट जाती ह और उसस िवकत रJाव होन लगता ह इसिलए ितमास क मािसक धम) क िलए मङगल और चमा य दो 5ह ही करण हो जात ह 2यक चामास म थम अमाव-या स ितीय अमाव-या तक क िकसी भी िदन क िकसी ltण म उJ ि-थित सभव होती ह

1232 शाF क अनसार रजोदशनकाल - आठ वष) क गौरीrsquo नौ वष) क रोिहणीrsquo दस वष) क

कयासgtकrsquo तथा तदनतर ादशािद वषv क कया वषलीrsquo अथा)त रज-वला सgtक होती ह यथा -

अ$वषा भवiौरी नवम रोिहणी भवत

दशम कयका ोjा 9ादश वषली मता - aयोितिन)बध

रजोदश)न स कया ाि हत िनिद)( िदवस - 5 7 9 11 13 15

रजोदश)न स प ाि हत िनिद)( िदवस - 4 6 8 10 12 14 16

275

रजोदश)न क चार क पhात गampडात आिद tयितपात वधित BाX दिषत नlt को 2यागकर उपरोJ िदवस म tयिJ को गणश-मातका-पampयाहवाचनािद कम) करक शभराि म रितिTया करनी चािहए

1233 रजोदशन काल (मािसक धम) - ी क जम कampड़ली स चमा जब अनपचय (1 2 4

5 7 8 9 12) रािश हो और गोचर म ि-थत मङगल क चमा पर पण)wि( हो तो ितमास ी को मािसक धम) होता ह यही मािसक धम) गभ) का कारण बनता ह यिद ी क रािश स ततीय-षD-दशम-एकादश रािश म चमा हो तो वह मािसक धम) िन_फल हो जाता ह अथा)त गभ)धारण क ltमता उस रजोदश)न म नहS होती ह

रजोदश)न काल म ी-समागम नहS करना चािहए इस समय ी गभ)धारण क अव-था म नहS होती ह रजोदश)न स तीन िदन तक ी का शरीर अ-पHय होता ह अत पlष को 2याaय िदवस म समागम नहS करना चािहए

1234 थम रजोदशन म0 शभाशभ िवचार - थम बार कया को जब रजोदश)न हो वह समय भी

आधान व जय समयवत बहbत सी बात क िलए शभदायक होता ह उसस भाय िनमा)ण भी भिव_य म हो सकता ह

भायJ वला म साव-था म सTाित म अमाव-या ]रJाितिथ (4-9-14) सVयाकाल षDी अ(मी या ादशी ितिथ म lणाव-था म च व सय) क 5हणकाल म पातयोग (वधित व tयितपात महापात) म यिद कया को थम रजोदश)न हो तो वह उसक भाय क िलए अशभ सचक ह

1235 शभफलदायी मास - माघ माग)शीष) वशाख आिEन फाAगन aयD Bावण मास म यिद

थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

1236 शभफलदायी नamp) - Bवण धिनDा शतिभषा िचा अनराधा रवती मगिशरा अिEनी

प_य ह-त रोिहणी उ9राय एव -वाती म यिद थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

शभ 5ह क वार म शभ ल5 म यिद थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

1237 गBड़ नamp) म0 थम रजोदशन का फल - गampड़ात म यिद कया को रजोदश)न तो वह शी

ही वधtय को ा करती ह ऐसी कया सतान धन सख एव वािद स रिहत कल का नाश करन वाली होती ह शाोJ िविध स जप होमािद स यिद दवताओ ~ाण का पजन िकया जाय तो िवपि9य क शाित होकर सख-सौभाय क ाि होती ह

1238 रजवला होन क बाद नान महb त - ह-त -वाती अिEनी मगिशरा अनराधा धिनDा

धरव सgtक (उफा उषा उभा रोिहणी नlt) aयDा - इन नlt म शभ ितिथ और शभ वार म थम रज-वला ी का -नान करना शभफलदायी होता ह मगिशरा रवती -वाती ह-त अिEनी रोिहणी - तो रजोिनवि9 क पhातiuml कया शी ही गभ)धारण करती ह

276

124 गभाधान कD िHया

1241 गभाधान का अथ - गभा)वTाित का अथ) पlष और ी बीज का आपस म िमलकर

गभ[2पि9 क िTया करना ह अवTाित स अवTमण अवतरण उपगमन आिद का बोध होता ह शT और आतव क सिमBण स गभ) क उ2पन होन तक क िविध गभा)वTाित कहत ह

िववाह का गभा)धान पार-प]रक िनकटतम सबध ह इसिलए गभा)धान हत दोन (ी-पlष) का tय-क होना अ2यावHयक ह इसस पिहल यिद गभा)धान होता ह तो सतान अAपजीवी न( या दब)ल जायगी जब माता-िपता का शारी]रक-मानिसक wि( स सपण) िवकास होगा तभी -व-य सतान हो सकती ह गभ)-य आधान गभा)धानमrsquolsquoअथा)त िजस कम) क ारा गभ) म बीज का -थापन पlष ारा ी म िकया जाता ह उस गभा)धान कहा जाता ह इस स-कार स वीय) सबिध अथवा गभ) सबिधत पाप का नाश हो जाता ह सव) थम ऋत -नान क पhात भाया) क ीधम) म होन स या रजोदश)न स 16 िदन तक गभा)धान क योय होती ह

गभा)धान क िTया अथा)त यथाथ) म गभा)धान कब सभव हाता ह इस िTया को वgtािनक आधार पर समझ लना आवHयक ह ितमास ी क गभा)शय म एक अampड़ आता ह िजस आङगलभषा म ओवमrsquolsquoकहत ह गभा)शय क आत]रक भाग म दो निलकाय होती ह िजह फलोिपयन टयब कहत ह एक मास म एक निलका स गभा)शय ओवम आता ह तथा दसर मास म दसरी निलका स ी-पlष समागम क पlष क जननाङग स िनसत अस^य शTाण (-पम)) ी क गभा)शय म पहbचत ह अस^य शTाणओ म कोई एक शTाण ही जीिवत रह पाता ह और वही गभ) म जाकर ी क रज स सिमिBत होकर नतन जीव का fप धारण करता ह यिद एक स अिधक शTाण गभा)शय म ी क रज स सिमिBत हो जात ह तभी ी क एक स अिधक सतान उ2पन होती ह पर ऐसा लाख म एक बार होता ह वत)मान म गभा)धान क िTया को वgtािनक न सरोगट मदर एव -पम) डोनट क िTया स अित सरल बना िदया ह अब व दपि9 भी सतासख ा कर सकत ह िजनम ी (गभा)शय क िवकार) अथवा पlष (शTाणओ क िवकार समागत क समय शारी]रक अltमता) या दोन ही सम-या5-त ह कभी-कभी गभा)शय म ती गित स मण कर सकन क अltमता क कारण रज (ओवम) स सयोग नहS कर सकता इस सचार- िTया को मोिबिलटी कहत ह यह -पम) 4-5 घampट तक गभा)शय म गितशील रहत ह कभी-कभी ी पlष क समागम क समय -पम) और ओवम का त2काल ही सिमBण हो जाता ह और गभ)धारण हो जाता ह तथा कभी-कभी तीन-चार घampट बार सिमBण होता ह ाय जो समागम क समय गभा)धान का समय िनधा)]रत िकया जाता ह वह -थलमान ही ह Pयिक समागम क समय और गभा)धान क समय म कभी-कभी शयकाल का अतर होता ह तो कभी-कभी कछ घampट का अतर हो जाता ह

277

1242 गभाधान म0 याMय - रजोिनवि9 क पhात ी-समागम करन क पव) गampड़ातय (नlt-

गampड़ात ितिथ-गampड़ात व ल5 गampड़ात) जम नlt स सातवा नlt मल भरणी अिEनी रवती मघा माता क BाX िदवस ल5 स आठवी रािश पाप5ह क नlt को 2याग दना चािहए यह दाप2य जीवन क सखमयी नहS होता ह

1243 गBड-मलािद जम िवचार - अिEनी आH लषा मघा aयDा मल एवम रवती- य 6 नlt

गampडमल कहलात ह इन नlt म उ2पन बालक-माता िपता कल या -वय को अ]र(iumlदायक होता ह यिद यह अ]र(iuml स बच जाए तो अपन बल-बिX स ससार म सख पव)क दीघ) आय ा करता ह इसिलए गampड मल म उ2पन बालक क िपता को 27 िदन तक उसका मख नहS दखना चािहय और िफर सित--नान क बाद गampड मल नlt क शाित आिद कराकर ही बालक का मख दखना चािहय

125 गभ सgtभव योग

यिद गभा)धान क समय पlष क रािश स उपचय (3 6 10 11) रािश म अपन-अपन नवमाश म ि-थत बलवान सय) व शT हो अथवा अथवा ी क रािश स उपचय रािश म मङगल व चमा -वनवमाश म हो तो गभ)धारण क सभावना रहती ह

लघजातक क अनसार -वरािश या -वनवमाश म बलवान सय) और शT पlष क उपचय रािश म हो या ी क उपचय रािशय म बलवानiuml चमा और मङगल अपन -वरािश या -वनवमाश म हो तो गभ) रहता ह

1251 गभिथित का वप - आधान काल म ी क जसी मन क भावना इkछा कफवातािद

दोष क ि-थित होती ह उसी क अनfप गण-दोष स यJ गभ)-थ बालक क वि9 होती ह

1252 गभपि$ ान - ल5 म शभ5ह हो या चमा शभ यत हो अथवा ल5 च स क एव

िकोण म 5ह ि-थत हो तथा ततीय एकादश भाव म पाप5ह हो तो सवकाल सखमय tयतीत होकर सखमयी सव होता ह

1253 गभ विk योगान - सारावली क अनसार गभा)धान-कािलक ल5 पर यिद बलवान बध

गl और सय) क wि( हो तो गभ) िनरतर बढ़ता ह 2यक मास म -वामी क बलानसार -वभाव व गण क गभ) होता ह

126 गभाधान स सव तक दश मासA का चH एव वामी

गभ)काल म िजस मास का -वामी दिषत (अ-तािद) हो तो उस मास म गभ)-पीड़ा तथा िजस मास क -वामी िनपीिडत हो तो उस मास म गभ) का पतन तथा िजन मास म -वामी िनम)ल हो तो उन मास म गभ) प( समझना चािहए चT स ि-थित -प( ह -

मास िथित वामी

278

थम कलल (रज-वीय) का सिमBण) शT

ि-थित - इस महीन म कवल वीय) रहता ह और वीय) क कारक शT ह शT जलत2 2 व 5ह ह इसिलए थम महीन म ि-थत वीय) ि-थत शTाण ी क िडबाण म अवि-थत रज स िमलकर एक अampड़ का fप धारण कर लता ह इसिलए थम मास म गभ) क ि-थित -प( नहS हो पाती ह

ि9तीय िपBड़प मङगल

ि-थित - मङगल अि5त2 2 व ह इसिलए मङगल उस रज-वीय) fपी अampड़ म सघनता लात ह और यह मास का लौथड़ा सा बन जाता ह िजसस माता क शरीर म िप9 बढऩ लगता ह और सता को उAटी चPकर व बचनी होन लगती ह

ततीय हाथ-पर आिद अङग क अवयव गl

ि-थित - गl आकाश धान दव ह उस मास क लोथड़ म जीव का सचार कर लड़का या लड़क क fप म प]रवित)त कर दत ह शरीर क भीतर सबस पहल गाङग का िनमा)ण होता ह िजसक कारण गभ)-थ िलङग क पि( हो जाती ह गभ)-थ िशश क विX स गभा)शय स गभा)शय क 5िथया सिTय हो जाती ह और माता क शरीर क िप9ािधPय पर िनयण होता ह और गभ)वती मिहला अदभत सनता का अनभव करती ह

चतथ हडडी सय

ि-थित - सय) हडडी क कारक ह इनक प(ता व दब)ला जातक क हडिडय का िवकार िनधा)]रत करती ह

पpचम चम (चमड़ी) च

ि-थित - चमा जलत2 2 व ह इसिलए इस मास म गभ)-थ िशश क शरीर म रJ सचरण होन लगता ह और रJवािहिनया िवकिसत होन लगती ह और पाचव महीन म शरीर नस मासपिशय व नािडय़ स यJ हो जाता ह

ष8 रोम शिन

ि-थित - शिन कश और -वfप क कारक ह इसिलए षDमास म मानव क सदरता कfपता गौर अथवा क_णवण) का िनधा)रण हो जाता ह अथा)त 2वचा का िनमा)ण हो जाता ह

सLम चतय (चतना) बध

ि-थित - बध बिX का कारक ह इस मास म गभ)-थ िशश का उदय होता ह वह -वत िTयाय करन लगती ह मा क ारा 5हण िकय गय भोजन आिद और मा क -वभाव पर वह िशश ितिTया करन लगता ह इस मास म िय को सभी विज)त िकयाय अिनवाय) fप स बद कर दनी चािहए Pयिक इसी

279

मास म िशश माता क आचार-िवचार िकयाकलाप स भािवत होता ह उदाहरणतया हम ाद सभा और अिभमय का िवचार कर सकत ह

अ$म माता-िपता 9ारा खाय गय अन का रसावादन लश

ि-थित - इस मास क -वामी कोई भी 5ह हो सकत ह अत िवशष सावधानी क जfरत होती ह इस मास क -वामी पीिडत हो जाय समय पव) सव अथवा अय िवकार उ2पन हो सकत ह सभी जानत ह िक आठव मास म उ2पन िशश क जीिवत रहन क सभावनाय नगampय ही होती ह क( तो िशश व माता दोन क िलए ही होता ह

नवम गभ स बाहर िनकलन का उ9ग च मा

ि-थित - चमा जलकारक ह चमा पट क भीतर इतना जल उ2पन कर दत ह िक िशश िबना िकसी तकलीफ क पट क भीतर िहल-डल सकता ह यिद िशश आराम स रहगा तो सव भी सखमय होगा

दशम सव सय

ि-थित - सय) अि55ह ह अत पट क भीतर गभY पदा करक िशश को माता क शरीर स अलग कर दत ह वह िजन मासपिशय म जकड़ा होता ह उनस छट जाता ह और आराम स जम ल लता ह

1261 गभसिहत गभहािन योग -

1 यिद आधान समय म सय) या चमा पाप5ह क मVय हो और उन पर शभ 5ह क wि( का अभाव हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

2 आचाय)वराहिमिहर क अनसार ल5 व चमा को पाप5ह क मVय म रहन पर सगभा) ी का मरण होता ह

3 आधान समय म लन व सम भाव म पाप5ह शभ5ह स अw( हो तो सगभा) का मरण अथवा ल5 म शिन और उस पर ltीण चमा व मङगल क wि( हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

4 चतथ) भाव म मङगल हो तथा बाहरव भाव म सय) व ltीण चमा हो उन पर पाप5ह क wि( हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

1262 गभपात योग - िन योग म गभ)पात होन क ि-थित उ2पन होती ह -

1 शिन व मङगल षD या चतथ) म ि-थत हो तो गभ)पात-योग बनता ह

2 ल5 म सय) हो सम म शिन हो अथवा सम म सय) व शिन साथ हो और दशम -थान पर गl क wि( हो तो गभ)पात-योग बनता ह

3 पचम -थान म राहb-शिन इ2यािद पाप5ह ि-थत हो अथवा पाप5ह क wि( हो तो गभ)पात-योग बनता ह

280

4 पचम -थान म जो नवमाश हो उस रािश को पाप5ह दखत हो तो यह गभ)पात-योग बनता ह

5 षDश क साथ शिन षD -थान म हो और चमा सम -थान म हो तो गभ)पात-योग बनता ह

6 अ(मश अ(मभाव म ि-थत हो तो गभ)पात-योग बनता ह

127 गभपात िनवारण

1 कशा क जड़ कास क जड़ एरampड़ क जड़ तथा गौखf िमलाकर 2 तोला दध 16 तोला पानी 64 तोला यथािविध पकाए इस दध म िमBी डालकर कई िदन तक सवन करन स गभ)पात सचक रJाव बद हो जाता ह

2 कसf िसघाड़ा जीवक ऋषभक काकोली ltीरकाकोली मदा महामदा शालपणY पिBपणY जीवती तथा मलहठी कमल नीला कमल एरampडमल तथा शतावरी िमिलत 2 तोल दध 16 तोल जल 64 तोल तथा शष 16 तोला यथािविध दधपाक करक िमBी िमलाकर सवन कर इसस ती वदना तथा गभ)ाव बद हो जाता ह

3 कसf िसघाड़ा पाख नीला कमल मपणY तथा मलहठी को िमलाकर 2 तोला दध 16 तोला पानी 64 तोला तथा शष 16 तोला यथािविध दधपाक कर इस दध म खाampड डालकर पीन स गिभ)णी िय का ती शल सयJ गभ)ाव बद हो जाता ह

4 गभा)व-था क पवा)व-था म पकाD कमल कशfक बला िसघाड़ा बरगद क जटा का शीत Pवाथ िमलाकर पीन स गभ)पात fक जाता ह िजनको ाय गभ)पात होता हो उह गभ)धारण स लकर लाभ होन तक यह औषिध िनरतर िपलाय दब)ल गभा)शय क यह सदर बल द तथा गभ)-थापक ह

1271 सव िदनाङक बोधक च2 एव उसक उपयोग क उपयोग क िविध मािसक ाव बद

होन क िदनाङकम उसी महीन क स^या जो गोल क अदर दी हbई ह उस जोड़ दव उस महीन क दिltण म जो महीना िलखा ह उसी महीन म योगफल क िदनाङक म सव होगा

281

उदाहरण 1 - मािसक ाव बद होन का िदनाङक 17 िदसबर + िदसबर क दी हbई स^या 6 = 23 िसतबर सव िदनाङक

उदाहरण 2 - मािसक ाव बद होन का िदनाङक 6 अ ल + अ ल क दी हbई स^या 5 = 11 जनवरी सव िदनाङक

1272 गभवती क िलए विजत काय - िदन म सोना काजल लगाना रोना अिधक -नान करना

अनलपन तथा तल मािलश नाखन काटना तज दौडऩा जोर स हसना अिधक बोलना शोर म रहना कघी का अिधक उपयोग अिधक वाय का सवन तथा tयथ) प]रBम करना अिधक आभषण पहनना अिधक ठampड़ी या अिधक गम) व-त का उपयोग अिधक नमकन या खटाई क ची+जो का सवन करना

1273 गभ सिहत गभवती मरण-ान -

1 यिद आधानसमय म सय) या चमा पाप5ह क मVय म हो और उनपर शभ5ह क wि( का अभाव हो तो गभ)सिहत गभ)वती का मरण होता ह

2 आचाय) वराहिमिहर न लन व चमा को पाप5ह क मVय म रहन पर सगभा) ी का मरणयोग बताया ह

3 आधानसमय म लन व सम म पाप5ह शभ5ह स अw( हो तो सगभा) का मरण अथवा लन म शिन हो एव उस पर ltीण च व मगल क wि( हो तो गभ)वती ी का मरण होता ह

4 चतथ)भाव म मगल हो ादश म सय) व ltीण चमा हो व उन पर पाप5ह क wि( हो तो सगभा) का मरण होता ह

128 स0तान योग

1281 गभ म0 प) और कया का ान - यिद आधानकाल म अथवा Bकampड़ली म बलवान ल5

चमा गl सय) िवषम रािश म व िवषम रािश क नवमाश म हो तो प का जम होता ह यिद पव[J ल5 चािद समरािश व समरािश क नवमाश म हो तो कया का जम होता ह

यिद बलवान गl सय) िवषम रािश म हो तो पlष का जम यिद समरािश-थ बलवान शT चमा मङगल हो तो कया का जम होता ह रजोदश)न स तीन राि तक ी अ-पHय रहती ह चतथ) िदन वह सासा]रक धम) म व9 होन योय होती ह परत शा म िवधान ह िक ी 16व िदन तक गभा)धान हत शारी]रक wि( स -व-थ रहती ह चतथ) िदन स सोलहव िदन तक यिद समागम िकया जाय तो िनिलखत फल िमलत ह -

समागम िदवस फल

चतथ) अAपाय प

पचम कयाजम

282

षD वशिव-तार करन वाला प

सम कया (वVया)

अ(म प ाि

नवम च क समान fपवती कया

दशम भावशाली प जो अनक tयिJय पर -वािम9व -थािपत कर

एकादश िवlपा कया

ादश प (धनवान)

योदश पाप आचरण वाली कया

चतद)श धम)शील प

पचदश लCमीवती कया

षोड़श सव)gt प

1282 प) योग

1 पचमश ल5 म हो एव गl स यत या w( हो तो थम सतान प होता ह

2 आधान लल म पचमश पlष5ह हो और वह पlषरािश अथवा पlषरािश क नवमाश म हो तो जातक को थम सतित पfप म ा होती ह

3 पचमभाव म सय) हो और उस शT दखता हो तो गिभ)णी ी क तीन प होत ह

4 पचमभाव म सय) और मङगल हो तो चार प होत ह

5 िसह व विhक ल5 म हो पचम भाव का -वामी गl पचम म ि-थत हो तथा शभ5ह स w( हो तो पाच प क ाि होती ह

6 पचमश पचमभाव म हो -वगही हो और पचमभाव स पाचव -थान पर शिन हो तो इस योग म सात प क ाि होती ह उनम स दो यमल सतान भी होती ह

7 गl पचम या नवम म ि-थत हो पचमश पण)बली हो धनश दशमभाव म हो तो गभ)वती क आठ सतान (प) उ2पन होती ह यिद शAय िचिक2सा एव अय कोई बाधा न हो तो

1283 कया योग

1 ल5श बलवान होकर पचम सम नवम या एकादश -थान म हो तो थम सतित कया क fप म ा होती ह

2 पचमश यिद ी5ह ीरािश अथवा ी नवमाश म हो तो थम कया का जम होता ह

283

3 पचमश चमा हो या पचमभाव म चमा हो तो िकया योग बनता ह

4 पचमश शिन स यत हो तथा चतथ) -थान म राहq हो तो दो या तीन कयाए होती ह

5 ल5 स ततीय भाव म बली बध बठा हो एव पचमभाव म चमा हो ता पाच कयाए होती ह

6 कया ल5 हो पचमभाव म शिन हो अथवा पचमभाव शिन च बध या शT ारा w( हो तो आठ कयाओ क ाि होती ह

7 समरािश (वष कक) कया विhक मकर मीन) का बध पचम या सम भाव म हो तो बहbकया योग बनता ह

8 पचमभाव म समरािश हो लाभ-थान म बध शT या च हो तो कया सतित क बाहbAयता रहती ह

1284 गभ म0 यमल योग

जड़वा बkच दो कार क होत ह माता क गभ) स दो या अिधक सतान एक साथ उ2पन(एक ही िदन म कछ समय क अतराल म एक ही माता स उ2पन बkच) होन वाल बkच या यमल कहलात ह गभा)धान या Bल5 स यमलयोग का िवचार िकया जाता ह -

1 यिद Bकाल म अथवा गभा)धान काल म िमथन रािश म या धनरािश म गl-सय) हो और और बध स w( हो तो एक ही गभ) स दो प का जम होता ह

2 यिद शT च मङगल कया या मीन रािश म बध स w( हो तो कया का जम होता ह

3 चमा और शT समरािश म हो तथा ल5 मङगल बध गl िवषम रािश म हो एक ही गभ) स यगल (एक लड़का व एक लड़क) उ2पन होत ह

4 ल5 और चमा समरािश म हो और उन दोन को पlष 5ह स दख तो यमल सतान उ2पन होती ह

5 ल5 मङगल बध और गl - य चार बलवान होकर सम रािश-थ होन पर यमल सतान उ2पन होती ह

6 िमथन कया धन और मीन को ि अग रािश कहत ह सभी 5ह और ल5 ि अग नवमाश म हो और उनको अपन नवमाश म ि-थत बध दख तो एक ही गभ) एक साथ तीन सतान उ2पन होती ह

7 उपय)J योग म यिद िमथन नवमाश ि-थत बध दख तो दो लड़क व एक लड़क का जम होता ह यिद कया नवमाश ि-थत बध दख तो दो कया व एक प का जम एक ही गभ) स होता ह

8 यिद गभा)धान क समय ल5श और ततीयश दोन का योग ल5 म हो तो एक ही गभ) स यमल सतान उ2पन होती ह

284

9 गभा)धान क समय ल5श और ततीयश का योग हो ल5श ततीय भाव म हो या अपन उkच -थान म हो तो एक ही गभ) स यमल सतान उ2पन होती ह

1285 नपसक सतान उपन होन क योग

इस Pलीब योग कहत ह िकस कार क 5ह-ि-थित म नपसक का जम होता ह वह अधोिलिखत योग बताया गया ह -

1 शिन यिद समरािश म और बध िवषय रािश म हो तथा दोन म पर-पर wि( हो

2 B अथवा आधानकाल म यिद बलवान िवषमरािशगत सय) और समरािशगत चमा पर-पर w( हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

3 सय) समरािश म हो और मङगल िवषमरािश म हो तथा दोन म पर-पर wि( हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

4 चमा तथा ल5 दोन िवषमरािश म हो और मङगल समरािश म ि-थत होकर दोन को दख तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

5 चमा समरािश म और बध िवषमरािश म हो और मङगल चमा तथा बध दोन को दख तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

6 ल5 चमा और शT - यह तीन िकसी भी रािश म हो िकत तीन िवषयक नवमाश म ि-थत हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

नोट - गभा)धान काल क अतग)त वीय) क अिधकता स प होता ह रज क अिधकता स कया होता

ह तथा शT शोिणत का साय होन स नपसक का जम होता ह

1286 जारज योग (अय पlष स उपन सतान)

यिद कोई ी tयिभचा]रणी हो और अपन पित क अित]रJ अय िकसी पlष स सतान उ2पन कर तो ऐसी सतान जारजसतान कहलाती ह िन योग स जारज सतान उ2पन होती ह -

1 यिद ल5 या च शभ5ह क रािश म हो और बह-पित क वग) हो तो जातक जारज सतान होता ह

2 रिव शिन या मङगलवार को यिद चतथY नवमी या चतद)शी ितिथ हो उस िदन उ9राफाAगनी उ9राषाढ़ा या उ9राभापद म स कोई भी नlt का तीसरा चरण हो तो जारजप उ2पन होता ह

3 ल5 म अ(मभाव म चमा हो चमा स अ(म-थ गl हो गl पाप5ह स यत w( या पीिडत हो तो जारजप उ2पन होता ह

285

4 पचमश चर रािश म हो शिन पचम भाव म हो च राहb स यJ हो तो जारजप उ2पन होता ह

1287 पादजात सपवि$त जम

ाय जब सतान का शरीर माता क योिनमाग) स बाहर िनकलता ह तो पहल िसर िनकलता ह िफर मVयभाग और अत म पर िकत कई सव म इसक िवपरीत पहल पर तथा अत म िसर िनकलता ह ऐस िशशओ को पादजात कहत ह इसक अित]रJ कछ िशश जब पदा होत ह तो नाल उनक शरीर क चार और िलपटी रहती हइस सप)वि(त कहत ह अगर इस पर शी Vयान न िदया जाय तो िशश क म2य भी हो सकती ह

1 यिद गभा)धान क समय ततीयश राहb क साथ हो तो िशश पादजाता होता ह

2 राहb ल5 म हो और ल5श दशम म हो तो िशश पादजात होता ह

3 यिद अ(मश राहb क साथ ल5 म हो तो सप)वि(त योग होता ह

4 यिद ल5 Tर 5ह क _काण म हो ल5श गिलक या अ(मश स यत हो और क म राहb हो तो सप)वि(त योग होता ह

1288 िपता क अनपिथित म0 सतान का जम

1 यिद जम समय म ल5 च स अw( हो तो िपता क अनपि-थित म जातक का जम होता ह

2 अ(म नवम अथवा एकादश ादशी भाव म सय) चररािश म हो तो िपता क अनपि-थित म जातक का जम होता ह

3 यिद िदन म जम हो तो सय) राि म जम हो तो शिन मङगल स w( हो तो जातक क िपता क म2य परदश म होती ह

4 यिद सय) शिन चररािश म मङगल स यत या w( हो तो जातक क िपता क म2य परदश म होती ह

5 सय) स पचम सम नवम भाव म पाप5ह हो अथवा पाप5ह स w( हो तो िपता बधन का योग बनता ह

प अथवा पी क इkछा रखन वाल दपितय को िवशष िदन म ही मथनिTया म रत होना चािहए -

1 -नान क पhात प ाि क इkछा होन पर आतवकाल स सम िदन म मथन करना चािहए

2 िजह पी क इkछा हो व आतवकाल स िवषम िदन म मथन कर

मथन और सगभ)ता - मथन िTया म व9 होन क पिहल कछ आवHयक आहbितया दकर एव िनिलिखत म को पढ़त हbए ही मथन म व9 होना चािहए -

286

आयरिस सव)त ितDािस धा2वा दधात िवधाता2वा दधात ~वच)सा भविदित

~ा बह-पितिव)_ण-सोम सय)-तथाऽिEनौ भगोऽथ िमावlणौ वीर ददात म सतम

अिहरिस आयरिस सव)त ितDािस धाता 2वा

दधात िवधाता2वा दधात ~वच)सा भविदित

~ाबह-पितिव_ण सोम सय)-तथाऽिEनौ

भगोऽथ िमा वlणौ प वीर ददात म

इसक बाद जब शTltरण होन लग तो िनिलिखत म को पढ़त रहना चािहए -

पषाभगसिवता म दधात l कAपयित ललामग िव_णय[िन कAपयत 2व(ा

lपािणिपशत अिसिचत जापितधा)ता गभn दधात त

गभn धिह िसनीवािल गभn धिह पथ(bक

गभn त अिEनौ दवा वाध9ा प_करजौिवितस सजथा-त जो वEानरो

दFाद ~ाणमामयत ~गभn दधाि2वित

ाbख उदbखो बोपिव(ो मथतो मिमित चक ावण कया)त

इन उपरोJ म स gtात होता ह िक मथन सगभ)ता हत िनिम9 मा माना गया ह उस सफल और मनोऽनकल बनान क िलए धाता िवधाता क ही नहS अिपत ~ािद िविभन शिJय क भी आराधना क गयी ह िजसस जीवा2मा क ितkछाया अपनी शाEत इय9ा को -थल fप म अधगिDत करत हbए गभ) क साथ)कता िस कर सक ग हमार ाचीन मिनय न भी मथन क इस भौितक िTया को सफल बनान क िलए अनकल ऋत मास पlt ितिथ िदन नlt योग करण महq2 त) एव आसनािद क भी tयव-था कर दी ह

129 सव

1291 सव का ान

गभा)धान कािलक ल5 या राि सgtक जो हो उस राि क िजतन अश उिदत हो भJ हो उतना ही िदन या राि tयतीत होन पर सव होता ह

1292 मतकािद स सव

यिद जम क समय शीष[दय (िमथन िसह कया तला विhक और कभ) रािश हो तो थम गभ) स िसर पDोदय (मष वष कक) धन और मकर) हो तो चरण उभयचारी (मीन) हो तो हाथ स सव होता ह अथवा य ही अङग सव) थम योिनार स बाहर आत ह

287

1293 सव का क$ एव सख ान

यिद जमकाल क समय म नवम भाव म पाप5ह हो तो क( स सव होता ह यिद चतथ) दशम म शभ5ह हो तो सख स सव होता ह

1294 सव थान का ान

जमल5 क रािश व नवमाश क समान -थान पर सव होता ह -

1 ल5 स ि-वभाव रािश का नवमाश हो तो जातक का जम माग) म होता ह

2 ल5 स ि-थर रािश का नवमाश हो तो जातक का जम घर म होता ह

3 ल5 स -वरािश का नवमाश हो तो जातक का जम घर म होता ह

4 ल5 स अय रािश का नवमाश हो तो जातक का जम अय tयिJ क घर म होता ह

1295 शgय िचिकसा स सव क योग

1 राहb सय) व मङगल पचमभाव म ि-थत हो तो सव शAय िचिक2सा ारा होता ह

2 पचम -थान का -वामी अपनी नीचरािश म हो नवमभाव का -वामी ल5 म हो बध व कत पचमभाव म हो तो गभ)वती ी का िशश शAय िचिक2सा ार जम लता ह

1296 अनगभा योग

अनगभा) योग म जम लन वाली ी गभ)धारण करन क योय नहS होती ह यह योग ी क कampड़ली म िन कार स बताय गय ह -

1 सय) ल5 म हो और शिन समभाव म हो अथवा सय) शिन समभाव म एक साथ ि-थत हो तो तथा बह-पित दशमभाव को दख रहा हो तो यह योग बनता ह

2 शिन एव मङगल छठ भाव म या चतथ) भाव म हो तो यह योग बनता ह

3 शिन षDश क साथ हो अथवा छठ -थान म हो और चमा सम भाव म हो और अनगभा) योग बनता ह

1210 ससव हत उपाय

1 वट क प9 पर लाल चदन स अनार क कलम स िनािकत म और य िलखकर सता क िसर पर रख दन स सखपव)क सव होता ह

म) - अि-त गोदावरी तीर जभला नाम राltसी

त-या -मरमाण िवशAया गिभ)णी भवतrsquolsquo

288

2 नय इमली क पौध क जड़ गिभ)णी क िसर क बाल म बाध द सव होत ही क ची स काट लव Pयिक aयादा दर रखना ाणघातक हो सकता ह

3 गिभ)णी क हाथ म चबक प2थर रखन स सव पीड़ा नहS होती ह

4 मन_य क बाल जलाकर गलाबजल म िमलाकर तलव म मलन स फायदा होता ह

5 कampटकारी क जड़ और अतीस तथा पाढ़ल हाथ पर म धारण करन स शी सव होता ह

6 ितल और सरस गम) तल स गिभ)णी क मािलश करन स शी सव होता ह

7 कठ किलहारी इलायची मीठा बच िचक कजा का समान भाग लकर चण) बनाकर सघान स शी सव होता ह

8 ऊ मJा पाशा िवपाशाh मJा सयyण रHमय

मJ सव)भयाद गभn एिह मािचर मािचर -वाहाrsquolsquo

कए स ताजा जल मगवाकर ऊपर िलख म को सात बार पढ़कर ी को िपलाय तरत ही सख ससव होगा

9 िltितज)ल िवज9जौ वायिव)_ण जापित

सगभा) 2वा सदा पात वशAय च िदशतत

स_व2वमिविPल(मािविPल(ा शभानन

काित)कय Fत प काित)कयोिभरिltतमrsquolsquo

यह म ी क कान स मह लगाकर सात बार पढ़ तो शी सख सव होगा

10 बन म Kयानी बादरी कkचा बन फल खाय

Vवाई Bीराम क सो तरत सव हो जाय

मरी भगत गl क सकत अब दखो तरो म क सकत

Bीराम नाम साचा म पर ईEरी बाचाrsquolsquo

इस को सात बार पानी म पढ़कर ी को िपलाव तो शी सख सव होगा

11 बन म Kयानी अजनी िजन पाए हनमत

हbकारत ही हनमत क गभ) िगर सखवत

शKद साचा िपampड ढाचा फर म Bी बाचा rsquolsquo

इस म को ी क कान म 9 बार जोर-जोर स पढ़ और फकार लगाव तो शी सख सव होगा

289

12 ऊ S BS PलS ऐ धवतर नम ( सता का नाम)

का सव शाित fपा मचा मचा कf कf -वाहाrsquolsquo

इस म स सात बार पानी को अिभमित करक सता ी को िपलाव तो शी सख सव होगा

13 ऊ मJा पाशा िवपाशाh मJा सयyण रHमय

मJ सव)भयाद गभn रािह मािचर -वाहाrsquolsquo

इस म स िगलास या कटोरी म िलया हbआ जल सात बार अिभमित करक िपला दव इस जल क पीन स lका हbआ बkचा शी बाहर िनकल आता ह

1211 साराश

ी जब िववाह क पhात थम बार ऋतमित होती ह उसक पhात होन वाला समागम िनषकrsquolsquoकहलाता ह उसक बाद होन वाल मािसक धमv क अनतर ी-पlष का समागम गभा)धान कहलाता ह मङगल और चमा क हत स िय को ितमास रजोधम) होता ह ऋत -नान क पhात ी क मािसक धम) या रजोदश)न स 16व िदन तक ी गभा)धान क योय हाती ह रजोदश)न स प (समिदवस) अथवा कया (िवषमिदवस) ाि हत शभिदवस का िवचार भी यथासमय पर कर लना चािहए

इस अVयाय क अतग)त हमन िवFािथ)य क िलए ी क रजोकाल स लकर गभ)धारण करत हbए िशश होन तक क योग का वण)न िकया ह िजसक अतग)त गभा)धान िTया प अथवा पी का जमयोग िवचार यमलयोग गभ)पातयोग सव पीड़ा योग अथवा सवसख योग सिहत गभ)काल स दस महीन का समिचत िववरण िदया गया ह

1212 श दावली

bull गभा)धान = गभा)शय म बीज क -थापना

bull गभा)वTाित = पlष व ी क बीज का समागम

bull उपचय भाव = ततीय षD दशम व एकादश भाव

bull अनगभा) = गभ)धारण हत अltम ी

bull यमल योग = जड़वा बkच उ2पन होना

290

1213 अित लघ+रामक

1 गभ) Pया ह

उ9र अ( कित और षोड़श िवकितय स यJ सजीव िपampड़ गभ) कहलाता ह

2 गभा)धान िकस कहत ह

उ9र - िजस कम) क ारा गभ) म बीज क -थापना पlष ारा ी क गभा)शय म क जाती ह उस गभा)धान कहत ह

3 िकन दो 5ह ारा ी को रजोधम) होता ह

उ9र - मङगल तथा चमा ारा ी को ितमास रजोधम) होता ह

4 रज काल क दो िनिषX समय बताईय

उ9र - अमाव-या क ]रJा ितिथ अथवा सVयाकाल थम रजोदश)न हत न( समय ह

5 रजोदश)न स प ाि हत िनिद)( िदवस बताईय

उ9र - 4 6 8 10 12 14 16व िदन प ाि हत समागम का BD समय होता ह

6 सव -थान gtात करन का Pया आधार ह

उ9र - जम ल5 क रािश व नवमाश सव -थान gtात करन का अधार ह

7 गभ)ि-थित का -वfप िकस कार होगा

उ9र - आधानकाल म ी क मनोदशा जसी होगी वसी ही गभ)-थ िशश क कित होगी

8 पदजात योग िकस कहत ह

उ9र - सव उपरात जब बkच को पहल पर तथा अत म िसर योिनमाग) स िनकलता ह उस पदजात योग कहत ह

9 गभा)धान क समय िकन तीन गampड़ात दोष का 2याग करना चािहए

उ9र - ितिथ नlt व ल5 गampड़ात का 2याग करना चािहए

10 जारज योग िकस कहत ह

उ9र - जब कोई ी अपन पित स अितरJ अय िकसी पlष क ारा सतान उ2पन करती ह तो वह सतान जारजसतान कहलाती ह

1214 लघ+रामक

1 गभा)धान क वgtािनक िTया का वण)न किजय

291

2 रजोदश)न का शभाशभ मास नlt व फल बताईय

3 गभ) म यमल योग का वण)न किजय

4 प एव कया ाि योग Pया हग

5 गभा)धान क समय Pया दोष नहS होन चािहए

1215 स0दभ 130थ

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक Bी सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

  • Page 1

3

अकादिमक एव शासिनक यवथा

ो िवनय कमार पाठक

कलपित वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

ो एलआर गजर िनदशक

सकाय िवभाग वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

ो पीक शमा

िनदशक ampीय सवा भाग

वधमान महावीर खला िव$िवालयकोटा

पाठयम उपादन

योग+ गोयल सहायक उपादन अिधकारी

वधमान महावीर खला िविवालय कोटा उपादन इस सामी क िकसी भी अश भी अश को वमखिव कोटा क िलिखत अनमित क िबना िकसी भी प म अय पनः तत करन क अनमित नह ह वमखिव कोटा क िलए कलसिचव को वमखिव कोटा (राज) ारा मि(त एव कािशत

4

इकाई - 1

पचाग का यावहारक जीवन म उपयोग इकाई क पररखा

11 -तावना

12 उय 13 िवषय -वश

131 पAचाङग 132 सवD सर 1321 सवD सर आनयन िविध 133 सवD सर वामी 134 सवD सरफल 133 ऋत

1331 ऋतओ का िवभाग 134 अयन

1341 उEरायण 1342 दिFणायन

135 मास 1351 सौरमास 1352 चा0मास 1353 सावनमास 1354 नाFमास 1355 Fयािधमास िवचार 1356 मलमास म करणीय व अकरणीय काय$

1357 जममास 1357 जममास

136 पF 137 ितिथ

1371 अमावया क भद

5

1372 पिण$मा क भद 1373 ितिथ को शा9lt म पाच भागlt म िवभािजत िकया ह (नदा भ0ा जया रा पणा$) 1374 नदािद ितिथयlt म उDपन जातकlt का फल 1375 ितिथसमय 1376 िछ0ा ितिथ 1377 Fय ितिथ 1378 विM ितिथ 1379 Fय व विM ितिथ का Dयाग व परहार 13710 पव$ ितिथया 13711 गल(ह ितिथया 13712 सोपपद व कलाकल ितिथया 13713 ितिथयlt क वामी 13714 ितिथयlt म िनिषM काय$ 13715 चािद मास म शय ितिथया 13716 पFरN ितिथया 13717 ितिथयोिगनी च 13718 घातितिथया 13719 ितिथ अशभफलनाशक पदाथ$ 13720 ितिथ म 4ारिनमा$ण का िनषध 13721 मवािद ितिथया 13722 यगािद ितिथया 13723 मवािद व यगािद ितिथयlt म करणीय कम$ 13724 ितिथयlt म आन वाली वयिसM ितिथया

138 गampडात िवचार 1381 ितिथ गampडात 1382 ल(गampडात 1383 नFगampड़ात

139 वार 1391 शभ-अशभ वार 1392 वार व उनक करणीय काय$

1310 कालहोरा महQD त$ 1311 चौघिडय़ा ान िविध

6

1312 अिभिजत महQD त$ 1314 -दोषकाल 1315 घातवार 1316 िदशाशल 1317 वार म अशभफलनाशक पदाथ$

1318 वार क अनसार जम लन वाल जातकlt का फल 1319 पचकlt म Uया कर और Uया नहV 1320 अिनवास 1322 नFlt कW सा एव उनम करणीय कम$

1323 पAचाङग म योगिवचार 1324 यितपात 1325 वधित 1326 आनदािद 28 योग 1327 कचािद ताDकािलक योग 1328 करण का शभ व अशभ िववचन 1329 भ0ािवचार

13291 भ0ािवचार 13292 भ0ा अङगिवभाग 13293 भ0ा म शभाशभ करणीय कम$

1330 राहYकाल का यथाथ$ 1331 िशववास का जानन का -कार 14 साराश 15 शZ दावली 16 अितलघEराDमक -[ 17 लघEराDमक -[ 18 सदभ$ (थ

11 तावना

7 योितष शा स सबिधत -थम इकाई ह इस इकाई क अ^ ययन स आप बता सकत ह िक पAचाङग का यावहारक ान िकस -कार होगा इसका िवशष _प स वण$न िकया गया ह पAचाङग बनान कW -था बड़ी परानी ह 7योितष क F म पAचाङग तभी स -चिलत हYआ जब िक हम 7योितष का थोड़ा बहYत ान होन लगा था पर यह िनिaत ह िक वह पराना पAचाङग आज जसा नहV था पAच अङग क थान पर पहल िकसी समय चतरङग bयङग 4यङग अथवा एकाङग भी -चिलत था और िलिप का

7

ान होन क पहल तो कदािचत जबानी ही उसका ान कर लत थ परत इतना अवय ह िक ितिथ नF (ह आिद िथित दश$क कोई पदाथ$ अित-ाचीन काल स ही -चिलत रहा ह यहा उस 7योितदप$ण कहग वदो म भी िलखा ह िक अमक िदन नF और ऋत म अमकामक काय$ करन चािहए वदाङग7यौितषकाल अथा$त शकपव$ 1400 म वष$ म ितिथ और नF अथवा सावन िदन और नF दो ही अङग थ ितिथ का मान लगभग 60 घटी होता ह अथा$त उस अहोरा दश$क कहना चािहए ितeयध$ अथा$त करण नामक अङग का -चार ितिथ क थोड़ ही िदनlt बाद हYआ होगा और उसक बाद वार -चिलत हYए हltग अथव$7योितष म करण व वार दोनो ह ऋUगf परिश म ितिथ करण महQD त$ नF ितिथ कW नदािद साओ िदनFय और वार का वण$न ह पर मषािद रािशया नहV ह वत$मान पAचाङग का व_प -ाचीनकाल स बहYत ही िभन हो चका ह

12 उय

इस इकाई क अ^ययन क पaात आप िन=निलिखत शा9ीय ान स अवगत हो पायग

1 िनDय -ितिदन पAचाङग का -योग

2 पAचाङग क िसMातो का अधारभत ान

13 िवषय वश

-ाचीनकाल स पAचाङग का महQD त$ -Dयक यि क जीवन म रहा ह -ात काल िन0ाम होत ही पहली िजासा यही होती ह िक आज कौनसा वार ितिथ hत-पव$ आिद ह इस इकाई म सभी िजासओ को पAचाङग का यवहारक ान िदया जा रहा ह िजसस वह वय दिनक 7योितषीय िनण$य वत कर सक

131 पचाङग

पाच अङगlt स पAचाङग बना ह - ितिथ वार नF योग करण

ितिथवा$रAच नF योग करणमव च

यतत पAचक प पAचाङग तददीरतम

- पAचाङगिवानम

पाच अङगो क अितर भी अय अनकानक िवषयlt का समावश पAचाङग म होता ह वष$ क स=वDसरािद िनण$य (हण-िनण$य hत-पवा$िद दिनक (ह-प िववाह आिद महQE

132 सव सर

8

पAचाङग का -ार=भ सवD सर स होता ह यही वष$ गणना सवD सर कW जननी ह iाj दव मानव िपbय सौर सावन चा0 एव बाह$पDयािद मतlt क अनसार िविभन कालमानlt को य िकया जाता ह तदनतर बाह$पDय और चा0 मान स सवत सर कW -ितपिE होती ह

1321 सव सर आनयन िविध

शािलवाहन शक एव िवमस=वत म -ाय 135 का अतर होता ह अत शकाZद म 135 जोडऩ पर िवमाZद -ाk होता ह -तत स=वत म 09 जोड़कर -ाk सlया को 60 स िवभािजत कर शषाङकlt क अनसार -भवािद गत सवD सर जानन चािहए

उदाहरणतया -

स=वत 2022 + 9 = 2231 60 अथा$त लिZध 33 एव शष 51 -ाk हYआ अत 51 सवD सर भोगन क बाद 52वा कालय नामक सवD सर वत$मान ह

133 सव सर 13वामी

60 सवD सर को 4ादश भागlt म िवभािजत कर दन स -Dयक भाग म पाच सवD सर होत ह इस सवD सरपचक कW कालाविध यग कहलाती ह पाच-पाच स=वDसरlt स िनिम$त म -ाk यगसमहlt क अिधपित इस -कार ह -

सवD सर (पाच-पाच) वामी

1-5 िव1ण

6-10 बहपित

11-15 इ0

16-20 अि(

21-25 िवmकमा$

26-30 अिहब$^य

31-35 िपतर

36-40 िवmदवा

41-45 च0

46-50 इ0ािन

51-55 अिmनी

56-60 भग

9

134 सव सरफल

वत$मान सवD सर सlया को दगना करक उसम 03 घटाकर 07 का भाग दव शषाङकlt क अनसार स=वत फल िनnिलिखत ह -

शषाङक फल शषाङक फल

0 पीड़ा 1 दिभ$F

2 सिभF 3 म^यम

4 दिभ$F 5 सिभF

6 म^यम

िवमािदDय काल स -चिलत -भवािद स=वDसरlt कW शभाशभता उनकW सा स ही झलकती ह इनक िन=निलिखत अिविpछन म ह -

1 -भव 2 िवभव 3 शUल 4 -मोद 5 -जापित

6 अङिगरा 7 qीमख 8 भाव 9 यवा 10 धाता

11 ईmर 12 बहYधाय 13 -माथी 14 िवम 15 वष

16 िचभान 17 सभान 18 तारण 19 पािथ$व 20 यय

21 सव$िजत 22 सव$धारी 23 िवरोधी 24 िवकित 25 खर

26 नदन 27 िवजय 28 जय 29 ममथ 30 दम$ख

31 हमल=बी 32 िवल=बी 33 िवकारी 34 शाव$री 35 2लव

36 शभकत 37 शोभन 38 ोधी 39 िवmावस 40 पराभव

41 2लवङग 42 कWलक 43 सौ=य 44 साधारण 45िवरोधकत

46 परधावी 47 -मादी 48 आनद 49 राFस 50 नल

51 िपङगल 52 कालय 53 िसMाथr 54 रौ0 55 दम$ित

56 ददिभ 57 sिधरोदगारी 58 राFी 59 ोधन 60 Fय

133 ऋत

सय$ का मषािद -Dयक दो-दो रािशयlt पर समण काल ऋत कहलाता ह इस -कार एक वष$ म छ ऋतय होती ह -

1 बसत 2 (ी1म 3 वषा$ 4 शरद

5 हमत 6 िशिशर

10

ऋतए सौरमास चामास

बसत मीन-मष च-वशाख

(ी1म वष-िमथन 7यt-आषाढ़

वषा$ कक$ -िसह qावण-भा0पद

शरद कया-तला आिmन-काित$क

हमत विaक-धन माग$शीष$-पौष

िशिशर मकर-क=भ माघ-फाuगन

2331 ऋतओ का िवभाग (आष$वचन क अनसार) -

ऋतए कार

बसत (ी1म एव वषा$िद दवी-ऋत

शरद हमत एव िशिशर िपतर-ऋत

इनका फल व-कमा$नसार होता ह

134 अयन

ाितवE क -थमाश का िवभाजन उEर व दिFण गोल क म^यवतr धरवlt क 4ारा माना गया ह यही िवभाजन उEरायण और दिFणायन कहलता ह इन अयनlt का 7योितष ससार म -मख थान ह

1341 उरायण

इस सौ=यायन भी कहा जाता ह उEरायण -विE सायन मकर क सय$ (जो पAचाङगlt म -ाय मकर भान स िनिद$ िकया जाता ह) अथा$त 21-22 िदस=बर स लकर िमथन का सय$ 06 मास तक रहता ह साधारणतया लौिककमतानसार यह माघ स आषाढ़ पय$त माना जाता ह सौ=यायन सय$ कW कालाविध को दवताओ का िदन माना जाता ह एव इस समय म सय$ दवताओ का अिधपित होता ह िशिशर बसत और (ी1म- य तीन ऋतए उEरायण सय$ का सङगठन करती ह इस अयन म नतन गह--वश दीFा-(हण दवता उxान कआ बावड़ी तालाब आिद कW -ितtा िववाह चड़ाकरण तथा योपवीत -भित सकार एव इतरतर शभकम$ करना शा9स=मत ह

नोट - उEरायण -विE क समय स 40 घटी पय$त समय पampयकाल माना जाता ह जो सभी शभकायy म

विज$त ह

1342 दिणायन

यह समय दवताओ कW राि माना गया ह सायन कक$ क सय$ (िजसक य-त ककz भान स -िद िकया जाता ह) अथवा 21-22 जन स 06 मास अथा$त धनरािशथ सायन सय$ तक का म^यातर

11

दिFणायन (या=यायन) सक ह दिFणायन म वषा$-शरद-हमत ऋत कW -विE होती ह दिFणायन काल म सय$ िपतरlt का अिधtाता कहा गया ह अतएव इस काल म षोड़श सकार तथा अय माङगिलक कायy क अितर कम$ ही िकय जात ह उ(दवता मातकाए भरव वाराह नारिसह ििवम (िव1ण) मिहषासर का वध करत हYए दगा$ कW थापना दिFणायन म भी कW जा सकती ह

नोट - दिFणायन -वश होन क समय स 15 घटी का समय पampयकाल क नाम स -िसM ह और वह सभी शभाशभ कमlt म िवशषत Dया7य ह

135 मास

मास चार -कार क होत ह -

1351 सौरमास

यह सय$ समण स स=बM ह मषािद बारह रािशयlt पर सय$ क गमनानसार ही मषािदसक 4ादश सौरमासlt का गठन िकया गया ह एक सौरमास लगभग 30 िदन 10 घampट का होता ह िववाह उपनयनािद षोड़श सकार य एकोि qाM ऋण का दानादान एव (ह-चारािद अयोयिवषयक कालlt का िवचार सौरमास म करना चािहए

1352 चामास

यह च 0 स स=बिधत ह अमावया क पaात शUल -ितपदा को च0 िकसी नFिवशष म -वश करक -ितिदन एक-एक कला क परणाम स बढ़ता हYआ पिण$मा को पण$च0 क _प म ि गोचर होता ह पन क1ण-ितपदा स मश अuपशUल होता हYआ च0मा अमावया को पणा$धकार_पी मतावथा को -ाk होता ह अत एक मत क 4ारा शUल -ितपदा स अमावया तक अDयतर मतानसारण शUल -ितपदा स पिण$मा तक का समय चा0मास कहा जाता ह यxिप शUलपFािद मास मlय तथा क1णपFािद मास गौण ह तथािपत दशभद क अनसार दोनlt -कारlt स चा0मासlt कW -विE को (हण िकया जाता ह -Dयक चा0मास -ाय 29 िदन 22 घampट का होता ह चािद िविभन चा0मासlt कW साय पिण$मा को च0 4ारा सिमत नF सा पर आधारत ह -

मास न

च िचा वाती

वशाख िवशाखा अनराधा

7यt 7यtा मल

आषाढ़ पवा$षाढ़ा उEराषाढ़ा

qावण qवण धिनtा

भा0पद शतिभषा पवा$भा0पद उEराभा0पद

12

आिmन रवती अिmनी भरणी

काित$क कितका रोिहणी

माग$शीष$ मगिशरा आ0रा

पौष पनव$स प1य

माघ अ|षा मघा

फाuगन पवा$फाuगनी उEराफाuगनी हत

1353 सावनमास

एक अहोरा म 24 घampट या 60 घटी मानकर 30 िदन का एक सावनमास होता ह जातक कW अवथा उEरािधकारयlt म स=पिE-िवभाजन 9ीगभ$ कW विM तथा -ायिaEािद कमy म सावनमास का ही िवचार करना चािहए

1354 नामास

च0मा क 4ारा 27 नFlt क मण को स=पण$ करन म आवयक समयाविध को एक नाFमास कहत ह नाFमास का उपयोग जलपजन नFशाित य-िवशष तथा गिणतािद म िकया जाता ह

1355 यािधमास िवचार

सौरवष$ का मान 365 िदन -15 घटी - 31 पल - 30 िवपल

चा0वष$ का मान 354 िदन - 22 घटी - 01 पल - 33 िवपल

अत प ह िक चा0वष$ सौर वष$ स 10 िदन - 53 घटी - 30 पल - 07 िवपल कम ह इस Fितपित$ और दोनlt मासlt क सामAजय क उय स हर तीसर वष$ अिधक चा0मास तथा एक बार 141 वषy क बाद तथा दसरी बार 19 वषy क बाद Fय-चा0मास कW आविE होती ह

अस ाितमासोऽिधमास $फट $याद

ि)स ाितमास याय कदािचत -

िसMातिशरोमिण

िजस चा0मास म प सय$ कW साित न हो वह अिधकमास तथा िजस चा0मास म दो बार सय$ कW साित हो वह Fयमास कहलाता ह

Fयमास व अिधकमास दोनlt ही मलमास कहलात ह

1356 मलमास म करणीय व अकरणीय काय

स^या-अि(हो-पजनािद िनDयकम$ गभा$धान जातकम$-सीमत-पसवन सकार रोगशाित अल~य योग म qाM 4ादशाह-सिपampडीकरण मवािद ितिथयlt का दान दिनक दान यव-ितल-गो-भिम तथा

13

वणा$िद दान अितिथ-सDकार िविधवत नान -थम वािष$क qाM मािसक qाM एव राजसवा िवषयक कम$ मलमास म शा9स=मत ह

अिनDय व अनिमिEक काय$ ि4तीय वािष$क qाM तलापsष-कयादान-गजदानािद अयोय षोड़श महादान अयाधान य अपव$ तीथ$याा अपव$ दवता क दश$न वािटका-दव-कआ-तालाब-बावड़ी आिद क िनमा$ण और -ितtा नामकरण-उपनयन-चौलकम$-अन-ाशनािद सकार िवशष रा7यािभषक सकामना वषोDसग$ बालक का -थम िन1मण hतार=भ hतोxापन गहार=भ गह-वश िववाह दवता का महोDसव कमा$नtानािद का=यकम$ पाप--ायिaत -थम उपाकम$ व उDसग$ हमत ऋत का अवरोह सप$बिल अ काqाM ईशान दवता कW बिल वध-वश दगा$-इ0 का थापन और उDथान दवतािद कW शपथ (हण करना िवशष परवत$न िव1ण-शयन और कमनीय याा का मलमास म िनषध ह

1357 जममास

जमिदन स एक सावनमास (30 िदन) पय$त जममास कहलाता ह मतातरण िजस क1णपFािद चा0मास म यि का जम हो उस ही जममास माना जाता ह पनa Fयमास क अतग$त ितिथ क पवा$M$ म जम हो तो पव$मास तथा परा0ध म जम हो तो आगामी मास ही जममास िनधा$रत िकया जाना चािहए

जममास म साधारणतया Fौरकम$ (चड़ाकरण) याा व कण$वधािद कम$ विज$त ह परत नान दान जप होम िववाह एव कमनीय कयy क िलए जममास शभफलदायी होता ह यथा -

$नान दान तपो होम सवमाङग3यवधनम

उ)ाह5 कमारीणा जममास श$यत -

qीपितसमpचय

जमिन मािस िववाह शभदो जम8षजमरायो5

अशभ वदित गगा ितवधौरयाास - पीयषधारा

जममास म माङगिलक काय$ स=पादन क िनण$यातग$त विसt न कवल जमिदन गगा$चाय$ जमानतर 08 िदन अिधपित न 10 िदन और भागर न जम क पF को ही कवल दिषत बतलाया ह एव जममास क शष िदन शभकम$ स=पादन म (ाf ह -

जात िदन दषयत विसgtो ौ च गगA िनयत दशराि

जात$य प िकल भागBर5 शषा श$ता खल जममािस

- राजमात$ampड़

136 प

14

िजस राि म सय$ और च0मा िकसी रािश म एक ही अश पर हो वह राि अमावया कहलाती ह अमावया स िनरतर बढ़ती हYई च0-सय$ कW परपर दरी िजस िदन 180 अश परिमत हो जाती ह उस िदन राि को पण$ च0 ि गोचर होता ह और वह राि पिण$मा कहलाती ह अत अमावया स पिण$मा तक का यह 15 िदनाDमक -काशमान म^यातर शUलपFrsquolsquoकहलाता ह तDपaात पिण$मा स अमावया तक का काल क1णपFrsquolsquoकहलाता ह

शUलपF दव-धान होन स दवकमy म तथा क1णपF म िपतरािधिtत होन क कारण िपतकमy म िविहत ह अथा$त शUलपF म सव$ शभकाय$ तथा क1णपF म सभी िपतकाय$ -शत ह यथा -

य दवा पयतऽधमास स दवा योऽपीयत स िपतर -

शतपथ iाjण

-ाय एक पF 15 िदन का होता ह और कभी-कभी ितिथ-Fय-विM क कारण यनािधक भी हो सकता ह परत एक ही पF म दो बार ितिथ-Fय हो जान स 13 िदनाDमक पF समत कमy म वज$नीय ह यथा -

प$य मCय ि)ितथी पतता तदा भवौरवकालयोग

प िवन सकल िवनिमयाहEराचायवरा सम$ता -

7योितिन$बध

137 ितिथ

रिवच0योग$Dयतर ितिथrsquolsquoअथा$त सय$ व च0मा कW गित का अतर ही ितिथ का मान होता ह इह कल 30 भागlt म िवभािजत िकया गया ह इस -कार सय$ और च0 क -Dयक 12 अश पर एक ितिथ बढ़ती ह िजह मश -ितपदा (-थमा) ि4तीया आिद स लकर अमावया तक क1णपF कW तथा इसी -कार -ितपदा ि4तीया ततीया आिद स पिण$मा तक शUलपF कW 15-15 ितिथया होती ह स=पण$ ितिथयlt को िमलाकर एक चा0मास होता ह िजस पAचाङग म अलग स च वशाख 7यt आषाढ़ qावण भा0पद आिmन काित$क माग$शीष$ पौष माघ एव फाuगन नामlt स अलग-अलग -दिश$त िकया जाता ह

अमावया को हYए सय$-च0मा क समागम क पaात दोनlt (ह उEरोEर दर होत जात ह उस िदन च0मा 0 अश स -ार=भ होकर जब 12 अश तक जाता ह तब शUल -ितपदा का आगमन होता ह इसी -कार 12-12 अशlt क परमाण स अि(म ितिथया बनती ह अत म पिण$मा को सय$-च0 म 180 अश कW दरी हो जान पर च0मा मampडल पण$ -काशमान हो जाता ह इसी -कार 12 अश क िमक ास क साथ-साथ क1णा -ितपदा का आगमन इसी -कार होता ह यही म क1णपF का ह

15

1371 अमाव$या क भद

िसनीवाली दश$ कहQ -ात काल रािपय$त यािपनी अमावया िसनीवालीrsquo चतद$शी स िवMा दश$ तथा -ितपदा स य कहQ सक होती ह

1372 पिणमा क भद

अनमित व राका राि को एक कलाहीन और िदन म पण$च0 स स=पन अनमितसकrsquo पिण$मा चतद$शीय होती ह परत राि म पण$ च0मा सिहत पिण$मा -ितपदा स य और राकाrsquo होती ह

1373 ितिथ को शाFG म पाच भागG म िवभािजत िकया ह (नदा भा जया BरJा पणा) -

सKा ितिथया

नदा 1 6 11

भ0ा 2 7 12

जया 3 8 13

रा 4 9 14

पणा$ 5 10 1530

1374 नदािद ितिथयG म उपन जातकG का फल -

नदा ितिथ (1-6-11) - नदा ितिथ म जम लन वाल जातक मान पान वाल दवताओ कW भि म

िनtा रखन वाल िव4ान ानवान व लोकि-य होत ह

व9 गीत वाx नDय किष उDसव गहस=बधी काय$ तथा िकसी िशuप का अ~यास हत नदा ितिथ qt ह

भा ितिथ (2-7-12) - भ0ा ितिथ म जम लन वाल जातक बध-बाधवlt म स=मािनत राजसवक

धनी तथा सासारक भय स डरन एव परोपकारी होत ह

िववाह उपनयन याा आभषण-िनमा$ण और उपयोगी कला सीखना तथा हाथी-घोड़ा एव सवारीिवषयक कायy हत भ0ा ितिथ qt ह

जया ितिथ (3-8-13) - जया ितिथ म जम लन वल जातक राजाओ सश या राजाओ स पिजत

िकत प-पौlt स रिहत शरवीर दीघा$य और दसरlt क मन कW बात को जानन वाल होत ह

सय-सगठन सिनक-िशFा स(ाम श9-िनमा$ण याा उDसव गहार=भ गह-वश औषधकम$ और यापार हत जयाितिथ qt ह

16

BरJा ितिथ (4-9-14) - रा ितिथ म जम लन वाल जातक -मािद -Dयक काय$ म अनमान लगान

वाल गsओ क िनदक शा9 क ाता दसरlt क मद को नाश करन वाल तथा अDयिधक कामच ा रखन वाल होत ह

शओ का दमन और कद करना िवष दना श9-योग शuयिया तथा अिन लगाना आिद रकम$ हत राितिथ qt ह

पणा ितिथ (5-10-1530) - पणा$ ितिथ म जम लन वाल जातक धन स परपण$ वद एव शा9lt क

अथy को जानन वाल िव4ान सDयवा तथा शM मन वाल होत ह

िववाह योपवीत आवागमन नपािभषक तथा शाितक-पौि क कम$ हत पणा$ितिथ qt ह

1375 ितिथसमय - सयदय क समय जो ितिथ वत$मान हो वह उदययािपनी ितिथ िदन-राि तक

दान पठन hतोपवास नान दवकम$ िववाहािद सकार तथा -ितtािद समत माङगिलक कायy म (ाf ह परत qाM शरीर पर तल या उबटन का -योग मथन तथा जम-मरण म ताDकािलक कम$यािपनी ितिथ को ही (हण करना चािहए

1376 िछा ितिथ - -Dयक पF कW 4 6 8 9 12 और 14 ितिथया पFिछ0ा कहलाती ह तथा

शभकायy म इनका परDयाग ही अपिFत ह अDयावयकता म िनिद$ ितिथयlt कW आिदम घिटयlt का Dयागकर शष घिटयlt को -योगाथ$ (हण करना चािहए

ितिथ 4 6 8 9 12 14

घटी 8 9 14 25 10 05

1377 य ितिथ

सयदय क बाद िकसी ितिथ का -ार=भ हो तथा अि(म सयदय स पिहल उस ितिथ का समापन हो जाय तो वह ितिथ Fयितिथ कहलाती ह

1378 विN ितिथ

यिद एक ही ितिथ क -माण म दो सयदय हो जाय अथा$त सयदय क पिहल िकसी ितिथ का -ार=भ हो जाय तथा अि(म सयदय क पaात उस ितिथ का समापन हो तो वह ितिथ विMितिथ कहलाती ह

1379 य व विN ितिथ का याग व पBरहार

Fय व विM ितिथया सभी कमy म Dया7य ह तथा आवयक होन पर ितिथFयrsquo अथवा ितिथविMrsquo क िदन काय$ क समय ल( कampड़ली म बहपित क0थ हो तो ितिथदोष समाk हो जाता ह यथा -

अमाय ितथदAष कगो दवपिजत

हित य)त पापचय Oत )वािषPक यथा - विसt

13710 पव ितिथया

17

क1णा अ मी चतद$शी अमावया पिण$मा तथा सय$-साित क िदन वत$मान ितिथ पव$सकrsquo होती ह जो सभी माङगिलक कायy म विज$त ह

13711 गलQह ितिथया

चतथr सkमी अ मी नवमी योदशी चतद$शी अमावया -ितपदा य सभी क1णपF कW गल(हrsquo ितिथया ह इनका सभी माङगिलक कायy म िनषध ह

13712 सोपपद व कलाकल ितिथया

7यtशUल ि4तीया आषाढ़ शUल दशमी पौषशUल एकादशी माघ कW क1णपF व शUलपF कW चतथr व 4ादशी य ितिथया सोपपदrsquo होती ह य सभी ितिथ शभफलदायक ह

-Dयक मास कW ि4तीया षtी व 4ादशी ितिथ कलाकलrsquo सक होती ह य सभी ितिथया म^यम फलदायक ह

13713 ितिथयG क $वामी

भारतीय पर=परा म कङकर-कङकर म शङकर कW कuपना कW गयी ह इसी -कार पAचाङग क -Dयक अङग का वामी िनधा$रत िकया गया ह अभी दवताओ क शभाशभ फल भी -ितपािदत िकय गय ह इसी म म यहा ितिथयlt क वामी का िववचन िकया जा रहा ह

ितिथ $वामी िनिद कम

-ितपदा अि( िववाह याा उपनयन -ितtा सीमतोनयन चौलकम$

गहार=भ गह--वशशाितक-पौि क काय$ आिद समत माङगिलक काय$

ि4तीया ijा राजा-मी-सामत-दश-कोश-गढ़ और सनािद राज क

सkाङग व छ चामरआिद रा7य क सkिच-स=बधी

काय$ वातकम$ -ितtा याा िववाहआभषण-िनमा$ण व

धारण उपनयनािद शभकम$

ततीया पाव$ती सगीत-िवxा िशuपकम$िवषयक कम$ सीमत चड़ाकरण

अन-ाशन गह-वश

तथा ि4तीया ितिथ म िनिद$ सभी कम$ ततीया ितिथ म भी

-शसनीय ह

चतथr गणश शताडऩ िबजली क काय$ िवषदान िहसक कम$ अि(

लगाना बदी बनानातथा श9-योगािद सभी कम$

18

पAचमी सप$ चर-िथरािद सभी कम$ परत िकसी को ऋण नहV दना

चािहए

षtी काित$कय िशuपकम$ रणकाय$ गहार=भ व9ालङकार कDय

अिखलका=य कम$ परत इसिदन दतधावन आवागमन

तला~यङग काtकम$ एव िपतकाय$ विज$त ह

सkमी सय$ हितकम$ िववाह सगीतकम$ व9ाभषण िनमा$ण और

धारणयाा गह-वशवध-वश स(ाम तथा ि4तीया-ततीया

व पचमी म िनिद$ सभी कम$ सkमी मभी (ाf ह

अ मी िशव यM वातकाय$ िशuप राजकाय$ आमोद--मोद लखन-

नDय 9ीकम$ रDनपरीFाआभषण-कम$ तथा श9धारण परत मास का सवन इस िदन कदािप नहV कर

नवमी दगा$ चतथr म उ सभी कम$ िव(ह कलह जआ खलना

मxिनमा$ण-पानआखट तथा श9िनमा$ण qt ह

दशमी यम ि4तीया-ततीया-पAचमी-सkमी म िनिद$ सभी कम$ हाथी-

घोड़ा स स=बधी कम$ तथा राजकाय$ qt ह इस िदन तला~यङग नहV कर

एकादशी िवmदवा एकादशी hतोपवास योपवीत पािणपीडऩ दव महोDसवािद

अिखल धम$ कम$ गहार=भ यMिशuप सीखना मxिनमा$ण

व गमन-आगमन व व9ालङकार काय$ qt ह

4ादशी हर अिखल चर-िथर काय$ पािण(हण उपनयनािद

माङगिलक आयोजन qt ह परत तलमद$न नतन गहार=भ गह-वश व याा का परDयाग कर

योदशी काम शUलपF कW योदशी ही (ाf ह ि4तीया-ततीया-पAचमी-

सkमी तथा दशमी म िनिद$ सभी काय$ शUलपF कW योदशी म qt ह परत मतातरण इस िदन याा-गह-वश तला~यङग यM व9ाभषण कम$ तथा योपवीत क अितर समत माङगिलक काय$ शभ ह

चतद$शी िशव िवषदान श9धारण -योग तथा चतथrय द कम$ शा9ो

ह परत चतद$शी म Fौरकम$ तथा यााकम$ आिद कम$ विज$त ह

19

पिण$मा च0मा िववाह दव जलाशय वािटका कW -ितtा िशuपभषणािद

कम$ स(ाम तथा यािक शाितक-पौि क व वात कम$ qt ह

अमावया िपतर इस िदन अयाधान िपतकम$ तथा महादान -शत ह परत

इसम कोई शभ कम$ तथा 9ीसङग रमण नहV करना चािहए

13714 ितिथयG म िनिषN काय (इन ितिथयlt म य काय$ अशभ होत ह अथ$ च स प ह) -

ितिथ काय$ ितिथ काय$

षtी तला~यङग ि4तीया उबटन

अ मी मासभFण दशमी उबटन

चतद$शी Fौरकम$ योदशी उबटन

अमावया रितिया अमावया आवला िमिqत जल स नान

सkमी आवला िमिqत जल स नान नवमी आवला िमिqत जल स नान

13715 चािद मास म शय ितिथया

(इन ितिथयlt म य काय$ अशभ होत ह अथ$ च स प ह) -

मास शयितिथया शयितिथया

क1णपF शUलपF

च 8 9 8 9

वशाख 12 12

7यt 14 13

आषाढ़ 6 7

qावण 2 3 2 3

भा0पद 1 2 1 2

आिmन 10 11 10 11

काित$क 5 14

माग$शीष$ 7 8 7 8

पौष 4 5 4 5

माघ 5 6

20

फाuगन 4 3

13716 परR ितिथया

चतथr षtी अ मी नवमी 4ादशी व चतद$शी इन ितिथयlt कW पFरN सा होती ह इनम कोई भी शभ काय$ नहV करना चािहए यिद बहYत-ही आवयकता हो तो उपरो ितिथयlt म चानसार काय$ कर -

ितिथ याSय घटी (दUड़) ितिथ याSय घटी (दUड़)

चतथr 08 षtी 09

अ मी 14 नवमी 24

4ादशी 10 चतद$शी 05

13717 ितिथयोिगनी च

िदशा ितिथ िदशा ितिथ

ईशान 8 30 पव$ 1 9

आ(य 3 11 दिFण 5 13

नऋ$ Dय 4 12 पिaम 6 14

वायय 7 15 उEर 2 10

उपरो ितिथयlt म योिगनी चो ईशािद िदशाओ म िथत होती ह योिगनी याा क समय बाय भाग म सखदायक पt म वािछतफल-दाियनी दिFण म धन का नाश करन वाली तथा स=मख म मDयकारक (क दायक) होती ह यथा -

योिगनी सखदा वाम पgt वािछत दाियनी

दिण धनही च सWमख मरणदा

13718 घातितिथया (रािश क अनसार)

याा आिद म घात ितिथ को विज$त करना चािहए

ितिथ रािश ितिथ रािश

1 6 11 मष 5 10 15 वष

2 7 12 िमथन 2 7 12 कक$

3 8 13 िसह 5 10 15 कया

4 9 14 तला 1 6 11 विaक

21

3 8 13 धन 4 9 14 मकर

3 8 13 क=भ 5 10 15 मीन

13719 ितिथ अशभफलनाशक पदाथ

िजस ितिथ म याा करनी हो यिद वह ितिथ अशभ हो तो िन=न चाङिकत पदाथy का भFण करक अथवा इन वतओ का दान करक याािद काय$ करन पर सफलता -ाk होती ह तथा ितिथदोष न हो जाता ह

ितिथ पदाथ$ ितिथ पदाथ$

-ितपदा मदार का प ि4तीया चावल का धोया हYआ पानी

ततीया दशी घी चतथr दशी घी का हलवा

पAचमी हिव1यान षtी वण$ का धोया हYआ जल

सkमी पआ अ मी अनार का फल

नवमी कमलप1प का जल दशमी गौम

एकादशी जौ का भात 4ादशी दध-चावल कW खीर

योदशी गड़ चतद$शी र

पिण$मा मग अमावया भात

13720 ितिथ म )ारिनमाण का िनषध - इन ितिथयlt इन िदशाओ क 4ारा नहV बनान चािहए और

बन हYए 4ारो म स इन ितिथयlt म इन िदशाओ म -वश अथवा इन 4ारlt स गमन नहV करना चािहए

िदशा ितिथ

पव$ पिण$मा तथा क1णपF कW अ मी

दिFण शUलपF कW नवमी स चतद$शी तक

पिaम अमावया शUलपF कW अ मी

उEर क1णपF कW नवमी स चतद$शी तक

13721 मवािद ितिथया (इन ितिथयlt म शभ काय$ नहV करन चािहए) -

ितिथ

1 चशUल ततीया व पिण$मा 2 काित$शUल पिण$मा व 4ादशी

3 आषाढ़शUल दशमी व पिण$मा 4 7यt व फाuगनशUल पिण$मा

5 आिmनशUल नवमी 6 माघशUल सkमी

22

7 पौषशUल एकादशी 8 भा0पद शUल ततीया

9 qावणक1ण अमावया व अ मी

13722 यगािद ितिथया (इन ितिथयlt म शभ काय$ नहV करन चािहए) -

ितिथया यगािद

काित$कशUल नवमी सत यगािद

वशाख शUल ततीया तायगािद

माघक1ण अमावया 4ापरयगािद

qावणक1ण योदशी किलयगािद

13723 मवािद व यगािद ितिथयG म करणीय कम

इन ितिथयlt म नान हवन जप दान-पampय करन स अनतकोिट फल -ाk होता ह परत िवxार=भ उपनयन hतोxापन िववाह गहिनमा$ण गह--वश िनDया^ययन तथा याािद म इह Dया7य बताया गया ह

शUलपF म कत$य qाM क िलए इन ितिथयlt का पवा$ और क1णपF क qाMlt क इनका अपरा (ाf ह

अपवाद -

च व वशाख शUल ततीया तथा माघशUला सkमी ितिथया मवािद यगािद होन पर भी शभकमy म (हण करन कW अनमित शा9lt न दी ह यथा -

या चवशाखिसताततीया माघ च सXWयथ फा3गन$य

कYण ि)तीयोपनय श$ता ोJा भर)ाजमनीमय - पीयषधारा

13724 ितिथयG म आन वाली $वयिसN ितिथया

ितिथ पव$

चशUल -ितपदा नवीन स=वDसरा=भ (कuपािद)

चशUल नवमी रामनवमी

वशाखशUल ततीया अFयततीया (तायगािद)

वशाख शUल नवमी जानकW नवमी

वशाख शUल पिण$मा बM पिण$मापीपल पिण$मा

7यtशUल दशमी गगादशमी

23

7यtशUल एकादशी िनज$ला एकादशी

आषाढ़शUल नवमी भडuया नवमी

भा0पद क1ण अ मी जमा मी

भा0पदक1ण नवमी गोगानवमी

भा0पदशUल एकादशी जलझलनी एकादशी

आिmनशUल दशमी िवजयादशी (दशहरामवािद)

काित$कक1ण अमावया दीपावली (दीपमािलका)

काित$कशUल एकादशी दव-बोिधनी एकादशी

माघशUल पचमी बसत पचमी

फाuगनशUल ि4तीया फलरा दोज

चक1ण अ मी शीतला मी (बायोड़ा)

138 गUडात िवचार

1381 ितिथ गUडात - पणा$ (5-10-15) तथा नदा (1-6-11) ितिथ इन ितिथयlt कW म स अत

और आिद कW 2-2 घटी दोषय होन स गampडात नाम स -िसM ह यह जम याा िववाह hतबध आिद म क कारक ह

1382 लQगUडात - कक$ -िसह विaक-धन तथा मीन-मष इन दो-दो रािशयlt क अत और आिद

कW आधी-आधी घटी को गampड़ात कहत ह यह सभी शभकमy म Dया7य ह

1383 नगUड़ात - रवती-अिmनी अ|षा-मघा तथा मीन-मष क नFlt म स अत और

आिद कW 2-2 घिटया अथा$त दोनlt कW सिध क 4 घटी को गampड़ात कहत ह इसम सभी माङगिलक कDय विज$त ह

सभी -कार क गampड़ात म जम याा िववाह आिद शभकम$ विज$त ह

139 वार (उदयात उदय यावत भानो भिम सावनवासर)

िदनlt क नाम को वार कहत ह जो भारतीय पMित क मश सय$ च0 मङगल अथवा भौम गs या बहपित श तथा शिन क नाम पर सामायत रिववार सोमवार मङगलवार बधवार गsवार शवार शिनवार क नाम स जान जात ह इनका मान एक सयदय स दसर सयदय तक होता ह इसक वामी क नाम पर ही इन वारlt का नामकरण हYआ ह जम मरण षोड़श सकार याा य हवन--ितtािद सभी माङगिलक कायy म वार--विE सयदय स ही सव$दा मानी जाती ह तथािप -ात

24

स^यािद िनDय करणीय कमy म अ0धराि क उपरात अि(म वार को सङकuप म (हण कर िलया जाता ह

1391 शभ-अशभ वार

सोमवार बधवार गsवार व शवार सौ=यवारlt कW qणी म आत ह तथा रिववार मङगलवार व शिनवार रवारlt कW qणी आत ह इहV कW सा क अनसार य अभी कमy म फलदायी होत ह

वारlt कW शभता िदन-राि क अनसार िभन-िभन -भावोDपादक होती ह यथा - रिववार गsवार व शवार का -भाव राि नगampय म होता ह तथा सोमवार मङगवार व शिनवार का -भाव िदन म नगampय होता ह

बधवार का फल सभी समय म एकसमान होता ह यथा -

न वारदोषा भवित राौ दवSयदयSयिदवाकराणाम

िदवा शशाङकाक जभसताना सव िनो बधवारदोष -

7योितिन$बध

1392 वार व उनक करणीय काय

वार दव अिधदव करणीय काय$

रिववार िशव अि( राजकWय सवा एव अय राजकWय कायy क िलए

शभ ह

यह Nव एव िथरसक वार ह

सोमवार पाव$ती जल सभी कायy क िलए शभ ह

यह वार चर एव चलसक ह

मङगलवार काित$कय भिम यM xतिड़ा (जआ सा) याा कज$ दन

सभा म जान

मकदमा -ार=भ करन क िलए शभ ह

यह वार उ( एव रसक ह

बधवार िव1ण हर िवxा (कला-काय) का -ार=भ नवीन यपार

करना नवीन लखन पतकlt का -काशन धन-स(ह -ाथ$ना-प -तत करन हत शभ ह

िमq व साधारण सा बध को दी गयी ह

25

गsवार ijा इ0 िवxा का -ार=भ ववािहक-काय$म

उpचािधकारयlt स िमलन नवीन काय लखन -काशन धन-स(ह आिद शभ कायy क िलए qt ह

लघ व िF- सा गsवार को दी गयी ह

शवार इ0 इ0ाणी नवीन व9 एव आभषणlt को धारण

करना सौभायवध$नकाय$ चलिच शिटग काय$ एव याा जान हत qt ह

मद एव म सा शवार को दी गयी ह

शिनवार काल ijा नतन गहार=भ भिम-य मशीनरी का शभार=भ 0य

स(ह मकान का िशलायास (भिमपजन) आिद िथर कायy हत qt ह

यह वार दाsण व ती6ण सक ह

1310 कालहोरा मह] त

होरा रिव सोम मङगल बध गs श शिन

1 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

2 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

3 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

4 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

5 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

6 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

7 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

8 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

9 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

10 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

11 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

12 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

13 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

14 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

26

15 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

16 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

17 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

18 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

19 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

20 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

21 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

22 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

23 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

24 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

यिद िकसी काय$ को करन हत कोई भी शभ महQत$ नहV िमल रहा हो तो उस कम$ को अय वार म भी िविहत वार कW कालहोरा (Fणवार) म कर सकत ह एक कालहोरा सयदय स 01-01 घampट का होता ह य कालहोराय सया$िदवार कW होती ह तथा -Dयक Fणवार गत कालहोरश स छठा होता ह

यिद उपरो वारlt क अितर अय दसरlt कायy म अित आवयकता हो शा9lt म चौघिडय़lt कW यवथा कW ह िदन म आठ (8) तथा राि स आठ (8) चौघिडय़ होत ह अथा$त एक अहोरा म कल 16 चौघिडय़ होत ह िजनम िनिषM वार होत हYए भी िदन अथवा राि क समय म भी आप अभी काय$ स=पन कर सकत ह

1311 चौघिडय़ा Kान िविध

िदनमान क आठ भाग करन पर आठ चौघिडय़ा महQD त$ -ाk होत ह अथा$त -Dयक चौघिडय़ का मान लगभग डढ़ घampटा (01 घampटा 30 िमनट) होता ह च (-ात 0600 बज क म^यमान स समय िदया ह सयदय क अनसार समय म परवत$न हो सकता ह)

27

06-730

0730-09

09-1030

1030-12

130-03

03-430

430-06

12-130

06-730

0730-09

09-1030

1030-12

130-03

03-430

430-06

12-130

1312 अिभिजत मह] त

नौमी ितिथ मधमास पनीता सकलप अिभिजत हBरीता

मCयिदवस अितसीत न धामा पावकाल लोक िवामा

जो भगवान को अिति-य ह िजसम काल भी ससार क उपकार क िलए कछ Fण िवqाम करता ह इसी अिभिजत महQD त$ नवमी ितिथ चमास म मया$दा पsषोEम qीराम का आिवभा$व हYआ था यिद कोई भी शभमहQD त$ नहV बनता हो तो सभी जातकािद कम$ अिभिजत महQD त$ म िकय जा सकत ह

िदनमान क म^यभाग म 48 िमनट का अिभिजत महQD त$ होता ह जो िक सभी माङगिलक कायy म -शसनीय ह िकत बधवार क िदन अिभिजत का िनषध ह

अिभिजत का मान -

उEराषाढ़ा नF का चतथ$ चरण +qवण नF का आिदम चरण = अिभिजत

उEराषाढ़ा नF कW 15 घटी +qवण नF कW 04 घटी = अिभिजत

च0मा क रािश-अश-कला-िवकला क अनसार अिभिजत का मान -

मकर रािश क अतग$त - 09-06-40-00 स 09-10-53-20

28

1314 दोषकाल

चतथr का -थम-हर (3 घampट) सkमी का -थम डढ़ -हर (4 घampटा 30 िमनट) तथा योदशी क अि(म -हर4य (6 घampटा) का समय -दोषकाल कहलाता ह

मतातर स षtी या 4ादशी आधी राि क बाद एकघटी पव$तक हो अथवा 09 घटी राि तक ततीया हो तो यह -दोष अ^ययन म विज$त ह तथा राि म तीन -हर स पिहल सkमी या योदशी वत$मान म हो तो वह -दोष भी अन^याय होता ह

सदव सया$त क पaात तीन महQD त$ (03 घampटा 24 िमनट) -दोष का मान होता ह

1315 घातवार - अधोिलिखत रािश वालlt क िन=न वार अशभ ह इन वारlt म यथास=भव याा का

Dयाग कर -

वार रािश

रिववार मष

सोमवार िमथन

मङगलवार मकर

बधवार कक$

गsवार तला क=भ

शवार विaक धन मीन

शिनवार िसह वष

1316 िदशाशल - अधोिलिखत वारlt म िनnिलिखत िदशाओ का यथास=भव याा का Dयाग कर -

िदशा िनिषMवार

पव$ सोमवार शिनवार

दिFण गsवार

पिaम रिववार शवार

उEर मङगवार बधवार

1317 वार म अशभफलनाशक पदाथ

िजस वार म याा करनी हो यिद वह ितिथ अशभ हो तो चाङिकत पदाथy का भFण करक अथवा इन वतओ का दानािद करक याािद काय$ करन पर सफलता -ाk होती ह तथा वारदोष न हो जाता ह

वार पदाथ$

29

रिववार शM घी अथवा िशखरन

सोमवार दध या खीर

मङगलवार गड़ अथवा काAजीबड़ा

बधवार ितल अथवा पका हYआ दध

गsवार दही

शवार शM घी अथवा कpच दध

शिनवार उड़द अथवा तल स बनी वत अथवा ितल

1318 वार क अनसार जम लन वाल जातकG का फल

जमवार फल

रिववार िपE-कित काय$F म िनपणता झगडाल दानी उDसाही उ(

वभाव

सोमवार बिMमान ि-य कथावाचक राजकपा पान वाला सख-दख को

बराबर मानन वाला

मङगलवार दीघा$य वीर महाबली अपन परवार म -धान तथा कबिM वाला

होता ह

बधवार िव4ान पिampडत मधरभाषी स=पिE स य सदर आकित लखन

काय$ स जीिवका िनवा$ह करन वाला तथा धनी होता ह

गsवार -शसनीय काय$कता$ िववकW िव4ान (थकता$ राजा का मी

साधारण लोगlt स पिजत होता ह

शवार बिMमान मनोहर _प वाला चAचल दवता स 4ष करन वाला

वाचाल होता ह

शिनवार ढ़वाणी पापी दिखत परामशील ढ़-ित अिधक कशवाला

अिधक उn कW ि9यlt म रत रहन वाला नीची ि वाला होता ह

वार क अनसार करणीय कम

30

रिववार - रा7यािभषक गाना बजाना नयी सवारी पर चढऩा रा7यसवा गाय-बलlt का य-िवय हवन-यािद मोपदश य-िवय औषिध श9यवहार तथा यM

सोमवार - पड़-पौध प1प व उपवन लगाना बीजारोपण 9ीिवहार गायन यािदकाय$ नय व9 धारण करना

मङगलवार - फट डालना झठ बोलना चोरी िवष अिन श9--योग स(ाम वध कपट घमampड सयकम$ तथा िवराम

बधवार - चतरता पण$ पampयकम$ िलखना-पढऩा कलाकौशल िशuप-िच बनाना धात-िया नौकरी -वश यि मी सिध यायाम और वाद-िववाद

गsवार - धािम$क कDय नव(हlt कW पजा य िवxा~यास माङगिलक कDय व9-यवहार गहकाय$ याार=भ रथ घोड़ा औषिध एव आभषण स=बधी सभी शभ काय$

शवार - 9ी गायन शया मिण रDन हीरा सगिध व9 अलकार जमीन-जायदाद यापार गाय 0य भampडार व खतीबाड़ी क काय$

शिनवार - पाप िमeयाभाषण चोरी िवष अक$ िनकालना श9 नौकर-चाकर स=बधी काय$ हाथी बाधना म कW दीFा गह--वश तथा सभी िथरकाय$

िदन म जातक का जम होन पर फल -

िजसका जम िदन म होता वह धमा$चरण स य अिधक प वाला भोगी सव9lt को धारणकता$ बिMमान व सदर आकित वाला होता ह

राि म जातक का जम होन पर फल -

राि म जम लन वाला जातक कम बोलन वाला मिलन दय पापाDमा िछप कर पाप करन वाला अिधक कामच ा वाला होता ह

1319 पचकG म _या कर और _या नहa (पचक नF - धिनtा शतिभषा पभा उभा रवती)

-

क=भ व मीन रािश म च0मा क रहत हYए धिनtा क उEराध$ शतिभषा पवा$भा0पद उEराभा0पद और रवती य पाच नF पचकlt क मान गय ह पचकlt म मlय _प स शवदाह चारपाई बनना पलग शया चटाई कसr तखत यवसाय गददी तयार कराना मकान कW छत डालना लटर सट करना ख=भlt को सट करना काtईधनलोह क सरय स(ह करना तथा दिFण िदशा कW याा दिFणािभमख नय भवन कW सीिडय़lt पर चढऩा आिद qीपितrsquo क अनसार विज$त माना गया ह

पचक क पाच नFlt म िकए गय कDयlt का फल पाच गणा होता ह इसी तरह िप1कर योग िगिणत और ि4प1कर योग दगिणत फल दत ह पचकlt म पाच गणा िप1कर योग म ितगना और ि4प1कर योग

31

म दोगना हािन लाभ हYआ करता ह मDय यािध अयाय यथा रोगोप0व होन पर शाित िवधान कW आवयकता पड़ती ह पचक नFlt (धिन शत पभा उभा रवती) का िवशष िवचार उपरो विण$त कDयlt म ही िकया जाता ह शभ कम$ िववाह मampडन योपवीत गहारभ गह-वश वािण7यकम$ वाहनािद क लन-दनफम$ सचालन मित$-ितtा आिद सभी qt महQत म तो पचक क पाचो नF शभ कह गए ह सभी पवDसव hत रFाबधन भयादज महाल6मी पजनािद म पचको का िवचार नहV िकया जाता ह वहद7योितषसारrsquo (थ म तो धिन उभा रवती नF सभी काय म िसिM-द मान गय ह पभा एव शतिभषा नF को साधारण _प स िसिMनायक कहा गया ह

1320 अिbनवास

िजस िदन हवन करना हो उस िदन ितिथ और वार कW सlया जोड़कर एक ओर जोडऩा पन 4 का भाग दना यिद परा भाग लग जाए 0 शष रह अथवा 3 शष रह तब अि( का वास पeवी पर सखकारक होता ह शष 1 बचन पर आकाश म -ाणघातक शष 2 म पाताल म धननाशकारक होता ह ितिथ कW गणना शUल -ितपदा स तथा वार कW रिववार स करनी चािहए

1321 न - स=पण$ आकाशमampड़ल को 12 रािशयlt क अितर 27 नFlt म िवभािजत िकया

गया ह

न आकित तारा $वामी

1 अिmनी अmमख 3 अिmनी कमार

2 भरणी योिन 3 यम

3 कितका नािपतFर 6 अि(

4 रोिहणी शकट 5 ijा

5 मगिशरा िहरणमख 3 च0

6 आ0रा मिण 2 िशव

7 पनव$स गह 4 अिदित

8 प1य बाण 3 बहपित

9 अ|षा चाकार 5 सप$

10 मघा भवन 5 िपतर

11 पवा$फाuगनी चारपाई 2 भग

12 उEराफाuगनी शया 2 अय$मा

13 हत हाथ 5 रिव

32

14 िचा मोती 1 िवmदव

15 वाती मगा 1 वाय

16 िवशाखा तोरण 4 इ0ाि(

17 अनराधा बिलभ$पAज 4 िम

18 7यtा कampड़ल 3 इ0

19 मल िसहपpछ 11 राFस

20 पवा$षाढ़ा हाथीदात 2 जल

21 उEराषाढ़ा िसहासन 2 िवmदव

अिभिजत िभज 3 ijा

22 qवण वामन 3 िव1ण

23 धिनtा मदङग 4 वस

24 शतिभषा वE 100 वsण

25 पवा$भा0पद मAच 2 अजपाद

26 उEराभा0पद यगल-पsष 2 अिहब$^य

27 रवती मदङग 32 पषा

1322 नG क सKा एव उनम करणीय कम

सा नF करणीय कम$

Nव-िथर रोिहणी उEराफाuगनी बीजरोपण उxान लगाना नगर-वश उEराभा0पद (ामवास िवनायकशाित गायनिवxा

का -थम अ~यास नतन व9धारण

कामWड़ा आभषण-िनमा$ण-धारण

तथा मी आिद सभी िथर काय$ इसम qt ह

चर-चल पनव$स वाती हाथी-घोड़ा-ऊट-मोटर-गाड़ी आिद कW

qवण धिनtा शतिभषा सवारीवािटका लगाना या -थम -वश यापार -ार=भ मथन िया वण$-चादी-मिण-रDनािद य आभषण िनमा$ण

तथा िवxा को सीखन का -ार=भ आिद कम$

33

उ(-र भरणी मघा पवा$फाuगनी शताडऩ अि( का य-त -7वलन शठता करना

पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद िवष सवन करनाकराना य-म क मा^यम स

िकसी पर घात करना जस र काय$ तथा पशओ कावशीकरण इस नF म करणीय कम$ ह

िमq-साधारण कितका व िवशाखा अिनकाय$ वषोDसग$ अिनहो -ार=भ वत का सि=मqण बदी बनाना िवष--योग आिद हय वभयकर कम$

िF--लघ अिmनी प1य हत वतओ का िवय रितया शा9lt का अिभिजत अ^ययन आभषण धारण करना सिहDय-सङगीत-कला िवषयक कम$ व औषिध का आदान-

-दान

मद-म मगिशरा िचा अनराधा गीत-वाx स=बधी कम$ नवीन परधान-

धारण रवती रितियािमता करना तथा अलङकार िनमा$ण

ती6ण-दाsण आ0ा$ आ लषा 7यtा अिभचार कम$ (मारण उpचाटन

मल िव4षण आिद) कलहोDपादन हाथी-

घोड़lt का -िशFण बीजवपन

उxानार=भ शाितक-पौि क कम$ गह-(ाम -वशसगीतिवxा का -ार=भ आमोद--मोद तथा नवीन व9-आभषण का धारण

जमन िवचार

1 अन-ाशन उपनयन चड़ाकरण रा7यािभषक आिद म जमनF -शत होता ह

2 याा सीमतोनयन तथा िववाह म जमनF अिन होता ह

3 महQD त$दीिपका क अनसार चड़ाकरण औषिध सवन िववाद याा व कण$वध म ही जम-नF का िनषध ह

4 जम नF स 25वा तथा 27वा नF शभकमy म Dया7य ह

1323 पdचाङग म योगिवचार

34

योग को दो qिणयlt म िवभाित िकया गया ह नसिग$कrsquolsquo व ताDकािलकrsquolsquo नसिग$क योगlt का सदव एक ही म रहता ह तथा यह एक क बाद एक आत ह िव1क=भािद 27 योग नसिग$क qणी म आत ह परत ताDकािलक योग ितिथ-वार-नF आिद क िवशष सगम स बनत ह आनद -भित एव कच उDपात िसिM तथा मDय आिद योग ताDकािलक ह

योग वामी फल

1 िव1क=भ यम अशभ

2 -ीित िव1ण शभ

3 आय1मान च0 शभ

4 सौभाय ij शभ

5 शोभन बहपित शभ

6 अितगampड़ च0 अशभ

7 सकमा$ इ0 शभ

8 धित जल शभ

9 शल सप$ अशभ

10 गampड अिन अशभ

11 विM सय$ शभ

12 धरव भिम शभ

13 याघात वाय अशभ

14 हष$ण भग शभ

15 व वsण अशभ

16 िसिM गणश शभ

17 यितपात s0 अशभ

18 वरयान कबर शभ

19 परघ िवmकमा$ अशभ

20 िशव िम शभ

21 िसM काित$कय शभ

22 सा^य सािवी शभ

35

23 शभ ल6मी शभ

24 शUल पाव$ती शभ

25 ij अिmनी कमार शभ

26 ऐ0 िपतर अशभ

27 वधित िदित अशभ

1324 eयितपात

यह उप0वी योग ह यह योग नसिग$क व ताDकािलक दोनlt qिणयlt म आता ह अमावया को रिववार या qवण धिनtा आ0ा$ अ|षा अथवा मगिशरा नF क योग स यितपातयोगrsquolsquoबनता ह

1325 वधित

यह भी यितपात क समकF ही ह इस भी शभकमy म Dया7य बताया ह

शष अशभ योगlt म परघ का पवा$M$ िव1क=भ व व कW आिदम 03 घटी याघात कW -ारि=भक 09 घटी शल कW -थम 05 घटी तथा गampड-अितगampड कW आिदम 6-6 घिटया िवशषत Dया7य ह

1326 आनदािद 28 योग

वार व नF क योग स ताDकािलक आनदािद 28 योगlt का आनयन होता ह इन योगlt को ात करन क िलए वार िवशष को िनिद$ नF स िवxमान नF तक सािभिजत गणना कW जाती ह रिववार को अिmनी स सोमवार को भरणी स मङगवार को अ|षा स बधवार को हत स गs को अनराधा स शवार को उEराषाढ़ा स तथा शिनवार को शतिभषा स तिन क च0ष तक िगनन पर आk सlया को ही उस िदन वत$मान आनदािद योग का माक -ाk होता ह

योग रिव सोम मङगल बध ग शlt शिन फल

आन(द अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा शतिभषा अथिसिgt

कालद1ड भरणी आ-रा मघा िचा 6या अिभ पभामAयभय

धC किD पन पफा वाती मल 4वण उभा दख

जापित रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा धिना रवती सौभाFय

(धाता)

सधाकर मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा शत अिनी बहHमखी

(सौJय)

Kवाङ आ-रा मघा िचा 6या अिभ पभा भरणी अथनाश

36

Kवजा पनवस पफा वाती मल 4वण उभा कितका सौभाFय

(कत)

4ीवAस प8य उफा िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी ऐय

वN अ=षा हत अनराधा उषा शतिभषा अिनी मगिशरा धनय

मदगर मघा िचा 6या अिभ पभा भरणी आ-ा धननाश

छ पफा वाती मल 4वण उभा कितका पनवस राजसJमान

िम उफा िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी प8य सौ0य

मानस हत अनराधा उषा शत अिनी मग अशpoundषा सौभाFय

पP िचा 6या अिभ पभा भरणी आ-रा मघा धनागम

लJबक वाती मल 4वण उभा कितका पनवस पफा लQमीनाश

उAपात िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी प8य उफा ाणनाश

मAय अनराधा उषा शतिभषा अिनी मगिशरा अशpoundषा हत मरणभय

काण 6या अिभ पभा भरणी आ-रा मघा िचा Sलशविgt

िसिgt मल 4वण उभा कितका पनवस पफा वाती अभीTिसिgt

शभ पषा धिना रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा क$याण

अमत उषा शतिभषा अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा राजसJमान

मसल अिभ पभा भरणी आ-रा मघा िचा 6या अथय

अ(तक 4वण उभा कितका पनवस पफा वाती मल रोगबिgtनाश

(गद)

कUजर धिना रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा कलविgt

(मातङग)

रास शतिभषा अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा बहHपीड़ा

चर पभा भरणी आ-रा मघा िचा 6या अिभिजत कायलाभ

सिथर उभा कितका पनवस पफा वाती मल 4वण गह ािW

() वधमान रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा धिना समङगल

दोष पBरहार - पव योगlt म साधारण qणी क योगlt कW -ारि=भक घिटयlt का Dयाग कर दन क पaात

उनकW अशभता कW दोषापिE नहV रहती ह परत कालदampड उDपात मDय व राFस योग तो सम( _प स Dया7य ह अय योगlt कW Dया7य घिटया च म -िद कW गयी ह

योग ध वा व मदगर प लब काण मसल अतक

37

घिटया 1 5 5 5 4 4 2 2 7

नोट - कयोग क समय यिद कोई अय िसिM आिद सयोग भी वत$मान हो तो सयोग का ही फल िमलता ह कयोग का नहV यथा -

अयोग िसिNयोग5 )ावतौ भवतो यिद

अयोगो हयत त िसिNयोग वfतत - राजमाbतampड

1327 कचािद ताकािलक योग

ितिथ-वार तथा नF क िविश सगम स आिवभ$त योगlt का महQD त$शोधन म मह5वपण$ थान ह अत ऐस ही कछ -चिलत योगlt का िववरण चlt म उिuलिखत ह -

ितिथवार जिनत योग

योग रिव सोम मङगल बध गg श शिन

कच 12 11 10 9 8 7 6

सवत 7 x x 1 x x x

दध 12 11 5 3 6 8 9

िवष 4 6 7 2 8 9 7

अिनिजा 12 6 7 8 9 10 11

म य 1 6 2 7 16 3 8 4 9 2 7 5 10

11 12 11 13 14 12 1530

िसि x x 3 8 2 7 5 10 1 6 4 9

12 12 15 30 11 14

किलक 7 6 5 4 3 2 1

अमत 5 10 5 10 2 7 1 6 3 8 4 9 1 6

15 20 15 20 12 11 13 14 11

र नाकर 3 8 1 6 4 9 4 10 2 7 5 10 3 8

13 14 1530 12 1530 13

ितिथवार जिनत योग

योग रिव सोम मङगल बध ग श शिन

यमघ(ट मघा िवशाखा आ+रा मल कितका रोिहणी हत

दध भरणी िचा उषा धिन0ा उफा 1य0ा रवती

अमत हत मगिशरा अि3नी अनराधा प5य रवती रोिहणी

उ पात िवशाखा पषा धिन0ा रवती रोिहणी प5य उफा

38

सवाथिसि अि3नी रोिहणी अि3नी कितका अि3नी अि3नी रोिहणी

प5य मगिशरा कितका रोिहणी पनवस पनवस वाती

उ8राय प5य अ9षा मगिशरा प5य अनराधा वण

हत मल अनराधा उफा हत अनराधा वण

वण अनराधा रवती रवती

अमत रोिहणी अि3नी कितका कितका पनवस अि3नी रोिहणी

उ8राय रोिहणी प5य रोिहणी प5य पफा वाती

प5य हत मगिशरा अ9षा अनराधा वाती उफा

मल रवती पफा वाती शतिभषा अनराधा अनराधा

उफा उभा वण

हत रवती उभा

वण पभा

धिन0ा

पभा

उभा

=शत रवती हत प5य रोिहणी वाती उफा मल

1328 कचािद योग-योजन

कच सवत$ दध िवष अिनिजा मDय किलक उDपात और यमघampटकािद ितिथ वार नF स उदगत समत योग मङगल कम म अशभ होन क कारण विज$त ह परAच िसिM अमत-िसिM सवा$थ$िसिM अमत रDनाकर एव -शतािद योग अपन नाम क अनसार (यथानाम तथा गणा) ही फलदायी होत ह

करण -

ितिथ का आधा भाग करण कहलाता ह क1णपF म ितिथ सlया को सात स िवभािजत करन पर -ाk अविश सlयक करण ितिथ क पवा$M$ म तथा शUलपF म ि4गिणत ितिथ सlया म 02 घटा कर सात का भाग दन पर शषाङक मसlया वाला करण उस ितिथ क पवा$M$ म िथत होता ह उसस अि(म म -ाk करण ितिथ क उEराध$ म होता ह बवािद 11 करणlt का म उनक वामी तथा िविभन ितिथयlt म उनक अितDव का िनn च म -दश$न िकया जाता ह करण वामी शलप+ितिथ कणप+ ितिथ

चर करण

बव इ+ 5 12 पवा 1 8 15 उ8राध 4 11 पवा

बालव ा 2 9 पवा 5 12 उ8राध 1 8 पवा 4 11 उ8राध

कौलव िम 6 13 पवा 2 9 उ8राध 5 12 पवा 1 7 8 उ8राध

39

तितल िव3कमा 3 10 पवा 6 13 उ8राध 2 9 पवा 5 12 उ8राध

गर भिम 7 14 पवा 3 10 उ8राध 6 13 पवा 2 9 उ8राध

विणज लAमी 4 11 पवा 7 14 उ8राध 3 10 पवा 6 13 उ8राध

िविB यम 8 15 पवा 4 11 उ8राध 7 14 पवा 3 10 उ8राध

िथर करण

शकिन किल x 14 उ8राध

चत5पद + x 30 पवा

नाग सप x 30 उ8राध

िकतDन मत 1 पवा x

13281 करण का शभ व अशभ िववचन

बवािद -थम सk चरसकrsquolsquoतथा शकयािद चत य िथरसकrsquolsquoहोत ह बवािद छ करणlt म माङगिलक कम$ शभ भ0ा सव$था Dया7य तथा अितम चार करणlt म िपतकम$ -शत ह

करण करणीय कम

बव बलवीय$वM$क पौि क कम$

बालव अ^ययन अ^यापन य दान

कौलव 9ीकम$ एव मीकरण

तितल सौभायवती 9ी क ि-यकम$

गर बीजारोपण व हल--वहण

विणज यापारकम$

िवि अि( लगाना िवष दना यMार=भ दampड दना तथा समत द कम$

शकिन औषिध िनमा$ण व सवन म साधन तथा पौि क कम$

चत1पद रा7यकम$ व गौ-iाjण िवषयक कम$

िकतन मङगलजनक कम$

नाग मागिलक कम$ विज$त

1329 भािवचार

40

दव-दानवlt क समरकािलक अवसर पर महादव कW रौ0रस स=पन आखlt न उनक शरीर पर ि पात िकया तDकाल उनकW दह स गद$भ - मख तीन चरण सkभजा क1णवण$ सिवकिसत दात -तवाहनवाली तथा मख स अिन उगलती हYई दवी का -ादभा$व हYआ -तत दवी न राFसlt का शमन करत हYए दवताओ का सकटशमन िकया अत दवlt न -सन होकर दवी को िवि -भ0ािद साओ स िवभिषत करक करणlt म थािपत िकया

ितिथयlt क पवा$M$ और पराM$ क अन_प ही भ0ा कW िवxमानता जाननी चािहए उEराध$ कW भ0ा िदन म तथा पवा$M$ कW भ0ा राि म शभ होती ह

प कYण श_ल

ितिथ 3 7 10 14 4 8 11 15

पवा$M$ x भ0ा x भ0ा x भ0ा x भ0ा

उEराध$ भ0ा x भ0ा x भ0ा x भ0ा x

च0मा कW रािश-सचरण क अनसार भ0ा का वास होता ह -

लोकवास मय $वग पाताल

च0रािश 4 5 11 12 1 2 3 8 6 7 9 10

भ0ामख स=मख ऊ^ व$मख अधोमख

भ0ा म याा िनिषM ह परत आवयक होन पर िजस िदशा म भ0ा का वास वही िदशा -याणाथ$ िवशषत Dया7य ह -

ितिथ िदवास ितिथ िदवास

3 ईशान 4 पिaम

7 दिFण 8 आनय

10 वायय 11 उEर

14 पव$ 15 नऋ$ Dय

13291 भा मख-मख - िनnिलिखत च म िविभन -हरlt कW िनिद$ घिटयlt म भ0ा क मख और

पpछ का सकत िकया गया ह शUलपF कW भ0ा म आिदम और क1णपF क अितम घिटया ही इस िवषय म ातय ह

पF क1ण शUल क1ण शUल क1ण शUल क1ण शUल

ितिथ 3 4 7 8 10 11 14 15

-हर 8 5 3 2 6 7 1 4

41

मखघटी 5 5 5 5 5 5 5 5

-हर 7 8 2 1 5 6 4 3

पpछघटी 3 3 3 3 3 3 3 3

भ0ामख व पpछ दोनlt ही शभकायy म Dया7य ह तथािप आवयक होन पर शUलपF म भ0ापpछrsquolsquoऔर क1णपF म भ0ामखrsquolsquoमङगलकायy म (ाf ह -हर-गणना ितिथ क -ार=भ स ही सयदय स नहV

13292 भा अङगिवभाग

एक ितिथ का अध$भाग 30 घटी परिमत होती ह अत भ0ा क िविभन अङगlt म यथा--िद घिटयlt का यास और त7जिनत फल िनn ह -

घटी 5 1 11 4 6 3

भ0ाङग मख गद$न वFथल नािभ कमर पpछ

फल काय$नाश मDय 0यनाश कलह बिMनाश काय$िसिM

-Dयक भ0ा कW अितम तीन घिटयlt म शभकाय$ िकय जा सकत ह िविभन ितिथयlt म िवxमान भ0ा को पF-भद क अनसार साए -दान कW गयी ह क1णपF कW भ0ा को म विaकWrsquolsquoतथा शUलपF कW भ0ा को सिप$णीrsquolsquoक _प म बताया गया ह िबpछ का डक पpछ म तथा सप$ का दश (िवष) मख म होन क कारण विaकW भ0ा कW पpछ और सिप$णी भ0ा का मख िवशषत Dया7य ह

13293 भा म शभाशभ करणीय कम - िवि काल म िकसी को बाधनाकद करना िवष दना

अि( जलाना अ9-श9 का -योग कत$न (काटना) भस घोड़ा और ऊट स=बधी अिखल कम$ तथा उpचाटनािद कम$ -शत ह

िववाहािद माङगिलक कDय याा और गहार=भ व गह-वश भ0ा म Dया7य बताय गय ह

भा म अपवाद -

1 यिद िदन कW भ0ा राि और राि कW भ0ा िदन म -वश कर जाय तो भ0ा िनदष हो जाती ह यथा - रािभ0ा यदि याद िदवा भ0ा यदा िनिश न त भ0ादोष यात सा भ0ा भ0दाियनी - पीयषधारा

2 मङगलवार भ0ा यितपात वधित तथा -Dयर जमतारािद म^या क उपरात शभ होत ह

3 मीन साित म महादव व गणश कW आराधना-अच$ना म दवी पजा हवनािद म तथा िव1ण-सय$ साधना म भ0ा सव$था शभदायक होती ह यथा -

$या भाय भा न शभोजप मीनरािशन योग$तथाhयचन

42

होमकाल िशवाया$तमा तiव साधन सवकालोऽथ मशनयो - 7योिव$दाभरण

1330 राहEकाल का यथाथ

अभी तारीख को थानीय सयदय और सया$तकाल का अतर कर िदनमान ात कWिजए इस िदनमान को आठ (8) स भाग दन पर यामाध$ (आधा -हर) ात होगा -थम यामाध$ का -ार=भकाल सयदयकाल ही ह इसम यामाध$ क घिम जोडऩ पर -थम यामाध$ का समािkकाल (अथवा ि4तीय यामाध$ का -ार=भकाल) ात होगा इसम पन यामाध$ क घिम जोडऩ पर ि4तीय यामाध$ का समािkकाल िनकल आएगा इसी -कार उEरोEर बार-बार जोडऩ पर आठlt यामाधy क यथाथ$ -ार=भ और समािkकाल ात हो जाएग रिववार को आठवा सोमवार को दसरा मङगलवार को सातवा बधवार को पाचवा गs को छठा श को चौथा एव शिन को तीसरा यामाध$ राहYकाल कहलाता ह आजकल -योग म लाया जान वाला राहYकाल का -ार=भ-समािkकाल अशा9ीय ह

1331 िशववास का जानन का कार

वत$मान ितिथ को 2 स गणा करक 5 जोड तDपaात 7 का भाग दव शष 1 रह तो िशववास कलाशपव$त पर 2 म गौरीपाव म 3 म वषा_ढ़ 4 स सभा म सामाय 5 स भोजन म 6 स Wडा तथा शय म मशान म िशव का वास होता ह िशवाच$न क िलए शभ ितिथया -

शUलपF म - 25679121314 एव क1णपF म - 14568111230

िशववास का फल - कलाश म यिद िशवजी का वास हो सखकारक होता ह गौरी क साथ

शभकारक वषभ पर आ_ढ़ हो तो धन व वभव स य Wडा म हो तो सतापकारक सभा व भोजन म म^यम फलदायी मशान म मDयदायी होता ह

14 साराश

पAचाङग अDयत िवतत िवषय ह िजस सिFk म कछ पtlt म सीिमत करना िकसी भी लखक क िलए अस=भव ह पAचाङग म -मखतया पाच अङग होत ह यथा - ितिथ वार नF योग व करण

वत$मान म पAचाङग अDयत िवतत हो चक ह सवD सर राजा मी वष$ का सिहताDमक िवववरण महQD त$काल िववाहािद महQD त$ गणिमलान रािशफल आिद अनकानक िवषयlt क साथ वत$मान क पAचाङग आमजन तक स=पण$ विदक ान को अपन भीतर समािव करत हYए ानवध$न कर रह ह इस इकाई म यथास=भव सभी िवषयlt का वण$न करत हYए पAचाङग का समिचत ान इस इकाई म िदया गया ह

15 श दावली

bull पAचाङग = िजसक पाच अङग हो

43

bull सवD सर = भारतीय वष$

bull अयन = सय$ परमण च

bull सौरमास = सय$ साित मास

bull गampड़ात = पव$ का आिद व अत

bull काल = समय

bull वयिसM = अबझ

bull आनयन = प करना

16 अितलघरामक

1 पAचाङग क पाच अङग कौनस ह उEर ितिथ वार नF योग व करण - इनस िमलकर पAचाङग का िनमा$ण होता ह 2 सवD सर िकतन होत ह उEर सवD सर 60 होत ह 3 दवी ऋत एव िपतर ऋतओ क नाम िलिखएiuml उEर बसत (ी1म एव वषा$ ऋत को दवी ऋत एव शरद हमत एव िशिशर ऋत को िपतर ऋत कहत

ह 4 सौरवष$ व चा0वष$ का मान िलिखए उEर सौरवष$ 365 िदन - 15 घटी - 31 पल - 30 िवपल चा0वष$ 354 िदन - 22 घटी - 01 पल - 33 िवपल 5 अमावया व पिण$मा क भद बताईय उEर -ात काल यािपनी अमावया को िसनीवालीrsquolsquo चतद$शी स िवMा को

दश$rsquolsquoतथा -ितपदा स य अमावया को कहQrsquolsquoसक कहत ह राि को एक कलाहीन और िदन म पण$च0 स स=पन अनमितrsquolsquoसक पिण$मा चतद$शीय होती ह परत राि म पण$ च0मा सिहत पिण$मा -ितपदा स य राकाrsquolsquoसक होती ह

6 ितिथयlt कW सा बताईय उEर नदा (1-6-11) भ0ा (2-7-12) जया (3-8-13) रा (4-9-14) व पणा$ (5-10-15) 7 ितिथ गampड़ात ल( गampड़ात व नF गampड़ात बताईय

उEर पणा$ व नदा ितिथयlt कW म स अत व आिदम दो-दो घिटयlt को ितिथ गampड़ात कहत ह कक$ -िसह विaक-धन मीन-मष रािशयlt क अत और आिदम कW आधी-आधी घटी को

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ल(गampड़ात कहत ह रवती-अिmनी अ|षा-मघा तथा मीन-मष क नFlt म अत व आिदम कW दो-दो घिटयlt को नF गampड़ात कहत ह

8 नF व िदनमान क अनसार अिभिजत का मान बताईय

उEर उEराषाढ़ा नF कW 15 घटी व qवण नF कW 04 घटी िमलकर अिभिजत सक होती ह तथा िदनमान क म^यभाग म 48 िमनट का काल अिभिजत महQD त$ कहलाता ह

9 सोमवार को करणीय कम$ बताईय

उEर पड़-पौध प1प व उपवन लगाना बीजारोपण 9ीिवहार गायन यािदकाय$ व नय व9 धारण सोमवार को qt रहता ह

10 चर करणlt क नाम िलिखए

उEर बव बालव कौलव तितल गर विणज िवि - य सात चर करण ह

17 लघरामक

-[ - 1 साठ स=वDसरlt क नाम व उनक वामी बताईय

-[ - 2 ितिथ का परचय दीिजय

-[ - 3 नF का परचय दीिजय

-[ - 4 योग का परचय दीिजय

-[ - 5 करण का परचय दीिजय

18 सदभ थ

1 धम$शा9 का इितहास 2 7योितष सnाट पAचाङग

लखक - डॉ पाampडरङग वामन काण स=पादक - डॉ रिव शमा$

-काशक - उEर-दश िहदी सथान -काशक - अ भा -ा 7यो

शो स जयपर

3 कालमाधव 4 महQD त$ िचतामिण

स=पादक - डॉ iजिकशोर वाई याlयाकार - कदारदE जोशी

-काशक - चौख=बा सकत सथान वाराणसी -काशक - मोतीलाल

बनारसीदास वाराणसी

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इकाई ndash 2

जम पिका सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

इकाई क परखा

20 -तावना 21 उय 22 िवषय -वश 221 जम पिका परचय 222 ितिथ 223 पचाग को दखन कW िविध 224 सयदय साधन 225 वलातर सकार 226 चरपल िनकालन कW िविध 227 िदनमान स सयदय िनकालना 228 थानीय सया$त 229 इ काल कW पहली िविध 2210 परभाषाऍ 2211 इ काल िनकालन कW दसरी िविध 2212 इ काल कW परभाषा व स 23 साराश 24 बोध -[ 25 शZदावली 26 सदभ$ (थ सची

20 तावना

7योितष शा स सबिधत दसरी इकाई हा इस इकाई क अ^ ययन स आप बता सकत ह िक ज म पिका सया$दय वला तर प1 टा तर ान इ1 टकाल U या ह इसक िवषय म स= यक _प स वण$न िकया गया ह 7योितष क तीन कध ह िसMात सिहता होरा इस इकाई क अतग$त कध आिद क अतग$त आन वाल िवषय जम पिका का िनमा$ण िकया जाता ह -ाचीन काल म इस 7योित पदाथy क नF तारlt (हlt क व_प को बतान वाला िवान कहा जाता था Uयltिक जब सMाितक गिणत का

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पण$ ान नहV था कवल ि स ही (हो का ान िकया जाता था ईसा पव$ 500 म 7योितष म गिणत एव फिलत य दो कध वत _प स िवकिसत हYय 7योितष क अतग$त (हlt कW गित िथित अयनाश आिद गिणत 7योितष क अतग$त आ गए (ह िनरतर गितशील ह िजस समय को बालक जम लता ह उस समय (हlt कW कसी िथित ह और (ह िकतन िड(ी पर -भाव डाल रह ह इन सबका िववचन lsquolsquoिसMात 7योितषrsquorsquo कW दन ह य गिणत और सMाितक गिणत म अतर होन क बाद भी पचागlt का सहारा लत ह जम पिका बनात ह इस इकाई म सयदय सया$त तथा िदनमान और इ काल िनकालन कW िविधयlt का उuलख िकया गया ह जम कampडली िकसी भी जातक (यि) क भत भिव1य एव वत$मान कW स=पण$ जानकारी कहानी होती ह अतः शM जम पिका बनान क िलए िन=न जानकारी होना आवयक ह

bull जातक का जम का वष$ माह एव तारीख

bull जम थान का नाम जहा जम िलया ह वहा का सयदय एव सयत का समय और उस थान क अFाश एव रखाश

bull जम समय

उपय$U त जानकारी सही ह तो शM इ काल िनकाला जायगा इस स जातक कW जम कampडली सही बनगी और उसम भत भिव1य एव वत$मान कW सही जानकारी होगी

21 उय

इस इकाई क िनमा$ण क िन=न उय ह -

bull जमपिका कW िविध का ान

bull सयदय सयत एव इ काल कW िववचना

bull भारतीय मानक समय एव थानीय समय का ान

bull इ काल का महD D व -ितपािदत करना

bull जम कampडली िनमा$ण म ितथी वार नF योग एव करण का ान कराना

22 िवषय वश

221 जम पिका पBरचय- सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

जम पिका- 7योितष शा9 क अनसार िकसी भी जातक क जम क समय क आकाशीय (हlt कW िथित क अनसार जमपिका का िनमा$ण करत ह जमपिका बनान वाल यि अथवा 7योितष

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को पचाग अथवा जी का पण$ ान होना अDयावयक ह Uयltिक पचाग पर एक वष$ का कालदश$क होता ह िजसम वष$ म होन वाली आकाशीय (हlt कW िथित उनकW गित आिद कW परी जानकारी होती ह

पचाग क पाच अग होत ह- ितिथ वार नF योग और करण

222 ितिथ (रिवचयोगयXर ितिथः)-

7योितष कW भाषा म ितिथ च0मा कW सय$ स अशाDमक दरी को एक ितिथ कहा गया ह -ितिदन लगभग 12 अश का अतर सय$ और च0मा क मण क समय म होता ह दसर शZदlt म च0मा और सय$ पeवी स कभी एक ही अश (0deg अश) पर और 180deg अश पर िदखाई दता ह इस -कार इस दरी मापन को ही ितिथ कहा गया ह

िकसी अय परभाषा स च0मा कW एक कला को ितिथ कहा गया ह ितिथयॉ तीस होती ह (-ितपदा स पिण$मा और -ितपदा स अमावया तक)

ितिथयG क $वामी-

-ितपदा आिन

ि4तीया ijा

ततीया गौरी

चतथ$ गणश

पचमी शषनाग

षtी काित$कय

सkमी सय$

अ मी िशव

नवमी दगा$

दशमी काल

एकादशी िवmदव

4ादशी िव1ण

योदशी काम

चतद$शी िशव

पिण$मा च0मा

48

अमावया िपतर

ितिथयG क सKाऐ-

ितिथयlt का वगrकरण पाच भागlt म िकया गया ह

ितिथया

नदा भ0ा जया रा पणा$

1 2 3 4 5

6 7 8 9 10

11 12 13 14 1530

िसNा ितिथया-

मगलवार बधवार बहपितवार बधवार शिनवार

3 2 5 1 4

8 7 10 6 9

13 12 15 11 14

अमाव$या क तीन भद ह -

1) -ातःकाल स लकर राि तक रहन वाली अमावया को िसनीवाली

2) चतद$शी स िवM को दश$ एव

3) -ितपदा स य अमावया को कहY कहत ह

दbधा िवष और हEताशन सKक ितिथया-

दधा िवष और हYताशन सक ितिथयlt म काय$ करन पर िवन बाधाओ का सामना करना पड़ता ह

दधा-िवष-हYताशन योग सा बोधक च

वार रिववार सोमवार मगलवार बधवार ग_वार शवार शिनवार

दधा 12 11 5 3 6 8 9

सक

49

िवष 4 6 7 2 8 9 7

सक

हYताशन 12 6 7 8 9 10 11 सक

वार-

िजस िदन कW -थम होरा का जो (ह वामी होता ह उस िदन उसी (ह क नाम का वार रहता ह 7योितष शा9 म शिन बहपित मगल रिव श बध और च0मा य (ह एक दसर स मशः नीच िदय गय ह एक िदन कW 24 होरा होती ह दसर शZदlt म घampटा ~वनतM का दसरा नाम होरा ह

वार क कारः-

वार -कार वार -कार

बहपित सौ=य मगल र

च0 सौ=य शिन र

बध सौ=य रिव र

श सौ=य - -

न-

आकाश मampडल म जो असlय तारकाओ स कही आख सप$ शकर एव हाथ आिद कW आकित बन जाती ह व ही नF कहलात ह आकाश मampडल कW दरी नFlt 4ारा ही ात कW जाती ह

1) पचक सKक

धिनtा शतिभषा पवा$भा0पद पवा$भा0पद रवती

पचक दोष

2) मल सKक

मल सक नF को शभ नहV माना जाता ह यिद िकसी बpच का जम 7यtा अ|षा रवती मल मघा और अिmनी नF म होता ह तो 28व िदन क पaात जब वहV नF आता ह तब इन नFlt क दोष शमनाथ$ शाित करवाई जाती ह

7यtा और मल नF मल सक तथा आ|षा सप$ मल सक ह

3) Rव सKक

उEराफाuगनी उEराषाढ़ा उEराभा0पद एव रोिहणी Nव सक

50

4) उQ सKक

पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद पवा$फाuगनी मघा व भरणी उ( सक

5) चर सKक

वाित पनवस qवण धिनtा और शतिभषा चर सक

6) िम सKक

िवशाखा और किEका िमq सक कहलाता ह

7) लR सKक

हत अिmनी प1य और अिभिजत िF- या लघ सक कहलाता ह

8) मद सKक

मगिशरा रवती िच और अनराधा मद सक ह

9) तीlण सKक

मल 7यt आ0ा$ और अ|षा ती6ण या दा_ण सक ह

10) अधोमख

मल आ|षा िवशाखा किEका पवा$फाuगनी पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद भरणी और मघा मखसक ह इन नFlt म शभ काय$ जस - कआ खोदना समान एव ओxौिगक F फUी आिद कW नVव खोदना ह

11) ऊCवमख सKक

आ0ा$ प1य qवण धिनtा और शतिभषा उ^व$मखी सक ह

12) ितयडमख सKक

अनराधा हत वाती पनव$स 7यtा और अिmनी ितय$Yख सक नF ह

13) दbध सKक

दध नFlt म शभ काय$ नहV िकय जात ह जस

1 रिववार - भरणी

2 सोमवार - िचा

3 मगलवार - उEराषाढ़ा

4 बधवार - धिनtा

5 बहपितवार - उEराफाuगनी

51

6 शवार - 7यtा

7 शिनवार - रवती

उपरो नF दधसक कहलात ह

14) मास शय सKक

मास (मिहना) न

1 च - रोिहणी अिmनी

2 वशाख - िचा और वाती

3 7यt - उEराषढ़ा और प1य

4 आषाढ़ - पवा$फाuगनी और धिनtा

5 qवण - उEराषाढ़ा

6 भा0पद - रवती

7 आिmनी - पवा$भा0पद

8) काित$क - किEका मघा

9) माग$शीष$ - िचा और िवशाखा

10) पौष - आ0ा$ अिmनी और हत

11) माघ - qवण मल

12) फाuगन - करणी 7यtा मास शय नF

13) माघ - qवण मल

नFो क चरणानसार नामाFर

रािश नF व उनक चरण नाम क -थम अFर

मष अिmनी 4 भर 4 किEका 1 च च चो ला िल ल ल लो अ

वष किEका 3 रोिहणी 4 मग 2 इ उ ए ओ वा िव व व वो

िमथन मगशीष$ 2 आ0ा$ 4 पन 3 क िक क घ ङ छ क को ह

कक$ पनव$स 1 प1य 4 अ|षा 4 ही हQ ह हो डा डी ड ड डो

िसह मघा 4 पवा$फा 4 उ फा 1 म मी म म मो टा टी ट ट

कया उ फा 3 हत 4 िचा 2 टो प पी प ष ण ठ प पो

52

तला िचा 2 वाती 4 िवशाखा 3 र री _ र य ता ित त त

विaक िवशाखा 1 अन 4 7यtा 4 तो न नी न न नो या यी य

धन मल 4 पवा$षा 4 उEराषा 1 य यो भ भी भ धा फा ढा भ

मकर उ षा 3 qवण 4 पवा$भा0 2 भो ज जी खी ख ख खो ग िग

कभ धिनtा 2 शत 4 पवा$भा0 3 ग ग गो सा सी स स सो द

मीन पवा$भा 1 उ भा0 4 रवती 4 दी द थ झ acute द दो चा ची

न-

7योितष क अनसार अिmनी स लकर रवती तक 27 नF होत ह

-Dयक 9 नF क 9 वामी (ह ह इस -कार तीन नF (उदाहरण क िलए कितका उEरा फाuगनी और उEराषाढा का वामी सय$ ह इसी -कार च0मा रोिहणी हत और qवण क वामी ह)

सारणी न 2

इन 28 नFlt क वामी मशः ह-

नF वामी

1 अिmनी अmनी कमार

2 भरणी यम

3 कितका अिन

4 रोिहणी ijा

5 मगिशरा च0मा

6 आ0ा$ िशव

7 पन$वस अिदित

8 प1य ग_

9 अ|षा सप$

10 मघा िपत

11 पवा$फाuगनी भग

12 उफाuगनी अय$मा

13 हत सय$

53

14 िचा Dव ािवmकमा$

15 वाती वाय

16 िवशाखा इ0ािण

17 अनराधा िम

18 7यtा इ0

19 मल राFस

20 पवा$षाढ़ा जल

21 उEराषाढ़ा िवmादव

अिभिजत िविध

22 qवण िव1ण

23 घिनtा वस

24 शतिभषा व_ण

25 पवा$भा0पद अजकपाद

26 उEराभा0पद अिहब$^य

27 रवती पषा

अिभिजत नF को भी 28वा नF माना गया ह अिभिजत नF सभी मागिलक कायy म शभ माना जाता ह इस नF म उEराषाढ़ा कW आिखरी प0ह घिटया और qवण क -ार=भ कW 04 घिटया इस -कार 19 घिटयlt क मान वाला नF अिभिजत नF कहलाता ह

करण-

ितिथ क आध भाग को करण कहत ह करण यारह होत ह चार िथर और सात चर करण

करण क नाम-

1 बव 2 बालव 3 कालक 4 तितल 5 गर 6 विणज 7 िवि (उसी को भ0ा कहत ह)

य सात चल करण ह जो िक -ितमास शUल पF कW -ितपदा क उEराM$ स श_ होकर चतथr क उEराM$ तक बीतत ह िफर ि4तीया वित म पचमी क पवा$M$ स वस ही -वत होत ह इस -कार क1ण पF कW चतद$शी क पवा$M$ तक इही का अवथान रहता ह

54

-ित मास क1ण पF कW चतद$शी क उEराM$ म शकनी 1 अमावथा क पवा$M$ म चतथr पद 2 उEराM$ म नाग 3 और शUल पF कW -ितपदा क पवा$M$ म िकत न 4 य चारlt (शकयािद) करण थायी _प म सदव रहा करत ह इसी स उनको िथर करण कहत ह

इस -कार 7 चल और 4 िथर करण मान गय ह

योग-

नF कW तरह ही योग भी 27 होत ह

च0मा और सय$ क रायाशlt का योग जब (13 अश 20 कला) या इसक गणा करन पर पण$ एक योग का िनमा$ण होता ह इस -कार िव1क=भ स लगाकर वधित तक कल 27 योग होत ह

योग वामी योग वामी

1) िवष क=भ यम 6) अितगampड च0मा

2) ि-ित िव1ण 7) सकमा$ इ0

3) आय1मान च0मा 8) धित जल

4) सौभाय ijा 9) शल सप$

5) शोभन बहपित 10) गampड अिन

11) विM सय$ 20) िशव िम

12) Nव भिम 21) िसM काित$कय

13) याघात वाय 22) सा^य सािवी

14) हष$ण भग 23) शभ ल6मी

15) व व_ण 24) शUल पाव$ती

16) िसिM गणश 25) ijा अिmनी कमार

17) यनीपात _0 26) ऐ0 िपतर

18) वरीयान कबर 27) वधित िदित

19) परष िवm कमा$

इस -कार पचाग क पाचlt अगlt का पण$तः ान पचाग का भली भॉित अ^ययन करन पर ही हम जम पिका सही ढग स बना सकत ह

पचाग दखन पर प होता ह िक जातक क जम क समय मास पF ितिथ वार योग करण नF आिद कW िथित और मान Uया थ

55

223 पचाग को दखन क िविध

उदाहरण क िलए िकसी जातक का जम 23 अ-ल 2012 तदनसार वशाख शUल पF सवत 2069 ि4तीया ितिथ सोमवार को हYआ तो उस मास का पचागदखन पर ात हYआ िक सव$-थम पि म ही ितिथ वार नF आिद मान सिहत िदय ह उ जातक का जम ि4ितया ितिथ 29 घिट सोमवार कितका नF 1 घिट 38 पल (अगल िदन तक) सौभाय योग 16 घिट 03 पल एव तितल करण 3 घिट 04 पल थ इस िदन िदनमान 16 घिट 01 पल सयदय 6 बजकर 01 िमिनट -ातः और सया$त साय 6 बजकर 56 िमिनट पर हYआ इसी -कार च0मा मष रािश म और सय$प मष रािश क 09 अश 09 कला 45 िवकला पर िथत था और सय$ गित 58 कला 21 िवकला थV

जम कampडली बनान म पचागlt क अलावा रखाश अFाश मानक समय रिवाित वलातर एव रखातर अथवा रuव अतर कW आवयकता होती ह इसकW परभाषाऍ नीच दी जा रहV ह-

(प qीबuलभ मनीराम पचाग क अनसार)

224 कछ पBरभाषाए -

1रखाश अाश - िवm मानिच म आपन कई ऊध$ और ितयक रखाए िखचV हYई दखी हltगी जो पव$

स पिaम कW और और उEरी Nव स दिFणी Nव कW ओर िखचV गई ह हमारी पeवी क बीचlt बीच एक काuपिनक रखा पव$ स पिaम कW ओर पिaम स पव$ कW ओर िखची गई ह इस भम^य रखा कहत ह

अाश - जो रखाए भम^य रखा क समातर भम^य रखा स नीच और ऊपर कW ओर खVची गई ह इह

अFाश रखाए या िसफ$ अFाश कहत ह

रखाश - व उ^वा$धर रखाए जो उEरी Nव स दिFणी Nव ओर खVची गई ह उह दशातर रखाए अथवा

रखाश कहत ह

मानक समय - वह घिड़यlt का समय जो दश क िकसी भी थान पर एक सा रहता ह वह मानक समय ह

जबिक रखाश म अतर कW वजह स िकसी भी थान िवशष का समय अलग-अलग होता ह (1 अश रखातर क अतर पर 4 िमनट का समयातर आता ह)

2 रिव ाित अथवा सय ाित

सय$ कW िकरण िजस अFाश पर ल=बवत पड़ती ह वह उस िदन कW रिव ित कहलाती ह

भम^य रखा पर रिव ाित 21 माच$ और 23 िसत=बर क लगभग शय ऋण(00) होती ह

22 माच$ स 23 िसत=बर तक उEर ाित और 24 िसत=बर स 21 माच$ रिव ाित दिFण ाित कहलाती ह

56

3 वलातर

सय$ और पeवी दोनlt गितमान ह िकत -ितिदन दोनlt कW गितयlt म अतर ह इस अतर को सामजय करन क िलए (मानक समय स थानीय या थानीय समय क मानक समय म जो समयातर ऋण अथवा धन िकया जाता ह वह वलातर सकार कहलाता ह) टampडड$ समय बनाना हो तो रuव अतर का िचह ऋण एव धन जो ह उसी -कार रख जायग लिकन वलातर का िचह सारणी म ऋण व धन जो ह उसम िवलोम धन हो तो ऋण और ऋण हो तो धन सकार करन पर प थानीय समय -ाk होगा

4 रखातर (अथवा र3व अतर)

मानक रखाश (भारत क िलए मानक रखाश ) स थानीय रखाश म -Dयक 1 अश अतर क िलए 4 िमनट का समयातर थानीय समय स मानक समय अथवा मानक समय स थानीय समय म बदलन क िलए (ऋण + धन) िकया जाता ह वही रखातर सकार अथवा रखातर अथवा रuव अतर कहलाता ह

225 सयAदय एव सया$त साधन

जातक का िजस थान पर जम हYआ उस थान िवशष का सयदय का थानीय समय लत ह Uयltिक एक थान का सयदय व सया$त का समय अलग-अलग होता ह सयदय और सया$त का थानीय समय ात करन कW कई िविधया ह यहा कW िविध स सयदय साधन करत ह

िविध -

1 िजस थान िवशष का सयदय ात करना ह उस थान िवशष क अFाश और उस िदन कW रिवाित (या सय$ ाित) सारणी स ात कर लव (सभी पचाग स उपरो सारिणया होती ह)

2 इिpछत अFाश और रिवाित को गणा कर और 5 का भाग दकर चर पल बनाल

3 इस -कार -ाk चर पलlt को 2) स भाग दकर चर िमनट बना लव

4 उस िदन रिव उEर (+) हो तो 6 घट म इन चर पलlt को घटाएग इसी -कार रिवाित उEर होन पर चर िमिनट म 6 घampट जोड़न पर सया$त -ाk होगा

5 इस -कार -ाk सयदय का मान थानीय सयदय का मान होगा

चिक जातक का जम समय का मान हम भारतीय टampडड$ टाइम क अनसार ही दखत ह और सभी घिड़यlt म सभी थानlt पर एक सा ही समय िदखाती ह (उदाहरण क िलए यिद िदuली म घिड़या दोपहर क 230 बजा रही ह तो म=बई और कोलकाता म भी घिड़या दोपहर क 230 ही बजा रही हltगी

Uयltिक यहा भारतीय का मानक समय ह जो स िलया गया ह पज समय ह) अतः हम इस थानीय समय को मानक समय म (पज) बदलना होगा

57

6 अतः उपरो थानीय सयदय क मान को मानक समय बनान क िलए रखातर या दशातर सकार (धन या ऋण) करना पड़ता ह एक दशातर का मान 4 िमिनट होता ह

उदाहरण क िलए जातक का जम जयपर म हYआ जयपर का रखाश ह और IST का रखाश ह दोनlt का अतर िकया

IST रखाश

जयपर का रFाश 75050 (-) घटाया

06 - 40 शष

शष को 4 स गणा करन पर

चिक 10 = 4 िमिनट

600400

times 4

24160 (िमस)

160 स म 60 का भाग दकर िमिनट बनाएग

24 िमिनट160 स`कampड य 60

24 िम + 2 िम 40 स

अतः जयपर का दशातर 26 िम 40 स`कampड (ऋण)

नोट अभी रखाश 82030 (2णampज) स कम होन पर (+) धन और अिधक होन पर (-) ऋण करग

उपरो lsquolsquoदशातर सारणीrsquorsquo स भी ल सकत ह जो सभी पचागlt म भी दी जाती ह

7 दशातर सlया (इस रuव अतर भी कहत ह) करन क पaात वलातर सकार करत ह

वलातर स$कार-

चिक पeवी और सय$ कW राि म समानता नहV ह अतः दोनlt कW गित म सामजय बठान क िलए वलातर सकार िकया जाता ह टampडड$ समय स थानीय समय बनाना हो तो रuव अतर का िचह (-) (+) जो ह वस ही रख जायग लिकन वलातर कW िचह सारणी म (-) (+) जो ह उसस िवलोम (+) धन हो तो (-) ऋण हो तो (+) धन सकार करन पर प थानीय समय -ाk होगा

सारणी - बuलभमनीराम पचाग

1 दशातर सारणी - पt स 86 - 87

58

2 वलातर सारणी - पt स 95

3 चरपल सारणी - पt स 89

4 रिवाित सारणी - पt स 94

227 चरपल िविध

चरपल िविध 4ारा सयदय िनकालन कW िविध

स- चरपत X आFाश रिव ाित

5

उदाहरण-

िकसी जातक का जम जयपर शहर म िदनाक 30 अUटबर 2012 तसार qीकाित$क क1ण पF -ितपदा सवत 2069 मगलवार को साय 7 बजकर 25 िमनट पर हYआ चरपल स इस िदन का सयदय ात कर पनः इ काल भी ात कर

िदनाक - 30 अUटबर 2012

थान - जयपर

अFाश - 26056

रखाश - 75050

रिवाित - 1351 दिFण

बलातर - (-) 1621 ऋण

स- चरपत X आFाश रिव ाित

5

26056 X 75050

5

3725

5

= 745 पल

चर िमनट = 745

= 298 िम

59

= 29 िम 48 स

सयदय - घ िम स

6 00 00

+ 29 48 जोड़ (रिव ाित दिFण होन स)

6 29 48 थानीय सयदय

थानीय सयदय - घ िम स

06 29 48

+ 26 40

06 56 28 थानीय म^यम सयदय

घटान पर (-) 16 21 (-) बलातर सकार

मानक सयदय 06 40 07

िदनाक 30102012 को जयपर का मानक सयदय 06 बजकर 40 िम 07 स -ाk हYआ

228 िदनमान स सयAदय िनकालना

सयदय िनकालन कW अय िविधया

1 उपरो चर िमनट को ि4गिणत कर

2 यिद रिव ाित दिFण (+) ह तो -ाk चर िम को 12 घट म जोड द ाित दिFण (-) होन पर 12 घट म स घटा द -ाk मान िदनमान होगा (िदनमान - सयदय स सया$त तक का समय िदनमान कहलाता ह)

3 -ाk िदनमान का आधा िदनाM$ कहलाता ह यह िदनाM$ का मान ही थानीय सया$त का मान ह

सयदय एव सया$त का सः-

सया$त acute 2 = िदनमान (घ िम) acute 2)

= िदनमान (घ प)

सया$त acute 5 = िदनमान (घ िम)

सया$त 06 14

X 5

3070

60

= 3110 िदनमान

स-

1) रािमान = सयदय X 5 = रािमान (घ प)

(घ प)

2) रािमान = 60 00 - िदनमान

रािमान ात करन क िलए 60घिट म स िदनमान घटान जो मान -ाk होता ह वह रािमान कहलाता ह

उदाहरण

घ प

60 00

- 31 10 िदनमान

28 50 रािमान

सानसार िदनमान + राि अM$ + जम समय ज acute 2)

जम समय = 03 बज -ातःकाल

वलातर 039

दशातर - 27

030000 जम समय

- 2700 दशातर 3110 िदनमान

जम समय LT 023300

X 2 12 062230

2850 रािमान

2

3110 िदनमान

1425 राि अM$

4535

61

453500

+ 062230 जम समय LT

515730 इ काल (घ पल)

229 $थानीय सया$त

िदनमान

2

उपरो उदाहरण स चर िमनट - 29 िम 48 स

चर िमनट का ि4गिणत - 29 िम 48 स acute 2

= 59 िम 36 स

िदनमान = 12 घट - 59 िम 36 स

िदनमान = 11 घट 0 िम 24 स

िदनाM$ - िदनमान -- थानीय सया$ त

2

11 घ ndash 24 स

2

थानीय सया$त - 5 घ 30 िम 12 स

थानीय सया$त - घ िम स

12 00 00

सया$त (-) 05 30 12

06 29 48 थानीय सयदय

+ 26 40 दशातर सकार

06 56 28

वलातर सकार - 16 21

मानक सयदय 06 40 07 थानीय सयदय

62

2210 इकाल िनकालन क पNितः-

परभाषा- सयदय क बाद जम समय तक िजतना जम समय घampट िमिनट या घटी पल म होता ह वह इ काल कहलाता ह

जातक क जम समय म स सयदय का मान घटान पर जो समय ात होता ह वह इ काल कहलाता ह

इ काल - जम समय - सयदय का मान (ज) स

उपरो उदाहरण म जम समय साय 725 बज

जम समय = 12 + 725 घट

= 1925 साय

इ काल = जम समय 1925 - सयदय 64007 (घटाया)

= 12 घ 44 िम 53 स (घटा िमनट म)

acute 2 12

= इ काल

चिक 7योितष कW सभी गणनाए अिधकतर घटी पल म होती ह अतः उपरो को 2) स गणा करन पर इ काल का घटयािद मान -ाk होगा

इ काल (घटयािद म) = (124453) acute 2)

= 31 घिट 52 पल

यिद िकसी जातक का जम िदनाक 30 अUटबर 2012 को राि क 1 बजकर 40 िमनट पर हYआ हो जम समय म 24 घट जोड़कर समय 25 घट 40 िमनट लग िकत िदनाक 30 अUटबर 2012 िदन मगलवार ही लग न िक बधवार जसा िक रuव म म^य राि क बाद अगल िदन मान लत ह िकत 7योितष म िदन एव ितिथ सयदय क समय क बाद स माना जाता ह

यहा पर यह बात भी ^यान दन योय ह िक जम का समय जहा कहV भी दखग वह घिड़यlt म सभी जगह एक सा (अथा$त मानक समय) होगा जबिक सयदय का समय सभी जगह अलग-अलग होता ह इसीिलए थानीय सयदय कहलाता ह अतः इस मानक समय म बदलना ज_री होता ह अगर सयदय का समय थानीय लत ह तो जम समय को भी थानीय मसय म बदलना होगा Uयltिक दोनlt कW इकाई एक होन पर ही इ काल सही होगा अयथा इ काल िटपण$ होगा और इ काल क िटपण$ बनगी

2211 इकाल िनकालन क दसरी पNित

इस पMित म -थम पMित स अतर िसफ$ इतना ह िक -थम पMित म सयदय या सया$त का इ काल िनकालन क िलए -योग िकया जाता ह

63

िकत इस पMित म सया$दय या सया$त का -योग नहV िकया जाता इसक थान पर िदनमान या राि मान -योग िकया जाता ह

1 सया$दय स लकर 12 बज िदन तक का जम समय होन पर -

स- िदनाM$ - (12 - जम समय ज) times 2))

= इ काल (घटी पल)

उदा0 जम समय 8 बज होन पर तथा िदनमान 28 घटी 50 पल तथा राि मान 31 घटी 10 पल ह तो इकाल Kात होगा

िदनाM$ 1425 1200 घampट िदन क िदनमान

2 िMनाअ$तर

- 1000 - 800 जम समय ज

0425 इ काल 400

acute 2 12

1000 अतर

नोट - इस पMित म िदनमान या रािमान िलय जात ह वो घampट िमिनट म न होकर घटी पल म होत ह अतः इसका -योग सीधा िकया जाता ह इसम 2) स गणा नहV िकया जाता

2211 इकाल िनकालन क स व िविधया

1 स- िदनाM$ = िदन क 12 बज का इ

यिद िकसी यि का जम िदन क ठीक 12 बज िदन क थानीय समय म हYआ ह तो उसका इ सीधा िदनाM$ ही हो जाता ह

इसी -कार िदनमान परा सया$त क समय का इ होता ह

2 स- सयदय स सया$त = िदनमान (इ घटीपल)

अगर िकसी यि का जम ठीक सया$त क समय म थानीय समय म हो तो उसका इ िदनमान का स=पण$ मान ही होता ह

राि क वातिवक 12 बज इ िदनमान + राि अM$ क बराबर होता ह

3 स- िदनमान + राि अM$ = राि 12 बज (थानीय समय) (इ घटीपल)

िदन क 12 बज स राि 12 बज तक का समय होन पर -

64

4 स- िदनाM$ + (जम समय times 2 frac12 इ काल

राि 8 बज जम समय ज

िदनमान - 2850 राि मान 3110

िदनाM$ 1425 08 00 जम समय

जम समय (घ प) (+) 2000 2 12

3425 2000

िदनमान -- थानीय सया$ त िदनाM$ -

2

28 50 िदनाM$ -

2

राि बारह बज स अगल सयदय होन का समय का जम समय होन तक

5 स-

िदनमान + राि अM$ + (जम समय 2 frac12 = इ काल

उदाहरण-

जम िदनाक 03092012

जम समय 03 बज ातःकाल

जम थान कोटा

अFाश 2510

रिवाित + 0728

3556 (चर पल) 2 frac12

= 1422 चर िमिनट

रिवाित होन कW वजह स 6 घampट म स चर िमिनट िनकालन पर सयदय आयगा

घ0िम0स0

65

060000

- 001422

054538

= 546 सयदय

12 घampट म स सयदय घटान पर सयत -ाk होगा

घ0िम0स0

120000

- 054600

061400 सयत

23 साराश

इस इकाई म जम कampडली िनमा$ण कW िविध 4ारा जम कampडली आसानी स बनाई जा सक इसका -यास िकया गया ह इसम ितथी वार नF योग करण जम समय जम थान एव जम वष$ कW जानकारी कराई गई ह सयदय वलातर प ातर ान एव इ काल िनण$य कW सगम पMित बताई गयी ह िजसस 7योितष सीखन वाल छा जम कampडली का िनमा$ण कर सकगा

24 बोध

1 पचाग िकतन अग होत ह

उEर पचाग क पाच अग होत ह

ितथी वार नF योग एव करण

2 ितिथयlt का वगrकरण करए

उEर ितिथयlt कW पाच साऐ होती ह

नदा भ0ा जया रा पणा$

1 2 3 4 5

6 7 8 9 10

11 12 13 14 1530

3 नF िकतन होत ह नाम सिहत िलिखए

66

उEर नF 27 होत ह

1 अिmनी 2 भरणी 3 कितका 4 रोिहणी

5 मगिशरा 6 आ0ा$ 7 पन$वस 8 प1य

9 अ|षा 10 मघा 11 पवा$फाuगनी 12 उफाuगनी

13 हत 14 िचा 15 वाती 16 िवशाखा

17 अनराधा 18 7यtा 19 मल 20 पवा$षाढ़ा

21 उEराषाढ़ा 22 qवण 23 घिनtा 24 शतिभषा

25 पवा$भा0पद 26 उEराभा0पद 27 रवती

1 अमावया क िकतन भद होत ह

उEर अमावया क तीन भद होत ह-

2 -ातःकाल स लकर राि तक रहन वाली अमावया को िसनीवाली

3 चतथ$दशी स िवद को दश$ एव

4 -ितपदा स य अमावया को कहY कहत ह

5 इ काल िकस कहत ह

उEर जातक क जम समय म स सयदय का मान घटान पर जो समय ात होता ह वह समय इ काल कहलाता ह

24 िनबधामक

1 सयदय साधन करन कW िविध समझाइय

2 इ काल िनकालन कW िविध उदाहरण सिहत समझाइय

25 शदावली

इस इकाई म जम कampडली िनमा$ण कW िविध 4ारा जम कampडली आसानी स बनाई जा

इ काल = जम का घिटयािद मान

पचाग - ितथी वार नF योग एव करण

मद = स=य

उ( = अशभ

67

अMिदनमान = अहोरा (पर िदन कW रािमान राि का स=पण$ मान)

IST = भारतीय मानक समय

LT = थानीय समय

26 सदभ थ सची

1 भारतीय 7योितष लखक डॉ नमीच0 शा9ी

2 पचाग बuलभमनीराम

लखकः- qीमती िवजयल6मी शमा$

किनt िलिपक वध$मान महावीर खला िवmिवxालय कोटा

68

इकाई - 3

इ काल स जम कampडली िनमा$ण (ह साधन (चालन धन-ऋण) भयात-भभोग

इकाइ क परखा

30 -तावना 31 उय 32 िवषय -वश 321 लन 322 भयात और भभोग साधन 323 चालन 324 (ह प 33 साराश 34 शZदावली 35 अ~यास -[ 36 सदभ$ (थ सची

30 तावना

इस इकाई म जम कampडली का िनमा$ण इ काल स िकया गया ह पव$ कW इकाई म जम पिका क िनमा$ण म पचाग कW सहायता स ितिथ वार नF योग और करण एव सयदय वलातर थानीय समय और इ काल कW िविध समझायी गयी ह इसक पaात इस इकाई 03 म इ काल स जम कampडली का िनमा$ण िकया गया ह

भयात भभोग साधन क 4ारा (ह प बताए गय ह चालन धन (+) ऋण (ग) को िविध 4ारा प िकया गया ह एव चालन 4ारा (ह प िकया गया ह इसम िवxाथrयlt को जम कampडली िनमा$ण सरल पMित स उदाहरण सिहत समझाया गया ह

31 उय

इस इकाई का उय छाlt को जम कampडली िनमा$ण िकस -कार िकया जाता ह उदाहरण सिहत िवतत _प स समझाया गया ह िजसस छाlt को आसानी स समझ सक और जम कampडली का िनमा$ण वय कर सक छाlt िक सिवधा क िलय लन सारणी इस ईकाई म दी गई ह

69

32 िवषय वश

इ काल स जमकampडली िनमा$ण

321 लbनग

पव$ क िFितज पर जम क समय और आकाश क िमलन पर जो (ह उदय हो रहा उसका बड़ा महD D व ह िकसी भी घटना िवशष पर पव$ क िFितज पर िजस रािश का उदय िजतन अशकलािवकला पर हो रहा ह वह उस घटना का लन ह इसिलए सभी शभ काय म लन का बड़ा महD D व ह

लन कW गणना क िलए इ काल सय$ क अश लन सारणी का िवचार िकया जाता ह

कampडली बनान म इ काल एव लन कW गणना स6म होनी चािहए अयथा सारी गणनाऍ गलत िसM होगी लन कampडली का महD D वपण$ अग ह गलत लन होन पर कampडली भी गलत बनगी 24 घampट म 12 लन होत ह

उदाहरण 1

िकसी बालक का जम 14 जनवरी 2004 को 3 बजकर 20 िमिनट सायकाल को कोटा म हYआ तो लन िनकाल

थान कोटा जम समय 320 दोपहर

जम समय = 1520 बज 14 जनवरी 2004

सयदय (कोटा) = 718 बज

इ काल = जम समय ग सयदय

(घ०िम०)

= 1520 ग 718

= 802

इ काल = 2005

14 जनवरी 2004 = 08-290 ndash 04 ndash 10

लन सारणी स 80 पर सयदय = 5106

इ काल +2005

लन प 1111

= 7111

- 6000

70

1111

लन िथित

1104 पर 10 पर अतर ह 60 कला का

1117 पर 1 पर अतर ह

0010 का 1 कF 7 पर अतर ह = 42 कला का

1111

1104

0007 (अतर)

अतः लन िथित

उदाहरण 2

जम िदनाक 3 िसत=बर 2012 (03092012) जम समय 300 -ातःकाल इ काल 515730 (हमन ऊपर िनकाला हYआ ह)

िदनाक 03092012 क सयाश 4 रािश 16 अश 18 कला और 21 िवकला ह लन सारणी स (बuलभमनीराम पचाग पज 53 स) सयाश क अनपातक घिट पल -ाk कर इ काल म जोड़

घिट पल िवपल

इ काल ग 51 - 57 - 30

सयाश क घटी पल (+) 26 - 12 - 00 जोड़न पर

78 - 09 - 30

60 - 00 - 00 (60 घटी घटायी)

(-ाk घटीपल) 18 - 09 - 30

इन -ाk घटी पल क पनः उसी लन सारणी म दखन पर लन क रािश अश -ाk हYए

71

18 घटी 09 पल पर लन 3 रािश 4 अश

इस -कार लन कक$ रािश क 40-18-09 आया इसस लन कampडली बनाकर (ह क प मान स (हो कW थापना करन पर जम कampडली -ाk होगी

इस -कार -ाk जम कampडली

322 भयात और भभोग साधनग

यिद पचाग अपन यहा का नहV हो तो पचाग क ितिथ नF योग और करण क घटी पलlt म दशातर सकार करक अपन थानगजहा कW जमपी बनानी हो वहा क नF का मान िनकाल लना चािहए

यिद इ काल स जमनF क घटी पल कम हlt तो वह नF गत और आगामी नF जमनF कहलाता ह तथा जमनF क घटी पल इ काल क घटी पलlt स अिधक हlt तो जमनF क पहल का नF गत और वत$मान नF कहलाता ह गत नF क घटी पलlt को 60 म स घटान पर जो शष आव उस दो जगह रखना चािहए तथा एक थान पर इ काल को जोड़ दन स भयात और दसर थान पर जमनF जोड़ दन पर भभोग होता ह

नोट -

1) इ काल ग इ काल अिधक ह तो जम नF अगला होगा

2) इ काल ग इ काल नF क मान स कम ह तो जम नF वहV होगा

भभोग िनकालन का तरीकाग

1) अगर नF का मान इ काल स कम ह तो भभोग िनकालन क िलए (60 घटी ग पव$ नF का मान + अगल नF का मान जोड़ द) (नF अगला माना जायगा)

2) अगर इ काल क मान स उस िदन क नF का मान अिधक हो तो 60 घटी म िपछल नF का मान घटाय - इस नF का मान जोड़ द नF वत$मान माना जायगा (60 - िपछला नF + वत$मान नF)

72

भयात िनकालन क िलए -

1) यिद इ काल क मान स गत नF का मान कम ह तो इ काल म स गत नF को घटान पर भयात -ाk होगा (जम नF अगला माना जायगा)

स भयात = इ काल ग नF का मान

2) अगर नF का मान इ काल क मान स अिधक ह तो जम नF वही माना जायगा गत िदन क नF को 60 घिट म स घटा कर इ काल जोड़न पर भयात -ाk होगा

भयात = 60 घटी ग गत नF का मान + इ काल

= 60 ग गत नF + इ काल

नोट

जम तारीख पर यिद वत$मान नF गत नF हो जाता ह तो भयात = इ काल ग गत नF होता ह अथा$त इ काल म स गत नF को घटान पर ह भयात हो जाता ह

उदाहरण 3

जम िदनाक 10 अगत 2003 जम समय 12 बजकर 40 िमिनट सायकाल

सयदय 602 बज भयात भभोग िनकालो

जम समय ग सयदय

घ िम

जम समय = 12 40

= - 06 02

= 6 38

acute 212

इ काल = 1635 (घ० पल) -ाk हYआ

गत नF प० षाढ़ा = 0428 (घ० पल) तक

वत$मान नF उ० षाढ़ा = 0153 (घ० पल) तक

गत नF प० षाढ़ा का मान इ काल क मान स कम ह अतः जम नF हYआ उ० षाढ़ा

भयात = इ काल ग गत नF

= 1635 - 428

73

भयात = 1207 (घ० पल)

भभोग = 60 ग गत नF का मान + अगला नF

= 60 - 428 + 153

= 5532 + 153

भभोग = 5725 (घ० पल)

चरण = 5725

4

= 14 2115 -थम चरण

= 28 42 30 ि4तीय चरण

= 43 03 45 ततीय चरण

अतः नF उ० षाढ़ा का -थम चरण का जम ह

उदाहरण 4

जम िदनाक 10 अगत 2003 जम समय 6 बजकर 25 िमिनट -ातःकाल सयदय 602 भयात भभोग िनकालो

10082003 वत$मान नF पवा$षाढ़ा = 428 घ० पल

09082003 का गत नF = 648 घ० पल

जम समय 625

सयदय 602

इ काल = 625 - 602

= 0023 िम०

= 0023 times 212

= 57 पल 30 िवपल

भभोग = 60 ग गत नF का मान + वत$मान नF

= 60 - 748 + 428

= 6428 - 784

= 5640

74

भभोग = 56 घ० 40 पल

-थम चरण = 14 घ० 10 पल

ि4तीय चरण = 28 घ० 20 पल

ततीय चरण = 42 घ० 30 पल

भयात = 60 - गत नF का मान + इ काल

= 60 - 748 +

= 5212 + 05730

= 53 घ० 9 पल 30 िवपल

अतः जातक का जम नF पवा$ षाढ़ा क चौथ चरण का ह

उदाहरण 5

जम िदनाक 11 जलाई 2003 समय 930 -ातःकाल सयदय 548 -ातःकाल का भयात भभोग ात कर

इ काल (घ० िम०) = 930 - 548

= 3rdquo42X212

इ काल (घटीपल) = 915

सौर पश$ = 224rsquo03rsquo07rsquorsquo(िमथन राशी 24rsquo03rsquo07rsquorsquo)

इ काल (घटीपल) = 915

सयाश का मान = 1624rsquo03rsquo07rsquorsquo11लन िसह रािश क पर ह

लन = 2526

लन प 411055rsquo

लन िसह रािश क पर ह

लन 110 -55

75

इ काल ग 915

गत नF ग अनराधा 5800

वत$मान नF ग 7यtा 5233

भभोग = 60 - 5800 + 5233 = 5433 -थम चरण 13335

भयात = 60 - 5800 + 915 = 2 + 915 = 1115 ि4तीय चरण 270330

जातक का जम 7यtा नF क पहल चरण का होगा

उदाहरण 6

जातक का जम िदनाक 03082003 इ काल 142653 सयदय 0557 भयात भभोत ात कर

वuलभमनीराम पचाग सग

नF घटीपल घिम सयदय घिम

िदनाक 03082003 हत 2812 1747 557

02082003 पव$ उ०फाuगनी 3058 1858 557

03082003 जम िदनाक 2812 + 12230टampडड$ सयदय 620

िदनाक 03082003 सयदय शखावाटी (-) 557

वातिवक मान रामगढ़ 283430 033

पव$ नF 3058 + 12230 212

िदनाक 02082003 012230

वातिवक मान रामगढ़ 322030

कोटा सया$त 558

सयदय रामगढ़ - 557

001

212

पव$ नF 3220

- 0003

कोटा पव$ नF मान 3217

76

इ काल + 140 - 26rsquo-53rsquorsquo

भयात 420 - 09rsquo-53rsquorsquo कोटा म वत$मान नF का मान

अतः भयात =420 - 09rsquo-53rsquorsquo रामगढ़ का मान 2934

भभोग 600 -000rsquo-00rsquorsquo सयदय का अतर ग 0003

- 320 -17rsquo-00rsquorsquoकोटा का मान 2931

+290 - -31rsquo-00rsquorsquo

भभोग 570 - 41rsquo-00rsquorsquo

भयात 420 -09rsquo-53rsquorsquo एव भभोग 55-570 -41rsquo-00rsquorsquo-ाk हYआ ह

िटhस

1) यिद इ काल का मान पचाग म उस िदन क नF क मान स कम ह तो वह नF जम नF कहलाता ह और उसस पहल का नF गत नF ह

2) यिद इ काल का मान पचाग क उस िदन क नF मान स अिधक ह तो वह नF गत नF कहलाता ह अगामी नF जम नF ह

323 चालनग चालन (धन + ऋण) साधनग

पचागlt म -Dयक पF (साkािहक) इ काल (ह प िदय रहत ह उनक नीच कW पि म दिनक गित का मान िदया रहता ह पचाग म िदए गए इहV (हlt म स अभी काल क (ह प करन को (ह साधन कहा जाता ह पचाग म साkािहक (ह प कW पि दी होती ह उसी क अनसार यिद अपन इस समय स आग कW प पि होती हो तो पि कW गणना रिववार स श_ कW गई ह अथा$त रिववार कW सlया 1 सोमवार कW सlया 2 मगलवार कW सlया 3 बधवार कW सlया 4 ग_वार कW सlया 5 शवार कW सlया 6 शिनवार कW सlया 7 आिद स घिट पलlt म स इ काल कW घटी पल घटान स शष तuय ऋण चालन होता ह यिद पि पीछ कW हो और इ काल आग का हो तो इ काल क वार घटी पलlt म स पि क वार घटी पलlt को घटान पर जो मान -ाk होता ह उस धन चालन कहत ह इस ऋण व धन चालन को पचाग म दी गई (ह गित स गणा करन पर जो अश आिद आय उस उह धन या ऋण चालन क अनसार पचाग म िदय गय (ह मान म जोड़न या घटान पर प (ह आत ह

राहY और कत वW (ह कहलात ह इनक िलए हमशा ऋण चालन म -ाk अशािद फल को जोड़न और धन चालन स -ाk अशािद फल को घटान स जो मान -ाk होता ह वहV उसका प मान होता ह

उदाहरणग (चालन)

जम िदनाक 03 िसत=बर 2012 जम समय 300 -ाkः काल इ काल 515730

77

पचाग म पिथ कampडली कW तारीख 1 िसत=बर 2012 तथा इ 0000 पल िदया हYआ ह अपनी जम तारीख स पिथ कampडली कW तारीख पीछ होन कW वजह स चालन कW गित धनाDमक (+) रहगी इन दोनlt तारीखlt व इ ो का अतर हमारा वह चालन होगा िजसस हम सभी (हlt को प करग

िदन इ घटी पल

जम 3 51 57 30

पिथग1 00 00 00

चालन +2 51 57 30

उदाहरणग

(बuलभबलीराम क अनसार)

जम िदनाक 14 नव=बर 2012 जम सयम 600 सायकाल

जम समय इ काल = 3130 चालन ात कर

पचाग म पिथ कampडली कW तारीख 17 नव=बर 2012 द रखी ह तथा वहV पर ही पिथ कampडली कW इ घटी 00 घटी 00 पल द रखी ह इस -कार हमारी जम तारीख पिथ तारीख स पीछ पड़ रही ह अतः हम पिथ कampडली स (ह प करन क िलए पीछ चलना पड़गा अतः चालन (ग) ऋणाDमक रहगा और अपनी जम तारीख और इ को पिथ तारीख और इ पर घटान पर जो मान आयगा वह चालन होगा िजसस हम (ह प करग

िदन इ घ० पल

17 00 00 00 ग पिथ

14 31 30 00 ग जम

चालन - (-) 02283000

324 Qह $प

इ काल स कampडली बनान क पaात उसक (ह प कर लना चािहए फलादश ठीक तभी होगा जब (हlt का सही प मान -ाk होगा यहा पर (हप ीकरण का ताDपय$ (हlt क रायािद मान स ह

-Dयक जम कampडली म जम लन च क पव$ (ह प च िलखना आवयक होता ह सय$ मगल बध ग_ श शिन राहY व कत कW (ह प करन कW िविध एक समान होती ह जबिक च0मा क (ह प करन कW िविध अगल होती ह यह िविध इकाई म दी गई ह

पचागlt म (ह प िदया जाता ह लिकन कहV तरह क पचागो म िविवध -कार स (ह प कW िविध द रखी ह जस िकसी म अ मी अमावया और पिण$मा कW पि रहती ह और िकसी पचाग म

78

-ातःकािलन या सयदय कािलन इ काल या सयदय कािलन (ह प कW पि दी जाती ह उसक अनसार दिनक गित (दो िदन क (हlt का अतर करन पर दिनक गित आती ह) को गित स गणा कर 60 का भाग दन स जो अश कला िवकला आय उस िमq मान कािलन या सयदय कािलन (ह प पि म ऋण या धन करन पर इ कािलन (ह प -ाk होत ह

हम भयाDगभभोग क 4ारा च0प कर चक ह इसिलए यहा पर हम च0प को छोड़कर बाकW सभी (हlt को प करग हम पव$ क चालन म िदय गय उदाहरण स ही (ह प करत ह

उदाहरण -

जम िदनाक 3 िसत=बर 2012 चालन ात करग

िदन इ घ० पल

चालन म िदय गय िदन कW गित स गणा करक कला िवकला स जोड़ा जाता ह

चालन िदन acute (ह गित = कला िवकला

इ म गित करक 60 का भाग लगाया जाता ह जो मान आता ह उस स=बिधत (ह क कला िवकला म चालन क अनसार (+) धन या ऋण (-) कर िदया जाता ह

नोट

वW (ह कW गित चालन कW गित स िवपरत होती ह यिद चालन धनाDमक (+) ह तो वW (ह म (-) ऋणाDमक चालन कW गित हो जायगा

Qह $प

79

80

81

उदाहरण ndash 3

िदनाक 13072009 समय 9 बजकर 45 िमिनट राि इ 39 घटी 47 पल 30 िवपल थान कोटा

82

83

84

ल न सारणी -

नोट ndash छा क सिवधा क िलय ल न सारणी म िलख गय िह दी क अक को िन न कार स अगजी क अक को समझ

frac141-1] 2-2] 3-3] 4-4] 5-5] 6-6] 7-7] 8-8] 9-9frac12

33 साराश

इस इकाई क ारा जम कampडली म इ(काल स इस कार कampडली का िनमा)ण िकया गया ह िक च -प( एव च गित ारा भया2गभभोग उदाहरण सिहत जानकारी -तत क गई ह और इस इकाई म यह समझान का यास िकया गया ह िक 5ह -प( एव चालन िकस कार िकया जाता ह उदाहरण सिहत जानकारी दी गई ह

85

34 अयास

1 5ह -प( करन का स बताइय

2 चालान साधन का स बताइय

उ9र िदन times 5ह गित

3 भयात का स बताइय

उ9र भयातग60 घटी ग गत नlt का मान ग इ(काल

4 भभोग का स बताइय

उ9र 60ग घटीगपव) नlt का मान + अगला नlt का मान

5 चालन का स बताइय

उ9र चालन म िदए गए िदन क गित स गणा करक कलागिवकला स जोड़ा जाता ह

चालन िदन times 5ह गित +कलागिवकला

िनबधामक

1 जम िदनाक 11 जलाई 2003 जम समय 930 सबह का भया2गभभोग gtात कर

2 जम िदनाक 03092012 जम समय 300 सबह क 5ह -प( gtात कर

36 सदभ 13थ सची

नमीच शाी

बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

86

इकाई - 4

लनप साधन भ13-भोय साधन इकाई क पररखा

40 -तावना 41 उGHय 42 िवषय वश 421 सय) क अनसार लन क जानकारी 422 च गित साधन 423 च -प( साधन 424 भJ-भोय कार 425 िवशोतरी दशा 426 महादशा म अत)दशा 427 5ह दशा जानन क िविध 43 साराश 44 शKदावली 45 अLयास M 46 सदभ) 5थ सची

40 तावना

िजस इ(काल क जम पिका बनानी हो उसक 5ह -प( करना अित आवHयक ह Pयिक 5ह क -प( मान क जानकारी क िबना अय फलादश ठीक नहS हो पात ह 5ह -प( करन का ता2पय) रािशयािद मान स ह दसरी बात यह ह िक कampडली क ादश भाव म 5ह का -थापन 5हमान रािशयािद 5ह gtात हो जान पर िकया जा सकता ह अतएव 2यक जम कampडली म जमाग चT क पव) 5ह -प( चT िलखना अिनवाय) ह चमा को छोड़कर शष आठ 5ह को -प( करन क िविध एक-सी ह

लिकन चमा को -प( करन क िविध अलग ह अय 5ह क गित पचाग म िलखS रहती ह चमा क गित एव -प( िनकालन क िविध अय 5ह क िविध स अलग ह

अतः चमा क गित एव -प( करन क िविध का अVययन इस ईकाई म -प( िकया गया पव) ईकाईय म लन िनकालना अय 5ह का -प( करना भयात-भभोग िनकालन क बार म -प( िकया जा चका ह इस अVयाय म भयात-भभोग (मJ-भोय) क आधार पर च गित एव -प( िनकालन क िविधय का अVययन िकया गया ह

87

41 उय

उस ईकाई म छा को च 5ह क गित एव -प( करना सगम पXित ारा समझाया गया ह अय 5ह क गित एव -प( करन क िविध च गित व -प( करन स िभन ह अतः उसका िभनता को -प( करना बताया गया ह

42 िवषय वश

इस इकाई 4 म लन साधन च साधन कर भJ-भोय कार स िवशोतरी दशा एव अत)दशा को िव-तार स समझाया जा रहा ह-

421 सय क अनसार लन क जानकारी

जम क समय पवY िltितज पर सय) िजस भी राशी म उदय होता ह वह उस जातक का जम लन होगा

सय[दय सबह 630 बज - सबह का लन lsquolsquoतलाrsquorsquo

दोपहर का लन lsquolsquoमकरrsquorsquo

साय का लन lsquolsquoमषrsquorsquo

राि का लन lsquolsquoकक) rsquorsquo

88

422 च गित साधन-

एक नlt क कला2मक मान को 3600 पल स गणा करक पला2मक भभोग का भाग दन पर च गित ा होती ह वह च गित पला2मक होगी

च -प(

एक नlt का मान = 130 -20rsquo

= 13X60rsquo+20rsquo

= 780rsquo+20rsquo

= 800

पव) भभोग = एक नlt का मान = (कला)

च गित साधन = 800x3600 पल भभोग पल

= च गित (कला िवकला म)

89

423 च प$

भयात पला2मक को 40 स गणा करन पर जो मान आय उसम ितगन पला2मक भभोग का भाग दन पर जो पला2मक मान ा होगा उसको रािश अश कला िवकला म प]रवित)त करक गत नlt क Tम स^या को नlt क मान 800 कला स गणा करन पर जो रािश अश कला िवकला आए उसम जोड़ दन पर च -प( होगा

च -प( करन क िलए पहल षिD माण भिJ (वत)मान नlt क) िनकालनी होती ह भभोग क घिटया कमी 60 स कम कभी 60 स अिधक होती ह तथा 60 घिट क अनपाितक घिटया भभात क िकतनी होती ह इस िनकालना पड़ता ह इसी को lsquolsquoषिD माण भिJrsquorsquo कहत ह अथा)त पण) भभोग म 60 घिट तो भयात म िकतनी अनपाितक घिटया होगी या सपण) भभोग को 60 घिट क बराबर माना जाए तो भयात को िकतनी घिट क बराबर मानना पड़गा

भयात गतघटी पर च सारणी

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

0 0 0 0 0 1 1 1 2 2

13 26 40 53 6 20 33 46 0 1

20 40 0 20 40 0 20 40 0 20

11 12 13 14 15 16 17 18 19 20

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

2 2 2 3 3 3 3 4 4 4

26 40 53 6 20 33 46 0 13 26

40 0 20 40 0 20 40 0 20 40

21 22 23 24 25 26 27 28 29 30

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

4 4 5 5 5 5 6 6 6 6

40 53 6 20 33 46 0 13 26 40

0 20 40 0 20 40 0 20 40 0

31 32 33 34 35 36 37 38 39 40

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

90

6 7 7 7 7 8 8 8 8 8

53 6 20 33 46 0 13 26 40 53

20 40 0 20 40 0 20 40 0 20

41 42 43 44 45 46 47 48 49 50

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

9 9 9 9 10 10 10 10 10 11

6 20 33 46 0 13 26 40 53 6

40 0 20 40 0 20 40 0 20 40

51 52 53 54 55 56 57 58 59 60

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

11 11 11 12 12 12 12 12 13 13

20 33 46 0 13 26 40 53 6 20

0 20 40 0 20 40 0 20 40 0

सवamp पर गित बोधक प$ सारणी

54 55 56 57 58 59 60

888 872 857 842 827 813 800

48 40 8 6 34 33 0

61 62 63 64 65 66 67

786 774 761 750 738 727 716

54 12 57 0 30 18 28

उदाहरण 1

जम समय 1015 बज सबह िदनाक 2112003 -थान कोटा सय[दय 639 बज भयात भभोग व च गित gtात कर

वत)मान नlt = धिनDा

सय[दय का समय अतर

91

िदया गया सय[दय का समय 6 39

पचाग का सय[दय समय - 6 30

009 (िमिनट)

times 212

2230 (घटीपल)

घ0 प0 िव0

(सबह 630 बज) 493500

नlt मान का अतर - 2230

धिन(ा का मान 491230

सबह (639 बज)

गत नlt Bवण का मान 481500 (-) 2220 = 475230 (घ0 प0 िव0)

भJकाल (भयात = 60 - गत नlt + इ( काल + इ( काल)

इ(काल = 1015 ndash 639

(घ0 िम0) = 3rsquorsquo36rsquorsquo

इ(काल = 900 (घ0 प0)

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

= 60 - 475230 + 90000

= 120730 +90000

= 21 07 30 (घ0 प0 िव0)

= 1260 + 7 = 1267 60 + 30 = 76050 (िव0)

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 120730 + 491230

(घ0प0िव0)

= 612000

= 61 - 20 60

= 3660 + 20

92

= 3680 पल 60

= 220800 िवपल

च गित = 3600X800

3680

= 10800

23

= 782 पल 36 िवपल

च गित = 130-02-36rsquorsquo

च साधन

च -प( करन क िलए पहल षि( माण भिJ (वत)मान नlt क) िनकालनी होती ह भभोग क घिटया कमी 60 स कम कभी 60 स अिधक होती ह तथा 60 घिट क अनपाितक घिटया भयात क िकतनी होती ह इस िनकालना पड़ता ह इसी को lsquolsquoषि( माण भिJrsquorsquo कहत ह अथा)त पण) भभोग म 60 घिट तो भयात म िकतनी अनपाितक घिटया होगी या सपण) भभोग को 60 घिट क बराबर माना जाय तो भयात को िकतनी घिट क बराबर मानना पडगा

स = भयात X 60 भभोग

= षिD माण भिJ

या = भयात X 60 पला2 मक भभोग

1) च साधन स = (गत न क षि माण भि + वतमान न क षी माण भि) X 2

9

= च -प(

2) स = = भयात X 40 भभोग X 3 = वत)मान नlt क च -प(

इसम गत नlt क स^या का च -प( जोड़ द तो च -प( हो जायगा

93

नlt क अनसार च -प( करन क िलए इस सारणी को दख अगर िकसी जातक का जम अिEनी नlt क अत म होता ह तो इस सारणी क अनसार च -प( 0 रािश 13 अश 20 कला 0 िवकला िलखग

नamp)प+र प$ रािशयािद च सारणी

1 2 3 4 5 6 7 8 9

अिE भरणी कित रोिह मग आा) पन) प_य आ`षा

0 0 1 1 2 2 3 3 4

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

10 11 12 13 14 15 16 17 18

मघा पफा उफा ह-त िचा -वाित िवशा अनरा aयDा

4 4 5 5 6 6 7 7 8

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

19 20 21 22 23 24 25 26 27

मल पषा उषा Bवण धिन शतिभ पभा उभा रवती

94

8 8 9 9 100 10 11 11 12

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

424 िवशोतरी दशा

िवशोतरी महादशा म भJ-भोय साधन

िवशोतरी महादशा का भJ िनकालन क िलए 5ह क दशा वष) को भयात स गणा करक उसम भभोग का भाग िदया जाता ह

भJ = दशा वष) Xभयात

भभोग

भोय = दशा वष) - भJ

नlt का वह मान जो भJ या बीत चका होता उस हम गत नlt कहत ह और नlt वत)मान होता ह उस हम जम नlt कहत ह िवशोतरी दशा म सव) थम जम नlt क िवशोतरी दशा अनसारण -वामी 5ह क दशा होती ह िफर Tमशः अय 5ह क दशा होती ह जम नlt का वह भाग जो बीत जाता ह दशा वष) म उतना मान िनकाल िलया जाता ह और जो शष भोगना बाक ह उसम 5ह दशा व वष) का मान जोड़ा जाता ह अतः भJ भोय िनकालन क आवHयकता पड़ती ह

िवशोतरी महादशा क भJ-भोय साधन जम समय जम समय जो िवशोतरी दशा चल रही ह उसक पण) वष) म स िकतन वष) जम क पव) भJ हो चक ह और िकतन वष) अब भोगना शष ह इसक जानन क गिणता2मक िविध यह ह िक िजस नlt म जम हbआ ह उस नlt का योग काल और भJ काल िनकाल ल और उन दोन क घटी पल को एक वण) बनाकर भयात (भJ-घटी-पल) म महादशा वष) का गणा कर भभोग (भोयकाल) स भाग द जो लKधी भJ वष) मास िदन आिद ा हो जाएग उस समय को महादशा क पण) वष) म स घटा दग जो शष बच वहS वष) आिद महादशा क भोय वष) आिद होग अथा)त इतन समय उस 5ह क दशा और भोगनी पड़गी

िवशो9री दशा म 120 वष) क पर आय मानकर चलत ह और उसी क आधार पर 5ह का िवभाजन िकया जाता ह िजस नlt म जम हbआ हो उसी क अनसार 5ह िदशा का िवचार िकया जाता ह

नीच िलखS गई सारणी म 5ह क दशा िनन कार ह -

सय) क दशा 6 वष)

95

चमा क दशा 10 वष)

भौम क दशा 7 वष)

राहb क दशा 18 वष)

बह-पित क दशा 16 वष)

शिन क दशा 19 वष)

बध क दशा 17 वष)

कत क दशा 7 वष)

शT क दशा 20 वष)

जम नlt क अनसार कि9का उ9राफाAगनी और उ9राषाढ़ म जम हो तो सय) क माहदशा रोिहणी ह-त Bवण म चमा मगिशरा िचा व धिनDा म मगल आा) -वाि9 शतिभषा म राहb व पन)वस िवशाखा व पव) भा पदम गf प_य अनराधा व उ9रा भापद म शिन आ`षा aयDा व रवती म बध मघा मल व अिEनी म कत भरणी पवा)काल गनी व पवा)षाढ़ा म शT क माह दशा रहती ह

427 ह क दशा जानन क िविध-

कि9का नlt स जमनlt तक िगनकर 9 का भाग दन स एकािद शष म Tम स सय) चमा भौम राहb गf शिन बध कत और शT क दशा होती ह

उदाहरण-

यहा कि9का स जम नlt िचा तक िगनती करन पर स^या 12 हbई िफर उसम 9 का भाग द जो शष बच उस सया)िद Tम स िगनती कर ल मान लो िकसी जातक का जम िचा नlt म हbआ ह तो उसक कौनसी दशा ह gtात करन क िलए िचा तक (कि9का स ारभ करक) िगना तो िगनती म 12 अक आय इस 12 को 9 स भाग िदया तो शष 3 बच इसक पhात सय) आिद Tम स िगनती क तो तीसरी महादशा मगल क होगी

जम नlt स 5हदशा बोधक चT

5ह सय) च भौम राहb गf

वष) 6 10 7 18 16

नlt कि9का रोिहणी मगिशरा आा) पन)वस

उ9राफाAगनी ह-त िचा -वाि9 िवशाखा

उ9राषाढ़ा Bवण धिनDा शतिभषा पभापद

5ह शिन बध कत शT

96

वष) 19 17 7 20

नlt प_य आ`षा मघा पवा)फाAगनी

अनराधा aयDा मल पवा)षाढ़ा

उ9राभापद रवती अिEनी भरणी

जम क नlt क अनसार ऋ कि9का उ9रा फाAगनी उ9राषाढा जम हो तो सय) महादशा रोहणी ह-त Bवण म चमा मगिशरा िचा व धिनDा म मगल आा) -वाित शतिभषा म राहb व पन)वस िवशाखा व पव)भापद म गf प_य अनराधा व उ9रा भापद म शिन आ`षा aयDा व रवती म बध मघा मल व अिEनी म कत भरणी पवा)फाAगनी व पवा)षाढा म शT क महादशा रहती ह

उदाहरण

जम िदनाक 9112003 भयात भभोग ारा िवशोतरी दशा

1 नlt का मान = कोटा जम 1105 बज

सय[दय 0643 सबह

जम समय 11 05 बज

- 06 43

04 22

acute X 2 12

1055 इ(काल (घटी-पल)

8112003 अिEनी नlt का मान 1457 - 032 (समय म करPशन)

= 1425 नlt का मान 06 30 सबह

911 भरणी नlt का मान = 2202 - 032 सय[दय 06 43 पर

= 2130 - 06 30

इ(काल का मान उस िदन क नlt क मान स कम ह 00 13

अतः वत)मान नlt भरणी हbआ X 2 12

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल 0032 घटी

= 60 - 1425 + 1055

= 4535 + 1055

भयात = 5630

97

पला2मक भयात = 56 acute 60 + 30

पला2मक भयात = 3390

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 453+ + 2130

= 6705

पला2मक भभोग = 67 acute 60 + 05

पला2मक भभोग = 4025 पल

भJ दशा = दशा वष) times भयात

भभोत

भोय = दशा वष) times भJ

गत नlt अिEनी - शT क महादशा

शT क दशा वष) = 20 वष)

= 3390 times20

4025

= 16 वष) 10 माह 4 िदन (भJ)

वष) माह िदन

शT क महा दशा वष) 200000

भJदशा 161004

030126

= 3 वष) 1 माह 26 िदन भोय अथा)त भोगना ह

वत)मान नlt -प( = भयात times नlt कामान

भभोत

= 3390times 800

4025

चगित = 673 3

98

वत)मान नlt का मान = 00-130-20rsquo-00rsquorsquo

चगित = 00-110-13rsquo-47rsquorsquo

च-प( = 00-240-33rsquo-47rsquorsquo

िवशतरी दशाचTिमदम

बkच न जम िलया था तब शT क महादशा चल रहS थी और उसम स 16 वष) 10 माह और 4 िदन बीत चक ह या भJ अथा)त भोग चका ह शष 3 वष) 1 मास 26 िदन दशा वष) भोगनी शष ह

उदाहरण 1

जम समय 02 32 दोपहर जम िदनाक 23042012 जम -थान कोटा भयात-भभोग (भJ-भोय) कार स िवशोतरी दशा िनकाल

जम समय 02 32 दोपहर (14 घampटा 32 िमिनट)

जम िदनाक 23 अ ल 2012

जम -थान कोटा

सय[दय 06 बजकर 02 िमिनट

इ(काल = 14 घampटा 32 िमिनट - 06 घampटा 02 िमिनट

= 08 घampटा 30 िमिनट (इ(काल)

99

= 21 घटी 15 पल

िदनाक नlt घप घिम

22042012 भरणी 5346 2732

23042012 कितका 6000 1432

(ितिथ ltय)

24042012 6138 0640 तक

(बAलभमनीराम पचाग क अनसार)

गत नlt भरणी = 5346

जम नlt कि9का = 6138

स- भयात gtात करन का स

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

= 6000 - 5346 + 2115

= 614 + 2115

= 2729 (घ0 प0)

= 27 times 60 +29

= 1620 +29

= 1649 पलािद भयात

स- भभोग gtात करन का स

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 60 - 5346 + 6138

= 614 +6138

= 6762 (घटीपल)

= 67 times 60 + 52

= 4020 + 52

= 4072 पलािद भभोग

स-

100

च गित = 3600times800

4072

= 2880000

4072

= 707 पल-िवपल

= 110-47

च -प( = भयािद पलािद times 40 भभोग पलािद times 3

= 1649 times 40 4072times 3

= 65960 12216

= 050-23rsquo-28rsquorsquo

गत नlt का मान (भरणी दसरा नlt) = 2times1302

= 00-260-40rsquo-00rsquorsquo

+ 00-050-23rsquo-00rsquorsquo

च -प( 01-020-03rsquo-58rsquorsquo

पला2मक भयात = 1649 पला2मक भयात

425 िवशोतरी दशा

सय) क दशा वष) स गणा िकया times 6

9894 -4072

1649

times 6

9894 -4072 भभोग

101

सय) क भJ वषा)िद = 2 वष) 5 मास 4 िदन 44 घटी 58 पल ा हbए िजसम स सय) क 5ह वष)

6 म स घटाया शष भोय वषा)िद होगा

सय) क 5ह वष) 600000000

भJ वषा)िद - 205044458

306251502 भोय वषा)िद

जातक को 3 वष) 6 मास 25 िदन 15 घटी 02 पल सय) क महादशा भोगना ह

102

इसका दशा चT बनान क िलए िजस 5ह क दशा चल रही ह उसस ारभ करक उसस आग क 5ह को Tमवार िलख दना चािहए

उपरोJ उदाहरण जम कampडली का िवशोतरी दशा चT नीच िलख अनसार बनगी

426 महादशा म0 अतदशा साधन -

2यक एक 5ह क महादशा म 9 5ह Tमशः अपना भोय लत ह िजस अत)दशा कहत ह जस- सय) क महादशा म पहली अत)दशा सय) क दसरी चमा क तीसरी भोम क चौथी राहb क पाचवS जीव क छठी शिन क सातवS बध क आठवS कत क और नवS दशा शT क होती ह

िजस 5ह क दशा हो उसस सय) चमा भौम राहb जीव शिन बध कत एव शT क अत)दशाए होती ह

अतदशा िनकालन0 क िविध-

1) दशा-दशा का पर-पर गणा करन पर शष आय उसम 10 का भाग दन स लKध मास और शष को तीस स गणा करन स िदन ा होग

2) दशा-दशा का पर-पर गणा करन पर जो गणनफल ा होग उसम इकाई क अग को छोड़ बाक बच अक मास और इकाई क अक को 3 स गणा करन पर िदन ा होग

उदाहरण

स- दशा वष) acute दशा वष) divide 10 = अत)दशा माह

103

मगल क महादशा म मगल क अत)दशा िनकालनी ह तो मगल क दशा वष[ म 7 का गणा िकया जाएगा

मगल म मगल क अत)दशा 7 acute 7 = 49 divide 10

= 4 मास 7 िदन

मगल म राहb क अत)दशा 7 acute 18 = 126 divide 10

= 1 वष) 18 िदन

मगल म गf क अत)दशा 7 acute 16 = 112 य 10

= 11 मास 6 िदन

मगल म शिन क अत)दशा 7 acute 19 = 133 divide 10

= 1 वष) 1 मास 9 िदन

मगल म बध क अत)दशा 7 acute 17 = 119 divide 10

= 11 मास 27 िदन

मगल म कत क अत)दशा 7 acute 7 = 49 divide 10

= 4 मास 27 िदन

मगल म शT क अत)दशा 7 acute 20 = 140 divide 10

= 1 वष) 2 मास

मगल म सय) क अत)दशा 7 acute 6 = 42 divide10

= 4 मास 6 िदन

मगल म चमा क अत)दशा 7 acute 10 = 70 divide 10

= 7 मास

च मा क महादशा म0 नौ ह क अतदशा-

चमा क महादशा म च का अतर 10 acute 10 = 100 divide10

= 10 मास

चमा क महादशा म भौम का अतर 10 acute 07 = 70 divide10

= 7 मास

चमा क महादशा म राहb का अतर 10 acute 18 = 180 divide10

104

= 1 वष) 6 मास

चमा क महादशा म जीव का अतर 10 acute 16 = 160 divide 10

= 1 वष) 4 मास

चमा क महादशा म शिन का अतर 10 acute 19 = 190 divide10

= 1 वष) 7 मास

चमा क महादशा म बध का अतर 10 acute 17 = 170 divide 10

= 1 वष) 5 मास

चमा क महादशा म कत का अतर 10 acute 07 = 70 divide10

= 7 मास

चमा क महादशा म शT का अतर 10 acute 20 = 200 divide 10

= 1 वष) 8 मास

चमा क महादशा म सय) का अतर 10 acute 06 = 60 divide 10

= 6 मास

इसी कार अय 5ह क महादशा म स अत)दशा िनकाल लनी चािहए

5ह क अत)दशा क चT नीच िदय जा रह ह -

सयातदशा च2

5ह सय) च भौम राहb गl शिन बध कत शT

वष) 0 0 0 0 0 0 0 0 1

मास 3 6 4 10 9 11 10 4 0

िदन 18 0 6 24 18 12 6 6 0

च ातदशा च2

5ह च भौम राहb गf शिन बध कत शT सय)

वष) 0 0 1 1 1 1 0 1 0

मास 10 7 6 4 7 5 7 8 6

िदन 0 0 0 0 0 0 0 0 0

105

भौमातदशा च2

5ह भौम राहb गl शिन बध कत शT सय) च

वष) 0 1 0 1 0 0 1 0 0

मास 4 0 11 1 11 4 2 4 7

िदन 27 18 6 9 27 27 0 6 0

राह4वातदशा च2

5ह राहb गf शिन बध कत शT सय) चद भौम

वष) 2 2 2 2 1 3 0 1 1मास 8 4 10 6 0 0 10 6 0

िदन 12 24 6 18 18 0 24 0 18

जीवातदशा च2

5ह गf शिन बध कत शT सय) चद भौम राहb

वष) 2 2 2 0 2 0 1 0 2

मास 1 6 3 11 8 9 4 11 4िदन 18 12 6 6 0 18 0 6 24

शयातदशा च2

5ह शिन बध कत शT सय) चद भौम राहb गf

वष) 3 2 1 3 0 1 1 2 2

मास 0 8 1 2 11 7 1 10 6

िदन 3 9 9 0 12 0 9 6 12

बधातदशा च2

5ह बध कत शT सय) चद भौम राहb गf शिन

106

वष) 2 0 2 0 1 0 2 2 2 मास 4 11 10 10 5 11 6 3 8

िदन 27 27 0 6 0 27 18 6 9

कवातदशा च2

5ह कत शT सय) चद भौम राहb गf शिन बध

वष) 0 1 0 0 0 1 0 1 0

मास 4 2 4 7 4 0 11 1 11

िदन 27 0 6 0 27 18 6 9 27

श2ातदशा च2

5ह शT सय) चद भौम राहb गf शिन बध कत

वष) 3 1 1 1 3 2 3 2 1 मास 4 0 8 2 0 8 2 10 2

िदन 0 0 0 0 0 0 0 0 0

43 साराश

इस ईकाई क िववचन स यह -प( हो जाता ह िक चमा गित व -प( िनकालन क िविध अय 5ह क गित एव -प( िनकालन क िविध स िकस कार िभन ह इस म च 5ह क गित एव -प( को िनकालन क िविधय का िव-तार स वण)न िकया गया ह िवशष fप स उसस भयात-भभोग (मJ-भोय) क आधार पर च गित व -प( को करन क िविधय का सिव-तार उदाहरण सिहत पण) िववचन िकया गया ह

44 शदावली

bull जीव - गf

bull भौम - मगल

bull भJ - गत नlt (भोग चका) का वह मान जो बीत चका ह

(िवशतरी म दशा वष) का वह मान जो बीत चका ह)

107

bull भोय - वत)मान नlt (भोगना) का वह मान जो भोगा जाना बाक

ह (िवशतरी म दशा वष) का वह मान जो जम िदनाक स भोगा जाना ह

45 अयास

1 एक नlt का मान िकतना होता ह

उ9र एक नlt का मान होता ह

2 चमा क गित साधन करन का स बताइए

उ9र च गित साधन स = 800times20rsquo

भभोत पल = च गित कला िवकला म

3 च -प( करन क िकतनी िविधया ह एव च -प( क िविधय क स िलिखए

उ9र च -प( करन क दो िविधया ह जो िनन कार ह-

1) (गत नlt क षिD माण भिJ + वत)मान नlt क षDी माण भिJtimes 2

9

2) = भयातtimes60

भभोत times3

4 जम नlt व गत नlt को -प( किजय

उ9र िजस नlt म जातक का जम होता ह वह उसका जम नlt कहलाता ह और जम नlt क पव) का गत नlt कहलाता ह

5 भयात एव भभोग िनकालन का स बताईय

उ9र स-

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

िनबधामक -

1 जातक का जम 26072009 को सायकाल 0755 पर कोटा म हbआ सय[दय 0555 जम नlt ह-त का मान 2832 तथा गत नlt का 2948 (घटीपल) ह इस आधार पर जातक का च -प( किजए

108

2 च -प( ारा भयात-भभोग (भJ-भोय) स िवशोतरी दशा का साधन किजए

46 सदभ 13थ सची

भारतीय aयोितष नमीचद शाी

बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

109

इकाई - 5

दशम साधन नतोनत कार व चिलत च इकाई क परखा

50 -तावना 51 उGHय 52 िवषय वश 521 दशम भाव साधन 522 नतकाल 523 दशम भाव िविध 524 चिलत चT 525 ादश -प( चT 53 साराश 54 बोध M 55 शKदावली 56 सदभ) 5थ सची

50 तावना

aयोितष फिलत म 5ह क सही ि-थित िकस भाव म ह इसक िलए भाव -प( िकए जात ह इसस यह पता चलता ह िक जो 5ह जमाग म िजस भाव म ि-थत 5ह होता ह वहा क फलो क िलए उ9रदायी होत हbए भी उस भाव का फल नहS करता Pयिक वह उस भाव म ि-थत न होकर सिध या दसर भाव म ि-थत होकर वहा क फलो को ही दन वाला हो जाता ह अतः हम हमार मनीिषय न भाव -प(ः करक 5ह क फल को बतान क आgtा दान क ह िबना भाव -प(ः िकए ही जो aयोितषी भाव म ि-थत 5ह का फल करत ह वह अधर कमर म िकसी व-त को दखन क बात कहत ह इस कार वह अपना और aयोितष शा का बहbत बड़ा नकसान करत ह अतः महिष)य क अनसार हम नतोनत करक दशम भाव -प(ः कर चिलत चT का िनमा)ण कर भाव को -प(ः कर 5ह क फल का िवचार करना चािहए

51 उय

इस इकाई म यह बतान क कोिशश क गई ह िक दशम लन साधन क लन कampडली म अ2यिधक आवHयकता होती ह इसक िबना सही फिलत नहS िकया जा सकता बहbत सरल पXित ारा नतोनत साधन स लन क ारा दशम भाव साधन िकया गया ह साथ म सिवधा क िलए दशम लन सारणी एव दशम सारणी दी गई ह दशम भाव साधन एव चिलत चT िक सारणी भी बनाई ह इसम भाव एव

110

सिध को िकस कार कampडली म 5ह को -थािपत िकया जाता ह सीधी सरल भाषा एव गिणत ारा समझाया गया ह

52 िवषय वश

521 दशम भाव साधन-

लन का भाव-दशम भाव लन पर भाव डालता ह

इ(काल स नतकाल सयाnश (दशम भाव सारणी स)

522 नतकाल-नतकाल क दो भाग होत ह -

1) पव)नत काल 2) पिhम नत

अX)राि क बाद स लकर अX) िदन तक जो जातक उ2पन होगा उसका नतकाल पव)नत कहलायगा Pयिक उस समय सय) पव) क पाल म आ जायगा अX)िदन क बाद स लकर अध)राि तक का नतकाल पिhम नत कहलायगा

पव)नत क दो भाग ह -

1) पवनत काल

i) अX)राी स सय[दय तक का नतकाल

ii) सय[दय स अX)िदन तक का नतकाल

2) पि6म नतकाल

i) अX)िदन स लकर सया)-त तक का नतकाल

ii) सया)-त स लकर अX)राी तक का नतकाल

111

पवनत- नतकाल िनकालन क िविध -

1) पव)नत म यिद अX)राि क बाद स लकर सय[दय तक का इ(काल हो तो 60 म स इ(काल घटाकर िदनाX) जोड़ दत ह

स) -नतकाल = 60 - इ(काल + िदनाX)

2) अगर सय[दय स िदनाX) क पव) का इ(काल हो तो िदनाX) म स इ(काल घटाओ

स) -नतकाल = िदनाX) - इ(काल

पि6म नत-1) िदनाX) स सया)-त तक का अगर (पिhम नत) इ(काल हो तो पिhम नत होगा -

स) -पिhम नत = िदनाX) - (िदनमान + इ(काल)

(िदनाX) म स िदनमान और इ(काल घटा दत ह)

2) अगर सया)-त स लकर अX)राी क पव) तक का इ(काल हो तो इ(काल म स िदनामान घटाकर िदनाX) जोड़ दग

स) -

पिhम नत = इ(काल - िदनमान + िदनाX)

= इ(काल - िदनाX)

उनत - 30 घटी म स नत घटा दग जो शष बचगा वह उनत कहलाएगा ह मoयाp और अX) राि म

30 घटी का अतर होता ह मoयाp म दशम का -थान ह तो अX)राि म चतथ) का -थान ह मoयाp स अX)राि क दरी को नत और अX)राि स इ( क दरी को उनत कहत ह

523 दशम भाव िनकालन0 क िविध -

उस िदन सय) क अशो का मान दशम - लनसारणी म दशम भाव म दखना ह यिद पव)नत काल ह तो सय) क अश क मान म स नतकाल को घटा दग और अगर पिhम नत ह तो उसम जोड़ दग अब जो मान आयगा उस दशम - लनसारणी म दख और उसी तरह जहा स^या आयगी उस आग पीछ क मान स सही मान gtात करग

इस तरह ा रािश क मान अश कला व िवकला म आय वही दशम भाव होगा (जो कamp डली क लन क दशम भाव क समान होगा)

112

इस कार gtात चतथ)भाव म स लन का मान घटा दग जो मान आया उसम 6 का भाग दग य षDाश आया (यह अश कला और िवकला म आयगा) इसक बाद 2यक भाव क ि-थित gtात करग

चतथ) भाव = - प_ ट ल न

शष = times30divide ष_ ठाश शष = times30+कला divide ष_ ठाश कला

शष = times90+िव divide ष_ ठाश िवकला

दशल न सारणी

छा क सिवधा क िलए दशम सारणी म िलख गय िह दी अक को िन न कार स अ5जी क अक को समझ-

113

114

115

116

िनयम ndash सय)फल इ_ टकाल म जोड़न स ल नसारणी ारा जो अक घटयािद िनकलगा उसम स 15 दamp ड घटाकर जो घटयािद होगा वह दशम सारणी म िजस राH यश का फल होगा वही दशम ल न होगा

117

िनयम ndash सय)फल इ_ टकाल म जोड़न स ल नसारणी ारा जो अक घटयािद िनकलगा उसम स 15 दamp ड घटाकर जो घटयािद होगा वह दशम सारणी म िजस राH यश का फल होगा वहीदशम ल न होगा

118

लन सिध = लन का मान +षDाश

( थम भाव)

ितीय भाव = लन सिध + षDाश

119

ितीय भाव सिध = ितीय भाव + षDाश

ततीय भाव = ितीय भाव सिध + षDाश

ततीय भाव सिध = ततीय भाव + षDाश

चतथ) भाव = सिध (त0 भाव) + षDाश

चतथ) भाव क बाद अश म स षDाश को घटा दग जो मान आया उस चतथ) भाव म जोड़न पर चतथ) क सिध आयगी

स - - षDाश = शषाक

भाव म स अतर शष को जोड़ा तो

चतथ) भाव सिध अतर (शष)

चतथ) भाव सिध = - षDाश + चतथ) भाव

सिध अतर

चतथ) भाव क सिध म यह सिध अतर जोड़न पर पचम भाव आयगा

पचम भाव = चतथ) भाव सिध + अतर ( - षDाश)

पचम भाव सिध = पचम भाव + ( - षDाश)

ष(म भाव = पचम भाव क सिध + ( - षDाश)

ष(म भाव सिध = ष(म भाव + ( - षDाश)

इसी कार लन क मान म 6 रािश जोड़न पर समभाव आयगा

सम भाव = लन का मान + 6s

सम भाव सिध = लन सिध + 6s

अ(म भाव = ितीय भाव + 6s

अ(म भाव सिध = ितीय भाव सिध + 6s

इसी कार 2यक भाव म 6 रािश जोड़कर बारह भाव क सिध तक gtात करग

उदाहरण 1 23082003 को जातक का जम 0315 ातःकाल (27 15) पर हbआ दशमभाव gtात

करो

पचाग स 23082003 का सया)दय = 607

सयाnश = 04005003rsquo08rsquorsquo

िदनमान = 3206

120

इ(काल = 2715 - 0607

(घampटा िमनट) = 2108

इ(काल (घटीपल) = 5250

लन सारणी स सयाnश 24 07

इ(काल 0405 पर + 52 50

16 57

लन सारणी स (1657) (घटीपल) पर लन =

इ(काल = 5250

लन = 2-280-00rsquo

िदनमान = 3206 िदनाX) = 1603

नतकाल = 60 - इ(काल + िदनाX)

= 60 - 5250 + िदनाX)

710

िदनार)X = 1603

पव) नतकाल 2313

(जम अX)राि स लकर सय[दय स पहल हbआ ह)

दशम सारणी स सयाnश (04-050) पर = 4012

पव) नतकाल (-) 2313

1659

121

दशम लन 1659 (दशम सारणी स) = 11-180-530-20rsquorsquo

दशम लन = 11-180-530-20rsquorsquo

+06-000-00rsquo-00rsquorsquo

चतथ) भाव = 05 s -180-530-20rsquorsquo

लन = 02s-280-00rsquo-20rsquorsquo

षDाश सिध = 02s-200-00rsquo-20rsquorsquo

षDाश = 02-200-53rsquo-20rsquorsquo = 00-130-25rsquo-53rsquorsquo

6

लन = 02-280-00rsquo-00rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

लन सिध = 00-110-28rsquo-53rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ितीय भाव = 03-240-57rsquo-46rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ितीय भाव सिध= 04-080-26rsquo-39rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ततीय भाव = 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ततीय भाव सिध= 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

चतथ) भाव = 05-180-53rsquo-18rsquorsquo उपरोJ

00-300-00rsquo-00rsquorsquo

122

षDाश - 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

षDाश अतर 00-160-31rsquo-07rsquorsquo शष

चतथ) भाव 05-180-53rsquo-18rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 06-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

पचम भाव सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo

ष(म भाव अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

ष(म भाव 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

ष(म अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

ष(म भाव सिध 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

सम भाव = लन का मान +6s

= 02-280-00rsquo-0rsquorsquo+6s

सम भाव = 08-280-00rsquo-00rsquorsquo

लन सिध = 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

+ 09-110-28rsquo-53rsquorsquo

सम भाव सिध= 09-110-28rsquo-46rsquorsquo

ितीय भाव = 03-240-57rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

अ(म भाव 09-240-57rsquo-46rsquorsquo

ितीय सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

अ(म भाव सिध 10-080-26rsquo-39rsquorsquo

ततीय भाव = 04-210-55rsquo-32rsquorsquo

123

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

नवम भाव 10-210-55rsquo-32rsquorsquo

ततीय भाव सिध 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

नवम भाव सिध 11-500-24rsquo-25rsquorsquo

चतथ) भाव = 05-180-53rsquo-20rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव 11-180-53rsquo-32rsquorsquo उपरोJ

चतथ) भाव सिध 06-050-24rsquo-25rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव सिध 00-050-024rsquo-25rsquorsquo

पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव 00-210-55rsquo-32rsquorsquo

पचम सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव सिध 01-080-26rsquo-39rsquorsquo

ष(म भाव 07-240-57rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव 01-240-57rsquo-46rsquorsquo

ष(म सिध 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo

उदा0 1 चिलत चT म 24 कोDक बनाय जात ह 12 कोDक बारह भाव क एव 12 कोDक सिधय

क कछ िवान जम कampडली क तरह 12 कोDक ही बनात ह व सिधगत 5ह को अगल भाव म िलख दत ह चिलत चT बनान क िलए पहल हम 5ह -प( लत ह िफर भाव -प( को यिद 5ह -प( भाव

124

-प( क तAय या कम होगा तो उसी भाव म िलखा जायगा यिद 5ह -प( 5ह सिध तAय या अगल भाव स कम होगा तो सिध म िलखा जायगा

उपरोJ उदाहरण का चिलत चT बनात ह-

bull 5ह वाल कोDक म सय) -प( 04-050-55rsquo-58rsquorsquo ह और भाव -प( म ितीय भाव 03-240-57rsquo-46rsquorsquo ह और ितीय भाव सिध क 04-080-26rsquo-36rsquorsquo ह जो सय) -प( स aयादा ह इस कारण सय) ितीय भाव म ि-थत ह

bull चमा -प( 02-190-48rsquo-29rsquorsquo ह और भाव -प( म ादश भाव क सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo ह और लन -प( 02-280-00rsquo-00rsquorsquo ह जो िक च -प( स अिधक ह और ादश भाव क सिध स कम ह अतः चमा ादश भाव सिध म होगा

bull मगल -प( 10-110-49rsquo-02rsquorsquo ह और भाव -प( म अ(म भाव क सिध 10-080-26rsquo-39rsquorsquo स नवम भाव -प( 10-210-55rsquo-32rsquorsquo अिधक ह जो मगल अ(म भाव क सिध म होगा

bull बध -प( 05-020-09rsquo-05rsquorsquo ह और भाव -प( म ततीय भाव -प( 04-210-55rsquo-32rsquorsquo स चतथ) भाव -प( 05-180-53rsquo-18rsquorsquo अिधक ह जो िक बध -प( म अिधक ह इस कारण बध -प( ततीय भाव म होगा

bull गf -प( 04-050-21rsquo-03rsquorsquo ह ितीय भाव -प( 03-240-57rsquo-46rsquorsquo पर ह और ितीय भाव क सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo ह जो गf -प( स अिधक ह अतः गf ितीय भाव म होगा

bull शT -प( 04-070-42rsquo-56rsquorsquo ह ितीय भाव -प( म 03-240-57rsquo-46rsquorsquo पर ह और ितीय भाव सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo ह जो िक ितीय भाव -प( स अिधक ह और ितीय भाव क सिध स कम ह इस कारण शT ितीय भाव म रखा जायगा

bull शिन -प( 02-150-44rsquo-23rsquorsquo ह ादश भाव क सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo पर ह और लन -प( 02-280-00rsquo-00rsquorsquo पर ह शिन -प( लन -प( स कम ह और ादश भाव क सिध स अिधक ह इस कारण शिन 5ह को ादश भाव क सिध म रखा जायगा

bull राहb -प( 01-000-40rsquo-11rsquorsquo ह और एकादश भाव 00-210-55rsquo-32rsquorsquo ह जो िक राहb -प( स कम ह राहb को एकादश भाव म रखा जायगा

125

bull कत -प( 07-000-40rsquo-11rsquorsquo ह और पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo ह और पचम भाव क सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo ह पचम भाव कत -प( स कम ह और पचम भाव क सिध कत -प( स aयादा ह इस कारण कत पचम भाव म होगा

524 चिलत च2 (24 को8क)

525 9ादश प ट च2

उदा0 2 जम समय 3 बजकर 42 िमिनट सायकाल दशम साधन एव चिलत चT gtात कर

िदनाक - 25082003 पचाग स सय[दय - 6 08

126

सयाnश - 04065834

िदनमान - 3157

िदनाX) = 1558

जम समय = 15 42

सय[दय - 06 08

इ(काल 09 34

इ(काल (घटीपल) = 2355

सयाnश (04065334) पर लनाश 0406 2419

0407 2430

सय) अश = 2430

इ(काल + 2355

4825

लन सारणी स 4825 पर लन

नतकाल (पिhम नत) = िदनाX) - िदनमान + इ(काल

= 1558 - 3157 + 2355

= 3953 - 3157

पिhम नत = 756

(दशम सारणी स) सय) अश 0407

= 4031

नतकाल + 756

4827

दशम लन 4827 पर 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

दशम भाव = 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

127

दशम भाव - 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

चतथ) भाव = 11-280-26rsquo-40rsquorsquo

लन - 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

षDाश 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

षDाश = 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

6

षDाश = 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

लन सिध = लन का मान +षDाश

थम भाव (लन)= 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

+ 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

लन सिध 09-000-34rsquo-27rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव 09-180-08rsquo-54rsquorsquo

ितीय भाव 09-180-08rsquo-54rsquorsquo

षDाश + 0-170-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव सिध 10-050-43rsquo-21rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ततीय भाव 10-230-07rsquo-48rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ततीय सिध 11-100-50rsquo-15rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

चतथ) भाव 11-280-26rsquo-42rsquorsquo

00-300-00rsquo-00rsquo

128

षDाश - 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

सिध अतर 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

शषाक

चतथ) भाव 11-280-26rsquo-40rsquorsquo

सिध अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

सिध अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

पचम भाव 00-230-17rsquo-46rsquorsquo

+ 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

पचम भाव सिध 01-050-43rsquo-19rsquorsquo

अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

ष(म भाव 01-180-08rsquo-52rsquorsquo

+ 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

षDम भाव सिध 02-000-34rsquo-25rsquorsquo

लन का मान 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

सम भाव 02-130-00rsquo-00rsquorsquo

लन सिध 09-000-34rsquo-27rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

सम भाव सिध 03-000-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव + 6 = अ(म भाव

अ(म भाव = 09-180-08rsquo-54rsquorsquo+6

= 03-180-08rsquo-54rsquorsquo

अ(म भाव सिध= 10-050-43rsquo-21rsquorsquo+6

= 04-050-43rsquo-21rsquorsquo

129

नवम भाव = 10-230-17rsquo-48rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

04-230-17rsquo-48rsquorsquo

नवम भाव सिध = 11-100-52rsquo-15rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

05-100-52rsquo-15rsquorsquo

चतथ) भाव = 11-280-26rsquo-42rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव 05-280-26rsquo-42rsquorsquo

चतथ) भाव सिध = 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव सिध 06-100-52rsquo-13rsquorsquo

पचम भाव = 00-230-17rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव 06-230-17rsquo-46rsquorsquo

पचम भाव सिध 01-050-43rsquo-19rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव सिध 07-050-43rsquo-19rsquorsquo

षD भाव = 01-180-08rsquo-52rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव 07-180-08rsquo-52rsquorsquo

षD भाव सिध 02-000-34rsquo-25rsquorsquo

ादश भाव सिघ + 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

08-1000-34rsquo-52rsquorsquo

130

चिलत च2-

चिलत चT म 24 कोDक बनाय जात ह 12 कोDक 12 भाव क एव 12 कोDक सिधय क होत ह व सिधगत 5ह हो अगल भाव म िलख दत ह 5ह -प( और भाव -प( करन क पhात ही चिलत चT बनाया जा सकता ह यिद 5ह -प( भाव -प( क समान या कम होता ह तो उसी भाव म िलखा जायगा यिद -प( 5ह सिध क समान या अगल भाव स कम होगा तो सिध म िलखा जायगा

उदाहरण 5

bull सय) -प( ह 04-070-22rsquo-29rsquorsquo और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो िक सय) -प( स कम ह और इस कारण सय) अ(म भाव क सिध म रखा जायगा

bull च -प( 03-090-16rsquo-45rsquorsquo ह और सम भाव क सिध 03-000-34rsquo-27rsquorsquo ह जो िक चमा -प( स कम ह इस िलए चमा सम भाव क सिध म होगा

bull मगल -प( 10-110-46rsquo-40rsquorsquo ह और ितीय भाव क सिध 10-050-43rsquo-21rsquorsquo स मगल -प( अिधक ह ततीय भाव 10-230-17rsquo-48rsquorsquo स मगल -प( कम ह इस कारण मगल -प( ितीय भाव क सिध म होगा

bull बध -प( 05-020-34rsquo-08rsquorsquo ह और नवम भाव 04-230-17rsquo-48rsquorsquo ह जो िक बध -प( स कम ह नवम भाव सिध ह जो िक बध -प( स अिधक ह इस कारण नवम भाव म बध रहगा

bull गf -प( 04-050-42rsquo-33rsquorsquo ह अ(म भाव 03-180-08rsquo-54rsquorsquo ह जो िक गf -प( स कम ह और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो गf -प( स अिधक ह इसिलए गf अ(म भाव म होगा

131

bull शT -प( 04-090-45rsquo-57rsquorsquo ह और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो िक शT -प( स कम ह इसिलए शT को अ(म भाव क सिध म रखा जायगा

bull शिन -प( 02-150-52rsquo-54rsquorsquo ह सम भाव 02-130-00rsquo-00rsquorsquo ह जो िक शिन -प( स कम ह इसिलए शिन -प( क सम भाव म होगा

bull राहb -प( 01-000-35rsquo-16rsquorsquo ह और पचम भाव 00-230-17rsquo-46rsquorsquo ह जो िक राहb -प( भाव स कम ह इसिलए राहb को पचम भाव म रखा जायगा

bull कत -प( 07-000-35rsquo-16rsquorsquo ह और एकादश भाव 06-230-17rsquo-46rsquorsquo ह जो िक कत -प( क भाव स कम ह इसिलए कत एकादश भाव म ही रहगा

सारणी 9ारा ल न प ट िनकालन क सगम िविध -

िजस िदन का लाभ बनाना हो उस िदन क सय) क रािश अशपचाग म दखकर िलख लना चािहए प_ ठ स 67 पर दी गइ) हा ल न सारणी म रािश का को_ ठक बायी और अश का को_ ठक उपरी भाग म ह सय) कजो रािश अक िलख हउसका फल ल न सारणी म अथा)त सय) क रािश क सामन और अश क नीच जो अक िमल उस ई_ टकाल क घटी पल म जोड द वहS योग या उसक लगभग अक ई_ टकाल कघटी पल म जोड़ द वही योग या उसक लगभग अक िजस को_ ठक म िमल उसक बायS तरफ रािश का अक और उपर अश का अक ापत होगा वही राशयािद ल न मान होगा इसक बाद रािशक गिणत ारा कला िवकला का भी माण िनकाल लना चािहए उदाहरण lsquo िवस 2001 वशाख शP ल 2 सोमवार को 23 घटी 22 पल ई_ टकाल का ल न बनता ह इस िदन पचाग म सय) - प_ ट 01102857 िलखा ह इसको एक - थान पर िलख िलया ल न सारणी म श य रािश अथा)त मष रािश क सामन और 10 अश क नीच 4742 स^ या िलिख हइस ई_ टकाल म जोड़ा 222210 ई_ टकाल म +40742 272942

इस योगफल को पन ल न सारणी म दखन पर िन निलिखत अक कहS नहS िमल 272942 िक त िसह रािश क 23 व अश क को_ ठक म 272459 स^ यािमली इस रािश क 24 व अश क को_ ठक म 27366 अक स^ या ह यह स^ या अभी_ ट योग क अक स^ या स अिधकह अत 23 अक िसह का 5हण करना चािहए अतएव ल न का मान 423 रायािद हbआ कला िवकला िनकालन क िलए 23 व अश 24 व अश को_ ठक क अक का एव पव[P त योगफल और 23 व अश क को_ ठक क अश का अ तर कर लना चािहए

132

ितीय अ तर क स^ या को 60 स गणा कर गणनफल म थम अ तर स^ या का भाग दन स कलाय आयगी शष को पन 60 स गणा करक उसी स^ या का भाग दन स िवकला आयगी

- तत उदाहरण क अनसार

24 0 एव िसह रािश क स^ या 27366 म स 23 0 एव िसह रािश क स^ या ndash 2712459 को घटाया 1107 इस एक जातीय बनाया

11107times60 ndash 660+7 667 इ_ टकाल म सय)फल को जोड़न स जो फल आया ह वह ह 272942 इस योगफल म स 23 अश क स^ या को घटाया 272942 - 272459 443 इस एक जातीय बनाया 4143times60 ndash 240+43 ndash 283 283times60 ndash 16980divide667 ndash 25 कला 16980667 25 25 कला 291 शष 2 योग िदया अत राH यािद - प( ल न 42325rsquo27rsquorsquo हqआ

दशमभाव साधन करन क िलए सारणी 9ारा सगम िविध

1 नत काल को इ_ टकाल मानकर िजस िदन का दशम भाव साधन करना हो उस िदन क सय) क रािश अश पचाग म दखकर िलख दना चािहए प 8एव 9 पर दी गई दशम ल न सारणी म रािश को को_ ठक बायS और अश का को_ ठक उपरी भाग म ह सय) क जो रािश अश िलख ह उनका फल सारणी म सय) क रािश क सामन और अश क नीच जो अक स^ या िमल उस पिhम नत हो तो नतfप इ_ टकाल म जोड दन स और पव) नत हो तो सारणी क अक म स घटा दन स जो अक आव उनको पन दशम सारणी म दख जो बायS और रािश और उपर अश िमल ह यह रािश अश ही दH म ल न क रािश अश होग कला िवकला का आनयन प_ ठ 25 क अनसार िनकाल लना चािहए

2 ई_ टकाल म स िदना) घटाकर जो शष आय व दशम भाव का ई_ टकाल होगा यिद ई_ टकाल म स िदनाX) न घट सक तो इ_ टकाल म स 60 छटी जोड कर िदनाX) घटान स दशल का ई_ टकाल होता ह ई_ टकाल पर स थम िनयम क अनसार दशम सारणी ारा ndash दशम ल न साधन करना चािहए

3 ल न सारणी ारा ल न बनात समय सय) फल म ई_ टकाल जोडन स जो घटयािद अश आव उसम 15 दठी घटान स शष अश सारणी म िकस रािश अश का फल हो वहS दशम ल न होगा

133

ल न स दशम भाव साधन

ल न रािश अश ारा फल लकर रािश क सामन और अश क नीच जो अक स^ या ल न स दशमभाव साधन सारणी म िमल वही दशम भाव होगा

53 साराश

इस इकाई म दशम भाव लन पर कस भाव डालता ह इसको उदाहरण ारा समझान का यास िकया गया ह लन िनकालन क पhात दशम लन िनकालन क पव) नतोनत साधन िकया गया ह जम कampडली म दशम भाव क मह2 2 वपण) भिमका ह छा ारा लन स दशम भाव साधन िकस कार िकया जाए इसक पXित Tमवार इस इकाई म -तत क गई ह तथा 5ह -प( एव स उदाहरण ारा समझान का यास िकया गया ह

54 बोध

1 नतकाल को िकतन भाग म बाटा गया ह

उ9र दो भाग म बाटा गया ह-

1) पव)नत

2) पिhम नत

2 नतकाल क आवHयकता िकस िनकालन क िलए पड़ती ह

उ9र दशम भाव क साधन क िलए

3 िकस भाव म 6 रािशया जोड़न पर चतथ) भाव िनकलता ह

उ9र दशम भाव + 6 = चतथ) भाव

4 षDाश िनकालन का स Pया ह

उ9र ष(ाश =

5 सिध म पड़ हbए 5ह का फल िकतना होता ह

उ9र कमजोर या आधा रहता ह

िनबधामक -

1 िदनाक 23082012 समय 8 बजकर 5 िमिनट ातः -थान कोटा का चिलत चT व भाव -प( को िनकाल

2 नतोनत को हbए दशम भाव को िनकालन का वण)न कर

134

55 शदावली

bull षDाश = िकसी भी स^या का छठा भाग षDाश कहलाता ह

bull नत = मVयाह रखा स इ( का जो अतर होता ह उस नत कहत ह

bull िदनाX) = िदनमान क आध भाग को कहत ह

56 सदभ 13थ सची

1 भारतीय aयोितष लखक डॉ नमीच शाी

2 पचाग बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

135

इकाई ndash 6

कारक ह चर-िथर कारक कारक ान होरा

काण इकाई सरचना

61 -तावना 62 उGHय 63 कारक 5ह प]रचय 64 चरकारक 641 आ2मकारक 5ह 642 अमा2यकारक 5ह 643 भातकारक 5ह 644 मातकारक 5ह 645 पकारक 5ह 646 gtाितकारक 5ह 647 दारकारक 5ह 648 दो 5ह क समान अश ि-थित 649 कारक कamp डली साधन 65 ि-थरकारक 5ह 651 भाव व भावश ारा कारक िवचार 652 5ह ारा कारक िवचार 653 अय ि-थितवश िनिम)त योगकारक 5ह 66 होरा gtान 661 प]रचय 662 उ2पि9 663 होरा लन साधन 664 होरा चT साधन 67 _काण gtान 671 प]रचय 672 _काण चT साधन 673 _काण कamp डली बनान क िTया

136

68 साराश 69 शK दावली 610 Mो9र 611 लघ9रा2मक M 612 सदभ) 5थ सची

61 तावना

a योितष शा- स सबिधत छठी इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक कारक 5ह चर-ि-s कारक कारक कारक gtान होरा _काण P या ह इसका िवशष fप स वण)न िकया गया ह lsquolsquoaयोितषा सया)िद 5हणा बोधक शामrsquorsquo अथा)त िजस शा क अतग)त सया)िद 5ह और काल का बोध कराया गया ह उस aयोितष शा कहा जाता ह इन 5ह का -वभाव व भाव मन_य पर कसा रहगा उस िवचार करन हत कamp डली का िनमा)ण िकया जाता ह कamp डली क भाव भावष रािशय 5ह तथा उनक कारकत2 2 व नlt एव वग) कampड़िलय का िवचार करन क पश चात ही aयोितष को जातक क कamp डली का फलादष करना चािहए अतएव इस इकाई क अVययन क उपरात आप कamp डली क भाव भावष अथवा 5हो क चर तथा ि-थर कारक वग) कampड़िलय क िविभन अग म स होरा _काण gtान तथा उसक साधन क िTया स अवगत होकर इह अपन tयवहा]रक उपयोग म सिमिलत करन क िलए सltम हो पाऐग

62 उय

इस इकाई का उGH य आपको िननिलिखत जानकारी उपलKध कराना ह

कारक gtान Pया ह

1 कारक क भद चर व ि-थर कारक

2 चर कारक क अतग)त आन वाल भद

3 भाव तथा 5ह क कारकत2 2 व

4 होरा gtान होरा लन साधन िविध

5 होरा चT साधन क िTया

6 _काण कamp डली का िनमा)ण

137

63 कारक 13ह पampरचय

िकसी tयिJ िवशष क कamp डली म िकसी िविश_ ट काय) या घटना का धिटत होन का सकतक 5ह या भाव कारक कहलाया जाता ह कारक 5ह अथवा भाव का फल कडली म फलकथन करन म मह2 2 वपण) माना गया ह

कारक 5ह को दो भाग म िवभािजत िकया गया ह यह िननिलिखत ह-

(अ) चर कारक

(ब) ि-थर कारक

64 चरकारक

इस जिमनीय कारक भी कहा गया ह जिमनी पXित अनसार 5ह ि-थर नहS अिपत चर ह चर कारक 5ह क अश बल पर आधा]रत ह अश बल पर आिBत होन स कारक2 तव िभन कampड़िलय म िभन 5ह होत ह अतः य चरकारक कहलात ह सय) स शिन पय)त स 5ह अश क आधार पर सात कारक बनत ह अश क आधार पर 5ह को TमबX िकया जाए तो सवा)िधक अश वाला 5ह थम कारक तथा यनतम अश वाला 5ह सबस अितम -थान का कारक कहलाया जाऐगा अतः चर कारक क Tमषः 7 भद -प( होत ह -

(1) आ2म कारक (2) अमा2यकारक (3) भातकारक (4) मातकारक (5) प कारक (6) gtाितकारक (7) ीदाराकारक

िविभन कारक िनन कार जान-

चर कारक ह अश बल कारक त व

1 आम कारक सवािधक अश शारीरक सख-दख

2 अमाय कारक ितीय अशबली वाणी मणा धन ग का िवचार

3 भातकारक ततीय अशबली पराम शौय परम भाई-बहन का सख

4 मातकारक चतथ अशबली माता मन भवन भिम सवसख का िवचार

5 पकारक पचम अशबली िवा बि ग एव सतान सख िवचार

6 ाितकारक ष अशबली रोग रप ऋण सघष पधा आिद का िवचार

7 0ीदाराकारक 1यनतम अशबली पित पनी ससराल साझदारी आिद का सख

641 आमकारक ह

138

िकसी भी रािश म सवा)िधक अश पर ि-थत 5ह आ2मकारक होता ह रािशय को छोड़कर िजस 5ह क भJाश सबस अिधक हो वही आ2मकारक 5ह कहलाता ह इस लनष का पया)य कहा गया ह आ2मकारक 5ह क रािश लन क पया)य बनती ह अतः आ2मकारक 5ह िजस रािश म ि-थत हो उस रािश का सवा)िधक बली मानत हbए फलकथन क िलए िविश_ ट fप स िवचारणीय मानना अ2यत आवH यक ह सय) को नसिग)क आ2मकारक 5ह माना गया ह

आ2मकारक 5ह को धान माना गया ह आ2मकारक क अनकलता ितकलता -वाभाव बल आिद क अनसार ही शष आ2मािद कारक अपना फल दग अगर आ2मकारक 5ह जमकamp डली म शभ अथवा बली हो तो अय कारक भी शभ फल दन म सltम हग अयथा अय कारक क फल म भी यनता दखन म आयगी

फल

आ2मकारक 5ह यिद उkचरािश-थ मल-िकोण या -वरािश-थ हो तो जातक भायषाली धनी सपन यष-वी होता ह शभ यJ आ2मकारक जातक को सख एव सौभाय दान करता ह इसक िवपरीत आ2मकारक का श रािश-थ नीच व दब)ल होना जातक का दभा)गय क( पीड़ा धनहािन आिद अशभ फल का सचक ह 5ह क अनकलता एव ितकलता क अनfप ही 5ह अपनी दषा व अतद)षा क अतग)त शभ अथवा अशभ फल दान करत ह

642 अमायकारक ह

अश ारा TमबX करन पर दसर Tम म ि-थत 5ह अमा2यकारक 5ह कहलाता ह अय शKद म जो 5ह आ2मकारक स दसर -थान पर हो अथवा आ2मकारक स कछ कम अश वाला 5ह जो अय स अश म aयादा हो वह अमा2यकारक 5ह होता ह बल व मह9ा म इसका दसरा -थान ह आ2मकारक को जहा 5ह क राजा क Bणी म रखा गया ह वही अमा2यकारक को मी क Bणी म रखा ह नसिग)क fप स बध को आमा2यकारक 5ह कहा गया ह मतातर स बध का शभ व बली होना अमा2यकारक अनfप ही फल दान करता ह

फल

अमा2यकारक 5ह का उkच-थ -वरािश मल िकोण-थ होना जातक को िवचारवान िवान गणी मधरभाषी धनी व कटब स सख ा करान वाला होता ह अमा2यकारक 5ह क दषा म जातक धन मान वभव ितDा एव प]रवार का सख ा करता ह 5ह का िनब)ल नीच रािश-थ अथवा श रािश-थ होन पर जातक को दख दा]रय प]रवार सख म कमी वाणी म असयम कटता अथवा अपयश दता ह

643 भातकारक ह

बल व अश म तीसर -थान पर ि-थत 5ह भातकारक 5ह कहलाता ह नाम स ही -प( तीत भातकारक 5ह जातक क भाईय का सख अथवा दख को दशा)ता ह भातकारक 5ह जातक को पराTमी धय)वान

139

शौय)वान प]रBमी अथवा उ2सािहत बनाता ह नसिग)क fप स मगल को भातकारक 5ह कहा गया ह छोट भाई-बहन का सख अथवा जातक का परTम बल आिद मगल 5ह स कहना चािहए

फल

भातकारक का उkच-थ -वरािश-थ िमरािश-थ अथवा मल िकोण-थ होना जातक को शभ फल दान करता ह जातक को अपन भाई-बहन का उ9म सख ा होता ह वह अपन अनज ारा सख -नह व समान पाता ह उस अपन पराTम एव साहस ारा िकए सभी कायv म पण) fप स सफलता ा होती ह उसका भजबल उसक उ9म काय)षली का तीक बनता ह इसक िवपरीत यिद भातकारक नीच रिष-थ शरािश-थ अथवा नीच wि(गत होता ह तो जातक को भाई-बहन का अAप सख होता ह वह दीनहीन दब)ल एव अकम)ampय बनता ह उस अपन पराTम एव शौय)बल स विचत रहकर अपना जीवन दब)ल fप स tयतीत करना पढ़ता ह

644 मातकारक ह

अष ारा TमबX करन पर चतथ) -थान पर आन वाला 5ह मातकारक कहलता ह यह जातक क सव)सख को दशा)ता ह जातक क माता क सख-दख का िवचार अथवा मात ारा िमलन वाल -नह का िवचार मातकारक 5ह स ही िकया जाता ह इसक अतग)त आन वाल अय कारक भिम भवन पष सपि9 वाहन नौकर-चाकर आिद का िवचार भी इसी स िकया जाता ह इसका नसिग)क 5ह चमा ह

फल

मातकारक 5ह यिद उkच-थ -वरािश-थ अथवा अपनी िम रािश म हो तो जातक को अपनी माता क साथ सबधो का BD फल ा होता ह उसका माता अथवा माता क समान िय क साथ िवशष -नह अथवा उह समान दन वाला होता ह तथा िवपरीत म उतना ही -नह जातक -वय ा करता ह इसक अित]रJ उस भवन भिम वाहन ारा भी लाभ िमलता ह 5ह का श रािश नीच रािश अथवा नीच 5ह ारा w( होना जातक को अपनी दशा अतद)शा म अशभ फल दता ह मातसख क साथ भिम भवन अथवा वाहन सख म भी कमी आती ह 645 प)कारक ह

अशबल क अनसार TमबX म पाचव -थान पर आन वाला 5ह पकारक 5ह कहलाता ह नाम ारा -प( पकारक 5ह प सख म विX करता ह जातक को उ9म सतान क ाि होती ह जातक क बिX िवFा िवचार गfजन िम आिद का िवचार इसी 5ह ारा िकया जाना सभव ह शाानसार इसका नसिग)क 5ह गf को कहा गया ह अय शKद म गf को जीव कारक 5ह भी कहा गया ह अतः गf का बली होना प सख िवFा बिX आिद म शभ फल दन वाला बनता ह

140

फल

पकारक 5ह का अपनी रािश उkच रािश म अथवा अपनी मल िकोण रािश म ि-थत होना जातक को बहbमाा म प सख क ाि करवाता ह जातक को उkच िवFा खर बिX अथवा गfजन क -नह क ाि होती ह जातक का प कल को बढ़ान वाला िनDावान अथवा भा यवान होता ह इसक िवपरीत नीच रािश नीच wि(गत अथवा पाप 5ह क सािनVय म रहकर जातक को सतानहीन प सख म कमी बिXहीन गfजन क अवहलना करन वाला बनाता ह

646 ाितकारक ह

TमबX क अनसार छठ -थान पर आन वाला 5ह gtाितकारक 5ह कहलाता ह जिमनी aयोितष ारा इस चचर भाई-बहन का कारक भी कहा गया ह जातक क रोग ]रप ऋण मामा -पधा) आिद का िवचार इसी स िकया जाता ह मगल को gtाितकारक 5ह का नसिग)क कारक माना गया ह मगल का बली शभ अथवा उkच रािश म होना जातक को रोग व ऋण स दर रखता ह तथा मगल स दख जान वाल कारक म शभता दान करता ह

फल gtाितकारक 5ह का अपनी रािश म होना -वltी होना तथा उkच रािश म ि-थत होकर शभ 5ह ारा सबध -थािपत करना जातक को रोग व ऋण मJ बनाता ह वह -पधा) म अपनी जीत हािसल करता ह पराTमी प]रBमी अथवा शओ को परा-त करन वाला वीय)वान होता ह इसक िवपरीत नीच रािश अथवा िनब)ल 5ह जातक क रोग व ऋण म विX करवाता ह शओ स परािजत होता ह अथवा -पधा) म पराजय का सामना करना पड़ता ह जातक क चचर भाई-बहन स शओ सा tयवहार करत ह

647 दाराकारक ह

जमकडली म सबस यनतम अश रखन वाला 5ह दाराकारक 5ह कहलाता ह इसस जातक का दाप2य सख का िवचार करना चािहए पित-प2नी का -वभाव गण दोष िवचार सख दःख आिद दाराकारक 5ह स ही िवचारणीय ह पर-पर पित अथवा प2नी क बीच का -नह व सहयोग क जानकारी क िलए दाराकारक 5ह का अVययन करना अिनवाय) ह इस 5ह स दो tयिJय क बीच क साझदारी का िनण)य लना चािहए पित अथवा प2नी का ससराल म समान आिद भी इसी स जाना जाता ह इसका नसिग)क 5ह शT ह शT क बली होन पर उसस सबिधत कारक का शभ फल कहना चािहए

फल

5ह का बली होना शभ 5ह स w( होना क व िकोण स सबध रखना -वरािश म होना जातक क दाप2य सख म विX दान करता ह पित-प2नी का आपसी सहयोग व -नह ायः दखा गया ह यिद दाराकारक शभ व बली हो अयथा नीच रािश का दब)ल दाराकारक 5ह पापफल म विX करता ह तथा ववािहक जीवन म Pलश दख व वमन-य दता ह

141

648 दो ह क समान अश िथित

कछ कampड़िलय म ायः दखन पर आता ह िक दो 5ह क समान अश होत ह ऐस म कलाओ पर िनरीltण कर यिद व भी समान हो तो राहb तक गणना करन का िनदyश aयोितष 5थ म िदया गया ह ऐस म राहbपय)त 8 5ह कारक मान गए ह यिद राहb तक िगनन क ि-थित हो तो राहb क -प( अषािद को 30 म स घटाकर शष अश को भJाष मान Pयिक राहb सदव वTगित स चलता ह उदाहरणतः यिद िकसी कamp डली म राहb वष रािश क 24 अश पर ि-थत हो तो 30 - 24 6 अश बल राहq का जान

बहत पाराशर क अनसार कछ लोग राहb सिहत सदव गणना करक आठ कारक होत ह ऐसा मानत ह आठ कारक वाल मत म िपतकारक अिधक माना जाता ह पराषर एव जिमनी स म दोन ही िवकAप रख गऐ ह परत सकारक वाल पlt को मख माना गया ह

उदाहरण कamp डली म लनािद नौ 5ह िनन अश पर ि-थत ह

लन - 12154 सय) - 91020

चमा - 3816 मगल - 6518

बध - 91020 गf - 122424

शT - 8166 शिन - 42426

राहb - 11555 कत - 71555

-तत मष लन कamp डली म सवा)िधक अश पान वाला 5ह शिन ह अतः वह आ2मकारक 5ह कहलायगा इसक िवपरीत यनतम अश पान वाला 5ह मगल दाराकारकीकारक कहलायगा सय) व बध एक ही अश म ि-थत होन क कारण राहb भी TमबX म सिमिलत हो जाऐगा 5ह क कारक िनन तािलका ारा जान -

ह अशकला कारक

शिन 2426 आ2मकारक

गf 2424 अमा2यकारक

142

शT 166 भातकारक

राहb 1555 मातकारक

सय) 1020 पकारक

बध 1020 पकारक

चमा 816 जाितकारक

मगल 518 दाराकारकीकारक

िनन कamp डली म सय) और बध क समान अश होन पर दोन को ही पकारक Bणी म िलया गया ह

649 कारक कB डली

इस कamp डली म आ2मकारक 5ह को ही लन माना जाता ह अय कारक आ2मकारक स शभ -थान पर ि-थत हो शभ 5ह स यJ अथवा w( हो तो ऐसी ि-थित म कारक 5ह क दशा अथवा उसस सबिधत फल शभ हग अयथा पाप भाव कारक अपनी दषा म अशभ फल दगा कारक कamp डली िननिलिखत उदारहण स समझ

उपरोJ कारक कamp डली म सवा)िधक अश पान वाला 5ह शिन ह अतः इस लन माना गया ह कamp डली म समश शिन तथा पचमश गf का wि( सबध हो रहा ह योगकारी 5ह मगल का लनश व गf स wि( सबध न जातक का म-िववाह कराया परत िववाह पH चात सबध म वमन-य हbआ

65 िथरकारक 13ह

aयोितष शा म पाराशरी िसXातो ारा कारक को ि-थर बताया गया ह कamp डली म भाव अथवा 5ह कछ िवषय क िवशष कारक बनत ह य कारक सभी जातक क िलए सामाय व एकfप फल दत ह उदाहरण क िलए यिद िकसी जातक क आजीिवका क सदभ) पर िवचार करना ह तो दशम भाव अथवा दशमश स िवचार करना चािहए इसी कार प का िवचार करन क िलए पचम भाव पचमश अथवा गf 5ह (सतान कारक) का स भी िवचार करना अिनवाय) ह हर भाव अथवा 5ह क ि-थर कारक बताऐ गय ह इस हम िनन तािलका ारा समझग

143

651 भाव व भावष 9ारा कारक िवचार

भाव भावश कारक नसिग)क कारक 5ह

लनलनश दह-िवचार गण -वभाव tयवहार सय)

ितीयितीयश धन कटब वाणी न िपतपlt गf

ततीयततीयश रोग ऋत ऋण -पधा) सघष) मगल

चतथ)चतथyश मात मन वाहन भवन zदय च

पचमपचमश बिX िवFा सतान पट िम गf

षDषDष रोग ऋप ऋण - पधा) सघष) मगल

समसमश िववाह पित-प2नी tयापार याा शT

अ(मअ(मश म2य-थान ससराल पlt ग धन शिन

नवमनवमश भाय िपता भिJ ई(कपा गf

दशमदH मश कम) -थान आजीिवका उkचपद बध

एकादशएकादशश धनलाभ बड़ा भाई सामािजक ितDा गf

ादषादशश tयव शया-सख भोग दampड मोlt शिन

652 ह 9ारा कारक िवचार

5ह कारक

सय) िपता राaयपद

चमा मातकारक मन

मगल भात कारक पराTम साहस

बध tयापार tयवसाय वाणी लखन

गf सतान िवFा धन पितसख

शT दाप2य सख पित-प2नी

शिन आय_य दःख आल-य िवलबता

राहb मामा मासी निनहाल

कत दादा का प]रवार

144

653 अय िथितवष योग कारक हः

कई बार 5ह ि-थितवश भी कारक बनत ह इह योगकारी 5ह भी कहा गया ह योगकारी 5ह क दशा-अतद)शा म उनस सबिधत कारक का िवशष शभ फल ा होता ह 5ह क योगकारक बनन क -थित िनन कार ह

1 जम समय म जो 5ह -वरािश िम रािश अथवा अपनी उkच रािश म ि-थत होकर क म हो वह कारक कहलात ह जस 1 4 7 10 म 5ह उkचािद हो तो कारक कहलायग

2 कोई 5ह क अथवा िकोण दोनो का -वामी हो तो वह िवशष योगकारी 5ह बनता ह उदाहरण क िलए कक) लन म मगल (िकोण) पचम तथा दशम भाव (क) का -वामी ह अतः कक) लन वाल क िलए मगल 5ह िवशष योगकार द हbआ

फलः िजस जातक क कamp डली म 5ह उपय)J िनन ि-थित ारा कारक बनत ह वह नीच वष म उ2पन होकर भी राजा तAय जीवन tयतीत करता ह tयिJ राजा क समान धनी सखी ऐH वय)वान मान ितDा ा करता ह

66 होरा ान

भारतीय aयोितष शा क -कधय क अतग)त होरा िसXात और सिहता तीन अश मान गय ह तथा -कधपच क अतग)त-हारा िसXात सिहता _न और शकन य पाच अग मान गए ह -कध-पच का िववरण िनन कार ह-

661 होरा

यह aयोितष शा का वह -कध ह िजसम tयिJय को अपन जीवन क बार म माग)दश)न ा होता ह उसक पव) जीवन म ारKध िकए गऐ कमv का शभ या अशभ फल वत)मान जीवन म िकस कार िमल पायगा उसका gtान समय स पव) होरा ारा ही gtात हो सकता ह

िसXात िसXात भाग ही जयोितष शा का सव) थम भाग ह यह भाग म यतः गिणत शा का दश)क ह कालगणना सौर च मास का ितपादन 5हगितय का िनfपण 5ह-नlt क ि-थित इसी -कध क अतग)त समिलत ह

सिहता

इसम भषोधन मलापक 5होपकरण इि( का ार 5ह- वश जलाशय िनमा)ण मागिलक कायv क महq2 त) उAकापात 5ह क उदय-अ-त का फल 5हचार का फल एव 5हणफल आिद िवषय का िनfपण िव-तारपव)क िकया गया ह

145

नशा )

यह त2काल फल बतान वाला शा ह इसम H नकता) क उkचा]रत अltर पर स फल का ितपादन िकया ह इस शा म तीन िसXातो का वश हbआ ह ndash H नाltर िसXात H नलन िसXात तथा -वरिवgtान िसXात

शकन शाF

इसका अय नाम िनिम9शा- बताया गया ह पव)काल म इस पथक -थान न दकर अिपत सिहता क अतग)त का िवषय ही माना गया था आग चलकर इस शा न अपना अलग fप ा कर िलया ह

इकाई क मल fप होरा gtान को Vयान म रखत हbए हम इस ही िवषय का सिlt fप म अVययन करग

662 होरा ान क उपिG

इसका दसरा नाम जातक शा ह इसक उ2पि9 lsquoअहोराrsquo शKद स हbई ह अहरो शKद िदन और राि का बोधक ह इसी शKद क आिद और अितम अltर का लोप होकर lsquolsquoहाराrsquorsquo शKद चलन म आया ह जमकालीन 5ह क ि-थित क अनसार ादष भाव क फल जातक क जीवन पर Pया भाव दग उसका िव-तारपव)क ितपादन इसक अतग)त िकया गया ह

663 होरा लन साधन

तथा साधि9घिटका िमतादकIदयाद ि9ज

याित लन तनाम होरालन चampत

इ$घटयािदक ि9Kन पचाL भािदक च यत

योMयमौदियक भानौ होरालन फट िह तत बह2 पाराशर होराशा- 5-415

सय[दय स जम( काल तक ित 25 घटी म एक-एक होरा लन का माण होता ह अतः अपन इ(काल को दो स गणा कर 5 का भाग दन पर जो राHयािद लिKध हो उस उदयकािलक सय) म योग कर दन स -प( होरा लन होता ह

उदाहरण

जम( काल 525 को 2 स गणा िकया तो 1050 हbआ इसम 5 का भाग िदया तो 021000 रा_यािद हbए इस उदयकािलक सय) 0320425 म योग िकया तो 060425 हbआ और यही होरा लन हbआ

664 होरा च2 साधन

15 अश का एक होरा होता ह इस कार एक रिष म दो होरा होत ह िवषम रािश-मष िमथन आिद म 15 अश तक सय) का होरा और 16 अश स 30 अश तक चमा का होरा होता ह समरािश-वष कक) आिद म 15 अश तक चमा का होरा और 16 अश स 30 अश तक सय) का होरा होता ह समरािश म पवा)X) म चमा क ओर उ9राX) म सय) क होरा होती ह सय) और चमा क होरािधपित Tमषः िपत

146

और दव होत ह रािश क आधी होरा कही जाती ह अतः एक रािश म दो होरा और 12 रािश म 24 होरा होत ह

जमपी म होरा िलखन क िलए पहल लन म दखना होगा िक िकस 5ह का होरा ह यिद सय) का होरा हो तो होरा-कampडली क लनरािश और चमा का होरा हो तो होरा-कampडली क लनरािश होती ह होरा-कampडली म 5ह क -थान क िलए 5ह-प( क राH यािद स िवचार करना चािहए नीच होराgtान क िलए होराचT िदया जाता ह इनम सय) और चमा क -थान पर उनक रािशया दी गयी ह

होरा चT

अश मष वष िमथन कक िसह कया तला विक धन मकर कभ मीन

15 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4

30 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5

उदाहरण - लन 4232527 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला 27 िवकला पर ि-थत ह िसह रािश क 15 अश तक सय) क होरा एव 16 अश क आग 30 अश तक का चमा क होरा होती ह अतः यहा चमा का होरा हbआ और होरालन 4 माना जायगा

5ह -थािपत करन क िलए -प( 5ह पर िवचार करना ह पव) म -प( सय) 00100734 अथा)त मष रािश का 10 अश 7 कला 34 िवकला ह मष रािश म 15 अश तक सय) क होरा होता ह अतः सय) अपन होरा-5 म हbआ चमा का -प( मान 01002647 ह वष रािश का 00 अश 26 कला 47 िवकला ह वषरािश म 15 अश तक चमा क होरा होती ह िमथनरािश का 21 अश 52 कला 45 िवकला ह िमथन रािश म 16 अश स 30 अश तक चमा क होरा होती ह अतः मगल चमा क हारा-4 म हbआ बध 0232131 मष रािश का 23 अश 21 कला 31 िवकला ह मष रािश म 16 अश स चमा क होरा होती ह अतः बध चमा क होरा-4 म हbआ इसी कार बह-पित सय) क होरा-5 म शT सय) क होरा-5 म शिन सय) क होरा-5 म राहb चमा क होरा-4 म और कत चमा क होरा-4 म आया

होरा कBडली च2

147

67 ()काण ान

रािशि)भागा काणात च शटिषदी+रताः

प+रविG)य त0शा मषादः 2मषो भवत

वपचनवमाना च राशीना 2मच त

नारदाडगितदवासा काणषाचरािदष बहपाराषर होराशा ) 77-8

671 प+रचय-

रािश का ततीय भाग _काण कहा जाता ह तीस अश क एक रािश म दस-दस अश क तीन भाग होत ह इसिलए 2यक रािश म तीन _काण िनन कार ह -

10-100 अश तक - थम _काण

100-200 अश तक - ितीय _काण

200-300 अश तक - ततीय _काण

िजस िकसी रािश क थम _काण म 5ह हो तो उसी रािश का ितीय _काण म उस रािश स पचम रािश का और ततीय _काण म उस रािश स नवम रािश का _काण होता ह _काण क रािश क अनसार ही _काण क -वामी होत ह

जस वष रािश म 10 अश तक पहला _काण का होगा और उस _काण क -वामी शT हग वष रािश क 11-20 अश तक ितीय _काण वष स पाचवी रािश कया का होगा और उसक -वामी बध हग वष रािश क 21-30 अश तक ततीय _काण वष स नवम मकर रािश का होगा ओर उस _काण क -वामी शिन हग

672 काण च2 साधन-

_काण को सरलता स िनकालन क िलए नीच _काण चT िदया जाता रहा ह

_काण चT

अश मष वष िमथन कक िसह कया तला विक धन मकर कभ मीन

1-10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

10-20 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

20-30 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

148

673 काण कB डली बनान क ि2या

जमपी म _काण कamp डली बनान क िTया यह ह िक लन िजस _काण म हो वही _काण कamp डली क लन रािश होगी _काण कamp डली म लन क आग अय भाव म एक-एक आग क रिषया -थािपत कर लव 5ह क -थपना क िलए अलग-अलग _काण िनकालकर 2यक 5ह को उसक _काण रािश म -थािपत कर लव

उदाहरण

-प( लन 428301 िसह रािश

सय) 1218102 मष रािश

च 72620101 विhक रािश

मगल 814157 धन रािश

बध 12161715 मष रािश

गf 418200 िसह रािश

शT 7271410 विhक रािश

शिन 78105 विhक रािश

राहb 325510 कक) रािश

कत 925510 मकर रािश

-तत कamp डली म लन -प( 0428301 अथा)त िसह रािश क 28 अश 30 कला और 1 िवकला ह यह लन िसह रािश क तीसर _काण म ह अतः िसह स नवम रािश मष आती ह इसिलए _काण कamp डली का लन मष होगा इसी कार हम अय 5ह भी -थािपत करग सय

मष रािश म 18102 म ह यह 10 अश स आग ह इसिलए ितीय _काण म हbआ मष स 5 तक िगनन पर िसह रािश आती ह _काण चT म मष रािश क नीच ितीय _काण म 5 िलखा ह सय) को उस

149

अक क रािश जो िसह ह वहा -थािपत कर लव िसह रािश का -वामी सय) ही ह अतः सय) -व5ही होकर अपनी रािश क _काण म ि-थत ह

चमा विhक रािश क 26 अश 20 कला और 10 िवकला पर ि-थत ह यह 20 अश स aयादा ह इसिलए ततीय _काण म हbआ विhक स 9 तक िगनन पर कक) रािश आई _काण चT म विhक रािश क नीच तीसर _काण म कक) रािश ह अतः चमा कक) रािश क _काण म ह कक) रािश का -वामी -वय चमा ह चमा अपन ही _काण म ह

मगल मगल धन रिव क 14 अश 15 िवकला और 7 कला म ह यह 10 अश आग होन स ितीय _ काण का हbआ _काण म 1 अक िलखा ह अतः मगल मष रािश क _काण म ह यहा मगल भी अपनी -वरािश क _काण म ि-थत ह

बध

बध मष रािश क 16 अश 17 िकला और 15 िवकला म ि-थत ह यह 10 अश स aयादा ह इसिलए ितीय _ काण म हbआ _काण चT म मष रािश क नीच ितीय -थान पर 5 अश िलखा ह अतः बध 5ह क -थापना िसह रािश म कर अय शKद म बध िसह रािश क _काण म ह िसह रािश क -वामी सय) ह इसिलए बध को सय) क _काण म कहग

बहपित

गf िसह रािश क 18 अश 20 कला पर ि-थत ह यह अश 10 स aयादा ह इस हम ितीय _काण क Bणी म रखग ितीय _काण म 5ह क ि-थित होन स उस रािश स 5 रािश आग िगनन पर धन रािश आयगी इस हम _काण चT स दखग तो िसह रािश क नीच ितीय _काण म 9 अक िलखा ह अतः बह-पित धन रािश अथवा -वरािश क _काण म ि-थत ह

श2

शT विhक रािश क 27 अश 14 कला और 10 िवकला म ह यह अश 20 स भी aयादा ह अतः ततीय _काण क Bणी म आत हbए विhक स 9 िगनन तक कक) रािश क _काण म आयगा _काण चT ारा दखन पर विhक रािश क नीच ततीय -थान पर 4 अश कक) रािश को ही दशा)ता ह कक) रािश क -वामी चमा ह इसिलए शT को चमा क _काण म कहग

शिन

शिन विhक रािश क 8 अश 10 कला और 5 िवकला म ह यह 1 स 10 अश क भीतर ही ह इसिलए थम _काण म ह थम _काण उसी रािश का होता ह िजसम व -वय ि-थत ह अतः शिन को विhक रािश क अतग)त ही लग _काण चT म विhक रािश क नीच थम -थान पर 8 अक िलखा ह जो

150

विhक रािश को -प( करता ह विhक रािश क -वामी मगल ह अतएव शिन को मगल क _काण म कहग

राह4

राहb कक) रािश क 25 अश 5 कला और 10 िवकला म ह यह 20-30 अश भीतर आत हbए ततीय _काण क Bणी क अतग)त आयगा अतः कक) स 9 तक िगनन पर मीन रािश आऐगी _काण चT ारा दखन पर कक) रािश क नीच ततीय -थान पर 12 अक िलखा होना मीन रािश को -प( करता ह मीन रािश क -वामी गf होन स राहb गf _काण का कहलायगा

कत

कत मकर रािश क 25 अश 5 कला और 10 िवकला म ह यह 20 अश स आग 20-30 अश क भीतर क Bणी अथा)त ततीय _काण म ि-थत ह मकर रािश स 9 िगनन तक कया रािश आऐगी _काण चT म मकर रािश क नीच ततीय -थान पर 6 अक िलखा ह जो कया रािश को -प( करता ह कया रािश क -वामी बध ह अतएव कत बध क _काण म ह

68 साराश

उपरोJ विण)त इकाई म हमन aयोितष शा क तीन िविभन एव मह|वपण) अग कारक gtान होरा gtान अथवा _काण gtान का अVययन िकया ह इकाई क lsquolsquoकारक gtानrsquorsquo क अत)गत हमन चरकारक क भद Tमश आ2मककारक अमा2यकारक भातकारक मातकारक पकारक gtाितकारक अथवा दाराकारक क िनयम कारकत2 2 व एव उनक फलो को भली भॉित समझान का यास िकया इसक अित]रJ भाव भावोष तथा 5ह क ि-थत कारक का gtान भी आपको ा हो सकगा

इकाई क दसर भाग क अतग)त आपको ाचीन भारतीय aयोितष क -कधय क मह9पण) अश lsquolsquoहोरा gtानrsquorsquo उसक उ2पि9 लन साधन िविध तथा होरा चT साधन िविध का gtान ा हो पाएगा

इकाई का तीसरा भाग lsquolsquo_काण gtानrsquorsquo ह 5ह क बलाबल का gtान करन क िलए दषवग) का साधन aयोितष शा म िकया जाता ह दषवग) म होरा _काण समाश नवमाष दषमाश ादषाश षोडषाश िषाश और ष(यश प]रगिणत िकए गए ह अतएव इसम िवFािथय को थम ितीय एव ततीय _काण का रािशय क अश क अनसार gtान _काण चT एव _काण कamp डली बनान क िTया आिद को अवगत कराया गया ह

69 श दावली

bull आ2कारक 5ह = सवा)िधक अशयJ 5ह

bull दाराकारक 5ह = यनतम अशयJ 5ह

151

bull योगकारक 5ह = िवशष ि-थितवश िनिम)त शभफलदायक 5ह

bull उदयकािलक 5ह = सय[दय क समय 5ह क ि-थित

bull होरा = रािश का आधा भाग अथा)त 15 अश

bull _काण = रािश का दशम भाग अथा)त 03 अश

610 ो+र

1 कारक 5ह Pया ह tया^या किजए

उ9र िकसी tयिJ िवशष क कamp डली म िकसी िविश_ ट काय) या घटना का घिटत होन का सकतक 5ह या भाव कारक कहलाया जाता ह

2 कारक क दो भाग बताईए

उ9र कारक क दो भाग चर एव ि-थर कारक ह

3 चर करक िकतन कार क ह नाम -प( किजए

उ9र चर कारक क 7 भद कह गऐ ह आ2मकारक अमा2यकारक भातकारक मातकारक पकारक gtाितकारक दाराकारक

4 सवा)िधक एव यनतम अश पर आन वाल चर कारक क नाम -प( किजए

उ9र सवा)िधक अश - आ2मकारक

यनतम अश - दाराकारकीकारक

5 लन सम एव नवम भाव क नसिग)क ि-थर कारक 5ह बता)इए

उ9र लन - सय) सम-शT नवम-गf

6 चतथ) भाव क ि-थर कारक त2 2 व बताईए

उ9र चतथ) भाव क ि-थर कारक त2 2 व माता मन भवन वाहन सास zदय आिद ह

7 होरा का आषय Pया ह

उ9र मन_य क ारKध म िकए सगए कमv क फल का gtान एव उसका माग)दश)न होरा ारा gtात िकया जा सकता ह

8 एक रािश म िकतनी होरा हो सकती ह

उ9र 15 अश का एक होरा होता ह अतः इस कार एक रािश म दो होरा होत ह

9 _काण िकस कहत ह

152

उ9र रािश का ततीय भाग _काण कहा जाता ह

10 अश क अनसार तीन _काण का उAलख किजए

उ9र 1-10 अश - थम _काण

10-20 अश - ितीय _काण

20-30 अश - ततीय _काण

611 लघ+रामक

1 चर कारक Pया ह एव उनक भद को -प( किजए

2 भाव अथवा 5ह क ि-थर कारक त2व को -प( किजए

3 ि-थितवश बन योग कारक 5ह क िसXात बताइऐ

4 होरा लन साधन एव चT साधन क िTया -प( कर

5 _काण चT साधन क िTया एव _काण कamp डली बनान क िTया को उदाहरण सिहत -प( कर

612 स0दभ 130थ सची

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

3 जिमनीसम

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक

4 भारतीय aयोितष

tया^याकार डॉ निमच शाी

काशक भारतीय gtानपीठ िदAली

153

इकाई ndash 7

(नवमाश स तमाश िशाश) सिहत दश वगamp िवचार

इकाई क पररखा

71 - तावना

72 उGHय

73 दशवग) िवचार 731 घरा कamp डली िवचार

732 डठकाण िवचार 733 स तमाश िवचार 734 दशमाश िवचार

74 ादशाश कamp डली िवचार 75 षोडशाश कamp डली िवचार 76 िशाश िवचार 77 षठ_ याश िवचार 78 पा]रजात आिद वशिषकाश िवचार 79 साराश 710 H नावली लघउ2 तरीय तथा उ2 तरमाला

711 शK दावली 712 सदभ) 5थ सची

71 तावना

इस इकाई म दश वगv का िवचार मल fप स िकया गया ह चिक मन_ य फल क इk छा रखन वाला ाणी ह अत कamp डली क स पण) फल क ाि क िलए यहा पर इन वगv का िवचार पण)तया fप स िकया गया ह जस होरा कamp डली स स पदा और सख का िवचार िकया जाता ह ठीक इसी कार ड_ कोण कamp डली स भाइय क सख तथा इनस सहयोग एव लाभ का िवचार िकया जाता ह ठीक इसी

154

तरह स तमाश चT स सतित का एव प पौी का िवचार िकया जाता ह एव ादशाश स िपता एव माता क सख का िवचार िकया जाता ह तथा िशाश चT स अ]र_ ट फल का िवचार एव इस का समाधान िकया जाता ह इसी कार यहा सभी वगv का िवचार एव समाधान पण) fपण दशा)या गया ह

72 उय

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग ndash

bull होरा कamp डली बनान क िविध gtात करग

bull ड_ काण कamp डली बना पायग

bull स तमाश कamp डली क जानकारी ा त करग

bull नवमाश कamp डली का िवचार कर पायग

bull दशमाश कamp डली का बनायग

bull ादशाश कamp डली का gtान होगा

bull षोडशाश कamp डली बनायग

bull िशाश िवचार करग

bull ष_ ठयश चT क जानकारी ा त करग

bull पा]रजात आिद वशिषकाश क जानकारी ा त करग

73 दशवग िवचार

ल न होरा डठकाण स तमाश दशमाश ादशाश षोडशाश िशाश और ष_ ठयश य रािश क दश वग) होत ह य दश वग) मन_ य को t यय क_ ट उ नित और धन ndash धा य को दन वाल ह

रा िश क अध)भाग को होरा कहत ह िवषयम रािश (मष िमथन िसह तला धन और कभ रािशय) म थम होरा सय) क और दसरी च मा क होरा होती ह सम रािश थम च क होरा होती ह और इसी सय) क होरा होती ह रा िश क ततीय भाग को डडकाण कहत ह इस कार एक रािश म तीन डढकाण होत ह इनम थम डढकाण उसी रािश का ितीय डढकाण उस रािश स पचम रािश का तथा ततीय डढकाण उसस नवम रािश का होता ह

अ य जातक 5थ म कल 16 वगv क चचा) ह यहा उनम स कवल दश वगv का ही िववरण ा त ह ज मप क अV ययन म इन दश वगv का भी t यवहार कम चिलत ह चलन म षडवग) या स तवग) का ही योग अिधक होता ह चिक 5ह क बलाबल का gtान करन क िलए दशवग) का साधन िकया जाता ह अत आइए सव) थम

155

5ह का िवचार करत ह 5ह ndash जो 5ह िजस रािश का - वामी होता ह वह रािश उस 5ह का 5ह कहलाती ह रािशय क - वामी िन निलिखत ह ndash

रािश - वामी

िसह सय)

कक) च

मष विhक मगल

िमथन क या बX

धन मीन बह- तपित

वष तला शT

मकर क भ शिन

731 होरा िवचार

15 अश का एक होरा होता ह इस कार एक रािश म दो होरा होत ह िवषम रािश ndash मष िमथन आिद म 15 अश तक सय) का होरा होता ह और 16 स 30 अश तक च मा का होरा होता ह सम रािश वष कक) आिद म 15 अश तक च मा का होरा होता ह सम रािश तक सय) का होरा होता ह ज म कamp डली म होरा िलखन क िलए पहल ल न म दखना होता ह ज म कamp डली म होरा होता ह यिद सय) को होरा हो तो होरा कamp डली क 5 ल न रािश और च का होरा हो तो होरा कamp डली क 4 ल न रािश होती ह होरा कamp डली 5ह क - थान क िलए 5ह - प_ ट क राH यािद स िवचार करना चािहए

होरा gtान क िलए होरा चT िदया जाता ह इनम सय) और च मा क - थान पर उनक रािशया दी गई ह

होरा च2

अश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

15 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4

156

30 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4

उदाहरण -

- प_ ट ल न 41325126 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला 26 िवकला पर ह िसह रािश क 15 अश तक सय) का होरा 16 स आग 30 अश तक च मा का होरा होता ह अत यहा च मा का होरा हbआ और होरा ल न 4 माना जायगा 5ह - थािपक करन क िलए - प_ ट 5ह का िवचार करना चािहए अत माना िक - प_ ट सािधत सय) 01906134 ह अथा)त मष रािश का 90 अश 6 कला 34 िवकला ह मष रािश म 15 अश तक सय) चT म सय) का होरा होता ह अत सय) अपन होरा अथा)त 5 रािश म हbए च मा का - प_ ट मान 91026147 वष रािश का श य अश 26 कला 46 िवकला ह वष रािश म 15 अश तक च मा का होरा होता ह अत च मा अपन होरा 4 म हbए मगल का - प_ ट मान 212952145 िमथन रािश का 21 अश 42 कला 84 िवकला ह िमथन रािश म 18 स 30 अश तक च मा का होरा ह अत मगल च मा क होरा 4 म हbए बध 01232931 मष रािश का 23 अश 29 कला 31 िवकला ह मष रािश क 16 अश स च का होरा होता ह अत बX च मा क होरा 4 म हbए बह- पित 3124832 क अनसार सय) क होरा 5 म हbए शT 99232090 चTानसार शT सय) क होरा म हbए शिन 2167145इसक ddअनसार शिन सय) क होरा म हbए राहb 3181515 इसक अनसार राहb च मा क होरा म 4 म हbए अत इसका होरा कamp डली इस कार होगा

होरा कB डली

अब आइए डढकाण चT बनान का िवचार करत ह

डठकाण ndash 90 अश का एक डढकाण होता ह इस कार एक रािश म तीन डढकाण lsquo 1 स 10 अश तक थम डढकाण 11 स 20 अश तक ितीय डढकाण और 21 स 30 अश तक ततीय डढकाण समझना

157

चािहए िजस िकसी क थम डढकाण म 5ह हो तो उसी रािश का ितीय डढकाण म उस रािश स पचम रािश का और ततीय डढकाण म उस रािश स नवम रािश का डढकाण होता ह सरलता स समझल क िलए डढकाण चT

डढकाण च2

अश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

20 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

30 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

ज म कamp डली म डढकाण कamp डली क िTया यह ह िक ल न िजस डढकाण म हो वही डढकाण कamp डली क ल न होगी 5ह - थापना करन क िलए - प_ ट 5ह क अनसार 2 यक 5ह का पथक पथक डढकाण िनकालकर 2 यक 5ह को उसक डढकाण रािश म - थािपत करना चािहए

उदाहरण ndash

ल न 4132547 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला और 28 िवकला ह

यह ल न िसह रािश क ततीय डढकाण ndash मष रािश क हbई अतएव डढकाण कamp डली का ल न मष होगा 5ह क िलए 2 यक 5ह का - प_ ट मान िलया जसा िक सभी 5ह होरा कamp डली म - प_ ट सय) 0101268 वष रािश का 0 अश 26 कला 87 िवकला ह वष म 90 अश तक थम डढकाण वष रािश का ही होता ह अत च मा वष रािश म िलखा जायगा मगल 2129142145 िमथन रािश का 21 अश 52 कला और 45 िवकला ह िमथन रािश म 21 अश स ततीय डढकाण का ार भ होता ह अत मगल िमथन क ततीय डढकाण क भ म िलखा जायगा इसी कार बध धन रािश का गf मीन रािश का शT विhक रािश का शिन िमथन रािश का राहb कक) रािश का और कत मकर रािश का माना जायगा

डढकाण कB डली च2

158

अब आइए स तमाश चT तथा उनक - वामी का िवचार करत ह

य स तमाश अ2 य त उपयोगी होत ह कर रािश क स तमाश जातक उ5 - वभाव का होगा और सौम य रािश म उ2 प न जातक उ5 - वभाव का होगा जातक सौ य कित का होगा

P तमाश च2

ल न कलािद रािश - वामी मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

4 18 8 रािश वामी

1

8

2

10 श

5

12

7

2

9

4

11 श

6

9 34 19 रािश वामी

2 श

9

4

11

9

1 म 8

9

3

10

5

8

12 51 25 रािश वामी

3

10

5

12

7

2

9

4 च

11

6

1

8

16 9 34 रािश वामी

4 च

11

6

1 म

9

3

10

4 स

12

8

2 श

9

21 25 42 रािश वामी

5 स

12

7 श

2

9

4

11

6 ब

1

9

3

10 श

15 42 51 रािश वामी

6 म

1

8

3

10 श

5 स

12

7 श

2

9

4 च

11 श

30 0 0 रािश वामी

8 श

2

9

4

11

6

1

9 म

3

10 श

5

12

159

उदाहरण ndash 4132426 िसह रािश क 23 अश 25 कला 26 िवकला ह िसह रािश म 21 अश 24 कला 42 िवकला तक का पाचवा स तमाश होता ह पर हमारी अिभ_ ट ल न इसस आग ह अत छठा स तमाश क भ रािश माना जायगा इसिलए स तमाश कamp डली का ल न मकर हागा 5ह - थापन क िलए 2 यक 5ह क - प_ ट मान स िवचार करना चािहए सय) 019016134 ह मष रािश म 8 अश 34 कला 16 िवकला तक ितीय स तामश होता ह और इसस आग 12 अश 51 कला 24 िवकला तक ततीय स तमाश होता ह सय) यहा पर ततीय स तमाश िमथन रािश का हbआ च मा 102847 वष रािश क 0 अश 26 कला और 47 िचकला तक ततीय स तमाश 4 अश 16 कला 8 िवकला तक ह अत- च मा वष रािश का थम स तमाश विhक का हbआ इस कार मगल का स तमाश रािश विhक बध क क या गf क िमथन शT क क भ शिन क कक) राहb क मीन और कत क क या स तमाश हbई चिक होरा चT म सभी - प_ ट 5ह को िनयम क अ तग)त दशा)या गया ह

सP तमाश कB डली च2

नवमाश कB डली िवचार तथा उनक वामी ndash

धन मष और िसह रािशय क नव नवमाश मषािद नव रािशया वष क या और मकर रािशय क नव नवमाश मकरािद नव रािशया िमथन तला और क भ रािश क नव नवमाश तलािद नव रािशया तथा कक) विhक और मीन रािशय क नव नवमाश कका)िद नव रािशया होती ह रािश का नवमाश 308 mdash3rsquo120rsquo होता ह एक रािश म 3rsquo120rsquo क नौ खamp ड होत ह इस 2 यक खamp ड को नवमाश या नवाश कहत ह अत मषािद रािशय म Tम स मष मकर तला और कक) य थम नवाश रािशया ह इनमम ारम भ होकर Tमश नौ रािशय का नवाश होता ह

नवमाश च2

नवमाश मष िसह धन वष क यामकर िमथन तला कQ भ

कक वि6क मीन

160

1 - 3020rsquo मष मकर तला कक)

2 -6020rsquo वष क भ विhक िसह

3 -10020rsquo िमथन मीन धन क या

4- 13020rsquo कक) मष मकर तला

5 16020rsquo िसह वष क भ विhक

6- 20020rsquo क या िमथन मीन धन

7 -23020rsquo तला कक) मष मकर

8 -26020rsquo वि6क िसह वष कQ भ

9- 30020rsquo धन क या िमथन मीन

उदाहरण ndash

ल न - प_ ट ndash 4232528 ह इस नवमाश चT म दखन स िसह का आठवा नवमाश हbआ अतएव नवमाश कamp डली क ल न रािश विhक ह िसह क आठव नवमाश क रािश विhक हा

नवमाश कB डली च2

5ह क - थापना क िलए िवचार िकया तो सय) 0906134 ह इस नवमाश बोधक चT म दखा तो यह मष क रािश का हbआ अत कक) म सय) को - थािपत िकया गया च मा 901647 ह चT म दखन स यह वष क थम नवमाश मकर रािश का होगा इसी कार होरा कamp डली म सभी 5ह क - प_ ट हो िलखा गया ह इसक अनसार मगल मष का बध विhक का गf क भ का शT क भ का शिन धन

161

का राहb क या का और कत मीन रािश का िलखा जायगा चर रािश का पहला नवमाश ि-थर रािश का पाचवा और ि- वभाव रािश का अितम वग[तम नवाश होत ह रािश का - वय का नवाश वग[2 तम कहलाता ह वग[2 त- थ 5ह अ2 य त शभव होत ह नवमाश तािलका जो दी गई ह इसस अथा)त पचम नवमाश और ि- वभाव रािशय क अितम नवमाश वग[2 तमाश होत ह नवमाश बोधक सारणी स यह भी - प_ ट होगा िक मष मकर तला और कक) रािशय क थम नवमाश रािशय Tमश य ही रािशया ह इसिलए मषािद चर रािशय म थम नवमाश Tमश य ही रािशया ह इसीिलए मषािद चर रािशय म थम नवमाश वग[2 तम होता ह इस कार वष क भ विhक और िसह ि-थर रािशय का 5 वा नवमाश Tम स इ हS रािशय का होन स ि-थर रािश का मV य या पk जम नवाश वगो2 तम होता ह ि- वभाव रािशय िमथन मीन धन और क या रािशय म अितम अथा)त नवा नवमाश इ हS रािशय का होन स यह अितम नवमाश वग[2 तम होगा अत यह बात जानना चािहए िक वग[त तमाश 5ह सवा)िधक शभ होत ह एव अk छ फल को दत ह

74 2ादशाश क3 डली िवचार

दशमाश एकरािश म दश दशमाश होत ह 30rsquo10 ndash3rsquo का एक दशमाश होता ह िवषम रािश म उसी रािश स और सम रािश म नवम रािश स दशमाश क गणना क जाती ह दशमाश कamp डली बनान का िनयम यह ह िक ल न - प_ ट िजस दशमाश म वही दशमाश कamp डली का ल न माना जायगा और 5ह - प_ ट ारा 5ह को gtात करक िजस दशमाश का जो 5ह हो उस 5ह को उस रािश म - थापन करन स जो कamp डली बनगी वही दशमाश कamp डली होगी दशमाश चT तथा इसक - वामी जानन क िलए िन निलिखत चT स - प_ ट हो जायगा

रािशया

दशमाश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क या

तला

विक धन

मकर

क भ

मीन

1 ndash 3000 1

10

3

23

5

2

7

4

9

6

11 श 8

2 ndash 6000 2

11

4

1

6

3

8

5

10

8

12

9

3 ndash 9000 3

12

5

2

8

4

9

6

11

8

1

10

162

4 ndash 12000 4

1

6

3

8

5

10

7

12

9

2

11 श

5 ndash 15000 5

2

7

4

9

6

11

9

1

10 श

3

12

6 ndash 28000 6

3

8

5

10

7

12

9 ब 2

11 स

4

9

7 ndash 21000 7

4

8

6

11

9

1

10

3

12 ब

5

2 श

8 ndash 24000 8

5

10

7

12

9

2

11

4

1

3

3

9 ndash 27000 9

6

11

8

1

10

3

12

5

2

7

4

10 ndash 30000 10

7

12 ब

9 ब

2

11

4

1

6

3

8

5

उपयP त चT म दशमाश रािशय क अक और दशमाश शष िलख गय ह

सभी 5ह का - प_ ट िन निलिखत ह - प_ ट ल न 4132528 - प_ ट सय) 010834 - प_ ट च 1102648 - प_ ट चT मग 2215245 - प_ ट बध 01232939 - प_ ट चT 324832 - प_ ट चT 99232090 - प_ ट शिन राहb 3555 कत 88515 हा - प_ ट ल नानसार दशमाश चT म दखा जाता ह तो िसह रािश म आठवा दशमाश मीनरािश का िमला अत दय क - वामी बह- पित हbए इस कार दशमाश - वामी को जानना चािहए

पराशर न िवषम रािश क दशमाश क - वामी Tम स इ अिन यम राltस वfण म- त कबर ईशान ~ा और अन त इन दश िड पाल को माना ह सम रािश क दशमाशश t य2 Tम (िवपरीतTम) स इन दश िद पाल को माना ह िक त पाराशर का यह मत अ य िवान क ारा - वीकार नहS िकया ह

163

उदाहरण ndash

- प_ टल न ndash 4232527 इस दशमाश चT म दख तो िसह म आठवा दशमाश मीन रािश का िमला अत दशमाश कamp डली को ल न रािश मीन होगी 5ह क - थापन क िलए सय) 010834 का दशमाश मष का चौथा हbआ अथा)त सय) दशमाश कamp डली म कक) रािश म ि-थत हग इसी कारच मा क दशमाश रािश मकर मगल क मकर बX क विhक शT क िमथन शिन क िसह राहb क िमथन और कत क धन रािश दशमाश चT म होगा

दशमाश कB डली

अब आइए ादशाश कamp डली पर िवचार करत ह

ादशाश ndash एक रािश का ादशाश ndash 9 रािश92 ndash 30092 - 2030 यह एक ादशाश का मान ह एक रािश म इतन ही मान क 12 भाग या ादशाश होत ह रािश क थम ादशाश पर उसी रािश का अिधकार होता ह ितीय ादशाश पर उस रािश स दसरीरािश का ततीय ादशाश पर उस रािश स ततीय रािश का एव दशव ादशाश पर उस रािश स दसवी रािश का अिधकार होता ह तथा उन ादशाश रािशय क - वामी तद ादशाश क - वामी होत ह जस मष रािश म थम ादशाश मष रािश का और उसका - वामी मगल थम ादशाश दसरा ादशाश वष रािश का और उसक - वामी शT ितीय ादशाश का - वामी होगा - प_ ट 5ह एव ल न 4232527 - प_ ट सय) 0106134 च - प_ ट 1012647 मगल - प_ ट 2295245 बX - प_ ट 012312931 - प_ ट गf 324632 - प_ ट शT 11232010 - प_ ट शिन 27745 - प_ ट राहb 39515 - प_ ट कत 88515 इ हS - प_ ट 5ह क आधार पर यहा उदाहरण बनाकर ादशाश चT बनाया गया ह

9ादशाश च2

रािशया

दशमाश मष

वष

िमथ

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

1 ndash 2000 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

164

म श

ब ब श म

2 ndash 5000 2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

3 ndash 7000 3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

2 श

4 ndash 10000 4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

2

3 श

5 ndash 12000 5

6

7

8

9

10

11

12

1

2 श 3

4

6 ndash 15000 6

7

8

9

10

11

12

1

2

3 श 5

6

7 ndash 18000 7

8

9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

8 ndash 20000 8

9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

7

9 ndash 20000 9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

7

8

10 ndash 25000 10

11

12 ब

1

2

3

4

5

6

7

8

9

11 ndash 29000 11

12

1 ब

2 ब 3

4

5

6

7

8

9

10

12 ndash 30000 12

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

165

उदाहरण ndash ल न 4232527 ह ादशाश बोधक चT म दखन पर िसह म दसवा ादशाश चT वष

रािश का ह अत ादशाश कamp डली क ल न वष रािश होगी 5ह - थापन पहल क समान ही करना चािहए

9ादशाश कB डली

75 षोडशाश क3 डली िवचार

षोडशाश च2 ndash एक रािश म 16 षोडशाश होत ह एक षोडशाश 1 अश 52 कला 30 िवकला का ह

षोडशाश क गणना चर रािशय म मषािद स ि-थर रािशय म िसहािद स और ि- वभाव रािशय म धन रािश स क जाती ह षोडशाश कamp डली क बनान क िविध यह ह िक ल न - प_ ट िजस षोडशाश म आया हो वही षोडशाश कamp डली का ल न माना जायगा और 5ह क - प_ ट क अनसार 5ह - थािपत िकय जायग

षोडशाश बोधक च2

चर

मष कक तला मकर

िथर

वष िसह वि6क कभ

ि9 वभाव

िमथन क या धन मीन

अशािद

1 5 9 1052rsquo30rsquorsquo

2 6 10 3045rsquo0rsquorsquo

166

3 7 11 5036rsquo30rsquorsquo

4 8 12 7030rsquo0rsquorsquo

5 9 1 8052rsquo30rsquorsquo

6 10 2 11022rsquo30rsquorsquo

7 11 3 13015rsquo10rsquorsquo

8 12 4 1508rsquo30rsquorsquo

9 1 5 1600rsquo0rsquorsquo

10 2 6 18045rsquo0rsquorsquo

11 3 7 19036rsquo30rsquorsquo

12 4 8 20030rsquo0rsquorsquo

1 5 9 22022rsquo30rsquorsquo

2 6 10 24015rsquo30rsquorsquo

3 7 11 2807rsquo30rsquorsquo

4 8 12 3000rsquo0rsquorsquo

उदाहरण -

ल न 4232527 ह ल न िसह रािश क होन क कारण ि-थर कहलायगी िसह क 23 अश 25 कला 26 िवकला 13 वा षोडशाश होगा िजसका रािश िसह ह अत यहा षोडशाश कamp डली क ल न रािश िसह होगी 5ह क राH यािद को भी षोडशाश चT म दखकर षोडशाश रािश म - थािपत कर दना चािहए

167

षोडशाश कB डली

षोडशाश च2 िवचार ndash (िवषयम रािशय म)

मष िमथन िसह तला धन और क भ म पहला 5 अश मगल का दसरा 5 अश शिन का तीसरा 8 अश बह- पित का चौथा 8 अश बध का और पाचवा 5 अश शT का िशाश होता ह ता2 पय) यह ह िक उपयP त िवषम रािशय म यिद कोई 5ह एक स 5 अश पय) त रह तो मगल क िशाश म कहा गया ह छठ स दसव अश तक रह तो शिन क दसव स अठारहव अश तक रह तो बह- पित क उ नीसव स पk चीसव अश तक रह तो बध क और छK बीसव स तीसव अश तक रह तो शT क िशाश म वह 5ह कहा जायगा

िवषम रािश का ि)शाश च2

मष िमथन िसह तला धन कQ भ अश

1 म 1 म 1 म 1 म 1 म 1 म 1 स 5 तक

11 श 11 श 11 श 11 श 11 श 11 श 6 स 10 तक

9 9 9 9 9 9 11 स 19 तक

3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 19 स 18 तक

8 श 8 श 8 श 8 श 8 श 8 श 16 स 30 तक

168

(समरािशय म) ndash वष कक) क या विhक मकर और मीन म पहला 5 अश तक शT का दसरा 8 अश तक बध का तीसरा 9 अश तक मगल का िशाश होता ह रािश पXित क अनसार िवषम रािशय म 5 अश तक मष का 90 अश तक कभ का 19 अश तक धन का 25 अश तक िमथन का और 30 अश तक तला का िशाश होता ह िशाश कamp डली भी पव)वत बनायी जायगी

उदाहरण ndash ल न 4232527 िसह रािश क 23 अश 25 कला 28 िवकला ह का िशाश

कहलायगा िशाश कamp डली का ल न िमथन होगा सय) 0110734 मष रािश क 10 अश क 7 कला 34 िवकला ह मष रािश म 10 अश स आग 19 अश तक धन रािश का िशाश होता ह अत सय) धन रािश का होगा

समरािश ि)शाश च2

वष कक) क या विhक मकर मीन अश

2 श 2 श 2 श 2 श 2 श 2 श 1 स 5 तक

6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 स 12 तक

12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 13 स 20 तक

10 श 10 श 10 श 10 श 10 श 10 श 21 स 25 तक

9 म 9 म 9 म 9 म 9 म 9 म 26 स 30 तक

ि)शाश कB डली

169

ष टशाश च2 िवचार

एक रािश म 60 प_ टशाश होत ह अथा)त 30 कला का एक ष_ ठशाश होता ह िजस 5ह या ल न का _ _ ठयाश साधन करना हो तो उस स5ह क रािश का छोडकर अश क कला बनाकर आग वाली कलाओ को उसम जोड दना चािहए इन योगफल वाली कलाओ म 30 का भाग दन स जो लिKध आव उसम एक और जोड़ द इस योगफल को आग िदय ष_ टाश बोधक चTrsquorsquo म दखन स ष_ ठश क रािश िमल जायगी िवषम रािश वाल 5ह का दवताश क नीच और सम रािश वाल का सम दवताश क नीच िमलगा उदाहरण

ल न 4232526 - प_ ट सय) 010834 - प_ ट मगल 2295245 - प_ ट बध 0232139 - प_ ट गf 324732 - प_ ट शT 11232010 - प_ ट शिन 266145 - प_ ट राहb 838515 - प_ ट कत 88515 H हा पर - प_ ट ल न क रािश को छोडकर अश को कला बनायी तो 23times60 =138015 ndash 1405 divide30 = 47 लिKध आया और शष 25 हbआ चिक लिKध 46 म 9 और जोड़ा ndash 469 = 47 वा पटयश हbआ चT म दखा तो िसह रािश का 47वा ष_ टयाश िमथन रािश का ह अत षटयश कamp डली का ल न िमथन होगा इस चT स िबना गिणत िकय भी षटयश का बोध को_ ठक क अ त स िदय गय अशािद क ारा िकय जा सकत ह - तत ल न िसह क 23 अश 25 कला ह अत को_ ठक म 23 अश क आग ह 2330 वाल को_ ठक म िसह क नीच िमथन िलखा गया ह अत षटयाश ल न िमथन होगा 5ह क - थापन भी इसी कार करना चािहएा

ष टयश कB डली

170

षटयश बोधक च2

िवषय

दवता

स य

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि13

धन

मकर

क भ

मीन

अश

सम

दवता

घोर

1 1 2

3 4

5 6 7 8 9 10 11

12 030 इ दरखा

रास 2 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 10 मण

दव 3 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 230 13योिध

कबर 4 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 20 सधा

5 5 6

7

8 9 10 11 12 1 2 3 4

330 अितशीतल

िक नर 6 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 30 र

ट 7 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 430 सौ य

कल न 8 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 40 िनमल

गरल

9 9 10

11

12 1 2 3 4 5 6 7 8

530 द डायध

अि न

10 10 11

12

1 2 3 4 5 6 7 8 9

50 कालाि न

माया 11 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 630 13वीन

13तपरीष

12 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

60 इमख

अपापित

13 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

730 टकराल

दवगणश 14 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 70 शीतल

काल 15 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 830 मद

अिहभाग 16 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 80 सौ य

अमत

17 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

930 काल(प

च 18 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 90 पातक

मश

19 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6

1030 वशय

कोमल 20 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 100 कलना

171

हर ब

21 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

1130 िवष13द ध

0ा

22 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9

110 पणच

िव ण 23 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 1230 अमत

मह1 वर 24 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 120 सधा

दव

25 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

1330 कपटक

आ 26 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 130 यम

किलनाश 27 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 1430 घोर

ि3ती1 वर

28 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3

140 दावाि न

कमलाकर 29 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 1530 काल

मा दी 30 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 150 म5 य

म5 य 31 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 1630 मा दी

काल

32 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7

160 कमलाकर

दावाि न

33 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

1730 ि3ती1 वर

घोर

34 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9

170 किलनाश

यम 35 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 1830 आ

कपटक 36 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 180 दव

सधा

37 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

1930 मह1 वर

अमत 38 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 190 िव ण

पणच 39 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 2030 0ा

िवष13द ध 40 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 200 हर ब

कलनाश

41 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

2130 कोमल

वशय 42 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 210 मश

172

पातक 43 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 2230 अमत

काल(प 44 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 220 च

सौम य

45 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

2330 अिहभाग

मद 46 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 230 काल

शीतल

47 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

2430 दवगणश

टकराल

48 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

240 अपापित

इमख 49 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 2530 माया

13वीन

50 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1

250 13तपरीष

कालाि न 51 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 2630 अि न

द डायध 52 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 260 गरल

िनमल 53 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

2730 कल न

सौ य 54 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 270 ट

र 55 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 2830 िक नर

अितशीतल 56 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 280 य

सधा 57 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 2930 कबर

योिध 58 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 290 दव

)मण 59 11 12

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

3030 रास

इ दरखा 60 12

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

300 घोर

78 पाampरजात आिद वशिषकाशिवचार

पा]रजा तािद gtान करन क िलए पहल दशवग) चT बना लना चािहए इस चT क िTया यह ह िक पहल जो होए डढकोण - तमाश आिद बनाय ह उ ह एक साथ िलखकर रख लना चािहए इस चT म जो 5ह अपन वग) अितिम क वग) या उk च क वग) म हो उसक - वltा)िद वगYसgtा होती ह िजस ज मपी म दो 5ह - वltा)िद वगY ह उनक प]रजात सgtा तीन क उ2 तम चार क गोपर पाच क

173

िसहासन छह क परावत सात क दवलोक आठ क ~लोक नौ क ऐरावत और दश क Bीनाथ सgtा होती ह

2

3

4

5

6

7

8

9

10

वग)

वगyP य

प]रजात

उ2 तम

गोपर

िसहासन

पारावत

दवलोक

दलोक

ऐरावत

Bीनाथ

योग िवशष

योग िवशष

अपन अपन - व5ह उk च मल िकोण अपन वग) म 5ह हो तो वग[2 तम- थ कहलात ह इन वग[2 तम क योग स वशिषकाश होत ह दश वगv म यिद 5ह क तीन वग) उसक अपन हो तो 5ह उ2 तमाश म कहलाता ह चार वग) यिद 5ह क अपन हो तो वह 5ह गोपर नामक वशिषकाश म कहलाता ह पाच वग) यिद 5ह क अपन वग) हो तो वह 5ह िसहासन नामक वशिषकाश- थ म कहत ह दो वग) यिद 5ह क अपन हो तो प]रजात नामक वशिषकाश- थ कहत ह छ वग) यिद उस 5ह क हो तो उस 5ह को पारावत नामक वशिषकाशगत कहत ह सात वग) यिद 5ह अपना वग) हो तो वह दवलोककाश- थ कहलाता ह यिद आठ उस 5ह का हो तो भी ~लोकाश म तथा यिद नववग) उसक हो तो वह ऐरावतर- थ कहलाता ह सात वग) यिद उसी 5ह क हो तो इस योग क दवलोक आठ वग) यिद उसी 5ह क हो तो ~लोक और दश वग) यिद उस 5ह क हो तो Bीधाम योग कहा ह पा]रजाताश म ि-थत 5ह जातक को B_ ठता अनक गण अथ) सख वभवािद दत ह उ2 तमाश- थ 5ह जातक को िवनय चातथ) नपamp य और आचारवान बनात ह गौपराश- थ 5ह जातक को बिXमान धिनक और भ पित बनाता ह तथा 5ह गोधन स स प न करता ह िसहासनाश- थ 5ह जातक को राजा का ि य पा अथवा राजा क समान वभवशाली बनाता ह परावताश- य 5ह जातक को अBव 5ह जातक का अBव गज रथािद राजकय वभवािद स स प न कराता ह दवलोकाश- थ 5ह स2 कित)यP त अपन सदगण किलए िव^ यात राजा बनाता ह ऐरावताशस थ 5ह जातक को दवताओ स पिजत इ क समान राजा बनाता ह यिद 5ह Bीधाम योग बनाता हो तो वह सौभा य धनधा य एव स तित सख स स प न राजा बनाता ह

दशवग) क सभी वगv म यिद 5ह िनब)ल हो तो म2 यकारक नौ वग) म िनब)ल हो तो िवनाश कारक यिद आठवग) म िनब)ल हो तो क_ ट कारक यिद सातवग) म 5ह िनब)ल हो तो क_ ट कारक यिद सातवग) म 5ह िनब)ल हो तो दा]रा और िवपि9कारक छ वग) म िनब)ल हो तो ा]रा पाच वग) म िनब)ल हो तो - वजन का - नहदाता चार वग) म िनब)ल हो तो - वजन ब ध ndash बाधव म B_ ठ बनाता ह तीन वग) म िनब)ल 5ह धिनक BिD बनाता ह यिद मा एक वग) म िनब)ल होतो t यिJ को राजा बनाता ह

174

79 साराश

अब तो आप लोग सभी वगv को पण)तया fप स जान गय हग िफर भी यहा पर इस बात क जानकारी पण)तया fप स होनी चािहए िक फलादश का ाणत2 2 व य सभी वग) ह तथा इनक जानकारी पhात आप 5ह क प]रजात आिद वगv को जानकर मल स t यवहार म लायग तथा 5ह क बलाबल का िवचार करत हbए समाज क कA याण क भावना स उ2 तम फल का िववचन करग

710 नावली लघउ तरीय तथा उ तरमाला

1 जातक 5थ म सभी वगv क स^ या ह - (क) 12 (ख) 18 (ग) 19 (घ) 16

2 िवषम रािश म थम होरा होती ह - (क) मगल (ख) बX (ग) सय) (घ) च

3 एक रािश म डढकाण होत ह - (क) 3 (ख) 4

(ग) 5 (घ) 6 4 सम रािशय का स तमाश होता ह

(क) उसी रािश स (ख) उसस स तम रािश स

(ग) दसरी रािश स (घ) चौथी रािश स

5 मष िसह धन रािशय का नवमाश ार भ होता ह lsquo (क) मषािद स (ख) मकरािद स

(ग) तलािद स (घ) कका)िद स 6 िमथन तला क भ रािशय का नवमाश ार भ होता ह - (क) मषािद स (ख) मकरािद स

(ग) तलािद स (घ) कका)िद

7 एक दशमाश िकतन अश क होत ह

(क) 4 अश का (ख) 5 अश का

175

(ग) 3 अश का (घ) 2 अश का 8 षोडशाश कamp डली म चर रािशय क गणना क जाती ह (क) वषािद स (ख) मषािद स

(ग) िमथनािद स (घ) क यािद स 9 ादशाश कamp डली म एक ादशाश का मान होता ह (क) 2 अश 30 कला (ख) 3अश 40 कला

(ग) 6 अश 20 कला (घ) 3 अश 10 कला

10 िवषम िशाश म 9 स 5 अश क - वामी ह

(क) शिन (ख) गf (ग) मगल (घ) बX

उ तरमाला

1 घ 2 ग 3 क 4 ख 5 क 6 क 7 ग 8 क 9 ख 10 ग

711 श दावली

bull समरािश ndash वषभ कक) क या विhक मकर मीन

bull िवषम रािश ndash मष िमथन िसह तला धन कभ

bull अिन त2 2 व रािश ndash मष िसह धन

bull प वी त2 2 व रािश ndash वष क या मकर

bull वाय त2 2 व रािश ndash िमथन तला कभ

bull जल त2 2 व रािश ndash कक) विhक मीन

bull चर रािशया ndash मष कक) तला मकर

bull ि-थर रािशया ndash वष िसह विhक और क भ

bull ि- वभाव रािशया ndash िमथन क या धन मीन

bull पfष रािशया ndash मष िमथन िसह तला धन क भ

176

bull - ी रािशया ndash वष कक) क या विhक

bull मष रािश का िनवास ndash धात र2 न भिम

bull वष रािश का िनवास ndash पव)त िशखर

bull िमथन रा िश का िनवास ndash धत5ह रित 5ह कक) रािश का िनवास ndash वापी पोखर Tर रािशया ndash मष िमथन िसह तला धन क भ

bull सौ य रािशया ndash वष कक) क या विhक मकर मीन

bull दीघ) रािशया ndash िसह क या तला विhक

bull समरािशया ndash िमथन कक) धन मकर

bull t य रािशया ndash मष वष कभ मीन

bull शभ 5ह ndash च बX गf शT

bull पाप 5ह ndash शिन मगल राहb कत

bull Tर 5ह ndash सय)

bull दीपावली रािशया ndash िसह क या तला विhक कभ मीन

bull राि बली रािशया ndash मष वष िमथन कक) धन मकर

712 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष

लखक ndash नमीच शा- ी

2 जातक प]रणत t या^ याकार ndash Bीह]रशकर पाठक

177

इकाई 8

नवमाश स तमाश िशाश व ादशाश इकाई क सरचना

81 - तावना 82 उGH य 83 िवषय वश 831 नवमाश साधन 832 स तमाशसाधन 833 िशाश साधन 834 ादशाशसाधन 84 साराश 85 अL यासाथ) H न 86 शK दावली 89 सदभ) 5थ सची

81 तावना

इस इकाई म मा चार वग) ही दशा)या ह इसका आशय यह ह िक नवमाश कamp डली स पा]रवा]रक सख का तथा पित ndash पि2न क जीवन म होन वाल शभाशभ फल का िवचार िकया जाता ह तथा स तमाश कamp डली स प-पौािद सतित का िवचार िकया जाता ह िशाश चT सअ]र_ टािद का िवचार िकया जाताह यहवहपlt ह िजसस प]रवा]रक या सामािजक कोई अनहोनी (दख या िवपि9 ) न आ जाय िजस िक बहbत बड़ी परशानी का सामना करना पड़ इ हS िवषय का िवमश) िशाश चT स िकया जाता ह इसी कार ादशाश चT स माता ndash िपता क सख और सौ^ य का िवचार िकया जाताह अत यहा पर मा चार वगv क दशा)न मल त य यह भी ह िक चिक माता िपता - ी पािद प]रवार य सब मानव जीवन क म य अग ह इसिलए यहा पर इन वगv का िवचार करक इन इन प]रवा]रक t यिJय का िवH लषण िकया ह

82 उश य

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग - 1 स तमाश कamp डली क बार म जानकारी ा त करग 2 स तमाश कamp डली बनायग

178

3 िशाश कamp डली जानग 4 ादशाश कamp डली का साधन कर पायग

83 िवषय वश

वग) कampडिलय का अVययन विदक aयोितष का अ2यत मह2 2 वपण) अग ह वग) कampडिलय क मदद स जीवन क िवषय का गहन अVययन िकया जाता ह वग) कampडिलय क कल स^या 16 ह सोलह वग) कampडिलय क नाम इस कार स ह ndash

1 5ह 2 होरा 3 _काण 4 चतथाnश

5 समाश 6 नवाश 7 दशमाश 8 ादशाश

9 षोडशाश 10 िवशाश 11 चतिव)शाश

12 सिवशाश 13 िशाश 14 खवदाश

15 अltवदाश 16 षDयाश

वग कBडिलय क वग -

1 षड वग) - 5ह होरा _काण नवाश ादशाश और िशाश षड वग) म आत ह

स वग) - यिद षडवग) म समाश को जोड़ िदया जाए तो स वग) बन जाता ह

दश वग) - यिद स वग) म दशाश षोडशाश और षDयाश को जोड़ िदया जाए तो दश वग) बनता ह

िविभन वग) कampडिलय क साधन को समझन क िलए हम एक उदाहरण कampडली लत ह

5ह अश

लन 23002rsquo

सय) 08001rsquo

च 07014rsquo

मगल 17006rsquo

179

बध 25052rsquo

बह-पित 23027rsquo

शT 29031rsquo

शिन 26048rsquo

राहb 01023rsquo

कत 01023rsquo

नवाश साधन - जब एक रािश को नौ बराबर भाग म बाटा जाता ह तो मान आता ह 03020rsquo हर भाग

को नवाश कहा जाता ह नवाश कampडली अ2यत मह2 2 वपण) कampडली ह िजसस जम कampडली क 5ह क ताकत का अनमान लगाया जाता ह और साथ ही tयिJ क जीवन साथी और ववािहक जीवन का अVययन िकया जाता ह नवाश कampडली का साधन करन क िलए िनन सारणी स यह समझ लत ह िक िकस अश पर कौन सा नवाश आएगा

अश नवाश

1 00rsquo - 3020rsquo 1

2 08020rsquo-06040rsquo 2

3 6040rsquo-10000rsquo 3

4 10000rsquo-13020rsquo 4

5 13020rsquo-16040rsquo 5

6 16040rsquo-20000rsquo 6

7 20000rsquo-23020rsquo 7

8 23020rsquo-26040rsquo 8

9 26040rsquo-30000rsquo 9

नवाश कBडली साधन का िनयम-

1 अिन त2 2 व रािश म गणना मष स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन मष िसह या धन रािश म ह तो गणना मष स आरभ होगी

2 पवी त2 2 व रािश म गणना मकर स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन वषभ कया या मकर म ह तो गणना मकर स आरभ होगी

180

3 वाय त2 2 व रािश म गणना तला स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन िमथन तला या कभ म ह तो गणना तला स आरभ होगी

4 जल त2 2 व रािश म गणना कक) स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन कक) विhक या मीन म होगी तो गणना कक) स आरभ होगी

लन तला ह और लन 23002rsquo अश पर ह 23002rsquo पर होन स सातवा नवाश चल रहा ह हमार िनयमानसार तला क िलए गणना तला स ही आरभ होगी तला स सात नवाश िगनन पर आया मष अत नवाश लन होगी मष

सय) कया रािश म 8001rsquo पर ह अत वह तीसर नवाश पर ह कया पवी त2 2 व रािश ह इसिलए िगनती मकर स आरभ होगी मकर स तीन नवाश आग अथा)त मीन नवाश कampडली म सय) मीन रािश म हग

चमा तला रािश म 7014rsquo पर ह चमा का नवाश हbआ तीसरा वाय त2 2 व रािश म होन क कारण गणना तला स आरभ होगी तला स तीन नवाश आग हbई धन रािश इस िलए नवाश कampडली म चमा धन रािश म रहग

मगल कया रािश म 17006rsquo पर ह इस कार मगल छठ नवाश पर ह कया रािश पवी त2 2 व रािश ह अत गणना मकर स आरभ होगी मकर स 6 नवाश आग अथा)त मगल िमथन म हग

बध 25052rsquo अश पर कया रािश म ह बध आठव नवाश म ह और पवी त2 2 व रािश म ह मकर स गणना आरभ करन पर नवाश कampडली म बध िसह रािश म हग

बह-पित तला रािश म 23027rsquo पर ह बह-पित आठव नवाश पर ह तला रािश होन स गणना तला स ही आरभ होगी तला स आठ नवाश आग रािश होगी वषभ इसिलए बह-पित नवाश कampडली म वषभ रािश म हग

शT िसह रािश म 29031rsquo पर ह शT नव नवाश म ह अिन त2 2 व रािश म होन स गणना मष स आरभ होगी इसिलए नवाश कampडली म शT धन रािश म हग

शिन 26048rsquo पर कक) रािश म ह शिन 9व नवाश म ह और जल त2 2 व रािश होन स गणना कक) स आरभ होगी इसिलए नवाश कampडली म शिन मीन रािश म हग

राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह य पहल नवाश म ह और जल त2 2 व रािश होन स गणना कक) स आरभ होगी अत राहb नवाश कampडली म कक) रािश म हग

कत 01023rsquo पर कया रािश म ह य पहल नवाश म ह और पवी त2 2 व रािश म होन स गणना मकर स आरभ होगी इसिलए कत नवाश कampडली म मकर रािश म हग

181

सLमाश

जब एक रािश को सात बराबर भाग म बाटा जाता ह तब वह समाश कहलाता ह सात बराबर भाग म बाटन पर एक भाग का मान आएगा 4017rsquo िनन सारणी स हम समाश क गणना को समझ सकत ह -

अश स तमाश

1 00rsquo - 4017rsquo 1

2 04017rsquo-08032rsquo 2

3 08032rsquo-12051rsquo 3

4 12051rsquo-17008rsquo 4

5 17008rsquo-21025rsquo 5

6 21025rsquo-25042rsquo 6

7 25042rsquo-30000rsquo 7

समाश साधन का िनयम यह ह िक िवषम रािश होन पर गणना उसी रािश स करत ह और यिद सम रािश ह तो गणना उस रािश स सम रािश स करग

हमार उदाहरण कampडली म लन 23002rsquo क ह अत यह छठा समाश ह

bull तला लन ह अत िवषम रािश होन स गणना तला स ही होगी तला स गणना होन पर मीन रािश आएगी अत समाश लन होगी मीन

bull सय) 08001rsquo पर ह अत समाश हbआ दसरा सय) क रािश ह कया कया सम रािश ह अत उस रािश स होगी जो कया रािश ह सम ह अथा)त मीन मीन स दसरी रािश होगी मष अत समाश कampडली म सय) मष रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह समाश हbआ दसरा और रािश ह िवषम तला स दो रािश आग ह विhक इसिलए समाश कampडली म चमा विhक रािश म हग

182

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह समाश ह चौथा और रािश ह सम अत गणना कया स सातवS रािश मीन स आरभ होगी मीन स चार रािश आग ह िमथन अत समाश कampडली म मगल िमथन म रहग

bull बध कया रािश म 25052rsquo पर ह इस कार वह छठ समाश म ह गणना मीन रािश स होगी मीन स छठी रािश होगी कया अत समाश कampडली म बध कया रािश म हग

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह यह छठा नवाश ह िवषम रािश होन स गणना तला स आरभ होगी तला स छठी रािश ह मीन अत समाश कampडली म बह-पित मीन रािश म हग

bull शT 29031rsquo पर िसह रािश म ह शT सातव समाश पर ह िवषम रािश होन स गणना िसह स ही आरभ होगी िसह स सातवS रािश ह कभ अत समाश कampडली म शT कभ रािश म रहग

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह समाश ह पहला और सम रािश म होन क कारण गणना मीन स सातवS रािश कया स होगी पहला ही समाश होन स राहb समाश कampडली म कया रािश म हग

bull कत कया रािश म ह गणना कया स सम मीन स होगी पहला समाश होन स कत समाश कampडली म मीन रािश म हग

ि)शाश साधन

जब एक रािश को तीस बराबर िह-स म बाटा जाता ह तो हर एक िह-स को िशाश कहत ह िवषम रािशय यािन मष िमथन िसह तला धन और कभ म पहल 5rsquo तक मगल का दसर 5rsquo तक शिन का तीसर 8rsquo तक बह-पित का चौथ 7rsquo तक बध का और पाचव 5rsquo तक शT का िशाश होता ह इस िनन सारणी स समझन का यास करत ह

183

िवषम रािश क ि)शाश कBडली

मष िमथन िसह तला धन कभ अश

1 1 1 1 1 1 1-5

11 11 11 11 11 11 6-10

9 9 9 9 9 9 11-18

3 3 3 3 3 3 19-25

7 7 7 7 7 7 26-30

सम रािश यािन वषभ कक) कया विhक मकर और मीन म पहल 5 अश तक शT का दसर 7rsquo तक बध का तीसर 8rsquo तक बह-पित का चौथ 5rsquo तक शिन का और पाचव 5rsquo तक मगल का िशाश होता ह इस िनन सारणी स समझा जा सकता ह

सम रािश क ि)शाश कBडली

वषभ कक) कया विhक मकर मीन अश

2 2 2 2 2 2 1-5

6 6 6 6 6 6 6-12

12 12 12 12 12 12 13-20

10 10 10 10 10 10 21-25

8 8 8 8 8 8 26-30

हमार उदाहरण म लन तला ह और 23002rsquo पर ह िवषम रािश क सारणी स -प( ह िक 19-25 क बीच अश होन पर िशाश होगा िमथन अत िशाश कampडली िमथन होगी

bull सय) कया रािश म 08001rsquo पर ह सम रािश क सारणी स -प( ह िक 6-12 अश होन पर कया िशाश होगा अत िशाश कampडली म सय) कया रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह सारणी क अनसार 6-10 अश क मVय कभ का िशाश हगा अत िशाश कampडली म चमा कभ रािश म हग

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह सारणी क अनसार सम रािश म 13-20 अश पर मीन िशाश ह अत मगल िशाश कampडली म मीन रािश म हग

bull बध 25052rsquo पर कया रािश म ह सम रािश क सारणी क अनसार 26-30 अश विhक िशाश म हग अत िशाश कampडली म बध विhक रािश म हग

184

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह िवषम रािश म 19-25 अश पर िमथन रािश होती ह अत िशाश कampडली म बह-पित िमथन रािश म हग

bull शT 29031rsquo पर ह िसह रािश म ह िवषम रािश क सारणी क अनसार 26-30 अश पर तला रािश का िशाश होगा अत शT तला म रहग

bull शिन 26048rsquo पर मीन रािश म ह सम रािश क सारणी म 26-30 अश पर विhक िशाश होता ह अत शिन िशाश कampडली म विhक रािश म हग

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह सम रािश म 1-5 अश तक वषभ िशाश रहगा अत िशाश कampडली म राहb वषभ रािश म रहग

bull कत 01023rsquo पर कया रािश म ह सम रािश होन स वषभ िशाश रहगा अत कत वषभ रािश म रहग

9ादशाश कB डली

जब एक रािश को बारह भाग म िवभािजत िकया जाता ह तो 2यक भाग का मान 02030rsquo होता ह िजस ादशाश कहत ह ादशाश साधन म गणना उसी रािश स आरभ क जाती ह िनन सारणी स ादशाश का िवभाजन समझा जा सकता ह

अश नवाश

00rsquo00 - 02030rsquo 1

02030rsquo - 05000rsquo 2

05000rsquo - 07030rsquo 3

07030rsquo - 10000rsquo 4

10000rsquo - 12030rsquo 5

185

12030rsquo - 15000rsquo 6

15000rsquo - 17030rsquo 7

17030rsquo - 20000rsquo 8

20000rsquo - 22030rsquo 9

22030rsquo - 25000rsquo 10

हमारी उदाहरण कampडली म तला लन 20002rsquo पर ह अत यह दसवा ादशाश ह तला स गणना करन पर रािश आती ह कम) अत ादशाश लन होगी कक)

bull सय) 08001rsquo पर कया रािश म ह चौथ ादशाश म होन स सय) ादशाश कampडली म धन रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह तीसर ादशाश म होन स चमा ादशाश कampडली म धन रािश म हग

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह सातव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म मगल मीन रािश म हग

bull बध 25052rsquo पर कया रािश म ह यारहव ादशाश म होन स बध ादशाश कampडली म कक) रािश म हग

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह दसव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म बह-पित कक) रािश म हग

bull शT 29048rsquo पर कक) रािश म ह बारहव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म शT कक) रिश म हग

bull शिन 26048rsquo पर कक) रािश म ह यारहव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म शिन वषभ रािश म हग

186

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह पहल ादशाश म होन स राहb मीन म ही रहग

bull कत 01023rsquo पर कया रािश म ह पहल ादशाश म होन स कत कया रािश म ही रहग

84 साराश

अब तो आप लोग नवमाश स तमाश िशाश एव ादशाश कamp डली क बार म जान गय होग िफर भी इन कamp डिलय क अV ययन क पhात आपको पा]रवा]रक तथा समाजकत फल को पण) fपण t यवहार म लायग तथा इसका िनदान भी कर पायग इसिलए इन चार वगv का अV ययन मह2 2 वपण) ह साथ ही प वी त2 2 व वायत2 2 व एव जल त2 2 व वाली रािशय स होन वाल शभाशभ फल क जानकारी आपको िमलगी एव इसका पण) gtान करग

85 अ यासाथ न

1 षड़वग) म स तमाश कायागकरन स होता ह

(क) दशवग) (ख) स तम वग) (ग) ादशवग) (घ) षोडश वग)

2 स तम वग) म दशमाश षोडशाश षटयश का योग करन पर होगा

(क) दशवग) (ख) स तम वग) (ग) ादशवग) (घ) षोडश वग)

3 6 अश 40 कला िकस नवमाश क भाग ह

(क) थम नवमाश क (ख) ितीय नवमाश क

(ग) ततीय नवमाश क (घ) चतथ) नवमाश क

4 तीसरा स तमाश होता ह

(क) 4 अश 18 कला 8 िवकला का

(ख) 8 अश 34 कला 17 िवकला का

(ग) 12 अश 51 कला 24 िवकला का

(घ) 18 अश 8 कला 34 िवकला का

4 समरािश म 1 स 5 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) बह- पित

(ग) शिन (घ) शT

187

5 िवषम रािश म 6 स 10 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) मगल

(ग) शिन (घ) गf

6 सम रािश म 1 स 5 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) मगल

(ग) शिन (घ) गf

7 सम रािश म 16 स 30 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) मगल (ख) शT

(ग) बX (घ) गf

8 सम रािश म 6 स 12 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) मगल (ख) शT

(ग) बX (घ) गf

9 कल िकतन वग) होत ह

(क) 6 वग) (ख) 7 वग)

(ग) 10 वग) (घ) 16 वग)

86 श दावली

bull समरािश ndash वषभ कक) क या विhक मकर मीन

bull िवषमरािश lsquo मष िमथन िसह तला धन क भ

bull अिन त2 2 व रािश ndash मष िसह धन

bull प वी त2 2 व रािश ndash वष क या मकर

bull वाय त2 2 व रािश ndash िमथन तला क भ

bull जल त2 2 व रािश ndash कक) विhक मीन

188

89 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष लखक नमी च शा- ी 2 जातक पा]रजात t या^ याकार ndash Bी ह]रशकर पाठक

189

इकाई - 9

िववाह योग म) जमपिका िमलान का मह+व इकाई सरचना

91 -तावना 92 उGHय 93 िवषय वश

931 िववाह-योग 932 िववाह ितब धक योग 933 म िववाह योग

94 िववाह हत जमपी िमलान का मह|व 95 मलापक रह-य 96 गणिमलान का आधार 97 िववाह म मङगलयोग का िवचार तथा उसक प]रहार

971 मगल दोष क प]रहार 98 िववाह का िनण)य करत समय बह-पित का िवचार कर या नहS 99 कया क िववाह म िवलबदोष का प]रहार 910 मलापक सा]रणी क योग हत आवHयक िनदyश 911 साराश 912 शK दावली 913 अित लघ9रा2मक B 914 लघ9रा2मक B 915 सदभ) 5थ 916 फिलत म परमोपयोगी 5हw(यािद चT 917 मलापक सा]रणी - ादश पDीय

91 तावना

a योितष शा- स सबिधत यह नौवS इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक a योितष शा- म िववाह योग म ज मपिका का िमलान का मह2 2 व P या हइसक िवषय म िवशष fप स वण)न िकया गया ह

190

िववाह गह-थ आBम का वश ार ह िववाह शKद िव + वाह स बना ह िव = िवशष fप स वहन करन योय सावधानी पव)क िनभान योय सबध ही िववाह ह अय शKद म िववाह सखी प]रवार क आधारिशला ह सखी व सपन प]रवार स समाज म सख-शाित व समिX का िव-तार होता ह िकसी िववाह का टटना मा दो tयिJय का अलग होना नही ह अपित प]रवार व समाज का िबखराव होना ह जब कभी िववाह का B हो तो दवgt का कत)tय ह िक वह िववाह का मह|व समझत हbए िविधपव)क जमकampड़ली म िववाह योग का िनण)य लव तथा उनका भलीभॉित मलापक कर िववाह क सदभ) म मलापक िवषय क गढ़ गभीर रह-यमय स का समिचत बोध करक tयिJ को सखी एव सौहाद)पण) ववािहक जीवन दान कर यही बिXजीव दवgt का परम कतtय ह

92 उय

इस इकाई ारा हम िववाह एव उसक योग का अVययन करग तथा यह भी gtान करन म सltम हग िक -

1 िववाह Pया ह एव समाज म इसका Pया मह|व ह

2 िववाह क िलए कौनस भाव एव 5ह ारा िनण)य कर

3 िववाह म जमकampड़ली िमलान का मह|व

4 िववाह म मङगल दोष का िवचार एव बह-पित का िनण)य

93 िवषय वश

िजस कार सम-त ाणी अपन जीवन क िलए वाय पर आिBत ह उसी कार सपण) आBम गह-थाBम पर आधा]रत ह िववाह इसी गह-थाBम का वश ार ह िववाह स प]रवार प]रवार स समाज समाज स समच िवE क सरचना होता ह िववाह को कामोग क पण)ता व सति( हत भी आवHयक बताया ह िववाह ारा काम सति( मनोवgtािनक ि-थरता आिथ)क सरltा समािजक िवकास सा-कितक मAय क सरltण हत समिचत अवसर उपलKध होत ह

aयोितष शा क अनसार िववाह पर िनण)य लन हत समभाव मख ह सम भाव समश व कारक 5ह का बली होना अित आवHयक ह िकत अय भाव का भी दाप2य जीवन पर भावन जानना आवHयक ह अत लनािद ादश भाव पर भाव का िवचार सव) थम करग -

१ लन भाव - जातक का -वा-य fप गण -वभाव थमभाव स ही gtात िकया जाता ह BD -वा-य व -वभाव ववािहक जीवन को सरस व सखी बनाता ह अतः दपि9 क कampडली म फिलत करत समय लन का िवशष Vयान रखना चािहए

२ ितीय -थान - यह कटब व धन का ह तथा प2नी क िलए अ(म -थान (समभाव स गणना करन पर) भी ह इसका शभ व बली होना ववािहक सख क आय_य म विX करता ह

191

३ ततीय -थान - इस भाव स पराTम तथा भाई-बहन स -नह व सहयोग का िवचार िकया जाता ह यह भाव प2नी का धम) व भाय -थान भी ह यिद प2नी अपन पित क भाई-बहन स -नहपण) सबध रखगी तो अवHय ही घर म सतोष और भायोदय होगा

४ चतथ) -थान - यह सव)सख का भाव माना गया ह अतः इस भाव म शभ5ह क wि( या यित प]रवार म सख-शाित बनाय रखती ह

५ पचम -थान - बिX सतान िम व म-सबध का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह पाप5ह का भाव इस भाव म सतान सबधी क( दता ह इसक िवपरीत पचमश व समश का रािश प]रवत)न या यित म-िववाह को सफल बनाता ह

६ षD -थान - यह भाव सघष) व -पधा) का भाव ह अतः शभ5ह क wि( व यित -पधा) म िवजयी बनाकर सख व यश दती ह

७ सम -थान - प2नी ससराल-पlt कामसख दाप2य जीवन का भाव ह सम स गणना करन पर थमलन होन क कारण प2नी का आचरण रग-fप व गण का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

८ अ(म -थान - कलक म2य गधन व गिवFा का िवचार िकया जाता ह अ(मभाव का बली होना प2नी को धन-सचय म कशल बनाता ह ी जातक क िलए यह मागAय भाव भी ह

९ नवम -थान - सह समभाव स ततीय होन पर प2नी का साहस पराTम काय)कशलता तथा छोट भाई-बहन क िवषय म दशा)ता ह

१० दशम -थान - यह भाव tयापार tयवसाय व आजीिवका का माना जाता ह समभाव स चतथ) होन पर यह प2नी क मन का प]रचायक ह शभ 5ह क wि( प2नी को सरल व सतोषी बनाती ह

११ एकादशी -थान - यह आय लाभ उनित व यश का भाव ह सम स पचम होन क कारण प2नी क चातय) व िशltा का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

१२ ादश -थान - हािन tयय सख वभव तथा भोग का भाव ह सम स षD होन पर प2नी क रोग श व िचता को दशा)ता ह यह भाव यिद पाप5-त हो तो प2नी रोिगणी होती ह

931 िववाह-योग

aयाितिषय का मत ह िक सम समश एव शT िववाहकारक ह िकत िय क कampड़ली म गl को भी िवशष मह|व िदया गया ह ी क कampड़ली म यह पितसख का कारक माना गया ह अय िवान ल5 कampड़ली क अित]रJ च शT व नवमाश कampड़ली म भी समभाव समश व कारक शT का बली होना उ9म माना गया ह अय aयोितिषय न नवमाश कampड़ली को िववाह-सख जानन हत अिधक मह|व िदया ह Pयिक नवमाश कampड़ली ही समभाव क कारकत2व को जानन क िलए पया) ह -

192

१ लनकampडली चकampडली शTकampडली व नवमाश कampडली म सभाव समश व कारक का बली होना दाप2यसख क िलए उ9म माना गया ह

२ समभाव यिद अपन -वामी स w( या यत हो तथा िकसी पाप5ह स यत या w( न हो तो िववाह शी व मनोनकल होता ह

३ यिद पाप5ह (सय) मगल शिन राहb कत व पापयत बध) समभाव म -वगही हो या समभाव को दख तो भी इस शभयोग माना जाता ह

४ समश शभ5ह हो या बली होकर शभ -थान (क िकोण) म ि-थत हो तो िववाह शी व मनोनकल होता ह

५ मतातर स ितीय व ादश भाव भी दाप2यसख क कारक ह अतः इनक -वामी का क या िकोण म ि-थत होना भी BD िववाहयोग बनाता ह

६ गl शT बली (शभ5ह स यत व w( अथवा अशभ5ह स अयत व अw() हो िववाह शी एव मनोनकल होता ह

७ लन चमा या शT स ितीय सम व ादश पर गl क wि( या यित भी ववािहक सख को बlsaquoढाती ह तथा पचमश (सतान व म सबधी कारक) व समश सबल होना िववाह का सख दता ह

८ समश शT व गl क बली होकर क िकोण म ि-थत होन स िववाह योग बनता ह

९ शT का पचमश या नवमश स w( होना भी BD िववाहयोग होता ह

ब िववाह ितबधक योग -

१ समभाव पाप5ह स यत या w( हो अथवा बलहीन व पाप5ह क वग) म हो

२ अ(म-थ शT यिद बध या शिन स यत या w( हो अथवा चराशीश समश या नवाश लनश अ-त हो

३ चमा स सम रािश म शिन व मगल क यित हो अथवा शT यिद नीच रािश या नीच नवमाश म या अ-त हो अथवा शT यिद शिन क वग) म हो

ब म िववाह-योग -

१ लनश व समश क यित पचम अथवा समभाव म हो

२ पचमश व समश का पर-पर रािश प]रवत)न

३ लाभ-थान म लनश व समश पर भायश क wि( व यित हो

४ tययभाव म लनश व समश पर भायश क wि( व यित हो

193

५ समश स w( या यत शT ादशभाव म हो अथवा लनश पचम-थ होकर समश स w( हो अथवा समश tयय-थ होकर लनश स wि(सबध या यितसबध कर तो िवदश म म-िववाह होता ह

94 िववाह हत ज0मप9ी िमलान का महव

िववाह स पव) जीवनसाथी क िवषय म अनक B tयिJ म मन को आदोिलत करत ह इस सदभ) म aयोितष क भिमका अ2यत मह|वपण) ह सखी और समX दाप2य जीवन क िलए िविधवत जमकampड़ली िमलान अवHय करना चािहए इसक ारा वर-कया क शारी]रक मानिसक दब)लताओ एव िवशषतओ का आकलन सरलता स हो जाता ह कampड़ली िमलान हत िनिलिखत आवHयक तय -

1 मलापक गण-िमलान स पव) वर-कया का आय का िनण)य कर लना चािहए

2 दोन कampड़िलय म ल5 सम तथा अ(म भाव को िवचार सयक fप स कर

3 यिद वर-कया का आय_य -वAप अथवा अAपाय योग ह या मारक दशा आन वाली ह तो ऐस म िववाह पर िवचार करना अनिचत ह

4 यिद िकसी एक क कampड़ली म समभाव हीनबली ह तो दसर क कampड़ली म इस हीनता को दर करन वाल बलशाली योग का होना परम आवHयक ह तभी िववाह पर िवचार कर

95 मलापक रहय

मलापक क सदभ) म जातकदशमाग) क अनसार वर और कया क िववाहोपरात सख-समिX विX तथा अनकलता हत सङग कट िकया गया ह प]रणय स पव) वर-कया क जमाङग िमलान क परपरा परातन काल (सभव ह िक -वयवर क समय म भी आमित राजाओ क कampड़ली का िमलान करन क पhात ही आमण िदया जाता होगा) स ही रही ह सामायत कampड़ली िमलान नlt मलापक ारा करत ह िजस हम अ(कट गण-िमलान क नाम स भी जानत ह अ(कट गण-िमलान क अनसार िजन अिधक गण अनकल हग िववाह क सफल होन क सभावन भी उतनी ही बल हो जायगी

अय दवgt न ल5-मलापक 5ह-मलापक एव भाव-मलापक भी कampड़ली िमलान हत िवचारशील बताया ह

1 ल5-मलापक - वर-कया क ल5 क पार-प]रक सबध पर िवचार करना अित आवHयक ह ाय समान त|व क ल5 अथवा एक-दसर स समसक ल5 सखद प]रणय का सचक होती ह िजस कार हम वर-कया क जम रािशय म पर-पर िभनता दखत ह उसी कार ल5 स tयिJ2व ितभा गण ltमता आिद को िमलान अिनवाय) ह यिद वर-कया दोन क ल5 क त2व म सबध अनकल ह तो ववािहक जीवन सखमय होगा ल5 रािशय क त2व म अनकलता िन कार स होगी -

194

अ - अि5त2 2 व रािश - अि5 तथा वायत|व क ल5 अनकल ह

ब - पवी त2 2 व रािश - पवी त2 2 व तथा जल त2 2 व क ल5 अनकल ह

स - वाय त2 2 व रािश - वाय त2 2 व तथा अि5 त2 2 व क ल5 अनकल ह

द - जल त2 2 व रािश - जल त2 2 व तथा पवी त2 2 व ल5 क ल5 अनकल ह

2 5ह मलापक - वर-कया क सखद ववािहक जीवन हत 5ह मलापक आवHयक ह 5ह-िमलान म िट दाव2य जीवन को दाlण बना सकती ह इस कार क अनक 5हयोग ह िजनक प]रणाम-वfप जीवन Pलिशत होता ह उदाहरणाथ) यिद कampड़ली म शT च अथवा मङगल क मVय-थ होकर पापकत)]र योग म हो तो दाप2य पण)तया असतोष द हो जायगा यिद िकसी जातक क कampड़ली म ऐसा दय[ग हो तो उस उसी को जीवनसाथी बनाना चािहए िजसक 5ह इन दोष का शमन करन का सामय (कampड़ली म 5ह बलवान हो) रखत हो ाय कछ aयोितिषय का मत ह िक वर-कया िकसी एक क कampड़ली म यिद शT अथवा मङगल िकसी भी रािश म ि-थत हो तो उसस सम-थ रािश म दसर क कampड़ली म ि-थत 5ह ाय िववाह िमलान म शभ होता ह

3 भाव मलापक - ववािहक जीवन क सख और दीघा)य_य क िलए भाव मलापक आवHयक ह ाय aयोितष म सवा)िधक मह|व नlt मलापक को ही िमलता ह Pयिक अ(कट का िनधा)रण उसी स होता ह ाय aयोितिव)द ल5 मलापक भाव मलापक और 5ह मलापक का योग अ2यAप करत ह वर-कया क जम कampड़िलय म िकस कार भाव मलापक का अVययन करना चािहए उसक कछ आधारभत िनयम िनिलिखत ह -

1 वर क जमाङग म शTल5शसमश क उkच रािश िजस रािश म ि-थत हो वही रािश या ल5 कया क कampड़ली म हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

2 कया क ल5 या रािश वर क जमाङग म समश रािश हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

3 वर क समश क नीच रािश भी यिद प2नी क रािश अथवा ल5 हो तो भी िववाह सखद होता ह

4 यिद वर कया क सम भाव िजन 5ह स w( हो या व िजन रािशय म ि-थत हो तथा कया या वर क उनम स रािश हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

5 यिद वर और कया क ल5 तथा रािश एक ही हो तो िववाह अ2यत सखमय समिXशाली तथा हष[Aलासपण) होता ह यिद दोन ल5 समान हो परत रािशया िभन हो या दोन क रािशया समान हो तथा ल5 िभन हो तो भी िववाह शभ होता ह

195

6 यिद जमाङग क िमलान म अिधक अ(कट का साय हो ल5 एक-दसर स समसक हो रािशया एक हो लिकन नlt िभन हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

7 वर क नवमाश ल5 यिद कया क जमल5 हो और यिद कया क नवमाश ल5 वर क जमल5 हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

4 नlt मलापक - यह aयोितष क अनोखी एव चिलत िवFा ह िजसम आठ त2व पर िवचार करक दो tयिJय क पर-पर सहयोग व सामज-य पर िवचार िकया जाता ह कampड़ली-िमलान हत यह िविध सवा)िधक यJ होती ह इसम 36 गण का उAलख ह यिद दोन कampड़िलय यनतक अ_ारह गण भी िमल तो ववािहक अनमित ा हो जाती ह यह आठ त2 2 व तथा उनक गणाक का िववरण गणिमलान का आधार म िव-तत fप म दी गयी ह

96 गणिमलान का आधार

वणI वRय तथा तारा योिन6 हम)कम

गणम) भकट च नाड़ी चत गणािधका

अ(कट िवचार - 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन 5 राशीशमी 6 गण 7 भकट 8 नाड़ी इन कट क पण)गण िनिलिखत ह -

1 वण) का एक (1) गण 2 वHय क दो (2) गण 3 तारा क तीन (3) गण 4 योिन क चार (4) गण 5 राशीशमी क पाच (5) गण 6 गण क छ (6) गण 7 भकट क सात (7) गण 8 नाड़ी क आठ (8) गण इन आठ कट क गण का कल योग 36 ह वर एव कया क िववाह क िलए यनतम 18 गण तो िमलन ही चािहए कहS 16 भी (गणा षोड़शािभिन)Fा परत-त9मो9मा) यनतम मान गय ह

1 वण)कट - वण)कट का रािशय स सबध ह मीन विhक और कक) रािशया ~ाण मष िसह और धन रािशया ltिय वष कया और मकर रािशया वHय तथा िमथन कभ और तला रािशया शवणा) ह कया क रािश का वण) वर क रािश क वण) स हीन हो तो वण)कट का गण एक (1) अयथा शय (0) होगा जहा वण)कट का गण शय हो वहा वण)दोष माना जाता ह अथा)त वहा वण) क अशि कहनी चािहए

196

वणदोष का प+रहार - वर एव कया क राशीश पर-पर अितिम िम या सम हो वर-कया क एक

ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो कया क राशीश का वण) वर क राशीश क वण) स हीन हो तो वण)दोष का प]रहार हो जाता ह

हीनवण[ यदा रािश राशीशवण) उ9म तदा राशीEरो 5ा तािश नव िचतयत

2 वHयकट - मष वष क चत_पद िमथन कया तला धन कभ क िपद कक) मकर मीन क जलचर िसह क वनचर और विhक रािश क कटसgtा ह इन रािशय का अपनी जाित क कित क अनसार पर-पर िम श भCय-वHय वHय-भCय वHय-वर और वर-भCय सबध ह

वHयदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो योिनमी हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

वभावम)ी सिखता वपयोविशवमयोयभयोिनशिU

पर पर पवगम गवय हत ि)वगV यगपWित6त

197

3 ताराकट -

ताराकट का सबध नlt स होता ह यह शभ एव अशभ दो कार का होता ह कया क जमनlt स वर क जमनlt तक और वर क जमनlt स कया क जमनlt तक िगनती कर उसम नौ (9) का भाग दन स यिद 3 5 7 शष बच तो तारामलापक अशभ होत ह अयथा शभ होत ह वर एव कया क तारा उ9म होन पर तीन (3) गण एक क उ9मऔर दसर क अधम होन पर डढ़ (1) गण िमलता ह दोन कार स अशभतारा कभी भी ा नहS होती ह

ताराकट दोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो

4 योिनकट

198

(नlt क योिनया) अिEनी शतिभषा नlt क अE -वाती ह-त नlt क मिहष (भस) धिनDा पवा)भापद क िसह भरणी रवती क हाथी (गज) प_य कि9का क मष (बकरा) Bवण पवा)षाढ़ा क वानर उ9राषाढ़ा अिभिजत क नकल (नवला) मगिशरा रोिहणी क सप) aयDा अनराधा क ह]रण मल आरा क Eान पनव)स आ`षा क िवडाल (िबलोटा) मघा पवा)फाAगनी क मषक िवशाखा िचा क tया और उ9राफाAगनी उ9राभापद क गौ (गाय) योिन होती ह `ोक म एक एक पाद म एक एक योिन कही गयी ह इस कार `ोक म 7x2 = 14 योिनय म 2यक पाद क दो योिनय म पर-पर महावर ह जो िववाह म 2याaय ह जस थम पाद क पवा)ध) म अिEनी व शतिभषा क अEयोिन का थमपाद क उ9राध) म -वाती व ह-त क मिहष योिन स बड़ा वर -वाभािवक होता ह 2यlt म भी यहS दखा जाता ह इन योिनय का पर-पर सबध पाच कार का ह - 1 -वभाव (अपनी ही योिन) 2 िम 3 उदासीन 4 श 5 महाश वर और कया क नlt क योिन एक ही हो तो िववाह शभ होता ह दोन क नlt पर-पर उदासीन योिन क हो तो िववाह सामाय होता ह यिद पर-पर शयोिन हो तो िववाह अशभ होता ह यिद महाशयोिन हो तो घोरिनदनीय माना गया ह दोन क नlt -वभाव (एक ही योिन) योिन क हो तो योिनकट क गण चार (4) िमलत ह यिद दोन क नlt िमयोिन क हो तो योिनकट क तीन (3) गण िमलत ह यिद दोन क नlt उदासीन योिन क हो तो योिनकट क दो (2) गण िमलत ह यिद दोन क नlt शयोिन क हो तो योिनकट का गण एक (1) िमलता ह यिद पर-पर महाशयोिन क नlt हो तो योिनकट क शय (0) गण िमलत ह

योिनकटदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो भकटशि हो वHयशि होन पर योिनकटदोष का प]रहार हो जाता ह

5 राशीशम)ीकट -

यह रािशय स स सबिधत ह यिद दोन क रािशय का -वामी एक ही हो या दोन क रािशय क -वामी पर-पर िम ह तो िववाहसबध अ2य9म पर-पर िम-सम हो तो उ9म पर-पर सम हो तो

199

सामाय पर-पर िम-श हो तो िनक( पर-पर सम-श हो िनक(तर एव पर-पर श हो तो िनक(तम माना जाता ह दोन का राशीश एक ही हो तो पाच (5) गण िमलत ह दान क राशीश िम हो तो पाच (5) गण दोन क राशीश पर-पर िम-सम हो तो चार (4) गण दान क राशीश पर-पर सम हो तो तीन (3) गण िमलत ह दान क राशीश पर-पर िम-श ह तो एक (1) गण िमलता ह दोन क राशीश पर-पर सम-श ह तो आधा () गण िमलता ह दोन क राशीश पर-पर श ह तो शय (0) गण िमलत ह

राशीमीकट का प]रहार - वर-कया क नवाशश मी अथवा एकता हो दोन क रािशया िभन और नlt एक हो सकट (गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत) हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

रािशनाथ िवlऽिप िम2व वाशनाथयो िववाह कारयद धीमान दप2यो सौ^यवध)नम

एकराशौ पथक िध_ampय पथ5ाशौ तथकभ गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत

6 गणकट -

गणकट का सबध नlt स ह अिEनी मगिशरा पनव)स प_य ह-त -वाती अनराधा Bवण रवती नlt दवगण म आत ह भरणी रोिहणी आरा तीन उ9रा तीन पवा) मन_यगण म आत ह कि9का आ`षा मघा िचा िवशाखा aयDा मल धिनDा शतिभषा राltसगण म आत ह एक ही गण क नlt वाल वर-कया का िववाह शभ माना जाता ह दव व मन_यगण क नlt वाल वर-कया का िववाह भी कछ शाकार न शभ माना ह दव व राltसगण तथा मन_य व राltस गण वाल क िववाह अशभ होत ह वर-कया क नlt क गण पर-पर Tमश दव-दव मन_य-मन_य मन_य-दव राltस-राltस हो तो छ (6) गण िमलत ह वर-कया नlt क गण दव-मन_य हो तो पाच (5) गण िमलत ह यिद वर-कया क नlt क गण दव-राltस हो तो एक (1) गण िमलता ह यिद वर-कया क नlt क गण पर-पर Tमश मन_य-राltस राltस-दव राltस-मन_य हो तो शय (0) गण िमलत ह

गणदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो सकट हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

200

सYकट योिनशिU हसZय गण)यम

एवकतमसYाव नारी रampोगणा शभा

हम)ी च रािश6 िवWत िनयत यिद

न गणाभावजिनत दषण याि9रोधदम

7 भकट

इस रािशकट भी कहत ह यह तीन कार का होता ह- 1 िदा)दश 2 नवम-पचम 3 षड(क वर क रािश कया क रािश स अथवा कया क रािश वर क रािश स ितीय ादश हो तो िदा)दश रािशकट दोष होता ह नवम व पचम हो तो नवम-पचम रािशकट दोष होता ह षD या अ(म होन पर षड(क रािशकट दोष होता ह इन तीन ि-थितय म रािशकट का गण शय (0) होता ह रािशकट दोष न होन पर रािशकट क गण सात (7) होत ह रािशकट दोष क अभाव को सकट कहा जाता ह

भकट दोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क नवाशश मी अथवा एकता हो दोन क रािशया िभन और नlt एक हो सकट (गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत) हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह तीन भकट म षड(क सबस अिधक दोषकारक माना गया ह इसक ऊपर जो प]रहार बतलाए गय ह उनम स िकसी एक प]रहार क साथ वHयशि तथा ताराशि म स कोई एक भी ा हो जाए तो षड(क का प]रहार उ9म माना जाता ह

वगवर योिनवर गणवर नदरक द$कटफल सव[ हमया िवनRयित

201

8 नाड़ीकट

नािडय़ा तीन कार क होती ह - 1 आिद 2 मVय 3 अ2य अिEनी आरा पनव)स उफा ह-त aयDा मल शतिभषा पवा)भापद नlt आिदनाड़ी क भरणी मगिशरा प_य पफा िचा अनराधा पवा)षाढ़ा धिनDा उ9राभापद मVयनाड़ी क कि9का रोिहणी आ`षा मघा -वाती िवशाखा उ9राषाढ़ा Bवण व रवती अ2यनाड़ी क अतग)त आत ह वर-कया क नlt एक ही नाड़ी क ह तो नाड़ीदोष होता ह नाड़ी एक होन पर शय (0) गण िमलत ह एव िभन नाड़ी म आठ (8) गण िमलत ह

एकनाड़ीिववाह6 गण सव] समिवत

वजनीय यनन दQपयोिनधन यत

नाड़ीदोष का प]रहार - वर-कया क रािश एक हो और नlt िभन ह नlt एक हो और चरण िभन ह नlt एक हो और रािशया िभन ह पादवध न हो

एकराशौ पथिधBय पथाशौ तथक-भ

गण नाड़^ नदर च हवर न िचतयत

नamp)_य पादभद शभ यात

िववाह म मङगलयोग का िवचार तथा उसक प]रहार -

िववाह स-कार म वर-कया क जम कampडली म वण) वHय तारा 5हमी नाड़ी आिद अ(कट सबधी िवचार क बाद मङगिलक योग पर िवशष fप स िवचार िकया जाता ह मङगल रJ का कारक भी ह अत इसका िवचार तो करना ही चािहए Pयिक रJकारक 5ह ही दिषत होगा तो अशभ फल भी िमल सकता ह मङगलदोष का िवचार सामायत िन `ोक स िकया जाता ह

धन `यय च पाताल जािम) चा$म कज

भाया भत िवनाशाय भत6 Fीिवनाशनम - अग-2य सिहता

धन tयय च पाताल जािम चा(म कज

कया भत)िव)नाशाय भत) कया िवनHयित - मानसागरी

ल5 tयय चतथy च सम वा अ(म कज

202

भता)र नाशयद भाया) भता) भाया) िवनाशयत - बहत aयोितषसार

ल5 tयय च पाताल जािम चा(म कज

ीणा भत) िवनाश -यात पसा भाया) िवनHयित - भावदीिपका

ल5 tयय सख वािप सम वा अ(म कज

शभwयोगहीन च पित हित न सशयम - बह2पाराशर होराशा

ल5 tयय च पाताल जािम चा(म कज

कया भत)िव)नाशाय भता) कयािवनाशक - महq2 त)स5हदप)ण

उपरोJ सभी `ोको का एक ही अथ) ह िक थम चतथ) सम अ(म या ादश भाव म यिद मङगल हो तो वध वर क िलए तथा वर वध क िलए हािनकारक होता ह

वस उपरोJ `ोको म कछ `ोक तक) सङगत नहS ह Pयिक उनम कया (कवारी कया) व भता) (शादी क बाद पlष क सgtा) का उAलख ह जो िक तक) समत नहS बठत ह Pयिक कवारी कया िववािहत पlष क िलए िकस कार स हािन द हो सकती ह Pयिक कोई भी माता-िपता अपनी कया का िववाह िववािहत पlष स नहS करग अत इन `ोक म शKदभद ह यहा हमन इनका उAलख िकया ह Pयिक बहbत स िवान महq2 त)स5हदप)ण का `ाक ही tयवहार म लात ह अय `ोक का उAलख नहS करत ह

िफर भी कछ `ोक तक) सगत ह Pयिक व भाया) व भता) क सgtा का उAलख कर रह ह अत उहS `ोक क मया)दा क रltा करत हbए हम यहा मङगलदोष क प]रहार का उAलख कर रह िजसस मर िवान बध मङगलयोग का पण) िवचार कर सक यहा तक हमन मङगलदोष क िवचार क बात कही परत चराचर जगत म 2यक दोष का प]रहार िमलता ह तो इसका भी अवHय होना चािहए अत हम यहा कछ ामािणक `ोक -तत कर रह ह

971 मगल दोष क प+रहार --

1 कजदोषवती दया कजदोषवत िकल

नाि-त दोषो न चािन( दप2यो सखवध)नम

मङगलदोष स यJ कया अथवा वर का िववाह मङगिलक कया अथवा वर स करन स मङगलदोष क क भाव समा होरक शभ फल क ाि होती ह

2 शिन भौमोऽथवा किhत पापो वा ताwशो भवत

त_वव भवन_वव भौमदोषिवनाशकत 1

- फिलत स5ह

भौमन सwशो भौम पापो वा ताwशो भवत

203

िववाह शभद ोJिhराय पपौद 2

भौमतAयो यदा भौम पापो वा ताwशो भवत

उाह शभद ोJिhराय पवध)न 3 - aयोितष त2 2 व

वर अथवा वध क कampडली म िजस -थान म मङगल ि-थत हो उसी -थान म वध अथवा वर क कampडली म शिन मङगल सय) राहb आिद कोई पाप5ह ि-थत हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 1

एक क कampडली म मङगलदोष हो तथा दसर क कampडली म उसी -थान म शिन आिद पाप5ह हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह तथा िववाह मङगलकारी होता ह 2

यिद वर-कया दोन का मङगल समान ि-थित म हो या कोई अय पाप5ह मङगल क समान उसी भाव म ि-थत हो तो िववाह मङगलकारी होता ह 3

3 अज ल5 tयय चाप पाताल विhक कज

Fन मग किक) चा(ौ भौमदोषो न िवFत 1 - महq2 त) पा]रजात

Fन मीन घट चा(ौ भौमदोषो न िवFत 2

मष रािश का मङगल ल5 म विhक रािश का चतथ) भाव म मकर रािश का सम भाव म कक) रािश का मङगल आठव भाव म तथा धन रािश का मङगल ादश भाव म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 1

मीन रािश का मङगल सम भाव म तथा कभ रािश का मङगल अ(मभाव म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 2

4 न मङगली चभग ितीय न मङगली पHयित य-य जीवो

न मङगली कगत च राहb न मङगली मङगलराहbयोग - म दीपक

यिद ितीय भाव म च-शT का योग हो या मङगल गl ारा w( हो क भाव-थ राहb हो अथवा क म राहb व मङगल का योग हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

5 सबल गरौ भगौ वा ल5 Fनऽथवा भौम

वT नीचा]रगह-थ वाऽ-त न कजदोष - महq2 त) दीपक

बलयJ गl या शT ल5 म हो तो वT नीच-थ अ-तङगत अथवा शओ स यJ मङगल होन पर भी मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

6 ककोण शभाढय च िषडायऽयसद5हा

तदा भौम-य दोषो न मदन मदप-तथा - महq2 त) िचतामिण

204

क व िकोण म यिद शभ 5ह हो तथा ततीय षD एकादश भाव म पाप 5ह हो तथा सम भाव का -वामी सम म ही हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

7 तनधनसखमदनायला)भtययग कज-त दाप2यम

िवघटयित तद गहशो न िवघटयित तङगिमगह वा

- म िच

यFिप थम ितीय चतथ) सम अ(म एकादश व ादश भाव म ि-थत मगल वर-वध क ववािहक जीवन म िवघटन उ2पन करता ह परत यिद मगल -वगही हो उkच-थ (मकर रािश) या िमlt म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

8 रािशम यदा याित गणPय वा यदा भवत

अथवा गणबाहbAय भौमदोषो न िवFत - महq2 त) दीपक

यिद वर-कया क कampडिलय म पर-पर रािशमी हो गणPय हो 27 या इसस अिधक गण िमल तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

वर-कया क कampडली म मङगलदोष एव उसक प]रहार का िनण)य अ2यत िववकपव)क करना चािहए मा 1 4 7 8 12 म मगल को दखकर दाप2य जीवन क सख दख का िनण)य नहS करना चािहए जहा मगल हो उहS भाव म यिद कोई अय Tर 5ह भी 1 2 7 12 भाव म हो तो वह भी पा]रवा]रक एव ववािहक जीवन क िलए अिन(कारक होता ह

यथा- ल 2रा `यय 2रा धन 2रा कजतथा

सLम भवन 2रा प+रवारampयङकरा - महb तसह दपण

मङगलदोष का िनण)य कampडली िवशष म सभी 5ह क पार-प]रक अनशीलन क पhात ही करना चािहए सभी ल5कampडिलय म मङगलदोष का भाव एक जसा नहS होता ह इसम तो कोई सदह नहS िक कछ ल5 कampडिलय म मङगलदोष का अशभ थाव वर-वध क ववािहक जीवन पर पड़ता ह परत यिद िकसी कampडली म मङगल अय 5ह क साहचय) स योगकारक हो उkच-थ या -वरािशगत हो अथवा शभ 5ह क wि( स भािवत हो तो मङगल का शभ फल िमलता ह जस मकर मष विhक िसह धन व मीन रािश का मङगल शभफलदायी होता ह तथा कक) व िसह ल5 म मङगल किकोणपित होन स मङगल शभ होकर योगकारक माना जाएगा

यथा- सवc ि)कोणनतारो हा शभफलदा

वोdचिथत शभफल करोित पणम

नीचeषगत िवफल +रपमिदरऽgपम - सारावली

भावा सवc शभपितयता वीिampता वा शभश

205

तGYावा सकलफलदा पापhयोगहीना

अत वर-कया क कampडिलय का िमलान करत समय उनक सखी एव सपन जीवन क िलए मङगल पर ही अ2यिधक बल न दत हbए मलापक सबधी अय त2व का भी सवा)ङग fप स िववचन करना चािहए िजनम कछ म य त2 2 व िनिलिखत ह

चिलत भाव कampडली - जो 5ह भावमVय होत ह वह भाव का पण) फल दत ह जो 5ह भावसिध म होत ह व शय फल दत ह उसी क अनसार वर-कया क कampडिलय का िमलान करत समय दोन क कampडिलय क 5ह -प( भाव -प( एव चिलत भाव कampडली बनी होनी चािहए तभी मङगलदोष क ि-थित -प( हो सकती ह यिद दोन क कampडिलय म मगल सिधगत हो तथा मङगलीयोग द भाव स अित]रJ भाव म हो तो भी मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

अय प]रहार - समभाव या समश या शभ एव योगकारक 5ह क ि-थित अथवा मङगल या समभाव पर गl या शT क wि( हो अथवा समश 5ह क -वगही wि( होन स मङगलदोष का भाव ltीण हो जाता ह इस ि-थित म धािम)क अनDान भी करवान चािहए

शभ योग - समश 5ह उkच-थ या -विमािद क रािश म होकर क िकोणािद भाव म ि-थत हो तो िववाह म मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

अशभ योग - यिद समश िक म हो पाप5हयJ व पापw( नीचरािशगत अथवा अ-तङगत हो तो िववाह का पण) सख नहS िमलता ह यथा -

द-थ कामपतौ त पाप5हग पापिltत तFत तaजाया भवन-य मVयमफल सवn शभ चायथा

ल5श ितीयश पचमश अ(मश समश एव च शT गl मगलािद 5ह क बलाबल का िवचार करना भी िनतात आवHयक होता ह

उपरोJ िवषय पर अVययन हमन इसीिलए िकया ह Pयिक वत)मान म समाज म मङगलदोष क िवषय म कई कार क ाितया फल रही ह बहbत स लोग मङगलदोष का िवशद अVययन नहS करक कवल एक योगमा स लोग क मन म भय उ2पन करत रहत ह िजसस aयोितष का अपयश होता ह

नोट - यिद आप मङगलदोष का प]रहार कर रह ह तो मङगल क िनिम9 पजा-पाठ भी करवाय तो शभफल म विX ही होगी

98 िववाह का िनणय करत समय बहपित का िवचार कर या नहlt

िववाह म कया हत बह-पित का िवचार िकया जाय या नहS इस िवषय म सभी पिampडत एकमत नहS ह अत हम यहा हम सभी तय पर िवचार करत हbए िन_कष) िनकालन का यास करग शा म कया क रजोधम) योय होन क पिहल ही िववाह का िवधान बताया गया ह लिकन य सब बात तब क ह जब य सभी बात तक) सङगत थी Pयिक पहल बाAयकाल म िववाह होन क बाद भी गौना लड़क-लड़क क

206

यवा (वय-क) होन पर ही होता था अथा)त जब कया यवा (वय-क) हो जाय तभी वह पित क साथ रहन तथा सासा]रक धम) म व9 होन क योय होती थी

शा म रजोधम) क योय होन क पिहल कया का िववाह करन का िवधान ह उस समय कया क िववाह म गlशिX परम आवHयक थी

अ$वषा भवiौरी नवम रोिहणी भवत

दशम कयका ोjा 9ादश वषली मता - aयोितिन)बध

अथा)त आठ वष) क गौरीrsquo नौ वष) क रोिहणीrsquo दस वष) क कयासgtकrsquo तथा तदनतर ादशािद वषv क कया वषलीrsquo अथा)त रज-वला सgtक होती ह

गौरी िववािहता सौ^यसपना -या2पितता रोिहणी धनधायािदपाढया सभगा भवत

कयािववािहता सप2समXा -वािमपिजता - पीयषधारा

अथा)त आठ नौ तथा दसवष) क कया का िववाह ही शा म शभ माना गया ह

परत वत)मान म उपरोJ बात tयवहा]रक नहS ह Pयिक यिद हम बालिववाह करत ह तो अब न व मानवीयमAय बच तो न ही हमारा कानन इसक अनमित दता ह यिद हम बालिववाह करत ह सप]रवार कारावास क िजदगी का अनभव करना पड़ सकता ह तथा आजकल तो बालिववाह करान वाल पिampडत जी को भी जल भजन का माण भारतीय दampड सिहता म ह

उपरोJ बात पर िवचार करन क बाद एक बात तो -प( ह िक यिद कया का िववाह 11 या 12 वष) क आय तक िकया जाय तब ही गlशिX क आवHयकता ह

यिद हम 11 या 12 वष) क बाद कया िववाह करत ह तो गlशिX क आवHयकता नही होती इसक िलए हम यहा कई माण द रह ह अब हम आशा ह बX िवान अपनी तक) शिJ का िवकास करत हbए गlशिX का ामािणक िनण)य कर सक ग

1 यिद कया क आय 11 या 12 वष) क हो तो गl क िनब)ल होन पर भी शाोJ बह-पित शाितrsquo तथा शकनािद िवचार क सपादन क साथ उसका िववाह ल5 िनधा)]रत कर

9ादशकादश वषc तया शिkन जायत

पजािभ शकनवािप तय ल दापयत - शीबोध

2 दस वष) स अिधक आय क कया रज-वला हो जान क कारण उसक गlशिX न दखकर च व तारािद बल का िवचार करना चािहए

दशवष`यित2ाता कया शिkिवविजता

तयातारदलाना शkौ पािणहो मत - tयासवचन

207

3 रजोदश)न क पhात गl शिX क आवHयकता नही ह आठव गl म िगिणत पजा करक िववाह कर सकत ह

रजवला यदा कया गlशिk न िचतयत

अ$मऽिप कत`यो िववाहिFगणाचनात - बह-पित

4 िकसी भी अव-था क कया को 4-8-12 गl होन पर भी िगिणत पजा करन पर िववाह म कोई दोष नहS होता ह

कयाeषादि9सतWनायनवम m8ो गl6ायथा

पMयोऽ$ायसखितकाल इहत ा िवरnय शभ - उाहत2 2 व

5 कया क उ सात वष) क हो जान क भी पाच वष) क बाद (12 वष)) उkच या -वरािश (कक) धन मीन) का अशभ गl भी शभ फलदायक होता ह

सLाoदापpचवषcष वोdचवeषगतो यिद

अशभोऽिप शभ दWाdछभदeषष िक पन - aयोितिन)बध

6 गौरी सgtक कया को गlबल रोिहणी का सय)बल कया को चबल तथा रज-वला को ल5बल क आवHयकता होती ह

दया गlबला गौरी रोिहणी भानमrला

कया च बला ाsा ततो लबलGरा

- महq2 त) गणपित

7 श िनषादािद चतथ) वणv क िलए गlशिX का िचतन अिनवाय) नहS ह

किचदाह4गरो शिkनावया गणकोGम

िववाह वयादीना चBडालाना च पgकसाम - aयोितिन)बध

िनकष - उपरोJ िवषय पर -तत माण क आधार पर यह -प( ह िक वत)मान काल म गlशिX क

आवHयकता नहS ह

अत कया रज-वला हो जाय तो गlशिX का िवचार नही करना चािहए यिद मािसक धम) ारभ होन क पव) ही िववाह करना हो तो गlशिX क आवHयकता ह

208

99 क0या क िववाह म= िवलgtबदोष का पampरहार

िकसी शभिदन म वर ाि क िलए कया -नानािद स िनव9 होकर ात काल कमलबीज क माला स Bीगणशजी क म (ऊ Bीगणशाय नम) क एक माला जप कर गणशजी का Vयान कर िफर गौरी और शङकर का Vयान करती हbई -

ऊ यQबक यजामह सगिध पितवदनम

उtवाl किमव बधनािदतो मampीय मामत वाहाrsquolsquo

ितिदन उपरोJ -वाहा रिहत म क एक माला का अवHय जाप कर हर रिववार क िदन जाप क बाद ात दशी घी म फक फिAलय को िभगोकर aविलत अिन म 108 आहbितया दव म क साथ -वाहा का उkचारण भी अवHय कर Bी िशव पाव)ती और गणशजी का िच हो तो सामन अवHय रख अथवा मानिसक Vयान भी लाभकारी होगा

जप व हवन क बाद ाथना -

ऊ कायायिन महामाय महायोिगयधीuरी

नदगोपसत दवी पित दिह मनोरममrsquolsquo

यह अनDान कया अपन िववाह क नव5ह शाित तक करती रह कया क माता िपता भी Bीगणशजी क 21-21 माला का जाप कर सवा लlt जाप होन पर अपन तोल क बराबर हरा घास भसा खल प9री जौ का दाला चन आिद को गौओ को डाल िदया कर पिltय को ितिदन चावल बाजरा आिद भी डालत रह

अथवा

कया ह]रा (हAदी) क माला स िनिलिखत म क ितिदन पाच माला का जाप िववाह क नव5ह शाित तक कर -

ऊ ह गौ+र शङकराधाङगी यथा व शङकरिया

तथा मा कl कgयािण कातकाता सदलमामrsquolsquo

उपरोJ अनDान क साथ िनिलिखत रामच]रतमानस क चौपाईय का पाठ भी िन2य ितिदन िववाह क नव5ह शाित तक करना चािहए -

जय जय िग]रबरराज िकसो]र जय महस मख चद चकोरी

जय गजबदन षडानन माता जगत जनिन दािमनी दित गाता

निह तव आिद मVय अवसाना अिमत भाउ बद निह जाना

भव भव िवभव पराभव का]रनी िब-व िबमोिहनी -वबस िबहा]रनी

209

पितदवता सतीय महb मात थम तब रख

मिहमा अिमत न सकिह किह सहस सारदा सष

सवत तोिह सलभ फल चा]र बरदायनी परा]र िपआरी

दिब पिज पद कमल तहार सर नर मिन सब होिह सखार

मोर मनोरथ जानहb नीक बसहb सदा उर पर सबहS क

कहउ गट न कारन तहS अस किह चरन गह बदहS

िबनय म बस भई भवानी खसी माल मरित मसकानी

सादर िसय साद िसर धरऊ बोली गौ]र हरष िहय भरऊ

सन िसय स2य असीस हमारी पिजिह मनकामना तहारी

नारद बचन सदा सिच साचा सो बl िमिलिह जािह मन राचा

मन जािह राचउ िमिलिह सो बl सहज सदर सावरो

कlना िनधान सजान सील सनहb जानत रावरो

एिह भाित गौ]र असीस सिन िसय सिहत िहय हरषी अली

तलसी भवानीिह पिज पिन पिन मिदत मन मिदर चली

जािन गौ]र अनकल िसय िहय हरष न जाइ किह

मजल मगल मल बाम अग फरकन लग

(रामच]रतमानस 1-235-5 स 236 तक)

कया क िववाह हत अय िसX म -

ऊ यबक यजामह सगिध पितवदनम

उवाlकिमव बधनािदतो मltीय मामत 1

दिह सौभायम आरोय दिह म परम सखम

fप दिह जय दिह यशो दिह िषो जिह 2

ऊ दवामिण नम-तLय दवि यभािमनी

िववाह भायम आरोय शीलाभ च दिह म 3

ऊ श शकराय सकलजमािज)तपापिवVवसनाय

पlषाथ)चत(यलाभाय च पित दिह कl कl -वाहा 4

210

पlष क िववाह हत िसk म) -

प2नS मनोरमा दिह मनोव9ानसा]रणीम

ता]रणS दग)ससारसागर-य कलोवाम 1 (दगा)सशती)

स दिव िन2य प]रतयमान-2वामव सीत2यिभभाषमाणः

धततो राजसतो महा2मा तवव लाभाय कत य2नः

(वाAमीिक रामायण सदरकाampड)

910 मलापक साampरणी क योग हत आवयक िनदश

सा]रणी क कोDक क ऊपरी भाग म गण ह तथा नीच क भाग म दोष ह िजनक पहचान क िचp ह - गणदोष (1) वरयोिन (2) नाडीदोष (3) िदा)दश (4) नवमपचम (5) षड(क (6) जहा दोष का थोड़ा प]रहार ह वहा (-) जहा परा िनवा)ह ह वहा (x +) का िचp ह जहा वर क पव) वध का नlt ह वहा महादोष (0) माना ह दोषहीन कोDक म कवल गण ह 1-18 तक गण न( 19-27 मVयम व 27-36 BD होत ह

नोट - उपरोJ दोष क प]रहार हत आग िदया गया फिलत म परमोपयोगी 5ह-w(यािद चT क सहायता स 5ह क मी चT का अवलोकन करत हbए आप सरलता स दोष प]रहार कर सकत ह यिद रािश -वमी मी हो तो भी दोषप]रहार हो जाता ह अय प]रि-थितय का भी िवचार कर लना चािहए

जम कBडली िमलान का उदाहरण - szlig Uacute U middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave szlig Š aeligecirc middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave

वर का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

रिव 05101984 1035 ात जयपर राज-थान

जमनlt - धिनDा - थम चरण रािश - मकर रािश-वामी - शिन

कया का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

पजा 05111983 0455 ात काल कोटा राज-थान

जमनlt - -वाती - चतथ) चरण रािश - तला रािश-वामी - शT

211

अ$कट िमलान गण-तािलका

कट वर कया दोष अिधकतम ााङक lt

वण) वHय िव - 1 1 जातीय कम)

वHय जलचर जलचर - 2 frac12 -वभाव

तारा 2य]र साधक - 3 3 भाय

योिन िसह माजा)र - 4 1 यौन-िवचार

5हमी शिन च - 5 5 आपसी-सबध

गण राltस राltस - 6 1 सामािजकता

भकट मकर कक) - 7 7 जीवन-शली

नाड़ी मVय अ2य - 8 8 आयसतान

कल - - - 36 26frac12 -

िमलान-िवH लषण - रिव का वग) माजा)र ह पजा का वग) माजा)र ह इन दोन म समता ह अ(कट तािलका म वण) स लकर नाड़ी तक िकसी क भी गण शय नहS आय ह अत अ(कट िमलान िनद[ष ह

मगल िवचार - रिव माङगिलक नहS ह Pयिक कampड़ली म मङगल 1-4-7-8-12 म ि-थत नहS ह मङगल रिव क कampड़ली म ितीय भाव म ि-थत ह

पजा मङगिलक ह Pयिक पजा क कampड़ली म मङगल ादश भाव म ि-थत ह

मङगल दोष प]रहार - फिलत स5ह एव aयोितष दप)ण क अनसार यिद वर-कया क कampड़ली म स कोई एक मङगलदोष स पीिडत हो तथा दसर क कampड़ली म 1-4-7-8-12 भाव म मङगल अथवा अय कोई पाप5ह ि-थत हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह यथा -

शिन भौमोऽथवा किhत पापो वा ताwशो भवत

त_वव भवन_वव भौमदोषिवनाशकत 1 - फिलत स5ह

भौमन सwशो भौम पापो वा ताwशो भवत

िववाह शभद ोJिhराय पपौद 2

भौमतAयो यदा भौम पापो वा ताwशो भवत

उाह शभद ोJिhराय पवध)न 3 - aयोितष त2 2 व

िन_कष) - अ(कट िमलान िनद[ष ह तथा मङगलदोष का भी प]रहार हो रहा ह अत सबध BD ह

212

911 साराश

कampड़ली का सातवा भाव िववाह प2नी ससराल भागीदारी का कहा गया ह िववाह एक स-कार ह जो सतान परपरा को अltampण रखन तथा आ2मसयम एव पार-प]रक सहयोग ारा जीवन म आLयदय ाि हत ी-पlष को एक स म बाधता ह अत इसी प]र Cय म aयोितष ारा ारा कampड़ली म िववाह योग तथा िववाह िमलान हत ाय माता-िपता को आत दखा गया ह िववाह स सदभ) म कारक 5ह शT गl और मङगल को कहा गया ह सम समश का शभ सबध इन 5ह स कampड़ली म सखी ववािहक जीवन क सचना दता ह

भारतीय परपरा क अनसार सखी और समX दाप2य क िलए िविधवत वर-कया का चयन मलापक ारा िकया जाता ह इसक िलए वर-वध क जम-नlt क आधार पर अ(कट गण िमलान करन क िविध शा ारा िनदyिशत ह अत इस इकाई क माVयम स िववाह पर समीचीन gtान का सचार सभी म हो सकता ह

912 श दावली

bull दवgt = दवताओ क िवषय क gtाता

bull आBम = ~चय) गह-थ वान -थ सयास

bull मलापक = कampड़ली व अ(कट िमलान

bull प]रहार = दोष क िनवि9

bull रािशमी = रािश -वािमय क िमता

bull अ(कट = 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन

5 राशीशमी 6 गण

7 भकट 8 नाड़ी

bull वषली = मािसक-धम) ा कया

913 अित लघ+रामक

1 िववाह क tया^या किजए

उ9र िव = िवशष वाह = वहन करना अथा)त िवशषfप स वहन करन योय सबध को िववाह कहत ह

2 जमकampड़ली म िववाह सबधी B िकस भाव स दखा जायगा

213

उ9र िववाह का कारक भाव सम भाव को कहा जाता ह

3 िववाह क सदभ) म कampड़ली िमलान का Pया मह|व ह

उ9र वर-कया क िवशषता एव अवगण का दाप2य जीवन क आचरण का िवचार कampड़ली िमलान स ही होता ह

4 अ(कट गण िमलान िकस कहत ह

उ9र जम नlt ारा मलापक को अ(कट गण िमलान कहत ह

5 मलापक रह-य को िकन चार वगv म िवभािजत िकया गया ह

उ9र ल5 मलापक 5ह मलापक भाव मलापक एव नlt मलापक

6 कampड़ली िमलान क सदभ) म कौन सा मलापक सवा)िधक चिलत ह

उ9र नlt मलापक ही सवा)िधक चिलत ह

7 वर-कया म िकसी एक क अि5 त2 2 व क ल5रािश ह तो दसर पlt क कौनसी रािश अनकल होगी

उ9र दसर पlt क िलए अि5 तथा वाय त2 2 व ल5 को अनकलता दान करगी

8 अ(कट गण िमलान म कौनस आठ त2 2 व बताय गय ह

उ9र 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन 5 राशीशमी 6 गण 7 भकट 8 नाड़ी

9 अ(कट गण िमलान म कल िकतन गणाङक बताय गय ह

उ9र अिधकतम 36 गण िमलान क ााङक होत ह

10 मङगिलक का िवचार िकन भाव स िकया जाता ह

उ9र मङगिलक का िवचार ल5 चतथ) सम अ(म एव ादश भाव म मङगल क ि-थत होन पर िकया जाता ह

914 लघ+रामक

1 ल5ािद ादश भाव का िववाह पर भाव बताईय

2 जमकampड़ली म िववाह हत शभ योग का वण)न किजय

3 िववाह हत जमपी िमलान का Pया मह|व ह

4 मङगिलक दोष Pया होता ह एव कampड़ली िमलान म उसका Pया भाव ह सप]रहार िववचना किजय

214

5 नीच िदय गय जमाङग क आधार पर अ(कट िमलान पर काश डािलय

वर का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

िवकास 22031975 0700 ात दहली भारत

जमनlt - पनव)स - थम चरण रािश - िमथन रािश-वामी - बध

कया का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

पित) 30111977 0650 साय काल आगरा उ9र दश

जमनlt - प_य - ितीय चरण रािश - कक) रािश-वामी - च

szlig Uacute U middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave szlig Š aeligecirc middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave

915 स0दभ 130थ

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक Bी सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

3 िववाह-स-कार ितीय स-करण

सपादक डॉ रिव शमा)

काशक हसा काशन जयपर

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इकाई 10

िविभ न योग ndash राजयोग गजकशरीयोगसर वती

योग नीचभड़ग योग महाल मी योग इकाई क परखा

100 - तावना 101 उGH य 102 िवषय वश 1021 योग का बल एव योग म कमी 1022 पk च महापfष योग 1023 सय) स बनन वाल योग 1024 च स बनन वाल कछ योग 1025 अ य राजयोग सर- वती योग एव िविभ न राजयोग 1026 िवपरीत राजयोग तथा राजभग योग िवचार 103 साराश 104 बोध H न 105 शK दावली 106 सदभ) 5थ सची

100 तावना

a योितष शा- स सब िधत यह 10 वS इकाई हा इस इकाई का चयन यहा पर िवशष fप स िकया गया ह इस ससार म जो भी ाणी ह व सभी फल क इk छा रखत हbए कोई भी काय) करत ह पर त यहा पर योग क अनसार बताया गया िक िकस योग म उ2 प न होन पर कोनसा फल ा त होगा ऋिष परासर न योग क सदभ) म एक िवशष धारणा दी क क एक 1 4 7 10 िकोण 1 9 5 का - वामी एक ही 5ह होन पर 5ह योग कारक हो जाता ह इस कार उ हन 5ह को ही नहS अिपत भाव क यित सबध को भी मा यता भी ह मानव जीवन क लाभाथ) और भी उk च कोिट क योग का वण)न िकया गया ह जस पचमहापfष योग इस योग क अ तग)त lsquorsquoसचकrsquorsquo नामक योग सव) थम बनता ह िजसम t यिJ 70 वष) क अव- था तक सख भोगता ह अ य योग भी इसम बनत जो मानव जीवन को काफ हद तक लाभ

229

पहbचात ह ठीक इसी कार इस इकाई म राजभamp ड योग का भी वण)न िकया गया इसम मानव जीवन भी काफ भािवत होता ह इसका िनदान करन पर लाभ ा त होता ह

101 उ य

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग - 1 सव) थम आप योग क बल क बार म जानकारी पायग

2 योग म कमी एव योग क अिधक बल तथा योग और राहb कत क बार म जानग 3 उदाहरण सिहत पचमहापfष योग क पण)तया fप स gtान ा त करग 4 सय) 5ह स बनन वाल कछ योग भी जानग 5 अ य योग क जानकारी भी ा त करग 6 शभ वसी शभवासी योग उभयचारी यो क जानकारी ा त करग 7 च 5ह क अनसार उ2 प न योग अनफा सनफा कमम Bीकठ Bीनाथ तथा गजकशरी योग को उदाहरण सिहत जान पायग 8 राजयोग का शाK दीक अथ) तथा राजयोग क िवभाग क जानकारी ा त करग 9 राजयोग को िविभ न - तर पर जानग 10 चार 5ह उk च होन पर एव तीन 5ह उk च क इनम स एक 5ह ल न म ि-थत होन स उ2 प न राजयोग क जानकारी ा त करग 11 सर- वती योग लC मी योग तथा कलानीिध योग जानग 12 साथ ही धन योग महाभा य योग तथा नीच भग राज योग क जानकारी ा त करग 13 िवप]रत राजयोग उदाहरण सिहत जानग 14 साथ ही पण)तया fप स राजभग योग क जानकारी ा त करग

102 िवषय वश

जम-पिका म िकहS दो या दो स अिधक 5ह क पर-पर सबध को िवशष फल दन वाला माना गया ह 5ह क पर-पर सबध स ता2पय) चतिव)ध सबध स ह यह चार कार का सबध 5ह क पर-पर यित प]रवत)न wि( तथा िविश( भाव म ि-थित स ह सामायतया योग का अथ) यित स ह परत aयोितष म यित स िभन अय सबध को भी योग क Bणी म रखा गया ह चतिव)ध सबध कािधपितय अथवा िकोणािधपितय म हो तो BD फल दन वाला होता ह ऐसी मायता ह

जम-पिका म योग होन पर 5ह अपन सामाय गण क अपltा अित]रJ फल दत ह जो सामायतया नहS दत

उदाहरणाथ) - सय) यश क नसिग)क कारक ह तथा बध ितभा क सय) व बध क यित बधािद2य योग बनाती ह िजस tयिJ क जम-पिका म बधािद2य योग होता ह उसक काय) णाली भी िवशष होती

230

ह तथा िकसी िवषय िवशष का िवशषgt होता ह यह यित िजतनी शभ होगी उतनी अिधक िवशषgtता tयिJ को ा होगी यह िवशषgtता िकसी एक 5ह िवशष क कारण नहS होगी अिपत बधािद2य योग क कारण होगी

उपय)J विण)त योग कवल एक उदाहरण मा ह ऐस सकड़ हजार योग व शा म विण)त ह

योग क अतग)त 5ह अपन मौिलक गण को छोड़कर या उन गण क सीमा स बाहर जाकर िवशष प]रणाम दत ह

इस ऐस समझ सकत ह िक िजस कार रसायन शा म त2व क यम स िमBण बनता ह वह िविश( गण रखता ह जस- हाइोजन व ऑPसीजन क योग स जल बनता ह

ऋिष पाराशर न योग क सदभ) म एक िवशष धारणा दी िक क-िकोण का -वामी एक ही 5ह होन पर 5ह योगकारक हो जाता ह इस कार उहन 5ह को ही नहS अिपत भाव क यित सबध को भी मायता दी

योग का बल

योग कब बली होत ह इस सबध म िविभन िवान न ऋिष पाराशर क िदए िनयम पर मतPय रखा ह िक जब क-िकोण क -वामी आपस म सबध कर तो िवशष प]रणाम दत ह

अपवाद-1 - इस सबध म एक अपवाद पर Vयान िदया जाना आवHयक ह जब सय) क यित स कोई 5ह योग बनाता ह तो सय) क िनकटता क आधार पर योग बली हो जाता ह व 5ह उ2क( प]रणाम दत ह परत िनकटता ही 5ह को अ-तगत भी करती ह तथा प]रणाम क उ2क(ता म कमी ला दती ह 5ह क अ-तगत अश हम िपछली इकाईय म पढ़ चक ह

अपवाद - 2 - जब दो 5ह क यित स योग तो बन पर त दोन ही 5ह समान अश पर ि-थत ह तो 5ह क ऐसी अव-था उनक पर-पर यX क अव-था होगी और उस यX म िकसी एक 5ह को परािजत होना पड़गा अत परािजत 5ह क मौिलक गण म कमी आ जाती ह इसी कारण उस 5ह क भाव म कमी आएगी परत योग क िविश( फल भी ा हग

योग का अिधक बल

जब कampडली क योग कारक 5ह क उन भाव म ि-थित हो जो भाव BD कह गए ह तब व अिधक बली हो जात ह इस Tम म पहली ि-थित 5ह का क-िकोण म ि-थत होना ह

दसरी ि-थित 5ह का अपनी उkचरािश म ि-थत होना ह तीसरी ि-थित वह ह जब िकसी 5ह को अय 5ह क अपltा BD षडबल ा हो

231

योग म0 कमी -

1 जब िकसी जम-पिका म योगकारक 5ह द-थान म ि-थत ह तो 5ह क फल म कमी आ जाती ह

2 जब 5ह अपनी उkचािद रािश म ि-थत न हो

3 जब योग कारक 5ह अ-त हो

4 जब योग कारक 5ह का षडबल कम हो

5 जब 5ह अपनी नीच रािश म ि-थत हो

6 यिद योगकारक 5ह िषडयपित अथवा द-थान क -वामी स सबध -थािपत कर तो योग भग हो जाता ह

योग और राह4-कत

राहb तथा कत छाया5ह ह अत इनका भौितक अि-त2व नहS माना गया (यह तय हम 5ह क िव-तत िववचन म पढ़ चक ह) दोन ही 5ह को िकसी रािश िवशष का -वत -वािम2व ा नहS ह अत य िजस भी भाव म बठत ह या िजस भाव क -वामी क साथ बठत ह उसी स सबिधत फल दान करत ह यिद इनक ि-थित कािधपितय क साथ ह तो सम प]रणाम दत ह

यिद य िकोणािधपितय क साथ ि-थत ह तो शभ प]रणाम दत ह

िषडयपितय क साथ ि-थत ह तो उनक समान फल दत ह

पच महापlष योग

aयोितष योग क Tम म पचमहापlष योग Tमश मगल बध गl शT तथा शिन स बनत ह हम पढ़ चक ह िक जम-पिका म 5ह क िवशष ि-थित योग बनाती ह इस Tम म सव) थम पचमहापlष योग का अVययन करग

मगल बध बह-पित शT तथा शिन क जम-पिका क क -थान म -वरािश अथवा अपनी उkचरािश म ि-थित स Tमश lचक भ हस मालtय तथा शश योग बनता ह

उदाहरणाथ -

lचक योगफल - िकसी जम-पिका म मगल जब क म मष विhक अथवा मकर रािश म ि-थत

होत ह तो lचक योग बनता ह यह योग होन पर tयिJ अनशािसत साहसी ित- पधा)2 मक शिJ रखन वाला साहस स धनाज)न करन वाला अपन गण क कारण िसX होन वाला होता ह एव 70 वष) क अव- था तक सख भोगता ह ऐसा सामाय िनयम ह

232

भ योग फल - िकसी जम-पिका म बध जब क म िमथन अथवा कया रािश म ि-थत होत ह तो

भ योग बनता ह

जम-पिका म भ योग होन पर tयिJ अ2यिधक बिXमान िवान tयिJय स शसा पान वाला वभवपण) जीवन वाला वाक व भाषण कला म िनपण होता ह शर क समान मख वाला गज क समान चलन वाला चौड़ी छोटी ल बा कदवाला मोटा होता हा ऐस tयिJ उkचािधकारी भी बनता ह

हस योग फल - िकसी जम-पिका म बह-पित जब क म धन मीन अथवा कक) रािश म ि-थत होत

ह तो हस योग बनता ह

जम-पिका म हस योग होन पर tयिJ सौय tयवहार स यJ सदर साि2वक िवचार वाला तथा अkछा भोजन खान-पीन का शौकन होता ह ऐस tयिJय क हाथ-पर म िवशष शभ िचह भी पाए जात ह

माल`य योग - िकसी जम-पिका म शT जब क म वषभ तला अथवा मीन रािश म ि-थत होत ह

तो मालt य योग बनता ह

233

मालtय योग होन पर tयिJ िवान सदव सन रहन वाला यश-वी िनरतर विX को ा करन वाला तथा धय)वान होता ह ऐस tयिJ को वाहन सख अिधक ा होता ह तथा जीवन म ी पlt स लाभ िमलता ह

शश योग - िकसी जम-पिका म शिन जब क म तला मकर अथवा कभ रािश म ि-थत होत ह तो

शश योग बनता ह

शश योग होन पर tयिJ भावशाली अय tयिJय स शसा पान वाला धनी व सखी होता ह ऐस tयिJ दसर tयिJय क शसा भी खब करत ह एव इसक आय 77 वष) क होती ह एव चनाव म शी सफलता िमलती ह

सय स बनन वाल कछ योग -

िकसी भी जम-पिका म सय) क ि-थित क आस-पास ि-थत 5ह स बनन वाल कछ योग िनन ह -

शभविस योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसस ितीय भाव म राहb-कत क अित]रJ कोई 5ह अथा)त मगल बध गl शT अथवा शिन ि-थत ह तो शभविस योग बनता ह उदाहरण -वfप यिद वषभ लन क जम-पिका म सय) िसह रािश म ि-थत ह तथा कया रािश म बध ह तो शभविस योग बनगा

234

शभवािस योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म राहbकत क अित]रJ कोई अय 5ह ि-थत हो तो शभवािस योग बनता ह उदाहरण -वfप कभ लन क कampडली म यिद सय) धन रािश म ह तथा मगल विhक रािश म ह तो यह योग बनगा

उभयचरी योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसक दोन ओर अथा)त उसस ितीय व ादश भाव म कोई 5ह हो तो उभयचरी योग बनता ह उदाहरण -वfप तला लन क कampडली म यिद मकर रािश म सय) ह तथा धन रािश म बध व कभ रािश म शT ह तो उभयचरी योग बनता ह

च मा स बनन वाल कछ योग -

अनफा योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म सय) क अित]रJ कोई 5ह हो तथा उसस ितीय भाव म कोई 5ह न हो तो अनफा योग होता ह

योगफल - यह योग होन पर tयिJ समाज म ितिDत व शीलवान होता ह

सनफा योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म कोई 5ह ि-थत ना हो तथा ितीय भाव म कोई 5ह हो तो सनफा योग होता ह

योगफल - यह योग होन पर tयिJ बिXमान व धनवान होता ह तथा उसक बहbत ^याित होती ह

कमम योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ितीय तथा ादश भाव म यिद कोई 5ह न हो तो कमम योग होता ह

कमम योग अशभ योग क Bणी म आता ह इस द]र योग भी कहा जाता ह द]रता कवल धन क ही नहS अिपत ]रHत म कमी स भी मानी जा सकती ह

Bीकठ योग - िकसी जम-पिका म लनश सय) व चमा -वरािश िम अथवा उkच रािश म होकर क अथवा िकोण म ि-थत ह तो Bी कamp ठ योग होता ह

उदाहरण - मष लन क कampडली म सय) व मगल दोन अपनी उkच रािश म ि-थत ह मगल लनश भी ह तथा चमा -वरािश कक) म ि-थत होकर Bीकठ योग बना रह ह

235

Bीनाथ योग - िकसी जम-पिका म भायश बध व शT िम क रािश -वरािश या उkच रािश म होकर क या िकोण म ि-थत ह तो Bीनाथ योग बनता ह

गजकशरी योग - िकसी जम-पिका म बह-पित यिद चमा स क म ि-थत ह तथा शभ 5ह स w( या यत ह अथा)त कोई पाप या अशभ wि( बह-पित व चमा पर न हो तो गजकसरी योग होता ह इस योग म बह-पित यिद अपनी श या नीच रािश म नहS होन चािहए

गजकशरी योग होन पर tयिJ अkछा पद ा करता ह अनभव क आधार पर यिद दख तो यह धनदायी भी होता ह

राजयोग - राजयोग का शािKदक अथ) ह राजा स योग वत)मान प]र C य म राजा स ता2पय) सरकार तथा सरकार स जड़ उkचािधकारी जो -वत fप स िनण)य लन म सltम होत ह जस िक िकसी िजल का कलPटर या समकlt अय अिधकारी

राजयोग को म यत दो कार स दखा जाता ह

थम - िजनम राजा क शिJ का योग िकया जाए

ितीय - वह िजनम दampड का अिधकार शािमल हो

थम Bणी क राजयोग म इनकम टPस व सAस टPस अिधका]रय क गणना क जा सकती ह

तथा ितीय Bणी क राजयोग म यायाधीश आिद क गणना क जाती ह

वा-तव म राजयोग वही BD ह िजसम tयिJ को ltािधकार व दampडािधकार दोन ही िमल तथा वह िनबा)ध तथा -वत fप स अिधकार क िTयावयन कर सक

िवशष - िजस tयिJ क जम-पिका म राजयोग होता ह वह -वय पद का उपभोग करता ह तथा िजसक जम-पिका म राजयोग बािधत होता ह वह दसर क माVयम स शासन करता ह तथा स9ा का अिधकार नहS भोग पाता

इस Bणी म िनन tयिJय को रखा जा सकता ह

1 म यमी धानमी तथा बलाबल क आधार पर एसपीआिद

2 अमा2य महामा2य - डीसीपी एसडीएम आिद

3 राज भवनगामी - धानमी म यमी राaयपाल आिद क प]रवार क सद-य जो उन पर आिBत ह

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4 राजा क अिधकारी - अथा)त सरकारी िवभाग स जड़ tयिJ- कलPटर स लकर चपरासी तक इस Bणी म आत ह जो राजकोष स वतन पात ह

5 राजकपा पान वाल tयिJ - अपन उFोग क िलए ऋण ा करन वाल tयिJ या बक तथा सरकारी िव9ीय स-थाओ स िव9ीय सहायता ा करन वाल tयिJ

राजयोग को हम िभन-िभन -तर पर समझन का यास करग

1 सव) थम क तथा िकोण का सबध होन पर राजयोग बनता ह यह सबध चतिव)ध सबध म स िकसी भी कार स बन सकता ह

2 -वरािश म ि-थत 5ह बलवान हो जात ह

3 यिद जम-पिका म तीन या अिधक 5ह अपनी उkच रािश म ि-थत ह तो राजयोग क ि-थित बनती ह

4 जम-पिका क योगकारक 5ह यिद नवाश म भी अkछी ि-थित म ह तो फल म बढ़ो9री करत ह

5 वग[9म लन - िजस जम-पिका म जम लन व नवाश लन एक ही हो तो वह वग[9म लन कहS जाती ह

6 वग[9म 5ह - कोई भी 5ह जम-पिका म िजस रािश म ह यिद नवाश म भी उसी रािश म ि-थत हो तो वह 5ह वग[9म कहलाता ह

वग[9म लन तथा वग[9म 5ह को अ2यिधक बली माना गया ह राजयोग क सदभ) म एक मह2 2 वपण) भिमका इन दोन क भी होती ह

अय राजयोग - राजयोग म0 च मा क मह वपण भिमका होती ह

1 जम-पिका म यिद पltबली चमा ह तथा -वरािश या उkचरािश म ि-थत कोई अय 5ह उह पण) wि( स दख तो tयिJ िनन प]रवार म जम लन क बाद भी राजा क समान सख भोगता ह

2 जम-पिका म पिण)मा क चमा लन क अित]रJ िकसी क म ह तो उkच कोिट का राजयोग बनता ह

3 यिद क म शभ 5ह ह अथा)त पाप5ह न ह तथा पण) चमा िसह नवाश म ह तो राजयोग बनता ह

िवशष - राजयोगकारी 5ह यिद अ-त ह तो प]रणाम म कमी आ जाती ह अथा)त योग पण)त फिलत नहS होता 2यक लन क िलए क व िकोण क -वामी होन क कारण अलग-अलग 5ह राजयोगकारी होत ह

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1 मष लन - मष लन क कampडली म चमा व सय) चतथ) व पचम भाव क -वामी होन क कारण योगकारक होत ह

2 वषभ लन - सय) व शिन योगकारक ह सय) चतथyश ह तथा शिन नवमश-दशमश जम-पिका म इनक क -िकोण म ि-थित तथा शभ 5ह स स ब ध होन पर राजयोग क पि( करता ह

3 िमथन लन - िमथन लन क जम-पिका म बध लन व चतथ) भाव क -वामी होन क कारण योगकारक ह

4 कक) लन - कक) लन क िलए चमा व मगल िवशष योगकारक होत ह चमा लनश ह तथा मगल पचमश व दशमश ह

5 िसह लन - िसह लन क िलए सय) व मगल योगकारक 5ह ह सय) लनश ह तथा मगल चतथyश व नवमश ह

6 कया लन - कया लन म बध लनश व दशमश ह अत योगकारी ह

7 तला लन - तला लन म शिन व चमा योगकारक ह शिन चतथyश व पचमश ह तथा चमा दशमश ह

8 विhक लन - विhक लन क िलए चमा व सय) योगकारक होत ह चमा नवमश ह तथा सय) दशमश होन क कारण योगकारक होत ह

9 धन लन - धन लन म बह-पित लनश तथा चतथyश होन क कारण योगकारक ह

10 मकर लन - मकर लन म शT योगकारक होत ह शT पचमश व दशमश ह

11 मीन लन - मीन लन क िलए बह-पित लनश व दशमश ह अत योगकारक ह

नोट ndash

1 योगकारक 5ह जब जम-पिका म बली ह शभ यत व w( ह शभ भाव म ह तभी फल दत ह

2 योगकारक 5ह उनक दशा अतद)शा आन पर ही फल दत ह

5ह क उkच या -वरािश म ि-थित क आधार पर बनन वाल राजयोग का वण)न िनन ह

1 चार 5ह उkच और उनम स एक 5ह ल5 म हो तो

िन राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म शिन तला म और मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म मगल मकर म और सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर म सय) मष म और गl कक) रािश म ह

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times मगल मकर क ल5 म सय) मष म गl कक) म और शिन तला रािश म ह

2 तीन 5ह उkच म और उनम स एक ल5 म हो तो िनिलिखत राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म शिन तला म ह

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म मगल मकर म ह

times सय) मष रािश क ल5 म शिन तला म मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म और मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म सय) मष रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म मगल मकर रािश क सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर रािश म सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर रािश म गl कक) म ह

times शिन तला रािश क ल5 म गl कक) म सय) मष म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म सय) मष म गl कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म सय) मष रािश म शिन तला म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म शिन तला म गl कक) म ह

3 च कक) म दो 5ह उkच क और 5ह ल5 म हो तो िन राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म च कक) रािश म ह

times गl व च कक) रािश म ल5 म और सय) मष म ह

times सय) मष रािश क ल5 म च कक) म शिन तला रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म च कक) म सय) मष म ह

times सय) मष रािश क ल5 म च कक) म मगल मकर रािश म ह

1मगल मकर रािश क ल5 म च कक) म सय) म रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म च कक) रािश म शिन तला रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म च कक) म गl कक) रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म च कक) म मगल मकर रािश म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म च कक) म गl कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 मच कक) म शिन तला रािश म ह

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times शिन तला रािश क ल5 मच कक) म मगल मकर रािश म ह

4 च कक) म एक 5ह उkच क ल5 म हो तो िन

राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म और च कक) रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म और च कक) म ह

times शिन तला रािश क ल5 म और च कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म और चमा कक) रािश म ह

सरवती योग

यिद बध बह-पित एव शT लन स क-िकोण या ितीय -थान म ह और बह-पित -वरािश िम रािश या उkच रािश म बलवान ह तो सर-वती योग होता ह

इस योग म जम tयिJ िवान नाटककार अkछ सािह2यकार एव कला म वीणहोत ह

लwमी योग

यिद भायश अपनी मल िकोण या उkच रािश म परमोkच होकर क म हो और लनश बली हो तो लCमी योग होता ह ऐसा tयिJ िवान यश-वी राजा स समािनत अनक कार क सख को भोगन वाला तथा सतान सख को ा करन वाला होता ह

भायश और लनश क महादशा िवशष फलदायक होती ह

कलािनिध योग

लन स ितीय म बध तथा शT स यJ या w( बह-पित ह या बह-पित बध या शT क रािश म ह तो कलािनिध योग होता ह इस योग म जमा tयिJ सदगण सपन राजाओ स समािनत एव अनक सख को ा करन वाला होता ह तथा वह ाय िनरोग व िनभ)य रहता ह

धन योग

1 लन का ितीय एव एकादश स सबध धन योग कारक माना जाता ह

2 यिद धनश-धन भाव म लाभश लाभ भाव म एव लनश-लन म ि-थत ह

3 धनश और लाभश -वरािश उkचरािश या िमरािश या लाभ म ि-थत ह

4 लाभश और धनश िम ह और लन म एक साथ ि-थत ह

5 लाभश धनश और लनश लन म ि-थत ह

6 चमा ितीय भाव म शT स w( ह तो tयिJ धनाढय होता ह

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7 बध ितीय भाव म शभ 5ह स w(iuml ह तो tयिJ सदा धनवान रहता ह यिद धनश वT हो तो सब िदशाओ स लाभ करात ह

8 बध पचम भाव म -वरािश क ह च-मगल एकादश म ह तो धन योग होता ह

9 सय) लन म -वरािश क मगल और बह-पित स यत या w( ह तो धन योग होता ह

10 च -वरािश क लन म बह-पित-मगल स यत या w( ह तो धन योग होता ह

महाभाय योग

पlष क कampडली म िदन का जम हो सय) च एव लन िवषम रािश क ह ी क कampडली म राि का जम हो और सय) च एव लन सम रािशय म ह तो महाभाय योग होता ह इस योग म जम tयिJ सव) सख सपन एव महा भायशाली होत ह नीच भग राजयोग - िपछल अVयाय म हमन पढ़ा था िक नीच 5ह शभफल नहS दत परत यिद नीच

5ह का नीच भग हो जाता ह तो वही 5ह राजयोग कारक हो जाता ह

वही नीच5ह शभफल दाता हो जाता ह 5ह का नीचभग होन क ि-थि9या िनन ह -

1 नीच रािश का -वामी चमा स क म हो

2 नीच 5ह का उkचनाथ चमा स क म हो

यिद जम-पिका म उपरोJ दोन ही ि-थितया हो तभी 5ह का नीच भग होता ह इसको एक उदाहरण स समझत ह-

इस उदाहरण म सय) अपनी नीच रािश तला म ि-थत ह तला क -वामी शT चमा स दशम अथा)त क म ह अत शत) क पित) हbई नीच भग क िलए दसरी शत) यह ह िक नीच 5ह का उkच नाथ भी चमा स क म होना चािहए उkचनाथ का ता2पय) ह िक वह 5ह िजस रािश म उkच का होता ह उस रािश का -वामी हमार उदाहरण म नीच 5ह सय) ह तथा सय) मष रािश म उkच क होत ह िजसक -वामी मगल ह अत सय) क उkचनाथ मगल हग यहा मगल चमा स सम म अथा)तiuml क म ि-थत ह अत दोन शतv क पित) क कारण नीच भग राजयोग क ि-थित बनती ह उkचनाथ को समझन क

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िलए हम एक और 5ह का उदाहरण लत ह मगल मकर रािश म उkच क होत ह अत मकर क -वामी शिन मगल क उkचनाथ हग

नीच भग क दसरी - थान थम ि-थित स िमलती जलती ह इस क अनसार नीच 5ह का -वामी एव नीच 5ह का उkचनाथ एक दसर स पर-पर क म ह

इस उदाहरण म सय) अपनी नीच रािश तला म ि-थत ह नीच रािश क -वामी ह शT तथा नीच 5ह सय) क उkचनाथ ह मगल अत शT एव मगल क एक दसर स क म ि-थत होन स नीच भग राजयोग बनगा यहा मगल एव शT पर-पर सम ह अत दोन क पर-पर क म होन क कारण नीच भग राजयोग बन रहा ह

नीच भग क तीसरी ि-थित यह ह िक िजस रािश म नीच 5ह ि-थत ह उस रािश का -वामी पण) wि( स नीच 5ह को दखता हो तो नीच भग राजयोग बनता ह यिद नीच 5ह 6812 म ि-थत ह तो नीच भग राजयोग कम बली होगा परत यिद इन द-थान क अित]रJ -थान पर होगा तो BD नीच भग राजयोग बनगा

उदाहरण क म नीच रािश तला क -वामी शT सय) स 480 ही दर रह सकत ह अतसय) का नीच भग

इस कार सभव नहS ह उदाहरण ख म मगल नीच रािश कक) म ि-थत ह कक) क -वामी चमा पण) wि( स नीच 5ह मगल पर wि(iumlपात कर रह ह अत मगल का नीच भग हो रहा ह

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चतथ) िनयम यह ह िक नीच रािश का -वामी अथवा नीच 5ह का उkचनाथ जम लन या च लन स क म हो तो नीच भग राजयोग बनता ह थम ि-थित म हमन पढ़ा था िक यिद दोन चमा स क म हग तभी नीच भग राजयोग बनगा जबिक इस ि-थित म दोन म स एक क भी जम लन या च लन स क म होन पर नीच भग बताया गया ह िविभन जमपिकाओ क अVययन स यह gtात होता ह िक इसस राजयोग क BDता का िनधा)रण होता ह

इस उदाहरण म सय) क उkचनाथ मगल न तो लन न ही च लन स क म ह परत रािशनाथ शT जम लन स क म ि-थत ह अत िनयमानसार 5ह का नीच भग हो रहा ह

ऐसा माना जाता ह िक नीचभग राजयोग साधारण Bणी क नहS होत इस राजयोग वाल tयिJ िवशष पराTम स अपना -थान बना पात ह यह योग -थायी कित क नहS होत तथा योग ा होन क बाद कछ वषv म उनका म भी हो सकता ह परत एक कampडली म कई तरह क राजयोग ह तो राजयोग क काल क विX हो सकती ह

ाय करक जो 5ह नीच रािश म ि-थत ह नीचभग राजयोग होन पर उस 5ह क महादशाकाल म िवशष फल क ाि होती ह यिद नीच का 5ह अ-त भी हो तब फल क ाि म अवHय किठनाई आती ह परत नीच क 5ह को यिद अय 5ह दख तो उसक फल म विX हो जाती ह

िवपरीत राजयोग -

िवपरीत राजयोग क सबध म उ9र कालामत एव फलदीिपका म कछ िभनता ह हम यहा दोन 5थ म विण)त िवपरीत राजयोग क चचा) करग

उ9र कालामत क रचनाकार क अनसार जमपिका क अ(iumlम भाव का -वामी यिद छठ या बारहव भाव म ह छठ भाव का -वामी यिद आठव या बारहव म हो बारहव भाव का -वामी यिद छठ या आठव भाव म हो और इन अ]र(iuml भाव क -वािमय का आपस म यित या wि(iuml सबध हो तथा अय भाव क -वािमय स यित या wि(iuml सबध नहS हो तो यश ितDा धन एव राजसख क ाि होती ह फलदीिपका म इस िवषय म कछ िभनता ह फलदीिपका क अनसार षDiuml अ(म व ादश भाव क

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-वामी आपस म -थान प]रवत)न कर तो यह योग बनता ह जस षDश अ(म भाव म तथा अ(मश षD भाव म हो इसी बात को मEर महाराज न फलदीिपका म योग क माVयम स tयJ िकया ह-

1 जमपिका का छठा भाव अशभ 5ह स यत या w(iuml हो तथा छठ भाव का -वामी द -थान (6 8 12) म ि-थत हो तो हष) योग होता ह िजसस जातक शजयी यश-वी सखी व सपन होता ह

2 अ(म भाव का -वामी 6 8 या 12व भाव म ि-थत हो तो सरल योग बनाता ह जो जातक को िव^यात धनवान आयवान िनभ)य िवFा एव अय सख सपदा स यJ बनाता ह

3 जमपिका म ादश भाव का -वामी 6 8 या 12व भाव म ि-थत होकर िवमल योग का िनमा)ण करता ह जो िक जातक को उ9म काय) करन वाला यश-वी लCमीवान लोकि य एव -वत िवचारधारा वाला बनाता ह उपरोJ रचनाकार क मतानसार यह -प( ह िक-

aयोितष म 6 8 व 12व को द-थान माना गया ह तथा aयोितष क िसXात क अनसार इन भाव क -वामी िजस भाव म बठ उन भाव क फल म कमी करत ह अथा)तiuml अशभ भाव क -वामी 5ह अशभ भाव म बठग तो उस भाव क अशभ फल क कमी करत ह अत िवपरीत राजयोग क पीछ यह तय ह िक एक अ]र( भाव का -वामी यिद दसर अ]र(iuml भाव म जाएगा या उसक भावश स सबध -थािपत करगा तो उस भाव क फल क हािन करगा और िजसक कारण भाव क अ]र(ता म कमी आ जाएगी जब कampडली म अशभ भाव एव भावश क अशभ फल म कमी आती ह तो कampडली क योग का -तर बढ़ जाता ह िजसक फल-वfप जातक जीवन म यश ^याित राaयपद एव सख धन इ2यािद ा करता ह

उदाहरण - िवपरीत राजयोग कampडली aयोितष क िनयमानसार अ]र( भाव क -वामी क अ]र( भाव म ि-थित तथा भावश स सबध हो तो अशभ फल म कमी आ जाती ह िजसक फल-वfप जमपिका क सामाय शभ योग भी अkछ फल दान करत ह

िवपरीत राजयोग क अय उदाहरण

इस कampडली म बारहव भाव क -वामी आठव भाव म बठ ह

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इस कampडली म आठव भाव क -वामी छठ भाव म बठ ह

इस कampडली म छठ भाव क -वामी बारहव भाव म बठ ह तथा आठव भाव क -वामी छठ भाव म बठ ह

इस कampडली म बारहव भाव क -वामी आठव म आठव क -वामी छठ म एव छठ क -वामी बारहव म बठकर तीन कार क िवपरीत राजयोग बना रह ह

राजभग -

5ह क कपा स एक ओर जहा tयिJ राजसख भोगता ह वहS दसरी ओर दसरा tयिJ महान क( म जीवन tयतीत करता ह

कई बार जमपिका म थम w(या 5ह ि-थित ऐसी िदखाई दती ह िक tयिJ राजा सखी एव सपन होगा परत होता इसक िवपरीत ह ऐसी कौन सी 5ह ि-थितया या योग ह जो दसरी ि-थित को जम दत ह उनका िव`षण करत ह

स-कत क आिदकिव कािलदास जी न उ9र कालामत म राजयोग भग होन क कछ योग का वण)न िकया ह

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नीचथा6 परािजतव+रगता पापिampता2ातयङ

मKयथानगता6 व2िवकलवभानससगगा

भाकतिथतखचरा6 िवबला ष ठा ट+र फािधपा

क ा धीuरकोणपuरयतातद योग भगदा

अथा)त नीच 5ह 5ह यX म परा-त श रािश म पाप5ह स यत w( पाप5ह मVय ि-थत वT 5ह स यत अ-त हbआ 5ह राहb स यJ भाव सिध म ि-थत सभी 5ह िनब)ल होत ह छठ आठव एव बारहव भाव क -वामी 5ह क तथा िकोण क -वािमय क यित स उ2पन शभता को उनक साथ ि-थत होकर भग करन वाल होत ह यिद 5ह षडiumlबल म कमजोर ह तो वह राजयोग क पण) प]रणाम दन म असltम ह

जातक पा]रजात क जातक भगाVयाय म भी ऐस कछ योग कह गए ह जो राजयोग का भग करत ह

मष जकनवाशक िदनकर पापिampत िनधन

कयारािशगत यदा भगसत कयाशक िभampक

नीचeष वितनीच भाग सिहत जातो िदवानायक

राजm8 कला जो िप िवगतmीप)दाराशन

अथा)त यिद सय) मष रािश म ह िकत तला नवाश म हो और पाप5ह स w(iuml ह तो जातक िनध)न होता ह

शT यिद कया रािश एव कया नवाश म ही ह तो जातक क धन क िनरतर हािन होती ह यFिप शT वग[9म हग परत अपनी नीच रािश म होन स ऐसा फल दन वाल होत ह

यिद तला रािश म सय) अपन परम नीच भाग म तला म 10 अश पर ह तो जातक राजकल म सबस बड़ा होन पर भी राaय या शासन ा नहS कर पाता

राजयोग क सदभ) म लगभग सभी aयोितष गरथ म नवमश-दशमश क सबध को िवशष राजयोगकारी माना ह परत उ9र कालाम9 म इस योग पर एक मह2 2 वपण) िटपणी दी ह िक नवमश व दशमश क दसरी रािश यिद आठव अथवा यारहव भाव म पड़ जाए तो राजयोग का भग होता ह

यहा सबध को प+रभािषत करना भी आवRयक ह

लघ पाराशरी म0 चार कार क सबध विणत हy

amp) सबध hि$ सबध राशीश hि$ सबध यित सबध

यह सबध 2मानसार कमजोर फलदायी होत हy

धमकमािधनतारौ रzलाभािधपौ यिद तयो सबध मा)ण न योग लभत नर

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इनम सव[9म सबध lt सबध ह अथा)तiuml नवमश एव दशमश का आपसी प]रवत)न उसस कम फलदायी wि(iuml सबध माना ह अथा)तiuml नवमश-दशमश को पर-पर पण) wि(iuml स दख ततीय कार क सबध म नवमश व दशमश 5ह िजस रािश म ि-थत ह उनका -वामी उनको पण) wि(iuml स दख व चतथ) सबध यित अथा)तiuml नवमश-दशमश जमपिका म एक साथ िकसी भाव म ि-थत ह तो सबस कम फलदायी होता ह

aयोितष 5थ म ल5 क ही सबस शिJशाली होन क पि(iuml होती ह ल5 क पhात चमा को माना गया ह यिद िकसी जमपिका म ल5 एव चमा दोन खराब ि-थित म ह तो राजयोग न(iuml हो जाता ह अथा)तiuml ल5 व ल5श तथा चमा यिद अkछी ि-थित म ना ह तो राजयोग भग हो जाता ह

जमपिका म मगल बध गl शT एव शिन क काधीिDत -वरािश अथवा उkच रािश म होकर बनन वाल योग राजयोगकारी मान गए ह परत मानसागरीrsquo क लखकानसार-

क ोdचगा यWिप भसताWा मातBडशीताशयता भवित

शावcितनोवVपिGमामपाक यdछित त कवलसफलािन

अथा)तiuml जो 5ह पच महापlष योग बना रहा ह वह यिद सय) या चमा क साथ हो तो यह योग भग हो जाता ह उस 5ह क महादशा अथवा अतद)शा म कवल स2फल ा होता ह राजयोग नहS

सारावली म भी राजयोग क भग होन म चमा क ि-थित पर ही सवा)िधक जोर िदया गया ह

(क) यिद जमकampडली म सय) मगल गl व शिन यिद एक साथ ल5 म ह व चमा नीच क ह या उJ चार 5ह म स एक 5ह भी नीच का होकर ल5 म हो व चमा नीच रािश म ह तो राजयोग भग हो जाता ह

(ख) ltीण चमा यिद चर रािश क अितम नवाश म ह ि-थर रािश क अ(म नवाश म ह तथा ि-वभाव रािश क थम नवाश म ह और िकसी भी 5ह स w(iuml न ह तो राजयोग भग हो जाता ह

(ग) घटोदय नीचगतििभ5रहबह-पतौ सय)यत च नीचग एकोऽिप नोkच 2वशभ च सङगत शि-त नाश शतशो नपोवा

अथा)त यिद जम क समय म कभ ल5 हो व तीन 5ह नीच रािश म और नीच-थ गl सय) क साथ ह एव एक भी 5ह उkच-थ न हो तथा पाप5ह स यJ ल5 हो तो सकड़ राजयोग भी न( हो जात ह

(घ) यिद जम क समय अपन नवाश म सय) ह व चमा अ-त ह तथा पाप5ह स w(ी व शभ5ह स अw( ह तो जातक कछ समय तक राaय सख ा करक भी आशाओ का 2याग करक पीछ वन म जाकर दख ा करता ह

(ङ) परनीच गत च ltीणो योगो महीपत

247

नाशमायाित राजव दवgt ितलोमग

अथा)त यिद जम क समय म ltीण चमा अपन परम नीचाश म ह तो राजयोग न(iuml हो जाता ह जस aयोितषी क िवlX राजा न(iuml हो जाता ह

(च) यिद जम क समय म शT नीच नवाश म ह तो जातक को असीिमत राaय सख ा होन पर भी राजयोग न(iuml हो जाता ह

िवपरीत राजयोग भी BDiuml राजयोगदायी ह परत फलदीिपकाकार मEर क अनसार वह भग भी होता ह उनक अनसार षD अ(iumlम व ादश भाव क -वामी यिद पर-पर -थान प]रवत)न कर lt सबधी ह तो राजयोग न होकर दय योगrsquo बनगा जस-

(क) षDश-ादश म व ादशश षD म हो

(ख) अ(मश षD म व षDश अ(म म हो

(ग) ादशश अ(म म व अ(मश ादश म हो

अत जमपिका का िव`षण करत समय कवल राजयोग को दखकर भिव_य कथन उिचत नहS ह अिपत राजभग क पि( भी अिनवाय) fप स कर लनी चािहए िजस कार बादल का एक टकड़ा सय) क तज को ढककर अधकार कर दता ह उसी कार जमपिका म उपि-थत राजभग योग सम-त ऐEयv को पान क बाद भी उनक भोग स विचत कर दता ह

103 साराश

अब तो आप लोग - प_ टतया जान गय हग िक राजयोग म ज म लन वाल अ2 यिधक सख पातह साथ ही उसी कार या त2 समान क_ ट क आ जाता ह लिकन िफर भी योग क भाव स उसको बहbत ही आसानी पव)क सामना करत हbए पन सफलता को ा त कर लत ह इस कार िववचना क आधार पर हम यह कह सकत ह िक िवपरीत राजयोग भी B_ ठ राजयोदायी ह पर त फलदीकाकार म H वर क अनसार वह भग भी होता ह उनक अनसार प_ ठ अ_ टम व ादश भाव क - वामी यिद पर- पर - थान प]रवतnन करक lt सबधी हो तो राजयोग न बनकर िनध)न योग ा त होगा जस -

क प_ ठश ndash ादश म ादशश प_ ठ म हो ख अ_ टमश _ _ ठ म व _ _ ठश अ_ टम म हो ग ादशश अ_ टम म च अ_ टमश ादश म हो अत ज मपिका दखत समय कवल राजयोग को दखकर भिव_ य कथन नहS कना चािहए राजभग योग का भी िवचार कर लना चािहए नहS तो समिचत फल को ा त नहS कर पायग

248

105 श दावली

bull क दािधपित - 1 4 7 10 भाव क - वामी

bull िकोणािधपित ndash 1 9 5 - थान क - वामी

bull 5हयX ndash जब दो 5ह क यित स योग तो बन पर त दोन ही 5ह

समान अश पर ि-थत हो तो 5ह क ऐसी अव- था उनक पर- पर यX क अव- था होती ह और उस यX म िकसी 5ह म िकसी एक 5ह को परािजत होना पड़ता ह

bull अ- तगत 5ह ndash सय) क अश स च 20 मगल 17 0 बX 130 गf 110 शT 90 शिन 150 अशान तर कालाश स अ- तगत

समझना चािहए

bull िवफल2 व ndash सय) क साथ च ल न स चतथ) बध पk जम भाव म गf

दसर म मगल छठ म शT सातव म शिन हो तो िवफल अथा)त मौिलक फल क नाशक होत ह

106 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष लखक नमीच शा- ी पतीसवा स- करण 2002 काशन ndash भारतीय gtानपीठ 18 इ - टीटयशनल ए]रया

लोदी रोड नई िदA ली 2 लघपाराशरी

टीकाकार ndash सपादक ndash रामय2 न ओझा स- करण 2007 3 वहa जातकम 4 फलदीिपका

लखक म H वर

249

इकाई - 11

योितष शा0 और जिटल रोग3 का स4बध इकाई सरचना

111 -तावना 112 उGHय 113 िवषय वश 114 रोग का वगYकरण 115 रोग िनण)य क आवHयक तय 116 रोग िवचार क पDभिम 1161 भाव ारा रोग िवचार 1162 रािश ारा अग का िवचार 1163 5ह ारा रोग-िवचार 117 रोग-प]रgtान क िसXात 118 असाVय रोग क योग 1181 अप-मार (िमगY) रोग 1182 दोषपण) वाणी 1183 कण)रोग 1184 मानिसक रोग 1185 zदयरोग 1186 मधमह रोग 119 रोग-िनवित क उपाय 1110 साराश 1111 शK दावली 1112 Mाविल 1113 बोध M 1114 सदभ) 5थ सची

250

111 तावना

a योितष शा- स सबिधत 11वS इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक a योितष शा- और जिटल रोग का सबध P या ह इसक िवषय म स यग fप स वण)न िकया गया ह

aयोितष क wि( स हम कवल नौ 5ह का भाव मानत ह हमार सौरमamp डल क य नौ 5ह िविभन जातक क जम-पिकाओ म िविभन कार क भाव दिश)त करत ह इस इकाई म हम इन 5ह स उ2पन होन वाल रोग क बार म जानकारी ा करग एव जान पायग कई रोग तो ऐस ह जो सय) और चमा क िवशष भाव क कारण ही होत ह इसक अित]रJ हम इसक ारा यह gtान भी ा कर पायग िक इन रोग का उपचार aयोितष िवFा स कस िकया जाए

112 उय

इस ईकाई का अVययन करत हbए हम aयोितष शा और रोग क सबध क बार म जान पायग तथा यह बतान म सltम हग िक-

1 aयोितष और िचिक2सा का Pया सबध ह

2 रोग िनण)य क तय एव उनका वगYकरण

3 रोग िवचार क प_ ठभिम कस बनी

4 भाव क रोगो क अनसार कारक त2 2 व एव 5ह क कारक त2 2 व Pया हग

5 5ह ारा उ2पन रोग का उपचार कस िकया जाए

113 िवषय वश

aयोितष जस िविश_ ट िवषय क ित tयापक जनसमदाय क जागfकता िपछल कई दशक स लगातार बढ़ती जा रही ह अनक लोग अVययन व ारिभक -तर स काफ आग बढ़कर इस tयवसाय क तौर पर भी अगीकार कर रह ह इसका lt मन_य क जीवन म होन वाली हर गितिविधय म अ5सर हो रहा ह इहS म स एक िवषय मन_य क होन वाल रोग स सबिधत ह अय िवषय क भॉित रोग क सबध म भी जम कamp डली क आधार पर पव) जानकारी ा क जा सकती ह िचिक2सा aयोितष सव) ही aयोितष पाठयTम का अिभन अग ह

रोग क सबध म कछ लोग क धारणा ह िक व आहार-िवहार क अिनयिमतता क कारण उ2पन होत ह मन_य यिद इस पर समिचत िनयण रख तो वह -व-थ एव दीघ)जीवी बना रहता ह िकत aयोितष शा क मायता इसस िभन ह वह रोगो2पित का कारण कवल आहार िवहार म अिनयिमतता को नहS मानता Pयिक यह बात अनक बार 2यlt fप स सामन आई ह िक िनयिमत जीवन जीन वाला tयिJ भी रोग का िषकार बन जाता ह अय तय यह भी ह िक अिनयिमतता का रोग को कारण मान

251

िलया जाए तो आनवािशक रोग महामारीजय रोग एव दघ)टनाजय रोग क tया^या भली भॉित नही क जा सकती यही कारण ह िक आयवyद शा न भी रोग उ2पि9 क कारण का िवचार करत हbए हम gtात कराया ह िक कभी पवा)िजत कमv क भाव स दोष क कोप स मानिसक एव शारी]रक (वात िप9 एव कफ) रोग होत ह

आयवyद और aयोितष का तो वस भी बड़ा गहरा सबध ह कई औषिधया ऐसी ह िजनको एक िविश_ ट समय म ही तयार िकया जाता ह सौरमampड़ल क सभी 5ह क िवशषताए ह वसा ही लाभ करान वाली औषिध तयार क जानी ह तो उस 5ह िवशष क अनकल ि-थित म तयार करना उस और भावो2पादक बना दता ह

aयोितष शा क अनसार जमकाल H नकाल एव गोचर म ितकल 5ह ारा रोग क जानकारी क जा सकती ह इसी मायता क अनसार aयोितष जमकamp डली क आधार पर यह घोिषत करन म सltम ह िक जातक को अमक समय म अमक रोग होगा और उसका प]रणाम Pया िनकलगा

114 रोगA का वगBकरण

aयोितष शा- क 5थ म रोग िवचार करन स पहल उनक भद का िवचार िकया गया ह इस शा क अनसार रोग क दो कार मान गय ह - सहज एव आगतक

1 सहज रोग

मन_य क जो रोग जम स ही होत ह उह सहज रोग कहा गया ह aयोितष क अनसार सहज रोग का कारण जातक क पव)जम क कम) एव माता-िपता ारा कम) को माना गया ह जम स हbए रोग का िवचार गभा)धान कamp डली एव जमकamp डली स िकया जाता ह उJ कampड़िलय म अ(म को दखन वाल 5ह एव अय रोग क ारा िवचार िकया जाता ह सहज रोग को दो भद म िकया गया ह -

अ शारी]रक रोग उदाहरण - ललापन लगडापन नपसक बिधर मक आिद

ब मानिसक रोगः उदाहरण - जडता उमाद पागलपन आिद

2 आगतक

जम क बाद होन वाल रोग को आगतक रोग कहा गया ह इन रोग का िवचार कamp डली म षD शवषष Dश भाव म ि-थत 5ह तथा षD को दखन वाल 5ह ारा िकया जाना चािहए आगतक रोग भी दो कार क होत ह

1 wि(िनिम9जय पाप अिभचार घात ससग) महामारी आिद 2यlt घटनाओ ारा उ2पन रोग क wि(िनिम9जय रोग कहा जाता ह

2 अwि(िनिम9जय बाधक5ह योग क ारा उ2पन रोग पव) जम म िकए क2य क कारण उ2पन हbए ह उह अwि(िनिम9जय रोग कहत ह aवर अितसार आिद रोग इसी कार क ह

252

115 रोग िनणय क आवयक तCय

कamp डली का अVययन करत समय िचिक2सा aयोितष को िननिलिखत तय म िवचार कर लना चािहए

1 रोग उ2पि9 का समय

2 िनदान

3 तीता

4 उपचार

उपय)J तय का वण)न तथा aयोितष एव िचिक2सक क भिमका िनन कार ह -

1 रोग उ2पि9 का समय एक िनपण aयोितष जमपी का परीltण कर िकसी tयिJ क रोग 5-त होन क समय को सिचत कर सकता ह िजसस उनक बचाव क उपाय कर होन वाली tयािध को टाला जा सक

2 रोग का िनदान यह lt िचिक2सक का ह इस lt म aयोितष सltम तीत नहS होत इस lt म दlt होन क िलए ऐस िचिक2स ारा शोध क आव_यकता ह जो aयोितष म वीण हो

3 रोग क तीता आधिनक काल म एक प]रपPव िचिक2सक िकसी रोगी क रोग क अविध को आसानी स बता सकत ह इसी कार एक दlt aयोितष भी सभवतः िचिक2सक स भी बहतर रोग क तीता तथा प]रणाम बता सकन म सltम ह

4 उपचार िनःसदह आज िचिक2सक उपचार िकसी भी aयोितषीय उपचार स अिधक BD एव िवH वसनीय ह परत ितकल 5ह-योग क अव-था म जब िचिक2सीय िवgtान माग)दश)न न कर पाए तब सहायता क िलए aयोितषीय उपचार क fप म शाित क जानी चािहए

116 रोग िवचार कD पEभिम

aयोितष शा म रोग का िवचार करन क िलए तीन त2 2 व धान ह - (1) भाव (2) रािशया एव (3) 5ह अतः aयोितष शा क अनसार रग का िव-तार स िववचन करन क पव) उJ 5ह रािश एव भाव का िवचार कर लना आव_यक ह

1161 भाव 9ारा रोग िवचार

कamp डली म लन आिद भाव क ारा मन_य क जीवन म घिटत होन वाली 2यक घटना का पवा)नमान िकया जाता ह यह Vयान दना चािहए िक शरीर का दाया भाग कamp डली क थम स सम भाव तक तथा बाया भाग सम स थम भाव तक क भाव स दिष)त होता ह िकस भाव स कौन स रोग का िवचार िकया जाए व िनन ह -

253

(1) थम इस भाव स िसर दद) मानिसक रोग नजला एव िदमागी कमजोरी शरीर बाल fप 2वचा िना रोग स छटकारा आय बढ़ापा तथा काय) करन क योयता का इस भाव स मAयाकन िकया जाता ह

(2) ितीय इस भाव स म2य का िवचार होता ह यह भाव न (दायS) िजा मखरोग नाक वाणी नाखन गल क खराबी का ितिनिध2व करता ह

(3) ततीय इस भाव स कampठ गद)न गला भजाए Eसन णाली भोजन निलका अगD स पथक अगली तक का भाग -वन मानिसक अि-थरता फफड क रोग आिद का िवचार िकया जाता ह

(4) चतथ) छाती (वlt-थल) zदय एव पसिलय म होन वाल रोग पागलपन एव अय मानिसक िवकार का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

(5) पचम इस भाव स मदािन अfिच िप9रोग िप9 क थली ितAली अयाशय मन िवचार गभा)व-था नािभ एव गदy क रोग का िवचार िकया जाता ह यह भाव पट क सभी रोग का ितिनिध2व करता ह

(6) षD इस भाव स छोटी आत अपिडPस गदा) घाव ltयरोग कफजिनत रोग छाल वाल रोग (छोटी माता) िवष हिन)या अमाशयी नासर (ण) का िवचार िकया जाता ह

(7) सम इस भाव स मह मधमह दर पथरी बडी आत गभा)षय अampडाषय वीय) थली मनली तथा वि-त म होन वाल रोग का िवचार िकया जाता ह

(8) अ(म भाव इस भाव स ग रोग वीय) िवकार भगदर बाहरी जननाग अग-हािन चहर क क( दीघ)कािलक या असाVय रोग ती मानिसक वदना का िवचार िकया जाता ह

(9) नवम इस भाव स िय क मािसक धम) सबधी रोग रJ िवकार वाय िवकार कAह का दद) जाघ क रJ वािहिनया एव मaजा रोगो का िवचार होता ह

(10) दशम इस भाव स गिठया चम)रोग घटन का दद) एव अय वाय रोग का िवचार िकया जाता ह

(11) एकादशइस भाव स पर म चोट पर क हडडी टटना िपडिलयो म दद) शीत िवकार एव रJ िवकार का िवचार िकया जाता ह

(12) ादश इस भाव स पर बायी आख िना म बाधा एलजY मानिसक असतलन अ-पताल म भतY होना दोषपण) पोिलय एव शरीर म रोग क ितरोध क ltमता क िवचार िकया जाता ह

काण क आधार पर अग क ितिनिध भाव

254

रोग क िवषय म _कारण क भिमका मह2 2 व मानी गई ह मन_य क शरीर क िकस अग म घाव चोट या गाठ होगी इसका िवचार करन क िलए ाचीन आचाय[ न _काण क आधार पर शरीर क तीन भाग क कAपना कर लन आिद भाव को शरीर क िविभन का ितिनिध माना ह तीन _कोण शरीर क तीन भाग का ितिनिध2व करत ह पहला भाग िसर स मह तक दसरा गद)न स नािभ तीसरा वि-त स पर तक वराहिमिहर तथा अय 5थकार क अनसार कamp डली म पहला दसरा व तीसरा _काण उिदत होन पर कamp डली क िविभन भाव ारा िनfिपत शरीर क अग -तत उदाहरण कडली म दषा)य गय ह -

255

1162 रािश 9ारा अग का िवचार

aयोितष शा- क 5थ म कालपfष शKद का योग िकया गया ह सम-त भचT को आव9 करत हbए एक अलौिकक मानव क कAपना क गई ह भचT क िविभन रािशया उस कालपfष क शरीर पर ि-थत ह िजसक आधार पर उसक अग रोग 5-त या -व-थ ह यह जाना जा सकता ह

इस अग िवभाजन का यिद िव-तारपव)क अवलोकन िकया जाए तो यह कहा जा सकता ह िक मष आिद 12 रािशया मन_य क शरीर क िननिलिखत अगो का ितिनध2व करती ह

कालपfष क शारी]रक अग

T स रािश शारी]रक अग

1 मष मि-त_क िसर क बाल िसर

2 वष चहरा (आख नाक कान दात)

3 िमथन कठ कोहनी भजा कधा वlt -थल

4 कक) zदय फफड एव Eासनली

5 िसह पट आत िजगर नािभ

6 कया कमर एव आत

7 तला बि-त माषय गभा)षय का ऊपरी भाग

8 विhक गाग गभा)षय गदा

9 धन ऊf

10 मकर जान एव घटना

11 कभ जघा िपडली

12 मीन टखना पर पादतल एव पर क अगिलया

256

रोग िवचार क सग म0 नamp) का प+रचय

िजस कार शरीर क िविभन अग भचT क 12 रािशय स दिष)त होत ह उसी कार व 27 नlt स भी दिश)त होत ह इस िवषय पर सव[9म वण)न पनः वामनपराण म सवाद क fप म भगवान िव_ण क शरीर को लकर ह शरीर क अग क ितिनिध2व करन वाल नlt उनस सबिधत रोग उ2पन करत ह भगवान िव_ण क नlt शरीर का वण)न उपर िदया गया ह

1163 हो 9ारा रोग िवचार

जस भचT क िभन-िभन रािशय तथा नlt का अिधकार lt शरीर क अग पर ह ठीक उसी कार 5ह भी शरीर क िविभन अग स सबिधत ह कौन सा 5ह िकस त2 2 व का ितिनिध2व करता ह शरीर

257

क िकन अग को भािवत कर कौनसा रोग उ2पन कर सकता ह इन बात का िवचार यहा पर सिlt fप स दन का यास िकया गया ह-

5ह त2 2 व स धात अग शरीर क उपkव शारी]रक शिJ

सय) अिन अि-थ zदय िसर ाणादार

चमा जल रJ मन मख पागलपन

मगल अिन मaजा wि( कान जलन सजन

बध पवी चम) नाम पट नस

गf आकाष चबY शरीर गदा) -थलता

शT जल शTाण िजा न अत)रस

शिन वाय -नाय कान पर जोड

5हो क कारक त2 2 व एव सबिधत रोग

सय

इसक िप9 कित ह इनका अिधकार lt zदय पट अि-थ तथा दािहनी आख ह सय) क अिधकार lt म िसरदद) गजापन अितिचड़िचड़ापन aवर दद) जलना िप9 क सजन स होन वाल रोग zदय रोग न रोग पट क बीमा]रया अि-थ रोग कछ 2वचा रोग िगरन स तथा श स चोट िवषपान रJ सचार म गड़बड़ी िमरगी कD रोग आिद ह

वात त2 2 व सिहत इसक कित कफ ह यह tयिJ क मनक ि-थरता तथा प(ता को ितिबिबत करता ह यह मानिसक रोग अशाित घबड़ाना अितिना तथा सामाय जड़ता का ितिनिध2व करता ह

कफ सबधी रोग ltय रोग जलोदर रोग अजीण) अितसार रJाAपता शारी]रक तरल बहाव रJ िवषाJता कप aवर aवर पव) कपकपी कछ 2वचा रोग कामला (पीिलया) जल तथा जलीय जतओ स भय पशओ क सSग स होन वाल घाव इ2यािद का ितिनिध2व च करत ह च तथा मगल िमलकर िय क जनन णाली क रोग च क कारण होत ह

मगलः

मगल क िप9 कित ह यह आTामक तथा ऊजा)वान ह कampडली म मगल क ि-थित जातक क -वा-य तज एव चतना क बलता को ितिबिबत रकती ह इनका अिधकार lt ह िसर अि-थ मaजा िप9 हीमोलोिबन कोिषकाए एampडोमीियम (जहा lsquolsquoबीजrsquorsquo 2यारोपण स िशश बनता ह) ह मगल दघ)टना चोट शAय िTयाए जल सबधी रJ िवकार उkच-नीच रJचाप िप9चाप िप9जय सजन तथा उसक कारण होन वाला aवरिप9ाशय क पथरी श स चोट िवषाJता अ2यिधक यास

258

फफोल सिहत बखार मानिसक िवचलन न 2वचा पर खजली अष) (बवासीर) गभा)षय क रोग सव तथा गभ)पात का कारण ह

बध

बध क -वभाव म तीन कार क वि9 ह जस वात िप9 कफ बध का सबध जातक क बिX स ह ितकल बध पापी च क साथ िमलकर मानिसक िवचलन का कारण भी बन सकता ह इसका अिधकार lt 2वचा गला नाक फफड़ा तथा अ5मि-त_क ह यह धय)हीनता अभ भाषा दोषपण) वाणी कट कित (-वाभाव) चPकर आना Eत कD नपसकता न रोग नाक-कान-गल का रोग बहरापन तथा दः-वन को इिगत करता ह

गf क कफ कित ह अ2यिधक शभ 5ह होन क कारण यह जातक को रोग स बचाता ह तथा कamp डली म अनक पाप को न( करता ह इसका अिधकार lt यकत िप9 क थली ितAली अनाशय का कछ भाग कान तथा शरीर म चबY पर ह गf मोटापा कण) रोग मधमह इ2यािद को इिगत करता ह मदगामी 5ह होन क कारण इसक ारा होन वाल रोग दीघ)कालीक होत ह गf आल-य का भी कारक ह

श2

शT म वात तथा कफ क अिधकता होती ह यह tयिJ क यौन िTयाओ का ितिनिध2व करता ह इसका अिधकार lt चहरा wि( वीय) जननाग इ2यािद पर ह यह आ आपkछ तथा अनाषय क कछ भाग का भी कारक ह

यह एक जलीय 5ह ह और इसका सबध शरीर क हारमोनल णाली स ह चहर क रोग न रोग मोितयािबद वतकD रोग मथनजिनत रोग मधमह गदy एव हाम[न सबधी िवकार को इिगत करता ह

शिन

शिन क म यतः वात तथा कफ कित ह यह मदचारी 5ह होन क कारण इसस होन वाल रोग असाVय या अितदीघ)कािलक होत ह शिन का अिधकार lt पर नाड़ी बड़ी आत का अितम भाग लिसकावािहनी तथा गदा ह यह दीघ)कािलकता असाVययता उमाद पltपात पागलपन उAटी सबधी रोग क सर आिद को इिगत करता ह

राह4

राहb काय) मदगित स करना फहड़ता िहचक उमाद अw_य भय कD शिJहीनता अश)रोग दीघ)कािलक ण तथा छाल असाVय रोग िवषाJा सप)दश तथा परो क रोग को राहb इिगत करता ह च क साथ िमलकर राहb िविभन कार क भय दता ह शिन क सwश होन क कारण यह रोग क दीघ)कािलकता तथा असाVयता को भी इिगत करता ह

259

कत

राहb क ारा इिगत सभी रोग कत भी पदा करता ह इसक अित]रJ इसस होन वाल रोग अिनिhत कारण वाल महामारी छाल यJ aवर जहरील सTमण स होन वाल सTामक रोग आकिम बहरापन दोषपण) वाणी रोग िनदान म िट ह मगल क सwष होन क कारण कत शAयिTया को इिगत करता ह

117 रोग-पampरान क िसFा0त

मन_य अपन -वाभावानसार कोई भी 5ह रोगकारक नहS हbआ करता िकत जब वह कछ िवशष प]रि-थितय म मन_य क शारी]रक या मानिसक -वा-य म िवकार उ2पन होन क सचना दता ह तब वह रोगकारक कहलाता ह फिलत aयोितष म षDभाव रोगभाव कहलाया गया ह अतः षDभाव म ि-थत 5ह या षDभाव स सबिधत 5ह रोगो2व का कारण बनता ह परत इसक अित]रJ भी िननिलिखत हत aयोितष शा म मह2 2 वपण) मान गय ह -

1 रोग (षD) भाव का ितिनिध2व

2 अ(म या tयय भाव का ितिनिध2व

3 रोग भाव म ि-थित

4 लन म ि-थित या लन का ितिनिध2व

5 नीचरािश श रािश म ि-थित या िनब)लता

6 अवरोहीपन (उkच रािश स आग बढ़कर नीचिभमख होना)

7 Tर षDयष म ि-थित

8 पाप 5ह का भाव

9 कारक त2 2 व या मारकत2 2 व

118 असाGय रोगA क योग

1181 अपमार रोग (िमगV)

260

कamp डली म िननिलिखत योग ह तो अप-मार बीमारी होन का डर होता ह-

1 शिन मगल सय) आठव घर म हो

2 शिन बध मगल लन म हो तो

3 छठ घर म शिन राहb अथवा कत स यJ ह तो

4 चमा स राहb छठ आठव अथवा बारहव भाव म हो तो

5 शिन विhक म हो और मगल िमथन रािश म हो

6 बध शिन स यJ हो तो

7 चमा पर शिन और राहb अथवा कत क wि( हो तो

8 लन एव सय) पर शिन तथा राहb क wि( हो तो जातक अप-मार रोग स पीिडत होता ह

उदाहरण - यह कamp डली एक लडक क ह जो अप-मार रोग का िषकार हbआ लन म सय) मगल बध

ि-थत ह तथा लन को कत दख रहा ह चमा स राहb बारहव घर म ि-थत ह और वाणीकारक बध सय) व मगल स पीिड़त ह

1182 दोषपण वाणी (हकलाना)

जब ितीय -थान तथा वाणी का कारक बध पाप 5ह स यJ हो अथवा इन पर पापी 5ह क wि( हो तो tयिJ बोलन म लडखडाता ह अथा)त उसक वाणी म कोई िट होगी

उदाहरण

यह कamp डली एक डॉPटर क ह जो हकलाकर बोलता ह ितीय भाव तथा ितीयष शT पर शिन क पण) wि( ह ितीय भाव पर मगल यJ कत क भी नवम पण) wि( ह वाणी का कारक बध अ-त ह

(1) जब ितीयश षDष क साथ यJ हो और उस पर शिन क wि( हो तो tयिJ मक (गगा) होगा

(2) अगर बध और षDष लन म हो तो tयिJ मक होगा

261

(3) अगर बध मकर अथवा कभ म हो और उस पर शिन क wि( हो तो जातक हकलाकर बोलगा

1183 कण रोग

कान क बीमारी का िनण)य इस कार स लना चािहए

1 बध शिन स चौथ भाव म हो तथा षDष िकसी िक भाव म हो

2 बध तथा शT क यित बारहव भाव म बाय कान क दोषपण) BवणिTया को दषा)ती ह

3 तीसर गयारहव पाचव या नव भाव म पाप 5ह शभ5ह स w( न ह

नोट 39 भाव यम पर पाप 5ह दाए कान को तथा 511 भाव यम पर बाए कान को ltित पहbचात ह

4 नीच रािश म शT राहb क साथ हो

5 बध तथा षDष चतथ) िकसी िक-थान म शिन क ारा w( हो

6 बध तथा षDष चतथ) भाव म ह और शिन लन म हो

7 सय) तथा बध क यित तीसर छठ या यारहव भाव म हो

1 बध सनन तथा िकसी भी कार का सचार का काय) बध करता ह बली बध शभ 5ह क भाव म अkछी Bवण शिJ दता ह पीिड़त हो तो िवपरीत फल होत ह

2 तीसरा भाव कamp डली म तीसर भाव का सबध कान स ह तीसर भाव तथा ततीयष पर शभ भाव ह तो अkछी Bवण शिJ दत ह

3 यारहवा भाव तीसरा भाव तथा ततीयश दाय कान को (Bवण णाली क अित]रJ) एव एकादश भाव तथा एकादशश बाए कान को इिगत करत ह

बध तीसरा भाव ततीयश एकादष भाव तथा एकादशश पर शभ तथा अशभ भाव क अनसार ही कान क Bवण शिJ होती ह

262

उदाहरण यह कamp डली एक लडक क ह जो बचपन म ही बहरी हो गई थी बाय कान म बहbत कम

Bवण शिJ तथा दाय कान स िबAकल बहरी हो गई थी बध क सय) क साथ यित ह तथा वह अ(मश शिन एव वT गf क ारा w( ह

1184 मानिसक रोग

अिधकतर मानिसक असतलन तभी होता ह जब च पीिड़त हो च तभी पीिडत होता ह जब वह दब)ल हो छठ आठव या बारहव भाव म ि-थत हो तथा पाप 5ह स यJ या w( हो िविभन 5ह स पीिडत चमा का फल इस कार बताया गया ह -

(1) सय) तीCण -वभाव झगडाल वि9

(2) मगल तीCण -वभाव आTमक िहसक

(3) शिन ती अवसाद सनद उदासी यJ पागलपन

(4) राहb चालाक tयवहार म िवसगित अकारण भय आ2मघाती वि9

(5) कत सनकआ2मघाती वि9 भय दसर पर अकारण सदह करना

उदाहरण

यह कamp डली एक ी क ह जो झगडाल वि9 ह तथा कभी-कभी अवसाद तथा आ2मघाती दौर पड़त ह च बारहव -थान म वT अ(मश क साथ ह तथा षDष शिन क ारा w( ह बध छठ -थान म ादशश तथा वT अ(मश क ारा w( ह गf -वय वT अ(मश तथा पचमश ह जो शिन क ारा w( ह बिX तथा िचतन का पाचवा भाव ह िजसम सय) तथा राहb क बठन स तथा शिन क wि( स पचम भाव काफ पीिडत ह

263

1185 दय रोग

जमपिका म zदय रोग को िनि_चत करन क िलए िननिलिखत िबदओ को िनरीltण करना चािहए सय) पर पाप भाव zदय रोग क िलए सबस मह2 2 वपण कारण ह

सय) पर पाप भाव िनन कार स हो सकता ह

(1) मगल तथा शिन क साथ यित या wि( ारा और राहb-कत अlt ारा

(2) नीच रािश म होना

(3) पापकत)री अथा)त दोन ओर पाप 5ह का होना

(4) छठ आठव या बारहव भावभावष स सबध होना

(5) िसह रािशश पर पाप भाव पाप यित अथवा wि( ारा

(6) पचम भाव पर पाप भाव नसिग)क पाप 5ह क अथवा िक भावष स यित अथवा wि(

(7) पचमश पर पाप भाव नसिग)क पाप 5हो स िक भावष स या वT 5ह स

(8) चतथ) भाव लन अथवा सय) स चतथ) भाव पर पाप भाव वlt म जिटलताए या zदय रोग क शAय िचिक2सा का सचक ह

पचम भाव पचमश तथा सय) पर शभ भाव क बहbलता सरिltत िचिक2सा तथा रोग मJ होन का सचक ह पया) पाप भाव क रहत उन 5ह क दषाए जो सय) पचम भाव या पचमश स यJ ह zदय रोग दती ह पाप 5ह क महादषा म पचम भाव म बठ वT 5ह क अतद)षा िवशष fप म मह2 2 वपण) ह

उदाहरण यह कamp डली एक ऐस tयिJ क ह िजसक zदयगित fक जान क कारण म2य हो गई कamp डली म चतथ) भाव तथा सय) पापी कत स यJ ह तथा राहb एव शिन क पण) wि( स पीिड़त ह सम -थान म शिन मगल और गf का योग ह इही कारण स जातक का zदयाघात (हाट) फल) हbआ और म2य हो गई म2य क समय अ(मश बध क महादषा म कत क अतद)षा चल रही थी

264

1186 मधमह या मह

यह षरीर म शक) रा क चयापचय का रोग ह रJ तथा शारी]रक ततओ म अिधक शक) रा होती ह परत इसका उपयोग नहS हो पाता इसिलन नामक हाम[न क कमी क कारण शरीर म शक) रा का -तर बढ़ता ह तथा जिटलताय उ2पन होती ह जो वा-तव म शरीर क सभी अग पर भाव डालती ह

मधमह क योग

मधमह क िलए िननिलिखत योग बताए गय ह -

1 गf नीच रािश या छठ आठव या बारहव भाव म हो

2 शिन तथा राहb गf को यित या wि( ारा पीिड़त करत हो

3 अ-त गf राहb-कत अlt पर हो

4 शT छठ भाव म गf क ारा ादष भाव स w( हो

5 पचमश 6 8 तथा 12 भावष स यJ हो

6 वT गf िकभाव म पीिड़त हो

यकत और अनाशय इसिलन का उ2पादन करता ह यह दोन उदर क ऊपरी भाग म ि-थत ह और यह पचम भाव क अिधकार lt म आत ह यकत तथा अनाशय क एक भाग का कारक गf ह शष अनाशय का कारक शT ह शT शरीर क हाम[न णाली का भी कारक ह अतः इस कार मधमह क मामल म गf शT तथा पचम भाव क भिमका रहती ह

उदाहरण कBडली

इस ी को मधमह रोग हbआ िजसका गf षD भाव म अ(मश नीच मगल स w( ह शT ादशश नीच सय) स यJ तथा षDष शिन व अ(मश मगल स w( ह पचम भाव तथा पचमश राहb-कत और मगल स पीिड़त ह

265

119 रोग-िनवित क उपाय

िजस कार गमY सदY बरसात-तफान बाढ़ aवारभाटा आिद ाकितक िनयमानसार इस ससार म आत ह उसी कार यह ाकितक िनयम ह िक 5ह आपन शभ या अशभ फल को प]रि-थितय क अनसार ािणय को अव_य दग ाकितक िवपदाओ स बचन क िलए मानव सदा स ही उसक िनवि9 क उपाय को खोजन म सltम रहा ह तथा िन2य िनरतर नय उपाय क भी खोज जारी ह

इसी wि(कोण स िवान आचाय[ न शा म 5ह क अशभ भाव स छटकारा पान क िलए अ]र( शाित या 5ह शाित का िवधान कट िकया ह जो 5ह आपक िलए िकसी समय िवशष म क( कारक हो रह ह तब उनक िनवि9 क हत उनक िलए कछ दान म जप -नान औषिध एव मिण (र2न) आिद धारण करन स उनक क भाव को काफ हद तक कम िकया जा सकता ह अतः यहा हम सभी 5ह क िलए दान क व-तए मिण जप का म -नान औषिध आिद क जानकारी िनन कार द रह ह-

सय) सबिधत रोग िनवि9 का उपचार

1 सय ह-शाित हत िविध

दान - गहq ताबा घी मसर गड ककम लाल कपड़ा कनर क फल लाल कमल बछड सिहत गौ तथा सोना इन सबका अथवा यथाशिJ उपलKध ह उनका यथोिचत दान कर

जप मः -

ऊ घिणः सया)य नमः

इस म का - 7000 जप करक आक क लकडी स दशाश म स हवन करना चािहए

र2न मािणक (लाल) सोन म दाए हाथ क अनािमका म धारण कर

2 च मा ह-शाित हत िविध

दान योय व-तए - Eत (सफद) कपड़ा मोती चादी चावल खाampड़ चीनी दही शख सफद फल सफद वषभ आिद

जप मः - ऊ स सोमाय नमःrsquorsquo

इसका जप - 11000 जप करन चािहए तथा ढ़ाक क लकडी स दशायश म स हवन करना चािहए

र2न सफद शX मोती चादी म बनवाकर दाय हाथ क अनािमका म पहन

3 मगल ह-शाित िविध

दान व-त - मसर गड़ घी लाल कपडा गहq लाल फल ताबा कसर

जप म - ऊ अगारकाय नमः

266

इसका जप 10000 करक खर (खिदर) क लकडी स हवन करना चािहए

र2न मगा सोन या ताब म पहनना चािहए

4 बध ह-शाित हत िविध

दान व-तः मग खाampड़ घी हरा व चादी फल हाथी दात कप)र

जाप म- ऊ ब बधाय नमः

इस म का 19000 जप करक िचरचीरी क लकडी स हवन करना चािहए

र2न पना चादी या सोन म बनवाकर छोटी अगली म पहनना चािहए

5 ग ह-शाित हत िविध

दान व-त - चन क दाल कkची शPकर हAदी पीला कपड़ा पीला फल घी और सोना

जाप म - ऊ ब_बह-पतय नमः

इस म का 19000 जप करना चािहए तथा पीपल क लकडी म हवन करना चािहए

र2न पखराज को सोन म बनावाकर अगठ क पास वाली अगली (तज)नी) म अथवा अनािमका म पहनना चािहए

6 श2 ह-शाित हत िविध

दान व-त - चादी चावल दध सफद कपडा घी सफद फल खषबदार धप या अगरब29ी सफद चदन

जाप म - ऊ श शTाय नमः

इस म का जप 6000 करक गलर क लकडी स हवन करना चािहए

र2न हीरा िकसी सफद धात म पहन

7 शिन ह-शाित हत िविध

दान व-तए - काला कपडा साबत उडद लोहा अलसी तल जट (सन) काला प_प काला ितल क-तरी और काला कबल

जाप म - ऊ श शन_चराय नमःrsquorsquo

इसका जप 23000 करक शमी क लकडी स हवन करना चािहए

र2न नीलम चादी या सधात म बनवाकर बाए हाथ क बड़ी अगली म पहनना चािहए

8 राह4 ह-शाित हत िविध

दान व-तए- काला ितल तल उडद कAथी सरस दाना राई नीला कपडा काला फल काला नीला कबल या ऊनी कपडा

267

जाप म - ऊ रा राहव नमःrsquorsquo

इस म का जप 18000 कर तथा दध सिहत आम क लकडी पर हवन कर

र2न गोमद को चादी या अ(धात म बनवाकर बाए हाथ क लबी अगली म पहन

9 कत ह-शाित हत िविध

दान व-तए - सात अनाज कागज झampडी ऊनी कपडा ितल और बकरा

जाप म - ऊ क कतव नमःrsquorsquo

इस म का 17000 जप कर कषािमिBत आम क लकड़ी स हवन कर

र2न लहसिनया चादी ताब या अ(धात म बनवाकर बाय हाथ क तज)नी अगली अथवा अनािमका म पहनो

नोट 5ह क सनता क िलए दान योय व-तओ म स कछ व-तए उपलKध न हो अथवा सामय) न हो

तो यथाषिJ व-तओ का दान करना चािहए

हवन क िलए जो लकड़ी बताई गई ह यिद व उपलKध न हो सक तो आम पीपल या गलर क लकडी स हवन िकया जा सकता ह तथा सबिधत 5ह क सिमधा क कछ आहbितया अवH य दनी चािहए

यिद तरत बध न हो सक तो अथवा सामय) न हो तो 5ह क सबिधत धात क अगठी या छAला ही बनवाकर िनिद)( अगिलय म पहन लना चािहए यिद कोई इन तोJ मो क -थान पर विदक म का योग करना चाह तो कोई हािन नहS ह म क जप स^या उस ि-थित म भी पव)वत रहगी यFिप जप हवन दान व मिण धारण कर सबक करन स पण) फल िमलता ह लिकन आज कल क tय-त जीवन म यिद tयिJ एक ही काय) करना चाह तो उस मिण या धात धारण कर लनी चािहए मिण शी व सबस अिधक भावकारी होती ह इसक िवकरण ltमता शरीर क तरग क साथ िमलकर तरत फल दन म समथ) होती ह

रोग िनविG क िलए नान

5ह िचिक2सा म रोग स िनवि9 क िलए -नान भी मख उपाय माना गया ह फिलत aयोितष क 5थ म कहा गया ह िक - लाजवित हAदी दवदास लग मोथा कट को तीथ[दक म िमला -नान करन स 5हपीड़ा तथा रोगपीड़ा न( हो जाती ह कछ आचाय[ का मत ह िक िजस tयिJ क कamp डली म जो 5ह रोगकारक हो उस tयिJ को उस 5ह क औषिध क जल स -नान करन स पीडा को कछ कम िकया जा सकता ह

सय) आिद 5ह क औषिधया

5ह -नानाथ) औषिधया

सय) इलायची दवदाf खस कसर मलठी कनर

268

चमा पचगध शख सीप Eत चदन -फ

मगल िवAवछाल रJचदन रJपबप धमनी

बध गोमय मध अltत फल -वण) मोती

शT इलायची कसर

शिन सरमा लोगन धमनी सौफ

राहb लोबन िवलप हाथी दात एव क-तरी

कत लोबान िवलप हाथी दात एव क-तरी

1110 साराश

उपरोJ विण)त इकाई म आपन अVययन िकया िक aयोितष तथा िचिक2सा दोन ाचीन ह तथा भारतीय जीवनशली को िनदyिशत करत ह ाचीन भारत म aयोितष तथा औषिध का िवकास धम) क अग क fप म हbआ आरोय क िसXात तथा रोग क रोकथाम भी उसी तरह जीवन क दिनक स-कार का एक िह-सा थ जस सासा]रक काय[ म aयोितष का उपयोग इस इकाई क अतग)त हमन रोग क वगYकरण एव रोग का िनण)य करन क िलए आवH यक तय को समझान का यास िकया ह यहा हमन रोग क पDभिम को Vयान म रखत हbए उसका रािश भाव 5ह स सबध का उAलख करत हbए तीन _कोणो ( थम ितीय एव ततीय) स कamp डली म भिमका का वण)न िकया ह इसी कार हमन वामन पराण स ऋिष पल-2य तथा ऋिष नारद क बीच सवाद पर आधा]रत एक िच म भचT क िविभन नlt स सबिधत शरीर क अग को दिष)त िकया ह

5ह स सबिधत रोग क अतग)त हमन सय) आिद नौ 5ह क कारकत2व रोग प]रgtान क िसXात एव रोग िनवि9 क उपचार को समझाया ह इस कार आप इस इकाई क अVययन क उपरात aयोितष एव उनस सबिधत जिटल रोग एव उनक उपचार का दltता पव)क gtान हािसल कर पायग

1111 श दावली

bull अप-मार = िमगY रोग

bull सहज रोग = जम स होन वाल

bull आगतक रोग = जम क बाद ि-थितवश होन वाल रोग

bull _काण = रािश का ततीय भाग अथा)त 10 अश

bull भावयम = पर-पर आमन-सामन क भाव अथा)त सम भाव

269

bull आनवािशक रोग = एक पीिढ़ स दसरी पीिढ़ म आन वाल रोग

1112 ाविल

1 aयोितष शा क अनसार रोग क जानकारी िकस कार क जा सकती ह

उ9र aयोितष शा क अनसार जमकाल H नकाल एव कडली म ितकल 5ह ारा रोग क जानकारी ा क जा सकती ह

2 रोग का िकन दो कार स वगYकरण िकया गया ह

उ9र रोग का वगYकरण सहज एव आगतक रोग म िकया गया ह

3 wि(िनिम9जय एव अwि(िनिम9जय रोग म Pया अतर ह

उ9र जो रोग 2यlt घटनाओ ारा उ2पन हbए हो - जस अिभशाप महामारी दघ)टना आिद उह wि(िनिम9जय रोग कहत ह इसक िवपरीत पव) जम म िकए कत स उ2पन रोग अwि(िनिम9जय रोग कहलाय गय ह जस - aवर अितसार आिद

4 रोग िनण)य क चार आव_य तय बताइय

उ9र रोग िनण)य क चार आव_य तय िनन कार ह

(1) रोगो2पि9 का समय (2) िनदान (3) तीता (4) उपचार

5 2 3 4 तथा 11 भाव जमाग म िकन-िकन अग को दशा)ता ह

उ9र दसरा भाव - दाया न मख नाक नाखन

तीसरा भाव - कठ गला गद)न भजाए

चतथ) भाव - zदय वlt -थल ऊf पसिलया

एकादष भाव - पर िपampडिलया बाया कान

6 कamp डली म कक) रािश िकन शारी]रक अग का ितिनिध2व करती ह

उ9र कक) रािश zदय फफड एव Eासनली का ितिनिध2व करती ह

7 िनन िलिखत पिJ स2य ह या अस2य बताए

क कडली का छठा भाव रोग का ितिनिध2व करता ह

- उपय)J पिJ स2य ह

ख _कोण शरीर क गद)न स नािभ तक का भाग दशा)ता ह

- यह अस2य ह थम _काण िसर स मख तक का भाग दशा)ता ह

270

ग aयोितष क अनसार रोगिनवि9 का उपचार नहS ह

- उपयJ कथन अस2य ह aयोितष म रोग िनवारण हत दान-पampय म जाप र2न धारण िविध का उAलख ह

घ गf क कफ कित ह

- यह कथन स2य ह

8 ऋिष पल-2य तथा नारद जी क बीच का सवाद िकस पराण म ह

उ9र उपय)J वण)न वामन पराण म ह

9 जडता उमाद पागलपन िकस रोग को दशा)त ह

उ9र िनन रोग मानिसकता रोग क उदाहरण ह

10 छठा भाव िकन रोग को दशा)ता ह

उ9र छठ भाव स ltय रोग कफजिनत रोग अपिडPस छाल वाल रोग आिद का gtान होना ह

11 शT 5ह िकस कित क रोग का कारक ह

उ9र शT 5ह वात तथा कफ कित का कारक ह

1113 बोध

1 नर आकार िच बनाकर उनम नlt क स-थापना कर तथा िकस अग पर िकस नlt का अिधकार ह यह -प( कर

2 वत)मान प]र-थितय म िचिक2सा aयोितष क मह2 2 व पर काश डाल

3 िचिक2सा aयोितष म द_ ठकाण क मह2 2 व पर चचा) कर

4 सय) आिद नौ 5ह क रोग िनवि9 क उपचार िलख

(1) मानिसक रोग (2) zदय रोग (3) मधमह

1114 स0दभ 130थ सची

1 िचिक2सा aयोितष क मौिलक त|व

सपादक डॉ क एस चरक

काशक

2 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

271

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

3 भारतीय aयोितष

tया^याकार डॉ निमच शाी

काशक भारतीय gtानपीठ िदAली

272

इकाई - 12

गभाampधान इकाई सरचना

121 -तावना 122 उGHय 123 िवषय वश 1231 मािसक धम) क िववचना

1232 शा क अनसार रजोदश)नकाल 1233 रजोदश)न काल (मािसक धम))

1234 थम रजोदश)न म शभाशभ िवचार 1235 शभफलदायी मास

1236 शभफलदायी नlt 1237 गampड़ नlt म थम रजोदश)न का फल

1238 रज-वला होन क बाद -नान महq2 त) 124 गभा)धान क िTया 1241 गभा)धान का अथ)

1242 गभा)धान म 2याaय 1243 गampड-मलािद जम िवचार 125 गभ) सभव योग 1251 गभ)ि-थित का -वfप

1252 गभ)पि( gtान 1253 गभ) विX योगgtान 126 गभा)धान स सव तक दश मास का चT एव -वामी 1261 गभ)सिहत गभ)हािन योग

1262 गभ)पात योग 127 गभ)पात िनवारण 1271 सव िदनाङक बोधक चT एव उसक उपयोग क उपयोग क िविध 1272 गभ)वती क िलए विज)त काय) 1273 गभ) सिहत गभ)वती मरण-gtान 128 सतान योग

273

1281 गभ) म प और कया का gtान 1282 प योग

1283 कया योग 1284 गभ) म यमल योग 1285 नपसक सतान उ2पन होन क योग

1286 जारज योग 1287 पादजात सप)वि(त जम

1288 िपता क अनपि-थित म सतान का जम 129 सव 1291 सव का gtान

1292 म-तकािद स सव 1293 सव का क( एव सख gtान

1294 सव -थान का gtान 1295 शAय िचिक2सा स सव क योग

1296 अनगभा) योग 1210 स सव हत उपाय 1211 साराश 1212 शK दावली 1213 अित लघ9रा2मक B 1214 लघ9रा2मक B 1215 सदभ) 5थ

121 तावना

स-कार वह िविध ह िजसक ारा Bौत व -मात) कमv स शरीर म अिधिDत आ2मा को स-कत अथवा शX िकया जाता ह षोड़श स-कार म थम स-कार ह गभा)धान स-कारrsquolsquo

lस क िसX जीव िवgtानी ो जािज)स लाखोव-क ऐस सभवत थम आधिनक वgtािनक थ िजहन यह -प( िकया था िक तार एव 5ह स आन वाली रिHमय का भाव गभा)धान एव जम क समय tयिJ क भाय पर प]रलिltत होता ह इन तार स आन वाली रिHमया न कवल भाय को भािवत करती ह अिपत पवी पर सम-त जीव क सरचना गभा)धान क समय उनक अampड़ या िपampड़ क ऊपर भी इनका भाव पड़ता ह

परत ाचीनकाल क भारतीय ऋिष-मिनय ारा गभा)धान काल क मह|व को wि(सङगत रखत हbए कई वषv पव) उसका उAलख कर िदया गया था

274

122 उय

इस इकाई क अVययन स हम िन िवषय पर gtान ा करग -

1 गभ) Pया ह गभा)धान Pया ह

2 गभा)धानकाल क शभ गण कौन-कौन स ह

3 िय का ऋत-चT

4 गभ)धारण एव गभपात का िववचन

123 िवषय वश

गभा)धान क िवषय म िवचार करन स पव) यह gtान आवHयक ह िक गभ) Pया ह गभ)rsquolsquoगभ) शKद स मन चतना पचमहाभत क िवकार का बोध होता ह गभा)शय म ि-थत पlष का शT और ी का शोिणत जब एक दसर स यJ हो जात ह और उनम आ2मा का अिधDान हो जाता ह तो वह अ( कित और षोड़श िवकितय स यJ सजीविपampड गभ)rsquolsquoकहलाता ह आधान = -थािपत स पlष ारा जीव का ी क गभा)शय म -थािपत होना

1231 मािसक धम क िववचना - यवा अव-था ा होन पर ी क शरीर म ही गभा)शय

(बkचादानी) फटन लगती ह और उसम रJाव होन लगता ह थली का मख खल जान स रJपण) थली खाली हो जान पर उस पन पण)ता क -वभािवक इkछा ा होती ह तो ीfप उस जीव को उस थली क पन पण)ता करन क ी क कामना होती ह ाकितक यह कामना जो ी को हो जाती ह ा यौवन अव-था क ी क रािश स 2यक मास म मङगल और चमा क आकाशीय ि-थितय वश जो भाव पड़ता ह उसी स गभा)शय (बkचादानी) फट जाती ह और उसस िवकत रJाव होन लगता ह इसिलए ितमास क मािसक धम) क िलए मङगल और चमा य दो 5ह ही करण हो जात ह 2यक चामास म थम अमाव-या स ितीय अमाव-या तक क िकसी भी िदन क िकसी ltण म उJ ि-थित सभव होती ह

1232 शाF क अनसार रजोदशनकाल - आठ वष) क गौरीrsquo नौ वष) क रोिहणीrsquo दस वष) क

कयासgtकrsquo तथा तदनतर ादशािद वषv क कया वषलीrsquo अथा)त रज-वला सgtक होती ह यथा -

अ$वषा भवiौरी नवम रोिहणी भवत

दशम कयका ोjा 9ादश वषली मता - aयोितिन)बध

रजोदश)न स कया ाि हत िनिद)( िदवस - 5 7 9 11 13 15

रजोदश)न स प ाि हत िनिद)( िदवस - 4 6 8 10 12 14 16

275

रजोदश)न क चार क पhात गampडात आिद tयितपात वधित BाX दिषत नlt को 2यागकर उपरोJ िदवस म tयिJ को गणश-मातका-पampयाहवाचनािद कम) करक शभराि म रितिTया करनी चािहए

1233 रजोदशन काल (मािसक धम) - ी क जम कampड़ली स चमा जब अनपचय (1 2 4

5 7 8 9 12) रािश हो और गोचर म ि-थत मङगल क चमा पर पण)wि( हो तो ितमास ी को मािसक धम) होता ह यही मािसक धम) गभ) का कारण बनता ह यिद ी क रािश स ततीय-षD-दशम-एकादश रािश म चमा हो तो वह मािसक धम) िन_फल हो जाता ह अथा)त गभ)धारण क ltमता उस रजोदश)न म नहS होती ह

रजोदश)न काल म ी-समागम नहS करना चािहए इस समय ी गभ)धारण क अव-था म नहS होती ह रजोदश)न स तीन िदन तक ी का शरीर अ-पHय होता ह अत पlष को 2याaय िदवस म समागम नहS करना चािहए

1234 थम रजोदशन म0 शभाशभ िवचार - थम बार कया को जब रजोदश)न हो वह समय भी

आधान व जय समयवत बहbत सी बात क िलए शभदायक होता ह उसस भाय िनमा)ण भी भिव_य म हो सकता ह

भायJ वला म साव-था म सTाित म अमाव-या ]रJाितिथ (4-9-14) सVयाकाल षDी अ(मी या ादशी ितिथ म lणाव-था म च व सय) क 5हणकाल म पातयोग (वधित व tयितपात महापात) म यिद कया को थम रजोदश)न हो तो वह उसक भाय क िलए अशभ सचक ह

1235 शभफलदायी मास - माघ माग)शीष) वशाख आिEन फाAगन aयD Bावण मास म यिद

थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

1236 शभफलदायी नamp) - Bवण धिनDा शतिभषा िचा अनराधा रवती मगिशरा अिEनी

प_य ह-त रोिहणी उ9राय एव -वाती म यिद थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

शभ 5ह क वार म शभ ल5 म यिद थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

1237 गBड़ नamp) म0 थम रजोदशन का फल - गampड़ात म यिद कया को रजोदश)न तो वह शी

ही वधtय को ा करती ह ऐसी कया सतान धन सख एव वािद स रिहत कल का नाश करन वाली होती ह शाोJ िविध स जप होमािद स यिद दवताओ ~ाण का पजन िकया जाय तो िवपि9य क शाित होकर सख-सौभाय क ाि होती ह

1238 रजवला होन क बाद नान महb त - ह-त -वाती अिEनी मगिशरा अनराधा धिनDा

धरव सgtक (उफा उषा उभा रोिहणी नlt) aयDा - इन नlt म शभ ितिथ और शभ वार म थम रज-वला ी का -नान करना शभफलदायी होता ह मगिशरा रवती -वाती ह-त अिEनी रोिहणी - तो रजोिनवि9 क पhातiuml कया शी ही गभ)धारण करती ह

276

124 गभाधान कD िHया

1241 गभाधान का अथ - गभा)वTाित का अथ) पlष और ी बीज का आपस म िमलकर

गभ[2पि9 क िTया करना ह अवTाित स अवTमण अवतरण उपगमन आिद का बोध होता ह शT और आतव क सिमBण स गभ) क उ2पन होन तक क िविध गभा)वTाित कहत ह

िववाह का गभा)धान पार-प]रक िनकटतम सबध ह इसिलए गभा)धान हत दोन (ी-पlष) का tय-क होना अ2यावHयक ह इसस पिहल यिद गभा)धान होता ह तो सतान अAपजीवी न( या दब)ल जायगी जब माता-िपता का शारी]रक-मानिसक wि( स सपण) िवकास होगा तभी -व-य सतान हो सकती ह गभ)-य आधान गभा)धानमrsquolsquoअथा)त िजस कम) क ारा गभ) म बीज का -थापन पlष ारा ी म िकया जाता ह उस गभा)धान कहा जाता ह इस स-कार स वीय) सबिध अथवा गभ) सबिधत पाप का नाश हो जाता ह सव) थम ऋत -नान क पhात भाया) क ीधम) म होन स या रजोदश)न स 16 िदन तक गभा)धान क योय होती ह

गभा)धान क िTया अथा)त यथाथ) म गभा)धान कब सभव हाता ह इस िTया को वgtािनक आधार पर समझ लना आवHयक ह ितमास ी क गभा)शय म एक अampड़ आता ह िजस आङगलभषा म ओवमrsquolsquoकहत ह गभा)शय क आत]रक भाग म दो निलकाय होती ह िजह फलोिपयन टयब कहत ह एक मास म एक निलका स गभा)शय ओवम आता ह तथा दसर मास म दसरी निलका स ी-पlष समागम क पlष क जननाङग स िनसत अस^य शTाण (-पम)) ी क गभा)शय म पहbचत ह अस^य शTाणओ म कोई एक शTाण ही जीिवत रह पाता ह और वही गभ) म जाकर ी क रज स सिमिBत होकर नतन जीव का fप धारण करता ह यिद एक स अिधक शTाण गभा)शय म ी क रज स सिमिBत हो जात ह तभी ी क एक स अिधक सतान उ2पन होती ह पर ऐसा लाख म एक बार होता ह वत)मान म गभा)धान क िTया को वgtािनक न सरोगट मदर एव -पम) डोनट क िTया स अित सरल बना िदया ह अब व दपि9 भी सतासख ा कर सकत ह िजनम ी (गभा)शय क िवकार) अथवा पlष (शTाणओ क िवकार समागत क समय शारी]रक अltमता) या दोन ही सम-या5-त ह कभी-कभी गभा)शय म ती गित स मण कर सकन क अltमता क कारण रज (ओवम) स सयोग नहS कर सकता इस सचार- िTया को मोिबिलटी कहत ह यह -पम) 4-5 घampट तक गभा)शय म गितशील रहत ह कभी-कभी ी पlष क समागम क समय -पम) और ओवम का त2काल ही सिमBण हो जाता ह और गभ)धारण हो जाता ह तथा कभी-कभी तीन-चार घampट बार सिमBण होता ह ाय जो समागम क समय गभा)धान का समय िनधा)]रत िकया जाता ह वह -थलमान ही ह Pयिक समागम क समय और गभा)धान क समय म कभी-कभी शयकाल का अतर होता ह तो कभी-कभी कछ घampट का अतर हो जाता ह

277

1242 गभाधान म0 याMय - रजोिनवि9 क पhात ी-समागम करन क पव) गampड़ातय (नlt-

गampड़ात ितिथ-गampड़ात व ल5 गampड़ात) जम नlt स सातवा नlt मल भरणी अिEनी रवती मघा माता क BाX िदवस ल5 स आठवी रािश पाप5ह क नlt को 2याग दना चािहए यह दाप2य जीवन क सखमयी नहS होता ह

1243 गBड-मलािद जम िवचार - अिEनी आH लषा मघा aयDा मल एवम रवती- य 6 नlt

गampडमल कहलात ह इन नlt म उ2पन बालक-माता िपता कल या -वय को अ]र(iumlदायक होता ह यिद यह अ]र(iuml स बच जाए तो अपन बल-बिX स ससार म सख पव)क दीघ) आय ा करता ह इसिलए गampड मल म उ2पन बालक क िपता को 27 िदन तक उसका मख नहS दखना चािहय और िफर सित--नान क बाद गampड मल नlt क शाित आिद कराकर ही बालक का मख दखना चािहय

125 गभ सgtभव योग

यिद गभा)धान क समय पlष क रािश स उपचय (3 6 10 11) रािश म अपन-अपन नवमाश म ि-थत बलवान सय) व शT हो अथवा अथवा ी क रािश स उपचय रािश म मङगल व चमा -वनवमाश म हो तो गभ)धारण क सभावना रहती ह

लघजातक क अनसार -वरािश या -वनवमाश म बलवान सय) और शT पlष क उपचय रािश म हो या ी क उपचय रािशय म बलवानiuml चमा और मङगल अपन -वरािश या -वनवमाश म हो तो गभ) रहता ह

1251 गभिथित का वप - आधान काल म ी क जसी मन क भावना इkछा कफवातािद

दोष क ि-थित होती ह उसी क अनfप गण-दोष स यJ गभ)-थ बालक क वि9 होती ह

1252 गभपि$ ान - ल5 म शभ5ह हो या चमा शभ यत हो अथवा ल5 च स क एव

िकोण म 5ह ि-थत हो तथा ततीय एकादश भाव म पाप5ह हो तो सवकाल सखमय tयतीत होकर सखमयी सव होता ह

1253 गभ विk योगान - सारावली क अनसार गभा)धान-कािलक ल5 पर यिद बलवान बध

गl और सय) क wि( हो तो गभ) िनरतर बढ़ता ह 2यक मास म -वामी क बलानसार -वभाव व गण क गभ) होता ह

126 गभाधान स सव तक दश मासA का चH एव वामी

गभ)काल म िजस मास का -वामी दिषत (अ-तािद) हो तो उस मास म गभ)-पीड़ा तथा िजस मास क -वामी िनपीिडत हो तो उस मास म गभ) का पतन तथा िजन मास म -वामी िनम)ल हो तो उन मास म गभ) प( समझना चािहए चT स ि-थित -प( ह -

मास िथित वामी

278

थम कलल (रज-वीय) का सिमBण) शT

ि-थित - इस महीन म कवल वीय) रहता ह और वीय) क कारक शT ह शT जलत2 2 व 5ह ह इसिलए थम महीन म ि-थत वीय) ि-थत शTाण ी क िडबाण म अवि-थत रज स िमलकर एक अampड़ का fप धारण कर लता ह इसिलए थम मास म गभ) क ि-थित -प( नहS हो पाती ह

ि9तीय िपBड़प मङगल

ि-थित - मङगल अि5त2 2 व ह इसिलए मङगल उस रज-वीय) fपी अampड़ म सघनता लात ह और यह मास का लौथड़ा सा बन जाता ह िजसस माता क शरीर म िप9 बढऩ लगता ह और सता को उAटी चPकर व बचनी होन लगती ह

ततीय हाथ-पर आिद अङग क अवयव गl

ि-थित - गl आकाश धान दव ह उस मास क लोथड़ म जीव का सचार कर लड़का या लड़क क fप म प]रवित)त कर दत ह शरीर क भीतर सबस पहल गाङग का िनमा)ण होता ह िजसक कारण गभ)-थ िलङग क पि( हो जाती ह गभ)-थ िशश क विX स गभा)शय स गभा)शय क 5िथया सिTय हो जाती ह और माता क शरीर क िप9ािधPय पर िनयण होता ह और गभ)वती मिहला अदभत सनता का अनभव करती ह

चतथ हडडी सय

ि-थित - सय) हडडी क कारक ह इनक प(ता व दब)ला जातक क हडिडय का िवकार िनधा)]रत करती ह

पpचम चम (चमड़ी) च

ि-थित - चमा जलत2 2 व ह इसिलए इस मास म गभ)-थ िशश क शरीर म रJ सचरण होन लगता ह और रJवािहिनया िवकिसत होन लगती ह और पाचव महीन म शरीर नस मासपिशय व नािडय़ स यJ हो जाता ह

ष8 रोम शिन

ि-थित - शिन कश और -वfप क कारक ह इसिलए षDमास म मानव क सदरता कfपता गौर अथवा क_णवण) का िनधा)रण हो जाता ह अथा)त 2वचा का िनमा)ण हो जाता ह

सLम चतय (चतना) बध

ि-थित - बध बिX का कारक ह इस मास म गभ)-थ िशश का उदय होता ह वह -वत िTयाय करन लगती ह मा क ारा 5हण िकय गय भोजन आिद और मा क -वभाव पर वह िशश ितिTया करन लगता ह इस मास म िय को सभी विज)त िकयाय अिनवाय) fप स बद कर दनी चािहए Pयिक इसी

279

मास म िशश माता क आचार-िवचार िकयाकलाप स भािवत होता ह उदाहरणतया हम ाद सभा और अिभमय का िवचार कर सकत ह

अ$म माता-िपता 9ारा खाय गय अन का रसावादन लश

ि-थित - इस मास क -वामी कोई भी 5ह हो सकत ह अत िवशष सावधानी क जfरत होती ह इस मास क -वामी पीिडत हो जाय समय पव) सव अथवा अय िवकार उ2पन हो सकत ह सभी जानत ह िक आठव मास म उ2पन िशश क जीिवत रहन क सभावनाय नगampय ही होती ह क( तो िशश व माता दोन क िलए ही होता ह

नवम गभ स बाहर िनकलन का उ9ग च मा

ि-थित - चमा जलकारक ह चमा पट क भीतर इतना जल उ2पन कर दत ह िक िशश िबना िकसी तकलीफ क पट क भीतर िहल-डल सकता ह यिद िशश आराम स रहगा तो सव भी सखमय होगा

दशम सव सय

ि-थित - सय) अि55ह ह अत पट क भीतर गभY पदा करक िशश को माता क शरीर स अलग कर दत ह वह िजन मासपिशय म जकड़ा होता ह उनस छट जाता ह और आराम स जम ल लता ह

1261 गभसिहत गभहािन योग -

1 यिद आधान समय म सय) या चमा पाप5ह क मVय हो और उन पर शभ 5ह क wि( का अभाव हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

2 आचाय)वराहिमिहर क अनसार ल5 व चमा को पाप5ह क मVय म रहन पर सगभा) ी का मरण होता ह

3 आधान समय म लन व सम भाव म पाप5ह शभ5ह स अw( हो तो सगभा) का मरण अथवा ल5 म शिन और उस पर ltीण चमा व मङगल क wि( हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

4 चतथ) भाव म मङगल हो तथा बाहरव भाव म सय) व ltीण चमा हो उन पर पाप5ह क wि( हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

1262 गभपात योग - िन योग म गभ)पात होन क ि-थित उ2पन होती ह -

1 शिन व मङगल षD या चतथ) म ि-थत हो तो गभ)पात-योग बनता ह

2 ल5 म सय) हो सम म शिन हो अथवा सम म सय) व शिन साथ हो और दशम -थान पर गl क wि( हो तो गभ)पात-योग बनता ह

3 पचम -थान म राहb-शिन इ2यािद पाप5ह ि-थत हो अथवा पाप5ह क wि( हो तो गभ)पात-योग बनता ह

280

4 पचम -थान म जो नवमाश हो उस रािश को पाप5ह दखत हो तो यह गभ)पात-योग बनता ह

5 षDश क साथ शिन षD -थान म हो और चमा सम -थान म हो तो गभ)पात-योग बनता ह

6 अ(मश अ(मभाव म ि-थत हो तो गभ)पात-योग बनता ह

127 गभपात िनवारण

1 कशा क जड़ कास क जड़ एरampड़ क जड़ तथा गौखf िमलाकर 2 तोला दध 16 तोला पानी 64 तोला यथािविध पकाए इस दध म िमBी डालकर कई िदन तक सवन करन स गभ)पात सचक रJाव बद हो जाता ह

2 कसf िसघाड़ा जीवक ऋषभक काकोली ltीरकाकोली मदा महामदा शालपणY पिBपणY जीवती तथा मलहठी कमल नीला कमल एरampडमल तथा शतावरी िमिलत 2 तोल दध 16 तोल जल 64 तोल तथा शष 16 तोला यथािविध दधपाक करक िमBी िमलाकर सवन कर इसस ती वदना तथा गभ)ाव बद हो जाता ह

3 कसf िसघाड़ा पाख नीला कमल मपणY तथा मलहठी को िमलाकर 2 तोला दध 16 तोला पानी 64 तोला तथा शष 16 तोला यथािविध दधपाक कर इस दध म खाampड डालकर पीन स गिभ)णी िय का ती शल सयJ गभ)ाव बद हो जाता ह

4 गभा)व-था क पवा)व-था म पकाD कमल कशfक बला िसघाड़ा बरगद क जटा का शीत Pवाथ िमलाकर पीन स गभ)पात fक जाता ह िजनको ाय गभ)पात होता हो उह गभ)धारण स लकर लाभ होन तक यह औषिध िनरतर िपलाय दब)ल गभा)शय क यह सदर बल द तथा गभ)-थापक ह

1271 सव िदनाङक बोधक च2 एव उसक उपयोग क उपयोग क िविध मािसक ाव बद

होन क िदनाङकम उसी महीन क स^या जो गोल क अदर दी हbई ह उस जोड़ दव उस महीन क दिltण म जो महीना िलखा ह उसी महीन म योगफल क िदनाङक म सव होगा

281

उदाहरण 1 - मािसक ाव बद होन का िदनाङक 17 िदसबर + िदसबर क दी हbई स^या 6 = 23 िसतबर सव िदनाङक

उदाहरण 2 - मािसक ाव बद होन का िदनाङक 6 अ ल + अ ल क दी हbई स^या 5 = 11 जनवरी सव िदनाङक

1272 गभवती क िलए विजत काय - िदन म सोना काजल लगाना रोना अिधक -नान करना

अनलपन तथा तल मािलश नाखन काटना तज दौडऩा जोर स हसना अिधक बोलना शोर म रहना कघी का अिधक उपयोग अिधक वाय का सवन तथा tयथ) प]रBम करना अिधक आभषण पहनना अिधक ठampड़ी या अिधक गम) व-त का उपयोग अिधक नमकन या खटाई क ची+जो का सवन करना

1273 गभ सिहत गभवती मरण-ान -

1 यिद आधानसमय म सय) या चमा पाप5ह क मVय म हो और उनपर शभ5ह क wि( का अभाव हो तो गभ)सिहत गभ)वती का मरण होता ह

2 आचाय) वराहिमिहर न लन व चमा को पाप5ह क मVय म रहन पर सगभा) ी का मरणयोग बताया ह

3 आधानसमय म लन व सम म पाप5ह शभ5ह स अw( हो तो सगभा) का मरण अथवा लन म शिन हो एव उस पर ltीण च व मगल क wि( हो तो गभ)वती ी का मरण होता ह

4 चतथ)भाव म मगल हो ादश म सय) व ltीण चमा हो व उन पर पाप5ह क wि( हो तो सगभा) का मरण होता ह

128 स0तान योग

1281 गभ म0 प) और कया का ान - यिद आधानकाल म अथवा Bकampड़ली म बलवान ल5

चमा गl सय) िवषम रािश म व िवषम रािश क नवमाश म हो तो प का जम होता ह यिद पव[J ल5 चािद समरािश व समरािश क नवमाश म हो तो कया का जम होता ह

यिद बलवान गl सय) िवषम रािश म हो तो पlष का जम यिद समरािश-थ बलवान शT चमा मङगल हो तो कया का जम होता ह रजोदश)न स तीन राि तक ी अ-पHय रहती ह चतथ) िदन वह सासा]रक धम) म व9 होन योय होती ह परत शा म िवधान ह िक ी 16व िदन तक गभा)धान हत शारी]रक wि( स -व-थ रहती ह चतथ) िदन स सोलहव िदन तक यिद समागम िकया जाय तो िनिलखत फल िमलत ह -

समागम िदवस फल

चतथ) अAपाय प

पचम कयाजम

282

षD वशिव-तार करन वाला प

सम कया (वVया)

अ(म प ाि

नवम च क समान fपवती कया

दशम भावशाली प जो अनक tयिJय पर -वािम9व -थािपत कर

एकादश िवlपा कया

ादश प (धनवान)

योदश पाप आचरण वाली कया

चतद)श धम)शील प

पचदश लCमीवती कया

षोड़श सव)gt प

1282 प) योग

1 पचमश ल5 म हो एव गl स यत या w( हो तो थम सतान प होता ह

2 आधान लल म पचमश पlष5ह हो और वह पlषरािश अथवा पlषरािश क नवमाश म हो तो जातक को थम सतित पfप म ा होती ह

3 पचमभाव म सय) हो और उस शT दखता हो तो गिभ)णी ी क तीन प होत ह

4 पचमभाव म सय) और मङगल हो तो चार प होत ह

5 िसह व विhक ल5 म हो पचम भाव का -वामी गl पचम म ि-थत हो तथा शभ5ह स w( हो तो पाच प क ाि होती ह

6 पचमश पचमभाव म हो -वगही हो और पचमभाव स पाचव -थान पर शिन हो तो इस योग म सात प क ाि होती ह उनम स दो यमल सतान भी होती ह

7 गl पचम या नवम म ि-थत हो पचमश पण)बली हो धनश दशमभाव म हो तो गभ)वती क आठ सतान (प) उ2पन होती ह यिद शAय िचिक2सा एव अय कोई बाधा न हो तो

1283 कया योग

1 ल5श बलवान होकर पचम सम नवम या एकादश -थान म हो तो थम सतित कया क fप म ा होती ह

2 पचमश यिद ी5ह ीरािश अथवा ी नवमाश म हो तो थम कया का जम होता ह

283

3 पचमश चमा हो या पचमभाव म चमा हो तो िकया योग बनता ह

4 पचमश शिन स यत हो तथा चतथ) -थान म राहq हो तो दो या तीन कयाए होती ह

5 ल5 स ततीय भाव म बली बध बठा हो एव पचमभाव म चमा हो ता पाच कयाए होती ह

6 कया ल5 हो पचमभाव म शिन हो अथवा पचमभाव शिन च बध या शT ारा w( हो तो आठ कयाओ क ाि होती ह

7 समरािश (वष कक) कया विhक मकर मीन) का बध पचम या सम भाव म हो तो बहbकया योग बनता ह

8 पचमभाव म समरािश हो लाभ-थान म बध शT या च हो तो कया सतित क बाहbAयता रहती ह

1284 गभ म0 यमल योग

जड़वा बkच दो कार क होत ह माता क गभ) स दो या अिधक सतान एक साथ उ2पन(एक ही िदन म कछ समय क अतराल म एक ही माता स उ2पन बkच) होन वाल बkच या यमल कहलात ह गभा)धान या Bल5 स यमलयोग का िवचार िकया जाता ह -

1 यिद Bकाल म अथवा गभा)धान काल म िमथन रािश म या धनरािश म गl-सय) हो और और बध स w( हो तो एक ही गभ) स दो प का जम होता ह

2 यिद शT च मङगल कया या मीन रािश म बध स w( हो तो कया का जम होता ह

3 चमा और शT समरािश म हो तथा ल5 मङगल बध गl िवषम रािश म हो एक ही गभ) स यगल (एक लड़का व एक लड़क) उ2पन होत ह

4 ल5 और चमा समरािश म हो और उन दोन को पlष 5ह स दख तो यमल सतान उ2पन होती ह

5 ल5 मङगल बध और गl - य चार बलवान होकर सम रािश-थ होन पर यमल सतान उ2पन होती ह

6 िमथन कया धन और मीन को ि अग रािश कहत ह सभी 5ह और ल5 ि अग नवमाश म हो और उनको अपन नवमाश म ि-थत बध दख तो एक ही गभ) एक साथ तीन सतान उ2पन होती ह

7 उपय)J योग म यिद िमथन नवमाश ि-थत बध दख तो दो लड़क व एक लड़क का जम होता ह यिद कया नवमाश ि-थत बध दख तो दो कया व एक प का जम एक ही गभ) स होता ह

8 यिद गभा)धान क समय ल5श और ततीयश दोन का योग ल5 म हो तो एक ही गभ) स यमल सतान उ2पन होती ह

284

9 गभा)धान क समय ल5श और ततीयश का योग हो ल5श ततीय भाव म हो या अपन उkच -थान म हो तो एक ही गभ) स यमल सतान उ2पन होती ह

1285 नपसक सतान उपन होन क योग

इस Pलीब योग कहत ह िकस कार क 5ह-ि-थित म नपसक का जम होता ह वह अधोिलिखत योग बताया गया ह -

1 शिन यिद समरािश म और बध िवषय रािश म हो तथा दोन म पर-पर wि( हो

2 B अथवा आधानकाल म यिद बलवान िवषमरािशगत सय) और समरािशगत चमा पर-पर w( हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

3 सय) समरािश म हो और मङगल िवषमरािश म हो तथा दोन म पर-पर wि( हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

4 चमा तथा ल5 दोन िवषमरािश म हो और मङगल समरािश म ि-थत होकर दोन को दख तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

5 चमा समरािश म और बध िवषमरािश म हो और मङगल चमा तथा बध दोन को दख तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

6 ल5 चमा और शT - यह तीन िकसी भी रािश म हो िकत तीन िवषयक नवमाश म ि-थत हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

नोट - गभा)धान काल क अतग)त वीय) क अिधकता स प होता ह रज क अिधकता स कया होता

ह तथा शT शोिणत का साय होन स नपसक का जम होता ह

1286 जारज योग (अय पlष स उपन सतान)

यिद कोई ी tयिभचा]रणी हो और अपन पित क अित]रJ अय िकसी पlष स सतान उ2पन कर तो ऐसी सतान जारजसतान कहलाती ह िन योग स जारज सतान उ2पन होती ह -

1 यिद ल5 या च शभ5ह क रािश म हो और बह-पित क वग) हो तो जातक जारज सतान होता ह

2 रिव शिन या मङगलवार को यिद चतथY नवमी या चतद)शी ितिथ हो उस िदन उ9राफाAगनी उ9राषाढ़ा या उ9राभापद म स कोई भी नlt का तीसरा चरण हो तो जारजप उ2पन होता ह

3 ल5 म अ(मभाव म चमा हो चमा स अ(म-थ गl हो गl पाप5ह स यत w( या पीिडत हो तो जारजप उ2पन होता ह

285

4 पचमश चर रािश म हो शिन पचम भाव म हो च राहb स यJ हो तो जारजप उ2पन होता ह

1287 पादजात सपवि$त जम

ाय जब सतान का शरीर माता क योिनमाग) स बाहर िनकलता ह तो पहल िसर िनकलता ह िफर मVयभाग और अत म पर िकत कई सव म इसक िवपरीत पहल पर तथा अत म िसर िनकलता ह ऐस िशशओ को पादजात कहत ह इसक अित]रJ कछ िशश जब पदा होत ह तो नाल उनक शरीर क चार और िलपटी रहती हइस सप)वि(त कहत ह अगर इस पर शी Vयान न िदया जाय तो िशश क म2य भी हो सकती ह

1 यिद गभा)धान क समय ततीयश राहb क साथ हो तो िशश पादजाता होता ह

2 राहb ल5 म हो और ल5श दशम म हो तो िशश पादजात होता ह

3 यिद अ(मश राहb क साथ ल5 म हो तो सप)वि(त योग होता ह

4 यिद ल5 Tर 5ह क _काण म हो ल5श गिलक या अ(मश स यत हो और क म राहb हो तो सप)वि(त योग होता ह

1288 िपता क अनपिथित म0 सतान का जम

1 यिद जम समय म ल5 च स अw( हो तो िपता क अनपि-थित म जातक का जम होता ह

2 अ(म नवम अथवा एकादश ादशी भाव म सय) चररािश म हो तो िपता क अनपि-थित म जातक का जम होता ह

3 यिद िदन म जम हो तो सय) राि म जम हो तो शिन मङगल स w( हो तो जातक क िपता क म2य परदश म होती ह

4 यिद सय) शिन चररािश म मङगल स यत या w( हो तो जातक क िपता क म2य परदश म होती ह

5 सय) स पचम सम नवम भाव म पाप5ह हो अथवा पाप5ह स w( हो तो िपता बधन का योग बनता ह

प अथवा पी क इkछा रखन वाल दपितय को िवशष िदन म ही मथनिTया म रत होना चािहए -

1 -नान क पhात प ाि क इkछा होन पर आतवकाल स सम िदन म मथन करना चािहए

2 िजह पी क इkछा हो व आतवकाल स िवषम िदन म मथन कर

मथन और सगभ)ता - मथन िTया म व9 होन क पिहल कछ आवHयक आहbितया दकर एव िनिलिखत म को पढ़त हbए ही मथन म व9 होना चािहए -

286

आयरिस सव)त ितDािस धा2वा दधात िवधाता2वा दधात ~वच)सा भविदित

~ा बह-पितिव)_ण-सोम सय)-तथाऽिEनौ भगोऽथ िमावlणौ वीर ददात म सतम

अिहरिस आयरिस सव)त ितDािस धाता 2वा

दधात िवधाता2वा दधात ~वच)सा भविदित

~ाबह-पितिव_ण सोम सय)-तथाऽिEनौ

भगोऽथ िमा वlणौ प वीर ददात म

इसक बाद जब शTltरण होन लग तो िनिलिखत म को पढ़त रहना चािहए -

पषाभगसिवता म दधात l कAपयित ललामग िव_णय[िन कAपयत 2व(ा

lपािणिपशत अिसिचत जापितधा)ता गभn दधात त

गभn धिह िसनीवािल गभn धिह पथ(bक

गभn त अिEनौ दवा वाध9ा प_करजौिवितस सजथा-त जो वEानरो

दFाद ~ाणमामयत ~गभn दधाि2वित

ाbख उदbखो बोपिव(ो मथतो मिमित चक ावण कया)त

इन उपरोJ म स gtात होता ह िक मथन सगभ)ता हत िनिम9 मा माना गया ह उस सफल और मनोऽनकल बनान क िलए धाता िवधाता क ही नहS अिपत ~ािद िविभन शिJय क भी आराधना क गयी ह िजसस जीवा2मा क ितkछाया अपनी शाEत इय9ा को -थल fप म अधगिDत करत हbए गभ) क साथ)कता िस कर सक ग हमार ाचीन मिनय न भी मथन क इस भौितक िTया को सफल बनान क िलए अनकल ऋत मास पlt ितिथ िदन नlt योग करण महq2 त) एव आसनािद क भी tयव-था कर दी ह

129 सव

1291 सव का ान

गभा)धान कािलक ल5 या राि सgtक जो हो उस राि क िजतन अश उिदत हो भJ हो उतना ही िदन या राि tयतीत होन पर सव होता ह

1292 मतकािद स सव

यिद जम क समय शीष[दय (िमथन िसह कया तला विhक और कभ) रािश हो तो थम गभ) स िसर पDोदय (मष वष कक) धन और मकर) हो तो चरण उभयचारी (मीन) हो तो हाथ स सव होता ह अथवा य ही अङग सव) थम योिनार स बाहर आत ह

287

1293 सव का क$ एव सख ान

यिद जमकाल क समय म नवम भाव म पाप5ह हो तो क( स सव होता ह यिद चतथ) दशम म शभ5ह हो तो सख स सव होता ह

1294 सव थान का ान

जमल5 क रािश व नवमाश क समान -थान पर सव होता ह -

1 ल5 स ि-वभाव रािश का नवमाश हो तो जातक का जम माग) म होता ह

2 ल5 स ि-थर रािश का नवमाश हो तो जातक का जम घर म होता ह

3 ल5 स -वरािश का नवमाश हो तो जातक का जम घर म होता ह

4 ल5 स अय रािश का नवमाश हो तो जातक का जम अय tयिJ क घर म होता ह

1295 शgय िचिकसा स सव क योग

1 राहb सय) व मङगल पचमभाव म ि-थत हो तो सव शAय िचिक2सा ारा होता ह

2 पचम -थान का -वामी अपनी नीचरािश म हो नवमभाव का -वामी ल5 म हो बध व कत पचमभाव म हो तो गभ)वती ी का िशश शAय िचिक2सा ार जम लता ह

1296 अनगभा योग

अनगभा) योग म जम लन वाली ी गभ)धारण करन क योय नहS होती ह यह योग ी क कampड़ली म िन कार स बताय गय ह -

1 सय) ल5 म हो और शिन समभाव म हो अथवा सय) शिन समभाव म एक साथ ि-थत हो तो तथा बह-पित दशमभाव को दख रहा हो तो यह योग बनता ह

2 शिन एव मङगल छठ भाव म या चतथ) भाव म हो तो यह योग बनता ह

3 शिन षDश क साथ हो अथवा छठ -थान म हो और चमा सम भाव म हो और अनगभा) योग बनता ह

1210 ससव हत उपाय

1 वट क प9 पर लाल चदन स अनार क कलम स िनािकत म और य िलखकर सता क िसर पर रख दन स सखपव)क सव होता ह

म) - अि-त गोदावरी तीर जभला नाम राltसी

त-या -मरमाण िवशAया गिभ)णी भवतrsquolsquo

288

2 नय इमली क पौध क जड़ गिभ)णी क िसर क बाल म बाध द सव होत ही क ची स काट लव Pयिक aयादा दर रखना ाणघातक हो सकता ह

3 गिभ)णी क हाथ म चबक प2थर रखन स सव पीड़ा नहS होती ह

4 मन_य क बाल जलाकर गलाबजल म िमलाकर तलव म मलन स फायदा होता ह

5 कampटकारी क जड़ और अतीस तथा पाढ़ल हाथ पर म धारण करन स शी सव होता ह

6 ितल और सरस गम) तल स गिभ)णी क मािलश करन स शी सव होता ह

7 कठ किलहारी इलायची मीठा बच िचक कजा का समान भाग लकर चण) बनाकर सघान स शी सव होता ह

8 ऊ मJा पाशा िवपाशाh मJा सयyण रHमय

मJ सव)भयाद गभn एिह मािचर मािचर -वाहाrsquolsquo

कए स ताजा जल मगवाकर ऊपर िलख म को सात बार पढ़कर ी को िपलाय तरत ही सख ससव होगा

9 िltितज)ल िवज9जौ वायिव)_ण जापित

सगभा) 2वा सदा पात वशAय च िदशतत

स_व2वमिविPल(मािविPल(ा शभानन

काित)कय Fत प काित)कयोिभरिltतमrsquolsquo

यह म ी क कान स मह लगाकर सात बार पढ़ तो शी सख सव होगा

10 बन म Kयानी बादरी कkचा बन फल खाय

Vवाई Bीराम क सो तरत सव हो जाय

मरी भगत गl क सकत अब दखो तरो म क सकत

Bीराम नाम साचा म पर ईEरी बाचाrsquolsquo

इस को सात बार पानी म पढ़कर ी को िपलाव तो शी सख सव होगा

11 बन म Kयानी अजनी िजन पाए हनमत

हbकारत ही हनमत क गभ) िगर सखवत

शKद साचा िपampड ढाचा फर म Bी बाचा rsquolsquo

इस म को ी क कान म 9 बार जोर-जोर स पढ़ और फकार लगाव तो शी सख सव होगा

289

12 ऊ S BS PलS ऐ धवतर नम ( सता का नाम)

का सव शाित fपा मचा मचा कf कf -वाहाrsquolsquo

इस म स सात बार पानी को अिभमित करक सता ी को िपलाव तो शी सख सव होगा

13 ऊ मJा पाशा िवपाशाh मJा सयyण रHमय

मJ सव)भयाद गभn रािह मािचर -वाहाrsquolsquo

इस म स िगलास या कटोरी म िलया हbआ जल सात बार अिभमित करक िपला दव इस जल क पीन स lका हbआ बkचा शी बाहर िनकल आता ह

1211 साराश

ी जब िववाह क पhात थम बार ऋतमित होती ह उसक पhात होन वाला समागम िनषकrsquolsquoकहलाता ह उसक बाद होन वाल मािसक धमv क अनतर ी-पlष का समागम गभा)धान कहलाता ह मङगल और चमा क हत स िय को ितमास रजोधम) होता ह ऋत -नान क पhात ी क मािसक धम) या रजोदश)न स 16व िदन तक ी गभा)धान क योय हाती ह रजोदश)न स प (समिदवस) अथवा कया (िवषमिदवस) ाि हत शभिदवस का िवचार भी यथासमय पर कर लना चािहए

इस अVयाय क अतग)त हमन िवFािथ)य क िलए ी क रजोकाल स लकर गभ)धारण करत हbए िशश होन तक क योग का वण)न िकया ह िजसक अतग)त गभा)धान िTया प अथवा पी का जमयोग िवचार यमलयोग गभ)पातयोग सव पीड़ा योग अथवा सवसख योग सिहत गभ)काल स दस महीन का समिचत िववरण िदया गया ह

1212 श दावली

bull गभा)धान = गभा)शय म बीज क -थापना

bull गभा)वTाित = पlष व ी क बीज का समागम

bull उपचय भाव = ततीय षD दशम व एकादश भाव

bull अनगभा) = गभ)धारण हत अltम ी

bull यमल योग = जड़वा बkच उ2पन होना

290

1213 अित लघ+रामक

1 गभ) Pया ह

उ9र अ( कित और षोड़श िवकितय स यJ सजीव िपampड़ गभ) कहलाता ह

2 गभा)धान िकस कहत ह

उ9र - िजस कम) क ारा गभ) म बीज क -थापना पlष ारा ी क गभा)शय म क जाती ह उस गभा)धान कहत ह

3 िकन दो 5ह ारा ी को रजोधम) होता ह

उ9र - मङगल तथा चमा ारा ी को ितमास रजोधम) होता ह

4 रज काल क दो िनिषX समय बताईय

उ9र - अमाव-या क ]रJा ितिथ अथवा सVयाकाल थम रजोदश)न हत न( समय ह

5 रजोदश)न स प ाि हत िनिद)( िदवस बताईय

उ9र - 4 6 8 10 12 14 16व िदन प ाि हत समागम का BD समय होता ह

6 सव -थान gtात करन का Pया आधार ह

उ9र - जम ल5 क रािश व नवमाश सव -थान gtात करन का अधार ह

7 गभ)ि-थित का -वfप िकस कार होगा

उ9र - आधानकाल म ी क मनोदशा जसी होगी वसी ही गभ)-थ िशश क कित होगी

8 पदजात योग िकस कहत ह

उ9र - सव उपरात जब बkच को पहल पर तथा अत म िसर योिनमाग) स िनकलता ह उस पदजात योग कहत ह

9 गभा)धान क समय िकन तीन गampड़ात दोष का 2याग करना चािहए

उ9र - ितिथ नlt व ल5 गampड़ात का 2याग करना चािहए

10 जारज योग िकस कहत ह

उ9र - जब कोई ी अपन पित स अितरJ अय िकसी पlष क ारा सतान उ2पन करती ह तो वह सतान जारजसतान कहलाती ह

1214 लघ+रामक

1 गभा)धान क वgtािनक िTया का वण)न किजय

291

2 रजोदश)न का शभाशभ मास नlt व फल बताईय

3 गभ) म यमल योग का वण)न किजय

4 प एव कया ाि योग Pया हग

5 गभा)धान क समय Pया दोष नहS होन चािहए

1215 स0दभ 130थ

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक Bी सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

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4

इकाई - 1

पचाग का यावहारक जीवन म उपयोग इकाई क पररखा

11 -तावना

12 उय 13 िवषय -वश

131 पAचाङग 132 सवD सर 1321 सवD सर आनयन िविध 133 सवD सर वामी 134 सवD सरफल 133 ऋत

1331 ऋतओ का िवभाग 134 अयन

1341 उEरायण 1342 दिFणायन

135 मास 1351 सौरमास 1352 चा0मास 1353 सावनमास 1354 नाFमास 1355 Fयािधमास िवचार 1356 मलमास म करणीय व अकरणीय काय$

1357 जममास 1357 जममास

136 पF 137 ितिथ

1371 अमावया क भद

5

1372 पिण$मा क भद 1373 ितिथ को शा9lt म पाच भागlt म िवभािजत िकया ह (नदा भ0ा जया रा पणा$) 1374 नदािद ितिथयlt म उDपन जातकlt का फल 1375 ितिथसमय 1376 िछ0ा ितिथ 1377 Fय ितिथ 1378 विM ितिथ 1379 Fय व विM ितिथ का Dयाग व परहार 13710 पव$ ितिथया 13711 गल(ह ितिथया 13712 सोपपद व कलाकल ितिथया 13713 ितिथयlt क वामी 13714 ितिथयlt म िनिषM काय$ 13715 चािद मास म शय ितिथया 13716 पFरN ितिथया 13717 ितिथयोिगनी च 13718 घातितिथया 13719 ितिथ अशभफलनाशक पदाथ$ 13720 ितिथ म 4ारिनमा$ण का िनषध 13721 मवािद ितिथया 13722 यगािद ितिथया 13723 मवािद व यगािद ितिथयlt म करणीय कम$ 13724 ितिथयlt म आन वाली वयिसM ितिथया

138 गampडात िवचार 1381 ितिथ गampडात 1382 ल(गampडात 1383 नFगampड़ात

139 वार 1391 शभ-अशभ वार 1392 वार व उनक करणीय काय$

1310 कालहोरा महQD त$ 1311 चौघिडय़ा ान िविध

6

1312 अिभिजत महQD त$ 1314 -दोषकाल 1315 घातवार 1316 िदशाशल 1317 वार म अशभफलनाशक पदाथ$

1318 वार क अनसार जम लन वाल जातकlt का फल 1319 पचकlt म Uया कर और Uया नहV 1320 अिनवास 1322 नFlt कW सा एव उनम करणीय कम$

1323 पAचाङग म योगिवचार 1324 यितपात 1325 वधित 1326 आनदािद 28 योग 1327 कचािद ताDकािलक योग 1328 करण का शभ व अशभ िववचन 1329 भ0ािवचार

13291 भ0ािवचार 13292 भ0ा अङगिवभाग 13293 भ0ा म शभाशभ करणीय कम$

1330 राहYकाल का यथाथ$ 1331 िशववास का जानन का -कार 14 साराश 15 शZ दावली 16 अितलघEराDमक -[ 17 लघEराDमक -[ 18 सदभ$ (थ

11 तावना

7 योितष शा स सबिधत -थम इकाई ह इस इकाई क अ^ ययन स आप बता सकत ह िक पAचाङग का यावहारक ान िकस -कार होगा इसका िवशष _प स वण$न िकया गया ह पAचाङग बनान कW -था बड़ी परानी ह 7योितष क F म पAचाङग तभी स -चिलत हYआ जब िक हम 7योितष का थोड़ा बहYत ान होन लगा था पर यह िनिaत ह िक वह पराना पAचाङग आज जसा नहV था पAच अङग क थान पर पहल िकसी समय चतरङग bयङग 4यङग अथवा एकाङग भी -चिलत था और िलिप का

7

ान होन क पहल तो कदािचत जबानी ही उसका ान कर लत थ परत इतना अवय ह िक ितिथ नF (ह आिद िथित दश$क कोई पदाथ$ अित-ाचीन काल स ही -चिलत रहा ह यहा उस 7योितदप$ण कहग वदो म भी िलखा ह िक अमक िदन नF और ऋत म अमकामक काय$ करन चािहए वदाङग7यौितषकाल अथा$त शकपव$ 1400 म वष$ म ितिथ और नF अथवा सावन िदन और नF दो ही अङग थ ितिथ का मान लगभग 60 घटी होता ह अथा$त उस अहोरा दश$क कहना चािहए ितeयध$ अथा$त करण नामक अङग का -चार ितिथ क थोड़ ही िदनlt बाद हYआ होगा और उसक बाद वार -चिलत हYए हltग अथव$7योितष म करण व वार दोनो ह ऋUगf परिश म ितिथ करण महQD त$ नF ितिथ कW नदािद साओ िदनFय और वार का वण$न ह पर मषािद रािशया नहV ह वत$मान पAचाङग का व_प -ाचीनकाल स बहYत ही िभन हो चका ह

12 उय

इस इकाई क अ^ययन क पaात आप िन=निलिखत शा9ीय ान स अवगत हो पायग

1 िनDय -ितिदन पAचाङग का -योग

2 पAचाङग क िसMातो का अधारभत ान

13 िवषय वश

-ाचीनकाल स पAचाङग का महQD त$ -Dयक यि क जीवन म रहा ह -ात काल िन0ाम होत ही पहली िजासा यही होती ह िक आज कौनसा वार ितिथ hत-पव$ आिद ह इस इकाई म सभी िजासओ को पAचाङग का यवहारक ान िदया जा रहा ह िजसस वह वय दिनक 7योितषीय िनण$य वत कर सक

131 पचाङग

पाच अङगlt स पAचाङग बना ह - ितिथ वार नF योग करण

ितिथवा$रAच नF योग करणमव च

यतत पAचक प पAचाङग तददीरतम

- पAचाङगिवानम

पाच अङगो क अितर भी अय अनकानक िवषयlt का समावश पAचाङग म होता ह वष$ क स=वDसरािद िनण$य (हण-िनण$य hत-पवा$िद दिनक (ह-प िववाह आिद महQE

132 सव सर

8

पAचाङग का -ार=भ सवD सर स होता ह यही वष$ गणना सवD सर कW जननी ह iाj दव मानव िपbय सौर सावन चा0 एव बाह$पDयािद मतlt क अनसार िविभन कालमानlt को य िकया जाता ह तदनतर बाह$पDय और चा0 मान स सवत सर कW -ितपिE होती ह

1321 सव सर आनयन िविध

शािलवाहन शक एव िवमस=वत म -ाय 135 का अतर होता ह अत शकाZद म 135 जोडऩ पर िवमाZद -ाk होता ह -तत स=वत म 09 जोड़कर -ाk सlया को 60 स िवभािजत कर शषाङकlt क अनसार -भवािद गत सवD सर जानन चािहए

उदाहरणतया -

स=वत 2022 + 9 = 2231 60 अथा$त लिZध 33 एव शष 51 -ाk हYआ अत 51 सवD सर भोगन क बाद 52वा कालय नामक सवD सर वत$मान ह

133 सव सर 13वामी

60 सवD सर को 4ादश भागlt म िवभािजत कर दन स -Dयक भाग म पाच सवD सर होत ह इस सवD सरपचक कW कालाविध यग कहलाती ह पाच-पाच स=वDसरlt स िनिम$त म -ाk यगसमहlt क अिधपित इस -कार ह -

सवD सर (पाच-पाच) वामी

1-5 िव1ण

6-10 बहपित

11-15 इ0

16-20 अि(

21-25 िवmकमा$

26-30 अिहब$^य

31-35 िपतर

36-40 िवmदवा

41-45 च0

46-50 इ0ािन

51-55 अिmनी

56-60 भग

9

134 सव सरफल

वत$मान सवD सर सlया को दगना करक उसम 03 घटाकर 07 का भाग दव शषाङकlt क अनसार स=वत फल िनnिलिखत ह -

शषाङक फल शषाङक फल

0 पीड़ा 1 दिभ$F

2 सिभF 3 म^यम

4 दिभ$F 5 सिभF

6 म^यम

िवमािदDय काल स -चिलत -भवािद स=वDसरlt कW शभाशभता उनकW सा स ही झलकती ह इनक िन=निलिखत अिविpछन म ह -

1 -भव 2 िवभव 3 शUल 4 -मोद 5 -जापित

6 अङिगरा 7 qीमख 8 भाव 9 यवा 10 धाता

11 ईmर 12 बहYधाय 13 -माथी 14 िवम 15 वष

16 िचभान 17 सभान 18 तारण 19 पािथ$व 20 यय

21 सव$िजत 22 सव$धारी 23 िवरोधी 24 िवकित 25 खर

26 नदन 27 िवजय 28 जय 29 ममथ 30 दम$ख

31 हमल=बी 32 िवल=बी 33 िवकारी 34 शाव$री 35 2लव

36 शभकत 37 शोभन 38 ोधी 39 िवmावस 40 पराभव

41 2लवङग 42 कWलक 43 सौ=य 44 साधारण 45िवरोधकत

46 परधावी 47 -मादी 48 आनद 49 राFस 50 नल

51 िपङगल 52 कालय 53 िसMाथr 54 रौ0 55 दम$ित

56 ददिभ 57 sिधरोदगारी 58 राFी 59 ोधन 60 Fय

133 ऋत

सय$ का मषािद -Dयक दो-दो रािशयlt पर समण काल ऋत कहलाता ह इस -कार एक वष$ म छ ऋतय होती ह -

1 बसत 2 (ी1म 3 वषा$ 4 शरद

5 हमत 6 िशिशर

10

ऋतए सौरमास चामास

बसत मीन-मष च-वशाख

(ी1म वष-िमथन 7यt-आषाढ़

वषा$ कक$ -िसह qावण-भा0पद

शरद कया-तला आिmन-काित$क

हमत विaक-धन माग$शीष$-पौष

िशिशर मकर-क=भ माघ-फाuगन

2331 ऋतओ का िवभाग (आष$वचन क अनसार) -

ऋतए कार

बसत (ी1म एव वषा$िद दवी-ऋत

शरद हमत एव िशिशर िपतर-ऋत

इनका फल व-कमा$नसार होता ह

134 अयन

ाितवE क -थमाश का िवभाजन उEर व दिFण गोल क म^यवतr धरवlt क 4ारा माना गया ह यही िवभाजन उEरायण और दिFणायन कहलता ह इन अयनlt का 7योितष ससार म -मख थान ह

1341 उरायण

इस सौ=यायन भी कहा जाता ह उEरायण -विE सायन मकर क सय$ (जो पAचाङगlt म -ाय मकर भान स िनिद$ िकया जाता ह) अथा$त 21-22 िदस=बर स लकर िमथन का सय$ 06 मास तक रहता ह साधारणतया लौिककमतानसार यह माघ स आषाढ़ पय$त माना जाता ह सौ=यायन सय$ कW कालाविध को दवताओ का िदन माना जाता ह एव इस समय म सय$ दवताओ का अिधपित होता ह िशिशर बसत और (ी1म- य तीन ऋतए उEरायण सय$ का सङगठन करती ह इस अयन म नतन गह--वश दीFा-(हण दवता उxान कआ बावड़ी तालाब आिद कW -ितtा िववाह चड़ाकरण तथा योपवीत -भित सकार एव इतरतर शभकम$ करना शा9स=मत ह

नोट - उEरायण -विE क समय स 40 घटी पय$त समय पampयकाल माना जाता ह जो सभी शभकायy म

विज$त ह

1342 दिणायन

यह समय दवताओ कW राि माना गया ह सायन कक$ क सय$ (िजसक य-त ककz भान स -िद िकया जाता ह) अथवा 21-22 जन स 06 मास अथा$त धनरािशथ सायन सय$ तक का म^यातर

11

दिFणायन (या=यायन) सक ह दिFणायन म वषा$-शरद-हमत ऋत कW -विE होती ह दिFणायन काल म सय$ िपतरlt का अिधtाता कहा गया ह अतएव इस काल म षोड़श सकार तथा अय माङगिलक कायy क अितर कम$ ही िकय जात ह उ(दवता मातकाए भरव वाराह नारिसह ििवम (िव1ण) मिहषासर का वध करत हYए दगा$ कW थापना दिFणायन म भी कW जा सकती ह

नोट - दिFणायन -वश होन क समय स 15 घटी का समय पampयकाल क नाम स -िसM ह और वह सभी शभाशभ कमlt म िवशषत Dया7य ह

135 मास

मास चार -कार क होत ह -

1351 सौरमास

यह सय$ समण स स=बM ह मषािद बारह रािशयlt पर सय$ क गमनानसार ही मषािदसक 4ादश सौरमासlt का गठन िकया गया ह एक सौरमास लगभग 30 िदन 10 घampट का होता ह िववाह उपनयनािद षोड़श सकार य एकोि qाM ऋण का दानादान एव (ह-चारािद अयोयिवषयक कालlt का िवचार सौरमास म करना चािहए

1352 चामास

यह च 0 स स=बिधत ह अमावया क पaात शUल -ितपदा को च0 िकसी नFिवशष म -वश करक -ितिदन एक-एक कला क परणाम स बढ़ता हYआ पिण$मा को पण$च0 क _प म ि गोचर होता ह पन क1ण-ितपदा स मश अuपशUल होता हYआ च0मा अमावया को पणा$धकार_पी मतावथा को -ाk होता ह अत एक मत क 4ारा शUल -ितपदा स अमावया तक अDयतर मतानसारण शUल -ितपदा स पिण$मा तक का समय चा0मास कहा जाता ह यxिप शUलपFािद मास मlय तथा क1णपFािद मास गौण ह तथािपत दशभद क अनसार दोनlt -कारlt स चा0मासlt कW -विE को (हण िकया जाता ह -Dयक चा0मास -ाय 29 िदन 22 घampट का होता ह चािद िविभन चा0मासlt कW साय पिण$मा को च0 4ारा सिमत नF सा पर आधारत ह -

मास न

च िचा वाती

वशाख िवशाखा अनराधा

7यt 7यtा मल

आषाढ़ पवा$षाढ़ा उEराषाढ़ा

qावण qवण धिनtा

भा0पद शतिभषा पवा$भा0पद उEराभा0पद

12

आिmन रवती अिmनी भरणी

काित$क कितका रोिहणी

माग$शीष$ मगिशरा आ0रा

पौष पनव$स प1य

माघ अ|षा मघा

फाuगन पवा$फाuगनी उEराफाuगनी हत

1353 सावनमास

एक अहोरा म 24 घampट या 60 घटी मानकर 30 िदन का एक सावनमास होता ह जातक कW अवथा उEरािधकारयlt म स=पिE-िवभाजन 9ीगभ$ कW विM तथा -ायिaEािद कमy म सावनमास का ही िवचार करना चािहए

1354 नामास

च0मा क 4ारा 27 नFlt क मण को स=पण$ करन म आवयक समयाविध को एक नाFमास कहत ह नाFमास का उपयोग जलपजन नFशाित य-िवशष तथा गिणतािद म िकया जाता ह

1355 यािधमास िवचार

सौरवष$ का मान 365 िदन -15 घटी - 31 पल - 30 िवपल

चा0वष$ का मान 354 िदन - 22 घटी - 01 पल - 33 िवपल

अत प ह िक चा0वष$ सौर वष$ स 10 िदन - 53 घटी - 30 पल - 07 िवपल कम ह इस Fितपित$ और दोनlt मासlt क सामAजय क उय स हर तीसर वष$ अिधक चा0मास तथा एक बार 141 वषy क बाद तथा दसरी बार 19 वषy क बाद Fय-चा0मास कW आविE होती ह

अस ाितमासोऽिधमास $फट $याद

ि)स ाितमास याय कदािचत -

िसMातिशरोमिण

िजस चा0मास म प सय$ कW साित न हो वह अिधकमास तथा िजस चा0मास म दो बार सय$ कW साित हो वह Fयमास कहलाता ह

Fयमास व अिधकमास दोनlt ही मलमास कहलात ह

1356 मलमास म करणीय व अकरणीय काय

स^या-अि(हो-पजनािद िनDयकम$ गभा$धान जातकम$-सीमत-पसवन सकार रोगशाित अल~य योग म qाM 4ादशाह-सिपampडीकरण मवािद ितिथयlt का दान दिनक दान यव-ितल-गो-भिम तथा

13

वणा$िद दान अितिथ-सDकार िविधवत नान -थम वािष$क qाM मािसक qाM एव राजसवा िवषयक कम$ मलमास म शा9स=मत ह

अिनDय व अनिमिEक काय$ ि4तीय वािष$क qाM तलापsष-कयादान-गजदानािद अयोय षोड़श महादान अयाधान य अपव$ तीथ$याा अपव$ दवता क दश$न वािटका-दव-कआ-तालाब-बावड़ी आिद क िनमा$ण और -ितtा नामकरण-उपनयन-चौलकम$-अन-ाशनािद सकार िवशष रा7यािभषक सकामना वषोDसग$ बालक का -थम िन1मण hतार=भ hतोxापन गहार=भ गह-वश िववाह दवता का महोDसव कमा$नtानािद का=यकम$ पाप--ायिaत -थम उपाकम$ व उDसग$ हमत ऋत का अवरोह सप$बिल अ काqाM ईशान दवता कW बिल वध-वश दगा$-इ0 का थापन और उDथान दवतािद कW शपथ (हण करना िवशष परवत$न िव1ण-शयन और कमनीय याा का मलमास म िनषध ह

1357 जममास

जमिदन स एक सावनमास (30 िदन) पय$त जममास कहलाता ह मतातरण िजस क1णपFािद चा0मास म यि का जम हो उस ही जममास माना जाता ह पनa Fयमास क अतग$त ितिथ क पवा$M$ म जम हो तो पव$मास तथा परा0ध म जम हो तो आगामी मास ही जममास िनधा$रत िकया जाना चािहए

जममास म साधारणतया Fौरकम$ (चड़ाकरण) याा व कण$वधािद कम$ विज$त ह परत नान दान जप होम िववाह एव कमनीय कयy क िलए जममास शभफलदायी होता ह यथा -

$नान दान तपो होम सवमाङग3यवधनम

उ)ाह5 कमारीणा जममास श$यत -

qीपितसमpचय

जमिन मािस िववाह शभदो जम8षजमरायो5

अशभ वदित गगा ितवधौरयाास - पीयषधारा

जममास म माङगिलक काय$ स=पादन क िनण$यातग$त विसt न कवल जमिदन गगा$चाय$ जमानतर 08 िदन अिधपित न 10 िदन और भागर न जम क पF को ही कवल दिषत बतलाया ह एव जममास क शष िदन शभकम$ स=पादन म (ाf ह -

जात िदन दषयत विसgtो ौ च गगA िनयत दशराि

जात$य प िकल भागBर5 शषा श$ता खल जममािस

- राजमात$ampड़

136 प

14

िजस राि म सय$ और च0मा िकसी रािश म एक ही अश पर हो वह राि अमावया कहलाती ह अमावया स िनरतर बढ़ती हYई च0-सय$ कW परपर दरी िजस िदन 180 अश परिमत हो जाती ह उस िदन राि को पण$ च0 ि गोचर होता ह और वह राि पिण$मा कहलाती ह अत अमावया स पिण$मा तक का यह 15 िदनाDमक -काशमान म^यातर शUलपFrsquolsquoकहलाता ह तDपaात पिण$मा स अमावया तक का काल क1णपFrsquolsquoकहलाता ह

शUलपF दव-धान होन स दवकमy म तथा क1णपF म िपतरािधिtत होन क कारण िपतकमy म िविहत ह अथा$त शUलपF म सव$ शभकाय$ तथा क1णपF म सभी िपतकाय$ -शत ह यथा -

य दवा पयतऽधमास स दवा योऽपीयत स िपतर -

शतपथ iाjण

-ाय एक पF 15 िदन का होता ह और कभी-कभी ितिथ-Fय-विM क कारण यनािधक भी हो सकता ह परत एक ही पF म दो बार ितिथ-Fय हो जान स 13 िदनाDमक पF समत कमy म वज$नीय ह यथा -

प$य मCय ि)ितथी पतता तदा भवौरवकालयोग

प िवन सकल िवनिमयाहEराचायवरा सम$ता -

7योितिन$बध

137 ितिथ

रिवच0योग$Dयतर ितिथrsquolsquoअथा$त सय$ व च0मा कW गित का अतर ही ितिथ का मान होता ह इह कल 30 भागlt म िवभािजत िकया गया ह इस -कार सय$ और च0 क -Dयक 12 अश पर एक ितिथ बढ़ती ह िजह मश -ितपदा (-थमा) ि4तीया आिद स लकर अमावया तक क1णपF कW तथा इसी -कार -ितपदा ि4तीया ततीया आिद स पिण$मा तक शUलपF कW 15-15 ितिथया होती ह स=पण$ ितिथयlt को िमलाकर एक चा0मास होता ह िजस पAचाङग म अलग स च वशाख 7यt आषाढ़ qावण भा0पद आिmन काित$क माग$शीष$ पौष माघ एव फाuगन नामlt स अलग-अलग -दिश$त िकया जाता ह

अमावया को हYए सय$-च0मा क समागम क पaात दोनlt (ह उEरोEर दर होत जात ह उस िदन च0मा 0 अश स -ार=भ होकर जब 12 अश तक जाता ह तब शUल -ितपदा का आगमन होता ह इसी -कार 12-12 अशlt क परमाण स अि(म ितिथया बनती ह अत म पिण$मा को सय$-च0 म 180 अश कW दरी हो जान पर च0मा मampडल पण$ -काशमान हो जाता ह इसी -कार 12 अश क िमक ास क साथ-साथ क1णा -ितपदा का आगमन इसी -कार होता ह यही म क1णपF का ह

15

1371 अमाव$या क भद

िसनीवाली दश$ कहQ -ात काल रािपय$त यािपनी अमावया िसनीवालीrsquo चतद$शी स िवMा दश$ तथा -ितपदा स य कहQ सक होती ह

1372 पिणमा क भद

अनमित व राका राि को एक कलाहीन और िदन म पण$च0 स स=पन अनमितसकrsquo पिण$मा चतद$शीय होती ह परत राि म पण$ च0मा सिहत पिण$मा -ितपदा स य और राकाrsquo होती ह

1373 ितिथ को शाFG म पाच भागG म िवभािजत िकया ह (नदा भा जया BरJा पणा) -

सKा ितिथया

नदा 1 6 11

भ0ा 2 7 12

जया 3 8 13

रा 4 9 14

पणा$ 5 10 1530

1374 नदािद ितिथयG म उपन जातकG का फल -

नदा ितिथ (1-6-11) - नदा ितिथ म जम लन वाल जातक मान पान वाल दवताओ कW भि म

िनtा रखन वाल िव4ान ानवान व लोकि-य होत ह

व9 गीत वाx नDय किष उDसव गहस=बधी काय$ तथा िकसी िशuप का अ~यास हत नदा ितिथ qt ह

भा ितिथ (2-7-12) - भ0ा ितिथ म जम लन वाल जातक बध-बाधवlt म स=मािनत राजसवक

धनी तथा सासारक भय स डरन एव परोपकारी होत ह

िववाह उपनयन याा आभषण-िनमा$ण और उपयोगी कला सीखना तथा हाथी-घोड़ा एव सवारीिवषयक कायy हत भ0ा ितिथ qt ह

जया ितिथ (3-8-13) - जया ितिथ म जम लन वल जातक राजाओ सश या राजाओ स पिजत

िकत प-पौlt स रिहत शरवीर दीघा$य और दसरlt क मन कW बात को जानन वाल होत ह

सय-सगठन सिनक-िशFा स(ाम श9-िनमा$ण याा उDसव गहार=भ गह-वश औषधकम$ और यापार हत जयाितिथ qt ह

16

BरJा ितिथ (4-9-14) - रा ितिथ म जम लन वाल जातक -मािद -Dयक काय$ म अनमान लगान

वाल गsओ क िनदक शा9 क ाता दसरlt क मद को नाश करन वाल तथा अDयिधक कामच ा रखन वाल होत ह

शओ का दमन और कद करना िवष दना श9-योग शuयिया तथा अिन लगाना आिद रकम$ हत राितिथ qt ह

पणा ितिथ (5-10-1530) - पणा$ ितिथ म जम लन वाल जातक धन स परपण$ वद एव शा9lt क

अथy को जानन वाल िव4ान सDयवा तथा शM मन वाल होत ह

िववाह योपवीत आवागमन नपािभषक तथा शाितक-पौि क कम$ हत पणा$ितिथ qt ह

1375 ितिथसमय - सयदय क समय जो ितिथ वत$मान हो वह उदययािपनी ितिथ िदन-राि तक

दान पठन hतोपवास नान दवकम$ िववाहािद सकार तथा -ितtािद समत माङगिलक कायy म (ाf ह परत qाM शरीर पर तल या उबटन का -योग मथन तथा जम-मरण म ताDकािलक कम$यािपनी ितिथ को ही (हण करना चािहए

1376 िछा ितिथ - -Dयक पF कW 4 6 8 9 12 और 14 ितिथया पFिछ0ा कहलाती ह तथा

शभकायy म इनका परDयाग ही अपिFत ह अDयावयकता म िनिद$ ितिथयlt कW आिदम घिटयlt का Dयागकर शष घिटयlt को -योगाथ$ (हण करना चािहए

ितिथ 4 6 8 9 12 14

घटी 8 9 14 25 10 05

1377 य ितिथ

सयदय क बाद िकसी ितिथ का -ार=भ हो तथा अि(म सयदय स पिहल उस ितिथ का समापन हो जाय तो वह ितिथ Fयितिथ कहलाती ह

1378 विN ितिथ

यिद एक ही ितिथ क -माण म दो सयदय हो जाय अथा$त सयदय क पिहल िकसी ितिथ का -ार=भ हो जाय तथा अि(म सयदय क पaात उस ितिथ का समापन हो तो वह ितिथ विMितिथ कहलाती ह

1379 य व विN ितिथ का याग व पBरहार

Fय व विM ितिथया सभी कमy म Dया7य ह तथा आवयक होन पर ितिथFयrsquo अथवा ितिथविMrsquo क िदन काय$ क समय ल( कampड़ली म बहपित क0थ हो तो ितिथदोष समाk हो जाता ह यथा -

अमाय ितथदAष कगो दवपिजत

हित य)त पापचय Oत )वािषPक यथा - विसt

13710 पव ितिथया

17

क1णा अ मी चतद$शी अमावया पिण$मा तथा सय$-साित क िदन वत$मान ितिथ पव$सकrsquo होती ह जो सभी माङगिलक कायy म विज$त ह

13711 गलQह ितिथया

चतथr सkमी अ मी नवमी योदशी चतद$शी अमावया -ितपदा य सभी क1णपF कW गल(हrsquo ितिथया ह इनका सभी माङगिलक कायy म िनषध ह

13712 सोपपद व कलाकल ितिथया

7यtशUल ि4तीया आषाढ़ शUल दशमी पौषशUल एकादशी माघ कW क1णपF व शUलपF कW चतथr व 4ादशी य ितिथया सोपपदrsquo होती ह य सभी ितिथ शभफलदायक ह

-Dयक मास कW ि4तीया षtी व 4ादशी ितिथ कलाकलrsquo सक होती ह य सभी ितिथया म^यम फलदायक ह

13713 ितिथयG क $वामी

भारतीय पर=परा म कङकर-कङकर म शङकर कW कuपना कW गयी ह इसी -कार पAचाङग क -Dयक अङग का वामी िनधा$रत िकया गया ह अभी दवताओ क शभाशभ फल भी -ितपािदत िकय गय ह इसी म म यहा ितिथयlt क वामी का िववचन िकया जा रहा ह

ितिथ $वामी िनिद कम

-ितपदा अि( िववाह याा उपनयन -ितtा सीमतोनयन चौलकम$

गहार=भ गह--वशशाितक-पौि क काय$ आिद समत माङगिलक काय$

ि4तीया ijा राजा-मी-सामत-दश-कोश-गढ़ और सनािद राज क

सkाङग व छ चामरआिद रा7य क सkिच-स=बधी

काय$ वातकम$ -ितtा याा िववाहआभषण-िनमा$ण व

धारण उपनयनािद शभकम$

ततीया पाव$ती सगीत-िवxा िशuपकम$िवषयक कम$ सीमत चड़ाकरण

अन-ाशन गह-वश

तथा ि4तीया ितिथ म िनिद$ सभी कम$ ततीया ितिथ म भी

-शसनीय ह

चतथr गणश शताडऩ िबजली क काय$ िवषदान िहसक कम$ अि(

लगाना बदी बनानातथा श9-योगािद सभी कम$

18

पAचमी सप$ चर-िथरािद सभी कम$ परत िकसी को ऋण नहV दना

चािहए

षtी काित$कय िशuपकम$ रणकाय$ गहार=भ व9ालङकार कDय

अिखलका=य कम$ परत इसिदन दतधावन आवागमन

तला~यङग काtकम$ एव िपतकाय$ विज$त ह

सkमी सय$ हितकम$ िववाह सगीतकम$ व9ाभषण िनमा$ण और

धारणयाा गह-वशवध-वश स(ाम तथा ि4तीया-ततीया

व पचमी म िनिद$ सभी कम$ सkमी मभी (ाf ह

अ मी िशव यM वातकाय$ िशuप राजकाय$ आमोद--मोद लखन-

नDय 9ीकम$ रDनपरीFाआभषण-कम$ तथा श9धारण परत मास का सवन इस िदन कदािप नहV कर

नवमी दगा$ चतथr म उ सभी कम$ िव(ह कलह जआ खलना

मxिनमा$ण-पानआखट तथा श9िनमा$ण qt ह

दशमी यम ि4तीया-ततीया-पAचमी-सkमी म िनिद$ सभी कम$ हाथी-

घोड़ा स स=बधी कम$ तथा राजकाय$ qt ह इस िदन तला~यङग नहV कर

एकादशी िवmदवा एकादशी hतोपवास योपवीत पािणपीडऩ दव महोDसवािद

अिखल धम$ कम$ गहार=भ यMिशuप सीखना मxिनमा$ण

व गमन-आगमन व व9ालङकार काय$ qt ह

4ादशी हर अिखल चर-िथर काय$ पािण(हण उपनयनािद

माङगिलक आयोजन qt ह परत तलमद$न नतन गहार=भ गह-वश व याा का परDयाग कर

योदशी काम शUलपF कW योदशी ही (ाf ह ि4तीया-ततीया-पAचमी-

सkमी तथा दशमी म िनिद$ सभी काय$ शUलपF कW योदशी म qt ह परत मतातरण इस िदन याा-गह-वश तला~यङग यM व9ाभषण कम$ तथा योपवीत क अितर समत माङगिलक काय$ शभ ह

चतद$शी िशव िवषदान श9धारण -योग तथा चतथrय द कम$ शा9ो

ह परत चतद$शी म Fौरकम$ तथा यााकम$ आिद कम$ विज$त ह

19

पिण$मा च0मा िववाह दव जलाशय वािटका कW -ितtा िशuपभषणािद

कम$ स(ाम तथा यािक शाितक-पौि क व वात कम$ qt ह

अमावया िपतर इस िदन अयाधान िपतकम$ तथा महादान -शत ह परत

इसम कोई शभ कम$ तथा 9ीसङग रमण नहV करना चािहए

13714 ितिथयG म िनिषN काय (इन ितिथयlt म य काय$ अशभ होत ह अथ$ च स प ह) -

ितिथ काय$ ितिथ काय$

षtी तला~यङग ि4तीया उबटन

अ मी मासभFण दशमी उबटन

चतद$शी Fौरकम$ योदशी उबटन

अमावया रितिया अमावया आवला िमिqत जल स नान

सkमी आवला िमिqत जल स नान नवमी आवला िमिqत जल स नान

13715 चािद मास म शय ितिथया

(इन ितिथयlt म य काय$ अशभ होत ह अथ$ च स प ह) -

मास शयितिथया शयितिथया

क1णपF शUलपF

च 8 9 8 9

वशाख 12 12

7यt 14 13

आषाढ़ 6 7

qावण 2 3 2 3

भा0पद 1 2 1 2

आिmन 10 11 10 11

काित$क 5 14

माग$शीष$ 7 8 7 8

पौष 4 5 4 5

माघ 5 6

20

फाuगन 4 3

13716 परR ितिथया

चतथr षtी अ मी नवमी 4ादशी व चतद$शी इन ितिथयlt कW पFरN सा होती ह इनम कोई भी शभ काय$ नहV करना चािहए यिद बहYत-ही आवयकता हो तो उपरो ितिथयlt म चानसार काय$ कर -

ितिथ याSय घटी (दUड़) ितिथ याSय घटी (दUड़)

चतथr 08 षtी 09

अ मी 14 नवमी 24

4ादशी 10 चतद$शी 05

13717 ितिथयोिगनी च

िदशा ितिथ िदशा ितिथ

ईशान 8 30 पव$ 1 9

आ(य 3 11 दिFण 5 13

नऋ$ Dय 4 12 पिaम 6 14

वायय 7 15 उEर 2 10

उपरो ितिथयlt म योिगनी चो ईशािद िदशाओ म िथत होती ह योिगनी याा क समय बाय भाग म सखदायक पt म वािछतफल-दाियनी दिFण म धन का नाश करन वाली तथा स=मख म मDयकारक (क दायक) होती ह यथा -

योिगनी सखदा वाम पgt वािछत दाियनी

दिण धनही च सWमख मरणदा

13718 घातितिथया (रािश क अनसार)

याा आिद म घात ितिथ को विज$त करना चािहए

ितिथ रािश ितिथ रािश

1 6 11 मष 5 10 15 वष

2 7 12 िमथन 2 7 12 कक$

3 8 13 िसह 5 10 15 कया

4 9 14 तला 1 6 11 विaक

21

3 8 13 धन 4 9 14 मकर

3 8 13 क=भ 5 10 15 मीन

13719 ितिथ अशभफलनाशक पदाथ

िजस ितिथ म याा करनी हो यिद वह ितिथ अशभ हो तो िन=न चाङिकत पदाथy का भFण करक अथवा इन वतओ का दान करक याािद काय$ करन पर सफलता -ाk होती ह तथा ितिथदोष न हो जाता ह

ितिथ पदाथ$ ितिथ पदाथ$

-ितपदा मदार का प ि4तीया चावल का धोया हYआ पानी

ततीया दशी घी चतथr दशी घी का हलवा

पAचमी हिव1यान षtी वण$ का धोया हYआ जल

सkमी पआ अ मी अनार का फल

नवमी कमलप1प का जल दशमी गौम

एकादशी जौ का भात 4ादशी दध-चावल कW खीर

योदशी गड़ चतद$शी र

पिण$मा मग अमावया भात

13720 ितिथ म )ारिनमाण का िनषध - इन ितिथयlt इन िदशाओ क 4ारा नहV बनान चािहए और

बन हYए 4ारो म स इन ितिथयlt म इन िदशाओ म -वश अथवा इन 4ारlt स गमन नहV करना चािहए

िदशा ितिथ

पव$ पिण$मा तथा क1णपF कW अ मी

दिFण शUलपF कW नवमी स चतद$शी तक

पिaम अमावया शUलपF कW अ मी

उEर क1णपF कW नवमी स चतद$शी तक

13721 मवािद ितिथया (इन ितिथयlt म शभ काय$ नहV करन चािहए) -

ितिथ

1 चशUल ततीया व पिण$मा 2 काित$शUल पिण$मा व 4ादशी

3 आषाढ़शUल दशमी व पिण$मा 4 7यt व फाuगनशUल पिण$मा

5 आिmनशUल नवमी 6 माघशUल सkमी

22

7 पौषशUल एकादशी 8 भा0पद शUल ततीया

9 qावणक1ण अमावया व अ मी

13722 यगािद ितिथया (इन ितिथयlt म शभ काय$ नहV करन चािहए) -

ितिथया यगािद

काित$कशUल नवमी सत यगािद

वशाख शUल ततीया तायगािद

माघक1ण अमावया 4ापरयगािद

qावणक1ण योदशी किलयगािद

13723 मवािद व यगािद ितिथयG म करणीय कम

इन ितिथयlt म नान हवन जप दान-पampय करन स अनतकोिट फल -ाk होता ह परत िवxार=भ उपनयन hतोxापन िववाह गहिनमा$ण गह--वश िनDया^ययन तथा याािद म इह Dया7य बताया गया ह

शUलपF म कत$य qाM क िलए इन ितिथयlt का पवा$ और क1णपF क qाMlt क इनका अपरा (ाf ह

अपवाद -

च व वशाख शUल ततीया तथा माघशUला सkमी ितिथया मवािद यगािद होन पर भी शभकमy म (हण करन कW अनमित शा9lt न दी ह यथा -

या चवशाखिसताततीया माघ च सXWयथ फा3गन$य

कYण ि)तीयोपनय श$ता ोJा भर)ाजमनीमय - पीयषधारा

13724 ितिथयG म आन वाली $वयिसN ितिथया

ितिथ पव$

चशUल -ितपदा नवीन स=वDसरा=भ (कuपािद)

चशUल नवमी रामनवमी

वशाखशUल ततीया अFयततीया (तायगािद)

वशाख शUल नवमी जानकW नवमी

वशाख शUल पिण$मा बM पिण$मापीपल पिण$मा

7यtशUल दशमी गगादशमी

23

7यtशUल एकादशी िनज$ला एकादशी

आषाढ़शUल नवमी भडuया नवमी

भा0पद क1ण अ मी जमा मी

भा0पदक1ण नवमी गोगानवमी

भा0पदशUल एकादशी जलझलनी एकादशी

आिmनशUल दशमी िवजयादशी (दशहरामवािद)

काित$कक1ण अमावया दीपावली (दीपमािलका)

काित$कशUल एकादशी दव-बोिधनी एकादशी

माघशUल पचमी बसत पचमी

फाuगनशUल ि4तीया फलरा दोज

चक1ण अ मी शीतला मी (बायोड़ा)

138 गUडात िवचार

1381 ितिथ गUडात - पणा$ (5-10-15) तथा नदा (1-6-11) ितिथ इन ितिथयlt कW म स अत

और आिद कW 2-2 घटी दोषय होन स गampडात नाम स -िसM ह यह जम याा िववाह hतबध आिद म क कारक ह

1382 लQगUडात - कक$ -िसह विaक-धन तथा मीन-मष इन दो-दो रािशयlt क अत और आिद

कW आधी-आधी घटी को गampड़ात कहत ह यह सभी शभकमy म Dया7य ह

1383 नगUड़ात - रवती-अिmनी अ|षा-मघा तथा मीन-मष क नFlt म स अत और

आिद कW 2-2 घिटया अथा$त दोनlt कW सिध क 4 घटी को गampड़ात कहत ह इसम सभी माङगिलक कDय विज$त ह

सभी -कार क गampड़ात म जम याा िववाह आिद शभकम$ विज$त ह

139 वार (उदयात उदय यावत भानो भिम सावनवासर)

िदनlt क नाम को वार कहत ह जो भारतीय पMित क मश सय$ च0 मङगल अथवा भौम गs या बहपित श तथा शिन क नाम पर सामायत रिववार सोमवार मङगलवार बधवार गsवार शवार शिनवार क नाम स जान जात ह इनका मान एक सयदय स दसर सयदय तक होता ह इसक वामी क नाम पर ही इन वारlt का नामकरण हYआ ह जम मरण षोड़श सकार याा य हवन--ितtािद सभी माङगिलक कायy म वार--विE सयदय स ही सव$दा मानी जाती ह तथािप -ात

24

स^यािद िनDय करणीय कमy म अ0धराि क उपरात अि(म वार को सङकuप म (हण कर िलया जाता ह

1391 शभ-अशभ वार

सोमवार बधवार गsवार व शवार सौ=यवारlt कW qणी म आत ह तथा रिववार मङगलवार व शिनवार रवारlt कW qणी आत ह इहV कW सा क अनसार य अभी कमy म फलदायी होत ह

वारlt कW शभता िदन-राि क अनसार िभन-िभन -भावोDपादक होती ह यथा - रिववार गsवार व शवार का -भाव राि नगampय म होता ह तथा सोमवार मङगवार व शिनवार का -भाव िदन म नगampय होता ह

बधवार का फल सभी समय म एकसमान होता ह यथा -

न वारदोषा भवित राौ दवSयदयSयिदवाकराणाम

िदवा शशाङकाक जभसताना सव िनो बधवारदोष -

7योितिन$बध

1392 वार व उनक करणीय काय

वार दव अिधदव करणीय काय$

रिववार िशव अि( राजकWय सवा एव अय राजकWय कायy क िलए

शभ ह

यह Nव एव िथरसक वार ह

सोमवार पाव$ती जल सभी कायy क िलए शभ ह

यह वार चर एव चलसक ह

मङगलवार काित$कय भिम यM xतिड़ा (जआ सा) याा कज$ दन

सभा म जान

मकदमा -ार=भ करन क िलए शभ ह

यह वार उ( एव रसक ह

बधवार िव1ण हर िवxा (कला-काय) का -ार=भ नवीन यपार

करना नवीन लखन पतकlt का -काशन धन-स(ह -ाथ$ना-प -तत करन हत शभ ह

िमq व साधारण सा बध को दी गयी ह

25

गsवार ijा इ0 िवxा का -ार=भ ववािहक-काय$म

उpचािधकारयlt स िमलन नवीन काय लखन -काशन धन-स(ह आिद शभ कायy क िलए qt ह

लघ व िF- सा गsवार को दी गयी ह

शवार इ0 इ0ाणी नवीन व9 एव आभषणlt को धारण

करना सौभायवध$नकाय$ चलिच शिटग काय$ एव याा जान हत qt ह

मद एव म सा शवार को दी गयी ह

शिनवार काल ijा नतन गहार=भ भिम-य मशीनरी का शभार=भ 0य

स(ह मकान का िशलायास (भिमपजन) आिद िथर कायy हत qt ह

यह वार दाsण व ती6ण सक ह

1310 कालहोरा मह] त

होरा रिव सोम मङगल बध गs श शिन

1 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

2 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

3 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

4 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

5 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

6 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

7 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

8 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

9 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

10 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

11 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

12 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

13 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

14 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

26

15 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

16 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

17 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

18 सोम मङगल बध गs श शिन रिव

19 शिन रिव सोम मङगल बध गs श

20 गs श शिन रिव सोम मङगल बध

21 मङगल बध गs श शिन रिव सोम

22 रिव सोम मङगल बध गs श शिन

23 श शिन रिव सोम मङगल बध गs

24 बध गs श शिन रिव सोम मङगल

यिद िकसी काय$ को करन हत कोई भी शभ महQत$ नहV िमल रहा हो तो उस कम$ को अय वार म भी िविहत वार कW कालहोरा (Fणवार) म कर सकत ह एक कालहोरा सयदय स 01-01 घampट का होता ह य कालहोराय सया$िदवार कW होती ह तथा -Dयक Fणवार गत कालहोरश स छठा होता ह

यिद उपरो वारlt क अितर अय दसरlt कायy म अित आवयकता हो शा9lt म चौघिडय़lt कW यवथा कW ह िदन म आठ (8) तथा राि स आठ (8) चौघिडय़ होत ह अथा$त एक अहोरा म कल 16 चौघिडय़ होत ह िजनम िनिषM वार होत हYए भी िदन अथवा राि क समय म भी आप अभी काय$ स=पन कर सकत ह

1311 चौघिडय़ा Kान िविध

िदनमान क आठ भाग करन पर आठ चौघिडय़ा महQD त$ -ाk होत ह अथा$त -Dयक चौघिडय़ का मान लगभग डढ़ घampटा (01 घampटा 30 िमनट) होता ह च (-ात 0600 बज क म^यमान स समय िदया ह सयदय क अनसार समय म परवत$न हो सकता ह)

27

06-730

0730-09

09-1030

1030-12

130-03

03-430

430-06

12-130

06-730

0730-09

09-1030

1030-12

130-03

03-430

430-06

12-130

1312 अिभिजत मह] त

नौमी ितिथ मधमास पनीता सकलप अिभिजत हBरीता

मCयिदवस अितसीत न धामा पावकाल लोक िवामा

जो भगवान को अिति-य ह िजसम काल भी ससार क उपकार क िलए कछ Fण िवqाम करता ह इसी अिभिजत महQD त$ नवमी ितिथ चमास म मया$दा पsषोEम qीराम का आिवभा$व हYआ था यिद कोई भी शभमहQD त$ नहV बनता हो तो सभी जातकािद कम$ अिभिजत महQD त$ म िकय जा सकत ह

िदनमान क म^यभाग म 48 िमनट का अिभिजत महQD त$ होता ह जो िक सभी माङगिलक कायy म -शसनीय ह िकत बधवार क िदन अिभिजत का िनषध ह

अिभिजत का मान -

उEराषाढ़ा नF का चतथ$ चरण +qवण नF का आिदम चरण = अिभिजत

उEराषाढ़ा नF कW 15 घटी +qवण नF कW 04 घटी = अिभिजत

च0मा क रािश-अश-कला-िवकला क अनसार अिभिजत का मान -

मकर रािश क अतग$त - 09-06-40-00 स 09-10-53-20

28

1314 दोषकाल

चतथr का -थम-हर (3 घampट) सkमी का -थम डढ़ -हर (4 घampटा 30 िमनट) तथा योदशी क अि(म -हर4य (6 घampटा) का समय -दोषकाल कहलाता ह

मतातर स षtी या 4ादशी आधी राि क बाद एकघटी पव$तक हो अथवा 09 घटी राि तक ततीया हो तो यह -दोष अ^ययन म विज$त ह तथा राि म तीन -हर स पिहल सkमी या योदशी वत$मान म हो तो वह -दोष भी अन^याय होता ह

सदव सया$त क पaात तीन महQD त$ (03 घampटा 24 िमनट) -दोष का मान होता ह

1315 घातवार - अधोिलिखत रािश वालlt क िन=न वार अशभ ह इन वारlt म यथास=भव याा का

Dयाग कर -

वार रािश

रिववार मष

सोमवार िमथन

मङगलवार मकर

बधवार कक$

गsवार तला क=भ

शवार विaक धन मीन

शिनवार िसह वष

1316 िदशाशल - अधोिलिखत वारlt म िनnिलिखत िदशाओ का यथास=भव याा का Dयाग कर -

िदशा िनिषMवार

पव$ सोमवार शिनवार

दिFण गsवार

पिaम रिववार शवार

उEर मङगवार बधवार

1317 वार म अशभफलनाशक पदाथ

िजस वार म याा करनी हो यिद वह ितिथ अशभ हो तो चाङिकत पदाथy का भFण करक अथवा इन वतओ का दानािद करक याािद काय$ करन पर सफलता -ाk होती ह तथा वारदोष न हो जाता ह

वार पदाथ$

29

रिववार शM घी अथवा िशखरन

सोमवार दध या खीर

मङगलवार गड़ अथवा काAजीबड़ा

बधवार ितल अथवा पका हYआ दध

गsवार दही

शवार शM घी अथवा कpच दध

शिनवार उड़द अथवा तल स बनी वत अथवा ितल

1318 वार क अनसार जम लन वाल जातकG का फल

जमवार फल

रिववार िपE-कित काय$F म िनपणता झगडाल दानी उDसाही उ(

वभाव

सोमवार बिMमान ि-य कथावाचक राजकपा पान वाला सख-दख को

बराबर मानन वाला

मङगलवार दीघा$य वीर महाबली अपन परवार म -धान तथा कबिM वाला

होता ह

बधवार िव4ान पिampडत मधरभाषी स=पिE स य सदर आकित लखन

काय$ स जीिवका िनवा$ह करन वाला तथा धनी होता ह

गsवार -शसनीय काय$कता$ िववकW िव4ान (थकता$ राजा का मी

साधारण लोगlt स पिजत होता ह

शवार बिMमान मनोहर _प वाला चAचल दवता स 4ष करन वाला

वाचाल होता ह

शिनवार ढ़वाणी पापी दिखत परामशील ढ़-ित अिधक कशवाला

अिधक उn कW ि9यlt म रत रहन वाला नीची ि वाला होता ह

वार क अनसार करणीय कम

30

रिववार - रा7यािभषक गाना बजाना नयी सवारी पर चढऩा रा7यसवा गाय-बलlt का य-िवय हवन-यािद मोपदश य-िवय औषिध श9यवहार तथा यM

सोमवार - पड़-पौध प1प व उपवन लगाना बीजारोपण 9ीिवहार गायन यािदकाय$ नय व9 धारण करना

मङगलवार - फट डालना झठ बोलना चोरी िवष अिन श9--योग स(ाम वध कपट घमampड सयकम$ तथा िवराम

बधवार - चतरता पण$ पampयकम$ िलखना-पढऩा कलाकौशल िशuप-िच बनाना धात-िया नौकरी -वश यि मी सिध यायाम और वाद-िववाद

गsवार - धािम$क कDय नव(हlt कW पजा य िवxा~यास माङगिलक कDय व9-यवहार गहकाय$ याार=भ रथ घोड़ा औषिध एव आभषण स=बधी सभी शभ काय$

शवार - 9ी गायन शया मिण रDन हीरा सगिध व9 अलकार जमीन-जायदाद यापार गाय 0य भampडार व खतीबाड़ी क काय$

शिनवार - पाप िमeयाभाषण चोरी िवष अक$ िनकालना श9 नौकर-चाकर स=बधी काय$ हाथी बाधना म कW दीFा गह--वश तथा सभी िथरकाय$

िदन म जातक का जम होन पर फल -

िजसका जम िदन म होता वह धमा$चरण स य अिधक प वाला भोगी सव9lt को धारणकता$ बिMमान व सदर आकित वाला होता ह

राि म जातक का जम होन पर फल -

राि म जम लन वाला जातक कम बोलन वाला मिलन दय पापाDमा िछप कर पाप करन वाला अिधक कामच ा वाला होता ह

1319 पचकG म _या कर और _या नहa (पचक नF - धिनtा शतिभषा पभा उभा रवती)

-

क=भ व मीन रािश म च0मा क रहत हYए धिनtा क उEराध$ शतिभषा पवा$भा0पद उEराभा0पद और रवती य पाच नF पचकlt क मान गय ह पचकlt म मlय _प स शवदाह चारपाई बनना पलग शया चटाई कसr तखत यवसाय गददी तयार कराना मकान कW छत डालना लटर सट करना ख=भlt को सट करना काtईधनलोह क सरय स(ह करना तथा दिFण िदशा कW याा दिFणािभमख नय भवन कW सीिडय़lt पर चढऩा आिद qीपितrsquo क अनसार विज$त माना गया ह

पचक क पाच नFlt म िकए गय कDयlt का फल पाच गणा होता ह इसी तरह िप1कर योग िगिणत और ि4प1कर योग दगिणत फल दत ह पचकlt म पाच गणा िप1कर योग म ितगना और ि4प1कर योग

31

म दोगना हािन लाभ हYआ करता ह मDय यािध अयाय यथा रोगोप0व होन पर शाित िवधान कW आवयकता पड़ती ह पचक नFlt (धिन शत पभा उभा रवती) का िवशष िवचार उपरो विण$त कDयlt म ही िकया जाता ह शभ कम$ िववाह मampडन योपवीत गहारभ गह-वश वािण7यकम$ वाहनािद क लन-दनफम$ सचालन मित$-ितtा आिद सभी qt महQत म तो पचक क पाचो नF शभ कह गए ह सभी पवDसव hत रFाबधन भयादज महाल6मी पजनािद म पचको का िवचार नहV िकया जाता ह वहद7योितषसारrsquo (थ म तो धिन उभा रवती नF सभी काय म िसिM-द मान गय ह पभा एव शतिभषा नF को साधारण _प स िसिMनायक कहा गया ह

1320 अिbनवास

िजस िदन हवन करना हो उस िदन ितिथ और वार कW सlया जोड़कर एक ओर जोडऩा पन 4 का भाग दना यिद परा भाग लग जाए 0 शष रह अथवा 3 शष रह तब अि( का वास पeवी पर सखकारक होता ह शष 1 बचन पर आकाश म -ाणघातक शष 2 म पाताल म धननाशकारक होता ह ितिथ कW गणना शUल -ितपदा स तथा वार कW रिववार स करनी चािहए

1321 न - स=पण$ आकाशमampड़ल को 12 रािशयlt क अितर 27 नFlt म िवभािजत िकया

गया ह

न आकित तारा $वामी

1 अिmनी अmमख 3 अिmनी कमार

2 भरणी योिन 3 यम

3 कितका नािपतFर 6 अि(

4 रोिहणी शकट 5 ijा

5 मगिशरा िहरणमख 3 च0

6 आ0रा मिण 2 िशव

7 पनव$स गह 4 अिदित

8 प1य बाण 3 बहपित

9 अ|षा चाकार 5 सप$

10 मघा भवन 5 िपतर

11 पवा$फाuगनी चारपाई 2 भग

12 उEराफाuगनी शया 2 अय$मा

13 हत हाथ 5 रिव

32

14 िचा मोती 1 िवmदव

15 वाती मगा 1 वाय

16 िवशाखा तोरण 4 इ0ाि(

17 अनराधा बिलभ$पAज 4 िम

18 7यtा कampड़ल 3 इ0

19 मल िसहपpछ 11 राFस

20 पवा$षाढ़ा हाथीदात 2 जल

21 उEराषाढ़ा िसहासन 2 िवmदव

अिभिजत िभज 3 ijा

22 qवण वामन 3 िव1ण

23 धिनtा मदङग 4 वस

24 शतिभषा वE 100 वsण

25 पवा$भा0पद मAच 2 अजपाद

26 उEराभा0पद यगल-पsष 2 अिहब$^य

27 रवती मदङग 32 पषा

1322 नG क सKा एव उनम करणीय कम

सा नF करणीय कम$

Nव-िथर रोिहणी उEराफाuगनी बीजरोपण उxान लगाना नगर-वश उEराभा0पद (ामवास िवनायकशाित गायनिवxा

का -थम अ~यास नतन व9धारण

कामWड़ा आभषण-िनमा$ण-धारण

तथा मी आिद सभी िथर काय$ इसम qt ह

चर-चल पनव$स वाती हाथी-घोड़ा-ऊट-मोटर-गाड़ी आिद कW

qवण धिनtा शतिभषा सवारीवािटका लगाना या -थम -वश यापार -ार=भ मथन िया वण$-चादी-मिण-रDनािद य आभषण िनमा$ण

तथा िवxा को सीखन का -ार=भ आिद कम$

33

उ(-र भरणी मघा पवा$फाuगनी शताडऩ अि( का य-त -7वलन शठता करना

पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद िवष सवन करनाकराना य-म क मा^यम स

िकसी पर घात करना जस र काय$ तथा पशओ कावशीकरण इस नF म करणीय कम$ ह

िमq-साधारण कितका व िवशाखा अिनकाय$ वषोDसग$ अिनहो -ार=भ वत का सि=मqण बदी बनाना िवष--योग आिद हय वभयकर कम$

िF--लघ अिmनी प1य हत वतओ का िवय रितया शा9lt का अिभिजत अ^ययन आभषण धारण करना सिहDय-सङगीत-कला िवषयक कम$ व औषिध का आदान-

-दान

मद-म मगिशरा िचा अनराधा गीत-वाx स=बधी कम$ नवीन परधान-

धारण रवती रितियािमता करना तथा अलङकार िनमा$ण

ती6ण-दाsण आ0ा$ आ लषा 7यtा अिभचार कम$ (मारण उpचाटन

मल िव4षण आिद) कलहोDपादन हाथी-

घोड़lt का -िशFण बीजवपन

उxानार=भ शाितक-पौि क कम$ गह-(ाम -वशसगीतिवxा का -ार=भ आमोद--मोद तथा नवीन व9-आभषण का धारण

जमन िवचार

1 अन-ाशन उपनयन चड़ाकरण रा7यािभषक आिद म जमनF -शत होता ह

2 याा सीमतोनयन तथा िववाह म जमनF अिन होता ह

3 महQD त$दीिपका क अनसार चड़ाकरण औषिध सवन िववाद याा व कण$वध म ही जम-नF का िनषध ह

4 जम नF स 25वा तथा 27वा नF शभकमy म Dया7य ह

1323 पdचाङग म योगिवचार

34

योग को दो qिणयlt म िवभाित िकया गया ह नसिग$कrsquolsquo व ताDकािलकrsquolsquo नसिग$क योगlt का सदव एक ही म रहता ह तथा यह एक क बाद एक आत ह िव1क=भािद 27 योग नसिग$क qणी म आत ह परत ताDकािलक योग ितिथ-वार-नF आिद क िवशष सगम स बनत ह आनद -भित एव कच उDपात िसिM तथा मDय आिद योग ताDकािलक ह

योग वामी फल

1 िव1क=भ यम अशभ

2 -ीित िव1ण शभ

3 आय1मान च0 शभ

4 सौभाय ij शभ

5 शोभन बहपित शभ

6 अितगampड़ च0 अशभ

7 सकमा$ इ0 शभ

8 धित जल शभ

9 शल सप$ अशभ

10 गampड अिन अशभ

11 विM सय$ शभ

12 धरव भिम शभ

13 याघात वाय अशभ

14 हष$ण भग शभ

15 व वsण अशभ

16 िसिM गणश शभ

17 यितपात s0 अशभ

18 वरयान कबर शभ

19 परघ िवmकमा$ अशभ

20 िशव िम शभ

21 िसM काित$कय शभ

22 सा^य सािवी शभ

35

23 शभ ल6मी शभ

24 शUल पाव$ती शभ

25 ij अिmनी कमार शभ

26 ऐ0 िपतर अशभ

27 वधित िदित अशभ

1324 eयितपात

यह उप0वी योग ह यह योग नसिग$क व ताDकािलक दोनlt qिणयlt म आता ह अमावया को रिववार या qवण धिनtा आ0ा$ अ|षा अथवा मगिशरा नF क योग स यितपातयोगrsquolsquoबनता ह

1325 वधित

यह भी यितपात क समकF ही ह इस भी शभकमy म Dया7य बताया ह

शष अशभ योगlt म परघ का पवा$M$ िव1क=भ व व कW आिदम 03 घटी याघात कW -ारि=भक 09 घटी शल कW -थम 05 घटी तथा गampड-अितगampड कW आिदम 6-6 घिटया िवशषत Dया7य ह

1326 आनदािद 28 योग

वार व नF क योग स ताDकािलक आनदािद 28 योगlt का आनयन होता ह इन योगlt को ात करन क िलए वार िवशष को िनिद$ नF स िवxमान नF तक सािभिजत गणना कW जाती ह रिववार को अिmनी स सोमवार को भरणी स मङगवार को अ|षा स बधवार को हत स गs को अनराधा स शवार को उEराषाढ़ा स तथा शिनवार को शतिभषा स तिन क च0ष तक िगनन पर आk सlया को ही उस िदन वत$मान आनदािद योग का माक -ाk होता ह

योग रिव सोम मङगल बध ग शlt शिन फल

आन(द अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा शतिभषा अथिसिgt

कालद1ड भरणी आ-रा मघा िचा 6या अिभ पभामAयभय

धC किD पन पफा वाती मल 4वण उभा दख

जापित रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा धिना रवती सौभाFय

(धाता)

सधाकर मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा शत अिनी बहHमखी

(सौJय)

Kवाङ आ-रा मघा िचा 6या अिभ पभा भरणी अथनाश

36

Kवजा पनवस पफा वाती मल 4वण उभा कितका सौभाFय

(कत)

4ीवAस प8य उफा िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी ऐय

वN अ=षा हत अनराधा उषा शतिभषा अिनी मगिशरा धनय

मदगर मघा िचा 6या अिभ पभा भरणी आ-ा धननाश

छ पफा वाती मल 4वण उभा कितका पनवस राजसJमान

िम उफा िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी प8य सौ0य

मानस हत अनराधा उषा शत अिनी मग अशpoundषा सौभाFय

पP िचा 6या अिभ पभा भरणी आ-रा मघा धनागम

लJबक वाती मल 4वण उभा कितका पनवस पफा लQमीनाश

उAपात िवशाखा पषा धिना रवती रोिहणी प8य उफा ाणनाश

मAय अनराधा उषा शतिभषा अिनी मगिशरा अशpoundषा हत मरणभय

काण 6या अिभ पभा भरणी आ-रा मघा िचा Sलशविgt

िसिgt मल 4वण उभा कितका पनवस पफा वाती अभीTिसिgt

शभ पषा धिना रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा क$याण

अमत उषा शतिभषा अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा राजसJमान

मसल अिभ पभा भरणी आ-रा मघा िचा 6या अथय

अ(तक 4वण उभा कितका पनवस पफा वाती मल रोगबिgtनाश

(गद)

कUजर धिना रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा कलविgt

(मातङग)

रास शतिभषा अिनी मगिशरा अ=षा हत अनराधा उषा बहHपीड़ा

चर पभा भरणी आ-रा मघा िचा 6या अिभिजत कायलाभ

सिथर उभा कितका पनवस पफा वाती मल 4वण गह ािW

() वधमान रवती रोिहणी प8य उफा िवशाखा पषा धिना समङगल

दोष पBरहार - पव योगlt म साधारण qणी क योगlt कW -ारि=भक घिटयlt का Dयाग कर दन क पaात

उनकW अशभता कW दोषापिE नहV रहती ह परत कालदampड उDपात मDय व राFस योग तो सम( _प स Dया7य ह अय योगlt कW Dया7य घिटया च म -िद कW गयी ह

योग ध वा व मदगर प लब काण मसल अतक

37

घिटया 1 5 5 5 4 4 2 2 7

नोट - कयोग क समय यिद कोई अय िसिM आिद सयोग भी वत$मान हो तो सयोग का ही फल िमलता ह कयोग का नहV यथा -

अयोग िसिNयोग5 )ावतौ भवतो यिद

अयोगो हयत त िसिNयोग वfतत - राजमाbतampड

1327 कचािद ताकािलक योग

ितिथ-वार तथा नF क िविश सगम स आिवभ$त योगlt का महQD त$शोधन म मह5वपण$ थान ह अत ऐस ही कछ -चिलत योगlt का िववरण चlt म उिuलिखत ह -

ितिथवार जिनत योग

योग रिव सोम मङगल बध गg श शिन

कच 12 11 10 9 8 7 6

सवत 7 x x 1 x x x

दध 12 11 5 3 6 8 9

िवष 4 6 7 2 8 9 7

अिनिजा 12 6 7 8 9 10 11

म य 1 6 2 7 16 3 8 4 9 2 7 5 10

11 12 11 13 14 12 1530

िसि x x 3 8 2 7 5 10 1 6 4 9

12 12 15 30 11 14

किलक 7 6 5 4 3 2 1

अमत 5 10 5 10 2 7 1 6 3 8 4 9 1 6

15 20 15 20 12 11 13 14 11

र नाकर 3 8 1 6 4 9 4 10 2 7 5 10 3 8

13 14 1530 12 1530 13

ितिथवार जिनत योग

योग रिव सोम मङगल बध ग श शिन

यमघ(ट मघा िवशाखा आ+रा मल कितका रोिहणी हत

दध भरणी िचा उषा धिन0ा उफा 1य0ा रवती

अमत हत मगिशरा अि3नी अनराधा प5य रवती रोिहणी

उ पात िवशाखा पषा धिन0ा रवती रोिहणी प5य उफा

38

सवाथिसि अि3नी रोिहणी अि3नी कितका अि3नी अि3नी रोिहणी

प5य मगिशरा कितका रोिहणी पनवस पनवस वाती

उ8राय प5य अ9षा मगिशरा प5य अनराधा वण

हत मल अनराधा उफा हत अनराधा वण

वण अनराधा रवती रवती

अमत रोिहणी अि3नी कितका कितका पनवस अि3नी रोिहणी

उ8राय रोिहणी प5य रोिहणी प5य पफा वाती

प5य हत मगिशरा अ9षा अनराधा वाती उफा

मल रवती पफा वाती शतिभषा अनराधा अनराधा

उफा उभा वण

हत रवती उभा

वण पभा

धिन0ा

पभा

उभा

=शत रवती हत प5य रोिहणी वाती उफा मल

1328 कचािद योग-योजन

कच सवत$ दध िवष अिनिजा मDय किलक उDपात और यमघampटकािद ितिथ वार नF स उदगत समत योग मङगल कम म अशभ होन क कारण विज$त ह परAच िसिM अमत-िसिM सवा$थ$िसिM अमत रDनाकर एव -शतािद योग अपन नाम क अनसार (यथानाम तथा गणा) ही फलदायी होत ह

करण -

ितिथ का आधा भाग करण कहलाता ह क1णपF म ितिथ सlया को सात स िवभािजत करन पर -ाk अविश सlयक करण ितिथ क पवा$M$ म तथा शUलपF म ि4गिणत ितिथ सlया म 02 घटा कर सात का भाग दन पर शषाङक मसlया वाला करण उस ितिथ क पवा$M$ म िथत होता ह उसस अि(म म -ाk करण ितिथ क उEराध$ म होता ह बवािद 11 करणlt का म उनक वामी तथा िविभन ितिथयlt म उनक अितDव का िनn च म -दश$न िकया जाता ह करण वामी शलप+ितिथ कणप+ ितिथ

चर करण

बव इ+ 5 12 पवा 1 8 15 उ8राध 4 11 पवा

बालव ा 2 9 पवा 5 12 उ8राध 1 8 पवा 4 11 उ8राध

कौलव िम 6 13 पवा 2 9 उ8राध 5 12 पवा 1 7 8 उ8राध

39

तितल िव3कमा 3 10 पवा 6 13 उ8राध 2 9 पवा 5 12 उ8राध

गर भिम 7 14 पवा 3 10 उ8राध 6 13 पवा 2 9 उ8राध

विणज लAमी 4 11 पवा 7 14 उ8राध 3 10 पवा 6 13 उ8राध

िविB यम 8 15 पवा 4 11 उ8राध 7 14 पवा 3 10 उ8राध

िथर करण

शकिन किल x 14 उ8राध

चत5पद + x 30 पवा

नाग सप x 30 उ8राध

िकतDन मत 1 पवा x

13281 करण का शभ व अशभ िववचन

बवािद -थम सk चरसकrsquolsquoतथा शकयािद चत य िथरसकrsquolsquoहोत ह बवािद छ करणlt म माङगिलक कम$ शभ भ0ा सव$था Dया7य तथा अितम चार करणlt म िपतकम$ -शत ह

करण करणीय कम

बव बलवीय$वM$क पौि क कम$

बालव अ^ययन अ^यापन य दान

कौलव 9ीकम$ एव मीकरण

तितल सौभायवती 9ी क ि-यकम$

गर बीजारोपण व हल--वहण

विणज यापारकम$

िवि अि( लगाना िवष दना यMार=भ दampड दना तथा समत द कम$

शकिन औषिध िनमा$ण व सवन म साधन तथा पौि क कम$

चत1पद रा7यकम$ व गौ-iाjण िवषयक कम$

िकतन मङगलजनक कम$

नाग मागिलक कम$ विज$त

1329 भािवचार

40

दव-दानवlt क समरकािलक अवसर पर महादव कW रौ0रस स=पन आखlt न उनक शरीर पर ि पात िकया तDकाल उनकW दह स गद$भ - मख तीन चरण सkभजा क1णवण$ सिवकिसत दात -तवाहनवाली तथा मख स अिन उगलती हYई दवी का -ादभा$व हYआ -तत दवी न राFसlt का शमन करत हYए दवताओ का सकटशमन िकया अत दवlt न -सन होकर दवी को िवि -भ0ािद साओ स िवभिषत करक करणlt म थािपत िकया

ितिथयlt क पवा$M$ और पराM$ क अन_प ही भ0ा कW िवxमानता जाननी चािहए उEराध$ कW भ0ा िदन म तथा पवा$M$ कW भ0ा राि म शभ होती ह

प कYण श_ल

ितिथ 3 7 10 14 4 8 11 15

पवा$M$ x भ0ा x भ0ा x भ0ा x भ0ा

उEराध$ भ0ा x भ0ा x भ0ा x भ0ा x

च0मा कW रािश-सचरण क अनसार भ0ा का वास होता ह -

लोकवास मय $वग पाताल

च0रािश 4 5 11 12 1 2 3 8 6 7 9 10

भ0ामख स=मख ऊ^ व$मख अधोमख

भ0ा म याा िनिषM ह परत आवयक होन पर िजस िदशा म भ0ा का वास वही िदशा -याणाथ$ िवशषत Dया7य ह -

ितिथ िदवास ितिथ िदवास

3 ईशान 4 पिaम

7 दिFण 8 आनय

10 वायय 11 उEर

14 पव$ 15 नऋ$ Dय

13291 भा मख-मख - िनnिलिखत च म िविभन -हरlt कW िनिद$ घिटयlt म भ0ा क मख और

पpछ का सकत िकया गया ह शUलपF कW भ0ा म आिदम और क1णपF क अितम घिटया ही इस िवषय म ातय ह

पF क1ण शUल क1ण शUल क1ण शUल क1ण शUल

ितिथ 3 4 7 8 10 11 14 15

-हर 8 5 3 2 6 7 1 4

41

मखघटी 5 5 5 5 5 5 5 5

-हर 7 8 2 1 5 6 4 3

पpछघटी 3 3 3 3 3 3 3 3

भ0ामख व पpछ दोनlt ही शभकायy म Dया7य ह तथािप आवयक होन पर शUलपF म भ0ापpछrsquolsquoऔर क1णपF म भ0ामखrsquolsquoमङगलकायy म (ाf ह -हर-गणना ितिथ क -ार=भ स ही सयदय स नहV

13292 भा अङगिवभाग

एक ितिथ का अध$भाग 30 घटी परिमत होती ह अत भ0ा क िविभन अङगlt म यथा--िद घिटयlt का यास और त7जिनत फल िनn ह -

घटी 5 1 11 4 6 3

भ0ाङग मख गद$न वFथल नािभ कमर पpछ

फल काय$नाश मDय 0यनाश कलह बिMनाश काय$िसिM

-Dयक भ0ा कW अितम तीन घिटयlt म शभकाय$ िकय जा सकत ह िविभन ितिथयlt म िवxमान भ0ा को पF-भद क अनसार साए -दान कW गयी ह क1णपF कW भ0ा को म विaकWrsquolsquoतथा शUलपF कW भ0ा को सिप$णीrsquolsquoक _प म बताया गया ह िबpछ का डक पpछ म तथा सप$ का दश (िवष) मख म होन क कारण विaकW भ0ा कW पpछ और सिप$णी भ0ा का मख िवशषत Dया7य ह

13293 भा म शभाशभ करणीय कम - िवि काल म िकसी को बाधनाकद करना िवष दना

अि( जलाना अ9-श9 का -योग कत$न (काटना) भस घोड़ा और ऊट स=बधी अिखल कम$ तथा उpचाटनािद कम$ -शत ह

िववाहािद माङगिलक कDय याा और गहार=भ व गह-वश भ0ा म Dया7य बताय गय ह

भा म अपवाद -

1 यिद िदन कW भ0ा राि और राि कW भ0ा िदन म -वश कर जाय तो भ0ा िनदष हो जाती ह यथा - रािभ0ा यदि याद िदवा भ0ा यदा िनिश न त भ0ादोष यात सा भ0ा भ0दाियनी - पीयषधारा

2 मङगलवार भ0ा यितपात वधित तथा -Dयर जमतारािद म^या क उपरात शभ होत ह

3 मीन साित म महादव व गणश कW आराधना-अच$ना म दवी पजा हवनािद म तथा िव1ण-सय$ साधना म भ0ा सव$था शभदायक होती ह यथा -

$या भाय भा न शभोजप मीनरािशन योग$तथाhयचन

42

होमकाल िशवाया$तमा तiव साधन सवकालोऽथ मशनयो - 7योिव$दाभरण

1330 राहEकाल का यथाथ

अभी तारीख को थानीय सयदय और सया$तकाल का अतर कर िदनमान ात कWिजए इस िदनमान को आठ (8) स भाग दन पर यामाध$ (आधा -हर) ात होगा -थम यामाध$ का -ार=भकाल सयदयकाल ही ह इसम यामाध$ क घिम जोडऩ पर -थम यामाध$ का समािkकाल (अथवा ि4तीय यामाध$ का -ार=भकाल) ात होगा इसम पन यामाध$ क घिम जोडऩ पर ि4तीय यामाध$ का समािkकाल िनकल आएगा इसी -कार उEरोEर बार-बार जोडऩ पर आठlt यामाधy क यथाथ$ -ार=भ और समािkकाल ात हो जाएग रिववार को आठवा सोमवार को दसरा मङगलवार को सातवा बधवार को पाचवा गs को छठा श को चौथा एव शिन को तीसरा यामाध$ राहYकाल कहलाता ह आजकल -योग म लाया जान वाला राहYकाल का -ार=भ-समािkकाल अशा9ीय ह

1331 िशववास का जानन का कार

वत$मान ितिथ को 2 स गणा करक 5 जोड तDपaात 7 का भाग दव शष 1 रह तो िशववास कलाशपव$त पर 2 म गौरीपाव म 3 म वषा_ढ़ 4 स सभा म सामाय 5 स भोजन म 6 स Wडा तथा शय म मशान म िशव का वास होता ह िशवाच$न क िलए शभ ितिथया -

शUलपF म - 25679121314 एव क1णपF म - 14568111230

िशववास का फल - कलाश म यिद िशवजी का वास हो सखकारक होता ह गौरी क साथ

शभकारक वषभ पर आ_ढ़ हो तो धन व वभव स य Wडा म हो तो सतापकारक सभा व भोजन म म^यम फलदायी मशान म मDयदायी होता ह

14 साराश

पAचाङग अDयत िवतत िवषय ह िजस सिFk म कछ पtlt म सीिमत करना िकसी भी लखक क िलए अस=भव ह पAचाङग म -मखतया पाच अङग होत ह यथा - ितिथ वार नF योग व करण

वत$मान म पAचाङग अDयत िवतत हो चक ह सवD सर राजा मी वष$ का सिहताDमक िवववरण महQD त$काल िववाहािद महQD त$ गणिमलान रािशफल आिद अनकानक िवषयlt क साथ वत$मान क पAचाङग आमजन तक स=पण$ विदक ान को अपन भीतर समािव करत हYए ानवध$न कर रह ह इस इकाई म यथास=भव सभी िवषयlt का वण$न करत हYए पAचाङग का समिचत ान इस इकाई म िदया गया ह

15 श दावली

bull पAचाङग = िजसक पाच अङग हो

43

bull सवD सर = भारतीय वष$

bull अयन = सय$ परमण च

bull सौरमास = सय$ साित मास

bull गampड़ात = पव$ का आिद व अत

bull काल = समय

bull वयिसM = अबझ

bull आनयन = प करना

16 अितलघरामक

1 पAचाङग क पाच अङग कौनस ह उEर ितिथ वार नF योग व करण - इनस िमलकर पAचाङग का िनमा$ण होता ह 2 सवD सर िकतन होत ह उEर सवD सर 60 होत ह 3 दवी ऋत एव िपतर ऋतओ क नाम िलिखएiuml उEर बसत (ी1म एव वषा$ ऋत को दवी ऋत एव शरद हमत एव िशिशर ऋत को िपतर ऋत कहत

ह 4 सौरवष$ व चा0वष$ का मान िलिखए उEर सौरवष$ 365 िदन - 15 घटी - 31 पल - 30 िवपल चा0वष$ 354 िदन - 22 घटी - 01 पल - 33 िवपल 5 अमावया व पिण$मा क भद बताईय उEर -ात काल यािपनी अमावया को िसनीवालीrsquolsquo चतद$शी स िवMा को

दश$rsquolsquoतथा -ितपदा स य अमावया को कहQrsquolsquoसक कहत ह राि को एक कलाहीन और िदन म पण$च0 स स=पन अनमितrsquolsquoसक पिण$मा चतद$शीय होती ह परत राि म पण$ च0मा सिहत पिण$मा -ितपदा स य राकाrsquolsquoसक होती ह

6 ितिथयlt कW सा बताईय उEर नदा (1-6-11) भ0ा (2-7-12) जया (3-8-13) रा (4-9-14) व पणा$ (5-10-15) 7 ितिथ गampड़ात ल( गampड़ात व नF गampड़ात बताईय

उEर पणा$ व नदा ितिथयlt कW म स अत व आिदम दो-दो घिटयlt को ितिथ गampड़ात कहत ह कक$ -िसह विaक-धन मीन-मष रािशयlt क अत और आिदम कW आधी-आधी घटी को

44

ल(गampड़ात कहत ह रवती-अिmनी अ|षा-मघा तथा मीन-मष क नFlt म अत व आिदम कW दो-दो घिटयlt को नF गampड़ात कहत ह

8 नF व िदनमान क अनसार अिभिजत का मान बताईय

उEर उEराषाढ़ा नF कW 15 घटी व qवण नF कW 04 घटी िमलकर अिभिजत सक होती ह तथा िदनमान क म^यभाग म 48 िमनट का काल अिभिजत महQD त$ कहलाता ह

9 सोमवार को करणीय कम$ बताईय

उEर पड़-पौध प1प व उपवन लगाना बीजारोपण 9ीिवहार गायन यािदकाय$ व नय व9 धारण सोमवार को qt रहता ह

10 चर करणlt क नाम िलिखए

उEर बव बालव कौलव तितल गर विणज िवि - य सात चर करण ह

17 लघरामक

-[ - 1 साठ स=वDसरlt क नाम व उनक वामी बताईय

-[ - 2 ितिथ का परचय दीिजय

-[ - 3 नF का परचय दीिजय

-[ - 4 योग का परचय दीिजय

-[ - 5 करण का परचय दीिजय

18 सदभ थ

1 धम$शा9 का इितहास 2 7योितष सnाट पAचाङग

लखक - डॉ पाampडरङग वामन काण स=पादक - डॉ रिव शमा$

-काशक - उEर-दश िहदी सथान -काशक - अ भा -ा 7यो

शो स जयपर

3 कालमाधव 4 महQD त$ िचतामिण

स=पादक - डॉ iजिकशोर वाई याlयाकार - कदारदE जोशी

-काशक - चौख=बा सकत सथान वाराणसी -काशक - मोतीलाल

बनारसीदास वाराणसी

45

इकाई ndash 2

जम पिका सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

इकाई क परखा

20 -तावना 21 उय 22 िवषय -वश 221 जम पिका परचय 222 ितिथ 223 पचाग को दखन कW िविध 224 सयदय साधन 225 वलातर सकार 226 चरपल िनकालन कW िविध 227 िदनमान स सयदय िनकालना 228 थानीय सया$त 229 इ काल कW पहली िविध 2210 परभाषाऍ 2211 इ काल िनकालन कW दसरी िविध 2212 इ काल कW परभाषा व स 23 साराश 24 बोध -[ 25 शZदावली 26 सदभ$ (थ सची

20 तावना

7योितष शा स सबिधत दसरी इकाई हा इस इकाई क अ^ ययन स आप बता सकत ह िक ज म पिका सया$दय वला तर प1 टा तर ान इ1 टकाल U या ह इसक िवषय म स= यक _प स वण$न िकया गया ह 7योितष क तीन कध ह िसMात सिहता होरा इस इकाई क अतग$त कध आिद क अतग$त आन वाल िवषय जम पिका का िनमा$ण िकया जाता ह -ाचीन काल म इस 7योित पदाथy क नF तारlt (हlt क व_प को बतान वाला िवान कहा जाता था Uयltिक जब सMाितक गिणत का

46

पण$ ान नहV था कवल ि स ही (हो का ान िकया जाता था ईसा पव$ 500 म 7योितष म गिणत एव फिलत य दो कध वत _प स िवकिसत हYय 7योितष क अतग$त (हlt कW गित िथित अयनाश आिद गिणत 7योितष क अतग$त आ गए (ह िनरतर गितशील ह िजस समय को बालक जम लता ह उस समय (हlt कW कसी िथित ह और (ह िकतन िड(ी पर -भाव डाल रह ह इन सबका िववचन lsquolsquoिसMात 7योितषrsquorsquo कW दन ह य गिणत और सMाितक गिणत म अतर होन क बाद भी पचागlt का सहारा लत ह जम पिका बनात ह इस इकाई म सयदय सया$त तथा िदनमान और इ काल िनकालन कW िविधयlt का उuलख िकया गया ह जम कampडली िकसी भी जातक (यि) क भत भिव1य एव वत$मान कW स=पण$ जानकारी कहानी होती ह अतः शM जम पिका बनान क िलए िन=न जानकारी होना आवयक ह

bull जातक का जम का वष$ माह एव तारीख

bull जम थान का नाम जहा जम िलया ह वहा का सयदय एव सयत का समय और उस थान क अFाश एव रखाश

bull जम समय

उपय$U त जानकारी सही ह तो शM इ काल िनकाला जायगा इस स जातक कW जम कampडली सही बनगी और उसम भत भिव1य एव वत$मान कW सही जानकारी होगी

21 उय

इस इकाई क िनमा$ण क िन=न उय ह -

bull जमपिका कW िविध का ान

bull सयदय सयत एव इ काल कW िववचना

bull भारतीय मानक समय एव थानीय समय का ान

bull इ काल का महD D व -ितपािदत करना

bull जम कampडली िनमा$ण म ितथी वार नF योग एव करण का ान कराना

22 िवषय वश

221 जम पिका पBरचय- सयदय वलातर प ातर ान इ काल िनण$य

जम पिका- 7योितष शा9 क अनसार िकसी भी जातक क जम क समय क आकाशीय (हlt कW िथित क अनसार जमपिका का िनमा$ण करत ह जमपिका बनान वाल यि अथवा 7योितष

47

को पचाग अथवा जी का पण$ ान होना अDयावयक ह Uयltिक पचाग पर एक वष$ का कालदश$क होता ह िजसम वष$ म होन वाली आकाशीय (हlt कW िथित उनकW गित आिद कW परी जानकारी होती ह

पचाग क पाच अग होत ह- ितिथ वार नF योग और करण

222 ितिथ (रिवचयोगयXर ितिथः)-

7योितष कW भाषा म ितिथ च0मा कW सय$ स अशाDमक दरी को एक ितिथ कहा गया ह -ितिदन लगभग 12 अश का अतर सय$ और च0मा क मण क समय म होता ह दसर शZदlt म च0मा और सय$ पeवी स कभी एक ही अश (0deg अश) पर और 180deg अश पर िदखाई दता ह इस -कार इस दरी मापन को ही ितिथ कहा गया ह

िकसी अय परभाषा स च0मा कW एक कला को ितिथ कहा गया ह ितिथयॉ तीस होती ह (-ितपदा स पिण$मा और -ितपदा स अमावया तक)

ितिथयG क $वामी-

-ितपदा आिन

ि4तीया ijा

ततीया गौरी

चतथ$ गणश

पचमी शषनाग

षtी काित$कय

सkमी सय$

अ मी िशव

नवमी दगा$

दशमी काल

एकादशी िवmदव

4ादशी िव1ण

योदशी काम

चतद$शी िशव

पिण$मा च0मा

48

अमावया िपतर

ितिथयG क सKाऐ-

ितिथयlt का वगrकरण पाच भागlt म िकया गया ह

ितिथया

नदा भ0ा जया रा पणा$

1 2 3 4 5

6 7 8 9 10

11 12 13 14 1530

िसNा ितिथया-

मगलवार बधवार बहपितवार बधवार शिनवार

3 2 5 1 4

8 7 10 6 9

13 12 15 11 14

अमाव$या क तीन भद ह -

1) -ातःकाल स लकर राि तक रहन वाली अमावया को िसनीवाली

2) चतद$शी स िवM को दश$ एव

3) -ितपदा स य अमावया को कहY कहत ह

दbधा िवष और हEताशन सKक ितिथया-

दधा िवष और हYताशन सक ितिथयlt म काय$ करन पर िवन बाधाओ का सामना करना पड़ता ह

दधा-िवष-हYताशन योग सा बोधक च

वार रिववार सोमवार मगलवार बधवार ग_वार शवार शिनवार

दधा 12 11 5 3 6 8 9

सक

49

िवष 4 6 7 2 8 9 7

सक

हYताशन 12 6 7 8 9 10 11 सक

वार-

िजस िदन कW -थम होरा का जो (ह वामी होता ह उस िदन उसी (ह क नाम का वार रहता ह 7योितष शा9 म शिन बहपित मगल रिव श बध और च0मा य (ह एक दसर स मशः नीच िदय गय ह एक िदन कW 24 होरा होती ह दसर शZदlt म घampटा ~वनतM का दसरा नाम होरा ह

वार क कारः-

वार -कार वार -कार

बहपित सौ=य मगल र

च0 सौ=य शिन र

बध सौ=य रिव र

श सौ=य - -

न-

आकाश मampडल म जो असlय तारकाओ स कही आख सप$ शकर एव हाथ आिद कW आकित बन जाती ह व ही नF कहलात ह आकाश मampडल कW दरी नFlt 4ारा ही ात कW जाती ह

1) पचक सKक

धिनtा शतिभषा पवा$भा0पद पवा$भा0पद रवती

पचक दोष

2) मल सKक

मल सक नF को शभ नहV माना जाता ह यिद िकसी बpच का जम 7यtा अ|षा रवती मल मघा और अिmनी नF म होता ह तो 28व िदन क पaात जब वहV नF आता ह तब इन नFlt क दोष शमनाथ$ शाित करवाई जाती ह

7यtा और मल नF मल सक तथा आ|षा सप$ मल सक ह

3) Rव सKक

उEराफाuगनी उEराषाढ़ा उEराभा0पद एव रोिहणी Nव सक

50

4) उQ सKक

पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद पवा$फाuगनी मघा व भरणी उ( सक

5) चर सKक

वाित पनवस qवण धिनtा और शतिभषा चर सक

6) िम सKक

िवशाखा और किEका िमq सक कहलाता ह

7) लR सKक

हत अिmनी प1य और अिभिजत िF- या लघ सक कहलाता ह

8) मद सKक

मगिशरा रवती िच और अनराधा मद सक ह

9) तीlण सKक

मल 7यt आ0ा$ और अ|षा ती6ण या दा_ण सक ह

10) अधोमख

मल आ|षा िवशाखा किEका पवा$फाuगनी पवा$षाढ़ा पवा$भा0पद भरणी और मघा मखसक ह इन नFlt म शभ काय$ जस - कआ खोदना समान एव ओxौिगक F फUी आिद कW नVव खोदना ह

11) ऊCवमख सKक

आ0ा$ प1य qवण धिनtा और शतिभषा उ^व$मखी सक ह

12) ितयडमख सKक

अनराधा हत वाती पनव$स 7यtा और अिmनी ितय$Yख सक नF ह

13) दbध सKक

दध नFlt म शभ काय$ नहV िकय जात ह जस

1 रिववार - भरणी

2 सोमवार - िचा

3 मगलवार - उEराषाढ़ा

4 बधवार - धिनtा

5 बहपितवार - उEराफाuगनी

51

6 शवार - 7यtा

7 शिनवार - रवती

उपरो नF दधसक कहलात ह

14) मास शय सKक

मास (मिहना) न

1 च - रोिहणी अिmनी

2 वशाख - िचा और वाती

3 7यt - उEराषढ़ा और प1य

4 आषाढ़ - पवा$फाuगनी और धिनtा

5 qवण - उEराषाढ़ा

6 भा0पद - रवती

7 आिmनी - पवा$भा0पद

8) काित$क - किEका मघा

9) माग$शीष$ - िचा और िवशाखा

10) पौष - आ0ा$ अिmनी और हत

11) माघ - qवण मल

12) फाuगन - करणी 7यtा मास शय नF

13) माघ - qवण मल

नFो क चरणानसार नामाFर

रािश नF व उनक चरण नाम क -थम अFर

मष अिmनी 4 भर 4 किEका 1 च च चो ला िल ल ल लो अ

वष किEका 3 रोिहणी 4 मग 2 इ उ ए ओ वा िव व व वो

िमथन मगशीष$ 2 आ0ा$ 4 पन 3 क िक क घ ङ छ क को ह

कक$ पनव$स 1 प1य 4 अ|षा 4 ही हQ ह हो डा डी ड ड डो

िसह मघा 4 पवा$फा 4 उ फा 1 म मी म म मो टा टी ट ट

कया उ फा 3 हत 4 िचा 2 टो प पी प ष ण ठ प पो

52

तला िचा 2 वाती 4 िवशाखा 3 र री _ र य ता ित त त

विaक िवशाखा 1 अन 4 7यtा 4 तो न नी न न नो या यी य

धन मल 4 पवा$षा 4 उEराषा 1 य यो भ भी भ धा फा ढा भ

मकर उ षा 3 qवण 4 पवा$भा0 2 भो ज जी खी ख ख खो ग िग

कभ धिनtा 2 शत 4 पवा$भा0 3 ग ग गो सा सी स स सो द

मीन पवा$भा 1 उ भा0 4 रवती 4 दी द थ झ acute द दो चा ची

न-

7योितष क अनसार अिmनी स लकर रवती तक 27 नF होत ह

-Dयक 9 नF क 9 वामी (ह ह इस -कार तीन नF (उदाहरण क िलए कितका उEरा फाuगनी और उEराषाढा का वामी सय$ ह इसी -कार च0मा रोिहणी हत और qवण क वामी ह)

सारणी न 2

इन 28 नFlt क वामी मशः ह-

नF वामी

1 अिmनी अmनी कमार

2 भरणी यम

3 कितका अिन

4 रोिहणी ijा

5 मगिशरा च0मा

6 आ0ा$ िशव

7 पन$वस अिदित

8 प1य ग_

9 अ|षा सप$

10 मघा िपत

11 पवा$फाuगनी भग

12 उफाuगनी अय$मा

13 हत सय$

53

14 िचा Dव ािवmकमा$

15 वाती वाय

16 िवशाखा इ0ािण

17 अनराधा िम

18 7यtा इ0

19 मल राFस

20 पवा$षाढ़ा जल

21 उEराषाढ़ा िवmादव

अिभिजत िविध

22 qवण िव1ण

23 घिनtा वस

24 शतिभषा व_ण

25 पवा$भा0पद अजकपाद

26 उEराभा0पद अिहब$^य

27 रवती पषा

अिभिजत नF को भी 28वा नF माना गया ह अिभिजत नF सभी मागिलक कायy म शभ माना जाता ह इस नF म उEराषाढ़ा कW आिखरी प0ह घिटया और qवण क -ार=भ कW 04 घिटया इस -कार 19 घिटयlt क मान वाला नF अिभिजत नF कहलाता ह

करण-

ितिथ क आध भाग को करण कहत ह करण यारह होत ह चार िथर और सात चर करण

करण क नाम-

1 बव 2 बालव 3 कालक 4 तितल 5 गर 6 विणज 7 िवि (उसी को भ0ा कहत ह)

य सात चल करण ह जो िक -ितमास शUल पF कW -ितपदा क उEराM$ स श_ होकर चतथr क उEराM$ तक बीतत ह िफर ि4तीया वित म पचमी क पवा$M$ स वस ही -वत होत ह इस -कार क1ण पF कW चतद$शी क पवा$M$ तक इही का अवथान रहता ह

54

-ित मास क1ण पF कW चतद$शी क उEराM$ म शकनी 1 अमावथा क पवा$M$ म चतथr पद 2 उEराM$ म नाग 3 और शUल पF कW -ितपदा क पवा$M$ म िकत न 4 य चारlt (शकयािद) करण थायी _प म सदव रहा करत ह इसी स उनको िथर करण कहत ह

इस -कार 7 चल और 4 िथर करण मान गय ह

योग-

नF कW तरह ही योग भी 27 होत ह

च0मा और सय$ क रायाशlt का योग जब (13 अश 20 कला) या इसक गणा करन पर पण$ एक योग का िनमा$ण होता ह इस -कार िव1क=भ स लगाकर वधित तक कल 27 योग होत ह

योग वामी योग वामी

1) िवष क=भ यम 6) अितगampड च0मा

2) ि-ित िव1ण 7) सकमा$ इ0

3) आय1मान च0मा 8) धित जल

4) सौभाय ijा 9) शल सप$

5) शोभन बहपित 10) गampड अिन

11) विM सय$ 20) िशव िम

12) Nव भिम 21) िसM काित$कय

13) याघात वाय 22) सा^य सािवी

14) हष$ण भग 23) शभ ल6मी

15) व व_ण 24) शUल पाव$ती

16) िसिM गणश 25) ijा अिmनी कमार

17) यनीपात _0 26) ऐ0 िपतर

18) वरीयान कबर 27) वधित िदित

19) परष िवm कमा$

इस -कार पचाग क पाचlt अगlt का पण$तः ान पचाग का भली भॉित अ^ययन करन पर ही हम जम पिका सही ढग स बना सकत ह

पचाग दखन पर प होता ह िक जातक क जम क समय मास पF ितिथ वार योग करण नF आिद कW िथित और मान Uया थ

55

223 पचाग को दखन क िविध

उदाहरण क िलए िकसी जातक का जम 23 अ-ल 2012 तदनसार वशाख शUल पF सवत 2069 ि4तीया ितिथ सोमवार को हYआ तो उस मास का पचागदखन पर ात हYआ िक सव$-थम पि म ही ितिथ वार नF आिद मान सिहत िदय ह उ जातक का जम ि4ितया ितिथ 29 घिट सोमवार कितका नF 1 घिट 38 पल (अगल िदन तक) सौभाय योग 16 घिट 03 पल एव तितल करण 3 घिट 04 पल थ इस िदन िदनमान 16 घिट 01 पल सयदय 6 बजकर 01 िमिनट -ातः और सया$त साय 6 बजकर 56 िमिनट पर हYआ इसी -कार च0मा मष रािश म और सय$प मष रािश क 09 अश 09 कला 45 िवकला पर िथत था और सय$ गित 58 कला 21 िवकला थV

जम कampडली बनान म पचागlt क अलावा रखाश अFाश मानक समय रिवाित वलातर एव रखातर अथवा रuव अतर कW आवयकता होती ह इसकW परभाषाऍ नीच दी जा रहV ह-

(प qीबuलभ मनीराम पचाग क अनसार)

224 कछ पBरभाषाए -

1रखाश अाश - िवm मानिच म आपन कई ऊध$ और ितयक रखाए िखचV हYई दखी हltगी जो पव$

स पिaम कW और और उEरी Nव स दिFणी Nव कW ओर िखचV गई ह हमारी पeवी क बीचlt बीच एक काuपिनक रखा पव$ स पिaम कW ओर पिaम स पव$ कW ओर िखची गई ह इस भम^य रखा कहत ह

अाश - जो रखाए भम^य रखा क समातर भम^य रखा स नीच और ऊपर कW ओर खVची गई ह इह

अFाश रखाए या िसफ$ अFाश कहत ह

रखाश - व उ^वा$धर रखाए जो उEरी Nव स दिFणी Nव ओर खVची गई ह उह दशातर रखाए अथवा

रखाश कहत ह

मानक समय - वह घिड़यlt का समय जो दश क िकसी भी थान पर एक सा रहता ह वह मानक समय ह

जबिक रखाश म अतर कW वजह स िकसी भी थान िवशष का समय अलग-अलग होता ह (1 अश रखातर क अतर पर 4 िमनट का समयातर आता ह)

2 रिव ाित अथवा सय ाित

सय$ कW िकरण िजस अFाश पर ल=बवत पड़ती ह वह उस िदन कW रिव ित कहलाती ह

भम^य रखा पर रिव ाित 21 माच$ और 23 िसत=बर क लगभग शय ऋण(00) होती ह

22 माच$ स 23 िसत=बर तक उEर ाित और 24 िसत=बर स 21 माच$ रिव ाित दिFण ाित कहलाती ह

56

3 वलातर

सय$ और पeवी दोनlt गितमान ह िकत -ितिदन दोनlt कW गितयlt म अतर ह इस अतर को सामजय करन क िलए (मानक समय स थानीय या थानीय समय क मानक समय म जो समयातर ऋण अथवा धन िकया जाता ह वह वलातर सकार कहलाता ह) टampडड$ समय बनाना हो तो रuव अतर का िचह ऋण एव धन जो ह उसी -कार रख जायग लिकन वलातर का िचह सारणी म ऋण व धन जो ह उसम िवलोम धन हो तो ऋण और ऋण हो तो धन सकार करन पर प थानीय समय -ाk होगा

4 रखातर (अथवा र3व अतर)

मानक रखाश (भारत क िलए मानक रखाश ) स थानीय रखाश म -Dयक 1 अश अतर क िलए 4 िमनट का समयातर थानीय समय स मानक समय अथवा मानक समय स थानीय समय म बदलन क िलए (ऋण + धन) िकया जाता ह वही रखातर सकार अथवा रखातर अथवा रuव अतर कहलाता ह

225 सयAदय एव सया$त साधन

जातक का िजस थान पर जम हYआ उस थान िवशष का सयदय का थानीय समय लत ह Uयltिक एक थान का सयदय व सया$त का समय अलग-अलग होता ह सयदय और सया$त का थानीय समय ात करन कW कई िविधया ह यहा कW िविध स सयदय साधन करत ह

िविध -

1 िजस थान िवशष का सयदय ात करना ह उस थान िवशष क अFाश और उस िदन कW रिवाित (या सय$ ाित) सारणी स ात कर लव (सभी पचाग स उपरो सारिणया होती ह)

2 इिpछत अFाश और रिवाित को गणा कर और 5 का भाग दकर चर पल बनाल

3 इस -कार -ाk चर पलlt को 2) स भाग दकर चर िमनट बना लव

4 उस िदन रिव उEर (+) हो तो 6 घट म इन चर पलlt को घटाएग इसी -कार रिवाित उEर होन पर चर िमिनट म 6 घampट जोड़न पर सया$त -ाk होगा

5 इस -कार -ाk सयदय का मान थानीय सयदय का मान होगा

चिक जातक का जम समय का मान हम भारतीय टampडड$ टाइम क अनसार ही दखत ह और सभी घिड़यlt म सभी थानlt पर एक सा ही समय िदखाती ह (उदाहरण क िलए यिद िदuली म घिड़या दोपहर क 230 बजा रही ह तो म=बई और कोलकाता म भी घिड़या दोपहर क 230 ही बजा रही हltगी

Uयltिक यहा भारतीय का मानक समय ह जो स िलया गया ह पज समय ह) अतः हम इस थानीय समय को मानक समय म (पज) बदलना होगा

57

6 अतः उपरो थानीय सयदय क मान को मानक समय बनान क िलए रखातर या दशातर सकार (धन या ऋण) करना पड़ता ह एक दशातर का मान 4 िमिनट होता ह

उदाहरण क िलए जातक का जम जयपर म हYआ जयपर का रखाश ह और IST का रखाश ह दोनlt का अतर िकया

IST रखाश

जयपर का रFाश 75050 (-) घटाया

06 - 40 शष

शष को 4 स गणा करन पर

चिक 10 = 4 िमिनट

600400

times 4

24160 (िमस)

160 स म 60 का भाग दकर िमिनट बनाएग

24 िमिनट160 स`कampड य 60

24 िम + 2 िम 40 स

अतः जयपर का दशातर 26 िम 40 स`कampड (ऋण)

नोट अभी रखाश 82030 (2णampज) स कम होन पर (+) धन और अिधक होन पर (-) ऋण करग

उपरो lsquolsquoदशातर सारणीrsquorsquo स भी ल सकत ह जो सभी पचागlt म भी दी जाती ह

7 दशातर सlया (इस रuव अतर भी कहत ह) करन क पaात वलातर सकार करत ह

वलातर स$कार-

चिक पeवी और सय$ कW राि म समानता नहV ह अतः दोनlt कW गित म सामजय बठान क िलए वलातर सकार िकया जाता ह टampडड$ समय स थानीय समय बनाना हो तो रuव अतर का िचह (-) (+) जो ह वस ही रख जायग लिकन वलातर कW िचह सारणी म (-) (+) जो ह उसस िवलोम (+) धन हो तो (-) ऋण हो तो (+) धन सकार करन पर प थानीय समय -ाk होगा

सारणी - बuलभमनीराम पचाग

1 दशातर सारणी - पt स 86 - 87

58

2 वलातर सारणी - पt स 95

3 चरपल सारणी - पt स 89

4 रिवाित सारणी - पt स 94

227 चरपल िविध

चरपल िविध 4ारा सयदय िनकालन कW िविध

स- चरपत X आFाश रिव ाित

5

उदाहरण-

िकसी जातक का जम जयपर शहर म िदनाक 30 अUटबर 2012 तसार qीकाित$क क1ण पF -ितपदा सवत 2069 मगलवार को साय 7 बजकर 25 िमनट पर हYआ चरपल स इस िदन का सयदय ात कर पनः इ काल भी ात कर

िदनाक - 30 अUटबर 2012

थान - जयपर

अFाश - 26056

रखाश - 75050

रिवाित - 1351 दिFण

बलातर - (-) 1621 ऋण

स- चरपत X आFाश रिव ाित

5

26056 X 75050

5

3725

5

= 745 पल

चर िमनट = 745

= 298 िम

59

= 29 िम 48 स

सयदय - घ िम स

6 00 00

+ 29 48 जोड़ (रिव ाित दिFण होन स)

6 29 48 थानीय सयदय

थानीय सयदय - घ िम स

06 29 48

+ 26 40

06 56 28 थानीय म^यम सयदय

घटान पर (-) 16 21 (-) बलातर सकार

मानक सयदय 06 40 07

िदनाक 30102012 को जयपर का मानक सयदय 06 बजकर 40 िम 07 स -ाk हYआ

228 िदनमान स सयAदय िनकालना

सयदय िनकालन कW अय िविधया

1 उपरो चर िमनट को ि4गिणत कर

2 यिद रिव ाित दिFण (+) ह तो -ाk चर िम को 12 घट म जोड द ाित दिFण (-) होन पर 12 घट म स घटा द -ाk मान िदनमान होगा (िदनमान - सयदय स सया$त तक का समय िदनमान कहलाता ह)

3 -ाk िदनमान का आधा िदनाM$ कहलाता ह यह िदनाM$ का मान ही थानीय सया$त का मान ह

सयदय एव सया$त का सः-

सया$त acute 2 = िदनमान (घ िम) acute 2)

= िदनमान (घ प)

सया$त acute 5 = िदनमान (घ िम)

सया$त 06 14

X 5

3070

60

= 3110 िदनमान

स-

1) रािमान = सयदय X 5 = रािमान (घ प)

(घ प)

2) रािमान = 60 00 - िदनमान

रािमान ात करन क िलए 60घिट म स िदनमान घटान जो मान -ाk होता ह वह रािमान कहलाता ह

उदाहरण

घ प

60 00

- 31 10 िदनमान

28 50 रािमान

सानसार िदनमान + राि अM$ + जम समय ज acute 2)

जम समय = 03 बज -ातःकाल

वलातर 039

दशातर - 27

030000 जम समय

- 2700 दशातर 3110 िदनमान

जम समय LT 023300

X 2 12 062230

2850 रािमान

2

3110 िदनमान

1425 राि अM$

4535

61

453500

+ 062230 जम समय LT

515730 इ काल (घ पल)

229 $थानीय सया$त

िदनमान

2

उपरो उदाहरण स चर िमनट - 29 िम 48 स

चर िमनट का ि4गिणत - 29 िम 48 स acute 2

= 59 िम 36 स

िदनमान = 12 घट - 59 िम 36 स

िदनमान = 11 घट 0 िम 24 स

िदनाM$ - िदनमान -- थानीय सया$ त

2

11 घ ndash 24 स

2

थानीय सया$त - 5 घ 30 िम 12 स

थानीय सया$त - घ िम स

12 00 00

सया$त (-) 05 30 12

06 29 48 थानीय सयदय

+ 26 40 दशातर सकार

06 56 28

वलातर सकार - 16 21

मानक सयदय 06 40 07 थानीय सयदय

62

2210 इकाल िनकालन क पNितः-

परभाषा- सयदय क बाद जम समय तक िजतना जम समय घampट िमिनट या घटी पल म होता ह वह इ काल कहलाता ह

जातक क जम समय म स सयदय का मान घटान पर जो समय ात होता ह वह इ काल कहलाता ह

इ काल - जम समय - सयदय का मान (ज) स

उपरो उदाहरण म जम समय साय 725 बज

जम समय = 12 + 725 घट

= 1925 साय

इ काल = जम समय 1925 - सयदय 64007 (घटाया)

= 12 घ 44 िम 53 स (घटा िमनट म)

acute 2 12

= इ काल

चिक 7योितष कW सभी गणनाए अिधकतर घटी पल म होती ह अतः उपरो को 2) स गणा करन पर इ काल का घटयािद मान -ाk होगा

इ काल (घटयािद म) = (124453) acute 2)

= 31 घिट 52 पल

यिद िकसी जातक का जम िदनाक 30 अUटबर 2012 को राि क 1 बजकर 40 िमनट पर हYआ हो जम समय म 24 घट जोड़कर समय 25 घट 40 िमनट लग िकत िदनाक 30 अUटबर 2012 िदन मगलवार ही लग न िक बधवार जसा िक रuव म म^य राि क बाद अगल िदन मान लत ह िकत 7योितष म िदन एव ितिथ सयदय क समय क बाद स माना जाता ह

यहा पर यह बात भी ^यान दन योय ह िक जम का समय जहा कहV भी दखग वह घिड़यlt म सभी जगह एक सा (अथा$त मानक समय) होगा जबिक सयदय का समय सभी जगह अलग-अलग होता ह इसीिलए थानीय सयदय कहलाता ह अतः इस मानक समय म बदलना ज_री होता ह अगर सयदय का समय थानीय लत ह तो जम समय को भी थानीय मसय म बदलना होगा Uयltिक दोनlt कW इकाई एक होन पर ही इ काल सही होगा अयथा इ काल िटपण$ होगा और इ काल क िटपण$ बनगी

2211 इकाल िनकालन क दसरी पNित

इस पMित म -थम पMित स अतर िसफ$ इतना ह िक -थम पMित म सयदय या सया$त का इ काल िनकालन क िलए -योग िकया जाता ह

63

िकत इस पMित म सया$दय या सया$त का -योग नहV िकया जाता इसक थान पर िदनमान या राि मान -योग िकया जाता ह

1 सया$दय स लकर 12 बज िदन तक का जम समय होन पर -

स- िदनाM$ - (12 - जम समय ज) times 2))

= इ काल (घटी पल)

उदा0 जम समय 8 बज होन पर तथा िदनमान 28 घटी 50 पल तथा राि मान 31 घटी 10 पल ह तो इकाल Kात होगा

िदनाM$ 1425 1200 घampट िदन क िदनमान

2 िMनाअ$तर

- 1000 - 800 जम समय ज

0425 इ काल 400

acute 2 12

1000 अतर

नोट - इस पMित म िदनमान या रािमान िलय जात ह वो घampट िमिनट म न होकर घटी पल म होत ह अतः इसका -योग सीधा िकया जाता ह इसम 2) स गणा नहV िकया जाता

2211 इकाल िनकालन क स व िविधया

1 स- िदनाM$ = िदन क 12 बज का इ

यिद िकसी यि का जम िदन क ठीक 12 बज िदन क थानीय समय म हYआ ह तो उसका इ सीधा िदनाM$ ही हो जाता ह

इसी -कार िदनमान परा सया$त क समय का इ होता ह

2 स- सयदय स सया$त = िदनमान (इ घटीपल)

अगर िकसी यि का जम ठीक सया$त क समय म थानीय समय म हो तो उसका इ िदनमान का स=पण$ मान ही होता ह

राि क वातिवक 12 बज इ िदनमान + राि अM$ क बराबर होता ह

3 स- िदनमान + राि अM$ = राि 12 बज (थानीय समय) (इ घटीपल)

िदन क 12 बज स राि 12 बज तक का समय होन पर -

64

4 स- िदनाM$ + (जम समय times 2 frac12 इ काल

राि 8 बज जम समय ज

िदनमान - 2850 राि मान 3110

िदनाM$ 1425 08 00 जम समय

जम समय (घ प) (+) 2000 2 12

3425 2000

िदनमान -- थानीय सया$ त िदनाM$ -

2

28 50 िदनाM$ -

2

राि बारह बज स अगल सयदय होन का समय का जम समय होन तक

5 स-

िदनमान + राि अM$ + (जम समय 2 frac12 = इ काल

उदाहरण-

जम िदनाक 03092012

जम समय 03 बज ातःकाल

जम थान कोटा

अFाश 2510

रिवाित + 0728

3556 (चर पल) 2 frac12

= 1422 चर िमिनट

रिवाित होन कW वजह स 6 घampट म स चर िमिनट िनकालन पर सयदय आयगा

घ0िम0स0

65

060000

- 001422

054538

= 546 सयदय

12 घampट म स सयदय घटान पर सयत -ाk होगा

घ0िम0स0

120000

- 054600

061400 सयत

23 साराश

इस इकाई म जम कampडली िनमा$ण कW िविध 4ारा जम कampडली आसानी स बनाई जा सक इसका -यास िकया गया ह इसम ितथी वार नF योग करण जम समय जम थान एव जम वष$ कW जानकारी कराई गई ह सयदय वलातर प ातर ान एव इ काल िनण$य कW सगम पMित बताई गयी ह िजसस 7योितष सीखन वाल छा जम कampडली का िनमा$ण कर सकगा

24 बोध

1 पचाग िकतन अग होत ह

उEर पचाग क पाच अग होत ह

ितथी वार नF योग एव करण

2 ितिथयlt का वगrकरण करए

उEर ितिथयlt कW पाच साऐ होती ह

नदा भ0ा जया रा पणा$

1 2 3 4 5

6 7 8 9 10

11 12 13 14 1530

3 नF िकतन होत ह नाम सिहत िलिखए

66

उEर नF 27 होत ह

1 अिmनी 2 भरणी 3 कितका 4 रोिहणी

5 मगिशरा 6 आ0ा$ 7 पन$वस 8 प1य

9 अ|षा 10 मघा 11 पवा$फाuगनी 12 उफाuगनी

13 हत 14 िचा 15 वाती 16 िवशाखा

17 अनराधा 18 7यtा 19 मल 20 पवा$षाढ़ा

21 उEराषाढ़ा 22 qवण 23 घिनtा 24 शतिभषा

25 पवा$भा0पद 26 उEराभा0पद 27 रवती

1 अमावया क िकतन भद होत ह

उEर अमावया क तीन भद होत ह-

2 -ातःकाल स लकर राि तक रहन वाली अमावया को िसनीवाली

3 चतथ$दशी स िवद को दश$ एव

4 -ितपदा स य अमावया को कहY कहत ह

5 इ काल िकस कहत ह

उEर जातक क जम समय म स सयदय का मान घटान पर जो समय ात होता ह वह समय इ काल कहलाता ह

24 िनबधामक

1 सयदय साधन करन कW िविध समझाइय

2 इ काल िनकालन कW िविध उदाहरण सिहत समझाइय

25 शदावली

इस इकाई म जम कampडली िनमा$ण कW िविध 4ारा जम कampडली आसानी स बनाई जा

इ काल = जम का घिटयािद मान

पचाग - ितथी वार नF योग एव करण

मद = स=य

उ( = अशभ

67

अMिदनमान = अहोरा (पर िदन कW रािमान राि का स=पण$ मान)

IST = भारतीय मानक समय

LT = थानीय समय

26 सदभ थ सची

1 भारतीय 7योितष लखक डॉ नमीच0 शा9ी

2 पचाग बuलभमनीराम

लखकः- qीमती िवजयल6मी शमा$

किनt िलिपक वध$मान महावीर खला िवmिवxालय कोटा

68

इकाई - 3

इ काल स जम कampडली िनमा$ण (ह साधन (चालन धन-ऋण) भयात-भभोग

इकाइ क परखा

30 -तावना 31 उय 32 िवषय -वश 321 लन 322 भयात और भभोग साधन 323 चालन 324 (ह प 33 साराश 34 शZदावली 35 अ~यास -[ 36 सदभ$ (थ सची

30 तावना

इस इकाई म जम कampडली का िनमा$ण इ काल स िकया गया ह पव$ कW इकाई म जम पिका क िनमा$ण म पचाग कW सहायता स ितिथ वार नF योग और करण एव सयदय वलातर थानीय समय और इ काल कW िविध समझायी गयी ह इसक पaात इस इकाई 03 म इ काल स जम कampडली का िनमा$ण िकया गया ह

भयात भभोग साधन क 4ारा (ह प बताए गय ह चालन धन (+) ऋण (ग) को िविध 4ारा प िकया गया ह एव चालन 4ारा (ह प िकया गया ह इसम िवxाथrयlt को जम कampडली िनमा$ण सरल पMित स उदाहरण सिहत समझाया गया ह

31 उय

इस इकाई का उय छाlt को जम कampडली िनमा$ण िकस -कार िकया जाता ह उदाहरण सिहत िवतत _प स समझाया गया ह िजसस छाlt को आसानी स समझ सक और जम कampडली का िनमा$ण वय कर सक छाlt िक सिवधा क िलय लन सारणी इस ईकाई म दी गई ह

69

32 िवषय वश

इ काल स जमकampडली िनमा$ण

321 लbनग

पव$ क िFितज पर जम क समय और आकाश क िमलन पर जो (ह उदय हो रहा उसका बड़ा महD D व ह िकसी भी घटना िवशष पर पव$ क िFितज पर िजस रािश का उदय िजतन अशकलािवकला पर हो रहा ह वह उस घटना का लन ह इसिलए सभी शभ काय म लन का बड़ा महD D व ह

लन कW गणना क िलए इ काल सय$ क अश लन सारणी का िवचार िकया जाता ह

कampडली बनान म इ काल एव लन कW गणना स6म होनी चािहए अयथा सारी गणनाऍ गलत िसM होगी लन कampडली का महD D वपण$ अग ह गलत लन होन पर कampडली भी गलत बनगी 24 घampट म 12 लन होत ह

उदाहरण 1

िकसी बालक का जम 14 जनवरी 2004 को 3 बजकर 20 िमिनट सायकाल को कोटा म हYआ तो लन िनकाल

थान कोटा जम समय 320 दोपहर

जम समय = 1520 बज 14 जनवरी 2004

सयदय (कोटा) = 718 बज

इ काल = जम समय ग सयदय

(घ०िम०)

= 1520 ग 718

= 802

इ काल = 2005

14 जनवरी 2004 = 08-290 ndash 04 ndash 10

लन सारणी स 80 पर सयदय = 5106

इ काल +2005

लन प 1111

= 7111

- 6000

70

1111

लन िथित

1104 पर 10 पर अतर ह 60 कला का

1117 पर 1 पर अतर ह

0010 का 1 कF 7 पर अतर ह = 42 कला का

1111

1104

0007 (अतर)

अतः लन िथित

उदाहरण 2

जम िदनाक 3 िसत=बर 2012 (03092012) जम समय 300 -ातःकाल इ काल 515730 (हमन ऊपर िनकाला हYआ ह)

िदनाक 03092012 क सयाश 4 रािश 16 अश 18 कला और 21 िवकला ह लन सारणी स (बuलभमनीराम पचाग पज 53 स) सयाश क अनपातक घिट पल -ाk कर इ काल म जोड़

घिट पल िवपल

इ काल ग 51 - 57 - 30

सयाश क घटी पल (+) 26 - 12 - 00 जोड़न पर

78 - 09 - 30

60 - 00 - 00 (60 घटी घटायी)

(-ाk घटीपल) 18 - 09 - 30

इन -ाk घटी पल क पनः उसी लन सारणी म दखन पर लन क रािश अश -ाk हYए

71

18 घटी 09 पल पर लन 3 रािश 4 अश

इस -कार लन कक$ रािश क 40-18-09 आया इसस लन कampडली बनाकर (ह क प मान स (हो कW थापना करन पर जम कampडली -ाk होगी

इस -कार -ाk जम कampडली

322 भयात और भभोग साधनग

यिद पचाग अपन यहा का नहV हो तो पचाग क ितिथ नF योग और करण क घटी पलlt म दशातर सकार करक अपन थानगजहा कW जमपी बनानी हो वहा क नF का मान िनकाल लना चािहए

यिद इ काल स जमनF क घटी पल कम हlt तो वह नF गत और आगामी नF जमनF कहलाता ह तथा जमनF क घटी पल इ काल क घटी पलlt स अिधक हlt तो जमनF क पहल का नF गत और वत$मान नF कहलाता ह गत नF क घटी पलlt को 60 म स घटान पर जो शष आव उस दो जगह रखना चािहए तथा एक थान पर इ काल को जोड़ दन स भयात और दसर थान पर जमनF जोड़ दन पर भभोग होता ह

नोट -

1) इ काल ग इ काल अिधक ह तो जम नF अगला होगा

2) इ काल ग इ काल नF क मान स कम ह तो जम नF वहV होगा

भभोग िनकालन का तरीकाग

1) अगर नF का मान इ काल स कम ह तो भभोग िनकालन क िलए (60 घटी ग पव$ नF का मान + अगल नF का मान जोड़ द) (नF अगला माना जायगा)

2) अगर इ काल क मान स उस िदन क नF का मान अिधक हो तो 60 घटी म िपछल नF का मान घटाय - इस नF का मान जोड़ द नF वत$मान माना जायगा (60 - िपछला नF + वत$मान नF)

72

भयात िनकालन क िलए -

1) यिद इ काल क मान स गत नF का मान कम ह तो इ काल म स गत नF को घटान पर भयात -ाk होगा (जम नF अगला माना जायगा)

स भयात = इ काल ग नF का मान

2) अगर नF का मान इ काल क मान स अिधक ह तो जम नF वही माना जायगा गत िदन क नF को 60 घिट म स घटा कर इ काल जोड़न पर भयात -ाk होगा

भयात = 60 घटी ग गत नF का मान + इ काल

= 60 ग गत नF + इ काल

नोट

जम तारीख पर यिद वत$मान नF गत नF हो जाता ह तो भयात = इ काल ग गत नF होता ह अथा$त इ काल म स गत नF को घटान पर ह भयात हो जाता ह

उदाहरण 3

जम िदनाक 10 अगत 2003 जम समय 12 बजकर 40 िमिनट सायकाल

सयदय 602 बज भयात भभोग िनकालो

जम समय ग सयदय

घ िम

जम समय = 12 40

= - 06 02

= 6 38

acute 212

इ काल = 1635 (घ० पल) -ाk हYआ

गत नF प० षाढ़ा = 0428 (घ० पल) तक

वत$मान नF उ० षाढ़ा = 0153 (घ० पल) तक

गत नF प० षाढ़ा का मान इ काल क मान स कम ह अतः जम नF हYआ उ० षाढ़ा

भयात = इ काल ग गत नF

= 1635 - 428

73

भयात = 1207 (घ० पल)

भभोग = 60 ग गत नF का मान + अगला नF

= 60 - 428 + 153

= 5532 + 153

भभोग = 5725 (घ० पल)

चरण = 5725

4

= 14 2115 -थम चरण

= 28 42 30 ि4तीय चरण

= 43 03 45 ततीय चरण

अतः नF उ० षाढ़ा का -थम चरण का जम ह

उदाहरण 4

जम िदनाक 10 अगत 2003 जम समय 6 बजकर 25 िमिनट -ातःकाल सयदय 602 भयात भभोग िनकालो

10082003 वत$मान नF पवा$षाढ़ा = 428 घ० पल

09082003 का गत नF = 648 घ० पल

जम समय 625

सयदय 602

इ काल = 625 - 602

= 0023 िम०

= 0023 times 212

= 57 पल 30 िवपल

भभोग = 60 ग गत नF का मान + वत$मान नF

= 60 - 748 + 428

= 6428 - 784

= 5640

74

भभोग = 56 घ० 40 पल

-थम चरण = 14 घ० 10 पल

ि4तीय चरण = 28 घ० 20 पल

ततीय चरण = 42 घ० 30 पल

भयात = 60 - गत नF का मान + इ काल

= 60 - 748 +

= 5212 + 05730

= 53 घ० 9 पल 30 िवपल

अतः जातक का जम नF पवा$ षाढ़ा क चौथ चरण का ह

उदाहरण 5

जम िदनाक 11 जलाई 2003 समय 930 -ातःकाल सयदय 548 -ातःकाल का भयात भभोग ात कर

इ काल (घ० िम०) = 930 - 548

= 3rdquo42X212

इ काल (घटीपल) = 915

सौर पश$ = 224rsquo03rsquo07rsquorsquo(िमथन राशी 24rsquo03rsquo07rsquorsquo)

इ काल (घटीपल) = 915

सयाश का मान = 1624rsquo03rsquo07rsquorsquo11लन िसह रािश क पर ह

लन = 2526

लन प 411055rsquo

लन िसह रािश क पर ह

लन 110 -55

75

इ काल ग 915

गत नF ग अनराधा 5800

वत$मान नF ग 7यtा 5233

भभोग = 60 - 5800 + 5233 = 5433 -थम चरण 13335

भयात = 60 - 5800 + 915 = 2 + 915 = 1115 ि4तीय चरण 270330

जातक का जम 7यtा नF क पहल चरण का होगा

उदाहरण 6

जातक का जम िदनाक 03082003 इ काल 142653 सयदय 0557 भयात भभोत ात कर

वuलभमनीराम पचाग सग

नF घटीपल घिम सयदय घिम

िदनाक 03082003 हत 2812 1747 557

02082003 पव$ उ०फाuगनी 3058 1858 557

03082003 जम िदनाक 2812 + 12230टampडड$ सयदय 620

िदनाक 03082003 सयदय शखावाटी (-) 557

वातिवक मान रामगढ़ 283430 033

पव$ नF 3058 + 12230 212

िदनाक 02082003 012230

वातिवक मान रामगढ़ 322030

कोटा सया$त 558

सयदय रामगढ़ - 557

001

212

पव$ नF 3220

- 0003

कोटा पव$ नF मान 3217

76

इ काल + 140 - 26rsquo-53rsquorsquo

भयात 420 - 09rsquo-53rsquorsquo कोटा म वत$मान नF का मान

अतः भयात =420 - 09rsquo-53rsquorsquo रामगढ़ का मान 2934

भभोग 600 -000rsquo-00rsquorsquo सयदय का अतर ग 0003

- 320 -17rsquo-00rsquorsquoकोटा का मान 2931

+290 - -31rsquo-00rsquorsquo

भभोग 570 - 41rsquo-00rsquorsquo

भयात 420 -09rsquo-53rsquorsquo एव भभोग 55-570 -41rsquo-00rsquorsquo-ाk हYआ ह

िटhस

1) यिद इ काल का मान पचाग म उस िदन क नF क मान स कम ह तो वह नF जम नF कहलाता ह और उसस पहल का नF गत नF ह

2) यिद इ काल का मान पचाग क उस िदन क नF मान स अिधक ह तो वह नF गत नF कहलाता ह अगामी नF जम नF ह

323 चालनग चालन (धन + ऋण) साधनग

पचागlt म -Dयक पF (साkािहक) इ काल (ह प िदय रहत ह उनक नीच कW पि म दिनक गित का मान िदया रहता ह पचाग म िदए गए इहV (हlt म स अभी काल क (ह प करन को (ह साधन कहा जाता ह पचाग म साkािहक (ह प कW पि दी होती ह उसी क अनसार यिद अपन इस समय स आग कW प पि होती हो तो पि कW गणना रिववार स श_ कW गई ह अथा$त रिववार कW सlया 1 सोमवार कW सlया 2 मगलवार कW सlया 3 बधवार कW सlया 4 ग_वार कW सlया 5 शवार कW सlया 6 शिनवार कW सlया 7 आिद स घिट पलlt म स इ काल कW घटी पल घटान स शष तuय ऋण चालन होता ह यिद पि पीछ कW हो और इ काल आग का हो तो इ काल क वार घटी पलlt म स पि क वार घटी पलlt को घटान पर जो मान -ाk होता ह उस धन चालन कहत ह इस ऋण व धन चालन को पचाग म दी गई (ह गित स गणा करन पर जो अश आिद आय उस उह धन या ऋण चालन क अनसार पचाग म िदय गय (ह मान म जोड़न या घटान पर प (ह आत ह

राहY और कत वW (ह कहलात ह इनक िलए हमशा ऋण चालन म -ाk अशािद फल को जोड़न और धन चालन स -ाk अशािद फल को घटान स जो मान -ाk होता ह वहV उसका प मान होता ह

उदाहरणग (चालन)

जम िदनाक 03 िसत=बर 2012 जम समय 300 -ाkः काल इ काल 515730

77

पचाग म पिथ कampडली कW तारीख 1 िसत=बर 2012 तथा इ 0000 पल िदया हYआ ह अपनी जम तारीख स पिथ कampडली कW तारीख पीछ होन कW वजह स चालन कW गित धनाDमक (+) रहगी इन दोनlt तारीखlt व इ ो का अतर हमारा वह चालन होगा िजसस हम सभी (हlt को प करग

िदन इ घटी पल

जम 3 51 57 30

पिथग1 00 00 00

चालन +2 51 57 30

उदाहरणग

(बuलभबलीराम क अनसार)

जम िदनाक 14 नव=बर 2012 जम सयम 600 सायकाल

जम समय इ काल = 3130 चालन ात कर

पचाग म पिथ कampडली कW तारीख 17 नव=बर 2012 द रखी ह तथा वहV पर ही पिथ कampडली कW इ घटी 00 घटी 00 पल द रखी ह इस -कार हमारी जम तारीख पिथ तारीख स पीछ पड़ रही ह अतः हम पिथ कampडली स (ह प करन क िलए पीछ चलना पड़गा अतः चालन (ग) ऋणाDमक रहगा और अपनी जम तारीख और इ को पिथ तारीख और इ पर घटान पर जो मान आयगा वह चालन होगा िजसस हम (ह प करग

िदन इ घ० पल

17 00 00 00 ग पिथ

14 31 30 00 ग जम

चालन - (-) 02283000

324 Qह $प

इ काल स कampडली बनान क पaात उसक (ह प कर लना चािहए फलादश ठीक तभी होगा जब (हlt का सही प मान -ाk होगा यहा पर (हप ीकरण का ताDपय$ (हlt क रायािद मान स ह

-Dयक जम कampडली म जम लन च क पव$ (ह प च िलखना आवयक होता ह सय$ मगल बध ग_ श शिन राहY व कत कW (ह प करन कW िविध एक समान होती ह जबिक च0मा क (ह प करन कW िविध अगल होती ह यह िविध इकाई म दी गई ह

पचागlt म (ह प िदया जाता ह लिकन कहV तरह क पचागो म िविवध -कार स (ह प कW िविध द रखी ह जस िकसी म अ मी अमावया और पिण$मा कW पि रहती ह और िकसी पचाग म

78

-ातःकािलन या सयदय कािलन इ काल या सयदय कािलन (ह प कW पि दी जाती ह उसक अनसार दिनक गित (दो िदन क (हlt का अतर करन पर दिनक गित आती ह) को गित स गणा कर 60 का भाग दन स जो अश कला िवकला आय उस िमq मान कािलन या सयदय कािलन (ह प पि म ऋण या धन करन पर इ कािलन (ह प -ाk होत ह

हम भयाDगभभोग क 4ारा च0प कर चक ह इसिलए यहा पर हम च0प को छोड़कर बाकW सभी (हlt को प करग हम पव$ क चालन म िदय गय उदाहरण स ही (ह प करत ह

उदाहरण -

जम िदनाक 3 िसत=बर 2012 चालन ात करग

िदन इ घ० पल

चालन म िदय गय िदन कW गित स गणा करक कला िवकला स जोड़ा जाता ह

चालन िदन acute (ह गित = कला िवकला

इ म गित करक 60 का भाग लगाया जाता ह जो मान आता ह उस स=बिधत (ह क कला िवकला म चालन क अनसार (+) धन या ऋण (-) कर िदया जाता ह

नोट

वW (ह कW गित चालन कW गित स िवपरत होती ह यिद चालन धनाDमक (+) ह तो वW (ह म (-) ऋणाDमक चालन कW गित हो जायगा

Qह $प

79

80

81

उदाहरण ndash 3

िदनाक 13072009 समय 9 बजकर 45 िमिनट राि इ 39 घटी 47 पल 30 िवपल थान कोटा

82

83

84

ल न सारणी -

नोट ndash छा क सिवधा क िलय ल न सारणी म िलख गय िह दी क अक को िन न कार स अगजी क अक को समझ

frac141-1] 2-2] 3-3] 4-4] 5-5] 6-6] 7-7] 8-8] 9-9frac12

33 साराश

इस इकाई क ारा जम कampडली म इ(काल स इस कार कampडली का िनमा)ण िकया गया ह िक च -प( एव च गित ारा भया2गभभोग उदाहरण सिहत जानकारी -तत क गई ह और इस इकाई म यह समझान का यास िकया गया ह िक 5ह -प( एव चालन िकस कार िकया जाता ह उदाहरण सिहत जानकारी दी गई ह

85

34 अयास

1 5ह -प( करन का स बताइय

2 चालान साधन का स बताइय

उ9र िदन times 5ह गित

3 भयात का स बताइय

उ9र भयातग60 घटी ग गत नlt का मान ग इ(काल

4 भभोग का स बताइय

उ9र 60ग घटीगपव) नlt का मान + अगला नlt का मान

5 चालन का स बताइय

उ9र चालन म िदए गए िदन क गित स गणा करक कलागिवकला स जोड़ा जाता ह

चालन िदन times 5ह गित +कलागिवकला

िनबधामक

1 जम िदनाक 11 जलाई 2003 जम समय 930 सबह का भया2गभभोग gtात कर

2 जम िदनाक 03092012 जम समय 300 सबह क 5ह -प( gtात कर

36 सदभ 13थ सची

नमीच शाी

बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

86

इकाई - 4

लनप साधन भ13-भोय साधन इकाई क पररखा

40 -तावना 41 उGHय 42 िवषय वश 421 सय) क अनसार लन क जानकारी 422 च गित साधन 423 च -प( साधन 424 भJ-भोय कार 425 िवशोतरी दशा 426 महादशा म अत)दशा 427 5ह दशा जानन क िविध 43 साराश 44 शKदावली 45 अLयास M 46 सदभ) 5थ सची

40 तावना

िजस इ(काल क जम पिका बनानी हो उसक 5ह -प( करना अित आवHयक ह Pयिक 5ह क -प( मान क जानकारी क िबना अय फलादश ठीक नहS हो पात ह 5ह -प( करन का ता2पय) रािशयािद मान स ह दसरी बात यह ह िक कampडली क ादश भाव म 5ह का -थापन 5हमान रािशयािद 5ह gtात हो जान पर िकया जा सकता ह अतएव 2यक जम कampडली म जमाग चT क पव) 5ह -प( चT िलखना अिनवाय) ह चमा को छोड़कर शष आठ 5ह को -प( करन क िविध एक-सी ह

लिकन चमा को -प( करन क िविध अलग ह अय 5ह क गित पचाग म िलखS रहती ह चमा क गित एव -प( िनकालन क िविध अय 5ह क िविध स अलग ह

अतः चमा क गित एव -प( करन क िविध का अVययन इस ईकाई म -प( िकया गया पव) ईकाईय म लन िनकालना अय 5ह का -प( करना भयात-भभोग िनकालन क बार म -प( िकया जा चका ह इस अVयाय म भयात-भभोग (मJ-भोय) क आधार पर च गित एव -प( िनकालन क िविधय का अVययन िकया गया ह

87

41 उय

उस ईकाई म छा को च 5ह क गित एव -प( करना सगम पXित ारा समझाया गया ह अय 5ह क गित एव -प( करन क िविध च गित व -प( करन स िभन ह अतः उसका िभनता को -प( करना बताया गया ह

42 िवषय वश

इस इकाई 4 म लन साधन च साधन कर भJ-भोय कार स िवशोतरी दशा एव अत)दशा को िव-तार स समझाया जा रहा ह-

421 सय क अनसार लन क जानकारी

जम क समय पवY िltितज पर सय) िजस भी राशी म उदय होता ह वह उस जातक का जम लन होगा

सय[दय सबह 630 बज - सबह का लन lsquolsquoतलाrsquorsquo

दोपहर का लन lsquolsquoमकरrsquorsquo

साय का लन lsquolsquoमषrsquorsquo

राि का लन lsquolsquoकक) rsquorsquo

88

422 च गित साधन-

एक नlt क कला2मक मान को 3600 पल स गणा करक पला2मक भभोग का भाग दन पर च गित ा होती ह वह च गित पला2मक होगी

च -प(

एक नlt का मान = 130 -20rsquo

= 13X60rsquo+20rsquo

= 780rsquo+20rsquo

= 800

पव) भभोग = एक नlt का मान = (कला)

च गित साधन = 800x3600 पल भभोग पल

= च गित (कला िवकला म)

89

423 च प$

भयात पला2मक को 40 स गणा करन पर जो मान आय उसम ितगन पला2मक भभोग का भाग दन पर जो पला2मक मान ा होगा उसको रािश अश कला िवकला म प]रवित)त करक गत नlt क Tम स^या को नlt क मान 800 कला स गणा करन पर जो रािश अश कला िवकला आए उसम जोड़ दन पर च -प( होगा

च -प( करन क िलए पहल षिD माण भिJ (वत)मान नlt क) िनकालनी होती ह भभोग क घिटया कमी 60 स कम कभी 60 स अिधक होती ह तथा 60 घिट क अनपाितक घिटया भभात क िकतनी होती ह इस िनकालना पड़ता ह इसी को lsquolsquoषिD माण भिJrsquorsquo कहत ह अथा)त पण) भभोग म 60 घिट तो भयात म िकतनी अनपाितक घिटया होगी या सपण) भभोग को 60 घिट क बराबर माना जाए तो भयात को िकतनी घिट क बराबर मानना पड़गा

भयात गतघटी पर च सारणी

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

0 0 0 0 0 1 1 1 2 2

13 26 40 53 6 20 33 46 0 1

20 40 0 20 40 0 20 40 0 20

11 12 13 14 15 16 17 18 19 20

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

2 2 2 3 3 3 3 4 4 4

26 40 53 6 20 33 46 0 13 26

40 0 20 40 0 20 40 0 20 40

21 22 23 24 25 26 27 28 29 30

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

4 4 5 5 5 5 6 6 6 6

40 53 6 20 33 46 0 13 26 40

0 20 40 0 20 40 0 20 40 0

31 32 33 34 35 36 37 38 39 40

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

90

6 7 7 7 7 8 8 8 8 8

53 6 20 33 46 0 13 26 40 53

20 40 0 20 40 0 20 40 0 20

41 42 43 44 45 46 47 48 49 50

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

9 9 9 9 10 10 10 10 10 11

6 20 33 46 0 13 26 40 53 6

40 0 20 40 0 20 40 0 20 40

51 52 53 54 55 56 57 58 59 60

0 0 0 0 0 0 0 0 0 0

11 11 11 12 12 12 12 12 13 13

20 33 46 0 13 26 40 53 6 20

0 20 40 0 20 40 0 20 40 0

सवamp पर गित बोधक प$ सारणी

54 55 56 57 58 59 60

888 872 857 842 827 813 800

48 40 8 6 34 33 0

61 62 63 64 65 66 67

786 774 761 750 738 727 716

54 12 57 0 30 18 28

उदाहरण 1

जम समय 1015 बज सबह िदनाक 2112003 -थान कोटा सय[दय 639 बज भयात भभोग व च गित gtात कर

वत)मान नlt = धिनDा

सय[दय का समय अतर

91

िदया गया सय[दय का समय 6 39

पचाग का सय[दय समय - 6 30

009 (िमिनट)

times 212

2230 (घटीपल)

घ0 प0 िव0

(सबह 630 बज) 493500

नlt मान का अतर - 2230

धिन(ा का मान 491230

सबह (639 बज)

गत नlt Bवण का मान 481500 (-) 2220 = 475230 (घ0 प0 िव0)

भJकाल (भयात = 60 - गत नlt + इ( काल + इ( काल)

इ(काल = 1015 ndash 639

(घ0 िम0) = 3rsquorsquo36rsquorsquo

इ(काल = 900 (घ0 प0)

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

= 60 - 475230 + 90000

= 120730 +90000

= 21 07 30 (घ0 प0 िव0)

= 1260 + 7 = 1267 60 + 30 = 76050 (िव0)

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 120730 + 491230

(घ0प0िव0)

= 612000

= 61 - 20 60

= 3660 + 20

92

= 3680 पल 60

= 220800 िवपल

च गित = 3600X800

3680

= 10800

23

= 782 पल 36 िवपल

च गित = 130-02-36rsquorsquo

च साधन

च -प( करन क िलए पहल षि( माण भिJ (वत)मान नlt क) िनकालनी होती ह भभोग क घिटया कमी 60 स कम कभी 60 स अिधक होती ह तथा 60 घिट क अनपाितक घिटया भयात क िकतनी होती ह इस िनकालना पड़ता ह इसी को lsquolsquoषि( माण भिJrsquorsquo कहत ह अथा)त पण) भभोग म 60 घिट तो भयात म िकतनी अनपाितक घिटया होगी या सपण) भभोग को 60 घिट क बराबर माना जाय तो भयात को िकतनी घिट क बराबर मानना पडगा

स = भयात X 60 भभोग

= षिD माण भिJ

या = भयात X 60 पला2 मक भभोग

1) च साधन स = (गत न क षि माण भि + वतमान न क षी माण भि) X 2

9

= च -प(

2) स = = भयात X 40 भभोग X 3 = वत)मान नlt क च -प(

इसम गत नlt क स^या का च -प( जोड़ द तो च -प( हो जायगा

93

नlt क अनसार च -प( करन क िलए इस सारणी को दख अगर िकसी जातक का जम अिEनी नlt क अत म होता ह तो इस सारणी क अनसार च -प( 0 रािश 13 अश 20 कला 0 िवकला िलखग

नamp)प+र प$ रािशयािद च सारणी

1 2 3 4 5 6 7 8 9

अिE भरणी कित रोिह मग आा) पन) प_य आ`षा

0 0 1 1 2 2 3 3 4

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

10 11 12 13 14 15 16 17 18

मघा पफा उफा ह-त िचा -वाित िवशा अनरा aयDा

4 4 5 5 6 6 7 7 8

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

19 20 21 22 23 24 25 26 27

मल पषा उषा Bवण धिन शतिभ पभा उभा रवती

94

8 8 9 9 100 10 11 11 12

13 26 10 23 6 20 3 16 0

20 40 0 20 40 0 20 40 0

0 0 0 0 0 0 0 0 0

424 िवशोतरी दशा

िवशोतरी महादशा म भJ-भोय साधन

िवशोतरी महादशा का भJ िनकालन क िलए 5ह क दशा वष) को भयात स गणा करक उसम भभोग का भाग िदया जाता ह

भJ = दशा वष) Xभयात

भभोग

भोय = दशा वष) - भJ

नlt का वह मान जो भJ या बीत चका होता उस हम गत नlt कहत ह और नlt वत)मान होता ह उस हम जम नlt कहत ह िवशोतरी दशा म सव) थम जम नlt क िवशोतरी दशा अनसारण -वामी 5ह क दशा होती ह िफर Tमशः अय 5ह क दशा होती ह जम नlt का वह भाग जो बीत जाता ह दशा वष) म उतना मान िनकाल िलया जाता ह और जो शष भोगना बाक ह उसम 5ह दशा व वष) का मान जोड़ा जाता ह अतः भJ भोय िनकालन क आवHयकता पड़ती ह

िवशोतरी महादशा क भJ-भोय साधन जम समय जम समय जो िवशोतरी दशा चल रही ह उसक पण) वष) म स िकतन वष) जम क पव) भJ हो चक ह और िकतन वष) अब भोगना शष ह इसक जानन क गिणता2मक िविध यह ह िक िजस नlt म जम हbआ ह उस नlt का योग काल और भJ काल िनकाल ल और उन दोन क घटी पल को एक वण) बनाकर भयात (भJ-घटी-पल) म महादशा वष) का गणा कर भभोग (भोयकाल) स भाग द जो लKधी भJ वष) मास िदन आिद ा हो जाएग उस समय को महादशा क पण) वष) म स घटा दग जो शष बच वहS वष) आिद महादशा क भोय वष) आिद होग अथा)त इतन समय उस 5ह क दशा और भोगनी पड़गी

िवशो9री दशा म 120 वष) क पर आय मानकर चलत ह और उसी क आधार पर 5ह का िवभाजन िकया जाता ह िजस नlt म जम हbआ हो उसी क अनसार 5ह िदशा का िवचार िकया जाता ह

नीच िलखS गई सारणी म 5ह क दशा िनन कार ह -

सय) क दशा 6 वष)

95

चमा क दशा 10 वष)

भौम क दशा 7 वष)

राहb क दशा 18 वष)

बह-पित क दशा 16 वष)

शिन क दशा 19 वष)

बध क दशा 17 वष)

कत क दशा 7 वष)

शT क दशा 20 वष)

जम नlt क अनसार कि9का उ9राफाAगनी और उ9राषाढ़ म जम हो तो सय) क माहदशा रोिहणी ह-त Bवण म चमा मगिशरा िचा व धिनDा म मगल आा) -वाि9 शतिभषा म राहb व पन)वस िवशाखा व पव) भा पदम गf प_य अनराधा व उ9रा भापद म शिन आ`षा aयDा व रवती म बध मघा मल व अिEनी म कत भरणी पवा)काल गनी व पवा)षाढ़ा म शT क माह दशा रहती ह

427 ह क दशा जानन क िविध-

कि9का नlt स जमनlt तक िगनकर 9 का भाग दन स एकािद शष म Tम स सय) चमा भौम राहb गf शिन बध कत और शT क दशा होती ह

उदाहरण-

यहा कि9का स जम नlt िचा तक िगनती करन पर स^या 12 हbई िफर उसम 9 का भाग द जो शष बच उस सया)िद Tम स िगनती कर ल मान लो िकसी जातक का जम िचा नlt म हbआ ह तो उसक कौनसी दशा ह gtात करन क िलए िचा तक (कि9का स ारभ करक) िगना तो िगनती म 12 अक आय इस 12 को 9 स भाग िदया तो शष 3 बच इसक पhात सय) आिद Tम स िगनती क तो तीसरी महादशा मगल क होगी

जम नlt स 5हदशा बोधक चT

5ह सय) च भौम राहb गf

वष) 6 10 7 18 16

नlt कि9का रोिहणी मगिशरा आा) पन)वस

उ9राफाAगनी ह-त िचा -वाि9 िवशाखा

उ9राषाढ़ा Bवण धिनDा शतिभषा पभापद

5ह शिन बध कत शT

96

वष) 19 17 7 20

नlt प_य आ`षा मघा पवा)फाAगनी

अनराधा aयDा मल पवा)षाढ़ा

उ9राभापद रवती अिEनी भरणी

जम क नlt क अनसार ऋ कि9का उ9रा फाAगनी उ9राषाढा जम हो तो सय) महादशा रोहणी ह-त Bवण म चमा मगिशरा िचा व धिनDा म मगल आा) -वाित शतिभषा म राहb व पन)वस िवशाखा व पव)भापद म गf प_य अनराधा व उ9रा भापद म शिन आ`षा aयDा व रवती म बध मघा मल व अिEनी म कत भरणी पवा)फाAगनी व पवा)षाढा म शT क महादशा रहती ह

उदाहरण

जम िदनाक 9112003 भयात भभोग ारा िवशोतरी दशा

1 नlt का मान = कोटा जम 1105 बज

सय[दय 0643 सबह

जम समय 11 05 बज

- 06 43

04 22

acute X 2 12

1055 इ(काल (घटी-पल)

8112003 अिEनी नlt का मान 1457 - 032 (समय म करPशन)

= 1425 नlt का मान 06 30 सबह

911 भरणी नlt का मान = 2202 - 032 सय[दय 06 43 पर

= 2130 - 06 30

इ(काल का मान उस िदन क नlt क मान स कम ह 00 13

अतः वत)मान नlt भरणी हbआ X 2 12

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल 0032 घटी

= 60 - 1425 + 1055

= 4535 + 1055

भयात = 5630

97

पला2मक भयात = 56 acute 60 + 30

पला2मक भयात = 3390

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 453+ + 2130

= 6705

पला2मक भभोग = 67 acute 60 + 05

पला2मक भभोग = 4025 पल

भJ दशा = दशा वष) times भयात

भभोत

भोय = दशा वष) times भJ

गत नlt अिEनी - शT क महादशा

शT क दशा वष) = 20 वष)

= 3390 times20

4025

= 16 वष) 10 माह 4 िदन (भJ)

वष) माह िदन

शT क महा दशा वष) 200000

भJदशा 161004

030126

= 3 वष) 1 माह 26 िदन भोय अथा)त भोगना ह

वत)मान नlt -प( = भयात times नlt कामान

भभोत

= 3390times 800

4025

चगित = 673 3

98

वत)मान नlt का मान = 00-130-20rsquo-00rsquorsquo

चगित = 00-110-13rsquo-47rsquorsquo

च-प( = 00-240-33rsquo-47rsquorsquo

िवशतरी दशाचTिमदम

बkच न जम िलया था तब शT क महादशा चल रहS थी और उसम स 16 वष) 10 माह और 4 िदन बीत चक ह या भJ अथा)त भोग चका ह शष 3 वष) 1 मास 26 िदन दशा वष) भोगनी शष ह

उदाहरण 1

जम समय 02 32 दोपहर जम िदनाक 23042012 जम -थान कोटा भयात-भभोग (भJ-भोय) कार स िवशोतरी दशा िनकाल

जम समय 02 32 दोपहर (14 घampटा 32 िमिनट)

जम िदनाक 23 अ ल 2012

जम -थान कोटा

सय[दय 06 बजकर 02 िमिनट

इ(काल = 14 घampटा 32 िमिनट - 06 घampटा 02 िमिनट

= 08 घampटा 30 िमिनट (इ(काल)

99

= 21 घटी 15 पल

िदनाक नlt घप घिम

22042012 भरणी 5346 2732

23042012 कितका 6000 1432

(ितिथ ltय)

24042012 6138 0640 तक

(बAलभमनीराम पचाग क अनसार)

गत नlt भरणी = 5346

जम नlt कि9का = 6138

स- भयात gtात करन का स

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

= 6000 - 5346 + 2115

= 614 + 2115

= 2729 (घ0 प0)

= 27 times 60 +29

= 1620 +29

= 1649 पलािद भयात

स- भभोग gtात करन का स

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

= 60 - 5346 + 6138

= 614 +6138

= 6762 (घटीपल)

= 67 times 60 + 52

= 4020 + 52

= 4072 पलािद भभोग

स-

100

च गित = 3600times800

4072

= 2880000

4072

= 707 पल-िवपल

= 110-47

च -प( = भयािद पलािद times 40 भभोग पलािद times 3

= 1649 times 40 4072times 3

= 65960 12216

= 050-23rsquo-28rsquorsquo

गत नlt का मान (भरणी दसरा नlt) = 2times1302

= 00-260-40rsquo-00rsquorsquo

+ 00-050-23rsquo-00rsquorsquo

च -प( 01-020-03rsquo-58rsquorsquo

पला2मक भयात = 1649 पला2मक भयात

425 िवशोतरी दशा

सय) क दशा वष) स गणा िकया times 6

9894 -4072

1649

times 6

9894 -4072 भभोग

101

सय) क भJ वषा)िद = 2 वष) 5 मास 4 िदन 44 घटी 58 पल ा हbए िजसम स सय) क 5ह वष)

6 म स घटाया शष भोय वषा)िद होगा

सय) क 5ह वष) 600000000

भJ वषा)िद - 205044458

306251502 भोय वषा)िद

जातक को 3 वष) 6 मास 25 िदन 15 घटी 02 पल सय) क महादशा भोगना ह

102

इसका दशा चT बनान क िलए िजस 5ह क दशा चल रही ह उसस ारभ करक उसस आग क 5ह को Tमवार िलख दना चािहए

उपरोJ उदाहरण जम कampडली का िवशोतरी दशा चT नीच िलख अनसार बनगी

426 महादशा म0 अतदशा साधन -

2यक एक 5ह क महादशा म 9 5ह Tमशः अपना भोय लत ह िजस अत)दशा कहत ह जस- सय) क महादशा म पहली अत)दशा सय) क दसरी चमा क तीसरी भोम क चौथी राहb क पाचवS जीव क छठी शिन क सातवS बध क आठवS कत क और नवS दशा शT क होती ह

िजस 5ह क दशा हो उसस सय) चमा भौम राहb जीव शिन बध कत एव शT क अत)दशाए होती ह

अतदशा िनकालन0 क िविध-

1) दशा-दशा का पर-पर गणा करन पर शष आय उसम 10 का भाग दन स लKध मास और शष को तीस स गणा करन स िदन ा होग

2) दशा-दशा का पर-पर गणा करन पर जो गणनफल ा होग उसम इकाई क अग को छोड़ बाक बच अक मास और इकाई क अक को 3 स गणा करन पर िदन ा होग

उदाहरण

स- दशा वष) acute दशा वष) divide 10 = अत)दशा माह

103

मगल क महादशा म मगल क अत)दशा िनकालनी ह तो मगल क दशा वष[ म 7 का गणा िकया जाएगा

मगल म मगल क अत)दशा 7 acute 7 = 49 divide 10

= 4 मास 7 िदन

मगल म राहb क अत)दशा 7 acute 18 = 126 divide 10

= 1 वष) 18 िदन

मगल म गf क अत)दशा 7 acute 16 = 112 य 10

= 11 मास 6 िदन

मगल म शिन क अत)दशा 7 acute 19 = 133 divide 10

= 1 वष) 1 मास 9 िदन

मगल म बध क अत)दशा 7 acute 17 = 119 divide 10

= 11 मास 27 िदन

मगल म कत क अत)दशा 7 acute 7 = 49 divide 10

= 4 मास 27 िदन

मगल म शT क अत)दशा 7 acute 20 = 140 divide 10

= 1 वष) 2 मास

मगल म सय) क अत)दशा 7 acute 6 = 42 divide10

= 4 मास 6 िदन

मगल म चमा क अत)दशा 7 acute 10 = 70 divide 10

= 7 मास

च मा क महादशा म0 नौ ह क अतदशा-

चमा क महादशा म च का अतर 10 acute 10 = 100 divide10

= 10 मास

चमा क महादशा म भौम का अतर 10 acute 07 = 70 divide10

= 7 मास

चमा क महादशा म राहb का अतर 10 acute 18 = 180 divide10

104

= 1 वष) 6 मास

चमा क महादशा म जीव का अतर 10 acute 16 = 160 divide 10

= 1 वष) 4 मास

चमा क महादशा म शिन का अतर 10 acute 19 = 190 divide10

= 1 वष) 7 मास

चमा क महादशा म बध का अतर 10 acute 17 = 170 divide 10

= 1 वष) 5 मास

चमा क महादशा म कत का अतर 10 acute 07 = 70 divide10

= 7 मास

चमा क महादशा म शT का अतर 10 acute 20 = 200 divide 10

= 1 वष) 8 मास

चमा क महादशा म सय) का अतर 10 acute 06 = 60 divide 10

= 6 मास

इसी कार अय 5ह क महादशा म स अत)दशा िनकाल लनी चािहए

5ह क अत)दशा क चT नीच िदय जा रह ह -

सयातदशा च2

5ह सय) च भौम राहb गl शिन बध कत शT

वष) 0 0 0 0 0 0 0 0 1

मास 3 6 4 10 9 11 10 4 0

िदन 18 0 6 24 18 12 6 6 0

च ातदशा च2

5ह च भौम राहb गf शिन बध कत शT सय)

वष) 0 0 1 1 1 1 0 1 0

मास 10 7 6 4 7 5 7 8 6

िदन 0 0 0 0 0 0 0 0 0

105

भौमातदशा च2

5ह भौम राहb गl शिन बध कत शT सय) च

वष) 0 1 0 1 0 0 1 0 0

मास 4 0 11 1 11 4 2 4 7

िदन 27 18 6 9 27 27 0 6 0

राह4वातदशा च2

5ह राहb गf शिन बध कत शT सय) चद भौम

वष) 2 2 2 2 1 3 0 1 1मास 8 4 10 6 0 0 10 6 0

िदन 12 24 6 18 18 0 24 0 18

जीवातदशा च2

5ह गf शिन बध कत शT सय) चद भौम राहb

वष) 2 2 2 0 2 0 1 0 2

मास 1 6 3 11 8 9 4 11 4िदन 18 12 6 6 0 18 0 6 24

शयातदशा च2

5ह शिन बध कत शT सय) चद भौम राहb गf

वष) 3 2 1 3 0 1 1 2 2

मास 0 8 1 2 11 7 1 10 6

िदन 3 9 9 0 12 0 9 6 12

बधातदशा च2

5ह बध कत शT सय) चद भौम राहb गf शिन

106

वष) 2 0 2 0 1 0 2 2 2 मास 4 11 10 10 5 11 6 3 8

िदन 27 27 0 6 0 27 18 6 9

कवातदशा च2

5ह कत शT सय) चद भौम राहb गf शिन बध

वष) 0 1 0 0 0 1 0 1 0

मास 4 2 4 7 4 0 11 1 11

िदन 27 0 6 0 27 18 6 9 27

श2ातदशा च2

5ह शT सय) चद भौम राहb गf शिन बध कत

वष) 3 1 1 1 3 2 3 2 1 मास 4 0 8 2 0 8 2 10 2

िदन 0 0 0 0 0 0 0 0 0

43 साराश

इस ईकाई क िववचन स यह -प( हो जाता ह िक चमा गित व -प( िनकालन क िविध अय 5ह क गित एव -प( िनकालन क िविध स िकस कार िभन ह इस म च 5ह क गित एव -प( को िनकालन क िविधय का िव-तार स वण)न िकया गया ह िवशष fप स उसस भयात-भभोग (मJ-भोय) क आधार पर च गित व -प( को करन क िविधय का सिव-तार उदाहरण सिहत पण) िववचन िकया गया ह

44 शदावली

bull जीव - गf

bull भौम - मगल

bull भJ - गत नlt (भोग चका) का वह मान जो बीत चका ह

(िवशतरी म दशा वष) का वह मान जो बीत चका ह)

107

bull भोय - वत)मान नlt (भोगना) का वह मान जो भोगा जाना बाक

ह (िवशतरी म दशा वष) का वह मान जो जम िदनाक स भोगा जाना ह

45 अयास

1 एक नlt का मान िकतना होता ह

उ9र एक नlt का मान होता ह

2 चमा क गित साधन करन का स बताइए

उ9र च गित साधन स = 800times20rsquo

भभोत पल = च गित कला िवकला म

3 च -प( करन क िकतनी िविधया ह एव च -प( क िविधय क स िलिखए

उ9र च -प( करन क दो िविधया ह जो िनन कार ह-

1) (गत नlt क षिD माण भिJ + वत)मान नlt क षDी माण भिJtimes 2

9

2) = भयातtimes60

भभोत times3

4 जम नlt व गत नlt को -प( किजय

उ9र िजस नlt म जातक का जम होता ह वह उसका जम नlt कहलाता ह और जम नlt क पव) का गत नlt कहलाता ह

5 भयात एव भभोग िनकालन का स बताईय

उ9र स-

भयात = 60 - गत नlt + इ(काल

भभोग = 60 - गत नlt + वत)मान नlt

िनबधामक -

1 जातक का जम 26072009 को सायकाल 0755 पर कोटा म हbआ सय[दय 0555 जम नlt ह-त का मान 2832 तथा गत नlt का 2948 (घटीपल) ह इस आधार पर जातक का च -प( किजए

108

2 च -प( ारा भयात-भभोग (भJ-भोय) स िवशोतरी दशा का साधन किजए

46 सदभ 13थ सची

भारतीय aयोितष नमीचद शाी

बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

109

इकाई - 5

दशम साधन नतोनत कार व चिलत च इकाई क परखा

50 -तावना 51 उGHय 52 िवषय वश 521 दशम भाव साधन 522 नतकाल 523 दशम भाव िविध 524 चिलत चT 525 ादश -प( चT 53 साराश 54 बोध M 55 शKदावली 56 सदभ) 5थ सची

50 तावना

aयोितष फिलत म 5ह क सही ि-थित िकस भाव म ह इसक िलए भाव -प( िकए जात ह इसस यह पता चलता ह िक जो 5ह जमाग म िजस भाव म ि-थत 5ह होता ह वहा क फलो क िलए उ9रदायी होत हbए भी उस भाव का फल नहS करता Pयिक वह उस भाव म ि-थत न होकर सिध या दसर भाव म ि-थत होकर वहा क फलो को ही दन वाला हो जाता ह अतः हम हमार मनीिषय न भाव -प(ः करक 5ह क फल को बतान क आgtा दान क ह िबना भाव -प(ः िकए ही जो aयोितषी भाव म ि-थत 5ह का फल करत ह वह अधर कमर म िकसी व-त को दखन क बात कहत ह इस कार वह अपना और aयोितष शा का बहbत बड़ा नकसान करत ह अतः महिष)य क अनसार हम नतोनत करक दशम भाव -प(ः कर चिलत चT का िनमा)ण कर भाव को -प(ः कर 5ह क फल का िवचार करना चािहए

51 उय

इस इकाई म यह बतान क कोिशश क गई ह िक दशम लन साधन क लन कampडली म अ2यिधक आवHयकता होती ह इसक िबना सही फिलत नहS िकया जा सकता बहbत सरल पXित ारा नतोनत साधन स लन क ारा दशम भाव साधन िकया गया ह साथ म सिवधा क िलए दशम लन सारणी एव दशम सारणी दी गई ह दशम भाव साधन एव चिलत चT िक सारणी भी बनाई ह इसम भाव एव

110

सिध को िकस कार कampडली म 5ह को -थािपत िकया जाता ह सीधी सरल भाषा एव गिणत ारा समझाया गया ह

52 िवषय वश

521 दशम भाव साधन-

लन का भाव-दशम भाव लन पर भाव डालता ह

इ(काल स नतकाल सयाnश (दशम भाव सारणी स)

522 नतकाल-नतकाल क दो भाग होत ह -

1) पव)नत काल 2) पिhम नत

अX)राि क बाद स लकर अX) िदन तक जो जातक उ2पन होगा उसका नतकाल पव)नत कहलायगा Pयिक उस समय सय) पव) क पाल म आ जायगा अX)िदन क बाद स लकर अध)राि तक का नतकाल पिhम नत कहलायगा

पव)नत क दो भाग ह -

1) पवनत काल

i) अX)राी स सय[दय तक का नतकाल

ii) सय[दय स अX)िदन तक का नतकाल

2) पि6म नतकाल

i) अX)िदन स लकर सया)-त तक का नतकाल

ii) सया)-त स लकर अX)राी तक का नतकाल

111

पवनत- नतकाल िनकालन क िविध -

1) पव)नत म यिद अX)राि क बाद स लकर सय[दय तक का इ(काल हो तो 60 म स इ(काल घटाकर िदनाX) जोड़ दत ह

स) -नतकाल = 60 - इ(काल + िदनाX)

2) अगर सय[दय स िदनाX) क पव) का इ(काल हो तो िदनाX) म स इ(काल घटाओ

स) -नतकाल = िदनाX) - इ(काल

पि6म नत-1) िदनाX) स सया)-त तक का अगर (पिhम नत) इ(काल हो तो पिhम नत होगा -

स) -पिhम नत = िदनाX) - (िदनमान + इ(काल)

(िदनाX) म स िदनमान और इ(काल घटा दत ह)

2) अगर सया)-त स लकर अX)राी क पव) तक का इ(काल हो तो इ(काल म स िदनामान घटाकर िदनाX) जोड़ दग

स) -

पिhम नत = इ(काल - िदनमान + िदनाX)

= इ(काल - िदनाX)

उनत - 30 घटी म स नत घटा दग जो शष बचगा वह उनत कहलाएगा ह मoयाp और अX) राि म

30 घटी का अतर होता ह मoयाp म दशम का -थान ह तो अX)राि म चतथ) का -थान ह मoयाp स अX)राि क दरी को नत और अX)राि स इ( क दरी को उनत कहत ह

523 दशम भाव िनकालन0 क िविध -

उस िदन सय) क अशो का मान दशम - लनसारणी म दशम भाव म दखना ह यिद पव)नत काल ह तो सय) क अश क मान म स नतकाल को घटा दग और अगर पिhम नत ह तो उसम जोड़ दग अब जो मान आयगा उस दशम - लनसारणी म दख और उसी तरह जहा स^या आयगी उस आग पीछ क मान स सही मान gtात करग

इस तरह ा रािश क मान अश कला व िवकला म आय वही दशम भाव होगा (जो कamp डली क लन क दशम भाव क समान होगा)

112

इस कार gtात चतथ)भाव म स लन का मान घटा दग जो मान आया उसम 6 का भाग दग य षDाश आया (यह अश कला और िवकला म आयगा) इसक बाद 2यक भाव क ि-थित gtात करग

चतथ) भाव = - प_ ट ल न

शष = times30divide ष_ ठाश शष = times30+कला divide ष_ ठाश कला

शष = times90+िव divide ष_ ठाश िवकला

दशल न सारणी

छा क सिवधा क िलए दशम सारणी म िलख गय िह दी अक को िन न कार स अ5जी क अक को समझ-

113

114

115

116

िनयम ndash सय)फल इ_ टकाल म जोड़न स ल नसारणी ारा जो अक घटयािद िनकलगा उसम स 15 दamp ड घटाकर जो घटयािद होगा वह दशम सारणी म िजस राH यश का फल होगा वही दशम ल न होगा

117

िनयम ndash सय)फल इ_ टकाल म जोड़न स ल नसारणी ारा जो अक घटयािद िनकलगा उसम स 15 दamp ड घटाकर जो घटयािद होगा वह दशम सारणी म िजस राH यश का फल होगा वहीदशम ल न होगा

118

लन सिध = लन का मान +षDाश

( थम भाव)

ितीय भाव = लन सिध + षDाश

119

ितीय भाव सिध = ितीय भाव + षDाश

ततीय भाव = ितीय भाव सिध + षDाश

ततीय भाव सिध = ततीय भाव + षDाश

चतथ) भाव = सिध (त0 भाव) + षDाश

चतथ) भाव क बाद अश म स षDाश को घटा दग जो मान आया उस चतथ) भाव म जोड़न पर चतथ) क सिध आयगी

स - - षDाश = शषाक

भाव म स अतर शष को जोड़ा तो

चतथ) भाव सिध अतर (शष)

चतथ) भाव सिध = - षDाश + चतथ) भाव

सिध अतर

चतथ) भाव क सिध म यह सिध अतर जोड़न पर पचम भाव आयगा

पचम भाव = चतथ) भाव सिध + अतर ( - षDाश)

पचम भाव सिध = पचम भाव + ( - षDाश)

ष(म भाव = पचम भाव क सिध + ( - षDाश)

ष(म भाव सिध = ष(म भाव + ( - षDाश)

इसी कार लन क मान म 6 रािश जोड़न पर समभाव आयगा

सम भाव = लन का मान + 6s

सम भाव सिध = लन सिध + 6s

अ(म भाव = ितीय भाव + 6s

अ(म भाव सिध = ितीय भाव सिध + 6s

इसी कार 2यक भाव म 6 रािश जोड़कर बारह भाव क सिध तक gtात करग

उदाहरण 1 23082003 को जातक का जम 0315 ातःकाल (27 15) पर हbआ दशमभाव gtात

करो

पचाग स 23082003 का सया)दय = 607

सयाnश = 04005003rsquo08rsquorsquo

िदनमान = 3206

120

इ(काल = 2715 - 0607

(घampटा िमनट) = 2108

इ(काल (घटीपल) = 5250

लन सारणी स सयाnश 24 07

इ(काल 0405 पर + 52 50

16 57

लन सारणी स (1657) (घटीपल) पर लन =

इ(काल = 5250

लन = 2-280-00rsquo

िदनमान = 3206 िदनाX) = 1603

नतकाल = 60 - इ(काल + िदनाX)

= 60 - 5250 + िदनाX)

710

िदनार)X = 1603

पव) नतकाल 2313

(जम अX)राि स लकर सय[दय स पहल हbआ ह)

दशम सारणी स सयाnश (04-050) पर = 4012

पव) नतकाल (-) 2313

1659

121

दशम लन 1659 (दशम सारणी स) = 11-180-530-20rsquorsquo

दशम लन = 11-180-530-20rsquorsquo

+06-000-00rsquo-00rsquorsquo

चतथ) भाव = 05 s -180-530-20rsquorsquo

लन = 02s-280-00rsquo-20rsquorsquo

षDाश सिध = 02s-200-00rsquo-20rsquorsquo

षDाश = 02-200-53rsquo-20rsquorsquo = 00-130-25rsquo-53rsquorsquo

6

लन = 02-280-00rsquo-00rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

लन सिध = 00-110-28rsquo-53rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ितीय भाव = 03-240-57rsquo-46rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ितीय भाव सिध= 04-080-26rsquo-39rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ततीय भाव = 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

ततीय भाव सिध= 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश + 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

चतथ) भाव = 05-180-53rsquo-18rsquorsquo उपरोJ

00-300-00rsquo-00rsquorsquo

122

षDाश - 00-130-28rsquo-53rsquorsquo

षDाश अतर 00-160-31rsquo-07rsquorsquo शष

चतथ) भाव 05-180-53rsquo-18rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 06-050-24rsquo-25rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo

षDाश अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

पचम भाव सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo

ष(म भाव अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

ष(म भाव 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

ष(म अतर + 00-160-31rsquo-07rsquorsquo

ष(म भाव सिध 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

सम भाव = लन का मान +6s

= 02-280-00rsquo-0rsquorsquo+6s

सम भाव = 08-280-00rsquo-00rsquorsquo

लन सिध = 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

+ 09-110-28rsquo-53rsquorsquo

सम भाव सिध= 09-110-28rsquo-46rsquorsquo

ितीय भाव = 03-240-57rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

अ(म भाव 09-240-57rsquo-46rsquorsquo

ितीय सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

अ(म भाव सिध 10-080-26rsquo-39rsquorsquo

ततीय भाव = 04-210-55rsquo-32rsquorsquo

123

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

नवम भाव 10-210-55rsquo-32rsquorsquo

ततीय भाव सिध 05-050-24rsquo-25rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

नवम भाव सिध 11-500-24rsquo-25rsquorsquo

चतथ) भाव = 05-180-53rsquo-20rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव 11-180-53rsquo-32rsquorsquo उपरोJ

चतथ) भाव सिध 06-050-24rsquo-25rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव सिध 00-050-024rsquo-25rsquorsquo

पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव 00-210-55rsquo-32rsquorsquo

पचम सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव सिध 01-080-26rsquo-39rsquorsquo

ष(म भाव 07-240-57rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव 01-240-57rsquo-46rsquorsquo

ष(म सिध 08-110-28rsquo-53rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo

उदा0 1 चिलत चT म 24 कोDक बनाय जात ह 12 कोDक बारह भाव क एव 12 कोDक सिधय

क कछ िवान जम कampडली क तरह 12 कोDक ही बनात ह व सिधगत 5ह को अगल भाव म िलख दत ह चिलत चT बनान क िलए पहल हम 5ह -प( लत ह िफर भाव -प( को यिद 5ह -प( भाव

124

-प( क तAय या कम होगा तो उसी भाव म िलखा जायगा यिद 5ह -प( 5ह सिध तAय या अगल भाव स कम होगा तो सिध म िलखा जायगा

उपरोJ उदाहरण का चिलत चT बनात ह-

bull 5ह वाल कोDक म सय) -प( 04-050-55rsquo-58rsquorsquo ह और भाव -प( म ितीय भाव 03-240-57rsquo-46rsquorsquo ह और ितीय भाव सिध क 04-080-26rsquo-36rsquorsquo ह जो सय) -प( स aयादा ह इस कारण सय) ितीय भाव म ि-थत ह

bull चमा -प( 02-190-48rsquo-29rsquorsquo ह और भाव -प( म ादश भाव क सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo ह और लन -प( 02-280-00rsquo-00rsquorsquo ह जो िक च -प( स अिधक ह और ादश भाव क सिध स कम ह अतः चमा ादश भाव सिध म होगा

bull मगल -प( 10-110-49rsquo-02rsquorsquo ह और भाव -प( म अ(म भाव क सिध 10-080-26rsquo-39rsquorsquo स नवम भाव -प( 10-210-55rsquo-32rsquorsquo अिधक ह जो मगल अ(म भाव क सिध म होगा

bull बध -प( 05-020-09rsquo-05rsquorsquo ह और भाव -प( म ततीय भाव -प( 04-210-55rsquo-32rsquorsquo स चतथ) भाव -प( 05-180-53rsquo-18rsquorsquo अिधक ह जो िक बध -प( म अिधक ह इस कारण बध -प( ततीय भाव म होगा

bull गf -प( 04-050-21rsquo-03rsquorsquo ह ितीय भाव -प( 03-240-57rsquo-46rsquorsquo पर ह और ितीय भाव क सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo ह जो गf -प( स अिधक ह अतः गf ितीय भाव म होगा

bull शT -प( 04-070-42rsquo-56rsquorsquo ह ितीय भाव -प( म 03-240-57rsquo-46rsquorsquo पर ह और ितीय भाव सिध 04-080-26rsquo-39rsquorsquo ह जो िक ितीय भाव -प( स अिधक ह और ितीय भाव क सिध स कम ह इस कारण शT ितीय भाव म रखा जायगा

bull शिन -प( 02-150-44rsquo-23rsquorsquo ह ादश भाव क सिध 02-110-28rsquo-53rsquorsquo पर ह और लन -प( 02-280-00rsquo-00rsquorsquo पर ह शिन -प( लन -प( स कम ह और ादश भाव क सिध स अिधक ह इस कारण शिन 5ह को ादश भाव क सिध म रखा जायगा

bull राहb -प( 01-000-40rsquo-11rsquorsquo ह और एकादश भाव 00-210-55rsquo-32rsquorsquo ह जो िक राहb -प( स कम ह राहb को एकादश भाव म रखा जायगा

125

bull कत -प( 07-000-40rsquo-11rsquorsquo ह और पचम भाव 06-210-55rsquo-32rsquorsquo ह और पचम भाव क सिध 07-080-26rsquo-39rsquorsquo ह पचम भाव कत -प( स कम ह और पचम भाव क सिध कत -प( स aयादा ह इस कारण कत पचम भाव म होगा

524 चिलत च2 (24 को8क)

525 9ादश प ट च2

उदा0 2 जम समय 3 बजकर 42 िमिनट सायकाल दशम साधन एव चिलत चT gtात कर

िदनाक - 25082003 पचाग स सय[दय - 6 08

126

सयाnश - 04065834

िदनमान - 3157

िदनाX) = 1558

जम समय = 15 42

सय[दय - 06 08

इ(काल 09 34

इ(काल (घटीपल) = 2355

सयाnश (04065334) पर लनाश 0406 2419

0407 2430

सय) अश = 2430

इ(काल + 2355

4825

लन सारणी स 4825 पर लन

नतकाल (पिhम नत) = िदनाX) - िदनमान + इ(काल

= 1558 - 3157 + 2355

= 3953 - 3157

पिhम नत = 756

(दशम सारणी स) सय) अश 0407

= 4031

नतकाल + 756

4827

दशम लन 4827 पर 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

दशम भाव = 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

127

दशम भाव - 5-280-26rsquo-40rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

चतथ) भाव = 11-280-26rsquo-40rsquorsquo

लन - 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

षDाश 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

षDाश = 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

6

षDाश = 03-150-26rsquo-40rsquorsquo

लन सिध = लन का मान +षDाश

थम भाव (लन)= 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

+ 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

लन सिध 09-000-34rsquo-27rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव 09-180-08rsquo-54rsquorsquo

ितीय भाव 09-180-08rsquo-54rsquorsquo

षDाश + 0-170-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव सिध 10-050-43rsquo-21rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ततीय भाव 10-230-07rsquo-48rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

ततीय सिध 11-100-50rsquo-15rsquorsquo

षDाश + 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

चतथ) भाव 11-280-26rsquo-42rsquorsquo

00-300-00rsquo-00rsquo

128

षDाश - 00-170-34rsquo-27rsquorsquo

सिध अतर 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

शषाक

चतथ) भाव 11-280-26rsquo-40rsquorsquo

सिध अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

चतथ) भाव सिध 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

सिध अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

पचम भाव 00-230-17rsquo-46rsquorsquo

+ 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

पचम भाव सिध 01-050-43rsquo-19rsquorsquo

अतर + 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

ष(म भाव 01-180-08rsquo-52rsquorsquo

+ 00-120-25rsquo-33rsquorsquo

षDम भाव सिध 02-000-34rsquo-25rsquorsquo

लन का मान 08-130-00rsquo-00rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

सम भाव 02-130-00rsquo-00rsquorsquo

लन सिध 09-000-34rsquo-27rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

सम भाव सिध 03-000-34rsquo-27rsquorsquo

ितीय भाव + 6 = अ(म भाव

अ(म भाव = 09-180-08rsquo-54rsquorsquo+6

= 03-180-08rsquo-54rsquorsquo

अ(म भाव सिध= 10-050-43rsquo-21rsquorsquo+6

= 04-050-43rsquo-21rsquorsquo

129

नवम भाव = 10-230-17rsquo-48rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

04-230-17rsquo-48rsquorsquo

नवम भाव सिध = 11-100-52rsquo-15rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

05-100-52rsquo-15rsquorsquo

चतथ) भाव = 11-280-26rsquo-42rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव 05-280-26rsquo-42rsquorsquo

चतथ) भाव सिध = 00-100-52rsquo-13rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

दशम भाव सिध 06-100-52rsquo-13rsquorsquo

पचम भाव = 00-230-17rsquo-46rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव 06-230-17rsquo-46rsquorsquo

पचम भाव सिध 01-050-43rsquo-19rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

एकादश भाव सिध 07-050-43rsquo-19rsquorsquo

षD भाव = 01-180-08rsquo-52rsquorsquo

+ 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

ादश भाव 07-180-08rsquo-52rsquorsquo

षD भाव सिध 02-000-34rsquo-25rsquorsquo

ादश भाव सिघ + 06-000-00rsquo-00rsquorsquo

08-1000-34rsquo-52rsquorsquo

130

चिलत च2-

चिलत चT म 24 कोDक बनाय जात ह 12 कोDक 12 भाव क एव 12 कोDक सिधय क होत ह व सिधगत 5ह हो अगल भाव म िलख दत ह 5ह -प( और भाव -प( करन क पhात ही चिलत चT बनाया जा सकता ह यिद 5ह -प( भाव -प( क समान या कम होता ह तो उसी भाव म िलखा जायगा यिद -प( 5ह सिध क समान या अगल भाव स कम होगा तो सिध म िलखा जायगा

उदाहरण 5

bull सय) -प( ह 04-070-22rsquo-29rsquorsquo और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो िक सय) -प( स कम ह और इस कारण सय) अ(म भाव क सिध म रखा जायगा

bull च -प( 03-090-16rsquo-45rsquorsquo ह और सम भाव क सिध 03-000-34rsquo-27rsquorsquo ह जो िक चमा -प( स कम ह इस िलए चमा सम भाव क सिध म होगा

bull मगल -प( 10-110-46rsquo-40rsquorsquo ह और ितीय भाव क सिध 10-050-43rsquo-21rsquorsquo स मगल -प( अिधक ह ततीय भाव 10-230-17rsquo-48rsquorsquo स मगल -प( कम ह इस कारण मगल -प( ितीय भाव क सिध म होगा

bull बध -प( 05-020-34rsquo-08rsquorsquo ह और नवम भाव 04-230-17rsquo-48rsquorsquo ह जो िक बध -प( स कम ह नवम भाव सिध ह जो िक बध -प( स अिधक ह इस कारण नवम भाव म बध रहगा

bull गf -प( 04-050-42rsquo-33rsquorsquo ह अ(म भाव 03-180-08rsquo-54rsquorsquo ह जो िक गf -प( स कम ह और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो गf -प( स अिधक ह इसिलए गf अ(म भाव म होगा

131

bull शT -प( 04-090-45rsquo-57rsquorsquo ह और अ(म भाव क सिध 04-050-43rsquo-21rsquorsquo ह जो िक शT -प( स कम ह इसिलए शT को अ(म भाव क सिध म रखा जायगा

bull शिन -प( 02-150-52rsquo-54rsquorsquo ह सम भाव 02-130-00rsquo-00rsquorsquo ह जो िक शिन -प( स कम ह इसिलए शिन -प( क सम भाव म होगा

bull राहb -प( 01-000-35rsquo-16rsquorsquo ह और पचम भाव 00-230-17rsquo-46rsquorsquo ह जो िक राहb -प( भाव स कम ह इसिलए राहb को पचम भाव म रखा जायगा

bull कत -प( 07-000-35rsquo-16rsquorsquo ह और एकादश भाव 06-230-17rsquo-46rsquorsquo ह जो िक कत -प( क भाव स कम ह इसिलए कत एकादश भाव म ही रहगा

सारणी 9ारा ल न प ट िनकालन क सगम िविध -

िजस िदन का लाभ बनाना हो उस िदन क सय) क रािश अशपचाग म दखकर िलख लना चािहए प_ ठ स 67 पर दी गइ) हा ल न सारणी म रािश का को_ ठक बायी और अश का को_ ठक उपरी भाग म ह सय) कजो रािश अक िलख हउसका फल ल न सारणी म अथा)त सय) क रािश क सामन और अश क नीच जो अक िमल उस ई_ टकाल क घटी पल म जोड द वहS योग या उसक लगभग अक ई_ टकाल कघटी पल म जोड़ द वही योग या उसक लगभग अक िजस को_ ठक म िमल उसक बायS तरफ रािश का अक और उपर अश का अक ापत होगा वही राशयािद ल न मान होगा इसक बाद रािशक गिणत ारा कला िवकला का भी माण िनकाल लना चािहए उदाहरण lsquo िवस 2001 वशाख शP ल 2 सोमवार को 23 घटी 22 पल ई_ टकाल का ल न बनता ह इस िदन पचाग म सय) - प_ ट 01102857 िलखा ह इसको एक - थान पर िलख िलया ल न सारणी म श य रािश अथा)त मष रािश क सामन और 10 अश क नीच 4742 स^ या िलिख हइस ई_ टकाल म जोड़ा 222210 ई_ टकाल म +40742 272942

इस योगफल को पन ल न सारणी म दखन पर िन निलिखत अक कहS नहS िमल 272942 िक त िसह रािश क 23 व अश क को_ ठक म 272459 स^ यािमली इस रािश क 24 व अश क को_ ठक म 27366 अक स^ या ह यह स^ या अभी_ ट योग क अक स^ या स अिधकह अत 23 अक िसह का 5हण करना चािहए अतएव ल न का मान 423 रायािद हbआ कला िवकला िनकालन क िलए 23 व अश 24 व अश को_ ठक क अक का एव पव[P त योगफल और 23 व अश क को_ ठक क अश का अ तर कर लना चािहए

132

ितीय अ तर क स^ या को 60 स गणा कर गणनफल म थम अ तर स^ या का भाग दन स कलाय आयगी शष को पन 60 स गणा करक उसी स^ या का भाग दन स िवकला आयगी

- तत उदाहरण क अनसार

24 0 एव िसह रािश क स^ या 27366 म स 23 0 एव िसह रािश क स^ या ndash 2712459 को घटाया 1107 इस एक जातीय बनाया

11107times60 ndash 660+7 667 इ_ टकाल म सय)फल को जोड़न स जो फल आया ह वह ह 272942 इस योगफल म स 23 अश क स^ या को घटाया 272942 - 272459 443 इस एक जातीय बनाया 4143times60 ndash 240+43 ndash 283 283times60 ndash 16980divide667 ndash 25 कला 16980667 25 25 कला 291 शष 2 योग िदया अत राH यािद - प( ल न 42325rsquo27rsquorsquo हqआ

दशमभाव साधन करन क िलए सारणी 9ारा सगम िविध

1 नत काल को इ_ टकाल मानकर िजस िदन का दशम भाव साधन करना हो उस िदन क सय) क रािश अश पचाग म दखकर िलख दना चािहए प 8एव 9 पर दी गई दशम ल न सारणी म रािश को को_ ठक बायS और अश का को_ ठक उपरी भाग म ह सय) क जो रािश अश िलख ह उनका फल सारणी म सय) क रािश क सामन और अश क नीच जो अक स^ या िमल उस पिhम नत हो तो नतfप इ_ टकाल म जोड दन स और पव) नत हो तो सारणी क अक म स घटा दन स जो अक आव उनको पन दशम सारणी म दख जो बायS और रािश और उपर अश िमल ह यह रािश अश ही दH म ल न क रािश अश होग कला िवकला का आनयन प_ ठ 25 क अनसार िनकाल लना चािहए

2 ई_ टकाल म स िदना) घटाकर जो शष आय व दशम भाव का ई_ टकाल होगा यिद ई_ टकाल म स िदनाX) न घट सक तो इ_ टकाल म स 60 छटी जोड कर िदनाX) घटान स दशल का ई_ टकाल होता ह ई_ टकाल पर स थम िनयम क अनसार दशम सारणी ारा ndash दशम ल न साधन करना चािहए

3 ल न सारणी ारा ल न बनात समय सय) फल म ई_ टकाल जोडन स जो घटयािद अश आव उसम 15 दठी घटान स शष अश सारणी म िकस रािश अश का फल हो वहS दशम ल न होगा

133

ल न स दशम भाव साधन

ल न रािश अश ारा फल लकर रािश क सामन और अश क नीच जो अक स^ या ल न स दशमभाव साधन सारणी म िमल वही दशम भाव होगा

53 साराश

इस इकाई म दशम भाव लन पर कस भाव डालता ह इसको उदाहरण ारा समझान का यास िकया गया ह लन िनकालन क पhात दशम लन िनकालन क पव) नतोनत साधन िकया गया ह जम कampडली म दशम भाव क मह2 2 वपण) भिमका ह छा ारा लन स दशम भाव साधन िकस कार िकया जाए इसक पXित Tमवार इस इकाई म -तत क गई ह तथा 5ह -प( एव स उदाहरण ारा समझान का यास िकया गया ह

54 बोध

1 नतकाल को िकतन भाग म बाटा गया ह

उ9र दो भाग म बाटा गया ह-

1) पव)नत

2) पिhम नत

2 नतकाल क आवHयकता िकस िनकालन क िलए पड़ती ह

उ9र दशम भाव क साधन क िलए

3 िकस भाव म 6 रािशया जोड़न पर चतथ) भाव िनकलता ह

उ9र दशम भाव + 6 = चतथ) भाव

4 षDाश िनकालन का स Pया ह

उ9र ष(ाश =

5 सिध म पड़ हbए 5ह का फल िकतना होता ह

उ9र कमजोर या आधा रहता ह

िनबधामक -

1 िदनाक 23082012 समय 8 बजकर 5 िमिनट ातः -थान कोटा का चिलत चT व भाव -प( को िनकाल

2 नतोनत को हbए दशम भाव को िनकालन का वण)न कर

134

55 शदावली

bull षDाश = िकसी भी स^या का छठा भाग षDाश कहलाता ह

bull नत = मVयाह रखा स इ( का जो अतर होता ह उस नत कहत ह

bull िदनाX) = िदनमान क आध भाग को कहत ह

56 सदभ 13थ सची

1 भारतीय aयोितष लखक डॉ नमीच शाी

2 पचाग बAलभमनीराम

लखकः- Bीमती िवजयलCमी शमा)

किनD िलिपक वध)मान महावीर खला िवEिवFालय कोटा

135

इकाई ndash 6

कारक ह चर-िथर कारक कारक ान होरा

काण इकाई सरचना

61 -तावना 62 उGHय 63 कारक 5ह प]रचय 64 चरकारक 641 आ2मकारक 5ह 642 अमा2यकारक 5ह 643 भातकारक 5ह 644 मातकारक 5ह 645 पकारक 5ह 646 gtाितकारक 5ह 647 दारकारक 5ह 648 दो 5ह क समान अश ि-थित 649 कारक कamp डली साधन 65 ि-थरकारक 5ह 651 भाव व भावश ारा कारक िवचार 652 5ह ारा कारक िवचार 653 अय ि-थितवश िनिम)त योगकारक 5ह 66 होरा gtान 661 प]रचय 662 उ2पि9 663 होरा लन साधन 664 होरा चT साधन 67 _काण gtान 671 प]रचय 672 _काण चT साधन 673 _काण कamp डली बनान क िTया

136

68 साराश 69 शK दावली 610 Mो9र 611 लघ9रा2मक M 612 सदभ) 5थ सची

61 तावना

a योितष शा- स सबिधत छठी इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक कारक 5ह चर-ि-s कारक कारक कारक gtान होरा _काण P या ह इसका िवशष fप स वण)न िकया गया ह lsquolsquoaयोितषा सया)िद 5हणा बोधक शामrsquorsquo अथा)त िजस शा क अतग)त सया)िद 5ह और काल का बोध कराया गया ह उस aयोितष शा कहा जाता ह इन 5ह का -वभाव व भाव मन_य पर कसा रहगा उस िवचार करन हत कamp डली का िनमा)ण िकया जाता ह कamp डली क भाव भावष रािशय 5ह तथा उनक कारकत2 2 व नlt एव वग) कampड़िलय का िवचार करन क पश चात ही aयोितष को जातक क कamp डली का फलादष करना चािहए अतएव इस इकाई क अVययन क उपरात आप कamp डली क भाव भावष अथवा 5हो क चर तथा ि-थर कारक वग) कampड़िलय क िविभन अग म स होरा _काण gtान तथा उसक साधन क िTया स अवगत होकर इह अपन tयवहा]रक उपयोग म सिमिलत करन क िलए सltम हो पाऐग

62 उय

इस इकाई का उGH य आपको िननिलिखत जानकारी उपलKध कराना ह

कारक gtान Pया ह

1 कारक क भद चर व ि-थर कारक

2 चर कारक क अतग)त आन वाल भद

3 भाव तथा 5ह क कारकत2 2 व

4 होरा gtान होरा लन साधन िविध

5 होरा चT साधन क िTया

6 _काण कamp डली का िनमा)ण

137

63 कारक 13ह पampरचय

िकसी tयिJ िवशष क कamp डली म िकसी िविश_ ट काय) या घटना का धिटत होन का सकतक 5ह या भाव कारक कहलाया जाता ह कारक 5ह अथवा भाव का फल कडली म फलकथन करन म मह2 2 वपण) माना गया ह

कारक 5ह को दो भाग म िवभािजत िकया गया ह यह िननिलिखत ह-

(अ) चर कारक

(ब) ि-थर कारक

64 चरकारक

इस जिमनीय कारक भी कहा गया ह जिमनी पXित अनसार 5ह ि-थर नहS अिपत चर ह चर कारक 5ह क अश बल पर आधा]रत ह अश बल पर आिBत होन स कारक2 तव िभन कampड़िलय म िभन 5ह होत ह अतः य चरकारक कहलात ह सय) स शिन पय)त स 5ह अश क आधार पर सात कारक बनत ह अश क आधार पर 5ह को TमबX िकया जाए तो सवा)िधक अश वाला 5ह थम कारक तथा यनतम अश वाला 5ह सबस अितम -थान का कारक कहलाया जाऐगा अतः चर कारक क Tमषः 7 भद -प( होत ह -

(1) आ2म कारक (2) अमा2यकारक (3) भातकारक (4) मातकारक (5) प कारक (6) gtाितकारक (7) ीदाराकारक

िविभन कारक िनन कार जान-

चर कारक ह अश बल कारक त व

1 आम कारक सवािधक अश शारीरक सख-दख

2 अमाय कारक ितीय अशबली वाणी मणा धन ग का िवचार

3 भातकारक ततीय अशबली पराम शौय परम भाई-बहन का सख

4 मातकारक चतथ अशबली माता मन भवन भिम सवसख का िवचार

5 पकारक पचम अशबली िवा बि ग एव सतान सख िवचार

6 ाितकारक ष अशबली रोग रप ऋण सघष पधा आिद का िवचार

7 0ीदाराकारक 1यनतम अशबली पित पनी ससराल साझदारी आिद का सख

641 आमकारक ह

138

िकसी भी रािश म सवा)िधक अश पर ि-थत 5ह आ2मकारक होता ह रािशय को छोड़कर िजस 5ह क भJाश सबस अिधक हो वही आ2मकारक 5ह कहलाता ह इस लनष का पया)य कहा गया ह आ2मकारक 5ह क रािश लन क पया)य बनती ह अतः आ2मकारक 5ह िजस रािश म ि-थत हो उस रािश का सवा)िधक बली मानत हbए फलकथन क िलए िविश_ ट fप स िवचारणीय मानना अ2यत आवH यक ह सय) को नसिग)क आ2मकारक 5ह माना गया ह

आ2मकारक 5ह को धान माना गया ह आ2मकारक क अनकलता ितकलता -वाभाव बल आिद क अनसार ही शष आ2मािद कारक अपना फल दग अगर आ2मकारक 5ह जमकamp डली म शभ अथवा बली हो तो अय कारक भी शभ फल दन म सltम हग अयथा अय कारक क फल म भी यनता दखन म आयगी

फल

आ2मकारक 5ह यिद उkचरािश-थ मल-िकोण या -वरािश-थ हो तो जातक भायषाली धनी सपन यष-वी होता ह शभ यJ आ2मकारक जातक को सख एव सौभाय दान करता ह इसक िवपरीत आ2मकारक का श रािश-थ नीच व दब)ल होना जातक का दभा)गय क( पीड़ा धनहािन आिद अशभ फल का सचक ह 5ह क अनकलता एव ितकलता क अनfप ही 5ह अपनी दषा व अतद)षा क अतग)त शभ अथवा अशभ फल दान करत ह

642 अमायकारक ह

अश ारा TमबX करन पर दसर Tम म ि-थत 5ह अमा2यकारक 5ह कहलाता ह अय शKद म जो 5ह आ2मकारक स दसर -थान पर हो अथवा आ2मकारक स कछ कम अश वाला 5ह जो अय स अश म aयादा हो वह अमा2यकारक 5ह होता ह बल व मह9ा म इसका दसरा -थान ह आ2मकारक को जहा 5ह क राजा क Bणी म रखा गया ह वही अमा2यकारक को मी क Bणी म रखा ह नसिग)क fप स बध को आमा2यकारक 5ह कहा गया ह मतातर स बध का शभ व बली होना अमा2यकारक अनfप ही फल दान करता ह

फल

अमा2यकारक 5ह का उkच-थ -वरािश मल िकोण-थ होना जातक को िवचारवान िवान गणी मधरभाषी धनी व कटब स सख ा करान वाला होता ह अमा2यकारक 5ह क दषा म जातक धन मान वभव ितDा एव प]रवार का सख ा करता ह 5ह का िनब)ल नीच रािश-थ अथवा श रािश-थ होन पर जातक को दख दा]रय प]रवार सख म कमी वाणी म असयम कटता अथवा अपयश दता ह

643 भातकारक ह

बल व अश म तीसर -थान पर ि-थत 5ह भातकारक 5ह कहलाता ह नाम स ही -प( तीत भातकारक 5ह जातक क भाईय का सख अथवा दख को दशा)ता ह भातकारक 5ह जातक को पराTमी धय)वान

139

शौय)वान प]रBमी अथवा उ2सािहत बनाता ह नसिग)क fप स मगल को भातकारक 5ह कहा गया ह छोट भाई-बहन का सख अथवा जातक का परTम बल आिद मगल 5ह स कहना चािहए

फल

भातकारक का उkच-थ -वरािश-थ िमरािश-थ अथवा मल िकोण-थ होना जातक को शभ फल दान करता ह जातक को अपन भाई-बहन का उ9म सख ा होता ह वह अपन अनज ारा सख -नह व समान पाता ह उस अपन पराTम एव साहस ारा िकए सभी कायv म पण) fप स सफलता ा होती ह उसका भजबल उसक उ9म काय)षली का तीक बनता ह इसक िवपरीत यिद भातकारक नीच रिष-थ शरािश-थ अथवा नीच wि(गत होता ह तो जातक को भाई-बहन का अAप सख होता ह वह दीनहीन दब)ल एव अकम)ampय बनता ह उस अपन पराTम एव शौय)बल स विचत रहकर अपना जीवन दब)ल fप स tयतीत करना पढ़ता ह

644 मातकारक ह

अष ारा TमबX करन पर चतथ) -थान पर आन वाला 5ह मातकारक कहलता ह यह जातक क सव)सख को दशा)ता ह जातक क माता क सख-दख का िवचार अथवा मात ारा िमलन वाल -नह का िवचार मातकारक 5ह स ही िकया जाता ह इसक अतग)त आन वाल अय कारक भिम भवन पष सपि9 वाहन नौकर-चाकर आिद का िवचार भी इसी स िकया जाता ह इसका नसिग)क 5ह चमा ह

फल

मातकारक 5ह यिद उkच-थ -वरािश-थ अथवा अपनी िम रािश म हो तो जातक को अपनी माता क साथ सबधो का BD फल ा होता ह उसका माता अथवा माता क समान िय क साथ िवशष -नह अथवा उह समान दन वाला होता ह तथा िवपरीत म उतना ही -नह जातक -वय ा करता ह इसक अित]रJ उस भवन भिम वाहन ारा भी लाभ िमलता ह 5ह का श रािश नीच रािश अथवा नीच 5ह ारा w( होना जातक को अपनी दशा अतद)शा म अशभ फल दता ह मातसख क साथ भिम भवन अथवा वाहन सख म भी कमी आती ह 645 प)कारक ह

अशबल क अनसार TमबX म पाचव -थान पर आन वाला 5ह पकारक 5ह कहलाता ह नाम ारा -प( पकारक 5ह प सख म विX करता ह जातक को उ9म सतान क ाि होती ह जातक क बिX िवFा िवचार गfजन िम आिद का िवचार इसी 5ह ारा िकया जाना सभव ह शाानसार इसका नसिग)क 5ह गf को कहा गया ह अय शKद म गf को जीव कारक 5ह भी कहा गया ह अतः गf का बली होना प सख िवFा बिX आिद म शभ फल दन वाला बनता ह

140

फल

पकारक 5ह का अपनी रािश उkच रािश म अथवा अपनी मल िकोण रािश म ि-थत होना जातक को बहbमाा म प सख क ाि करवाता ह जातक को उkच िवFा खर बिX अथवा गfजन क -नह क ाि होती ह जातक का प कल को बढ़ान वाला िनDावान अथवा भा यवान होता ह इसक िवपरीत नीच रािश नीच wि(गत अथवा पाप 5ह क सािनVय म रहकर जातक को सतानहीन प सख म कमी बिXहीन गfजन क अवहलना करन वाला बनाता ह

646 ाितकारक ह

TमबX क अनसार छठ -थान पर आन वाला 5ह gtाितकारक 5ह कहलाता ह जिमनी aयोितष ारा इस चचर भाई-बहन का कारक भी कहा गया ह जातक क रोग ]रप ऋण मामा -पधा) आिद का िवचार इसी स िकया जाता ह मगल को gtाितकारक 5ह का नसिग)क कारक माना गया ह मगल का बली शभ अथवा उkच रािश म होना जातक को रोग व ऋण स दर रखता ह तथा मगल स दख जान वाल कारक म शभता दान करता ह

फल gtाितकारक 5ह का अपनी रािश म होना -वltी होना तथा उkच रािश म ि-थत होकर शभ 5ह ारा सबध -थािपत करना जातक को रोग व ऋण मJ बनाता ह वह -पधा) म अपनी जीत हािसल करता ह पराTमी प]रBमी अथवा शओ को परा-त करन वाला वीय)वान होता ह इसक िवपरीत नीच रािश अथवा िनब)ल 5ह जातक क रोग व ऋण म विX करवाता ह शओ स परािजत होता ह अथवा -पधा) म पराजय का सामना करना पड़ता ह जातक क चचर भाई-बहन स शओ सा tयवहार करत ह

647 दाराकारक ह

जमकडली म सबस यनतम अश रखन वाला 5ह दाराकारक 5ह कहलाता ह इसस जातक का दाप2य सख का िवचार करना चािहए पित-प2नी का -वभाव गण दोष िवचार सख दःख आिद दाराकारक 5ह स ही िवचारणीय ह पर-पर पित अथवा प2नी क बीच का -नह व सहयोग क जानकारी क िलए दाराकारक 5ह का अVययन करना अिनवाय) ह इस 5ह स दो tयिJय क बीच क साझदारी का िनण)य लना चािहए पित अथवा प2नी का ससराल म समान आिद भी इसी स जाना जाता ह इसका नसिग)क 5ह शT ह शT क बली होन पर उसस सबिधत कारक का शभ फल कहना चािहए

फल

5ह का बली होना शभ 5ह स w( होना क व िकोण स सबध रखना -वरािश म होना जातक क दाप2य सख म विX दान करता ह पित-प2नी का आपसी सहयोग व -नह ायः दखा गया ह यिद दाराकारक शभ व बली हो अयथा नीच रािश का दब)ल दाराकारक 5ह पापफल म विX करता ह तथा ववािहक जीवन म Pलश दख व वमन-य दता ह

141

648 दो ह क समान अश िथित

कछ कampड़िलय म ायः दखन पर आता ह िक दो 5ह क समान अश होत ह ऐस म कलाओ पर िनरीltण कर यिद व भी समान हो तो राहb तक गणना करन का िनदyश aयोितष 5थ म िदया गया ह ऐस म राहbपय)त 8 5ह कारक मान गए ह यिद राहb तक िगनन क ि-थित हो तो राहb क -प( अषािद को 30 म स घटाकर शष अश को भJाष मान Pयिक राहb सदव वTगित स चलता ह उदाहरणतः यिद िकसी कamp डली म राहb वष रािश क 24 अश पर ि-थत हो तो 30 - 24 6 अश बल राहq का जान

बहत पाराशर क अनसार कछ लोग राहb सिहत सदव गणना करक आठ कारक होत ह ऐसा मानत ह आठ कारक वाल मत म िपतकारक अिधक माना जाता ह पराषर एव जिमनी स म दोन ही िवकAप रख गऐ ह परत सकारक वाल पlt को मख माना गया ह

उदाहरण कamp डली म लनािद नौ 5ह िनन अश पर ि-थत ह

लन - 12154 सय) - 91020

चमा - 3816 मगल - 6518

बध - 91020 गf - 122424

शT - 8166 शिन - 42426

राहb - 11555 कत - 71555

-तत मष लन कamp डली म सवा)िधक अश पान वाला 5ह शिन ह अतः वह आ2मकारक 5ह कहलायगा इसक िवपरीत यनतम अश पान वाला 5ह मगल दाराकारकीकारक कहलायगा सय) व बध एक ही अश म ि-थत होन क कारण राहb भी TमबX म सिमिलत हो जाऐगा 5ह क कारक िनन तािलका ारा जान -

ह अशकला कारक

शिन 2426 आ2मकारक

गf 2424 अमा2यकारक

142

शT 166 भातकारक

राहb 1555 मातकारक

सय) 1020 पकारक

बध 1020 पकारक

चमा 816 जाितकारक

मगल 518 दाराकारकीकारक

िनन कamp डली म सय) और बध क समान अश होन पर दोन को ही पकारक Bणी म िलया गया ह

649 कारक कB डली

इस कamp डली म आ2मकारक 5ह को ही लन माना जाता ह अय कारक आ2मकारक स शभ -थान पर ि-थत हो शभ 5ह स यJ अथवा w( हो तो ऐसी ि-थित म कारक 5ह क दशा अथवा उसस सबिधत फल शभ हग अयथा पाप भाव कारक अपनी दषा म अशभ फल दगा कारक कamp डली िननिलिखत उदारहण स समझ

उपरोJ कारक कamp डली म सवा)िधक अश पान वाला 5ह शिन ह अतः इस लन माना गया ह कamp डली म समश शिन तथा पचमश गf का wि( सबध हो रहा ह योगकारी 5ह मगल का लनश व गf स wि( सबध न जातक का म-िववाह कराया परत िववाह पH चात सबध म वमन-य हbआ

65 िथरकारक 13ह

aयोितष शा म पाराशरी िसXातो ारा कारक को ि-थर बताया गया ह कamp डली म भाव अथवा 5ह कछ िवषय क िवशष कारक बनत ह य कारक सभी जातक क िलए सामाय व एकfप फल दत ह उदाहरण क िलए यिद िकसी जातक क आजीिवका क सदभ) पर िवचार करना ह तो दशम भाव अथवा दशमश स िवचार करना चािहए इसी कार प का िवचार करन क िलए पचम भाव पचमश अथवा गf 5ह (सतान कारक) का स भी िवचार करना अिनवाय) ह हर भाव अथवा 5ह क ि-थर कारक बताऐ गय ह इस हम िनन तािलका ारा समझग

143

651 भाव व भावष 9ारा कारक िवचार

भाव भावश कारक नसिग)क कारक 5ह

लनलनश दह-िवचार गण -वभाव tयवहार सय)

ितीयितीयश धन कटब वाणी न िपतपlt गf

ततीयततीयश रोग ऋत ऋण -पधा) सघष) मगल

चतथ)चतथyश मात मन वाहन भवन zदय च

पचमपचमश बिX िवFा सतान पट िम गf

षDषDष रोग ऋप ऋण - पधा) सघष) मगल

समसमश िववाह पित-प2नी tयापार याा शT

अ(मअ(मश म2य-थान ससराल पlt ग धन शिन

नवमनवमश भाय िपता भिJ ई(कपा गf

दशमदH मश कम) -थान आजीिवका उkचपद बध

एकादशएकादशश धनलाभ बड़ा भाई सामािजक ितDा गf

ादषादशश tयव शया-सख भोग दampड मोlt शिन

652 ह 9ारा कारक िवचार

5ह कारक

सय) िपता राaयपद

चमा मातकारक मन

मगल भात कारक पराTम साहस

बध tयापार tयवसाय वाणी लखन

गf सतान िवFा धन पितसख

शT दाप2य सख पित-प2नी

शिन आय_य दःख आल-य िवलबता

राहb मामा मासी निनहाल

कत दादा का प]रवार

144

653 अय िथितवष योग कारक हः

कई बार 5ह ि-थितवश भी कारक बनत ह इह योगकारी 5ह भी कहा गया ह योगकारी 5ह क दशा-अतद)शा म उनस सबिधत कारक का िवशष शभ फल ा होता ह 5ह क योगकारक बनन क -थित िनन कार ह

1 जम समय म जो 5ह -वरािश िम रािश अथवा अपनी उkच रािश म ि-थत होकर क म हो वह कारक कहलात ह जस 1 4 7 10 म 5ह उkचािद हो तो कारक कहलायग

2 कोई 5ह क अथवा िकोण दोनो का -वामी हो तो वह िवशष योगकारी 5ह बनता ह उदाहरण क िलए कक) लन म मगल (िकोण) पचम तथा दशम भाव (क) का -वामी ह अतः कक) लन वाल क िलए मगल 5ह िवशष योगकार द हbआ

फलः िजस जातक क कamp डली म 5ह उपय)J िनन ि-थित ारा कारक बनत ह वह नीच वष म उ2पन होकर भी राजा तAय जीवन tयतीत करता ह tयिJ राजा क समान धनी सखी ऐH वय)वान मान ितDा ा करता ह

66 होरा ान

भारतीय aयोितष शा क -कधय क अतग)त होरा िसXात और सिहता तीन अश मान गय ह तथा -कधपच क अतग)त-हारा िसXात सिहता _न और शकन य पाच अग मान गए ह -कध-पच का िववरण िनन कार ह-

661 होरा

यह aयोितष शा का वह -कध ह िजसम tयिJय को अपन जीवन क बार म माग)दश)न ा होता ह उसक पव) जीवन म ारKध िकए गऐ कमv का शभ या अशभ फल वत)मान जीवन म िकस कार िमल पायगा उसका gtान समय स पव) होरा ारा ही gtात हो सकता ह

िसXात िसXात भाग ही जयोितष शा का सव) थम भाग ह यह भाग म यतः गिणत शा का दश)क ह कालगणना सौर च मास का ितपादन 5हगितय का िनfपण 5ह-नlt क ि-थित इसी -कध क अतग)त समिलत ह

सिहता

इसम भषोधन मलापक 5होपकरण इि( का ार 5ह- वश जलाशय िनमा)ण मागिलक कायv क महq2 त) उAकापात 5ह क उदय-अ-त का फल 5हचार का फल एव 5हणफल आिद िवषय का िनfपण िव-तारपव)क िकया गया ह

145

नशा )

यह त2काल फल बतान वाला शा ह इसम H नकता) क उkचा]रत अltर पर स फल का ितपादन िकया ह इस शा म तीन िसXातो का वश हbआ ह ndash H नाltर िसXात H नलन िसXात तथा -वरिवgtान िसXात

शकन शाF

इसका अय नाम िनिम9शा- बताया गया ह पव)काल म इस पथक -थान न दकर अिपत सिहता क अतग)त का िवषय ही माना गया था आग चलकर इस शा न अपना अलग fप ा कर िलया ह

इकाई क मल fप होरा gtान को Vयान म रखत हbए हम इस ही िवषय का सिlt fप म अVययन करग

662 होरा ान क उपिG

इसका दसरा नाम जातक शा ह इसक उ2पि9 lsquoअहोराrsquo शKद स हbई ह अहरो शKद िदन और राि का बोधक ह इसी शKद क आिद और अितम अltर का लोप होकर lsquolsquoहाराrsquorsquo शKद चलन म आया ह जमकालीन 5ह क ि-थित क अनसार ादष भाव क फल जातक क जीवन पर Pया भाव दग उसका िव-तारपव)क ितपादन इसक अतग)त िकया गया ह

663 होरा लन साधन

तथा साधि9घिटका िमतादकIदयाद ि9ज

याित लन तनाम होरालन चampत

इ$घटयािदक ि9Kन पचाL भािदक च यत

योMयमौदियक भानौ होरालन फट िह तत बह2 पाराशर होराशा- 5-415

सय[दय स जम( काल तक ित 25 घटी म एक-एक होरा लन का माण होता ह अतः अपन इ(काल को दो स गणा कर 5 का भाग दन पर जो राHयािद लिKध हो उस उदयकािलक सय) म योग कर दन स -प( होरा लन होता ह

उदाहरण

जम( काल 525 को 2 स गणा िकया तो 1050 हbआ इसम 5 का भाग िदया तो 021000 रा_यािद हbए इस उदयकािलक सय) 0320425 म योग िकया तो 060425 हbआ और यही होरा लन हbआ

664 होरा च2 साधन

15 अश का एक होरा होता ह इस कार एक रिष म दो होरा होत ह िवषम रािश-मष िमथन आिद म 15 अश तक सय) का होरा और 16 अश स 30 अश तक चमा का होरा होता ह समरािश-वष कक) आिद म 15 अश तक चमा का होरा और 16 अश स 30 अश तक सय) का होरा होता ह समरािश म पवा)X) म चमा क ओर उ9राX) म सय) क होरा होती ह सय) और चमा क होरािधपित Tमषः िपत

146

और दव होत ह रािश क आधी होरा कही जाती ह अतः एक रािश म दो होरा और 12 रािश म 24 होरा होत ह

जमपी म होरा िलखन क िलए पहल लन म दखना होगा िक िकस 5ह का होरा ह यिद सय) का होरा हो तो होरा-कampडली क लनरािश और चमा का होरा हो तो होरा-कampडली क लनरािश होती ह होरा-कampडली म 5ह क -थान क िलए 5ह-प( क राH यािद स िवचार करना चािहए नीच होराgtान क िलए होराचT िदया जाता ह इनम सय) और चमा क -थान पर उनक रािशया दी गयी ह

होरा चT

अश मष वष िमथन कक िसह कया तला विक धन मकर कभ मीन

15 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4

30 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5

उदाहरण - लन 4232527 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला 27 िवकला पर ि-थत ह िसह रािश क 15 अश तक सय) क होरा एव 16 अश क आग 30 अश तक का चमा क होरा होती ह अतः यहा चमा का होरा हbआ और होरालन 4 माना जायगा

5ह -थािपत करन क िलए -प( 5ह पर िवचार करना ह पव) म -प( सय) 00100734 अथा)त मष रािश का 10 अश 7 कला 34 िवकला ह मष रािश म 15 अश तक सय) क होरा होता ह अतः सय) अपन होरा-5 म हbआ चमा का -प( मान 01002647 ह वष रािश का 00 अश 26 कला 47 िवकला ह वषरािश म 15 अश तक चमा क होरा होती ह िमथनरािश का 21 अश 52 कला 45 िवकला ह िमथन रािश म 16 अश स 30 अश तक चमा क होरा होती ह अतः मगल चमा क हारा-4 म हbआ बध 0232131 मष रािश का 23 अश 21 कला 31 िवकला ह मष रािश म 16 अश स चमा क होरा होती ह अतः बध चमा क होरा-4 म हbआ इसी कार बह-पित सय) क होरा-5 म शT सय) क होरा-5 म शिन सय) क होरा-5 म राहb चमा क होरा-4 म और कत चमा क होरा-4 म आया

होरा कBडली च2

147

67 ()काण ान

रािशि)भागा काणात च शटिषदी+रताः

प+रविG)य त0शा मषादः 2मषो भवत

वपचनवमाना च राशीना 2मच त

नारदाडगितदवासा काणषाचरािदष बहपाराषर होराशा ) 77-8

671 प+रचय-

रािश का ततीय भाग _काण कहा जाता ह तीस अश क एक रािश म दस-दस अश क तीन भाग होत ह इसिलए 2यक रािश म तीन _काण िनन कार ह -

10-100 अश तक - थम _काण

100-200 अश तक - ितीय _काण

200-300 अश तक - ततीय _काण

िजस िकसी रािश क थम _काण म 5ह हो तो उसी रािश का ितीय _काण म उस रािश स पचम रािश का और ततीय _काण म उस रािश स नवम रािश का _काण होता ह _काण क रािश क अनसार ही _काण क -वामी होत ह

जस वष रािश म 10 अश तक पहला _काण का होगा और उस _काण क -वामी शT हग वष रािश क 11-20 अश तक ितीय _काण वष स पाचवी रािश कया का होगा और उसक -वामी बध हग वष रािश क 21-30 अश तक ततीय _काण वष स नवम मकर रािश का होगा ओर उस _काण क -वामी शिन हग

672 काण च2 साधन-

_काण को सरलता स िनकालन क िलए नीच _काण चT िदया जाता रहा ह

_काण चT

अश मष वष िमथन कक िसह कया तला विक धन मकर कभ मीन

1-10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

10-20 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

20-30 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

148

673 काण कB डली बनान क ि2या

जमपी म _काण कamp डली बनान क िTया यह ह िक लन िजस _काण म हो वही _काण कamp डली क लन रािश होगी _काण कamp डली म लन क आग अय भाव म एक-एक आग क रिषया -थािपत कर लव 5ह क -थपना क िलए अलग-अलग _काण िनकालकर 2यक 5ह को उसक _काण रािश म -थािपत कर लव

उदाहरण

-प( लन 428301 िसह रािश

सय) 1218102 मष रािश

च 72620101 विhक रािश

मगल 814157 धन रािश

बध 12161715 मष रािश

गf 418200 िसह रािश

शT 7271410 विhक रािश

शिन 78105 विhक रािश

राहb 325510 कक) रािश

कत 925510 मकर रािश

-तत कamp डली म लन -प( 0428301 अथा)त िसह रािश क 28 अश 30 कला और 1 िवकला ह यह लन िसह रािश क तीसर _काण म ह अतः िसह स नवम रािश मष आती ह इसिलए _काण कamp डली का लन मष होगा इसी कार हम अय 5ह भी -थािपत करग सय

मष रािश म 18102 म ह यह 10 अश स आग ह इसिलए ितीय _काण म हbआ मष स 5 तक िगनन पर िसह रािश आती ह _काण चT म मष रािश क नीच ितीय _काण म 5 िलखा ह सय) को उस

149

अक क रािश जो िसह ह वहा -थािपत कर लव िसह रािश का -वामी सय) ही ह अतः सय) -व5ही होकर अपनी रािश क _काण म ि-थत ह

चमा विhक रािश क 26 अश 20 कला और 10 िवकला पर ि-थत ह यह 20 अश स aयादा ह इसिलए ततीय _काण म हbआ विhक स 9 तक िगनन पर कक) रािश आई _काण चT म विhक रािश क नीच तीसर _काण म कक) रािश ह अतः चमा कक) रािश क _काण म ह कक) रािश का -वामी -वय चमा ह चमा अपन ही _काण म ह

मगल मगल धन रिव क 14 अश 15 िवकला और 7 कला म ह यह 10 अश आग होन स ितीय _ काण का हbआ _काण म 1 अक िलखा ह अतः मगल मष रािश क _काण म ह यहा मगल भी अपनी -वरािश क _काण म ि-थत ह

बध

बध मष रािश क 16 अश 17 िकला और 15 िवकला म ि-थत ह यह 10 अश स aयादा ह इसिलए ितीय _ काण म हbआ _काण चT म मष रािश क नीच ितीय -थान पर 5 अश िलखा ह अतः बध 5ह क -थापना िसह रािश म कर अय शKद म बध िसह रािश क _काण म ह िसह रािश क -वामी सय) ह इसिलए बध को सय) क _काण म कहग

बहपित

गf िसह रािश क 18 अश 20 कला पर ि-थत ह यह अश 10 स aयादा ह इस हम ितीय _काण क Bणी म रखग ितीय _काण म 5ह क ि-थित होन स उस रािश स 5 रािश आग िगनन पर धन रािश आयगी इस हम _काण चT स दखग तो िसह रािश क नीच ितीय _काण म 9 अक िलखा ह अतः बह-पित धन रािश अथवा -वरािश क _काण म ि-थत ह

श2

शT विhक रािश क 27 अश 14 कला और 10 िवकला म ह यह अश 20 स भी aयादा ह अतः ततीय _काण क Bणी म आत हbए विhक स 9 िगनन तक कक) रािश क _काण म आयगा _काण चT ारा दखन पर विhक रािश क नीच ततीय -थान पर 4 अश कक) रािश को ही दशा)ता ह कक) रािश क -वामी चमा ह इसिलए शT को चमा क _काण म कहग

शिन

शिन विhक रािश क 8 अश 10 कला और 5 िवकला म ह यह 1 स 10 अश क भीतर ही ह इसिलए थम _काण म ह थम _काण उसी रािश का होता ह िजसम व -वय ि-थत ह अतः शिन को विhक रािश क अतग)त ही लग _काण चT म विhक रािश क नीच थम -थान पर 8 अक िलखा ह जो

150

विhक रािश को -प( करता ह विhक रािश क -वामी मगल ह अतएव शिन को मगल क _काण म कहग

राह4

राहb कक) रािश क 25 अश 5 कला और 10 िवकला म ह यह 20-30 अश भीतर आत हbए ततीय _काण क Bणी क अतग)त आयगा अतः कक) स 9 तक िगनन पर मीन रािश आऐगी _काण चT ारा दखन पर कक) रािश क नीच ततीय -थान पर 12 अक िलखा होना मीन रािश को -प( करता ह मीन रािश क -वामी गf होन स राहb गf _काण का कहलायगा

कत

कत मकर रािश क 25 अश 5 कला और 10 िवकला म ह यह 20 अश स आग 20-30 अश क भीतर क Bणी अथा)त ततीय _काण म ि-थत ह मकर रािश स 9 िगनन तक कया रािश आऐगी _काण चT म मकर रािश क नीच ततीय -थान पर 6 अक िलखा ह जो कया रािश को -प( करता ह कया रािश क -वामी बध ह अतएव कत बध क _काण म ह

68 साराश

उपरोJ विण)त इकाई म हमन aयोितष शा क तीन िविभन एव मह|वपण) अग कारक gtान होरा gtान अथवा _काण gtान का अVययन िकया ह इकाई क lsquolsquoकारक gtानrsquorsquo क अत)गत हमन चरकारक क भद Tमश आ2मककारक अमा2यकारक भातकारक मातकारक पकारक gtाितकारक अथवा दाराकारक क िनयम कारकत2 2 व एव उनक फलो को भली भॉित समझान का यास िकया इसक अित]रJ भाव भावोष तथा 5ह क ि-थत कारक का gtान भी आपको ा हो सकगा

इकाई क दसर भाग क अतग)त आपको ाचीन भारतीय aयोितष क -कधय क मह9पण) अश lsquolsquoहोरा gtानrsquorsquo उसक उ2पि9 लन साधन िविध तथा होरा चT साधन िविध का gtान ा हो पाएगा

इकाई का तीसरा भाग lsquolsquo_काण gtानrsquorsquo ह 5ह क बलाबल का gtान करन क िलए दषवग) का साधन aयोितष शा म िकया जाता ह दषवग) म होरा _काण समाश नवमाष दषमाश ादषाश षोडषाश िषाश और ष(यश प]रगिणत िकए गए ह अतएव इसम िवFािथय को थम ितीय एव ततीय _काण का रािशय क अश क अनसार gtान _काण चT एव _काण कamp डली बनान क िTया आिद को अवगत कराया गया ह

69 श दावली

bull आ2कारक 5ह = सवा)िधक अशयJ 5ह

bull दाराकारक 5ह = यनतम अशयJ 5ह

151

bull योगकारक 5ह = िवशष ि-थितवश िनिम)त शभफलदायक 5ह

bull उदयकािलक 5ह = सय[दय क समय 5ह क ि-थित

bull होरा = रािश का आधा भाग अथा)त 15 अश

bull _काण = रािश का दशम भाग अथा)त 03 अश

610 ो+र

1 कारक 5ह Pया ह tया^या किजए

उ9र िकसी tयिJ िवशष क कamp डली म िकसी िविश_ ट काय) या घटना का घिटत होन का सकतक 5ह या भाव कारक कहलाया जाता ह

2 कारक क दो भाग बताईए

उ9र कारक क दो भाग चर एव ि-थर कारक ह

3 चर करक िकतन कार क ह नाम -प( किजए

उ9र चर कारक क 7 भद कह गऐ ह आ2मकारक अमा2यकारक भातकारक मातकारक पकारक gtाितकारक दाराकारक

4 सवा)िधक एव यनतम अश पर आन वाल चर कारक क नाम -प( किजए

उ9र सवा)िधक अश - आ2मकारक

यनतम अश - दाराकारकीकारक

5 लन सम एव नवम भाव क नसिग)क ि-थर कारक 5ह बता)इए

उ9र लन - सय) सम-शT नवम-गf

6 चतथ) भाव क ि-थर कारक त2 2 व बताईए

उ9र चतथ) भाव क ि-थर कारक त2 2 व माता मन भवन वाहन सास zदय आिद ह

7 होरा का आषय Pया ह

उ9र मन_य क ारKध म िकए सगए कमv क फल का gtान एव उसका माग)दश)न होरा ारा gtात िकया जा सकता ह

8 एक रािश म िकतनी होरा हो सकती ह

उ9र 15 अश का एक होरा होता ह अतः इस कार एक रािश म दो होरा होत ह

9 _काण िकस कहत ह

152

उ9र रािश का ततीय भाग _काण कहा जाता ह

10 अश क अनसार तीन _काण का उAलख किजए

उ9र 1-10 अश - थम _काण

10-20 अश - ितीय _काण

20-30 अश - ततीय _काण

611 लघ+रामक

1 चर कारक Pया ह एव उनक भद को -प( किजए

2 भाव अथवा 5ह क ि-थर कारक त2व को -प( किजए

3 ि-थितवश बन योग कारक 5ह क िसXात बताइऐ

4 होरा लन साधन एव चT साधन क िTया -प( कर

5 _काण चT साधन क िTया एव _काण कamp डली बनान क िTया को उदाहरण सिहत -प( कर

612 स0दभ 130थ सची

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

3 जिमनीसम

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक

4 भारतीय aयोितष

tया^याकार डॉ निमच शाी

काशक भारतीय gtानपीठ िदAली

153

इकाई ndash 7

(नवमाश स तमाश िशाश) सिहत दश वगamp िवचार

इकाई क पररखा

71 - तावना

72 उGHय

73 दशवग) िवचार 731 घरा कamp डली िवचार

732 डठकाण िवचार 733 स तमाश िवचार 734 दशमाश िवचार

74 ादशाश कamp डली िवचार 75 षोडशाश कamp डली िवचार 76 िशाश िवचार 77 षठ_ याश िवचार 78 पा]रजात आिद वशिषकाश िवचार 79 साराश 710 H नावली लघउ2 तरीय तथा उ2 तरमाला

711 शK दावली 712 सदभ) 5थ सची

71 तावना

इस इकाई म दश वगv का िवचार मल fप स िकया गया ह चिक मन_ य फल क इk छा रखन वाला ाणी ह अत कamp डली क स पण) फल क ाि क िलए यहा पर इन वगv का िवचार पण)तया fप स िकया गया ह जस होरा कamp डली स स पदा और सख का िवचार िकया जाता ह ठीक इसी कार ड_ कोण कamp डली स भाइय क सख तथा इनस सहयोग एव लाभ का िवचार िकया जाता ह ठीक इसी

154

तरह स तमाश चT स सतित का एव प पौी का िवचार िकया जाता ह एव ादशाश स िपता एव माता क सख का िवचार िकया जाता ह तथा िशाश चT स अ]र_ ट फल का िवचार एव इस का समाधान िकया जाता ह इसी कार यहा सभी वगv का िवचार एव समाधान पण) fपण दशा)या गया ह

72 उय

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग ndash

bull होरा कamp डली बनान क िविध gtात करग

bull ड_ काण कamp डली बना पायग

bull स तमाश कamp डली क जानकारी ा त करग

bull नवमाश कamp डली का िवचार कर पायग

bull दशमाश कamp डली का बनायग

bull ादशाश कamp डली का gtान होगा

bull षोडशाश कamp डली बनायग

bull िशाश िवचार करग

bull ष_ ठयश चT क जानकारी ा त करग

bull पा]रजात आिद वशिषकाश क जानकारी ा त करग

73 दशवग िवचार

ल न होरा डठकाण स तमाश दशमाश ादशाश षोडशाश िशाश और ष_ ठयश य रािश क दश वग) होत ह य दश वग) मन_ य को t यय क_ ट उ नित और धन ndash धा य को दन वाल ह

रा िश क अध)भाग को होरा कहत ह िवषयम रािश (मष िमथन िसह तला धन और कभ रािशय) म थम होरा सय) क और दसरी च मा क होरा होती ह सम रािश थम च क होरा होती ह और इसी सय) क होरा होती ह रा िश क ततीय भाग को डडकाण कहत ह इस कार एक रािश म तीन डढकाण होत ह इनम थम डढकाण उसी रािश का ितीय डढकाण उस रािश स पचम रािश का तथा ततीय डढकाण उसस नवम रािश का होता ह

अ य जातक 5थ म कल 16 वगv क चचा) ह यहा उनम स कवल दश वगv का ही िववरण ा त ह ज मप क अV ययन म इन दश वगv का भी t यवहार कम चिलत ह चलन म षडवग) या स तवग) का ही योग अिधक होता ह चिक 5ह क बलाबल का gtान करन क िलए दशवग) का साधन िकया जाता ह अत आइए सव) थम

155

5ह का िवचार करत ह 5ह ndash जो 5ह िजस रािश का - वामी होता ह वह रािश उस 5ह का 5ह कहलाती ह रािशय क - वामी िन निलिखत ह ndash

रािश - वामी

िसह सय)

कक) च

मष विhक मगल

िमथन क या बX

धन मीन बह- तपित

वष तला शT

मकर क भ शिन

731 होरा िवचार

15 अश का एक होरा होता ह इस कार एक रािश म दो होरा होत ह िवषम रािश ndash मष िमथन आिद म 15 अश तक सय) का होरा होता ह और 16 स 30 अश तक च मा का होरा होता ह सम रािश वष कक) आिद म 15 अश तक च मा का होरा होता ह सम रािश तक सय) का होरा होता ह ज म कamp डली म होरा िलखन क िलए पहल ल न म दखना होता ह ज म कamp डली म होरा होता ह यिद सय) को होरा हो तो होरा कamp डली क 5 ल न रािश और च का होरा हो तो होरा कamp डली क 4 ल न रािश होती ह होरा कamp डली 5ह क - थान क िलए 5ह - प_ ट क राH यािद स िवचार करना चािहए

होरा gtान क िलए होरा चT िदया जाता ह इनम सय) और च मा क - थान पर उनक रािशया दी गई ह

होरा च2

अश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

15 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4 5 4

156

30 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4 4

उदाहरण -

- प_ ट ल न 41325126 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला 26 िवकला पर ह िसह रािश क 15 अश तक सय) का होरा 16 स आग 30 अश तक च मा का होरा होता ह अत यहा च मा का होरा हbआ और होरा ल न 4 माना जायगा 5ह - थािपक करन क िलए - प_ ट 5ह का िवचार करना चािहए अत माना िक - प_ ट सािधत सय) 01906134 ह अथा)त मष रािश का 90 अश 6 कला 34 िवकला ह मष रािश म 15 अश तक सय) चT म सय) का होरा होता ह अत सय) अपन होरा अथा)त 5 रािश म हbए च मा का - प_ ट मान 91026147 वष रािश का श य अश 26 कला 46 िवकला ह वष रािश म 15 अश तक च मा का होरा होता ह अत च मा अपन होरा 4 म हbए मगल का - प_ ट मान 212952145 िमथन रािश का 21 अश 42 कला 84 िवकला ह िमथन रािश म 18 स 30 अश तक च मा का होरा ह अत मगल च मा क होरा 4 म हbए बध 01232931 मष रािश का 23 अश 29 कला 31 िवकला ह मष रािश क 16 अश स च का होरा होता ह अत बX च मा क होरा 4 म हbए बह- पित 3124832 क अनसार सय) क होरा 5 म हbए शT 99232090 चTानसार शT सय) क होरा म हbए शिन 2167145इसक ddअनसार शिन सय) क होरा म हbए राहb 3181515 इसक अनसार राहb च मा क होरा म 4 म हbए अत इसका होरा कamp डली इस कार होगा

होरा कB डली

अब आइए डढकाण चT बनान का िवचार करत ह

डठकाण ndash 90 अश का एक डढकाण होता ह इस कार एक रािश म तीन डढकाण lsquo 1 स 10 अश तक थम डढकाण 11 स 20 अश तक ितीय डढकाण और 21 स 30 अश तक ततीय डढकाण समझना

157

चािहए िजस िकसी क थम डढकाण म 5ह हो तो उसी रािश का ितीय डढकाण म उस रािश स पचम रािश का और ततीय डढकाण म उस रािश स नवम रािश का डढकाण होता ह सरलता स समझल क िलए डढकाण चT

डढकाण च2

अश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

20 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

30 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

ज म कamp डली म डढकाण कamp डली क िTया यह ह िक ल न िजस डढकाण म हो वही डढकाण कamp डली क ल न होगी 5ह - थापना करन क िलए - प_ ट 5ह क अनसार 2 यक 5ह का पथक पथक डढकाण िनकालकर 2 यक 5ह को उसक डढकाण रािश म - थािपत करना चािहए

उदाहरण ndash

ल न 4132547 अथा)त िसह रािश क 23 अश 25 कला और 28 िवकला ह

यह ल न िसह रािश क ततीय डढकाण ndash मष रािश क हbई अतएव डढकाण कamp डली का ल न मष होगा 5ह क िलए 2 यक 5ह का - प_ ट मान िलया जसा िक सभी 5ह होरा कamp डली म - प_ ट सय) 0101268 वष रािश का 0 अश 26 कला 87 िवकला ह वष म 90 अश तक थम डढकाण वष रािश का ही होता ह अत च मा वष रािश म िलखा जायगा मगल 2129142145 िमथन रािश का 21 अश 52 कला और 45 िवकला ह िमथन रािश म 21 अश स ततीय डढकाण का ार भ होता ह अत मगल िमथन क ततीय डढकाण क भ म िलखा जायगा इसी कार बध धन रािश का गf मीन रािश का शT विhक रािश का शिन िमथन रािश का राहb कक) रािश का और कत मकर रािश का माना जायगा

डढकाण कB डली च2

158

अब आइए स तमाश चT तथा उनक - वामी का िवचार करत ह

य स तमाश अ2 य त उपयोगी होत ह कर रािश क स तमाश जातक उ5 - वभाव का होगा और सौम य रािश म उ2 प न जातक उ5 - वभाव का होगा जातक सौ य कित का होगा

P तमाश च2

ल न कलािद रािश - वामी मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

4 18 8 रािश वामी

1

8

2

10 श

5

12

7

2

9

4

11 श

6

9 34 19 रािश वामी

2 श

9

4

11

9

1 म 8

9

3

10

5

8

12 51 25 रािश वामी

3

10

5

12

7

2

9

4 च

11

6

1

8

16 9 34 रािश वामी

4 च

11

6

1 म

9

3

10

4 स

12

8

2 श

9

21 25 42 रािश वामी

5 स

12

7 श

2

9

4

11

6 ब

1

9

3

10 श

15 42 51 रािश वामी

6 म

1

8

3

10 श

5 स

12

7 श

2

9

4 च

11 श

30 0 0 रािश वामी

8 श

2

9

4

11

6

1

9 म

3

10 श

5

12

159

उदाहरण ndash 4132426 िसह रािश क 23 अश 25 कला 26 िवकला ह िसह रािश म 21 अश 24 कला 42 िवकला तक का पाचवा स तमाश होता ह पर हमारी अिभ_ ट ल न इसस आग ह अत छठा स तमाश क भ रािश माना जायगा इसिलए स तमाश कamp डली का ल न मकर हागा 5ह - थापन क िलए 2 यक 5ह क - प_ ट मान स िवचार करना चािहए सय) 019016134 ह मष रािश म 8 अश 34 कला 16 िवकला तक ितीय स तामश होता ह और इसस आग 12 अश 51 कला 24 िवकला तक ततीय स तमाश होता ह सय) यहा पर ततीय स तमाश िमथन रािश का हbआ च मा 102847 वष रािश क 0 अश 26 कला और 47 िचकला तक ततीय स तमाश 4 अश 16 कला 8 िवकला तक ह अत- च मा वष रािश का थम स तमाश विhक का हbआ इस कार मगल का स तमाश रािश विhक बध क क या गf क िमथन शT क क भ शिन क कक) राहb क मीन और कत क क या स तमाश हbई चिक होरा चT म सभी - प_ ट 5ह को िनयम क अ तग)त दशा)या गया ह

सP तमाश कB डली च2

नवमाश कB डली िवचार तथा उनक वामी ndash

धन मष और िसह रािशय क नव नवमाश मषािद नव रािशया वष क या और मकर रािशय क नव नवमाश मकरािद नव रािशया िमथन तला और क भ रािश क नव नवमाश तलािद नव रािशया तथा कक) विhक और मीन रािशय क नव नवमाश कका)िद नव रािशया होती ह रािश का नवमाश 308 mdash3rsquo120rsquo होता ह एक रािश म 3rsquo120rsquo क नौ खamp ड होत ह इस 2 यक खamp ड को नवमाश या नवाश कहत ह अत मषािद रािशय म Tम स मष मकर तला और कक) य थम नवाश रािशया ह इनमम ारम भ होकर Tमश नौ रािशय का नवाश होता ह

नवमाश च2

नवमाश मष िसह धन वष क यामकर िमथन तला कQ भ

कक वि6क मीन

160

1 - 3020rsquo मष मकर तला कक)

2 -6020rsquo वष क भ विhक िसह

3 -10020rsquo िमथन मीन धन क या

4- 13020rsquo कक) मष मकर तला

5 16020rsquo िसह वष क भ विhक

6- 20020rsquo क या िमथन मीन धन

7 -23020rsquo तला कक) मष मकर

8 -26020rsquo वि6क िसह वष कQ भ

9- 30020rsquo धन क या िमथन मीन

उदाहरण ndash

ल न - प_ ट ndash 4232528 ह इस नवमाश चT म दखन स िसह का आठवा नवमाश हbआ अतएव नवमाश कamp डली क ल न रािश विhक ह िसह क आठव नवमाश क रािश विhक हा

नवमाश कB डली च2

5ह क - थापना क िलए िवचार िकया तो सय) 0906134 ह इस नवमाश बोधक चT म दखा तो यह मष क रािश का हbआ अत कक) म सय) को - थािपत िकया गया च मा 901647 ह चT म दखन स यह वष क थम नवमाश मकर रािश का होगा इसी कार होरा कamp डली म सभी 5ह क - प_ ट हो िलखा गया ह इसक अनसार मगल मष का बध विhक का गf क भ का शT क भ का शिन धन

161

का राहb क या का और कत मीन रािश का िलखा जायगा चर रािश का पहला नवमाश ि-थर रािश का पाचवा और ि- वभाव रािश का अितम वग[तम नवाश होत ह रािश का - वय का नवाश वग[2 तम कहलाता ह वग[2 त- थ 5ह अ2 य त शभव होत ह नवमाश तािलका जो दी गई ह इसस अथा)त पचम नवमाश और ि- वभाव रािशय क अितम नवमाश वग[2 तमाश होत ह नवमाश बोधक सारणी स यह भी - प_ ट होगा िक मष मकर तला और कक) रािशय क थम नवमाश रािशय Tमश य ही रािशया ह इसिलए मषािद चर रािशय म थम नवमाश Tमश य ही रािशया ह इसीिलए मषािद चर रािशय म थम नवमाश वग[2 तम होता ह इस कार वष क भ विhक और िसह ि-थर रािशय का 5 वा नवमाश Tम स इ हS रािशय का होन स ि-थर रािश का मV य या पk जम नवाश वगो2 तम होता ह ि- वभाव रािशय िमथन मीन धन और क या रािशय म अितम अथा)त नवा नवमाश इ हS रािशय का होन स यह अितम नवमाश वग[2 तम होगा अत यह बात जानना चािहए िक वग[त तमाश 5ह सवा)िधक शभ होत ह एव अk छ फल को दत ह

74 2ादशाश क3 डली िवचार

दशमाश एकरािश म दश दशमाश होत ह 30rsquo10 ndash3rsquo का एक दशमाश होता ह िवषम रािश म उसी रािश स और सम रािश म नवम रािश स दशमाश क गणना क जाती ह दशमाश कamp डली बनान का िनयम यह ह िक ल न - प_ ट िजस दशमाश म वही दशमाश कamp डली का ल न माना जायगा और 5ह - प_ ट ारा 5ह को gtात करक िजस दशमाश का जो 5ह हो उस 5ह को उस रािश म - थापन करन स जो कamp डली बनगी वही दशमाश कamp डली होगी दशमाश चT तथा इसक - वामी जानन क िलए िन निलिखत चT स - प_ ट हो जायगा

रािशया

दशमाश

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क या

तला

विक धन

मकर

क भ

मीन

1 ndash 3000 1

10

3

23

5

2

7

4

9

6

11 श 8

2 ndash 6000 2

11

4

1

6

3

8

5

10

8

12

9

3 ndash 9000 3

12

5

2

8

4

9

6

11

8

1

10

162

4 ndash 12000 4

1

6

3

8

5

10

7

12

9

2

11 श

5 ndash 15000 5

2

7

4

9

6

11

9

1

10 श

3

12

6 ndash 28000 6

3

8

5

10

7

12

9 ब 2

11 स

4

9

7 ndash 21000 7

4

8

6

11

9

1

10

3

12 ब

5

2 श

8 ndash 24000 8

5

10

7

12

9

2

11

4

1

3

3

9 ndash 27000 9

6

11

8

1

10

3

12

5

2

7

4

10 ndash 30000 10

7

12 ब

9 ब

2

11

4

1

6

3

8

5

उपयP त चT म दशमाश रािशय क अक और दशमाश शष िलख गय ह

सभी 5ह का - प_ ट िन निलिखत ह - प_ ट ल न 4132528 - प_ ट सय) 010834 - प_ ट च 1102648 - प_ ट चT मग 2215245 - प_ ट बध 01232939 - प_ ट चT 324832 - प_ ट चT 99232090 - प_ ट शिन राहb 3555 कत 88515 हा - प_ ट ल नानसार दशमाश चT म दखा जाता ह तो िसह रािश म आठवा दशमाश मीनरािश का िमला अत दय क - वामी बह- पित हbए इस कार दशमाश - वामी को जानना चािहए

पराशर न िवषम रािश क दशमाश क - वामी Tम स इ अिन यम राltस वfण म- त कबर ईशान ~ा और अन त इन दश िड पाल को माना ह सम रािश क दशमाशश t य2 Tम (िवपरीतTम) स इन दश िद पाल को माना ह िक त पाराशर का यह मत अ य िवान क ारा - वीकार नहS िकया ह

163

उदाहरण ndash

- प_ टल न ndash 4232527 इस दशमाश चT म दख तो िसह म आठवा दशमाश मीन रािश का िमला अत दशमाश कamp डली को ल न रािश मीन होगी 5ह क - थापन क िलए सय) 010834 का दशमाश मष का चौथा हbआ अथा)त सय) दशमाश कamp डली म कक) रािश म ि-थत हग इसी कारच मा क दशमाश रािश मकर मगल क मकर बX क विhक शT क िमथन शिन क िसह राहb क िमथन और कत क धन रािश दशमाश चT म होगा

दशमाश कB डली

अब आइए ादशाश कamp डली पर िवचार करत ह

ादशाश ndash एक रािश का ादशाश ndash 9 रािश92 ndash 30092 - 2030 यह एक ादशाश का मान ह एक रािश म इतन ही मान क 12 भाग या ादशाश होत ह रािश क थम ादशाश पर उसी रािश का अिधकार होता ह ितीय ादशाश पर उस रािश स दसरीरािश का ततीय ादशाश पर उस रािश स ततीय रािश का एव दशव ादशाश पर उस रािश स दसवी रािश का अिधकार होता ह तथा उन ादशाश रािशय क - वामी तद ादशाश क - वामी होत ह जस मष रािश म थम ादशाश मष रािश का और उसका - वामी मगल थम ादशाश दसरा ादशाश वष रािश का और उसक - वामी शT ितीय ादशाश का - वामी होगा - प_ ट 5ह एव ल न 4232527 - प_ ट सय) 0106134 च - प_ ट 1012647 मगल - प_ ट 2295245 बX - प_ ट 012312931 - प_ ट गf 324632 - प_ ट शT 11232010 - प_ ट शिन 27745 - प_ ट राहb 39515 - प_ ट कत 88515 इ हS - प_ ट 5ह क आधार पर यहा उदाहरण बनाकर ादशाश चT बनाया गया ह

9ादशाश च2

रािशया

दशमाश मष

वष

िमथ

कक

िसह

क य

तला

वि

धन

मकर

क भ

मीन

1 ndash 2000 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

164

म श

ब ब श म

2 ndash 5000 2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

3 ndash 7000 3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

2 श

4 ndash 10000 4

5

6

7

8

9

10

11

12

1

2

3 श

5 ndash 12000 5

6

7

8

9

10

11

12

1

2 श 3

4

6 ndash 15000 6

7

8

9

10

11

12

1

2

3 श 5

6

7 ndash 18000 7

8

9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

8 ndash 20000 8

9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

7

9 ndash 20000 9

10

11

12

1

2

3

4

5

6

7

8

10 ndash 25000 10

11

12 ब

1

2

3

4

5

6

7

8

9

11 ndash 29000 11

12

1 ब

2 ब 3

4

5

6

7

8

9

10

12 ndash 30000 12

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

165

उदाहरण ndash ल न 4232527 ह ादशाश बोधक चT म दखन पर िसह म दसवा ादशाश चT वष

रािश का ह अत ादशाश कamp डली क ल न वष रािश होगी 5ह - थापन पहल क समान ही करना चािहए

9ादशाश कB डली

75 षोडशाश क3 डली िवचार

षोडशाश च2 ndash एक रािश म 16 षोडशाश होत ह एक षोडशाश 1 अश 52 कला 30 िवकला का ह

षोडशाश क गणना चर रािशय म मषािद स ि-थर रािशय म िसहािद स और ि- वभाव रािशय म धन रािश स क जाती ह षोडशाश कamp डली क बनान क िविध यह ह िक ल न - प_ ट िजस षोडशाश म आया हो वही षोडशाश कamp डली का ल न माना जायगा और 5ह क - प_ ट क अनसार 5ह - थािपत िकय जायग

षोडशाश बोधक च2

चर

मष कक तला मकर

िथर

वष िसह वि6क कभ

ि9 वभाव

िमथन क या धन मीन

अशािद

1 5 9 1052rsquo30rsquorsquo

2 6 10 3045rsquo0rsquorsquo

166

3 7 11 5036rsquo30rsquorsquo

4 8 12 7030rsquo0rsquorsquo

5 9 1 8052rsquo30rsquorsquo

6 10 2 11022rsquo30rsquorsquo

7 11 3 13015rsquo10rsquorsquo

8 12 4 1508rsquo30rsquorsquo

9 1 5 1600rsquo0rsquorsquo

10 2 6 18045rsquo0rsquorsquo

11 3 7 19036rsquo30rsquorsquo

12 4 8 20030rsquo0rsquorsquo

1 5 9 22022rsquo30rsquorsquo

2 6 10 24015rsquo30rsquorsquo

3 7 11 2807rsquo30rsquorsquo

4 8 12 3000rsquo0rsquorsquo

उदाहरण -

ल न 4232527 ह ल न िसह रािश क होन क कारण ि-थर कहलायगी िसह क 23 अश 25 कला 26 िवकला 13 वा षोडशाश होगा िजसका रािश िसह ह अत यहा षोडशाश कamp डली क ल न रािश िसह होगी 5ह क राH यािद को भी षोडशाश चT म दखकर षोडशाश रािश म - थािपत कर दना चािहए

167

षोडशाश कB डली

षोडशाश च2 िवचार ndash (िवषयम रािशय म)

मष िमथन िसह तला धन और क भ म पहला 5 अश मगल का दसरा 5 अश शिन का तीसरा 8 अश बह- पित का चौथा 8 अश बध का और पाचवा 5 अश शT का िशाश होता ह ता2 पय) यह ह िक उपयP त िवषम रािशय म यिद कोई 5ह एक स 5 अश पय) त रह तो मगल क िशाश म कहा गया ह छठ स दसव अश तक रह तो शिन क दसव स अठारहव अश तक रह तो बह- पित क उ नीसव स पk चीसव अश तक रह तो बध क और छK बीसव स तीसव अश तक रह तो शT क िशाश म वह 5ह कहा जायगा

िवषम रािश का ि)शाश च2

मष िमथन िसह तला धन कQ भ अश

1 म 1 म 1 म 1 म 1 म 1 म 1 स 5 तक

11 श 11 श 11 श 11 श 11 श 11 श 6 स 10 तक

9 9 9 9 9 9 11 स 19 तक

3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 3 ब 19 स 18 तक

8 श 8 श 8 श 8 श 8 श 8 श 16 स 30 तक

168

(समरािशय म) ndash वष कक) क या विhक मकर और मीन म पहला 5 अश तक शT का दसरा 8 अश तक बध का तीसरा 9 अश तक मगल का िशाश होता ह रािश पXित क अनसार िवषम रािशय म 5 अश तक मष का 90 अश तक कभ का 19 अश तक धन का 25 अश तक िमथन का और 30 अश तक तला का िशाश होता ह िशाश कamp डली भी पव)वत बनायी जायगी

उदाहरण ndash ल न 4232527 िसह रािश क 23 अश 25 कला 28 िवकला ह का िशाश

कहलायगा िशाश कamp डली का ल न िमथन होगा सय) 0110734 मष रािश क 10 अश क 7 कला 34 िवकला ह मष रािश म 10 अश स आग 19 अश तक धन रािश का िशाश होता ह अत सय) धन रािश का होगा

समरािश ि)शाश च2

वष कक) क या विhक मकर मीन अश

2 श 2 श 2 श 2 श 2 श 2 श 1 स 5 तक

6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 ब 6 स 12 तक

12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 12 ब 13 स 20 तक

10 श 10 श 10 श 10 श 10 श 10 श 21 स 25 तक

9 म 9 म 9 म 9 म 9 म 9 म 26 स 30 तक

ि)शाश कB डली

169

ष टशाश च2 िवचार

एक रािश म 60 प_ टशाश होत ह अथा)त 30 कला का एक ष_ ठशाश होता ह िजस 5ह या ल न का _ _ ठयाश साधन करना हो तो उस स5ह क रािश का छोडकर अश क कला बनाकर आग वाली कलाओ को उसम जोड दना चािहए इन योगफल वाली कलाओ म 30 का भाग दन स जो लिKध आव उसम एक और जोड़ द इस योगफल को आग िदय ष_ टाश बोधक चTrsquorsquo म दखन स ष_ ठश क रािश िमल जायगी िवषम रािश वाल 5ह का दवताश क नीच और सम रािश वाल का सम दवताश क नीच िमलगा उदाहरण

ल न 4232526 - प_ ट सय) 010834 - प_ ट मगल 2295245 - प_ ट बध 0232139 - प_ ट गf 324732 - प_ ट शT 11232010 - प_ ट शिन 266145 - प_ ट राहb 838515 - प_ ट कत 88515 H हा पर - प_ ट ल न क रािश को छोडकर अश को कला बनायी तो 23times60 =138015 ndash 1405 divide30 = 47 लिKध आया और शष 25 हbआ चिक लिKध 46 म 9 और जोड़ा ndash 469 = 47 वा पटयश हbआ चT म दखा तो िसह रािश का 47वा ष_ टयाश िमथन रािश का ह अत षटयश कamp डली का ल न िमथन होगा इस चT स िबना गिणत िकय भी षटयश का बोध को_ ठक क अ त स िदय गय अशािद क ारा िकय जा सकत ह - तत ल न िसह क 23 अश 25 कला ह अत को_ ठक म 23 अश क आग ह 2330 वाल को_ ठक म िसह क नीच िमथन िलखा गया ह अत षटयाश ल न िमथन होगा 5ह क - थापन भी इसी कार करना चािहएा

ष टयश कB डली

170

षटयश बोधक च2

िवषय

दवता

स य

मष

वष

िमथन

कक

िसह

क य

तला

वि13

धन

मकर

क भ

मीन

अश

सम

दवता

घोर

1 1 2

3 4

5 6 7 8 9 10 11

12 030 इ दरखा

रास 2 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 10 मण

दव 3 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 230 13योिध

कबर 4 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 20 सधा

5 5 6

7

8 9 10 11 12 1 2 3 4

330 अितशीतल

िक नर 6 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 30 र

ट 7 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 430 सौ य

कल न 8 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 40 िनमल

गरल

9 9 10

11

12 1 2 3 4 5 6 7 8

530 द डायध

अि न

10 10 11

12

1 2 3 4 5 6 7 8 9

50 कालाि न

माया 11 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 630 13वीन

13तपरीष

12 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

60 इमख

अपापित

13 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

730 टकराल

दवगणश 14 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 70 शीतल

काल 15 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 830 मद

अिहभाग 16 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 80 सौ य

अमत

17 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

930 काल(प

च 18 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 90 पातक

मश

19 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6

1030 वशय

कोमल 20 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 100 कलना

171

हर ब

21 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

1130 िवष13द ध

0ा

22 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9

110 पणच

िव ण 23 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 1230 अमत

मह1 वर 24 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 120 सधा

दव

25 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

1330 कपटक

आ 26 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 130 यम

किलनाश 27 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 1430 घोर

ि3ती1 वर

28 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3

140 दावाि न

कमलाकर 29 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 1530 काल

मा दी 30 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 150 म5 य

म5 य 31 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 1630 मा दी

काल

32 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7

160 कमलाकर

दावाि न

33 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

1730 ि3ती1 वर

घोर

34 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9

170 किलनाश

यम 35 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 1830 आ

कपटक 36 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 180 दव

सधा

37 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12

1930 मह1 वर

अमत 38 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 190 िव ण

पणच 39 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 2030 0ा

िवष13द ध 40 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 200 हर ब

कलनाश

41 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

2130 कोमल

वशय 42 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 210 मश

172

पातक 43 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 2230 अमत

काल(प 44 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 220 च

सौम य

45 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8

2330 अिहभाग

मद 46 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 230 काल

शीतल

47 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

2430 दवगणश

टकराल

48 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

240 अपापित

इमख 49 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 2530 माया

13वीन

50 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1

250 13तपरीष

कालाि न 51 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 2630 अि न

द डायध 52 4 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 260 गरल

िनमल 53 5 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4

2730 कल न

सौ य 54 6 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 270 ट

र 55 7 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 2830 िक नर

अितशीतल 56 8 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 280 य

सधा 57 9 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 2930 कबर

योिध 58 10 11 12 1 2 3 4 5 6 7 8 9 290 दव

)मण 59 11 12

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

3030 रास

इ दरखा 60 12

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11

300 घोर

78 पाampरजात आिद वशिषकाशिवचार

पा]रजा तािद gtान करन क िलए पहल दशवग) चT बना लना चािहए इस चT क िTया यह ह िक पहल जो होए डढकोण - तमाश आिद बनाय ह उ ह एक साथ िलखकर रख लना चािहए इस चT म जो 5ह अपन वग) अितिम क वग) या उk च क वग) म हो उसक - वltा)िद वगYसgtा होती ह िजस ज मपी म दो 5ह - वltा)िद वगY ह उनक प]रजात सgtा तीन क उ2 तम चार क गोपर पाच क

173

िसहासन छह क परावत सात क दवलोक आठ क ~लोक नौ क ऐरावत और दश क Bीनाथ सgtा होती ह

2

3

4

5

6

7

8

9

10

वग)

वगyP य

प]रजात

उ2 तम

गोपर

िसहासन

पारावत

दवलोक

दलोक

ऐरावत

Bीनाथ

योग िवशष

योग िवशष

अपन अपन - व5ह उk च मल िकोण अपन वग) म 5ह हो तो वग[2 तम- थ कहलात ह इन वग[2 तम क योग स वशिषकाश होत ह दश वगv म यिद 5ह क तीन वग) उसक अपन हो तो 5ह उ2 तमाश म कहलाता ह चार वग) यिद 5ह क अपन हो तो वह 5ह गोपर नामक वशिषकाश म कहलाता ह पाच वग) यिद 5ह क अपन वग) हो तो वह 5ह िसहासन नामक वशिषकाश- थ म कहत ह दो वग) यिद 5ह क अपन हो तो प]रजात नामक वशिषकाश- थ कहत ह छ वग) यिद उस 5ह क हो तो उस 5ह को पारावत नामक वशिषकाशगत कहत ह सात वग) यिद 5ह अपना वग) हो तो वह दवलोककाश- थ कहलाता ह यिद आठ उस 5ह का हो तो भी ~लोकाश म तथा यिद नववग) उसक हो तो वह ऐरावतर- थ कहलाता ह सात वग) यिद उसी 5ह क हो तो इस योग क दवलोक आठ वग) यिद उसी 5ह क हो तो ~लोक और दश वग) यिद उस 5ह क हो तो Bीधाम योग कहा ह पा]रजाताश म ि-थत 5ह जातक को B_ ठता अनक गण अथ) सख वभवािद दत ह उ2 तमाश- थ 5ह जातक को िवनय चातथ) नपamp य और आचारवान बनात ह गौपराश- थ 5ह जातक को बिXमान धिनक और भ पित बनाता ह तथा 5ह गोधन स स प न करता ह िसहासनाश- थ 5ह जातक को राजा का ि य पा अथवा राजा क समान वभवशाली बनाता ह परावताश- य 5ह जातक को अBव 5ह जातक का अBव गज रथािद राजकय वभवािद स स प न कराता ह दवलोकाश- थ 5ह स2 कित)यP त अपन सदगण किलए िव^ यात राजा बनाता ह ऐरावताशस थ 5ह जातक को दवताओ स पिजत इ क समान राजा बनाता ह यिद 5ह Bीधाम योग बनाता हो तो वह सौभा य धनधा य एव स तित सख स स प न राजा बनाता ह

दशवग) क सभी वगv म यिद 5ह िनब)ल हो तो म2 यकारक नौ वग) म िनब)ल हो तो िवनाश कारक यिद आठवग) म िनब)ल हो तो क_ ट कारक यिद सातवग) म 5ह िनब)ल हो तो क_ ट कारक यिद सातवग) म 5ह िनब)ल हो तो दा]रा और िवपि9कारक छ वग) म िनब)ल हो तो ा]रा पाच वग) म िनब)ल हो तो - वजन का - नहदाता चार वग) म िनब)ल हो तो - वजन ब ध ndash बाधव म B_ ठ बनाता ह तीन वग) म िनब)ल 5ह धिनक BिD बनाता ह यिद मा एक वग) म िनब)ल होतो t यिJ को राजा बनाता ह

174

79 साराश

अब तो आप लोग सभी वगv को पण)तया fप स जान गय हग िफर भी यहा पर इस बात क जानकारी पण)तया fप स होनी चािहए िक फलादश का ाणत2 2 व य सभी वग) ह तथा इनक जानकारी पhात आप 5ह क प]रजात आिद वगv को जानकर मल स t यवहार म लायग तथा 5ह क बलाबल का िवचार करत हbए समाज क कA याण क भावना स उ2 तम फल का िववचन करग

710 नावली लघउ तरीय तथा उ तरमाला

1 जातक 5थ म सभी वगv क स^ या ह - (क) 12 (ख) 18 (ग) 19 (घ) 16

2 िवषम रािश म थम होरा होती ह - (क) मगल (ख) बX (ग) सय) (घ) च

3 एक रािश म डढकाण होत ह - (क) 3 (ख) 4

(ग) 5 (घ) 6 4 सम रािशय का स तमाश होता ह

(क) उसी रािश स (ख) उसस स तम रािश स

(ग) दसरी रािश स (घ) चौथी रािश स

5 मष िसह धन रािशय का नवमाश ार भ होता ह lsquo (क) मषािद स (ख) मकरािद स

(ग) तलािद स (घ) कका)िद स 6 िमथन तला क भ रािशय का नवमाश ार भ होता ह - (क) मषािद स (ख) मकरािद स

(ग) तलािद स (घ) कका)िद

7 एक दशमाश िकतन अश क होत ह

(क) 4 अश का (ख) 5 अश का

175

(ग) 3 अश का (घ) 2 अश का 8 षोडशाश कamp डली म चर रािशय क गणना क जाती ह (क) वषािद स (ख) मषािद स

(ग) िमथनािद स (घ) क यािद स 9 ादशाश कamp डली म एक ादशाश का मान होता ह (क) 2 अश 30 कला (ख) 3अश 40 कला

(ग) 6 अश 20 कला (घ) 3 अश 10 कला

10 िवषम िशाश म 9 स 5 अश क - वामी ह

(क) शिन (ख) गf (ग) मगल (घ) बX

उ तरमाला

1 घ 2 ग 3 क 4 ख 5 क 6 क 7 ग 8 क 9 ख 10 ग

711 श दावली

bull समरािश ndash वषभ कक) क या विhक मकर मीन

bull िवषम रािश ndash मष िमथन िसह तला धन कभ

bull अिन त2 2 व रािश ndash मष िसह धन

bull प वी त2 2 व रािश ndash वष क या मकर

bull वाय त2 2 व रािश ndash िमथन तला कभ

bull जल त2 2 व रािश ndash कक) विhक मीन

bull चर रािशया ndash मष कक) तला मकर

bull ि-थर रािशया ndash वष िसह विhक और क भ

bull ि- वभाव रािशया ndash िमथन क या धन मीन

bull पfष रािशया ndash मष िमथन िसह तला धन क भ

176

bull - ी रािशया ndash वष कक) क या विhक

bull मष रािश का िनवास ndash धात र2 न भिम

bull वष रािश का िनवास ndash पव)त िशखर

bull िमथन रा िश का िनवास ndash धत5ह रित 5ह कक) रािश का िनवास ndash वापी पोखर Tर रािशया ndash मष िमथन िसह तला धन क भ

bull सौ य रािशया ndash वष कक) क या विhक मकर मीन

bull दीघ) रािशया ndash िसह क या तला विhक

bull समरािशया ndash िमथन कक) धन मकर

bull t य रािशया ndash मष वष कभ मीन

bull शभ 5ह ndash च बX गf शT

bull पाप 5ह ndash शिन मगल राहb कत

bull Tर 5ह ndash सय)

bull दीपावली रािशया ndash िसह क या तला विhक कभ मीन

bull राि बली रािशया ndash मष वष िमथन कक) धन मकर

712 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष

लखक ndash नमीच शा- ी

2 जातक प]रणत t या^ याकार ndash Bीह]रशकर पाठक

177

इकाई 8

नवमाश स तमाश िशाश व ादशाश इकाई क सरचना

81 - तावना 82 उGH य 83 िवषय वश 831 नवमाश साधन 832 स तमाशसाधन 833 िशाश साधन 834 ादशाशसाधन 84 साराश 85 अL यासाथ) H न 86 शK दावली 89 सदभ) 5थ सची

81 तावना

इस इकाई म मा चार वग) ही दशा)या ह इसका आशय यह ह िक नवमाश कamp डली स पा]रवा]रक सख का तथा पित ndash पि2न क जीवन म होन वाल शभाशभ फल का िवचार िकया जाता ह तथा स तमाश कamp डली स प-पौािद सतित का िवचार िकया जाता ह िशाश चT सअ]र_ टािद का िवचार िकया जाताह यहवहपlt ह िजसस प]रवा]रक या सामािजक कोई अनहोनी (दख या िवपि9 ) न आ जाय िजस िक बहbत बड़ी परशानी का सामना करना पड़ इ हS िवषय का िवमश) िशाश चT स िकया जाता ह इसी कार ादशाश चT स माता ndash िपता क सख और सौ^ य का िवचार िकया जाताह अत यहा पर मा चार वगv क दशा)न मल त य यह भी ह िक चिक माता िपता - ी पािद प]रवार य सब मानव जीवन क म य अग ह इसिलए यहा पर इन वगv का िवचार करक इन इन प]रवा]रक t यिJय का िवH लषण िकया ह

82 उश य

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग - 1 स तमाश कamp डली क बार म जानकारी ा त करग 2 स तमाश कamp डली बनायग

178

3 िशाश कamp डली जानग 4 ादशाश कamp डली का साधन कर पायग

83 िवषय वश

वग) कampडिलय का अVययन विदक aयोितष का अ2यत मह2 2 वपण) अग ह वग) कampडिलय क मदद स जीवन क िवषय का गहन अVययन िकया जाता ह वग) कampडिलय क कल स^या 16 ह सोलह वग) कampडिलय क नाम इस कार स ह ndash

1 5ह 2 होरा 3 _काण 4 चतथाnश

5 समाश 6 नवाश 7 दशमाश 8 ादशाश

9 षोडशाश 10 िवशाश 11 चतिव)शाश

12 सिवशाश 13 िशाश 14 खवदाश

15 अltवदाश 16 षDयाश

वग कBडिलय क वग -

1 षड वग) - 5ह होरा _काण नवाश ादशाश और िशाश षड वग) म आत ह

स वग) - यिद षडवग) म समाश को जोड़ िदया जाए तो स वग) बन जाता ह

दश वग) - यिद स वग) म दशाश षोडशाश और षDयाश को जोड़ िदया जाए तो दश वग) बनता ह

िविभन वग) कampडिलय क साधन को समझन क िलए हम एक उदाहरण कampडली लत ह

5ह अश

लन 23002rsquo

सय) 08001rsquo

च 07014rsquo

मगल 17006rsquo

179

बध 25052rsquo

बह-पित 23027rsquo

शT 29031rsquo

शिन 26048rsquo

राहb 01023rsquo

कत 01023rsquo

नवाश साधन - जब एक रािश को नौ बराबर भाग म बाटा जाता ह तो मान आता ह 03020rsquo हर भाग

को नवाश कहा जाता ह नवाश कampडली अ2यत मह2 2 वपण) कampडली ह िजसस जम कampडली क 5ह क ताकत का अनमान लगाया जाता ह और साथ ही tयिJ क जीवन साथी और ववािहक जीवन का अVययन िकया जाता ह नवाश कampडली का साधन करन क िलए िनन सारणी स यह समझ लत ह िक िकस अश पर कौन सा नवाश आएगा

अश नवाश

1 00rsquo - 3020rsquo 1

2 08020rsquo-06040rsquo 2

3 6040rsquo-10000rsquo 3

4 10000rsquo-13020rsquo 4

5 13020rsquo-16040rsquo 5

6 16040rsquo-20000rsquo 6

7 20000rsquo-23020rsquo 7

8 23020rsquo-26040rsquo 8

9 26040rsquo-30000rsquo 9

नवाश कBडली साधन का िनयम-

1 अिन त2 2 व रािश म गणना मष स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन मष िसह या धन रािश म ह तो गणना मष स आरभ होगी

2 पवी त2 2 व रािश म गणना मकर स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन वषभ कया या मकर म ह तो गणना मकर स आरभ होगी

180

3 वाय त2 2 व रािश म गणना तला स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन िमथन तला या कभ म ह तो गणना तला स आरभ होगी

4 जल त2 2 व रािश म गणना कक) स आरभ होती ह अथा)त यिद 5ह या लन कक) विhक या मीन म होगी तो गणना कक) स आरभ होगी

लन तला ह और लन 23002rsquo अश पर ह 23002rsquo पर होन स सातवा नवाश चल रहा ह हमार िनयमानसार तला क िलए गणना तला स ही आरभ होगी तला स सात नवाश िगनन पर आया मष अत नवाश लन होगी मष

सय) कया रािश म 8001rsquo पर ह अत वह तीसर नवाश पर ह कया पवी त2 2 व रािश ह इसिलए िगनती मकर स आरभ होगी मकर स तीन नवाश आग अथा)त मीन नवाश कampडली म सय) मीन रािश म हग

चमा तला रािश म 7014rsquo पर ह चमा का नवाश हbआ तीसरा वाय त2 2 व रािश म होन क कारण गणना तला स आरभ होगी तला स तीन नवाश आग हbई धन रािश इस िलए नवाश कampडली म चमा धन रािश म रहग

मगल कया रािश म 17006rsquo पर ह इस कार मगल छठ नवाश पर ह कया रािश पवी त2 2 व रािश ह अत गणना मकर स आरभ होगी मकर स 6 नवाश आग अथा)त मगल िमथन म हग

बध 25052rsquo अश पर कया रािश म ह बध आठव नवाश म ह और पवी त2 2 व रािश म ह मकर स गणना आरभ करन पर नवाश कampडली म बध िसह रािश म हग

बह-पित तला रािश म 23027rsquo पर ह बह-पित आठव नवाश पर ह तला रािश होन स गणना तला स ही आरभ होगी तला स आठ नवाश आग रािश होगी वषभ इसिलए बह-पित नवाश कampडली म वषभ रािश म हग

शT िसह रािश म 29031rsquo पर ह शT नव नवाश म ह अिन त2 2 व रािश म होन स गणना मष स आरभ होगी इसिलए नवाश कampडली म शT धन रािश म हग

शिन 26048rsquo पर कक) रािश म ह शिन 9व नवाश म ह और जल त2 2 व रािश होन स गणना कक) स आरभ होगी इसिलए नवाश कampडली म शिन मीन रािश म हग

राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह य पहल नवाश म ह और जल त2 2 व रािश होन स गणना कक) स आरभ होगी अत राहb नवाश कampडली म कक) रािश म हग

कत 01023rsquo पर कया रािश म ह य पहल नवाश म ह और पवी त2 2 व रािश म होन स गणना मकर स आरभ होगी इसिलए कत नवाश कampडली म मकर रािश म हग

181

सLमाश

जब एक रािश को सात बराबर भाग म बाटा जाता ह तब वह समाश कहलाता ह सात बराबर भाग म बाटन पर एक भाग का मान आएगा 4017rsquo िनन सारणी स हम समाश क गणना को समझ सकत ह -

अश स तमाश

1 00rsquo - 4017rsquo 1

2 04017rsquo-08032rsquo 2

3 08032rsquo-12051rsquo 3

4 12051rsquo-17008rsquo 4

5 17008rsquo-21025rsquo 5

6 21025rsquo-25042rsquo 6

7 25042rsquo-30000rsquo 7

समाश साधन का िनयम यह ह िक िवषम रािश होन पर गणना उसी रािश स करत ह और यिद सम रािश ह तो गणना उस रािश स सम रािश स करग

हमार उदाहरण कampडली म लन 23002rsquo क ह अत यह छठा समाश ह

bull तला लन ह अत िवषम रािश होन स गणना तला स ही होगी तला स गणना होन पर मीन रािश आएगी अत समाश लन होगी मीन

bull सय) 08001rsquo पर ह अत समाश हbआ दसरा सय) क रािश ह कया कया सम रािश ह अत उस रािश स होगी जो कया रािश ह सम ह अथा)त मीन मीन स दसरी रािश होगी मष अत समाश कampडली म सय) मष रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह समाश हbआ दसरा और रािश ह िवषम तला स दो रािश आग ह विhक इसिलए समाश कampडली म चमा विhक रािश म हग

182

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह समाश ह चौथा और रािश ह सम अत गणना कया स सातवS रािश मीन स आरभ होगी मीन स चार रािश आग ह िमथन अत समाश कampडली म मगल िमथन म रहग

bull बध कया रािश म 25052rsquo पर ह इस कार वह छठ समाश म ह गणना मीन रािश स होगी मीन स छठी रािश होगी कया अत समाश कampडली म बध कया रािश म हग

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह यह छठा नवाश ह िवषम रािश होन स गणना तला स आरभ होगी तला स छठी रािश ह मीन अत समाश कampडली म बह-पित मीन रािश म हग

bull शT 29031rsquo पर िसह रािश म ह शT सातव समाश पर ह िवषम रािश होन स गणना िसह स ही आरभ होगी िसह स सातवS रािश ह कभ अत समाश कampडली म शT कभ रािश म रहग

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह समाश ह पहला और सम रािश म होन क कारण गणना मीन स सातवS रािश कया स होगी पहला ही समाश होन स राहb समाश कampडली म कया रािश म हग

bull कत कया रािश म ह गणना कया स सम मीन स होगी पहला समाश होन स कत समाश कampडली म मीन रािश म हग

ि)शाश साधन

जब एक रािश को तीस बराबर िह-स म बाटा जाता ह तो हर एक िह-स को िशाश कहत ह िवषम रािशय यािन मष िमथन िसह तला धन और कभ म पहल 5rsquo तक मगल का दसर 5rsquo तक शिन का तीसर 8rsquo तक बह-पित का चौथ 7rsquo तक बध का और पाचव 5rsquo तक शT का िशाश होता ह इस िनन सारणी स समझन का यास करत ह

183

िवषम रािश क ि)शाश कBडली

मष िमथन िसह तला धन कभ अश

1 1 1 1 1 1 1-5

11 11 11 11 11 11 6-10

9 9 9 9 9 9 11-18

3 3 3 3 3 3 19-25

7 7 7 7 7 7 26-30

सम रािश यािन वषभ कक) कया विhक मकर और मीन म पहल 5 अश तक शT का दसर 7rsquo तक बध का तीसर 8rsquo तक बह-पित का चौथ 5rsquo तक शिन का और पाचव 5rsquo तक मगल का िशाश होता ह इस िनन सारणी स समझा जा सकता ह

सम रािश क ि)शाश कBडली

वषभ कक) कया विhक मकर मीन अश

2 2 2 2 2 2 1-5

6 6 6 6 6 6 6-12

12 12 12 12 12 12 13-20

10 10 10 10 10 10 21-25

8 8 8 8 8 8 26-30

हमार उदाहरण म लन तला ह और 23002rsquo पर ह िवषम रािश क सारणी स -प( ह िक 19-25 क बीच अश होन पर िशाश होगा िमथन अत िशाश कampडली िमथन होगी

bull सय) कया रािश म 08001rsquo पर ह सम रािश क सारणी स -प( ह िक 6-12 अश होन पर कया िशाश होगा अत िशाश कampडली म सय) कया रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह सारणी क अनसार 6-10 अश क मVय कभ का िशाश हगा अत िशाश कampडली म चमा कभ रािश म हग

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह सारणी क अनसार सम रािश म 13-20 अश पर मीन िशाश ह अत मगल िशाश कampडली म मीन रािश म हग

bull बध 25052rsquo पर कया रािश म ह सम रािश क सारणी क अनसार 26-30 अश विhक िशाश म हग अत िशाश कampडली म बध विhक रािश म हग

184

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह िवषम रािश म 19-25 अश पर िमथन रािश होती ह अत िशाश कampडली म बह-पित िमथन रािश म हग

bull शT 29031rsquo पर ह िसह रािश म ह िवषम रािश क सारणी क अनसार 26-30 अश पर तला रािश का िशाश होगा अत शT तला म रहग

bull शिन 26048rsquo पर मीन रािश म ह सम रािश क सारणी म 26-30 अश पर विhक िशाश होता ह अत शिन िशाश कampडली म विhक रािश म हग

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह सम रािश म 1-5 अश तक वषभ िशाश रहगा अत िशाश कampडली म राहb वषभ रािश म रहग

bull कत 01023rsquo पर कया रािश म ह सम रािश होन स वषभ िशाश रहगा अत कत वषभ रािश म रहग

9ादशाश कB डली

जब एक रािश को बारह भाग म िवभािजत िकया जाता ह तो 2यक भाग का मान 02030rsquo होता ह िजस ादशाश कहत ह ादशाश साधन म गणना उसी रािश स आरभ क जाती ह िनन सारणी स ादशाश का िवभाजन समझा जा सकता ह

अश नवाश

00rsquo00 - 02030rsquo 1

02030rsquo - 05000rsquo 2

05000rsquo - 07030rsquo 3

07030rsquo - 10000rsquo 4

10000rsquo - 12030rsquo 5

185

12030rsquo - 15000rsquo 6

15000rsquo - 17030rsquo 7

17030rsquo - 20000rsquo 8

20000rsquo - 22030rsquo 9

22030rsquo - 25000rsquo 10

हमारी उदाहरण कampडली म तला लन 20002rsquo पर ह अत यह दसवा ादशाश ह तला स गणना करन पर रािश आती ह कम) अत ादशाश लन होगी कक)

bull सय) 08001rsquo पर कया रािश म ह चौथ ादशाश म होन स सय) ादशाश कampडली म धन रािश म हग

bull चमा 07014rsquo पर तला रािश म ह तीसर ादशाश म होन स चमा ादशाश कampडली म धन रािश म हग

bull मगल 17006rsquo पर कया रािश म ह सातव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म मगल मीन रािश म हग

bull बध 25052rsquo पर कया रािश म ह यारहव ादशाश म होन स बध ादशाश कampडली म कक) रािश म हग

bull बह-पित 23027rsquo पर तला रािश म ह दसव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म बह-पित कक) रािश म हग

bull शT 29048rsquo पर कक) रािश म ह बारहव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म शT कक) रिश म हग

bull शिन 26048rsquo पर कक) रािश म ह यारहव ादशाश म होन स ादशाश कampडली म शिन वषभ रािश म हग

186

bull राहb 01023rsquo पर मीन रािश म ह पहल ादशाश म होन स राहb मीन म ही रहग

bull कत 01023rsquo पर कया रािश म ह पहल ादशाश म होन स कत कया रािश म ही रहग

84 साराश

अब तो आप लोग नवमाश स तमाश िशाश एव ादशाश कamp डली क बार म जान गय होग िफर भी इन कamp डिलय क अV ययन क पhात आपको पा]रवा]रक तथा समाजकत फल को पण) fपण t यवहार म लायग तथा इसका िनदान भी कर पायग इसिलए इन चार वगv का अV ययन मह2 2 वपण) ह साथ ही प वी त2 2 व वायत2 2 व एव जल त2 2 व वाली रािशय स होन वाल शभाशभ फल क जानकारी आपको िमलगी एव इसका पण) gtान करग

85 अ यासाथ न

1 षड़वग) म स तमाश कायागकरन स होता ह

(क) दशवग) (ख) स तम वग) (ग) ादशवग) (घ) षोडश वग)

2 स तम वग) म दशमाश षोडशाश षटयश का योग करन पर होगा

(क) दशवग) (ख) स तम वग) (ग) ादशवग) (घ) षोडश वग)

3 6 अश 40 कला िकस नवमाश क भाग ह

(क) थम नवमाश क (ख) ितीय नवमाश क

(ग) ततीय नवमाश क (घ) चतथ) नवमाश क

4 तीसरा स तमाश होता ह

(क) 4 अश 18 कला 8 िवकला का

(ख) 8 अश 34 कला 17 िवकला का

(ग) 12 अश 51 कला 24 िवकला का

(घ) 18 अश 8 कला 34 िवकला का

4 समरािश म 1 स 5 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) बह- पित

(ग) शिन (घ) शT

187

5 िवषम रािश म 6 स 10 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) मगल

(ग) शिन (घ) गf

6 सम रािश म 1 स 5 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) बX (ख) मगल

(ग) शिन (घ) गf

7 सम रािश म 16 स 30 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) मगल (ख) शT

(ग) बX (घ) गf

8 सम रािश म 6 स 12 अश तक िकस 5ह का िशाश होता ह

(क) मगल (ख) शT

(ग) बX (घ) गf

9 कल िकतन वग) होत ह

(क) 6 वग) (ख) 7 वग)

(ग) 10 वग) (घ) 16 वग)

86 श दावली

bull समरािश ndash वषभ कक) क या विhक मकर मीन

bull िवषमरािश lsquo मष िमथन िसह तला धन क भ

bull अिन त2 2 व रािश ndash मष िसह धन

bull प वी त2 2 व रािश ndash वष क या मकर

bull वाय त2 2 व रािश ndash िमथन तला क भ

bull जल त2 2 व रािश ndash कक) विhक मीन

188

89 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष लखक नमी च शा- ी 2 जातक पा]रजात t या^ याकार ndash Bी ह]रशकर पाठक

189

इकाई - 9

िववाह योग म) जमपिका िमलान का मह+व इकाई सरचना

91 -तावना 92 उGHय 93 िवषय वश

931 िववाह-योग 932 िववाह ितब धक योग 933 म िववाह योग

94 िववाह हत जमपी िमलान का मह|व 95 मलापक रह-य 96 गणिमलान का आधार 97 िववाह म मङगलयोग का िवचार तथा उसक प]रहार

971 मगल दोष क प]रहार 98 िववाह का िनण)य करत समय बह-पित का िवचार कर या नहS 99 कया क िववाह म िवलबदोष का प]रहार 910 मलापक सा]रणी क योग हत आवHयक िनदyश 911 साराश 912 शK दावली 913 अित लघ9रा2मक B 914 लघ9रा2मक B 915 सदभ) 5थ 916 फिलत म परमोपयोगी 5हw(यािद चT 917 मलापक सा]रणी - ादश पDीय

91 तावना

a योितष शा- स सबिधत यह नौवS इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक a योितष शा- म िववाह योग म ज मपिका का िमलान का मह2 2 व P या हइसक िवषय म िवशष fप स वण)न िकया गया ह

190

िववाह गह-थ आBम का वश ार ह िववाह शKद िव + वाह स बना ह िव = िवशष fप स वहन करन योय सावधानी पव)क िनभान योय सबध ही िववाह ह अय शKद म िववाह सखी प]रवार क आधारिशला ह सखी व सपन प]रवार स समाज म सख-शाित व समिX का िव-तार होता ह िकसी िववाह का टटना मा दो tयिJय का अलग होना नही ह अपित प]रवार व समाज का िबखराव होना ह जब कभी िववाह का B हो तो दवgt का कत)tय ह िक वह िववाह का मह|व समझत हbए िविधपव)क जमकampड़ली म िववाह योग का िनण)य लव तथा उनका भलीभॉित मलापक कर िववाह क सदभ) म मलापक िवषय क गढ़ गभीर रह-यमय स का समिचत बोध करक tयिJ को सखी एव सौहाद)पण) ववािहक जीवन दान कर यही बिXजीव दवgt का परम कतtय ह

92 उय

इस इकाई ारा हम िववाह एव उसक योग का अVययन करग तथा यह भी gtान करन म सltम हग िक -

1 िववाह Pया ह एव समाज म इसका Pया मह|व ह

2 िववाह क िलए कौनस भाव एव 5ह ारा िनण)य कर

3 िववाह म जमकampड़ली िमलान का मह|व

4 िववाह म मङगल दोष का िवचार एव बह-पित का िनण)य

93 िवषय वश

िजस कार सम-त ाणी अपन जीवन क िलए वाय पर आिBत ह उसी कार सपण) आBम गह-थाBम पर आधा]रत ह िववाह इसी गह-थाBम का वश ार ह िववाह स प]रवार प]रवार स समाज समाज स समच िवE क सरचना होता ह िववाह को कामोग क पण)ता व सति( हत भी आवHयक बताया ह िववाह ारा काम सति( मनोवgtािनक ि-थरता आिथ)क सरltा समािजक िवकास सा-कितक मAय क सरltण हत समिचत अवसर उपलKध होत ह

aयोितष शा क अनसार िववाह पर िनण)य लन हत समभाव मख ह सम भाव समश व कारक 5ह का बली होना अित आवHयक ह िकत अय भाव का भी दाप2य जीवन पर भावन जानना आवHयक ह अत लनािद ादश भाव पर भाव का िवचार सव) थम करग -

१ लन भाव - जातक का -वा-य fप गण -वभाव थमभाव स ही gtात िकया जाता ह BD -वा-य व -वभाव ववािहक जीवन को सरस व सखी बनाता ह अतः दपि9 क कampडली म फिलत करत समय लन का िवशष Vयान रखना चािहए

२ ितीय -थान - यह कटब व धन का ह तथा प2नी क िलए अ(म -थान (समभाव स गणना करन पर) भी ह इसका शभ व बली होना ववािहक सख क आय_य म विX करता ह

191

३ ततीय -थान - इस भाव स पराTम तथा भाई-बहन स -नह व सहयोग का िवचार िकया जाता ह यह भाव प2नी का धम) व भाय -थान भी ह यिद प2नी अपन पित क भाई-बहन स -नहपण) सबध रखगी तो अवHय ही घर म सतोष और भायोदय होगा

४ चतथ) -थान - यह सव)सख का भाव माना गया ह अतः इस भाव म शभ5ह क wि( या यित प]रवार म सख-शाित बनाय रखती ह

५ पचम -थान - बिX सतान िम व म-सबध का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह पाप5ह का भाव इस भाव म सतान सबधी क( दता ह इसक िवपरीत पचमश व समश का रािश प]रवत)न या यित म-िववाह को सफल बनाता ह

६ षD -थान - यह भाव सघष) व -पधा) का भाव ह अतः शभ5ह क wि( व यित -पधा) म िवजयी बनाकर सख व यश दती ह

७ सम -थान - प2नी ससराल-पlt कामसख दाप2य जीवन का भाव ह सम स गणना करन पर थमलन होन क कारण प2नी का आचरण रग-fप व गण का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

८ अ(म -थान - कलक म2य गधन व गिवFा का िवचार िकया जाता ह अ(मभाव का बली होना प2नी को धन-सचय म कशल बनाता ह ी जातक क िलए यह मागAय भाव भी ह

९ नवम -थान - सह समभाव स ततीय होन पर प2नी का साहस पराTम काय)कशलता तथा छोट भाई-बहन क िवषय म दशा)ता ह

१० दशम -थान - यह भाव tयापार tयवसाय व आजीिवका का माना जाता ह समभाव स चतथ) होन पर यह प2नी क मन का प]रचायक ह शभ 5ह क wि( प2नी को सरल व सतोषी बनाती ह

११ एकादशी -थान - यह आय लाभ उनित व यश का भाव ह सम स पचम होन क कारण प2नी क चातय) व िशltा का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

१२ ादश -थान - हािन tयय सख वभव तथा भोग का भाव ह सम स षD होन पर प2नी क रोग श व िचता को दशा)ता ह यह भाव यिद पाप5-त हो तो प2नी रोिगणी होती ह

931 िववाह-योग

aयाितिषय का मत ह िक सम समश एव शT िववाहकारक ह िकत िय क कampड़ली म गl को भी िवशष मह|व िदया गया ह ी क कampड़ली म यह पितसख का कारक माना गया ह अय िवान ल5 कampड़ली क अित]रJ च शT व नवमाश कampड़ली म भी समभाव समश व कारक शT का बली होना उ9म माना गया ह अय aयोितिषय न नवमाश कampड़ली को िववाह-सख जानन हत अिधक मह|व िदया ह Pयिक नवमाश कampड़ली ही समभाव क कारकत2व को जानन क िलए पया) ह -

192

१ लनकampडली चकampडली शTकampडली व नवमाश कampडली म सभाव समश व कारक का बली होना दाप2यसख क िलए उ9म माना गया ह

२ समभाव यिद अपन -वामी स w( या यत हो तथा िकसी पाप5ह स यत या w( न हो तो िववाह शी व मनोनकल होता ह

३ यिद पाप5ह (सय) मगल शिन राहb कत व पापयत बध) समभाव म -वगही हो या समभाव को दख तो भी इस शभयोग माना जाता ह

४ समश शभ5ह हो या बली होकर शभ -थान (क िकोण) म ि-थत हो तो िववाह शी व मनोनकल होता ह

५ मतातर स ितीय व ादश भाव भी दाप2यसख क कारक ह अतः इनक -वामी का क या िकोण म ि-थत होना भी BD िववाहयोग बनाता ह

६ गl शT बली (शभ5ह स यत व w( अथवा अशभ5ह स अयत व अw() हो िववाह शी एव मनोनकल होता ह

७ लन चमा या शT स ितीय सम व ादश पर गl क wि( या यित भी ववािहक सख को बlsaquoढाती ह तथा पचमश (सतान व म सबधी कारक) व समश सबल होना िववाह का सख दता ह

८ समश शT व गl क बली होकर क िकोण म ि-थत होन स िववाह योग बनता ह

९ शT का पचमश या नवमश स w( होना भी BD िववाहयोग होता ह

ब िववाह ितबधक योग -

१ समभाव पाप5ह स यत या w( हो अथवा बलहीन व पाप5ह क वग) म हो

२ अ(म-थ शT यिद बध या शिन स यत या w( हो अथवा चराशीश समश या नवाश लनश अ-त हो

३ चमा स सम रािश म शिन व मगल क यित हो अथवा शT यिद नीच रािश या नीच नवमाश म या अ-त हो अथवा शT यिद शिन क वग) म हो

ब म िववाह-योग -

१ लनश व समश क यित पचम अथवा समभाव म हो

२ पचमश व समश का पर-पर रािश प]रवत)न

३ लाभ-थान म लनश व समश पर भायश क wि( व यित हो

४ tययभाव म लनश व समश पर भायश क wि( व यित हो

193

५ समश स w( या यत शT ादशभाव म हो अथवा लनश पचम-थ होकर समश स w( हो अथवा समश tयय-थ होकर लनश स wि(सबध या यितसबध कर तो िवदश म म-िववाह होता ह

94 िववाह हत ज0मप9ी िमलान का महव

िववाह स पव) जीवनसाथी क िवषय म अनक B tयिJ म मन को आदोिलत करत ह इस सदभ) म aयोितष क भिमका अ2यत मह|वपण) ह सखी और समX दाप2य जीवन क िलए िविधवत जमकampड़ली िमलान अवHय करना चािहए इसक ारा वर-कया क शारी]रक मानिसक दब)लताओ एव िवशषतओ का आकलन सरलता स हो जाता ह कampड़ली िमलान हत िनिलिखत आवHयक तय -

1 मलापक गण-िमलान स पव) वर-कया का आय का िनण)य कर लना चािहए

2 दोन कampड़िलय म ल5 सम तथा अ(म भाव को िवचार सयक fप स कर

3 यिद वर-कया का आय_य -वAप अथवा अAपाय योग ह या मारक दशा आन वाली ह तो ऐस म िववाह पर िवचार करना अनिचत ह

4 यिद िकसी एक क कampड़ली म समभाव हीनबली ह तो दसर क कampड़ली म इस हीनता को दर करन वाल बलशाली योग का होना परम आवHयक ह तभी िववाह पर िवचार कर

95 मलापक रहय

मलापक क सदभ) म जातकदशमाग) क अनसार वर और कया क िववाहोपरात सख-समिX विX तथा अनकलता हत सङग कट िकया गया ह प]रणय स पव) वर-कया क जमाङग िमलान क परपरा परातन काल (सभव ह िक -वयवर क समय म भी आमित राजाओ क कampड़ली का िमलान करन क पhात ही आमण िदया जाता होगा) स ही रही ह सामायत कampड़ली िमलान नlt मलापक ारा करत ह िजस हम अ(कट गण-िमलान क नाम स भी जानत ह अ(कट गण-िमलान क अनसार िजन अिधक गण अनकल हग िववाह क सफल होन क सभावन भी उतनी ही बल हो जायगी

अय दवgt न ल5-मलापक 5ह-मलापक एव भाव-मलापक भी कampड़ली िमलान हत िवचारशील बताया ह

1 ल5-मलापक - वर-कया क ल5 क पार-प]रक सबध पर िवचार करना अित आवHयक ह ाय समान त|व क ल5 अथवा एक-दसर स समसक ल5 सखद प]रणय का सचक होती ह िजस कार हम वर-कया क जम रािशय म पर-पर िभनता दखत ह उसी कार ल5 स tयिJ2व ितभा गण ltमता आिद को िमलान अिनवाय) ह यिद वर-कया दोन क ल5 क त2व म सबध अनकल ह तो ववािहक जीवन सखमय होगा ल5 रािशय क त2व म अनकलता िन कार स होगी -

194

अ - अि5त2 2 व रािश - अि5 तथा वायत|व क ल5 अनकल ह

ब - पवी त2 2 व रािश - पवी त2 2 व तथा जल त2 2 व क ल5 अनकल ह

स - वाय त2 2 व रािश - वाय त2 2 व तथा अि5 त2 2 व क ल5 अनकल ह

द - जल त2 2 व रािश - जल त2 2 व तथा पवी त2 2 व ल5 क ल5 अनकल ह

2 5ह मलापक - वर-कया क सखद ववािहक जीवन हत 5ह मलापक आवHयक ह 5ह-िमलान म िट दाव2य जीवन को दाlण बना सकती ह इस कार क अनक 5हयोग ह िजनक प]रणाम-वfप जीवन Pलिशत होता ह उदाहरणाथ) यिद कampड़ली म शT च अथवा मङगल क मVय-थ होकर पापकत)]र योग म हो तो दाप2य पण)तया असतोष द हो जायगा यिद िकसी जातक क कampड़ली म ऐसा दय[ग हो तो उस उसी को जीवनसाथी बनाना चािहए िजसक 5ह इन दोष का शमन करन का सामय (कampड़ली म 5ह बलवान हो) रखत हो ाय कछ aयोितिषय का मत ह िक वर-कया िकसी एक क कampड़ली म यिद शT अथवा मङगल िकसी भी रािश म ि-थत हो तो उसस सम-थ रािश म दसर क कampड़ली म ि-थत 5ह ाय िववाह िमलान म शभ होता ह

3 भाव मलापक - ववािहक जीवन क सख और दीघा)य_य क िलए भाव मलापक आवHयक ह ाय aयोितष म सवा)िधक मह|व नlt मलापक को ही िमलता ह Pयिक अ(कट का िनधा)रण उसी स होता ह ाय aयोितिव)द ल5 मलापक भाव मलापक और 5ह मलापक का योग अ2यAप करत ह वर-कया क जम कampड़िलय म िकस कार भाव मलापक का अVययन करना चािहए उसक कछ आधारभत िनयम िनिलिखत ह -

1 वर क जमाङग म शTल5शसमश क उkच रािश िजस रािश म ि-थत हो वही रािश या ल5 कया क कampड़ली म हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

2 कया क ल5 या रािश वर क जमाङग म समश रािश हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

3 वर क समश क नीच रािश भी यिद प2नी क रािश अथवा ल5 हो तो भी िववाह सखद होता ह

4 यिद वर कया क सम भाव िजन 5ह स w( हो या व िजन रािशय म ि-थत हो तथा कया या वर क उनम स रािश हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

5 यिद वर और कया क ल5 तथा रािश एक ही हो तो िववाह अ2यत सखमय समिXशाली तथा हष[Aलासपण) होता ह यिद दोन ल5 समान हो परत रािशया िभन हो या दोन क रािशया समान हो तथा ल5 िभन हो तो भी िववाह शभ होता ह

195

6 यिद जमाङग क िमलान म अिधक अ(कट का साय हो ल5 एक-दसर स समसक हो रािशया एक हो लिकन नlt िभन हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

7 वर क नवमाश ल5 यिद कया क जमल5 हो और यिद कया क नवमाश ल5 वर क जमल5 हो तो दाप2य जीवन सखमय tयतीत होता ह

4 नlt मलापक - यह aयोितष क अनोखी एव चिलत िवFा ह िजसम आठ त2व पर िवचार करक दो tयिJय क पर-पर सहयोग व सामज-य पर िवचार िकया जाता ह कampड़ली-िमलान हत यह िविध सवा)िधक यJ होती ह इसम 36 गण का उAलख ह यिद दोन कampड़िलय यनतक अ_ारह गण भी िमल तो ववािहक अनमित ा हो जाती ह यह आठ त2 2 व तथा उनक गणाक का िववरण गणिमलान का आधार म िव-तत fप म दी गयी ह

96 गणिमलान का आधार

वणI वRय तथा तारा योिन6 हम)कम

गणम) भकट च नाड़ी चत गणािधका

अ(कट िवचार - 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन 5 राशीशमी 6 गण 7 भकट 8 नाड़ी इन कट क पण)गण िनिलिखत ह -

1 वण) का एक (1) गण 2 वHय क दो (2) गण 3 तारा क तीन (3) गण 4 योिन क चार (4) गण 5 राशीशमी क पाच (5) गण 6 गण क छ (6) गण 7 भकट क सात (7) गण 8 नाड़ी क आठ (8) गण इन आठ कट क गण का कल योग 36 ह वर एव कया क िववाह क िलए यनतम 18 गण तो िमलन ही चािहए कहS 16 भी (गणा षोड़शािभिन)Fा परत-त9मो9मा) यनतम मान गय ह

1 वण)कट - वण)कट का रािशय स सबध ह मीन विhक और कक) रािशया ~ाण मष िसह और धन रािशया ltिय वष कया और मकर रािशया वHय तथा िमथन कभ और तला रािशया शवणा) ह कया क रािश का वण) वर क रािश क वण) स हीन हो तो वण)कट का गण एक (1) अयथा शय (0) होगा जहा वण)कट का गण शय हो वहा वण)दोष माना जाता ह अथा)त वहा वण) क अशि कहनी चािहए

196

वणदोष का प+रहार - वर एव कया क राशीश पर-पर अितिम िम या सम हो वर-कया क एक

ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो कया क राशीश का वण) वर क राशीश क वण) स हीन हो तो वण)दोष का प]रहार हो जाता ह

हीनवण[ यदा रािश राशीशवण) उ9म तदा राशीEरो 5ा तािश नव िचतयत

2 वHयकट - मष वष क चत_पद िमथन कया तला धन कभ क िपद कक) मकर मीन क जलचर िसह क वनचर और विhक रािश क कटसgtा ह इन रािशय का अपनी जाित क कित क अनसार पर-पर िम श भCय-वHय वHय-भCय वHय-वर और वर-भCय सबध ह

वHयदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो योिनमी हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

वभावम)ी सिखता वपयोविशवमयोयभयोिनशिU

पर पर पवगम गवय हत ि)वगV यगपWित6त

197

3 ताराकट -

ताराकट का सबध नlt स होता ह यह शभ एव अशभ दो कार का होता ह कया क जमनlt स वर क जमनlt तक और वर क जमनlt स कया क जमनlt तक िगनती कर उसम नौ (9) का भाग दन स यिद 3 5 7 शष बच तो तारामलापक अशभ होत ह अयथा शभ होत ह वर एव कया क तारा उ9म होन पर तीन (3) गण एक क उ9मऔर दसर क अधम होन पर डढ़ (1) गण िमलता ह दोन कार स अशभतारा कभी भी ा नहS होती ह

ताराकट दोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो

4 योिनकट

198

(नlt क योिनया) अिEनी शतिभषा नlt क अE -वाती ह-त नlt क मिहष (भस) धिनDा पवा)भापद क िसह भरणी रवती क हाथी (गज) प_य कि9का क मष (बकरा) Bवण पवा)षाढ़ा क वानर उ9राषाढ़ा अिभिजत क नकल (नवला) मगिशरा रोिहणी क सप) aयDा अनराधा क ह]रण मल आरा क Eान पनव)स आ`षा क िवडाल (िबलोटा) मघा पवा)फाAगनी क मषक िवशाखा िचा क tया और उ9राफाAगनी उ9राभापद क गौ (गाय) योिन होती ह `ोक म एक एक पाद म एक एक योिन कही गयी ह इस कार `ोक म 7x2 = 14 योिनय म 2यक पाद क दो योिनय म पर-पर महावर ह जो िववाह म 2याaय ह जस थम पाद क पवा)ध) म अिEनी व शतिभषा क अEयोिन का थमपाद क उ9राध) म -वाती व ह-त क मिहष योिन स बड़ा वर -वाभािवक होता ह 2यlt म भी यहS दखा जाता ह इन योिनय का पर-पर सबध पाच कार का ह - 1 -वभाव (अपनी ही योिन) 2 िम 3 उदासीन 4 श 5 महाश वर और कया क नlt क योिन एक ही हो तो िववाह शभ होता ह दोन क नlt पर-पर उदासीन योिन क हो तो िववाह सामाय होता ह यिद पर-पर शयोिन हो तो िववाह अशभ होता ह यिद महाशयोिन हो तो घोरिनदनीय माना गया ह दोन क नlt -वभाव (एक ही योिन) योिन क हो तो योिनकट क गण चार (4) िमलत ह यिद दोन क नlt िमयोिन क हो तो योिनकट क तीन (3) गण िमलत ह यिद दोन क नlt उदासीन योिन क हो तो योिनकट क दो (2) गण िमलत ह यिद दोन क नlt शयोिन क हो तो योिनकट का गण एक (1) िमलता ह यिद पर-पर महाशयोिन क नlt हो तो योिनकट क शय (0) गण िमलत ह

योिनकटदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो भकटशि हो वHयशि होन पर योिनकटदोष का प]रहार हो जाता ह

5 राशीशम)ीकट -

यह रािशय स स सबिधत ह यिद दोन क रािशय का -वामी एक ही हो या दोन क रािशय क -वामी पर-पर िम ह तो िववाहसबध अ2य9म पर-पर िम-सम हो तो उ9म पर-पर सम हो तो

199

सामाय पर-पर िम-श हो तो िनक( पर-पर सम-श हो िनक(तर एव पर-पर श हो तो िनक(तम माना जाता ह दोन का राशीश एक ही हो तो पाच (5) गण िमलत ह दान क राशीश िम हो तो पाच (5) गण दोन क राशीश पर-पर िम-सम हो तो चार (4) गण दान क राशीश पर-पर सम हो तो तीन (3) गण िमलत ह दान क राशीश पर-पर िम-श ह तो एक (1) गण िमलता ह दोन क राशीश पर-पर सम-श ह तो आधा () गण िमलता ह दोन क राशीश पर-पर श ह तो शय (0) गण िमलत ह

राशीमीकट का प]रहार - वर-कया क नवाशश मी अथवा एकता हो दोन क रािशया िभन और नlt एक हो सकट (गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत) हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

रािशनाथ िवlऽिप िम2व वाशनाथयो िववाह कारयद धीमान दप2यो सौ^यवध)नम

एकराशौ पथक िध_ampय पथ5ाशौ तथकभ गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत

6 गणकट -

गणकट का सबध नlt स ह अिEनी मगिशरा पनव)स प_य ह-त -वाती अनराधा Bवण रवती नlt दवगण म आत ह भरणी रोिहणी आरा तीन उ9रा तीन पवा) मन_यगण म आत ह कि9का आ`षा मघा िचा िवशाखा aयDा मल धिनDा शतिभषा राltसगण म आत ह एक ही गण क नlt वाल वर-कया का िववाह शभ माना जाता ह दव व मन_यगण क नlt वाल वर-कया का िववाह भी कछ शाकार न शभ माना ह दव व राltसगण तथा मन_य व राltस गण वाल क िववाह अशभ होत ह वर-कया क नlt क गण पर-पर Tमश दव-दव मन_य-मन_य मन_य-दव राltस-राltस हो तो छ (6) गण िमलत ह वर-कया नlt क गण दव-मन_य हो तो पाच (5) गण िमलत ह यिद वर-कया क नlt क गण दव-राltस हो तो एक (1) गण िमलता ह यिद वर-कया क नlt क गण पर-पर Tमश मन_य-राltस राltस-दव राltस-मन_य हो तो शय (0) गण िमलत ह

गणदोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क एक ही रािश हो नवाशश मी अथवा एकता हो सकट हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह

200

सYकट योिनशिU हसZय गण)यम

एवकतमसYाव नारी रampोगणा शभा

हम)ी च रािश6 िवWत िनयत यिद

न गणाभावजिनत दषण याि9रोधदम

7 भकट

इस रािशकट भी कहत ह यह तीन कार का होता ह- 1 िदा)दश 2 नवम-पचम 3 षड(क वर क रािश कया क रािश स अथवा कया क रािश वर क रािश स ितीय ादश हो तो िदा)दश रािशकट दोष होता ह नवम व पचम हो तो नवम-पचम रािशकट दोष होता ह षD या अ(म होन पर षड(क रािशकट दोष होता ह इन तीन ि-थितय म रािशकट का गण शय (0) होता ह रािशकट दोष न होन पर रािशकट क गण सात (7) होत ह रािशकट दोष क अभाव को सकट कहा जाता ह

भकट दोष का प]रहार - वर-कया क राशीश पर-पर िम अितिम या सम हो वर-कया क नवाशश मी अथवा एकता हो दोन क रािशया िभन और नlt एक हो सकट (गण नाड़S नदर च 5हवर न िचतयत) हो तो दोष का प]रहार हो जाता ह तीन भकट म षड(क सबस अिधक दोषकारक माना गया ह इसक ऊपर जो प]रहार बतलाए गय ह उनम स िकसी एक प]रहार क साथ वHयशि तथा ताराशि म स कोई एक भी ा हो जाए तो षड(क का प]रहार उ9म माना जाता ह

वगवर योिनवर गणवर नदरक द$कटफल सव[ हमया िवनRयित

201

8 नाड़ीकट

नािडय़ा तीन कार क होती ह - 1 आिद 2 मVय 3 अ2य अिEनी आरा पनव)स उफा ह-त aयDा मल शतिभषा पवा)भापद नlt आिदनाड़ी क भरणी मगिशरा प_य पफा िचा अनराधा पवा)षाढ़ा धिनDा उ9राभापद मVयनाड़ी क कि9का रोिहणी आ`षा मघा -वाती िवशाखा उ9राषाढ़ा Bवण व रवती अ2यनाड़ी क अतग)त आत ह वर-कया क नlt एक ही नाड़ी क ह तो नाड़ीदोष होता ह नाड़ी एक होन पर शय (0) गण िमलत ह एव िभन नाड़ी म आठ (8) गण िमलत ह

एकनाड़ीिववाह6 गण सव] समिवत

वजनीय यनन दQपयोिनधन यत

नाड़ीदोष का प]रहार - वर-कया क रािश एक हो और नlt िभन ह नlt एक हो और चरण िभन ह नlt एक हो और रािशया िभन ह पादवध न हो

एकराशौ पथिधBय पथाशौ तथक-भ

गण नाड़^ नदर च हवर न िचतयत

नamp)_य पादभद शभ यात

िववाह म मङगलयोग का िवचार तथा उसक प]रहार -

िववाह स-कार म वर-कया क जम कampडली म वण) वHय तारा 5हमी नाड़ी आिद अ(कट सबधी िवचार क बाद मङगिलक योग पर िवशष fप स िवचार िकया जाता ह मङगल रJ का कारक भी ह अत इसका िवचार तो करना ही चािहए Pयिक रJकारक 5ह ही दिषत होगा तो अशभ फल भी िमल सकता ह मङगलदोष का िवचार सामायत िन `ोक स िकया जाता ह

धन `यय च पाताल जािम) चा$म कज

भाया भत िवनाशाय भत6 Fीिवनाशनम - अग-2य सिहता

धन tयय च पाताल जािम चा(म कज

कया भत)िव)नाशाय भत) कया िवनHयित - मानसागरी

ल5 tयय चतथy च सम वा अ(म कज

202

भता)र नाशयद भाया) भता) भाया) िवनाशयत - बहत aयोितषसार

ल5 tयय च पाताल जािम चा(म कज

ीणा भत) िवनाश -यात पसा भाया) िवनHयित - भावदीिपका

ल5 tयय सख वािप सम वा अ(म कज

शभwयोगहीन च पित हित न सशयम - बह2पाराशर होराशा

ल5 tयय च पाताल जािम चा(म कज

कया भत)िव)नाशाय भता) कयािवनाशक - महq2 त)स5हदप)ण

उपरोJ सभी `ोको का एक ही अथ) ह िक थम चतथ) सम अ(म या ादश भाव म यिद मङगल हो तो वध वर क िलए तथा वर वध क िलए हािनकारक होता ह

वस उपरोJ `ोको म कछ `ोक तक) सङगत नहS ह Pयिक उनम कया (कवारी कया) व भता) (शादी क बाद पlष क सgtा) का उAलख ह जो िक तक) समत नहS बठत ह Pयिक कवारी कया िववािहत पlष क िलए िकस कार स हािन द हो सकती ह Pयिक कोई भी माता-िपता अपनी कया का िववाह िववािहत पlष स नहS करग अत इन `ोक म शKदभद ह यहा हमन इनका उAलख िकया ह Pयिक बहbत स िवान महq2 त)स5हदप)ण का `ाक ही tयवहार म लात ह अय `ोक का उAलख नहS करत ह

िफर भी कछ `ोक तक) सगत ह Pयिक व भाया) व भता) क सgtा का उAलख कर रह ह अत उहS `ोक क मया)दा क रltा करत हbए हम यहा मङगलदोष क प]रहार का उAलख कर रह िजसस मर िवान बध मङगलयोग का पण) िवचार कर सक यहा तक हमन मङगलदोष क िवचार क बात कही परत चराचर जगत म 2यक दोष का प]रहार िमलता ह तो इसका भी अवHय होना चािहए अत हम यहा कछ ामािणक `ोक -तत कर रह ह

971 मगल दोष क प+रहार --

1 कजदोषवती दया कजदोषवत िकल

नाि-त दोषो न चािन( दप2यो सखवध)नम

मङगलदोष स यJ कया अथवा वर का िववाह मङगिलक कया अथवा वर स करन स मङगलदोष क क भाव समा होरक शभ फल क ाि होती ह

2 शिन भौमोऽथवा किhत पापो वा ताwशो भवत

त_वव भवन_वव भौमदोषिवनाशकत 1

- फिलत स5ह

भौमन सwशो भौम पापो वा ताwशो भवत

203

िववाह शभद ोJिhराय पपौद 2

भौमतAयो यदा भौम पापो वा ताwशो भवत

उाह शभद ोJिhराय पवध)न 3 - aयोितष त2 2 व

वर अथवा वध क कampडली म िजस -थान म मङगल ि-थत हो उसी -थान म वध अथवा वर क कampडली म शिन मङगल सय) राहb आिद कोई पाप5ह ि-थत हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 1

एक क कampडली म मङगलदोष हो तथा दसर क कampडली म उसी -थान म शिन आिद पाप5ह हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह तथा िववाह मङगलकारी होता ह 2

यिद वर-कया दोन का मङगल समान ि-थित म हो या कोई अय पाप5ह मङगल क समान उसी भाव म ि-थत हो तो िववाह मङगलकारी होता ह 3

3 अज ल5 tयय चाप पाताल विhक कज

Fन मग किक) चा(ौ भौमदोषो न िवFत 1 - महq2 त) पा]रजात

Fन मीन घट चा(ौ भौमदोषो न िवFत 2

मष रािश का मङगल ल5 म विhक रािश का चतथ) भाव म मकर रािश का सम भाव म कक) रािश का मङगल आठव भाव म तथा धन रािश का मङगल ादश भाव म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 1

मीन रािश का मङगल सम भाव म तथा कभ रािश का मङगल अ(मभाव म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह 2

4 न मङगली चभग ितीय न मङगली पHयित य-य जीवो

न मङगली कगत च राहb न मङगली मङगलराहbयोग - म दीपक

यिद ितीय भाव म च-शT का योग हो या मङगल गl ारा w( हो क भाव-थ राहb हो अथवा क म राहb व मङगल का योग हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

5 सबल गरौ भगौ वा ल5 Fनऽथवा भौम

वT नीचा]रगह-थ वाऽ-त न कजदोष - महq2 त) दीपक

बलयJ गl या शT ल5 म हो तो वT नीच-थ अ-तङगत अथवा शओ स यJ मङगल होन पर भी मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

6 ककोण शभाढय च िषडायऽयसद5हा

तदा भौम-य दोषो न मदन मदप-तथा - महq2 त) िचतामिण

204

क व िकोण म यिद शभ 5ह हो तथा ततीय षD एकादश भाव म पाप 5ह हो तथा सम भाव का -वामी सम म ही हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

7 तनधनसखमदनायला)भtययग कज-त दाप2यम

िवघटयित तद गहशो न िवघटयित तङगिमगह वा

- म िच

यFिप थम ितीय चतथ) सम अ(म एकादश व ादश भाव म ि-थत मगल वर-वध क ववािहक जीवन म िवघटन उ2पन करता ह परत यिद मगल -वगही हो उkच-थ (मकर रािश) या िमlt म हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

8 रािशम यदा याित गणPय वा यदा भवत

अथवा गणबाहbAय भौमदोषो न िवFत - महq2 त) दीपक

यिद वर-कया क कampडिलय म पर-पर रािशमी हो गणPय हो 27 या इसस अिधक गण िमल तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

वर-कया क कampडली म मङगलदोष एव उसक प]रहार का िनण)य अ2यत िववकपव)क करना चािहए मा 1 4 7 8 12 म मगल को दखकर दाप2य जीवन क सख दख का िनण)य नहS करना चािहए जहा मगल हो उहS भाव म यिद कोई अय Tर 5ह भी 1 2 7 12 भाव म हो तो वह भी पा]रवा]रक एव ववािहक जीवन क िलए अिन(कारक होता ह

यथा- ल 2रा `यय 2रा धन 2रा कजतथा

सLम भवन 2रा प+रवारampयङकरा - महb तसह दपण

मङगलदोष का िनण)य कampडली िवशष म सभी 5ह क पार-प]रक अनशीलन क पhात ही करना चािहए सभी ल5कampडिलय म मङगलदोष का भाव एक जसा नहS होता ह इसम तो कोई सदह नहS िक कछ ल5 कampडिलय म मङगलदोष का अशभ थाव वर-वध क ववािहक जीवन पर पड़ता ह परत यिद िकसी कampडली म मङगल अय 5ह क साहचय) स योगकारक हो उkच-थ या -वरािशगत हो अथवा शभ 5ह क wि( स भािवत हो तो मङगल का शभ फल िमलता ह जस मकर मष विhक िसह धन व मीन रािश का मङगल शभफलदायी होता ह तथा कक) व िसह ल5 म मङगल किकोणपित होन स मङगल शभ होकर योगकारक माना जाएगा

यथा- सवc ि)कोणनतारो हा शभफलदा

वोdचिथत शभफल करोित पणम

नीचeषगत िवफल +रपमिदरऽgपम - सारावली

भावा सवc शभपितयता वीिampता वा शभश

205

तGYावा सकलफलदा पापhयोगहीना

अत वर-कया क कampडिलय का िमलान करत समय उनक सखी एव सपन जीवन क िलए मङगल पर ही अ2यिधक बल न दत हbए मलापक सबधी अय त2व का भी सवा)ङग fप स िववचन करना चािहए िजनम कछ म य त2 2 व िनिलिखत ह

चिलत भाव कampडली - जो 5ह भावमVय होत ह वह भाव का पण) फल दत ह जो 5ह भावसिध म होत ह व शय फल दत ह उसी क अनसार वर-कया क कampडिलय का िमलान करत समय दोन क कampडिलय क 5ह -प( भाव -प( एव चिलत भाव कampडली बनी होनी चािहए तभी मङगलदोष क ि-थित -प( हो सकती ह यिद दोन क कampडिलय म मगल सिधगत हो तथा मङगलीयोग द भाव स अित]रJ भाव म हो तो भी मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

अय प]रहार - समभाव या समश या शभ एव योगकारक 5ह क ि-थित अथवा मङगल या समभाव पर गl या शT क wि( हो अथवा समश 5ह क -वगही wि( होन स मङगलदोष का भाव ltीण हो जाता ह इस ि-थित म धािम)क अनDान भी करवान चािहए

शभ योग - समश 5ह उkच-थ या -विमािद क रािश म होकर क िकोणािद भाव म ि-थत हो तो िववाह म मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह

अशभ योग - यिद समश िक म हो पाप5हयJ व पापw( नीचरािशगत अथवा अ-तङगत हो तो िववाह का पण) सख नहS िमलता ह यथा -

द-थ कामपतौ त पाप5हग पापिltत तFत तaजाया भवन-य मVयमफल सवn शभ चायथा

ल5श ितीयश पचमश अ(मश समश एव च शT गl मगलािद 5ह क बलाबल का िवचार करना भी िनतात आवHयक होता ह

उपरोJ िवषय पर अVययन हमन इसीिलए िकया ह Pयिक वत)मान म समाज म मङगलदोष क िवषय म कई कार क ाितया फल रही ह बहbत स लोग मङगलदोष का िवशद अVययन नहS करक कवल एक योगमा स लोग क मन म भय उ2पन करत रहत ह िजसस aयोितष का अपयश होता ह

नोट - यिद आप मङगलदोष का प]रहार कर रह ह तो मङगल क िनिम9 पजा-पाठ भी करवाय तो शभफल म विX ही होगी

98 िववाह का िनणय करत समय बहपित का िवचार कर या नहlt

िववाह म कया हत बह-पित का िवचार िकया जाय या नहS इस िवषय म सभी पिampडत एकमत नहS ह अत हम यहा हम सभी तय पर िवचार करत हbए िन_कष) िनकालन का यास करग शा म कया क रजोधम) योय होन क पिहल ही िववाह का िवधान बताया गया ह लिकन य सब बात तब क ह जब य सभी बात तक) सङगत थी Pयिक पहल बाAयकाल म िववाह होन क बाद भी गौना लड़क-लड़क क

206

यवा (वय-क) होन पर ही होता था अथा)त जब कया यवा (वय-क) हो जाय तभी वह पित क साथ रहन तथा सासा]रक धम) म व9 होन क योय होती थी

शा म रजोधम) क योय होन क पिहल कया का िववाह करन का िवधान ह उस समय कया क िववाह म गlशिX परम आवHयक थी

अ$वषा भवiौरी नवम रोिहणी भवत

दशम कयका ोjा 9ादश वषली मता - aयोितिन)बध

अथा)त आठ वष) क गौरीrsquo नौ वष) क रोिहणीrsquo दस वष) क कयासgtकrsquo तथा तदनतर ादशािद वषv क कया वषलीrsquo अथा)त रज-वला सgtक होती ह

गौरी िववािहता सौ^यसपना -या2पितता रोिहणी धनधायािदपाढया सभगा भवत

कयािववािहता सप2समXा -वािमपिजता - पीयषधारा

अथा)त आठ नौ तथा दसवष) क कया का िववाह ही शा म शभ माना गया ह

परत वत)मान म उपरोJ बात tयवहा]रक नहS ह Pयिक यिद हम बालिववाह करत ह तो अब न व मानवीयमAय बच तो न ही हमारा कानन इसक अनमित दता ह यिद हम बालिववाह करत ह सप]रवार कारावास क िजदगी का अनभव करना पड़ सकता ह तथा आजकल तो बालिववाह करान वाल पिampडत जी को भी जल भजन का माण भारतीय दampड सिहता म ह

उपरोJ बात पर िवचार करन क बाद एक बात तो -प( ह िक यिद कया का िववाह 11 या 12 वष) क आय तक िकया जाय तब ही गlशिX क आवHयकता ह

यिद हम 11 या 12 वष) क बाद कया िववाह करत ह तो गlशिX क आवHयकता नही होती इसक िलए हम यहा कई माण द रह ह अब हम आशा ह बX िवान अपनी तक) शिJ का िवकास करत हbए गlशिX का ामािणक िनण)य कर सक ग

1 यिद कया क आय 11 या 12 वष) क हो तो गl क िनब)ल होन पर भी शाोJ बह-पित शाितrsquo तथा शकनािद िवचार क सपादन क साथ उसका िववाह ल5 िनधा)]रत कर

9ादशकादश वषc तया शिkन जायत

पजािभ शकनवािप तय ल दापयत - शीबोध

2 दस वष) स अिधक आय क कया रज-वला हो जान क कारण उसक गlशिX न दखकर च व तारािद बल का िवचार करना चािहए

दशवष`यित2ाता कया शिkिवविजता

तयातारदलाना शkौ पािणहो मत - tयासवचन

207

3 रजोदश)न क पhात गl शिX क आवHयकता नही ह आठव गl म िगिणत पजा करक िववाह कर सकत ह

रजवला यदा कया गlशिk न िचतयत

अ$मऽिप कत`यो िववाहिFगणाचनात - बह-पित

4 िकसी भी अव-था क कया को 4-8-12 गl होन पर भी िगिणत पजा करन पर िववाह म कोई दोष नहS होता ह

कयाeषादि9सतWनायनवम m8ो गl6ायथा

पMयोऽ$ायसखितकाल इहत ा िवरnय शभ - उाहत2 2 व

5 कया क उ सात वष) क हो जान क भी पाच वष) क बाद (12 वष)) उkच या -वरािश (कक) धन मीन) का अशभ गl भी शभ फलदायक होता ह

सLाoदापpचवषcष वोdचवeषगतो यिद

अशभोऽिप शभ दWाdछभदeषष िक पन - aयोितिन)बध

6 गौरी सgtक कया को गlबल रोिहणी का सय)बल कया को चबल तथा रज-वला को ल5बल क आवHयकता होती ह

दया गlबला गौरी रोिहणी भानमrला

कया च बला ाsा ततो लबलGरा

- महq2 त) गणपित

7 श िनषादािद चतथ) वणv क िलए गlशिX का िचतन अिनवाय) नहS ह

किचदाह4गरो शिkनावया गणकोGम

िववाह वयादीना चBडालाना च पgकसाम - aयोितिन)बध

िनकष - उपरोJ िवषय पर -तत माण क आधार पर यह -प( ह िक वत)मान काल म गlशिX क

आवHयकता नहS ह

अत कया रज-वला हो जाय तो गlशिX का िवचार नही करना चािहए यिद मािसक धम) ारभ होन क पव) ही िववाह करना हो तो गlशिX क आवHयकता ह

208

99 क0या क िववाह म= िवलgtबदोष का पampरहार

िकसी शभिदन म वर ाि क िलए कया -नानािद स िनव9 होकर ात काल कमलबीज क माला स Bीगणशजी क म (ऊ Bीगणशाय नम) क एक माला जप कर गणशजी का Vयान कर िफर गौरी और शङकर का Vयान करती हbई -

ऊ यQबक यजामह सगिध पितवदनम

उtवाl किमव बधनािदतो मampीय मामत वाहाrsquolsquo

ितिदन उपरोJ -वाहा रिहत म क एक माला का अवHय जाप कर हर रिववार क िदन जाप क बाद ात दशी घी म फक फिAलय को िभगोकर aविलत अिन म 108 आहbितया दव म क साथ -वाहा का उkचारण भी अवHय कर Bी िशव पाव)ती और गणशजी का िच हो तो सामन अवHय रख अथवा मानिसक Vयान भी लाभकारी होगा

जप व हवन क बाद ाथना -

ऊ कायायिन महामाय महायोिगयधीuरी

नदगोपसत दवी पित दिह मनोरममrsquolsquo

यह अनDान कया अपन िववाह क नव5ह शाित तक करती रह कया क माता िपता भी Bीगणशजी क 21-21 माला का जाप कर सवा लlt जाप होन पर अपन तोल क बराबर हरा घास भसा खल प9री जौ का दाला चन आिद को गौओ को डाल िदया कर पिltय को ितिदन चावल बाजरा आिद भी डालत रह

अथवा

कया ह]रा (हAदी) क माला स िनिलिखत म क ितिदन पाच माला का जाप िववाह क नव5ह शाित तक कर -

ऊ ह गौ+र शङकराधाङगी यथा व शङकरिया

तथा मा कl कgयािण कातकाता सदलमामrsquolsquo

उपरोJ अनDान क साथ िनिलिखत रामच]रतमानस क चौपाईय का पाठ भी िन2य ितिदन िववाह क नव5ह शाित तक करना चािहए -

जय जय िग]रबरराज िकसो]र जय महस मख चद चकोरी

जय गजबदन षडानन माता जगत जनिन दािमनी दित गाता

निह तव आिद मVय अवसाना अिमत भाउ बद निह जाना

भव भव िवभव पराभव का]रनी िब-व िबमोिहनी -वबस िबहा]रनी

209

पितदवता सतीय महb मात थम तब रख

मिहमा अिमत न सकिह किह सहस सारदा सष

सवत तोिह सलभ फल चा]र बरदायनी परा]र िपआरी

दिब पिज पद कमल तहार सर नर मिन सब होिह सखार

मोर मनोरथ जानहb नीक बसहb सदा उर पर सबहS क

कहउ गट न कारन तहS अस किह चरन गह बदहS

िबनय म बस भई भवानी खसी माल मरित मसकानी

सादर िसय साद िसर धरऊ बोली गौ]र हरष िहय भरऊ

सन िसय स2य असीस हमारी पिजिह मनकामना तहारी

नारद बचन सदा सिच साचा सो बl िमिलिह जािह मन राचा

मन जािह राचउ िमिलिह सो बl सहज सदर सावरो

कlना िनधान सजान सील सनहb जानत रावरो

एिह भाित गौ]र असीस सिन िसय सिहत िहय हरषी अली

तलसी भवानीिह पिज पिन पिन मिदत मन मिदर चली

जािन गौ]र अनकल िसय िहय हरष न जाइ किह

मजल मगल मल बाम अग फरकन लग

(रामच]रतमानस 1-235-5 स 236 तक)

कया क िववाह हत अय िसX म -

ऊ यबक यजामह सगिध पितवदनम

उवाlकिमव बधनािदतो मltीय मामत 1

दिह सौभायम आरोय दिह म परम सखम

fप दिह जय दिह यशो दिह िषो जिह 2

ऊ दवामिण नम-तLय दवि यभािमनी

िववाह भायम आरोय शीलाभ च दिह म 3

ऊ श शकराय सकलजमािज)तपापिवVवसनाय

पlषाथ)चत(यलाभाय च पित दिह कl कl -वाहा 4

210

पlष क िववाह हत िसk म) -

प2नS मनोरमा दिह मनोव9ानसा]रणीम

ता]रणS दग)ससारसागर-य कलोवाम 1 (दगा)सशती)

स दिव िन2य प]रतयमान-2वामव सीत2यिभभाषमाणः

धततो राजसतो महा2मा तवव लाभाय कत य2नः

(वाAमीिक रामायण सदरकाampड)

910 मलापक साampरणी क योग हत आवयक िनदश

सा]रणी क कोDक क ऊपरी भाग म गण ह तथा नीच क भाग म दोष ह िजनक पहचान क िचp ह - गणदोष (1) वरयोिन (2) नाडीदोष (3) िदा)दश (4) नवमपचम (5) षड(क (6) जहा दोष का थोड़ा प]रहार ह वहा (-) जहा परा िनवा)ह ह वहा (x +) का िचp ह जहा वर क पव) वध का नlt ह वहा महादोष (0) माना ह दोषहीन कोDक म कवल गण ह 1-18 तक गण न( 19-27 मVयम व 27-36 BD होत ह

नोट - उपरोJ दोष क प]रहार हत आग िदया गया फिलत म परमोपयोगी 5ह-w(यािद चT क सहायता स 5ह क मी चT का अवलोकन करत हbए आप सरलता स दोष प]रहार कर सकत ह यिद रािश -वमी मी हो तो भी दोषप]रहार हो जाता ह अय प]रि-थितय का भी िवचार कर लना चािहए

जम कBडली िमलान का उदाहरण - szlig Uacute U middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave szlig Š aeligecirc middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave

वर का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

रिव 05101984 1035 ात जयपर राज-थान

जमनlt - धिनDा - थम चरण रािश - मकर रािश-वामी - शिन

कया का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

पजा 05111983 0455 ात काल कोटा राज-थान

जमनlt - -वाती - चतथ) चरण रािश - तला रािश-वामी - शT

211

अ$कट िमलान गण-तािलका

कट वर कया दोष अिधकतम ााङक lt

वण) वHय िव - 1 1 जातीय कम)

वHय जलचर जलचर - 2 frac12 -वभाव

तारा 2य]र साधक - 3 3 भाय

योिन िसह माजा)र - 4 1 यौन-िवचार

5हमी शिन च - 5 5 आपसी-सबध

गण राltस राltस - 6 1 सामािजकता

भकट मकर कक) - 7 7 जीवन-शली

नाड़ी मVय अ2य - 8 8 आयसतान

कल - - - 36 26frac12 -

िमलान-िवH लषण - रिव का वग) माजा)र ह पजा का वग) माजा)र ह इन दोन म समता ह अ(कट तािलका म वण) स लकर नाड़ी तक िकसी क भी गण शय नहS आय ह अत अ(कट िमलान िनद[ष ह

मगल िवचार - रिव माङगिलक नहS ह Pयिक कampड़ली म मङगल 1-4-7-8-12 म ि-थत नहS ह मङगल रिव क कampड़ली म ितीय भाव म ि-थत ह

पजा मङगिलक ह Pयिक पजा क कampड़ली म मङगल ादश भाव म ि-थत ह

मङगल दोष प]रहार - फिलत स5ह एव aयोितष दप)ण क अनसार यिद वर-कया क कampड़ली म स कोई एक मङगलदोष स पीिडत हो तथा दसर क कampड़ली म 1-4-7-8-12 भाव म मङगल अथवा अय कोई पाप5ह ि-थत हो तो मङगलदोष का प]रहार हो जाता ह यथा -

शिन भौमोऽथवा किhत पापो वा ताwशो भवत

त_वव भवन_वव भौमदोषिवनाशकत 1 - फिलत स5ह

भौमन सwशो भौम पापो वा ताwशो भवत

िववाह शभद ोJिhराय पपौद 2

भौमतAयो यदा भौम पापो वा ताwशो भवत

उाह शभद ोJिhराय पवध)न 3 - aयोितष त2 2 व

िन_कष) - अ(कट िमलान िनद[ष ह तथा मङगलदोष का भी प]रहार हो रहा ह अत सबध BD ह

212

911 साराश

कampड़ली का सातवा भाव िववाह प2नी ससराल भागीदारी का कहा गया ह िववाह एक स-कार ह जो सतान परपरा को अltampण रखन तथा आ2मसयम एव पार-प]रक सहयोग ारा जीवन म आLयदय ाि हत ी-पlष को एक स म बाधता ह अत इसी प]र Cय म aयोितष ारा ारा कampड़ली म िववाह योग तथा िववाह िमलान हत ाय माता-िपता को आत दखा गया ह िववाह स सदभ) म कारक 5ह शT गl और मङगल को कहा गया ह सम समश का शभ सबध इन 5ह स कampड़ली म सखी ववािहक जीवन क सचना दता ह

भारतीय परपरा क अनसार सखी और समX दाप2य क िलए िविधवत वर-कया का चयन मलापक ारा िकया जाता ह इसक िलए वर-वध क जम-नlt क आधार पर अ(कट गण िमलान करन क िविध शा ारा िनदyिशत ह अत इस इकाई क माVयम स िववाह पर समीचीन gtान का सचार सभी म हो सकता ह

912 श दावली

bull दवgt = दवताओ क िवषय क gtाता

bull आBम = ~चय) गह-थ वान -थ सयास

bull मलापक = कampड़ली व अ(कट िमलान

bull प]रहार = दोष क िनवि9

bull रािशमी = रािश -वािमय क िमता

bull अ(कट = 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन

5 राशीशमी 6 गण

7 भकट 8 नाड़ी

bull वषली = मािसक-धम) ा कया

913 अित लघ+रामक

1 िववाह क tया^या किजए

उ9र िव = िवशष वाह = वहन करना अथा)त िवशषfप स वहन करन योय सबध को िववाह कहत ह

2 जमकampड़ली म िववाह सबधी B िकस भाव स दखा जायगा

213

उ9र िववाह का कारक भाव सम भाव को कहा जाता ह

3 िववाह क सदभ) म कampड़ली िमलान का Pया मह|व ह

उ9र वर-कया क िवशषता एव अवगण का दाप2य जीवन क आचरण का िवचार कampड़ली िमलान स ही होता ह

4 अ(कट गण िमलान िकस कहत ह

उ9र जम नlt ारा मलापक को अ(कट गण िमलान कहत ह

5 मलापक रह-य को िकन चार वगv म िवभािजत िकया गया ह

उ9र ल5 मलापक 5ह मलापक भाव मलापक एव नlt मलापक

6 कampड़ली िमलान क सदभ) म कौन सा मलापक सवा)िधक चिलत ह

उ9र नlt मलापक ही सवा)िधक चिलत ह

7 वर-कया म िकसी एक क अि5 त2 2 व क ल5रािश ह तो दसर पlt क कौनसी रािश अनकल होगी

उ9र दसर पlt क िलए अि5 तथा वाय त2 2 व ल5 को अनकलता दान करगी

8 अ(कट गण िमलान म कौनस आठ त2 2 व बताय गय ह

उ9र 1 वण) 2 वHय 3 तारा 4 योिन 5 राशीशमी 6 गण 7 भकट 8 नाड़ी

9 अ(कट गण िमलान म कल िकतन गणाङक बताय गय ह

उ9र अिधकतम 36 गण िमलान क ााङक होत ह

10 मङगिलक का िवचार िकन भाव स िकया जाता ह

उ9र मङगिलक का िवचार ल5 चतथ) सम अ(म एव ादश भाव म मङगल क ि-थत होन पर िकया जाता ह

914 लघ+रामक

1 ल5ािद ादश भाव का िववाह पर भाव बताईय

2 जमकampड़ली म िववाह हत शभ योग का वण)न किजय

3 िववाह हत जमपी िमलान का Pया मह|व ह

4 मङगिलक दोष Pया होता ह एव कampड़ली िमलान म उसका Pया भाव ह सप]रहार िववचना किजय

214

5 नीच िदय गय जमाङग क आधार पर अ(कट िमलान पर काश डािलय

वर का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

िवकास 22031975 0700 ात दहली भारत

जमनlt - पनव)स - थम चरण रािश - िमथन रािश-वामी - बध

कया का नाम जमितिथ जमसमय ज-थान

पित) 30111977 0650 साय काल आगरा उ9र दश

जमनlt - प_य - ितीय चरण रािश - कक) रािश-वामी - च

szlig Uacute U middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave szlig Š aeligecirc middot curren egrave middot eacutecurren Dagger Ccedil UUuml egrave

915 स0दभ 130थ

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक Bी सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

3 िववाह-स-कार ितीय स-करण

सपादक डॉ रिव शमा)

काशक हसा काशन जयपर

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इकाई 10

िविभ न योग ndash राजयोग गजकशरीयोगसर वती

योग नीचभड़ग योग महाल मी योग इकाई क परखा

100 - तावना 101 उGH य 102 िवषय वश 1021 योग का बल एव योग म कमी 1022 पk च महापfष योग 1023 सय) स बनन वाल योग 1024 च स बनन वाल कछ योग 1025 अ य राजयोग सर- वती योग एव िविभ न राजयोग 1026 िवपरीत राजयोग तथा राजभग योग िवचार 103 साराश 104 बोध H न 105 शK दावली 106 सदभ) 5थ सची

100 तावना

a योितष शा- स सब िधत यह 10 वS इकाई हा इस इकाई का चयन यहा पर िवशष fप स िकया गया ह इस ससार म जो भी ाणी ह व सभी फल क इk छा रखत हbए कोई भी काय) करत ह पर त यहा पर योग क अनसार बताया गया िक िकस योग म उ2 प न होन पर कोनसा फल ा त होगा ऋिष परासर न योग क सदभ) म एक िवशष धारणा दी क क एक 1 4 7 10 िकोण 1 9 5 का - वामी एक ही 5ह होन पर 5ह योग कारक हो जाता ह इस कार उ हन 5ह को ही नहS अिपत भाव क यित सबध को भी मा यता भी ह मानव जीवन क लाभाथ) और भी उk च कोिट क योग का वण)न िकया गया ह जस पचमहापfष योग इस योग क अ तग)त lsquorsquoसचकrsquorsquo नामक योग सव) थम बनता ह िजसम t यिJ 70 वष) क अव- था तक सख भोगता ह अ य योग भी इसम बनत जो मानव जीवन को काफ हद तक लाभ

229

पहbचात ह ठीक इसी कार इस इकाई म राजभamp ड योग का भी वण)न िकया गया इसम मानव जीवन भी काफ भािवत होता ह इसका िनदान करन पर लाभ ा त होता ह

101 उ य

इस इकाई क अV ययन क पhात आप िन न िलिखत िवषय क बार म जानकारी ा त करग - 1 सव) थम आप योग क बल क बार म जानकारी पायग

2 योग म कमी एव योग क अिधक बल तथा योग और राहb कत क बार म जानग 3 उदाहरण सिहत पचमहापfष योग क पण)तया fप स gtान ा त करग 4 सय) 5ह स बनन वाल कछ योग भी जानग 5 अ य योग क जानकारी भी ा त करग 6 शभ वसी शभवासी योग उभयचारी यो क जानकारी ा त करग 7 च 5ह क अनसार उ2 प न योग अनफा सनफा कमम Bीकठ Bीनाथ तथा गजकशरी योग को उदाहरण सिहत जान पायग 8 राजयोग का शाK दीक अथ) तथा राजयोग क िवभाग क जानकारी ा त करग 9 राजयोग को िविभ न - तर पर जानग 10 चार 5ह उk च होन पर एव तीन 5ह उk च क इनम स एक 5ह ल न म ि-थत होन स उ2 प न राजयोग क जानकारी ा त करग 11 सर- वती योग लC मी योग तथा कलानीिध योग जानग 12 साथ ही धन योग महाभा य योग तथा नीच भग राज योग क जानकारी ा त करग 13 िवप]रत राजयोग उदाहरण सिहत जानग 14 साथ ही पण)तया fप स राजभग योग क जानकारी ा त करग

102 िवषय वश

जम-पिका म िकहS दो या दो स अिधक 5ह क पर-पर सबध को िवशष फल दन वाला माना गया ह 5ह क पर-पर सबध स ता2पय) चतिव)ध सबध स ह यह चार कार का सबध 5ह क पर-पर यित प]रवत)न wि( तथा िविश( भाव म ि-थित स ह सामायतया योग का अथ) यित स ह परत aयोितष म यित स िभन अय सबध को भी योग क Bणी म रखा गया ह चतिव)ध सबध कािधपितय अथवा िकोणािधपितय म हो तो BD फल दन वाला होता ह ऐसी मायता ह

जम-पिका म योग होन पर 5ह अपन सामाय गण क अपltा अित]रJ फल दत ह जो सामायतया नहS दत

उदाहरणाथ) - सय) यश क नसिग)क कारक ह तथा बध ितभा क सय) व बध क यित बधािद2य योग बनाती ह िजस tयिJ क जम-पिका म बधािद2य योग होता ह उसक काय) णाली भी िवशष होती

230

ह तथा िकसी िवषय िवशष का िवशषgt होता ह यह यित िजतनी शभ होगी उतनी अिधक िवशषgtता tयिJ को ा होगी यह िवशषgtता िकसी एक 5ह िवशष क कारण नहS होगी अिपत बधािद2य योग क कारण होगी

उपय)J विण)त योग कवल एक उदाहरण मा ह ऐस सकड़ हजार योग व शा म विण)त ह

योग क अतग)त 5ह अपन मौिलक गण को छोड़कर या उन गण क सीमा स बाहर जाकर िवशष प]रणाम दत ह

इस ऐस समझ सकत ह िक िजस कार रसायन शा म त2व क यम स िमBण बनता ह वह िविश( गण रखता ह जस- हाइोजन व ऑPसीजन क योग स जल बनता ह

ऋिष पाराशर न योग क सदभ) म एक िवशष धारणा दी िक क-िकोण का -वामी एक ही 5ह होन पर 5ह योगकारक हो जाता ह इस कार उहन 5ह को ही नहS अिपत भाव क यित सबध को भी मायता दी

योग का बल

योग कब बली होत ह इस सबध म िविभन िवान न ऋिष पाराशर क िदए िनयम पर मतPय रखा ह िक जब क-िकोण क -वामी आपस म सबध कर तो िवशष प]रणाम दत ह

अपवाद-1 - इस सबध म एक अपवाद पर Vयान िदया जाना आवHयक ह जब सय) क यित स कोई 5ह योग बनाता ह तो सय) क िनकटता क आधार पर योग बली हो जाता ह व 5ह उ2क( प]रणाम दत ह परत िनकटता ही 5ह को अ-तगत भी करती ह तथा प]रणाम क उ2क(ता म कमी ला दती ह 5ह क अ-तगत अश हम िपछली इकाईय म पढ़ चक ह

अपवाद - 2 - जब दो 5ह क यित स योग तो बन पर त दोन ही 5ह समान अश पर ि-थत ह तो 5ह क ऐसी अव-था उनक पर-पर यX क अव-था होगी और उस यX म िकसी एक 5ह को परािजत होना पड़गा अत परािजत 5ह क मौिलक गण म कमी आ जाती ह इसी कारण उस 5ह क भाव म कमी आएगी परत योग क िविश( फल भी ा हग

योग का अिधक बल

जब कampडली क योग कारक 5ह क उन भाव म ि-थित हो जो भाव BD कह गए ह तब व अिधक बली हो जात ह इस Tम म पहली ि-थित 5ह का क-िकोण म ि-थत होना ह

दसरी ि-थित 5ह का अपनी उkचरािश म ि-थत होना ह तीसरी ि-थित वह ह जब िकसी 5ह को अय 5ह क अपltा BD षडबल ा हो

231

योग म0 कमी -

1 जब िकसी जम-पिका म योगकारक 5ह द-थान म ि-थत ह तो 5ह क फल म कमी आ जाती ह

2 जब 5ह अपनी उkचािद रािश म ि-थत न हो

3 जब योग कारक 5ह अ-त हो

4 जब योग कारक 5ह का षडबल कम हो

5 जब 5ह अपनी नीच रािश म ि-थत हो

6 यिद योगकारक 5ह िषडयपित अथवा द-थान क -वामी स सबध -थािपत कर तो योग भग हो जाता ह

योग और राह4-कत

राहb तथा कत छाया5ह ह अत इनका भौितक अि-त2व नहS माना गया (यह तय हम 5ह क िव-तत िववचन म पढ़ चक ह) दोन ही 5ह को िकसी रािश िवशष का -वत -वािम2व ा नहS ह अत य िजस भी भाव म बठत ह या िजस भाव क -वामी क साथ बठत ह उसी स सबिधत फल दान करत ह यिद इनक ि-थित कािधपितय क साथ ह तो सम प]रणाम दत ह

यिद य िकोणािधपितय क साथ ि-थत ह तो शभ प]रणाम दत ह

िषडयपितय क साथ ि-थत ह तो उनक समान फल दत ह

पच महापlष योग

aयोितष योग क Tम म पचमहापlष योग Tमश मगल बध गl शT तथा शिन स बनत ह हम पढ़ चक ह िक जम-पिका म 5ह क िवशष ि-थित योग बनाती ह इस Tम म सव) थम पचमहापlष योग का अVययन करग

मगल बध बह-पित शT तथा शिन क जम-पिका क क -थान म -वरािश अथवा अपनी उkचरािश म ि-थित स Tमश lचक भ हस मालtय तथा शश योग बनता ह

उदाहरणाथ -

lचक योगफल - िकसी जम-पिका म मगल जब क म मष विhक अथवा मकर रािश म ि-थत

होत ह तो lचक योग बनता ह यह योग होन पर tयिJ अनशािसत साहसी ित- पधा)2 मक शिJ रखन वाला साहस स धनाज)न करन वाला अपन गण क कारण िसX होन वाला होता ह एव 70 वष) क अव- था तक सख भोगता ह ऐसा सामाय िनयम ह

232

भ योग फल - िकसी जम-पिका म बध जब क म िमथन अथवा कया रािश म ि-थत होत ह तो

भ योग बनता ह

जम-पिका म भ योग होन पर tयिJ अ2यिधक बिXमान िवान tयिJय स शसा पान वाला वभवपण) जीवन वाला वाक व भाषण कला म िनपण होता ह शर क समान मख वाला गज क समान चलन वाला चौड़ी छोटी ल बा कदवाला मोटा होता हा ऐस tयिJ उkचािधकारी भी बनता ह

हस योग फल - िकसी जम-पिका म बह-पित जब क म धन मीन अथवा कक) रािश म ि-थत होत

ह तो हस योग बनता ह

जम-पिका म हस योग होन पर tयिJ सौय tयवहार स यJ सदर साि2वक िवचार वाला तथा अkछा भोजन खान-पीन का शौकन होता ह ऐस tयिJय क हाथ-पर म िवशष शभ िचह भी पाए जात ह

माल`य योग - िकसी जम-पिका म शT जब क म वषभ तला अथवा मीन रािश म ि-थत होत ह

तो मालt य योग बनता ह

233

मालtय योग होन पर tयिJ िवान सदव सन रहन वाला यश-वी िनरतर विX को ा करन वाला तथा धय)वान होता ह ऐस tयिJ को वाहन सख अिधक ा होता ह तथा जीवन म ी पlt स लाभ िमलता ह

शश योग - िकसी जम-पिका म शिन जब क म तला मकर अथवा कभ रािश म ि-थत होत ह तो

शश योग बनता ह

शश योग होन पर tयिJ भावशाली अय tयिJय स शसा पान वाला धनी व सखी होता ह ऐस tयिJ दसर tयिJय क शसा भी खब करत ह एव इसक आय 77 वष) क होती ह एव चनाव म शी सफलता िमलती ह

सय स बनन वाल कछ योग -

िकसी भी जम-पिका म सय) क ि-थित क आस-पास ि-थत 5ह स बनन वाल कछ योग िनन ह -

शभविस योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसस ितीय भाव म राहb-कत क अित]रJ कोई 5ह अथा)त मगल बध गl शT अथवा शिन ि-थत ह तो शभविस योग बनता ह उदाहरण -वfप यिद वषभ लन क जम-पिका म सय) िसह रािश म ि-थत ह तथा कया रािश म बध ह तो शभविस योग बनगा

234

शभवािस योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म राहbकत क अित]रJ कोई अय 5ह ि-थत हो तो शभवािस योग बनता ह उदाहरण -वfप कभ लन क कampडली म यिद सय) धन रािश म ह तथा मगल विhक रािश म ह तो यह योग बनगा

उभयचरी योग - जम-पिका म सय) िजस भाव म ि-थत ह उसक दोन ओर अथा)त उसस ितीय व ादश भाव म कोई 5ह हो तो उभयचरी योग बनता ह उदाहरण -वfप तला लन क कampडली म यिद मकर रािश म सय) ह तथा धन रािश म बध व कभ रािश म शT ह तो उभयचरी योग बनता ह

च मा स बनन वाल कछ योग -

अनफा योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म सय) क अित]रJ कोई 5ह हो तथा उसस ितीय भाव म कोई 5ह न हो तो अनफा योग होता ह

योगफल - यह योग होन पर tयिJ समाज म ितिDत व शीलवान होता ह

सनफा योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ादश भाव म कोई 5ह ि-थत ना हो तथा ितीय भाव म कोई 5ह हो तो सनफा योग होता ह

योगफल - यह योग होन पर tयिJ बिXमान व धनवान होता ह तथा उसक बहbत ^याित होती ह

कमम योग - जम-पिका म चमा िजस भाव म ि-थत ह उसस ितीय तथा ादश भाव म यिद कोई 5ह न हो तो कमम योग होता ह

कमम योग अशभ योग क Bणी म आता ह इस द]र योग भी कहा जाता ह द]रता कवल धन क ही नहS अिपत ]रHत म कमी स भी मानी जा सकती ह

Bीकठ योग - िकसी जम-पिका म लनश सय) व चमा -वरािश िम अथवा उkच रािश म होकर क अथवा िकोण म ि-थत ह तो Bी कamp ठ योग होता ह

उदाहरण - मष लन क कampडली म सय) व मगल दोन अपनी उkच रािश म ि-थत ह मगल लनश भी ह तथा चमा -वरािश कक) म ि-थत होकर Bीकठ योग बना रह ह

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Bीनाथ योग - िकसी जम-पिका म भायश बध व शT िम क रािश -वरािश या उkच रािश म होकर क या िकोण म ि-थत ह तो Bीनाथ योग बनता ह

गजकशरी योग - िकसी जम-पिका म बह-पित यिद चमा स क म ि-थत ह तथा शभ 5ह स w( या यत ह अथा)त कोई पाप या अशभ wि( बह-पित व चमा पर न हो तो गजकसरी योग होता ह इस योग म बह-पित यिद अपनी श या नीच रािश म नहS होन चािहए

गजकशरी योग होन पर tयिJ अkछा पद ा करता ह अनभव क आधार पर यिद दख तो यह धनदायी भी होता ह

राजयोग - राजयोग का शािKदक अथ) ह राजा स योग वत)मान प]र C य म राजा स ता2पय) सरकार तथा सरकार स जड़ उkचािधकारी जो -वत fप स िनण)य लन म सltम होत ह जस िक िकसी िजल का कलPटर या समकlt अय अिधकारी

राजयोग को म यत दो कार स दखा जाता ह

थम - िजनम राजा क शिJ का योग िकया जाए

ितीय - वह िजनम दampड का अिधकार शािमल हो

थम Bणी क राजयोग म इनकम टPस व सAस टPस अिधका]रय क गणना क जा सकती ह

तथा ितीय Bणी क राजयोग म यायाधीश आिद क गणना क जाती ह

वा-तव म राजयोग वही BD ह िजसम tयिJ को ltािधकार व दampडािधकार दोन ही िमल तथा वह िनबा)ध तथा -वत fप स अिधकार क िTयावयन कर सक

िवशष - िजस tयिJ क जम-पिका म राजयोग होता ह वह -वय पद का उपभोग करता ह तथा िजसक जम-पिका म राजयोग बािधत होता ह वह दसर क माVयम स शासन करता ह तथा स9ा का अिधकार नहS भोग पाता

इस Bणी म िनन tयिJय को रखा जा सकता ह

1 म यमी धानमी तथा बलाबल क आधार पर एसपीआिद

2 अमा2य महामा2य - डीसीपी एसडीएम आिद

3 राज भवनगामी - धानमी म यमी राaयपाल आिद क प]रवार क सद-य जो उन पर आिBत ह

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4 राजा क अिधकारी - अथा)त सरकारी िवभाग स जड़ tयिJ- कलPटर स लकर चपरासी तक इस Bणी म आत ह जो राजकोष स वतन पात ह

5 राजकपा पान वाल tयिJ - अपन उFोग क िलए ऋण ा करन वाल tयिJ या बक तथा सरकारी िव9ीय स-थाओ स िव9ीय सहायता ा करन वाल tयिJ

राजयोग को हम िभन-िभन -तर पर समझन का यास करग

1 सव) थम क तथा िकोण का सबध होन पर राजयोग बनता ह यह सबध चतिव)ध सबध म स िकसी भी कार स बन सकता ह

2 -वरािश म ि-थत 5ह बलवान हो जात ह

3 यिद जम-पिका म तीन या अिधक 5ह अपनी उkच रािश म ि-थत ह तो राजयोग क ि-थित बनती ह

4 जम-पिका क योगकारक 5ह यिद नवाश म भी अkछी ि-थित म ह तो फल म बढ़ो9री करत ह

5 वग[9म लन - िजस जम-पिका म जम लन व नवाश लन एक ही हो तो वह वग[9म लन कहS जाती ह

6 वग[9म 5ह - कोई भी 5ह जम-पिका म िजस रािश म ह यिद नवाश म भी उसी रािश म ि-थत हो तो वह 5ह वग[9म कहलाता ह

वग[9म लन तथा वग[9म 5ह को अ2यिधक बली माना गया ह राजयोग क सदभ) म एक मह2 2 वपण) भिमका इन दोन क भी होती ह

अय राजयोग - राजयोग म0 च मा क मह वपण भिमका होती ह

1 जम-पिका म यिद पltबली चमा ह तथा -वरािश या उkचरािश म ि-थत कोई अय 5ह उह पण) wि( स दख तो tयिJ िनन प]रवार म जम लन क बाद भी राजा क समान सख भोगता ह

2 जम-पिका म पिण)मा क चमा लन क अित]रJ िकसी क म ह तो उkच कोिट का राजयोग बनता ह

3 यिद क म शभ 5ह ह अथा)त पाप5ह न ह तथा पण) चमा िसह नवाश म ह तो राजयोग बनता ह

िवशष - राजयोगकारी 5ह यिद अ-त ह तो प]रणाम म कमी आ जाती ह अथा)त योग पण)त फिलत नहS होता 2यक लन क िलए क व िकोण क -वामी होन क कारण अलग-अलग 5ह राजयोगकारी होत ह

237

1 मष लन - मष लन क कampडली म चमा व सय) चतथ) व पचम भाव क -वामी होन क कारण योगकारक होत ह

2 वषभ लन - सय) व शिन योगकारक ह सय) चतथyश ह तथा शिन नवमश-दशमश जम-पिका म इनक क -िकोण म ि-थित तथा शभ 5ह स स ब ध होन पर राजयोग क पि( करता ह

3 िमथन लन - िमथन लन क जम-पिका म बध लन व चतथ) भाव क -वामी होन क कारण योगकारक ह

4 कक) लन - कक) लन क िलए चमा व मगल िवशष योगकारक होत ह चमा लनश ह तथा मगल पचमश व दशमश ह

5 िसह लन - िसह लन क िलए सय) व मगल योगकारक 5ह ह सय) लनश ह तथा मगल चतथyश व नवमश ह

6 कया लन - कया लन म बध लनश व दशमश ह अत योगकारी ह

7 तला लन - तला लन म शिन व चमा योगकारक ह शिन चतथyश व पचमश ह तथा चमा दशमश ह

8 विhक लन - विhक लन क िलए चमा व सय) योगकारक होत ह चमा नवमश ह तथा सय) दशमश होन क कारण योगकारक होत ह

9 धन लन - धन लन म बह-पित लनश तथा चतथyश होन क कारण योगकारक ह

10 मकर लन - मकर लन म शT योगकारक होत ह शT पचमश व दशमश ह

11 मीन लन - मीन लन क िलए बह-पित लनश व दशमश ह अत योगकारक ह

नोट ndash

1 योगकारक 5ह जब जम-पिका म बली ह शभ यत व w( ह शभ भाव म ह तभी फल दत ह

2 योगकारक 5ह उनक दशा अतद)शा आन पर ही फल दत ह

5ह क उkच या -वरािश म ि-थित क आधार पर बनन वाल राजयोग का वण)न िनन ह

1 चार 5ह उkच और उनम स एक 5ह ल5 म हो तो

िन राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म शिन तला म और मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म मगल मकर म और सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर म सय) मष म और गl कक) रािश म ह

238

times मगल मकर क ल5 म सय) मष म गl कक) म और शिन तला रािश म ह

2 तीन 5ह उkच म और उनम स एक ल5 म हो तो िनिलिखत राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म शिन तला म ह

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म मगल मकर म ह

times सय) मष रािश क ल5 म शिन तला म मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म और मगल मकर रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म शिन तला म सय) मष रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म मगल मकर रािश क सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर रािश म सय) मष रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म मगल मकर रािश म गl कक) म ह

times शिन तला रािश क ल5 म गl कक) म सय) मष म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म सय) मष म गl कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म सय) मष रािश म शिन तला म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म शिन तला म गl कक) म ह

3 च कक) म दो 5ह उkच क और 5ह ल5 म हो तो िन राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म गl कक) म च कक) रािश म ह

times गl व च कक) रािश म ल5 म और सय) मष म ह

times सय) मष रािश क ल5 म च कक) म शिन तला रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म च कक) म सय) मष म ह

times सय) मष रािश क ल5 म च कक) म मगल मकर रािश म ह

1मगल मकर रािश क ल5 म च कक) म सय) म रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म च कक) रािश म शिन तला रािश म ह

times शिन तला रािश क ल5 म च कक) म गl कक) रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म च कक) म मगल मकर रािश म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म च कक) म गl कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 मच कक) म शिन तला रािश म ह

239

times शिन तला रािश क ल5 मच कक) म मगल मकर रािश म ह

4 च कक) म एक 5ह उkच क ल5 म हो तो िन

राजयोग बनग

times सय) मष रािश क ल5 म और च कक) रािश म ह

times गl कक) रािश क ल5 म और च कक) म ह

times शिन तला रािश क ल5 म और च कक) म ह

times मगल मकर रािश क ल5 म और चमा कक) रािश म ह

सरवती योग

यिद बध बह-पित एव शT लन स क-िकोण या ितीय -थान म ह और बह-पित -वरािश िम रािश या उkच रािश म बलवान ह तो सर-वती योग होता ह

इस योग म जम tयिJ िवान नाटककार अkछ सािह2यकार एव कला म वीणहोत ह

लwमी योग

यिद भायश अपनी मल िकोण या उkच रािश म परमोkच होकर क म हो और लनश बली हो तो लCमी योग होता ह ऐसा tयिJ िवान यश-वी राजा स समािनत अनक कार क सख को भोगन वाला तथा सतान सख को ा करन वाला होता ह

भायश और लनश क महादशा िवशष फलदायक होती ह

कलािनिध योग

लन स ितीय म बध तथा शT स यJ या w( बह-पित ह या बह-पित बध या शT क रािश म ह तो कलािनिध योग होता ह इस योग म जमा tयिJ सदगण सपन राजाओ स समािनत एव अनक सख को ा करन वाला होता ह तथा वह ाय िनरोग व िनभ)य रहता ह

धन योग

1 लन का ितीय एव एकादश स सबध धन योग कारक माना जाता ह

2 यिद धनश-धन भाव म लाभश लाभ भाव म एव लनश-लन म ि-थत ह

3 धनश और लाभश -वरािश उkचरािश या िमरािश या लाभ म ि-थत ह

4 लाभश और धनश िम ह और लन म एक साथ ि-थत ह

5 लाभश धनश और लनश लन म ि-थत ह

6 चमा ितीय भाव म शT स w( ह तो tयिJ धनाढय होता ह

240

7 बध ितीय भाव म शभ 5ह स w(iuml ह तो tयिJ सदा धनवान रहता ह यिद धनश वT हो तो सब िदशाओ स लाभ करात ह

8 बध पचम भाव म -वरािश क ह च-मगल एकादश म ह तो धन योग होता ह

9 सय) लन म -वरािश क मगल और बह-पित स यत या w( ह तो धन योग होता ह

10 च -वरािश क लन म बह-पित-मगल स यत या w( ह तो धन योग होता ह

महाभाय योग

पlष क कampडली म िदन का जम हो सय) च एव लन िवषम रािश क ह ी क कampडली म राि का जम हो और सय) च एव लन सम रािशय म ह तो महाभाय योग होता ह इस योग म जम tयिJ सव) सख सपन एव महा भायशाली होत ह नीच भग राजयोग - िपछल अVयाय म हमन पढ़ा था िक नीच 5ह शभफल नहS दत परत यिद नीच

5ह का नीच भग हो जाता ह तो वही 5ह राजयोग कारक हो जाता ह

वही नीच5ह शभफल दाता हो जाता ह 5ह का नीचभग होन क ि-थि9या िनन ह -

1 नीच रािश का -वामी चमा स क म हो

2 नीच 5ह का उkचनाथ चमा स क म हो

यिद जम-पिका म उपरोJ दोन ही ि-थितया हो तभी 5ह का नीच भग होता ह इसको एक उदाहरण स समझत ह-

इस उदाहरण म सय) अपनी नीच रािश तला म ि-थत ह तला क -वामी शT चमा स दशम अथा)त क म ह अत शत) क पित) हbई नीच भग क िलए दसरी शत) यह ह िक नीच 5ह का उkच नाथ भी चमा स क म होना चािहए उkचनाथ का ता2पय) ह िक वह 5ह िजस रािश म उkच का होता ह उस रािश का -वामी हमार उदाहरण म नीच 5ह सय) ह तथा सय) मष रािश म उkच क होत ह िजसक -वामी मगल ह अत सय) क उkचनाथ मगल हग यहा मगल चमा स सम म अथा)तiuml क म ि-थत ह अत दोन शतv क पित) क कारण नीच भग राजयोग क ि-थित बनती ह उkचनाथ को समझन क

241

िलए हम एक और 5ह का उदाहरण लत ह मगल मकर रािश म उkच क होत ह अत मकर क -वामी शिन मगल क उkचनाथ हग

नीच भग क दसरी - थान थम ि-थित स िमलती जलती ह इस क अनसार नीच 5ह का -वामी एव नीच 5ह का उkचनाथ एक दसर स पर-पर क म ह

इस उदाहरण म सय) अपनी नीच रािश तला म ि-थत ह नीच रािश क -वामी ह शT तथा नीच 5ह सय) क उkचनाथ ह मगल अत शT एव मगल क एक दसर स क म ि-थत होन स नीच भग राजयोग बनगा यहा मगल एव शT पर-पर सम ह अत दोन क पर-पर क म होन क कारण नीच भग राजयोग बन रहा ह

नीच भग क तीसरी ि-थित यह ह िक िजस रािश म नीच 5ह ि-थत ह उस रािश का -वामी पण) wि( स नीच 5ह को दखता हो तो नीच भग राजयोग बनता ह यिद नीच 5ह 6812 म ि-थत ह तो नीच भग राजयोग कम बली होगा परत यिद इन द-थान क अित]रJ -थान पर होगा तो BD नीच भग राजयोग बनगा

उदाहरण क म नीच रािश तला क -वामी शT सय) स 480 ही दर रह सकत ह अतसय) का नीच भग

इस कार सभव नहS ह उदाहरण ख म मगल नीच रािश कक) म ि-थत ह कक) क -वामी चमा पण) wि( स नीच 5ह मगल पर wि(iumlपात कर रह ह अत मगल का नीच भग हो रहा ह

242

चतथ) िनयम यह ह िक नीच रािश का -वामी अथवा नीच 5ह का उkचनाथ जम लन या च लन स क म हो तो नीच भग राजयोग बनता ह थम ि-थित म हमन पढ़ा था िक यिद दोन चमा स क म हग तभी नीच भग राजयोग बनगा जबिक इस ि-थित म दोन म स एक क भी जम लन या च लन स क म होन पर नीच भग बताया गया ह िविभन जमपिकाओ क अVययन स यह gtात होता ह िक इसस राजयोग क BDता का िनधा)रण होता ह

इस उदाहरण म सय) क उkचनाथ मगल न तो लन न ही च लन स क म ह परत रािशनाथ शT जम लन स क म ि-थत ह अत िनयमानसार 5ह का नीच भग हो रहा ह

ऐसा माना जाता ह िक नीचभग राजयोग साधारण Bणी क नहS होत इस राजयोग वाल tयिJ िवशष पराTम स अपना -थान बना पात ह यह योग -थायी कित क नहS होत तथा योग ा होन क बाद कछ वषv म उनका म भी हो सकता ह परत एक कampडली म कई तरह क राजयोग ह तो राजयोग क काल क विX हो सकती ह

ाय करक जो 5ह नीच रािश म ि-थत ह नीचभग राजयोग होन पर उस 5ह क महादशाकाल म िवशष फल क ाि होती ह यिद नीच का 5ह अ-त भी हो तब फल क ाि म अवHय किठनाई आती ह परत नीच क 5ह को यिद अय 5ह दख तो उसक फल म विX हो जाती ह

िवपरीत राजयोग -

िवपरीत राजयोग क सबध म उ9र कालामत एव फलदीिपका म कछ िभनता ह हम यहा दोन 5थ म विण)त िवपरीत राजयोग क चचा) करग

उ9र कालामत क रचनाकार क अनसार जमपिका क अ(iumlम भाव का -वामी यिद छठ या बारहव भाव म ह छठ भाव का -वामी यिद आठव या बारहव म हो बारहव भाव का -वामी यिद छठ या आठव भाव म हो और इन अ]र(iuml भाव क -वािमय का आपस म यित या wि(iuml सबध हो तथा अय भाव क -वािमय स यित या wि(iuml सबध नहS हो तो यश ितDा धन एव राजसख क ाि होती ह फलदीिपका म इस िवषय म कछ िभनता ह फलदीिपका क अनसार षDiuml अ(म व ादश भाव क

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-वामी आपस म -थान प]रवत)न कर तो यह योग बनता ह जस षDश अ(म भाव म तथा अ(मश षD भाव म हो इसी बात को मEर महाराज न फलदीिपका म योग क माVयम स tयJ िकया ह-

1 जमपिका का छठा भाव अशभ 5ह स यत या w(iuml हो तथा छठ भाव का -वामी द -थान (6 8 12) म ि-थत हो तो हष) योग होता ह िजसस जातक शजयी यश-वी सखी व सपन होता ह

2 अ(म भाव का -वामी 6 8 या 12व भाव म ि-थत हो तो सरल योग बनाता ह जो जातक को िव^यात धनवान आयवान िनभ)य िवFा एव अय सख सपदा स यJ बनाता ह

3 जमपिका म ादश भाव का -वामी 6 8 या 12व भाव म ि-थत होकर िवमल योग का िनमा)ण करता ह जो िक जातक को उ9म काय) करन वाला यश-वी लCमीवान लोकि य एव -वत िवचारधारा वाला बनाता ह उपरोJ रचनाकार क मतानसार यह -प( ह िक-

aयोितष म 6 8 व 12व को द-थान माना गया ह तथा aयोितष क िसXात क अनसार इन भाव क -वामी िजस भाव म बठ उन भाव क फल म कमी करत ह अथा)तiuml अशभ भाव क -वामी 5ह अशभ भाव म बठग तो उस भाव क अशभ फल क कमी करत ह अत िवपरीत राजयोग क पीछ यह तय ह िक एक अ]र( भाव का -वामी यिद दसर अ]र(iuml भाव म जाएगा या उसक भावश स सबध -थािपत करगा तो उस भाव क फल क हािन करगा और िजसक कारण भाव क अ]र(ता म कमी आ जाएगी जब कampडली म अशभ भाव एव भावश क अशभ फल म कमी आती ह तो कampडली क योग का -तर बढ़ जाता ह िजसक फल-वfप जातक जीवन म यश ^याित राaयपद एव सख धन इ2यािद ा करता ह

उदाहरण - िवपरीत राजयोग कampडली aयोितष क िनयमानसार अ]र( भाव क -वामी क अ]र( भाव म ि-थित तथा भावश स सबध हो तो अशभ फल म कमी आ जाती ह िजसक फल-वfप जमपिका क सामाय शभ योग भी अkछ फल दान करत ह

िवपरीत राजयोग क अय उदाहरण

इस कampडली म बारहव भाव क -वामी आठव भाव म बठ ह

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इस कampडली म आठव भाव क -वामी छठ भाव म बठ ह

इस कampडली म छठ भाव क -वामी बारहव भाव म बठ ह तथा आठव भाव क -वामी छठ भाव म बठ ह

इस कampडली म बारहव भाव क -वामी आठव म आठव क -वामी छठ म एव छठ क -वामी बारहव म बठकर तीन कार क िवपरीत राजयोग बना रह ह

राजभग -

5ह क कपा स एक ओर जहा tयिJ राजसख भोगता ह वहS दसरी ओर दसरा tयिJ महान क( म जीवन tयतीत करता ह

कई बार जमपिका म थम w(या 5ह ि-थित ऐसी िदखाई दती ह िक tयिJ राजा सखी एव सपन होगा परत होता इसक िवपरीत ह ऐसी कौन सी 5ह ि-थितया या योग ह जो दसरी ि-थित को जम दत ह उनका िव`षण करत ह

स-कत क आिदकिव कािलदास जी न उ9र कालामत म राजयोग भग होन क कछ योग का वण)न िकया ह

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नीचथा6 परािजतव+रगता पापिampता2ातयङ

मKयथानगता6 व2िवकलवभानससगगा

भाकतिथतखचरा6 िवबला ष ठा ट+र फािधपा

क ा धीuरकोणपuरयतातद योग भगदा

अथा)त नीच 5ह 5ह यX म परा-त श रािश म पाप5ह स यत w( पाप5ह मVय ि-थत वT 5ह स यत अ-त हbआ 5ह राहb स यJ भाव सिध म ि-थत सभी 5ह िनब)ल होत ह छठ आठव एव बारहव भाव क -वामी 5ह क तथा िकोण क -वािमय क यित स उ2पन शभता को उनक साथ ि-थत होकर भग करन वाल होत ह यिद 5ह षडiumlबल म कमजोर ह तो वह राजयोग क पण) प]रणाम दन म असltम ह

जातक पा]रजात क जातक भगाVयाय म भी ऐस कछ योग कह गए ह जो राजयोग का भग करत ह

मष जकनवाशक िदनकर पापिampत िनधन

कयारािशगत यदा भगसत कयाशक िभampक

नीचeष वितनीच भाग सिहत जातो िदवानायक

राजm8 कला जो िप िवगतmीप)दाराशन

अथा)त यिद सय) मष रािश म ह िकत तला नवाश म हो और पाप5ह स w(iuml ह तो जातक िनध)न होता ह

शT यिद कया रािश एव कया नवाश म ही ह तो जातक क धन क िनरतर हािन होती ह यFिप शT वग[9म हग परत अपनी नीच रािश म होन स ऐसा फल दन वाल होत ह

यिद तला रािश म सय) अपन परम नीच भाग म तला म 10 अश पर ह तो जातक राजकल म सबस बड़ा होन पर भी राaय या शासन ा नहS कर पाता

राजयोग क सदभ) म लगभग सभी aयोितष गरथ म नवमश-दशमश क सबध को िवशष राजयोगकारी माना ह परत उ9र कालाम9 म इस योग पर एक मह2 2 वपण) िटपणी दी ह िक नवमश व दशमश क दसरी रािश यिद आठव अथवा यारहव भाव म पड़ जाए तो राजयोग का भग होता ह

यहा सबध को प+रभािषत करना भी आवRयक ह

लघ पाराशरी म0 चार कार क सबध विणत हy

amp) सबध hि$ सबध राशीश hि$ सबध यित सबध

यह सबध 2मानसार कमजोर फलदायी होत हy

धमकमािधनतारौ रzलाभािधपौ यिद तयो सबध मा)ण न योग लभत नर

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इनम सव[9म सबध lt सबध ह अथा)तiuml नवमश एव दशमश का आपसी प]रवत)न उसस कम फलदायी wि(iuml सबध माना ह अथा)तiuml नवमश-दशमश को पर-पर पण) wि(iuml स दख ततीय कार क सबध म नवमश व दशमश 5ह िजस रािश म ि-थत ह उनका -वामी उनको पण) wि(iuml स दख व चतथ) सबध यित अथा)तiuml नवमश-दशमश जमपिका म एक साथ िकसी भाव म ि-थत ह तो सबस कम फलदायी होता ह

aयोितष 5थ म ल5 क ही सबस शिJशाली होन क पि(iuml होती ह ल5 क पhात चमा को माना गया ह यिद िकसी जमपिका म ल5 एव चमा दोन खराब ि-थित म ह तो राजयोग न(iuml हो जाता ह अथा)तiuml ल5 व ल5श तथा चमा यिद अkछी ि-थित म ना ह तो राजयोग भग हो जाता ह

जमपिका म मगल बध गl शT एव शिन क काधीिDत -वरािश अथवा उkच रािश म होकर बनन वाल योग राजयोगकारी मान गए ह परत मानसागरीrsquo क लखकानसार-

क ोdचगा यWिप भसताWा मातBडशीताशयता भवित

शावcितनोवVपिGमामपाक यdछित त कवलसफलािन

अथा)तiuml जो 5ह पच महापlष योग बना रहा ह वह यिद सय) या चमा क साथ हो तो यह योग भग हो जाता ह उस 5ह क महादशा अथवा अतद)शा म कवल स2फल ा होता ह राजयोग नहS

सारावली म भी राजयोग क भग होन म चमा क ि-थित पर ही सवा)िधक जोर िदया गया ह

(क) यिद जमकampडली म सय) मगल गl व शिन यिद एक साथ ल5 म ह व चमा नीच क ह या उJ चार 5ह म स एक 5ह भी नीच का होकर ल5 म हो व चमा नीच रािश म ह तो राजयोग भग हो जाता ह

(ख) ltीण चमा यिद चर रािश क अितम नवाश म ह ि-थर रािश क अ(म नवाश म ह तथा ि-वभाव रािश क थम नवाश म ह और िकसी भी 5ह स w(iuml न ह तो राजयोग भग हो जाता ह

(ग) घटोदय नीचगतििभ5रहबह-पतौ सय)यत च नीचग एकोऽिप नोkच 2वशभ च सङगत शि-त नाश शतशो नपोवा

अथा)त यिद जम क समय म कभ ल5 हो व तीन 5ह नीच रािश म और नीच-थ गl सय) क साथ ह एव एक भी 5ह उkच-थ न हो तथा पाप5ह स यJ ल5 हो तो सकड़ राजयोग भी न( हो जात ह

(घ) यिद जम क समय अपन नवाश म सय) ह व चमा अ-त ह तथा पाप5ह स w(ी व शभ5ह स अw( ह तो जातक कछ समय तक राaय सख ा करक भी आशाओ का 2याग करक पीछ वन म जाकर दख ा करता ह

(ङ) परनीच गत च ltीणो योगो महीपत

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नाशमायाित राजव दवgt ितलोमग

अथा)त यिद जम क समय म ltीण चमा अपन परम नीचाश म ह तो राजयोग न(iuml हो जाता ह जस aयोितषी क िवlX राजा न(iuml हो जाता ह

(च) यिद जम क समय म शT नीच नवाश म ह तो जातक को असीिमत राaय सख ा होन पर भी राजयोग न(iuml हो जाता ह

िवपरीत राजयोग भी BDiuml राजयोगदायी ह परत फलदीिपकाकार मEर क अनसार वह भग भी होता ह उनक अनसार षD अ(iumlम व ादश भाव क -वामी यिद पर-पर -थान प]रवत)न कर lt सबधी ह तो राजयोग न होकर दय योगrsquo बनगा जस-

(क) षDश-ादश म व ादशश षD म हो

(ख) अ(मश षD म व षDश अ(म म हो

(ग) ादशश अ(म म व अ(मश ादश म हो

अत जमपिका का िव`षण करत समय कवल राजयोग को दखकर भिव_य कथन उिचत नहS ह अिपत राजभग क पि( भी अिनवाय) fप स कर लनी चािहए िजस कार बादल का एक टकड़ा सय) क तज को ढककर अधकार कर दता ह उसी कार जमपिका म उपि-थत राजभग योग सम-त ऐEयv को पान क बाद भी उनक भोग स विचत कर दता ह

103 साराश

अब तो आप लोग - प_ टतया जान गय हग िक राजयोग म ज म लन वाल अ2 यिधक सख पातह साथ ही उसी कार या त2 समान क_ ट क आ जाता ह लिकन िफर भी योग क भाव स उसको बहbत ही आसानी पव)क सामना करत हbए पन सफलता को ा त कर लत ह इस कार िववचना क आधार पर हम यह कह सकत ह िक िवपरीत राजयोग भी B_ ठ राजयोदायी ह पर त फलदीकाकार म H वर क अनसार वह भग भी होता ह उनक अनसार प_ ठ अ_ टम व ादश भाव क - वामी यिद पर- पर - थान प]रवतnन करक lt सबधी हो तो राजयोग न बनकर िनध)न योग ा त होगा जस -

क प_ ठश ndash ादश म ादशश प_ ठ म हो ख अ_ टमश _ _ ठ म व _ _ ठश अ_ टम म हो ग ादशश अ_ टम म च अ_ टमश ादश म हो अत ज मपिका दखत समय कवल राजयोग को दखकर भिव_ य कथन नहS कना चािहए राजभग योग का भी िवचार कर लना चािहए नहS तो समिचत फल को ा त नहS कर पायग

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105 श दावली

bull क दािधपित - 1 4 7 10 भाव क - वामी

bull िकोणािधपित ndash 1 9 5 - थान क - वामी

bull 5हयX ndash जब दो 5ह क यित स योग तो बन पर त दोन ही 5ह

समान अश पर ि-थत हो तो 5ह क ऐसी अव- था उनक पर- पर यX क अव- था होती ह और उस यX म िकसी 5ह म िकसी एक 5ह को परािजत होना पड़ता ह

bull अ- तगत 5ह ndash सय) क अश स च 20 मगल 17 0 बX 130 गf 110 शT 90 शिन 150 अशान तर कालाश स अ- तगत

समझना चािहए

bull िवफल2 व ndash सय) क साथ च ल न स चतथ) बध पk जम भाव म गf

दसर म मगल छठ म शT सातव म शिन हो तो िवफल अथा)त मौिलक फल क नाशक होत ह

106 सदभ 13थ सची

1 भारतीय a योितष लखक नमीच शा- ी पतीसवा स- करण 2002 काशन ndash भारतीय gtानपीठ 18 इ - टीटयशनल ए]रया

लोदी रोड नई िदA ली 2 लघपाराशरी

टीकाकार ndash सपादक ndash रामय2 न ओझा स- करण 2007 3 वहa जातकम 4 फलदीिपका

लखक म H वर

249

इकाई - 11

योितष शा0 और जिटल रोग3 का स4बध इकाई सरचना

111 -तावना 112 उGHय 113 िवषय वश 114 रोग का वगYकरण 115 रोग िनण)य क आवHयक तय 116 रोग िवचार क पDभिम 1161 भाव ारा रोग िवचार 1162 रािश ारा अग का िवचार 1163 5ह ारा रोग-िवचार 117 रोग-प]रgtान क िसXात 118 असाVय रोग क योग 1181 अप-मार (िमगY) रोग 1182 दोषपण) वाणी 1183 कण)रोग 1184 मानिसक रोग 1185 zदयरोग 1186 मधमह रोग 119 रोग-िनवित क उपाय 1110 साराश 1111 शK दावली 1112 Mाविल 1113 बोध M 1114 सदभ) 5थ सची

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111 तावना

a योितष शा- स सबिधत 11वS इकाई ह इस इकाई क अV ययन स आप बता सकत ह िक a योितष शा- और जिटल रोग का सबध P या ह इसक िवषय म स यग fप स वण)न िकया गया ह

aयोितष क wि( स हम कवल नौ 5ह का भाव मानत ह हमार सौरमamp डल क य नौ 5ह िविभन जातक क जम-पिकाओ म िविभन कार क भाव दिश)त करत ह इस इकाई म हम इन 5ह स उ2पन होन वाल रोग क बार म जानकारी ा करग एव जान पायग कई रोग तो ऐस ह जो सय) और चमा क िवशष भाव क कारण ही होत ह इसक अित]रJ हम इसक ारा यह gtान भी ा कर पायग िक इन रोग का उपचार aयोितष िवFा स कस िकया जाए

112 उय

इस ईकाई का अVययन करत हbए हम aयोितष शा और रोग क सबध क बार म जान पायग तथा यह बतान म सltम हग िक-

1 aयोितष और िचिक2सा का Pया सबध ह

2 रोग िनण)य क तय एव उनका वगYकरण

3 रोग िवचार क प_ ठभिम कस बनी

4 भाव क रोगो क अनसार कारक त2 2 व एव 5ह क कारक त2 2 व Pया हग

5 5ह ारा उ2पन रोग का उपचार कस िकया जाए

113 िवषय वश

aयोितष जस िविश_ ट िवषय क ित tयापक जनसमदाय क जागfकता िपछल कई दशक स लगातार बढ़ती जा रही ह अनक लोग अVययन व ारिभक -तर स काफ आग बढ़कर इस tयवसाय क तौर पर भी अगीकार कर रह ह इसका lt मन_य क जीवन म होन वाली हर गितिविधय म अ5सर हो रहा ह इहS म स एक िवषय मन_य क होन वाल रोग स सबिधत ह अय िवषय क भॉित रोग क सबध म भी जम कamp डली क आधार पर पव) जानकारी ा क जा सकती ह िचिक2सा aयोितष सव) ही aयोितष पाठयTम का अिभन अग ह

रोग क सबध म कछ लोग क धारणा ह िक व आहार-िवहार क अिनयिमतता क कारण उ2पन होत ह मन_य यिद इस पर समिचत िनयण रख तो वह -व-थ एव दीघ)जीवी बना रहता ह िकत aयोितष शा क मायता इसस िभन ह वह रोगो2पित का कारण कवल आहार िवहार म अिनयिमतता को नहS मानता Pयिक यह बात अनक बार 2यlt fप स सामन आई ह िक िनयिमत जीवन जीन वाला tयिJ भी रोग का िषकार बन जाता ह अय तय यह भी ह िक अिनयिमतता का रोग को कारण मान

251

िलया जाए तो आनवािशक रोग महामारीजय रोग एव दघ)टनाजय रोग क tया^या भली भॉित नही क जा सकती यही कारण ह िक आयवyद शा न भी रोग उ2पि9 क कारण का िवचार करत हbए हम gtात कराया ह िक कभी पवा)िजत कमv क भाव स दोष क कोप स मानिसक एव शारी]रक (वात िप9 एव कफ) रोग होत ह

आयवyद और aयोितष का तो वस भी बड़ा गहरा सबध ह कई औषिधया ऐसी ह िजनको एक िविश_ ट समय म ही तयार िकया जाता ह सौरमampड़ल क सभी 5ह क िवशषताए ह वसा ही लाभ करान वाली औषिध तयार क जानी ह तो उस 5ह िवशष क अनकल ि-थित म तयार करना उस और भावो2पादक बना दता ह

aयोितष शा क अनसार जमकाल H नकाल एव गोचर म ितकल 5ह ारा रोग क जानकारी क जा सकती ह इसी मायता क अनसार aयोितष जमकamp डली क आधार पर यह घोिषत करन म सltम ह िक जातक को अमक समय म अमक रोग होगा और उसका प]रणाम Pया िनकलगा

114 रोगA का वगBकरण

aयोितष शा- क 5थ म रोग िवचार करन स पहल उनक भद का िवचार िकया गया ह इस शा क अनसार रोग क दो कार मान गय ह - सहज एव आगतक

1 सहज रोग

मन_य क जो रोग जम स ही होत ह उह सहज रोग कहा गया ह aयोितष क अनसार सहज रोग का कारण जातक क पव)जम क कम) एव माता-िपता ारा कम) को माना गया ह जम स हbए रोग का िवचार गभा)धान कamp डली एव जमकamp डली स िकया जाता ह उJ कampड़िलय म अ(म को दखन वाल 5ह एव अय रोग क ारा िवचार िकया जाता ह सहज रोग को दो भद म िकया गया ह -

अ शारी]रक रोग उदाहरण - ललापन लगडापन नपसक बिधर मक आिद

ब मानिसक रोगः उदाहरण - जडता उमाद पागलपन आिद

2 आगतक

जम क बाद होन वाल रोग को आगतक रोग कहा गया ह इन रोग का िवचार कamp डली म षD शवषष Dश भाव म ि-थत 5ह तथा षD को दखन वाल 5ह ारा िकया जाना चािहए आगतक रोग भी दो कार क होत ह

1 wि(िनिम9जय पाप अिभचार घात ससग) महामारी आिद 2यlt घटनाओ ारा उ2पन रोग क wि(िनिम9जय रोग कहा जाता ह

2 अwि(िनिम9जय बाधक5ह योग क ारा उ2पन रोग पव) जम म िकए क2य क कारण उ2पन हbए ह उह अwि(िनिम9जय रोग कहत ह aवर अितसार आिद रोग इसी कार क ह

252

115 रोग िनणय क आवयक तCय

कamp डली का अVययन करत समय िचिक2सा aयोितष को िननिलिखत तय म िवचार कर लना चािहए

1 रोग उ2पि9 का समय

2 िनदान

3 तीता

4 उपचार

उपय)J तय का वण)न तथा aयोितष एव िचिक2सक क भिमका िनन कार ह -

1 रोग उ2पि9 का समय एक िनपण aयोितष जमपी का परीltण कर िकसी tयिJ क रोग 5-त होन क समय को सिचत कर सकता ह िजसस उनक बचाव क उपाय कर होन वाली tयािध को टाला जा सक

2 रोग का िनदान यह lt िचिक2सक का ह इस lt म aयोितष सltम तीत नहS होत इस lt म दlt होन क िलए ऐस िचिक2स ारा शोध क आव_यकता ह जो aयोितष म वीण हो

3 रोग क तीता आधिनक काल म एक प]रपPव िचिक2सक िकसी रोगी क रोग क अविध को आसानी स बता सकत ह इसी कार एक दlt aयोितष भी सभवतः िचिक2सक स भी बहतर रोग क तीता तथा प]रणाम बता सकन म सltम ह

4 उपचार िनःसदह आज िचिक2सक उपचार िकसी भी aयोितषीय उपचार स अिधक BD एव िवH वसनीय ह परत ितकल 5ह-योग क अव-था म जब िचिक2सीय िवgtान माग)दश)न न कर पाए तब सहायता क िलए aयोितषीय उपचार क fप म शाित क जानी चािहए

116 रोग िवचार कD पEभिम

aयोितष शा म रोग का िवचार करन क िलए तीन त2 2 व धान ह - (1) भाव (2) रािशया एव (3) 5ह अतः aयोितष शा क अनसार रग का िव-तार स िववचन करन क पव) उJ 5ह रािश एव भाव का िवचार कर लना आव_यक ह

1161 भाव 9ारा रोग िवचार

कamp डली म लन आिद भाव क ारा मन_य क जीवन म घिटत होन वाली 2यक घटना का पवा)नमान िकया जाता ह यह Vयान दना चािहए िक शरीर का दाया भाग कamp डली क थम स सम भाव तक तथा बाया भाग सम स थम भाव तक क भाव स दिष)त होता ह िकस भाव स कौन स रोग का िवचार िकया जाए व िनन ह -

253

(1) थम इस भाव स िसर दद) मानिसक रोग नजला एव िदमागी कमजोरी शरीर बाल fप 2वचा िना रोग स छटकारा आय बढ़ापा तथा काय) करन क योयता का इस भाव स मAयाकन िकया जाता ह

(2) ितीय इस भाव स म2य का िवचार होता ह यह भाव न (दायS) िजा मखरोग नाक वाणी नाखन गल क खराबी का ितिनिध2व करता ह

(3) ततीय इस भाव स कampठ गद)न गला भजाए Eसन णाली भोजन निलका अगD स पथक अगली तक का भाग -वन मानिसक अि-थरता फफड क रोग आिद का िवचार िकया जाता ह

(4) चतथ) छाती (वlt-थल) zदय एव पसिलय म होन वाल रोग पागलपन एव अय मानिसक िवकार का िवचार इसी भाव स िकया जाता ह

(5) पचम इस भाव स मदािन अfिच िप9रोग िप9 क थली ितAली अयाशय मन िवचार गभा)व-था नािभ एव गदy क रोग का िवचार िकया जाता ह यह भाव पट क सभी रोग का ितिनिध2व करता ह

(6) षD इस भाव स छोटी आत अपिडPस गदा) घाव ltयरोग कफजिनत रोग छाल वाल रोग (छोटी माता) िवष हिन)या अमाशयी नासर (ण) का िवचार िकया जाता ह

(7) सम इस भाव स मह मधमह दर पथरी बडी आत गभा)षय अampडाषय वीय) थली मनली तथा वि-त म होन वाल रोग का िवचार िकया जाता ह

(8) अ(म भाव इस भाव स ग रोग वीय) िवकार भगदर बाहरी जननाग अग-हािन चहर क क( दीघ)कािलक या असाVय रोग ती मानिसक वदना का िवचार िकया जाता ह

(9) नवम इस भाव स िय क मािसक धम) सबधी रोग रJ िवकार वाय िवकार कAह का दद) जाघ क रJ वािहिनया एव मaजा रोगो का िवचार होता ह

(10) दशम इस भाव स गिठया चम)रोग घटन का दद) एव अय वाय रोग का िवचार िकया जाता ह

(11) एकादशइस भाव स पर म चोट पर क हडडी टटना िपडिलयो म दद) शीत िवकार एव रJ िवकार का िवचार िकया जाता ह

(12) ादश इस भाव स पर बायी आख िना म बाधा एलजY मानिसक असतलन अ-पताल म भतY होना दोषपण) पोिलय एव शरीर म रोग क ितरोध क ltमता क िवचार िकया जाता ह

काण क आधार पर अग क ितिनिध भाव

254

रोग क िवषय म _कारण क भिमका मह2 2 व मानी गई ह मन_य क शरीर क िकस अग म घाव चोट या गाठ होगी इसका िवचार करन क िलए ाचीन आचाय[ न _काण क आधार पर शरीर क तीन भाग क कAपना कर लन आिद भाव को शरीर क िविभन का ितिनिध माना ह तीन _कोण शरीर क तीन भाग का ितिनिध2व करत ह पहला भाग िसर स मह तक दसरा गद)न स नािभ तीसरा वि-त स पर तक वराहिमिहर तथा अय 5थकार क अनसार कamp डली म पहला दसरा व तीसरा _काण उिदत होन पर कamp डली क िविभन भाव ारा िनfिपत शरीर क अग -तत उदाहरण कडली म दषा)य गय ह -

255

1162 रािश 9ारा अग का िवचार

aयोितष शा- क 5थ म कालपfष शKद का योग िकया गया ह सम-त भचT को आव9 करत हbए एक अलौिकक मानव क कAपना क गई ह भचT क िविभन रािशया उस कालपfष क शरीर पर ि-थत ह िजसक आधार पर उसक अग रोग 5-त या -व-थ ह यह जाना जा सकता ह

इस अग िवभाजन का यिद िव-तारपव)क अवलोकन िकया जाए तो यह कहा जा सकता ह िक मष आिद 12 रािशया मन_य क शरीर क िननिलिखत अगो का ितिनध2व करती ह

कालपfष क शारी]रक अग

T स रािश शारी]रक अग

1 मष मि-त_क िसर क बाल िसर

2 वष चहरा (आख नाक कान दात)

3 िमथन कठ कोहनी भजा कधा वlt -थल

4 कक) zदय फफड एव Eासनली

5 िसह पट आत िजगर नािभ

6 कया कमर एव आत

7 तला बि-त माषय गभा)षय का ऊपरी भाग

8 विhक गाग गभा)षय गदा

9 धन ऊf

10 मकर जान एव घटना

11 कभ जघा िपडली

12 मीन टखना पर पादतल एव पर क अगिलया

256

रोग िवचार क सग म0 नamp) का प+रचय

िजस कार शरीर क िविभन अग भचT क 12 रािशय स दिष)त होत ह उसी कार व 27 नlt स भी दिश)त होत ह इस िवषय पर सव[9म वण)न पनः वामनपराण म सवाद क fप म भगवान िव_ण क शरीर को लकर ह शरीर क अग क ितिनिध2व करन वाल नlt उनस सबिधत रोग उ2पन करत ह भगवान िव_ण क नlt शरीर का वण)न उपर िदया गया ह

1163 हो 9ारा रोग िवचार

जस भचT क िभन-िभन रािशय तथा नlt का अिधकार lt शरीर क अग पर ह ठीक उसी कार 5ह भी शरीर क िविभन अग स सबिधत ह कौन सा 5ह िकस त2 2 व का ितिनिध2व करता ह शरीर

257

क िकन अग को भािवत कर कौनसा रोग उ2पन कर सकता ह इन बात का िवचार यहा पर सिlt fप स दन का यास िकया गया ह-

5ह त2 2 व स धात अग शरीर क उपkव शारी]रक शिJ

सय) अिन अि-थ zदय िसर ाणादार

चमा जल रJ मन मख पागलपन

मगल अिन मaजा wि( कान जलन सजन

बध पवी चम) नाम पट नस

गf आकाष चबY शरीर गदा) -थलता

शT जल शTाण िजा न अत)रस

शिन वाय -नाय कान पर जोड

5हो क कारक त2 2 व एव सबिधत रोग

सय

इसक िप9 कित ह इनका अिधकार lt zदय पट अि-थ तथा दािहनी आख ह सय) क अिधकार lt म िसरदद) गजापन अितिचड़िचड़ापन aवर दद) जलना िप9 क सजन स होन वाल रोग zदय रोग न रोग पट क बीमा]रया अि-थ रोग कछ 2वचा रोग िगरन स तथा श स चोट िवषपान रJ सचार म गड़बड़ी िमरगी कD रोग आिद ह

वात त2 2 व सिहत इसक कित कफ ह यह tयिJ क मनक ि-थरता तथा प(ता को ितिबिबत करता ह यह मानिसक रोग अशाित घबड़ाना अितिना तथा सामाय जड़ता का ितिनिध2व करता ह

कफ सबधी रोग ltय रोग जलोदर रोग अजीण) अितसार रJाAपता शारी]रक तरल बहाव रJ िवषाJता कप aवर aवर पव) कपकपी कछ 2वचा रोग कामला (पीिलया) जल तथा जलीय जतओ स भय पशओ क सSग स होन वाल घाव इ2यािद का ितिनिध2व च करत ह च तथा मगल िमलकर िय क जनन णाली क रोग च क कारण होत ह

मगलः

मगल क िप9 कित ह यह आTामक तथा ऊजा)वान ह कampडली म मगल क ि-थित जातक क -वा-य तज एव चतना क बलता को ितिबिबत रकती ह इनका अिधकार lt ह िसर अि-थ मaजा िप9 हीमोलोिबन कोिषकाए एampडोमीियम (जहा lsquolsquoबीजrsquorsquo 2यारोपण स िशश बनता ह) ह मगल दघ)टना चोट शAय िTयाए जल सबधी रJ िवकार उkच-नीच रJचाप िप9चाप िप9जय सजन तथा उसक कारण होन वाला aवरिप9ाशय क पथरी श स चोट िवषाJता अ2यिधक यास

258

फफोल सिहत बखार मानिसक िवचलन न 2वचा पर खजली अष) (बवासीर) गभा)षय क रोग सव तथा गभ)पात का कारण ह

बध

बध क -वभाव म तीन कार क वि9 ह जस वात िप9 कफ बध का सबध जातक क बिX स ह ितकल बध पापी च क साथ िमलकर मानिसक िवचलन का कारण भी बन सकता ह इसका अिधकार lt 2वचा गला नाक फफड़ा तथा अ5मि-त_क ह यह धय)हीनता अभ भाषा दोषपण) वाणी कट कित (-वाभाव) चPकर आना Eत कD नपसकता न रोग नाक-कान-गल का रोग बहरापन तथा दः-वन को इिगत करता ह

गf क कफ कित ह अ2यिधक शभ 5ह होन क कारण यह जातक को रोग स बचाता ह तथा कamp डली म अनक पाप को न( करता ह इसका अिधकार lt यकत िप9 क थली ितAली अनाशय का कछ भाग कान तथा शरीर म चबY पर ह गf मोटापा कण) रोग मधमह इ2यािद को इिगत करता ह मदगामी 5ह होन क कारण इसक ारा होन वाल रोग दीघ)कालीक होत ह गf आल-य का भी कारक ह

श2

शT म वात तथा कफ क अिधकता होती ह यह tयिJ क यौन िTयाओ का ितिनिध2व करता ह इसका अिधकार lt चहरा wि( वीय) जननाग इ2यािद पर ह यह आ आपkछ तथा अनाषय क कछ भाग का भी कारक ह

यह एक जलीय 5ह ह और इसका सबध शरीर क हारमोनल णाली स ह चहर क रोग न रोग मोितयािबद वतकD रोग मथनजिनत रोग मधमह गदy एव हाम[न सबधी िवकार को इिगत करता ह

शिन

शिन क म यतः वात तथा कफ कित ह यह मदचारी 5ह होन क कारण इसस होन वाल रोग असाVय या अितदीघ)कािलक होत ह शिन का अिधकार lt पर नाड़ी बड़ी आत का अितम भाग लिसकावािहनी तथा गदा ह यह दीघ)कािलकता असाVययता उमाद पltपात पागलपन उAटी सबधी रोग क सर आिद को इिगत करता ह

राह4

राहb काय) मदगित स करना फहड़ता िहचक उमाद अw_य भय कD शिJहीनता अश)रोग दीघ)कािलक ण तथा छाल असाVय रोग िवषाJा सप)दश तथा परो क रोग को राहb इिगत करता ह च क साथ िमलकर राहb िविभन कार क भय दता ह शिन क सwश होन क कारण यह रोग क दीघ)कािलकता तथा असाVयता को भी इिगत करता ह

259

कत

राहb क ारा इिगत सभी रोग कत भी पदा करता ह इसक अित]रJ इसस होन वाल रोग अिनिhत कारण वाल महामारी छाल यJ aवर जहरील सTमण स होन वाल सTामक रोग आकिम बहरापन दोषपण) वाणी रोग िनदान म िट ह मगल क सwष होन क कारण कत शAयिTया को इिगत करता ह

117 रोग-पampरान क िसFा0त

मन_य अपन -वाभावानसार कोई भी 5ह रोगकारक नहS हbआ करता िकत जब वह कछ िवशष प]रि-थितय म मन_य क शारी]रक या मानिसक -वा-य म िवकार उ2पन होन क सचना दता ह तब वह रोगकारक कहलाता ह फिलत aयोितष म षDभाव रोगभाव कहलाया गया ह अतः षDभाव म ि-थत 5ह या षDभाव स सबिधत 5ह रोगो2व का कारण बनता ह परत इसक अित]रJ भी िननिलिखत हत aयोितष शा म मह2 2 वपण) मान गय ह -

1 रोग (षD) भाव का ितिनिध2व

2 अ(म या tयय भाव का ितिनिध2व

3 रोग भाव म ि-थित

4 लन म ि-थित या लन का ितिनिध2व

5 नीचरािश श रािश म ि-थित या िनब)लता

6 अवरोहीपन (उkच रािश स आग बढ़कर नीचिभमख होना)

7 Tर षDयष म ि-थित

8 पाप 5ह का भाव

9 कारक त2 2 व या मारकत2 2 व

118 असाGय रोगA क योग

1181 अपमार रोग (िमगV)

260

कamp डली म िननिलिखत योग ह तो अप-मार बीमारी होन का डर होता ह-

1 शिन मगल सय) आठव घर म हो

2 शिन बध मगल लन म हो तो

3 छठ घर म शिन राहb अथवा कत स यJ ह तो

4 चमा स राहb छठ आठव अथवा बारहव भाव म हो तो

5 शिन विhक म हो और मगल िमथन रािश म हो

6 बध शिन स यJ हो तो

7 चमा पर शिन और राहb अथवा कत क wि( हो तो

8 लन एव सय) पर शिन तथा राहb क wि( हो तो जातक अप-मार रोग स पीिडत होता ह

उदाहरण - यह कamp डली एक लडक क ह जो अप-मार रोग का िषकार हbआ लन म सय) मगल बध

ि-थत ह तथा लन को कत दख रहा ह चमा स राहb बारहव घर म ि-थत ह और वाणीकारक बध सय) व मगल स पीिड़त ह

1182 दोषपण वाणी (हकलाना)

जब ितीय -थान तथा वाणी का कारक बध पाप 5ह स यJ हो अथवा इन पर पापी 5ह क wि( हो तो tयिJ बोलन म लडखडाता ह अथा)त उसक वाणी म कोई िट होगी

उदाहरण

यह कamp डली एक डॉPटर क ह जो हकलाकर बोलता ह ितीय भाव तथा ितीयष शT पर शिन क पण) wि( ह ितीय भाव पर मगल यJ कत क भी नवम पण) wि( ह वाणी का कारक बध अ-त ह

(1) जब ितीयश षDष क साथ यJ हो और उस पर शिन क wि( हो तो tयिJ मक (गगा) होगा

(2) अगर बध और षDष लन म हो तो tयिJ मक होगा

261

(3) अगर बध मकर अथवा कभ म हो और उस पर शिन क wि( हो तो जातक हकलाकर बोलगा

1183 कण रोग

कान क बीमारी का िनण)य इस कार स लना चािहए

1 बध शिन स चौथ भाव म हो तथा षDष िकसी िक भाव म हो

2 बध तथा शT क यित बारहव भाव म बाय कान क दोषपण) BवणिTया को दषा)ती ह

3 तीसर गयारहव पाचव या नव भाव म पाप 5ह शभ5ह स w( न ह

नोट 39 भाव यम पर पाप 5ह दाए कान को तथा 511 भाव यम पर बाए कान को ltित पहbचात ह

4 नीच रािश म शT राहb क साथ हो

5 बध तथा षDष चतथ) िकसी िक-थान म शिन क ारा w( हो

6 बध तथा षDष चतथ) भाव म ह और शिन लन म हो

7 सय) तथा बध क यित तीसर छठ या यारहव भाव म हो

1 बध सनन तथा िकसी भी कार का सचार का काय) बध करता ह बली बध शभ 5ह क भाव म अkछी Bवण शिJ दता ह पीिड़त हो तो िवपरीत फल होत ह

2 तीसरा भाव कamp डली म तीसर भाव का सबध कान स ह तीसर भाव तथा ततीयष पर शभ भाव ह तो अkछी Bवण शिJ दत ह

3 यारहवा भाव तीसरा भाव तथा ततीयश दाय कान को (Bवण णाली क अित]रJ) एव एकादश भाव तथा एकादशश बाए कान को इिगत करत ह

बध तीसरा भाव ततीयश एकादष भाव तथा एकादशश पर शभ तथा अशभ भाव क अनसार ही कान क Bवण शिJ होती ह

262

उदाहरण यह कamp डली एक लडक क ह जो बचपन म ही बहरी हो गई थी बाय कान म बहbत कम

Bवण शिJ तथा दाय कान स िबAकल बहरी हो गई थी बध क सय) क साथ यित ह तथा वह अ(मश शिन एव वT गf क ारा w( ह

1184 मानिसक रोग

अिधकतर मानिसक असतलन तभी होता ह जब च पीिड़त हो च तभी पीिडत होता ह जब वह दब)ल हो छठ आठव या बारहव भाव म ि-थत हो तथा पाप 5ह स यJ या w( हो िविभन 5ह स पीिडत चमा का फल इस कार बताया गया ह -

(1) सय) तीCण -वभाव झगडाल वि9

(2) मगल तीCण -वभाव आTमक िहसक

(3) शिन ती अवसाद सनद उदासी यJ पागलपन

(4) राहb चालाक tयवहार म िवसगित अकारण भय आ2मघाती वि9

(5) कत सनकआ2मघाती वि9 भय दसर पर अकारण सदह करना

उदाहरण

यह कamp डली एक ी क ह जो झगडाल वि9 ह तथा कभी-कभी अवसाद तथा आ2मघाती दौर पड़त ह च बारहव -थान म वT अ(मश क साथ ह तथा षDष शिन क ारा w( ह बध छठ -थान म ादशश तथा वT अ(मश क ारा w( ह गf -वय वT अ(मश तथा पचमश ह जो शिन क ारा w( ह बिX तथा िचतन का पाचवा भाव ह िजसम सय) तथा राहb क बठन स तथा शिन क wि( स पचम भाव काफ पीिडत ह

263

1185 दय रोग

जमपिका म zदय रोग को िनि_चत करन क िलए िननिलिखत िबदओ को िनरीltण करना चािहए सय) पर पाप भाव zदय रोग क िलए सबस मह2 2 वपण कारण ह

सय) पर पाप भाव िनन कार स हो सकता ह

(1) मगल तथा शिन क साथ यित या wि( ारा और राहb-कत अlt ारा

(2) नीच रािश म होना

(3) पापकत)री अथा)त दोन ओर पाप 5ह का होना

(4) छठ आठव या बारहव भावभावष स सबध होना

(5) िसह रािशश पर पाप भाव पाप यित अथवा wि( ारा

(6) पचम भाव पर पाप भाव नसिग)क पाप 5ह क अथवा िक भावष स यित अथवा wि(

(7) पचमश पर पाप भाव नसिग)क पाप 5हो स िक भावष स या वT 5ह स

(8) चतथ) भाव लन अथवा सय) स चतथ) भाव पर पाप भाव वlt म जिटलताए या zदय रोग क शAय िचिक2सा का सचक ह

पचम भाव पचमश तथा सय) पर शभ भाव क बहbलता सरिltत िचिक2सा तथा रोग मJ होन का सचक ह पया) पाप भाव क रहत उन 5ह क दषाए जो सय) पचम भाव या पचमश स यJ ह zदय रोग दती ह पाप 5ह क महादषा म पचम भाव म बठ वT 5ह क अतद)षा िवशष fप म मह2 2 वपण) ह

उदाहरण यह कamp डली एक ऐस tयिJ क ह िजसक zदयगित fक जान क कारण म2य हो गई कamp डली म चतथ) भाव तथा सय) पापी कत स यJ ह तथा राहb एव शिन क पण) wि( स पीिड़त ह सम -थान म शिन मगल और गf का योग ह इही कारण स जातक का zदयाघात (हाट) फल) हbआ और म2य हो गई म2य क समय अ(मश बध क महादषा म कत क अतद)षा चल रही थी

264

1186 मधमह या मह

यह षरीर म शक) रा क चयापचय का रोग ह रJ तथा शारी]रक ततओ म अिधक शक) रा होती ह परत इसका उपयोग नहS हो पाता इसिलन नामक हाम[न क कमी क कारण शरीर म शक) रा का -तर बढ़ता ह तथा जिटलताय उ2पन होती ह जो वा-तव म शरीर क सभी अग पर भाव डालती ह

मधमह क योग

मधमह क िलए िननिलिखत योग बताए गय ह -

1 गf नीच रािश या छठ आठव या बारहव भाव म हो

2 शिन तथा राहb गf को यित या wि( ारा पीिड़त करत हो

3 अ-त गf राहb-कत अlt पर हो

4 शT छठ भाव म गf क ारा ादष भाव स w( हो

5 पचमश 6 8 तथा 12 भावष स यJ हो

6 वT गf िकभाव म पीिड़त हो

यकत और अनाशय इसिलन का उ2पादन करता ह यह दोन उदर क ऊपरी भाग म ि-थत ह और यह पचम भाव क अिधकार lt म आत ह यकत तथा अनाशय क एक भाग का कारक गf ह शष अनाशय का कारक शT ह शT शरीर क हाम[न णाली का भी कारक ह अतः इस कार मधमह क मामल म गf शT तथा पचम भाव क भिमका रहती ह

उदाहरण कBडली

इस ी को मधमह रोग हbआ िजसका गf षD भाव म अ(मश नीच मगल स w( ह शT ादशश नीच सय) स यJ तथा षDष शिन व अ(मश मगल स w( ह पचम भाव तथा पचमश राहb-कत और मगल स पीिड़त ह

265

119 रोग-िनवित क उपाय

िजस कार गमY सदY बरसात-तफान बाढ़ aवारभाटा आिद ाकितक िनयमानसार इस ससार म आत ह उसी कार यह ाकितक िनयम ह िक 5ह आपन शभ या अशभ फल को प]रि-थितय क अनसार ािणय को अव_य दग ाकितक िवपदाओ स बचन क िलए मानव सदा स ही उसक िनवि9 क उपाय को खोजन म सltम रहा ह तथा िन2य िनरतर नय उपाय क भी खोज जारी ह

इसी wि(कोण स िवान आचाय[ न शा म 5ह क अशभ भाव स छटकारा पान क िलए अ]र( शाित या 5ह शाित का िवधान कट िकया ह जो 5ह आपक िलए िकसी समय िवशष म क( कारक हो रह ह तब उनक िनवि9 क हत उनक िलए कछ दान म जप -नान औषिध एव मिण (र2न) आिद धारण करन स उनक क भाव को काफ हद तक कम िकया जा सकता ह अतः यहा हम सभी 5ह क िलए दान क व-तए मिण जप का म -नान औषिध आिद क जानकारी िनन कार द रह ह-

सय) सबिधत रोग िनवि9 का उपचार

1 सय ह-शाित हत िविध

दान - गहq ताबा घी मसर गड ककम लाल कपड़ा कनर क फल लाल कमल बछड सिहत गौ तथा सोना इन सबका अथवा यथाशिJ उपलKध ह उनका यथोिचत दान कर

जप मः -

ऊ घिणः सया)य नमः

इस म का - 7000 जप करक आक क लकडी स दशाश म स हवन करना चािहए

र2न मािणक (लाल) सोन म दाए हाथ क अनािमका म धारण कर

2 च मा ह-शाित हत िविध

दान योय व-तए - Eत (सफद) कपड़ा मोती चादी चावल खाampड़ चीनी दही शख सफद फल सफद वषभ आिद

जप मः - ऊ स सोमाय नमःrsquorsquo

इसका जप - 11000 जप करन चािहए तथा ढ़ाक क लकडी स दशायश म स हवन करना चािहए

र2न सफद शX मोती चादी म बनवाकर दाय हाथ क अनािमका म पहन

3 मगल ह-शाित िविध

दान व-त - मसर गड़ घी लाल कपडा गहq लाल फल ताबा कसर

जप म - ऊ अगारकाय नमः

266

इसका जप 10000 करक खर (खिदर) क लकडी स हवन करना चािहए

र2न मगा सोन या ताब म पहनना चािहए

4 बध ह-शाित हत िविध

दान व-तः मग खाampड़ घी हरा व चादी फल हाथी दात कप)र

जाप म- ऊ ब बधाय नमः

इस म का 19000 जप करक िचरचीरी क लकडी स हवन करना चािहए

र2न पना चादी या सोन म बनवाकर छोटी अगली म पहनना चािहए

5 ग ह-शाित हत िविध

दान व-त - चन क दाल कkची शPकर हAदी पीला कपड़ा पीला फल घी और सोना

जाप म - ऊ ब_बह-पतय नमः

इस म का 19000 जप करना चािहए तथा पीपल क लकडी म हवन करना चािहए

र2न पखराज को सोन म बनावाकर अगठ क पास वाली अगली (तज)नी) म अथवा अनािमका म पहनना चािहए

6 श2 ह-शाित हत िविध

दान व-त - चादी चावल दध सफद कपडा घी सफद फल खषबदार धप या अगरब29ी सफद चदन

जाप म - ऊ श शTाय नमः

इस म का जप 6000 करक गलर क लकडी स हवन करना चािहए

र2न हीरा िकसी सफद धात म पहन

7 शिन ह-शाित हत िविध

दान व-तए - काला कपडा साबत उडद लोहा अलसी तल जट (सन) काला प_प काला ितल क-तरी और काला कबल

जाप म - ऊ श शन_चराय नमःrsquorsquo

इसका जप 23000 करक शमी क लकडी स हवन करना चािहए

र2न नीलम चादी या सधात म बनवाकर बाए हाथ क बड़ी अगली म पहनना चािहए

8 राह4 ह-शाित हत िविध

दान व-तए- काला ितल तल उडद कAथी सरस दाना राई नीला कपडा काला फल काला नीला कबल या ऊनी कपडा

267

जाप म - ऊ रा राहव नमःrsquorsquo

इस म का जप 18000 कर तथा दध सिहत आम क लकडी पर हवन कर

र2न गोमद को चादी या अ(धात म बनवाकर बाए हाथ क लबी अगली म पहन

9 कत ह-शाित हत िविध

दान व-तए - सात अनाज कागज झampडी ऊनी कपडा ितल और बकरा

जाप म - ऊ क कतव नमःrsquorsquo

इस म का 17000 जप कर कषािमिBत आम क लकड़ी स हवन कर

र2न लहसिनया चादी ताब या अ(धात म बनवाकर बाय हाथ क तज)नी अगली अथवा अनािमका म पहनो

नोट 5ह क सनता क िलए दान योय व-तओ म स कछ व-तए उपलKध न हो अथवा सामय) न हो

तो यथाषिJ व-तओ का दान करना चािहए

हवन क िलए जो लकड़ी बताई गई ह यिद व उपलKध न हो सक तो आम पीपल या गलर क लकडी स हवन िकया जा सकता ह तथा सबिधत 5ह क सिमधा क कछ आहbितया अवH य दनी चािहए

यिद तरत बध न हो सक तो अथवा सामय) न हो तो 5ह क सबिधत धात क अगठी या छAला ही बनवाकर िनिद)( अगिलय म पहन लना चािहए यिद कोई इन तोJ मो क -थान पर विदक म का योग करना चाह तो कोई हािन नहS ह म क जप स^या उस ि-थित म भी पव)वत रहगी यFिप जप हवन दान व मिण धारण कर सबक करन स पण) फल िमलता ह लिकन आज कल क tय-त जीवन म यिद tयिJ एक ही काय) करना चाह तो उस मिण या धात धारण कर लनी चािहए मिण शी व सबस अिधक भावकारी होती ह इसक िवकरण ltमता शरीर क तरग क साथ िमलकर तरत फल दन म समथ) होती ह

रोग िनविG क िलए नान

5ह िचिक2सा म रोग स िनवि9 क िलए -नान भी मख उपाय माना गया ह फिलत aयोितष क 5थ म कहा गया ह िक - लाजवित हAदी दवदास लग मोथा कट को तीथ[दक म िमला -नान करन स 5हपीड़ा तथा रोगपीड़ा न( हो जाती ह कछ आचाय[ का मत ह िक िजस tयिJ क कamp डली म जो 5ह रोगकारक हो उस tयिJ को उस 5ह क औषिध क जल स -नान करन स पीडा को कछ कम िकया जा सकता ह

सय) आिद 5ह क औषिधया

5ह -नानाथ) औषिधया

सय) इलायची दवदाf खस कसर मलठी कनर

268

चमा पचगध शख सीप Eत चदन -फ

मगल िवAवछाल रJचदन रJपबप धमनी

बध गोमय मध अltत फल -वण) मोती

शT इलायची कसर

शिन सरमा लोगन धमनी सौफ

राहb लोबन िवलप हाथी दात एव क-तरी

कत लोबान िवलप हाथी दात एव क-तरी

1110 साराश

उपरोJ विण)त इकाई म आपन अVययन िकया िक aयोितष तथा िचिक2सा दोन ाचीन ह तथा भारतीय जीवनशली को िनदyिशत करत ह ाचीन भारत म aयोितष तथा औषिध का िवकास धम) क अग क fप म हbआ आरोय क िसXात तथा रोग क रोकथाम भी उसी तरह जीवन क दिनक स-कार का एक िह-सा थ जस सासा]रक काय[ म aयोितष का उपयोग इस इकाई क अतग)त हमन रोग क वगYकरण एव रोग का िनण)य करन क िलए आवH यक तय को समझान का यास िकया ह यहा हमन रोग क पDभिम को Vयान म रखत हbए उसका रािश भाव 5ह स सबध का उAलख करत हbए तीन _कोणो ( थम ितीय एव ततीय) स कamp डली म भिमका का वण)न िकया ह इसी कार हमन वामन पराण स ऋिष पल-2य तथा ऋिष नारद क बीच सवाद पर आधा]रत एक िच म भचT क िविभन नlt स सबिधत शरीर क अग को दिष)त िकया ह

5ह स सबिधत रोग क अतग)त हमन सय) आिद नौ 5ह क कारकत2व रोग प]रgtान क िसXात एव रोग िनवि9 क उपचार को समझाया ह इस कार आप इस इकाई क अVययन क उपरात aयोितष एव उनस सबिधत जिटल रोग एव उनक उपचार का दltता पव)क gtान हािसल कर पायग

1111 श दावली

bull अप-मार = िमगY रोग

bull सहज रोग = जम स होन वाल

bull आगतक रोग = जम क बाद ि-थितवश होन वाल रोग

bull _काण = रािश का ततीय भाग अथा)त 10 अश

bull भावयम = पर-पर आमन-सामन क भाव अथा)त सम भाव

269

bull आनवािशक रोग = एक पीिढ़ स दसरी पीिढ़ म आन वाल रोग

1112 ाविल

1 aयोितष शा क अनसार रोग क जानकारी िकस कार क जा सकती ह

उ9र aयोितष शा क अनसार जमकाल H नकाल एव कडली म ितकल 5ह ारा रोग क जानकारी ा क जा सकती ह

2 रोग का िकन दो कार स वगYकरण िकया गया ह

उ9र रोग का वगYकरण सहज एव आगतक रोग म िकया गया ह

3 wि(िनिम9जय एव अwि(िनिम9जय रोग म Pया अतर ह

उ9र जो रोग 2यlt घटनाओ ारा उ2पन हbए हो - जस अिभशाप महामारी दघ)टना आिद उह wि(िनिम9जय रोग कहत ह इसक िवपरीत पव) जम म िकए कत स उ2पन रोग अwि(िनिम9जय रोग कहलाय गय ह जस - aवर अितसार आिद

4 रोग िनण)य क चार आव_य तय बताइय

उ9र रोग िनण)य क चार आव_य तय िनन कार ह

(1) रोगो2पि9 का समय (2) िनदान (3) तीता (4) उपचार

5 2 3 4 तथा 11 भाव जमाग म िकन-िकन अग को दशा)ता ह

उ9र दसरा भाव - दाया न मख नाक नाखन

तीसरा भाव - कठ गला गद)न भजाए

चतथ) भाव - zदय वlt -थल ऊf पसिलया

एकादष भाव - पर िपampडिलया बाया कान

6 कamp डली म कक) रािश िकन शारी]रक अग का ितिनिध2व करती ह

उ9र कक) रािश zदय फफड एव Eासनली का ितिनिध2व करती ह

7 िनन िलिखत पिJ स2य ह या अस2य बताए

क कडली का छठा भाव रोग का ितिनिध2व करता ह

- उपय)J पिJ स2य ह

ख _कोण शरीर क गद)न स नािभ तक का भाग दशा)ता ह

- यह अस2य ह थम _काण िसर स मख तक का भाग दशा)ता ह

270

ग aयोितष क अनसार रोगिनवि9 का उपचार नहS ह

- उपयJ कथन अस2य ह aयोितष म रोग िनवारण हत दान-पampय म जाप र2न धारण िविध का उAलख ह

घ गf क कफ कित ह

- यह कथन स2य ह

8 ऋिष पल-2य तथा नारद जी क बीच का सवाद िकस पराण म ह

उ9र उपय)J वण)न वामन पराण म ह

9 जडता उमाद पागलपन िकस रोग को दशा)त ह

उ9र िनन रोग मानिसकता रोग क उदाहरण ह

10 छठा भाव िकन रोग को दशा)ता ह

उ9र छठ भाव स ltय रोग कफजिनत रोग अपिडPस छाल वाल रोग आिद का gtान होना ह

11 शT 5ह िकस कित क रोग का कारक ह

उ9र शT 5ह वात तथा कफ कित का कारक ह

1113 बोध

1 नर आकार िच बनाकर उनम नlt क स-थापना कर तथा िकस अग पर िकस नlt का अिधकार ह यह -प( कर

2 वत)मान प]र-थितय म िचिक2सा aयोितष क मह2 2 व पर काश डाल

3 िचिक2सा aयोितष म द_ ठकाण क मह2 2 व पर चचा) कर

4 सय) आिद नौ 5ह क रोग िनवि9 क उपचार िलख

(1) मानिसक रोग (2) zदय रोग (3) मधमह

1114 स0दभ 130थ सची

1 िचिक2सा aयोितष क मौिलक त|व

सपादक डॉ क एस चरक

काशक

2 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

271

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

3 भारतीय aयोितष

tया^याकार डॉ निमच शाी

काशक भारतीय gtानपीठ िदAली

272

इकाई - 12

गभाampधान इकाई सरचना

121 -तावना 122 उGHय 123 िवषय वश 1231 मािसक धम) क िववचना

1232 शा क अनसार रजोदश)नकाल 1233 रजोदश)न काल (मािसक धम))

1234 थम रजोदश)न म शभाशभ िवचार 1235 शभफलदायी मास

1236 शभफलदायी नlt 1237 गampड़ नlt म थम रजोदश)न का फल

1238 रज-वला होन क बाद -नान महq2 त) 124 गभा)धान क िTया 1241 गभा)धान का अथ)

1242 गभा)धान म 2याaय 1243 गampड-मलािद जम िवचार 125 गभ) सभव योग 1251 गभ)ि-थित का -वfप

1252 गभ)पि( gtान 1253 गभ) विX योगgtान 126 गभा)धान स सव तक दश मास का चT एव -वामी 1261 गभ)सिहत गभ)हािन योग

1262 गभ)पात योग 127 गभ)पात िनवारण 1271 सव िदनाङक बोधक चT एव उसक उपयोग क उपयोग क िविध 1272 गभ)वती क िलए विज)त काय) 1273 गभ) सिहत गभ)वती मरण-gtान 128 सतान योग

273

1281 गभ) म प और कया का gtान 1282 प योग

1283 कया योग 1284 गभ) म यमल योग 1285 नपसक सतान उ2पन होन क योग

1286 जारज योग 1287 पादजात सप)वि(त जम

1288 िपता क अनपि-थित म सतान का जम 129 सव 1291 सव का gtान

1292 म-तकािद स सव 1293 सव का क( एव सख gtान

1294 सव -थान का gtान 1295 शAय िचिक2सा स सव क योग

1296 अनगभा) योग 1210 स सव हत उपाय 1211 साराश 1212 शK दावली 1213 अित लघ9रा2मक B 1214 लघ9रा2मक B 1215 सदभ) 5थ

121 तावना

स-कार वह िविध ह िजसक ारा Bौत व -मात) कमv स शरीर म अिधिDत आ2मा को स-कत अथवा शX िकया जाता ह षोड़श स-कार म थम स-कार ह गभा)धान स-कारrsquolsquo

lस क िसX जीव िवgtानी ो जािज)स लाखोव-क ऐस सभवत थम आधिनक वgtािनक थ िजहन यह -प( िकया था िक तार एव 5ह स आन वाली रिHमय का भाव गभा)धान एव जम क समय tयिJ क भाय पर प]रलिltत होता ह इन तार स आन वाली रिHमया न कवल भाय को भािवत करती ह अिपत पवी पर सम-त जीव क सरचना गभा)धान क समय उनक अampड़ या िपampड़ क ऊपर भी इनका भाव पड़ता ह

परत ाचीनकाल क भारतीय ऋिष-मिनय ारा गभा)धान काल क मह|व को wि(सङगत रखत हbए कई वषv पव) उसका उAलख कर िदया गया था

274

122 उय

इस इकाई क अVययन स हम िन िवषय पर gtान ा करग -

1 गभ) Pया ह गभा)धान Pया ह

2 गभा)धानकाल क शभ गण कौन-कौन स ह

3 िय का ऋत-चT

4 गभ)धारण एव गभपात का िववचन

123 िवषय वश

गभा)धान क िवषय म िवचार करन स पव) यह gtान आवHयक ह िक गभ) Pया ह गभ)rsquolsquoगभ) शKद स मन चतना पचमहाभत क िवकार का बोध होता ह गभा)शय म ि-थत पlष का शT और ी का शोिणत जब एक दसर स यJ हो जात ह और उनम आ2मा का अिधDान हो जाता ह तो वह अ( कित और षोड़श िवकितय स यJ सजीविपampड गभ)rsquolsquoकहलाता ह आधान = -थािपत स पlष ारा जीव का ी क गभा)शय म -थािपत होना

1231 मािसक धम क िववचना - यवा अव-था ा होन पर ी क शरीर म ही गभा)शय

(बkचादानी) फटन लगती ह और उसम रJाव होन लगता ह थली का मख खल जान स रJपण) थली खाली हो जान पर उस पन पण)ता क -वभािवक इkछा ा होती ह तो ीfप उस जीव को उस थली क पन पण)ता करन क ी क कामना होती ह ाकितक यह कामना जो ी को हो जाती ह ा यौवन अव-था क ी क रािश स 2यक मास म मङगल और चमा क आकाशीय ि-थितय वश जो भाव पड़ता ह उसी स गभा)शय (बkचादानी) फट जाती ह और उसस िवकत रJाव होन लगता ह इसिलए ितमास क मािसक धम) क िलए मङगल और चमा य दो 5ह ही करण हो जात ह 2यक चामास म थम अमाव-या स ितीय अमाव-या तक क िकसी भी िदन क िकसी ltण म उJ ि-थित सभव होती ह

1232 शाF क अनसार रजोदशनकाल - आठ वष) क गौरीrsquo नौ वष) क रोिहणीrsquo दस वष) क

कयासgtकrsquo तथा तदनतर ादशािद वषv क कया वषलीrsquo अथा)त रज-वला सgtक होती ह यथा -

अ$वषा भवiौरी नवम रोिहणी भवत

दशम कयका ोjा 9ादश वषली मता - aयोितिन)बध

रजोदश)न स कया ाि हत िनिद)( िदवस - 5 7 9 11 13 15

रजोदश)न स प ाि हत िनिद)( िदवस - 4 6 8 10 12 14 16

275

रजोदश)न क चार क पhात गampडात आिद tयितपात वधित BाX दिषत नlt को 2यागकर उपरोJ िदवस म tयिJ को गणश-मातका-पampयाहवाचनािद कम) करक शभराि म रितिTया करनी चािहए

1233 रजोदशन काल (मािसक धम) - ी क जम कampड़ली स चमा जब अनपचय (1 2 4

5 7 8 9 12) रािश हो और गोचर म ि-थत मङगल क चमा पर पण)wि( हो तो ितमास ी को मािसक धम) होता ह यही मािसक धम) गभ) का कारण बनता ह यिद ी क रािश स ततीय-षD-दशम-एकादश रािश म चमा हो तो वह मािसक धम) िन_फल हो जाता ह अथा)त गभ)धारण क ltमता उस रजोदश)न म नहS होती ह

रजोदश)न काल म ी-समागम नहS करना चािहए इस समय ी गभ)धारण क अव-था म नहS होती ह रजोदश)न स तीन िदन तक ी का शरीर अ-पHय होता ह अत पlष को 2याaय िदवस म समागम नहS करना चािहए

1234 थम रजोदशन म0 शभाशभ िवचार - थम बार कया को जब रजोदश)न हो वह समय भी

आधान व जय समयवत बहbत सी बात क िलए शभदायक होता ह उसस भाय िनमा)ण भी भिव_य म हो सकता ह

भायJ वला म साव-था म सTाित म अमाव-या ]रJाितिथ (4-9-14) सVयाकाल षDी अ(मी या ादशी ितिथ म lणाव-था म च व सय) क 5हणकाल म पातयोग (वधित व tयितपात महापात) म यिद कया को थम रजोदश)न हो तो वह उसक भाय क िलए अशभ सचक ह

1235 शभफलदायी मास - माघ माग)शीष) वशाख आिEन फाAगन aयD Bावण मास म यिद

थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

1236 शभफलदायी नamp) - Bवण धिनDा शतिभषा िचा अनराधा रवती मगिशरा अिEनी

प_य ह-त रोिहणी उ9राय एव -वाती म यिद थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

शभ 5ह क वार म शभ ल5 म यिद थम रजोदश)न हो तो वह कया क भिव_य हत शभफलदायी होता ह

1237 गBड़ नamp) म0 थम रजोदशन का फल - गampड़ात म यिद कया को रजोदश)न तो वह शी

ही वधtय को ा करती ह ऐसी कया सतान धन सख एव वािद स रिहत कल का नाश करन वाली होती ह शाोJ िविध स जप होमािद स यिद दवताओ ~ाण का पजन िकया जाय तो िवपि9य क शाित होकर सख-सौभाय क ाि होती ह

1238 रजवला होन क बाद नान महb त - ह-त -वाती अिEनी मगिशरा अनराधा धिनDा

धरव सgtक (उफा उषा उभा रोिहणी नlt) aयDा - इन नlt म शभ ितिथ और शभ वार म थम रज-वला ी का -नान करना शभफलदायी होता ह मगिशरा रवती -वाती ह-त अिEनी रोिहणी - तो रजोिनवि9 क पhातiuml कया शी ही गभ)धारण करती ह

276

124 गभाधान कD िHया

1241 गभाधान का अथ - गभा)वTाित का अथ) पlष और ी बीज का आपस म िमलकर

गभ[2पि9 क िTया करना ह अवTाित स अवTमण अवतरण उपगमन आिद का बोध होता ह शT और आतव क सिमBण स गभ) क उ2पन होन तक क िविध गभा)वTाित कहत ह

िववाह का गभा)धान पार-प]रक िनकटतम सबध ह इसिलए गभा)धान हत दोन (ी-पlष) का tय-क होना अ2यावHयक ह इसस पिहल यिद गभा)धान होता ह तो सतान अAपजीवी न( या दब)ल जायगी जब माता-िपता का शारी]रक-मानिसक wि( स सपण) िवकास होगा तभी -व-य सतान हो सकती ह गभ)-य आधान गभा)धानमrsquolsquoअथा)त िजस कम) क ारा गभ) म बीज का -थापन पlष ारा ी म िकया जाता ह उस गभा)धान कहा जाता ह इस स-कार स वीय) सबिध अथवा गभ) सबिधत पाप का नाश हो जाता ह सव) थम ऋत -नान क पhात भाया) क ीधम) म होन स या रजोदश)न स 16 िदन तक गभा)धान क योय होती ह

गभा)धान क िTया अथा)त यथाथ) म गभा)धान कब सभव हाता ह इस िTया को वgtािनक आधार पर समझ लना आवHयक ह ितमास ी क गभा)शय म एक अampड़ आता ह िजस आङगलभषा म ओवमrsquolsquoकहत ह गभा)शय क आत]रक भाग म दो निलकाय होती ह िजह फलोिपयन टयब कहत ह एक मास म एक निलका स गभा)शय ओवम आता ह तथा दसर मास म दसरी निलका स ी-पlष समागम क पlष क जननाङग स िनसत अस^य शTाण (-पम)) ी क गभा)शय म पहbचत ह अस^य शTाणओ म कोई एक शTाण ही जीिवत रह पाता ह और वही गभ) म जाकर ी क रज स सिमिBत होकर नतन जीव का fप धारण करता ह यिद एक स अिधक शTाण गभा)शय म ी क रज स सिमिBत हो जात ह तभी ी क एक स अिधक सतान उ2पन होती ह पर ऐसा लाख म एक बार होता ह वत)मान म गभा)धान क िTया को वgtािनक न सरोगट मदर एव -पम) डोनट क िTया स अित सरल बना िदया ह अब व दपि9 भी सतासख ा कर सकत ह िजनम ी (गभा)शय क िवकार) अथवा पlष (शTाणओ क िवकार समागत क समय शारी]रक अltमता) या दोन ही सम-या5-त ह कभी-कभी गभा)शय म ती गित स मण कर सकन क अltमता क कारण रज (ओवम) स सयोग नहS कर सकता इस सचार- िTया को मोिबिलटी कहत ह यह -पम) 4-5 घampट तक गभा)शय म गितशील रहत ह कभी-कभी ी पlष क समागम क समय -पम) और ओवम का त2काल ही सिमBण हो जाता ह और गभ)धारण हो जाता ह तथा कभी-कभी तीन-चार घampट बार सिमBण होता ह ाय जो समागम क समय गभा)धान का समय िनधा)]रत िकया जाता ह वह -थलमान ही ह Pयिक समागम क समय और गभा)धान क समय म कभी-कभी शयकाल का अतर होता ह तो कभी-कभी कछ घampट का अतर हो जाता ह

277

1242 गभाधान म0 याMय - रजोिनवि9 क पhात ी-समागम करन क पव) गampड़ातय (नlt-

गampड़ात ितिथ-गampड़ात व ल5 गampड़ात) जम नlt स सातवा नlt मल भरणी अिEनी रवती मघा माता क BाX िदवस ल5 स आठवी रािश पाप5ह क नlt को 2याग दना चािहए यह दाप2य जीवन क सखमयी नहS होता ह

1243 गBड-मलािद जम िवचार - अिEनी आH लषा मघा aयDा मल एवम रवती- य 6 नlt

गampडमल कहलात ह इन नlt म उ2पन बालक-माता िपता कल या -वय को अ]र(iumlदायक होता ह यिद यह अ]र(iuml स बच जाए तो अपन बल-बिX स ससार म सख पव)क दीघ) आय ा करता ह इसिलए गampड मल म उ2पन बालक क िपता को 27 िदन तक उसका मख नहS दखना चािहय और िफर सित--नान क बाद गampड मल नlt क शाित आिद कराकर ही बालक का मख दखना चािहय

125 गभ सgtभव योग

यिद गभा)धान क समय पlष क रािश स उपचय (3 6 10 11) रािश म अपन-अपन नवमाश म ि-थत बलवान सय) व शT हो अथवा अथवा ी क रािश स उपचय रािश म मङगल व चमा -वनवमाश म हो तो गभ)धारण क सभावना रहती ह

लघजातक क अनसार -वरािश या -वनवमाश म बलवान सय) और शT पlष क उपचय रािश म हो या ी क उपचय रािशय म बलवानiuml चमा और मङगल अपन -वरािश या -वनवमाश म हो तो गभ) रहता ह

1251 गभिथित का वप - आधान काल म ी क जसी मन क भावना इkछा कफवातािद

दोष क ि-थित होती ह उसी क अनfप गण-दोष स यJ गभ)-थ बालक क वि9 होती ह

1252 गभपि$ ान - ल5 म शभ5ह हो या चमा शभ यत हो अथवा ल5 च स क एव

िकोण म 5ह ि-थत हो तथा ततीय एकादश भाव म पाप5ह हो तो सवकाल सखमय tयतीत होकर सखमयी सव होता ह

1253 गभ विk योगान - सारावली क अनसार गभा)धान-कािलक ल5 पर यिद बलवान बध

गl और सय) क wि( हो तो गभ) िनरतर बढ़ता ह 2यक मास म -वामी क बलानसार -वभाव व गण क गभ) होता ह

126 गभाधान स सव तक दश मासA का चH एव वामी

गभ)काल म िजस मास का -वामी दिषत (अ-तािद) हो तो उस मास म गभ)-पीड़ा तथा िजस मास क -वामी िनपीिडत हो तो उस मास म गभ) का पतन तथा िजन मास म -वामी िनम)ल हो तो उन मास म गभ) प( समझना चािहए चT स ि-थित -प( ह -

मास िथित वामी

278

थम कलल (रज-वीय) का सिमBण) शT

ि-थित - इस महीन म कवल वीय) रहता ह और वीय) क कारक शT ह शT जलत2 2 व 5ह ह इसिलए थम महीन म ि-थत वीय) ि-थत शTाण ी क िडबाण म अवि-थत रज स िमलकर एक अampड़ का fप धारण कर लता ह इसिलए थम मास म गभ) क ि-थित -प( नहS हो पाती ह

ि9तीय िपBड़प मङगल

ि-थित - मङगल अि5त2 2 व ह इसिलए मङगल उस रज-वीय) fपी अampड़ म सघनता लात ह और यह मास का लौथड़ा सा बन जाता ह िजसस माता क शरीर म िप9 बढऩ लगता ह और सता को उAटी चPकर व बचनी होन लगती ह

ततीय हाथ-पर आिद अङग क अवयव गl

ि-थित - गl आकाश धान दव ह उस मास क लोथड़ म जीव का सचार कर लड़का या लड़क क fप म प]रवित)त कर दत ह शरीर क भीतर सबस पहल गाङग का िनमा)ण होता ह िजसक कारण गभ)-थ िलङग क पि( हो जाती ह गभ)-थ िशश क विX स गभा)शय स गभा)शय क 5िथया सिTय हो जाती ह और माता क शरीर क िप9ािधPय पर िनयण होता ह और गभ)वती मिहला अदभत सनता का अनभव करती ह

चतथ हडडी सय

ि-थित - सय) हडडी क कारक ह इनक प(ता व दब)ला जातक क हडिडय का िवकार िनधा)]रत करती ह

पpचम चम (चमड़ी) च

ि-थित - चमा जलत2 2 व ह इसिलए इस मास म गभ)-थ िशश क शरीर म रJ सचरण होन लगता ह और रJवािहिनया िवकिसत होन लगती ह और पाचव महीन म शरीर नस मासपिशय व नािडय़ स यJ हो जाता ह

ष8 रोम शिन

ि-थित - शिन कश और -वfप क कारक ह इसिलए षDमास म मानव क सदरता कfपता गौर अथवा क_णवण) का िनधा)रण हो जाता ह अथा)त 2वचा का िनमा)ण हो जाता ह

सLम चतय (चतना) बध

ि-थित - बध बिX का कारक ह इस मास म गभ)-थ िशश का उदय होता ह वह -वत िTयाय करन लगती ह मा क ारा 5हण िकय गय भोजन आिद और मा क -वभाव पर वह िशश ितिTया करन लगता ह इस मास म िय को सभी विज)त िकयाय अिनवाय) fप स बद कर दनी चािहए Pयिक इसी

279

मास म िशश माता क आचार-िवचार िकयाकलाप स भािवत होता ह उदाहरणतया हम ाद सभा और अिभमय का िवचार कर सकत ह

अ$म माता-िपता 9ारा खाय गय अन का रसावादन लश

ि-थित - इस मास क -वामी कोई भी 5ह हो सकत ह अत िवशष सावधानी क जfरत होती ह इस मास क -वामी पीिडत हो जाय समय पव) सव अथवा अय िवकार उ2पन हो सकत ह सभी जानत ह िक आठव मास म उ2पन िशश क जीिवत रहन क सभावनाय नगampय ही होती ह क( तो िशश व माता दोन क िलए ही होता ह

नवम गभ स बाहर िनकलन का उ9ग च मा

ि-थित - चमा जलकारक ह चमा पट क भीतर इतना जल उ2पन कर दत ह िक िशश िबना िकसी तकलीफ क पट क भीतर िहल-डल सकता ह यिद िशश आराम स रहगा तो सव भी सखमय होगा

दशम सव सय

ि-थित - सय) अि55ह ह अत पट क भीतर गभY पदा करक िशश को माता क शरीर स अलग कर दत ह वह िजन मासपिशय म जकड़ा होता ह उनस छट जाता ह और आराम स जम ल लता ह

1261 गभसिहत गभहािन योग -

1 यिद आधान समय म सय) या चमा पाप5ह क मVय हो और उन पर शभ 5ह क wि( का अभाव हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

2 आचाय)वराहिमिहर क अनसार ल5 व चमा को पाप5ह क मVय म रहन पर सगभा) ी का मरण होता ह

3 आधान समय म लन व सम भाव म पाप5ह शभ5ह स अw( हो तो सगभा) का मरण अथवा ल5 म शिन और उस पर ltीण चमा व मङगल क wि( हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

4 चतथ) भाव म मङगल हो तथा बाहरव भाव म सय) व ltीण चमा हो उन पर पाप5ह क wि( हो तो गभ) सिहत गभ)वती का मरण अथवा म2यतAय क( होता ह

1262 गभपात योग - िन योग म गभ)पात होन क ि-थित उ2पन होती ह -

1 शिन व मङगल षD या चतथ) म ि-थत हो तो गभ)पात-योग बनता ह

2 ल5 म सय) हो सम म शिन हो अथवा सम म सय) व शिन साथ हो और दशम -थान पर गl क wि( हो तो गभ)पात-योग बनता ह

3 पचम -थान म राहb-शिन इ2यािद पाप5ह ि-थत हो अथवा पाप5ह क wि( हो तो गभ)पात-योग बनता ह

280

4 पचम -थान म जो नवमाश हो उस रािश को पाप5ह दखत हो तो यह गभ)पात-योग बनता ह

5 षDश क साथ शिन षD -थान म हो और चमा सम -थान म हो तो गभ)पात-योग बनता ह

6 अ(मश अ(मभाव म ि-थत हो तो गभ)पात-योग बनता ह

127 गभपात िनवारण

1 कशा क जड़ कास क जड़ एरampड़ क जड़ तथा गौखf िमलाकर 2 तोला दध 16 तोला पानी 64 तोला यथािविध पकाए इस दध म िमBी डालकर कई िदन तक सवन करन स गभ)पात सचक रJाव बद हो जाता ह

2 कसf िसघाड़ा जीवक ऋषभक काकोली ltीरकाकोली मदा महामदा शालपणY पिBपणY जीवती तथा मलहठी कमल नीला कमल एरampडमल तथा शतावरी िमिलत 2 तोल दध 16 तोल जल 64 तोल तथा शष 16 तोला यथािविध दधपाक करक िमBी िमलाकर सवन कर इसस ती वदना तथा गभ)ाव बद हो जाता ह

3 कसf िसघाड़ा पाख नीला कमल मपणY तथा मलहठी को िमलाकर 2 तोला दध 16 तोला पानी 64 तोला तथा शष 16 तोला यथािविध दधपाक कर इस दध म खाampड डालकर पीन स गिभ)णी िय का ती शल सयJ गभ)ाव बद हो जाता ह

4 गभा)व-था क पवा)व-था म पकाD कमल कशfक बला िसघाड़ा बरगद क जटा का शीत Pवाथ िमलाकर पीन स गभ)पात fक जाता ह िजनको ाय गभ)पात होता हो उह गभ)धारण स लकर लाभ होन तक यह औषिध िनरतर िपलाय दब)ल गभा)शय क यह सदर बल द तथा गभ)-थापक ह

1271 सव िदनाङक बोधक च2 एव उसक उपयोग क उपयोग क िविध मािसक ाव बद

होन क िदनाङकम उसी महीन क स^या जो गोल क अदर दी हbई ह उस जोड़ दव उस महीन क दिltण म जो महीना िलखा ह उसी महीन म योगफल क िदनाङक म सव होगा

281

उदाहरण 1 - मािसक ाव बद होन का िदनाङक 17 िदसबर + िदसबर क दी हbई स^या 6 = 23 िसतबर सव िदनाङक

उदाहरण 2 - मािसक ाव बद होन का िदनाङक 6 अ ल + अ ल क दी हbई स^या 5 = 11 जनवरी सव िदनाङक

1272 गभवती क िलए विजत काय - िदन म सोना काजल लगाना रोना अिधक -नान करना

अनलपन तथा तल मािलश नाखन काटना तज दौडऩा जोर स हसना अिधक बोलना शोर म रहना कघी का अिधक उपयोग अिधक वाय का सवन तथा tयथ) प]रBम करना अिधक आभषण पहनना अिधक ठampड़ी या अिधक गम) व-त का उपयोग अिधक नमकन या खटाई क ची+जो का सवन करना

1273 गभ सिहत गभवती मरण-ान -

1 यिद आधानसमय म सय) या चमा पाप5ह क मVय म हो और उनपर शभ5ह क wि( का अभाव हो तो गभ)सिहत गभ)वती का मरण होता ह

2 आचाय) वराहिमिहर न लन व चमा को पाप5ह क मVय म रहन पर सगभा) ी का मरणयोग बताया ह

3 आधानसमय म लन व सम म पाप5ह शभ5ह स अw( हो तो सगभा) का मरण अथवा लन म शिन हो एव उस पर ltीण च व मगल क wि( हो तो गभ)वती ी का मरण होता ह

4 चतथ)भाव म मगल हो ादश म सय) व ltीण चमा हो व उन पर पाप5ह क wि( हो तो सगभा) का मरण होता ह

128 स0तान योग

1281 गभ म0 प) और कया का ान - यिद आधानकाल म अथवा Bकampड़ली म बलवान ल5

चमा गl सय) िवषम रािश म व िवषम रािश क नवमाश म हो तो प का जम होता ह यिद पव[J ल5 चािद समरािश व समरािश क नवमाश म हो तो कया का जम होता ह

यिद बलवान गl सय) िवषम रािश म हो तो पlष का जम यिद समरािश-थ बलवान शT चमा मङगल हो तो कया का जम होता ह रजोदश)न स तीन राि तक ी अ-पHय रहती ह चतथ) िदन वह सासा]रक धम) म व9 होन योय होती ह परत शा म िवधान ह िक ी 16व िदन तक गभा)धान हत शारी]रक wि( स -व-थ रहती ह चतथ) िदन स सोलहव िदन तक यिद समागम िकया जाय तो िनिलखत फल िमलत ह -

समागम िदवस फल

चतथ) अAपाय प

पचम कयाजम

282

षD वशिव-तार करन वाला प

सम कया (वVया)

अ(म प ाि

नवम च क समान fपवती कया

दशम भावशाली प जो अनक tयिJय पर -वािम9व -थािपत कर

एकादश िवlपा कया

ादश प (धनवान)

योदश पाप आचरण वाली कया

चतद)श धम)शील प

पचदश लCमीवती कया

षोड़श सव)gt प

1282 प) योग

1 पचमश ल5 म हो एव गl स यत या w( हो तो थम सतान प होता ह

2 आधान लल म पचमश पlष5ह हो और वह पlषरािश अथवा पlषरािश क नवमाश म हो तो जातक को थम सतित पfप म ा होती ह

3 पचमभाव म सय) हो और उस शT दखता हो तो गिभ)णी ी क तीन प होत ह

4 पचमभाव म सय) और मङगल हो तो चार प होत ह

5 िसह व विhक ल5 म हो पचम भाव का -वामी गl पचम म ि-थत हो तथा शभ5ह स w( हो तो पाच प क ाि होती ह

6 पचमश पचमभाव म हो -वगही हो और पचमभाव स पाचव -थान पर शिन हो तो इस योग म सात प क ाि होती ह उनम स दो यमल सतान भी होती ह

7 गl पचम या नवम म ि-थत हो पचमश पण)बली हो धनश दशमभाव म हो तो गभ)वती क आठ सतान (प) उ2पन होती ह यिद शAय िचिक2सा एव अय कोई बाधा न हो तो

1283 कया योग

1 ल5श बलवान होकर पचम सम नवम या एकादश -थान म हो तो थम सतित कया क fप म ा होती ह

2 पचमश यिद ी5ह ीरािश अथवा ी नवमाश म हो तो थम कया का जम होता ह

283

3 पचमश चमा हो या पचमभाव म चमा हो तो िकया योग बनता ह

4 पचमश शिन स यत हो तथा चतथ) -थान म राहq हो तो दो या तीन कयाए होती ह

5 ल5 स ततीय भाव म बली बध बठा हो एव पचमभाव म चमा हो ता पाच कयाए होती ह

6 कया ल5 हो पचमभाव म शिन हो अथवा पचमभाव शिन च बध या शT ारा w( हो तो आठ कयाओ क ाि होती ह

7 समरािश (वष कक) कया विhक मकर मीन) का बध पचम या सम भाव म हो तो बहbकया योग बनता ह

8 पचमभाव म समरािश हो लाभ-थान म बध शT या च हो तो कया सतित क बाहbAयता रहती ह

1284 गभ म0 यमल योग

जड़वा बkच दो कार क होत ह माता क गभ) स दो या अिधक सतान एक साथ उ2पन(एक ही िदन म कछ समय क अतराल म एक ही माता स उ2पन बkच) होन वाल बkच या यमल कहलात ह गभा)धान या Bल5 स यमलयोग का िवचार िकया जाता ह -

1 यिद Bकाल म अथवा गभा)धान काल म िमथन रािश म या धनरािश म गl-सय) हो और और बध स w( हो तो एक ही गभ) स दो प का जम होता ह

2 यिद शT च मङगल कया या मीन रािश म बध स w( हो तो कया का जम होता ह

3 चमा और शT समरािश म हो तथा ल5 मङगल बध गl िवषम रािश म हो एक ही गभ) स यगल (एक लड़का व एक लड़क) उ2पन होत ह

4 ल5 और चमा समरािश म हो और उन दोन को पlष 5ह स दख तो यमल सतान उ2पन होती ह

5 ल5 मङगल बध और गl - य चार बलवान होकर सम रािश-थ होन पर यमल सतान उ2पन होती ह

6 िमथन कया धन और मीन को ि अग रािश कहत ह सभी 5ह और ल5 ि अग नवमाश म हो और उनको अपन नवमाश म ि-थत बध दख तो एक ही गभ) एक साथ तीन सतान उ2पन होती ह

7 उपय)J योग म यिद िमथन नवमाश ि-थत बध दख तो दो लड़क व एक लड़क का जम होता ह यिद कया नवमाश ि-थत बध दख तो दो कया व एक प का जम एक ही गभ) स होता ह

8 यिद गभा)धान क समय ल5श और ततीयश दोन का योग ल5 म हो तो एक ही गभ) स यमल सतान उ2पन होती ह

284

9 गभा)धान क समय ल5श और ततीयश का योग हो ल5श ततीय भाव म हो या अपन उkच -थान म हो तो एक ही गभ) स यमल सतान उ2पन होती ह

1285 नपसक सतान उपन होन क योग

इस Pलीब योग कहत ह िकस कार क 5ह-ि-थित म नपसक का जम होता ह वह अधोिलिखत योग बताया गया ह -

1 शिन यिद समरािश म और बध िवषय रािश म हो तथा दोन म पर-पर wि( हो

2 B अथवा आधानकाल म यिद बलवान िवषमरािशगत सय) और समरािशगत चमा पर-पर w( हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

3 सय) समरािश म हो और मङगल िवषमरािश म हो तथा दोन म पर-पर wि( हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

4 चमा तथा ल5 दोन िवषमरािश म हो और मङगल समरािश म ि-थत होकर दोन को दख तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

5 चमा समरािश म और बध िवषमरािश म हो और मङगल चमा तथा बध दोन को दख तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

6 ल5 चमा और शT - यह तीन िकसी भी रािश म हो िकत तीन िवषयक नवमाश म ि-थत हो तो गभ) स नपसक सतान का जम होता ह

नोट - गभा)धान काल क अतग)त वीय) क अिधकता स प होता ह रज क अिधकता स कया होता

ह तथा शT शोिणत का साय होन स नपसक का जम होता ह

1286 जारज योग (अय पlष स उपन सतान)

यिद कोई ी tयिभचा]रणी हो और अपन पित क अित]रJ अय िकसी पlष स सतान उ2पन कर तो ऐसी सतान जारजसतान कहलाती ह िन योग स जारज सतान उ2पन होती ह -

1 यिद ल5 या च शभ5ह क रािश म हो और बह-पित क वग) हो तो जातक जारज सतान होता ह

2 रिव शिन या मङगलवार को यिद चतथY नवमी या चतद)शी ितिथ हो उस िदन उ9राफाAगनी उ9राषाढ़ा या उ9राभापद म स कोई भी नlt का तीसरा चरण हो तो जारजप उ2पन होता ह

3 ल5 म अ(मभाव म चमा हो चमा स अ(म-थ गl हो गl पाप5ह स यत w( या पीिडत हो तो जारजप उ2पन होता ह

285

4 पचमश चर रािश म हो शिन पचम भाव म हो च राहb स यJ हो तो जारजप उ2पन होता ह

1287 पादजात सपवि$त जम

ाय जब सतान का शरीर माता क योिनमाग) स बाहर िनकलता ह तो पहल िसर िनकलता ह िफर मVयभाग और अत म पर िकत कई सव म इसक िवपरीत पहल पर तथा अत म िसर िनकलता ह ऐस िशशओ को पादजात कहत ह इसक अित]रJ कछ िशश जब पदा होत ह तो नाल उनक शरीर क चार और िलपटी रहती हइस सप)वि(त कहत ह अगर इस पर शी Vयान न िदया जाय तो िशश क म2य भी हो सकती ह

1 यिद गभा)धान क समय ततीयश राहb क साथ हो तो िशश पादजाता होता ह

2 राहb ल5 म हो और ल5श दशम म हो तो िशश पादजात होता ह

3 यिद अ(मश राहb क साथ ल5 म हो तो सप)वि(त योग होता ह

4 यिद ल5 Tर 5ह क _काण म हो ल5श गिलक या अ(मश स यत हो और क म राहb हो तो सप)वि(त योग होता ह

1288 िपता क अनपिथित म0 सतान का जम

1 यिद जम समय म ल5 च स अw( हो तो िपता क अनपि-थित म जातक का जम होता ह

2 अ(म नवम अथवा एकादश ादशी भाव म सय) चररािश म हो तो िपता क अनपि-थित म जातक का जम होता ह

3 यिद िदन म जम हो तो सय) राि म जम हो तो शिन मङगल स w( हो तो जातक क िपता क म2य परदश म होती ह

4 यिद सय) शिन चररािश म मङगल स यत या w( हो तो जातक क िपता क म2य परदश म होती ह

5 सय) स पचम सम नवम भाव म पाप5ह हो अथवा पाप5ह स w( हो तो िपता बधन का योग बनता ह

प अथवा पी क इkछा रखन वाल दपितय को िवशष िदन म ही मथनिTया म रत होना चािहए -

1 -नान क पhात प ाि क इkछा होन पर आतवकाल स सम िदन म मथन करना चािहए

2 िजह पी क इkछा हो व आतवकाल स िवषम िदन म मथन कर

मथन और सगभ)ता - मथन िTया म व9 होन क पिहल कछ आवHयक आहbितया दकर एव िनिलिखत म को पढ़त हbए ही मथन म व9 होना चािहए -

286

आयरिस सव)त ितDािस धा2वा दधात िवधाता2वा दधात ~वच)सा भविदित

~ा बह-पितिव)_ण-सोम सय)-तथाऽिEनौ भगोऽथ िमावlणौ वीर ददात म सतम

अिहरिस आयरिस सव)त ितDािस धाता 2वा

दधात िवधाता2वा दधात ~वच)सा भविदित

~ाबह-पितिव_ण सोम सय)-तथाऽिEनौ

भगोऽथ िमा वlणौ प वीर ददात म

इसक बाद जब शTltरण होन लग तो िनिलिखत म को पढ़त रहना चािहए -

पषाभगसिवता म दधात l कAपयित ललामग िव_णय[िन कAपयत 2व(ा

lपािणिपशत अिसिचत जापितधा)ता गभn दधात त

गभn धिह िसनीवािल गभn धिह पथ(bक

गभn त अिEनौ दवा वाध9ा प_करजौिवितस सजथा-त जो वEानरो

दFाद ~ाणमामयत ~गभn दधाि2वित

ाbख उदbखो बोपिव(ो मथतो मिमित चक ावण कया)त

इन उपरोJ म स gtात होता ह िक मथन सगभ)ता हत िनिम9 मा माना गया ह उस सफल और मनोऽनकल बनान क िलए धाता िवधाता क ही नहS अिपत ~ािद िविभन शिJय क भी आराधना क गयी ह िजसस जीवा2मा क ितkछाया अपनी शाEत इय9ा को -थल fप म अधगिDत करत हbए गभ) क साथ)कता िस कर सक ग हमार ाचीन मिनय न भी मथन क इस भौितक िTया को सफल बनान क िलए अनकल ऋत मास पlt ितिथ िदन नlt योग करण महq2 त) एव आसनािद क भी tयव-था कर दी ह

129 सव

1291 सव का ान

गभा)धान कािलक ल5 या राि सgtक जो हो उस राि क िजतन अश उिदत हो भJ हो उतना ही िदन या राि tयतीत होन पर सव होता ह

1292 मतकािद स सव

यिद जम क समय शीष[दय (िमथन िसह कया तला विhक और कभ) रािश हो तो थम गभ) स िसर पDोदय (मष वष कक) धन और मकर) हो तो चरण उभयचारी (मीन) हो तो हाथ स सव होता ह अथवा य ही अङग सव) थम योिनार स बाहर आत ह

287

1293 सव का क$ एव सख ान

यिद जमकाल क समय म नवम भाव म पाप5ह हो तो क( स सव होता ह यिद चतथ) दशम म शभ5ह हो तो सख स सव होता ह

1294 सव थान का ान

जमल5 क रािश व नवमाश क समान -थान पर सव होता ह -

1 ल5 स ि-वभाव रािश का नवमाश हो तो जातक का जम माग) म होता ह

2 ल5 स ि-थर रािश का नवमाश हो तो जातक का जम घर म होता ह

3 ल5 स -वरािश का नवमाश हो तो जातक का जम घर म होता ह

4 ल5 स अय रािश का नवमाश हो तो जातक का जम अय tयिJ क घर म होता ह

1295 शgय िचिकसा स सव क योग

1 राहb सय) व मङगल पचमभाव म ि-थत हो तो सव शAय िचिक2सा ारा होता ह

2 पचम -थान का -वामी अपनी नीचरािश म हो नवमभाव का -वामी ल5 म हो बध व कत पचमभाव म हो तो गभ)वती ी का िशश शAय िचिक2सा ार जम लता ह

1296 अनगभा योग

अनगभा) योग म जम लन वाली ी गभ)धारण करन क योय नहS होती ह यह योग ी क कampड़ली म िन कार स बताय गय ह -

1 सय) ल5 म हो और शिन समभाव म हो अथवा सय) शिन समभाव म एक साथ ि-थत हो तो तथा बह-पित दशमभाव को दख रहा हो तो यह योग बनता ह

2 शिन एव मङगल छठ भाव म या चतथ) भाव म हो तो यह योग बनता ह

3 शिन षDश क साथ हो अथवा छठ -थान म हो और चमा सम भाव म हो और अनगभा) योग बनता ह

1210 ससव हत उपाय

1 वट क प9 पर लाल चदन स अनार क कलम स िनािकत म और य िलखकर सता क िसर पर रख दन स सखपव)क सव होता ह

म) - अि-त गोदावरी तीर जभला नाम राltसी

त-या -मरमाण िवशAया गिभ)णी भवतrsquolsquo

288

2 नय इमली क पौध क जड़ गिभ)णी क िसर क बाल म बाध द सव होत ही क ची स काट लव Pयिक aयादा दर रखना ाणघातक हो सकता ह

3 गिभ)णी क हाथ म चबक प2थर रखन स सव पीड़ा नहS होती ह

4 मन_य क बाल जलाकर गलाबजल म िमलाकर तलव म मलन स फायदा होता ह

5 कampटकारी क जड़ और अतीस तथा पाढ़ल हाथ पर म धारण करन स शी सव होता ह

6 ितल और सरस गम) तल स गिभ)णी क मािलश करन स शी सव होता ह

7 कठ किलहारी इलायची मीठा बच िचक कजा का समान भाग लकर चण) बनाकर सघान स शी सव होता ह

8 ऊ मJा पाशा िवपाशाh मJा सयyण रHमय

मJ सव)भयाद गभn एिह मािचर मािचर -वाहाrsquolsquo

कए स ताजा जल मगवाकर ऊपर िलख म को सात बार पढ़कर ी को िपलाय तरत ही सख ससव होगा

9 िltितज)ल िवज9जौ वायिव)_ण जापित

सगभा) 2वा सदा पात वशAय च िदशतत

स_व2वमिविPल(मािविPल(ा शभानन

काित)कय Fत प काित)कयोिभरिltतमrsquolsquo

यह म ी क कान स मह लगाकर सात बार पढ़ तो शी सख सव होगा

10 बन म Kयानी बादरी कkचा बन फल खाय

Vवाई Bीराम क सो तरत सव हो जाय

मरी भगत गl क सकत अब दखो तरो म क सकत

Bीराम नाम साचा म पर ईEरी बाचाrsquolsquo

इस को सात बार पानी म पढ़कर ी को िपलाव तो शी सख सव होगा

11 बन म Kयानी अजनी िजन पाए हनमत

हbकारत ही हनमत क गभ) िगर सखवत

शKद साचा िपampड ढाचा फर म Bी बाचा rsquolsquo

इस म को ी क कान म 9 बार जोर-जोर स पढ़ और फकार लगाव तो शी सख सव होगा

289

12 ऊ S BS PलS ऐ धवतर नम ( सता का नाम)

का सव शाित fपा मचा मचा कf कf -वाहाrsquolsquo

इस म स सात बार पानी को अिभमित करक सता ी को िपलाव तो शी सख सव होगा

13 ऊ मJा पाशा िवपाशाh मJा सयyण रHमय

मJ सव)भयाद गभn रािह मािचर -वाहाrsquolsquo

इस म स िगलास या कटोरी म िलया हbआ जल सात बार अिभमित करक िपला दव इस जल क पीन स lका हbआ बkचा शी बाहर िनकल आता ह

1211 साराश

ी जब िववाह क पhात थम बार ऋतमित होती ह उसक पhात होन वाला समागम िनषकrsquolsquoकहलाता ह उसक बाद होन वाल मािसक धमv क अनतर ी-पlष का समागम गभा)धान कहलाता ह मङगल और चमा क हत स िय को ितमास रजोधम) होता ह ऋत -नान क पhात ी क मािसक धम) या रजोदश)न स 16व िदन तक ी गभा)धान क योय हाती ह रजोदश)न स प (समिदवस) अथवा कया (िवषमिदवस) ाि हत शभिदवस का िवचार भी यथासमय पर कर लना चािहए

इस अVयाय क अतग)त हमन िवFािथ)य क िलए ी क रजोकाल स लकर गभ)धारण करत हbए िशश होन तक क योग का वण)न िकया ह िजसक अतग)त गभा)धान िTया प अथवा पी का जमयोग िवचार यमलयोग गभ)पातयोग सव पीड़ा योग अथवा सवसख योग सिहत गभ)काल स दस महीन का समिचत िववरण िदया गया ह

1212 श दावली

bull गभा)धान = गभा)शय म बीज क -थापना

bull गभा)वTाित = पlष व ी क बीज का समागम

bull उपचय भाव = ततीय षD दशम व एकादश भाव

bull अनगभा) = गभ)धारण हत अltम ी

bull यमल योग = जड़वा बkच उ2पन होना

290

1213 अित लघ+रामक

1 गभ) Pया ह

उ9र अ( कित और षोड़श िवकितय स यJ सजीव िपampड़ गभ) कहलाता ह

2 गभा)धान िकस कहत ह

उ9र - िजस कम) क ारा गभ) म बीज क -थापना पlष ारा ी क गभा)शय म क जाती ह उस गभा)धान कहत ह

3 िकन दो 5ह ारा ी को रजोधम) होता ह

उ9र - मङगल तथा चमा ारा ी को ितमास रजोधम) होता ह

4 रज काल क दो िनिषX समय बताईय

उ9र - अमाव-या क ]रJा ितिथ अथवा सVयाकाल थम रजोदश)न हत न( समय ह

5 रजोदश)न स प ाि हत िनिद)( िदवस बताईय

उ9र - 4 6 8 10 12 14 16व िदन प ाि हत समागम का BD समय होता ह

6 सव -थान gtात करन का Pया आधार ह

उ9र - जम ल5 क रािश व नवमाश सव -थान gtात करन का अधार ह

7 गभ)ि-थित का -वfप िकस कार होगा

उ9र - आधानकाल म ी क मनोदशा जसी होगी वसी ही गभ)-थ िशश क कित होगी

8 पदजात योग िकस कहत ह

उ9र - सव उपरात जब बkच को पहल पर तथा अत म िसर योिनमाग) स िनकलता ह उस पदजात योग कहत ह

9 गभा)धान क समय िकन तीन गampड़ात दोष का 2याग करना चािहए

उ9र - ितिथ नlt व ल5 गampड़ात का 2याग करना चािहए

10 जारज योग िकस कहत ह

उ9र - जब कोई ी अपन पित स अितरJ अय िकसी पlष क ारा सतान उ2पन करती ह तो वह सतान जारजसतान कहलाती ह

1214 लघ+रामक

1 गभा)धान क वgtािनक िTया का वण)न किजय

291

2 रजोदश)न का शभाशभ मास नlt व फल बताईय

3 गभ) म यमल योग का वण)न किजय

4 प एव कया ाि योग Pया हग

5 गभा)धान क समय Pया दोष नहS होन चािहए

1215 स0दभ 130थ

1 सारावली

सपादक डॉ मरलीधर चतवyदी

काशक मोतीलाल बनारसीदास वाराणसी

2 बह2पाराशर होराशा

सपादक Bी सरश च िमB

काशक रजन पिKलकशन िदAली

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