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Xn©U निमन रजभष पनक अंक-1 नतंबर 2019 रय मिनक ससय एं तंनक नि ंसि मिनक ससय के निए जगकत बढिे को मनपत

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  • Xn©Uनिम्हान्स रहाजभहाषहा पनरिकहा

    अंक-1 न्सतंबर 2019रहाष्ट्रीय महािन्सक स्हास्थय ए्ं तंनरिकहा न्ज्हाि ्संस्हाि

    महािन्सक स्हास्थय के निए जहागरूकतहा बढहािे को ्समनपपित

  • निदेशक कहा ्संदेशमुझे इस बात का अत्यंत हर्ष है की राष्ट्री् मानससक स्ास्थ् ए्यं तयंसरिका स्ज्ानयं सयंस्ान (सनमहानस) की पहलरी हहन्री पसरिका का प्र्म अयंक प्रकासित हो रहा है. सनमहानस एक राष्ट्री् महत् का सयंस्ान है जहाँ ्ेि भर से मररीज आते हैं. इसके अला्ा ्हाँ सिक्ा ग्रहण करने ्ाले छारि-छारिा भरी ्ेि के हर कोने से आते हैं. ऐसे में हहन्री भारा की एक सन्हमत पसरिका का प्रकािन एक महत्पूण्ष क्म है. जैसा की इसमें छपे लेखों से पहरलसक्त होता है हक इसका मुख् उ्ेश् मररीजों के सलए उप्ोगरी लेखों को प्रकासित करना है. मुझे पूण्ष स्श्ास है की

    इन लेखों को पढ़ कर मररीज त्ा उनके पहर्ार के स्स् लाभानन्त होंगे. इस पसरिका का स्मोचन हहन्री ह््स के उपलक्् में हक्े जा रहे का््षक्रम में हक्ा जा रहा है जो, मेरे समझ से, हहन्री के स्कास के सलए एक अत्यंत सा््षक प्र्ास है. मैं राजभारा असिकाररी, हहन्री प्रकोष्ठ के सारे कम्षचाररी त्ा प्रकािन स्भाग के कम्षचाहर्ों की इस पसरिका के प्रारयंभ त्ा प्रकािन के सलए सराहना करता हँ ए्यं आिा करता हँ की ्ह पसरिका सन्हमत रूप से प्रकासित हो. मेररी िुभकामनाएयं उनके सा् हैं.

    िन््ा् डॉ. बरी. एि. गंगहाधर

    ्संपहादक के किम ्सेराजभारा असिकाररी होने के नाते हमेिा ्ह लगा हक राष्ट्री् मानससक स्ास्थ् ए्यं तयंसरिका स्ज्ान सयंस्ान, जो की राष्ट्री् महत् का एक सयंस्ान है, में हहन्री में हकसरी ऐसरी पसरिका का प्रकािन होना चाहहए सजसमे मानससक स्ास्थ् ए्यं तयंसरिका स्ज्ान से समबयंसित, सयंस्ान से समबयंसित त्ा अन् ऐसरी हरी स्र्ों पर सन्हमत रूप से ्ैसे आलेख छपें जो मुख् रूप से मररीजों के सलए उप्ोगरी हों ए्यं सा् हरी अन् लोग भरी उनहें रुसच से पढ़ें.‘्प्षण’ का प्रकािन इस ओर उठा्ा ग्ा एक क्म है. ् ह पसरिका एक सन्हमत पसरिका होगरी जो प्रारयंभ में ् र्ष में एक बार प्रकासित होगरी त्ा िरीरे-िरीरे हम इसे ् र्ष में एक से असिक बार प्रकासित करने का प्र्ास करेंगे. इसरी कड़री में ‘्प्षण’ का प्र्म अयंक प्रसतुत है सजसमें मानससक रोग से सयंबसित आलेख हैं, हहन्री भारा की राष्ट्री् एकता में भूहमका पर एक आलेख है, समाज में सयंस्ान (सनमहानस) के असवितरी् स्ान को ् िा्षतरी एक कस्ता है ए्यं बच्ों के सकारातमक पालन-पोरण पर एक मनो्ैज्ासनक आलेख है. आिा है की पाठकों को ्ह अयंक पसयं् आएगा.

    मेररी बात अिूररी रह जाएगरी अगर मैं इस पसरिका के प्रकािन में हमले सह्ोग के प्रसत अपना आभार न प्रकट करूूं. मैं आभाररी हँ सयंस्ान के सन्ेिक, रसजसटट्ार त्ा डरीन का सजनहोंने हर सतर पर माग्ष्ि्षन ए्यं सह्ोग हक्ा. मैं आभाररी हँ उन सारे लेखकों का सजनहोनें अपने लेख पसरिका के इस अयंक में प्रकासित होने के सलए ह्ए. इसके अला्ा मैं आभार व्क्त करता हँ सयंस्ान के प्रकािन स्भाग का त्ा हहन्री प्रकोष्ठ के सारे कम्षचाहर्ों का सजनहोंने इस का््ष को उतसाह के सा् अपने हा्ों में सल्ा त्ा सन्त सम् पर इसे प्रकासित करने में म्् हक्ा.

    डॉ. दे्व्रत कुमहारप्राध्ापक, नै्ासनक मनोस्ज्ान स्भाग ए्यं

    राजभारा असिकाररी (प्रभाररी)

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    प्राध्ापक, नै्ासनक मनोस्ज्ान स्भाग ए्यंराजभारा असिकाररी (प्रभाररी)

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    श्री. {eÝXo nm§Sw>a§J, {hÝXr AZwdmXH$श्रीमतरी. YZbú‘r E. {hÝXr Q>mB{nñQ>

    {hÝXr AZw^mJ (àH$meZ {d^mJ)amï´>r¶ ‘mZ{gH$ ñdmñ϶ Am¡a

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    Xÿa^mf … 080- 26995779

    B© ‘ob : [email protected]

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान | 3

    बच्े हरेक माता-सपता की चाह होते हैं त्ा हर कोई अपने बच्ों को जरी्न के हरेक क्ेरि में सफल ्ेखना चाहता है. पहर्ार बच्ों के सल्े प्र्म पाठिाला हैं त्ा ्हाँ सरीखे चरीजों का उनके भस्ष् पर अत्ासिक महत्पूण्ष असर पड़ता है. ऐसे में बच्ों का पहर्ार में एक आ्ि्ष त्ा सकारातमक पालन-पोरण आ्श्क है त्ा इसके सलए उप्ोगरी कुछ क्मों की ्हाँ चचा्ष की जा रहरी है.

    • अच्े वय््हारों कहा नशक्षण: बच्े अचछा व्वहार सरीखें, ऐसरी इचछा हर हकसरी की होतरी है. इसके सलए उप्ुक्त ्ाता्रण तै्ार करने की सजममे्ाररी माता-सपता की होतरी है. उ्ाहरण के सलए बच्ों के व््हार सिक्ण के ्ौरान ्ह अत्यंत महत्पूण्ष है हक माता-सपता उनके व््हारों पर कैसरी प्रसतसक्र्ा करते हैं. उ्ाहरण के सलए ्ह् सकारातमक व््हारों को नज़रअयं्ाज़ हक्ा जा्े त्ा ससफ्फ नकारातमक व््हारों के सलए डायंट-डपट और आक्रामकता ह्खाई जा्े तो सकारातमक व््हार कम होंगे. ्हाँ पर व््हार के सरीखने की प्रसक्र्ा के मनो्ैज्ासनक पहलू को सरल िब्ों में समझना आ्श्क है.

    1. कोई भरी वय््हार नज्स े्सकहारहातमक प्रनतनरियहा ममितरी ् ैउ्सके पिुः ्ोि ेकी ्सभंहा्िहा जयहादहा ्ोतरी ्.ै उ्ाहरण क ेसलए ्ह् कोई बच्ा हकसरी ्सुरे बच् े की म्् करता ह ै त्ा उसकी सराहना की जातरी ह ैतो उसक ेविारा ्सूरों को म्् करन ेकी प्र्सृत बढ़गेरी. ्सूररी तरफ नकारातमक व््हार क ेसलए ससफ्फ ्यंड ्ा आक्रामकता उस व््हार को कुछ सम् क ेसलए तो कम कर सकत ेहैं, परनत ुलमब ेसम् में इसका पहरणाम ्ायंसछत नहीं होता ह.ै इसकी अत्ासिक सयंभा्ना होतरी ह ैकी लमब ेसम् में ्यंड सनसषक्र् हो जाएँ. नकारातमक व््हार को कम करन ेका एक प्रभा्री तररीका ्ह होता ह ै हक ्सुरे समबयंसित सकारतमक व््हारों को प्रबसलत हक्ा जा्.े जैस,े अगर बचे् में ्ह प्र्ृसत

    ह ैहक ्ह ्सुर ेबच्ों क ेसामान को छरीन लतेा ह ैतो उसस े्सुरे बच्ों को अपन ेसामान को बाटँन ेक ेसलए प्रहेरत करें त्ा उसके ऐसा करने पर िाबािरी ्ें. इसस े न ससफ्फ सामान सछनन ेका व््हार कम होगा बन्क ् सूरों क ेसा् चरीजों को हमल-बाटँ कर प्र्ोग करन ेकी प्र्सृत बढ़गेरी.

    2. िकहारहातमक वय््हारों कहा ्सकहारहातमक प्रबिि उि वय््हारों को बढहातहा ्ै. हम बहुत बार अनजाने में नकारातमक व््हारों का सकारातमक पहरणाम बच्ों को ्ेते हैं, सजससे ्े व््हार बढ़ते हैं. उ्ाहरण के सलए अगर बच्ा हकसरी चरीज़ की सजद्द कर रहा है त्ा उसे न ्ेने पर ज़मरीन पर लोटने लगता है ्ा अपना पैर पटकने लगता है तो माता-सपता ्ह सोंच कर उस सजद्द को पूरा कर ्े सकते हैं की उसका पैर पटकना बयं् हो जाए, परनतु बच्े को ्ह ज्ात होता है हक पैर पटकने से सजद्द पूररी होतरी है अतः ्ह भस्ष् में ऐसा व््हार और करेगा.

    इसके अला्ा बच्ों के अचछे व््हार के सरीखने में इस बात की भरी भूहमका होतरी है की हम कैसा व््हार करते हैं. ्हाँ पर कुछ बातों को समझना आ्श्क है.

    1. माता-सपता बच्ों के सलए एक मॉडल होते हैं, अतः हम जैसा व््हार करते हैं उनके भरी ्ैसे व््हार की सयंभा्ना होतरी है. उ्ाहरण के सलए अगर हम हर बात के सलए ्ूसरों पर चरीखे-सचल्ाएयं तो बच्े ्ह सरीखते हैं हक हकसरी से कोई का््ष कर्ाने के सलए उनपर चरीखना सचल्ाना होता है. ्ूसररी तरफ हमारे ्ुसरे के प्रसत सह्ोगरी व््हार बच्ों में सह्ोगरी व््हार करने की नीं् डालता है. इसरी तरह, ्ह् हम सहरी सम् पर अपने का््ष-स्ल पर जाएँ ए्यं अपना काम ईमान्ाररी से करें तो बच्े भरी इन चरीजों को सरीखते है.

    बच्ों कहा पहािि-पोषण: एक मिो्ैज्हानिक आिेख

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान4 |

    2. ्ैसे का््ष न करें जो बच्ों में उलझन पै्ा करें. उ्ाहरण के सलए घर में रहते हुए हकसरी के आने पर बच्े को ्ह बोलना की ्ह उस व्सक्त को जा कर बोले हक आप घर पर नहीं हैं, बच्े में उलझन पै्ा करेगा.

    • बच्ों के ्सहा् ्समय नबतहािहा: आज के व्सत सयंसार में हम सबों के सा् सम् की कमरी होतरी है, परनतु इसरी बरीच बच्ों के सलए सम् सनकालना ज़रूररी होता है. ्ह भरी ज़रूररी है की ्ह सम् ‘क्ासलटरी टाइम’ हो, अ्ा्षत आप बच्े के सा् एक स्छन् माहौल में अयंतसक्र्फ्ा करें. बच्ों को खुल कर अपनरी बात बोलने का मौका ्ें, हयंसरी-मजाक करें, खेलें त्ा ऐसे हरी अन् का््ष करें. अनेक बार माता-सपता बच्ों के सलए सनकले गए सम् का उनहें पढ़ाने, सिक्ा के सलए सन्देि ्ेने इत्ाह् के सलए उप्ोग करते हैं. हालाँहक इन चरीजों का कम आकलन नहीं हक्ा जा सकता है, परनतु ्ह आ्श्क है हक हर ह्न कुछ सम् ऐसा ज़रूर हो ज़ब बच्े माता-सपता के सा् बात-सचत करें, खेलें. इन सारे चरीजों से बच्ों का माता-सपता के सा् जुडा् बढ़ता है त्ा ्े अपने खुसि्ों, ह्क्कतों, वियं्ों इत्ाह् को खुल कर ज़ाहहर कर पाते हैं.

    • महातहा-नपतहा के बरीच अच्े ्समबनध: बच्ों के स्स्थ् पालन-पोरण के सलए आ्श्क है हक माता-सपता के बरीच अचछे समबनि हों. ्ह् माता-सपता के बरीच आपस में बहुत ्ुरा् हो अ््ा झगड़े होते हों, तो बच्े भरी इनहें ्ेखते हैं त्ा नकारातमक रूप से प्रभास्त होते हैं. बहुत बार बच्े अपने भा्ों को ज़ाहहर नहीं कर पाते हैं परनतु उनपर इसका मनो्ैज्ासनक असर पड़ता है त्ा ्े सचयंता, स्रा् आह् पहरलसक्त कर सकते हैं.

    • जरी्ि कौशिों को ्सरीखिे में मदद करिहा: कुछ जरी्न कौिल जैसे सयं्ेगों पर सन्यंरिण, सृजनातमक सचयंतन, जरी्न के तना्ों ए्यं ््ाबों को प्रभा्क रूप से सामना करने की क्मता, समस्ा को स्सभन्न दृसष्कोणों से ् ेखना त्ा उनका प्रभा्क समािान ढूँढना इत्ाह् को सरीखने में बच्ों को म्् करना सकारातमक पालन-पोरण का एक महत्पूण्ष भाग है.

    • अ्हांन्त वय््हारों को स्हानपत ् ोिे के प्िे रोकें: हकसरी अ्ायंसछत व््हार को हँटाने के प्र्ास से ज्ा्ा अचछा ्ह होता है हक हम ्ह सुसनसचित करें की ्े व््हार बच्ों में आ्ें हरी नहीं. उ्ाहरण के सलए आज के सम् में हर कोई चाहता है हक बच्े अत्ासिक मोबाइल फ़ोन त्ा इनटरनेट का प्र्ोग न करें. इसके सलए ्ो बातें आ्श्क हैं – पहला, हम हमेिा फ़ोन और इनटरनेट में उलझे न रहें त्ा, ्ूसरा, बच्ों को व्सत रखने के सलए मोबाइल फ़ोन का सहारा न लें. पहला क्म इस सलए आ्श्क है हक हम अगर स््यं हमेिा मोबाइल फ़ोन में उलझे रहेंगे तो बच्े इसरी का नक़ल करेंगे त्ा हम उनहें रोक नहीं पाएयंगे. ्ूसरा क्म इससलए आ्श्क है हक ्ह् हम बच्ों को व्सत रखने के सलए उनहें मोबाइल फ़ोन के गेमस में उलझाएयंगे तो िरीरे-िरीरे उनहें इसका लत हो जा्ेगा सजसे छुड़ाना कहठन होगा. अनेक बार न्जात बच्े जब खाना नहीं खाते हैं तो उनहें फ़ोन ् े ह््ा जाता है, ताहक ्े उसमें उलझे रहें त्ा उनहें खाना सखला्ा जा सके. ्ुभा्षग् से बच्े खाने की सक्र्ा के सा् उसे जोड़ लेते हैं त्ा जब तक उनहें फ़ोन नहीं ह््ा जा्े ्े खाना हरी नहीं खाते हैं. इसके

    अला्ा ्ह व््हार ्हीं पर नहीं रूकता है, बन्क िरीरे-िरीरे अन् का्यों के सा् भरी जुड़ जाता है.

    • नशक्षण कहा खुिहा महा्ौि बिहायें त्हा अनय्हा द्हाब ि दें: बच्ों में सरीखने की प्राकृसतक प्र्ृसत होतरी है. अनेक बार ्ो ज्ा्ा से ज्ा्ा सरीख लें इसके सलए हम एक ््ाब पूण्ष माहौल बना ्ेते है. बच्ों को सककूल के अला्ा अनेक ट्ूसन में लगा ्ेते है. इससे बच्ों को खेलने, स्सिक्ण आह् का सम् हरी नहीं हमलता है. इससे बच्ों का स्कास कुयं हठत हो सकता है. उसचत सम् से बहुत पहले बच्ों को सककूल भेजने लगना, अपने आ्ु के बच्ों के सा् खलेने-ककू्ने का सम् नहीं हमलना इत्ाह् बच्ों के स्कास के सलए अचछे नहीं होते हैं.

    • बच्ों की उपिब्धयों की ्सरहा्िहा करें: अपने इमान्ार प्र्ास से प्राप्त बच्े की हकसरी भरी उपलनबि की अ्श् सराहना करें. उपलनबि का एक सतर त् कर उससे नरीचे की हकसरी उपलनबि के सलए आलोचना बच्ों में सनरािा ए्यं भ् पै्ा करते हैं. इससे उनका सतर ऊपर न जाकर और नरीचे जाता है. ्ह भरी आ्श्क है हक बच्े की हमेिा हकसरी ्ुसरे बच्े से तुलना न करते रहें.

    • बच्ों के गुणों को प्चहािे ए्ं ्सरहा्ें: हर बच्ा अपने आप में अलग होता है त्ा उसके अपने गुण होते हैं. उन गुणों को पहचानना त्ा सराहना आ्श्क है. हकसरी चरीज़ के कम होने पर ससफ्फ उसके सलए आलोचना करना उस चरीज़ में तो बच्े को नहीं हरी बढाता है, असपतु ्े सजसमें अचछा कर सकते हैं, ्ह भरी कम हो सकता है. उ्ाहरण के सलए ्ह् एक बच्ा गसणत में अचछा न करे परनतु भारा में अचछा हो तो हमेिा गसणत के सलए आलोचना करना परनतु भारा के सलए कभरी नहीं सराहना उसे आगे चलकर भारा में भरी कमजोर कर ्ेंगे क्ोंहक बच्े को ्ह लगेगा की भारा में अचछा करना महत्पूण्ष नहीं है. सहरी ्ह है बच्े को भारा के सलए सराहें त्ा गसणत के सलए आलोचना करने के स्ान पर उसे इस बात के सलए म्् करें की ्ह गसणत के कमजोर पक् को अचछरी तरह से समझे और उनहें ठरीक करने के सलए सटरीक क्म उठा्े.

    ऐसरी हरी अनेक अन् बातें बच्ों के सकारतमक पालन-पोरण में म्् करतरी हैं. सयंक्ेप में ्ह कहा जा सकता है हक माता-सपता सनमनायंहकत बातों पर ्ह् ध्ान ्ें तो ्े बच्ों की अचछरी तरह से पर्हरि कर सकते हैं:

    1. सकारातमक व््हारों को प्रबसलत करें

    2. बच्ों के सा् क्ासलटरी टाइम सबताएयं

    3. बच्ों को खुला माहौल ्ें परनतु इस बात पर ध्ान ्ें की ्े नकारातमक व््हार नहीं सरीख रहे हैं

    4. स््यं ्े व््हार न करें जो आप बच्ों को नहीं करना ्ेना चाहते हैं

    5. बच्ों को ् ह ससखलाएँ हक सफलता ए्यं असफलता ् ोनों को स्रीकार करना चाहहए

    6. बच्ों को अपने भा्ों ए्यं सयं्ेगों को सहरी ढयंग से असभव्क्त करने के सलए प्रेहरत करें

    7. बच्ों को उनके उम्र के अनुसार सजममे्ाहर्ायं लेना ससखाएयं

    डॉ. दे्व्रत कुमहारप्राध्ापक, नै्ासनक मनोस्ज्ान स्भाग

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान | 5

    ्ुसरे अध््न में लेखक ने पा्ा हक सजन लोगों को इनटरनेट गेम का लत होता है उनकी अपने जरी्न से सयंतुसष् का सतर सनमन होता है त्ा उनमे गुससे पर कम सन्यंरिण, सचयंता इत्ाह् ्ेखा जाता है.

    गेहमयंग का लत ससफ्फ गमेस्ष को हरी नहीं परेिान करता है, बन्क उनके सा् जुड़े लोग भरी परेिान होते है. उ्ाहरण के सलए माता-सपता बच्ों के सककूल में सगर रहे प्र्ि्षन, उनमें पहरलसक्त तना् के सचनह, आक्रामकता इत्ाह् से परेिान होते है. ्हाँ तक हक ्े स््यं भरी स्रा्, सचयंता इत्ाह् के रोगरी हो जा सकते हैं.

    स्यं जहांचें की कयहा आपको गेममंग कहा ित ्ै्ह् आप सनमनायंहकत में से पायंच ्ा असिक प्रश्ों का ‘हाँ’ में ज्ाब ्ेते हैं तो ्ह सयंभ् है हक आपको गेहमयंग का लत है.

    1. क्ा आपको हमेिा ऑनलाइन गेमस ्ा स्हड्ो गेमस खेलने की ज़रुरत महसूस होतरी है?

    2. क्ा आपके गेहमयंग के बारयंबारता (फ्ीक्वेंसरी) में लगातार बढ़ोतररी हो रहरी है?

    3. क्ा आप लगातार खेलना पसयं् करते हैं त्ा जरीतने पर अत्सिक उत्ेसजत हो जाते हैं जो आपके पढाई-सलखाई ए्यं सयंबयंिों को प्रभास्त कर रहा है?

    4. क्ा आप हमेिा गेम खेलना चाहते हैं?5. क्ा आपको सचयंता महसूस होतरी है ्ह् आप गेम नहीं खेल पाते हैं?6. क्ा आपको कष् त्ा बेचैनरी होतरी है अगर आप ऐसरी नस्सत में हैं

    जहाँ गैजेट (जैसे मोबाइल फ़ोन) के आभा् में आप गेम नहीं खेल पाते हैं?

    आप कयहा कर ्सकते ्ैं?्ह् आप को स््यं गेहमयंग का लत है ्ा आप ऐसे हकसरी व्सक्त को जानते हैं सजसे गेहमयंग के लत की सयंभा्ना है तो स््षप्र्म ्ह ्ेखें की आप ्ा ्ह व्सक्त हकस ह् तक उपरोक्त सबन्ुओयं का हाँ में ज़्ाब ्ेते हैं. ्ा् रखें हरेक गेमर को ् ह लत के सतर तक हो, ् ह ज़रूररी नहीं है. ् ह् व्सक्त में लत की सयंभा्ना है ्ा हफर ्ह इस तरफ बढ़ रहा है तो ज़्् से ज़्् हकसरी मानससक स्ास्थ् स्िेरज् से हमलाना अचछा है.

    इस समस्ा से परीसड़त अनेक लोगों के सनमहानस आने के कारण इस सयंस्ान ने एक स्सिष् सलिसनक का प्रारयंभ हक्ा है जो िट (सस््षस फॉर ्री हे््री ्ूज़ ऑफ़ टेकनोलॉजरी) के नाम से जाना जाता है. ्ह भारत में अपने ढयंग का एक अनूठा सलिसनक है जहाँ गेहमयंग के लत त्ा ऐसरी हरी अन् समस्ाओयं से जूझ रहे लोगों की म्् की जातरी है.

    डॉ. मिोज कुमहार शमहापिप्राध्ापक, नै्ासनक मनोस्ज्ान स्भाग

    आज के जरी्न में स््यं को इनटरनेट त्ा कूंप्ूटर से अलग रखना लगभग असयंभ् है. इनहोनें हमारे जरी्न में अनेक मा्ने में क्रायंसत ला ्री है. उ्ाहरण के सलए आज हम कुछ हरी क्ण में हकसरी को अपना सयं्ा् पहुयंचा सकते हैं सजसे पहले पोसट के विारा पहुँचने में महरीनो लगते ्े. इसरी प्रकार हम गूगल मैप के विारा हकसरी भरी जगह पर आसानरी से पहुँच सकते हैं. परनतु हकसरी चरीज़ के अत्ासिक ए्यं अताहक्फक प्र्ोग की हासन्ाँ भरी हैं त्ा इनटरनेट त्ा कूंप्ूटर इसके उ्ाहरण है. आजकल ऑनलाइन त्ा ऑफलाइन गेहमयंग को काफी पसयं् हक्ा जाता है. गेहमयंग को लोग अकसर एक तना् से राहत पाने का माध्म ए्यं जरीत कर अपने आप को खुि रखने के एक तररीके के रूप में ्ेखते हैं. इससे लोगों को स््यं से ्ूसरों के सा् जुड़ने त्ा गौर्ानन्त अनुभ् करने की आतयंहरक ज़रुरत की पूसत्ष का भरी एक जहर्ा हमलता है. परनतु कभरी-कभरी ्ह पसयं् एक लत में ब्ल जाता है सजसके बुरे पहरणाम होते हैं. गेहमयंग में अत्सिक लगे रहना कई मनो्ैज्ासनक समस्ाओयं को जनम ्े सकता है. उ्ाहरण के सलए एक गेमर कुयं हठत, सचयंसतत त्ा उ्ास हो सकता है ए्यं उसे स्रा् त्ा अटेंिन डेहफससट हाइपर एनकटस्टरी हडसऑड्षर जैसे मानससक रोग हो सकते हैं. ्े मानससक समस्ाएँ गेहमयंग के ्ाता्रण से जुड़े ्ुसरे चरीजों के प्रभा् को भरी असिक बढ़ा ्ेते हैं. उ्ाहरण के सलए व्सक्त खेल में हार, इनटरनेट के गसत का िरीमा होना, इत्ाह् पर सामान् से असिक बुररी तरह से प्रसतसक्र्ा कर सकता है. ्हाँ तक की व्सक्त स््यं को क्सत पहुँचाने के ह् तक जा सकता है.

    स्श् स्ास्थ् सयंगठन ने इससे समबयंसित समस्ा को एक मनो्ैज्ासनक रोग के रूप में रोगों के अयंतरा्षष्ट्री् ्गगीकरण (इयंटरनेिनल लिाससहफकेिन ऑफ़ हडजरीजेज) में हाल हरी में िाहमल हक्ा है. स्श् स्ास्थ् सयंगठन के अनुसार गेहमयंग हडसऑड्षर में

    • व्सक्त का गेम के ऊपर सन्यंरिण कमजोर हो जाता है, • ्ह जरी्न के ्ुसरे सक्र्ाओयं के स्ान पर गेहमयंग को परश्र् ्ेने

    लगता है (्हाँ तक की अपनरी ्ूसररी असभरूसच्ों त्ा ्ैसनक का्यों के तुलना में) त्ा

    • ्ह इस सक्र्ा के नकारातमक पहरणामों के बा्जू् इसे ज़ाररी रखता है ्ा ्ह सक्र्ा और बढ़ जातरी है.

    हम अब ्ह समझने का प्र्ास करें की गेहमयंग के लत से सनजात पाने के सलए क्ा हक्ा जा सकता है. अध््नों के अनुसार गेमस्ष के एक बहुत छोटे प्रसतित में ्ह रोग का रूप िारण कर लेता है; परनतु ्ह आ्श्क है हक लोग गेम में अत्ासिक सलप्त होने के सचनहों को सहरी सम् पर पहचान लें. उ्ाहरण के सलए ्ह् ्े बहुत असिक सम् इस पर लगा रहे हों, उनके अन् का््ष इसके कारण प्रभास्त हो रहे हों त्ा उनके अयंत्वै्सक्तक समबनि इस कारण से प्रभास्त हो रहे हों तो सचेत हो जाना आ्श्क है. लेखक ने भारत में हक्े अपने अध््नों में पा्ा हक गेम के लत ् ाले लोगों में अकेलापन त्ा तना् की सिका्त ज्ा्ा होतरी है. एक

    गेममंग कहा ित त्हा इ्सके मिो्ैज्हानिक प्रभहा्

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान6 |

    भारत में ऐसे अनेक असिसन्म हैं जो मानससक रोग ्ा मानससक ्ुब्षलता के लोगों के सिसक्तकरण त्ा क््ाण को सुसनसचित करने के सलए बने है. इन असिसन्मों को हम सरल िब्ों में प्रसतुत कर रहे हैं, ताहक लोग इससे लाभानन्त हो सकवें.

    रहाष्ट्रीय नयहा्स अनधनियम (1999)राष्ट्री् न्ास भारत सरकार के सामासजक न्ा् ए्यं असिकाहरता मयंरिाल् के अयंतग्षत एक ्ैिासनक सनका् है सजसका गठन औहटजम, सेहरब्रल पा्सरी, मानससक ् ुब्षलता ए्यं स्स्ि (म्टरीप्ल) ह्व्ानगता के व्सक्त्ों के क््ाण के सलए हक्ा ग्ा है. राष्ट्री् न्ास का ्ह प्र्ास है हक ह्व्ानगता के लोगों को अपने क्मताओयं में स्कास के सलए उसचत अ्सर हमले, उनके असिकारों का सयंरक्ण हो ए्यं उनकी पूसत्ष हो त्ा एक सम्गीकरण करने ्ाले ्ाता्रण की स्ापना हो. इन लक््ों की प्रासप्त के सलए राष्ट्री् न्ास के अयंतग्षत अनेक ्ोजना्ें हैं सजनहें अगले पृष्ठ पर ्िा्ष्ा ग्ा है.

    इन ्ोजनाओयं को ध्ान से ्ेखने पर ्ह ज्ात होता है हक ्े बहुआ्ामरी हैं त्ा राष्ट्री् न्ास के अयंतग्षत आने ्ाले सभरी ह्व्ायंगताओयं के स्सभन्न पहलुओयं को छकूते हैं. उ्ाहरण के सलए ्े न ससफ्फ ह्व्ायंगजन को लसक्त करके बना्े गए हैं, बन्क इनमें उनके ्ेख-रेख करने ्ालों का भरी ध्ान रखा ग्ा है.

    राष्ट्री् न्ास से समबयंसित साररी जानकाररी इस ्ेबसाइट से प्राप्त हक्ा जा सकता है: http://thenationaltrust.gov.in

    मदवयहांगजि अनधकहार अनधनियम, 2016भारत ने सयं्ुक्त राष्ट् महासभा के ह्व्ायंगजनों के असिकारों के असभसम् (2006) का अनुसम््षन हक्ा है. ् ह असभसम् ह्व्ायंगजनों के असिकारों को स्सभन्न माध्मों से सुसनसचित करने के सलए है, जैसे हक उनके सा् कोई भे् भा् नहीं हो, उनके ्ै्सक्तक स्ा्तता (ऑटोनोमरी) का आ्र हक्ा जा्े, उनका िोरण ्ा उनपर अत्ाचार नहीं हो, उनके सलए

    अ्सरों की समानता हो त्ा समाज में उनहें पूण्ष त्ा प्रभा्री भागरी्ाररी हमले. ह्व्ायंगजन असिकार असिसन्म, २०१६ ह्व्ायंगजनों के सिसक्तकरण के तरफ एक अत्यंत महत्पूण्ष क्म है.

    इसके अयंतग्षत सनमनाहकत ह्व्ायंगताएँ आतरी हैं:

    • कुष्ठ रोग मुसक्त (लेप्रोसरी क्ुड्ष) ह्व्ायंगता, • प्रमनसतषक घात (सेहरब्रल पा्सरी) ह्व्ायंगता, • बौनापन, • पेसि्ा्ुशपोरण (मसकुलर हडसटट्ॉफी), • तेजाब आक्रमण परीसड़त (एससड अटैक स्नकटम), • दृसष् ह्ास (अयंिता, सनमन दृसष्) • श्र्ण िसक्त का ह्ास (बसिर, ऊँचा सुनने ्ाला व्सक्त), • ्ाक् और भारा ह्व्ायंगता, • बौसधिक ह्व्ायंगता • स्सनह््षष् स्द्ा ह्व्ायंगताएँ ्ा सपेससहफक लसनिंग हडसेसबसलटरीज • स्परा्ण सपेकटट्म स्कार ्ा औहटजम सपेकटट्म हडसऑड्षर• मानससक रुगणता, • सचरकाररी तयंसरिका ्िाएयं (क्रोसनक न्ूरोलॉसजकल कूंडरीसयंस) सजसके

    अयंतग्षत बहु-सकेलेरोससक (म्टरीप्ल सलिेहरओससस) त्ा पाहक्फनसयंस रोग आते हैं,

    • रक्त स्कृसत (हेमोहफसल्ा, ्ैलेससहम्ा, ससकल कोसिका रोग), • बहुह्व्ायंगता (पहले ्सण्षत ह्व्ायंगताओयं में से एक से असिक

    स्सनह््षष् ह्व्ायंगताएँ) िाहमल हैं.

    इस असिसन्म के स्सभन्न अध्ा्ों में ह्व्ायंगजनों के असिकारों को सुसनसचित करने के क्म, सिक्ा के अ्सर, कौिल स्कास ए्यं सन्ोजन, सामासजक सुरक्ा; स्ास्थ्; पुन्ा्षस’ ए्यं आमो्-प्रमो्, स्िेर उपबयंि, उच् सहा्ता की आ्श्कता ् ाले ह्व्ायंगजनों के सलए व््स्ा, समुसचत सरकारों के कत्षव् ए्यं उत्र्ास्त्, ह्व्ायंगजनों के सलए सयंस्ाओयं का रसजसटट्रीकरण और ऐसरी सयंस्ाओयं को अनु्ान, स्सनह््षष् ह्व्ायंगताओयं का

    जहािें महािन्सक रोग त्हा महािन्सक दुबपिितहा ्से जुड़े कु् म्त्पूणपि अनधनियमों को

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान | 7

    प्रमाणन, केनद्री् त्ा राज् सलाहकार बोड्ष का गठन, ह्व्ायंगजनों के सलए मुख् आ्ुक्त त्ा राज् आ्ुक्त, ह्व्ायंगजनों के सलए स्िेर न्ा्ाल्, ह्व्ायंगजनों के सलए रासष्ट्् सनसि, इस असिसन्म का पालन न करने ्ालों के अपराि ए्यं ्यंड आह् का स्सतार से उल्ेख हक्ा ग्ा है.

    हम ्हाँ पर इस असिसन्म के तहत कुछ बातों को प्रकासित करना चाहेंगे (हालाँहक हमारा सलाह है हक पूण्ष जानकाररी के सलए पूरे असिसन्म को अ्श् पढ़ें):

    • ्ह् हकसरी व्सक्त में उपरोक्त हकसरी भरी ह्व्ायंगता का प्रसतित 40 ्ा असिक है तो उसे बेंचमाक्फ ह्व्ायंगता कहा जाता है.

    • प्रत्ेक उच् सिक्ा के सरकाररी सयंस्ानों ्ा ्ैसरी सयंस्ानें सजनहें सरकाररी म्् हमलता हो, को कम से कम 5% सरीटें बेंचमाक्फ ह्व्ायंगता ्ाले लोगों के सलए आरसक्त करना असन्ा््ष है.

    • हरेक सरकाररी सयंस्ानों में नौकहर्ों में 4% आरक्ण बेंचमाक्फ ह्व्ायंगता के लोगों को ्ेना है.

    इस असिसन्म की कॉपरी को सनमनायंहकत ्ेब-साईट से प्राप्त हक्ा जा सकता है: http://www.disabilityaffairs.gov.in/upload/uploadfiles/ files/RPWD%20ACT%202016.pdf

    मदशहा राष्ट्री् न्ास के अन्र आने ्ाले ह्व्ायंगताओयं के ०-१० ्र्ष के बच्ों के सलए ज़्् इलाज (अलगी इयंटर्ेंिन) के सलए ्ह ्ोजना है, सजसके अयंतग्षत ह्िा केनद्ों की स्ापना कर बच्ों को सचहकतसा ए्यं प्रसिक्ण के विारा अलगी इयंटर्ेंिन ह््ा जा्े त्ा सा् हरी बच्ों के पहर्ार ्ालों को सहा्ता ्री जा्े.

    न्कहा्स ्ह ह्न ्ेखभाल कवेंद् की एक ्ोजना है सजसके अयंतग्षत ऐसे केनद्ों पर ह्व्ायंगजन अपने अयंत्वै्सक्तक ए्यं व्ा्सास्क कौिलों में ्ृसधि के सलए प्रसिक्ण ले सकते हैं, त्ा सा् हरी इससे राष्ट्री् न्ास के अन्र आने ्ाले ह्व्ायंगजनों के पहर्ार ्ालों को कुछ ऐसा क्ण हमल जाता है जब ्े अपने ्ूसररी उत्र्ास्त्ों को पूरा कर सकते हैं.

    ्सम्पि इस ्ोजना का उद्देश् ऐसे केनद्ों की स्ापना है जहाँ उपरोक्त चार ह्व्ायंगताओयं के अना्, असहा् त्ा ऐसे हरी लोग समूह सन्ासों में अचछे जरी्न सतर के सा् रह सकते हैं जहाँ आ्श्कता पड़ने पर उनहें आिारभूत सचहकतसकी् सुस्िाएँ भरी उपलबि हों.

    घरौंदहा इस ्ोजना के तहत औहटजम, सेहरब्रल पा्सरी, मानससक ्ुब्षलता ए्यं स्स्ि (म्टरीपल) ह्व्ानगता के लोगों के सलए ऐसे घरौं्ा केनद्ों की स्ापना है जहाँ ह्व्ायंगजन को जरी्न भर रहने का स्ान हमले त्ा उनहें जरी्न के स्रीकार ्ोग् सतर की सुस्िाएँ हमले (सजसके अन्र आिारभूत सचहकतसकी् सुस्िाएँ भरी िाहमल हैं).

    निरहामयहा इस ्ोजना का उद्देश् औहटजम, सेहरब्रल पा्सरी, मानससक ्ुब्षलता ए्यं स्स्ि (म्टरीपल) ह्व्ानगता के लोगों को स्ास्थ् सबमा उपलबि कराना है.

    ्स्योगरी इस ्ोजना का उद्देश् ह्व्ायंगों के ्ेखरेख करने ्ालों के सलए ऐसरी इकाइ्ों का गठन करना है जहाँ उनहें प्रसिक्ण ्ेकर एक ऐसा का््षबल तै्ार हक्ा जा्े सजससे ह्व्ायंगों को उसचत ्ेखभाल हमल सके.

    ज्हाि प्रभहा इस ् ोजना का उद्देश् औहटजम, सेहरब्रल पा्सरी, मानससक ् ुब्षलता ए्यं स्स्ि (म्टरीपल) ह्व्ानगता के लोगों को िैक्सणक ए्यं व्ा्सास्क पाठ्यक्रमों को करने के सलए प्रोतसाहहत करना है.

    प्रेरणहा इसका उद्देश् राष्ट्री् न्ास के अन्र आने ्ाले ह्व्ायंगताओयं के लोगों के विारा उतपाह्त चरीजों त्ा से्ाओयं की सबक्री के सलए समुसचत अ्सर तै्ार करना है.

    ्संभ् इस ्ोजना के तहत ्ेि के 50 लाख से असिक जनसयंख्ा ्ाले हरेक नगर में एक ऐसे सयंसािन कवेंद् की स्ापना है जहाँ ह्व्ायंगजनों के सलए उप्ोगरी ्यंरिों, सॉफट्ेअर इत्ाह् का प्र्ि्षन हक्ा जा्े त्ा उनके रख-रखा् की जानकाररी ्री जा्े.

    बढ़ते कदम

    इस ्ोजना के तहत राष्ट्री् न्ास के सा् पयंजरीकृत ्ैसे सयंगठनों की सहा्ता की जानरी है जो औहटजम, सेहरब्रल पा्सरी, मानससक ्ुब्षलता ए्यं स्स्ि (म्टरीपल) ह्व्ानगता के समबनि में जानकाररी ्ेने और जागरूकता फ़ैलाने का काम करते हैं.

    मेंटि ्ेल्केयर अनधनियम, 2017 मेंटल हे््के्र असिसन्म को भारत के राष्ट्पसत की स्रीकृसत 7 अप्रैल 2017 को हमलरी. ्ह असिसन्म मानससक रोसग्ों के बेहतर सचहकतसा, उनके असिकारों की सुरक्ा, मानससक रोसग्ों के ्ेख-भाल से जुड़े प्रोफेसन्स की पहरभारा त्ा उनके का््ष इत्ाह् से समबयंसित है.

    ्ह असिसन्म भरी ह्व्ायंगजन असिकार असिसन्म की तरह मानससक रोसग्ों के सिसक्तकरण ए्यं उनके असिकारों की समपूण्ष सुरक्ा पर जोड़ डालता है.

    निषकषपि भारत में मानससक रोग, ह्व्ायंगता से जुड़े अनेक प्रभा्क अिसन्म हैं. हमने उपरोक्त असिसन्मों की चचा्ष सरल िब्ों में इससलए की ताहक लसक्त समूह इनका असिकासिक लाभ उठा सके. उ्ाहरण के सलए राष्ट्री् न्ास के विारा चला्री जा रहरी ्ोजना्ें तभरी सफल हो सकतरी हैं जब लोग इनके बारे में जानें ए्यं लाभ उठा्ें. हमारे इस लेख का उद्देश् लोगों को इन असिसन्मों के बारे में जागरूक करना है. अतः लाभ उठाने के सलए ्ह आ्श्क है हक लोग इन असिसन्मों को ध्ान से पढ़ें त्ा समझें.

    डॉ. टरी. नश्कुमहार सह-प्राध्ापक, मनोसचहकतसकी् पुन्ा्षस इकाई

    डॉ. दे्व्रत कुमहारप्राध्ापक, नै्ासनक मनोस्ज्ान स्भाग

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान8 |

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    एनेट माहर्ा जोसेफ

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान | 9

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    ‘mZ{gH$ ñdmñ϶ H$s XoI^mb H$m A{YH$ma (^maV gaH$ma Ho$ {dMmamYrZ) AmXoe H$aVm h¡ {H$ ‘mZ{gH$ ~r‘mar Ho$ ì¶{º$ Ho$ gmW ~r‘m nm{bgr ‘o ^oX-^md Zhr hmoJm.

    ‘¢ ‘arµO H$mo H¡$go g‘W© ~Zm gH$Vm hÿ±?XoI-^mb H$aZo dmbm| H$mo ‘arµO H$s j‘VmAm| VWm gr‘mAm| H$mo g‘PZm Mm{hE. `{X ‘arµO H$mo ~ma-~ma Eogr n[apñW{V`m| ‘| S>mbm OmEJm Ohm± CgH$s H$‘Omo[a`m± µOm{ha hm| Vmo BgH$m CgHo$ AmË‘-gå‘mZ na Aga n‹S>oJm. Bgr Vah go ~ma-~ma `h B§{JV H$aZm H$s CZHo$ gmW Š`m g‘ñ`mE± h¢ CZ‘| EH$ Aghm` hmoZo H$s ^mdZm H$m {dH$mg H$a gH$Vm h¡.

    ‘arµO H$mo `h ‘hgyg hmoZm Mm{hE H$s n[adma Ho$ bmoJ Cgo MmhVo h¢ VWm ß`ma H$aVo h¢. XoI-^mb H$aZo dmbm| H$mo `h Mm{hE H$s ghr g‘` na ‘arµO H$mo {Oå‘oXm[a`m± boZo Ho$ {bE àmoËgm{hV H$a|. `{X `mo½`Vm Ho$ AZwgma Adgam| H$mo àXmZ {H$`m OmE Vmo ì`{º$ ‘| Amem H$s {H$aU OJVr h¡. `h Oê$ar h¡ H$s CÝh| OrdZ H$s {Z`{‘V H${R>ZmB`m| H$m gm‘Zm H$aZo ‘| gj‘ ‘hgyg H$aZo ‘| ‘XX {H$`m OmE. EH$ ghm`H$ dmVmdaU ‘| (amoJ R>rH$ hmoZo Ho$ ñVa Ho$ AZwgma) ‘arµO H$mo OrdZ H$s {Z`{‘V H${R>ZmB`m| H$m gm‘Zm H$aZo H$m H$m¡eb {gIm`m Om gH$Vm h¡. haoH$ ‘arµO Ho$ {bE EH$ gmW©H$ Ed§ AmemnyU© OrdZ OrZm g§^d h¡. n[adma/g‘mO ‘| CZH$m ̀ moJXmZ EH$ ’y$b H$mo nmZr XoZo go boH$a nyao Ka H$mo MbmZo VH$ hmo gH$Vm h¡. CZHo$ haoH$ `moJXmZ H$s gamhZm Adí` hmoZr Mm{hE Š`m|{H$ CÝhm|Zo Eogm {d{^Þ H${R>ZmB`m| Ho$ ahVo hþE {H$`m h¡.

    ‘arµO H$mo Kaobw OrdZ Ho$ Am‘ H$m`m|© H$mo grIZo Ho$ {bE àmoËgm{hV H$aZm Mm{hE (O¡go gmµ’$-g’$mB©, ~mµOma go gm‘mZ H$s IarXmar BË`m{X). Hw$N> gm‘mÝ` H$m`© O¡go Ka Ho$ {Z`{‘V {~b ({~Obr {~b, ~MV µO‘m BË`m{X) H$mo ñdMm{bV H$a (O¡go H$s ECS So>{~Q> Ho$ ‘mÜ`‘ go) CZHo$ OrdZ H$mo AmgmZ {H$`m Om gH$Vm h¡. XoI-^mb H$aZo dmbm| H$mo ‘arµO H$mo gmYmaU Am{W©H$ H$m`m|© (O¡go ATM H$m à`moJ, nmg~wH$ H$m à`moJ BË`m{X) Ho$ {bE AnZo {Z[ajU ‘| àmoËgm{hV H$aZm Mm{hE. ̀ h ̂ r Oê$ar h¡ H$s gm‘m{OH$ Adgam| (O¡go emXr-{ddmh, nmQ>r©) ‘| ‘arµO H$mo em{‘b {H$`m OmE Vm{H$ CgH$m gm‘m{OH$ Xm`am ~T>o. `h g‘mO ‘| ’¡$bo ‘mZ{gH$ amoJm| Ho$ ~mao ‘| ZH$mamË‘H$ Ñ{ï>H$moU H$mo hQ>mZo ‘| ^r ‘XX H$aVm h¡.

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान10 |

    H$mZyZr {df`m| Ho$ ~mao ‘| gab OmZH$mar Ho$ {bE {ZåZm§{H$V ~mV| Xr J`r h¡. H¥$n`m AnZo dH$sb go {‘b H$a Am¡a A{YH$ OmZH$mar VWm gbmh b|.

    1. g§n{Îm H$m ñWmZm§VaU:• EH$ XoI-^mb H$aZo dmbm AnZo Ûmam A{O©V g§n{Îm Ho$ {bE

    dgr`V ~Zm gH$Vm h¡. do d§eJV ê$n go àmá g§n{Îm Ho$ {bE dgr`V Zht ~Zm gH$Vo h¡. {damgV ‘| {‘br g§n{Îm nmoVo-nmo{V`m| H$mo {damgV ‘| {‘bVr h¡.

    • ‘¥Ë`w Ho$ ~mX g§n{Îm `{X dJ© 1 CÎmam{YH$mar Or{dV hm| Vmo g§n{Îm CZH$s hmoVr h¡ AWdm dJ© 2 CÎmam{YH$mar H$mo OmVm h¡. dJ© 1 CÎmam{YH$mar ‘| ~ƒ|, nËZr, ‘m± AmVo h¢. dJ© 2 CÎmam{YH$mar ‘| n{V, {nVm VWm VËnümV ^mB©-~hZ AmVo h¢.

    • `{X g§n{Îm ‘arO Ho$ Zm‘ na h¡ Vmo àmH¥${VH$ A{^^mdH$ g§n{Îm Ho$ XoI-aoI H$s AZw‘{V Ho$ {bE Ý`m`b` Om gH$Vo h¢.

    2. dgr`V ~ZmZm• dgr`V Ho$ {bE EH$ ‘ZmoZrV ì`{º$ (Zm¡{‘Zr) H$s Oê$aV hmoVr

    h¡ EH$ ì`{º$ EH$ Q´ñQ> ~Zm gH$Vm h¡ `m {H$gr Q´ñQ>/g§JR>Z H$mo

    dgr`V ‘| C„opIV ì`{º$ VWm g§n{Îm Ho$ XoI-aoI Ho$ {bE AmJ«h H$a gH$Vm h¡.

    • dgr`V ‘| hñVmja Ho$ {bE H$‘ go H$‘ Xmo VQ>ñW A{^à‘m{UV H$aZo dmbm| H$s Oê$aV hmoVr h¡. [aíVoXma ^r gmú` Ho$ ê$n ‘| hñVmja H$a gH$Vo h¢, naÝVw CÝh| A{^ê${M aIZo dmbo gmú` ‘mZm OmVm h¡.

    • hmbm±{H$ `h A{Zdm`© Zht h¡ bo{H$Z `h AÀN>m h¡ H$s dgr`V n§OrH¥$V hmo Vm{H$ H$moB© CgHo$ à‘m{UH$Vm na àý Z CR>m gHo$.

    • dgr`V na H$moB© ñQ>mån-H$a Zht bJVm h¡ bo{H$Z n§OrH$aU H$m ewëH$ hmoVm h¡.

    • dgr`V EH$ ‘mZ{gH$ ê$n go ñdñW ì`{º$ Ho$ Ûmam ~Zm`m Om gH$Vm h¡. gmW hr Bg‘| AZoH$ ~ma ~Xbmd bm`o Om gH$Vo h¢. hmbm±{H$, EH$ ì`{º$ Omo ~ma-~ma dgr`V ‘| ~Xbmd H$ao CgHo$ ‘mZ{gH$ pñW{V na àý {MÝh bJm`m Om gH$Vm h¡.

    • AmnHo$ OrdZ Ho$ ~mX ‘arµO H$s XoI-aoI H$aZo dmbo {H$gr {dœñV ì`{º$ `m AmnHo$ dH$sb H$mo dgr`V Ho$ ~mao ‘| gy{MV H$aZo Ho$ {bE H$h gH$Vo h¢. AmnH$m dH$sb dgr`V Ho$ {H«$`mÝd`Z Ho$ {bE {Oå‘oXma h¡

    3. Q´ñQ> H$m {Z‘m©U - EH$ Q´ñQ> H$m {Z‘m©U Cg ì`{º$ H$s BÀN>mAm| Ho$ {H«$`mÝd`Z Ho$ {bE {H$`m OmVm h¡ {OgZo Cgo ~Zm`m h¡. Q´ñQ> Ho$ {Z‘m©U Ho$ {bE {H$gr Ý`yZV‘ g§n{Îm H$s CnbãYVm H$m ~§YZ Zht h¡.

    • Q´ñQ>r`m| H$mo aIZm - EH$ ì`{º$ {H$gr dH$sb go g§nH©$ H$a gH$Vm h¡ `m {’$a AnZo [aíVoXma/nwÌ/nwÌr H$mo Q´ñQ>r aI gH$Vm h¡. n[adma go ~mha Ho$ bmoJ ^r Q´ñQ> ‘| em{‘b hmo gH$Vo h¢.

    4. A{^^mdH$/à~§YH$ H$s {Z`w{º$ - {nVm VWm ‘mVm àmH¥${VH$ A{^^mdH$ ‘mZo OmVo h¢. CZHo$ Z hmoZo na µH$mZyZ Hw$N> [aíVoXmam| H$mo ({OZH$s EH$ {Z{üV gyMr h¡) àmH¥${VH$ A{^^mdH$ ‘mZVm h¡. ‘mVm-{nVm dgr`V Ho$ Ûmam EH$ Q>oñQ>m‘|Q´r A{^^mdH$ {Z`wº$ H$a gH$Vo h¢. AJa H$moB© ^r àmH¥${VH$ A{^^mdH$ Z hmo Vmo EH$ XoI-^mb H$aZo dmbm Ý`m`mb` go `h `mMZm H$a gH$Vm h¡ H$s CgH$s ‘¥Ë`w Ho$ ~mX CgHo$ ‘arO Ho$ {bE EH$ A{^^mdH$ H$s {Z`w{º$ H$s Om`o. H$mZyZ Ho$ AZwgma A{^^mdH$ ì`{º$ H$m VWm à~§YH$ ì`{º$ Ho$ g§n{Îm H$m XoI-^mb H$aVm h¡. `{X A{^^mdH$ `m à~§YH$ AnZo {Oå‘odmar H$m {Zd©hZ Zht H$a ahm h¡ Vmo Bgo Ý`m`mb` H$mo ~Vm`m Om gH$Vm h¡. Ý`m`mb` Cg ì`{º$ H$mo hQ>mH$a {H$gr Xygao ì`{º$ H$mo ‘ZmoZrV H$a gH$Vm h¡.

    AŠga nyN>m OmZo dmbm EH$ àý - AJa H$moB© ì`{º$ gån{V-nÌ na hñVmja boH$a EH$ ‘mZ{gH$ amoJr go CgH$s g§n{Îm hm{gb H$a boVm h¡ Vmo Bg gå~ÝY ‘| Š`m {H$`m Om gH$Vm h¡?

    Odm~ - hñVmja H$aZo dmbo ì`{º$ Ho$ ‘mZ{gH$ pñW{V Ho$ ~m{YV (unsoundness) hmoZo H$mo AmYma ~ZmH$a Bgo Ý`m`mb` ‘| MwZm¡Vr Xr Om gH$Vr h¡. `hm± na àý h¡ H$s H$mJOm| na hñVmja Ho$ g‘` Š`m ‘mZ{gH$ amoJr H$mo Eogm H$aZo H$s g‘P/`mo½`Vm Wr.

    A{YH$ OmZH$mar/ghm`Vm Ho$ {b¶oo {ZåhmÝg Ho$ H$mZyZ ghm¶Vm p³b{ZH$ ‘| ‘§Jbdma VWm ewH«$dma H$mo 3-5 ~Oo Ho$ ~rM g§nH©$ {H$`m Om gH$Vm h¡.

    Š`m XoI-aoI H$aZo dmbo ‘arOm| Ho$ {bE XrK©-{Zdmg Ka ~Zm gH$Vo h¢?H$Zm©Q>H$ noa|Q²g Egmo{gEgZ ’$m°a ‘|Q>br [aQ>maSo>S> {gQ>rO§g, EH$ g§ñWm {OgH$s ewéAmV ‘mZ{gH$ ê$n go Xw~©b ~ƒm| Ho$ ‘mVm-{nVm Ho$ Ûmam H$s J`r h¡, Zo AnZo gmYZm| H$mo {‘bmH$a EH$ Eogm XrK©-{Zdmg Ka AnZo ‘mZ{gH$ ê$n go Xw~©b ~ƒm| Ho$ {b`m ~Zm`m h¡. ‘mZ{gH$ amo{J`m| Ho$ XoI-^mb H$aZo dmbo ^r, ‘mZ{gH$ amo{J`m| Ho$ µOê$aVm| Ho$ AZwgma, Eogm H$moB© H$X‘ CR>m gH$Vo h¢.

    ao’$a|g‘oao ~mX Š`m? ‘o{S>H$mo n¡ñQ>moab Egmo{gEgZ, {S>nmQ>©‘|Q> Am°’$ gmB{H$EQ´r, ~¢Jbmoa ‘o{S>H$b H$m°boO E§S> [agM© B§pñQ>Q>çyQ>, H$Zm©Q>H$ ñQ>oQ> ‘|Q>b hoëW AWm°[aQ>r.

    मिोनचमकत्सकीय पुि्हापि्स इकहाई

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान | 11

    स्श् स्ास्थ् सयंगठन के अनुसार मानससक स्ास्थ् खुिहालरी की ्ह अ्स्ा है सजसमें व्सक्त अपनरी क्मताओयं को पहचानता है, जरी्न के सामान् तना्ों का सामना कर सकता है, उतपा्कता त्ा अ््षपूण्षता के सा् काम कर सकता है, ए्यं अपने समु्ा् में ्ोग्ान कर सकता है. इसका तातप््ष ्ह है की मानससक स्ास्थ् ससफ्फ मानससक रोग का न होना नहीं है, बन्क ्ह एक ्ृहत सयंप्रत्् है सजसके अयंतग्षत हमाररी ्ोग्ताएँ, उन ्ोग्ताओयं का सहरी उप्ोग, समाज में हमाररी सा््षक भूहमका, अपने जरी्न की कहठनाइ्ों का प्रभा्कता के सा् सामना करना इत्ाह् सभरी कुछ आते हैं.

    जहाँ तक मानससक रोगों का प्रश् है, ्े ्े नै्ासनक समस्ाएँ हैं जो व्सक्त के स्चार, सयं्ेग, ए्यं व्वहार में से एक ्ा असिक को प्रभास्त करते हैं, अ्ा्षत उनमें पहर्त्षन लाते हैं. अत्ासिक स्रा्, सचयंता, निे का लत, व्ामोह त्ा स्भ्रम इत्ाह् मानससक रोगों के लक्ण हो सकते हैं. मानससक रोगों को अनेक ्गयों में बायंटा जाता है, जैसे:

    1. बहालयहा्स्हा में ्ोिे ्हािे रोग: ्े रोग बचपन में प्रारयंभ होते हैं. इसके अयंतग्षत अनेक रोग जैसे औहटजम, सिक्ण समबनिरी रोग (लसनिंग हडसेसबसलटरी), ध्ान की कमरी त्ा असत-ससक्र्ता समबनिरी रोग(अटेंिन डेहफससट हाइपर एनकटस्टरी हडसऑड्षर) इत्ाह् आते हैं.

    2. नचंतहा ्समबनधरी रोगें: ्ह उन रोगों का एक समूह है सजसके मूल में सचयंता की भूहमका होतरी है. सामान्रीकृत सचयंता रोग (जेनेरालाईज़ड एयंगजा्टरी हडसऑड्षर), फोसब्ा, अत्सिक घबराहट (पैसनक हडसऑड्षर) इत्ाह् इस ्ग्ष में आते हैं.

    3. ्सं्ेग ्से ्समबंनधत रोग (अफेबकट् मड्सऑडपि्सपि): इसके अयंतग्षत उनमा् (मैसन्ा) त्ा स्रा् (हडप्रेिन) से समबयंसित रोग आते है.

    4. बसकजोफ्ेनियहा त्हा अनय ्समबंनधत रोग: इस ्ग्ष में ्े रोग आते हैं सजसमे व्सक्त व्ामोह (डेल्ूजन), स्भ्रम (है््ूससनेसन), अव््नस्त सचतन (हडसओगदेनाइजड स्यंहकूंग) इत्ाह् पहरलसक्त करता है.

    5. टट्ौमहा त्हा सटट्े्स ्से ्समबंनधत रोग: हकसरी आघात, स्मे ्ा तना् के ् ौरान अ््ा पचिात कुछ लोगों को अपने सामान् जरी्न में सन्ोसजत होने में कहठनाई्ाँ होतरी हैं त्ा इन आघातों अ््ा तना्ों के अनके मनो्ैज्ासनक प्रभा् ्ेखे जाते हैं. इनसे जसनत मानससक रोगों में पोसट-टट्ॉमेहटक सटट्ेस हडसऑड्षर, एक्ूट सटट्ेस हडसऑड्षर आह् आते हैं.

    ्समझें महािन्सक स्हास्थय ए्ं महािन्सक रोगों को

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान12 |

    6. यौि ्समबनधरी रोग: ् ौन समबनिरी मानससक रोगों में ् ौन की इचछा मैं कमरी, ्ौन सक्र्ा करने से समबनिरी समस्ाएँ इत्ाह् आते हैं.

    7. िशहा रोग: स्सभन्न प्रकार के निे के प्ाियों जैसे अ्कोहल, गायंजा, अफीम इत्ाह् पर आसश्रत हो जाना भरी एक प्रकार का मानससक रोग हो सकता है.

    8. अनय महािन्सक रोग: उपरोक्त मानससक रोगों के अला्ा अनेक अन् मानससक रोग होते हैं, जैसे लैंसगक पहचान से समबयंसित कहठनाई (जेंडर आइडेंहटटरी हडसऑड्षर), ईहटयंग हडसऑड्षस्ष इत्ाह्.

    महािन्सक रोगों के कहारणमानससक रोगों की उतपसत् त्ा उनके बने रहने में अनके जैस्क, मनो्ैज्ासनक ए्यं सामसजक तत्ों की भूहमका हो सकतरी है. हकसरी भरी मानससक रोग में आम तौर पर इन तत्ों की अयंतसक्र्फ्ा ्ेखरी जातरी है. जैस्क तत्ों में तयंसरिका रसा्नों में असयंतुलन (न्ूरोकेहमकल इमबैलेंस), अन् मनसतषकी् समस्ाएँ इत्ाह् प्रमुख होते हैं. मनोसामासजक कारकों में तना्, ््ाब, सचयंता, विन् (कौसनलिक्टस), पाहर्ाहरक समस्ाएँ इत्ाह् आते हैं.

    महािन्सक रोगों ्से निजहात के उपहायजैसा की हकसरी रोग के बारे में कहा जाता है की उपचार से रोक-्ाम बेहतर है, ्ह बात ित-प्रसतित मानससक रोगों पर भरी लागू होता है. ्ह् हम अपने मानससक स्ास्थ् पर ध्ान ्ें तो मानससक रोगों से बहुत ह् तक बच सकते हैं. अतः स््षप्र्म हम ्ह समझें की मानससक स्ास्थ् को बढ़ा्ा ्ेने के सलए क्ा-क्ा हक्ा जा सकता है.

    महािन्सक स्हास्थय को बढ़हा्हा देिे के उपहाय1. अपने अन्र तना् त्ा ््ाबों के सहने की क्मता का स्कास,

    समस्ाओयं के सा््षक समािान के क्मता का स्कास, अपने सकारातमक पक् को पहचानना ए्यं कहम्ों को ् ूर करने का प्र्ास करना इत्ाह् हमें उन नकारातमक पहरनस्सत्ों त्ा कारकों से लड़ने की क्मता प्र्ान करते हैं जो हमारे मानससक स्ास्थ् को प्रभास्त कर सकते हैं. उ्ाहरण के सलए अगर बच्ों को उनके स्द्ाल् में हरी समस्ाओयं के प्रभा्क समािान के तररीकों को सन्हमत रूप से ससखा्ा जा्े तो न ससफ्फ हकसरी गयंभरीर समस्ा के सम् उनके मानससक स्स् के प्रभास्त होने की सयंभा्ना कम होगरी, बन्क ्े उस समस्ा से ज्ा्ा प्रभा्री ढयंग से लड़ भरी पाएयंगे.

    2. बच्ों के पालन-पोरण के प्रभा्री तररीकों को सरीखना, पहर्ार में त्ा पहर्ार से बाहर स्स् अयंत्वै्सक्तक समबनिों का स्कास,अपने व्सत ह्नच्ा्ष से कुछ ऐसा सम् सनकालना जब

    पहर्ार के सभरी स्स् एक ्ुसरे से अचछे माहौल में हमलें त्ा बात-सचत करें ए्यं ऐसे हरी अनेक क्म हमारे मानससक स्ास्थ् को बल ्ेते हैं.

    3. स्श् स्ास्थ् सयंगठन ने कुछ जरी्न कौिलों (लाइफ नसक्स) के बारे में चचा्ष की है. इसके अयंतग्षत आतमबोि, सृजनातमक सचयंतन, समस्ाओयं का समािान, अपने सयं्ेगों पर सन्यंरिण त्ा बेहतर प्रबयंिन, तना्ों का सामना इत्ाह् आते हैं. जैसा की सपष् है, ्े ्ैसे कौिल हैं जो हरेक व्सक्त के सलए स्सभन पहरनस्सत्ों में म््गार होंगे. इन कौिलों में प्रसिक्ण, खास कर, बच्ों को ताहक ्े इन कौिलों के सा् में जरी्न में आगे बढ़ें, हमारे मानससक स्ास्थ् के सलए महत्पूण्ष है.

    4. एक स्स् जरी्न िैलरी न ससफ्फ िाररीहरक स्ास्थ् के सलए बन्क मानससक स्ास्थ् के सलए भरी अत्ा्श्क है. उ्हारण के सलए सन्हमत व्ा्ाम हमें िाररीहरक रूप से बल ्ेने के अला्ा मानससक रूप से भरी अपने ्ैसनक जरी्न के ््ाबों को प्रभा्री रूप से झेलने में म्् करता है. इसरी प्रकार स्स् भोजन, मह्रा का प्र्ोग न करना, अचछरी सनद्ा सुसनसचित करना त्ा ऐसे हरी अन् क्म हमारे िाररीहरक और मानससक स्ास्थ् ्ोनों के सलए उप्ोगरी हैं.

    5. ्ोग, ध्ान (मेडरीटेिन) आह् हमारे मानससक स्ास्थ् को सुदृढ़ रखने में महत्पूण्ष भूहमका सनभा सकते हैं.

    6. इनके अला्ा आध्ानतमकता, समाज के सा् एक ्ृहत पहरपेक्् से जुडा् इत्ाह् भरी हमारे मानससक स्ास्थ् को म्् करते हैं.

    महािन्सक रोगों की नचमकत्सहा तकिरीकें सपछले कुछ ्िकों में मानससक रोगों के सचहकतसा के क्ेरि में सराहनरी् प्रगसत हुई है. हम न ससफ्फ रोगों के कारणों को ज्ा्ा भलरी-भायंसत समझ पाए हैं, बन्क इनके सचहकतसा की सटरीकता ए्यं सफलता के ्र में काफी स्कास हुआ है. मानससक रोगों के सचहकतसा की मुख् पधिसत्ों का सयंसक्प्त स््रण ्हाँ ह््ा जा रहा है.

    1. औरिरी् (््ाएयं) सचहकतसा: उच् सतररी् िोिों का ्ह पहरणाम है की आज स्सभन्न मानससक रोगों के सलए अचूक ््ाएयं उपलबि हैं. इन ््ाओयं से व्सक्त को रोग के लक्णों से राहत हमलता है. मानससक रोगों के सलए प्र्ुक्त ््ाओयं के कुछ प्रमुख ्ग्ष हैं – एयंसज्ोलाइहटकस, एयंटरीसाईयंकोहटकस, एयंटरीहडप्रेसें्टस, मूडसटेबलाइजस्ष इत्ाह्.

    2. मनोसचहकतसा: मनोसचहकतसा ्ा साइको्ेरेपरी स्सिष् सचहकतसा तकनरीकवें हैं, सजनमें इन तकनरीकों में प्रसिसक्त एक व्सक्त मररीज के

  • राष्ट्रीय मानसिक स्ास्थय ए्ं तंसरिका स्ज्ान िंस्ान | 13

    मनो्ैज्ासनक समस्ाओयं के अनुसार हकसरी स्सिष् तकनरीक का प्र्ोग करता है. मनोसचहकतसाएँ अनेक हैं, सजनमें मनोस्श्ेरण (साइकोएनासलससस), व््हार सचहकसता (सबहैस्अर ्ेरेपरी), सयंज्ानातमक व््हार सचहकतसा (कोगसनहट् सबहैस्अर ्ेरेपरी), मेटाकोगसनहट् ्ेरेपरी, अयंत्वै्सक्तक सचहकतसा (इयंटर पस्षनल ्ेरेपरी), पहर्ार सचहकतसा (फॅहमलरी ्ेरेपरी), सयं्ेग केसनद्त सचहकतसा (इमोिन फोकसड ्ेरेपरी), समूह सचहकतसा (ग्रुप ्ेरेपरी) आह् प्रमुख हैं.

    मनोसचहकतसा ् ा औरसि ् ा ् ोनों का प्र्ोग व्सक्त की समस्ा के रूप, उसकी तरीव्रता त्ा अनेक अन् बातों पर सनभ्षर करता है.

    महािन्सक रोनगयों के निए पुि्हापि्स कहायपिरिमअनेक बार रोग के प्रभ