अहमदियत का पैग़ाम - islam ahmadiyya...ईस इयत ज सब...

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अहमदियत का पग़ाम

लखकसययदना हज़रत मिज़ाज़ा बशीरदीन िहिद अहिद

ख़लीफ़तल िसीह मवितीयरमज़

I

नाि पसतक अहिमदयत का पग़ािName of book Ahmadiyyat Ka Paigamलखक हज़रत मिज़ाज़ा बशीरदीन िहिद अहिद ख़लीफ़तल िसीह मवितीयरमज़

Writer Hazrat Mirza Bashiruddin Mehmood Ahmad Khalifatul Masih II (Razi)अनवादक डॉ अनसार अहिद पी एच डी आनसज़ा इन अरमबकTranslator Dr Ansar Ahmad Ph D Hons in Arabicटाइप समटग नईि उल हक़ करशी िरबबी मसलमसला Type Setting Naeem Ul Haque Qureshi Murabbi silsilaससकरण वरज़ा परथि ससकरण (महनदी) 2018 ई०Edition Year 1st Edition (Hindi) 2018सखया Quantity 1000परकाशक नज़ारत नशर-व-इशाअत क़ामदयान मज़ला-गरदासपर (पजाब)Publisher Nazarat Nashr-o-Ishaat Qadian Distt Gurdaspur (Punjab)िदरक फ़ज़ल उिर मपरमटग परस क़ामदयान मज़ला-गरदासपरPrinted at Fazl-e-Umar Printing Press Qadian Distt Gurdaspur (Punjab)

अहमदियत का पग़ाम

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बिसमिललाबिररिमिलाबिररिीमिनहमदह व नसलली अला रसलललहलकरलीम-व अला अब दलहल मसलीलहल मौऊद

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथहवनालसर

अिमिबियत कला पग़लामि (सनिदश)अहमलदयत कया ह और लकस उददशय सद इसको सथालित लकया

गया ह यह एक परशन ह जो बहत सद िररलित और अिररलित लोगो क लदलो म िदा होता ह जानवनो का अधययन अलिक गहरा होता ह और अनलिजो क परशन बहत सतहली होतद ह जान क अिाव क कारण बहत सली बात वद अिनद लविार सद बना लदतद ह तथा बहत सली बातो िर लोगो सद सन सना कर लवशास कर लदतद ह म िहलद उनही लोगो को बतानद क ललए कछ बात कहना िाहता ह जो जान क अिाव क कारण अहमलदयत क बार म लवलिन परकार की ग़लत िारणाओ म गरसत ह

अिमिबियत कोई ियला धमिम ििी -इन अजानली लोगो म सद कछ लोग यह समझतद ह लक अहमदली लोग

سول اہلل در محم ال ال اہلل ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) को नही मानतद और अहमलदयत एक नया िमम ह यद लोग या तो कछ दसर लोगो क बहकानद सद यह आसथा रखतद ह या उनक मबसतषक यह लविार करक

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अहमदियत का पग़ाम

लक अहमलदयत एक िमम ह तथा परतयदक िमम क ललए लकसली कललमः की आवशयकता ह समझ लदतद ह लक अहमलदयो का िली कोई नया कललमः ह िरनत वासतलवकता यह ह लक न अहमलदयत कोई नया िमम ह और न िमम क ललए लकसली कललमः की आवशयकता होतली ह बबक इस सद बढ़कर म यह कहता ह लक कललमः इसलाम क अलतररकत लकसली िमम का लनशान नही लजस परकार इसलाम दसर िमम सद अिनली लकताब की दबटि सद शदषठतर ह अिनद नबली की दबटि सद शदषठतर ह अिनली सावमिौलमकता की दबटि सद शदषठतर ह इसली परकार इसलाम कललमः की दबटि सद अनय िममो सद िली शदषठतर ह अनय िममो क िास लकताब ह िरनत अलाह का कलाम मसलमानो क अलतररकत लकसली को नही लमला लकताब क मायनद कवल लदख क ह करमवयो क ह आददशो क ह िरनत लकताब क अथम म यह बात कदालि सबममललत नही लक उसक अनदर वलणमत लदख का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद हो लकनत इसलामली लकताब का नाम कलामलाह (ख़दा का कलाम या वाणली) रखा गया अथामत उसका एक-एक शद िली ख़दा तआला का वणमन लकया हआ ह लजस परकार उसका लदख ख़दा तआला का वणमन लकया हआ ह हज़रत मसा अललहससलाम की लकताब का लदख वहली था जो ख़दा तआला नद वणमन लकया था हज़रत ईसा अललहससलाम की वह लशका जो दलनया क सामनद वह परसतत करतद थद वहली थली जो ख़दा तआला नद उनको दली थली िरनत उन शदो म न थली जो ख़दा तआला नद परयोग लकए थद तौरात इजलील और कआमन को िढ़नद वालो का धयान यलद इस लदख की ओर फर लदया जाए तो दस लमनट क अधययन क िशात हली यह लनणमय कर लदगा लक तौरात और इजलील क लदख िाह ख़दा तआला की ओर सद हो उनक शद ख़दा तआला की ओर सद नही और इसली परकार वह यह िली लनणमय कर लदगा लक िलवतर

अहमदियत का पग़ाम

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कआमन क लदख िली ख़दा तआला की ओर सद ह और उसक शद िली ख़दा तआला की ओर सद ह या यो कह लो लक एक ऐसा वयबकत जो िलवतर कआमन तौरात और इजलील िर ईमान नही रखता इन तलीनो लकताबो का कछ लमनट अधययन करनद क िशात इस बात का इक़रार करनद िर लववश होगा लक तौरात और इजलील को परसतत करनद वालद यदयलि इस बात क दावददार ह लक यद दोनो बात ख़दा तआला की ओर सद ह िरनत इस बात क दावददार कदालि नही लक इन दोनो लकताबो का एक-एक शद ख़दा तआला का बोला हआ ह िरनत िलवतर कआमन क बार म वह यह कहनद िर मजबर होगा लक इसका परसतत करनद वाला न कवल इस बात का दावददार ह बबक इस बात का िली दावददार ह लक िलवतर कआमन का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद ह यहली कारण ह लक िलवतर कआमन नद अिना नाम लकताबलाह क अलतररकत कलामलाह िली रखा ह िरनत तौरात तथा इजलील नद अिना नाम कलामलाह नही रखा न िलवतर कआमन नद उनको कलामलाह कहा ह अतः मसलमान शदषठतर ह दसर िममो सद इस बात म लक दसर िममो की िालममक लकताब लकताबलाह तो ह िरनत कलामलाह नही लकनत मसलमानो की लकताब न कवल यह की लकताबलाह बबक कलामलाह िली ह

इसली परकार सिली िममो का परारि नलबयो क दारा हआ ह िरनत कोई िमम िली ऐसा नही लजस नद ऐसद नबली को परसतत लकया हो जो समसत िालममक मामलो की लहकमतो का वणमन करनद का दावददार हो और लजस मानव जालत क ललए उरम आदशम क तौर िर परसतत लकया गया हो ईसाइयत जो सब सद लनकट का िमम ह वह तो मसलीह को अलाह का बदटा ठहरा कर इस योगय हली नही छोड़तली लक कोई मनषय उसक िद-लिनहो िर िलद कयोलक मनषय ख़दा जसा नही हो सकता तौरात हज़रत

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अहमदियत का पग़ाम

मसा अललहससलाम को उरम आदशम क तौर िर परसतत नही करतली न तौरात और इजलील हज़रत मसा और हज़रत ईसा अललहससलाम को िालममक लहकमतो को वणमन करनद का उररदायली ठहरतली ह िरनत िलवतर कआमन महममद सललाह अललह व सलम क बार म फ़रमाता ह- مــۃ

حک

کتــب وال

ال यह नबली तमह ख़दा क आददश ویعلمکــم

और उसकी लहकमत बताता ह अतएव इसलाम शदषठतर ह इस बात म लक उसका नबली दलनया क ललए उरम आदशम िली ह और जबर सद अिनद आददश नही मनवाता बबक जब कोई आददश ददता ह तो अिनद अनयालययो क ईमानो को सदढ़ करनद और उनक जोश को बढ़ानद क ललए यह िली बताता ह लक उसनद जो आददश लदए ह उनक अनदर उममत क लोगो क ललए तथा शदष मानव जालत क ललए कया-कया लाि छिद हए ह इसली परकार इसलाम शदषठतर ह दसर िममो सद अिनली लशका की दबटि सद इसलाम की लशका छोट-बड़ ग़रलीब-अमलीर सतरली-िरष िववी-िबशमली लनबमल-शबकतशालली हालकम-परजा माललक-मज़दर िलत-ितनली माता-लिता तथा सनतान लवकता-कता िड़ोसली और यातरली सब क ललए आराम अमन तथा उनलत का सददश ह वह मानवजालत म सद लकसली लगरोह को अिनद सबोिन सद वलित नही करतली वह अगलली और लिछलली समसत क़ौमो क ललए एक लहदायतनामः (अनददश ितर) ह लजस परकार अनतयाममली ख़दा की दबटि ितथरो क नलीिद िड़ हए कणो िर िली िड़तली ह और आकाश म िमकनद वालद नकतरो िर िली इसली परकार मसलमानो की िालममक लशका ग़रलीब सद ग़रलीब और कमज़ोर सद कमज़ोर इनसानो की आवशयकताओ को िली िरा करतली ह और अमलीर सद अमलीर तथा शबकतशालली सद शबकतशालली मनषयो की आवशयकताओ को िली दर करतली ह तो इसलाम कवल िहलद िममो की एक नक़ल नही

अहमदियत का पग़ाम

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बबक वह िमम की शखला की अबनतम कड़ली और आधयाबतमक वयवसथा (रहानली लनज़ाम) का सयम ह और उसकी लकसली बात सद अनय िममो का अनमान लगाना ठलीक नही िमम क नाम म लनससनददह सिली िागलीदार ह उसली परकार लजस परकार हलीरा और कोयला काबमन क नाम म िागलीदार ह िरनत हलीरा हलीरा हली ह और कोयला कोयला हली ह लजस परकार ितथर का नाम ककरलीलद ितथर और सगमममर दोनो िर बोला जा सकता ह िरनत ककरलीला ितथर ककरलीला ितथर हली ह और सगमममर सगमममर हली ह तो यह सोि लदना लक िलक इसलाम म कललमः िाया जाता ह इसललए शदष िममो का िली कललमः होता होगा यह कवल अनलिजता का िररणाम ह इस सद अलिक अनयाय यह ह लक कछ लोगो नद तो ला इलाहा इललाह ईसा रसललाह और ला इलाहा इललाह ईसा रहलाह क कललमद िली परसतत कर लदए ह और कहा ह लक यद िहलद िममो क कललमद ह हालालक तौरात और इजलील तथा ईसाई ललटरिर म इन कललमो का कही नामो लनशान नही मसलमानो म आज हज़ारो खरालबया िदा हो िकी ह िरनत कया वद अिना कललमः िल गए ह लफर यह लकस परकार कहा जा सकता ह लक ईसाई और यहदली अिना कललमः िल गए ह यलद वद अिना कललमः िल गए ह और उनकी लकताबो सद िली यद कललमद लपत हो गए ह तो मसलमानो को यद कललमद लकस नद बताए ह सि तो यह ह लक महममद सललाह अललह व सलम क अलतररकत लकसली अनय नबली का कललमः नही था नबली करलीम सललाह अललह व सलम की लवशदषताओ म सद एक लवशदषता यह िली ह लक समसत नलबयो म सद कवल आि को कललमः लमला ह अनय लकसली नबली को कललमः नही लमला इस का कारण यह ह लक कललमः म ररसालत क इक़रार को तौहलीद (एकशरवाद) क इक़रार क साथ लमला लदया गया ह और तौहलीद का

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अहमदियत का पग़ाम

इक़रार एक अनशर सचाई ह जो किली लमट नही सकतली िलक िहलद नलबयो की नबववत क यग नद लकसली न लकसली समय समापत हो जाना था इसललए ख़दा तआला नद उन म सद लकसली नबली क नाम को अिनद नाम क साथ लमलाकर वणमन नही लकया िरनत महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की नबववत नद िलक क़यामत तक िलतद िलद जाना था और आि सललाह अललह व सलम का यग किली समापत नही होना था इसललए अलाह तआला नद आिक और आिक नाम को तौहलीद क कललमः क साथ लमलाकर वणमन लकया तालक दलनया को यह बता दद लक लजस परकार ال ال اہلل

किली नही लमटगा (ला इलाहा इललाह) ل

इसली परकार سول اہلل در िली किली नही लमटगा (महममदररसललाह) محمआशयम ह लक यहदली नही कहता लक मसा अललहससलाम का कोई कललमः था ईसाई नही कहता लक ईसा अललहससलाम का कोई कललमः था िरनत मसलमान लजसक नबली की कललमः लवशदषता थली लजसक नबली को अलाह तआला नद कललमः सद लवलशटि लकया था लजसको कललमः क माधयम सद अनय क़ौमो िर शदषठता दली गई वह बहत लदल खोल कर अिनद नबली की इस शदषठता को अनय नलबयो म बाटनद क ललए तयार हो जाता ह और जबलक अनय नलबयो की अिनली उममत लकसली कललमः की दावददार नही यह उनकी ओर सद कललमः बना कर सवय परसतत कर ददता ह लक यहलदयो का यह कललमः था और इबराहलीलमयो का यह

साराश यह लक हर िमम क ललए कललमः का होना आवशयक नही यलद आवशयक होता तो िली अहमलदयत क ललए कोई नया कललमः नही हो सकता था कयोलक अहमलदयत कोई नया िमम नही अहमलदयत कवल इसलाम का नाम ह अहमलदयत कवल उसली कललमः िर ईमान रखतली ह लजसको महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया क

अहमदियत का पग़ाम

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सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

अहमदियत का पग़ाम

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

39

तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

नाि पसतक अहिमदयत का पग़ािName of book Ahmadiyyat Ka Paigamलखक हज़रत मिज़ाज़ा बशीरदीन िहिद अहिद ख़लीफ़तल िसीह मवितीयरमज़

Writer Hazrat Mirza Bashiruddin Mehmood Ahmad Khalifatul Masih II (Razi)अनवादक डॉ अनसार अहिद पी एच डी आनसज़ा इन अरमबकTranslator Dr Ansar Ahmad Ph D Hons in Arabicटाइप समटग नईि उल हक़ करशी िरबबी मसलमसला Type Setting Naeem Ul Haque Qureshi Murabbi silsilaससकरण वरज़ा परथि ससकरण (महनदी) 2018 ई०Edition Year 1st Edition (Hindi) 2018सखया Quantity 1000परकाशक नज़ारत नशर-व-इशाअत क़ामदयान मज़ला-गरदासपर (पजाब)Publisher Nazarat Nashr-o-Ishaat Qadian Distt Gurdaspur (Punjab)िदरक फ़ज़ल उिर मपरमटग परस क़ामदयान मज़ला-गरदासपरPrinted at Fazl-e-Umar Printing Press Qadian Distt Gurdaspur (Punjab)

अहमदियत का पग़ाम

1

बिसमिललाबिररिमिलाबिररिीमिनहमदह व नसलली अला रसलललहलकरलीम-व अला अब दलहल मसलीलहल मौऊद

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथहवनालसर

अिमिबियत कला पग़लामि (सनिदश)अहमलदयत कया ह और लकस उददशय सद इसको सथालित लकया

गया ह यह एक परशन ह जो बहत सद िररलित और अिररलित लोगो क लदलो म िदा होता ह जानवनो का अधययन अलिक गहरा होता ह और अनलिजो क परशन बहत सतहली होतद ह जान क अिाव क कारण बहत सली बात वद अिनद लविार सद बना लदतद ह तथा बहत सली बातो िर लोगो सद सन सना कर लवशास कर लदतद ह म िहलद उनही लोगो को बतानद क ललए कछ बात कहना िाहता ह जो जान क अिाव क कारण अहमलदयत क बार म लवलिन परकार की ग़लत िारणाओ म गरसत ह

अिमिबियत कोई ियला धमिम ििी -इन अजानली लोगो म सद कछ लोग यह समझतद ह लक अहमदली लोग

سول اہلل در محم ال ال اہلل ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) को नही मानतद और अहमलदयत एक नया िमम ह यद लोग या तो कछ दसर लोगो क बहकानद सद यह आसथा रखतद ह या उनक मबसतषक यह लविार करक

2

अहमदियत का पग़ाम

लक अहमलदयत एक िमम ह तथा परतयदक िमम क ललए लकसली कललमः की आवशयकता ह समझ लदतद ह लक अहमलदयो का िली कोई नया कललमः ह िरनत वासतलवकता यह ह लक न अहमलदयत कोई नया िमम ह और न िमम क ललए लकसली कललमः की आवशयकता होतली ह बबक इस सद बढ़कर म यह कहता ह लक कललमः इसलाम क अलतररकत लकसली िमम का लनशान नही लजस परकार इसलाम दसर िमम सद अिनली लकताब की दबटि सद शदषठतर ह अिनद नबली की दबटि सद शदषठतर ह अिनली सावमिौलमकता की दबटि सद शदषठतर ह इसली परकार इसलाम कललमः की दबटि सद अनय िममो सद िली शदषठतर ह अनय िममो क िास लकताब ह िरनत अलाह का कलाम मसलमानो क अलतररकत लकसली को नही लमला लकताब क मायनद कवल लदख क ह करमवयो क ह आददशो क ह िरनत लकताब क अथम म यह बात कदालि सबममललत नही लक उसक अनदर वलणमत लदख का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद हो लकनत इसलामली लकताब का नाम कलामलाह (ख़दा का कलाम या वाणली) रखा गया अथामत उसका एक-एक शद िली ख़दा तआला का वणमन लकया हआ ह लजस परकार उसका लदख ख़दा तआला का वणमन लकया हआ ह हज़रत मसा अललहससलाम की लकताब का लदख वहली था जो ख़दा तआला नद वणमन लकया था हज़रत ईसा अललहससलाम की वह लशका जो दलनया क सामनद वह परसतत करतद थद वहली थली जो ख़दा तआला नद उनको दली थली िरनत उन शदो म न थली जो ख़दा तआला नद परयोग लकए थद तौरात इजलील और कआमन को िढ़नद वालो का धयान यलद इस लदख की ओर फर लदया जाए तो दस लमनट क अधययन क िशात हली यह लनणमय कर लदगा लक तौरात और इजलील क लदख िाह ख़दा तआला की ओर सद हो उनक शद ख़दा तआला की ओर सद नही और इसली परकार वह यह िली लनणमय कर लदगा लक िलवतर

अहमदियत का पग़ाम

3

कआमन क लदख िली ख़दा तआला की ओर सद ह और उसक शद िली ख़दा तआला की ओर सद ह या यो कह लो लक एक ऐसा वयबकत जो िलवतर कआमन तौरात और इजलील िर ईमान नही रखता इन तलीनो लकताबो का कछ लमनट अधययन करनद क िशात इस बात का इक़रार करनद िर लववश होगा लक तौरात और इजलील को परसतत करनद वालद यदयलि इस बात क दावददार ह लक यद दोनो बात ख़दा तआला की ओर सद ह िरनत इस बात क दावददार कदालि नही लक इन दोनो लकताबो का एक-एक शद ख़दा तआला का बोला हआ ह िरनत िलवतर कआमन क बार म वह यह कहनद िर मजबर होगा लक इसका परसतत करनद वाला न कवल इस बात का दावददार ह बबक इस बात का िली दावददार ह लक िलवतर कआमन का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद ह यहली कारण ह लक िलवतर कआमन नद अिना नाम लकताबलाह क अलतररकत कलामलाह िली रखा ह िरनत तौरात तथा इजलील नद अिना नाम कलामलाह नही रखा न िलवतर कआमन नद उनको कलामलाह कहा ह अतः मसलमान शदषठतर ह दसर िममो सद इस बात म लक दसर िममो की िालममक लकताब लकताबलाह तो ह िरनत कलामलाह नही लकनत मसलमानो की लकताब न कवल यह की लकताबलाह बबक कलामलाह िली ह

इसली परकार सिली िममो का परारि नलबयो क दारा हआ ह िरनत कोई िमम िली ऐसा नही लजस नद ऐसद नबली को परसतत लकया हो जो समसत िालममक मामलो की लहकमतो का वणमन करनद का दावददार हो और लजस मानव जालत क ललए उरम आदशम क तौर िर परसतत लकया गया हो ईसाइयत जो सब सद लनकट का िमम ह वह तो मसलीह को अलाह का बदटा ठहरा कर इस योगय हली नही छोड़तली लक कोई मनषय उसक िद-लिनहो िर िलद कयोलक मनषय ख़दा जसा नही हो सकता तौरात हज़रत

4

अहमदियत का पग़ाम

मसा अललहससलाम को उरम आदशम क तौर िर परसतत नही करतली न तौरात और इजलील हज़रत मसा और हज़रत ईसा अललहससलाम को िालममक लहकमतो को वणमन करनद का उररदायली ठहरतली ह िरनत िलवतर कआमन महममद सललाह अललह व सलम क बार म फ़रमाता ह- مــۃ

حک

کتــب وال

ال यह नबली तमह ख़दा क आददश ویعلمکــم

और उसकी लहकमत बताता ह अतएव इसलाम शदषठतर ह इस बात म लक उसका नबली दलनया क ललए उरम आदशम िली ह और जबर सद अिनद आददश नही मनवाता बबक जब कोई आददश ददता ह तो अिनद अनयालययो क ईमानो को सदढ़ करनद और उनक जोश को बढ़ानद क ललए यह िली बताता ह लक उसनद जो आददश लदए ह उनक अनदर उममत क लोगो क ललए तथा शदष मानव जालत क ललए कया-कया लाि छिद हए ह इसली परकार इसलाम शदषठतर ह दसर िममो सद अिनली लशका की दबटि सद इसलाम की लशका छोट-बड़ ग़रलीब-अमलीर सतरली-िरष िववी-िबशमली लनबमल-शबकतशालली हालकम-परजा माललक-मज़दर िलत-ितनली माता-लिता तथा सनतान लवकता-कता िड़ोसली और यातरली सब क ललए आराम अमन तथा उनलत का सददश ह वह मानवजालत म सद लकसली लगरोह को अिनद सबोिन सद वलित नही करतली वह अगलली और लिछलली समसत क़ौमो क ललए एक लहदायतनामः (अनददश ितर) ह लजस परकार अनतयाममली ख़दा की दबटि ितथरो क नलीिद िड़ हए कणो िर िली िड़तली ह और आकाश म िमकनद वालद नकतरो िर िली इसली परकार मसलमानो की िालममक लशका ग़रलीब सद ग़रलीब और कमज़ोर सद कमज़ोर इनसानो की आवशयकताओ को िली िरा करतली ह और अमलीर सद अमलीर तथा शबकतशालली सद शबकतशालली मनषयो की आवशयकताओ को िली दर करतली ह तो इसलाम कवल िहलद िममो की एक नक़ल नही

अहमदियत का पग़ाम

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बबक वह िमम की शखला की अबनतम कड़ली और आधयाबतमक वयवसथा (रहानली लनज़ाम) का सयम ह और उसकी लकसली बात सद अनय िममो का अनमान लगाना ठलीक नही िमम क नाम म लनससनददह सिली िागलीदार ह उसली परकार लजस परकार हलीरा और कोयला काबमन क नाम म िागलीदार ह िरनत हलीरा हलीरा हली ह और कोयला कोयला हली ह लजस परकार ितथर का नाम ककरलीलद ितथर और सगमममर दोनो िर बोला जा सकता ह िरनत ककरलीला ितथर ककरलीला ितथर हली ह और सगमममर सगमममर हली ह तो यह सोि लदना लक िलक इसलाम म कललमः िाया जाता ह इसललए शदष िममो का िली कललमः होता होगा यह कवल अनलिजता का िररणाम ह इस सद अलिक अनयाय यह ह लक कछ लोगो नद तो ला इलाहा इललाह ईसा रसललाह और ला इलाहा इललाह ईसा रहलाह क कललमद िली परसतत कर लदए ह और कहा ह लक यद िहलद िममो क कललमद ह हालालक तौरात और इजलील तथा ईसाई ललटरिर म इन कललमो का कही नामो लनशान नही मसलमानो म आज हज़ारो खरालबया िदा हो िकी ह िरनत कया वद अिना कललमः िल गए ह लफर यह लकस परकार कहा जा सकता ह लक ईसाई और यहदली अिना कललमः िल गए ह यलद वद अिना कललमः िल गए ह और उनकी लकताबो सद िली यद कललमद लपत हो गए ह तो मसलमानो को यद कललमद लकस नद बताए ह सि तो यह ह लक महममद सललाह अललह व सलम क अलतररकत लकसली अनय नबली का कललमः नही था नबली करलीम सललाह अललह व सलम की लवशदषताओ म सद एक लवशदषता यह िली ह लक समसत नलबयो म सद कवल आि को कललमः लमला ह अनय लकसली नबली को कललमः नही लमला इस का कारण यह ह लक कललमः म ररसालत क इक़रार को तौहलीद (एकशरवाद) क इक़रार क साथ लमला लदया गया ह और तौहलीद का

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अहमदियत का पग़ाम

इक़रार एक अनशर सचाई ह जो किली लमट नही सकतली िलक िहलद नलबयो की नबववत क यग नद लकसली न लकसली समय समापत हो जाना था इसललए ख़दा तआला नद उन म सद लकसली नबली क नाम को अिनद नाम क साथ लमलाकर वणमन नही लकया िरनत महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की नबववत नद िलक क़यामत तक िलतद िलद जाना था और आि सललाह अललह व सलम का यग किली समापत नही होना था इसललए अलाह तआला नद आिक और आिक नाम को तौहलीद क कललमः क साथ लमलाकर वणमन लकया तालक दलनया को यह बता दद लक लजस परकार ال ال اہلل

किली नही लमटगा (ला इलाहा इललाह) ل

इसली परकार سول اہلل در िली किली नही लमटगा (महममदररसललाह) محمआशयम ह लक यहदली नही कहता लक मसा अललहससलाम का कोई कललमः था ईसाई नही कहता लक ईसा अललहससलाम का कोई कललमः था िरनत मसलमान लजसक नबली की कललमः लवशदषता थली लजसक नबली को अलाह तआला नद कललमः सद लवलशटि लकया था लजसको कललमः क माधयम सद अनय क़ौमो िर शदषठता दली गई वह बहत लदल खोल कर अिनद नबली की इस शदषठता को अनय नलबयो म बाटनद क ललए तयार हो जाता ह और जबलक अनय नलबयो की अिनली उममत लकसली कललमः की दावददार नही यह उनकी ओर सद कललमः बना कर सवय परसतत कर ददता ह लक यहलदयो का यह कललमः था और इबराहलीलमयो का यह

साराश यह लक हर िमम क ललए कललमः का होना आवशयक नही यलद आवशयक होता तो िली अहमलदयत क ललए कोई नया कललमः नही हो सकता था कयोलक अहमलदयत कोई नया िमम नही अहमलदयत कवल इसलाम का नाम ह अहमलदयत कवल उसली कललमः िर ईमान रखतली ह लजसको महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया क

अहमदियत का पग़ाम

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सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

1

बिसमिललाबिररिमिलाबिररिीमिनहमदह व नसलली अला रसलललहलकरलीम-व अला अब दलहल मसलीलहल मौऊद

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथहवनालसर

अिमिबियत कला पग़लामि (सनिदश)अहमलदयत कया ह और लकस उददशय सद इसको सथालित लकया

गया ह यह एक परशन ह जो बहत सद िररलित और अिररलित लोगो क लदलो म िदा होता ह जानवनो का अधययन अलिक गहरा होता ह और अनलिजो क परशन बहत सतहली होतद ह जान क अिाव क कारण बहत सली बात वद अिनद लविार सद बना लदतद ह तथा बहत सली बातो िर लोगो सद सन सना कर लवशास कर लदतद ह म िहलद उनही लोगो को बतानद क ललए कछ बात कहना िाहता ह जो जान क अिाव क कारण अहमलदयत क बार म लवलिन परकार की ग़लत िारणाओ म गरसत ह

अिमिबियत कोई ियला धमिम ििी -इन अजानली लोगो म सद कछ लोग यह समझतद ह लक अहमदली लोग

سول اہلل در محم ال ال اہلل ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) को नही मानतद और अहमलदयत एक नया िमम ह यद लोग या तो कछ दसर लोगो क बहकानद सद यह आसथा रखतद ह या उनक मबसतषक यह लविार करक

2

अहमदियत का पग़ाम

लक अहमलदयत एक िमम ह तथा परतयदक िमम क ललए लकसली कललमः की आवशयकता ह समझ लदतद ह लक अहमलदयो का िली कोई नया कललमः ह िरनत वासतलवकता यह ह लक न अहमलदयत कोई नया िमम ह और न िमम क ललए लकसली कललमः की आवशयकता होतली ह बबक इस सद बढ़कर म यह कहता ह लक कललमः इसलाम क अलतररकत लकसली िमम का लनशान नही लजस परकार इसलाम दसर िमम सद अिनली लकताब की दबटि सद शदषठतर ह अिनद नबली की दबटि सद शदषठतर ह अिनली सावमिौलमकता की दबटि सद शदषठतर ह इसली परकार इसलाम कललमः की दबटि सद अनय िममो सद िली शदषठतर ह अनय िममो क िास लकताब ह िरनत अलाह का कलाम मसलमानो क अलतररकत लकसली को नही लमला लकताब क मायनद कवल लदख क ह करमवयो क ह आददशो क ह िरनत लकताब क अथम म यह बात कदालि सबममललत नही लक उसक अनदर वलणमत लदख का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद हो लकनत इसलामली लकताब का नाम कलामलाह (ख़दा का कलाम या वाणली) रखा गया अथामत उसका एक-एक शद िली ख़दा तआला का वणमन लकया हआ ह लजस परकार उसका लदख ख़दा तआला का वणमन लकया हआ ह हज़रत मसा अललहससलाम की लकताब का लदख वहली था जो ख़दा तआला नद वणमन लकया था हज़रत ईसा अललहससलाम की वह लशका जो दलनया क सामनद वह परसतत करतद थद वहली थली जो ख़दा तआला नद उनको दली थली िरनत उन शदो म न थली जो ख़दा तआला नद परयोग लकए थद तौरात इजलील और कआमन को िढ़नद वालो का धयान यलद इस लदख की ओर फर लदया जाए तो दस लमनट क अधययन क िशात हली यह लनणमय कर लदगा लक तौरात और इजलील क लदख िाह ख़दा तआला की ओर सद हो उनक शद ख़दा तआला की ओर सद नही और इसली परकार वह यह िली लनणमय कर लदगा लक िलवतर

अहमदियत का पग़ाम

3

कआमन क लदख िली ख़दा तआला की ओर सद ह और उसक शद िली ख़दा तआला की ओर सद ह या यो कह लो लक एक ऐसा वयबकत जो िलवतर कआमन तौरात और इजलील िर ईमान नही रखता इन तलीनो लकताबो का कछ लमनट अधययन करनद क िशात इस बात का इक़रार करनद िर लववश होगा लक तौरात और इजलील को परसतत करनद वालद यदयलि इस बात क दावददार ह लक यद दोनो बात ख़दा तआला की ओर सद ह िरनत इस बात क दावददार कदालि नही लक इन दोनो लकताबो का एक-एक शद ख़दा तआला का बोला हआ ह िरनत िलवतर कआमन क बार म वह यह कहनद िर मजबर होगा लक इसका परसतत करनद वाला न कवल इस बात का दावददार ह बबक इस बात का िली दावददार ह लक िलवतर कआमन का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद ह यहली कारण ह लक िलवतर कआमन नद अिना नाम लकताबलाह क अलतररकत कलामलाह िली रखा ह िरनत तौरात तथा इजलील नद अिना नाम कलामलाह नही रखा न िलवतर कआमन नद उनको कलामलाह कहा ह अतः मसलमान शदषठतर ह दसर िममो सद इस बात म लक दसर िममो की िालममक लकताब लकताबलाह तो ह िरनत कलामलाह नही लकनत मसलमानो की लकताब न कवल यह की लकताबलाह बबक कलामलाह िली ह

इसली परकार सिली िममो का परारि नलबयो क दारा हआ ह िरनत कोई िमम िली ऐसा नही लजस नद ऐसद नबली को परसतत लकया हो जो समसत िालममक मामलो की लहकमतो का वणमन करनद का दावददार हो और लजस मानव जालत क ललए उरम आदशम क तौर िर परसतत लकया गया हो ईसाइयत जो सब सद लनकट का िमम ह वह तो मसलीह को अलाह का बदटा ठहरा कर इस योगय हली नही छोड़तली लक कोई मनषय उसक िद-लिनहो िर िलद कयोलक मनषय ख़दा जसा नही हो सकता तौरात हज़रत

4

अहमदियत का पग़ाम

मसा अललहससलाम को उरम आदशम क तौर िर परसतत नही करतली न तौरात और इजलील हज़रत मसा और हज़रत ईसा अललहससलाम को िालममक लहकमतो को वणमन करनद का उररदायली ठहरतली ह िरनत िलवतर कआमन महममद सललाह अललह व सलम क बार म फ़रमाता ह- مــۃ

حک

کتــب وال

ال यह नबली तमह ख़दा क आददश ویعلمکــم

और उसकी लहकमत बताता ह अतएव इसलाम शदषठतर ह इस बात म लक उसका नबली दलनया क ललए उरम आदशम िली ह और जबर सद अिनद आददश नही मनवाता बबक जब कोई आददश ददता ह तो अिनद अनयालययो क ईमानो को सदढ़ करनद और उनक जोश को बढ़ानद क ललए यह िली बताता ह लक उसनद जो आददश लदए ह उनक अनदर उममत क लोगो क ललए तथा शदष मानव जालत क ललए कया-कया लाि छिद हए ह इसली परकार इसलाम शदषठतर ह दसर िममो सद अिनली लशका की दबटि सद इसलाम की लशका छोट-बड़ ग़रलीब-अमलीर सतरली-िरष िववी-िबशमली लनबमल-शबकतशालली हालकम-परजा माललक-मज़दर िलत-ितनली माता-लिता तथा सनतान लवकता-कता िड़ोसली और यातरली सब क ललए आराम अमन तथा उनलत का सददश ह वह मानवजालत म सद लकसली लगरोह को अिनद सबोिन सद वलित नही करतली वह अगलली और लिछलली समसत क़ौमो क ललए एक लहदायतनामः (अनददश ितर) ह लजस परकार अनतयाममली ख़दा की दबटि ितथरो क नलीिद िड़ हए कणो िर िली िड़तली ह और आकाश म िमकनद वालद नकतरो िर िली इसली परकार मसलमानो की िालममक लशका ग़रलीब सद ग़रलीब और कमज़ोर सद कमज़ोर इनसानो की आवशयकताओ को िली िरा करतली ह और अमलीर सद अमलीर तथा शबकतशालली सद शबकतशालली मनषयो की आवशयकताओ को िली दर करतली ह तो इसलाम कवल िहलद िममो की एक नक़ल नही

अहमदियत का पग़ाम

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बबक वह िमम की शखला की अबनतम कड़ली और आधयाबतमक वयवसथा (रहानली लनज़ाम) का सयम ह और उसकी लकसली बात सद अनय िममो का अनमान लगाना ठलीक नही िमम क नाम म लनससनददह सिली िागलीदार ह उसली परकार लजस परकार हलीरा और कोयला काबमन क नाम म िागलीदार ह िरनत हलीरा हलीरा हली ह और कोयला कोयला हली ह लजस परकार ितथर का नाम ककरलीलद ितथर और सगमममर दोनो िर बोला जा सकता ह िरनत ककरलीला ितथर ककरलीला ितथर हली ह और सगमममर सगमममर हली ह तो यह सोि लदना लक िलक इसलाम म कललमः िाया जाता ह इसललए शदष िममो का िली कललमः होता होगा यह कवल अनलिजता का िररणाम ह इस सद अलिक अनयाय यह ह लक कछ लोगो नद तो ला इलाहा इललाह ईसा रसललाह और ला इलाहा इललाह ईसा रहलाह क कललमद िली परसतत कर लदए ह और कहा ह लक यद िहलद िममो क कललमद ह हालालक तौरात और इजलील तथा ईसाई ललटरिर म इन कललमो का कही नामो लनशान नही मसलमानो म आज हज़ारो खरालबया िदा हो िकी ह िरनत कया वद अिना कललमः िल गए ह लफर यह लकस परकार कहा जा सकता ह लक ईसाई और यहदली अिना कललमः िल गए ह यलद वद अिना कललमः िल गए ह और उनकी लकताबो सद िली यद कललमद लपत हो गए ह तो मसलमानो को यद कललमद लकस नद बताए ह सि तो यह ह लक महममद सललाह अललह व सलम क अलतररकत लकसली अनय नबली का कललमः नही था नबली करलीम सललाह अललह व सलम की लवशदषताओ म सद एक लवशदषता यह िली ह लक समसत नलबयो म सद कवल आि को कललमः लमला ह अनय लकसली नबली को कललमः नही लमला इस का कारण यह ह लक कललमः म ररसालत क इक़रार को तौहलीद (एकशरवाद) क इक़रार क साथ लमला लदया गया ह और तौहलीद का

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अहमदियत का पग़ाम

इक़रार एक अनशर सचाई ह जो किली लमट नही सकतली िलक िहलद नलबयो की नबववत क यग नद लकसली न लकसली समय समापत हो जाना था इसललए ख़दा तआला नद उन म सद लकसली नबली क नाम को अिनद नाम क साथ लमलाकर वणमन नही लकया िरनत महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की नबववत नद िलक क़यामत तक िलतद िलद जाना था और आि सललाह अललह व सलम का यग किली समापत नही होना था इसललए अलाह तआला नद आिक और आिक नाम को तौहलीद क कललमः क साथ लमलाकर वणमन लकया तालक दलनया को यह बता दद लक लजस परकार ال ال اہلل

किली नही लमटगा (ला इलाहा इललाह) ل

इसली परकार سول اہلل در िली किली नही लमटगा (महममदररसललाह) محمआशयम ह लक यहदली नही कहता लक मसा अललहससलाम का कोई कललमः था ईसाई नही कहता लक ईसा अललहससलाम का कोई कललमः था िरनत मसलमान लजसक नबली की कललमः लवशदषता थली लजसक नबली को अलाह तआला नद कललमः सद लवलशटि लकया था लजसको कललमः क माधयम सद अनय क़ौमो िर शदषठता दली गई वह बहत लदल खोल कर अिनद नबली की इस शदषठता को अनय नलबयो म बाटनद क ललए तयार हो जाता ह और जबलक अनय नलबयो की अिनली उममत लकसली कललमः की दावददार नही यह उनकी ओर सद कललमः बना कर सवय परसतत कर ददता ह लक यहलदयो का यह कललमः था और इबराहलीलमयो का यह

साराश यह लक हर िमम क ललए कललमः का होना आवशयक नही यलद आवशयक होता तो िली अहमलदयत क ललए कोई नया कललमः नही हो सकता था कयोलक अहमलदयत कोई नया िमम नही अहमलदयत कवल इसलाम का नाम ह अहमलदयत कवल उसली कललमः िर ईमान रखतली ह लजसको महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया क

अहमदियत का पग़ाम

7

सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

8

अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

9

सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

10

अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

लक अहमलदयत एक िमम ह तथा परतयदक िमम क ललए लकसली कललमः की आवशयकता ह समझ लदतद ह लक अहमलदयो का िली कोई नया कललमः ह िरनत वासतलवकता यह ह लक न अहमलदयत कोई नया िमम ह और न िमम क ललए लकसली कललमः की आवशयकता होतली ह बबक इस सद बढ़कर म यह कहता ह लक कललमः इसलाम क अलतररकत लकसली िमम का लनशान नही लजस परकार इसलाम दसर िमम सद अिनली लकताब की दबटि सद शदषठतर ह अिनद नबली की दबटि सद शदषठतर ह अिनली सावमिौलमकता की दबटि सद शदषठतर ह इसली परकार इसलाम कललमः की दबटि सद अनय िममो सद िली शदषठतर ह अनय िममो क िास लकताब ह िरनत अलाह का कलाम मसलमानो क अलतररकत लकसली को नही लमला लकताब क मायनद कवल लदख क ह करमवयो क ह आददशो क ह िरनत लकताब क अथम म यह बात कदालि सबममललत नही लक उसक अनदर वलणमत लदख का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद हो लकनत इसलामली लकताब का नाम कलामलाह (ख़दा का कलाम या वाणली) रखा गया अथामत उसका एक-एक शद िली ख़दा तआला का वणमन लकया हआ ह लजस परकार उसका लदख ख़दा तआला का वणमन लकया हआ ह हज़रत मसा अललहससलाम की लकताब का लदख वहली था जो ख़दा तआला नद वणमन लकया था हज़रत ईसा अललहससलाम की वह लशका जो दलनया क सामनद वह परसतत करतद थद वहली थली जो ख़दा तआला नद उनको दली थली िरनत उन शदो म न थली जो ख़दा तआला नद परयोग लकए थद तौरात इजलील और कआमन को िढ़नद वालो का धयान यलद इस लदख की ओर फर लदया जाए तो दस लमनट क अधययन क िशात हली यह लनणमय कर लदगा लक तौरात और इजलील क लदख िाह ख़दा तआला की ओर सद हो उनक शद ख़दा तआला की ओर सद नही और इसली परकार वह यह िली लनणमय कर लदगा लक िलवतर

अहमदियत का पग़ाम

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कआमन क लदख िली ख़दा तआला की ओर सद ह और उसक शद िली ख़दा तआला की ओर सद ह या यो कह लो लक एक ऐसा वयबकत जो िलवतर कआमन तौरात और इजलील िर ईमान नही रखता इन तलीनो लकताबो का कछ लमनट अधययन करनद क िशात इस बात का इक़रार करनद िर लववश होगा लक तौरात और इजलील को परसतत करनद वालद यदयलि इस बात क दावददार ह लक यद दोनो बात ख़दा तआला की ओर सद ह िरनत इस बात क दावददार कदालि नही लक इन दोनो लकताबो का एक-एक शद ख़दा तआला का बोला हआ ह िरनत िलवतर कआमन क बार म वह यह कहनद िर मजबर होगा लक इसका परसतत करनद वाला न कवल इस बात का दावददार ह बबक इस बात का िली दावददार ह लक िलवतर कआमन का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद ह यहली कारण ह लक िलवतर कआमन नद अिना नाम लकताबलाह क अलतररकत कलामलाह िली रखा ह िरनत तौरात तथा इजलील नद अिना नाम कलामलाह नही रखा न िलवतर कआमन नद उनको कलामलाह कहा ह अतः मसलमान शदषठतर ह दसर िममो सद इस बात म लक दसर िममो की िालममक लकताब लकताबलाह तो ह िरनत कलामलाह नही लकनत मसलमानो की लकताब न कवल यह की लकताबलाह बबक कलामलाह िली ह

इसली परकार सिली िममो का परारि नलबयो क दारा हआ ह िरनत कोई िमम िली ऐसा नही लजस नद ऐसद नबली को परसतत लकया हो जो समसत िालममक मामलो की लहकमतो का वणमन करनद का दावददार हो और लजस मानव जालत क ललए उरम आदशम क तौर िर परसतत लकया गया हो ईसाइयत जो सब सद लनकट का िमम ह वह तो मसलीह को अलाह का बदटा ठहरा कर इस योगय हली नही छोड़तली लक कोई मनषय उसक िद-लिनहो िर िलद कयोलक मनषय ख़दा जसा नही हो सकता तौरात हज़रत

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अहमदियत का पग़ाम

मसा अललहससलाम को उरम आदशम क तौर िर परसतत नही करतली न तौरात और इजलील हज़रत मसा और हज़रत ईसा अललहससलाम को िालममक लहकमतो को वणमन करनद का उररदायली ठहरतली ह िरनत िलवतर कआमन महममद सललाह अललह व सलम क बार म फ़रमाता ह- مــۃ

حک

کتــب وال

ال यह नबली तमह ख़दा क आददश ویعلمکــم

और उसकी लहकमत बताता ह अतएव इसलाम शदषठतर ह इस बात म लक उसका नबली दलनया क ललए उरम आदशम िली ह और जबर सद अिनद आददश नही मनवाता बबक जब कोई आददश ददता ह तो अिनद अनयालययो क ईमानो को सदढ़ करनद और उनक जोश को बढ़ानद क ललए यह िली बताता ह लक उसनद जो आददश लदए ह उनक अनदर उममत क लोगो क ललए तथा शदष मानव जालत क ललए कया-कया लाि छिद हए ह इसली परकार इसलाम शदषठतर ह दसर िममो सद अिनली लशका की दबटि सद इसलाम की लशका छोट-बड़ ग़रलीब-अमलीर सतरली-िरष िववी-िबशमली लनबमल-शबकतशालली हालकम-परजा माललक-मज़दर िलत-ितनली माता-लिता तथा सनतान लवकता-कता िड़ोसली और यातरली सब क ललए आराम अमन तथा उनलत का सददश ह वह मानवजालत म सद लकसली लगरोह को अिनद सबोिन सद वलित नही करतली वह अगलली और लिछलली समसत क़ौमो क ललए एक लहदायतनामः (अनददश ितर) ह लजस परकार अनतयाममली ख़दा की दबटि ितथरो क नलीिद िड़ हए कणो िर िली िड़तली ह और आकाश म िमकनद वालद नकतरो िर िली इसली परकार मसलमानो की िालममक लशका ग़रलीब सद ग़रलीब और कमज़ोर सद कमज़ोर इनसानो की आवशयकताओ को िली िरा करतली ह और अमलीर सद अमलीर तथा शबकतशालली सद शबकतशालली मनषयो की आवशयकताओ को िली दर करतली ह तो इसलाम कवल िहलद िममो की एक नक़ल नही

अहमदियत का पग़ाम

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बबक वह िमम की शखला की अबनतम कड़ली और आधयाबतमक वयवसथा (रहानली लनज़ाम) का सयम ह और उसकी लकसली बात सद अनय िममो का अनमान लगाना ठलीक नही िमम क नाम म लनससनददह सिली िागलीदार ह उसली परकार लजस परकार हलीरा और कोयला काबमन क नाम म िागलीदार ह िरनत हलीरा हलीरा हली ह और कोयला कोयला हली ह लजस परकार ितथर का नाम ककरलीलद ितथर और सगमममर दोनो िर बोला जा सकता ह िरनत ककरलीला ितथर ककरलीला ितथर हली ह और सगमममर सगमममर हली ह तो यह सोि लदना लक िलक इसलाम म कललमः िाया जाता ह इसललए शदष िममो का िली कललमः होता होगा यह कवल अनलिजता का िररणाम ह इस सद अलिक अनयाय यह ह लक कछ लोगो नद तो ला इलाहा इललाह ईसा रसललाह और ला इलाहा इललाह ईसा रहलाह क कललमद िली परसतत कर लदए ह और कहा ह लक यद िहलद िममो क कललमद ह हालालक तौरात और इजलील तथा ईसाई ललटरिर म इन कललमो का कही नामो लनशान नही मसलमानो म आज हज़ारो खरालबया िदा हो िकी ह िरनत कया वद अिना कललमः िल गए ह लफर यह लकस परकार कहा जा सकता ह लक ईसाई और यहदली अिना कललमः िल गए ह यलद वद अिना कललमः िल गए ह और उनकी लकताबो सद िली यद कललमद लपत हो गए ह तो मसलमानो को यद कललमद लकस नद बताए ह सि तो यह ह लक महममद सललाह अललह व सलम क अलतररकत लकसली अनय नबली का कललमः नही था नबली करलीम सललाह अललह व सलम की लवशदषताओ म सद एक लवशदषता यह िली ह लक समसत नलबयो म सद कवल आि को कललमः लमला ह अनय लकसली नबली को कललमः नही लमला इस का कारण यह ह लक कललमः म ररसालत क इक़रार को तौहलीद (एकशरवाद) क इक़रार क साथ लमला लदया गया ह और तौहलीद का

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अहमदियत का पग़ाम

इक़रार एक अनशर सचाई ह जो किली लमट नही सकतली िलक िहलद नलबयो की नबववत क यग नद लकसली न लकसली समय समापत हो जाना था इसललए ख़दा तआला नद उन म सद लकसली नबली क नाम को अिनद नाम क साथ लमलाकर वणमन नही लकया िरनत महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की नबववत नद िलक क़यामत तक िलतद िलद जाना था और आि सललाह अललह व सलम का यग किली समापत नही होना था इसललए अलाह तआला नद आिक और आिक नाम को तौहलीद क कललमः क साथ लमलाकर वणमन लकया तालक दलनया को यह बता दद लक लजस परकार ال ال اہلل

किली नही लमटगा (ला इलाहा इललाह) ل

इसली परकार سول اہلل در िली किली नही लमटगा (महममदररसललाह) محمआशयम ह लक यहदली नही कहता लक मसा अललहससलाम का कोई कललमः था ईसाई नही कहता लक ईसा अललहससलाम का कोई कललमः था िरनत मसलमान लजसक नबली की कललमः लवशदषता थली लजसक नबली को अलाह तआला नद कललमः सद लवलशटि लकया था लजसको कललमः क माधयम सद अनय क़ौमो िर शदषठता दली गई वह बहत लदल खोल कर अिनद नबली की इस शदषठता को अनय नलबयो म बाटनद क ललए तयार हो जाता ह और जबलक अनय नलबयो की अिनली उममत लकसली कललमः की दावददार नही यह उनकी ओर सद कललमः बना कर सवय परसतत कर ददता ह लक यहलदयो का यह कललमः था और इबराहलीलमयो का यह

साराश यह लक हर िमम क ललए कललमः का होना आवशयक नही यलद आवशयक होता तो िली अहमलदयत क ललए कोई नया कललमः नही हो सकता था कयोलक अहमलदयत कोई नया िमम नही अहमलदयत कवल इसलाम का नाम ह अहमलदयत कवल उसली कललमः िर ईमान रखतली ह लजसको महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया क

अहमदियत का पग़ाम

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सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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कआमन क लदख िली ख़दा तआला की ओर सद ह और उसक शद िली ख़दा तआला की ओर सद ह या यो कह लो लक एक ऐसा वयबकत जो िलवतर कआमन तौरात और इजलील िर ईमान नही रखता इन तलीनो लकताबो का कछ लमनट अधययन करनद क िशात इस बात का इक़रार करनद िर लववश होगा लक तौरात और इजलील को परसतत करनद वालद यदयलि इस बात क दावददार ह लक यद दोनो बात ख़दा तआला की ओर सद ह िरनत इस बात क दावददार कदालि नही लक इन दोनो लकताबो का एक-एक शद ख़दा तआला का बोला हआ ह िरनत िलवतर कआमन क बार म वह यह कहनद िर मजबर होगा लक इसका परसतत करनद वाला न कवल इस बात का दावददार ह बबक इस बात का िली दावददार ह लक िलवतर कआमन का एक-एक शद ख़दा तआला की ओर सद ह यहली कारण ह लक िलवतर कआमन नद अिना नाम लकताबलाह क अलतररकत कलामलाह िली रखा ह िरनत तौरात तथा इजलील नद अिना नाम कलामलाह नही रखा न िलवतर कआमन नद उनको कलामलाह कहा ह अतः मसलमान शदषठतर ह दसर िममो सद इस बात म लक दसर िममो की िालममक लकताब लकताबलाह तो ह िरनत कलामलाह नही लकनत मसलमानो की लकताब न कवल यह की लकताबलाह बबक कलामलाह िली ह

इसली परकार सिली िममो का परारि नलबयो क दारा हआ ह िरनत कोई िमम िली ऐसा नही लजस नद ऐसद नबली को परसतत लकया हो जो समसत िालममक मामलो की लहकमतो का वणमन करनद का दावददार हो और लजस मानव जालत क ललए उरम आदशम क तौर िर परसतत लकया गया हो ईसाइयत जो सब सद लनकट का िमम ह वह तो मसलीह को अलाह का बदटा ठहरा कर इस योगय हली नही छोड़तली लक कोई मनषय उसक िद-लिनहो िर िलद कयोलक मनषय ख़दा जसा नही हो सकता तौरात हज़रत

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अहमदियत का पग़ाम

मसा अललहससलाम को उरम आदशम क तौर िर परसतत नही करतली न तौरात और इजलील हज़रत मसा और हज़रत ईसा अललहससलाम को िालममक लहकमतो को वणमन करनद का उररदायली ठहरतली ह िरनत िलवतर कआमन महममद सललाह अललह व सलम क बार म फ़रमाता ह- مــۃ

حک

کتــب وال

ال यह नबली तमह ख़दा क आददश ویعلمکــم

और उसकी लहकमत बताता ह अतएव इसलाम शदषठतर ह इस बात म लक उसका नबली दलनया क ललए उरम आदशम िली ह और जबर सद अिनद आददश नही मनवाता बबक जब कोई आददश ददता ह तो अिनद अनयालययो क ईमानो को सदढ़ करनद और उनक जोश को बढ़ानद क ललए यह िली बताता ह लक उसनद जो आददश लदए ह उनक अनदर उममत क लोगो क ललए तथा शदष मानव जालत क ललए कया-कया लाि छिद हए ह इसली परकार इसलाम शदषठतर ह दसर िममो सद अिनली लशका की दबटि सद इसलाम की लशका छोट-बड़ ग़रलीब-अमलीर सतरली-िरष िववी-िबशमली लनबमल-शबकतशालली हालकम-परजा माललक-मज़दर िलत-ितनली माता-लिता तथा सनतान लवकता-कता िड़ोसली और यातरली सब क ललए आराम अमन तथा उनलत का सददश ह वह मानवजालत म सद लकसली लगरोह को अिनद सबोिन सद वलित नही करतली वह अगलली और लिछलली समसत क़ौमो क ललए एक लहदायतनामः (अनददश ितर) ह लजस परकार अनतयाममली ख़दा की दबटि ितथरो क नलीिद िड़ हए कणो िर िली िड़तली ह और आकाश म िमकनद वालद नकतरो िर िली इसली परकार मसलमानो की िालममक लशका ग़रलीब सद ग़रलीब और कमज़ोर सद कमज़ोर इनसानो की आवशयकताओ को िली िरा करतली ह और अमलीर सद अमलीर तथा शबकतशालली सद शबकतशालली मनषयो की आवशयकताओ को िली दर करतली ह तो इसलाम कवल िहलद िममो की एक नक़ल नही

अहमदियत का पग़ाम

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बबक वह िमम की शखला की अबनतम कड़ली और आधयाबतमक वयवसथा (रहानली लनज़ाम) का सयम ह और उसकी लकसली बात सद अनय िममो का अनमान लगाना ठलीक नही िमम क नाम म लनससनददह सिली िागलीदार ह उसली परकार लजस परकार हलीरा और कोयला काबमन क नाम म िागलीदार ह िरनत हलीरा हलीरा हली ह और कोयला कोयला हली ह लजस परकार ितथर का नाम ककरलीलद ितथर और सगमममर दोनो िर बोला जा सकता ह िरनत ककरलीला ितथर ककरलीला ितथर हली ह और सगमममर सगमममर हली ह तो यह सोि लदना लक िलक इसलाम म कललमः िाया जाता ह इसललए शदष िममो का िली कललमः होता होगा यह कवल अनलिजता का िररणाम ह इस सद अलिक अनयाय यह ह लक कछ लोगो नद तो ला इलाहा इललाह ईसा रसललाह और ला इलाहा इललाह ईसा रहलाह क कललमद िली परसतत कर लदए ह और कहा ह लक यद िहलद िममो क कललमद ह हालालक तौरात और इजलील तथा ईसाई ललटरिर म इन कललमो का कही नामो लनशान नही मसलमानो म आज हज़ारो खरालबया िदा हो िकी ह िरनत कया वद अिना कललमः िल गए ह लफर यह लकस परकार कहा जा सकता ह लक ईसाई और यहदली अिना कललमः िल गए ह यलद वद अिना कललमः िल गए ह और उनकी लकताबो सद िली यद कललमद लपत हो गए ह तो मसलमानो को यद कललमद लकस नद बताए ह सि तो यह ह लक महममद सललाह अललह व सलम क अलतररकत लकसली अनय नबली का कललमः नही था नबली करलीम सललाह अललह व सलम की लवशदषताओ म सद एक लवशदषता यह िली ह लक समसत नलबयो म सद कवल आि को कललमः लमला ह अनय लकसली नबली को कललमः नही लमला इस का कारण यह ह लक कललमः म ररसालत क इक़रार को तौहलीद (एकशरवाद) क इक़रार क साथ लमला लदया गया ह और तौहलीद का

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अहमदियत का पग़ाम

इक़रार एक अनशर सचाई ह जो किली लमट नही सकतली िलक िहलद नलबयो की नबववत क यग नद लकसली न लकसली समय समापत हो जाना था इसललए ख़दा तआला नद उन म सद लकसली नबली क नाम को अिनद नाम क साथ लमलाकर वणमन नही लकया िरनत महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की नबववत नद िलक क़यामत तक िलतद िलद जाना था और आि सललाह अललह व सलम का यग किली समापत नही होना था इसललए अलाह तआला नद आिक और आिक नाम को तौहलीद क कललमः क साथ लमलाकर वणमन लकया तालक दलनया को यह बता दद लक लजस परकार ال ال اہلل

किली नही लमटगा (ला इलाहा इललाह) ل

इसली परकार سول اہلل در िली किली नही लमटगा (महममदररसललाह) محمआशयम ह लक यहदली नही कहता लक मसा अललहससलाम का कोई कललमः था ईसाई नही कहता लक ईसा अललहससलाम का कोई कललमः था िरनत मसलमान लजसक नबली की कललमः लवशदषता थली लजसक नबली को अलाह तआला नद कललमः सद लवलशटि लकया था लजसको कललमः क माधयम सद अनय क़ौमो िर शदषठता दली गई वह बहत लदल खोल कर अिनद नबली की इस शदषठता को अनय नलबयो म बाटनद क ललए तयार हो जाता ह और जबलक अनय नलबयो की अिनली उममत लकसली कललमः की दावददार नही यह उनकी ओर सद कललमः बना कर सवय परसतत कर ददता ह लक यहलदयो का यह कललमः था और इबराहलीलमयो का यह

साराश यह लक हर िमम क ललए कललमः का होना आवशयक नही यलद आवशयक होता तो िली अहमलदयत क ललए कोई नया कललमः नही हो सकता था कयोलक अहमलदयत कोई नया िमम नही अहमलदयत कवल इसलाम का नाम ह अहमलदयत कवल उसली कललमः िर ईमान रखतली ह लजसको महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया क

अहमदियत का पग़ाम

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सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

मसा अललहससलाम को उरम आदशम क तौर िर परसतत नही करतली न तौरात और इजलील हज़रत मसा और हज़रत ईसा अललहससलाम को िालममक लहकमतो को वणमन करनद का उररदायली ठहरतली ह िरनत िलवतर कआमन महममद सललाह अललह व सलम क बार म फ़रमाता ह- مــۃ

حک

کتــب وال

ال यह नबली तमह ख़दा क आददश ویعلمکــم

और उसकी लहकमत बताता ह अतएव इसलाम शदषठतर ह इस बात म लक उसका नबली दलनया क ललए उरम आदशम िली ह और जबर सद अिनद आददश नही मनवाता बबक जब कोई आददश ददता ह तो अिनद अनयालययो क ईमानो को सदढ़ करनद और उनक जोश को बढ़ानद क ललए यह िली बताता ह लक उसनद जो आददश लदए ह उनक अनदर उममत क लोगो क ललए तथा शदष मानव जालत क ललए कया-कया लाि छिद हए ह इसली परकार इसलाम शदषठतर ह दसर िममो सद अिनली लशका की दबटि सद इसलाम की लशका छोट-बड़ ग़रलीब-अमलीर सतरली-िरष िववी-िबशमली लनबमल-शबकतशालली हालकम-परजा माललक-मज़दर िलत-ितनली माता-लिता तथा सनतान लवकता-कता िड़ोसली और यातरली सब क ललए आराम अमन तथा उनलत का सददश ह वह मानवजालत म सद लकसली लगरोह को अिनद सबोिन सद वलित नही करतली वह अगलली और लिछलली समसत क़ौमो क ललए एक लहदायतनामः (अनददश ितर) ह लजस परकार अनतयाममली ख़दा की दबटि ितथरो क नलीिद िड़ हए कणो िर िली िड़तली ह और आकाश म िमकनद वालद नकतरो िर िली इसली परकार मसलमानो की िालममक लशका ग़रलीब सद ग़रलीब और कमज़ोर सद कमज़ोर इनसानो की आवशयकताओ को िली िरा करतली ह और अमलीर सद अमलीर तथा शबकतशालली सद शबकतशालली मनषयो की आवशयकताओ को िली दर करतली ह तो इसलाम कवल िहलद िममो की एक नक़ल नही

अहमदियत का पग़ाम

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बबक वह िमम की शखला की अबनतम कड़ली और आधयाबतमक वयवसथा (रहानली लनज़ाम) का सयम ह और उसकी लकसली बात सद अनय िममो का अनमान लगाना ठलीक नही िमम क नाम म लनससनददह सिली िागलीदार ह उसली परकार लजस परकार हलीरा और कोयला काबमन क नाम म िागलीदार ह िरनत हलीरा हलीरा हली ह और कोयला कोयला हली ह लजस परकार ितथर का नाम ककरलीलद ितथर और सगमममर दोनो िर बोला जा सकता ह िरनत ककरलीला ितथर ककरलीला ितथर हली ह और सगमममर सगमममर हली ह तो यह सोि लदना लक िलक इसलाम म कललमः िाया जाता ह इसललए शदष िममो का िली कललमः होता होगा यह कवल अनलिजता का िररणाम ह इस सद अलिक अनयाय यह ह लक कछ लोगो नद तो ला इलाहा इललाह ईसा रसललाह और ला इलाहा इललाह ईसा रहलाह क कललमद िली परसतत कर लदए ह और कहा ह लक यद िहलद िममो क कललमद ह हालालक तौरात और इजलील तथा ईसाई ललटरिर म इन कललमो का कही नामो लनशान नही मसलमानो म आज हज़ारो खरालबया िदा हो िकी ह िरनत कया वद अिना कललमः िल गए ह लफर यह लकस परकार कहा जा सकता ह लक ईसाई और यहदली अिना कललमः िल गए ह यलद वद अिना कललमः िल गए ह और उनकी लकताबो सद िली यद कललमद लपत हो गए ह तो मसलमानो को यद कललमद लकस नद बताए ह सि तो यह ह लक महममद सललाह अललह व सलम क अलतररकत लकसली अनय नबली का कललमः नही था नबली करलीम सललाह अललह व सलम की लवशदषताओ म सद एक लवशदषता यह िली ह लक समसत नलबयो म सद कवल आि को कललमः लमला ह अनय लकसली नबली को कललमः नही लमला इस का कारण यह ह लक कललमः म ररसालत क इक़रार को तौहलीद (एकशरवाद) क इक़रार क साथ लमला लदया गया ह और तौहलीद का

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अहमदियत का पग़ाम

इक़रार एक अनशर सचाई ह जो किली लमट नही सकतली िलक िहलद नलबयो की नबववत क यग नद लकसली न लकसली समय समापत हो जाना था इसललए ख़दा तआला नद उन म सद लकसली नबली क नाम को अिनद नाम क साथ लमलाकर वणमन नही लकया िरनत महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की नबववत नद िलक क़यामत तक िलतद िलद जाना था और आि सललाह अललह व सलम का यग किली समापत नही होना था इसललए अलाह तआला नद आिक और आिक नाम को तौहलीद क कललमः क साथ लमलाकर वणमन लकया तालक दलनया को यह बता दद लक लजस परकार ال ال اہلل

किली नही लमटगा (ला इलाहा इललाह) ل

इसली परकार سول اہلل در िली किली नही लमटगा (महममदररसललाह) محمआशयम ह लक यहदली नही कहता लक मसा अललहससलाम का कोई कललमः था ईसाई नही कहता लक ईसा अललहससलाम का कोई कललमः था िरनत मसलमान लजसक नबली की कललमः लवशदषता थली लजसक नबली को अलाह तआला नद कललमः सद लवलशटि लकया था लजसको कललमः क माधयम सद अनय क़ौमो िर शदषठता दली गई वह बहत लदल खोल कर अिनद नबली की इस शदषठता को अनय नलबयो म बाटनद क ललए तयार हो जाता ह और जबलक अनय नलबयो की अिनली उममत लकसली कललमः की दावददार नही यह उनकी ओर सद कललमः बना कर सवय परसतत कर ददता ह लक यहलदयो का यह कललमः था और इबराहलीलमयो का यह

साराश यह लक हर िमम क ललए कललमः का होना आवशयक नही यलद आवशयक होता तो िली अहमलदयत क ललए कोई नया कललमः नही हो सकता था कयोलक अहमलदयत कोई नया िमम नही अहमलदयत कवल इसलाम का नाम ह अहमलदयत कवल उसली कललमः िर ईमान रखतली ह लजसको महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया क

अहमदियत का पग़ाम

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सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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बबक वह िमम की शखला की अबनतम कड़ली और आधयाबतमक वयवसथा (रहानली लनज़ाम) का सयम ह और उसकी लकसली बात सद अनय िममो का अनमान लगाना ठलीक नही िमम क नाम म लनससनददह सिली िागलीदार ह उसली परकार लजस परकार हलीरा और कोयला काबमन क नाम म िागलीदार ह िरनत हलीरा हलीरा हली ह और कोयला कोयला हली ह लजस परकार ितथर का नाम ककरलीलद ितथर और सगमममर दोनो िर बोला जा सकता ह िरनत ककरलीला ितथर ककरलीला ितथर हली ह और सगमममर सगमममर हली ह तो यह सोि लदना लक िलक इसलाम म कललमः िाया जाता ह इसललए शदष िममो का िली कललमः होता होगा यह कवल अनलिजता का िररणाम ह इस सद अलिक अनयाय यह ह लक कछ लोगो नद तो ला इलाहा इललाह ईसा रसललाह और ला इलाहा इललाह ईसा रहलाह क कललमद िली परसतत कर लदए ह और कहा ह लक यद िहलद िममो क कललमद ह हालालक तौरात और इजलील तथा ईसाई ललटरिर म इन कललमो का कही नामो लनशान नही मसलमानो म आज हज़ारो खरालबया िदा हो िकी ह िरनत कया वद अिना कललमः िल गए ह लफर यह लकस परकार कहा जा सकता ह लक ईसाई और यहदली अिना कललमः िल गए ह यलद वद अिना कललमः िल गए ह और उनकी लकताबो सद िली यद कललमद लपत हो गए ह तो मसलमानो को यद कललमद लकस नद बताए ह सि तो यह ह लक महममद सललाह अललह व सलम क अलतररकत लकसली अनय नबली का कललमः नही था नबली करलीम सललाह अललह व सलम की लवशदषताओ म सद एक लवशदषता यह िली ह लक समसत नलबयो म सद कवल आि को कललमः लमला ह अनय लकसली नबली को कललमः नही लमला इस का कारण यह ह लक कललमः म ररसालत क इक़रार को तौहलीद (एकशरवाद) क इक़रार क साथ लमला लदया गया ह और तौहलीद का

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अहमदियत का पग़ाम

इक़रार एक अनशर सचाई ह जो किली लमट नही सकतली िलक िहलद नलबयो की नबववत क यग नद लकसली न लकसली समय समापत हो जाना था इसललए ख़दा तआला नद उन म सद लकसली नबली क नाम को अिनद नाम क साथ लमलाकर वणमन नही लकया िरनत महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की नबववत नद िलक क़यामत तक िलतद िलद जाना था और आि सललाह अललह व सलम का यग किली समापत नही होना था इसललए अलाह तआला नद आिक और आिक नाम को तौहलीद क कललमः क साथ लमलाकर वणमन लकया तालक दलनया को यह बता दद लक लजस परकार ال ال اہلل

किली नही लमटगा (ला इलाहा इललाह) ل

इसली परकार سول اہلل در िली किली नही लमटगा (महममदररसललाह) محمआशयम ह लक यहदली नही कहता लक मसा अललहससलाम का कोई कललमः था ईसाई नही कहता लक ईसा अललहससलाम का कोई कललमः था िरनत मसलमान लजसक नबली की कललमः लवशदषता थली लजसक नबली को अलाह तआला नद कललमः सद लवलशटि लकया था लजसको कललमः क माधयम सद अनय क़ौमो िर शदषठता दली गई वह बहत लदल खोल कर अिनद नबली की इस शदषठता को अनय नलबयो म बाटनद क ललए तयार हो जाता ह और जबलक अनय नलबयो की अिनली उममत लकसली कललमः की दावददार नही यह उनकी ओर सद कललमः बना कर सवय परसतत कर ददता ह लक यहलदयो का यह कललमः था और इबराहलीलमयो का यह

साराश यह लक हर िमम क ललए कललमः का होना आवशयक नही यलद आवशयक होता तो िली अहमलदयत क ललए कोई नया कललमः नही हो सकता था कयोलक अहमलदयत कोई नया िमम नही अहमलदयत कवल इसलाम का नाम ह अहमलदयत कवल उसली कललमः िर ईमान रखतली ह लजसको महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया क

अहमदियत का पग़ाम

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सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

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وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

इक़रार एक अनशर सचाई ह जो किली लमट नही सकतली िलक िहलद नलबयो की नबववत क यग नद लकसली न लकसली समय समापत हो जाना था इसललए ख़दा तआला नद उन म सद लकसली नबली क नाम को अिनद नाम क साथ लमलाकर वणमन नही लकया िरनत महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की नबववत नद िलक क़यामत तक िलतद िलद जाना था और आि सललाह अललह व सलम का यग किली समापत नही होना था इसललए अलाह तआला नद आिक और आिक नाम को तौहलीद क कललमः क साथ लमलाकर वणमन लकया तालक दलनया को यह बता दद लक लजस परकार ال ال اہلل

किली नही लमटगा (ला इलाहा इललाह) ل

इसली परकार سول اہلل در िली किली नही लमटगा (महममदररसललाह) محمआशयम ह लक यहदली नही कहता लक मसा अललहससलाम का कोई कललमः था ईसाई नही कहता लक ईसा अललहससलाम का कोई कललमः था िरनत मसलमान लजसक नबली की कललमः लवशदषता थली लजसक नबली को अलाह तआला नद कललमः सद लवलशटि लकया था लजसको कललमः क माधयम सद अनय क़ौमो िर शदषठता दली गई वह बहत लदल खोल कर अिनद नबली की इस शदषठता को अनय नलबयो म बाटनद क ललए तयार हो जाता ह और जबलक अनय नलबयो की अिनली उममत लकसली कललमः की दावददार नही यह उनकी ओर सद कललमः बना कर सवय परसतत कर ददता ह लक यहलदयो का यह कललमः था और इबराहलीलमयो का यह

साराश यह लक हर िमम क ललए कललमः का होना आवशयक नही यलद आवशयक होता तो िली अहमलदयत क ललए कोई नया कललमः नही हो सकता था कयोलक अहमलदयत कोई नया िमम नही अहमलदयत कवल इसलाम का नाम ह अहमलदयत कवल उसली कललमः िर ईमान रखतली ह लजसको महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया क

अहमदियत का पग़ाम

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सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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सामनद परसतत लकया था अथामतسول اہلل در محم ال ال اہلل

ل

(ला इलाहा इललाह महममदररसललाह) अहमलदयत क नज़दलीक इस िौलतक ससार का िदा करनद वाला एक ख़दा ह जो िागलीदार-रलहत एक ह लजसकी शबकतयो और ताकतो का कोई अनत नही जो रब (परलतिालक) ह रहमान (किाल) ह रहलीम (दयाल) ह माललक यौलमदलीन ह (परलतफल एव दणड क लदन का माललक) ह (फ़ालतहा ndash 4) उसक अनदर वद समसत लवशदषताए िाई जातली ह जो िलवतर कआमन म वणमन हई ह और वह उन समसत बातो सद िलवतर ह लजन बातो सद िलवतर कआमन नद उसद िलवतर ठहराया ह और अहमलदयो क नज़दलीक महममद लबन अदलाह लबन अदलमरललब करश मककी सललाह अललह वसलम अलाह तआला क रसल थद और सब सद अबनतम शरलीअत आि िर उतरली आि ग़र अरबली और अरबली गोर और कालद समसत क़ौमो और समसत नसलो की ओर िदजद गए आिकी नबववत का यग नबववत क दावद सद लदकर उस समय तक फला हआ ह जब तक लक दलनया क िदद िर कोई पराणली जलीलवत ह आिकी लशका िर परतयदक इनसान क ललए अमल करना आवशयक ह तथा कोई इनसान ऐसा नही लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो गया हो और वह आि िर ईमान न लाया हो परतयदक वयबकत लजस िर आिका नाम िहिा और लजसक सामनद आिकी सचाई क तकक वणमन लकए गए वह आि िर ईमान लानद क ललए बाधय ह और आि िर ईमान लायद लबना वह मबकत का अलिकारली नही तथा सचली िलवतरता कवल आि सललाह अललह व सलम हली क िदलिनहो िर िल कर परापत हो सकतली ह

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

अहमदियत का पग़ाम

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

39

तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

अिमिबियो क सिध मि कछ सिदिो कला बिवलारणख़तमिद ििववत क िलार मि अिमिबियो की आला -

उिरोकत जानकारली न रखनद वालद लगरोह म सद कछ लोग यह िली सोितद ह लक अहमदली ख़तमद नबववत को नही मानतद और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन नही मानतद यह कवल िोखद और जानकारली न होनद का िररणाम ह जब अहमदली सवय को मसलमान कहतद ह और शहादत क कललमः िर लवशास रखतद ह तो यह कयोकर हो सकता ह लक वह ख़तमद नबववत क इनकारली हो और रसलद करलीम सललाह अललह व सलम को ख़ातमनलबययलीन न मान िलवतर कआमन म सिटि तौर िर अलाह तआला फ़रमाता ह -سول اہلل جالکم ولکن ر ن ر د ابآ احد م ماکان محم)अलअहज़ाब ndash 41) ـبی الن

وخاتم

महममद सललाह अललह व सलम तम म सद लकसली िरष क लिता न ह न िलवषय म होगद िरनत अलाह तआला क रसल और ख़ातमनलबययलीन ह िलवतर कआमन िर ईमान रखनद वाला आदमली इस आयत का कसद इनकार कर सकता ह अतः अहमलदयो की यह आसथा कदालि नही लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नऊज़लबलाह ख़ातमनलबययलीन नही थद जो कछ अहमदली कहतद ह वह कवल यह ह लक ख़ातमनलबययलीन क वद अथम जो इस समय मसलमानो म परिललत ह न तो िलवतर कआमन की उिरोकत आयत िर िररताथम होतद ह और न उन

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

अहमदियत का पग़ाम

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

39

तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का सममान तथा शान उस परकार परकट होतली ह लजस सममान और शान की ओर इस आयत म सकत लकया गया ह तथा अहमदली जमाअत ख़ातमनलबययलीन क वह अथम करतली ह जो सामानय तौर िर अरबली शदकोश म िाए जातद ह और लजन अथमो को हज़रत आइशारलज़ और हज़रत अललीरलज़ तथा कछ दसर सहाबा समथमन करतद ह लजन सद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की शान और आि का सममान बहत बढ़ जाता ह तथा समसत मानव जालत िर आि की शदषठता लसदध होतली ह तो अहमदली ख़तमद नबववत क इनकारली नही बबक ख़तमद नबववत क उन अथमो क इनकारली ह जो सामानय मसलमानो म वतममान यग म ग़लतली सद परिललत हो गए ह अनयथा ख़तमद नबववत का इनकार तो कफ़र ह और अहमदली ख़दा क फ़ज़ल सद मसलमान ह तथा इसलाम िर िलना हली मबकत (नजात) का एक मातर माधयम समझतद ह

इन हली अनलिज लोगो म सद कछ लोग यह लविार करतद ह लक अहमदली िलवतर कआमन िर िरा ईमान नही रखतद बबक कवल कछ लसिारो को मानतद ह अतः मझद कछ समय िहलद हली कदटा म दजमनो लोगो नद लमल कर बताया लक अहमदली समिणम कआमन को नही मानतद यह िली एक झठा आरोि ह जो अहमलदयत क शतरओ नद अहमलदयत िर लगाया ह अहमलदयत िलवतर कआमन को एक िररवलतमत न होनद वालली तथा लनरसत न होनद वालली लकताब ठहरातली ह अहमलदयत लबबसमलाह क ब सद लदकर वनास क स तक परतयदक अकर और परतयदक शद को ख़दा तआला की ओर सद समझतली तथा िालन करनद योगय सवलीकार करतली ह

अिमिबियो की फररशतो क िलार मि आला -इनही अजानली लोगो म सद कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

अहमदली फ़ररशतो और शतान क क़ायल नही यह आरोि िली कवल आरोि ह फ़ररशतो की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह और शतान की ििाम िली िलवतर कआमन म मौजद ह लजन िलीज़ो की ििाम िलवतर कआमन म मौजद ह िलवतर कआमन िर ईमान का दावा करतद हए इन िलीज़ो का इनकार अहमलदयत कर हली लकस परकार सकतली ह हम ख़दा तआला क फ़ज़ल सद फ़ररशतो िर िरा ईमान रखतद ह बबक अहमलदयत सद जो बरकत हम परापत हई ह उनक कारण न कवल यह लक हम फ़ररशतो िर ईमान लातद ह बबक हम यह िली लवशास रखतद ह लक फररशतो क साथ िलवतर कआमन की सहायता सद सबि िदा लकया जा सकता ह और उन सद रहानली लवदयाए िली सलीखली जा सकतली ह

लदखक नद सवय कई लवदयाए फ़ररशतो सद सलीखी मझद एक बार एक फ़ररशतद नद सरह फ़ालतहा की तफसलीर िढ़ाई और उस समय सद लदकर इस समय तक सरह फ़ालतहा क मझ िर इतनद मतलब खलद ह लक उनकी कोई सलीमा नही और मदरा दावा ह लक लकसली िमम या समदाय का आदमली रहानली लवदयाओ म सद लकसली लवषय क बार म िली जो कछ अिनली िरली लकताब म सद लनकाल सकता ह उस सद बढ़कर लवषय ख़दा तआला क फ़ज़ल सद म कवल सरह फ़ालतहा म सद लनकाल सकता ह बड़ लमबद समय सद म दलनया को यह िदलदनज दद रहा ह िरनत आज तक लकसली नद उस िदलदनज को सवलीकार नही लकया ख़दा तआला क अबसततव का सबत ख़दा की तौहलीद का सबत ररसालत और उसकी आवशयकता सवाागिणम शरलीअत क लकण तथा मानव जालत क ललए उसकी आवशयकता दआ तकदलीर (परारि) हश-व-नश (क़यामत क लदन लहसाब क ललए मदमो को उठाना) सवगम नकक इन समसत लवषयो िर सरह फ़ालतहा सद ऐसा परकाश िड़ता ह लक अनय लकताबो क सकड़ो िषठ िली मनषय को इतना परकाश

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

अहमदियत का पग़ाम

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

अहमदियत का पग़ाम

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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नही िहिातद तो फ़ररशतो क इनकार का तो कोई परशन हली नही अहमदली तो फ़ररशतो सद लाि उठानद क िली दावददार ह शदष रहा शतान तो शतान तो एक गनदली िलीज़ ह उस िर ईमान लानद का तो कोई परशन हली नही हा उसक अबसततव का जान हम िलवतर कआमन सद सद परापत होता ह और हम उसक अबसततव को सवलीकार करतद ह और न कवल सवलीकार करतद ह बबक यह िली समझतद ह लक ख़दा तआला नद हमार लज़ममद यह कायम लगाया ह लक हम शतान की शबकत को तोड़ और उसकी हकमत को लमटाय मनद शतान को िली सवपन म ददखा ह और एक बार तो मनद उस सद कशतली हली की ह तथा ख़दा तआला की सहायता सद और तअववज़ क शदो की बरकत सद उसद िरालजत िली लकया ह और एक बार अलाह तआला नद मझद बताया लक लजस कायम क ललए तम लनयकत लकए जाओगद उसक मागम म शतान और उसकी सनतान बहत सली रोक डालदगली तम उसकी रोको की िरवाह न करना और यह वाकय कहतद हए बढ़तद िलद जाना लक ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ तब म उस लदशा की ओर िला लजस लदशा की ओर जानद का ख़दा तआला नद मझद आददश लदया था मनद ददखा लक शतान और उसकी सनतान लवलिन तरलीको सद मझद डरानद और िमकानद की कोलशश करनद लगद कछ सथानो िर कवल सर हली सर सामनद आ जातद थद और मझद डरानद की कोलशश करतद थद कछ सथानो िर कवल िड़ आ जातद थद कछ सथानो िर शतान शदरो तथा िलीतो का रि िारण कर क या हालथयो क रि म आता था िरनत ख़दा क आददश क अिलीन मनद उसकी ओर कोई धयान न लदया और यहली कहतद हए बढ़ता िला गया लक

ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

अहमदियत का पग़ाम

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

जब किली म यह वाकय िढ़ता था शतान और उसकी सनतान िाग जातली थली और मदान साफ़ हो जाता था िरनत थोड़ली ददर क बाद वह िनः एक नए रि और नई सरत म मदर सामनद आता था िरनत इस बार िली वहली दाव उसक लमटानद म सफल हो जाता था यहा तक की अिलीटि मलज़ल आ गयली और शतान िणम रि सद मदान छोड़ कर िाग गया इसली सवपन क आिार िर म अिनद समसत लदखो िर हलडग सद ऊिर ख़दा क फ़ज़ल और रहम क साथ का वाकय ललखता ह अतः हम फ़ररशतो िर ईमान रखतद ह और शतान क अबसततव को सवलीकार करतद ह

कछ लोग कहतद ह लक अहमदली लोग िमतकारो क इनकारली ह यह िली घटनाओ क लवरदध ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकार तो अलग रह हम तो इस बात क िली काइल ह लक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क सचद अनयायली को िली अलाह तआला िमतकार परदान करता ह िलवतर कआमन महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क िमतकारो सद िरा हआ ह और उन का इनकार कवल एक जनमजात अिा हली कर सकता ह

िजलात (मिसति) क िलार मि अिमिबियो की आला -कछ लोग अहमलदयत क बार म इस ग़लत िारणा म गरसत ह लक

अहमलदया आसथा क अनसार अहमलदयो क अलतररकत शदष सब लोग जहनमली (नारकी) ह यह िली कवल अजानता या शतरता का िररणाम ह हमारली हरलगज़ यह आसथा नही लक अहमलदयो क अलतररकत शदष सिली लोग जहनमली ह हमार नज़दलीक यह हो सकता ह लक कोई अहमदली हो िरनत वह जहनमली िली हो जाए लजस परकार यह िली हो सकता ह लक कोई अहमदली न हो और वह जनत (सवगम) म िल जाए कयोलक जनत

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

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مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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कवल मह क इक़रार का िररणाम नही जनत बहत सली लज़ममददाररयो को िरा करनद क िररणामसवरि लमलतली ह इसली परकार दोज़ख़ (नकक) कवल मह क इक़रार का िररणाम नही बबक दोज़ख़ का लशकार बनद क ललए बहत सली शतत ह कोई मनषय दोज़ख़ म नही जा सकता जब तक उस िर समझानद का अलतम परयास िणम न हो िाह वह बड़ली सद बड़ली सचाई हली का इनकारली कयो न हो सवय रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक बििन म मर जानद वालद या ऊिद िवमतो म रहनद वालद या जगल म रहनद वालद या इतनद बढ़ लजनकी समझ मारली गई हो या िागल जो बलदध सद खालली हो उन लोगो की लगरफत नही होगली बबक ख़दा तआला क़यामत क लदन उन लोगो की ओर दोबारा नबली िदजदगा और उनह सि तथा झठ को िहिाननद का अवसर लदया जाएगा तब लजस िर समझानद का अलतम परयास िणम हो िका होगा वह दोज़ख़ (नकक) म जाएगा और जो लहदायत को सवलीकार करगा वह जनत म जाएगा तो यह ग़लत ह लक अहमलदयो क नज़दलीक हर वह वयबकत जो सचाई क समझनद सद लवमख होता ह और यह कोलशश करता ह लक सचाई उसक कान म न िड़ तालक उसद सवलीकार न करनली िड़ या लजस िर समझानद का अलतम परयास िरा हो जाए िरनत लफर िली ईमान न लायद ख़दा तआला क नज़दलीक लगरफत क योगय ह िरनत यलद ऐसद वयबकत को िली ख़दा तआला िाह तो माफ़ कर सकता ह उसकी रहमत (दया) का लवतरण हमार हाथ म नही एक दास अिनद माललक को दान करनद सद नही रोक सकता ख़दा तआला हमारा माललक ह तथा हमारा बादशाह ह और हमारा िदा करनद वाला ह और हमारा सवामली ह यलद उसकी लहकमत और उसका जान तथा उसकी रहमत लकसली ऐसद वयबकत को िली माफ़ करना िाह लजसकी सामानय हालतो क अनसार

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

अहमदियत का पग़ाम

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

अहमदियत का पग़ाम

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

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ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

माफ़ी असिव लदखाई दली हो तो हम कौन ह जो उसक हाथ को रोक और हम कौन ह जो उसको माफ़ करनद सद रोक

नजात क बार म तो अहमलदयत की आसथा इतनली लवशाल ह लक उसक कारण कछ मौललवयो नद अहमलदयो िर कफ़र का फ़तवा लगाया ह अथामत हम लोग यह आसथा रखतद ह लक कोई इनसान िली हमदशा क (अनशर) अज़ाब म गरसत नही होगा न मोलमन न कालफर कयोलक िलवतर कआमन म अलाह तआला फ़रमाता ह)आराफ़ - 157) ء ورحمت وسعت کل ش

मदरली रहमत नद हर िलीज़ को घदरा हआ ह और लफर फ़रमाता ह)अरकासर - 10)

ہ ہاویۃ فام

कालफर और दोज़ख़ (नकक) का सबि ऐसा होगा जसद सतरली और उसक बचद का होता ह और लफर फ़रमाता ह लक - )अज़ज़ाररयात - 57) س ال لیعبدون

ن

جن وال

وما خلقت ال

समसत लजनो और इनसानो को मनद अिना अद बनानद क ललए िदा लकया ह इन तथा ऐसली हली बहत सली आयातो क होतद हए हम कयोकर मान सकतद ह लक ख़दा तआला की रहमत अनततः जहनलमयो को नही ढाि लदगली और जहनम क रहम सद किली िली बाहर नही लनकलदगा और वद बदद लजनको ख़दा तआला नद अिना अद (सदवक) बनानद क ललए िदा लकया था वद अनशर तौर िर शतान क अद रहगद और ख़दा तआला क अद नही बनगद और ख़दा तआला की महबत िरली आवाज़ किली िली उनह सबोलित करक यह नही कहगली लक

(अलफ़जर - 3031) ت فادخل ف عبدی وادخل جنमदर बनदो म दालखल होकर मदरली जनत म दालख़ल हो जाओ

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

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مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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अिमिबियो कला ििीसो पर ईमिलाि -कछ लोग इस भरम म गरसत ह लक अहमदली हदलीसो को नही मानतद

और कछ लोग यह आरोि लगातद ह लक अहमदली लफ़कः क इमामो को नही मानतद यद दोनो बात ग़लत ह अहमलदयत अनकरण करनद या न करनद क बार म मधय-मागम अिनातली ह अहमलदयत की लशका यह ह लक जो बात महममद रसललाह सललाह अललह व सलम सद लसदध हो उसक बाद लकसली अनय इनसान की आवाज़ को सनना महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क लवषय और आि सललाह अललह व सलम क दास ह उनका समसत सममान महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का आजािालन करनद म था और उनकी समसत परलतषठा महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की गलामली म थली तो जब कोई बात रसलद करलीम सललाह अललह व सलम सद लसदध हो जाए और उसका लकण यह ह लक वह जो कथन रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की ओर समबदध लकया जाए िलवतर कआमन क अनसार हो तो वह बात एक अबनतम फसला ह एक न टलनद वाला आददश ह और कोई वयबकत इस बात का अलिकार नही रखता लक उस आददश को असवलीकार कर दद या उसक लवरदध ज़बान खोलद िरनत िलक हदलीस क रावली (ररवायत करनद वालद) इनसान ह और उनम नदक िली ह और बर िली ह और अचछ समरण-शबकत वालद िली ह और बरली समरण-शबकत वालद िली ह तथा अचछली बलदध वालद िली ह और मद बलदध वालद िली ह यलद कोई ऐसली हदलीस हो लजसका अथम िलवतर कआमन क लवरदध हो तो िलक हर एक हदलीस अटल नही बबक सवय हदलीस क इमामो की मानयताओ क अनसार कछ हदलीस अटल ह कछ सामानय शदणली की ह कछ सलदगि तथा कािलनक ह तथा कछ बनावटली ह इसललए िलवतर कआमन जसली अटल

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

अहमदियत का पग़ाम

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

अहमदियत का पग़ाम

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

लकताब की तलना म जो हदलीस आ जाएगली उसको सवलीकार नही लकया जाएगा िरनत जहा िलवतर कआमन का िली कोई सिटि आददश मौजद न हो और हदलीस िली ऐसद माधयमो सद लसदध न हो जो लवशास और अटलिन तक िहिातद हो या हदलीस क शद ऐसद हो लक उन सद कई अथम लनकल सकतद हो तो उस समय लनससनददह लफ़कः क इमाम लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन एव हदलीसो िर लविार एव लिनतन करनद म वयय कर दली ह लववदिना करनद क अलिकारली ह और एक ददहातली आदमली लजसनद न कआमन िर लविार लकया ह न हदलीस िर लविार लकया ह या लजसका जान और शलकक सतर इस योगय हली नही ह लक वह लविार कर सक उसका अलिकार हली नही लक वह यह कह लक इमाम अब हनलीफ़ारह या इमाम अहमदरह या इमाम शालफ़ईरह या इमाम माललकरह या अनय िालममक इमामो को कया अलिकार ह लक उनकी बात को मझ सद अलिक महतव लदया जाए म िली मसलमान ह और वद िली मसलमान यलद एक ददहातली आदमली और एक डाकटर का रोग क बार म मतिदद हो तो एक डाकटर की राय को परिानता दली जाएगली और कानन म मतिदद हो तो एक वकील की राय को ग़र वकील की राय िर परिानता (तजवीह) दली जातली ह लफर कया कारण ह लक िालममक मामलो म उन इमामो की राय को परिानता न दली जाए लजनहोनद अिनली उम िलवतर कआमन और हदलीस िर लविार करनद म वयय कर दली हो और लजनकी मानलसक शबकतया िली और दसर लाखो मनषयो सद अचछली हो और लजन क सयम तथा लजन की िलवतरता िर ख़दाई आिरण नद महर लगा दली हो

अतः अहमलदयत न िणम रि सद अहलद हदलीस का समथमन करतली ह और न िणम रि सद मक़बलदो का समथमन करतली ह अहमलदयत की सलीिली-सादली आसथा इस बार म वहली ह जो हज़रत इमाम अब हनलीफ़ारह

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

अहमदियत का पग़ाम

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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की थली लक िलवतर कआमन सब सद पराथलमक ह इस सद नलीिद सहली हदलीस ह और उस सद नलीिद लवषय क मालहरो का तकक तथा लववदिना ह इसली आसथा क अनसार अहमदली सवय को किली हनलीफ़ारह िली कहतद ह लजसक मायनद यह िली होतद ह लक इमाम अब हनलीफ़ारह नद जो िमम असल वणमन लकया ह हम उसको सहली मानतद ह और किली अहमदली सवय को अहलद हदलीस िली कह ददतद ह कयोलक अहमलदयत क नज़दलीक महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का कथन जो लसदध और सिटि हो समसत मानवजालत क कथनो िर शदषठता रखता ह

अिमिबियो की तक़िीर (पलारबध) क िलार मि आला ndashउन ग़लत िारणाओ म सद जो अनलिजो को जमाअत अहमलदया

क बार म ह एक ग़लत िारणा यह िली ह लक अहमदली लोग तकदलीर क इनकारली ह अहमदली लोग तकदलीर क हरलगज़ इनकारली नही हम लोग इस बात को मानतद ह लक ख़दा तआला की तकदलीर इस दलनया म जारली ह और कयामत तक जारली रहगली और उसकी तकदलीर को कोई बदल नही सकता हम कवल इस बात क लवरदध ह लक िोर की िोरली बदनमाज़ली क नमाज़ छोड़नद झठ क झठ िोखदबाज़ क िोखद क़ालतल क क़तल और दषकमवी क दषकमम को ख़दा तआला की ओर समबदध लकया जाए और अिनद मह का काला होनद को ख़दा तआला क मह िर मलनद की कोलशश की जाए हमार नज़दलीक अलाह तआला नद इस दलनया म तकदलीर और तदबलीर (उिाय) की दो नहर एक समय म िलाई ह और )अररहमान -21) بینہما برزخ ل یبغی

क आददशानसार उन क बलीि एक ऐसली आड़ लनिामररत कर दली ह लक यह किली आिस म टकरातली नही तदबलीर (उिाय) का मदान अिनद

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

अहमदियत का पग़ाम

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

39

तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

सथान िर ह लजन मामलो क बार म ख़दा तआला नद अिनली तकदलीर को अलनवायम ठहराया ह उन म तदबलीर कछ नही कर सकतली लजन मामलो म उस नद तदबलीर का मागम खोला ह उनम तकदलीर िर आशा लगा कर बठ रहना अिनद िलवषय को सवय तबाह करना ह तो हम लजस बात क लवरोिली ह वह यह ह लक मनषय अिनद दषकममो को तकदलीर क िदद म छिानद की कोलशश कर और अिनद आलसय एव लािरवालहयो का वि होना तकदलीर क शद सद लनकालद और जहा ख़दा तआला नद तदबलीर का आददश लदया ह वहा तकदलीर िर आशा लगाए बठा रह कयोलक उसका िररणाम हमदशा ख़तरनाक लनकलता ह मसलमान ख़दाई तकदलीर िर नज़र रख कर बठ रह और उस परयास एव तकदलीर को तयाग लदया जो क़ौमली उनलत क ललए आवशयक होतली ह उसका िररणाम यह हआ की वद िमम सद तो गए थद दलनया सद िली गज़र गए यलद वद इस बात को धयान म रखतद लक लजन कायमो क ललए ख़दा तआला नद तदबलीर का दरवाज़ा खोला ह उनम तकदलीर को दबटिगत रखनद की बजाए तदबलीर को दबटिगत रखना िालहए तो उनकी हालत इतनली न लगरतली और वद इतनली बरली हालत म न होतद लजतनद लक अब ह

अिमिबियो की बजिलाि क िलार मि आला ndashअहमलदयत क बार म जो ग़लत फ़हलमया ह उनम सद एक यह

िली ह लक अहमदली लजहाद क इनकारली ह अहमदली लजहाद क इनकारली नही अहमलदयो की आसथा कवल यह ह लक यदध दो परकार क होतद ह एक लजहाद तथा एक कवल यदध लजहाद कवल उस यदध को कहतद ह लजसम िमम को बिानद क ललए लड़ाई की जाए और ऐसद शतरओ का मकाबला लकया जाए जो िमम को तलवार क बल िर लमटाना िाहतद ह

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

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مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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और जो खजर की नोक िर आसथा िररवलतमत करवाना िाहतद ह यलद दलनया म ऐसली घटनाए परकट हो तो लजहाद हर मसलमान िर अलनवायम हो जाता ह िरनत ऐसद लजहाद क ललए एक शतम यह िली ह लक इस लजहाद की घोषणा इमाम की ओर सद होनली िालहए तालक मसलमानो को मालम हो सक लक उन म सद लकन-लकन को लजहाद म सबममललत होना िालहए और लकन-लकन को अिनली बारली की परतलीका करनली िालहए यलद ऐसा न हो तो वहली मसलमान गनाहगार होगा लजसको लजहाद क ललए बलाया जाए और वह न आए जब अहमदली जमाअत लकसली ददश म लजहाद का इनकार करतली थली तो इसललए करतली थली लक िमम को तलवार क बल िर िररवलतमत करानद की कोलशश अगरदज़ नही कर रह थद यलद अहमदली जमाअत का यह लविार ग़लत था और वासतव म अगरदज़ तलवार दारा िमम को िररवलतमत करानद की कोलशश कर रह थद तो लफर लनससनददह लजहाद आवशयक था िरनत परशन यह लक कया लजहाद क आवशयक हो जानद क बाद हर मसलमान नद तलवार उठाकर अगरदज़ का मकाबला लकया यलद नही लकया तो अहमदली तो ख़दा तआला को यह उरर दगद लक हमार नज़दलीक अिली लजहाद का समय नही आया था यलद हमनद ग़लतली की तो हमारली ग़लतली लववदिनातमक थली िरनत इन क लवरोिली मौलवली कया उरर दगद कया वद यह कहगद लक ह ख़दा लजहाद का समय तो था और हम लवशास रखतद थद लक यह लजहाद का समय ह और हम समझतद थद लक लजहाद अलनवायम हो गया ह िरनत ह हमार ख़दा हमनद लजहाद नही लकया कयोलक हमार लदल डरतद थद और न हमनद उन लोगो को लजहाद क ललए आगद लिजवाया लजनक लदल नही डरतद थद कयोलक हम डरतद थद लक ऐसा करनद सद िली अगरदज़ हम को िकड़ लगद म यह फसला नयाय लनषठ लोगो िर हली छोड़ता ह लक इन दोनो उररो म सद कौन सा उरर ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

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مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

क नज़दलीक अलिक सवलीकारणलीय हअब तक तो जो कछ मनद कहा वह उन लोगो क भरमो को दर

करनद क ललए कहा ह जो अहमलदयत का सरसरली अधययन िली नही रखतद और जो अहमलदयत क सनददश क उसक शतरओ सद सननद या अहमलदयत का अधययन लकए लबना अिनद लदलो सद अहमलदयत की आसथाओ तथा अहमलदयत की लशका बनाना िाहतद ह अब म उन लोगो को सबोलित करना िाहता ह लजनहोनद अहमलदयत का एक सलीमा तक अधययन लकया ह और जो जानतद ह लक अहमदली ख़दा तआला की तौहलीद िर लवशास रखतद ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम की ररसालत िर िली लवशास रखतद ह रोज़द िली रखतद ह हज िली करतद ह ज़कात िली ददतद ह हश-व-नश परलतफल एव दणड िर िली ईमान रखतद ह िरनत वद हरान ह लक जब अहमदली दसर मसलमानो की तरह ह तो लफर इस नए लफ़क़क को क़ायम करनद की आवशयकता कया ह उनक नज़दलीक अहमलदयो की आसथा तथा अहमलदयो का अमल ऐतराज़ योगय नही िरनत उनक नज़दलीक एक नई जमाअत बनाना ऐतराज़ योगय बात ह कयोलक जब अनतर कोई नही तो अलग करनद का कारण कया हआ और जब मतिदद नही तो दसरली मबसजद बनानद का उददशय कया हआ

िई जमिलाअत ििलािद कला कलारण इस परशन का उरर दो परकार सद लदया जा सकता ह बौलदधक तौर

िर तथा रहानली तौर िर बौलदधक तौर िर इस परशन का उरर यह ह लक जमाअत कवल एक सखया का नाम नही हज़ार लाख या करोड़ लोगो को जमाअत नही कहतद बबक जमाअत उन लोगो क समह को कहतद ह जो सयकत होकर कायम करनद का लनणमय कर िक हो और एक सयकत

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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परोगराम क अनसार कायम कर रह हो ऐसद लोग यलद िाि-सात िली हो तो जमाअत ह और लजन म यह बात न हो वह करोड़ो िली जमाअत नही रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद जब मकका म नबववत का दावा लकया तो िहलद लदन आि सललाह अललह व सलम िर कवल िार आदमली ईमान लायद थद आि सललाह अललह व सलम िािव थद िाि होनद क बावजद आि एक जमाअत थद िरनत मकका की आठ-दस हज़ार की आबादली जमाअत नही थली न अरब की आबादली जमाअत थली कयोलक न उनहोनद सयकत होकर कायम करनद का लनणमय लकया था और न उनका सयकत परोगराम था तो इस परकार का परशन करनद सद िहलद यह ददखना िालहए लक कया इस समय मसलमान कोई जमाअत ह कया दलनया क मसलमान समसत मामलो म िरसिर लमलकर कायम करनद का लनणमय कर िक ह या उनका कोई सयकत परोगराम ह जहा तक हमददवी का परशन ह म मानता ह लक मसलमानो क लदलो म एक-दसर क बार म हमददवी ह िरनत वह िली समसत मसलमानो म नही कछ क लदलो म ह और कछ क लदलो म नही और लफर कोई ऐसली वयवसथा मौजद नही लजसक दारा मतिदद को लमटाया जा सक मतिदद तो जमाअत म िली होतद ह और बबक नलबयो क समय की जमाअत म िली होता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क यग म िली किली अनसार और महालजरो का मतिदद हो गया और किली कछ अनय क़बलीलो म मतिदद हो गया िरनत जब रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमा लदया तो उस समय सब मतिदद लमट गया इसली परकार लख़लाफ़त क लदनो म िली मतिदद िदा हो जाता था िरनत जब कोई मतिदद िदा होता ख़ललीफ़ फसला करतद और वह मतिदद लमट जाता लख़लाफ़त क समापत होनद क बाद िली लगिग सरर वषम मसलमान एक हकमत क अिलीन

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अहमदियत का पग़ाम

जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

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(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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जहा-जहा िली मसलमान थद वद एक वयवसथा क अिलीन थद वह वयवसथा अचछली थली या बरली थली बहरहाल उसनद मसलमानो को एक ररशतद सद बाि रखा था इसक बाद मतिदद हआ और मसलमान दो लगरोहो म लविालजत हो गए सिदन का एक लगरोह बन गया और शदष दलनया का एक लगरोह बन गया यह मतिदद तो था िरनत बहत हली सलीलमत मतिदद था दलनया क मसलमानो का अलिकाश िाग लफर िली एक वयवसथा क अिलीन िल रहा था िरनत तलीन सौ वषम गज़रनद क िशात यह वयवसथा ऐसली टटली लक समसत मसलमानो म मतिदद िदा हो गया और उनम लबखराव एव असत वयसतता िदा हो गई रसलद करलीम सललाह अललह व सलम नद फ़रमाया था लक

یــن یلونــم ثــم یــن یلونــم ثــم ال ون ثــم ال

قــرال خی

ب کذل ا ا یفشــو

(लतरलमज़ली अवाबशशहादत - हदलीस 2303)सब सद अचछली सदली मदरली ह उनसद उतर कर वद लोग होगद जो दसरली

सदली म होगद और उनसद उतर कर वद लोग होगद जो तलीसरली सदली म होगद लफर दलनया म सद सचाई लमट जाएगली और अनयाय तथा अतयािार और मतिदद का परिलन हो जायदगा और ऐसा हली हआ और लफर यह मतिदद बढ़ता िला गया यहा तक लक गत तलीन सलदयो म तो मसलमान अिनली शबकत लबकल हली खो बठ कहा वह समय था लक यरोि एक-एक मसलमान बादशाह सद डरता था और अब यरोि तथा अमरलीका की एक-एक शबकत का मकाबला करनद की शबकत समसत इसलामली जगत म िली नही यहलदयो की लकतनली छोटली सली हकमत लफलसतलीन म बनली ह शाम इराक़ लबनान सऊदली अरब लमसर और लफलसतलीन की सदनाए उसका मकाबला कर रहली ह िरनत वासतलवकता यह ह लक यएनओ नद जो

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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कदतर यहलदयो को लदया था उस सद बहत अलिक इस समय यहलदयो क कज़द म ह यह सहली ह लक यहदली हकमत की सहायता अमरलीका और इगलणड कर रह ह िरनत परशन िली तो यहली ह लक किली तो मसलमानो की एक-एक हकमत समसत िबशम िर लवजयली थली और अब िबशम की कछ हकमत समसत मसलामनो सद अलिक शबकतशालली ह अतः जमाअत का जो अथम ह इस समय उसक अनसार मसलमानो की कोई जमाअत नही हकमत ह लजनम सद सब सद बड़ली िालकसतान की हकमत ह जो अलाह तआला क फ़ज़ल सद सथालित हई ह िरनत इसलाम िालकसतान का नाम नही न इसलाम लमसर का नाम ह न इसलाम शाम का नाम ह न इसलाम ईरान का नाम ह न इसलाम अफ़गालनसतान का नाम ह न इसलाम सऊदली अरब का नाम ह इसलाम तो उस एकता क ररशतद का नाम ह लजसनद समसत मसलमानो को सयकत कर लदया था और इस समय दलनया म ऐसली कोई वयवसथा मौजद नही िालकसतान को अफ़गालनसतान सद हमददवी ह अफ़गालनसतान को िालकसतान सद हमददवी ह िरनत न िालकसतान अफ़गालनसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह न अफ़गालनसतान िालकसतान की हर बात माननद क ललए तयार ह दोनो की राजनलीलत अलग-अलग ह और दोनो अिनद आनतररक मामलो म आज़ाद ह यहली हाल लोगो का ह अफ़गालनसतान क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह िालकसतान क नागररक अिनद सथान िर आज़ाद ह लमसर क लनवासली अिनद सथान िर आज़ाद ह उनको एक लड़ली म लिरोनद वालली कोई िलीज़ नही तो इस समय मसलमान िली ह मसलामानो की हकमत िली ह और उनम सद कछ हकमत ख़दा तआला क फ़ज़ल सद सदढ़ हो रहली ह िरनत लफर िली मसलमान एक जमाअत नही मान लो िालकसतान का बदड़ा इतना सदढ़ हो जाए लक समिणम लहनद महासागर म हकमत करनद लग

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

अहमदियत का पग़ाम

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

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ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

जाए उसकी सदना इतनली शबकतशालली हो जाए लक दलनया की मबणडयो िर उसका क़ज़ा हो जाए बबक उसकी शबकत इतनली बढ़ जाए लक अमरलीका की शबकत सद िली बढ़ जाए तो कया ईरान शाम लमसर लफलसतलीन अिनद आि को िालकसतान म जोड़नद क ललए तयार हो जायगद सिटि ह लक नही वद िालकसतान की शदषठता का इकरार करनद क ललए तयार होगद वद उससद हमददवी करनद क ललए तयार होगद िरनत वद अिनद अबसततव (सपरिता) को उस म लमटा ददनद क ललए तयार नही होगद तो यदयलि ख़दा तआला क फ़ज़ल सद मसलमानो की राजनलीलतक बसथलत अचछली हो रहली ह और कछ नई इसलामली हकमत सथालित हो रहली ह िरनत इसक बावजद समसत ससार क मसलमानो को एक इसलाम की जमाअत नही कह सकतद कयोलक वद लवलिन राजनलीलतयो म बट हए ह और अलग-अलग हकमतो म लविालजत ह उन सब की आवाज़ को एक जगह जमा कर ददनद वालली कोई शबकत नही िरनत इसलाम तो लवशवयािली होनद का दावा करता ह इसलाम अरब क मसलमानो का नाम नही इसलाम शाम क मसलमानो का नाम नही इसलाम ईरान क मसलामानो का नाम नही इसलाम अफ़गालनसतान क मसलमानो का नाम नही जब दलनया क हर ददश क मसलमान इसलाम क नाम क नलीिद एकतर हो जातद ह तो इसलाम की जमाअत वहली हो सकतली ह जो इन समसत लगरोहो को इकटा करनद वालली हो और जब तक ऐसली जमाअत दलनया म क़ायम न हो हम यह कहनद िर लववश ह लक इस समय मसलमानो की कोई जमाअत नही यदयलि हकमत ह और राजनलीलत ह इसली परकार सयकत परोगराम का परशन ह जहा ऐसा कोई परबि नही जो समसत ससार क मसलामानो को इकठा कर सक वहा मसलमानो का कोई सयकत परोगराम िली नही न राजनलीलतक न सभयता सबिली न िालममक अलदतलीय तौर िर लकसली-लकसली जगह लकसली मसलमान का इसलाम क

अहमदियत का पग़ाम

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

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ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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शतरओ सद मकाबला कर लदना यह और िलीज़ ह तथा सयकत तौर िर एक लवलशटि वयवसथा क अिलीन िारो ओर सद शतरओ क आकमण का लनरलीकण कर क उसक मकाबलद की कोलशश करना यह अलग बात ह तो परोगराम की दबटि सद िली मसलमान एक जमाअत नही ऐसली बसथलत म यलद कोई जमाअत सथालित हो और आरोि कलथत दोनो ददशो को लदकर वद सथालित हो तो उस िर यह ऐतराज़ नही लकया जा सकता लक वद एक नई जमाअत बन गई ह बबक यो कहना िालहए लक िहलद कोई जमाअत नही थली अब एक नई जमाअत बन गई ह

म उन दोसतो सद लजनक लदलो म यह सददह िदा होता ह लक एक एक लक़लः एक कआमन एक रसल होनद क बावजद लफर अहमदली जमाअत नद एक अलग जमाअत कयो बनाई कहता ह लक वद इस रहसय िर लविार कर और सोिद लक इसलाम को लफर एक जमाअत बनानद का समय आ िका ह इस काम क ललए कब तक परतलीका की जाएगली लमसर की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह ईरान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अफ़गालनसतान की हकमत अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह अनय इसलामली हकमत अिनद-अिनद सथान िर अिना काम कर रहली ह िरनत उनकी मौजदगली म िली एक ररकत सथान अिली शदष ह एक अिली शदष ह और इसली ररकत सथान और कमली को िरा करनद क ललए अहमलदया जमाअत सथालित हई ह

जब तकवी की लख़लाफ़त को तकमो नद समापत कर लदया तो लमसर क कछ उलदमा नद (कछ सरदारो क कथानसार लमसर क बादशाह क इशार सद) एक तहरलीक-ए-लख़लाफ़त आरि की और इस तहरलीक सद उसका उददशय यह था लक लमसर क बादशाह को मसलमानो का ख़ललीफ़ा समझ ललया जाए और इस परकार लमसर को दसर ददशो िर परिानता परापत हो जाए सऊदली

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

अरब नद इसका लवरोि आरि लकया और यह परोिोगदणडा आरमि कर लदया लक यह तहरलीक (अलियान) अगरदज़ो की उठायली हई ह यलद कोई वयबकत लख़लाफ़त का अलिकारली ह तो वह सऊदली अरब का बादशाह ह जहा तक लख़लाफ़त का सबि ह वह लनससनददह एक ऐसा ररशता ह लजस सद सब मसलमान इकट हो जातद ह िरनत जब यह लख़लाफ़त का शद लकसली लवशदष बादशाह क साथ लवलशटि होनद लगा तो दसर बादशाह नद तरनत ताड़ ललया लक हमारली हकमत म बािा डालली जातली ह और वह लािपरद तहरलीक बदकार होकर रह गई िरनत यलद यहली तहरलीक जन सामानय म िदा हो और उसक िलीछ िालममक रह काम कर रहली हो तो उसक मागम म राजनलीलतक डाह बािक नही होगली कवल जमाअतली बािा की बसथलत म वह लकसली ददश म सलीलमत नही रहगली हर ददश म जाएगली और फलदगली तथा अिनली जड़ बनाएगली बबक ऐसद ददशो म िली जाकर सफल होगली जहा इसलामली हकमत नही होगली कयोलक राजनलीलतक टकराव न होनद क कारण परारलिक यग म हकमत इसका लवरोि नही करगली अतः अहमलदयत का इलतहास इस बात का गवाह ह अहमलदयत का उददशय कवल मसलमानो क अनदर एकता िदा करना था वह बादशाहत की अलिलाषली नही थली वह हकमत की अलिलाषली नही थली अगरदज़ो नद अिनद ददश म किली अहमलदयो को कटि िली लदए ह िरनत उसक शदध तौर िर िालममक होनद क कारण उस सद सिटि तौर िर टकरानद की आवशयकता नही समझली अफ़गालनसतान म मलाओ सद डर कर किली बादशाह नद कठोरता िली लदखाई िरनत वयबकतगत मलाकातो म अिनली असमथमताए िली वयकत करतद रह और शलममनदगली िली वयकत करतद रह इसली परकार अनय इसलामली ददशो म जन सामानय नद लवरोि लकया उलदमा नद लवरोि लकया तथा उन सद डर कर हकमत नद िली किली रोक डाली िरनत लकसली हकमत नद यह नही समझा लक यह तहरलीक हमारली हकमत का तखता

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

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مستـقیم

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ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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उलटनद क ललए सथालित हई ह और यह उनका लविार सहली थाअहमलदयत को राजनलीलत सद कोई मतलब नही अहमलदयत कवल

इस उददशय क ललए सथालित हई ह लक मसलमानो की िालममक हालत को ठलीक कर और उनह ररशतद म लिरोए तालक वह लमलकर इसलाम क शतरओ का नलतक एव आधयाबतमक (रहानली) हलथयारो सद मकाबला कर सक इसली बात को समझतद हए अमरलीका म अहमदली परिारक गए लजस सलीमा तक वद एलशयाइयो का लवरोि करतद ह उनहोनद अहमदली परिारको का लवरोि लकया िरनत जहा तक िालममक तहरलीक का परशन था उसको धयान म रखतद हए उनहोनद लवरोि नही लकया उच हकमत नद इणडोनदलशया म िली इसली ढग सद काम लकया जब उनहोनद ददखा लक यह राजनलीलत म हमार साथ नही टकरातद तो यदयलि उनहोनद गपत तौर िर लनगरालनया िली की उिदकाए िली की िरनत सिटि तौर िर अहमलदयत सद टकरानद की आवशयकता नही समझली और इस आिरण म वद सवमथा सि िर थद बहरहाल हम उनक िमम क लवरदध परिार करतद थद इसललए हम उनसद लकसली हमददवी क परतयाशली नही थद लकनत हम सलीिद तौर िर उनकी राजनलीलत सद िली नही टकरातद थद इसललए उनका िली यह कोई अलिकार नही था लक हम सद सलीिद तौर िर टकरातद इसका िररणाम यह हआ लक अब जमाअत अहमलदया लगिग हर ददश म सथालित ह लहनदसतान म िली अफ़गालनसतान म िली ईरान म िली इराक म िली शाम म िली लफलसतलीन म िली लमसर म िली इटलली म िली बसवटज़रलणड म िली जममनली म िली इगलणड म िली यनाइटड सटटस अमरलीका म िली इणडोनदलशया म िली मलाया ईसट और वदसट अफीका एबदसलीलनया अजतटलीना यहा तक लक परतयदक ददश म थोड़ली या बहत जमाअत मौजद ह और इन ददशो क मल लनवासलीयो म सद जमाअत मौजद ह यह नही लक वहा क कछ लहनदसतानली अहमदली हो गए ह और वद ऐसद

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

लनषकिट लोग ह लक अिनद जलीवन इसलाम की सदवा क ललए कबामन कर रह ह एक अगरदज़ लदबटनदनट अिना जलीवन समलिमत कर क इस समय परिारक क तौर िर इगलणड म कायम कर रहा ह लनयलमत रि सद नमाज़ िढ़नद वाला ह शराब इतयालद क लनकट नही जाता सवय मदहनत मज़दरली सद िसद कमा कर टकट इतयालद परकालशत करता ह या जसद करता ह हम उसद गज़ारा करनद क ललए इतनली थोड़ली रालश ददतद ह लजस सद इगलणड का सब सद लनिलद सतर का काम करनद वाला िली अलिक कमाता ह इसली परकार जममनली क एक वयबकत नद जलीवन समलिमत लकया ह वह िली फ़ौजली अफ़सर ह बड़ली दौड़-िि सद वह जममनली सद लनकलनद म सफल हआ अिली सिना आई ह लक वह बसवटज़रलड िहि गया ह और वहा वलीज़द की परतलीका कर रहा ह यह नौजवान इसलाम की सदवा का अिनद लदल म बहत जोश रखता ह इसललए िालकसतान आ रहा ह लक यहा सद इसलाम की लशका िणम रि सद परापत कर क लकसली अनय ददश म इसलाम का परिार कर जममनली का एक और यवक लदखक और उसकी लशलकत ितनली जलीवन समलिमत करनद का इरादा वयकत कर रह ह और शायद शलीघर हली इस लनणमय िर िहि कर इसलाम की लशका परापत करनद क ललए िालकसतान आ जाएगद इसली परकार हालड का एक नौजवान इसलाम क ललए अिना जलीवन समलिमत करनद का इरादा कर िका ह और शायद जद हली लकसली न लकसली ददश म इसलाम क परिार क कायम िर लग जाएगा लनससनददह जमाअत अहमलदया थोड़ली ह िरनत ददखना यह ह लक इसक दारा इसलाम की जमाअत क़ायम हो रहली ह हर ददश म कछ न कछ लोग इसम सबममललत होकर एक लवषय-वयािली एकता की बलनयाद रख रह ह और हर राजनलीलत क माननद वालद लोगो म सद कछ न कछ आदमली इसम सबममललत हो रह ह ऐसली तहरलीको का परारि शर म छोटा

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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हली हआ करता ह िरनत एक समय म जाकर वह एक ततकाल शबकत परापत कर लदतली ह और कछ लदनो म एकता एव सहमलत का बलीज बोनद म सफल हो जातली ह सिटि ह लक राजनलीलतक शबकत क ललए राजनलीलतक जमाअतो की आवशयकता ह और िालममक एव नलतक शबकत क ललए िालममक और नलतक जमाअतो की आवशयकता ह जमाअत अहमलदया राजनलीलत सद इसललए अलग रहतली ह लक यलद वह इन बातो म हसतकदि कर तो वह अिनद कायम म ससत हो जाए

जमिलाअत अिमिबियला कला पोगलामि दसरा परशन परोगराम का रहा परोगराम की दबटि सद िली जमाअत

अहमलदया हली एक सयकत परोगराम रखतली ह अनय कोई जमाअत सयकत परोगराम नही रखतली जमाअत अहमलदया ईसाइयत क आकमण का िणम अनमान लगा कर हर ददश म उसका मकाबला कर रहली ह इस समय दलनया का सब सद कमज़ोर परददश लकसली दबटि सद सब सद शबकतशालली परददश अफीका ह ईसाइयत नद इस समय अिनली िरली शबकत सद अफीका म िावा बोल लदया ह अब तो खलम-खला वद अिनद इन इरादो को अलिवयकत कर रह ह इस सद िवम कवल िादररयो का मबसतषक इस ओर जा रहा था लफर इगलणड की कज़रवदलटव िाटवी (CONSERVATIVE PARTY) इस ओर झकी और अब तो लदबर िाटवी नद िली घोषणा कर

CONSERVATIVE PARTY इगलणड की राजनलीलतक िाटवी जो सतरहवी शतादली क अनत म टोरली िाटवी क सथान िर सरा म आई परारि म नाम 1830 म परलसदध हआ िाटवी म 1846ई म फट िड़ली 1874 सद 1880ई सद 1905ई तक (लनयलमत समय क अलतररकत) लफर इस िाटवी की सरकार रहली जोज़फ़ िदमबरललीन क राजसव सबिली सिारो क िशात िाटवी असत-वयसत होनद का लशकार हई और

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

दली ह लक यरोि की मबकत का दारोमदार अफीका की उनलत और उसक सगठन िर ह िरनत यरोि समझता था लक यह उनलत और सगठन इस रग म यरोि क ललए लािपरद हो सकता ह जबलक इसक नागररक ईसाई हो जाए अहमलदयत नद इस राज़ को िौबलीस वषम िहलद िाि ललया और िौबलीस वषम िहलद अिनद परिारक वहा लिजवा लदए जहा हज़ारो लोग ईसाईयत सद लनकलकर मसलमान हो गए और इस समय अफीका म सबसद अलिक वयवबसथत इसलाम की जमाअत अहमलदया की जमाअत ह लजसका मकाबला करनद सद ईसाइयो नद बिना आरि कर लदया ह और उनक ललटिर म लनरनतर इस बात को अलिवयकत लकया जा रहा ह लक अहमलदया जमाअत की कोलशशो नद ईसाई लमशनररयो की कोलशशो को खबणडत कर लदया ह यह परिार का लसललसला िववी अफीका म वषमो सद जारली ह और यदयलि वहा कायम का परारि ह इस कारण िररणाम अिली इतनद शानदार नही लजतनद िबशम अफीका म ह िरनत लफर िली ईसाइयो म सद कछ लोग मसलमान होना आरि हो गए ह और आशा ह लक कछ वषम म यहा िली परिारको की कोलशश उचतम िररणाम िदा करनद लग जाएगली इणडोनदलशया और मलाया म िली एक लमबद समय सद लमशन सथालित ह और इसलाम क िागतद हए लगरोहो को ठहरानद एकतर करनद तथा इकठा कर क शतर क मकाबलद िर खड़ा करनद का परयास लकया जा रहा ह सयकत

1914 ई तक ललबरल सरकार सथालित रहली 1924 और 1929 ई म लदबर िाटवी की सफलता क अलतररकत 1922 ई सद 1940 तक कछ समय कज़रवदलटव िाटवी छाई रहली लदतलीय लवश यदध म CONSERVATIVE लवनसटन िलिमल नद लमलली जलली कलबनदट बनाई 1945 ई सद 1951 ई म लदबर िाटवी की सरकार रहली और िलिमल की बागडोर क अनतगमत िनः कज़रवदलटव िाटवी क लोग सरकार क परमख रह(उदम जालमअ इनसाइकोिलीलडया लजद-2 लाहौर सद परकालशत 1988 िषठ1221)

अहमदियत का पग़ाम

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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राजय अमरलीका ईसाई शबकतयो म सद अब सबसद आगद आ िका ह वहा िली िौबलीस वषम सद अहमदली परिारक कायम कर रह ह और अमरलीका क हज़ारो नागररक अहमदली हो िक ह और हज़ारो रिया वालषमक इसलाम क परिार िर खिम कर रह ह अमरलीका की दौलत की तलना म यह कछ िली नही और वहा क िादररयो की कोलशशो क सामनद यह लबकल तचछ कोलशश ह िरनत परशन तो यह ह लक मकाबला आरि कर लदया गया ह और लवजय हम को हो रहली ह कयोलक हम ईसाई जमाअत क आदमली छलीन कर अिनली ओर ला रह ह ईसाई जमाअत हमार आदमली छलीन कर नही लद जा रहली तो यह नही कहना िालहए लक अहमलदयत नद एक नई जमाअत कयो सथालित की ह कहना यह िालहए लक अहमलदयत नद एक जमाअत सथालित कर दली जबलक इस सद िहलद कोई जमाअत नही थली और कया यह आिलरजनक बात ह या परशसनलीय बात ह

अिमिबियो को अनय जमिलाअतो सद प क रखिद कला कलारणकछ लोग कहतद ह लक ऐसली लकसली जमाअत क बनानद की

आवशयकता कया थली यहली बात दसर मसलमानो म फलानली िालहए थी इस का बौलदधक उरर यह ह लक एक कमाणडर उनही लोगो को लड़ाई म िदज सकता ह जो फ़ौज म ितवी हो िक हो जो लोग फ़ौज म ितवी नही वह उनको लकस परकार िदज सकता ह यलद जमाअत हली कोई नही बनाई जातली तो लसललसला अहमलदया का परवतमक लकस सद काम लदता तथा लकस को आददश ददता और उन क ख़ललीफ़ लकस सद काम लदतद और लकस को आददश ददतद कया वद बाज़ार म लफरना आरि करतद और हर मसलमान को िकड़ कर कहतद लक आज अमक सथान िर इसलाम क ललए आवशयकता ह त वहा जा और वह आगद सद यह उरर ददता

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

लक म तो आि की बात माननद क ललए तयार नही और लफर वद अगलद आदमली को जा िकड़तद और लफर उससद अगलद आदमली को जा िकड़तद यह एक बौलदधक वासतलवकता ह लक जब कोई वयवबसथत कायम करना हो तो उसक ललए एक जमाअत की आवशयकता होतली ह ऐसली जमाअत क लबना कोई वासतलवक कायम नही हो सकता यलद कहो लक जमाअत तो बनातद िरनत सब म लमलद-जलद रहतद तो इसका उरर यह ह लक जान को जोखो म डालनद वालद कायमो क ललए हर वयबकत कहा तयार होता ह ऐसद कायम तो िागल हली लकया करतद ह और िागलो को होलशयारो सद अलग रखना होता ह यलद होलशयार िागलो को िली अिनद जसा बना लगद तो लफर ऐसद कायमो को कौन करगा तथा दसरो सद अलग रहना सवय सविावो म आशयम िदा करता ह और सवय हली लोग उसद करदना और जाससली करना आरि करतद ह और अनततः एक लदन उसली िलीज़ का लशकार हो जातद ह लजसको लमटानद क ललए वद आगद बढ़तद ह तो समसत आरोि लविार की कमली का िररणाम ह यलद बलदध सद काम ललया जाए तो समझ आ सकता ह लक वासतव म यहली तरलीक़ा सहली ह जो अहमलदयत नद गरहण लकया ह इसली सहली तरलीक िर िल कर वह इसलाम क ललए कबामनली करनद वालो की एक जमाअत िदा कर सकतली ह और जब तक वह इस तरलीक िर िलतली रहगली लदन-परलतलदन ऐसद लोगो की सखया को बढ़ातली िलली जाएगली यहा तक लक कफ़र महसस करगा लक अब इसलाम शबकत िकड़ गया ह और वह इसलाम िर अिनली िरली शबकत क साथ आकमण करगा िरनत आकमण का समय गज़र िका होगा मदान इसलाम हली क हाथ रहगा और कफ़र िरालजत हो जाएगा

हम राजनलीलतक परयास करनद वालो क मागम म बािा नही बनतद हम उनसद कहतद ह लक जब तक तमहारली समझ म हमारली बात न आय तम

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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अिना कायम करतद िलद जाओ िरनत हम उनसद यह िली िाहतद ह लक वद हम अिनद मागम सद न रोक यलद लकसली की समझ म उनका तरलीक़ा अचछा होता ह तो वद उनसद जा लमलद और यलद लकसली की समझ म हमारा तरलीक़ा अचछा मालम होता ह तो वद हमसद आ लमलद उनक तरलीक म कबामनली कम और परलसलदध अलिक ह और हमार तरलीक म कबामनली अलिक और परलसलदध कम ह उनको उनका लहससा लमलता रहगा और हमको हमारा लहससा लमलता रहगा लजन लोगो की दबटि म बलदध और वासतलवकता की दबटि सद इसलाम की सथािना अलिक आवशयक होगली हम म आ लमलगद और जो लोग िौलतक बादशाहत क परदमली होगद वद उनसद जा लमलगद िरनत हम लड़ कयो और झगड़ कयो दोनो हली लमलत क नाम म तड़ि रह ह यदयलि अलग-अलग अगो म टलीस उठ रहली ह उनक मबसतषको म ददम ह हमार लदल दःख िा रह ह यह तो मनद बौलदधक दबटिकोण सद उरर लदया ह अब म रहानली दबटिकोण सद उरर ददता ह और मदर नजदलीक वहली वासतलवक दबटिकोण ह

इस परशन का रहानली उरर यह ह लक अलाह तआला की अनालद काल सद सनत यहली ह लक जब किली दलनया म ख़राबली फल जातली ह रहालनयत उस सद समापत हो जातली ह लोग दलनया को दलीन (िमम) िर पराथलमकता ददनद लग जातद ह तो उस समय अलाह तआला अिनद बनदो की लहदायत और मागम-दशमन क ललए आसमान सद लकसली मामर को िदजता ह तालक उसक खोयद हए बनदो को िनः उसकी ओर वािस लायद और उसक िदजद हए िमम को िनः दलनया म सथालित कर किली यद मामर शरलीअत साथ लातद ह और किली लकसली िहलली शरलीअत क सथालित करनद क ललए आतद ह िलवतर कआमन म अलाह तआला की इस सनत िर लवशदष बल लदया गया ह तथा मानव जालत को बार-बार

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

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لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

अलाह तआला क उस रहम और करम की िहिान की ओर धयान लदलाया गया ह

इसम कोई सनददह नही लक ख़दा तआला बहत बड़ली शान रखता ह और इनसान उसक मकाबलद म एक कीड़ सद िली लनकटि ह िरनत इसम िली कोई सनददह नही लक अलाह तआला क समसत कायम लहकमत सद िरिर होतद ह और वह कोई कायम िली अकारण और बदफायदा नही करता अलाह तआला िलवतर कआमन म फ़रमाता ह

رض وما بینہما لعبی

موت وال وما خلقنا الس(अदख़ान ndash 39)अथामत हम नद यह िथवली और आकाश यो हली नही िदा लकए बबक

उनकी िदायश म उददशय रखा ह और वह उददशय यहली ह लक इनसान ख़दा तआला की लवशदषता को परकट कर और उसका दयोतक बन कर दलनया क उन लोगो को जो ऊिा उड़नद की शबकत नही रखतद ख़दा तआला सद िररिय कर सबटि क परारि सद लदकर इस समय तक ख़दा तआला की यहली सनत जारली रहली ह और लिन-लिन समयो म ख़दा तआला नद अिनद लिन-लिन दयोतक इस दलनया म िदजद किली ख़दा तआला की लवशदषताए आदम अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली नह अललहससलाम क दारा परदलशमत हई किली वद इबराहलीमली शरलीर म सद परकट हई तो किली मसवली शरलीर सद वयकत हई किली दाऊद अललहससलाम नद ख़दा तआला का िदहरा दलनया को लदखाया तो किली मसलीह अललहससलाम नद अलाह तआला क परकाशो को अिनद अबसततव म वयकत लकया सबसद अनत तथा सवाागिणम तौर िर महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद अलाह तआला की समिणम लवशदषताओ को सलकपत और लवसतत वयबकतगत हलसयत सद िली और सामलहक हलसयत सद िली ऐसली

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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शान और ऐसद परताि क साथ दलनया िर परकट लकया लक िहलद अलबया आि क सरज जसद अबसततव क सामनद लसतारो क समान लशलथल िड़ गए रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क बाद समसत शरलीअत समापत हो गई और समसत शरलीअत लानद वालद नलबयो क आगमन का मागम बनद कर लदया गया लकसली जमबादारली क कारण नही लकसली ररयायत क कारण नही बबक इसललए लक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम ऐसली शरलीअत लायद जो समसत आवशयकताओ की सगरहलीता और समसत आवशयकताओ को िणम करनद वालली थली जो िलीज़ ख़दा तआला की ओर सद आनद वालली थली वह तो िरली हो गई िरनत बनदो क बार म कोई गारनटली नही थली लक वद सहली मागम को नही छोड़गद और उस सचली लशका को नही िलगद बबक िलवतर कआमन म अलाह तआला नद सिटि तौर िर फ़रमाया था लक ndash

ج الیہ ف

رض ثم یعر

ماء ال ال من الس

مر

ال

یدبر )अससजदह ndash 6) ون ا تعد م ف سـنۃ م

ال

یوم کان مقدارہ

अथामत अलाह तआला अिनद इस अबनतम कलाम और अिनली इस अबनतम शरलीअत को आकाश सद िथवली िर सथालित कर ददगा और लोगो का लवरोि उसक मागम म रोक नही बनदगा िरनत लफर एक समय क िशात यह कलाम आकाश िर िढ़ना आरि होगा तथा एक हज़ार वषम म यह दलनया सद उठ जाएगा रसलद करलीम सललाह अललह व सलम इस िमम की सथािना क यग को तलीन सौ वषम का समय ठहरातद ह जसा लक ऊिर हदलीस वणमन की जा िकी ह और िलवतर कआमन िली مر

क दारा 271 वषम का (अललफ़ लाम मलीम रा) ال

समय इस यग को ठहराता ह इसक साथ-साथ हज़ार वषम तक िमम क आकाश िर िढ़नद क समय को लमलाया जाए 1271 होता ह जसद

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

दलनया सद इसलाम की रह क लपत हो जानद का समय िलवतर कआमन क अनसार 1271 वषम ह या तदरहवी शतादली (लहजरली) का अनत जसा लक िलवतर कआमन सद जात होता ह ऐसद समय म ख़दा तआला की ओर सद अवशय एक हादली और मागम परदशमक आया करता ह तालक दलनया हमदशा क ललए शतान क क़ज़द म न िलली जाए और ख़दा तआला की हकमत अनशर तौर िर दलनया सद लमट न जाए तो आवशयक था लक इस यग म ख़दा तआला की ओर सद कोई वयबकत आता वह कोई होता िरनत आना आवशयक था यह लकस परकार हो सकता था लक आदम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली नह अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली इबराहलीम अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली मसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली ईसा अललहससलाम क अनयालययो म जब किली खराबली िदा हई तो ख़दा तआला नद उनकी खबर लली लकनत नलबयो क सरदार हज़रत महममद मसतफ़ा सललाह अललह व सलम की उममत म खराबली िदा हो तो ख़दा तआला उसकी खबर न लद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की उममत क बार म तो यह िलवषयवाणली थली लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए आि की उममत म हर सदली क सर िर एक मजबदद अवतररत हआ करगा कया कोई बलदध इसको सवलीकार कर सकतली ह लक छोटली-छोटली खरालबयो को दर करनद क ललए तो ख़दा तआला की ओर सद मजबदद परकट होतद रह जसद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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دلہا ن یجد س کل مئۃ سنۃ مۃ عل رأ م

ان اہلل یبعث لہذہ ال

دینہا(अब दाऊद लकताबल मलालहम बाब मा यज़करो फ़ी कलनमललमअलतन)

िरनत इस बहत बड़ लफ़तनद क अवसर िर लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक जबसद दलनया म नबली आनद लगद ह वद इस लफ़तनद की खबर ददतद िलद आए ह कोई मामर न आए कोई हादली न आए कोई िथ-परदशमक न आए मसलमानो को सचद िमम िर एकतर करनद क ललए ख़दा तआला की ओर सद कोई आवाज़ बलनद की जाए मसलमानो को अिकार और लतलमर (तारलीकी) क गढ़ म सद लनकालनद क ललए आकाश सद कोई हसतली न लगराई जाए वह ख़दा जो ससार क परारि सद अिनली दया और किा क नमनद लदखाता िला आया ह महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अवतररत होनद क बाद उसकी दया क दायर म अलिक जोश िदा हो गया ह लक उसकी दया और किा लमट गए ह यलद ख़दा तआला किली िली दयाल था तो उममतद महममलदया क ललए उसको िहलद सद अलिक दयाल होना िालहए और लनससनददह वह ऐसा हली ह िलवतर कआमन और हदलीस इस िर गवाह ह लक उममतद महममलदया म जब किली खराबली िदा होगली ख़दा तआला अिनली ओर सद हादली और िथ-परदशमक लिजवाता रहगा लवशदष तौर िर उस अलतम यग म जबलक दजाल का लफ़तनः परकट होगा ईसाइयत लवजयली हो जाएगली इसलाम बाहय तौर िर िरालजत हो जाएगा और मसलमान िमम को छोड़ बठगद तथा दसरली क़ौमो क रलीलत-ररवाजो को अिना लगद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम का एक िणम दयोतक परकट होगा और यग का सिार करगा लजसक बार म रसलद करलीम सललाह अललह व सलम फ़रमातद ह लक

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

قران ال رسمہسلم ال اسمہ ول یبقی من ال

ل یبقی من ال

(कनज़ल उममाल लजद-11 िषठ-181 परकालशत ndash हलब 1974)अथामत इसलाम का कवल नाम शदष रह जाएगा और कआमन कवल

ललखा हआ रह जाएगा इसलाम का मगज़ कही लदखाई नही ददगा और कआमन क अथम लकसली िर सिटि न होगद अतः ह लपरयजनो लसललसला अहमलदया की सथािना इस अनालद सनत क अनतगमत हई ह और उनही िलवषयवालणयो क अनसार हई ह जो रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क िहलद नलबयो नद इस यग क बार म वणमन की ह यलद लमज़ाम सालहब का ियन इस कायम क ललए उलित न था तो यह ख़दा तआला िर आरोि ह लमज़ाम सालहब का इसम कया दोष ह िरनत यलद ख़दा तआला अनतयाममली ह और कोई राज़ उससद छिा हआ नही और उसक समसत कायम लहकमतो सद िर हए होतद ह तो लफर समझ लदना िालहए लक लमज़ाम गलाम अहमद अललहससलातो वससलाम का ियन हली सहली ियन था और उनही क माननद म मसलमानो और दलनया लक िलाई ह आि दलनया क ललए कोई नया सनददश नही लायद िरनत वहली सनददश जो महममद रसललाह सललाह अललह व सलम नद दलनया को सनाया था िरनत दलनया उसद िल गई वहली सनददश जो िलवतर कआमन नद परसतत लकया था िरनत दलनया नद उसकी ओर सद मह मोड़ ललया और वह यहली सनददश ह लक समिणम कायनात (बरहाणड) का िदा करनद वाला एक ख़दा ह उसनद इनसान को अिनद परदम और सबि क ललए िदा लकया ह अिनली लवशदषताओ को उसक माधयम सद परकट करनद क ललए उसद बनाया ह जसा लक वह फ़रमाता ह

رض خلیفۃ

ف ال جاعل کۃ ان ملى

واذ قال ربک لل

(अलबक़रह ndash 31)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

ر

ک منکر ول

فحشاء وال

لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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तो आदम अललहससलाम और उसकी नसल ख़दा तआला की ख़ललीफ़ा अथामत उसकी परलतलनलि ह वह ख़दा तआला की लवशदषताओ को दलनया िर परकट करनद क ललए िदा की गई ह अतः समसत मानव जालत का यह करमवय ह लक वद अिनद जलीवन को ख़दा तआला की लवशदषताओ क अनसार बनाय और लजस परकार एक परलतलनलि अिनद समसत कायमो म अिनद मवबककल की ओर बार-बार धयान ददता ह और एक दास हर नया क़दम उठानद सद िहलद अिनद माललक की ओर ददखता ह इसली परकार इनसान का िली करमवय ह लक वह ख़दा तआला क साथ ऐसा सबि िदा कर लक ख़दा तआला उसका हर क़दम हर कायम म मागम-दशमन कर और सब िलीज़ो सद अलिक वह उसका लपरय हो और सब बातो म वह उस िर िरोसा करनद वाला हो और उसली करमवय को िरा करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम दलनया म आए उनका यह कायम था लक वह दलनयादार लोगो को दलीनदार (िालममक) बनाय इसलाम की हकमत लदलो म सथालित कर और महममद रसललाह सललाह अललह व सलम को लफर अिनद रहानली तखत िर बठाए लजस तख़त िर सद उतारनद क ललए शतानली शबकतया आनतररक एव बाहय आकमण कर रहली ह

इसली उददशय को िणम करनद क ललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद सब सद िहला कायम यह लकया लक मसलमानो को लछलक की बजाए मगज़ (गदा) की ओर धयान लदलाया और इस बात िर बल लदया की आददशो का बाहय िली बहत अहम और आवशयक ह िरनत आनतररक की ओर धयान लदए लबना मनषय कोई उनलत नही कर सकता इसललए आि नद एक जमाअत सथालित की और बअत की परलतजा म यह शतम लनिामररत की लक म दलीन-िमम को दलनया िर पराथलमक रखगा वासतव म यहली रोग था जो मसलमानो को घन की तरह खा रहा था

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

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لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

इसक बावजद लक दलनया उनक हाथो सद छट िकी थली लफर िली दलनया हली की ओर उनका धयान जाता था इसलाम की उनलत क मायनद उनक नज़दलीक बादशाहतो की पराबपत रह गया था और इसलाम की सफलता क मायनद उनक नज़दलीक मसलमान कहलानद वालो की लशका और उनक वयािार की उनलत थली हालालक रसलद करलीम सललाह अललह व सलम दलनया म इसललए नही आए थद लक लोग मसलमान कहलानद लग जाए बबक आि लोगो को वासतलवक मसलमान बनानद क ललए आए थद लजसकी िररिाषा िलवतर कआमन नद यह की लक )अलबक़रह ndash 113) وجہہ ہلل

من اسلم

वह अिनद समिणम अबसततव को ख़दा तआला क ललए समलिमत कर दद ददखनद म यह एक सािारण सली बात मालम होतली ह िरनत वासतव म इसलाम तथा अनय िममो म यहली अनतर ह इसलाम यह नही कहता लक तम लवदया परापत न करो न यह कहता ह लक तम वयािार न करो न यह कहता ह लक उदयोग और वयवसाय न करो न यह कहता ह लक तम अिनली हकमत की दढ़ता की कोलशश न करो वह कवल इनसान क दबटिकोण को िररवलतमत करता ह दलनया म समसत कायमो क दो दबटिकोण होतद ह एक लछलक सद मगज़ परापत करनद का दबटिकोण होता ह और एक मगज़ सद लछलका परापत करनद का दबटिकोण होता ह जो वयबकत लछलक सद मगज़ परापत करनद की आशा रखता ह आवशयक नही लक वह अिनद उददशय म सफल हो जाए बबक परायः वह असफल रहता ह िरनत जो वयबकत मगज़ परापत करता ह उसको साथ हली लछलका िली लमल जाता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम और आि क अनयालययो क समसत परयास िमम क ललए थद िरनत यह नही लक वह सासाररक नदमतो सद वलित हो गए हो यह तो एक सवािालवक बात ह लजन लोगो को िमम

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

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ک منکر ول

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لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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लमलदगा दलनया दासली की तरह उनक िलीछ दौड़तली आयदगली िरनत दलनया क साथ दलीन (िमम) का लमलना आवशयक नही किली वह नही लमलता किली रहा-सहा िमम िली हाथो सद जाता ह

तो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद नलबयो क मागम िर िलतद हए अलाह तआला क आददश िर िमम िर ज़ोर ददना आरि लकया लजस समय आि परकट हए मसलमानो म दो परकार की तहरलीक जारली थी एक तहरलीक यह थली लक मसलमान कमज़ोर हो िक ह इसललए उनह सासाररक शबकत परापत करनद का परयास करना िालहए दसरली तहरलीक आि नद िलाई लक हम को िमम की ओर धयान ददना िालहए इस का अलनवायम िररणाम यह होगा लक दलनया अलाह तआला हम सवय दद ददगा

कछ लोगो नद ग़लतली सद यह समझा लक आि की तहरलीक िली वसली हली ह जसद आजकल क सलफ़यो इतयालद की तहरलीक होतली ह लक वद परतयक तौर िर नमाज़ रोज़द िर ज़ोर ददतद ह और अचछ-िलद आदलमयो को एकानत म बठा कर िदद म रहनद वालली बसतरयो की तरह बना ददतद ह यलद आि ऐसा करतद तो लनससनददह आि मगज़ क नाम सद एक लछलक की पराबपत की तहरलीक करतद िरनत आि नद ऐसा नही लकया आि नद जहा िालममक आददशो िर ज़ोर लदया लक िमम अलाह की ओर सद इसललए आया करता ह लक वह इनसान क मबसतषक को िमक परदान कर और उस क मबसतषक को परकालशत कर तथा उसकी बलदध को तदज़ कर आि नद कहा जो वयबकत सचद तौर िर िमम िर अमल करता ह और बनावट सद काम नही लदता िमम उसक अनदर उच कोलट क आिरण िदा करता ह िमम उसक अनदर अमल करनद की शबकत िदा करता ह और िमम उसक अनदर सवाथम-तयाग और कबामनली का मादः िदा करता ह आि नद फ़रमाया लक तम िमम को अिनाओ तम नमाज़ िढ़ो तम रोज़द रखो हज करो ज़कात दो िरनत

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

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لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

वद नमाज़ िढ़ो जो कआमन नद बताई ह और वद रोज़द रखो जो कआमन नद बताए ह और वह हज करो जो कआमन नद बताया ह और वह ज़कात दो जो कआमन नद बताई ह िलवतर कआमन तम सद उठक-बठक की माग नही करता न वद उनसद िखद रहनद की माग करता ह न अिना ददश बदफायदा छोड़नद की माग करता ह न अिना माल गवानद की माग करता ह िलवतर कआमन तो नमाज़ क बार म यह फ़रमाता ह लक ب

اہلل اک

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ک منکر ول

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لوۃ تنہى عن ال ان الص

)अनकबत - 46) واہلل یعلم ما تصنعونनमाज़ तम सद अशलीलता और अलपरय बात तयाग करा ददतली ह तो

यलद वह िररणाम नही लनकला जो िलवतर कआमन नद नमाज़ का बताया ह तो तमहारली नमाज़ नमाज़ नही ह और रोज़द क बार म िलवतर कआमन फ़रमाता ह लक ــون ق ــم تت रोज़ा इसललए (अलबक़रह ndash 184) لعلکलनिामररत लकया गया ह तालक तमहार अनदर सयम और उच कोलट क आिरण िदा हो तो यलद तम रोज़द रखतद हो बबक अिनद आि को िखा रखतद और ख़दा तआला को तमहारा िखा रहना अिलीटि नही और हज क ललए फ़रमाता ह लक यह लवदोह क लविारो को रोकनद और आिसली झगड़ो को दर करनद का माधयम ह अतः हज बराई िाि और झगड़ को रोकनद क ललए ह ज़कात क ललए फ़रमाता ह-)अरौबः ndash 103)یم بہا ہم وتزک

ر من اموالم صدقـۃ تطہ

خذ

ज़कात मनषय और क़ौम को शदध करनद तथा हदय और लविारो क शलदधकरण क ललए लनिामररत की गई ह तो जब तक यद िररणाम िदा न हो तमहारा हज और तमहारली नमाज़ कवल लदखावद की ह अतः तम नमाज़ िढ़ो रोज़ा रखो हज करो ज़कात दो िरनत तमहारली नमाज़ रोज़द तथा हज को म तब मानगा जब उनका िररणाम लनकलद और तम

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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अशलीलता और अलपरय बातो सद बिो तथा तमहार अनदर सयम (तकवा) िदा हो और िािो तथा झगड़ सद िणम रिदण दर हो जाओ और मनषय एव क़ौम की िलवतरता हदय और लविारो की शदधता तम को परापत हो िरनत लजस वयबकत क अनदर यह िररणाम िदा नही होगा म उसद अिनली जमाअत म नही समझगा कयोलक उसनद लछलक को गरहण लकया मगज़ को गरहण नही लकया जो ख़दा तआला का उददशय था इसली परकार शदष समसत इबादतो क बार म आि नद मगज़ िर ज़ोर लदया और फ़रमाया लक इसलाम का कोई आददश ऐसा नही जो लहकमत क लबना हो ख़दा तआला आखो को लदखाई नही ददता ख़दा तआला लदल को लदखाई ददता ह ख़दा तआला को हाथो सद नही छआ जाता ख़दा तआला को परदम सद छआ जाता ह तो िमम का उददशय यह नही लक वह कवल आख और हाथ िर हकमत कर बबक जब िली वह आख और हाथ िर हकमत करता ह तो वह लदल और िावनाओ को साफ़ करनद क ललए हकमत करता ह तालक वद शबकतया इनसान क अनदर िदा हो लजनसद वह ख़दा तआला को ददख सक और लजन सद वद ख़दा तआला को छ सक और वद शबकतया िदा हो लजनसद वद ख़दा तआला की आवाज़ को सन सक लनषकषम यह लक इन बातो िर ज़ोर ददकर आि नद एक मागम इसलाम की उनलत क ललए खोल लदया और िररणाम यह हआ लक यदयलि एक छोटली सली जमाअत िदा हई िरनत एक ऐसली जमाअत िदा हो गई लजसनद दलीन (िमम) को दलनया िर पराथलमक (मक़दम) कर लदया और इसलाम की रहानली उनलत तथा महममद सललाह अललह व सलम की रहानली बादशाहत की सथािना क ललए हर परकार की कबामनली करना आरि कर दली

आि लोग सोि तो सहली लक कहा अहमलदयो की छोटली सली जमाअत और कहा समसत मसलमानो का लवशाल लगरोह लकनत इसलाम क परसार

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

और उसकी उनलत क ललए जो कछ अहमलदया जमाअत कर रहली ह लक शदष मसलमान जो उन सद हज़ारो गना िालममक ह उनसद आिा या िौथा िाग िली कर रह ह तो यह िररवतमन कयो हआ इसलीललए हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद अहमलदयो िर ज़ोर लदया था लक वद दलीन (िमम) को दलनया िर मक़दम (पराथलमक) कर यह वासतलवकता अहमलदयो िर खल गई तो उनक कमम एक नए परकार क कमम हो गए एक सचद अहमदली की नमाज़ वह नमाज़ नही जसली एक सामानय मसलमान नमाज़ िढ़ता ह शक वहली ह वाकय वहली ह िरनत समझ और ह अहमदली नमाज़ को नमाज़ क ललए िढ़ता ह और ख़दा तआला क साथ सबि बढ़नद क ललए िढ़ता ह शायद कोई कह लक कया शदष लोग ख़दा तआला क साथ अिना सबि बढ़ानद क ललए नमाज़ नही िढ़तद मदरा उरर यह ह लक हरलगज़ नही यलद आि लविार कर तो आि को जात होगा लक इस समय मसलमानो म दिामगय सद यह लविार िदा हो िका ह लक ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा हो हली नही सकता मसलमानो को सामानय तौर िर यह ग़लतली लग रहली ह लक न ख़दा तआला आज बनदो सद बोलता ह और न बनदद ख़दा तआला सद कोई बात सवलीकार करा सकतद ह एक सदली सद अलिक समय गज़रा ह लक ख़दा क इहाम क उतरनद सद मसलमान इनकारली हो िक ह लनससनददह इस सद िहलद मसलमानो म वद लोग मौजद थद जो ख़दा क कलाम उतरतद रहनद क क़ाइल थद काइल हली नही वद इस बात क िली दावददार थद लक ख़दा तआला उन सद बात करता ह िरनत एक शतादली सद मसलमानो िर यह आिदा उतरली ह लक वद िणमतया ख़दा क कलाम क जारली रहनद सद इनकारली हो गए बबक कछ उलदमा नद तो इस वासतलवकता की अलिवयबकत को कफ़र ठहरा लदया हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद आकर दलनया क सामनद

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

صر

مستـقیم

اط ال

ر اہدنا الص

(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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यह दावा परसतत लकया लक मझ सद हली नही बबक जो वयबकत मदरा अनकरण करगा और मदर िदलिनहो िर िलदगा और मदरली लशका को मानदगा और मदरली लहदायत को सवलीकार करगा ख़दा तआला उस सद िली बात करगा आि नद लनरतर ख़दा क कलाम को दलनया क सामनद परसतत लकया और अिनद माननद वालो म तहरलीक की लक तम िली ख़दा तआला क इन इनामो को परापत करनद की कोलशश करो आिनद फ़रमाया ndash

मसलमान िाि समय ख़दा तआला सद यह दआ मागतद ह लकین انعمت علیم اط ال

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(फ़ालतहा ndash 67)ह ख़दा त हम सलीिा रासता लदखा उन लोगो का रासता लजन िर

तनद इनाम उतार थद अथामत िहलद अलबया लकरामलफर यह लकस परकार हो सकता ह लक उसकी यह दआ सदव क

ललए वयथम जातली और ख़दा तआला मसलमानो म सद लकसली क ललए िली वह रासता न खोलता जो िहलद नलबयो क ललए खोला गया था तथा लकसली वयबकत सद िली उस परकार कलाम न करता लजस परकार िहलद नलबयो सद कलाम करता था इस परकार आि नद उस डडलाक को िणमतया दर कर लदया जो मसलमानो क लदलो िर छाया हआ था म नही कहता लक हर अहमदली िरनत म अवशय कहता ह लक हर अहमदली जो हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम क उददशय को िणम रि सद समझ गया वह नमाज़ को इस परकार नही िढ़ता लक जसद वह एक करमवय अदा कर रहा ह वह नमाज़ को इस परकार िढ़ता ह लक जसद वह ख़दा तआला सद कछ लदनद गया ह वह ख़दा तआला सद एक नया सबि िदा करनद क ललए गया ह और इस इरादद क साथ जो वयबकत नमाज़ िढ़गा समझ म आ सकता ह लक उसकी नमाज़ और अनय लोगो की नमाज़ एक सामान नही

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

48

अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

49

तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

50

अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

51

सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

हो सकतली आि नद ख़दा तआला क सबि िर इस सलीमा तक ज़ोर लदया फ़रमाया लक मदर दावद क माननद क ललए ख़दा तआला नद बहत सद तकक लदए ह िरनत म तमह यह नही कहता लक तम उन तकमो को सोिो और उन िर लविार करो यलद तम इन तकमो िर सोिनद और लविार करनद का अवसर नही िातद या उसकी अवशयकता नही समझतद या यह समझतद हो की शायद हामारली बलदध इन बातो क सबि म फसला करनद म कोई ग़लतली कर जाए तो म तमह इस ओर धयान लदलाता ह लक तम अलाह तआला सद मदर बार म दआ करो और ख़दा तआला सद मागमदशमन िाहो लक यलद यह सचा ह तो हमारा मागम-दशमन कर और यलद यह झठा ह तो हम इस सद दर रख और फ़रमाया लक यलद कोई वयबकत सचद लदल सद लबना ददष क कछ लदन इस परकार की दआ करगा तो अलाह तआला अवशय उसक ललए लहदायत का रासता खोल ददगा और मदरली सचाई उस िर सिटि कर ददगा सकड़ो और हज़ारो लोग ह लजनहोनद इस परकार कोलशश की और ख़दा तआला सद रोशनली िाई यह लकतना बड़ा सिटि तकक ह इनसान अिनली बलदध म ग़लतली कर सकता ह िरनत ख़दा तो अिनद मागम-दशमन म ग़लतली नही कर सकता और कसा लवशास ह अिनली सचाई िर उस वयबकत को जो अिनली सचाई क िहिाननद क ललए इस परकार क फसलद का तरलीका दलनया क सामनद परसतत करता ह कया कोई झठा यह कह सकता ह लक जाओ और ख़दा सद मदर बार म िछो कया कोई झठा वयबकत यह सोि सकता ह इस परकार का फसला मदर िक म जारली होगा जो वयबकत ख़दा की ओर सद नही िरनत इस परकार क फसलद क तरलीक को मानता ह वह तो जसद अिनद लवरदध सवय हली लडगरली दद ददता ह और अिनद िाव िर आि कहाड़ली मारता ह िरनत हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद हमदशा हली दलनया क सामनद यह बात परसतत की लक

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

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अिनद साथ हज़ारो तकक रखता ह िरनत म यह कहता ह लक यलद तमहारली इन तकमो सद तसलली नही होतली तो न मदरली सनो और न मदर लवरोलियो की सनो ख़दा तआला क िास जाओ और उस सद िछो लक कया म सचा ह या झठा ह यलद ख़दा तआला कह दद लक म झठा ह तो लनससनददह झठा ह िरनत यलद ख़दा तआला यह कह लक म सचा ह तो लफर तमह मदरली सचाई क सवलीकार करनद सद कया इनकार ह

ह लपरयजनो यह फसलद का लकतना सलीिा और ईमानदार तरलीक़ा था हज़ारो लोगो नद इस सद फ़ायदा उठाया और समसत वद लोग जो फसलद क इस तरलीक को अब िली सवलीकार कर उस सद फ़ायदा उठा सकतद ह इस फसलद क तरलीक म वासतव म यहली लहकमत कायम करनद वालली थली लक आि समझतद थद लक दलीन (िमम) दलनया िर मक़दम ह आि फ़रमातद थद ख़दा तआला नद िौलतक वसतओ को ददखनद क ललए आख दली ह िौलतक वसतओ को समझनद क ललए बलदध परदान की ह और िौलतक िलीज़ो को लदखानद क ललए उसनद अिना सयम िदा लकया ह और लसतार िदा लकए ह लफर लकस परकार हो सकता ह लक रहानली लहदायतो क लदखानद क ललए उसनद कोई िथ-परदशमन बनाया हो लनससनददह जब किली िली कोई वयबकत उस सद रहानली िलीज़ो को ददखनद की इचछा करता ह ख़दा तआला उसक ललए मागम खोल ददता ह वह सवय िलवतर कआमन म फ़रमाता ह -

ــبلنا وان اہلل م سـ ــنہدین ــا لـ ــدوا فین ــن جاہ ی وال )अनकबत - 76)

محســـنی

ال لمــع

जो लोग िली हमार लमलनद की इचछा रखतद हए परयास सद काम लदतद ह हम उनको अवशय अिना मागम लदखा ददतद ह

साराश यह लक हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलातो वससलाम नद िमम को दलनया िर मक़दम रखनद का मागम अिनली जमाअत क ललए िली

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अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

अहमदियत का पग़ाम

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

48

अहमदियत का पग़ाम

खोला और अिनद इनकार करनद वालो क सामनद िली इसली मागम को परसतत लकया हमारा ख़दा एक जलीलवत ख़दा ह वह अब िली ससार क कारखानद को िला रहा ह तथा िमम की िली एक मोलमन क ललए आवशयकता ह लक वह अलिक सद अलिक उस सद सबि िदा कर और उसक लनकट होता िल जाए और वह वयबकत लजस िर लहदायत परकट नही हई उसक ललए आवशयक ह लक वह ख़दा तआला सद हली रोशनली िाह और उसकी हली सहायता सद सचाई तक िहिनद की कोलशश कर तो असल कायम और असल सनददश हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम का यहली था लक वह दलनया का सिार कर और मानवजालत को लफर ख़दा तआला की ओर लद जाए और जो लोग ख़दा तआला क लमलनद सद लनराश ह उनक लदलो म ख़दा तआला की मलाकात का लवशास िदा कर और इस परकार क जलीवन सद लोगो का िररिय कराए जो मसा अललहससलाम तथा ईसा अललहससलाम तथा अनय नलबयो क यग म लोगो को परापत था ह िररजन िरानली लकताब िढ़कर ददखो लफर सवय अिनद िवमजो का इलतहास ददखो कया उन लोगो क जलीवन िौलतक थद कया उनक कायम कवल िौलतक उिायो सद िलतद थद वद लोग ख़दा का परदम परापत करनद क ललए रात-लदन तड़ितद थद और उनम सद सफल लोग ख़दा तआला क िमतकारो तथा लनशानो सद लहससा िातद थद और यहली वह जलीवन था जो उनको अनय क़ौमो क लोगो सद लवशदष करता था िरनत आज वह कौन सली लवशदषता ह जो मसलमानो को लहनदओ ईसाइयो तथा अनय क़ौमो की तलना म परापत ह यलद कोई ऐसली लवशदषता नही तो लफर इसलाम की आवशयकता कया ह िरनत वासतलवकता यह ह लक ऐसली लवशदषता ह िरनत मसलमानो नद उसद िला लदया और वह लवशदषता यह ह लक इसलाम म हमदशा क ललए ख़दा तआला का कलाम जारली ह और हमदशा हली ख़दा

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

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सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि िदा लकया जा सकता ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली तो मायनद ह आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही हो सकतद लक हम बलीए या एमए की िरलीका िास कर ल कया एक ईसाई बलीए एमए नही होता आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही ह लक हमनद कोई बड़ा कारखाना िला ललया ह कया ईसाई लहनद और लसकख ऐसद कारखानद नही िलातद आि की दानशलीलता क यह मायनद तो नही लक कोई बड़ली वयािाररक कोठली हम नद खोल लली और सदर ददशो म हमनद वयािाररक कारोबार जारली कर लदया ह यह िली सब लहनद ईसाई और यहदली कर रह ह रसलद करलीम सललाह अललह व सलम की दानशलीलता क यहली मायनद ह लक आिक दारा इनसान का ख़दा तआला क साथ सलीिद तौर िर सबि सथालित हो जाए इनसान का लदल ख़दा तआला को ददखद उसकी रह की उससद एकता हो जाए वह उसका मिर कलाम सनद और ख़दा तआला क ताज़ा सद ताज़ा लनशान तथा आयत उसक ललए परकट हो यह वह िलीज़ ह लजसम महममद रसललाह सललाह अललह व सलम क अनयायली अनय क़ौम सद लवशदष ह इसली की ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद मसलमानो को धयान लदलाया और यहली िलीज़ अिनद न माननद वालो क सामनद परसतत की लक ख़दा तआला नद यह खोया हआ मोतली मझद लदया ह और यह नटि हो िका सामान मझद परदान लकया ह और यह सब कछ मझद रसलद करलीम सललाह अललह व सलम क कारण तथा आि क अनकरण सद लमला ह और इस िद िर आि हली क वरदान नद मझद िहिाया ह इसक अलतररकत और िली बहत सद कायम हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद लकए िरनत वद सब आलशक हलसयत रखतद ह यदयलि बहत अहम और महान ह िरनत मल कायम यहली था लक आि

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

51

सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

52

अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

नद दलीन िमम को दलनया िर मकदम करनद और िौलतकता िर रहालनयत को लवजयली करनद का कलठन कायम परारि लकया और लनससनददह इसलाम को अनय िममो िर लवजय इसली मागम सद होगली हम तोिो और बनदको सद अिनद ददशो की परलतरका िली करगद हम कछ-कछ शतरओ िर इस माधयम सद लवजयली िली होगद िरनत समसत ससार िर इसलाम को जो लवजय परापत होगली वह इसली रहानली तरलीक सद होगली लजसकी ओर हज़रत मसलीह मौऊद अललहससलाम नद धयान लदलाया ह जब मसलमान मसलमान हो जाएगा तब वह दलीन को दलनया िर मकदम करनद लग जाएगा जब वह रहानली (आधयाबतमक) िलीज़ो को िौलतक िलीज़ो िर शदषठता ददनद लगदगा तो वह िोग लवलास का जलीवन जो इस समय िबशमली क़ौमो क कारण हमार ददश म जारली हो रहा ह सवय हली लमट जाएगा और इनसान लकसली क कहनद क कारण नही बबक अिनद नफस की इचछा क अिलीन वयथम बातो को छोड़ ददगा और सजलीदा जलीवन वयतलीत करनद लग जाएगा और उसकी ज़बान म असर िदा हो जाएगा तथा उसका िड़ोसली उसक रग को गरहण करनद लगदगा ईसाई लहनद तथा अनय िममो क लोग िली उसली परकार लजस परकार लक मकका क लोगो नद कहा था यद कहना शर कर दगद लक)अललहजर ndash 3)

لو کانوا مسلـمی

काश वद मसलमान होतद और लफर होतद-होतद उनका यह कथन मकका क लोगो की तरह अमल म बदल जाएगा और वद मसलमान हो जाएगद कयोलक कोई वयबकत अलिक ददर तक अचछली बात सद दर नही रह सकता िहलद लदलिसिली िदा होतली ह लफर लालि आता ह लफर कोलशश िदा होतली ह और अनततः मनषय लखिा लखिा उस िलीज़ की ओर आ हली जाता ह यहली अब िली होगा िहलद इसलाम मसलमानो क लदलो म दालखल होगा लफर वह उनक शरलीर िर जारली हो जायदगा लफर ग़र मबसलम लोग

अहमदियत का पग़ाम

51

सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

अहमदियत का पग़ाम

51

सवय ऐसद कालमल (िणम) मसलमानो की नक़ल करनद िर तयार हो जाएगद और दलनया मसलमानो सद िर जाएगली तथा इसलाम सद आबाद हो जाएगली

ह पयारो इस छोट सद लदख म म लवसतत तकमो को वणमन नही कर सकता और अहमलदयत क सनददश क समसत िागो को आिक सामनद परसतत नही कर सकता मनद सलकपत तौर िर अहमलदयत का मतलब और उददशय आि लोगो क सामनद रख लदया ह और म आि सद दरखवासत करता ह लक इस लदख िर लविार कर और सोि लक दलनया म किली-किली िालममक तहरलीक कवल सासाररक माधयमो सद लवजयली नही हई िालममक तहरलीक नफस क सिार परिार और कबामनली हली क साथ हमदशा लवजयली होतली रहली ह आदम अललहससलाम क यग सद लदकर इस समय तक जो नही हआ वह अब िली नही होगा और लजस माधयम सद आज तक ख़दा तआला क सनददश दलनया म फलतद रह ह उसली परकार अब िली महममद रसललाह सललाह अललह व सलम का सनददश दलनया म फलदगा अतः अिनली जानो िर दया करतद हए अिनली सतानो िर दया करतद हए अिनद खानदानो तथा अिनली क़ौम िर दया करतद हए अिनद ददश िर दया (रहम) करतद हए ख़दा तआला क सनददश को सननद और समझनद की कोलशश कर तालक अलाह तआला क फ़ज़ल (किा) क दरवाज़द आि क ललए शलीघर सद शलीघर खल जाए और इसलाम की उनलत िलीछ ना िड़ जाए अिली बहत काम ह जो हमनद करना ह िरनत उसक ललए हम आि क आनद की परतलीका म ह कयोलक ख़दाई उनलतया िमतकारो क अलतररकत िमम क परसार क साथ सबि रखतली ह आि आए और इस बोझ को हम सब लमलकर उठाय लजस बोझ का उठाना इसलाम की उनलत क ललए आवशयक ह लनससनददह कबामनली और सवाथम तयाग लननदा और अज़ाब इन सब िलीज़ो का ददखना इस मागम म आवशयक ह िरनत ख़दा तआला

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)

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अहमदियत का पग़ाम

क मागम म मतय हली वासतलवक जलीवन परदान करतली ह और उस मतय को गरहण लकए लबना कोई मनषय ख़दा तआला तक नही िहिा सकता और इस मतय को गरहण लकए लबना इसलाम िली लवजयली नही हो सकता लहममत कर और मतय क इस पयालद को मह सद लगा ल तालक हमारली और आिकी मतय सद इसलाम को जलीवन लमलद और महममद सललाह अललह व सलम का िमम िनः तरो ताज़ा हो जाए और इस मतय को सवलीकार कर क हम िली अिनद लपरयतम की गोद म अनशर जलीवन का आननद परापत कर ह ख़दा सवलीकार कर ख़ाकसार लमज़ाम महमद अहमद इमाम जमाअत अहमलदया अकटबर 1948 ई (अफ़ज़ल 6 नवमबर 1948 ई)