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NISHTHA National Initiative for School Heads’ and Teachers’ Holistic Advancement शिण पैके ज शिष ल म ख और शि ी सम उशि े शलए राय पहल

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  • NISHTHANational Initiative for School Heads’ and Teachers’ Holistic Advancement

    प्रशिक्षण पैकेज

    शिष्ठास्कू ल प्रमखुों और शिक्ष्ों ्ी

    समग्र उन्नशि ्े शलए राष्ट्रीय पहल

  • प्रशिक्षण पैकेज

    NISHTHANational Initiative for School Heads’ and Teachers’ Holistic Advancement

    स्कू ल प्रमखुों और शिक्ष्ों ्ी समग्र उन्नशि ्े शलए राष्ट्रीय पहल

    शिष्ठा

  • सरठावाशधकठार सरुशक्षत प्र्ाि् ्ी पकूर्व अनशुमि ्े शबना इस प्र्ािन ्े श्स्री भाग ्ो छापना िथा

    इलैक्ट्रॉशन्ी, मि्रीन्री, फोटोप्रशिशलशप, शर््रॉशर्डंग अथरा श्स्री अन्य शरशि से पुन: प्रयोग पद्धशि द्ारा उस्ा संग्रहण अथरा प्रचारण रश््वि ह।ै

    इस पसुि् ्ी शबक्ी इस िि्व ्े साथ ्ी गई ह ैश् प्र्ािन ्ी पकूर्व अनशुमि ्े शबना यह पसुि् अपेन मकूल आररण अथरा श्ल्द ्े अलारा श्स्री अन्य प्र्ार से वयापार द्ारा उिार्री पर, पुनशर्वक्य या श्राए पर न द्री ् ाएग्री, न बेच्री ्ाएग्री।

    इस प्र्ािन ्ा सह्री मकूल्य इस पषृ्ठ पर मशुरिि ह।ै रबड़ ्ी महुर अथरा शचप्ाई गई पचची (शसट्र) या श्स्री अन्य शरशि द्ारा अशं्ि ्ोई भ्री संिोशिि मकूल्य गलि ह ैिथा मान्य नहीं होगा।

    प्रकठािि सहयोग

    अधयक्ष, प्र्ािन प्रभाग : एम.सिराजअनवर

    मखु्य संपाद् : शववेताउप्पल

    मखु्य उतपादन अशि्ार्री : अरुणसचतकारा

    मखु्य वयापार प्रबंधा् : सििाषकुमारदाि

    आररण

    डी.टी.पीिवेल,प्रकाशनप्रभाग

    80 ््री.एस.एम. पेपर पर मशुरिि।

    प्र्ािन प्रभाग में सशचर, राष्ट्रीय िैशक्ष् अनसुंिान और प्रशिक्षण पररषद,् श््री अरशरंद माग्व, नय्री शदल्ल्री 110 016 द्ारा प्र्ाशिि।

    © राष्ट्रीय शैिक्षक अनुसधंान और प्रिशक्षण पररषद्, 2019

    प्रथम ससं्करण

    सितंिर2019भादपद्र1941

  • प्रशिक्षण पैकेज

    पाठ्यचयाया, विद्ार्थी-कें वरित विक्षण िास्त्र, सीखने के प्रवतफल और समािेिी विक्षा

    मॉड्यलू 1

  • मॉड्यलू 1

    प्रस्तठारिठाशिक्षा ्ा अशि्ार अशिशनयम (आर.ट्री.ई.), 2009 और रषषों ्ी हमार्री शिक्षा न्रीशियों ्े पररणामसररूप, हमार्री ्क्षाओ ं्ी संरचना में नाट्ीय रूप से बदलार आया ह।ै शिक्ष् और शिक्ष्-प्रशिक्ष् ्े रूप में, आपेन शरद्ाशथ्वयों ्ी इस शरशरििा ्ा अरलो्न श्या होगा, श्ससे आप्ो यह अनभुर भ्री हुआ होगा श् आप सभ्री बचचों ्ो ए् ह्री िर्री्े से नहीं पढा स्िे हैं और ऐसा ्रना भ्री नहीं चाशहए। शिक्षण-अशिगम ्े ्ुछ ऐसे अभयासों ्ो अपनाेन ्ी आरशय्िा ह,ै ्ो सभ्री शरद्ाशथ्वयों ्ो चुनौि्रीपकूण्व अरसर प्रदान ्रिे हैं और उन्हें सफलिा ्ा अनभुर ्राए।ँ इस िरह ्े अभयास अब पहले से ्हीं अशि् मज़बकूि्री से हमारे सामेन हैं।

    यसदकुछिचचवेहमारवेिीखानवेकवे तरीकवे िवेनहींिीखिकतवेहैंतोशायदहमेंउनहेंउनकवे िीखनवेकवे तरीकवे िवेसिखानाचासहए...

    —इगनासियोएस्ट्ाडा1

    इस म्रॉर््यकूल ्ा उद्शेय ह,ै ्क्षाओ ंमें उपलबि शरशरििा पर पुनः दृश ष्ट र्ालेन और शिक्षण-अशिगम ्ो समारेि्री बनाेन ्े शलए उशचि शिक्षण िासत्रीय गशिशरशियों ्े चयन में, आप्े ्सेै शिक्ष्ों एर ंशिक्ष्-प्रशिक्ष्ों ्ी मदद ्रना। शदए गए सझुारों ्ो अनसुिंान और अनभुरों से इ्ट्ा श्या गया ह ैऔर यह आप्ो ए् ह्री ्क्षा में शरशभन्न अशिगम आरशय्िाओ ं्ी पकूशि्व हिे ुअशि्ाशि् समारेि्री रािाररण शनमा्वण में सहायिा ्रेगा।

    यह सामग्र्री राष्ट्रीय शिक्षा न्रीशियों, पा्ठयचया्व, पा्ठयक्म, पा्ठयपसुि्ों, राष्ट्ीयपाठ्यचयायाकीरूपरवेखा (शरिषे रूप से एन.िी.एफ.2005) और हाल ह्री में शर्शसििीखनवेकवे प्रसतफल (पा्ठयचया्व संबंि्री अपेक्षाओ ंऔर शिक्षण-अशिगम ्ी प्रशक्याओ ं्े साथ संबंि सथाशपि ्रना) ्ा ्र्रीब से अरलो्न ्रेन ्ा अरसर भ्री प्रदान ्रि्री ह।ै

    महत्रपूणवा िोट— प्रशिक्षण ्े दौरान, शिक्ष्-प्रशिक्ष्ों और प्रमखु संसािन वयशक्ियों से यह अपेशक्षि ह ै श् रे प्रशिक्षण ्े दौरान, ्ोड़ों में ्ाय्व ्रराए,ं समकूह चचा्व, शरचार मथंन, परसपर बािच्रीि िथा मनन ्े अन्य समशुचि िर्री्ों से प्रशिभाशगयों ्ो सशक्य रूप से िाशमल ्रें। पाठ में ब्रीच-ब्रीच में शदए गए ‘चचा्व ्े शबंदओु’ं ्ा उपयोग श्या ्ा स्िा ह।ै

    अशधगम के उदे्शय

    इस म्रॉर््यकूल से शिक्ष्ों ्ो मदद शमलेग्री—• िशैक्ष् न्रीशियों, राष्ट्रीय पा्ठयचया्व ्ी रूपरेखा ्े शर्ास, अपेशक्षि, हसिांिररि और

    आ्शलि पा्ठयचया्व ्े अिं: संबंिों और प्र्ाय्व ्े रण्वन में

    पाठ्यचयाया, विद्ार्थी-कें वरित विक्षण िास्त्र, सीखने के प्रवतफल और समािेिी विक्षा

    भारि शरशरि संस्ृशियों राला समा् ह ै ्ो अेन् प्रादशेि् र सथान्रीय संस्ृशियों से शमल्र बना ह।ै लोगों ्े िाशम्व् शरशरास, ््रीरन िलै्री र सामाश्् संबंिों ्ी समझ ए्-दकूसरे से बहुि अलग ह।ै सभ्री समुदायों ्ो सह-अशसितर र समान रूप से समदृ्ध होेन ्ा अशि्ार ह ैऔर शिक्षा वयरसथा ्ो भ्री हमारे समा् में शनशहि इस सांस्ृशि् शरशरििा ्े अनरुूप होना चाशहए।

    —राष्ट्ीयपाठ्यचयायाकीरूपरवेखा(एन.िी.एफ.2005)

    1 इगेनशसयो एसटार्ा, ग्रॉर््वन एरं् बेट््री मकूर फाउंरे्िन में अनुदान प्रिासन शनदिे्; httpp: //www.aids.org.

  • 4 शनष्ठा — प्रशिक्षण पै्े्

    मॉड्यलू 1

    • राष्ट्ीयपाठ्यचयायाकीरूपरवेखा2005 ्े दृशष्ट्ोण और पा्ठयक्म िथा पा्ठयपसुि्ों ्े रूपांिरण में

    • शरशरििा ्ी ए् समदृ्ध समझ शर्शसि ्रेन और समारेि्री शिक्षा ्ो बढारा देेन ्े शलए दृशष्ट्ोण प्राप्ि ्रने में

    • उपयकु्ि िकै्षशण् शरशियों ्े उपयोग से सभ्री बचचों ्े स्रीखेन ्े प्रशिफलों ्ो बेहिर बनाेन ्े शलए मौ्कूदा ्ौिल ्ो मज़बकूि ्रेन में

    • ्ेंर्र संरेदनि्रील ्क्षा ्े रािाररण ्ो बढारा देेन राल्री अशिगम गशिशरशियों ्े उपयोग और इसे अपनाेन में

    शरषय-रस्तु के बठारे मेंिब्ठारशियों, िीशतयों और रूपरेखठाओ ंको समझिठाउपयु्वक्ि उद्शेयों ्ो प्राप्ि ्रेन ्े शलए आइए, राष्ट्रीय शिक्षा न्रीशियों और राष्ट्रीय पा्ठयचया्व ्ी रूपरेखाओ ं ्ो धयान से दखेेन से िरुुआि ्रिे हैं और पा्ठयचया्व, पा्ठयक्म, पा्ठयपसुि्ों और स्रीखेन ्े प्रशिफल ्े बारे में अपन्री समझ बढािे हैं।

    राष्ट्रीय िशक्षा न्रीििअपेन रहृद ्िकै्षशण् पररदृशय ्े शरशभन्न पहलओु ं्ो धयान में रखिे हुए भारि ेन हाल ह्री में राष्ट्रीय शिक्षा न्रीशि (एन.ई.प्री.) 2019 ्े प्रारूप ्ो सर्वसािारण ि् पहुचँाया ह।ै इस पर दिेभर में चचा्वए ँऔर संसिशुियां हो रह्री हैं (www.mygov.in)। शरशभन्न शहििार्ों में से शिक्ष्ों ्ी राय बहुि महतर रखि्री ह।ै इससे पहले 1968 और 1986 में शिक्षा पर दो राष्ट्रीय न्रीशियाँ ्ो लाई गई थ्री। रष्व 1986 ्ी राष्ट्रीय शिक्षा न्रीशि में शिक्षा ्ी ए् राष्ट्रीय वयरसथा पर ज़ोर शद या गया था, श्स्े अिंगि्व ्ाशि, म्हब, सथान या ्ेंर्र ्ी परराह श्ए शबना सभ्री शरद्ाशथ्वयों ्ी ए् शनशशचि सिर ि्, िलुन्रीय गणुरत्ा ्ी शिक्षा ि् पहुचँ सशुनशशचि ्रेन ्ी बाि ्ह्री गई। न्रीशि में राष्ट्रीय िशैक्ष् अनसुंिान और प्रशिक्षण पररषद (रा.ि.ैअ.प्र.प.) ्े शलए संबंशिि संसथानों ्े साथ शमल्र राष्ट्रीय पा्ठयचया्व ्ी रूपरेखा शर्शसि ्रना अशनराय्व श्या गया था। न्रीशि ्े दसिारेज़ों ्ो पढेन ्े शलए शलं् http: //www.ncert nic.in/newpolicy.html दखेें।

    राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाल्री, राष्ट्रीय पा्ठयचया्व ्ी रूपरेखा पर आिाररि होग्री, श्समें ए् अशनराय्व मकूल घट् ्े साथ-साथ ्ई अन्य लच्रीले घट् भ्री होंगे। अशनराय्व मकूल घट् में भारि ्े सरिंतिा आंदोलन ्ा इशिहास, संरैिाशन् दाशयतरों और राष्ट्रीय पहचान ्ो पोशषि ्रेन ्े शलए आरशय् अन्य सामग्र्री िाशमल होग्री। मकूल घट् से संबंशिि ्ान्ार्री पा्ठयचया्व ्े सभ्री शरषय क्षेतों में होग्री और इसे भारि ्ी सामान्य सांस्ृशि् शररासि, समिाराद, लो्िंत और िम्वशनरपेक्षिा, ्ेंर्र ्ी समानिा, पया्वररण ्ी सरुक्षा, सामाश्् बािाओ ं्ो दकूर ्रेन, छोटे परररार ्े आदि्व ्े पालन िथा रैज्ाशन् सोच ्ैसे मकूल्यों ्ो

    राष्ट्रीय शिक्षा न्रीशि

    राष्ट्रीय पा्ठयचया्व ्ी रूपरेखा

    पा्ठयचया्व

    पा्ठयक्म

    पा्ठयपसुि्ें

    शिक्ष् सहाय् सामग्र्री

    स्रीखेन ्े प्रशिफल

  • 5पा्ठयचया्व, शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण िासत, स्रीखने ्े प्रशिफल और समारेि्री शिक्षा

    मॉड्यलू 1

    बढारा देेन ्े शलए शर्ज़ाइन श्या ्ाएगा। सभ्री िशैक्ष् ्ाय्वक्मों ्ो िम्वशनरपेक्ष मकूल्यों (राष्ट्रीय शिक्षा न्रीशि, 1986) ्े अनरुूप चलाया ्ाएगा।

    चचठावा के शबं्ुसमय ्े साथ न्रीशियाँ बदलि्री हैं और ्ैसे हम एन.ई.पी.1986से एन.ई.प्री. 2019 ्े प्रारूप ्ी ओर बढिे हैं यह परररि्वन सपष्ट हो ्ािा ह।ै उदाहरण ्े शलए, एन.ई.प्री. 1986 में प्रसिाशरि स्कू ल्री संरचना 10+2+3 थ्री ्बश् एन.ई.प्री. प्रारूप 2019 में सझुाई गई संरचना 5+3+3+4 ह।ै अपेन साथ्री ्े साथ चचा्व ्रें श् नय्री स्कू ल्री शिक्षा संरचना ्े बारे में, आप्ी समझ ्ैस्री ह?ै इस्े अलारा, दोनों न्रीशि दसिारेज़ों में अिंर ्े दो अन्य शबंदओु ं्ो साझा ्रें।

    राष्ट्रीय पाठ्यचयाया की रूपरेखा — ऐििहािसक अवलोकनएन.िी.एफ. 2005 ए् ऐशिहाशस् दसिारे् ह।ै ्क्षा-्क्ष ्े संबंि में इस्े शनशहिाथषों ्ो अशि् गहराई से समझेन से पहले शरशभन्न न्रीशियों और रूपरेखाओ ं्े ऐशिहाशस् अरलो्न ्ी आरशय्िा ह।ै पा्ठयचया्व संबंशिि सामग्र्री शर्ास ्ी संसिशुि ्े साथ, रा.ि.ैअ.प्र.प. ्ी सथापना 1961 में हुई थ्री और 1975 में पहल्री पा्ठयचया्व रूपरेखा शर्शसि ्ी गई थ्री। एन.पी.ई.1986्े अनरुि्वन ्े रूप में रा.ि.ैअ.प्र.प. ेन रष्व 1988 में प्रारंसभकऔर माधयसमक सशक्ा हवेतु राष्ट्ीयपाठ्यचयाया—रूपरवेखा नाम् ए् और पा्ठयचया्व ्ी रूपरेखा िैयार ्ी।

    इसमें एन.पी.ई.1986 द्ारा सझुाए गए सर्वमान्य मकूल शसद्धांिों पर प्र्ाि र्ाला गया। रष्व 2000 में, स्ककू लीसशक्ाकवे सलएराष्ट्ीयपाठ्यचयायारूपरवेखा2000 िैयार ्ी गई। इस पा्ठयचया्व ्ा मखु्य ज़ोर अशिगम पर था, ् ो ऐस्री शिक्षा ्ी ओर ले ् ािा हो ् ो असमानिा से लड़ेन में मदद ्रि्री ह ैऔर शरद्ाशथ्वयों ्ी सामाश््, सांस्ृशि्, भारनातम् िथा आशथ्व् आरशय्िाओ ं्ो संबोशिि ्रि्री ह।ै

    एि.सी.एफ. 2005 कठा सकें्षपणरष्व 2005 में, रा.ि.ैअ.प्र.प. ेन स्कू ल्री शिक्षा ्े शरशभन्न पहलओु ंपर 21 आिार-पतों ्े साथ राष्ट्ीयपाठ्यचयायाकीरूपरवेखा2005 िैयार ्ी। शन:िलु्् और अशनराय्व शिक्षा ्े

    एि.सी.एफ. 2005 के मठागवा्िवाक शसदठंात

    ज्ान ्ो शरद्ालय ्े बाहर, ््रीरन ्े साथ ्ोड़ना

    सशुनशशच ि ्रना श् अशिगम रटेन ्ी शरशियों से परे है

    पा्ठयचया्व ्ो समदृ्ध बनाना िाश् यह पा्ठयपसुि्ों पर ्ें शरिि न रह्र बचचों ्ा सराडंशगण शर्ास ्र स्े

    पर्रीक्षाओ ं्ो अशि् लच्रीला और ्क्षा्क्ष ्े ््रीरन ्े साथ समशे्ि ्रना

    दिे ्ी लो्िांशत् न्रीशि ्े अंदर सरो्ारों ्ा धयान रखिे हुए शनणा्वय् पहचान ्ो पोषण देना

  • 6 शनष्ठा — प्रशिक्षण पै्े्

    मॉड्यलू 1

    बाल अशि्ार अशिशनयम 2009 में सपष्ट रूप सेराष्ट्ीयपाठ्यचयायाकीरूपरवेखा2005 ्े ्ाया्वन्रयन ्ा उल्लेख ्रिे हुए शरद्ाथची-्ें शरिि ऐसे पया्वररण शनमा्वण पर धयान ्ें शरिि ्रेन ्ी बाि ्ह्री गय्री ह,ै श्समें शरद्ाथची श्स्री िनार ्े शबना स्रीखिे हैं। अशि् ्ान्ार्री ्े शलए, रेब शलं् https://mhrd.gov.in/rte दखेें।

    सामाश्् और आशथ्व् परररि्वनों ्े मद्ेन्र,राष्ट्ीयपाठ्यचयायाकीरूपरवेखा2005(एन.िी.एफ.2005) में स्कू ल्री शिक्षा ्े शनमनशलशखि उद्शेयों ्ो पहचाना गया ह—ै• बचचों ्ो उन्े शरचार और ्ाय्व में सरिंत होना और दकूसरों ्े प्रशि और उन्ी

    भारनाओ ं्े प्रशि संरेदनि्रील बनाना।• बचचों ्ो ए् लच्रील्री और रचनातम् िर्री्े से नय्री शसथशियों ्ा सामना ्रेन और

    लो्िांशत् प्रशक्याओ ंमें भाग लेेन ्े शलए सिक्ि बनाना।• बचचों में शर्ास ्ी शदिा में ्ाम ्रेन और आशथ्व् प्रशक्याओ ंऔर सामाश््

    परररि्वन में योगदान ्रेन ्ी क्षमिा ्ा शर्ास ्रना।इन उद्शेयों ्ो प्राप्ि ्रेन ्े शलए स्कू लों ्ो समानिा, गणुरत्ा और लच्रीलेपन पर

    धयान ्ें शरिि ्रेन ्ी आरशय्िा ह।ै दिे ्ी शरशरििा ्ो दखेिे हुए, शरद्ाशथ्वयों ्े संदभषों ्ो ्क्षा में लाना महतरपकूण्व ह।ै एन.िी.एफ.2005 पा्ठयपसुि्ों से परे ्ाेन ्े शलए शिक्ष्ों ्ी भकूशम्ा पर ज़ोर दिे्री ह ैिाश् बचच ेअपेन सरयं ्े अनभुरों से रोल प्ले, ड्ाइगं, पेंशटंग, ड्ामा, िशैक्ष् भ्रमण और प्रयोगों ्े संचालन ्े माधयम से स्रीख स्ें ।

    एन.िी.एफ.2005 में मकूल्यां्न ्ो अशिगम और ्क्षा ्ी अिंशन्वशहि प्रशक्याओ ं्े रूप में दखेेन ्ी ज़रूरि पर भ्री ज़ोर शद या गया ह ैइस्े शलए आरशय् ह ैश् शिक्ष् अपेन पर्रीक्षण ्े पररणामों ्ी प्रि्रीक्षा ्रेन, रर््रॉशर्डंग िथा ररपोशटडंग पर समय वयि्रीि ्रेन ्े ब्ाय ित्ाल सहायिा प्रदान ्रेन ्े उद्शेय से अपेन िर्री्े से बचचों ्ा शनरंिर और वयाप् रूप से मकूल्यां्न ्रें। इस्े अलारा, इसमें न ्ेरल गशणि, भाषा, शरज्ान और सामाश्् शरज्ान बशल्् ््रीरन ्ौिल, सामाश््, वयशक्िगि, भारनातम् और मनो-गशि् ्ौिल स्रीखेन पर भ्री महतर शदया ्ािा ह।ैएन.िी.एफ.2005 में शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण-िास्त्र पर प्र्ाि र्ाला गया ह,ै श्स्ा अनसुरण िब श्या ्ा स्िा ह ै ्ब पा्ठयक्म, पा्ठयपसुि्ों और ्क्षा ्ी गशिशरशियों ्ी यो्ना ्ो शर्शसि ्रिे समय भ्री शरद्ाथची पर धयान ्ें शरिि हो। उदाहरण ्े शलए, यशद हम प्राथशम् सिर पर पौिों ्े बारे में ए् शरररण िाशमल ्रना चाहिे हैं िो पा्ठयक्म ्ो उन पौिों पर धयान ्ें शरिि ्रना चाशहए ्ो बचच ेअपेन दशैन् ््रीरन में दखे स्िे हैं, छकू स्िे हैं और श्न्े बारे में बाि ्र स्िे हैं। पा्ठयपसुि् में उस्री ्ा शरररण प्रदान ्रना चाशहए। शिक्ष् उन अरसरों ्ी यो्ना बना स्िे हैं ्हाँ बचच ेअपेन घरों, पड़ोस, स्कू लों आशद में दखे ेगए पौिों ्े पोसटर बना स्िे हैं और साझा ्र स्िे हैं। इस प्रशक्या में रे अपेन अनभुरों ्ो पा्ठयपसुि् में शदए गए अनभुरों से ्ोड़ेंगे। ऐसा ्रिे समय, शिक्ष् प्रतये् बचच े्े स्रीखेन ्े प्रशिफलों में प्रगशि ्ा शनर्रीक्षण ्रेंगे।

  • 7पा्ठयचया्व, शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण िासत, स्रीखने ्े प्रशिफल और समारेि्री शिक्षा

    मॉड्यलू 1

    चचठावा के शबं्ु्ोडे़ बना्र ्ाय्व ्रें और ए् शिक्ष् ्े आमिौर पर शरद्ालय में ब्रीिेन राले शदनों ्े बारे में ् ानें। यशद शिक्षा ्े उपयु्वक्ि उद्शेयों में से श्स्री ्ो भ्री शदन-प्रशिशदन ्े शिक्षण में सा्ार श्या ्ा रहा ह ैिो इस्े बारे में चचा्व ्रें? आप अपेन शदन ्ैसे शबिािे हैं?

    शरद्ठािय के शरषय और एि.सी.एफ. 2005आइए, हम एन.िी.एफ.2005 और शरशभन्न शरषयों ्े शिक्षण पर बार्री्ी से शरचार ्रें। इसमें बिाया गया ह ै श् भाषाओ ं्े शिक्षण ्े दौरान बहुभाष्री प्रर्रीणिा ्ो बढारा देेन ्े शलए भाषा ्ा संसािन ्े रूप में उपयोग श्या ्ाना चाशहए। भाषा ्े अ््वन ्ो हर शरषयक्षेत में महतर शदया ्ाना चाशहए क्योंश् यह पकूरे पा्ठयचया्व में महतर रखिा ह।ै पढना और शलखना, सुनना और बोलना, यह समसि पा्ठयचया्व क्षेतों में, बचच े्ी प्रगशि में योगदान ्रिे हैं अिः इन्हें पा्ठयचया्व ्ी यो्ना ्ा आिार होना चाशहए। गशणि ्ो इस िरह से पढाए ्ाेन ्ी ज़रूरि ह ैश् यह समसयाओ ं्ो िैयार ्रेन और हल ्रेन ्े शलए सोच, ि््व और ्ल्पना ्ी क्षमिा ्ा संरि्वन ्रे। शरज्ान ्े शिक्षण ्ो नया रूप शदया ्ाना चाशहए िाश् यह बचचों ्ो रोज़मरा्व ्े अनभुरों ्ी ्ाँच और शरशलेषण ्रेन में सक्षम बनाए। हर शरषय में पया्वररण संबंि्री शचिंाओ ंपर ज़ोर शदया ्ाना चाशहए और इस्े शलए शरसििृ श्णे्री ्ी गशिशरशियाँ बनाई ्ाए,ं श्नमें ्क्षा ्े बाहर श्ए ्ाेन राले शक्या्लाप भ्री िाशमल हों।

    सामाश्् शरज्ान ्े अधययन में हाशिए पर रह रह ेसमकूहों ्े पररपे्रक्य में ए्ी्रण पर ज़ोर दिेे हुए अनिुासनातम् सं्ेि्ों ्ो पहचानेन ्ा प्रसिार ह।ै हाशिए पर रह रह ेसमकूहों और अल्पसंख्य् सरंेदनि्रीलिा से सबंंशिि बचचों ्े प्रशि ्ेंर्र, न्याय और सरंेदनि्रीलिा सबंंशिि ् ान्ार्री सामाश्् शरज्ान ्े सभ्री क्षेतों द्ारा प्रदान ्ी ् ान्री चाशहए। एन.िी.एफ.2005 में, चार अन्य पा्ठयचया्व क्षेतों पर भ्री धयान आ्शष्वि श्या गया ह ै— ्ाय्व, ्ला और शररासि शिल्प, सरास्थय और िार्रीरर् शिक्षा िथा िांशि। इसमें इन क्षेतों ्ो पा्ठयचया्व र्ोमेन में लाेन ्ी संसिशुि ्ी ्ाि्री ह।ै प्राथशम् चरण में, अशिगम ्ो ्ाम ्े साथ में ्ोड़ेन ्े शलए ्ुछ ठोस ्दम, इस आिार पर सझुाए गए हैं श् ्ाम ्रेन से, ज्ान अनभुर में बदल ्ािा ह ैऔर इससे आतमशनभ्वरिा, रचनातम्िा और सहयोग ्सेै महतरपकूण्व वयशक्िगि और सामाश्् मकूल्य उतपन्न होिे हैं। चार प्रमखु क्षेतों अथा्वि ्संग्रीि, नतृय, दृशय ्ला और शथएटर ्ो सशममशलि ्रिे हुए, शिक्षा ्े सभ्री सिरों में, ए् शरषय ्े रूप में ्ला ्े अधययन ्ी ससंिशुि ्ी गय्री ह,ै श्समें अिं: शक्यातम् दृशष्ट्ोण पर ज़ोर शदया गया ह।ै

    एन.िी.एफ. 2005 ्े अनसुरण में, पठन शरषय क्षेतों में शर्शसि पा्ठयक्म और पा्ठयपसुि्ों में शरद्ाथची ्ें शरिि शिक्षण िासत ्ो समारेि्री वयरसथा ्ी आरशय्िानसुार बनाेन ्ा प्रयास श्या ्ा रहा ह।ै हमें यह धयान रखेन ्ी आरशय्िा ह ैश् प्रतये् बचच ेमें स्रीखेन ्ी क्षमिा ह,ै लेश्न सामग्र्री, परररेि, शसथशि और साथ्व्िा अशिगम ्ो शदलचसप बनाि्री ह।ै इसशलए, श्स्री भ्री पा्ठयपसुि् ्ो पढािे समय, हमें इन उद्शेयों और इस पर भ्री

  • 8 शनष्ठा — प्रशिक्षण पै्े्

    मॉड्यलू 1

    पा्ठयक्म ्ो शनयोश्ि गशिशरशियों ्े ए् समकूह ्े रूप में समझा ्ािा ह,ै श्से श्स्री शरिषे िशैक्ष् उद्शेय/लक्य ्े ्ाया्वन्रयन ्े शलए शर्ज़ाइन श्या गया ह—ै और इसमें रह सब ्ुछ सशममशलि ह ै्ो ्ुछ शसखाया ्ाना ह,ै उस्ी सामग्र्री, ज्ान और शरद्ाशथ्वयों में शर्शसि श्ए ्ाेन राले ्ौिल। इसमें िाशमल हैं पा्ठयचया्व, पा्ठयपसुि्ें और अन्य शिक्षण सामग्र्री ्े साथ-साथ शरषयरसि ुचयन ्े शलए मानदरं् ्े शरररण और शरशियों, सामशग्रयों और मकूल्यां्न में शर्ल्प। आगे पढेन ्े शलए, रा.ि.ैअ.प्र.प. द्ारा प्र्ाशिि आिारपत “पा्ठयचया्व, पा्ठयक्म और पा्ठयपसुि्ों” दखेें।

    शरचार ्रेन ्ी आरशय्िा होि्री ह ैश् इस्ा उपयोग शरिषे आरशय्िा राले बचचों और लाभरशंचि घरों ्ी पषृ्ठभकूशम राले सभ्री बचचों ्े साथ ्ैसे श्या ्ा स्िा ह।ै

    चचठावा के शबं्ु• क्या शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण िासत ्ा उपयोग बड़्री ्क्षाओ ंमें श्या ्ा स्िा ह?ै• क्या सभ्री शरषयों ्ो पढाेन ्ी यो्ना शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण िासत ्ा उपयोग ्र्े बनाई

    ्ा स्ि्री ह?ै

    पाठ्यचयायाहम सभ्री शरद्ालय्री्रण ्ी प्रशक्या से गजु़र च्ेु हैं। हम ्ानिे हैं श् शरद्ालय में शरद्ाशथ्वयों ्े समग्र शर्ास में योगदान देेन राल्री सभ्री गशिशरशियाँ पा्ठयचया्व पर ्ें शरिि होि्री हैं। पा्ठयचया्व और उस्े लेन-देन ्ो समझना सभ्री शहििार्ों ्ो, पा्ठयपसुि् ्ी सामग्र्री, संज्ानातम् और मानर्रीय मकूल्यों ्े शर्ास िथा ्ेंर्र से संबंशिि सरो्ारों ्ो ए्ी्ृि ्रेन एरं अशिगम ्ी प्रशक्या में सभ्री शरद्ाशथ्वयों ्े समारेिन प्रशक्या से ्डु़ेन में मदद ्रिा ह।ै

    पा्ठयचया्व ्ो शनिा्वररि ्रेन राले बशुनयाद्री ्ार्ों में िाशमल हैं— अशिगम ्ी प्र्ृशि, सर्री्ृि शसद्धांिों और सामाश्् प्रभारों द्ारा प्रदान श्ए गए मानर शर्ास ्ा ज्ान। इस्े अलारा, समा् ्ी आरशय्िाए ँऔर आ्ांक्षाए ँ्ाफी हद ि् पा्ठयक्म ्ी प्र्ृशि, सामग्र्री, शरषयों, शरषयरसि ुएरं उस्ी वयरसथा शनिा्वररि ्रि्री हैं। पा्ठयचया्व ्ो परररि्वन्ार्री भकूशम्ा भ्री शनभान्री होि्री ह।ै

    शिक्ष्ों और शिक्ष् प्रशिक्ष्ों ्े रूप में हम ्ानिे हैं श् ्ुछ ऐसे पहलकू हैं ्ो अनौपचारर् रूप से ए् शरद्ालय प्रणाल्री में शसखाए ्ािे हैं श्से शछप्री हुई पा्ठयचया्व ्हा ्ािा ह।ै

    शछप्री हुई पा्ठयचया्व में रे सभ्री वयरहार, दृशष्ट्ोण और मनोभार िाशमल हैं ्ो शरद्ाथची स्कू ल्री शिक्षा ्े दौरान प्राप्ि ्रिे हैं। यह समझना महतरपकूण्व ह ैश् ए् शछप्री हुई पा्ठयचया्व रह ह ै्ो शरद्ाथची शरद्ालय में ग्रहण ्रिे हैं और यह अधययन ्े औपचारर् पा्ठयक्म ्ा शहससा हो भ्री स्िा ह ैया नहीं भ्री हो स्िा ह।ै

    पाठ्यक्रमपा्ठयक्म ्क्षारार और शरषयरार, पढाये ्ाेन राले शरषयों ्ी सकूच्री प्रदान ्रिा ह।ै इसमें शरषय और मकूल्यां्न मानदरं्ों ्ो पकूरा ्रेन ्े शलए समय अरशि भ्री प्रदान ्ी ्ाि्री ह।ै पा्ठयक्म ए् दसिारेज़ ह ै्ो पढाई ्ाेन राल्री शरषयरसि ु्ी ्ान्ार्री दिेा ह ैऔर अपेक्षाओ ंऔर शज़ममेदाररयों ्ो पररभाशषि ्रिा ह।ै शिक्षण ्े शलए, यह ए् आरशय् दसिारेज़ ह ैश्समें पा्ठयक्म ्े मकूल ितर रेखांश्ि होिे ह,ै ्ैसे श् ्ौन से शरषय िाशमल श्ए ् ाएगँे, साप्िाशह् अनसुकूच्री और पर्रीक्षाए,ं असाइनमेंट्स और संबंशिि अशिभार सकूच्री। पा्ठयक्म में स्रीखेन ्े प्रशिफल, आ्लन, सामग्र्री और िकै्षशण् र्रीशियों ्े ब्रीच संबंि

  • 9पा्ठयचया्व, शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण िासत, स्रीखने ्े प्रशिफल और समारेि्री शिक्षा

    मॉड्यलू 1

    ्ो सपष्ट श् या ्ािा ह।ै अशिगम ्े दौरान शरद्ाशथ्वयों ्ा माग्वदि्वन ्रेन हिे ुपठन शरषयों ्ो श्स रचनातम् िर्री्े से सवुयरशसथि श्या ्ािा ह,ै पा्ठयक्म उस्ो भ्री प्र्ट ्रिा ह।ै ए् िकै्षशण् पा्ठयक्म ्े शलए चार आरशय् घट् हैं— शरषय और प्रशन, उद्शेय, सझुाई गई गशिशरशियाँ, शिक्ष्ों ्े शलए संसािन और नोट्स।

    पाठ्यपुसिकेंपा्ठयपसुि्ें , पा्ठयक्म में िाशमल शरषयों/शरषयरसिओु ं पर सामग्र्री प्रदान ्रि्री हैं। पा्ठयपसुि् सभ्री शरद्ाशथ्वयों ्े शलए ए् मशुरिि/शर्श् टल शिक्षण संसािन ह।ै उन्हें एन.स्री.एफ. ्े पररपे्रक्य में शरद्ाथची ्े अन्ुकू ल और शचिंनि्रील होेन ्ी आरशय्िा ह।ै

    शरद्ठाथथी कें शरित पठा््यपुस्तकों की शरिेषतठाएँ• ्म ्ान्ार्री और अशि् गशिशरशियों ्े साथ अिं: शक्यातम्िा।• शरद्ाशथ्वयों ्ो अपेन सरयं ्े ज्ान ्ो प्रशिशबंशबि ्रेन और शनमा्वण ्रेन ्े शलए

    सथान प्रदान ्रि्री हैं।• दिे ्ी शरशरििा ्ो िाशमल ्रि्री हैं।• संरैिाशन् मकूल्यों ्े प्रशि प्रशिबद्धिा ्ा प्रदि्वन ्रि्री हैं।• सामाश्् सरो्ारों, ्ैसे ्ेंर्र, समारेिन आशद ्े प्रशि संरेदनाओ ं्े शलए ्गह

    प्रदान ्रि्री हैं।• ्ाम ्रेन ्े शलए ्गह प्रदान ्रेन ्ा प्रयास ्रि्री हैं।• आई.स्री.ट्री. ्ो सथान प्रदान ्रने ्ा प्रयास ्रि्री हैं।• अिंशन्वशहि मकूल्यां्न ्रि्री हैं।• सरल भाषा में सामग्र्री प्रसििु ्रि्री हैं।• ्ला, सरास्थय और िार्रीरर् शिक्षा ्ो ए्ी्ृि ्रि्री हैं।

    शरद्ठाियों में पुस्तकठािय की भूशमकठाएन.िी.एफ.2005 में ए् शरद्ालय ्े पसुि्ालय ्ा उल्लेख ्रिे हुए ्हा गया ह ै श् शरद्ालय पसुि्ालय ्ो ए् ऐसे बौशद्ध् सथान ्े रूप में दखेा ्ाना चाशहए ्हाँ शिक्ष्, बचच ेऔर समुदाय ्े सदसय अपेन ज्ान और ्ल्पना ्ो गहरा बनाेन ्े सािन खो्ेन ्ी उमम्रीद ्र स्िे हैं। शरद्ालय ्ा पसुि्ालय, सभ्री पा्ठयक्म क्षेतों और सभ्री ्े शलए, स्रीखेन ्ा ए् समाशभरूपिा ्ें रि हो स्िा ह।ै साक्षरिा पर अधययन में इस बाि ्ी पशुष्ट होि्री ह ैश्से शिक्ष् रषषों से ्ानिे हैं— बचचों ्ा श्िाबों से श्िना अशि् संप््व होिा ह,ै रे उिेन ह्री अचछे पाठ् बनिे हैं। पसुि्ालयों ्े वयाप् उपयोग ्े माधयम से पसुि्ों ्े साथ संशलप्ि हो्र और प्रशिशदन बचचों ्े शलए पढ्र, शिक्ष् बेहिर पठन प्रदि्वन ्ो बढारा द ेस्िे हैं। रे बचचों ्ो पा्ठयपसुि्ों से परे ज्ान ्े स्ोिों ्ा पिा लगाेन ्ी संभारना प्रदान ्रिे हैं। आ् बचचों ्े पसुि्ालयों में रखा साशहतय ्ेरल ्हाशनयाँ ह्री नहीं ह,ै बशल्् इसमें ्ाल्पशन्, अ्ाल्पशन् और ्शरिा ्ैस्री पसुि्ों ्ी ए् शरसििृ

  • 10 शनष्ठा — प्रशिक्षण पै्े्

    मॉड्यलू 1

    �ृंखला भ्री िाशमल ह।ै पसुि्ालय प्रारंशभ् ्क्षा ्े बचचों से ले्र यरुा रयस्ों ि् सभ्री ्ो स्रीखेन में योगदान द ेस्िे हैं और साथ ह्री यह शिक्ष्ों ्े शलए ज्ान ्ा ए् महान भरं्ार हो स्िे हैं। शरद्ालय पसुि्ालय ए् अलग ्मरे या ्क्षा पसुि्ालय या अन्य श्स्री ऐसे िर्री्े से चलाए ्ा स्िे हैं ्ो शरद्ालय ्ो उशचि लगे और श्समें सफलिा ्ी संभारना हो। महतरपकूण्व यह ह ैश् श्िाबों ्े साथ बचचों ्े मले्ोल ्ो संभर बनाया ्ाए। राजयों/्ें रि िाशसि प्रदिेों ्े संदभ्व में शरद्ालय ्े प्रिान अधयाप्ों, शिक्ष्ों, पसुि्ालयाधयक्षों द्ारा शरद्ालय में पसुि्ालय सथाशपि ्रेन और चलाेन ्े शलए ्ुछ आरशय् शदिाशनददेि प्रदान ्रेन ्े शलए ए् पसुि्ालय प्रशिक्षण म्रॉर््यकूल, रा.ि.ैअ.प्र.प./ राजय द्ारा शर्शसि श्या ्ा स्िा ह।ै

    चचठावा के शबं्ु• अपन्री ्क्षा में पा्ठयपसुि्ों से परे ्ाेन ्ा ए् शिक्षण अनभुर साझा ्रें। इस िरह ्े अनभुर

    में आप्े शरद्ाशथ्वयों ्ी भाग्रीदार्री और स्रीखेन ्ी क्षमिा क्या रह्री ह?ै• पसुि्ालय स्कू ल्री शिक्षा ्ा ए् महतरपकूण्व घट् हैं, लेश्न अशि्िर इन्हें पसुि्ों से भरा

    सथान माना ्ािा ह।ै पसुि्ालय ्े सपेस (्गह) ्ो अशि् ््रीरंि और गशिि्रील सथान बनाेन ्े बारे में अपेन शरचार साझा ्रें।

    स्रीखने के प्रििफलरा.ि.ैअ.प्र.प. ेन िीखनवेकवे प्रसतफल ्ो शर्शसि श्या हैं ्ो पठन सामग्र्री ्ो रट्र याद ्रेन पर आिाररि मकूल्यां्न से दकूर हटाेन ्े शलए बनाया गया ह।ै योगयिा (स्रीखेन ्े प्रशिफल) आिाररि मकूल्यां्न पर ज़ोर द्ेर, शिक्ष्ों और पकूर्री वयरसथा ्ो यह समझेन में मदद ्ी गई ह ैश् बचच ेज्ान, ्ौिल और सामाश््-वयशक्िगि गणुों और दृशष्ट्ोणों में परररि्वन ्े मामले में रष्व ्े दौरान ए् शरिषे ्क्षा में क्या हाशसल ्रेंगे। िीखनवेकवे प्रसतफलज्ान और ्ौिल से पररपकूण्व ऐसे ्थन हैं श्न्हें बचचों ्ो ए् शरिषे ्क्षा या पा्ठयक्म ्े अिं ि् प्राप्ि ्रेन ्ी आरशय्िा ह ैऔर यह अशिगम संरि्वन ्ी उन शिक्षणिासत्रीय शरशियों से समशथ्वि हैं श्न्ा शक्यान्रयन शिक्ष्ों द्ारा ्रेन ्ी आरशय्िा ह।ै ये ्थन प्रशक्या आिाररि हैं और समग्र शर्ास ्े पैमाेन पर बचच े्ी प्रगशि ्ा आ्लन ्रेन ्े शलए गणुातम् या मातातम् दोनों िर्री्े से ्ाँच योगय शबंद ुप्रदान ्रिे हैं। पया्वररण्रीय अधययन ्े शलए स्रीखेन ्े दो प्रशिफल न्रीच ेशदए गए हैं—• शरद्ाथची शरशभन्न आय ुरग्व ्े लोगों, ्ानररों और पशक्षयों में भो्न िथा पान्री ्ी

    आरशय्िा, भो्न और पान्री ्ी उपलबििा िथा घर एरं आसपास ्े परररेि में पान्री ्े उपयोग ्ा रण्वन ्रिा ह।ै

    • शरद्ाथची मौशख्/शलशखि/अन्य िर्री्ों से परररार ्े सदसयों ्ी भकूशम्ा, परररार ्े प्रभारों (लक्षणों/शरिषेिाओ/ंआदिों/प्रथाओ)ं और ए् साथ रहेन ्ी आरशय्िा ्ा मौशख्/शलशखि या श्स्री अन्य माधयम से रण्वन ्रिा ह।ैउपयु्वक्ि स्रीखेन ्े प्रशिफलों ्ो प्राप्ि ्रेन ्े शलए शरद्ाशथ्वयों ्ो वयशक्िगि रूप से

  • 11पा्ठयचया्व, शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण िासत, स्रीखने ्े प्रशिफल और समारेि्री शिक्षा

    मॉड्यलू 1

    या ्ोडे़ अथरा समकूहों में ्ाम ्रेन ्े अरसर प्रदान श्ए ्ािे हैं और उन्हें आस-पास ्े परररेि ्ा अरलो्न और अन्रेषण ्रेन ्े शलए प्रोतसाशहि श्या ्ािा ह;ै उन्हें मौशख्/शलशखि/शचत/सं्ेिों में अपेन अनभुर दज़्व एरं वयक्ि ्रेन ्ा अरसर शदया ्ािा ह।ै बचचों ्ो बड़ों ्े साथ चचा्व ्रेन और शरशभन्न सथानों पर ्ाेन, उन्ी पसंद ्े शरषय पर उनसे ्ान्ार्री ए्त ्रेन और शनष््षषों पर समकूहों में चचा्व ्रेन ्ी अनमुशि देेन ्ी आरशय्िा ह।ै

    आरंशभ ् सिर पर स्रीखेन ्े प्रशिफल सभ्री बचचों, श्समें शरिषे आरशय्िाओ ंराले बचचें (स्री.र्बल्यकू.एस.एन.) और रंशचि समकूहों से संबंशिि बचच ेभ्री सशममशलि ह,ै ्ो प्रभार्री रूप से अशिगम ्े अरसर प्रदान ्रेन ्े शलए हैं। इन्हें शरशभन्न पा्ठयक्म क्षेतों— पया्वररण अधययन, शरज्ान, गशणि, सामाश्् शरज्ान और भाषा ्े शलए शर्शसि श्या गया ह।ै स्रीखेन ्े प्रशिफल सभ्री बचचों, श्नमें शरिषे आरशय्िा राले बचच े(स्री.र्बल्यकू.एस.एन.) भ्री िाशमल हैं, ्ी शिक्षण िासत्रीय प्रशक्याओ ंऔर पा्ठयचया्व संबंि्री अपेक्षाओ ंसे ्डेु़ हैं। रंशचि समकूहों से संबंशिि बचचों ्े प्रारिानों में शनमनशलशखि िाशमल हैं—

    • अशिगम प्रशक्या में उन्ी भाग्रीदार्री सशुनशशचि ्रें और उन्हें अन्य बचचों ्ी िरह प्रगशि ्रेन में मदद ्रें। बचचों ्ी िलुना ्रेन से बचें।

    • वयशतिगि आरशय्िाओ ं्े अनरुूप पा्ठयचया्व और स्रीखेन ्े परररेि में बदलार ्रना।

    • शरशभन्न पठन क्षेतों में अन्ुकू शलि गशिशरशियों ्ा प्रारिान।• उम्र और स्रीखेन ्े सिरों ्े अनरुूप सलुभ पाठ और सामग्र्री।• ्क्षाओ ं्ा उपयकु्ि प्रबंिन, ्ैसे— िोर, च्ाचौंि आशद ्ा प्रबंिन।• सकूचना और संचार प्रौद्ोशग्ी (आई.स्री.ट्री.), र्रीशर्यो या शर्श्टल सररूप ्ा उपयोग

    ्र्े अशिररक्ि सहायिा ्ा प्रारिान।• गशिि्रीलिा सहाय् यंत (वह्रील चयेर, बैसाख्री, सफेद बेंि), श्रण-सहाय्,

    ऑशप्ट्ल या गैर-ऑशप्ट्ल सहायिा, िशैक्ष् सहायिा (टेलर फे्म, एबे्स आशद)।• अन्य बचचों ्ो शरिषे आरशयक्िा राले बचचों ्ी शरिषेिाओ ंऔर ्मज़ोररयों ्े

    प्रशि संरेदनि्रील बनाना।• आ्लन ्े सफल समापन ्े शलए उपयकु्ि शरशि और अशिररक्ि समय ्ा चयन

    ्रना।• घरेलकू भाषा ्े शलए सममान और सामाश््-सांस्ृशि् परररेि (्ैसे— परंपराए ँऔर

    र्रीशिगि प्रथाए ँआशद) से ्डु़ार।

    सभी बचचों के शिए सीखिे के प्रशतफि प्रठाप्त करिे हेतु शिक्षण-शरशधयठँंासमठारेिी कक्षठाए ँ— शिक्षकों की भूशमकठा शिक्षा प्रशक्या ्ा रह ए् शहससा ्ो शरिषे आरशय्िा राले और हाशिए पर रह रह ेअन्य बचचों ्ो समारेशिि ्रिा ह,ै ्े शलए ए् महतरपकूण्व रैचारर् शरशलेषण ्ी आरशय्िा

  • 12 शनष्ठा — प्रशिक्षण पै्े्

    मॉड्यलू 1

    ह ैश् क्यों रि्वमान में उपलबि शनयशमि मखु्यिारा प्रणाल्री शरद्ालय्री-उम्र ्े सभ्री बचचों ्े शलए अचछ्री गणुरत्ा ्ी शिक्षा प्रदान ्रेन में सफल नहीं हो रह्री ह।ै इस्े शलए आरशय्िा ह ैश् सथान्रीय संदभषों में मौ्कूदा संसािनों एरं नर्रीन प्रथाओ ं्ी पहचान, पहुचँ, सहभाशगिा एरं अशिगम बािाओ ं्ी ्ाँच भ्री ्ी ्ान्री चाशहए। न्रीच ेद्री गई ्हान्री ‘द एशनमल स्कू ल (्ानररों ्ा शरद्ालय)’ पढे। ्हान्री पढेन ्े बाद शदए गए प्रतये् प्रशन पर अपेन शरचार पकूरे समकूह ्े साथ साझा ्रें।

    शिक्ष्ों ्ो यह याद रखना चाशहए श् प्रभार्री और समारेि्री शिक्षण सभ्री बचचों ्े शलए अचछा ह।ै इससे बचचों ्ी शरलक्षण शरिषेिाओ/ंगणुों और ्मज़ोररयों पर धयान ्ें शरिि ्रेन में मदद शमलि्री ह ैऔर इस प्र्ार उन्ी वयशक्िगि अशिगम ्ी आरशय्िाआें ्ो भ्री पकूरा श्या ्ािा ह।ै स्रीखेन ्े प्रशिफलों ्ो प्राप्ि ्रेन ्े शलए सभ्री शरद्ाशथ्वयों ्ो अशिगम ्े प्रभार्री अरसर प्रदान ्रेन होंगे, श्स्े शलए शरशिष्टिा से समारेशििा ि् ए् नाट्ीय बदलार ्ी आरशय्िा ह।ै यशद हमें शरद्ालय में सफलिा (एन.स्री.एफ. 2005) हाशसल ्रन्री ह ैिो न ्ेरल सांस्ृशि् शरशरििा बशल्् शरशरि सामाश्् िथा आशथ्व् पषृ्ठभकूशम राले और िार्रीरर्, मनोरैज्ाशन् एरं बौशद्ध् शरिषेिाओ ंमें शभन्निा राले बचचों ्ो भ्री धयान में रखना होगा।

    ‘् एशिमि स्कूि’ (जठािररों कठा शरद्ठािय)— शरशिेषण के शिए एक कहठािी2

    ए् बार ्ानररों ेन फैसला श्या श् उन्हें ‘नय्री दशुनया’ ्ी समसयाओ ं्ो संबोशिि ्रेन ्े शलए ्ुछ अलग ्रना होगा, इसशलए उन्होंेन ए् शरद्ालय िैयार श्या।• उन्होंेन दौड़, चढाई, िैरा्ी और उड़ान से ्डेु़ ए् गशिशरशि पा्ठयचया्व ्ो अपनाया।• पा्ठयचया्व संचालन आसान बनाेन ्े शलए, सभ्री ्ानररों ्ो प्रतये् शरषय लेना आरशय्

    बनाया गया।• बत्ख िैरा्ी में उत्ृष्ट थ्री। रासिर में, अपेन प्रशिक्ष् से भ्री बेहिर थ्री, लेश्न उड़ान में उसे

    ्ेरल पास होेन लाय् ग्रेर् शमले लेश्न रह दौड़ेन में बहुि ्मज़ोर थ्री। चकूशँ् दौड़ेन में रह बेहद ्मज़ोर थ्री, इसशलए उसे दौड़ेन ्ा अभयास ्रेन ्े शलए शरद्ालय ्े बाद रु्ना पड़ा और िैरा्ी भ्री छोड़न्री पड़्री।

    • ऐसा िब ि् श्या गया, ् ब ि् श् िैरेन में सहाय् उस्े ् ाल्रीदार पैर खराब नहीं हो गए और रह िैरा्ी में औसि सिर पर आ गई, लेश्न शरद्ालय में औसि सर्री्ाय्व था, इसशलए श्स्री ्ो भ्री इस बाि ्ी ज़रा-स्री भ्री शचिंा नहीं थ्री, शसराय बत्ख ्े।

    • खरगोि ेन अपन्री िरुुआि ्क्षा में दौड़ेन में अवरल आेन से ्ी, लेश्न िैरा्ी में उसे इिना सारा ्ाम (अभयास एरं पकूर्) ्रना पड़ा श् उस्ा मानशस् संिलुन ्ैसे शबगड़ ह्री गया था।

    • शगलहर्री चढाई ्रेन में िब ि् उत्ृष्ट थ्री, ्ब ि् श् उस्ी रुशच ख़तम नहीं हुई, लेश्न शफर उस्े शिक्ष् ेन उसे पेड़ से न्रीच े्ी ओर बार-बार आेन ्ी ब्ाय उसे ्ेरल ्म्रीन से पेड़ ्ी ओर ह्री बार-बार ्ाेन ्े शलए ्हा गया और मामला शबगड़ना िरुू हो गया। उसे बहुि महेनि ्रेन ्े शलए ्हा गया और पररणामसररुप उसे चढाई में ‘स्री’ और दौड़ेन में ‘डी’ ग्रेर् शमला।

    समसया यह नहीं ह ै श् सभ्री मिभेदों ्ो ्ैसे शमटाया ्ाए बशल्् यह ह ैश् सभ्री मिभेदों ्े रहिे हुए ्ैसे ए््टु हुआ ्ाए।

    —रशरंरिनाथ टैगोर

    2 ््रॉ््व ररएशरस ्ी ्ाल्पशन् ्हान्री, ‘द एशनमल स्कू ल’ ्ा ए् रूपांिरण, श्से मकूल रूप से 1940 में शलखा गया था, ्ब रह शसनशसनाट्री पशबल् स्कू लों ्े अि्रीक्ष् थे।

  • 13पा्ठयचया्व, शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण िासत, स्रीखने ्े प्रशिफल और समारेि्री शिक्षा

    मॉड्यलू 1

    • बाज़ ए् समसया राला बचचा था और उसे गंभ्रीरिा से अनिुाशसि श्या गया। चढाई ्ी ्क्षा में उसेन अन्य सभ्री लोगों ्ो पेड़ से ऊपर पहुचँेन में हरा शद या, लेश्न उसे पसंद नहीं श्या गया क्योंश् उसेन रहाँ ि् पहुचँेन ्े शलए अपेन िर्री्े ्ा उपयोग ्रेन पर ज़ोर शदया।

    • रष्व ्े अिं में ए् असामान्य ईल ्ो बेहद अचछ्री िरह से िैर स्ि्री थ्री, थोड़्री चढाई, थोड़्री दौड़भाग और थोड़ा-बहुि उड़ भ्री स्ि्री थ्री, ्ो सबसे अशि् औसि अ्ं शमले और रह शर्ेिा बन्री।

    • पै्रर्री ्ुत् ेशरद्ालय से बाहर ह्री रह ेऔर प्रिासन से लड़िे रह ेक्योंश् खुदाई और शबल बनाेन ्ो पा्ठयचया्व में िाशमल नहीं श्या ्ा रहा था।

    कठायवा पशरिकठा

    शरचठार सठाझठा करें—• सभ्री ्ानररों ेन ए् ह्री ्ैसे शरषय क्यों शलए? क्या उन सभ्री ्ो इससे लाभ शमला?• शरद्ालय द्ारा सभ्री शरषयों में औसि होना सर्री्ाय्व था। क्या यह सभ्री ् ानररों ्े शलए उपयतुि था?• आप्े शरचार में शगलहर्री ्ो पेड़ ्े ऊपर से न्रीच े्ी ओर उड़्र क्यों नहीं आेन शदया गया? • बाज़ ्ो ए् समसया राले बचच े्े रूप में क्यों दखेा गया?• आप्े शरचार में पै्रर्री-्ुत् ेपा्ठयचया्व में खुदाई ्रना और शबल बनाना क्यों िा शमल ्रना चाहिे

    थे?

    शरद्ालयों में भेदभार, िार्रीरर् दरं्, दवुय्वरहार या छेड़छाड़/बदमाि्री ्ा र्र िो नहीं ह्री होना चाशहए। साथ ह्री, शिक्ष्ों ्ो अपेन अशिगम ्ायषों और शिक्षण-िाशसतय अभयासों ्ी यो्ना इस िरह से बनाेन ्ी ज़रूरि ह ैश् सभ्री बचच ेशिक्षा प्रशक्या में समान रूप से भाग ले स्ें । ्क्षा ्ा माहौल ऐसा होना चाशहए श् हर बचचा उदास्री महसकूस ्रेन, ऊबेन, र्रेन या अ्ेले रहेन ्े ब्ाय खिु और िनारमकु्ि महसकूस ्रे। सभ्री बचचों ्ो समान रूप से शदए गए शिक्षा ्े मौशल् अशि्ार ्ो शक्या्वशन्रि ्रेन ्े शलए सभ्री शरद्ाशथ्वयों ्े शलए सरुशक्षि और समारेि्री रािाररण बनाना महतरपकूण्व ह।ै

    प्रतये् बचच े्ो अशि्ार ह ै श् उसे अपेन समुदाय ्े शरद्ालय में प्ररेि ्े शलए और शिक्ष्ों एरं साशथयों ्े साथ सममानपकूर्व् ्डु़ार एरं सशममशलि होेन ्े शलए सहयोग शमले। अधययनों से पिा चला ह ैश् अलगार राल्री स्कू ल्री शिक्षा ्ी िलुना में समारेि्री शिक्षा ्ा िर्री्ा सबसे अशि् लागि प्रभार्री और िकै्षशण् एरं सामाश्् रूप से अशि् प्रभार्री ह।ै

    ्ब सभ्री बचच,े उन्ी पषृ्ठभकूशम या स्रीखेन ्ी ज़रूरिों पर आिाररि भेदभार ्े शबना, ए् साथ शिशक्षि होिे हैं, िो सभ्री ्ो लाभ होिा ह ैऔर यह्री समारेि्री शिक्षा ्ी आिारशिला ह।ै बचचों ्ो गणुरत्ापकूण्व शिक्षण और अशिगम ्े अरसर प्रदान ्रेन ्े शलए शरद्ालय और शिक्ष्ों ्ो अतयशि् महेनि ्े साथ अपन्री शज़ममेदार्री शनभान्री चाशहए।

    हमिेा यह याद रखना महतरपकूण्व ह ैश् ्ब भ्री उपलशबि में ्म्री ्े शलए सपष्ट्री्रण माँगा ्ाए िो बचचों में ह्री अपया्वप्ििा दखेेन ्े ब्ाय, शिक्ष्, शिक्षण-अशिगम शसथशियों में अपया्वप्ििा पर दृशष्ट र्ालेन एरं शरचार वयक्ि ्रेन ्े शलए िैयार रह।े हमें यह समझना

  • 14 शनष्ठा — प्रशिक्षण पै्े्

    मॉड्यलू 1

    चाशहए श् शिक्षा ्ा उदशेय ्ेरल समारेि्री शरद्ालय ह्री नहीं, बशल्् समारेि्री समा् बनाना भ्री ह।ै

    चचठावा के शबं्ु• क्या आप ऐसे अन्य ्ारण सोच स्िे हैं श् सभ्री बचचों ्ो शनयशमि मखु्यिारा शरद्ालयों में

    क्यों ्ाना चाशहए?• छोटे समकूहों में चचा्व ्रें श् सभ्री बचचों ्ो ए् साथ शिशक्षि ्रेन से, समारेि्री समा्ों ्ा

    शनमा्वण ्रेन में ्ैसे मदद शमल स्ि्री ह?ै

    शिक्ष् अन्ाेन में ह्री औपचारर् रूप से और अनौपचारर् रूप से अपेन सरयं ्े सामाश्् संबंिों ्े पररणामसररूप ्ेंर्र आिाररि दृशष्ट्ोण शर्शसि ्रिे हैं। इसशलए सभ्री शिक्ष्ों ्ो ्क्षाओ ंमें प्ररेि ्रेन ्े साथ ह्री अपेन सरयं ्े पकूरा्वग्रहों/पक्षपािों ्ो छोड़ देना चाशहए।

    छाताए,ं शरिषे रूप से अनसुकूशचि ्ाशि और अनसुकूशचि ्न्ाशि ्ैसे हाशिए पर रह रह ेसमकूहों ्ी छाताए ंअ्सर अपेन आप ्ो अपेन ह्री अशिगम रािाररण में अलग-थलग-सा महसकूस ्रि्री हैं। इस्े ्ई ्ारण हो स्िे हैं, ्ैसे शरषयरसि ुसे ्डु़ार न हो पाना, संभरि: पा्ठयपसुि्ों में मौ्कूद पकूरा्वग्रह एरं रूशढराशदिा, मशहलाओ ं्ा शनशष्क्य भकूशम्ाओ ं में प्रशिशनशितर और परुुषों ्ा प्रशिशनशितर प्रगशिि्रील भकूशम्ाओ ं में होना, भकूशम्ाओ ं िथा शज़ममेदाररयों ्ा चयनातम् शरिरण एरंम गशिशरशियों ्े आरंटन में शिक्ष्ों ्ा भेदभारपकूण्व ररैया, अपमान्न् भाषा ्ा उपयोग इतयाशद।

    इस िरह ्ा ररैया उनमें शनमन आतमसममान और अलगार ्ी भारना पैदा ्रिा ह ैश्स्े पररणामसररूप, ्क्षा ्ी गशिशरशियों में उन्ी भाग्रीदार्री ्े सिर पर प्रभार पढ स्िा ह।ै िायद यह्री रह शसथशि ह ै्हाँ शिक्ष् ए् साथ्व् भकूशम्ा शनभा स्िा ह।ै शिक्ष् ्ी ओर से शिक्षण-अशिगम माहौल ्ो सहभाशगिापकूण्व बनाेन और यह सशुनशशचि ्रेन ्ी आरशय्िा ह ैश् लड़श्याँ भ्री अशिगम प्रशक्या में सशक्य रूप से िाशमल हों। शिक्ष् ्ो पहले सरयं सभ्री शरद्ालय्री गशिशरशियों में ्ेंर्र ्े अिंर ्ी पहचान ्रन्री चाशहए और शफर ्क्षा में उस्े अनसुार गशिशरशियों ्ी यो्ना िथा ्ायाडंवयन ्रना चाशहए। इस िरह ्े प्रयासों से ्क्षा में ए् सक्षम रािाररण िैयार होेन ्ी संभारना ह,ै ् हाँ लड़श्यों सशहि सभ्री शरद्ाथची अपेन अनभुर, मौ्कूदा पकूरा्वग्रहों और रूशढयों ्ो साझा ्र स्िे हैं और चचा्व और बहस ्े आिार पर इन्े उपयकु्ि समािान शन्ाले ्ा स्िे हैं।

    चचठावा के शबं्ुसमकूहों में चचा्व ्रें श् शिक्ष् बचचों ्े ब्रीच ्ेंर्र समारेि्री वयरहार ्ैसे शर्शसि ्र स्िे हैं।

  • 15पा्ठयचया्व, शरद्ाथची-्ें शरिि शिक्षण िासत, स्रीखने ्े प्रशिफल और समारेि्री शिक्षा

    मॉड्यलू 1

    शिक्षकों के कौिि

    िविवधिा की सव्रीकाययािा और समाधान

    • शरद्ाशथ्वयों में अिंर ्ी पहचान ्रेन ्े शलए संरेदनि्रीलिा— शरिषे आरशय्िा राले बचचों ्े गणुों और ्मज़ोररयों, योगयिा और रुशच ्े बारे में ्ागरू् होना।

    • शरद्ाशथ्वयों ्े ब्रीच सामाश््-सांस्ृशि्, सामाश््, आशथ्व् और भौशि् शरशरििाओ ं ्ी सर्री्ृशि— सामाश्् संरचना, पारंपरर् और सांस्ृशि् प्रथाओ,ं प्रा्ृशि् आरास, घर िथा पड़ोस में परररेि ्ो समझना।

    • मिभेदों ्ी सराहना ्रना और उन्हें संसािन ्े रूप में मानना— अशिगम प्रशक्या में बचचों ्े शरशरि संदभ्व और ज्ान ्ा उपयोग ्रना।

    • शिक्षण-अशिगम ्ी शरशभन्न ज़रूरिों ्ो समझेन ्े शलए समानभुकूशि और ्ाय्व— अशिगम िशैलयों पर शरचार ्रना और उस्री ्े अनसुार प्रशिशक्या देना।

    • शिक्षाशथयों ्ो शरशभन्न शर्ल्प प्रदान ्रेन ्े शलए संसािन ्टुाेन ्ी क्षमिा— आस-पास से ्म लागि ्ी सामग्र्री, ्ला्ृशियों, अशिगम उपयोग्री/सहाय् सथानों, मानर संसािनों और मशुरिि िथा शर्श्टल रूप में अेन् संसािनों ्ो पहचानना एरं वयरशसथि ्रना।

    • प्रौद्ोशग्ी ्े उपयोग से अशिगम सहायिा ्रना— शरशभन्न एशप्ल्ेिन ्ा उपयोग। उदाहरण ्े शलए गकूगल आट्व एरं् ्ल्चर, गकूगल स्ाइ, गकूगल अथ्व, शरषय शरशिष्ट ऐप्स: श्यो्ेब्ा, टक्स ऑफ़ मथै और गकूगल सप्री्।

    • अिंर रैयशक्ि् संबंिों/मृद ु ्ौिलों से शनपटना— सुनेन, प्रशिशक्या देेन, बािच्रीि िरुू ्रेन और बनाए रखेन, स्ारातम् संबंि, िार्रीरर् उपशसथशि और हार-भार ्े ्ौिल।

    चचठावा के शबं्ु• क्या आपेन अपेन शिक्षण में शरशरििा ्ो संबोशिि ्रिे हुए इनमें से ्ोई ्ौिल आ्माया ह?ै• अपन्री ्क्षा में सभ्री शरद्ाशथ्वयों ्ी समान भाग्रीदार्री ्ो प्रोतसाशहि ्रेन ्े शलए आप श्स

    प्र्ार ्े शिक्षण ्ौिलों ्ा उपयोग ्रेंगे?

    समावेश्री िशक्षा और आर.प्री.डब्लययू.ड्री. अिधिनयम 2016हाल ह्री में पाररि आर.प्री.र्बल्यकू.र््री. अशिशनयम 2016, श्से शहंद्री में शदवयांग्न अशि्ार ्ानकून 2016 ्े रूप में भ्री ्ाना ्ािा ह,ै समारेि्री शिक्षा ्ो पररभाशषि ्रिा ह ै और इसे बढारा दिेा ह—ै समारेि्री शिक्षा ्ा अथ्व शिक्षा ्ी ए् ऐस्री प्रणाल्री से ह ैश्समें सामान्य और शरिषे आरशय्िा राले शरद्ाथची ए् साथ स्रीखिे हैं और शिक्षण अशिगम वयरसथा ्ो शरिषे आरशय्िा राले शरद्ाशथ्वयों ्ी शरशभन्न प्र्ार ्ी शिक्षण-अशिगम ्ी ज़रूरिों ्ो पकूरा ्रेन ्े शलए उपयकु्ि रूप से अन्ुकू शलि श्या ्ािा ह।ै (आर.प्री.र्बल्यकू.र््री. अशिशनयम, 2016 ्ा अनचुछेद 1 एम)

    लच्रील्री वयरसथा

    • बचच े्ो समायोश्ि ्रेन ्े शलए वयरसथा में बदलार

    • बचच ेअलग/अनोख ेहैं• सभ्री बचच ेस्रीख स्िे हैं• शरशभन्न क्षमिाए,ँ ्ाि्रीय

    समकूह, आ्ार, आय,ु पषृ्ठभकूशम, ्ेंर्र

    शरद्ठािय की व्यरस्थठा

    समठारेिी शिक्षठा

  • 16 शनष्ठा — प्रशिक्षण पै्े्

    मॉड्यलू 1

    जेंडर-सवेंदनश्रील िशक्षाहम सभ्री ्ानिे हैं श् ्ेंर्र सभ्री शरषयों में दखल देेन राला ए् सरो्ार ह ैऔर यह ज्ान ्े शनमा्वण ्े शलए बशुनयाद ह।ै ्ेंर्र संरेदनि्रीलिा ए् महतरपकूण्व िकै्षशण् शचिंा ह ैश्से शिक्ष्ों ्ो अपेन शिक्षण-अशिगम ्ी प्रशक्याओ ंमें ए्ी्ृि ्रना चाशहए। सगुम्त्ा्वओ ं्े रूप में, स्ारातम् दृशष्ट्ोण और िकै्षशण् हसिक्षेप ्े द्ारा, रे शरद्ाशथ्वयों ्ो समा््री्रण प्रशक्याओ ंसे �