vsu2avsu2a - vasudha, editor/publisher: dr. sneh thakore · श्री ती सुरा कु...

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EDITOR EDITOR EDITOR EDITOR - - - - PUBLISHER PUBLISHER PUBLISHER PUBLISHER : : : : Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Dr. Sneh Thakore Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Awarded By The President Of India Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder Limka Book Record Holder VASUDHA VASUDHA VASUDHA VASUDHA A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI A CANADIAN PUBLICATI ON ON ON ON Year 15, Issue 59 Year 15, Issue 59 Year 15, Issue 59 Year 15, Issue 59 July July July July-Sept., 2018 Sept., 2018 Sept., 2018 Sept., 2018 kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka kEneDa se p/kaixt saihiTyk pi5ka vsu2a vsu2a vsu2a vsu2a s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn s.padn v p/kaxn MkW- Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur Sneh #akur wart ke ra*3 wart ke ra*3 wart ke ra*3 wart ke ra*3^ ^ ^ ^ pit μara purS¡t pit μara purS¡t pit μara purS¡t pit μara purS¡t ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka ilMka buk irka$ $ $ $ DR ho DR ho DR ho DR hoLDr LDr LDr LDr v8R ÉÍ - A.k ÍÑ, jula{ - istMbr ÊÈÉÐ

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Page 1: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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म और त दो तो नही

पदमशरी डॉ शयाम स िह lsquoशशशrsquo

मर दश

तरा चपपा-चपपा मरा शरीर ह

तरा जल मरा मन ह

तरी वाय मरी आतमा ह

इन ब शमलकर ही

त बनता ह मर दश

म और त दो तो नही ह

शरीर आतमा मन

एक ही पराणी क

सथल या कषम अिग ह

म इनह बटन नही दगा

म इनह लटन नही दगा

म इनह शमटन नही दगा

15 59 2018 1

डॉ

(पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

समपादकीय २ वनद मातरम बककमचनर चटटोपाधयाय ३

भारत भारत ि इशडया निी परो कषण कमार गोसवामी ४

चल जाना किर बन सतीि कानत ६

चनर िखर आज़ाद िोन का अरथ सिील कमार िमाथ ७

ऐ मर वतन क लोगो रामचनर शदववदी lsquoपरदीपrsquo ९

परतयकष पदमशरी डॉ नरनर कोिली १०

शरीमती सभरा कमारी चौिान

क जनमकदन पर मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo २२

राषटर-भशि का अनठा उदािरण वशिक शिनदी सममलन

भाषा का मिततव स साभार २४

तन तो आज सवततर िमारा गोपाल दास lsquoनीरजrsquo २५

जीवन िबदो क बीच

और िबदो स पर परो शगरीशरवर शमशर २७

वर द वीणावाकदनी वर द सयथकानत शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo २९

१२१ वषीय बाबा शिवाननद डॉ अजय शरीवासतव ३०

अपनी गध निी बचगा बालकशव वरागी ३३

आस शनराि भई डॉ एमएल गपता lsquoआकदतयrsquo ३४

म कौन ह डॉ िशि ऋशष ३८

बधा कदलीप कमार ससि ३९

बीता कल अककी िमाथ lsquoशवकासrsquo ४३

म और त दो तो निी पदमशरी डॉ शयाम ससि lsquoिशिrsquo १ अ

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार ४४ अ

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akoshorgvasudhapatrikakavitakoshorgvasudhapatrikakavitakoshorgvasudhapatrika

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15 59 2018 2

समपादकीय

अशत परसननता की बात ि कक वसधा क लखक वसधा क परम शितषी पदमशरी डॉ शयाम ससि िशि जो

शिनदी व अगरजी म शविालकाय गरनर शलखत ि कावय-सजन करत ि तरा रोमा यायावर साशितय क शवि-

शवखयात िसताकषर ि उनि िाल िी म भारत सरकार की ओर स नीशत आयोग (सामाशजक नयाय व सिशिकरण

परभाग) का शविषजञ-सदसय मनोनीत ककया गया ि ठाकर सािब पशतरका पररवार तरा मरी ओर स िारदथक

बधाई उललखनीय ि कक नीशत आयोग भारत सरकार क सवोचच ससरान योजना आयोग का पररवरतथत नाम

नीशत आयोग िो गया ि शजसक अधयकष माननीय परधानमतरी शरी नरनर मोदी जी ि

एक अनय परसननता का समाचार ि कक वसधा क परम शितषी पवथ सासद राजभाषा की ससदीय

सशमशत क पवथ उपाधयकष तरा आधर परदि शिनदी अकादमी क अधयकष पदमभषण डॉ लकषमी परसाद यालथगडडा न

दि की सवाथशधक पराचीन शिनदी ससरा ldquoदशकषण भारत शिनदी परचार सभाrdquo शजसकी सरापना मिातमा गाधी जी

क दवारा वषथ १९१८ म चनन म हई री क ितमानोतसव वषथ २०१८ क सवथपररम कायथकरम ितमानोतसव

वयाखयान शरखला का िभारमभ ककया ि सभा दवारा ितमानोतसव वषथ क उपलकषय म इस पर वषथ शवशभनन

समारोिो का आयोजन ककया जा रिा ि मखय समारोि इस वषथ १७ जन को िोना शनशित ि शजसम परधान

मतरी शरी नरनर मोदी क भाग लन की समभावना ि जिा यालथगडडा जी का उदघाटन भाषण विा उपशसरत लोगो

को आनकदत कर गया विी यालथगडडा जी को सवय अशभभत भी कयोकक यालथगडडा जी न बचपन म सभा की

परारशमभक परीकषाए पास की री इस अवसर पर राषटरीय आतमशनभथरता और शिनदी शवषय पर अपना शवदवता-

पणथ पररम वयाखयान दत हए यालथगडडा जी न शिनदी को राषटर की एकता और अखडता क शलए आवशयक बताया

इस ससरा क पररम परचारक र मिातमा गाधी क छोट पतर शरी दवदास गाधी व इस वगथ की अधयकषता की री

शरीमती एनी बसट न सभा आज सौ वषथ पिात दि म सबस बड़ी शिनदी ससरा ि शजसक दवारा परशतवषथ लगभग

१० लाख छातर शिनदी परीकषाओ म भाग लत ि

यि मरा सौभागय ि कक सभी शपरयजनो की िभकामनाओ स मशडडत साशितय अकादमी मपर क अशखल

भारतीय वीर ससि दव परसकार स सममाशनत एव शजस राषटरपशत भवन क पसतकालय म भी सरान कदया गया ि

मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo का तीसरा ससकरण परकािनाधीन ि

२१ जन स कनडा म गरीषम ऋत का िभागमन िो चका ि सयथ की परखर ककरण कनडावाशसयो को

आनशनदत कर रिी ि तर पललवो की िरीशतमा न तरओ को ढक-सा कदया ि धरती न भी जिा-तिा िरीशतमा

की चादर ओढकर उस पर रग-शबरग िलो की चनरी ओढ़ ली ि कनडावाशसयो क शलए गरीषम ऋत का आगमन

ककसी एक दीरथकालीन मिोतसव स कम निी िोता सकल कॉलज आकद जलाई अगसत म गरीषमावकाि ित बद

िो जात ि अत इस दौरान बचच जवान एव वदध सभी मौज-मसती क अनदाज़ म मसत रित ि

गरीषम ऋत आप सबक हदय-शिनडोल को झला-झला आनकदत कर इसी मगल-कामना क सार ndash ससनह सनह ठाकर

15 59 2018 3

वद मातरम

बककमचर चटटोपाधयाय

वद मातरम वद मातरम

सजलाम सिलाम मलयज िीतलाम

िसय शयामलाम मातरम वद मातरम

िभर जयोतसना पलककत याशमनीम

सिाशसनी समधर भाशषणी

सखदा वरदा मातरम

वद मातरम

शतरितकोरट कठ कल-कल शननाद कराल

शदवशतरितकोरट भजधशत सवर कर वाल

क बल मा तमी अबल

बहबल धारणीम नमाशम तारणीम

ररपदल वारणीम मातरम वद मातरम

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भारत भारत ि इशडया निी

परो कषण कमार गोसवामी

भारतवषथ क शलए इशडया नाम भी परयि ककया जाता ि शवदिी लोग तो पराय इशडया िबद का िी

परयोग करत ि ककत समझ म निी आता कक भारतीय लोग इशडया का परयोग कयो करत ि वासतव म भारत क

शलए इशडया िी निी सिदसतान अराथत सिदओ की भशम भी परयि िोता ि जो अरब और ईरान म परचशलत हआ

पराचीन काल म यि भारतवषथ किलाता रा शजसका लर रप भारत िो गया जो आधशनक यग म परचशलत ि

वकदक काल म इस आयाथवतथ जबदवीप और अजनाभ दि क नाम स भी जाना जाता रा शजसम पाककसतान

बगलादि बमाथ आकद कई दि सशममशलत र भारत सवदिी और वासतशवक नाम ि तो इशडया िबद सिकदका

िबद स बना ि जो पशिम अरवा यरोप स िोता हआ आया ि वसतत यि आयाशतत िबद ि शजसम शवदिी

भाषा अगरज़ी और अगरज़ी मानशसकता छाई हई शमलती ि सिदसतान िारस और अरब स िो कर आया ि मधय

काल म यि lsquoसिदसतानीlsquo नाम गगा-जमनी तिज़ीब का परतीक िो गया शजस मगलो न किना परारमभ ककया रा

भारत कवल भखड का नाम निी वरन इस दि की ससकशत समाज और परमपरा स जड़ा हआ ि भारत क

सशवधान म इस दि का आशधकाररक नाम ि

वासतव म भारत नाम का उललख सवथपररम ऋगवद म शमलता ि ऋगवद म पर यद तरवि रिय और

अन पाच मखय आयथजन क नाम आत ि इनम परओ की तीन िाखाए हई ndash भारत ततस और कशिक इनिी

भरत राजाओ की वजि स भारत नाम पड़ा इनम कदवोदास और उसका पतर सदास ऋगवकदक काल क परशसदध

राजा हए शजनिोन जनपदो क छोट-छोट राजाओ या राजको को सगरठत करन का कायथ ककया इस तरि

lsquoभारतोrsquo क नाम स भारत नाम पड़ा ऋगवद क पराचीनतम ऋशष शविाशमतर अपनी एक ऋचा म इर स परारथना

करत ि ndash

य इम रोदसी उभ अिशभनरम तषटव

शविाशमतरसय रकषशत बरिमद भारत जन (३५३१२)

अराथत ि कशिक परभो य जो दोनो आकाि और पथवी ि इनक धारक इर की मन सतशत की ि सतोता

शविाशमतर का यि सतोतर भारतजन की रकषा करता ि

इसी परकार िकतला और राजा दषयत क पतर भरत का नाम भी जोड़ा जाता ि इसक अशतररि यि भी

माना जाता ि कक यि नाम मन क विज ऋषभ दव क पतर समराट भरत क नाम स पड़ा ि शजसका उललख

शरीमदभगवत पराण म शमलता ि भारत िबद lsquoभा+रतrsquo क योग स बना ि शजसका अरथ ि आतररक परकाि म

लीन

पराचीनतम गरर ऋगवद म lsquoसपतससधrsquo नाम भी कई बार आया ि इसका परयोग कषतर-शवसतार क सदभथ म

हआ ि यि अनक जनपदो का शमला-जला नाम ि शजसका भभाग गगा स ल कर ससध नदी राटी और उततर म

शिमालय स ल कर दशकषण म राजसरान तरा गजरात तक िला हआ ि ऋगवद म दो ऋचाओ (१०७५५६)

म उननीस नकदयो का उललख शमलता ि शजनस इस कषतर की ससचाई िोती री एक ऋचा (१३५८) म सोन की

आखो वाल सशवता दव (शिरडयाकष सशवता दव) को सपतससध की सजञा दी गई ि यिी सपतससध दि का पयाथय

ि ककत भारत तो कशमीर स कनयाकमारी और गजरात स शमज़ोरम तक िला हआ ि िमारी पिचान तो

15 59 2018 5

भारतीयता क आधार पर ि इसी परकार आकद काल म rsquoराषटरrsquo और lsquoदिrsquo अराथत भारत एक िी पयाथय क रप म

परयि िोत र ऋगवद म िी राषटर िबद भारत क सदभथ म शमलता ि ndash तवत राषटर मा आधी भरित (१०१७३१)

इस परी ऋचा की वयाखया की जाए तो यि भाव शमलता ि - ि राजन िमार राषटर का तमि सवामी बनाया गया

ि तम िमार राजा िो तम नीशत अचल और शसरर िो कर रिो सारी परजा तमि चाि तमस राषटर नषट न िो

पाव इस परकार भारत को कई नामो स अशभशित ककया गया ि लककन भारत का परयोग िी अतीतकालीन

पराकशतक और सवाभाशवक ि

आज क पररपरकषय म भारत और इशडया का तलनातमक अधययन ककया जाए तो भारत नाम भारत की

धरती का िोन क कारण सवाभाशवक और औशचतयपणथ ि कयोकक यि भारतीय ससकशत और परमपरा स जड़ा

हआ ि इशडया म पािातय ससकशत की गध आती ि भारत राषटरीयता और राषटरवाद क मतर की पजा करता ि

जबकक इशडया की नज़र म राषटरवाद और राषटरीयता एक पराणपरी अवधारणा ि यि राषटरवाद को परशनरपकष

अराथत सकलर निी मानता और इसी कारण राषटरवाद को परगशतिील भी निी मानता भारत सवततरता का

परतीक ि तो इशडया गलामी का भारत म दि की अखडता और एकातमकता क बीज अकररत ि जबकक इशडया

म शवभाजन की जड़ो को पकड़न की कोशिि िोती ि भारतवाशसयो क शलए भारत उनकी माता ि और व

अपन को उसका पतर मानत हए उसका नमन करत ि ndash पशरवया पतरोि जबकक इशडया िमार भीतर समबधो म

परायापन की भावना पदा करता ि भारत आयथ रशवड़ नाग यकष ककननर ककरात मगोल मशसलम ईसाई

पारसी आकद अनक जाशतयो को अपन सीन स शचपका कर उनि सनि परम और वातसलय की छाया दता ि और

इशडया एव सिदसतान इन जाशतयो को अलग-अलग करन क शलए उकसाता ि भारत शिनद जन बौदध शसख

आकद मतो को एक िी वकष की िाखाए मानता ि जबकक इशडया इनि अलग-अलग समदाय और उसस भी आग

बढ़ कर उनि सपरदाय मानता ि भारत िम असिसा पर शविास करन और उसका अनगमन करन का पाठ

पढ़ाता ि जबकक इशडया सिसा की ओर धकलता ि भारत ऋशष-मशनयो का दि लगता ि जबकक इशडया

शवलाशसयो और शिशपपयो का दि लगता ि भारत िम साधना की ओर परोतसाशित करता ि तो इशडया साधनो

क पीछ पड़ा रिता ि भारत सौिारथ मतरी तयाग और वसधव कटमबकम का पाठ शसखाता ि जबकक इशडया

इनस िम दर रखन का परयास करता ि भारतीय दिथन भारतीय ससकशत भारतीय परमपरा भारतीय साशितय

भारतीय जीवन भारतीय पराण और इशतिास भारत की शवकासिीलता आकद भारत की अशसमता और

पिचान ि जबकक इशडया इन सबको अपन भीतर समट निी पाता एक अनय बात उललखनीय ि कक सतयमव

जयत िमार दि भारत का परतीक वाकय ि जो मडक उपशनषद स उदधत ि और यि वाकय भारतीय

शवचारधारा को िी उदघारटत करता ि भारत पि-पशकषयो और पड़-पौधो की पजा करता ि इसीशलए वि गाय

और तलसी को माता की पदवी दता ि वि गाय की रकषा करता ि जबकक इशडया उसक भकषण क शलए

लालाशयत रिता ि भारत गावो क अशतररि ििरो म भी शनवास करता ि जबकक इशडया कवल ििरो म

रिता ि भारत अमीरो और गरीबो को समान नज़र स दखता ि जबकक इशडया अमीरो को िी शनिारा करता

ि भारत भारतीय वसतर खान-पान और जीवन-िली की पिचान ि और इशडया शवदिी वसतर खान-पान और

जीवन-िली को अपनान म अपनी िान समझता ि भारत अपनी भाषा शिनदी और अनय भारतीय भाषाओ को

अपन भीतर आतमसात ककए हए ि जबकक इशडया अगरज़ी और अगरशज़यत क गीत गाता रिता ि

भारत क शवकास और आधशनकीकरण क शलए इधर नई-नई पररयोजनाए बनाई जा रिी ि और उनि

मक इन इशडया शसकल इशडया सटाटथ-अप इशडया शडशजटल इशडया आकद अगरज़ी क जोरदार नारो स ससशित

ककया जा रिा ि अगरजी म कदए गए इन नारो स इशडया क शवकशसत और आधशनक िोन की आिा तो ि लककन

यि पशिमीकरण औदयोशगकीकरण और ििरीकरण स अवशय परभाशवत िोग ऐस इशडया म शवलाशसता

15 59 2018 6

भौशतकता सवारथपरकता और परायापन क सामराजय की भी समभावना ि सार-सार भारतीयता

अधयाशतमकता अपनापन और सासकशतक चतना क दिथन न िोन की परी-परी आिका ि तरा गरामीण जीवन क

परशत सवदनिीनता क सकत भी शमल सकत ि शिनदी अरवा भारतीय भाषाओ म य नार िमारी मानशसकता म

पररवतथन लान म सिायक िो सकत ि जो भारत को शवकशसत और आधशनक राषटर बनान म सिायक िो सकत ि

अत भारत को भारत िी रिन दो इशडया निी भारत नाम म िी मिानता ि और यिी िमारी पिचान

ि यिी िमारी अशसमता ि जय भारत

चल जाना किर

बन सतीि कानत

आओ उन पलो म

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

कछ अपनी

कि जाना

कछ मरी भी

सन जाना

चल जाना किर

तमि मिसस

तो कर ल

सासो को सभाल ल

चल जाना किर

रोडाा रक तो लो

खाद को खाद

स बाट तो लो

उन पलो को

जी तो लो

चल जाना किर

मझ सभल जान दो

उन पलो को

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

15 59 2018 7

चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

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िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 2: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

म और त दो तो नही

पदमशरी डॉ शयाम स िह lsquoशशशrsquo

मर दश

तरा चपपा-चपपा मरा शरीर ह

तरा जल मरा मन ह

तरी वाय मरी आतमा ह

इन ब शमलकर ही

त बनता ह मर दश

म और त दो तो नही ह

शरीर आतमा मन

एक ही पराणी क

सथल या कषम अिग ह

म इनह बटन नही दगा

म इनह लटन नही दगा

म इनह शमटन नही दगा

15 59 2018 1

डॉ

(पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

समपादकीय २ वनद मातरम बककमचनर चटटोपाधयाय ३

भारत भारत ि इशडया निी परो कषण कमार गोसवामी ४

चल जाना किर बन सतीि कानत ६

चनर िखर आज़ाद िोन का अरथ सिील कमार िमाथ ७

ऐ मर वतन क लोगो रामचनर शदववदी lsquoपरदीपrsquo ९

परतयकष पदमशरी डॉ नरनर कोिली १०

शरीमती सभरा कमारी चौिान

क जनमकदन पर मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo २२

राषटर-भशि का अनठा उदािरण वशिक शिनदी सममलन

भाषा का मिततव स साभार २४

तन तो आज सवततर िमारा गोपाल दास lsquoनीरजrsquo २५

जीवन िबदो क बीच

और िबदो स पर परो शगरीशरवर शमशर २७

वर द वीणावाकदनी वर द सयथकानत शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo २९

१२१ वषीय बाबा शिवाननद डॉ अजय शरीवासतव ३०

अपनी गध निी बचगा बालकशव वरागी ३३

आस शनराि भई डॉ एमएल गपता lsquoआकदतयrsquo ३४

म कौन ह डॉ िशि ऋशष ३८

बधा कदलीप कमार ससि ३९

बीता कल अककी िमाथ lsquoशवकासrsquo ४३

म और त दो तो निी पदमशरी डॉ शयाम ससि lsquoिशिrsquo १ अ

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार ४४ अ

kavitakoshorgvasudhapatrikakavitakoshorgvasudhapatrikakavitakoshorgvasudhapatrikakavit

akoshorgvasudhapatrikakavitakoshorgvasudhapatrikakavitakoshorgvasudhapatrika

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15 59 2018 2

समपादकीय

अशत परसननता की बात ि कक वसधा क लखक वसधा क परम शितषी पदमशरी डॉ शयाम ससि िशि जो

शिनदी व अगरजी म शविालकाय गरनर शलखत ि कावय-सजन करत ि तरा रोमा यायावर साशितय क शवि-

शवखयात िसताकषर ि उनि िाल िी म भारत सरकार की ओर स नीशत आयोग (सामाशजक नयाय व सिशिकरण

परभाग) का शविषजञ-सदसय मनोनीत ककया गया ि ठाकर सािब पशतरका पररवार तरा मरी ओर स िारदथक

बधाई उललखनीय ि कक नीशत आयोग भारत सरकार क सवोचच ससरान योजना आयोग का पररवरतथत नाम

नीशत आयोग िो गया ि शजसक अधयकष माननीय परधानमतरी शरी नरनर मोदी जी ि

एक अनय परसननता का समाचार ि कक वसधा क परम शितषी पवथ सासद राजभाषा की ससदीय

सशमशत क पवथ उपाधयकष तरा आधर परदि शिनदी अकादमी क अधयकष पदमभषण डॉ लकषमी परसाद यालथगडडा न

दि की सवाथशधक पराचीन शिनदी ससरा ldquoदशकषण भारत शिनदी परचार सभाrdquo शजसकी सरापना मिातमा गाधी जी

क दवारा वषथ १९१८ म चनन म हई री क ितमानोतसव वषथ २०१८ क सवथपररम कायथकरम ितमानोतसव

वयाखयान शरखला का िभारमभ ककया ि सभा दवारा ितमानोतसव वषथ क उपलकषय म इस पर वषथ शवशभनन

समारोिो का आयोजन ककया जा रिा ि मखय समारोि इस वषथ १७ जन को िोना शनशित ि शजसम परधान

मतरी शरी नरनर मोदी क भाग लन की समभावना ि जिा यालथगडडा जी का उदघाटन भाषण विा उपशसरत लोगो

को आनकदत कर गया विी यालथगडडा जी को सवय अशभभत भी कयोकक यालथगडडा जी न बचपन म सभा की

परारशमभक परीकषाए पास की री इस अवसर पर राषटरीय आतमशनभथरता और शिनदी शवषय पर अपना शवदवता-

पणथ पररम वयाखयान दत हए यालथगडडा जी न शिनदी को राषटर की एकता और अखडता क शलए आवशयक बताया

इस ससरा क पररम परचारक र मिातमा गाधी क छोट पतर शरी दवदास गाधी व इस वगथ की अधयकषता की री

शरीमती एनी बसट न सभा आज सौ वषथ पिात दि म सबस बड़ी शिनदी ससरा ि शजसक दवारा परशतवषथ लगभग

१० लाख छातर शिनदी परीकषाओ म भाग लत ि

यि मरा सौभागय ि कक सभी शपरयजनो की िभकामनाओ स मशडडत साशितय अकादमी मपर क अशखल

भारतीय वीर ससि दव परसकार स सममाशनत एव शजस राषटरपशत भवन क पसतकालय म भी सरान कदया गया ि

मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo का तीसरा ससकरण परकािनाधीन ि

२१ जन स कनडा म गरीषम ऋत का िभागमन िो चका ि सयथ की परखर ककरण कनडावाशसयो को

आनशनदत कर रिी ि तर पललवो की िरीशतमा न तरओ को ढक-सा कदया ि धरती न भी जिा-तिा िरीशतमा

की चादर ओढकर उस पर रग-शबरग िलो की चनरी ओढ़ ली ि कनडावाशसयो क शलए गरीषम ऋत का आगमन

ककसी एक दीरथकालीन मिोतसव स कम निी िोता सकल कॉलज आकद जलाई अगसत म गरीषमावकाि ित बद

िो जात ि अत इस दौरान बचच जवान एव वदध सभी मौज-मसती क अनदाज़ म मसत रित ि

गरीषम ऋत आप सबक हदय-शिनडोल को झला-झला आनकदत कर इसी मगल-कामना क सार ndash ससनह सनह ठाकर

15 59 2018 3

वद मातरम

बककमचर चटटोपाधयाय

वद मातरम वद मातरम

सजलाम सिलाम मलयज िीतलाम

िसय शयामलाम मातरम वद मातरम

िभर जयोतसना पलककत याशमनीम

सिाशसनी समधर भाशषणी

सखदा वरदा मातरम

वद मातरम

शतरितकोरट कठ कल-कल शननाद कराल

शदवशतरितकोरट भजधशत सवर कर वाल

क बल मा तमी अबल

बहबल धारणीम नमाशम तारणीम

ररपदल वारणीम मातरम वद मातरम

15 59 2018 4

भारत भारत ि इशडया निी

परो कषण कमार गोसवामी

भारतवषथ क शलए इशडया नाम भी परयि ककया जाता ि शवदिी लोग तो पराय इशडया िबद का िी

परयोग करत ि ककत समझ म निी आता कक भारतीय लोग इशडया का परयोग कयो करत ि वासतव म भारत क

शलए इशडया िी निी सिदसतान अराथत सिदओ की भशम भी परयि िोता ि जो अरब और ईरान म परचशलत हआ

पराचीन काल म यि भारतवषथ किलाता रा शजसका लर रप भारत िो गया जो आधशनक यग म परचशलत ि

वकदक काल म इस आयाथवतथ जबदवीप और अजनाभ दि क नाम स भी जाना जाता रा शजसम पाककसतान

बगलादि बमाथ आकद कई दि सशममशलत र भारत सवदिी और वासतशवक नाम ि तो इशडया िबद सिकदका

िबद स बना ि जो पशिम अरवा यरोप स िोता हआ आया ि वसतत यि आयाशतत िबद ि शजसम शवदिी

भाषा अगरज़ी और अगरज़ी मानशसकता छाई हई शमलती ि सिदसतान िारस और अरब स िो कर आया ि मधय

काल म यि lsquoसिदसतानीlsquo नाम गगा-जमनी तिज़ीब का परतीक िो गया शजस मगलो न किना परारमभ ककया रा

भारत कवल भखड का नाम निी वरन इस दि की ससकशत समाज और परमपरा स जड़ा हआ ि भारत क

सशवधान म इस दि का आशधकाररक नाम ि

वासतव म भारत नाम का उललख सवथपररम ऋगवद म शमलता ि ऋगवद म पर यद तरवि रिय और

अन पाच मखय आयथजन क नाम आत ि इनम परओ की तीन िाखाए हई ndash भारत ततस और कशिक इनिी

भरत राजाओ की वजि स भारत नाम पड़ा इनम कदवोदास और उसका पतर सदास ऋगवकदक काल क परशसदध

राजा हए शजनिोन जनपदो क छोट-छोट राजाओ या राजको को सगरठत करन का कायथ ककया इस तरि

lsquoभारतोrsquo क नाम स भारत नाम पड़ा ऋगवद क पराचीनतम ऋशष शविाशमतर अपनी एक ऋचा म इर स परारथना

करत ि ndash

य इम रोदसी उभ अिशभनरम तषटव

शविाशमतरसय रकषशत बरिमद भारत जन (३५३१२)

अराथत ि कशिक परभो य जो दोनो आकाि और पथवी ि इनक धारक इर की मन सतशत की ि सतोता

शविाशमतर का यि सतोतर भारतजन की रकषा करता ि

इसी परकार िकतला और राजा दषयत क पतर भरत का नाम भी जोड़ा जाता ि इसक अशतररि यि भी

माना जाता ि कक यि नाम मन क विज ऋषभ दव क पतर समराट भरत क नाम स पड़ा ि शजसका उललख

शरीमदभगवत पराण म शमलता ि भारत िबद lsquoभा+रतrsquo क योग स बना ि शजसका अरथ ि आतररक परकाि म

लीन

पराचीनतम गरर ऋगवद म lsquoसपतससधrsquo नाम भी कई बार आया ि इसका परयोग कषतर-शवसतार क सदभथ म

हआ ि यि अनक जनपदो का शमला-जला नाम ि शजसका भभाग गगा स ल कर ससध नदी राटी और उततर म

शिमालय स ल कर दशकषण म राजसरान तरा गजरात तक िला हआ ि ऋगवद म दो ऋचाओ (१०७५५६)

म उननीस नकदयो का उललख शमलता ि शजनस इस कषतर की ससचाई िोती री एक ऋचा (१३५८) म सोन की

आखो वाल सशवता दव (शिरडयाकष सशवता दव) को सपतससध की सजञा दी गई ि यिी सपतससध दि का पयाथय

ि ककत भारत तो कशमीर स कनयाकमारी और गजरात स शमज़ोरम तक िला हआ ि िमारी पिचान तो

15 59 2018 5

भारतीयता क आधार पर ि इसी परकार आकद काल म rsquoराषटरrsquo और lsquoदिrsquo अराथत भारत एक िी पयाथय क रप म

परयि िोत र ऋगवद म िी राषटर िबद भारत क सदभथ म शमलता ि ndash तवत राषटर मा आधी भरित (१०१७३१)

इस परी ऋचा की वयाखया की जाए तो यि भाव शमलता ि - ि राजन िमार राषटर का तमि सवामी बनाया गया

ि तम िमार राजा िो तम नीशत अचल और शसरर िो कर रिो सारी परजा तमि चाि तमस राषटर नषट न िो

पाव इस परकार भारत को कई नामो स अशभशित ककया गया ि लककन भारत का परयोग िी अतीतकालीन

पराकशतक और सवाभाशवक ि

आज क पररपरकषय म भारत और इशडया का तलनातमक अधययन ककया जाए तो भारत नाम भारत की

धरती का िोन क कारण सवाभाशवक और औशचतयपणथ ि कयोकक यि भारतीय ससकशत और परमपरा स जड़ा

हआ ि इशडया म पािातय ससकशत की गध आती ि भारत राषटरीयता और राषटरवाद क मतर की पजा करता ि

जबकक इशडया की नज़र म राषटरवाद और राषटरीयता एक पराणपरी अवधारणा ि यि राषटरवाद को परशनरपकष

अराथत सकलर निी मानता और इसी कारण राषटरवाद को परगशतिील भी निी मानता भारत सवततरता का

परतीक ि तो इशडया गलामी का भारत म दि की अखडता और एकातमकता क बीज अकररत ि जबकक इशडया

म शवभाजन की जड़ो को पकड़न की कोशिि िोती ि भारतवाशसयो क शलए भारत उनकी माता ि और व

अपन को उसका पतर मानत हए उसका नमन करत ि ndash पशरवया पतरोि जबकक इशडया िमार भीतर समबधो म

परायापन की भावना पदा करता ि भारत आयथ रशवड़ नाग यकष ककननर ककरात मगोल मशसलम ईसाई

पारसी आकद अनक जाशतयो को अपन सीन स शचपका कर उनि सनि परम और वातसलय की छाया दता ि और

इशडया एव सिदसतान इन जाशतयो को अलग-अलग करन क शलए उकसाता ि भारत शिनद जन बौदध शसख

आकद मतो को एक िी वकष की िाखाए मानता ि जबकक इशडया इनि अलग-अलग समदाय और उसस भी आग

बढ़ कर उनि सपरदाय मानता ि भारत िम असिसा पर शविास करन और उसका अनगमन करन का पाठ

पढ़ाता ि जबकक इशडया सिसा की ओर धकलता ि भारत ऋशष-मशनयो का दि लगता ि जबकक इशडया

शवलाशसयो और शिशपपयो का दि लगता ि भारत िम साधना की ओर परोतसाशित करता ि तो इशडया साधनो

क पीछ पड़ा रिता ि भारत सौिारथ मतरी तयाग और वसधव कटमबकम का पाठ शसखाता ि जबकक इशडया

इनस िम दर रखन का परयास करता ि भारतीय दिथन भारतीय ससकशत भारतीय परमपरा भारतीय साशितय

भारतीय जीवन भारतीय पराण और इशतिास भारत की शवकासिीलता आकद भारत की अशसमता और

पिचान ि जबकक इशडया इन सबको अपन भीतर समट निी पाता एक अनय बात उललखनीय ि कक सतयमव

जयत िमार दि भारत का परतीक वाकय ि जो मडक उपशनषद स उदधत ि और यि वाकय भारतीय

शवचारधारा को िी उदघारटत करता ि भारत पि-पशकषयो और पड़-पौधो की पजा करता ि इसीशलए वि गाय

और तलसी को माता की पदवी दता ि वि गाय की रकषा करता ि जबकक इशडया उसक भकषण क शलए

लालाशयत रिता ि भारत गावो क अशतररि ििरो म भी शनवास करता ि जबकक इशडया कवल ििरो म

रिता ि भारत अमीरो और गरीबो को समान नज़र स दखता ि जबकक इशडया अमीरो को िी शनिारा करता

ि भारत भारतीय वसतर खान-पान और जीवन-िली की पिचान ि और इशडया शवदिी वसतर खान-पान और

जीवन-िली को अपनान म अपनी िान समझता ि भारत अपनी भाषा शिनदी और अनय भारतीय भाषाओ को

अपन भीतर आतमसात ककए हए ि जबकक इशडया अगरज़ी और अगरशज़यत क गीत गाता रिता ि

भारत क शवकास और आधशनकीकरण क शलए इधर नई-नई पररयोजनाए बनाई जा रिी ि और उनि

मक इन इशडया शसकल इशडया सटाटथ-अप इशडया शडशजटल इशडया आकद अगरज़ी क जोरदार नारो स ससशित

ककया जा रिा ि अगरजी म कदए गए इन नारो स इशडया क शवकशसत और आधशनक िोन की आिा तो ि लककन

यि पशिमीकरण औदयोशगकीकरण और ििरीकरण स अवशय परभाशवत िोग ऐस इशडया म शवलाशसता

15 59 2018 6

भौशतकता सवारथपरकता और परायापन क सामराजय की भी समभावना ि सार-सार भारतीयता

अधयाशतमकता अपनापन और सासकशतक चतना क दिथन न िोन की परी-परी आिका ि तरा गरामीण जीवन क

परशत सवदनिीनता क सकत भी शमल सकत ि शिनदी अरवा भारतीय भाषाओ म य नार िमारी मानशसकता म

पररवतथन लान म सिायक िो सकत ि जो भारत को शवकशसत और आधशनक राषटर बनान म सिायक िो सकत ि

अत भारत को भारत िी रिन दो इशडया निी भारत नाम म िी मिानता ि और यिी िमारी पिचान

ि यिी िमारी अशसमता ि जय भारत

चल जाना किर

बन सतीि कानत

आओ उन पलो म

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

कछ अपनी

कि जाना

कछ मरी भी

सन जाना

चल जाना किर

तमि मिसस

तो कर ल

सासो को सभाल ल

चल जाना किर

रोडाा रक तो लो

खाद को खाद

स बाट तो लो

उन पलो को

जी तो लो

चल जाना किर

मझ सभल जान दो

उन पलो को

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

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चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

15 59 2018 8

िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

15 59 2018 9

ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 3: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 1

डॉ

(पोसट-डॉकटरल फ़लोशिप अवाडी)

भारत क राषटरपशत दवारा राषटरपशत भवन म शिनदी सवी सममान स सममाशनत

समपादकीय २ वनद मातरम बककमचनर चटटोपाधयाय ३

भारत भारत ि इशडया निी परो कषण कमार गोसवामी ४

चल जाना किर बन सतीि कानत ६

चनर िखर आज़ाद िोन का अरथ सिील कमार िमाथ ७

ऐ मर वतन क लोगो रामचनर शदववदी lsquoपरदीपrsquo ९

परतयकष पदमशरी डॉ नरनर कोिली १०

शरीमती सभरा कमारी चौिान

क जनमकदन पर मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo २२

राषटर-भशि का अनठा उदािरण वशिक शिनदी सममलन

भाषा का मिततव स साभार २४

तन तो आज सवततर िमारा गोपाल दास lsquoनीरजrsquo २५

जीवन िबदो क बीच

और िबदो स पर परो शगरीशरवर शमशर २७

वर द वीणावाकदनी वर द सयथकानत शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo २९

१२१ वषीय बाबा शिवाननद डॉ अजय शरीवासतव ३०

अपनी गध निी बचगा बालकशव वरागी ३३

आस शनराि भई डॉ एमएल गपता lsquoआकदतयrsquo ३४

म कौन ह डॉ िशि ऋशष ३८

बधा कदलीप कमार ससि ३९

बीता कल अककी िमाथ lsquoशवकासrsquo ४३

म और त दो तो निी पदमशरी डॉ शयाम ससि lsquoिशिrsquo १ अ

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार ४४ अ

kavitakoshorgvasudhapatrikakavitakoshorgvasudhapatrikakavitakoshorgvasudhapatrikakavit

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15 59 2018 2

समपादकीय

अशत परसननता की बात ि कक वसधा क लखक वसधा क परम शितषी पदमशरी डॉ शयाम ससि िशि जो

शिनदी व अगरजी म शविालकाय गरनर शलखत ि कावय-सजन करत ि तरा रोमा यायावर साशितय क शवि-

शवखयात िसताकषर ि उनि िाल िी म भारत सरकार की ओर स नीशत आयोग (सामाशजक नयाय व सिशिकरण

परभाग) का शविषजञ-सदसय मनोनीत ककया गया ि ठाकर सािब पशतरका पररवार तरा मरी ओर स िारदथक

बधाई उललखनीय ि कक नीशत आयोग भारत सरकार क सवोचच ससरान योजना आयोग का पररवरतथत नाम

नीशत आयोग िो गया ि शजसक अधयकष माननीय परधानमतरी शरी नरनर मोदी जी ि

एक अनय परसननता का समाचार ि कक वसधा क परम शितषी पवथ सासद राजभाषा की ससदीय

सशमशत क पवथ उपाधयकष तरा आधर परदि शिनदी अकादमी क अधयकष पदमभषण डॉ लकषमी परसाद यालथगडडा न

दि की सवाथशधक पराचीन शिनदी ससरा ldquoदशकषण भारत शिनदी परचार सभाrdquo शजसकी सरापना मिातमा गाधी जी

क दवारा वषथ १९१८ म चनन म हई री क ितमानोतसव वषथ २०१८ क सवथपररम कायथकरम ितमानोतसव

वयाखयान शरखला का िभारमभ ककया ि सभा दवारा ितमानोतसव वषथ क उपलकषय म इस पर वषथ शवशभनन

समारोिो का आयोजन ककया जा रिा ि मखय समारोि इस वषथ १७ जन को िोना शनशित ि शजसम परधान

मतरी शरी नरनर मोदी क भाग लन की समभावना ि जिा यालथगडडा जी का उदघाटन भाषण विा उपशसरत लोगो

को आनकदत कर गया विी यालथगडडा जी को सवय अशभभत भी कयोकक यालथगडडा जी न बचपन म सभा की

परारशमभक परीकषाए पास की री इस अवसर पर राषटरीय आतमशनभथरता और शिनदी शवषय पर अपना शवदवता-

पणथ पररम वयाखयान दत हए यालथगडडा जी न शिनदी को राषटर की एकता और अखडता क शलए आवशयक बताया

इस ससरा क पररम परचारक र मिातमा गाधी क छोट पतर शरी दवदास गाधी व इस वगथ की अधयकषता की री

शरीमती एनी बसट न सभा आज सौ वषथ पिात दि म सबस बड़ी शिनदी ससरा ि शजसक दवारा परशतवषथ लगभग

१० लाख छातर शिनदी परीकषाओ म भाग लत ि

यि मरा सौभागय ि कक सभी शपरयजनो की िभकामनाओ स मशडडत साशितय अकादमी मपर क अशखल

भारतीय वीर ससि दव परसकार स सममाशनत एव शजस राषटरपशत भवन क पसतकालय म भी सरान कदया गया ि

मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo का तीसरा ससकरण परकािनाधीन ि

२१ जन स कनडा म गरीषम ऋत का िभागमन िो चका ि सयथ की परखर ककरण कनडावाशसयो को

आनशनदत कर रिी ि तर पललवो की िरीशतमा न तरओ को ढक-सा कदया ि धरती न भी जिा-तिा िरीशतमा

की चादर ओढकर उस पर रग-शबरग िलो की चनरी ओढ़ ली ि कनडावाशसयो क शलए गरीषम ऋत का आगमन

ककसी एक दीरथकालीन मिोतसव स कम निी िोता सकल कॉलज आकद जलाई अगसत म गरीषमावकाि ित बद

िो जात ि अत इस दौरान बचच जवान एव वदध सभी मौज-मसती क अनदाज़ म मसत रित ि

गरीषम ऋत आप सबक हदय-शिनडोल को झला-झला आनकदत कर इसी मगल-कामना क सार ndash ससनह सनह ठाकर

15 59 2018 3

वद मातरम

बककमचर चटटोपाधयाय

वद मातरम वद मातरम

सजलाम सिलाम मलयज िीतलाम

िसय शयामलाम मातरम वद मातरम

िभर जयोतसना पलककत याशमनीम

सिाशसनी समधर भाशषणी

सखदा वरदा मातरम

वद मातरम

शतरितकोरट कठ कल-कल शननाद कराल

शदवशतरितकोरट भजधशत सवर कर वाल

क बल मा तमी अबल

बहबल धारणीम नमाशम तारणीम

ररपदल वारणीम मातरम वद मातरम

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भारत भारत ि इशडया निी

परो कषण कमार गोसवामी

भारतवषथ क शलए इशडया नाम भी परयि ककया जाता ि शवदिी लोग तो पराय इशडया िबद का िी

परयोग करत ि ककत समझ म निी आता कक भारतीय लोग इशडया का परयोग कयो करत ि वासतव म भारत क

शलए इशडया िी निी सिदसतान अराथत सिदओ की भशम भी परयि िोता ि जो अरब और ईरान म परचशलत हआ

पराचीन काल म यि भारतवषथ किलाता रा शजसका लर रप भारत िो गया जो आधशनक यग म परचशलत ि

वकदक काल म इस आयाथवतथ जबदवीप और अजनाभ दि क नाम स भी जाना जाता रा शजसम पाककसतान

बगलादि बमाथ आकद कई दि सशममशलत र भारत सवदिी और वासतशवक नाम ि तो इशडया िबद सिकदका

िबद स बना ि जो पशिम अरवा यरोप स िोता हआ आया ि वसतत यि आयाशतत िबद ि शजसम शवदिी

भाषा अगरज़ी और अगरज़ी मानशसकता छाई हई शमलती ि सिदसतान िारस और अरब स िो कर आया ि मधय

काल म यि lsquoसिदसतानीlsquo नाम गगा-जमनी तिज़ीब का परतीक िो गया शजस मगलो न किना परारमभ ककया रा

भारत कवल भखड का नाम निी वरन इस दि की ससकशत समाज और परमपरा स जड़ा हआ ि भारत क

सशवधान म इस दि का आशधकाररक नाम ि

वासतव म भारत नाम का उललख सवथपररम ऋगवद म शमलता ि ऋगवद म पर यद तरवि रिय और

अन पाच मखय आयथजन क नाम आत ि इनम परओ की तीन िाखाए हई ndash भारत ततस और कशिक इनिी

भरत राजाओ की वजि स भारत नाम पड़ा इनम कदवोदास और उसका पतर सदास ऋगवकदक काल क परशसदध

राजा हए शजनिोन जनपदो क छोट-छोट राजाओ या राजको को सगरठत करन का कायथ ककया इस तरि

lsquoभारतोrsquo क नाम स भारत नाम पड़ा ऋगवद क पराचीनतम ऋशष शविाशमतर अपनी एक ऋचा म इर स परारथना

करत ि ndash

य इम रोदसी उभ अिशभनरम तषटव

शविाशमतरसय रकषशत बरिमद भारत जन (३५३१२)

अराथत ि कशिक परभो य जो दोनो आकाि और पथवी ि इनक धारक इर की मन सतशत की ि सतोता

शविाशमतर का यि सतोतर भारतजन की रकषा करता ि

इसी परकार िकतला और राजा दषयत क पतर भरत का नाम भी जोड़ा जाता ि इसक अशतररि यि भी

माना जाता ि कक यि नाम मन क विज ऋषभ दव क पतर समराट भरत क नाम स पड़ा ि शजसका उललख

शरीमदभगवत पराण म शमलता ि भारत िबद lsquoभा+रतrsquo क योग स बना ि शजसका अरथ ि आतररक परकाि म

लीन

पराचीनतम गरर ऋगवद म lsquoसपतससधrsquo नाम भी कई बार आया ि इसका परयोग कषतर-शवसतार क सदभथ म

हआ ि यि अनक जनपदो का शमला-जला नाम ि शजसका भभाग गगा स ल कर ससध नदी राटी और उततर म

शिमालय स ल कर दशकषण म राजसरान तरा गजरात तक िला हआ ि ऋगवद म दो ऋचाओ (१०७५५६)

म उननीस नकदयो का उललख शमलता ि शजनस इस कषतर की ससचाई िोती री एक ऋचा (१३५८) म सोन की

आखो वाल सशवता दव (शिरडयाकष सशवता दव) को सपतससध की सजञा दी गई ि यिी सपतससध दि का पयाथय

ि ककत भारत तो कशमीर स कनयाकमारी और गजरात स शमज़ोरम तक िला हआ ि िमारी पिचान तो

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भारतीयता क आधार पर ि इसी परकार आकद काल म rsquoराषटरrsquo और lsquoदिrsquo अराथत भारत एक िी पयाथय क रप म

परयि िोत र ऋगवद म िी राषटर िबद भारत क सदभथ म शमलता ि ndash तवत राषटर मा आधी भरित (१०१७३१)

इस परी ऋचा की वयाखया की जाए तो यि भाव शमलता ि - ि राजन िमार राषटर का तमि सवामी बनाया गया

ि तम िमार राजा िो तम नीशत अचल और शसरर िो कर रिो सारी परजा तमि चाि तमस राषटर नषट न िो

पाव इस परकार भारत को कई नामो स अशभशित ककया गया ि लककन भारत का परयोग िी अतीतकालीन

पराकशतक और सवाभाशवक ि

आज क पररपरकषय म भारत और इशडया का तलनातमक अधययन ककया जाए तो भारत नाम भारत की

धरती का िोन क कारण सवाभाशवक और औशचतयपणथ ि कयोकक यि भारतीय ससकशत और परमपरा स जड़ा

हआ ि इशडया म पािातय ससकशत की गध आती ि भारत राषटरीयता और राषटरवाद क मतर की पजा करता ि

जबकक इशडया की नज़र म राषटरवाद और राषटरीयता एक पराणपरी अवधारणा ि यि राषटरवाद को परशनरपकष

अराथत सकलर निी मानता और इसी कारण राषटरवाद को परगशतिील भी निी मानता भारत सवततरता का

परतीक ि तो इशडया गलामी का भारत म दि की अखडता और एकातमकता क बीज अकररत ि जबकक इशडया

म शवभाजन की जड़ो को पकड़न की कोशिि िोती ि भारतवाशसयो क शलए भारत उनकी माता ि और व

अपन को उसका पतर मानत हए उसका नमन करत ि ndash पशरवया पतरोि जबकक इशडया िमार भीतर समबधो म

परायापन की भावना पदा करता ि भारत आयथ रशवड़ नाग यकष ककननर ककरात मगोल मशसलम ईसाई

पारसी आकद अनक जाशतयो को अपन सीन स शचपका कर उनि सनि परम और वातसलय की छाया दता ि और

इशडया एव सिदसतान इन जाशतयो को अलग-अलग करन क शलए उकसाता ि भारत शिनद जन बौदध शसख

आकद मतो को एक िी वकष की िाखाए मानता ि जबकक इशडया इनि अलग-अलग समदाय और उसस भी आग

बढ़ कर उनि सपरदाय मानता ि भारत िम असिसा पर शविास करन और उसका अनगमन करन का पाठ

पढ़ाता ि जबकक इशडया सिसा की ओर धकलता ि भारत ऋशष-मशनयो का दि लगता ि जबकक इशडया

शवलाशसयो और शिशपपयो का दि लगता ि भारत िम साधना की ओर परोतसाशित करता ि तो इशडया साधनो

क पीछ पड़ा रिता ि भारत सौिारथ मतरी तयाग और वसधव कटमबकम का पाठ शसखाता ि जबकक इशडया

इनस िम दर रखन का परयास करता ि भारतीय दिथन भारतीय ससकशत भारतीय परमपरा भारतीय साशितय

भारतीय जीवन भारतीय पराण और इशतिास भारत की शवकासिीलता आकद भारत की अशसमता और

पिचान ि जबकक इशडया इन सबको अपन भीतर समट निी पाता एक अनय बात उललखनीय ि कक सतयमव

जयत िमार दि भारत का परतीक वाकय ि जो मडक उपशनषद स उदधत ि और यि वाकय भारतीय

शवचारधारा को िी उदघारटत करता ि भारत पि-पशकषयो और पड़-पौधो की पजा करता ि इसीशलए वि गाय

और तलसी को माता की पदवी दता ि वि गाय की रकषा करता ि जबकक इशडया उसक भकषण क शलए

लालाशयत रिता ि भारत गावो क अशतररि ििरो म भी शनवास करता ि जबकक इशडया कवल ििरो म

रिता ि भारत अमीरो और गरीबो को समान नज़र स दखता ि जबकक इशडया अमीरो को िी शनिारा करता

ि भारत भारतीय वसतर खान-पान और जीवन-िली की पिचान ि और इशडया शवदिी वसतर खान-पान और

जीवन-िली को अपनान म अपनी िान समझता ि भारत अपनी भाषा शिनदी और अनय भारतीय भाषाओ को

अपन भीतर आतमसात ककए हए ि जबकक इशडया अगरज़ी और अगरशज़यत क गीत गाता रिता ि

भारत क शवकास और आधशनकीकरण क शलए इधर नई-नई पररयोजनाए बनाई जा रिी ि और उनि

मक इन इशडया शसकल इशडया सटाटथ-अप इशडया शडशजटल इशडया आकद अगरज़ी क जोरदार नारो स ससशित

ककया जा रिा ि अगरजी म कदए गए इन नारो स इशडया क शवकशसत और आधशनक िोन की आिा तो ि लककन

यि पशिमीकरण औदयोशगकीकरण और ििरीकरण स अवशय परभाशवत िोग ऐस इशडया म शवलाशसता

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भौशतकता सवारथपरकता और परायापन क सामराजय की भी समभावना ि सार-सार भारतीयता

अधयाशतमकता अपनापन और सासकशतक चतना क दिथन न िोन की परी-परी आिका ि तरा गरामीण जीवन क

परशत सवदनिीनता क सकत भी शमल सकत ि शिनदी अरवा भारतीय भाषाओ म य नार िमारी मानशसकता म

पररवतथन लान म सिायक िो सकत ि जो भारत को शवकशसत और आधशनक राषटर बनान म सिायक िो सकत ि

अत भारत को भारत िी रिन दो इशडया निी भारत नाम म िी मिानता ि और यिी िमारी पिचान

ि यिी िमारी अशसमता ि जय भारत

चल जाना किर

बन सतीि कानत

आओ उन पलो म

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

कछ अपनी

कि जाना

कछ मरी भी

सन जाना

चल जाना किर

तमि मिसस

तो कर ल

सासो को सभाल ल

चल जाना किर

रोडाा रक तो लो

खाद को खाद

स बाट तो लो

उन पलो को

जी तो लो

चल जाना किर

मझ सभल जान दो

उन पलो को

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

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चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

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िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

15 59 2018 32

का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

15 59 2018 33

अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

15 59 2018 34

आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

15 59 2018 36

िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

15 59 2018 39

बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 4: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 2

समपादकीय

अशत परसननता की बात ि कक वसधा क लखक वसधा क परम शितषी पदमशरी डॉ शयाम ससि िशि जो

शिनदी व अगरजी म शविालकाय गरनर शलखत ि कावय-सजन करत ि तरा रोमा यायावर साशितय क शवि-

शवखयात िसताकषर ि उनि िाल िी म भारत सरकार की ओर स नीशत आयोग (सामाशजक नयाय व सिशिकरण

परभाग) का शविषजञ-सदसय मनोनीत ककया गया ि ठाकर सािब पशतरका पररवार तरा मरी ओर स िारदथक

बधाई उललखनीय ि कक नीशत आयोग भारत सरकार क सवोचच ससरान योजना आयोग का पररवरतथत नाम

नीशत आयोग िो गया ि शजसक अधयकष माननीय परधानमतरी शरी नरनर मोदी जी ि

एक अनय परसननता का समाचार ि कक वसधा क परम शितषी पवथ सासद राजभाषा की ससदीय

सशमशत क पवथ उपाधयकष तरा आधर परदि शिनदी अकादमी क अधयकष पदमभषण डॉ लकषमी परसाद यालथगडडा न

दि की सवाथशधक पराचीन शिनदी ससरा ldquoदशकषण भारत शिनदी परचार सभाrdquo शजसकी सरापना मिातमा गाधी जी

क दवारा वषथ १९१८ म चनन म हई री क ितमानोतसव वषथ २०१८ क सवथपररम कायथकरम ितमानोतसव

वयाखयान शरखला का िभारमभ ककया ि सभा दवारा ितमानोतसव वषथ क उपलकषय म इस पर वषथ शवशभनन

समारोिो का आयोजन ककया जा रिा ि मखय समारोि इस वषथ १७ जन को िोना शनशित ि शजसम परधान

मतरी शरी नरनर मोदी क भाग लन की समभावना ि जिा यालथगडडा जी का उदघाटन भाषण विा उपशसरत लोगो

को आनकदत कर गया विी यालथगडडा जी को सवय अशभभत भी कयोकक यालथगडडा जी न बचपन म सभा की

परारशमभक परीकषाए पास की री इस अवसर पर राषटरीय आतमशनभथरता और शिनदी शवषय पर अपना शवदवता-

पणथ पररम वयाखयान दत हए यालथगडडा जी न शिनदी को राषटर की एकता और अखडता क शलए आवशयक बताया

इस ससरा क पररम परचारक र मिातमा गाधी क छोट पतर शरी दवदास गाधी व इस वगथ की अधयकषता की री

शरीमती एनी बसट न सभा आज सौ वषथ पिात दि म सबस बड़ी शिनदी ससरा ि शजसक दवारा परशतवषथ लगभग

१० लाख छातर शिनदी परीकषाओ म भाग लत ि

यि मरा सौभागय ि कक सभी शपरयजनो की िभकामनाओ स मशडडत साशितय अकादमी मपर क अशखल

भारतीय वीर ससि दव परसकार स सममाशनत एव शजस राषटरपशत भवन क पसतकालय म भी सरान कदया गया ि

मर उपनयास ldquoककयी चतना-शिखाrdquo का तीसरा ससकरण परकािनाधीन ि

२१ जन स कनडा म गरीषम ऋत का िभागमन िो चका ि सयथ की परखर ककरण कनडावाशसयो को

आनशनदत कर रिी ि तर पललवो की िरीशतमा न तरओ को ढक-सा कदया ि धरती न भी जिा-तिा िरीशतमा

की चादर ओढकर उस पर रग-शबरग िलो की चनरी ओढ़ ली ि कनडावाशसयो क शलए गरीषम ऋत का आगमन

ककसी एक दीरथकालीन मिोतसव स कम निी िोता सकल कॉलज आकद जलाई अगसत म गरीषमावकाि ित बद

िो जात ि अत इस दौरान बचच जवान एव वदध सभी मौज-मसती क अनदाज़ म मसत रित ि

गरीषम ऋत आप सबक हदय-शिनडोल को झला-झला आनकदत कर इसी मगल-कामना क सार ndash ससनह सनह ठाकर

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वद मातरम

बककमचर चटटोपाधयाय

वद मातरम वद मातरम

सजलाम सिलाम मलयज िीतलाम

िसय शयामलाम मातरम वद मातरम

िभर जयोतसना पलककत याशमनीम

सिाशसनी समधर भाशषणी

सखदा वरदा मातरम

वद मातरम

शतरितकोरट कठ कल-कल शननाद कराल

शदवशतरितकोरट भजधशत सवर कर वाल

क बल मा तमी अबल

बहबल धारणीम नमाशम तारणीम

ररपदल वारणीम मातरम वद मातरम

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भारत भारत ि इशडया निी

परो कषण कमार गोसवामी

भारतवषथ क शलए इशडया नाम भी परयि ककया जाता ि शवदिी लोग तो पराय इशडया िबद का िी

परयोग करत ि ककत समझ म निी आता कक भारतीय लोग इशडया का परयोग कयो करत ि वासतव म भारत क

शलए इशडया िी निी सिदसतान अराथत सिदओ की भशम भी परयि िोता ि जो अरब और ईरान म परचशलत हआ

पराचीन काल म यि भारतवषथ किलाता रा शजसका लर रप भारत िो गया जो आधशनक यग म परचशलत ि

वकदक काल म इस आयाथवतथ जबदवीप और अजनाभ दि क नाम स भी जाना जाता रा शजसम पाककसतान

बगलादि बमाथ आकद कई दि सशममशलत र भारत सवदिी और वासतशवक नाम ि तो इशडया िबद सिकदका

िबद स बना ि जो पशिम अरवा यरोप स िोता हआ आया ि वसतत यि आयाशतत िबद ि शजसम शवदिी

भाषा अगरज़ी और अगरज़ी मानशसकता छाई हई शमलती ि सिदसतान िारस और अरब स िो कर आया ि मधय

काल म यि lsquoसिदसतानीlsquo नाम गगा-जमनी तिज़ीब का परतीक िो गया शजस मगलो न किना परारमभ ककया रा

भारत कवल भखड का नाम निी वरन इस दि की ससकशत समाज और परमपरा स जड़ा हआ ि भारत क

सशवधान म इस दि का आशधकाररक नाम ि

वासतव म भारत नाम का उललख सवथपररम ऋगवद म शमलता ि ऋगवद म पर यद तरवि रिय और

अन पाच मखय आयथजन क नाम आत ि इनम परओ की तीन िाखाए हई ndash भारत ततस और कशिक इनिी

भरत राजाओ की वजि स भारत नाम पड़ा इनम कदवोदास और उसका पतर सदास ऋगवकदक काल क परशसदध

राजा हए शजनिोन जनपदो क छोट-छोट राजाओ या राजको को सगरठत करन का कायथ ककया इस तरि

lsquoभारतोrsquo क नाम स भारत नाम पड़ा ऋगवद क पराचीनतम ऋशष शविाशमतर अपनी एक ऋचा म इर स परारथना

करत ि ndash

य इम रोदसी उभ अिशभनरम तषटव

शविाशमतरसय रकषशत बरिमद भारत जन (३५३१२)

अराथत ि कशिक परभो य जो दोनो आकाि और पथवी ि इनक धारक इर की मन सतशत की ि सतोता

शविाशमतर का यि सतोतर भारतजन की रकषा करता ि

इसी परकार िकतला और राजा दषयत क पतर भरत का नाम भी जोड़ा जाता ि इसक अशतररि यि भी

माना जाता ि कक यि नाम मन क विज ऋषभ दव क पतर समराट भरत क नाम स पड़ा ि शजसका उललख

शरीमदभगवत पराण म शमलता ि भारत िबद lsquoभा+रतrsquo क योग स बना ि शजसका अरथ ि आतररक परकाि म

लीन

पराचीनतम गरर ऋगवद म lsquoसपतससधrsquo नाम भी कई बार आया ि इसका परयोग कषतर-शवसतार क सदभथ म

हआ ि यि अनक जनपदो का शमला-जला नाम ि शजसका भभाग गगा स ल कर ससध नदी राटी और उततर म

शिमालय स ल कर दशकषण म राजसरान तरा गजरात तक िला हआ ि ऋगवद म दो ऋचाओ (१०७५५६)

म उननीस नकदयो का उललख शमलता ि शजनस इस कषतर की ससचाई िोती री एक ऋचा (१३५८) म सोन की

आखो वाल सशवता दव (शिरडयाकष सशवता दव) को सपतससध की सजञा दी गई ि यिी सपतससध दि का पयाथय

ि ककत भारत तो कशमीर स कनयाकमारी और गजरात स शमज़ोरम तक िला हआ ि िमारी पिचान तो

15 59 2018 5

भारतीयता क आधार पर ि इसी परकार आकद काल म rsquoराषटरrsquo और lsquoदिrsquo अराथत भारत एक िी पयाथय क रप म

परयि िोत र ऋगवद म िी राषटर िबद भारत क सदभथ म शमलता ि ndash तवत राषटर मा आधी भरित (१०१७३१)

इस परी ऋचा की वयाखया की जाए तो यि भाव शमलता ि - ि राजन िमार राषटर का तमि सवामी बनाया गया

ि तम िमार राजा िो तम नीशत अचल और शसरर िो कर रिो सारी परजा तमि चाि तमस राषटर नषट न िो

पाव इस परकार भारत को कई नामो स अशभशित ककया गया ि लककन भारत का परयोग िी अतीतकालीन

पराकशतक और सवाभाशवक ि

आज क पररपरकषय म भारत और इशडया का तलनातमक अधययन ककया जाए तो भारत नाम भारत की

धरती का िोन क कारण सवाभाशवक और औशचतयपणथ ि कयोकक यि भारतीय ससकशत और परमपरा स जड़ा

हआ ि इशडया म पािातय ससकशत की गध आती ि भारत राषटरीयता और राषटरवाद क मतर की पजा करता ि

जबकक इशडया की नज़र म राषटरवाद और राषटरीयता एक पराणपरी अवधारणा ि यि राषटरवाद को परशनरपकष

अराथत सकलर निी मानता और इसी कारण राषटरवाद को परगशतिील भी निी मानता भारत सवततरता का

परतीक ि तो इशडया गलामी का भारत म दि की अखडता और एकातमकता क बीज अकररत ि जबकक इशडया

म शवभाजन की जड़ो को पकड़न की कोशिि िोती ि भारतवाशसयो क शलए भारत उनकी माता ि और व

अपन को उसका पतर मानत हए उसका नमन करत ि ndash पशरवया पतरोि जबकक इशडया िमार भीतर समबधो म

परायापन की भावना पदा करता ि भारत आयथ रशवड़ नाग यकष ककननर ककरात मगोल मशसलम ईसाई

पारसी आकद अनक जाशतयो को अपन सीन स शचपका कर उनि सनि परम और वातसलय की छाया दता ि और

इशडया एव सिदसतान इन जाशतयो को अलग-अलग करन क शलए उकसाता ि भारत शिनद जन बौदध शसख

आकद मतो को एक िी वकष की िाखाए मानता ि जबकक इशडया इनि अलग-अलग समदाय और उसस भी आग

बढ़ कर उनि सपरदाय मानता ि भारत िम असिसा पर शविास करन और उसका अनगमन करन का पाठ

पढ़ाता ि जबकक इशडया सिसा की ओर धकलता ि भारत ऋशष-मशनयो का दि लगता ि जबकक इशडया

शवलाशसयो और शिशपपयो का दि लगता ि भारत िम साधना की ओर परोतसाशित करता ि तो इशडया साधनो

क पीछ पड़ा रिता ि भारत सौिारथ मतरी तयाग और वसधव कटमबकम का पाठ शसखाता ि जबकक इशडया

इनस िम दर रखन का परयास करता ि भारतीय दिथन भारतीय ससकशत भारतीय परमपरा भारतीय साशितय

भारतीय जीवन भारतीय पराण और इशतिास भारत की शवकासिीलता आकद भारत की अशसमता और

पिचान ि जबकक इशडया इन सबको अपन भीतर समट निी पाता एक अनय बात उललखनीय ि कक सतयमव

जयत िमार दि भारत का परतीक वाकय ि जो मडक उपशनषद स उदधत ि और यि वाकय भारतीय

शवचारधारा को िी उदघारटत करता ि भारत पि-पशकषयो और पड़-पौधो की पजा करता ि इसीशलए वि गाय

और तलसी को माता की पदवी दता ि वि गाय की रकषा करता ि जबकक इशडया उसक भकषण क शलए

लालाशयत रिता ि भारत गावो क अशतररि ििरो म भी शनवास करता ि जबकक इशडया कवल ििरो म

रिता ि भारत अमीरो और गरीबो को समान नज़र स दखता ि जबकक इशडया अमीरो को िी शनिारा करता

ि भारत भारतीय वसतर खान-पान और जीवन-िली की पिचान ि और इशडया शवदिी वसतर खान-पान और

जीवन-िली को अपनान म अपनी िान समझता ि भारत अपनी भाषा शिनदी और अनय भारतीय भाषाओ को

अपन भीतर आतमसात ककए हए ि जबकक इशडया अगरज़ी और अगरशज़यत क गीत गाता रिता ि

भारत क शवकास और आधशनकीकरण क शलए इधर नई-नई पररयोजनाए बनाई जा रिी ि और उनि

मक इन इशडया शसकल इशडया सटाटथ-अप इशडया शडशजटल इशडया आकद अगरज़ी क जोरदार नारो स ससशित

ककया जा रिा ि अगरजी म कदए गए इन नारो स इशडया क शवकशसत और आधशनक िोन की आिा तो ि लककन

यि पशिमीकरण औदयोशगकीकरण और ििरीकरण स अवशय परभाशवत िोग ऐस इशडया म शवलाशसता

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भौशतकता सवारथपरकता और परायापन क सामराजय की भी समभावना ि सार-सार भारतीयता

अधयाशतमकता अपनापन और सासकशतक चतना क दिथन न िोन की परी-परी आिका ि तरा गरामीण जीवन क

परशत सवदनिीनता क सकत भी शमल सकत ि शिनदी अरवा भारतीय भाषाओ म य नार िमारी मानशसकता म

पररवतथन लान म सिायक िो सकत ि जो भारत को शवकशसत और आधशनक राषटर बनान म सिायक िो सकत ि

अत भारत को भारत िी रिन दो इशडया निी भारत नाम म िी मिानता ि और यिी िमारी पिचान

ि यिी िमारी अशसमता ि जय भारत

चल जाना किर

बन सतीि कानत

आओ उन पलो म

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

कछ अपनी

कि जाना

कछ मरी भी

सन जाना

चल जाना किर

तमि मिसस

तो कर ल

सासो को सभाल ल

चल जाना किर

रोडाा रक तो लो

खाद को खाद

स बाट तो लो

उन पलो को

जी तो लो

चल जाना किर

मझ सभल जान दो

उन पलो को

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

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चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

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िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

15 59 2018 23

आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 5: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 3

वद मातरम

बककमचर चटटोपाधयाय

वद मातरम वद मातरम

सजलाम सिलाम मलयज िीतलाम

िसय शयामलाम मातरम वद मातरम

िभर जयोतसना पलककत याशमनीम

सिाशसनी समधर भाशषणी

सखदा वरदा मातरम

वद मातरम

शतरितकोरट कठ कल-कल शननाद कराल

शदवशतरितकोरट भजधशत सवर कर वाल

क बल मा तमी अबल

बहबल धारणीम नमाशम तारणीम

ररपदल वारणीम मातरम वद मातरम

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भारत भारत ि इशडया निी

परो कषण कमार गोसवामी

भारतवषथ क शलए इशडया नाम भी परयि ककया जाता ि शवदिी लोग तो पराय इशडया िबद का िी

परयोग करत ि ककत समझ म निी आता कक भारतीय लोग इशडया का परयोग कयो करत ि वासतव म भारत क

शलए इशडया िी निी सिदसतान अराथत सिदओ की भशम भी परयि िोता ि जो अरब और ईरान म परचशलत हआ

पराचीन काल म यि भारतवषथ किलाता रा शजसका लर रप भारत िो गया जो आधशनक यग म परचशलत ि

वकदक काल म इस आयाथवतथ जबदवीप और अजनाभ दि क नाम स भी जाना जाता रा शजसम पाककसतान

बगलादि बमाथ आकद कई दि सशममशलत र भारत सवदिी और वासतशवक नाम ि तो इशडया िबद सिकदका

िबद स बना ि जो पशिम अरवा यरोप स िोता हआ आया ि वसतत यि आयाशतत िबद ि शजसम शवदिी

भाषा अगरज़ी और अगरज़ी मानशसकता छाई हई शमलती ि सिदसतान िारस और अरब स िो कर आया ि मधय

काल म यि lsquoसिदसतानीlsquo नाम गगा-जमनी तिज़ीब का परतीक िो गया शजस मगलो न किना परारमभ ककया रा

भारत कवल भखड का नाम निी वरन इस दि की ससकशत समाज और परमपरा स जड़ा हआ ि भारत क

सशवधान म इस दि का आशधकाररक नाम ि

वासतव म भारत नाम का उललख सवथपररम ऋगवद म शमलता ि ऋगवद म पर यद तरवि रिय और

अन पाच मखय आयथजन क नाम आत ि इनम परओ की तीन िाखाए हई ndash भारत ततस और कशिक इनिी

भरत राजाओ की वजि स भारत नाम पड़ा इनम कदवोदास और उसका पतर सदास ऋगवकदक काल क परशसदध

राजा हए शजनिोन जनपदो क छोट-छोट राजाओ या राजको को सगरठत करन का कायथ ककया इस तरि

lsquoभारतोrsquo क नाम स भारत नाम पड़ा ऋगवद क पराचीनतम ऋशष शविाशमतर अपनी एक ऋचा म इर स परारथना

करत ि ndash

य इम रोदसी उभ अिशभनरम तषटव

शविाशमतरसय रकषशत बरिमद भारत जन (३५३१२)

अराथत ि कशिक परभो य जो दोनो आकाि और पथवी ि इनक धारक इर की मन सतशत की ि सतोता

शविाशमतर का यि सतोतर भारतजन की रकषा करता ि

इसी परकार िकतला और राजा दषयत क पतर भरत का नाम भी जोड़ा जाता ि इसक अशतररि यि भी

माना जाता ि कक यि नाम मन क विज ऋषभ दव क पतर समराट भरत क नाम स पड़ा ि शजसका उललख

शरीमदभगवत पराण म शमलता ि भारत िबद lsquoभा+रतrsquo क योग स बना ि शजसका अरथ ि आतररक परकाि म

लीन

पराचीनतम गरर ऋगवद म lsquoसपतससधrsquo नाम भी कई बार आया ि इसका परयोग कषतर-शवसतार क सदभथ म

हआ ि यि अनक जनपदो का शमला-जला नाम ि शजसका भभाग गगा स ल कर ससध नदी राटी और उततर म

शिमालय स ल कर दशकषण म राजसरान तरा गजरात तक िला हआ ि ऋगवद म दो ऋचाओ (१०७५५६)

म उननीस नकदयो का उललख शमलता ि शजनस इस कषतर की ससचाई िोती री एक ऋचा (१३५८) म सोन की

आखो वाल सशवता दव (शिरडयाकष सशवता दव) को सपतससध की सजञा दी गई ि यिी सपतससध दि का पयाथय

ि ककत भारत तो कशमीर स कनयाकमारी और गजरात स शमज़ोरम तक िला हआ ि िमारी पिचान तो

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भारतीयता क आधार पर ि इसी परकार आकद काल म rsquoराषटरrsquo और lsquoदिrsquo अराथत भारत एक िी पयाथय क रप म

परयि िोत र ऋगवद म िी राषटर िबद भारत क सदभथ म शमलता ि ndash तवत राषटर मा आधी भरित (१०१७३१)

इस परी ऋचा की वयाखया की जाए तो यि भाव शमलता ि - ि राजन िमार राषटर का तमि सवामी बनाया गया

ि तम िमार राजा िो तम नीशत अचल और शसरर िो कर रिो सारी परजा तमि चाि तमस राषटर नषट न िो

पाव इस परकार भारत को कई नामो स अशभशित ककया गया ि लककन भारत का परयोग िी अतीतकालीन

पराकशतक और सवाभाशवक ि

आज क पररपरकषय म भारत और इशडया का तलनातमक अधययन ककया जाए तो भारत नाम भारत की

धरती का िोन क कारण सवाभाशवक और औशचतयपणथ ि कयोकक यि भारतीय ससकशत और परमपरा स जड़ा

हआ ि इशडया म पािातय ससकशत की गध आती ि भारत राषटरीयता और राषटरवाद क मतर की पजा करता ि

जबकक इशडया की नज़र म राषटरवाद और राषटरीयता एक पराणपरी अवधारणा ि यि राषटरवाद को परशनरपकष

अराथत सकलर निी मानता और इसी कारण राषटरवाद को परगशतिील भी निी मानता भारत सवततरता का

परतीक ि तो इशडया गलामी का भारत म दि की अखडता और एकातमकता क बीज अकररत ि जबकक इशडया

म शवभाजन की जड़ो को पकड़न की कोशिि िोती ि भारतवाशसयो क शलए भारत उनकी माता ि और व

अपन को उसका पतर मानत हए उसका नमन करत ि ndash पशरवया पतरोि जबकक इशडया िमार भीतर समबधो म

परायापन की भावना पदा करता ि भारत आयथ रशवड़ नाग यकष ककननर ककरात मगोल मशसलम ईसाई

पारसी आकद अनक जाशतयो को अपन सीन स शचपका कर उनि सनि परम और वातसलय की छाया दता ि और

इशडया एव सिदसतान इन जाशतयो को अलग-अलग करन क शलए उकसाता ि भारत शिनद जन बौदध शसख

आकद मतो को एक िी वकष की िाखाए मानता ि जबकक इशडया इनि अलग-अलग समदाय और उसस भी आग

बढ़ कर उनि सपरदाय मानता ि भारत िम असिसा पर शविास करन और उसका अनगमन करन का पाठ

पढ़ाता ि जबकक इशडया सिसा की ओर धकलता ि भारत ऋशष-मशनयो का दि लगता ि जबकक इशडया

शवलाशसयो और शिशपपयो का दि लगता ि भारत िम साधना की ओर परोतसाशित करता ि तो इशडया साधनो

क पीछ पड़ा रिता ि भारत सौिारथ मतरी तयाग और वसधव कटमबकम का पाठ शसखाता ि जबकक इशडया

इनस िम दर रखन का परयास करता ि भारतीय दिथन भारतीय ससकशत भारतीय परमपरा भारतीय साशितय

भारतीय जीवन भारतीय पराण और इशतिास भारत की शवकासिीलता आकद भारत की अशसमता और

पिचान ि जबकक इशडया इन सबको अपन भीतर समट निी पाता एक अनय बात उललखनीय ि कक सतयमव

जयत िमार दि भारत का परतीक वाकय ि जो मडक उपशनषद स उदधत ि और यि वाकय भारतीय

शवचारधारा को िी उदघारटत करता ि भारत पि-पशकषयो और पड़-पौधो की पजा करता ि इसीशलए वि गाय

और तलसी को माता की पदवी दता ि वि गाय की रकषा करता ि जबकक इशडया उसक भकषण क शलए

लालाशयत रिता ि भारत गावो क अशतररि ििरो म भी शनवास करता ि जबकक इशडया कवल ििरो म

रिता ि भारत अमीरो और गरीबो को समान नज़र स दखता ि जबकक इशडया अमीरो को िी शनिारा करता

ि भारत भारतीय वसतर खान-पान और जीवन-िली की पिचान ि और इशडया शवदिी वसतर खान-पान और

जीवन-िली को अपनान म अपनी िान समझता ि भारत अपनी भाषा शिनदी और अनय भारतीय भाषाओ को

अपन भीतर आतमसात ककए हए ि जबकक इशडया अगरज़ी और अगरशज़यत क गीत गाता रिता ि

भारत क शवकास और आधशनकीकरण क शलए इधर नई-नई पररयोजनाए बनाई जा रिी ि और उनि

मक इन इशडया शसकल इशडया सटाटथ-अप इशडया शडशजटल इशडया आकद अगरज़ी क जोरदार नारो स ससशित

ककया जा रिा ि अगरजी म कदए गए इन नारो स इशडया क शवकशसत और आधशनक िोन की आिा तो ि लककन

यि पशिमीकरण औदयोशगकीकरण और ििरीकरण स अवशय परभाशवत िोग ऐस इशडया म शवलाशसता

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भौशतकता सवारथपरकता और परायापन क सामराजय की भी समभावना ि सार-सार भारतीयता

अधयाशतमकता अपनापन और सासकशतक चतना क दिथन न िोन की परी-परी आिका ि तरा गरामीण जीवन क

परशत सवदनिीनता क सकत भी शमल सकत ि शिनदी अरवा भारतीय भाषाओ म य नार िमारी मानशसकता म

पररवतथन लान म सिायक िो सकत ि जो भारत को शवकशसत और आधशनक राषटर बनान म सिायक िो सकत ि

अत भारत को भारत िी रिन दो इशडया निी भारत नाम म िी मिानता ि और यिी िमारी पिचान

ि यिी िमारी अशसमता ि जय भारत

चल जाना किर

बन सतीि कानत

आओ उन पलो म

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

कछ अपनी

कि जाना

कछ मरी भी

सन जाना

चल जाना किर

तमि मिसस

तो कर ल

सासो को सभाल ल

चल जाना किर

रोडाा रक तो लो

खाद को खाद

स बाट तो लो

उन पलो को

जी तो लो

चल जाना किर

मझ सभल जान दो

उन पलो को

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

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चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

15 59 2018 8

िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 6: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 4

भारत भारत ि इशडया निी

परो कषण कमार गोसवामी

भारतवषथ क शलए इशडया नाम भी परयि ककया जाता ि शवदिी लोग तो पराय इशडया िबद का िी

परयोग करत ि ककत समझ म निी आता कक भारतीय लोग इशडया का परयोग कयो करत ि वासतव म भारत क

शलए इशडया िी निी सिदसतान अराथत सिदओ की भशम भी परयि िोता ि जो अरब और ईरान म परचशलत हआ

पराचीन काल म यि भारतवषथ किलाता रा शजसका लर रप भारत िो गया जो आधशनक यग म परचशलत ि

वकदक काल म इस आयाथवतथ जबदवीप और अजनाभ दि क नाम स भी जाना जाता रा शजसम पाककसतान

बगलादि बमाथ आकद कई दि सशममशलत र भारत सवदिी और वासतशवक नाम ि तो इशडया िबद सिकदका

िबद स बना ि जो पशिम अरवा यरोप स िोता हआ आया ि वसतत यि आयाशतत िबद ि शजसम शवदिी

भाषा अगरज़ी और अगरज़ी मानशसकता छाई हई शमलती ि सिदसतान िारस और अरब स िो कर आया ि मधय

काल म यि lsquoसिदसतानीlsquo नाम गगा-जमनी तिज़ीब का परतीक िो गया शजस मगलो न किना परारमभ ककया रा

भारत कवल भखड का नाम निी वरन इस दि की ससकशत समाज और परमपरा स जड़ा हआ ि भारत क

सशवधान म इस दि का आशधकाररक नाम ि

वासतव म भारत नाम का उललख सवथपररम ऋगवद म शमलता ि ऋगवद म पर यद तरवि रिय और

अन पाच मखय आयथजन क नाम आत ि इनम परओ की तीन िाखाए हई ndash भारत ततस और कशिक इनिी

भरत राजाओ की वजि स भारत नाम पड़ा इनम कदवोदास और उसका पतर सदास ऋगवकदक काल क परशसदध

राजा हए शजनिोन जनपदो क छोट-छोट राजाओ या राजको को सगरठत करन का कायथ ककया इस तरि

lsquoभारतोrsquo क नाम स भारत नाम पड़ा ऋगवद क पराचीनतम ऋशष शविाशमतर अपनी एक ऋचा म इर स परारथना

करत ि ndash

य इम रोदसी उभ अिशभनरम तषटव

शविाशमतरसय रकषशत बरिमद भारत जन (३५३१२)

अराथत ि कशिक परभो य जो दोनो आकाि और पथवी ि इनक धारक इर की मन सतशत की ि सतोता

शविाशमतर का यि सतोतर भारतजन की रकषा करता ि

इसी परकार िकतला और राजा दषयत क पतर भरत का नाम भी जोड़ा जाता ि इसक अशतररि यि भी

माना जाता ि कक यि नाम मन क विज ऋषभ दव क पतर समराट भरत क नाम स पड़ा ि शजसका उललख

शरीमदभगवत पराण म शमलता ि भारत िबद lsquoभा+रतrsquo क योग स बना ि शजसका अरथ ि आतररक परकाि म

लीन

पराचीनतम गरर ऋगवद म lsquoसपतससधrsquo नाम भी कई बार आया ि इसका परयोग कषतर-शवसतार क सदभथ म

हआ ि यि अनक जनपदो का शमला-जला नाम ि शजसका भभाग गगा स ल कर ससध नदी राटी और उततर म

शिमालय स ल कर दशकषण म राजसरान तरा गजरात तक िला हआ ि ऋगवद म दो ऋचाओ (१०७५५६)

म उननीस नकदयो का उललख शमलता ि शजनस इस कषतर की ससचाई िोती री एक ऋचा (१३५८) म सोन की

आखो वाल सशवता दव (शिरडयाकष सशवता दव) को सपतससध की सजञा दी गई ि यिी सपतससध दि का पयाथय

ि ककत भारत तो कशमीर स कनयाकमारी और गजरात स शमज़ोरम तक िला हआ ि िमारी पिचान तो

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भारतीयता क आधार पर ि इसी परकार आकद काल म rsquoराषटरrsquo और lsquoदिrsquo अराथत भारत एक िी पयाथय क रप म

परयि िोत र ऋगवद म िी राषटर िबद भारत क सदभथ म शमलता ि ndash तवत राषटर मा आधी भरित (१०१७३१)

इस परी ऋचा की वयाखया की जाए तो यि भाव शमलता ि - ि राजन िमार राषटर का तमि सवामी बनाया गया

ि तम िमार राजा िो तम नीशत अचल और शसरर िो कर रिो सारी परजा तमि चाि तमस राषटर नषट न िो

पाव इस परकार भारत को कई नामो स अशभशित ककया गया ि लककन भारत का परयोग िी अतीतकालीन

पराकशतक और सवाभाशवक ि

आज क पररपरकषय म भारत और इशडया का तलनातमक अधययन ककया जाए तो भारत नाम भारत की

धरती का िोन क कारण सवाभाशवक और औशचतयपणथ ि कयोकक यि भारतीय ससकशत और परमपरा स जड़ा

हआ ि इशडया म पािातय ससकशत की गध आती ि भारत राषटरीयता और राषटरवाद क मतर की पजा करता ि

जबकक इशडया की नज़र म राषटरवाद और राषटरीयता एक पराणपरी अवधारणा ि यि राषटरवाद को परशनरपकष

अराथत सकलर निी मानता और इसी कारण राषटरवाद को परगशतिील भी निी मानता भारत सवततरता का

परतीक ि तो इशडया गलामी का भारत म दि की अखडता और एकातमकता क बीज अकररत ि जबकक इशडया

म शवभाजन की जड़ो को पकड़न की कोशिि िोती ि भारतवाशसयो क शलए भारत उनकी माता ि और व

अपन को उसका पतर मानत हए उसका नमन करत ि ndash पशरवया पतरोि जबकक इशडया िमार भीतर समबधो म

परायापन की भावना पदा करता ि भारत आयथ रशवड़ नाग यकष ककननर ककरात मगोल मशसलम ईसाई

पारसी आकद अनक जाशतयो को अपन सीन स शचपका कर उनि सनि परम और वातसलय की छाया दता ि और

इशडया एव सिदसतान इन जाशतयो को अलग-अलग करन क शलए उकसाता ि भारत शिनद जन बौदध शसख

आकद मतो को एक िी वकष की िाखाए मानता ि जबकक इशडया इनि अलग-अलग समदाय और उसस भी आग

बढ़ कर उनि सपरदाय मानता ि भारत िम असिसा पर शविास करन और उसका अनगमन करन का पाठ

पढ़ाता ि जबकक इशडया सिसा की ओर धकलता ि भारत ऋशष-मशनयो का दि लगता ि जबकक इशडया

शवलाशसयो और शिशपपयो का दि लगता ि भारत िम साधना की ओर परोतसाशित करता ि तो इशडया साधनो

क पीछ पड़ा रिता ि भारत सौिारथ मतरी तयाग और वसधव कटमबकम का पाठ शसखाता ि जबकक इशडया

इनस िम दर रखन का परयास करता ि भारतीय दिथन भारतीय ससकशत भारतीय परमपरा भारतीय साशितय

भारतीय जीवन भारतीय पराण और इशतिास भारत की शवकासिीलता आकद भारत की अशसमता और

पिचान ि जबकक इशडया इन सबको अपन भीतर समट निी पाता एक अनय बात उललखनीय ि कक सतयमव

जयत िमार दि भारत का परतीक वाकय ि जो मडक उपशनषद स उदधत ि और यि वाकय भारतीय

शवचारधारा को िी उदघारटत करता ि भारत पि-पशकषयो और पड़-पौधो की पजा करता ि इसीशलए वि गाय

और तलसी को माता की पदवी दता ि वि गाय की रकषा करता ि जबकक इशडया उसक भकषण क शलए

लालाशयत रिता ि भारत गावो क अशतररि ििरो म भी शनवास करता ि जबकक इशडया कवल ििरो म

रिता ि भारत अमीरो और गरीबो को समान नज़र स दखता ि जबकक इशडया अमीरो को िी शनिारा करता

ि भारत भारतीय वसतर खान-पान और जीवन-िली की पिचान ि और इशडया शवदिी वसतर खान-पान और

जीवन-िली को अपनान म अपनी िान समझता ि भारत अपनी भाषा शिनदी और अनय भारतीय भाषाओ को

अपन भीतर आतमसात ककए हए ि जबकक इशडया अगरज़ी और अगरशज़यत क गीत गाता रिता ि

भारत क शवकास और आधशनकीकरण क शलए इधर नई-नई पररयोजनाए बनाई जा रिी ि और उनि

मक इन इशडया शसकल इशडया सटाटथ-अप इशडया शडशजटल इशडया आकद अगरज़ी क जोरदार नारो स ससशित

ककया जा रिा ि अगरजी म कदए गए इन नारो स इशडया क शवकशसत और आधशनक िोन की आिा तो ि लककन

यि पशिमीकरण औदयोशगकीकरण और ििरीकरण स अवशय परभाशवत िोग ऐस इशडया म शवलाशसता

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भौशतकता सवारथपरकता और परायापन क सामराजय की भी समभावना ि सार-सार भारतीयता

अधयाशतमकता अपनापन और सासकशतक चतना क दिथन न िोन की परी-परी आिका ि तरा गरामीण जीवन क

परशत सवदनिीनता क सकत भी शमल सकत ि शिनदी अरवा भारतीय भाषाओ म य नार िमारी मानशसकता म

पररवतथन लान म सिायक िो सकत ि जो भारत को शवकशसत और आधशनक राषटर बनान म सिायक िो सकत ि

अत भारत को भारत िी रिन दो इशडया निी भारत नाम म िी मिानता ि और यिी िमारी पिचान

ि यिी िमारी अशसमता ि जय भारत

चल जाना किर

बन सतीि कानत

आओ उन पलो म

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

कछ अपनी

कि जाना

कछ मरी भी

सन जाना

चल जाना किर

तमि मिसस

तो कर ल

सासो को सभाल ल

चल जाना किर

रोडाा रक तो लो

खाद को खाद

स बाट तो लो

उन पलो को

जी तो लो

चल जाना किर

मझ सभल जान दो

उन पलो को

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

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चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

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िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

15 59 2018 34

आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 7: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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भारतीयता क आधार पर ि इसी परकार आकद काल म rsquoराषटरrsquo और lsquoदिrsquo अराथत भारत एक िी पयाथय क रप म

परयि िोत र ऋगवद म िी राषटर िबद भारत क सदभथ म शमलता ि ndash तवत राषटर मा आधी भरित (१०१७३१)

इस परी ऋचा की वयाखया की जाए तो यि भाव शमलता ि - ि राजन िमार राषटर का तमि सवामी बनाया गया

ि तम िमार राजा िो तम नीशत अचल और शसरर िो कर रिो सारी परजा तमि चाि तमस राषटर नषट न िो

पाव इस परकार भारत को कई नामो स अशभशित ककया गया ि लककन भारत का परयोग िी अतीतकालीन

पराकशतक और सवाभाशवक ि

आज क पररपरकषय म भारत और इशडया का तलनातमक अधययन ककया जाए तो भारत नाम भारत की

धरती का िोन क कारण सवाभाशवक और औशचतयपणथ ि कयोकक यि भारतीय ससकशत और परमपरा स जड़ा

हआ ि इशडया म पािातय ससकशत की गध आती ि भारत राषटरीयता और राषटरवाद क मतर की पजा करता ि

जबकक इशडया की नज़र म राषटरवाद और राषटरीयता एक पराणपरी अवधारणा ि यि राषटरवाद को परशनरपकष

अराथत सकलर निी मानता और इसी कारण राषटरवाद को परगशतिील भी निी मानता भारत सवततरता का

परतीक ि तो इशडया गलामी का भारत म दि की अखडता और एकातमकता क बीज अकररत ि जबकक इशडया

म शवभाजन की जड़ो को पकड़न की कोशिि िोती ि भारतवाशसयो क शलए भारत उनकी माता ि और व

अपन को उसका पतर मानत हए उसका नमन करत ि ndash पशरवया पतरोि जबकक इशडया िमार भीतर समबधो म

परायापन की भावना पदा करता ि भारत आयथ रशवड़ नाग यकष ककननर ककरात मगोल मशसलम ईसाई

पारसी आकद अनक जाशतयो को अपन सीन स शचपका कर उनि सनि परम और वातसलय की छाया दता ि और

इशडया एव सिदसतान इन जाशतयो को अलग-अलग करन क शलए उकसाता ि भारत शिनद जन बौदध शसख

आकद मतो को एक िी वकष की िाखाए मानता ि जबकक इशडया इनि अलग-अलग समदाय और उसस भी आग

बढ़ कर उनि सपरदाय मानता ि भारत िम असिसा पर शविास करन और उसका अनगमन करन का पाठ

पढ़ाता ि जबकक इशडया सिसा की ओर धकलता ि भारत ऋशष-मशनयो का दि लगता ि जबकक इशडया

शवलाशसयो और शिशपपयो का दि लगता ि भारत िम साधना की ओर परोतसाशित करता ि तो इशडया साधनो

क पीछ पड़ा रिता ि भारत सौिारथ मतरी तयाग और वसधव कटमबकम का पाठ शसखाता ि जबकक इशडया

इनस िम दर रखन का परयास करता ि भारतीय दिथन भारतीय ससकशत भारतीय परमपरा भारतीय साशितय

भारतीय जीवन भारतीय पराण और इशतिास भारत की शवकासिीलता आकद भारत की अशसमता और

पिचान ि जबकक इशडया इन सबको अपन भीतर समट निी पाता एक अनय बात उललखनीय ि कक सतयमव

जयत िमार दि भारत का परतीक वाकय ि जो मडक उपशनषद स उदधत ि और यि वाकय भारतीय

शवचारधारा को िी उदघारटत करता ि भारत पि-पशकषयो और पड़-पौधो की पजा करता ि इसीशलए वि गाय

और तलसी को माता की पदवी दता ि वि गाय की रकषा करता ि जबकक इशडया उसक भकषण क शलए

लालाशयत रिता ि भारत गावो क अशतररि ििरो म भी शनवास करता ि जबकक इशडया कवल ििरो म

रिता ि भारत अमीरो और गरीबो को समान नज़र स दखता ि जबकक इशडया अमीरो को िी शनिारा करता

ि भारत भारतीय वसतर खान-पान और जीवन-िली की पिचान ि और इशडया शवदिी वसतर खान-पान और

जीवन-िली को अपनान म अपनी िान समझता ि भारत अपनी भाषा शिनदी और अनय भारतीय भाषाओ को

अपन भीतर आतमसात ककए हए ि जबकक इशडया अगरज़ी और अगरशज़यत क गीत गाता रिता ि

भारत क शवकास और आधशनकीकरण क शलए इधर नई-नई पररयोजनाए बनाई जा रिी ि और उनि

मक इन इशडया शसकल इशडया सटाटथ-अप इशडया शडशजटल इशडया आकद अगरज़ी क जोरदार नारो स ससशित

ककया जा रिा ि अगरजी म कदए गए इन नारो स इशडया क शवकशसत और आधशनक िोन की आिा तो ि लककन

यि पशिमीकरण औदयोशगकीकरण और ििरीकरण स अवशय परभाशवत िोग ऐस इशडया म शवलाशसता

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भौशतकता सवारथपरकता और परायापन क सामराजय की भी समभावना ि सार-सार भारतीयता

अधयाशतमकता अपनापन और सासकशतक चतना क दिथन न िोन की परी-परी आिका ि तरा गरामीण जीवन क

परशत सवदनिीनता क सकत भी शमल सकत ि शिनदी अरवा भारतीय भाषाओ म य नार िमारी मानशसकता म

पररवतथन लान म सिायक िो सकत ि जो भारत को शवकशसत और आधशनक राषटर बनान म सिायक िो सकत ि

अत भारत को भारत िी रिन दो इशडया निी भारत नाम म िी मिानता ि और यिी िमारी पिचान

ि यिी िमारी अशसमता ि जय भारत

चल जाना किर

बन सतीि कानत

आओ उन पलो म

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

कछ अपनी

कि जाना

कछ मरी भी

सन जाना

चल जाना किर

तमि मिसस

तो कर ल

सासो को सभाल ल

चल जाना किर

रोडाा रक तो लो

खाद को खाद

स बाट तो लो

उन पलो को

जी तो लो

चल जाना किर

मझ सभल जान दो

उन पलो को

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

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चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

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िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 8: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 6

भौशतकता सवारथपरकता और परायापन क सामराजय की भी समभावना ि सार-सार भारतीयता

अधयाशतमकता अपनापन और सासकशतक चतना क दिथन न िोन की परी-परी आिका ि तरा गरामीण जीवन क

परशत सवदनिीनता क सकत भी शमल सकत ि शिनदी अरवा भारतीय भाषाओ म य नार िमारी मानशसकता म

पररवतथन लान म सिायक िो सकत ि जो भारत को शवकशसत और आधशनक राषटर बनान म सिायक िो सकत ि

अत भारत को भारत िी रिन दो इशडया निी भारत नाम म िी मिानता ि और यिी िमारी पिचान

ि यिी िमारी अशसमता ि जय भारत

चल जाना किर

बन सतीि कानत

आओ उन पलो म

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

कछ अपनी

कि जाना

कछ मरी भी

सन जाना

चल जाना किर

तमि मिसस

तो कर ल

सासो को सभाल ल

चल जाना किर

रोडाा रक तो लो

खाद को खाद

स बाट तो लो

उन पलो को

जी तो लो

चल जाना किर

मझ सभल जान दो

उन पलो को

जी तो लो

जो मन तमिार शलए

सजाए ि

चल जाना किर

15 59 2018 7

चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

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िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 9: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 7

चनरिखर आज़ाद िोन का अरथ

(23 जलाई भारतीयता की परशतमरतथ मिान वीर आज़ाद जी क जनमकदवस पर शविष - सपादक)

सिील कमार िमाथ

मिान कराशतकारी चनरिखर आज़ाद का जनम २३ जलाई १९०६ को शरीमती जगरानी दवी व पशडडत

सीताराम शतवारी क यिा भाबरा (झाबआ मधय परदि) म हआ रा व पशडडत रामपरसाद शबशसमल की

शिनदसतान ररपशबलकन ऐसोशसयिन (HRA) म र और उनकी मतय क बाद नवशनरमथत शिनदसतान सोिशलसट

ररपशबलकन आमीऐसोशसयिन (HSRA) क परमख चन गय र मातर १४ वषथ की आय म अपनी जीशवका क शलय

नौकरी आरमभ करन वाल आज़ाद न १५ वषथ की आय म कािी जाकर शिकषा किर आरमभ की और लगभग तभी

सब कछ तयागकर गाधी जी क असियोग आनदोलन म भाग शलया

१९२१ म मातर तरि साल की उमर म उन ि सस कत कॉलज क बािर धरना दत हए पशलस न शगरफतार

कर शलया रा पशलस न उन ि ज वाइट मशजस रट क सामन पि ककया जब मशजस रट न उनका नाम पछा उन िोन

जवाब कदया - आजाद मशजस रट न शपता का नाम पछा उन िोन जवाब कदया - स वाधीनता मशजस रट न तीसरी

बार रर का पता पछा उन िोन जवाब कदया - जल

उनक जवाब सनन क बाद मशजस रट न उन ि पन रि कोड़ लगान की सजा दी िर बार जब उनकी पीठ

पर कोड़ा लगाया जाता व मिात मा गाधी की जय बोलत रोड़ी िी दर म उनकी परी पीठ लह-लिान िो गई

उस कदन स उनक नाम क सार आजाद जड़ गया

आजाद को मलत एक आयथसमाजी सािसी कराशतकारी क रप म िी ज़यादा जाना जाता ि यि बात

भला दी जाती ि कक रामपरसाद शबशसमल और अििाकललाि खान क बाद की कराशतकारी पीढ़ी क सबस बड़

सगठनकताथ आजाद िी र भगत ससि राजगर और सखदव सशित सभी कराशतकारी उमर म कोई जयादा फ़कथ न

िोन क बावजद आजाद की बहत इित करत र

उन कदनो भारतवषथ को कछ राजनीशतक अशधकार दन की पशषट स अगरजी हकमत न सर जॉन साइमन

क नततव म एक आयोग की शनयशि की जो साइमन कमीिन किलाया समसत भारत म साइनमन कमीिन

का ज़ोरदार शवरोध हआ और सरानndashसरान पर उस काल झडड कदखाए गए जब लािौर म साइमन कमीिन का

शवरोध ककया गया तो पशलस न परदिथनकाररयो पर बरिमी स लारठया बरसाई पजाब क लोकशपरय नता लाला

लाजपतराय को इतनी लारठया लगी कक कछ कदन क बाद िी उनकी मतय िो गई चनरिखर आज़ाद भगतससि

और पाटी क अनय सदसयो न लाला जी पर लारठया चलान वाल पशलस अधीकषक साडसथ को मतयदडड दन का

शनिय कर शलया

चनरिखर आज़ाद न दि भर म अनक कराशतकारी गशतशवशधयो म भाग शलया और अनक अशभयानो

का पलान शनदिन और सचालन ककया पशडडत रामपरसाद शबशसमल क काकोरी काड स लकर ििीद भगत ससि

क सौडसथ व ससद अशभयान तक म उनका उललखनीय योगदान रिा ि काकोरी काडड सौडडसथ ितयाकाडड व

बटकिर दतत और भगत ससि का असमबली बम काडड उनक कछ परमख अशभयान रि ि

दिपरम वीरता और सािस की एक ऐसी िी शमिाल र ििीद कराशतकारी चनरिखर आजाद २५ साल

की उमर म भारत माता क शलए ििीद िोन वाल इस मिापरष क बार म शजतना किा जाए उतना कम ि अपन

पराकरम स उनिोन अगरजो क अदर इतना खौफ़ पदा कर कदया रा कक उनकी मौत क बाद भी अगरज उनक मत

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िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

15 59 2018 35

म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

15 59 2018 36

िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 10: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 8

िरीर को आध रट तक शसिथ दखत रि र उनि डर रा कक अगर वि पास गए तो किी चनरिखर आजाद उनि

मार ना डाल

एक बार भगतससि न बातचीत करत हए चनरिखर आज़ाद स किा पशडत जी िम कराशनतकाररयो क

जीवन-मरण का कोई रठकाना निी अत आप अपन रर का पता द द ताकक यकद आपको कछ िो जाए तो

आपक पररवार की कछ सिायता की जा सक चनरिखर सकत म आ गए और किन लग पाटी का कायथकताथ म

ह मरा पररवार निी उनस तमि कया मतलब दसरी बात - उनि तमिारी मदद की जररत निी ि और न िी

मझ जीवनी शलखवानी ि िम लोग शनसवारथ भाव स दि की सवा म जट ि इसक एवज़ म न धन चाशिए और

न िी खयाशत

२७ िरवरी १९३१ को जब व अपन सारी सरदार भगतससि की जान बचान क शलय आननद भवन म

निर जी स मलाकात करक शनकल तब पशलस न उनि चनरिखर आज़ाद पाकथ (तब ऐलरड पाकथ ) म रर शलया

बहत दर तक आज़ाद न जमकर अकल िी मकाबला ककया उनिोन अपन सारी सखदवराज को पिल िी भगा

कदया रा आशिर पशलस की कई गोशलया आज़ाद क िरीर म समा गई उनक माउज़र म कवल एक आशिरी

गोली बची री उनिोन सोचा कक यकद म यि गोली भी चला दगा तो जीशवत शगरफतार िोन का भय ि अपनी

कनपटी स माउज़र की नली लगाकर उनिोन आशिरी गोली सवय पर िी चला दी गोली रातक शसदध हई और

उनका पराणात िो गया पशलस पर अपनी शपसतौल स गोशलया चलाकर आज़ाद न पिल अपन सारी सखदव

राज को विा स सरशकषत िटाया और अत म एक गोली बचन पर अपनी कनपटी पर दाग ली और आज़ाद नाम

सारथक ककया

२७ िरवरी १९३१ को चनरिखर आज़ाद क रप म दि का एक मिान कराशनतकारी योदधा दि की

आज़ादी क शलए अपना बशलदान द गया ििीद िो गया उनको शरदधाजशल दत हए कछ मिान वयशितव क

करन शनमन ि -

चरिखर की मतय स म आित ह ऐस वयशि यग म एक बार िी जनम लत ि किर भी िम असिसक

रप स िी शवरोध क रना चाशिय - मिातमा गाधी

चरिखर आज़ाद की ििादत स पर दि म आज़ादी क आदोलन का नय रप म िखनाद िोगा आज़ाद

की ििादत को सिदोसतान िमिा याद रखगा - पशडत जवािरलाल निर

दि न एक सचचा शसपािी खोया - मिममद अली शजनना

पशडडतजी की मतय मरी शनजी कषशत ि म इसस कभी उबर निी सकता - मिामना मदन मोिन

मालवीय

ककसी कशव की भाव पणथ शरदधाजशल उस मिान कराशतकारी क शलए -

जो सीन पर गोली खान को आग बढ़ जात र

भारत माता की जय कि कर िासी पर जात र

शजन बटो न धरती माता पर कबाथनी द डाली

आजादी क िवन क ड क शलय जवानी द डाली

उनका नाम जबा पर लो तो पलको को झपका लना

उनको जब भी याद करो तो दो आस टपका लना |

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

15 59 2018 36

िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 11: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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ऐ मर वतन क लोगो

रामचर शदववदी lsquoपरदीपrsquo

ऐ मर वतन क लोगो तम खब लगा लो नारा

य िभ कदन ि िम सब का लिरा लो शतरगा पयारा

पर मत भलो सीमा पर वीरो न ि पराण गवाए

कछ याद उनि भी कर लो जो लौट क रर ना आए

ऐ मर वतन क लोगो ज़रा आख म भर लो पानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब रायल हआ शिमालय ितर म पड़ी आज़ादी

जब तक री सास लड़ वो किर अपनी लाि शबछा दी

सगीन प धर कर मारा सो गए अमर बशलदानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जब दि म री दीवाली वो खल रि र िोली

जब िम बठ र ररो म वो झल रि र गोली

कया लोग र वो दीवान कया लोग र वो अशभमानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

कोई शसख कोई जाट मराठा कोई गरखा कोई मदरासी

सरिद पर मरनवाला िर वीर रा भारतवासी

जो खन शगरा पवथत पर वो खन रा सिदसतानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

री खन स लर-पर काया किर भी बदक उठाक

दस-दस को एक न मारा किर शगर गए िोि गवा क

जब अत-समय आया तो कि गए क अब मरत ि

खि रिना दि क पयारो अब िम तो सफ़र करत ि

र धनय जवान वो अपन

री धनय वो उनकी जवानी

जो ििीद हए ि उनकी ज़रा याद करो करबानी

जय सिद जय सिद की सना

जय सिद जय सिद जय सिद

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 12: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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पदमशरी $

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

15 59 2018 23

आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

15 59 2018 24

राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

15 59 2018 32

का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

15 59 2018 33

अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

15 59 2018 34

आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

15 59 2018 36

िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

15 59 2018 39

बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 13: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 14: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

15 59 2018 35

म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

15 59 2018 36

िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 15: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 16: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

15 59 2018 23

आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

15 59 2018 24

राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

15 59 2018 32

का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 17: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 18: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

15 59 2018 35

म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

15 59 2018 36

िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 19: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 20: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

15 59 2018 23

आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

15 59 2018 24

राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 21: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

15 59 2018 35

म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 22: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 23: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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15 59 2018 22

शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

15 59 2018 39

बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 24: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 22

शरीमती सभरा कमारी चौिान क जनमकदन पर (१६ अगसत मिान कवशयतरी सभरा कमारी चौिान जी की

जनम-शतशर पर शविष - समपादक)

मनोज कमार िकल lsquoमनोजrsquo

कशव धमथ को ि शजया कलम बनी तलवार

ओज लखनी न ककया अगरजो पर वार

मिादवी की शपरय सखी शसदधी का आकाि

मातर चवालीस उमर म शबखरा गयी उजास

पास इलािाबाद क ि शनिालपर गराम

रामनार जी र शपता रर उनका रा धाम

सन उननीस सौ चार म जनमी री चौिान

गोरो क उस काल म दखी रा शिनदसतान

नाम सभरा जब रखा रर म छाया िषथ

मात शपता क शलय रा खशियो का वि वषथ

मन समवकदत रा बहत ससकारी पररवार

अबला सबला बन गयी बनी धनष टकार

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आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

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राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

15 59 2018 32

का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

15 59 2018 33

अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

15 59 2018 34

आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 25: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 23

आजादी की चाि म कशवता हयी जवान

लकषमण ससि की सशगनी ससकारो की खान

ससराल म शमल गया इनको सबका सार

आजादी की चाि म तान चली री मार

गाधी क सग म बढ़ी शनभथय सीना तान

िार शतरगा राम कर बनी दि की िान

कशवता और किाशनया दि परम क बोल

शबखर मोती उनमाकदनी मकल कावय अनमोल

सीध-साध शचतर म कदख अनोख भाव

दि भशि पतवार स खई जीवन नाव

लकषमी बाई पर शलखी कशवता हयी मिान

अमर िो गयी लखनी बनी जगत पिचान

इस रचना म ि शछपा दि भशि पगाम

सभी दिवासी उनि ित ित कर परणाम

15 59 2018 24

राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

15 59 2018 31

बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

15 59 2018 32

का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

15 59 2018 33

अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

15 59 2018 34

आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

15 59 2018 35

म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 26: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 24

राषटर-भशि का अनठा उदािरण - भाषा का मितव

(वशिक शिनदी सममलन स साभार)

इशतिास क परकाड पशडत डॉ ररबीर पराय फास जाया करत र व सदा फास क राजवि क एक

पररवार क यिा ठिरा करत र उस पररवार म एक गयारि साल की सदर लड़की भी री वि भी डॉ ररबीर

की खब सवा करती री अकल-अकल बोला करती री

एक बार डॉ ररबीर को भारत स एक शलिािा परापत हआ बचची को उतसकता हई दख तो भारत की

भाषा की शलशप कसी ि उसन किा अकल शलिािा खोलकर पतर कदखाए डॉ ररबीर न टालना चािा पर

बचची शजद पर अड़ गई

डॉ ररबीर को पतर कदखाना पड़ा पतर दखत िी बचची का मि लटक गया अर यि तो अगरजी म

शलखा हआ ि आपक दि की कोई भाषा निी ि

डॉ ररबीर स कछ कित निी बना बचची उदास िोकर चली गई मा को सारी बात बताई दोपिर म

िमिा की तरि सबन सार सार खाना तो खाया पर पिल कदनो की तरि उतसाि चिक मिक निी री

गिसवाशमनी बोली डॉ ररबीर आग स आप ककसी और जगि रिा कर शजसकी कोई अपनी भाषा

निी िोती उस िम फ च बबथर कित ि ऐस लोगो स कोई समबध निी रखत

गिसवाशमनी न उनि आग बताया मरी माता लोरन परदि क डयक की कनया री पररम शवि यदध क

पवथ वि फ च भाषी परदि जमथनी क अधीन रा जमथन समराट न विा फ च क माधयम स शिकषण बद करक जमथन

भाषा रोप दी री िलत परदि का सारा कामकाज एकमातर जमथन भाषा म िोता रा फ च क शलए विा कोई

सरान न रा सवभावत शवदयालय म भी शिकषा का माधयम जमथन भाषा िी री

मरी मा उस समय गयारि वषथ की री और सवथशरषठ कानवट शवदयालय म पढ़ती री एक बार जमथन

सामराजञी करराइन लोरन का दौरा करती हई उस शवदयालय का शनरीकषण करन आ पहची मरी माता अपवथ

सदरी िोन क सार-सार अतयत किागर बशदध भी री सब बशचचया नए कपड़ो म सज-धज कर आई री उनि

पशिबदध खड़ा ककया गया रा बशचचयो क वयायाम खल आकद परदिथन क बाद सामराजञी न पछा कक कया कोई

बचची जमथन राषटरगान सना सकती ि

मरी मा को छोड़ वि ककसी को याद न रा मरी मा न उस ऐस िदध जमथन उचचारण क सार इतन सदर

ढग स सनाया कक सामराजञी न बचची स कछ इनाम मागन को किा बचची चप रिी बार-बार आगरि करन पर वि

बोली मिारानी जी कया जो कछ म माग वि आप दगी

सामराजञी न उततशजत िोकर किा बचची म सामराजञी ह मरा वचन कभी झठा निी िोता तम जो चािो

मागो इस पर मरी माता न किा मिारानी जी यकद आप सचमच वचन पर दढ़ ि तो मरी कवल एक िी

परारथना ि कक अब आग स इस परदि म सारा काम एकमातर फ च म िो जमथन म निी

इस सवथरा अपरतयाशित माग को सनकर सामराजञी पिल तो आियथककत रि गई ककनत किर करोध स

लाल िो उठी व बोली लड़की नपोशलयन की सनाओ न भी जमथनी पर कभी ऐसा कठोर परिार निी ककया रा

जसा आज तन िशििाली जमथनी सामराजय पर ककया ि सामराजञी िोन क कारण मरा वचन झठा निी िो

सकता पर तम जसी छोटी-सी लड़की न इतनी बड़ी मिारानी को आज पराजय दी ि वि म कभी निी भल

सकती जमथनी न जो अपन बाहबल स जीता रा उस तन अपनी वाणी मातर स लौटा शलया म भलीभाशत

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जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

15 59 2018 31

बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 27: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 25

जानती ह कक अब आग लारन परदि अशधक कदनो तक जमथनो क अधीन न रि सकगा यि किकर मिारानी

अतीव उदास िोकर विा स चली गई

गिसवाशमनी न किा डॉ ररबीर इस रटना स आप समझ सकत ि कक म ककस मा की बटी ह िम

फ च लोग ससार म सबस अशधक गौरव अपनी भाषा को दत ि कयोकक िमार शलए राषटर परम और भाषा परम म

कोई अतर निी िम अपनी भाषा शमल गई तो आग चलकर िम जमथनो स सवततरता भी परापत िो गई

तन तो आज सवततर िमारा

गोपाल दास नीरज

तन तो आज सवततर िमारा

लककन मन आज़ाद निी ि

सचमच आज काट दी िमन

जजीर सवदि क तन की

बदल कदया इशतिास बदल दी

चाल समय की चाल पवन की

दख रिा ि राम राजय का

सवपन आज साकत िमारा

खनी किन ओढ़ लती ि

लाि मगर दिरर क परण की

मानव तो िो गया आज

आज़ाद दासता बधन स पर

मज़िब क पोरो स ईिर का जीवन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

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लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 28: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 26

िम िोशणत स सीच दि क

पतझर म बिार ल आए

खाद बना अपन तन की-

िमन नवयग क िल शखलाए

डाल डाल म िमन िी तो

अपनी बािो का बल डाला

पात पात पर िमन िी तो

शरम जल क मोती शबखराए

कद किस सययद सभी स

बलबल आज सवततर िमारी

ऋतओ क बधन स लककन अभी चमन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

यदयशप कर शनमाथण रि िम

एक नयी नगरी तारो म

सीशमत ककनत िमारी पजा

मशनदर मशसजद गरदवारो म

यदयशप कित आज कक िम सब एक

िमारा एक दि ि

गज रिा ि ककनत रणा का तार

बीन की झकारो म

गगा जमना क पानी म

रली शमली शज़नदगीा िमारी

मासमो क गरम लह स पर दामन आज़ाद निी ि

तन तो आज सवततर िमारा लककन मन आज़ाद निी ि

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जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

15 59 2018 31

बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

15 59 2018 39

बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 29: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 27

जीवन िबदो क बीच और िबदो स पर

परो शगरीिर शमशर (कलपशत अतराथषटरीय शिनदी शविशवदयालय वधाथ)

आज सभी सचार माधयमो दवारा िमारा परा पररवि िबदमय िो रिा ि चारो ओर तरि-तरि क िबद

गज रि ि चकक िबद मिज़ परतीक िोत ि इसशलए धवशन स अशधक इनकी वयजना या अरथ का मितव िोता ि

इन िबदो को परयोग म लान क शलए शसफ़थ एक माधयम की ज़ररत िोती ि माधयम पर सवार य िबद अपन

मकाम की ओर आग चल पड़त ि उनि रोड़ा-सा सिारा चाशिए किर व गज़ब ढात ि व दसरो तक सदि

पहचान शनदि दन सिारा पहचान इशगत करन का काम आसान कर दत ि इसक अलावा इनकी बड़ी

भशमका िमार मनोभावो की वयापक दशनया रचन बसान और अनभव करन म सिायक क रप म ि परिसा

उतसाि शवषाद िषथ माधयथ आहलाद िोक पीड़ा सािस सनदा लिा आकरोि सतशत दया वातसलय भशि

रात परशतरात आसशतत (उलझन) सिाल (रबरािट) करणा कतजञता परम परणय ममतव औदायथ मदता

आनद आहलाद सपिा ईषयाथ जगपसा दवष रणा कररता सिसा गलाशन अननय िास-पररिास कतिल

शवराग परशतपशतत शवसमय कौतक पररताप वयग कठा शवनय परारथना पजा आराधना पिाताप शवयोग

आकद जान ककतन भावो और रसो को वयि करन क शलए अनकानक िबदो का परयोग ककया जाता ि मनषय

जीवन की इबारत िर कषण इनिी सबक सार स पढ़ी-शलखी जाती ि यिी सब तो िोता रिता ि परशतकदन

अिरनथि इनिी स िम पररचाशलत िोत रित ि जीवन-वयापार म नफ़ा नकसान और कछ निी इनिी की

कारसतानी िोती ि भावो स िी जीवन म रग भर जात ि और इन भावो को सजीव करन वाल िबद िी ि

िबद िम अलौककक ढग स समदध करत चलत ि

कभी य िबद आमन-सामन बोल कर या किर शलशखत रप म सजीव हआ करत र शलशप क आशवषकार

क सार लोग वाणी को शलशखत रप शमला वि भौशतक वसत क करीब आई लोग अशभवयशि क सचार क शलए

पतर शलखन लग वाणी का भी शवसतार हआ टलीफ़ोन मोबाइल सकाइप फ़स बक टाइप क ज़ररए वाणी और

विा की शनकटता दि-काल की सीमाओ को पार करती जा रिी ि अब ई-माधयम (इटरनट) इनको और रत

गशत स शलशखत सामगरी को तरत-िरत दि-शवदि सवथतर पहचात रिन का कायथ करत ि िबदो की सतता और

वयाशपत क शनतय नए आयाम खलत जा रि ि

पर िबद कवल अशभवयशि या परसतशत तक िी सीशमत निी रित िमार दवारा परयि िबद लस की तरि

भी काम करत ि और उनक माधयम स िम दशनया का दसरा रप भी दख पात ि तभी भतथिरर न किा कक िबद

स िी दशनया िम शवकदत िो पाती ि ( सव िबदन भासत) यो भी किा जा सकता ि कक जब िम अपन पार

जाकर अपना अशतकरमण करना चाित ि या किर जो ि उसस आग जा कर कछ और िोना चाित ि तो उस भी

समभव करन म य िबद बड़ मददगार िोत ि िबद िमारी कलपना िशि को ऊजाथ दत ि और रपातरण को

समभव बनात ि परा सजथनातमक साशितय िबदो की इस शवलकषण रचनाधरमथता का परमाण ि कावय नाटक

करा और उपनयास जसी शवधाओ म रच साशितय स समाज का न कवल मानस बनता-शबगड़ता ि बशलक कायथ

करन की कदिा भी तय िोती ि वसत न िो कर परतीक िोन क कारण िबदो क परयोग को लकर बड़ी गजाइि

रिती ि परशतभािाली लखक और कशव छद लय और अलकारो की सिायता स अपनी परसतशत म शवशचतरता

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

15 59 2018 31

बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

15 59 2018 32

का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

15 59 2018 34

आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

15 59 2018 35

म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 30: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 28

लात ि उपमा उतपरकषा रपक अनपरास यमक जस अलकार धवशन और िबदारथ की अदभत जोड़ी बठात ि

इनक परयोग स वाकचातयथ कछ ऐसा समा बाधता ि कक सनन वाल चककत िो उठत ि परकट रप स कित हए

भी कछ न किना और न कित हए भी बहत कछ कि डालना और कित हए भी छपा ल जान की कषमता

परमपरागत कशव-किलता या शनपणता म पररगशणत िोती ि

इस तरि जोड़न और जड़न का अवसर पदा करत य िबद िमार शनजी और सामाशजक जीवन का

मानशचतर तयार करत हए िमार अशसततव क सार अशभनन रप स समबदध िोत ि जब िबद कायो स जड़त ि तो

िमारी दशनया की कायापलट करत ि य िबद िमार मानस क सतर पर पिल और भौशतक सतर पर पर उसक

बाद बदलाव लात ि कयोकक उनका गरिण िम मानस स िी करत ि ऐस म यकद िबदो की दशनया अकषर-शवि

किी जाय (अनाकदशनधन दव िबदततव यदकषर ) जो कभी समापत न िो तो यि सवाभाशवक िी ि

वस तो िबदो का खल और जादगरी जीवन म िमिा िी चलती रिती ि पर चनाव जस राजनशतक-

सामाशजक मितव क मौक पर उसक नए रग-ढग और तवर कदखाई पड़त ि कयोकक तब बदलाव लान की परज़ोर

कोशिि बड़ी शिददत स की जाती ि समय का दबाव िबदो की दौड़ को गशत द कर तीवर बना दता ि तब भाषा

शवरोधी को परासत करन का उपकरण बन जाती ि उठापटक वाली इस दौड़ म वाकयदध िर िो जाता ि

िासय-वयग तकथ -कतकथ तथय और समभावना सबका दौर चलता ि ढढ-ढढ कर तथय जटाए जात ि और उनका

नए-परान सदभो म चल-गाठ कफ़ट की जाती ि किी का ईट किी का रोड़ा जोड़-रटा कर कदन-परशतकदन चनावी

मािौल की गमाथिट बनाए रखन की कोशिि रिती ि इन सबक बीच िबद का वयापार पनपता ि शजसम नता

अशभनता शविषजञ िर कोई िाशमल रिता ि और उनकी मदद स lsquoजनइनrsquo और परामाशणक लगन वाला बड़ा

शचतर उकरा जाता ि जन समरथन िाशसल करन क शलए एक दसर पर लाछन लगा कर छशव धशमल करना या

सियगरसत शसदध करना आम बात िो गई ि िबदो स सपन बनन और बचन क शलए लोक लभावन मशनफ़सटो

या रोषणापतर तयार ककया जाता ि आम जनता इन सबको अपन ढग स आतमसात करती ि

सच पछ तो िमार िबदो की दशनया बड़ी िी शवशचतर िोती ि व एक ओर मतथ और परतयकष दशनया स

पिचान (नाम) क रप म जड़त ि तो दसरी ओर एक समानातर दशनया भी रचत जात ि और आग रचन की

समभावना भी बनाए रखत ि मलतः व परतीक ि और इसशलए उनस िम तरि-तरि क काम लना समभव िो

पाता ि सवाद और सचार का सारा दारोमदार इनिी पर िोता ि चकक आतमाशभवयशि जीन की ितथ ि िम

िबदो स शवलग निी िो सकत यि िमारी अपनी रचना ि और ऐसी रचना जो िम रचती जाती ि िबद एक

नई दशनया का दवार खोलत ि अपररशचत िबद जब पररशचत िोता ि तो यकायक परचछन परकट िो जाता ि और

शनररथक सार-गरभथत

िबद िमार अनभव की सीमा गढ़त ि और उसका शवसतार भी करत ि कित ि ससार म लगभग सात

िज़ार भाषाए बोली जाती ि िर भाषा का अपना सासकशतक सदभथ ि शजसकी पररशध म िम सवदनाओ को

िबद द कर उसस जड़त ि परतयक भाषा िम अपन यरारथ को गरिण करन उकरन और रचन का अवसर दती ि

अतः भाषाओ का ससकार बचाए रखना ज़ररी ि

15 59 2018 29

वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 31: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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वर द वीणावाकदनी वर द

सयथकात शतरपाठी lsquoशनरालाrsquo

वर द वीणावाकदशन वर द

शपरय सवततर-रव अमत-मतर नव

भारत म भर द

काट अध-उर क बधन-सतर

बिा जनशन जयोशतमथय शनझथर

कलष-भद-तम िर परकाि भर

जगमग जग कर द

नव गशत नव लय ताल-छद नव

नवल कठ नव जलद-मनररव

नव नभ क नव शविग-वद को

नव पर नव सवर द

वर द वीणावाकदशन वर द

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१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 32: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 30

१२१ वषीय बाबा शिवाननद

कमथ जञान और भशि का अनपम सगम

डॉ अजय शरीवासतव

गर की मशिमा अपरमपार ि जो जञान की जयोशत दसो कदिाओ म परकाशित करती ि अनाकद काल स

गरशिषय का अटट समबनध जञान की शनरतरता को बनाय रखन म सिायक शसदध हआ ि सदगर क चरणकमलो

म आशरय पाकर और ऊ नमः भगवत वासदवाय को अपन जीवन का मिामतर मान लन वाल वतथमान म

कािीवासी १२१वषीय बाबा शिवाननद न कवल कमथ जञान और भशि का अनपम सगम ि वरन यवा जसी

उनकी सककरयता शचककतसा जगत क शवषिजञो और िरीर-ककरया वजञाशनको क शलए एक पिली ि बाबा का जनम

वतथमान बागलादि क शरी िटट म एक अतयत शनधथन बगाली गोसवामी बराहमण पररवार म हआ रा बाबा क शलए

तीनो लोको स नयारी और परलय काल म भी सव-अशसततव को सिज कर रखन म सकषम कािी नगरी साधना की

तपोसरली ि और कमथ भशम भी

आकद िकराचायथ भगवान बदध लाशिड़ाी मिािय बाबा कीनाराम अवधत भगवान राम सत कबीर

तलग सवामी माता आनदमयी सत तलसीदास सदष मिापरषो क शलए यि नगरी या तो जनमभशम रिी या

कमथभशम या तो दोनो िी इनिी सतो और तपशसवयो की शरखला म दशनया क सवाथशधक बजगथ एव तपसवी १२१

वषीय बाबा शिवाननद भी ि लककन परचार-परसार स पणथतया अछत िोन क चलत बाहय जगत को उनकी

साधना और तपसया का भान निी ि शविाल जन समदाय तो मशि की कामना शलए इस मोकष नगरी कािी म

वास कर रिी ि लककन बाबा शिवाननद क बार म यि बात ठीक तरीक स निी बठती lsquoषन तव कामय राजय न

सवगथ न पनभथवम कामय दःखतपताना पराणीनामरतथनाषनमषrsquo िी उनक जीवन का मल मतर ि बाबा का आशरम

परतयक माि दीनदशखयो को अनन वसतर एव धनाकद परदान करता ि अनक बार क शनवदन क तदपरात इन

पशियो क लखक को अपन बार म कछ शलखन की अनमशत दी

जप-तप व साधना म अनवरत सलगन दगाथकडवासी १२१ वषीय बाबा शिवाननद शनसवारथ शनषकाम

भशि-मागथ क पशरक ि वषणव दासानसाद भशि मागथ क पशरक आधयातम जगत क साकषी सदव आनदमय

बाबा शिवाननद का जनम ८ अगसत १८९६ म वतथमान बागलादि क शजला शरीिटट मिकमा िररगज राना-

बाहबल क अनतगथत पड़न वाल िररपर म एक गरीब बगाली बराहमण गोसवामी पररवार म हआ रा उनकी माता

भगवती दवी एव शपता शरीनार गोसवामी परम वशणव भि र बाबा क शपतदव एव माता जी दवार-दवार

रमकर मधकरी करक रोडा-बहत शभकषानन जटा पात र शजसस व भगवान नारायण का भोग लगात र इस

परसाद मान कर व इस परसाद को अपन पतर बाबा शिवाननद एव कनया क सग शमल-बाट कर खात र सदव िोता

यि रा कक शभकषानन बहत कम मातरा म एकशतरत िोता रा जो समपणथ पररवार को भरपट भोजन कदलान म सदा

असमरथ रिता रा

सन १९०१ म बाबा शिवाननद क माता-शपता न अपन बालक को नवदवीप शजल क एक परम तपसवी

वषणव सत क िारो सौप कदया रा तब स बाबा शिवानद का जीवन-कमल अपन उपरोि सदगर ओकारानद क

आशरम म शखलन लगा सदगर ओकारानद जी एक शसररपरजञ बरहमजञानी और शतरकालजञ सत र सन १९०३ म

सदगर ओकारानद जी न बाबा शिवानद को अपन माता-शपता स शमलन क शलए रर भज कदया रर पहच कर

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

15 59 2018 34

आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 33: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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बालक शिवाननद को जञात हआ कक उनकी दीदी कछ िी कदनो पवथ भोजन क आभाव म भख-पयास क कारण

इस दशनया स चल बसी री

उनक रर पहचन क सात कदनो क बाद एक िी कदन म पिल सयोदय क पवथ उनकी माता जी न और

बाद म सयाथसत क पिात उनक शपता जी न भी दम तोड़ कदया इन दोनो दिानतो न उनि झकझोर कदया और

वि बालक शिवानद कदल स यि समझ गय कक आदमी शनरािार स उपजी अपौशषटकता क कारण तरा शचककतसा

या इलाज क अभाव म मर भी सकता ि माताशपता क शरादध क उपरात बालक शिवानद नवदवीप धाम शसरत

गर क आशरम म वापस लौट आय व अपन सार वि ल आए माता जी दवारा पशजत शिवसलग एव शपता जी दवारा

पशजत िालीगराम शिला को भी ससार भर म इन दो सवथशरशठ समपदाओ को तभी स पिचान शलया रा शभकष

पतर बाबा शिवानद न वाराणसी क शिवानद आशरम (२५११ कबीर नगर दगाथकड िोन - ०५४२-

२३१०६२०) म उपरोि शिवसलग और िालीगराम शिला की पजा आज तक चली आ रिी ि सन १९०७ म

बाबा शिवाननद न अपन सदगर शरी ओकारानद जी स दीकषा गरिण की सदगर कपा का अवलमब लकर उनकी

जीवन यातरा अपनी तपसया की राि पर चल शनकली गरदव न बालक शिवाननद की पराशवदया क अभयास क

सग-सग ससाररक शवदयाभयास की भी वयवसरा की कठोर तपसया एव अधयावसाय क िलसवरप बाबा

शिवानद न अततः यि उपलशबध परापत की कक यि समपणथ दशनया िी मरा रर ि यिा रिन वाल लोग मर

माता-शपता ि उनस परमपणथ वयविार रखना और उनकी सवा करना िी मरा धमथ ि

सन १९५९ क कदसमबर मास म गरदव ओकारानद गोसवामी जी न अपनी दि तयाग दी गर क शवयोग

म बाबा को गिरा आरात पहचा मगर वि िोक सिन कर सकड़ो दशखयारो पीशड़तो और िोकसतपत लोगो की

सवा करन म जट गय वषथ १९७७ की १६ जनवरी को आसाम क शडबरगढ़ स चलकर बाबा वनदावन धाम

आए सन १९७९ म बाबा वनदावन स चलकर शवि की सवाथशधक परानी नगरी शिव की नगरी सपतपररयो म

स एक कािी आ पहच और यिी शनवास करन लग शिव की पजाररन माता जी और नारायण भि शपता की

भशि भावनाओ का खद भी पालन करत हए बाबा शिवाननद अनय सब दवी-दवताओ की पजा करत समय शिव

और नारायण को अशधक शनकटता स अनभव करत ि कदन भर वि जप धयान ससार की मगल कामना दान

सवा और शवशवध परकार क शनषकाम कमो को समपनन करत ि उनक भोजन क मलपदारथ ि ndash शसफ़थ उबली

सशबजया और रोड़ा बहत अनन

वचाररकता क कषतर म बाबा शिवानद शनगथण भशि क सत कबीर की भाशत अपन भिजनो को बाहय

आडमबर स सवथरा दरी बनाकर शनषकाम भाव स अपन कतथवयो को पणथ करन की सीख दत ि उनम भगवान

बादध की करणा शववकानद की दाषथशनकता तजोमय वयशितव और माता आनदमयी की मातसदषय भावबोध ि

शिवाननद बाबा जी का जीवन अतयत सदर ि कयोकक वि सवय सदगर क चरणाशशरत ि उनक शनकट बठ कर

शसिथ उनि दखना िी िमार जीवन को धनय कर दन म सकषम ि शजस परकार वदो म भगवान शिव को नशत-नशत

समबोशधत ककया गया ि उसी परकार बाबा गणातीत ि

गीता म वरणथत २६ दवी समपदाए जस(१) दया (२) दान (३)यजञ (४) सतय (५) लिा (६) कषमता (७)

तज (८) धयथ (९) तयाग (१०) िाशनत (११) अभय (१२) असिसा (१३) तपसया (१४) िशचता (१५) सवाधयाय

(१६ ) सरलता (१७) पशवतरता (१८) करोधिीनता (१९) इशनरयसयम (२०) लोभिीनता (२१) जञान व योग म

शनषठा (२२) ककसी को िाशन न पहचाना (२३) अपन आप को सवथशरषठ न मानना (२४) चचलता का तयाग (२५)

कररता और (२६) दसरो की गलती न ढत किरना - बाबा म रचबस गई ि इनिी दवी गणो को अपन जीवन म

उतारकर बाबा शिवानद शसिथ इसी साधन म मगन रित ि कक कस मानव जाशत का भला कर सक उनक जीवन

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का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 34: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 32

का मल मतर ि शनसवारथ भाव स की गई सवा िी ईिरोपलशबध का सवरणथम पर ि मकदर म परशतषठाशपत मरतथ म

भगवान नारायण की पजा की अपकषा वि मानव सवा क दवारा भगवान नारायण की पजा करन म अशधक आनद

का अनभव करत ि बाबा न अपन समपणथ जीवन म कषण भशि क मागथ का वरण ककया ि कषण तो समसत

कारणो क कारण ि वदात सतर म किा गया ि कक शजसन पणथ जञान परापत निी ककया ि या जो समसत कारणो क

कारण कषण को निी समझता वि जीवन क चरम लकषय को परापत निी कर पाता ि वि बारमबार सवगथ को और

पनः पथवी लोक को आता-जाता ि मानो वि ककसी चकर पर शसरत ि पडयकमो क सशचत िल स सवगथ जा

सकता ि पर वि िल कषीण िोता ि तो पनः मतयलोक आना पड़ता ि बकडठ लोक की पराशपत तो सशचचदानद

परम शपता परमशरवर की आराधना स समभव ि बाबा का जीवन दिथन भी यिी ि बाबा न तो ककसी चमतकार

की बात करत ि न ऐसा ककसी भि स अपकषा रखत ि व ईशरवरीय शवधान म वयशतकरम उपशसरत करना

अनपयि समझत ि

बाबा शिवाननद कित ि समची गीता का सार ि भशि - १२वा अधयाय इसक तारकबरहम नाम तरा

नारायण वनदना क शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स सार कलष रोग शवपदा आपदाओ आकद स मनषय

को मशि शमल जाती ि बाबा शिवानद क आधयाशतमक शवचार ि - (१) सत सचतन सतकमथ और सदभावना (२)

पराशणयो की शनःसवारथ सवा िी ईिर पराशपत का सगम मागथ ि (३) भशियोग तारकबरहमनाम एव नारायण वदना

का शनयशमत पाठ करन स या कीतथन करन स समसत कलष तरा आपदा-शवपदाओ स मशि परापत िो जाती ि एव

िात जीवन परापत िोता ि (४) सदा परम करो रणा कदाशप निी

ऐस तजसवी परमदयाल शनःसवारथ शनषकाम भशि मागथ क अनयायी एव शिव व नारायण क परम

भि सवथपरकार की कामना व शवकार मि बाबा शिवाननद को मरा कोरट-कोरट परणाम

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अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

15 59 2018 36

िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 35: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 33

अपनी गध निी बचगा

बाल कशव बरागी (परशसदध गीतकार बलकशव बरागी जी का जनम मदसौर जिा दो वषथ मन भी कॉलज शिकषा पराशपत ित

शबताय र शजल की मनासा तिसील क रामपर गाव म मधय परदि म हआ रा १३ मई २०१८ को उनक

दिावसान का दखद समाचार शमला उनिी की कशवता उनिी को शरदधाजशल-रप म समरपथत ndash समपादक)

चाि समन शबक जाए

चाि उपवन शबक जाए

चाि सौ िागन शबक जाए

पर म अपनी गध निी बचगा - अपनी गध निी बचगा

शजस डाली न गोद शखलाया शजस कोपल न दी अरणाई

लकषमन जसी चौकी दकर शजन काटो न जान बचाई

इनको पिला िक जाता ि चाि मझको नोच तोड़

चाि शजस माशलन स मरी पाखररयो स ररशत जोड़

ओ मझ पर मडरान वालो

मरा मोल लगान वालो

जो मरा ससकार बन गई वो सौगध निी बचगा

मौसम स कया लना मझको य तो आएगा-जाएगा

दाता िोगा तो द दगा खाता िोगा खा जाएगा

कोमल भवरो का सर-सरगम पतझरो का रोना-धोना

मझ-पर कया अतर लाएगा शपचकाररयो का जाद-टोना

ओ नीलाम लगान वालो

पल-पल दाम बढ़ान वालो

मन जो कर शलया सवय स वो अनबध निी बचगा

मझको मरा अत पता ि पखरी-पखरी झर जाऊ गा

लककन पिल पवन-परी सग एक-एक क रर जाऊ गा

भल-चक की मािी लगी सबस मरी गध कमारी

उस कदन मडी समझगी ककसको कित ि खददारी

शबकन स बितर मर जाऊ

अपनी शमटटी म झर जाऊ

मन स तन पर लगा कदया जो वो परशतबध निी बचगा

अपनी गध निी बचगा

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आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 36: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 34

आस शनराि भई

आप-बीती (ससमरण)

डॉ एमएल गपता आकदतय

अनय कदनो की भाशत िी १४ माचथ बधवार को भी सिी वि पर िम आईसीय म पहच गट खलत िी

उस कदन भी सबस पिल म पहचा आईसीय म शमलन जान क शनयम बड़ कड़ ि शसर पर टोपी मि पर मासक

और पाव म जत चपपल क नीच भी कवर जसा पिनना पड़ता ि इस कारण कई बार सामन वाल को पिचानन

म करठनाई िोती री और किर जो बीमार और बसध ि उसक शलए तो और भी करठन ि इसशलए म विा

पहचकर अकसर अपना मासक नीच कर दता रा ताकक वि मरी आवाज सन सक और अगर वि आख खोल तो

उस मझ पिचानन म कदककत न िो

जस िी म विा पहचा और मन किा जान दखो म आ गया ह मरी आवाज़ सनत िी उसम शबजली-

सी कौधी उसन मरी तरि गदथन रमाई मन दखा पिली बार उसकी बाई आख रोड़ी खल रिी री म

चौका जान तमिारी आख तो खल रिी ि रोड़ी कोशिि तो करो परी आख खल जाएगी म अपनी उगशलयो

क सिार स उस आख खोलन म मदद करन लगा तब तक नजर पड़ी उसकी दाई आख परी तरि खली हई री

मर आियथ और खिी का रठकाना ना रिा मन किा अर जान तम दख पा रिी िो मझ दखो दखो म आया

ह दखो तमिारी दोनो आख खल रिी ि अर बड़ी शिममत की ि तमन मझ दखो जान दखो जान वि आखो

की पतशलया रमात हए मरी ओर दख जा रिी री वाि आज तो तम दोनो िार भी उठा रिी िो बहत खब

मन उसका उतसाि बढ़ाया मन दखा आज उसक चिर पर खास तरि की चमक री लककन आखो म ददथ और

बचनी साि पढ़ी जा सकती री उसकी पीड़ा को सोचत िी भीतर एक तिान सा उठता रा और आखो क

बादल बरस जात

उसकी समभाशवत सचताओ को दर करन क शलए मन किा त सन रिी ि ना उतकषथ और सोन बहत

समझदार िो गए ि दोनो अपना िी निी मरा भी बहत खयाल रख रि ि सचता मत कर जलदी स अचछछी तरि

ठीक िो जा िम चारो जलदी िी ममबई वापस जाएग यि कित-कित मरी आखो स अशरधारा बि उठी य

खिी क आस र

डॉकटर आ गए र म उनकी तरि मड़ा और काशमनी की तबीयत पछन लगा डॉकटर न किा िा

चतना तो बढ़ी ि आख भी खल गई ि वि सब दख-समझ भी रिी ि लककन एक बात कह खतर स बािर

अभी भी निी ि उनका रिचाप अभी भी शनयतरण म निी आ रिा ि शलवर काम निी कर रिा ि एक बार

शसरशत शबगड़ी तो अनय अग भी उसकी चपट म आ जाएग भीतर की खिी मायसी म बदल गई मन लगभग

शगडशगड़ात हए किा डॉकटर सािब अब जो भी कर सकत ि आप िी कर सकत ि जो भी समभव िो कीशजए

इनकी जान बचा लीशजए शबना उततर सन म काशमनी की तरि मड़ गया

अचानक मझ काशमनी की बहत पतली और कमजोर-सी आवाज सनाई दी उसन किा सोन म चौका

ऑकसीजन मासक लग िोन क बावजद और िरीर म तशनक भी ताकत न िोन क बावजद उसन ककस तरि

शिममत करक बटी को पकारा िोगा एक िबद स आग उसकी आवाज न शनकली उसन मासक लग िोन क

बावजद एक िबद भी कस शनकाला यि समझ स पर रा बचचो स शमलन की उसकी तड़प को मन भाप शलया

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म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 37: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 35

म िड़बड़ात हए एक बार किर डॉकटर की तरि मड़ा डॉकटर सािब डॉकटर सािब दखो बचचो की मा अपन

बचचो को बला रिी ि पलीज पलीज उनि भी अदर आन दीशजए डॉकटर न िालात को समझत हए किा ठीक ि

बला लीशजए

म लगभग दौड़ता-सा बािर की तरि गया और भाई स किा दोनो बचचो को जलदी अदर भजो डयटी

पर तनात कमथचारी न शवरोध ककया और किा कक एक बार म एक िी वयशि अदर जा सकता ि डॉकटर स पछ

शलया ि तम चािो तो पछ लो उनिोन अनमशत द दी ि मन उस समझाया डॉकटर स पशषट करन क बाद उसन

दोनो बचचो को अदर आन कदया| उतकषथ और सोन दोनो बचच और म उसक शबसतर क दोनो तरि खड़ हए र कछ

किन क शलए वि बार-बार अपन मासक को िटान की कोशिि कर रिी री लककन उसक बस म न रा विा एक

नसथ खड़ी री मन उसस अनरोध ककया ि शससटर िो सक तो एक शमनट क शलए िी सिी ऑकसीजन मासक िटा

दो दखो ना मा अपन बचचो स कछ किना चाि रिी ि पलीज

नसथ को दया आ गई उसन किा ठीक ि िटा दती ह किर अचानक उसका शवचार बदला उसन किा

आप दोपिर बाद आएग तब िटा द तो रबराई-सी बटी सोन न किा ठीक ि चशलए िाम को िटा दना वि

डर रिी री कक किी ऑकसीजन मासक िट जान स कोई मशशकल न पदा िो जाए लककन काशमनी अभी भी

बार-बार मासको को िटा कर कछ किन क शलए कोशिि कर रिी री असिल िोत िी दोनो िारो को जोड़

लती री कभी-कभी लगता रा कक वि दोनो िार जोड़कर िम आखरी परणाम कर रिी ि उसकी कातरता दख

कर आख भर आती री लककन विा रोन की अनमशत भी तो न री दखत िी दखत एक रटा बीत चका रा और

असपताल क शनयमो क अनसार आईसीय म रकना समभव न रा सीन पर पतरर रखत हए म बािर की तरि

लौट आया मरी िालत पर तरस खाकर कमथचारी मझ समय स ५ शमनट अशधक रकन का समय तो पिल िी द

चक र

लगातार मर ज़िन म एक िी बात आ रिी री कक इस िालत म ककस परकार आईसीय म वि एकदम

अकल बीमारी स जझ रिी िोगी न तो वि ककसी स अपना ददथ कि सकती री और न िी अपन ककसी को दख

सकती री आईसीय क एक शबसतर पर वि मौत स जझ रिी री एकदम अकल सोचकर िी कलजा मि को

आता रा लककन इस बात की खिी भी री कक आज उस िोि आ गया ि तो शसरशत म और सधार िोन की

समभावना बन गई ि इसीक चलत कई कदन बाद मन उस कदन खाना ठीक स खाया

सबि क बाद दोपिर ४०० स ५०० तक का शमलन का समय िोता रा शनगाि तो रड़ी पर िी री कक

कस ४०० बज और म दौड़कर उसक पास जाऊ जस िी अनमशत शमली टोपी मासक वगरि पिन कर म दौड़त

हए उसक पास जा पहचा मरी आिट सनत िी एक बार किर उसक िरीर म शबजली-सी दौड़ी अब भी लगभग

विी शसरशत री आख खली री पर वि कछ किन क शलए बार-बार मासक को िटान की कोशिि कर रिी री

उसकी बचनी और बढ़ गई री कछ न कि पान की उसकी बबसी आखो स टपक रिी री आशखरकार मन डयटी

पर तनात डॉकटर स अनरोध ककया डॉकटर सािब वो कछ किना चाि रिी ि एक शमनट क शलए मासक िटा

सक तो मन किर किा शससटर न किा रा िाम को एक-दो शमनट क शलए ऑकसीजन मासक िटा दग दखो

दखो वि कछ किना चाि रिी ि यि सममभव निी ि डॉकटर न मझ समझात हए किा दशखए पिट की

शसरशत ठीक निी ि िम ऑकसीजन का लवल बढ़ाना पड़ा ि ऐस म ऑकसीजन मासक िटाना ररसकी ि िम

मासक निी िटा सकत डॉकटर की बात सनकर जस मझ पर वजरपात-सा िो गया उसकी तड़प दखकर व कया

उसक मन की बात मन म िी रि जाएगी सोचकर मन बहत उदास िो गया

लककन काशमनी की कछ किन की तड़प जारी री पसत िोन पर भी वि बार-बार लगातार कछ किन

क शलए मासक िटान की कोशिि कर रिी री वि कछ किना चाि रिी ि लककन कि निी पा रिी यि सोचकर

15 59 2018 36

िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 38: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

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िी कदल बठ रिा रा आशखर म दोबारा किर जान क शलए म बािर आ गया ताकक अनय लोग भी उसस शमल

सक

डॉकटरो की राय क अनसार िम आज जयादा ररशतदारो को अदर निी जान द रि र डॉकटर का

किना रा आपकी पतनी तो आपको आपक बचचो को और बहत करीबी लोगो को िी दखना चािगी आप तो

भीड़ लगा रि ि यिा उसक माता-शपता और मर माता-शपता भाई क शमलन क बाद एक बार किर म विा

पहचा| बटी भी विी री बटा शमल कर जा चका रा बटी न अपनी मा स किा मममी अब म जाती ह शमलन

क शलए सबि आऊ गी यि कित हए वि बािर की तरि जान लगी उसक इस करन पर मन दखा काशमनी

बचन िो गई उसन जवाब म न जान क शलए गदथन शिलाई जस िी मन यि दखा मन बटी को आवाज दकर

रोका रको रको बटा रको लौट आओ मममी बला रिी ि वि लौट आई ऐसा लगा जस काशमनी की सास

लौट आई िो लककन असपताल म भावनाओ की निी शनयमो की चलती ि बटी अततः कछ दर बाद बािर

चली गई

शमलन का समय समापत िो रिा रा कछ शमनट ऊपर िी िो चक र म शनरतर आसओ को सभालत हए

काशमनी स बात कर रिा रा मन उसस किा जान म कया कर डॉकटर तो मासक निी िटा रि सचता मत

करो सब ठीक िो जाएगा उधर स कोई जवाब निी आ रिा रा म बोलता जा रिा रा कवल आखो की

परशतककरया स म बातो को आग बढ़ा रिा रा म बचचो का धयान रख रिा ह तरी मममी-बाबजी और मा-शपताजी

भाई-भाभी सभी तरा इतजार कर रि ि सब नीच बठ ि तर इतजार म बचच मरा बहत धयान रख रि ि सब

ठीक िो जाएगा िम तरा इतजार कर रि ि जलदी ठीक िो जा शिममत रख सब ठीक िो जाएगा|

इतन म असपताल का कमथचारी मझ बलान क शलए आ गया रा उसन किा सर दशखए समय िो चका

ि अब आप बािर चशलए आशखरकार म जान स शवदा लन लगा मन किा जान अब तो मझ जाना पड़गा

कया कर असपताल वाल रकन िी निी द रि कल सबि किर तझस शमलन आऊ गा म जाऊ ना मन पछा

आखो म कातरता शलए उसन ना म अपनी गदथन शिलाई और उसक सार िी आखो की दोनो छोरो पर आसओ

की बद उभर आई उसकी बबसी आखो स टपक रिी री मानो आखो स शगड़शगड़ा कर रो कर मझ रोक रिी ि

और कि रिी ि मर पास िी रिो मत जाओ ना वि मझ जान स रोक रिी री लककन असपताल क शनयमो का

पालन करत हए बबसी म म आसओ को रोकत हए एक बार किर मन पलट कर उसकी तरि दखा और धीर-

धीर कमर स बािर आ गया बािर आत-आत धयथ का बाध टट चका रा आसओ का सलाब बि चला रा

नीच शमलन वाल पररजनो की भी कािी भीड़ री आिा-शनरािा ददथ आिका और भावनाओ क भवर

क बीच डबता-उबरता-सा शमलन वालो स बात कर रिा रा उनक सिानभशत क िबद भी मानो जखम को करद

दत और ककसी तरि रोक कर रख आसओ क बाध को तोड़ दत र

जिा एक ओर ददथ रा विी उममीद भी जाग उठी री उसन आज न कवल आख खोली री बशलक वि

िार-पाव भी शिला पा रिी री और िर बात का गदथन शिला कर परतयततर भी द रिी री िालाकक डॉकटर की

बात आिकाओ को भी जगा रिी री डर भी बना िी हआ रा आिा और शनरािा क झौक मन को बचन ककए

हए र

छोट भाई सतीि न किा अब रर चलो बठन का तो कोई िायदा निी ि ऊपर आईसीयम तो कोई

जान न दगा म रक जाता ह रोज की भाशत म रर लौट आया भतीज पलककत क सार दबारा एक बार

असपताल जाकर आना रा यि तो म जानता रा कक शमलन क समय क अलावा तो कोई शमलन निी दता किर

भी कदल की तसलली क शलए एक बार जाता रा भतीजा दर पर दर ककए जा रिा रा उधर मरी बचनी बढ़

रिी री

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आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 39: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 37

आशखरकार असपताल जान क शलए िम बािर शनकल दखा शपताजी आगन म अधर म अकल कसी पर

बािर बठ र इतन मचछछरो म अधर म व अकल बािर कयो बठ ि मझ कछ अजीब-सा लगा मन पछा आप

अकल बािर कयो बठ ि य िी उनिोन छोटा-सा उततर कदया और चप िो गए जान की जलदी म मन भी बहत

धयान निी कदया गाड़ी म बठ-बठ मन काशमनी का मोबाइल दखना िर ककया उसक विाटसप सदिो म मन

एक सदि दखा जो उसन बटी को उस कदन भजा रा जब िम कदलली क शलए चलन वाल र और उसकी तबीयत

कािी खराब िो चकी री उसन शलखा रा सोन आई लव य अपना और सबका खयाल रखना म िमिा

तमिार सार रहगी

सदि पढ़कर म चौका उस कदन जब उसकी आवाज बद िो रिी री िारो न उठना बद कर कदया रा

ऐस म उसन ककस तरि स इस सदि को टाइप ककया िोगा सदि पढ़ कर एक बार म किर भावनाओ म बि

उठा रा उसकी जीवटता और िमार परशत उसकी सचता व सनि का ऐसा परशतमान रा शजस समझ पाना भी

करठन रा

सोचत-सोचत िम जलद िी असपताल पहच गए| सामन छोटा भाई सतीि और उसक दो-तीन दोसत

लॉन म िी खड़ हए र गाड़ी स उतर कर उनकी तरि बढ़ा तो भाई न किा आ जाओ भाई किर सयत िोत हए

अचानक उसन किा भाई भाभी चली गई लगता रा अचानक परा आसमान मर ऊपर आ शगरा एकाएक

ककसी न मरी परी दशनया छीन ली

म काशमनी स शमलन क शलए पागलो की तरि असपताल की तरि दौड़ा ऊपर पहच कर म शचललाया

मझ जलदी शमलवाओ जलदी शमलवाओ भाई लगता रा िरीर की सारी िशि खतम िो गई ि शचललान की

ताकत भी निी मझ लगा रा कक वि अभी आईसी य म अपन शबसतर पर िोगी िम आईसीय क बािर

खड़ र करदन करत हए मन किा जलदी कदखाओ छोट भाई न किा शमलवात ि रको तो सिी विी बगल म

एक बड़ा- सा बॉकस भी रखा रा अचानक एक कमथचारी न बकस को खोल कदया उसम मरी जान एक कपड़ म

शलपटी हई पड़ी री उसकी नाक और मि म रई ठस दी गई री बड़ी बअदबी स मरी जान को एक बॉकस म

शलटा रखा रा यि बिद तकलीिदि और असिनीय रा यि दशय दख ऐसा लगा कक मर पर िरीर म एक सार

करोड़ो शबचछछ डक मार रि िो कदमाग सार छोड़ रिा रा कछ सझ निी रिा रा शनरािा और शवषाद म भरा

म छटपटा रिा रा

सब कछ समापत िो चका रा ऐसा परतीत िो रिा रा कक मर िरीर स मरी जान शनकल गई ि और म

मत िो चका ह कदन म जगी आस रात िोत-िोत परी तरि शनरािा म बदल चकी री

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म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

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डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 40: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 38

म कौन ह

डॉ शशश ॠशष

िद को िोज रहा ह

मरी पहचान कया ह

अशतितव का कारण कया ह

अिरातमा की पकार कया ह

न शहनद ह न मसलमान ह

पदा हआ एक इसान ह

गशलतयो का एहसास ह

इनका पशचािाप भी ह

अिरातमा स शनकली आवाज़ सनिा ह

अमल करन की कोशशश करिा ह

परयतन करिा ह एक नक इसान बन

वकत बवकत लोगो क काम आ सक

ससार म अनशगनि जीव-जि ि

भागय स मनषय जनम शमलिा ह

यि पवव जनम का पररणाम ह

इस जीवन क पिात कया ह

मानव-जीवन किर शमल न शमल

नक कमव कर ल नही िो पछताएग

यही मर मागव-दशवन की ककरण ह

सतकमथ ही मरा धमव ह मगल-पर ि

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बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 41: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 39

बधा

कदलीप कमार ससि

य बहत िी िरतअगज खबर री शजसन भी सना वो सना वो सनन रि गया शजसन सना वो उधर िी

दौड़ा गाशलबन कछ लोगो न बकफकी स कध भी उचकाय मगर कछ लोगो को ककसी अनिोनी का खटका भी

हआ लोग बदिवास स उस तरि दौडा शजधर स आवाज आ रिी री औरत बचच विा पिल स जमा र गाव क

बडा-बढा विा तज-तज कदमो स चलत हय पहच कए क जगत क पास दोनो भाई गतरम-गतरा र उन दोनो

लड़ाको क िरीर नच हय र और खन स लरपर र किर भी व गतरम-गतरा र और एक दसर पर ताबड़-तोड़

परिार ककय जा रि र बगल म पडा तीसर भाई वासदव की लाि पर मशकखया शभनशभना रिी री अरी का

सारा सामान भी विी रखा रा बमशशकल लोगो न लड़ रि दोनो भाईयो को अलग ककया दोनो लड़-लड़कर

पसत िो चक र पत की सास बहत तज-तज चल रिी री ऐसा लगता रा कक मानो वो अभी दम तोड़ दगा पत

की पीड़ा का य अतिीन शसलशसला साल भर पिल िी िर हआ रा जब साल-भर पिल भगशतन पशडताइन को

साप न डस शलया रा जो कक पत की मा री भगशतन उसी कदन भगवान को पयारी िो गयी री पशडत

बालककिन भगत अननय शिवभि र शिव उनक कल दवता और आराधय दवता भी र दोनो जन शिव की

सतशत खती ककसानी क अलावा व दरवाज पर सराशपत शिवसलग को भी खासा समय दत र गाव स मील भर

दर टयबबल आपरटर की नौकरी का भी वो अचछछ स शनबाि कर रि र भगत पशडत दोनो जन शिवसलग का

पजा पाठ करत साप गोजर गोि नवला सब शिवसलग क इदथ-शगदथ मड़रात रित र शिव उनक आराधय तो

शिव क बाराती सब जीव-जनत भगत को अपन िी लगत र किर भी भगशतन को डसा रा एक साप न य और

बात री कक उस अधमर साप को चील क पज स बचाया रा भगत न कई बरस पिल सालो स वो साप

शिवसलग क इदथ-शगदथ िी रिता रा अगर खौलत दध की िाड़ी न शगरती तो िायद साप भगशतन को डसता भी

निी खपड़ा पकका अटारी पर वो साप लटकता रिता रा ककसी का पर पड़ गया तो भी उस साप न उसको न

डसा एक कदन भगशतन दधिडी का खौलता हआ दध चलि स िटाकर ओसार म रखन जा रिी री अचानक

उनको जोर की ठोकर लगी कक भगशतन िाडी क सार भिरा कर शगरी उनका भी िार पर झलस गया मगर

िाडी सशित भगशतन को अपन उपर शगरत दख साप न इस अपन उपर िमला समझा पलक झपकत िी खौलत

दध स साप भी निा गया साप की तवचा जल गयी करोध म साप न िार पर पटक कर छटपटाती हई भगशतन

को शलपट-शलपट कर काटा नोच-नोचकर काटा भगशतन क पराण पखर उड़ गय भगशतन की मतय स भगत

पशडत बहत आित हय उनि इस बात का बहत मलाल रा कक उनक गरभाई सपथ न उनकी पतनी को डस शलया

भगत की मानयता री कक व भी शिवभि और साप भी शिवभि तो इस शिसाब स व और साप गरभाई हय

मतय को तो उनिोन शवशध का शवधान माना मगर सपथ क दि को गरभाई का शविासरात माना भगत

शिवसतरोत करत सपथ को कोसत उसक समकष धमथ और नीशत पर ऐस िासतरारथ करत मानो वो मनषय िो जला

कटा चमड़ी स उधड़ा हआ सपथ विी पड़ा रिता उसी चौखट पर सपथ को गाव क लोगो न काल किकर मारना

चािा मगर भगत न िासतरारथ करन क शलय जीशवत रखन को किा lsquolsquoअपन पाप मर अपकारीrsquorsquo की तजथ पर

उनिोन सपथ को मारन क बजाय मरन दना उशचत समझा व रायल अधमर सपथ स िमिा कछ न कछ कित

रित र सपथ भगत की तरि जञानी पशडत न रा जीव-जनत की अपनी दशनया िोती ि अपनी िी धन क पकक

भगत दवारा िासतरारथ का जवाब न पाय जान पर उनिोन आशजज िोकर सपथ को उठा शलया और उसक मि म िार

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

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रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 42: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 40

डालकर शवषधर स खद को कटवा शलया गाशलबन उनिोन खद को डसवाया निी रा बशलक अपन पराणो का

अनत करक उनिोन अपन गरभाई को दोिर पाप का दि कदया रा कक भगत-भगशतन की ितया गरभाई क मतर

भगत को इतना करोध रा कक उनिोन अपन तीनो बटो की भी शचनता न की जो कक उनक शबना किी-न-किी

आध-अधर र उनका बड़ा बटा मगल एक नमबर का चरसी गजड़ी और दारबाज जता-चपपल स लकर धान-

गह तक बच डालता ककसी तरि भगत की कमाथिी िो गयी उनक बगल क अशधयार कमल न िी सब कछ

ककया कमल वकालत क अशतम वषथ म रा कमल क बड़ भाई जलज की मतय कछ वषथ पिल सपथदि स िो गयी

री तब उसकी गोद म एक दधमिी बचची सोनी री और उसकी भाभी का जीवन बिद भयावाि िो चला रा

कमल उस बचची सोनी का पालन-पोषण करन लगा कमल न अपनी भाभी का दसरा शववाि नदी पार करा

कदया रा सोनी को लयकोडमाथ (सिदा) रा शजसस उसक मा क दसर पशत न उस सार ल जान स इकार कर

कदया रा कयोकक सिदा को वो कोढ़ और अपलकषय मानता रा य बात कमल क शलय तरप का इकका साशबत

हई अपनी भाभी का शववाि करत समय उसन बड़ी चालाकी स उस अबोध बचची का गोदनामा अपन नाम

शलखवा शलया रा इस मासटर सरोक स उसन न शसिथ अपनी भाभी को रासत स िटाया रा बशलक काननन सोनी

को अपनी बटी बनाकर उसक शिसस की जायदाद भी परापत कर ली री अब कमल की नजर उसक अशधकार

भगत की समपशतत पर री शवशध क लखी क आग ककसकी चली ि समय न ऐसी पलटी मारी की दध की एक

िाडी की किसलन स कछ कदनो क अतर पर भगत-भगशतन दोनो सवगथ शसधार गय भगत क रर म रि गय बस

तीन रड-मड

भगत क बडा पतर मगल की ककडनी नि क कारण लगभग खतम री चलत र तो दम िल जाता रा और

खासत तो लगता रा कक जान शनकल जायगी भगत क गजरत िी उन तीनो अधपागल भाईयो न अधमर सपथ

को पीट-पीटकर मार डाला रा पत उस दिनाना चािता रा कयोकक कभी उसक माता-शपता का अनराग उस

सपथ पर रिा रा भल िी वो सपथ उन दोनो की मतय का कारण रिा िो एक मिीन क िी भीतर दो-दो तरिवी

और कमाथिी दखी री उस रर न भगत की नौकरी क अभी दो साल बाकी र अगर उनिोन खद सपथदि न

करवाया िोता तो आज व जीशवत िोत और खद अपन इन शवशिषट बचचो को पाल-पोस रि िोत शिव क अननय

भि भगत इतन शिवपरमी र कक उनिोन अपन बचचो क नाम शिवकमार शिवपरसाद और शिव परकाि रख र

शिवकमार जो अललाम निड़ी रा उसन बमशशकल आठवी तक पढ़ाई की री गाव-जवार म उस मगल क नाम

स भी जाना जाता रा दसरा शिवपरसाद जो कक पत क नाम स जाना जाता रा वो बौना रा और िारीररक रप

स बिद कमजोर करीब साढा चार िट का कद चालीस ककलो क आसपास वजन छोट-छोट िार-पाव मगर पट

बहत बड़ा सा परा बचपन वो बहत सी असिाय बीमाररयो को ढोता रिा रा नतीजन न उसक िरीर का

शवकास हआ न उसकी बशदध का शवदयालय भसवारा खलकद िर जगि उसक कमजोर िरीर का मजाक उड़ाया

गया तो उसन किी आना-जाना भी छोड़ कदया बचपन स अकसर वो अपनी मा क िी आसपास रिा करता रा

उनिी का िार बटाता चौका-बतथन नादा-सानी म उसक बहत बरस ऐस िी बीत गय र उसन गाव स बािर

अकल िायद िी कभी कदम रखा िो िमिा मा बाप क सरकषण म िी पला बढ़ा लोग उस पत या बढा हय पट

क कारण पटबली भी किा करत र पत अजञानी रा मगर बवकि निी तीसर िजरात शिवपरकाि उिथ गोज जो

कक जनम स िी पणथ शवशकषपत रा िटटा-कटटा िरीर राली भर भोजन और नदी नौखान म रटो सनान यिी उसका

शपरय िगल रा कड़कड़ाती मार-पस म जता-चपपल कभी न पिनन वाला गाज भख का गलाम रा उस भख

सताती री तो वो पागल िो जाता रा य और बात री कक उस भख िमिा सताती िी रिती री उस भरपट

भोजन दो तो एवज म उसस कछ भी करवा लो और इसी भरपट भोजन पर नजर री कमल की भगत जब राम

को पयार हय तो किर परी तासीर बदल गयी कमल जानता रा कक भगत क तीन एकड़ खत स जयादा जररी

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

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शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

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55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 43: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 41

रा टयवबल आपरटर की मतक आशशरत नौकरी शजसका तनखवाि अब पचचीस िजार स जयादा री य नोटबदी क

बाद क दि क िालात म कािी कदलिरब रकम री तीन सालो की वकालत सात सालो म पास करन वाला

कमल अपन सग भाई की समपशतत तो िशरया िी चका रा अब उसकी नजर उसक चाचा भगत की समपशतत पर

री भाभी का शववाि और भतीजी सोनी क गोदनाम क बाद अब उसक िार म उसक चाचा का कस रा कमल

िायद नकषतर का बली रा भगत-भगशतन सवगथवासी िो चक र गाव कयासो और अदिो म उलझा हआ रा

अललाम निड़ी शिवकमार की नौकरी की अजी की तयारी की जा रिी री कमल और उसकी पतनी िी इन आध-

अधर भगतपतरो को खाना पानी द रि र गाव खतम िोत िी नदी का बनधा रा बनध क बाद कछार और किर

गिरी नदी गाव म रोड़ी- सी िी उपजाऊ जमीन री सो कोई जमीन स शमटटी शनकालन निी दता रा गाव का

इकलौता तालाब गाव स एक मील की दरी पर रा इसशलय लोग शमटटी शनकालन क शलय नदी क तट का िी

परयोग ककया करत र लककन नदी म आम तौर पर लोग निात-धोत निी र कयोकक नदी म चर िटा रा और

उस रोड़ी दर तक नदी अराि गिरी री शिवपरसाद को नि की लत बठन निी दती री एक रात चपक स

उठकर उसन अनाज की डिरी तोड़ दी और सारा अनाज बच डाला तीनो भाईयो म खब गाली-गलौज मार-

पीट हई शजस अत म कमल न िात कराया मतक आशशरत की नौकरी की िाइल इस दफतर स उस दफतर रम

रिी री मिज अब कछ कदनो की दर री नौकरी शमलन म गाव-गवार म चचाथ री कक य नौकरी अगर पत को

शमल जाती तो ठीक रा तीनो भाई कम स कम सजदा तो रित कयोकक एक निड़ी रा तो दसरा शवशकषपत तीसरा

पत कमजोर रा मगर बशदध बहत खराब निी री उसकी मगर गाव कया चािता रा और कमल कया चािता र

इस बात म बड़ा िकथ रा डिरी टटी री कमल न शिवकमार को मना शलया कक वो नदी स शमटटी शनकाल

लायगा ताकक नई डिरी बनायी जा सक शिवकमार तयार िो गया वो नदी स शमटटी लान गया उसन ककनार स

रोड़ी शमटटी शनकाली अब य नि की शपनक री या दवीय सयोग कक उसन चर िट वाल सरान पर शमटटी की

राि लन की सोची परकशत की चनौती सवीकार करक उसन परकशत स पजा लड़ाया कदरत अपन कमजोर बचचो

का लालन-पालन तो कर सकती ि मगर उनकी चोट निी सि सकती शिवकमार न चर िट सरान पर शमटटी की

टोि तो ल ली मगर उस रमत पानी स वो शनकल न सका लोगो क सामन िार पर पटकत हय वो उस

जलराशि म डब मरा शमटटी शनकालन गया रा शमटटी म शमल गया जल समाशध लकर लोग बाग उस डबता

छटपटाता दखत रि मगर चर िट सरान पर दवीय परकोप क डर स कोई उस बचान आग न आया रट भर बाद

िी िलकर शिवकमार की लाि नदी क तट पर आ गयी शिवकमार की लाि पर िी गाज और पत गतरम-गतरा

िोकर लड़ रि र बड भाई की लाि पड़ी री और दोनो छोट भाई इस बात पर मार-पीट कर रि र कक अब

बपपा की नौकरी कौन लगा खन-खचचर िो चक दोनो भाईयो को गाव क लोगो न बमशशकल अलग ककया कमल

न दोनो को िटकारा समझाया और रर क अदर शलवा ल गया समय आन पर य कमाथिी भी िो गयी मतक

आशशरत की िाइल दफतर स वापस ल ली गयी री कयोकक मतक आशशरत का दावदार भी अब मतक िो चका रा

गाव म दाव-पच अपन िबाब पर रा कोई भगत पतरो स खत शलखवान क किराक म रा तो कोई इस किराक म

रा कक दोनो भाईयो म स ककसी एक को अपनी तरि शमला शलया जाय कक आग अगर उसको नौकरी शमल गयी

तो उसस कछ कजाथ-धताथ शलया जा सक दोनो भाई भी अपन-अपन मसब पाल रि र भशवषय म नौकरी

शववाि और न जान कया-कया सपन र उन आध अधरो क छोटी-सी कद काठी वाल पत क सपन कािी मजबत

र भगत क बडा बट शिवकमार का शववाि हआ तो रा मगर उसकी बऔलाद बीवी सतान पान क नसखो की

दवाइया खात-खात मर गयी भगत न बहत परयास ककया मगर उनक अललाम निड़ी बट का दसरा शववाि न

िो सका पत की िादी को एक दो शबयाह आय भी र मगर भगत पिल शिवकमार का िी दसरा शववाि करना

चाित र कयोकक अवध क गावो म एक ररवाज ि कक अगर छोट भाई की िादी िो जाय तो किर बडा भाई का

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

15 59 2018 43

बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

The Galaxy Within A collection of English poems

Star Publishersrsquo Distributors

55 Warren Street

LONDON ndash W1T 5NW England

Page 44: vsu2avsu2a - Vasudha, Editor/Publisher: Dr. Sneh Thakore · श्री ती सुरा कु ाी चौिान के जन् कदन प नोज कु ा िुक्ल

15 59 2018 42

शववाि निी िोता भगत इसीशलय पत का शववाि टालत रि र कयोकक उनकी य पीढ़ी तो चौपट री उनकी

इचछछा री कक शिवकमार का एक बार किर स शववाि िो जाय उनका कल चल पाय तो किर ल-दकर पत का भी

शववाि ककसी तरि कर िी दग िालाकक पत का छोटा भाई पागल रा मगर पागल का भाई िोन क नात पत को

भी लोग बधा (पागल) कित र भगत इस सबस अनजान न र एक बाप अपनी दो साल की बची नौकरी म

अपन तीन आध-अधर बचचो को बसा दन का जी तोड़ परयास कर रिा रा मगर दध की िाड़ी सपथ पर कया

उलटी उस रर की दशनया िी उलट-पलट गयी शिवकमार की मतय क बाद पत अपनी नौकरी को सवाभाशवक

और अपन शववाि को अवशयमभावी मान कर चल रिा रा उस अपन चचर भाई कमल पर बहत शविास रा

उधर कमल गाव क मीन-मख नयाय-अनयाय की बातो स बहत सिककत रा शमनटो म एक गलती स उसक

समीकरण शबगड़ सकत र उसन एक यशि शनकाली गाव क िसतकषप स बचन क शलय वो दोनो भाईयो को

िला बिान (अशसर शवसजथन) क बिान िररदवार ल गया पत की समभाशवत नौकरी और शववाि की समभावनाए

सामन री उसन जान स पिल बरदखआ लोगो स साि कि कदया रा कक मतय क कारण एक साल तक रर

छशतिा (अिभ) ि इसशलय इस वषथ शववाि निी िो सकता पत भी इस बात पर राजी िो गया रा िररदवार स

जब एक माि बाद वो तीनो लौट तो गाव धान की कटाई म मिगल री गाव म पवारा िसल की वयसतता क

अनसार िी िोता ि कमल न एक कदन उन दोनो भाईयो को िाशजर करक बीमा और बकाया बक बलस शनकाल

शलया और उस पस को अपन खात म जमा कर शलया उसन भगत पतरो को समझाया कक इतना पसा रर ल

जान पर रासत म बदमाि िमला कर सकत ि और गाव म चोर डकत भी आ सकत ि भगत पतरो न अपन जान

की अमान मानी और कमल क परशत कतजञ भी िो गय गाव िात रा और बड़ी िाशत स पत को पागल रोशषत

िोन का शचककतसीय परमाण-पतर बनवा कदया गया और गोज को मतक आशशरत की नौकरी कदला दी गयी

शिवपरसाद और शिवपरकाि की पिचान स बचन क शलय शिव िकला क नाम स मानशसक बीमारी का परमाण-

पतर बनवा शलया कमल न परसाद और परकाि म मामला ऐसा उलझा कक दोनो िी भाई शिव बनकर रि गय

इसी क बलबत पर सचत भाई पागल रोशषत कर कदया गया और पागल भाई सचत और तराथ य ि कक दोनो िी

शिव िकला और दोनो की वशलदयत भगत

उपयथि रटना को कािी वि बीत चका ि पत पशडत अब गाव क अशधयार लममरदार िकल की गाय

चरात ि और विी खात-पीत रित ि कयोकक गाज का सामना िोत िी उन दोनो म मारपीट िर िो जाती ि

गोज कमल क िी रर रिता ि कभी-कभार नग पाव नदी पार करक डयटी पर चला जाता ि उसक

शिसस की नौकरी कमल ढो रिा ि सािबो को कछ द-कदलाकर गाव क ककसी चिलबाज वयशि न कचिरी म

दरखवासत द दी ि तमाम मिकमो स इस बात की जब-तब दरयाफत िोती रिती ि कक दोनो भाईयो म बधा

कौन ि

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

डॉ सनह ठाकर का रचना ससार

डॉ

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बीता कल

अककी िमाथ शवकास

सफ़र क सार वकत

भी बदल जाएगा

जो छट गया आज वो

कल निी आएगा

खो जायगा वो कल

िज़ारो ldquo कल rdquo म

जस ज़मीन स उड़ता धआ बादलो म शमल जायगा

रि जायगा त इतज़ार करता

वि न जान कब

शनकल जायगा

बच जायग विी पछताव क पल

पर वो बीता कल निी आयगा

रि जाएगी शसिथ याद जीन को

और िल भी जीन

का शमल िी जाएगा

बीत जान पर भी िज़ारो कल

वो बीता कल निी आएगा

शससक-शससक क रोना खशियो म

बदल िी जाएगा

पतरर कदल वाला इनसान

भी एक कदन शपरल जायगा

15 59 2018 44

जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

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जो चाि त सब कछ

तझ शमल जायगा

खशिया शमलगी

तझ िज़ार आन वाल कल म

पर वो बीता कल निी आयगा

इतजार करता रि जायगा

शिचककया लता सो जायगा

खतम िोन पर वो मनहस रात

किर शचशड़यो की आवाज़

क सार सवरा िो जायगा

जब सयथ पवथ स शनकल आयगा

रौिनी स अपनी

रोिन समा बनाएगा

िाम ढल सरज भी जब ढल जायगा

रि जायगा त आख मसलता

पर वो बीता कल निी आयगा

वकत क झोल म ए ldquoशवकास

त भी खो जायगा

कोई निी िोगा सार जब

त वकत क सार िद को खड़ा पायगा

तब जाकर त अपन और पराए का

मतलब समझ पायगा

याद करगा त वो कल

पर वो बीता कल निी आएगा

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