hindi book-premchand sampoorn sangrah- part 1
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8/20/2019 Hindi Book-Premchand Sampoorn Sangrah- Part 1
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ेमचंद
सप रूण संह भाग – १
मेचदं क कहानया ं
यह प ुतक http://pdfbooks.ouhindi.com से डाउनलोड क गयी है | इस संह के अगल ेभाग कोडाउनलोड कन ेके लए यहा जाय
स चूी :-
इस सह म नन कहानया त तु क गयी ह :-
1. आमाराम
2. द गुाश का मदर
3. ब घर क बेट 4.
पच -
परमेवर
5. खनाद
6. नाग प जूा
7. ववास
8. नरक का मागश 9. ी और प ुष
10. उधदार
11. नवाशसन
12. नरैाय लला
13. कौ
14. वशग क देवी 15. आार
16. एक ऑ च क कसर
17. माता का दय
18. परा
19. त तर
20. नरैाय 21. दड
22. कार
23. ललैा
24. नेउर 25. ू 26. अम तृ
27. अपनी करनी
28. गरैत क कटार
29. घमड का प तुला
30. वजय 31. वफा का जर
32. म बुारक बीमार
33. वासना क कय ॉ
34. प ु -ेम
35. इजत का ख नू
36. होल क छ ु ट 37. नादान दोत
38. तो
39. देवी
40. ख दु
41. ब ेबाब ू
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42. रा का सेवक
43. आर तोहफा
44. ातल
45. वरदान
46. वरैाय 47. नये पोसय से मेल -जोल
48. एकता का सब प ुट होता है49. ट -जीवन के य
50. डट यामाचरण
51. नठ ु रता और ेम
52. सखया 53. ईयाश
54. स ुीला क म ृय ु
55. वरजन क वदा
56. कमलाचरण के म
57. कायापलट
58. म 59. कतशय और ेम का सघषश
!!!! अग आपको यह संह पसंद आया हो तो हमा साईट प एक बा ज पधा !!!
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आमााम
वदे -ाम म महादेव सोनार एक स ुवयात आदमी िा। वह अपन ेसायबान म ात: स ेसधया तक
अगीठ के सामन ेबैठा ह ुआ खटखट कया करता िा। यह लगातार धवन स
ुनने के लोग इतने अयत हो
गयिे ेक जब कसी कारण से वह बद हो जाती , तो जान पता िा , कोई चीज गायब हो गयी। वह नय -
त एक बार ात:काल अपने तोते का पजा लए कोई भजन गाता ह ुआ तालाब क ओर जाता िा। उस
ल ेका म उसका जजशर रर , पोपला म ु ह और झ ुक ह ुई कमर देखकर कसी अपरचत मन ुय को
उसके पाच होने का म हो सकता िा। य ह लोग के कान म आवाज आती —‘स ग ुद वद
दाता ,’ लोग समझ जाते क भोर हो गयी।
महादेव का पारवारक जीवन स खूमय न िा। उसके तीन प ु िे, तीन बह ुऍ ि ी, दजशन नाती -पाते ि,े
लेकन उसके बोझ को हका करने-वाला कोई न िा। लके कहते —‘तब तक दादा जीते ह , हम जीवन का
आनद भोग ले, र तो यह ढोल गले पगेी ह।’ बचेारे महादेव को कभी -कभी नराहार ह रहना पता।
भोजन के समय उसके घर म सायवाद का ऐसा गगनभेद नघष होता क वह भ खूा ह उठ आता , औरनारयल का ह ुका पीता ह ुआ सो जाता। उनका यापसायक जीवन और भी आातकारक िा। ययप वह
अपन ेकाम म नप ुण िा , उसक खटाई और स ेकह यादा ुकारक और उसक रासयनक याऍ
कह यादा कटसाधय िी, िताप उस ेआये दन क और ैयश- ूय ाणय के अपद स नुन ेपते िे,
पर महादेव अवचलत गाभीयश से सर झ कुाये सब क ु छ स ुना करता िा। य ह यह कलह ात होता ,
वह अपन ेतोत ेक ओर देखकर प ुकार उठता —‘स ग ुद वददाता।’ इस म को जपते ह उसके चको प णूश ात ात हो जाती िी।
२
एक दन सयोगव कसी लके ने पज े का वार खोल दया। तोता उ गया। महादेव ने सहउठाकर जो पज ेक ओर देखा , तो उसका कलेजा सन -स ेहो गया। तोता कह ॉ गया। उसने र पज ेको
दखेा , तोता गायब िा। महादेव घबा कर उठा और इर -उर खपरैल पर नगाह दौाने लगा। उसे ससार
म कोई वत ु अगर यार िी , तो वह यह तोता। लके -बाल , नाती -पोत स ेउसका जी भर गया िा। लको
क च ुलब लु से उसके काम म वन पता िा। बेट से उस ेेम न िा ; इसलए नह क वे नकम ेिे;
बक इसलए क उनके कारण वह अपने आनददायी क ु ह क नयमत सया स ेवचत रह जाता िा।
पोसय स े उस ेचढ़ िी , इसलए क वे अगीठ स ेआग नकाल ले जातेि े। इन समत वन -बााओ
स ेउसके लए कोई पनाह िी , तो यह तोता िा। इससे उस ेकसी कार का कट न होता िा। वह अब उस
अविा म ि ा जब मन ुय को ात भोग के सवा और कोई इछा नह रहती।
तोता एक खपरैल पर बैठा िा। महादेव ने पजरा उतार लया और उस ेदखाकर कहने लगा —‘आ आ ’ स ग ुद वदाता।’ लेकन ग ॉव और घर के लके एक हो कर चलाने और तालय ॉ बजान ेलगे। ऊपर
स ेकौओ ने क ॉव -क ॉव क रट लगायी ? तोता उा और ग ॉव स ेबाहर नकल कर एक पे पर जा बैठा।
महादेव खाल पजडा लय ेउसके पीछे दौा , सो दौा। लोगो को उसक ुतगामता पर अचभा हो रहा िा।
मोह क इसस ेस ुदर , इसस ेसजीव , इससे भावमय कपना नह क जा सकती।
दोपहर हो गयी िी। कसान लोग खेत स ेचल ेआ रहे िे। उह वनोद का अछा अवसर मला।
महादेव को चढ़ान ेम सभी को मजा आता िा। कसी ने क क के, कसी ने तालय ॉ बजायी। तोता र
उा और वहा स ेद रू आम के बाग म एक पे क ु नगी पर जा बैठा । महादेव र खाल पजा लये
म ढक क भ ॉत उचकता चला। बाग म पह ुचा तो पैर के तल ओु स ेआग नकल रह िी , सर चकर खारहा िा। जब जरा सावान ह ुआ , तो र पजा उठा कर कहने लग े—‘स ग ुद वद दाता ’ तोता
ु नगी स ेउतर कर नीच ेक एक डाल पी आ बैठा , कत ु महादेव क ओर सक ने स ेताक रहा िा।
महादवे न ेसमझा , डर रहा है। वह पज ेको छो कर आप एक द सूरे पे क आ म छप गया। तोते नेचार ओर गौर से दखेा , नक हो गया , अतरा और आ कर पज ेके ऊपर बैठ गया। महादेव का दय
उछलने लगा। ‘स ग ुद वद दाता ’ का म जपता ह ुआ ीरे-ीरे तोत ेके समीप आया और लपका कतोत ेको पक ल, कत ु तोता िहा न आया , र पे पर आ बैठा।
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ाम तक यह हाल रहा। तोता कभी इस डाल पर जाता , कभी उस डाल पर। कभी पज ेपर आबठैता , कभी पज ेके वार पर बठैे अपने दाना -पानी क यालय को देखता , और र उ जाता। ब ुढा
अगर म ूतशमान मोह िा , तो तोता म ूतशमयी माया। यह ॉ तक क ाम हो गयी। माया और मोह का यह
साम अकार म वलन हो गया।
३
रात हो गयी ! चार ओर नब अकार छा गया। तोता न जाने प म कह ॉ छपा बैठा िा। महादेवजानता िा क रात को तोता कह उकर नह जा सकता , और न पज ेह म आ सकता ह , र भी वह
उस जगह से हलन ेका नाम न लतेा िा। आज उसने दन भर क ु छ नह खाया। रात के भोजन का समय
भी नकल गया , पानी क ब ू द भी उसके क ठ म न गयी , लेकन उसे न भ खू िी , न यास ! तोत ेके बना
उस ेअपना जीवन नसार , ुक और स नूा जान पता िा। वह दन -रात काम करता िा ; इसलए क यह
उसक अत:ेरणा िी ; जीवन के और काम इसलए करता िा क आदत िी। इन काम मे उस े अपनी
सजीवता का ले -मा भी ान न होता िा। तोता ह वह वत ु िा , जो उसे चतेना क याद दलाता िा।
उसका िहा स ेजाना जीव का देह -याग करना िा।
महादेव दन -
भर का भ खू -
यासा , िका -
म ॉदा , रह -
रह कर झपकय ॉ ल ेलतेा िा ; कत ु एक ण म र चक कर ऑख ेखोल देता और उस वत तृ अकार म उसक आवाज स नुायी देती —‘स ग ुद
वद दाता।’
आी रात ग ुजर गयी िी। सहसा वह कोई आहट पा कर चौका। देखा , एक द सूरे व ृ के नीच ेएक
ु ला दपक जल रहा है, और कई आदमी ब ठे ह ुए आपस म क ु छ बात कर रहे ह । व ेसब चलम पी रहे
ि।े तमाख ूक महक ने उसे अीर कर दया। उच वर से बोला —‘स ग ुद वद दाता ’ और उन
आदमय क ओर चलम पीन ेचला गया ; कत ु जस कार बद कू क आवाज स नुते ह हरन भाग जाते ह
उसी कार उस ेआत ेदखे सब -के-सब उठ कर भागे। कोई इर गया , कोई उर। महादेव चलाने लगा —
‘ठहरो -ठहरो !’ एकाएक उस ेधयान आ गया , ये सब चोर ह । वह जारे से चला उठा —‘चोर -चोर , पको -
पको !’ चोर ने पीछे र कर न देखा।महादेव दपक के पास गया , तो उसे एक मलसा रखा ह ुआ मला जो मोच स ेकाला हो रहा िा।
महादवे का दय उछलन ेलगा। उसने कलस ेम ेिहा डाला , तो मोहर िी। उसन ेएक मोहरे बाहर नकाल
और दपक के उजाले म देखा। ह ॉ मोहर िी। उसने त ुरत कलसा उठा लया , और दपक ब ुझा दया और पे
के नीच ेछप कर बैठ रहा। साह से चोर बन गया।
उस ेर का ह ुई , ऐसा न हो , चोर लौट आव , और म झु ेअकेला देख कर मोहर छन ल। उसन ेक ु छमोहर कमर म ब ॉी , र एक स खूी लकी से जमीन क क मटट हटा कर कई गढे बनाये, उह माहर
स ेभर कर मटट स ेढ क दया।
४ महादेव के अतन के सामन ेअब एक द सूरा जगत ्िा , चताओ और कपना से परप णूश। ययप
अभी कोष के िहा स ेनकल जान ेका भय िा ; पर अभलाषाओ ने अपना काम ु कर दया। एक पका
मकान बन गया , सराे क एक भार द कूान ख ुल गयी , नज सबय से र नाता ज ु गया , वलास
क सामय ॉ एकत हो गयी। तब ितीश-याा करने चले, और वह ॉ स े लौट कर बे समारोह से य ,
मभोज ह ुआ। इसके पचात एक वालय और क ु ऑ बन गया , एक बाग भी लग गया और वह नयत
िका -प रुाण स ुनन ेलगा। सा ु-सत का आदर -सकार होन ेलगा।
अकमात उस ेधयान आया , कह चोर आ जाय , तो म भाग ू गा य -कर ? उसन ेपरा करन ेके लए
कलसा उठाया। और दो सौ पग तक बेतहाा भागा ह ुआ चला गया। जान पता िा , उसके परैो म पर लग
गय ेह । चता ात हो गयी। इह कपनाओ म रात यतीत हो गयी। उषा का आगमन ह ुआ , हवा जागी , चय ॉ गान ेलगी। सहसा महादेव के कान म आवाज आयी —
‘स ग ुद वद दाता ,
राम के चरण म च लगा।’
यह बोल सदैव महादेव क जवा पर रहता िा। दन म सह ह बार ये द उसके म ु ह से
नकलतिे े, पर उनका ामशक भाव कभी भी उसके अत:कारण को पश न करता िा। जैसे कसी बाजे से
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राग नकलता ह , उसी कार उसके म ु ह स ेयह बोल नकलता िा। निरशक और भाव - ूय। तब उसकादय -पी व ृ प -पलव वहन िा। यह नमशल वाय ुउसे ग ु जरत न कर सकती िी ; पर अब उस व ृ म
कोपल और ाखाऍ नकल आयी िी। इन वाय ु-वाह स ेझ मू उठा , ग ु जत हो गया।
अणोदय का समय िा। क ृ त एक अन ुरागमय का म ड ूबी ह ुई िी। उसी समय तोता पैर को
जो े ह ुए ऊ ची डाल से उतरा , जैस ेआका से कोई तारा ट ूटे और आ कर पज ेम बठै गया। महादेव
ु लत हो कर दौा और पज ेको उठा कर बोला — आओ आमाराम त ुमन ेकट तो बह ुत दया , पर मेराजीवन भी सल कर दया। अब त ुह च ॉद के पज ेम रख ू गा और सोने से मढ़ द ू गा।’ उसके रोम -रोम के
परमामा के ग ुणान वुाद क धवन नकलन े लगी। भ ु त ुम कतन े दयावान ् हो ! यह त ुहारा असीम
वासय है, नह तो म झु पापी , पतत ाणी कब इस क ृ पा के योय िा ! इस पव भाव से आमा
वहल हो गयी ! वह अन रुत हो कर कह उठा — ‘स ग ुद वद दाता ,
राम के चरण म च लागा।’
उसन ेएक िहा म पजा लटकाया , बगल म कलसा दबाया और घर चला। ५
महादेव घर पह ुचा , तो अभी क ु छ अरेा िा। राते म एक क ु ेके सवा और कसी से भ ट न ह ुई ,
और क ु े को मोहर से वषे मे नह होता। उसने कलसे को एक नाद म छपा दया , और कोयले सेअछ तरह ढ क कर अपनी कोठर म रख आया। जब दन नकल आया तो वह सीे प रुाहत के घर
पह ुचा। प रुोहत प जूा पर बैठे सोच रहे ि े— कल ह म ुकदम क पेी ह और अभी तक िहा म कौी भी
नह — यजमानो म कोई स ॉस भी लेता। इतन ेम महादेव ने पालागन क। पत जी ने म ु ह ेर लया। यह
अमगलम ूतश कह ॉ स ेआ पह ुची , मालम ूनह, दाना भी मयसर होगा या नह। ट हो कर प छूा — या है
जी , या कहते हो। जानत ेनह, हम इस समय प जूा पर रहत ेह ।
महादवे न ेकहा — महाराज , आज मेरे यह ॉ सयनाराण क िका है।प रुोहत जी वमत हो गये। कान पर ववास न ह ुआ। महादेव
के घर िका का होना उतनी ह असाारण घटना िी , जतनी अपन ेघर से कसी भखार के लए भीख
नकालना। प छूा — आज या है?
महादेव बोला — क ु छ नह, ऐसा इछा ह ुई क आज भगवान क िका स नु ल ू ।
भात ह से तैयार होने लगी। वेद के नकटवत ग ॉवो म स पूार र। िका के उपरात भोज का भी
नवेता िा। जो स ुनता आचयश करता आज रेत म द बू कैस ेजमी।
सधया समय जब सब लोग जमा हो , और पडत जी अपन ेसहासन पर वराजमान ह ुए , तो महादेव
खा होकर उच वर म बोला —
भाइय मरे सार उ छल -
कपट म कट गयी। म ने न जान े कतनेआदमय को दगा द , कतन ेखरे को खोटा कया ; पर अब भगवान ने म झु पर दया क है, वह मरेे म ु ह क
कालख को मटाना चाहत ेह । म आप सब भाइय से ललकार कर कहता ह ू क जसका मेरे जम ेजो क ु छनकलता हो , जसक जमा म न ेमार ल हो , जसके चोख ेमाल का खोटा कर दया हो , वह आकर अपनी
एक -एक कौी च ुका ले, अगर कोई यह ॉ न आ सका हो , तो आप लोग उससे जाकर कह दजए , कल से एक
महन ेतक , जब जी चाहे, आय ेऔर अपना हसाब च ुकता कर ल।े गवाह -साखी का काम नह।
सब लोग सनाटे म आ गये। कोई मामशक भाव से सर हला कर बोला — हम कहत ेन िे। कसी ने
अववास स ेकहा — या खा कर भरेगा , हजार को टोटल हो जायगा।
एक ठाक ु र ने ठठोल क — और जो लोग स ुराम चल ेगये।
महादवे न ेउर दया — उसके घर वाल ेतो हग।े कत ु इस समय लोग को वस लू क इतनी इछा न िी , जतनी यह जानने क क इसे इतना न
मल कह ॉ स ेगया। कसी को महादेव के पास आन ेका साहस न ह ुआ। देहात के आदमी िे, ग ेम दु
उखाना या जान । र ाय: लोग को याद भी न िा क उह महादवे स ेया पाना ह , और ऐसे पव
अवसर पर भ लू -च कू हो जाने का भय उनका म ु ह बद कय ेह ुए िा। सबसे बी बात यह िी क महादेव क
सा तुा न ेउह वीभ तू कर लया िा।
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अचानक प रुोहत जी बोल े— त ुह याद ह , म न ेएक क ठा बनान ेके लए सोना दया िा , त ुमन ेकईमा ेतौल म उा दयिे े।
महादवे — ह ॉ, याद ह , आपका कतना न कुसान ह ुआ होग।
प रुोहत — पचास पय ेस ेकम न होगा।
महादवे न ेकमर से दो मोहर नकाल और प रुोहत जी के सामने रख द।
प रुोहतजी क लोल पुता पर टकाऍ होन ेलगी। यह बईेमानी ह , बह ुत हो , तो दो -चार पय ेका न कुसानह ुआ होगा। बचेारे से पचास पये ऐठ लए। नारायण का भी डर नह। बनन ेको पत , पर नयत ऐसी
खराब राम -राम !
लोग को महादेव पर एक ा -सी हो गई। एक घटा बीत गया पर उन सह मन ुय म स ेएक भी
खा न ह ुआ। तब महादेव ने र कह ॉ — माल मू होता है, आप लोग अपना -अपना हसाब भ लू गय े ह ,
इसलए आज िका होन ेदजए। म एक महने तक आपक राह देख ू गा। इसके पीछे ितीश याा करने चला
जाऊ गा। आप सब भाइय स ेमेर वनती है क आप मेरा उार कर ।
एक महने तक महादेव लेनदार क राह देखता रहा। रात को चरो के भय से नीद न आती। अब वह
कोई काम न करता। राब का चसका भी छ ूटा। सा ु-
अयागत जो वार पर आ जाते, उनका ियायोयसकार करता। द रू -द रू उसका स ुय ैल गया। यह ॉ तक क महना प रूा हो गया और एक आदमी भी
हसाब लने ेन आया। अब महादेव को ान ह ुआ क ससार म कतना मश, कतना सयवहार ह । अब उसे
माल मू ह ुआ क ससार ब ुर के लए ब रुा ह और अछे के लए अछा।
६
इस घटना को ह ुए पचास वषश बीत च केु ह । आप वदे जाइये, तो द रू ह स े एक स ुनहला कलस
दखायी देता है। वह ठाक ु रवारे का कलस है। उसस ेमला ह ुआ एक पका तालाब ह , जसम ख बू कमल
खल ेरहत ेह । उसक मछलय ॉ कोई नह पकता ; तालाब के कनारे एक वाल समा है। यह आमाराम
का म ृत -चह है, उसके सब म वभन क वदतय ॉ चलत है। कोई कहता ह , वह रनजटत
पजा वगश को चला गया , कोई कहता , वह ‘स ग ुद ’ कहता ह ुआ अतधयाशन हो गया , पर ियाशि यह ह क उस पी -पी च को कसी बल -पी राह ु ने स लया। लोग कहते ह , आी रात को अभी तकतालाब के कनारे आवाज आती ह ै—
‘स ग ुद वद दाता ,
राम के चरण म च लागा।’
महादेव के वषय म भी कतनी ह जन - ुतय ॉ है। उनम सबस े माय यह है क आमाराम केसमाि होन ेके बाद वह कई सयासय के िसा हमालय चला गया , और वह ॉ स ेलौट कर न आया।
उसका नाम आमाराम स हो गया।
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द गुाण का मद
बाब ूजिना कान नू पढ़न ेम मन िे, और उनके दोन बच ेलाई करन ेम । यामा चलाती , क
म ुन ूमेर ग ुया नह देता। म ुन ुरोता िा क यामा ने मेर मठाई खा ल।
जिना न े ु घ हो कर भामा से कहा —
त ुम इन द ुट को यह ॉ स ेहटाती हो क नह
?
नह तो म एक -एक क खबर लेता ह ू ।भामा च ूह म आग जला रह िी , बोल — अरे तो अब या सधया को भी पढ़तहे रहोगे? जरा दम तो
ल ेलो।
ज०--उठा तो न जाएगा ; बठै -बठै वह से कान नू बघारोगी ! अभी एक -आ को पटक द ू गा , तो वह
स ेगरजती ह ुई आओगी क हाय -हाय ! बच ेको मार डाला !
भामा — तो म क ु छ बठै या सोयी तो नह ह ू । जरा एक घी त ुह लको को बहलाओगे, तो या होगा
! क ु छ म न ेह तो उनक नौकर नह लखायी !जिना स ेकोई जवाब न देते बन पा। ो पानी के समान बहाव का मागश न पा कर और भी
बल हो जाता है। ययप जिना नैतक सात के ाता िे; पर उनके पालन म इस समय क ु ल नदखायी द। म ुदई और म ुदालहे , दोन को एक ह लाठ ह ॉका , और दोन को रोते-चलाते छो कान नू का
ि बगल म दबा कालेज -पाकश क राह ल।
२
सावन का महना िा। आज कई दन के बाद बादल हटे िे। हरे-भर ेव ृ स ुनहर चादर ओढ़े खिे े।
म दृ ुसमीर सावन का राग गाता िा , और बग लुे डालय पर बैठे हडोले झ लू रहे ि।े जिना एक ब च पर
आ बठैे और कताब खोल। लेकन इस ि को अपेा क ृ त -ि का अवलोकन अक चाकषशक िा।
कभी आसमान को पढ़तिे े, कभी पय को , कभी छवमयी हरयाल को और कभी सामने मैदान म खेलते
ह ुए लक को।एकाएक उह सामन ेघास पर कागज क एक प ुया दखायी द। माया ने जासा क — आ म
चलो , देख इसम या है।
ब ु ने कहा — त ुमस ेमतलब ? पी रहने दो।
लेकन जासा -पी माया क जीत ह ुई। जिना ने उठ कर प ुया उठा ल। कदाचत ्कसी के पैसे
प ुया म लपटे गर पे ह । खोल कर देखा ; सावरेन िे। गना , प रुे आठ नकले। क ु त हूल क सीमा न रह।
जिना क छाती कने लगी। आठ सावरेन िहा म लये सोचने लगे, इह या क ? अगर यह
रख द ू , तो न जान ेकसक नजर पे; न माल मू कौन उठा ले जाय ! नह यह ॉ रखना उचत नह। चल ू ि ाने
म इला कर द ू और ये सावरेन िानदेार को सप द ू । जसके हग ेवह आप ले जायगा या अगर उसको न
भी मल, तो म झु पर कोई दोष न रहेगा , म तो अपने उरदायव से म ुत हो जाऊ गा।माया न े परदे क आ से म मारना ु कया। वह िान े नह गय,े सोचा — चल ू भामा स े एक
दलगी क । भोजन तैयार होगा। कल इतमीनान सेि ान ेजाऊ गा।
भामा न ेसावरने दखे,े तो दय मे एक ग ुदग दु -सी ह ुई। प छूा कसक है?
ज०--मरे।
भामा — चलो , कह हो न !ज० — पी मल है।
भामा — झ ठू बात। ऐसे ह भाय के बल हो , तो सच बताओ कह ॉ मल ? कसक है?
ज० — सच कहता ह ू , पी मल है।भामा — मरे कसम ?
ज० — त ुहार कसम।
भामा गनय को पत के िहा से छनने क चेटा करन ेलगी।
जिना के कहा — य छनती हो ?
भामा — लाओ , म अपन ेपास रख ल ू ।
ज० — रहन ेदो , म इसक इला करनेि ाने जाता ह ू ।
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भामा का म ुख मलन हो गया। बोल — प ेह ुए न क या इला ?ज० — ह ॉ, और या , इन आठ गनय के लए ईमान बगाड ूगा ?
भामा — अछा तो सवेरे चले जाना। इस समय जाओगे, तो आन ेम देर होगी।
जिना न ेभी सोचा , यह अछा। िानेवाल ेरात को तो कोई कारवाई कर ग ेनह। जब अशय को
पा रहना है, तब जेसिे ाना वसै ेमरेा घर।
गनय ॉ सद कू म रख द। खा -पी कर लटेे, तो भामा ने ह स कर कहा — आया न य छोते हो ? लाओ , म अपन ेलए एक ग ुल बूद बनवा ल ू , बह ुत दन से जी तरस रहा है।
माया न ेइस समय हाय का प ारण कया।
जिना न ेतरकार करके कहा — ग ुल बूद क लालसा म गल ेम ॉसी लगाना चाहती हो या ?
३
ात:काल जिना िाने के लए तैयार ह एू। कान नू का एक लेचर छ ूट जायेगा , कोई हरज नह। वह
इलाहाबाद के हाईकोटश म अन वुादक ि।े नौकर म उनत क आा न देख कर साल भर से वकालत क
तैयार म मन िे; लेकन अभी कप ेपहन ह रहे िे क उनके एक म म ु ी गोरवेाला आ कर बठै गये,
ओर अपनी पारवारक द ुचताओ क वम ृत क रामकहानी स ुना कर अयत वनीत भाव से बोले —
भाईसाहब , इस समय म इन झझट म ेऐसा स गया ह ू क ब ु क ु छ काम नह करती। त ुम ब ेआदमी हो।
इस समय क ु छ सहायता करो। यादा नह तीस पये दे दो। कसी न कसी तरह काम चला ल ू गा , आज
तीस तारख है। कल ाम को त ुह पय ेमल जाय गे।
जिना ब ेआदमी तो न िे; कत ु बपन क हवा ब ॉ रखी िी। यह मथयाभमान उनके वभाव
क एक द बुशलता िी। केवल अपने वभैव का भाव डालने के लए ह वह बह ुा म क छोट -मोट
आवयकताओ पर अपनी वातवक आवयकताओ को नछावर कर दया करत िे , लेकन भामा को इस
वषय म उनसे सहान ुभ ूत न िी , इसलए जब जिना पर इस कार का सकट आ पता िा , तब िोी देर
के लए उनक पारवारक ात अवय नट हो जाती िी। उनम इनकार करने या टालन ेक हमत न
िी।
वह सक ु चात ेह ुए भामा के पास गय ेऔर बोल े— त ुहारे पास तीस पय ेतो न हगे? म ु ी गोरेलालम ॉग रहे है।
भामा न ेखाई स ेरहा — मरेे पास तो पय ेनह।
ज० — हग ेतो जर , बहाना करती हो।
भामा — अछा , बहाना ह सह। ज० — तो म उनस ेया कह द ू !
भामा — कह दो घर म पय ेनह ह , त ुमस ेन कहते बने, तो म पद क आ से कह द ू ।
ज०--कहन ेको तो म कह द ू , लेकन उह ववास न आयेगा। समझ ग,े बहाना कर रहे ह । भामा --समझ ग;े तो समझा कर ।
ज० — म झुसे ऐसी बम रुौवती नह हो सकती। रात -दन का िसा ठहरा , कैस ेइनकार क ?
भामा — अछा , तो जो मन म आव,े सो करो। म एक बार कह च कु , मरेे पास पय ेनह।
जिना मन म बह ुत खन ह ुए। उह ववास िा क भामा के पास पये है; लेकन केवल म ुझ े
लजत करन ेके लए इनकार कर रह है। द रुाह न ेसकप को ढ़ कर दया। सद कू स ेदो गनय ॉ
नकाल और गोरेलाल को दे कर बोल े— भाई , कल ाम को कचहर से आते ह पये दे जाना। ये एक
आदमी क अमानत ह , म इसी समय देने जा रहा िा --यद कल पये न पह ुचे तो म झुे बह ुत लजत
होना पगेा ; कह म ु ह दखान ेयोय न रह ू गा।
गोरेलाल न ेमन म कहा — अमानत ी के सवा और कसक होगी , और गनय ॉ जबे म ेरख करघर क राह ल।
४
आज पहल तारख क सधया है। जिना दरवाजे पर बैठे गोरेलाल का इतजार कर रहे है।
प ॉच बज गय,े गोरेलाल अभी तक नह आये। जिना क ऑख ेरात ेक तर लगी ह ुई िी। िहा म
एक प िा ; लेकन पढ़न ेम जी नह लगता िा। हर तीसरे मनट राते क ओर देखने लगतिे े; लेकन
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सोचतिे े— आज वतेन मलन ेका दन है। इसी कारण आने म दरे हो रह ह।ै आत ेह हग।े छ: बजे, गोरेलाल का पता नह। कचहर के कमशचार एक -एक करके चल ेआ रह ेि।े जिना को कोई बार ोखा ह ुआ।
वह आ रहे ह । जर वह ह । वैसी ह अचनक है। वैस ेह टोपी है। चाल भी वह है। ह ॉ, वह ह । इसी तर
आ रह ेह । अपने दय से एक बोझा -सा उतरता माल मू ह ुआ ; लेकन नकट आन ेपर ात ह ुआ क कोई और
है। आा क कपत म ूतश द रुाा म बदल गयी।
जिना का च खन होन ेलगा। वह एक बार क ु रसी से उठे। बरामदे क चौखट पर खडे हो , सकपर दोन तर नगाह दौायी। कह पता नह। दो -तीन बार द रू स ेआते ह ुए इक को देख कर गोरेलाल का
म ह ुआ। आकाा क बलता !
सात बजे; चराग जल गय।े सक पर अेरा छान ेलगा। जिना सक पर उवन भाव से टहलने
लगे। इरादा ह ुआ , गोरेलाल के घर चल ू , उर कदम बढाये; लेकन दय क ॉप रहा िा क कह वह राते म
आत ेह ुए न मल जाय , तो समझ क िो-ेस ेपय के लए इतने याक ु ल हो गये। िोी ह द रू गये क
कसी को आते देखा। म ह ुआ , गोरलेाल है, म ु ेऔर सीे बरामदे म आकर दम लया , लेकन र वह
ोखा ! र वह ात ! तब सोचले लग ेक इतनी देर य हो रह ह ? या अभी तक वह कचहर से न
आय ेहगे ! ऐसा कदाप नह हो सकता। उनके दतर -
वाल ेम ुदत ह ुई , नकल गये। बस दो बात हो सकतीह , या तो उहन ेकल आन ेका नचय कर लया , समझ ेहगे, रात को कौन जाय , या जान -ब झू कर बठेै
हगे, देना न चाहते हगे, उस समय उनको गरज िी , इस समय म झुे गरज है। म ह कसी को य न भेज
द ू ? लेकन कस ेभेज ू ? म ुन ूजा सकता है। सक ह पर मकान है। यह सोच कर कमरे म गय,े लैप जलाया
और प लखन ेबठैे, मगर ऑख वार ह क ओर लगी ह ुई िी। अकमात ्कसी के परै क आहट स ुनाई
द। परत ु प को एक कताब के नीचे दबा लया और बरामद म चले आये। देखा , पोस का एक क ु जा
तार पढ़ाने आया है। उसस ेबोल े— भाई , इस समय ु रसत नह ह ;ि ोी देर म आना। उसने कहा --बाब ूजी ,
घर भर के आदमी घबराये ह , जरा एक नगाह देख लजए। नदान जिना ने झ ु झला कर उसके िहा से
तार ल ेलया , और सरसर नजर से दखे कर बोल े— कलक ेस ेआया है। माल नह पह ुचा। क ु ज ेन ेडरते-
डरत ेकहा — बाब ूजी , इतना और देख लजए कसने भेजा है। इस पर जिना ने तार क दया और बोले--म झु ेइस वत ु रसत नह है।
आठ बज गये। जिना को नराा होने लगी — म ुन ू इतनी रात बीते नह जा सकता। मन म
नचय कया , आज ह जाना चाहए , बला से ब रुा मान ग।े इसक कह ॉ तक चता क पट कह द ू गा मरेे
पय ेदे दो। भलमानसी भलेमानस स ेनभाई जा सकती है। ऐसे तू के िसा भलमनसी का यवहार करना
म खूशता ह अचकन पहनी ; घर म जाकर माया से कहा — जरा एक काम से बाहर जाता ह ू , कवा ेबद करलो।
चलने को तो चले; लेकन पग -पग पर कते जातिे े। गोरेलाल का घर द रू से दखाई दया ; लप जल
रहा िा। ठठक गये और सोचने लगे चल कर या कह ू गा ? कह उहन ेजाते-जात ेरपए नकाल कर दे दये, और देर के लए मा म ॉगी तो म ुझे बी झ प होगी। वह म ुझ ेु , ओछा , यैशहन समझ ग।े नह, पय क
आतचीत क ? कह ू गा — भाई घर म बी देर से पेट ददश कर रहा है। त ुहारे पास प रुाना तजे सरका तो नह
ह ैमगर नह, यह बहाना क ु छ भदा -सा तीत होता है। सा कलई ख ुल जायगी। ऊ ह ! इस झझट क
जरत ह या है। वह म झुे देखकर आप ह समझ जाय ग।े इस वषय म बातचीत क क ु छ नौबत ह न
आवगेी। जिना इसी उेब नु म आग ेबढ़त ेचल ेजात ेि ेजैस ेनद म लहर चाहे कसी ओर चल, ारा
अपना मागश नह छोती।
गोरेलाल का घर आ गया। वार बद िा। जिना को उह प कुारन ेका साहस न ह ुआ , समझ ेखाना
खा रहे हगे। दरवाज ेके सामन ेसे नकले, और ीरे-ीरे टहलत ेह ुए एक मील तक चल ेगए। नौ बजने क
आवाज कान म आयी। गोरेलाल भोजन कर च केु हगे, यह सोचकर लौट पे; लेकन वार पर पह ुचे तो , अरेा िा। वह आा -पी दपक ब झु गया िा। एक मनट तक द ुवा म ख ेरहे। या क । अभी बह ुत
सबरेा है। इतनी जद िो ेह सो गए हगे? दब ेप ॉव बरामदे पर चढ़े। वार पर कान लगा कर स नुा , चार
ओर ताक रहे िे क कह कोई देख न ले। क ु छ बातचीत क भनक कान म पी। धयान से स ुना। ी कह
रह िी -पये तो सब उठ रए , जिना को कह ॉ स ेदोग?े गोरेलाल ने उर दया -ऐसी कौन सी उतावल है ,
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र दे द ग।े और दरवात दे द है, कल मज रू हो ह जायगी। तीन महने के बाद लौट गे तब देखाजायगा।
जिना को ऐसा जान पा मान म ु ह पर कसी न तमाचा मार दया।
ो और नैराय स ेभरे ह ुए बरामदे म उतर आए। घर चले तो सीे कदम न पते ि,े जैस ेकोई
दन -भर का िका -म दा पिक हो।
५
जिना रात -भर करवट बदलत ेरहे। कभी गोरेलाल क तुशता पर ो आता िा , कभी अपनी सरलता
पर ; माल मू नह; कस गरब के पय ेह । उस पर या बीती होगी ! लेकन अब ो या खेद रो या
लाभ ? सोचन ेलगे--पय ेकह ॉ स ेआव ग?े भाभा पहले ह इनकार कर च ुक है, वेतन म इतनी ग ु जाइ नह।
दस -प ॉच पय ेक बात होती तो कतर यत करता। तो या क ? कसी से उार ल ू । मगर म झु ेकौन
देगा। आज तक कसी से म ॉगन ेका सयोग नह पा , और अपना कोई ऐसा म है भी नह। जो लोग ह ,
म झुी को सताया करते ह , म ुझ ेया द ग।े ह ॉ, यद क ु छ दन कान नू छोकर अन वुाद करन ेम परम क ,
तो पय ेमल सकत ेह । कम -से-कम एक मास का कठन परम है। सते अन वुादक के मारे दर भी तोगर गयी है ! हा नदशयी ! त नू ेबी दगा क। न जाने कस जम का बैर च ुकाया है। कह का न रखा !
द सूरे दन जिना को पय क ुन सवार ह ुई। सबरेे कान नू के लेचर म समलत होते, सधया
को कचहर स े तजवीज का प ुलदा घर लाते और आी रात बैठे अन वुाद कया करत।े सर उठाने क
म हुलत न मलती ! कभी एक -दो भी बज जाते। जब मतक बलक ु ल िल हो जाता तब वव होकर
चारपाई पर प ेरहत।े
लेकन इतन ेपरम का अयास न होन ेके कारण कभी -कभी सर म ददश होन ेलगता। कभी पाचन -
या म वधन प जाता , कभी वर चढ़ आता। तस पर भी वह मीन क तरह काम म लगे रहत।े भाभा
कभी -
कभी झ ु झला कर कहती --
अजी , लटे भी रहो ; ब ेमाशमा बने हो। त ुहारे जैसे दस -
प ॉच आदमी औरहोत,े तो ससार का काम ह बद हो जाता। जिना इस बााकार यग का उर न देते , दन नकलते ह
र वह चरखा ले बठैत।े
यह ॉ तक क तीन सताह बीत गये और पचीस पये िहा आ गए। जिना सोचते िे--दो तीन दन
म बेा पार है; लेकन इकसव दन उह चड वर चढ़ आया और तीन दन तक न उतरा। छ ु ट लेनी
पी , यासवेी बन गए। भाद का महना िा। भाभा ने समझा , प का , कोप है; लेकन जब एक सताह
तक डाटर क औष सेवन करन ेपर भी वर न उतरा तब घबरायी। जिना ाय: वर म बक -झक भी
करने लगत।े भाभा स ुनकर डर के मारे कमरे म से भाग जाती। बच को पक कर द सूरे कमरे म बद करदतेी। अब उस ेका होने लगती िी क कह यह कट उह पय के कारण तो नह भोगना प रहा है !
कौन जाने, पयवेाले न ेक ु छ कर र दया हो ! जर यह बात है, नह तो औष से लाभ य नह होता ?
सकट पन ेपर हम मश-भी हो जाते ह , औषय से नरा होकर देवताओ क रण लेत ेह । भाभा
न ेभी देवताओ क रण ल। वह जमाटमी , वरा का कठन त ु कया।
आठ दन प रूे हो गए। अतम दन आया। भात का समय िा। भाभा ने जिना को दवा पलाई
और दोन बालक को लेकर द गुाश जी क प जूा करने के लए चल। उसका दय आराधय देवी के त ा
स ेपरप णूशि ा । मदर के ऑ गन म पह ुची। उपासक आसन पर बैठे ह ुए द गुाशपाठ कर रहे िे। पू और
अगर क स ुग उ रह िी। उसने मदर म वे कया। सामन ेद गुाश क वाल तमा ोभायमान िी।उसके म खुारवद पर एक वलण दत झलक रह िी। बे-ब ेउजल ने से भा क करण छटक रह
िी। पवता का एक सम ॉ-सा छाया ह ुआ िा। भाभा इस दतवणश म ूतश के सम ुख साी ऑख स ेताक नसक। उसके अत:करण म एक नमशल , व ु भाव -प णूश भय का उदय हो आया। उसने ऑख बद कर
ल। घ टुन के बल बैठ गयी , और िहा जो कर कण वर से बोल — माता , म झु पर दया करो।
उस ेऐसा ात ह ुआ , मान देवी म ुकराई। उस ेउन दय ने से एक योत -सी नकल कर अपने
दय म आती ह ुई माल मू ह ुई। उसके कान म देवी के म ु ह से नकल ेये द स ुनाई दए — पराया न लौटा
द,े तरेा भला होगा।
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8/20/2019 Hindi Book-Premchand Sampoorn Sangrah- Part 1
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भाभा उठ बैठ। उसक ऑख म नमशल भत का आभास झलक रहा िा। म ुखमडल स ेपव मेबरसा पता िा। देवी ने कदाचत ्उस ेअपनी भा के रग म ड ूबा दया िा।
इतन ेम द सूर एक ी आई। उसके उजल के बखरे और म ुरझाए ह ुए चेहरे के दोन ओर लटक
रहे ि।े रर पर केवल एक वेत साी िी। िहा म च ूय के सवा और कोई आभ षूण न िा। ोक और
नरैाय क साात ्म ूतश माल मू होती िी। उसन ेभी देवी के सामने सर झ कुाया और दोन िहा से ऑ चल
ैला कर बोल — दवेी , जसने मेरा न लया हो , उसका सवशना करो। जसै ेसतार मजराब क चोट खा कर ििररा उठता है , उसी कार भाभा का दय अनट के भय से
ििररा उठा। ये द ती र के समान उसके कलेज ेम च भु गए। उसने देवी क ओर कातर ने से देखा।
उनका योतमशय वप भयकर िा , ने स ेभीषण वाला नकल रह िी। भाभा के अत:करण म सवशिा
आका से, मदर के सामन ेवाल ेव ृ से; मदर के तभ से, स हासन के ऊपर जलत ेह ुए दपक से और
देवी के वकराल म ु ह स े य े द नकलकर ग ू जन े लग-े-पराया न लौटा दे, नह तो तेरा सवशना हो
जायगा।
भाभा खी हो गई और उस व ृा स ेबोल -य माता , त ुहारा न कसी ने ल ेलया है?
व ृा ने इस कार उसक ओर देखा , मान ड ूबत ेको तनके का सहारा मला। बोल —
ह बटे ! भाभा --कतन ेदन ह ुए ?
व ृा --कोई डढे़ महना।
भामा --कतन ेपयिे े?
व ृा --प रूे एक सौ बीस।
भामा --कैस ेखोए ?
व ृा --या जान ेकह गर गए। मरेे वामी पलटन म नौकर िे। आज कई बरस ह ुए , वह परलोक
सारे। अब म झुे सरकार स ेआठ पए साल पेन मलती है। अक दो साल क पेन एक िसा ह
मल िी। खजान ेस ेपए लकेर आ रह िी। माल मू नह, कब और कह ॉ गर प।े आठ गनय ॉि ी।
भामा --अगर व ेत ुह मल जाय तो या दोगी।
व ृा --अक नह, उसम से पचास पए दे द ू गी। भामा पय ेया हगे, कोई उससे अछ चीज दो।
व ृा --बटे और या द ू जब तक जीऊ गी , त ुहारा य गाऊ गी।
भामा --नह, इसक म ुझ ेआवयकता नह !
व ृा --बटे , इसके सवा मेरे पास या है?भामा --म झु ेआवाद दो। मेरे पत बीमार ह , वह अछे हो जाय ।
व ृा --या उह को पये मल ेह ?
भामा --ह ॉ, वह उसी दन स ेत ुह खोज रहे ह ।व ृा घ टुन के बल बैठ गई , और ऑचल ैला कर कपत वर से बोल --देवी ! इनका कयाण
करो।
भामा न ेर देवी क ओर सक ट से देखा। उनके दय प पर ेम का का िा। ऑ ख म
दया क आनददायनी झलक िी। उस समय भामा के अत:करण म कह वगशलोक से यह धवन स ुनाई द --
जा तरेा कयाण होगा।
सधया का समय है। भामा जिना के िसा इके पर बैठ त ुलसी के घर , उसक िाती लौटान ेजा रह
है। जिना के बे परम क कमायी जो डाटर क भ ट हो च कु है, लेकन भामा ने एक पोसी के िहा
अपने कान के झ ुमके बचेकर पय ेज टुाए ह । जस समय झ मुके बनकर आये िे, भामा बह ुत सन ह
ुई
िी। आज उह बचेकर वह उसस ेभी अक सन है। जब जिना न ेआठ गनय ॉ उसे दखाई िी, उसके दय म एक ग ुदग ुद -सी ह ुई िी ; लेकन यह
हषश म ुख पर आन ेका साहस न कर सका िा। आज उन गनय को िहा से जात ेसमय उसका हादशक
आनद ऑख म चमक रहा है, ओठ पर नाच रहा है , कपोल को रग रहा है , और अग पर कलोल कर
रहा है; वह इय का आनद िा , यह आमा का आनद है; वह आनद लजा के भीतर छपा ह ुआ िा , यह
आनद गवश स ेबाहर नकला पता है।
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8/20/2019 Hindi Book-Premchand Sampoorn Sangrah- Part 1
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त ुलसी का आीवाशद सल ह ुआ। आज प रूे तीन सताह के बाद जिना तकए के सहारे बैठ ेि।े वहबार -बार भामा को ेम -प णूश ने स ेदेखते ि।े वह आज उह देवी माल मू होती िी। अब तक उहने उसके
बाय सदयश क ोभ देखी िी , आज वह उसका आमक सदयश देख रहे ह ।
त ुलसी का घर एक गल म िा। इका सक पर जाकर ठहर गया। जिना इके पर स ेउतरे, और
अपनी छी टेकते ह ुए भामा के िहा के सहारे त ुलसी के घर पह ुचे। त ुलसी न ेपए लए और दोन िहा
ैला कर आीवाशद दया --द गुाश जी त ुहारा कयाण कर । त ुलसी का वणशहन म ुख वैस ेह खल गया , जैस ेवषाश के पीछे व ृ क पय ॉ खल जाती ह । समटा
ह ुआ अग ैल गया , गाल क झ ुरशय ॉ मटती दख पी। ऐसा माल मू होता ि , मानो उसका कायाकल पू हो
गया।
वह ॉ स ेआकर जिना अपवने वार पर बैठे ह ुए ि ेक गोरेलाल आ कर बैठ गए। जिना ने म ु ह
ेर लया।
गोरेलाल बोले--भाई साहब ! कैसी तबयत है?
जिना --बह ुत अछ तरह ह ू ।
गोरेलाल --
म झुे मा कजएगा। म झुे इसका बह ुत खेद है क आपके पय ेदेने म इतना वलब ह ुआ।पहल तारख ह को घर से एक आवयक प आ गया , और म कसी तरह तीन महने क छ ु ट लेकर घर
भागा। वह ॉ क वप -िका कह ू , तो समात न हो ; लेकन आपक बीमार क ोक -समाचार स ुन कर आज
भागा चला आ रहा ह ू । ये लजये, पय ेहाजर ह । इस वलब के लए अयत लजत ह ू ।
जिना का ो ात हो गया। वनय म कतनी त है ! बोले-जी ह ॉ, बीमार तो िा ; लेकन अब
अछा हो गया ह ू , आपको मेरे कारण ियश कट उठाना पा। यद इस समय आपको अस ुवा हो , तो पये
र दे दजएगा। म अब उऋण हो गया ह ू । कोई जद नह है।
गोरेलाल वदा हो गये, तो जिना पये लये ह ुए भीतर आय ेऔर भामा से बोले--य ेलो अपने पये;
गोरेलाल दे गये।
भामा न ेकहा --य ेमरे पये नह त ुलसी के ह ; एक बार पराया न लेकर सीख गयी।
ज०--लेकन त ुलसी के प रूे पय ेतो दे दये गय े! भामा --द ेदय ेतो या ह ुआ ? य ेउसके आीवाशद क योछावर है।
ज०-कान के झ ुमके कह ॉ से आव ग?े
भामा --झ मुके न रह गे, न सह ; सदा के लए ‘कान ’ तो हो गय।े
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8/20/2019 Hindi Book-Premchand Sampoorn Sangrah- Part 1
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बे घ क बटे
बनेीमाव सह गौरप रु ग ॉव के जमीदार और नबरदार िे। उनके पतामह कसी समय बे न -
ाय सपन ि।े ग ॉव का पका तालाब और मदर जनक अब मरमत भी म ुकल िी , उह के कतश-
तभ ि।े कहत ेह इस दरवाजे पर िहाी झ मूता िा ,
अब उसक जगह एक ब ढू़ भ स िी ,
जसके रर म अि -पजर के सवा और क ु छ षे न रहा िा ; पर द ू ायद