अंक : तेरहिां जन्म *त्सि (thirteenth) (स्थावित :...

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    श्री श्री बाबा 1008 गणिनाथ गोविन्द जी महाराज की जय

    अंक : तेरहिां (Thirteenth)

    मदे्धशिया ऑनलाइन इंटरनेिनल कोर कमेटी द्वारा प्रकाशित (स्थावित : 11-03-2013)

    जन्मोत्सि वििेषांक

    (कुल िषृ्ठ : 17) अगस्त – 2014 http://www.facebook.com/groups/maddheshiya/

    माननीय श्री रवबन्र मदे्धशिया जी का सन्देि

    वप्रय स्िजातीय साशथयं, आि सभी को मेरा नमस्कार।।

    मदे्धशिया ऑनलाइन इंटरनेिनल कोर कशमटी की “अभ्युदय – एक साथथक संिाद” (अगस्त – 2014) िविका का तेरहिा ंअकं “जन्मोत्सि वििेषांक” के रूि मं आिके सामने है।

    मनुष्य का स्िभाि अणस्थर होता है। हम जीिन मं कभी-कभी गलत िब्ददं का प्रयोग करके दसूरे के ह्रदय को घायल कर देते हं। णजसका िररिाम अतंतः दखुदायी होता है। इन िब्ददं का बुरा प्रभाि जानते हुए भी हमारे अदंर इतनी इच्छािवि नहीं होती कक हम उन िब्ददं को अिने भीतर ही रोक लं। जीिन मं दृढ़ इच्छािवि मानि के सुनहरे भविष्य का मागथ प्रिस्त करती है। इसी मागथ िर चल कर मनुष्य हर िह िस्तु प्राप्त कर लेता है, णजसकी िह कामना करता है।

    समाज के िढे़-शलखे युिकं से मेरी अिील है, कक समाज मं शिक्षा को, एकता, और आिसी सामंजस्य को बढ़ाने के शलए आगे आयं, और जो कुछ भी बन सकता है करने का प्रयास करं। हमारे समाज को आज कमथठ युिाओं की बहुत जरुरत है। अच्छे िढे़-शलखे व्यवि समाज को एक नई सोच, नयी कदिा दे सकता है। आिको यह भी जानकर ख़िुी होगी की बंगलोर मं हमारे समाज के श्री आकाि कुमार गुप्ता ने एक ऐशतहाशसक कदम बढ़ाते हुए िुरे दणक्षि भारत मं िहली बार, बाबा गणिनाथ जी की िूजा करने के शलए लोगं को बंगलोर मं एकवित करने का संकल्ि शलया है, और इस महीने की तेईस (23) तारीख को िूजा संिन्न होगी। शन:सन्देह आकाि जी का यह कदम समाज के शलए काफी सराहनीय है। मं समाज के अन्य युिाओं से शनिेदन करता हँू की िे समाज के कायथ-कलािं मं बढ़ चढ़ कर भाग लं।

    मदे्धशिया ऑनलाइन इंटरनेिनल कोर कमेटी के माध्यम से आि सभी समाज का मागथदिथन कर सकते हं। मुझे आिा है कक, आिको अगस्त अकं “जन्मोत्सि वििेषांक” के रूि िसंद आएगी। इस िविका िर आिके सुझाि आमंवित हं।

    रवबन्र मदे्धशिया (प्रधान संिादक) मोबाइल न. : 09999868842

    http://www.facebook.com/groups/maddheshiya/

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    समाज-संिाद अगस्त 2014

    संत बाबा गणिनाथजी का संणक्षप्त जीिन िररचय िरमिूज्य बाबा गणिनाथ जी इस भूलोक मं धमथ की रक्षा और आिस मं िैमनयता को दरू करने के शलए अितररत हुए हं। िैिाली णजला के महनार मं श्री मंिाराम जी गंगा नदी के ककनारे अिनी ित्नी के साथ रहते थे। दोनं िशत ित्नी के कोई संतान नहीं थी। मंिाराम जी साणत्िक विचार के थे। िे अिने अन्य सामाणजक कायं के साथ भगिान शििजी की उिासना बड़े ध्यान मगन होकर करते थे। भगिान शििजी उनके उिासना से प्रसन्न होकर उनके स्ििन मं आये और कहा की आिकी उिासना िूरी हुई। दसुरे कदन मंिाराम जी िन मं गए तो िह देखा की एक निजात शििु (बालक) जो के मधुर मुस्कान वबखेर रहा है उसके आभा मंडल से अकद्वतीय अलौककक कदव्या िवि का प्रकाि शनकल रहा है। िीिल के िकृ्ष से उस बालक के अलौककक कदव्य िवि के प्रभाि से मधु टिकना िुरू हो कदया। बालक ने उसका मधुिान ककया। बालक के तेज से सारे िन मं सभी जीि जन्तु खुिी से इधर-उधर विचरि करने लगे। श्री मंिाराम जी उस बालक को अिने घर ले आये। बालक कदव्य िवि के प्रभाि से सरे गांि के लोग आश्चयथचककत थे। उन्हंने ने बालक के रूि मं ही चमत्कार कदखाना िुरू कर कदया।

    मंिाराम जी स्िजातीय स्िजनं को भोज िर आमंवित करना चाहते थे िरन्तु उनकी शनधथनता इस कायथ मं बाधा आ रही थी। बालक ने अिने िालक विता कक इस मंिा को िूरा करने के शलए शनमंिि िि शलखे। बालक ने इस िि को अिनी िवि से सभी लोगो के िास िंहुचा कदया। भोज कक तयारी के शलए बतथन कक आिश्यकता होती है। मंिाराम जी कुम्हार के िास गए कुम्हार उनकी शनधथनता को जनता था और उसने बतथन देने से मना कर कदया। बालक ने यहाँ अिनी लीला कदखाई। जब कुम्हार ने बतथन को िकाने के शलए आिा जलाया तो िह जला नहीं। कुम्हार ने अिने ईश्वर को स्मरि ककया तभी कुम्हार को अिनी गलती का अहसास हुआ और िह बालक के चरिं मं लेट गया। बालक ने कहा तुम्हारा आिा लग गया। तभी कुम्हार ने शमटटी का िाि बनाकर कदया। मंिाराम जी ग्िाला के िास गए ग्िाला एक आँख का काना था उसने कहा की दधू नहीं है और यह बशछया है दधू नहीं दे सकती। बालक ने अिनी कफर लीला कदखाई बशछया दधू देने लगी और ग्िाला की आंख भी ठीक हो गयी। मंिाराम जी के घर िर थोड़े से चािल की खीर (तसमई) िकाई गयी। खीर की मािा को देखकर मंिाराम शचशंतत हुए, क्या इतनी खीर सभी लोगो को शमल सकेगी। िरन्तु यहाँ िर बालक की लीला ही थी, कक तसमई खतम नहीं हुई। बालक की लीला को देखकर सभी लोगो ने इस स्िर मं भगिान शिि का जय जयकार ककया और बालक का नाम गणिनाथ रखकर जय जयकार ककया।

    बाबा गणिनाथ तिस्या के शलए कहमालय गयं। अठारह िषथ तिस्या के बाद गणिनाथ जी िुनः िािस आये। गणिनाथ जी ने तिस्या और योग से आठ सीधी और नौ शनशध िर महारथ प्राप्त ककया। बाबा के िािस आने िर एक यज्ञ का आयोजन ककया गया। बाबा गणिनाथ जी ने समाज को चार उिदेि कदया। िह शनम्न प्रकार है :

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    समाज-संिाद अगस्त 2014

    (1) िेदं का अध्ययन करो (2) सच्च्चाई एिं धमथ का िालन करो. (3) काम, क्रोध, लोभ, अशभमान और आलस्य का त्याग करो. (4) समाज मं नारी का मान सम्मान और उनकी रक्षा करो. बाबा के उिदेि आस-िास के सभी लोग सुनने आने लगे। बाबा का आिीिाथद िाकर सभी लोगो का कष्ट दरू होने लगा। िैिाली का राजा धमथिाल बाबा का शिष्य हो चूका था। एक समय राजा के एक माि िुि को सांि ने काटा और िह मर गया, राजा ने बाबा का स्मरि ककया, बाबा ने राजा के िुि को जीवित कर दीघथ आयु होने का आिीिाथद भी कदया। राजा ने बाबा को आश्रम के शलए िलिैया की साडी भूशम बाबा के चरिं मं समविथत कर कदया। उस राज्य के सारे लोग प्रसन्न होकर बाबा गणिनाथ जी की जय जयकार का उदघोष ककया। बाबा गणिनाथ जी जी ने राजा चक्रधर की िुिी क्षेमा से वििाह ककया। बाबा गणिनाथ जी जी की तरह माता क्षेमा भी धमथ और धमथ की रक्षा करने िाली थी। बाबा के िररिार मं िांच संताने कमथि: रायचंर जी, श्रीधर जी, गोविन्द जी, सोनमती जी और िीलमती थे। बाबा की तरह िांचो भाई-बहन भी बाबा गणिनाथ जी की तरह िेद िस्त्र और िास्त्र मं प्रिीि थे। बाबा गणिनाथ जी का राज्य 14 कोस मं फैला था, राज्य के कदली िन मं डाकुओ ने अिना बसेरा बनाकर जो कोई कदली िन मं आता उसे मार कर लूट लेते थे। बाबा गणिनाथ जी ने समाज को डाकुओं से मुवि कदलाने के शलए अिने िुि श्री रायचंर एिं श्रीधर को भेजा, उन्हंने डाकुओं का समूल नाि ककया।

    बाबा गणिनाथ जी के राज्य से कामाख्या तक जाद-ूटोना करने िालो का उत्िात बहुत बढ़ बढ़ रहा था, जाद-ूटोना करने िालं से समाज को मुवि कदलाने के शलए बाबा गणिनाथ जी ने अिने िुि श्री गोविन्द जी को भेजा, श्री गोविन्द जी ने अिनी योग और तिोबल से अिने राज्य से कामाख्या तक इन मायािी िवियं का नाि ककया।

    िलिैया राज्य के बहार यिनं का भी अत्याचार बढ़ रहा था। यिनं के कारि समाज के लोग अिना धमथ कायथ नहीं कर िा रहे थे। इन यिनं से समाज से मुवि कदलाने के शलए बाबा गणिनाथ जी ने एक सेना तैयार की इस सेना मं 360 जगह के लोग िाशमल हुए (हमारे समाज का मूलडीह इन्ही 360 जगहं िर आधाररत हं)। इस सेना का संचालन श्री रायचंर और श्री श्रीधर को संिा। बाबा के सेना और यिनं मं भयंकर युद्ध हुआ, युद्ध के बीच मं ही श्री गोविन्द जी के आने से बाबा की सेना मं उत्साह और बढ़ गया और यिनं को हारना िड़ा। यिनं का सरदार लाल खां बाबा की योग िवि से प्रभावित हुआ और उनका शिष्य बनकर जीिन ियतं सेिा करता रहा। बाबा गणिनाथ जी एिं माता क्षेमा जी ने िलिैया धाम मं एक साथ समाधी ली जो की एक भव्य मंकदर के रूि मं िलिैया धाम, हाजीिुर णजला िैिाली मं स्थावित है।

    साभार : http://www.jaiganinathji.org/

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    समाज-संिाद अगस्त 2014

    बाबा गणिनाथजी की महाआरती जै जै श्री गणिनाथ गोसाईं । जै जै गोविन्द जी तीनं भाई ।। गले जनेऊ धरे गंगा ककनारे । जहाँ िलिैया धाम वबहारे ।।

    मानस राम गुिी अशत आतुर । िड़े तले गणिनाथ प्रगट को आतुर ।। देख गणि क्षमा हषाथयी । अन्य सहेशलयां मंगल गाई ।। शतन के िुि गोविन्द वबहारी । सदानंद गुिी ब्रह्मचारी ।।

    िीलमती अरु सोनमती मंगल गािे । रामचंर श्रीधर भाई कहािे ।। चक्रिािी िौधा अलग विराजे । साहब जगन्नाथ सबको भािे ।। दयार फेकन बाहु वििाला । गौ िालन का भर सम्भाला ।।

    मंगोल भूरे लाल खां हारे । िलिैया के चौकीदार बने बेचारे ।। कहे दो िद सुनहु हे भि जन भाई । गणि गोविन्द जन्म िर सिथि बधाई ।।

    जै जै श्री गणिनाथ गोसाईं । जै जै गोविन्द जी तीनं भाई ।। प्रस्तुशत : रवबन्र मदे्धशिया, नयी कदल्ली

    मोबाइल न. : 09999868842

    बाबा गिीनाथ जी जयंती िर मेला चलं ! बाबा गिीनाथ जी िल्िैया धाम िैिाली मं 1264 िा जयंती समारोह मं प्रशत िषथ की भाँती इस िषथ भी 22 ि 23 अगस्त को 2014 कदन िशनिार-रवििार को बाबा गिीनाथ जी की बारह-सौ-चौसठिा जयंती समारोह बडं ही धमू-धाम से िल्िैया (वबहार) मं मनाया जाएगा। णजसमे देि-विदेि के लाखँ भिजन भाग लेने आ रहे हं। बाबा गिीनाथजी मदे्धशिया (कांद)ु जाशत के आकदगुरु हं। अतः इस िषथ भी बाबा की जयंती समारोह मं भाग लेने के शलए िुरे देि के मदे्धशिया (कांद)ु बंधओुं एिम ् देि की जनता से आग्रह है कक इस िषथ विगत िषो से भी ज्यादा बढ़-चढ़ कर भाग लेने की कृिा करं। उि अिाय की जानकारी पे्रस िाताथ के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सी.िी. गपु्ता, अणखल भारतीय मध्यदेिीय िैश्य सभा ने दी है। श्रोत : जनता की राह, कुिीनगर

    वििेष सूचना आि अिनी रचनाएँ, विज्ञािन तथा राय देने के शलए संिादक मंडल को संिकथ कर सकते हं। स्िजातीय भाई बहनं से अनुरोध है की िे अिनी रचनाओं को साफ-साफ कहंदी मं शलख कर या टाइि कर के संिादक मडंल को ई-मेल से भेजे। संिादक मंडल का िूरा कडटेल अशंतम िषृ्ठ मं कदया गया है। छिी हुई रचनाओं की णजम्मेिारी उसके लेखक/प्रस्तुतकताथ की होगी। संिादक मंडल ‘अभ्युदय’ की शनष्िक्षता मान्य होगी। रचनाओं को कटुता का विषय नहीं बनने कदया जायेगा, अतएि सच्चाई िर आधाररत, शनविथिाकदत और कदिािरक शनष्िक्ष रचनाओं को भेजने का प्रयास करं। ककसी भी िंका की णस्तशथ मं प्रधान संिादक से संिकथ ककया जा सकता है। आिका सुझाि हमारे समाज की इस िविका की शलए बहुत ही कीमती है।

    शनिेदक : संिादक मंडल, ‘अभ्युदय’

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    समाज-संिाद अगस्त 2014

    §§ सुन्दरी िूजन का सामान §§ §§ ढबुआ – एक जोड़ा §§ बंत – 2.5 हाँथ का एक §§ अरिा चािल – सिा ककलो §§ धान – ढाई ककलो §§ छोटा सुिाड़ी – 250 ग्राम §§ शसंदरू लटिा – 100 ग्राम §§ िीला किडा (िायल) – सिा मीटर §§ लहठी कच्चा – दो दजथन §§ जौ – 625 ग्राम §§ शतल – 500 ग्राम §§ हल्दी – 250 ग्राम §§ उबटन का मसाला – एक िुकड़या §§ काले (उरद) का दाल – आधा ककलो §§ िांच मेिा (ककसशमस, लंग, इलायची, संफ, गरी, मखाना, छोहाडा) – इच्छानुसार §§ सुिती – तीन §§ मौनी – दो §§ कदया – दो §§ कमरधनी – छह §§ जनेऊ – दो §§ नकदया – दो (उबटन और लािा भूंजने के शलए) §§ िान – 50 से अशधक §§ शमटटी का कच्चा ढकना या प्याली – दो §§ िुद्ध घी §§ गुड §§ सरसं तेल §§ आटा §§ गाय का कच्चा दधू §§ केला §§ सेि §§ िीला फूल §§ उजला फूल §§ तुलसी दल §§ दबू §§ साड़ी, धोती, गमछा या चादर §§ गणिनाथ और सती माँ के शलए एक धोती, एक गमछा, एक साड़ी, लहठी, शसंदरू, वबंदी §§

    (मौसम के अनुसार दसूरे फल भी ले सकते हं।) §§ सुन्दरी की तैयारी §§

    िशनिार को िूजा घर को धो िंछ लं। िूजा कक सामग्री तैयार करने िाला बतथन भी साफ कर लं। बाल धोकर िूिथ रूि से नहा लं तथा िूजन सामग्री तैयार करने मं लग जाएँ। िहले अरिा चािल फाटक-चनुकर तथा धोकर िानी मं फूलने दे दं। कफर आग जलाकर कढाई चढा दं। वबना बालू के खाली कढाई मं धान भून कर लािा बना लं। फुलाए गए धान को भुने और चडुा कूटं। अरिा चािल जो फूलने कदया गया था उसे सूि मं शनकाल कर िानी शनकलने के शलए छोड़ दं। शतल को भुनकर रख लं। जब चािल का िानी शनकल जाए तो उसे कूटं। कुता हुआ चािल महीन हो जाए तो उसमे दधू, गुड, कटटुक, भुना हुआ शतल, घी और तुलसी दल शमला कर छोटा-मोटा लड्डू बना लं। इसी को िंकर लडुआ कहतं हं। अिने िररिार के अनुसार िुडी बनाए ँया णजनके यहाँ दोस्ती िुडी बनता है िे दोस्ती िुडी बना लं। लाल खान के शलए एक बड़े आकार का िुडी बनाएँ णजससे ढकना ढक जाय। कुटे हुए चडेु को फाटक चनुकर साफ़ कर लं। लािा को भी भुन लं। अब िान को धोकर उसका शचकना िरत ऊिर रखकर उसमे कटुक डालकर एक-एक िान का बीड़ा बनाकर उसमं लंग खंस दं, णजससे िान खलेु नहीं। एक-एक िान का 35-35 बीड़ा बना लं। अब दस िान को एक साथ शमलकर कट्टूक डालकर बीड़ा बनाये और दसूरा िांच िान को एक साथ लेकर दसूरा बीड़ा बना लं। दस िान के बीडे को दसौना और िांच िान के बीडे को िचौना कहते हं। सुिाड़ी को हल्दी से रंग लं। बंत और ढबआु को धोकर उसमे तेल और लट्िा शसन्दरू लगा दं। एक बतथन मं चडुा, लािा, कटल, कट्टूक, तुलसी दल, गुड़, िुड़ी तोड़ कर शमला लं। इस शमश्रि को चरुमुरा कहते हं। एक थाली मं सब फल को धोकर काट लं। अब प्रसाद को सजाने का काम िुरू करं। एक थाली या ित्ता िर जोड़ा िुड़ी या दो-दो िुड़ी एक साथ करके रखं। कफर उसिर एक-एक िंकर लड्डूआ रखं। कफर थोडा-थोडा चरुमुरा दं। अब एक-एक केला और सब कटा हुआ फल दं। अगर केला कम हो तो काट कर भी दे सकते हं।

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    समाज-संिाद अगस्त 2014

    कफर एक-एक िान का बीड़ा दं। इलायची, तुलसी और एक-एक सुिाड़ी दं।

    िूजा िुरू करने के िहले िूजा करने िाले िशत-ित्नी नहा धोकर नए िस्त्र िहनकर तैयार हो जाएँ। कोई शसला हुआ किडा नहीं िहने। स्त्री अिने साड़ी के खोइचा मं एक जोड़ा िुड़ी, चरुमुर, िंकर लड्डू, िान का बीड़ा, िैसा, हल्दी लं तथा हाँथ जोड़कर शसन्दरू और लहठी िहन लं। िुरुष धोती, चादर, कमरधनी िहन लं| दोनं िशत-ित्नी गाँठ जोड़कर ही िूजन करं। सुहाशगन औरतं और बच्चं को भी नहाकर वबना शसले किड़े िहनकर तैयार रहने को कहं। औरतं बाल धोकर वबना शसन्दरू लगाये हुए सुन्दरी मं भाग लं। दो दीिक घी-बत्ती डालकर तैयार रखं। दो लोटा या दो कटोरा िीतल या कांसे का, िो भी तैयार रखं।

    §§ िूजन विशध §§ सबसे िहले गंगा जल से िूजन स्थल याशन गोसांये की विण्डी को धो दं। दीिक जला दं। िूजा घर मं िूजा के स्थान िर एक कलि की स्थािना कर, कलि और कदिक की िूजा जल, फूल, अक्षत, चन्दन, नैिेध से करं। कलि और कदिक को साक्षी बनाकर िूजन आरम्भ करं। सिथप्रथम श्री गिेि जी की िूजा करं – जल, शसन्दरू, फल और जोड़ा िुड़ी सकहत सब प्रसाद चढायं।

    §§ गणिनाथ िूजन §§ सुन्दरी के सामान मं शलखाये गए िीला िायल के किड़े से आधा फाड़ कर रखं। िुरुष के हांथं से ढाई कोिा या ढाई मुट्ठी चािल उस किड़े िर कदलिायं। 10 िुड़ी, 10 सुिाड़ी, 10 िान का बना हुआ दसौना चरुमुरा, 10 िंकर लडुआ, जनेऊ, कमरधनी, िीला फूल, तुलसी दल, 10-10 लंग इलायची और 11 रुिये देकर िोटली बांध दं। इसी िोटली को आढेया कहते हं। आढेया को गोसाय के स्थान िर काँटी मं लटका दं। एक कोने मं गणिनाथ जी के बंत रख दं। णजनके यहाँ धोती-साड़ी चढ़ाने का ररिाज है, िे गणिनाथ िूजन मं धोती, गमछा और सती मैया को साड़ी, लहठी, शसंदरू, वबंदी चढायं। बहुतं के यहाँ शनयम नहीं है। ये साड़ी, धोती, गमछा इत्याकद सब सामान बाद मं घर के लोग ही ं व्यिहार करं। घर से बाहर दसुरो को न दं।

    §§ सती मैया की िूजन विशध §§ सती मैया को िूजने के िहले शसंघारी िाले स्थान िर तेल-शसन्दरू का गाढ़ा लेि बनाकर अच्छी तरह लेि कर दं, और एक बड़ा िान णजसका शचकना िरत शनचे देकर उसी िर साट दं। उसके बाद सती मैया का खोइचा भरं। सती मैया के खोइचा के शलये उसी िीले किड़े से एक चकोर किडा फाड़ लं। उसी किड़े िर घतृंढारी िाली स्त्री से िांच कोिा या िांच मुट्ठी चािल कदलिायं। साथ हीं उसमे शसन्दरू, कटकली, लहठी, दबु, िांच िान िाला िचौना, िांच सुिाड़ी, चरुमुरा, िांच िुड़ी, िांच िंकर लड़ुआ, लाल फूल, कटा हुआ फल, कटुक, लंग – इलायची इत्याकद सब चीजं और िांच रुिये का शसक्का दे कर बाँध दं। इसे सती माँ का खोइंचा कहते हं। इसे णजस जगह िर शसन्दरू का लेि लगा कर िान साटे हं, उसी के नीचे रख दं। उसके बाद सुिशत, मौनी समविथत करं।

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    समाज-संिाद अगस्त 2014

    §§ लाल खां का िजून विशध §§ ढबुआ मं िहले से ही तेल शसन्दरू लगा कदया है। अब उसमे एक जोड़ा िुड़ी सकहत देकर दोनं ढबुओ को किड़े से लिेटकर बांध दं, और एक कोने मं खड़ा कर दं। कच्चे ढकने मं चरुमुरा िान का बीड़ा, सुिाड़ी और सब फल सकहत देकर एक िुड़ी से ढककर िहीँ िूजा स्थान के िास रख दं।

    §§ कचोरा विलाना §§ सब िूजन हो जाने के बाद िशत के धोती का छोर एिं ित्नी के साड़ी का छोर का गाँठ खोल िशत-ित्नी अब बच्चं और कानू को तैयार करािं। बच्चं को नहलाकर नया गमछा या धोती और कमरधनी िहना दं। िुरुष के हांथं से णजन्हंने गणिनाथ का िूजन ककया उन्ही से दोनं बच्चं को कासे से या िीतल के कटोरे मं गाय का कच्चा दधू छानकर और थोडा गुड़ शमलाकर उन बच्चं को विलाये। विलाते समय, दोनं बच्चे और विलाने िाले को छोड़ कर और कोई नहीं हो। अगर जगह की कमी हो तो किड़े से घेरकर दधू विलािं ताकक कोई और देखे नहीं। विलाने के बाद कुछ फल णखला दं। कफर बच्चं को प्रिाम कर दणक्षिा दे दं। ये फंकू और िांच ूदोनं भाइयो का िूजन हुआ। इन बच्चं और उन िुरुष का काम ख़त्म हो गया। अब बच्चं को भोजन करािं और सुहाशगन णस्त्रयं का िूजन का काम िुरू करं।

    §§ कानू िूजन §§ सती मैया का िूजन करने िाली मकहला के द्वारा ही ये िूजा होती है। िाँचं सुहाशगन औरतं जो साड़ी िहने उसमे काला न हो, साड़ी मं शसलाई न हो और जला हुआ न हो। वििेष िररणस्थशत मं धोती िहन सकती हं। एक लोटे मं जल रखं, एक कटोरे मं सरसं का तेल और एक ढकने मं जरुरत के कहसाब से शसन्दरू लं। िाँचं को िणश्चम मुह कर के खड़ा होने को कहं। बाल खलुा रखं। िहले सबके िैर िर जल दं। एक तरफ से ही देते चले जाए, दोहराये नहीं। कफर तेल लगायं। तेल भी एक बार ही लगायं दबुारा हाँथ न लगायं। इसी तरह शसन्दरू भी कसकर चटुकी मं लं और नाक िर से ऊिर करते हुए मांग को भर दं। उसके बाद जोड़ा िुड़ी िाला सब प्रसाद सकहत उठाते हुए सब एक ही बार मं आँचल मं भारुथा कर के दे दं। उसके बाद सबं को िैर छूकर प्रिाम करं। िूजा स्थान से जल शगरते हुए कनु के िैर तक शगरािं। कफर प्रिाम करं। सिथप्रथम कलि मं जो जल भर कर के िूजा स्थान िर रखा गया था उसे उठाकर सभी िूजा के स्थान िर िांशत जल के रूि मं शछड़क दं। बचा जल तुलसी मं समविथत कर दं। िूजन समाप्त हो जाने के बाद अब अिना विशध-विधान जैसे लगन, बरी, उबटन लगाने भूंजना, उबटन विसना और भूखे िेट ही उबटन लगाने का काम ककया जाता है। िो सब करं। कनु और कचोरा विने िाले बच्चं को खाना णखलािं। खाने मं नमक का प्रयोग न करं। िुड़ी या दोस्ती, दही, खीर, बुंकदया जो भी संभि हो, गुड़ ही मीठा खाने का शनयम है। िूजा के अलािे जो प्रसाद अलग से है उसी से बाहरी व्यवि को बाँटं। गोसांये िर का चढ़ा हुआ प्रसाद घर के ही व्यवि या गोशतया िररिार ही खाएं। िाम को कफर साँझा देकर सुिती-मौनी उठा लं और सब कनु के यहाँ दे आिं। लाल खां का ढकना िाला प्रसाद भी उठा लं। घर के लड़के और िुरुष ही उस प्रसाद को खायं।

    लेणखका : उषा ककरि साहा, सुलतानगंज, वबहार

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    फोटो-समाचार अगस्त 2014

    िरेु दणक्षि भारत मं िहली बार बाबा गिीनाथ जी की िजूा बगंलोर मं जैसा की हम सभी जानते हं, कक अभी तक िुरे दणक्षि भारत मं कहीं भी अिना मदे्धशिया समुदाय कहीं भी संगकठत नही ंहै। इसी क्रम मं श्री संजीत गुप्ता एिम श्री आकाि गुप्ता के नेवित्ि मं बाबा गिीनाथ जी की जयतंी बंगलोर मं मनाने की िरुुिात करने और समाज को जोड़ने के उदे्दश्य से मदे्धशिया समाज की िहली मीकटंग का आयोजन 27 जुलाई 2014 को ककया गया, णजसमे 23 अगस्त को बाबा गिीनाथ की िूजा मनाने का शनिथय शलया गया। इतने कम समय के दौरान बंगलोर समाज के लोगं ने अिने-अिने स्तर से समाज के लोगं मं ज्यादा से ज्यादा जानकारी फैलाने का कायथ ककया और कदल्ली, उत्तर प्रदेि, वबहार और िणश्चम बंगाल के समाज के िभु-शचतंकं से सलाह शलया। कायथक्रम का आयोजन 23 अगस्त को शनम्न िते िर हो रहा है : Pawan Dham, Ragiguddada Temple,

    9th Block, Jay Nagar, Bangalore

    बंगलोर मं अिने समाज को जोड़ने के शलए संजीत गुप्ता, आकाि गुप्ता, रंजीत गुप्ता, सजंय गुप्ता, अतुल कुमार, श्रिि गुप्ता, संजीि गुप्ता, बलराम प्रसाद, प्रिातं कुमार, वबजय गुप्ता, कदलीि साह, कन्हैया प्रसाद, सुभाष गुप्ता, पे्रम गुप्ता, भोला प्रसाद और अन्य समाज के लोगं ने सक्रीय रूि से भाग शलया और अिना हर संभि मदद करने का प्रयत्न कर रहे हं।

    प्रस्तशुत : आकाि गुप्ता, बंगलोर

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    कविता संग्रह अगस्त 2014

    अजुथन अजुथन है जो धमथ के्षि मं, णजसका संकल्ि हो भीष्म सामान, ऑखंं णजसकी एकलव्य से, है अच्छाई का णजसको ज्ञान, करता जो प्रयत्न शनरंतर, जग मं बने है िही महान।

    समय धरुी िर जो चल िता, सच्चाई णजसकी िररभाषा, िब्ददं का जो रखे संज्ञान, िहर अदंाज है णजसके, जो रख िता सबका ध्यान, शमले हमेिा जग मं उसको, सबसे ऊँचा यि और सम्मान।।

    -- विकास कुमार, बंगलोर.

    बेटी की विदाई आज हुई कफर बेटी की विदाई, क्या कन्या हत्या िाि नहीं, इसमं है ककसकी भलाई, आज हुई कफर बेटी की विदाई.

    सुना है सबसे बड़ी दान, होती है कन्या दान, बेकटयाँ ही ऐसी होती है जो रखती सबका ध्यान, न जाने क्यं लोग है रहते, इन बातं से अनजान, आज हुई कफर बेटी की विदाई.

    बेकटओं के आने से क्यं घटती है उनकी िान, देख देख ककस्मत भी रोई, अब है नहीं सहाई आज हुई कफर बेटी की विदाई. बेकटयाँ िरदान है लेककन, कफर भी होती बोझ,

    कैसा समाज, कैसे लोग.... कैसी इनकी सोच, बदलो इस सोच को दशुनया िालं, बेटी है दगुाथ-काली, प्रकृशत की बहारं हं, हर फुल की इक इक डाली, इन्रधनुषी रंगं की तरह, बेकटयाँ है सब मं समाई, आज हुई कफर बेटी की विदाई. इस बेटी की विनती सुन लो, सुन लो जग के रखिालं, ना लो िाि हत्याओं का तुम, बेकटयं की जान बचा लो.

    -- आरती गुप्ता, न्यूयॉकथ (Facebook Link)

    बेटी जगत जननी बेटी है, जगत ताररिी बेटी है, सब रूि मं बेटी है, प्रकृशत भी बेटी है, गगन भी बेटी है, नयन भी बेटी है. धरा भी बेटी है, जल भी बेटी है, शनिा भी बेटी है, ज्योशत भी बेटी है, णजंदगी कक हर ककरदार बेटी है. माँ कक ममता भी बेटी है, बहन का धागा भी बेटी है, ित्नी का प्यार भी बेटी है. ररश्तं का भंडार बेटी है, ररश्तं का भण्डार बेटी है, ररश्तं को जन्म देने िाली, चलुबुली बहार बेटी है. मत तोडो इस डाली को, तेरे बशगओं मं रंग भरने िाली िो बहार बेटी है.

    -- अचथना गुप्ता, रांची (Facebook Link)

    https://www.facebook.com/arti.gupta.756https://www.facebook.com/profile.php?id=100001928551325

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    आिकी कलम से अगस्त 2014

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    क्या आिकी हैशसयत शसफथ इतनी ही है क्या आिकी हैशसयत शसफथ इतनी ही है, कक आि दिथक दीघाथ मं बेठकर जीतने िालं के शलए ताशलयाँ बजाएं। शसतारा बनते लोगो को िरदं िर देखं और उनकी खबरं िढं, लोगं से आटोग्राफ मांगते रहं और उनके सम्मान मं खड़े हो जाएं। चमकते-दमकते स्टोसथ मं दसूरं को खरीदते देखं और कदल की तसल्ली के शलए स्टोर के सामने खड़े होकर अिनी फोटो णखंचिा ले। खाने का आडथर देने से िहले अिनी जेब टटोलं, दसूरं को िानदार घरं मं रहते और करं मं घूमते देखं। इलाज ककसी भी झोलाछाि डॉक्टर से करिाएं। नाई, धोबी, सब्दजी विके्रता और ककराने िाले से जब-तब उधार मांगे। छोटे-छोटे खचो के शलए घर के सदस्यं से रोज-रोज णखट-विट करं। दोस्तं,ररश्तेदारं और मोहल्ले िालं के द्वारा जब-तब दतु्कारे जाएं। संघषथ भरा जीिन णजयं और जमाने भर के कष्ट सहं। बुढ़ािे मं माँ-बाि को बेसहारा छोड़ दं और जब आि बूढे़ हो तो आिके बच्चे आिको छोड दं। सस्ता रािन खरीदने के शलए झूठा रािनकाडथ बनिाएं। बढे हुए खचो को िूरा करने के शलए भ्रष्ट हो जाएं और घूस खाएं। जब कभी ककसी खुिी के मौके िर बाहर खाने जाएं तो मीनू काडथ मं आइटम से िहले कीमत देखं। कजथ की ककस्त और वबलं के भुगतान की शचंता मं घुलते रहं। सगे-संबंधी के घर ककसी फंक्िन की खबर शमलते ही खुिी के बजाए तनाि से शघर जाएं। हर िाम झंुझलाते हुए घर लौटं, अिने हालात के शलए कभी खुद को, तो कभी माँ-बाि को या कफर ईश्वर को कोसं। तरक्की करते लोगं को जलती-भुनती नजरं से देखं। अिनी भािनाओं को व्यि न कर िायं। मोटी चमड़ी का कहकर लोग आिका मजाक उड़ाये, मुफशलसी आिकी कहम्मत तोड़ दे। एक असफलता की शनरािा मं आि हमेिा के शलए डूब जाएं, तमाम उम्र संघषथ करं और अद॒भुत जीिन का आनंद शलए वबना एक कदन यंू ही मर जाएं?

    ईमानदारी से जिाब दे, क्या ऊिर शलखी बातं आिको बुरी लग रही है और लेखक िर गुस्सा भी आ रहा है? यकद हाँ तो अभी और इसी िि दो काम करं : िहला, ‘मेरे िास िैसा शसफथ नौकरी/छोटे-मोटे स्िरोजगार से होने िाली कमाई से आ सकता है’ ‘इस विचार को जड़ से उखाड़कर फंक दे और दसूरा, ‘मुस्कराएं,आइने मं देखं, खुद कक आँखं मं झांके और दृढ़ आिाज मं कहं, मं वबज़नेस कर सकता हँू. मन-िसंद णजंदगी जीने के शलए ियाथप्त रूिया कमा सकता हँू।

    याद रखं, स्ियं को चुनौती देकर आि सफलता की सीकढ़यं िर सरिट दोड़ सकते है। आिके भीतर तो आकाि को छूने कक ताकत भरी िड़ी हं।

    आिको कौन सा वबज़नेस करना चाकहए, और क्यू करना चाकहए, ये मं आिको अगली बार बताऊंगा अभी के शलये शसफथ इतना ही धन्यिाद।

    प्रस्तुशत : आलोक कुमार गुप्ता, िारािसी मोबाइल नो.: 9307563095

    Email : [email protected]

    https://www.facebook.com/alok.gupta.58173?fref=ts

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    आिकी कलम से अगस्त 2014

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    हमेिा ध्यान रखं !!! घर मं सुबह सुबह कुछ देर के शलए भजन अििय लगाएं।

    घर मं कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखं, उसे िैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊिर से गुजरे अन्यथा घर मं बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेिा छुिा कर रखं।

    वबस्तर िर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से बुरे सिने आते हं।

    घर मं जूते-चप्िल इधर-उधर वबखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाकहए इससे घर मं अिांशत उत्िन्न होती है।

    िूजा सुबह 6 से 8बजे के बीच भूशम िर आसन वबछा कर िूिथ या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाकहए। िूजा का आसन जुट अथिा कुि का हो तो उत्तम होता है|

    िहली रोटी गाय के शलए शनकालं। इससे देिता भी खुि होते हं और वितरं को भी िांशत शमलती है।

    िूजा घर मं सदैि जल का एक कलि भरकर रखं जो णजतना संभि हो ईिान कोि के कहस्से मं हो।

    आरती, दीि, िूजा अणग्न जैसे िवििता के प्रतीक साधनं को मुंह से फंूक मारकर नहीं बुझाएं।

    मंकदर मं धूि, अगरबत्ती ि हिन कंुड की सामग्री दणक्षि िूिथ मं रखं अथाथत आग्नेय कोि मं।

    घर के मुख्य द्वार िर दायीं तरफ स्िाणस्तक बनाएं।

    घर मं कभी भी जाले न लगने दं, िरना भाग्य और कमथ िर जाले लगने लगते हं और बाधा आती है।

    सप्ताह मं एकबार जरुर समुरी नमक अथिा संधा नमक से घर मं िोछा लगाएं| इससे नकारात्मक ऊजाथ हटती है।

    कोशिस करं की सुबह के प्रकाि की ककरने आिके िूजा घर मं जरुर िहुचे सबसे िहले।

    िूजा घर मं अगर कोई प्रशतवष्ठत मूती है तो उसकी िूजा हर रोज शनणश्चत रूि से हो ऐसी व्यिस्था करं।

    प्रस्तुशत : राजेि गुप्ता मदे्धशिया, िारािसी

    https://www.facebook.com/smsguru3120

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    आिकी कलम से अगस्त 2014

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    मोबाइल से जड़ुी रोचक बातं मोबाइल से जुडी कई ऐसी बातं णजनके बारे मं हमं जानकारी नहीं होती लेककन मुसीबत के िि यह मददगार सावबत होती है।

    इमरजंसी नंबर --- दशुनया भर मं मोबाइल का इमरजंसी नंबर 112 है। अगर आि मोबाइल की किरेज एररया से बाहर हं, तो 112 नंबर द्वारा आि उस के्षि के नेटिकथ को सचथ कर लं। ख़ास बात यह है कक यह नंबर तब भी काम करता है जब आिका की िैड लौक हो।

    जान अभी बाकी है --- मोबाइल जब बैटरी लो कदखाए और उस दौरान जरूरी कॉल करनी हो, ऐसे मं आि *3370# डायल करं। आिका मोबाइल कफर से चालू हो जायेगा और आिका सेलफोन बैटरी मं 50 प्रशतित का इजाफा कदखायेगा। मोबाइल का यह ररजिथ दोबारा चाजथ हो जायेगा जब आि अगली बार मोबाइल को हमेिा की तरह चाजथ करंगे।

    मोबाइल चोरी होने िर --- मोबाइल फोन चोरी होने की णस्थशत मं सबसे िहले जरूरत होती है, फोन को शनणष्क्रय करने की ताकक चोर उसका दरुुियोग न कर सके। अिने फोन के सीररयल नंबर को चेक करने के शलए *#06# दबाएँ। इसे दबाते ही आिकी स्क्रीन िर 15 कडणजट का कोड नंबर आयेगा। इसे नोट कर लं और ककसी सुरणक्षत स्थान िर रखं। जब आिका फोन खो जाए उस दौरान अिने सविथस प्रोिाइडर को ये कोड दंगे तो िह आिके हैण्ड सेट को ब्दलोक कर देगा।

    कार की चाभी खोने िर --- अगर आिकी कार की ररमोट की लेस इंट्री है। और गलती से आिकी चाभी कार मं बंद रह गयी है। और दसूरी चाभी घर िर है। तो आिका मोबाइल काम आ सकता है। घर मं ककसी व्यवि के मोबाइल फोन िर कॉल करं। घर मं बैठे व्यवि से कहं कक िह अिने मोबाइल को होल्ड रखकर कार की चाभी के िास ले जाएँ और चाभी के अनलॉक बटन को दबाये। साथ ही आि अिने मोबाइल फोन को कार के दरिाजे के िास रखं....। दरिाजा खलु जायेगा।

    एंड्राइड मोबाइल यूजर के काम के कोड : Phone Information, Usage and Battery – *#*#4636#*#*

    IMEI Number – *#06#

    Enter Service Menu On Newer Phones – *#0*#

    Detailed Camera Information –*#*#34971539#*#*

    Backup All Media Files –*#*#273282*255*663282*#*#*

    Wireless LAN Test –*#*#232339#*#*

    Enable Test Mode for Service –*#*#197328640#*#*

    https://www.facebook.com/smsguru3120

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    आिकी कलम से अगस्त 2014

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    Back-light Test – *#*#0842#*#*

    Test the Touchscreen –*#*#2664#*#*

    Vibration Test –*#*#0842#*#*

    FTA Software Version –*#*#1111#*#*

    Complete Software and Hardware Info –*#12580*369#

    Diagnostic Configuration –*#9090#

    USB Logging Control –*#872564#

    System Dump Mode –*#9900#

    HSDPA/HSUPA Control Menu –*#301279#

    View Phone Lock Status –*#7465625#

    Reset the Data Partition to Factory State – *#*#7780#*#*

    बड़े काम के कोड है इसशलए दसुरो को भी बताये !

    प्रस्तुशत : राजेि गुप्ता मदे्धशिया, िारािसी

    पे्रस विज्ञशप्त

    https://www.facebook.com/smsguru3120

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    आमंिि अगस्त 2014

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    आमंिि अगस्त 2014

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    आमंिि अगस्त 2014

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    सहयोशगयं की सूची अगस्त 2014

    मदे्धशिया ऑनलाइन इंटरनेिनल कोर कशमटी तथा ‘अभ्युदय’ िररिार की तरफ से िरमिूज्य बाबा श्रीगणिनाथ जी के जन्मोत्सि की िुभकामनाएँ।।

    संिादक मंडल श्री रवबन्र मदे्धशिया (प्रधान-संिादक), नजफ़गढ़, नयी कदल्ली. मोबाइल सं. : 09999868842, ई-मेल : [email protected] श्री राजेि गुप्ता ‘मदे्धशिया’, (उि-संिादक), िारािसी, उत्तर प्रदेि. मोबाइल सं. : 09235655705, ई-मेल : [email protected] श्री विजय कुमार गुप्ता (उि-संिादक), हािड़ा, िणश्चम बंगाल. मोबाइल सं. : 09339798610, ई-मेल : [email protected] श्री रंजीत गुप्ता ‘मदे्धशिया’ (उि-संिादक), िारािसी, उत्तर प्रदेि. मोबाइल सं. : 09415694309, ई-मेल : [email protected] श्री आकाि गुप्ता ‘मदे्धशिया’, (उि-संिादक), बंगलोर, कनाथटक. मोबाइल सं. : 08095336285, ई-मेल : [email protected]

    प्रधान कायाथलय श्री राजेि कुमार मदे्धशिया, (मदे्धशिया ऑनलाइन इंटरनेिनल कोर कमेटी), A5/71-1, ऑकफस सं.7, श्री भगिान दास अशतशथ भिन, मुणक्कमगंज, मच्छोदारी, िारािसी, उत्तर प्रदेि - 221001.

    मुख्य संरक्षक श्री रवबन्र मदे्धशिया, H-57, धरमिुरा, नजफ़गढ़, नयी कदल्ली.