syllabusrccmindore.com/wp-content/uploads/2015/06/hindi-i-year.pdf · syllabus b.com i year subject...

18
B.Com I Year Subject- Hindi 45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 1 SYLLABUS B.Com I Year Subject MORAL VALUES & LANGUAGES UNIT I 1- Lora=rk iqdkjrh ¼dfork½ & t;k'kadj izlkn 2- iq"i dh vfHkyk"kk ¼dfork½ & ek[kuyky prqosZnh 3- okD; lajpuk vkSj v'kqf);k¡ ¼ladfyr½ UNIT II fgUnh Hkk"kk & 1- iw l dh jkr dgkuh izs epa n 2- vIinhiks Hko ys [k Lokeh J)kuan 3- Ik;kZ;okph] foykse] ,dkFkhZ] vus dkFkhZ ,oa 'kCn;qXe 'kCn ¼ladfyr½ UNIT III fgUnh Hkk"kk & 1- Hkxoku cq) ¼fuca/k½ & Lokeh foos dkuan 2- dNqvk /keZ& pUnz/kj 'kekZ xqys jh 3- ugha :drh gS unh & ghjky ckNksfr;k 4- iYyou UNIT IV fgUnh Hkk"kk & 1- vQlj fuca/k & 'kjn tks'kh 2- gekjh lkaLd`frd ,drk la xzg esa Hkkjr ,d gS ¼fuca /k½ jke/kkjh flag fnudj ¼,d Hkkjr Js"B Hkkjr ds varxZr½ 3- la {ksi.k ¼la dfyr½ UNIT V fgUnh Hkk"kk & 1- uSfrd ewY; ifjp; vkSj oxhZdj.k vkys[k MkW- 'kf'k jk; 2- vkpj.k dh lH;rk ¼fuca /k½ & ljnkj iw .kZflag 3- vUrKkZu ,oa uSfrd thou ys[k MkW- loZiYyh jk/kkd`".ku

Upload: others

Post on 16-Nov-2020

3 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 1

    SYLLABUS B.Com I Year

    Subject – MORAL VALUES & LANGUAGES

    UNIT – I 1- Lora=rk iqdkjrh ¼dfork½ & t;k'kadj izlkn 2- iq"i dh vfHkyk"kk ¼dfork½ & ek[kuyky prqosZnh 3- okD; lajpuk vkSj v'kqf);k¡ ¼ladfyr½

    UNIT – II fgUnh Hkk"kk & 1- iwl dh jkr dgkuh izsepan 2- vIinhiks Hko ys[k Lokeh J)kuan 3- Ik;kZ;okph] foykse] ,dkFkhZ] vusdkFkhZ ,oa 'kCn;qXe 'kCn ¼ladfyr½

    UNIT – III fgUnh Hkk"kk & 1- Hkxoku cq) ¼fuca/k½ & Lokeh foosdkuan 2- dNqvk /keZ& pUnz/kj 'kekZ xqysjh 3- ugha :drh gS unh & ghjky ckNksfr;k 4- iYyou

    UNIT – IV fgUnh Hkk"kk & 1- vQlj fuca/k & 'kjn tks'kh 2- gekjh lkaLd`frd ,drk laxzg esa Hkkjr ,d gS ¼fuca/k½

    jke/kkjh flag fnudj ¼,d Hkkjr Js"B Hkkjr ds varxZr½

    3- la{ksi.k ¼ladfyr½ UNIT – V fgUnh Hkk"kk &

    1- uSfrd ewY; ifjp; vkSj oxhZdj.k vkys[k MkW- 'kf'k jk; 2- vkpj.k dh lH;rk ¼fuca/k½ & ljnkj iw.kZflag 3- vUrKkZu ,oa uSfrd thou ys[k MkW- loZiYyh jk/kkd`".ku

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 2

    bdkbZ&1

    Lora=rk iqdkjrh

    dfo &t;’kadj izlkn dsa ukVd pUnxqIr ls yh xbZ dfork Lora=rk iqdkjrh esa dfo us Lora=rk dk

    ekuohdj.k fd;k gSA dfork esa dfo us ;qokvksa esa ns’k &izse dsa izfr izsj.kk nsus dk dk;Z fd;k gSA fgeky;

    dh Å¡ph pksVh ls ljLorh :ih cq/fn pssrU;’kq/n o fueZy Hkkjrh Lo;a vius gh izdk’k ls Lora=rk gesa iqdkj

    jgh gSa tu &tu ls vkgoku dj jgh gS fd rqe nsorkvksa dh larku gks tks dHkh Hkh ijkftr ugh gksrs rqe

    ;g izfrKk dj yks fd rqe Lora=rk dks cpk,¡ j[kus dsa fy, vius izk.kks dk R;kx dj ldrss gks ;gh /keZ gS

    ;gh iq.; dk lgh lPpk jkLrk gS blh ij c

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 3

    okD; lajpuk vkSj v’kqf/n;k¡

    fdlh fopkj dks iw.kZrk ls izdV djus okyk in lewg ;k ’kCn okD; dgykrk gSA

    okD; ds Hksn&

    jpuk dh n`f"V ls rhu Hksn&

    ¼1½ljy okD; &,slk okD; ftlesa ,d drkZ vkSj ,d fdz;k gks mls ljy ;k lk/kkj.k okD; dgrs gSA

    tSls& jke i

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 4

    vksg! Mlds iSjks ls [kwu fudy jgk gSA

    ¼6½lUnsg okpd&ftl okD; esa fdlh ckr dk lUnsg izdV gksA mls lUnsgokpd okD; dgrs gSA

    ¼7½ ladsrokpd okD;& bl okD; esa ,d okD; nqljs dh lEHkkouk ij fuHkZj djrk gSA tSls& ;fn rqe pyks]

    rks eSa Hkh pyw¡ cjlkr u gksrh rks]Qly lq[k tkrhA

    ¼8½ bPNkokpd & ftl okD; ls fdlh izdkj dh bPNk ;k ’kqHkdkeuk izdV gks mls bPNkokpd okD; dgrs

    gSA

    tSls& rqe vius mn~ns’; esa lQy gksA

    og ijh{kk esa mrh.kZ gksA

    okD; dh v’kqf/n;k¡

    Hkk"kk esa ’kq) iz;ksxksa dk cM+k egRo gS] vkSj ;g ’kq) iz;ksx cgqr dqN O;kdj.k >ku ij vk/kkfjr gSA

    ¼1½mPPkkj.k vkSj orZuhxr

    ¼2½’kCnxr

    ¼3½’kCnkFkZxr

    ¼4½okD;xr

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 5

    ऩसू की यात’ कहानी का सायाॊश “

    कहानी ‘ऩूस की यात’ भें हल्कू के भाध्मभ से कहानी काय ने बायतीम ककसान की राचायी का मथाथथ चचत्रण ककमा है । फहुत सार ऩहरे की फात है । उत्तय बायत के ककसी एक गाॉव भें हल्कू नाभक एक गयीफ ककसान अऩनी ऩत्नी के साथ यहता था । ककसी की जभीन भें खेती कयता था । ऩय आभदानी कुछ बी नहीॊ थी । उसकी ऩत्नी खेती कयना छोडकय औय कहीॊ भजदयूी कयने कहती थी ।

    हल्कू के रगान के तीय ऩय दसूयों की खेती थी । खेते के भालरक का फकामा था । हल्कू ने अऩनी ऩत्नी से तीन रुऩए भाॉगे । ऩत्नी ने देने से इनकाय ककमा, मे तीन रुपऩए जाडे की यातों से फचने केलरए, कॊ फर खयीदने के लरमे जभा कयके यखे थे । भालरक के तगादे औय गालरमों से डयकय उसने वे तीन रुपऩए ननकरकय दे ददए । जलभॊदाय रुपऩए रेकय चरा गमा ।

    ऩूस भास आ गमा । अॊधेयी यात थी । कडाके की सदी थी । हल्कू अऩने खेत के एक ककनाये ऊख के ऩत्तों की छतयी के नीच ेफाॉस के खटोरे ऩय ऩडा था । अऩनी ऩुयानी चादय ओडे दििुय यहा था । खाट के नीचे उसका ऩारतू कुत्ता जफया ऩडा कुॉ -कूॉ कय यहा था । वह बी िण्ड से दििुय यहा था । हल्कू को उसके हारत ऩय तयस आ यहा था । उसने जफया से कहा-‘तू अफ िॊड खा, भैं क्मा करुॉ ? महाॉ आने की क्मा जरुयत थी ?’ हल्कू फहुत देय तक कुत्ते से फातें कयता यहा । जफ िॊड के कायण उसे नीॊद नहीॊ आई, तफ कुत्ते को अऩने गोद भें सुरा लरमा । उसके शयीय के गभी से हल्कू को सुख लभरा । कुछ घण्टे फीत गमे । कोई आहट ऩाकय जफया उिा औय बौंकने रगा । उसे अऩने कतथव्म का भान था ।

    हल्कू के खेत के सभीऩ ही आभों का फाग था । फाग भें ऩत्त्तमों का ढेय ककमा, ऩास के अयहय के खेत भें जाकय कई ऩौधे उखाड के रामा । उसे सुरगामा औय अऩने खेत भें आकय वहाॉ के ऩत्त्तमों को बी सुरगामा । हल्कू औय कुत्ते दोनों आग ताऩने रगे । िॊड की असीभ शत्क्त ऩय पवजम ऩाकय वह पवजम गवथ को ह्रदम भें नछऩा न सकता था । वह कॊ फर ओढकय सो जाता है ।

    उसी सभम नजदीक भें आहट ऩाकय जफया बौंकने रगा । कई जानवायों का एक झुण्ड खेत भें आमा था । शामद नीर गामों का झुण्ड था । उनके कूदने-दौडने की आवजें साप कान भें आ यही थी । कपय ऐसा भारूभ हुआ कक वे खेत भें चय यही हैं । जफया तो बौंकता यहा । कपय बी हल्कू को उिने का भन नहीॊ हुआ ।

    जफया तो बौंकता। था । नीर गामें खेत का सपामा ककमे डारती थी । औय हल्कू गभथ याख के ऩास शाॊत फैिा हुआ था औय धीये-धीये चादय ओढकय सो गमा । उदय नीर गामों ने यात बय चयकय खेती की सायी पसर को फयफाद ककमा था । सफेये उसकी नीॊद खुरी । भुन्नी ने उससे कहा-‘...तुभ महाॉ आकय यभ गमे । औय उधय साया खेत सत्म नाश हो गमा ।...’ दोनों खेत के ऩास आ गमे । भुन्नी ने उदास होकय कहा-अफ भजूयी कयके ऩेट ऩारना ऩडगेा । हल्कू ने कहा-‘यात की िण्ड भें महाॉ सोना तो

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 6

    न ऩडगेा ।’ उसने मह फात फडी प्रसन्नता से कही, उसे ऐसी खेती कयने से भजूयी कयना फहुत हद तक आयाभदामक है । भजूयी कयने भें झॊझट तो नहीॊ हैं ।

    पवशेषताएॉ “

    कहानी भें कृषक जीवन की दफुथरता औय सफरता की झाॉकी ददखाना है । कृषक माने ककसान एक एक दृत्टट से सफर होता है । वह कडी भेहनत कयता है । ऩैसा-ऩैसा काॉट-छाॉटकय फचा यखता है । कपय हय प्रकाय के कटट सहन कयता है । जाड ेभें दििुयता है,जलभॊदाय की गारी सुनता है,कपय बी काभ कयता जाता है । मही उसकी सफरता है । वह दफुथर है, क्मों कक उसभें जलभॊदाय के अन्माम के पवरुद्ध खडा होने की दहम्भत नहीॊ है । ऩरयत्थथनतमाॉ इसके लरए त्जम्भेदाय हैं । हल्कू ने अऩनी भेहनत की कभाई जलभॊदाय को दी औय खुद ऩूस की यात भें िण्ड से दििुयने रगा । मही उसकी कभजोयी है । ऩरयत्थथनतमों की दफाव के कायण नीर गामों से अऩनी पसर की यऺा बी न कय सका । अत् कहानी काय ने ककसान की पववशता के लरए त्जम्भेदायी शत्क्तमों के प्रनत व्मॊग्म ककमा है ।

    " अप्ऩ दीऩो बव'

    "अप्ऩ दीऩो बव' थवाभी श्रद्धानॊद द्वाया सत ्1914 मे दीऺान्त सभायोह भें ददमा गमा एक बाषण है । इसभें थवाभी श्रद्धानॊद ने ऩयभात्भा को सत्म का थवरुऩ फतामा है तथा सत्म को भन, कभथ, वचन, किमा हाॉस थवीकाय कयने िो पे्ररयत ककमा है,D;ksfd मह सत्म ही ईश्वय थवरूऩ है ।

    थवाभीजी ने धभथ के भागथ ऩय चरकय भनुटम को भमाथददत होने का ऩाि ऩढामा। उन्होंने भनुटम के हदम को ऩयभात्भा का थथान फतामा है, वही धभथ का भागथ प्रशथत कयता है । इसलरए आत्भा के शुद्ध बाव से ऩयखकय उसकी फाणी जो सुनो औय उसके अनुसाय हो आचयण कयों वहीॊ तुम्हें सत्म भागथ ऩय रे'जामेगा ।

    थवाभीजी अऩन ेलशटमों से गुरु nf{k.kk लसपथ मह चाहते है कक ऐसा कोई कामथ न केये त्जसके कायण उन्हें ईश्वय के दयफाय भेँ तथा थवम की आत्भा से रत्जजत होना ऩडे । भाता-पऩता, अनतचध, आचायों को देवताथवरूऩ सभझकय उनकी

    योमा कयना धभथ सभझो के सदगुणों, सदूॊबावों का अनुकयण कयो तथा उन्हें ऻान के भागथ का जमोनतथतॊब फनाओ । जीवन है अऩना सच्चा ऩथ-प्रदशथक भहाऩुरुष ही हो सकता है, उनका अनुसयण कयो ।

    ईश्वय के द्वाया ऻान ,oa फुपद्ध हभे प्रदान की गई है, उसे सॊसाय भें फाॉटना चादहए ।

    हभें ईश्वय द्वाया हाथ ददए गए है उन्हें सदा खुरा यखो, दसूयों की भदद कयना चादहए ।

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 7

    त्जस बायत की लभट्टी ls हभायी देह वनी, ftl गॊगा के ऩपवत्र जर का हभने ऩान ककमा, उसके mTtoy बपवटम को सॊवायने का कामथ कों । मे भॊत्र इस बायतबूलभ भें ;qxksa से गुरुभॊत्र के रूऩ भेँ xawt यहे है, इन्हें अऩने जीफन भें उताये।

    उन्होंने सत्म की भहत्ता लसद्ध कयते हुए सॊसाय िो सत्म ऩय आचश्रत फतामा है, सत्म के बफना सफ लभथ्मा है । ;gh सत्म को तुम्हाये जीवन भें उताया है तफ तुम्हाये जीफन व बपवटम की कोई चचता नहीॊ

    'kCn ¼i;kZ;okph] vusdkFkhZ] 'kCn;qXe] foykse½

    एक मा एक से अचधक वणों से फनी हुई थवतॊत्र साथथक ध्वनन शब्द कहराती है। जैसे -एक वणथ से ननलभथत शब्द -न (नहीॊ )व (औय )अनेक वणों से ननलभथत शब्द-कुत्ता , शेय, कभर, नमन, प्रासाद, सवथव्माऩी, ऩयभात्भा आदद

    fgUnh dh 'kCn laink& ¼i;kZ;okph] vusdkFkhZ] 'kCn;qXe] foykse½

    lekukFkhZ ;k Ik;kZ;okph 'kCn

    fgUnh dh 'kCnkoyh esa dqN ,sls 'kCn Hkh gSa ftudk okP;kFkZ dksbZ ,d gh O;fDr] ,d gh oLrq

    vkfn gksrs gSaA bl izdkj ds 'kCnksa dks lekukFkhZ ;k Ik;kZ;okph 'kCn dgk tkrk gSA

    vkdk'k vacj] xxu] uHk] O;ksx] vuar] vkleku] 'kwU;] vkarfj{kA

    vfXu vkx] ikod] Tokyk] gqrk'ku] okfàu] vuyA

    va/kdkj va/ksjk] re] frfejA

    vU; fHkUu] i`Fkd vkSj nwljkA

    vkuan izlUurk] g"kZ] mYykl] [kq'khA

    vkKk vkns'k] funsZ'k] gqDeA

    bPNk vfHkyk"kk] vkdka{kk] dkeuk] euksjFk] [okfg'k

    vagdkj ?ke.M] vfHkeku] naHk] niZ] xoZA

    vk¡[k n`x] ykspu] p{kq] us=] u;u] foykspu] vf{kA

    bUnz egsUnz] nsojkt] lqjsUnz] lqjifr] lqjs'kA

    bZ'oj ijes'oj] izHkq] Hkxoku] ijekRek] bZ'kA

    bUnziqjh nsoyksd] nsoiqjh] vejkorh] vydkiqjh] LoxZA

    mRlkg meax] tks'k] vkosxA

    mUufr vH;qn;] mRFkku] fodkl] izxfr] mRd"kZA

    dku d.kZ] Jo.k] =qfriV] Jo.kksfUnz;A

    fdukjk rV] rhj] dwyA

    xguk vkHkw"k.k] foHkw"k.k] vaydkj] Hkw"k.kA

    pk¡nuh T;ksRluk] dkSeqnh] pfUnzdkA

    rkjk u{k=] rkjd] u[kr] rkfjdk mìqA

    rkykc lj] ljksoj] iq"dj] rM+kx] tyk'k;A

    ty ikuh] uhj] okfj] vacw] lfyy] ve`r] thou] rks;] is;A

    unh lfjrk] rjafx.kh] rifLouh] nfj;kA

    https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 8

    igkM+ fxfj] ioZr] Hkw/kj] vpy] fxjh'oj] ux 'kSyA

    jkr jtuh] fu'kk] foHkkojh] jkf=] fuf'kA

    leqnz tyf/k] i;ksf/k] mnf/k] lkxj] vacqf/k] flU/kqA

    liZ lk¡i] ukx vfg] Hkqtax] fo"k/kj] iUux] C;kyA

    iRFkj Ikk"kk.k] miy] ikgu] izLrj] v'eA

    ifFkd jkgxhj] cVjksgh] jkgh] cVkÅ] ;k=h] eqlkfQjA

    ifo= ikou iwr] :fp] 'kq)] iq.;] fueZy] vdyq"k] fujdyq"kA

    izdk'k mtkyk] T;ksfr] ped] |qfr] izHkk] jks'kuhA

    euq"; balku] uj] vkneh] ekuoA

    lwjt fnudj] fnokdj] izHkkdj] Hkkuq] lfork] vkfnR;] jfo] fnus'k] HkkLdjA

    jkLrk ckV] Mxj] ekxZ] iFk] ex] jkgA

    leJqfr fHkUukFkZd 'kCn ;k Jqfrle fHkUukFkZd 'kCn ¼feyrh tqyrh /ofu okys 'kCn vFkok le:Ik½ &

    os 'kCn tks lquus esa leku izrhr gksrs gSa ysfdu ftudh orZuh esa lq{e varj ifjyf{kr gksrk gSa rFkk

    tks vFkZ Hkh fHkUu nsrs gSa &

    va'k Hkkx

    val da/kk

    vuy vkx

    vfuy gok

    vidkj cqjk djuk

    midkj HkykbZ

    d{kk Js.kh

    d{k dejk

    ckr ckrphr

    okr ok;q

    vyh HkkSajk

    vyh l[kh

    vusdkFkhZ 'kCn

    Hkk"kk dh 'kCnkoyh esa oLrqr% dqN 'kCn ,sls gksrs gSa ftuds ,d ls vf/kd okD;kFkZ dks'k esa

    fn;s gksrs gSaA ,sls 'kCnksa dks vusdkFkhZ 'kCn dgrs gSaA ;Fkk

    1- v{kj & u"V u gksu okyk] Loj&O;atu o.kZ] gs bZ‛oj

    2- vFkZ & /ku] vk‛k;] O;k[;k

    3- dj & gkFk] fdj.k] gkFkh] dh lw¡M] VSDl

    4- dy & pSu] chrk gqvk fnu] vkus okyk fnu] e‛khu

    5- dky & le;] e`R;q

    6- xq: & f‛k{kd] Hkkjh] ògLifr] cM+k] Js’B

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 9

    7- i= & fpV~Bh] iÙkk] ia[k

    8- e/kq & ‚kgn] ‚kjkc] iq’i dk jl

    9- oj & Js’B] ojnku] nwYgk

    'kCn ;qXe

    lkekU; ifjp; & fgUnh Hkk"kk esa 'kCnksa ds dqN ,sls tksM+s izpfyr gSa ftudk iz;ksx lkfgfR;d

    fgUnh esa gh ugha] cfYd O;kogkfjd fgUnh esa fd;k tkrk gSA ;s tksM+s lekukFkZ 'kCnksa ds Hkh gksrs gSa

    vkSj foijhr vFkZ okys 'kCnksa ds Hkh gksrs gSaA bUgs 'kCn&;qXe dgk tkrk gSA buds iz;ksx ls okD;

    esa iz[kjrk vkSj fopkjksa esa Li"Vrk vk tkrh gSA 'kSyh Hkh vis{kkd`r vf/kd izHkko'kkyh ,oa

    izokge;h cu tkrh gSA

    'kCn& ;qXeksa ds dqN mnkgj.k ;gk¡ fn, tk jgs gSaA

    ¼d½ ,d lkFk iz;qDr nks lekukFkhZ 'kCn

    vkxs&vkxs cSBs&Bkys xjek&xje Hkkx&nkSM+

    jksuk&fpYykuk nsoh&nsork laxh&lkFkh

    ¼[k½ ,d lkFk iz;qDr nks fHkUUkkFkhZ 'kCn

    vehj&xjhc t;&ijkt; eku&vieku vuqu;&fou;

    xkyh&xykSp vkxk&ihNk jktk&jad pksj&pikV

    ek¡&cki [kk|&v[kk| vknku&iznku /kwe&/kke

    ¼x½ lkFkZd vkSj fujFkZd 'kCnksa dk ,d lkFk iz;ksx

    vkuk&okuk dqrkZ&mrkZ ekjuk&okjuk /kksrh&vksrh

    gyqvk&oyqvk ped&oed fEkBkbZ&foBkbZ dke&oke

    (अनेकाथी शब्द )की ऩरयबाष दसूये शब्दों भें - त्जन शब्दों के एक से अचधक अथथ होत ेहैं , उन्हें 'अनेकाथी शब्द ' कहत ेहै। अनेकाथी का अथथ है “ एक से अचधक अथथ देने वारा। अॊफय- आकाश,अभतृ, वथत्र। अनॊत- आकाश, ईश्वय, पवटण,ु अॊतहीन, शषे नाग। कनक- सोना, धतयूा, गेंहूॉ। गरुु- लशऺक, ग्रहपवशषे, शे्रटि, फहृथऩनत, बायी, फड़ा, बाय। जरज- कभर, भोती, शॊख, भछरी, चन्रभा, सेवाय। ऩानी- जर, चभक, इजजत । पर- राब, भेवा, नतीजा, बारे की नोक।

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 10

    । …

    बगवान फुद्ध (थवाभी पववेकानन्द) बगवान फुद्ध व्माख्मान, स्वाभी वववेकानन्द द्वाया अभेरयका के डटे्राएट नगय भें ददए हुए एक बाषण का "अॊश है , जजसभें उन्होंने बगवान फुद्ध एवॊ फौद्ध धभम सम्फन्धी ववचायो को O;Dr djrs हुए मह आत्भा का प्रमास ककमा कक प्रत्मेक धभम की एक प्रकाय की साधना होती है । फौद्ध धभम भें ननष्काभ कभम का बाव अत्मन्त ववकससत है । जानतगत बेदबाव से ऩये इस धभम भें काभनाओॊ औय वासनाओॊ का दभन ककमा गमा । बगवान फुद्ध ने सदैव मह सॊदेश ददमा कक अऩनी भुजतत का भागम हभ स्वम ही प्रशस्त कय सकत ेहै । अऩने ननजी स्वाथों की ऩूनतम हेतु ककसी बी izk.kh भात्र को सताना मा उसे दखु देना इस धभम भेँ ऩूणम रूऩ से वजजमत है ।

    ईश्वय की प्राजतत के सरए मह कदावऩ आवश्मक नही है कक हभ दान धभम मा दक्ष णा दे मा कपय फड ेसे फड ेधासभमक अनुष्ठानों का आमोजन कयाएॉ । इस हेतु केवर मह आवश्मक है कक हभ भनुष्म जीवन भें अच्छे कभम केये । ननष्काभ बाव से ही भनुष्म अऩने जीवन भें सभस्त फाधाओॊ को ऩाय कयता हुआ भोऺ की प्राजतत कय सकता है ।

    dNqvk /keZ ¼pUnz/kj 'kekZ ^xqysjh^½

    Lkkjka'k

    pUnz/kj 'kekZ xqysjhth ds dNqvk /keZ fucU/k ds ek/;e ls fuf'pr :i ls fgUnqLrkuh lH;rk vkSj laLÑfr dks u;s fopkj.kh;

    vk;ke çnku fd, gSA ,d fopkjkRed fucU/k gSA xqysjhth us ;g Li"V :i ls le>kus dk ç;kl fd;k gS fd e;kZnk vkSj

    lhek esa jgdj la;ksftr :i ls dk;Z djrs gq, ekuoh; ewY;ksa dk laj{k.k djuk uSfrdrk] leUo;rk] lkSgknzZ tSls xq.kksa dks

    loZO;kih cukuk gekjk deZ gksuk pkfg,] ysfdu bldk vk'k; ;g dnkfi ugha gS fd ge vU;k; vkSj vR;kpkj dks lgu djrs

    tk;] D;ksafd tc rd ge dNqvk /keZ R;kx dj vU;k; ds fo:) vkokt ugha mBk;saxs rc rd ,d LoPN o lekt dh

    dYiuk djuk fujFkZd gSA

    dNqvk /keZ dh foLr̀r O;k[;k djrs gq, xqysjhth us Li"V fd;k gS fd fgUnw lH;rk dNqvk /keZ dk ikyu cgqr rYyhurk ds

    lkFk djrh gSA ftl çdkj dNqvk fo"ke o foijhr ifjfLFkfr;ksa vkSj la?k"kksZa esa viuk flj fNik ysrk gS rFkk viuh ykSg leku

    ihB dks viuh

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 11

    नववषथ की भधुय वेरा भें हल्की… हल्की फारयश की फूॊदों के फीच बफरासऩुय से जीऩ द्वाया अभयकॊ टक की मात्रा ऩय रेखक ननकर चुके थे । घने जॊगरों के फीच के उफड़-खाफड़ याथत ेभेँ कबी एकाध गाॉव ददखाई ऩड़ जाता था । जीऩ को आगे फ

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 12

    बायत एक है प्रस्तुत ननफन्ध "बायत एक है ' याभधायीससॊह ददनकयजी को ऩुस्तक हभायी सॊस्कृनतक एकता से सरमा गमा है हभ ननफन्ध भेँ बायतीम सॊस्कृनत की ववववधता क्रो स्ऩष्ट कयत ेहुए ददनकयजी ने सरखा है कक मदद हभ बायत के नतशे क्रो को देश के yksx बाग प्राकृनतक दृजष्ट है स्ऩष्ट ददखाई ऩडत ेहैं' ऩहरा बायत का उत्तयी बाग, दसूया से कृष्णा नदी के उत्तय तक का बाग तथा तीसया औय अजन्तभ बाग कृष्णा नदी से ysdj अन्तदीऩ तक । बायत के इनतहास o प्राकृनतक ढाॊच ेभें ऐसी कोई जान अवश्म है जो कोई बी उसकी याष्टीम एकता व अखण्डता को नष्ट नहीॊ कय ऩामा, ogkW dh जरवामु यहन-सहन, खानऩान,rht त्मौहाय सबी भें सभरता होने के ऩश्चात ्बी भूया याष्ट्र iwjk ,d सूत्र भें cW/kk हुआ है । हाराॊकक बाषामी बेद इस एकता के सभऺ उऩजस्थत हो यहा है , रेककन व्माऩक प्रचाय-प्रसाय से जस्थनतमों ननमॊत्रत्रत हो यहीॊ है । बायत के दहन्द ूभुजस्रभ दोनों ही वगों के फीच एक सास्कृनतक एकता है जो उन्हें दसूये देशों से अरग फनाती है । तभाभ सबन्नताओँ dks सभेटकय बायत एक ऩूणम देश फनने भें सपर सात्रफत हुआ है । भौमों द्वाया कन्धाय dks बायत भें सभरा रेने का प्रमास हो भहभूद गजनी द्वाया बायत ऩय याज कयने की प्रफर इच्छा हो , सभी नाकाभमाफ ससद्ध इस भामने भे हुई कक प्रकृनत ने बायत को एक स्वतॊत्र देश के रूऩ भें अऩनी ऩहचान फनाने का जो अनुऩभ उऩहाय प्रदत्त ककमा है वह हभ सबी के सरए गौयव dh ckr है । बायत का कोई बी बाग मदद बायत से अरग होकय स्वतॊत्र होने की कोसशश कये को मह अप्राकृनतक फ अस्वाबाववक रगता है ।

    'अपसय' सायाॊश

    शयद जोशी अऩनी व्मॊग्म यचना 'अपसय' भें देश भें पैरी अपसयशाही की ओय इॊगगत कयना चाहत ेहै कक अगे्रज तो चरे गए ककन्तु वे अऩनी अपसयशाही बायत के सयकायी अपसयों को दे गए । आजादी सभरने के फाद बी अपसयों का आरभ जमी का त्मों फना हुआ है । देश की जनता के प्रनत उन का यवैमा T;k s का त्मों फना हुआ है ।

    वे कहत ेहै T;k s अपसय आत ेहै , चरे जात ेहै , कु्रससॊमाॉ वहीॊ यहती है, उनके वजन से चयभयाकय टूट जाती है । अपसय जाता है, ऩय अपसयी नहीॊ जाती, महीॊ तक कक रयटामय होने ऩय बी उसकी अपसयी कामभ यहती है । पाइरें वहीॊ की वहीॊ फनती औय ववकससत होती यहती है । ।

    भें रेखक व्मॊग्मात्भक ढॊग से अपसय के आने औय जाने क्रो काव्म रुऩ भें कहते ह… . अपसय जफ आता है, को चभन भें फहाय फनकय आता है औय जाता है तो भतमफान का अचाय फनकय जाता है । अपसय के तफादरे के भाध्मभ से एफ योचक दृश्म को व्मतत क्रयत्त ेहैं …कहत ेहै इस भौके ऩय हभ तमा कहें , वभाम साहफ हभाये फीच से जा यहे है, इस फात का 'हभे' अपसोस है औय शभाम साहफ हभाये फीच आ यहे है, इस फात की हभेँ खुशी है । आॉकपस के रोगों का मह धभमसॊकट कक जाने कारे के सरए आॉसूफहाए जाएॉ मा आने वारे को भतखन रगामा जाए । आॉकपस के रोग चम्भच की तयह एक तरेट से दसूयी तरेट भें आ जात ेहै । अपसय को घय भें बी अऩनी ऩत्नी एक ऩेंडड ॊग पाइर व फच्च ेएक केस की त्तयह रगत ेहै ।

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 13

    रेखक कहत ेहै अपसय से दोस्ती नहीॊ , रय’ता ककमा जा सकता है, तमोंकक ननमभ से चरना ही शे्रमस्कय होता है । तमोकक मह घोड ेक्री तयह कबी बी दरुत्ती भाय सकता है, इससरए कहा बी को जाता है कक अपसय के साभने औय घोड ेके

    अपसय के रेखक शयद जोशी का सॊक्ष तत ऩरयचम दहन्दी के सुप्रससद्ध व्मॊग्मकाय शयद जोशी का उभ 21 भई, 193, को उज्जैन e/;izns’k भें हुआ । शयद जोशी के व्मग्म भें हास्म कडवाहट , भनोववनोद औय चुटीराऩन है, जो उन्हें रोकवप्रम यचनाकाय फनाता है । शयद जोशीजी ने सभसाभनमक जीवन की folaxfr;ksa] =klfn;ksa] Hkz"V व्मवस्था के खखराप असबधा रऺणा O;atuk की तरवाय का खूफ प्रमोग ककमा । उनके O;aX; इतने सशतत , योचक एफॊ ऩैने होत ेथे कक उन्होंने 25 सार तक कववता के eap से गद्म ऩाठ ककमा औय सॊपे्रवषत हुए । वे त्रफहायी के दोहे की तयह अऩने व्मब्वमों का ववस्ताय ऩाठक ऩय छोड देत ेहै । उनके जनवप्रम रेखक ने उस उजतत क्रो चरयताथम ककमा कक 'सादहत्म सभा ज के भशार ददखाता है ' । अनेक प्रान्तीम स्थानो क साथ 1990 भें बायत सयकाय ने उन्हें ऩद्मश्री है ववबूवषत ककमा । भध्मप्रदेश सयकाय ने (आऩके नाभ ऩय शयद जोशी सम्भान आयम्ब ककमा है । शयद जोशा वाम के इनतहास के भीर के ऩत्थय फन गए तथा दयूदवाम 1 एर कपल्भ जगा भें उनके रेखन को व्माऩक जनाधाय सभरा । उनके रेखन से देश के फहु त फड ेसभुदाम ने दृश्म- श्रव्म भाध्मभ से दहन्दी की शजतत साभध्वम फ व्मॊजना व dks’ky का ऩरयचम प्रातत ककमा । शयद जोशीजी व्मॊग्म के ऐसे हस्ताऺय है , जजनसे दहन्दी की व्मॊग्म ववधा सशतत बी हुई तथा O;aX; को एक नवीन शैरी चर ननकरी ।

    जफ बी भूल्मों dh ckr gksrh है dbZ vyx vyx सन्दबम esa उऩमोग से राए जात ेहै जैसे जीवन भूल्म , नैनतक भूल्म औय भानवीम भूल्म । laHkor% इन सभी शब्दों के अथम औय असबप्राम एक ही है । भूल्म को ककसी बी नाभ से तमो न ऩुकाया जाए वे mu गुणों की vksj इॊगगत कयने है, जजन्हें व्मजतत egRoiw.kZ औय उऩमोगी भानता है तथा जजन ewY;kss के ikyu कयने से व्मजतत अऩने जजए साभाजजक भान्मता प्रातत djrk है ।

    Hkkjrh; laLd`fr ds vuqlkj thou esa ewY; gh lR; gksrs gSA thou dh 'kq) fdz;k,W /keZ dgykrh gSa] /keZ esa

    'kkafr] izse vkSj vfgalk lekfgr jgrs gSA ;s ikWp rRo& lR;] /keZ 'kkafr] izse vkSj vfgalk& ekuo ewY; ekus tkrs

    gSaA ;g Hkh ekuk tkrk gS fd bu ewY;ksa dk fu/kkZj.k /keZ djrk gSA

    viuh& viuh vkLFkk] ifjdYiuk vkSj vo/kkj.kk ds vk/kkj ij fo}kuksa us ewY;ksa dks vyx vyx ifjHkk"kk,W iznku

    dh gSA dqN izeq[k fpUrdksa }kjk nh xbZ ifjHkk"k,W fuEu gSA

    Jh jk/kkdey eqdthZ ds vuqlkj & ewY; lekt }kjk vuqeksfnr mu bPNkvksa vkSj y{;ksa ds :i esa ifjHkkf"kr

    fd, tk ldrs gSa ftUgsa vuqca/ku] vf/kxe ;k lekthdj.k dh izfdz;k }kjk vkRelkr fd;k tkrk gS vkSj tks

    O;fDrxr ekudks rFkk vkdka{kk ds :Ik esa ifjofrZr gks tkrs gSA

    tkWu डीवी के अनुसाय- "भूल्म का सम्फन्ध आन्तरयक रुगचमों से होता है,जजनका अनुभोदन सभाज द्वाया ककमा जाता है vkSj उनकी वस्तुननष्ठ रूऩ भें ऩयख की जाती है अयफन के अनुसाय- "भूल्म उसे कहत ेहै , जजनसे भनुष्म की इच्छाओॊ की तजृतत होती है ।"

    जोड के अनुसाय- "भूल्म के सम्फन्ध भे , सत्म रूऩ भें ऐसा प्रतीत होता है, जैसे ककसी वस्तु वा यग व रूऩ, सुगॊध, ताऩभान तथा आकाय होता है।

    जोड ने अऩनी ifjHkk"kk भें भूल्म को Hkkववाचक सॊऻा के रूऩ भें प्रमुतत ककमा है । वे भानत ेहै कक भूल्मों, की अनुबूनत की जा सकती है । भूल्मों की सहामता से अच्छाइमों को प्रातत कयने का प्रमास ककमा जाता है । भूल्म व्मजतत के ववशेष

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 14

    गुण है, जजसके भानक सभाज स्थावऩत कयता है । भूल्म भानव व्मवहाय के शुद्ध ननधामयक है, भूल्मों का laca/k आवश्मकताओॊ, इच्छाओॊ, असबपे्रयणाओॊ तथा आकाॊऺाओॊ से होता है ।

    उतत ऩरयबाषाओॊ से मह स्ऩष्ट है कक भूल्म हभायी आस्थाओॊ औय साभाजजक भमामदाओॊ मय आधारयत आवयण के ससद्धान्त है । जफ इभ अऩने आचयण औय व्मवहाय को सभाज के नीनतगत दामये भें रात ेहै त्तो ननये भूल्म नैनतक भूल्म वन जात ेहै, जो जीवन के आधायबूत भूल्मों के सभकऺ होत ेहै औय दोनों का आधाय सभान होता है । सभाज के स्थावऩत ननमभों औय भानकों के अनुरूऩ अऩने आचयण, व्मवहाय औय चरयत्र को डारना नैनतक भूल्मों के सन्दबम भेँ एक सवमभान्म अवधायणा है ।

    अफ प्रश्न उठता है कक ऐसे भूल्मों का स्वरुऩ तमा है? ककन गुणों के ननदहत है हभ स्वम क्रो नैनतक भूल्मों की कसौटी ऩय ऩयख सकत ेहैं? इसे जाने के सरए हभ अऩने प्राचीनतभग्रॊथो का सहाया रे सकत ेहै, जो इस ददशा भेँ हभाया भागमदशमन कयत ेहै ।

    1. बगवद ूxhता, जजसे हभ भानवीम सम्फन्धों, दृजष्टकोण, दशमन, ऻान औय उऩदेश का सवॊददकृष्ट औय सवमकासरक अथ भानत ेहै, उसभें 26 भानवीम भूल्मों की वववेचना की गई है । इन गुणों भें ननथीॊकता, भन की ऩववत्रता, मोग ऻान भें ऩरयऩतवता, देने की प्रवनृत, स्वम ऩय ननमत्रण, त्माग, 'kkL=ksa का अध्ममन, स्ऩष्टवाददता,,सत्म ननष्ठा, क्रोध का अबाव, उत्सगम की असबराषा, शाजजजश्चतारफारकऩटादहत वहाय, सबो के अनत ऺभा का बाव, ननस्भहृता izfr वत बाव, सभ्मता, ववनम्रता, ऊजामवान… ऺभाशीर व्मजततत्व, दृढता, शुद्धता, बूऩायदहत-च्छादहत स्वबाव तथा चुनौनतमों का साभना कयने की शजतत आदद उत्तभ व्मजतत के प्रभुख गुण भान गए हैं औय इन्हें भूल्म के रूऩ भें ननरूवऩत ककमा गमा gksA

    2, हभाये दसूये सवॊभान्म धासभमक ग्रॊथ वाल्भीकक याभामण भें भानवीम भूल्मों से ऩरयऩूणम सम्ऩूणम व्मजततत्व क्रो ऩरयबावषत ककमा गमा है । मह भाना गमा है कक योसा मजततत्व ननम्न गुणों से 'आबूवषत होगा-- व्मजतत जजसभें सदगुण हो, साभध्वमथ हो, जो /keZ भें आस्था यखता हो, जजसभें कृतऻता क्रा बाव हो, जो सत्मवादी हो, जजसभे सशतत lei.kZ का बाव हो, जजसका व्मवहाय उबम हो, जजसभे सबी के प्रनत करुणा हो, जो fo}ku, मोग्म औय प्रसन्नत्रफत्त हो, स्वम क्रो ऩूणम रूऩ से जानता हो, जजसने क्रोध ऩय पाफूभा सरमा हो, जजसका व्मजततत्व शानदाय हो औय जो दसूयो से न जाता हो ।

    भनु ने धभम के दस रऺण फताए है, जो आज बी बायतीम सदाचाय के बूर ताऩ से। इनभें धैमम, ऺभा, fu;e, अस्तमे, ऩदहॊत्रता, इजन्दमननग्रह, फुवद्ध, ववद्मा, सत्म एवॊ ऺक्रोध का उल्रेख है । मह ऩना गमा है कक इनसे ही व्मजतत उदात्त फनता' है । इन भूल्मों क्रो अऩने अन्दय ववकससत कयने वारा O;ogkj ही ykSfdd भूरबूत दभुुमणा… वाभय क्रोध, रोब, भोह औय अहॊकाय आदद से फच सकता है।

    ऩरयवाय व्मजतत के जीवन का प्रथभ ऩडाव है। ऩरयवाय भेँ जन्म रेने के वाद बावनात्भक सम्फन्धों का प्रायम्ब होता है, भानवीम सम्फन्धों का भहत्व सभझ भे आता ऩायस्ऩरयक सम्फन्धों की ऊजाम प्रातत होती है औय ऩरयवाय की जीवन शेरी को रुऩभत्भसात कयत ेहुए फच्च ेका ववकास होता है । ववकास की मह मात्रा भनुष्म के जीवन भेँ सफसे भहत्त्वऩूणम औय स्थामी बूसभका ननबाती है । अऩने ऩरयवाय के जीवन भूल्मों को फच्चा आत्भसात कयता है । अऩनी शैशवावस्था भें फच्चा अऩने ऩारयवारयक okrkoj.k esa jgrh हैं। अऩनी प्रायजम्बक अनौऩचारयक सशऺा ग्रहण कयता है । इस दोयान कई नैनतक ऩ फच्च ेका ऩरयचम होता हैं- जैसे सच तोरना, फडों का आदय कयना, bZ’oj भें fo'okl यखना, देश के izfr श्रद्धा यखना, ऩारयवारयक सॊसाधनों का feydj jguk, दसूयों की सहामता कयना, गरत काभ कयने से फचना आदद 'ऩरयवाय द्वाया ददए गए सॊस्काय ऩूयी जजन्दगी हभाये साथ यहत ेहै था ऩरयवाय के की सशऩ हभाये व्मजततत्व है स्ऩष्ट ददखाई देती हैं। कहा गमा है कक ifjokj तमा व्मजतत की प्रथभ ऩाठशारा है औय फच्च ेकी बी ही उसकी प्रथभ गुरु होती gS भें भूल्मों की ऩहचान ऩरयवाय औय भाता…वऩता के भाध्मभ से ही फच्च ेतय ' ऩहुॊचती है ।

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 15

    सभाज एक ऩरयवतमनशीर व्मवस्था का नाभ है । कबी "हूॉ साभाजजक ढाॉचा ओय साभाजजक भान्मताएॉ एक सभान नहीॊ यहती । सभम औय फनर , अनुसाय फदराव आतगृतैृ जो अऩरयहामम है औय कुछ हद तक आवश्मक बी " भू । रेककन इस फदराव व है सकायात्भक औय सॊयचनात्भक स्वरूऩ भेँ ही राना भू इस ऩरयवतमन के कायण ऩरयवाय अऩनी बूनत ,ऩएृॉ वाॊनछत रूऩ से नहीॊ ननबा मा यहे है। आजकर भाता-वऩता के ऩास फच्चों से साथ fcrkus के सरमा ऩमामतत सभम ही नहीॊ हैं' इसके कायण फच्चों के fdz;kvksa रोभो' ऩय भाता 'वऩता का ननमॊत्रण तमा होता जा यहा है ।

    इसका ननवायण न केवर ऩरयवाय के अऩने साभाजजक स्तय के fy, vfirq lekt vkSj याष्ट्र के ननभामण के सरए बी फहुत आवश्मक है । ऩरयवाय प्रथा dks l’kDr cukuk एक साभाजजक औय jk"Vªh; दानमत्व है । जफ नैनतक भूल्मों' के योऩण की प्रथभ dMh gh कभजोय होगी तो आगे की सबी कडडमों को जोड ऩाना सॊबव नहीॊ होगा ।

    ऩरयवाय के फाद भनुष्म के सभाजीकयण क्री दसूयी कडी के रूऩ भें शैऺखणक सस्थाए ववशेष भहत्व यखती है । मह भनुष्म के जीवन का दसूया ऩडाव है, tgkW ऩारयवारयक अनौऩचारयक सशऺा के फाद व्मजतत औऩचारयक औय सॊस्थागत सशऺा भें ओय कदभ यखता है । ऩरयवाय के रोगों के अरावा उसका व्मजततमों से होता हूॉ जजनभें सशऺक औय सहऩाठी प्रभुख रूऩ प्रबाववत कयत ेहै । नेनतक भूल्मों क्रो प्रदान कयने भें इन दोनो की यागधका ऩरयवाय भें सभान ही फहुत अहभ ्यहती है । ववशेष रूऩ है फच्चों के फारऩन ऩय सशऺक का प्रबाव गहया रगबग स्थामी यहता है। एक अच्छा सशऺक अऩने ववद्माथी के सरए एव अनुकयणत्म आदशम व्मजतत यहता है। सशऺक क्रो कहीॊ हुई हय वात ववद्माथी के सरए वाह्मएओय अजन्तभ होती है । मही कायण है कक जफ बी नैनतक भूल्मों की फात gksrh हैं, शौऺखणक सस्थाआ'की उऩमोगगता औय उऩादेमता की चचाम अवश्म होती है। नेनतक भूल्मों के योऩण भेँ सभाज की फहुत भहत्वऩूणम बूसभका है । व्मववत साभाजजक दामये से फहुत कुछ सीखता है । सभाज व्मजततमों वे" अस्था सभाज को ननभामण तमेाय ds fy,s कयता है औय व्मजतत अऩने कक्रमाकराऩों के उच्च सशऺा के छात्र जो देश की वा ऩीढी का vko’;d के प्रनत जवाफदेही होना अत्मन्त vko’;d है । उनके आसऩास का सभाज ककस प्रकाय ls उनके दहत के सरए कामम को,इसकी मोजना तैमाय की जानी चादहए। सभाज कई ifjokjksa dks एक la;qDr इकाई है, जजसकी सफसे छोटी कडी ऩरयवाय है । सभाज की अऩनी भान्मत्ताए ओॊय ननमभ है । साथ ही कई सभाजजक कुयीनतमों बी है जो कयती जा यहीॊ है । मुवा ऩीढी सभाज क्रो एक नमा रूऩ iznku व…यीनतदसेु है,सभाज की उऩमोगगता फढा सकती है औय सभाज को साभाजजक हैं भुतत कय सकती इसके सरए मुवाओॊ को अऩना स्वमॊ का चारयत्रत्रक भू भण कयना होगा, साभान्म नेनतक भूल्मों का ikyu कयना होगा तथा अऩनी आत्भशजतत द्वाया सभऺ भें ऩरयवत्तमन जाने का प्रमास कयना होमा । मह प्रकक्रमा ckr रम्फी होगी, इसभें कई कदठनाइमों आमेगी औय अनेक असाभाजजक शजततमों ऩीढी को इस प्रकाय का यचनात्भक, क्राजन्तकायी कामम कयने से योकेगी। रेककन

    साभाजजक दहत है औय सभाज को jk"Vªmi;ksxh cuk,xh रुकावटों का धेमम dk साभना कयना होगा । प्रमास भें इस प्रकाय की :dkoVs vk,saxhA

    नैनतक भूल्मों की सशऺा को घात्मचमाम का अननवामम अग फनाने की ckr स्वागत मोग्म है । कई फाय हभ जजन dks जानत ेहै, सभझत ेबी है कपय बी जीवन भैं उनका oSlk उऩमोग नहीॊ कय ikrs है जैसो कक अऩेऺा यहती है । इससरए नैनतक भूल्मों की वात फाय …फाय ववसबन्न स्वरूऩों भें उन्हें के साथ को जाए तो हभ उनकी अन्तयात्भा तक ऩहुॉच सकत ेहै औय उन्हें भानससक रूऩ से laosnu’khyrk । मह एक सतत ्प्रमास है औय इसका ननवमहन हय स्तय ऩय याष्ट्र के सन्दबम भे ककमा जाना चादहए।

    नैनतक भूल्मों के अध्ममन-अध्माऩन की व्मवस्था त्रफल्कुर fHkUu प्रकृनत ही होनो चादहए । एक सभसत्र भें इसकी अगधकता दस कऺाएॉ रगनी चादहए, जजनभे आऩ की उऩजस्थनत अननवामम हो । शेष सशऺा अनौऩचारयक, अवरोकन आधारयत, ववसशष्ट 'प्रसॊगों

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 16

    के सन्दबम है मुवा ऩीढी क्रो प्रनतकक्रमाओॊ को जानत ेहुए उन्हें पे्रयक अनुकयणीम व्मजततत्व के धनी रोगों है सभरने का अतसय देकय दी जा सकती है । सशऺक इनके अरावा अन्म गनतववगधमाॉ बी अऩने वववेक के अनुसाय आमोजजत कय सकत ेहै । हभाया उद्देश्म मुवा ऩीढी को सदाचायी, सॊवेदनशीर, जजम्भेदाय नागरयक cukus dk gSA नैनतक भूल्म के कारखॊडों का उऩमोग हभ गनतववगध आधारयत अनौऩचारयक रेककन प्रबाती ३ सशऺा प्रदान कयने के सरए rHkh तो सपरता सभर सकती है ।

    1. नैनतक भूल्म से आशम-व्मजतत के आचयण औय व्मवहाय को सभाज के सभऺ राने कय कामम नैनतक भूल्म ही कयत ेहै । इसका फहुत गहया सम्मन्ध भनुष्म के व्मजततत्व से होता है । नैनतक भूल्म भे दमा, करुणा, भभता, सभता , शीर, वववेक, ववनम्रता, कतमव्मननष्ठा जैसे गुणों का सभावेश होता है । नैनतक भूल्म साभूदहक बी होत ेहै औय व्मजततगत बी । 2. वत्तथभान मुग भें नैनतक भलृ्म की आवश्मकता D;ks -वतमभान esa ऩजश्चभी सॊस्कृनत ने भानवीम व नैनतक भूल्मों क्रो lksiku की कगाय ऩय राकय खडा कय ददमा है । आज सॊमुतत ऩरयवायों की ऩयम्ऩया टूटती जा यही हैं, इॊसान ही इॊसान के खून का ऩासा फन फैठा है जो नैनतकता एर भानवता भनुष्म के हदम भें ववयाजजत होती बी वह आज कहीॊ देखने जो नहीॊ सभरती । इससरए सभाज सुधाय व व्मजततगत ननभामण भें नैनतक भूल्मों की xq.k स्थाऩना ऩय अत्मगधक फर ददमा जाना चादहमे । इस सॊदबम भें हभ ननग्न त्रफन्दओुॊ का अध्ममन कय सकत ेहै- (1) चरयत्र ननभामण भें सहामक । (2) सभाज भें दहॊसक घटनाओॊ को योको iwjs स्वस्थ सभाज की स्थाऩना हेतु भहत्वऩूणम ।

    (3) सभाज व याष्ट्र का चहुॊभुखी fodkl।

    (4) उच्च आदशों की स्थाऩना ।

    (5) देश भें शाॊनत हैं सुयऺा ,oa सौहादमऩूणम okrkवयण का ननसभमत्त होना ।

    (6) धभम औय अध्मात्भ क्रो बावना ।

    उऩयोतत त्रफन्दओुॊ के आधाय ऩय मह कहा जा सकता है कक नैनतक भूल्म ही व्मजतत के चरयत्र का ननभामण कयत ेहुए उसे सॊस्कायों का प्रणेता फनाने की ददशा भें 'अग्रसय होत ेहै । सभाज के अनैनतक तत्वों द्वाया की जाने चारी दहॊसक घटनाएॉ नैनतक भूल्मों के iru के कायण ही जन्भ रे यही है, जजस ऩय ननमॊत्रण भाना वतमभान मुग है आवश्मक प्रतीत होता है । घभम ओॊय अध्मात्भ की ओय प्रवतृ्त कयने भें बी नैनतक भूल्मों को बूसभका vge~ हैं । नैनतक सॊस्कायों क सॊयऺक कहराने okys भनुष्म ही सभाज औय याष्ट्र के ववकास esa अऩनी बागीदायी दे सकत ेहॊ ।

    "आचयण की सभ्मता' सयदाय ऩूयनससॊह द्वाया भानव व्मवहाय से जुड ेएक सॊवेदनशीर ववषम ऩय सरखा गमा एक सादहजत्मक सायगसबमत ननफन्ध है इसभें ननफन्धकाय ने फतामा है कक आचयण उस व्मवहाय को कहा जाता है जो व्मजतत स्वम के प्रनत अऩनाता है, ककन्तु वही कक्रमाकराऩ मा भनोवजृत्त जफ दसूयों के प्रनत अऩनाता है, तो उसे व्मवहाय कहत ेहै । हभाया आचयण तबी शुद्ध हो सकता है, जफ हभ ककसी बी कामम को फडी bZekunkjhiwoZd ननबात ेहै, चाहे वह उच्च हो मा ननकृष्ट । शे्रष्ट आचयण ही भानव जानत का उद्धाय कय सकता है, सभाज को एक नई ददशा प्रदान कय सकता है । शे्रष्ठ आचयण के सरए हभें प्रकृनत की गोद भें जाना होगा । ववद्मा, करा, कोया, सादहत्म, धन, याजस्व से अगधक जीवन भें प्रकाश आचयण की सभ्मता द्वाया ही आता है ।

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 17

    हभें अऩना आचयण ही उच्च सशखय ऩय ऩहुॊचाता है । ' एक नई स्कूनतम, नईं चतेना, नमा जोश, नईं अनुबूनत आचयण क्री सभ्मता द्वाया ही हाससर होती है । आचयण की सभ्मता सदैव भौन यहती है । नम्रता, दमा, ऩेभ, उदायता सबी आचयण के भौन व्माख्मान है । मह सफ कुछ न फोरत ेहुए बी त्रफना बी अऩने बाव व्मतत कय देत ेहै । cksys भनुष्म जीवन ऩय भौन व्माख्मान का प्रबाव गचयस्थामी यहता है । आचयण के ekSu की सुगॊध से पे्रभ औय ऩववत्रता साये जगत का कल्माण कयती है ।

    आचयण dh सभ्मता से भनुष्म के ऊऩय से कुसॊस्कायों dh दृजष्ट फदर tkrh है vkSj शे्रष्ठ आचयण okरा भनुष्म उनके भन को शीतर कय देता है । दखु से ऩीडडत भनुष्म आनॊद का अनुबव कयने रगता है । अच्छे आचयण ls भनुष्म के कठोय से कठोय हदम को कोभर फना ददमा जा सकता है । इससे भनुष्म को नमा जीवनदान सभरता है । नु - आचयण बी दहभारम की तयह एक ऊॊ च ेकरश जारा भॊददय है । इसके फनने भेँ अनॊत कार का सभम रगा । ऩथृ्वी फन गई, तायागण फन गए, सूमम फन गमा ककन्तु आचयण के सुन्दय रूऩ के दयनन नहीॊ हुए । ककन्तु कही us कहीॊ इसकी सुन्दय छटा अवश्म ददखाई देती है । रेखक फताना चाहत ेहै कक ककसी के आचयण का प्रबाव इतना स्ऩष्ट होता है कक चाहे उन ऩय उऩदेशों का प्रबाव न ऩड ेऩयन्तु आचयण का प्रबाव अवश्म ऩडता है । धभम औय अध्मात्भ ववद्मा के ऩौधे को आयोग्मफधमक बूनत देने व प्रकाश देने का कामम शुद्ध आचयण ही कयता है । सॊसाय की खाक छानकय आचयणरूऩी स्वगम हाथ आता है । ममा वह त्रफना ककसी प्रमत्न के सभरता है । धभम के आचयण की प्राजतत मदद ऊऩयी आडॊफयों से ऩूणम होती तो आज प्रत्मेक बायतवासी सूमम के सभान शुद्ध आचयण कयने फारा हो जाता तमोंकक केवर भारा जऩने से जाऩ नहीॊ होता, गमा नहाने से स्वगम नहीॊ सभरता । ' प्राकृनतक सभ्मता के आने ऩय ही भानससक सभ्मता आती है । भानससक सभ्मता होने ऩय आचयण की सभ्मता की प्राजतत होती है । जफ तक अऻानी का आचयण अशुद्ध है तफ तक ऻानवान के आचयण की ऩूयी ऩयीऺा नहीॊ । आचयण की सभ्मता का देश ननयारा है । न इसभें भानससक झगड ेहै न शायीरयक, न आध्माजत्भका जजस सभम आचयण क्री सभ्मता सॊसाय भें आती है उस सभम भनुष्म भेँ भनुष्मत्व आ जाता है । चायों ओय आकाशभम वातावयण हो जात्ता है ब्रहाताद सुनाई देने रगता है, नायद की फीणा फजने रगती है औय सयस्वती स्वम ववयाजभान हो जाती है ।

    सयदाय ऩूयनससॊह ने अऩने ननफन्ध 'आचयण की सभ्मता' भें शुद्ध आचयण ऩय फर ददमा है । आचयण से आशम उस कक्रमाकराऩ व भनोवजृत्त से है, जो हभ अऩने स्वमके izfr अऩनात ेहै । जफकी व्मवहाय वह कक्रमाकराऩ व भनोवजृत्त है जो हभ ककसी दसूये के izfr कयत ेहै । मदद हभ अऩने कत्तमव्म का ऩारन सही रूऩ भें कय यहे है, कपय वह हभाया कत्तमव्म चाहे एक कृषक का हो मा कपय कोई सा बी तो हभ शे्रष्ठ vkpj.k dj jgs gSA vkpj.k dh lH;rk fuca/k esa fucU/kdkj us fofHkUu m)j.kksa ds ek/;e ls ;g lkfcr djus dk iz;kl fd;k gS fd Js"B vkpj.k gh lcls cM+h lH;rk gSA

    ;fn gesa okLro esa euq";Ro dks izkIr djuk gS rks vius vkpj.k dks Js"B lqUnj rFkk nwljksa ds izfr vuqdj.kh; cukuk gksxkA

    lH;rk rFkk laLd`fr dh izR;w"k csyk ls gh gekjk fj’rk izd̀fr ls jgk gS vkSj gesa Js"B vkpj.k dh izkfIr ds fy, izd̀fr dks

    xksn esa tkuk gksxkA ;gh bl fuca/k dk lkj ;k dsUnzh; Hkko Hkh gSA

    हभाये नैनतक thou भें बी उच्चतभ जस्थनत ऩय ऩहुॊचने के सरए अन्तऻजततत्भक दृजष्ट अननवामम है । साहसऩूणम ऩथ का अनुसयण कयने चारा चीय, उस अनुसन्धान कयने वारे आववष्कायक के सभान है, जो ककसी ववऻान के fc[kjs gq, lrq"V तत्वों को क्रभफद्ध कय कयता है, मा वह उस कराकाय के सदृश है जो एक सॊगीत की यचना कयता है मा ककसी बवन का डडजाइन तैमाय कयता है । जीवन की करा ऩुयाने फोसीदा असबनमों का रयहसमर नहीॊ है । ब्रेक ने अऩनी एक आकषमक ववयोधाबासऩूणम उजतत भें कहा था, "जो व्मजतत कराकाय-नही" है , वह ईसाई बी नहीॊ है ।' thou एक ऐसा खेर है जो तबी सभातत होता है जफ व्मजतत उससे अवकाश ग्रहण कयता है । उसके सरए दऺता औय साहस की आवश्मकता होती है । साहसी खखराडी तकनीक है ननऩुण होता है । जफ स्नेहॊ" जस्थनत को सभझ रेता है तो वह सुननजश्चत vUrcqf) से आगे फढता है । जीवन की शतयॊज की फ़ड ऩय अरग-अरग भोहयों की अरग-अरग ताकत ेहै

  • B.Com I Year Subject- Hindi

    45, Anurag Nagar, Behind Press Complex, Indore (M.P.) Ph.: 4262100, www.rccmindore.com 18

    औय उनके जोड ेअनेक तयह से फन सकत ेहै औय उनका बववष्म-कथन ऩहरे है ही ककमा जा सकता है । अच्छे खखराडी भें सही काम ंकी बावना होती है औय वह मह अनुबव कयता है कक मदद'वह उस बावना के अनुसाय कामम नहीॊ कयता तो वह अऩने अनत ही झूठा होगा । ककसी नाजुक जस्थनत भें आगे चार चरना एक सजृनात्भक कामम है । वह अऩनी प्रकृनत के अनुसाय आत्भा के बीतय है उदबूूत होता है । इसभें एक प्रकाय को गुतत औय सजीवन अननवाममता होती है ।

    धासभमक प्रनतबाशारी भहाऩुरुषों के उदाहयण भौटे तौय मय भनुष्म के ऩथ प्रदशमन के सरए उऩजस्थत यहत ेहै औय जफ उनका सम्फन्ध ककन्हें सॊगठनों है होता है तो बी वे भहात्जीफन को ऐसे कट्टय औय अऩरयवतमनीम ननमभ मा सूत्र भे ऩरयणीत कयने की, एक गुहा यहस्म को एक ऐसी दाशमननक प्रणारी भें ऩरयवनतमत कयने क्री जल्दी नहीॊ होती, जजसे हय व्मजतत यट सके। मदद हभाये भजन्दय, भजस्जद औय गगयज ेमह सभझें कक उनका भुख्म कामम हभेँ ऩववत्र ऻान देने के फजाम हभायी आत्भा क्रो उत्फुद्ध औय सजग कयना है तो वे ईश्वय के ऐसे भजन्दय फन जाएॉगे जजनभें व्माऩकता औय lkSgk;Z का साहस होगा औय जो अऩने आध्माजत्भक वातावयण है ववसबन्न धासभमक ववचायों आय रुगचमों के रोगों का स्वागत कय सकें गे । जीफन मा वातावयण की सम्बावनाएॉ अगखणत औय अऩरयभेम है औय उसभें ववसबन्न भतों के ववचाय- बेद के सरह ऩूयी गुजाइश यहती है । मदद हभाया मह ववश्वास हो कक भनुष्म क्रो उसके भन की कोभरता के सरए ककसी सहाये की आवश्मकता है तो हभ उसे प्रतीक औय उदाहयण प्रदान कय रऩकत ेहै ककन्तु उसके फाद शेष सफ-कु्रछ हभेँ भनुष्म के अन्तय है ववद्मभान ईश्वय ऩय ही छोड देना चादहए। सुकयात की ckrsa सच्चा उऩदेशक केवर वाई का काभ कारा हैं । दहन्द ूधभम के सभान ककसी धभम भे fuf’pr vkdkj dk tks vHkko gS og eq>s ,d mPprj fdLe dh fuf’prrk dk |ksrd izrhr gksrk gSA /keZ dk vFkZ gS czgk.M esa bZ’oj ds lkFk psruk ,sD; vkSj mldk eq[; lk/ku gS iszeA